Umakant007
Well-Known Member
- 3,299
- 3,805
- 144
अनुष्टुभ्स्मृता भवति तापाय दृष्ट्वा चोन्मादवर्धिनी ।स्पृष्टा भवति मोहाय ! सा नाम दयिता कथम् ? ॥ ७३॥
अर्थ:
जो स्त्री स्मरणमात्र करने से सन्ताप कराती है, देखते ही उन्माद बढाती है और छूते ही मोह उत्पन्न करती है, उसे न जाने क्यों प्राण-प्यारी कहते हैं ?
दोहा:
सुधि आये सुधि-बुधि हरत, दरसन करत अचेत ।
परसत मन मोहित करत, यह प्यारी किहि हेत ?
अर्थ:
जो स्त्री स्मरणमात्र करने से सन्ताप कराती है, देखते ही उन्माद बढाती है और छूते ही मोह उत्पन्न करती है, उसे न जाने क्यों प्राण-प्यारी कहते हैं ?
दोहा:
सुधि आये सुधि-बुधि हरत, दरसन करत अचेत ।
परसत मन मोहित करत, यह प्यारी किहि हेत ?