बाप
By Riky007
इसे अमित की आत्मकथा भी कह सकते हैं, शुरुआत से ही कहानी ने बांधे रखा मुझे... बस बीच में लगा फालतू का रोमांस सेक्स दिखाया जो कि बिलकुल ही स्किप कर दिया इसका रीजन भी पितृ प्रेम की कहानी का होना था...!!!
अमित बेशक दुनिया की नजरों में एक मुजरिम हो पर खुद की नजरों में उसने ठीक ही किया, मुझे जाने क्यों शुरुआत में ही लगा था की जरूर बच्चे की मां का किसी के साथ अफेयर होगा इस कहानी में आगे जाकर और वही हुआ..!! इसका रीजन क्या सिर्फ इतना सा होगा की उसका हसबैंड यानी अमित उसे समय नहीं देता उसके बच्चे को ही समय देता है... मुझे ये बिलकुल नहीं लगता... खैर ये सब जो भी हो... हम अमित के हिसाब से चलते हैं... अपनी पत्नी को अपने दोस्त के साथ देखने के बाद भी उसे मनाने की कोशिश की अमित ने, ये बहुत बड़ी बात लगी मुझे...!!!
अमित का कैरेक्टर बहुत प्यार भरा लिखा है आपने, हमारे समाज या न्याय व्यवस्था को देखें इस कहानी के अनुसार तो बच्चे पर पहला हक मां को ही दिया जाता है, अब हक मां को दें या पिता को इसका निर्णय करना बड़ा कठिन भी हो जाता है... मोस्ट ऑफ द टाइम.. माता के पक्ष में ही फैसला आता है.. इस कहानी में भी यही हुआ..
जैसा कि अनुमान हो गया होगा अमित को, वही हुआ... उससे उसका बच्चा छीन लिया गया हमेशा हमेशा के लिए । और फिर अमित ने भी अपनी पूर्व पत्नी के साथ जो किया वो उचित ही किया... क्योंकि उसके पास भी ऐसा कोई सुबूत नहीं था जिससे वो खुद का सही साबित कर पाता...!!! उसके जीने की वजह खत्म हो चुकी थी, इसलिए उसने यही फैसला किया....!!!
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बहुत सुंदर कहानी लिखी आपने...