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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

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DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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#72.

तभी दूर कहीं समुंदर में एक काला धब्बा सा दिखाई दिया। रोजर ने धीरे से पायलेट को हैलीकाप्टर को उस दिशा की ओर मोड़ने का इशारा करते हुए कहा- “सर हमें बहुत दूर एक काला धब्बा सा दिखाई दे रहा है। हम लोग अब उस दिशा में बढ़ रहे हैं। शायद वह कोई पानी का जहाज हो।"

पायलेट ने हैलीकाप्टर अब उस दिशा में मोड़ लिया।

थोड़ी देर रुककर रोजर ने फिर कहा- “हम लोग गलत थे सर। वह कोई जहाज नहीं, बल्कि कोई द्वीप है। अब हम लोग धीरे-धीरे उसके और पास जा रहे हैं। यह कोई छोटा सा, परंतु हरा-भरा द्वीप है।

इसके आसपास हल्कि सी धुंध दिखाई दे रही है।.................अब हम द्वीप के और पास पहुंच गए हैं सर। अचानक कुछ गर्मी बढ़ सी गई है। शायद यह द्वीप कुछ ज़्यादा ही गरम है।

क्यों की इस द्वीप से, समुद्र की ठंडी लहरें टकराकर, धुंध के रुप में आस पास फैल रही है, जो कोहरे के रुप में मुझे दूर से ही दिखाई दे रही है।................. यहां एक विचित्र सी पहाड़ी भी है। दूर से देखने पर यह कोई ताज पहने हुए मानव आकृति के समान प्रतीत हो रही है.. ..... ऐसा लग रहा है जैसे कोई योद्धा इस द्वीप की रखवाली कर रहा हो...........!

अब हम इस द्वीप के ऊपर उड़ान भर रहे हैं सर। ....... यहां किसी भी प्रकार के जीवन का कोई निशान नहीं है। हर तरफ एक अजीब सा सन्नाटा छाया हुआ है। द्वीप के बीच में, एक साफ पानी की झील भी दिख रही है। देखने में यह द्वीप काफ़ी सुंदर लग रहा है सर।

ऊंचाई से देखने पर यह द्वीप एक त्रिभुज की आकृति के लिए हुए दिखाई दे रहा है। पर यह क्या सर?....ओऽऽऽ नोऽऽऽ ...... यह कैसे संभव है?....."

तभी द्वीप के चारो तरफ फैली धुंध धीरे-धीरे हैलीकाप्टर को घेरने लगी और आसमान में एक गहरे लाल रंग के बादलों की टुकड़ी उड़कर उस धुंध में समाहित हो गयी।

उस धुंध का अक्स पानी में पड़कर एक अजीब सा रंग उत्पन्न कर रहा था।

यह देख रोजर की आवाज अत्यन्त विस्मय से भर गई। इतना विचित्र नजारा देख रोजर की आँखो में खौफ साफ नजर आने लगा।

“क्या हुआ रोजर? क्या दिख रहा है तुम्हें?" वॉकी-टॉकी पर सुयश की घबरायी आवाज आयी।

“मैं समझ .....नहीं पा ......रहा हूं सर की मैं......आपको कैसे बताऊं? .......... मैं इस समय .....बड़ा अजीब सा ....महसूस कर रहा हु। ऐसा लगता है जैसे धुंध.......बड़ी तेजी से बढ़ गई है।

आसमान का रंग........समझ में ....नहीं आ ....रहा है।......पानी भी......जैसा दिखना चाहिए....... वैसा नहीं दिख रहा है....और ये क्या?......ये....ये .....यहां ये..... मुझे क्या दिख रहा है.....सर ऐसा लग रहा है .....जैसे कि हम.......।"

अभी रोजर इतना ही बोल पाया था कि तभी द्वीप से निकली एक रहस्मयी तरंग ने हैलीकाप्टर के मैकेनिजम को खराब कर दिया।

“खट् ....खट्..... खटाक।" और इसी के साथ रोजर का संपर्क सुयश से टूट गया।

“सर, हैलीकाप्टर के सारे कण्ट्रोलस एकाएक खराब हो गये हैं। शायद इस क्षेत्र में भी विद्युत चुम्बकीय तरंगे हैं।" पायलेट ने चीख कर रोजर को खतरे से आगाह किया।

हैलीकाप्टर अब किसी परकटी चिड़िया की तरह हवा में लहराने लगा। रोजर समझ गया कि अब हैलीकाप्टर को दुर्घटना होने से कोई नहीं बचा सकता।

रोजर की नजर अब द्वीप में फैले जंगल पर गयी।

घने जंगल के आगे कुछ दूरी पर रोजर को एक रेगिस्तान जैसा क्षेत्र नजर आया।

“उस तरफ ..... हैलीकाप्टर को कैसे भी उस रेगिस्तान में लैन्ड कराने की कोशिश करो।"

रोजर ने पायलेट को द्वीप के रेतीले हिस्से की तरफ इशारा करते हुए कहा- “अगर हमारा हैलीकाप्टर उधर गिरा तो जिंदा बचने की संभावनाएं ज़्यादा है।"

“मैं कोशिश कर रहा हुं सर।" पायलेट ने चीख कर कहा और हैलीकाप्टर को तेजी से नीचे करने लगा।

तभी एक धुंध ने हैलीकाप्टर के पंखे को अपने घेरे में ले लिया और पंखा नाचते-नाचते रुक गया। हैलीकाप्टर सीधे नीचे गिरने लगा। पायलेट और रोजर दोनों के ही पास अपने को बचाने के लिये बिल्कुल भी समय नहीं था।

रोजर की निगाहे अब सिर्फ और सिर्फ जमीन की ओर थी जो कि धीरे-धीरे उसके पास आती जा रही थी। तभी हैलीकाप्टर द्वीप के ऊपर मौजूद किसी अदृस्य दीवार से टकराया।

हैलीकाप्टर से बहुत तेज़ चिंगारी निकली और इससे पहले कि रोजर कुछ समझ पाता, हैलीकाप्टर घने पेडों से टकराता हुआ जमीन पर आ गया।

रोजर सीट सहित हैलीकाप्टर से निकलकर दूर जा गिरा। आवाज इतनी भयानक थी कि थोड़ी देर तक तो रोजर को कुछ समझ ही नहीं आया कि वह कहां गिरा?

लगभग 5 मिनट के बाद रोजर थोड़ा चैतन्य हो गया।

रोजर ने सबसे पहले उठकर अपने शरीर को चेक किया, पर ईश्वर की कृपा से रोजर को छोटी-मोटी खरौंच के सिवा ज़्यादा चोट नहीं आई थी। अब रोजर की निगाह अपने आसपास गयी।

“ये क्या? हैलीकाप्टर तो रेगिस्तान के क्षेत्र में गिरा था, पर यहां तो रेत का कहीं नामोनिशान तक नहीं है। ऐसा कैसे हो सकता है?" रोजर मन ही मन बड़बड़ाया।

तभी उसे द्वीप की अद्रस्य दीवार का ख्याल आया।

“वह अदृस्य दीवार कैसी थी? शायद उसी दीवार की वजह से यहां रेगिस्तान नजर आ रहा था।" रोजर ने आसमान की ओर देखते हुए, अपने मन में कहा।

तभी उसे हैलीकाप्टर का ख्याल आया। रोजर ने अपनी नजर इधर-उधर दौड़ाई। रोजर को कुछ दूरी पर हैलीकाप्टर के अवशेष पड़े दिखायी दिये, जिनसे धुंआ निकल रहा था।

उसे तुरंत पायलेट का ख्याल आया और यह ख्याल आते ही रोजर ने हैलीकाप्टर की ओर दौड़ लगा दी।

हैलीकाप्टर पेडों के एक झुरमुट के बीच गिरा पड़ा था।

रोजर अभी हैलीकाप्टर से थोड़ा दूर ही था कि तभी उसे हैलीकाप्टर के पीछे किसी जानवर की पूंछ दिखायी दी। यह देख रोजर तुरंत रुक कर एक पेड़ की ओट में हो गया।

अब रोजर की निगाहें हैलीकाप्टर की ओर थी।

तभी उसे एक बड़ा सा शेर दिखाई दिया, जो अब हैलीकाप्टर के अंदर की ओर जा रहा था।

रोजर के पास ऐसा कुछ भी नहीं था जिससे वह शेर से लड़ सकता। इसिलये वह चुपचाप पेड़ के पीछे खड़ा शेर को देख रहा था।

थोड़ी देर बाद शेर पायलेट को मुंह में पकड़ कर बाहर निकलता हुआ दिखाई दिया।

पायलेट का शरीर हवा में झूल रहा था। रोजर समझ गया कि पायलेट अब जीवित नहीं है।

शेर पायलेट के शरीर को मुंह में दबाए एक दिशा की ओर चल दिया।
शेर को पायलेट की लाश ले जाते देख रोजर को काफ़ी आश्चर्य हुआ इसिलये रोजर दबे पांव शेर के पीछे-पीछे चल दिया।

कुछ आगे जाने के बाद रोजर को पेडों के झुरमुट के पीछे एक इमारत दिखाई दी। जंगल में इमारत देख कर रोजर को हैरानी हुई।

शेर उस इमारत की तरफ ही जा रहा था। थोड़ी ही देर में ऊंचे-ऊंचे पेड़ पीछे छूट गये।

अब वह इमारत बिल्कुल साफ नजर आने लगी थी।

वह पिरामिड थे और वह भी एक नहीं बल्की 4, वह पिरामिड भी किसी धातु के बने नजर आ रहे थे।

“ये जंगल में पिरामिड कहां से आ गये? और ये शेर....ये शेर उन पिरामिड की तरफ क्यों जा रहा है?" रोजर मन ही मन बुदबुदाया।

शेर अब पिरामिड की सीढ़ियाँ चढ़ने लगा था। रोजर के ये सब कुछ बहुत रहस्यमयी लग रहा था।

कुछ ही देर में शेर पिरामिड के दरवाजे तक पहुंच गया। शेर ने पायलेट की लाश वहीं दरवाजे पर रख दी।

इसके बाद शेर ने एक जोर की दहाड़ मारी, फ़िर पलट कर सीढ़ियों से उतरा और एक दिशा की ओर चल दिया।

रोजर कुछ देर तक सोचता रहा कि वह शेर के पीछे जाए या फ़िर पिरामिड के रहस्य को देखे।

पिरामिड तो अपनी जगह से हिलना नहीं था, इसिलये रोजर ने शेर के पीछे जाने का फैसला कर लिया।

तब तक शेर कुछ आगे तक जा चुका था। रोजर पेड़ के ओट लेते हुए शेर का पीछा करने लगा।

चलते-चलते जंगल का क्षेत्र खत्म होने लगा और पहाड़ी क्षेत्र शुरू हो गया। मौसम में भी अब ठंडक का अहसास होने लगा था।

तभी रोजर को एक पहाड़ से झरना गिरता हुआ दिखाई दिया। शेर उस झरने के पास जाकर रूक गया।

शेर ने रूकने के बाद एक नजर चारो ओर मारी और फ़िर ना जाने क्या किया, कि शेर का शरीर धीरे-धीरे इंसान में बदल गया।

अब शेर की जगह एक लंबा-चौड़ा इंसान खड़ा दिखाई देने लगा। रोजर यह देख कर पूरी तरह से घबरा गया। रोजर का दिल अब बहुत तेज ‘धक-धक’ करने लगा।

रोजर के देखते ही देखते, वह इंसान झरने के अंदर प्रवेश कर गया। शायद झरने के अंदर कोई रास्ता था।

रोजर काफ़ी देर तक वहां खड़ा कुछ सोचता रहा। बहुत देर सोचने के बाद अब रोजर ने झरने के अंदर जाने का निर्णय कर लिया।

रोजर ने एक नजर चारो ओर मारी और धीरे-धीरे चलता हुआ झरने तक पहुंच गया। झरने के दूसरी तरफ कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था।

रोजर ने अपना एक हाथ झरने के अंदर डाला, उसे महसूस हुआ कि झरने के अंदर कोई रास्ता छिपा है। यह सोच रोजर झरने के अंदर प्रवेश कर गया।

झरने के दूसरी तरफ एक गुफा थी। गुफा प्रकाशमान थी। रोशनी गुफा में कहां से आ रही थी, यह पता
नहीं चल पा रहा था।

रोजर सधे कदमों से गुफा के अंदर की ओर चल दिया। गुफा अंदर से काफ़ी चौड़ी थी।

कुछ आगे जाने के बाद रोजर को गुफा में सामने की ओर 3 रास्ते दिखायी दिये।

रोजर को समझ नहीं आया कि वह सिंह मानव किस दिशा में गया था। अतः वह अंदाजे से बीच वाले रास्ते की ओर चल दिया। बीच वाला रास्ता आगे जाकर संकरा हो गया।

5 मिनट तक उस रास्ते पर चलने के बाद रोजर को पहाड़ में एक दरवाजा बना दिखाई दिया।

रोजर ने सतर्कता के साथ उस दरवाजे के अंदर कदम रखा। वह रास्ता एक विशालकाय कमरे में खुल रहा था।

यह कमरा अत्यन्त विशालकाय और खूबसूरत था। दीवार पर सुनहरी धातु की परत चढ़ी थी और उस परत पर भिन्न-भिन्न प्रकार के रत्न सजे थे। कमरे के बीच में एक सुनहरी धातु का शानदार पलंग रखा था। एक नजर में यह किसी रानी का शयनकक्ष नजर आ रहा था।

रोजर ये सब देखकर हत्तप्रभ रह गया।

तभी रोजर को किसी के कदमों की आहट सुनाई दी। आहट सुनते ही रोजर एक बड़े से लकड़ी के संदूक में छिप गया। संदूक में एक छोटा सा सुराख था, जिससे रोजर को बाहर का सब कुछ दिखाई दे रहा था।

कमरे में आने वाले 2 लोग थे। पहली एक खूबसूरत सी लड़की थी, जिसने रानियों की वेशभूषा धारण कर रखी थी। उसके हाथ में जादूगरों की तरह एक लकड़ी का दंड था। उस दंड के ऊपरी कोने पर एक नीले रंग का कोई रत्न लगा था।

दूसरा इंसान ऊपर से नीचे तक काले वस्त्र पहने हुए था। उसके सिर पर एक भी बाल नहीं था। उसने भी अपने हाथ में एक सर्प के समान मुड़ी हुई, लंबी सी छड़ी ले रखी थी।

“तुम्हें अब सामरा राज्य में जाने की तैयारी शुरू करनी चाहिए ‘आकृति’, मेरी ज्योतिषी गणना के अनुसार ‘तिलिस्मा’ को टूटने में अब ज्यादा दिन शेष नहीं हैं। तब तक तुम्हें सामरा वासियौ को अपने अधिकार में लेना ही होगा।" मकोटा ने कहा।




जारी
रहेगा_______✍️
Amazing update Raj_sharma bhai
To Rojar hal filhal jinda hai lekin ek bat smj nahi aaye agar Pailot such me mar gaya hai to sher uski body leke us gufaa me Q gaya ya kaheee ye koi chall to nahi Rojer ko is gufaa me lane ki
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Raj_sharma

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कथा के ३०० पृष्ठ पूर्ण होने पर शुभकामनाएं बन्धु
 

DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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#73.

“पर आप ही तो कहते हैं, कि सामरावासी दिमाग से अत्यन्त चतुर हैं। ऐसे में मैं उन्हे ‘देवी शलाका’ बनकर कैसे बेवकूफ बना पाऊंगी। जबकि मेरे पास तो देवी जैसी कोई शक्ति भी नहीं है। ऐसे में सामरावासी मुझे तुरंत पहचान जायेंगे।" आकृति ने मकोटा को देखते हुए कहा।

“तुम्हारा चेहरा देवी शलाका से बिल्कुल मिलता है और मैंने तुम्हें अपना ‘नीलदंड’ भी दे दिया है। ऐसे में कोई भी तुम्हें पहचान नहीं पायेगा।

वैसे भी मैं सदैव तुम पर अपनी गुप्त शक्तियो से नजर रखे रहूँगा और समय आने पर तुम्हारी सुरक्षा भी करुंगा।" मकोटा ने आकृति को साँत्वना देते हुए कहा।

“ठीक है मैं तैयार हूँ। आप जब कहेंगे मैं सामरा राज्य चली जाऊंगी। वैसे “ऐमू” का कुछ पता चला क्या? वह 2 दिन से गायब है, पता नहीं कहां चला गया।" आकृति ने कहा।

“ऐमू का अभी कुछ नहीं पता। जैसे ही कुछ पता चलेगा, मैं तुम्हें बता दूंगा। अच्छा अब मैं चलता हूँ, किसी चीज की जरुरत हो तो मुझे बता देना।" यह कहकर मकोटा कमरे से बाहर निकल गया।

मकोटा के बाहर निकलते ही आकृति ने कमरे का द्वार बंद करके अपने नीलदंड को वहीं दीवार पर टांग दिया और आराम से आकर अपने बिस्तर पर लेट गयी।

इधर संदूक में छिपे रोजर को मकोटा और आकृति की कोई भी बात समझ में नहीं आयी। वह तो परेशान था कि अब वहां से भागे कैसे? तभी रोजर को आकृति की आवाज सुनाई दी- “अब संदूक से बाहर आ जाओ रोजर, मकोटा यहां से चला गया है।"

रोजर, आकृति की यह बात सुन आश्चर्य से भर गया। एक क्षण के लिये रोजर ने कुछ सोचा और फ़िर
संदूक से निकलकर बाहर आ गया।

अब रोजर की नजर आकृति पर थी।
आकृति ने रोजर को पास रखी एक कुर्सी की ओर बैठने का इशारा किया।

रोजर वहां रखी कुर्सी पर बैठ गया और सवालिया निगाहोंसे आकृति की ओर देखने लगा।

आकृति के चेहरे पर मुस्कुराहाट के भाव थे। उसने रोजर से अब बोलने का इशारा किया।

रोजर तो जैसे सवालों के बोझ से दबा हुआ था। आकृति का इशारा मिलते ही उसने बोलना शुरु कर दिया।

“आप कौन हो? मकोटा कौन है? मैं इस समय पर किस जगह पर हूँ? और आप मेरा नाम कैसे जानती हो?" रोजर ने एक साथ असंख्य सवाल पूछ डाले।

आकृति ने एक गहरी साँस भरी और फ़िर बोलना शुरु कर दिया-

“मेरा नाम आकृति है, मैं इंडिया से हूँ। मैं इस क्षेत्र के पास से, एक बार एक पानी के जहाज से जा रही थी। तभी मेरा जहाज मकोटा ने अपनी शैतानी शक्तियों से डुबो दिया।

सारे लोग मारे गये, केवल मैं और मेरा तोता ऐमू ही इस हादसे में बच पाये। मुझे पकड़कर मकोटा ने इस द्वीप पर कैद कर दिया। बाद में मुझे पता चला कि मेरा चेहरा इस द्वीप की देवी शलाका से मिलता है। इसीलिये मकोटा ने मुझे बचाया था।"

इतना कहकर आकृति एक क्षण के लिये रुकी और फ़िर बोलना शुरु कर दिया-

“जिस द्वीप पर तुम खड़े हो, इसका नाम अराका है। यह द्वीप अटलांटिस का अवशेष है। इस द्वीप पर दो प्रजातियां रहती हैं। एक का नाम सामरा है और दूसरे का सीनोर।

तुम इस समय सीनोर राज्य में खड़े हो। मकोटा इस द्वीप का एक खतरनाक मान्त्रिक है, जो अंधेरे के देवता ‘जैगन’ की पूजा करता है।

इस द्वीप की देवी का नाम शलाका है, जो पिछले 5000 वर्ष से पता नहीं कहां गायब है? शलाका की सारी शक्तियां एक काला मोती में है जो कि इसी द्वीप पर मौजूद ‘तिलिस्मा’ में है। मकोटा मेरी सहायता से वह काला मोती प्राप्त करना चाहता है।" इतना कहकर आकृति खामोश हो गयी।

“तुम मेरा नाम कैसे जानती हो?" रोजर के शब्दो में उलझन के भाव नजर आये।

“मकोटा ने मुझे काफ़ी शक्तियाँ दे रक्खी है, जिस्में से कुछ का इस्तेमाल में कभी-कभी अपने लिये भी कर लेती हूं। उनमें से ही एक शक्ति का इस्तेमाल करने पर मुझे तुम हैलीकाप्टर में दिखाई दिये। मेरी ही शक्तियो से तुम उस दुर्घटना से बच पाये हो।" आकृति ने कहा।

“आसमान में वह धुंध और द्वीप के ऊपर वह दीवार कैसी थी?" रोजर ने पूछा।

“वह धुंध और अदृश्य दीवार, इस द्वीप की सुरक्षा के लिये है। उस अदृश्य दीवार की वजह से किसी को भी सामरा और सीनोर द्वीप आसमान से दिखाई नहीं देते। यहां तक कि कोई बाहरी व्यक्ती जमीन के रास्ते से सामरा और सीनोर राज्य में दाख़िल भी नहीं हो सकता।" आकृति ने समझाया।

“सीनोर द्वीप पर वह पिरामिड कैसा है? और वह शेर से इंसान में बदल जाने वाला मानव कौन था? उसने मेरे पायलेट की लाश उस पिरामिड के बाहर क्यों रखी?" रोजर ने एक बार फ़िर प्रश्नो की बौछार कर दी।

“वह पिरामिड अंधेरे के देवता ‘जैगन’ का पूजास्थल है। वहां जैगन मृत इंसानो पर कोई प्रयोग करता है। जिसका पता मुझे नहीं है। इसीलिये मकोटा हर इंसान की लाश को पिरामिड के बाहर रखवा देता है, जिसे बाद में जैगन अपने सेवक ‘गोंजालो’ के द्वारा पिरामिड के अंदर मंगवा लेता है और वह शेर बना इंसान सीनोर का राजकुमार ‘लुफासा’ है, जिसके पास किसी भी जानवर में बदल जाने की शक्ति है।“आकृति ने कहा।

“अब आखरी प्रश्न। तुम्हारे पास इतनी शक्तियां है, फ़िर तुमने मुझे क्यों बचाया? मुझसे तुम्हारा क्या काम हो सकता है?" रोजर ने आिखरी सवाल किया।

“हूं..... ये सवाल सही पूछा तुमने।" आकृति ने रोजर की तारीफ करते हुए कहा- “दरअसल बात ये है कि मेरे पास जितनी भी शक्तियां हैं, वो सब मकोटा की दी हुई हैं। मैं उन शक्तियो का प्रयोग तो कर सकती हूं, पर इस स्थान से मकोटा की इच्छा के बिना कहीं जा नहीं सकती।

मुझे ये मकोटा के द्वारा पता चल गया है कि तुम्हारे जहाज ‘सुप्रीम’ में कुछ ऐसे लोग हैं, जो कि इस द्वीप पर मौजूद तिलिस्मा को तोड़ पाने में सक्षम हैं, पर वह इस द्वीप पर आना नहीं चाहते। तो तुम्हे उन्हें भटकाकर इस द्वीप पर लाना पड़ेगा।"

“ये कैसे संभव है? अभी तुम्हीं ने कहा कि सामरा और सीनोर राज्य एक अदृश्य दीवार से घिरा है, जिसके आरपार जाना इंसानों के बस की बात नहीं, तो मैं भला इस दीवार को जमीन के रास्ते से कैसे पार कर पाऊंगा? और फ़िर सुप्रीम तक कैसे पहुंचुंगा?" रोजर ने अपनी परेशानी को आकृति के सामने रखा।

“वो तुम मेरे ऊपर छोड़ दो।" आकृति ने कहा- “मैं मकोटा की शक्तियो से तुम्हें एक ‘ऊर्जा-मानव’ में बदल दुंगी। ऐसी स्थिति में तुम कुछ बोल नहीं पाओगे पर तुममें द्वीप से बाहर जाकर पानी पर दौड़ने की शक्तियां आ जायेंगी।

ऐसे में तुम सुप्रीम तक आसानी से पहुंच जाओगे। तुम्हें सुयश को देखकर द्वीप की दिशा की ओर इशारा करना है। ऐसा करने पर सुयश सुप्रीम को इस द्वीप की दिशा में मोड़ देगा और पास आने पर हम उसे इस द्वीप पर लेते आयेंगे।"

“तुम कैप्टन सुयश को कैसे जानती हो?" रोजर के शब्द उलझन से भरे थे।

यह प्रश्न सुन आकृति के चेहरे पर एक रहस्य भरी मुस्कान आ गयी, पर उसने कहा कुछ नहीं।

रोजर समझ गया कि आकृति उसे बताना नहीं चाहती इसिलये उसने ज़्यादा जोर नहीं दिया। रोजर समझ गया कि इस द्वीप को जितना साधारण वो समझ रहा था, उतना साधारण ये द्वीप है नहीं।

रोजर को सोचते देख आकृति ने फ़िर कहा- “देखो रोजर, यहां पर मैं भी कैदी हूं और तुम भी। यहां तक कि इस क्षेत्र से ‘सुप्रीम’ भी अब बाहर नहीं निकल सकता और हम सभी के बचने का एक ही तरीका है कि यह तिलिस्मा टूट जाये।

तिलिस्मा के टूटते ही हम सभी आजाद हो जायेंगे। यहां तक कि बारामूडा त्रिकोण का क्षेत्र भी हमेशा-हमेशा के लिये मुक्त हो जायेगा। तो अब ज़्यादा सोचो नहीं, बस हां कर दो।"

यह सुन रोजर ने हां में सिर हिला दिया।

“ठीक है फ़िर तुम अभी आराम करो, समय आने पर मैं तुम्हें बता दुंगी।" यह कहकर आकृति रोजर को एक दूसरे कमरे में ले गयी और आराम करने को बोल वहां से चली गयी।

इस समय रोजर काफ़ी थकान महसूस कर रहा था इसिलये वह बेड पर लेट कर सो गया।

चैपटर-6 आदमखोर पेड़
(8 जनवरी 2002, मंगलवार, 16:30, मायावन, अराका)

चलते-चलते काफ़ी समय बीत गया था। सभी एक साथ चल रहे थे। जंगल में कोई रास्ता ना बना होने के कारण सभी अपने हाथ में पकड़ी लकड़ी से, झाड़ियो को हटाते हुए आगे बढ़ रहे थे।

“पता नहीं ये द्वीप इतना विचित्र क्यों है? और पूरी पृथ्वी पर ऐसे पेड़ और जानवर क्यों नहीं पाये जाते?" अल्बर्ट ने कहा।

“मुझे लगता है कि इन विचित्रताओँ के पीछे कोई ना कोई कारण तो जरूर है?" तौफीक ने कहा- “पता नहीं क्यों मुझे ये सारी चीजे नेचुरल नहीं लग रही हैं। ऐसा लगता है कि जैसे किसी ने यह सब कुछ बनाकर यहां रख दिया हो?"

“ऐसी चीजे तो सिर्फ ईश्वर ही बना सकता है, मनुष्यो के तो बस में नहीं है ऐसी चीज़ो को बना पाना।" जेनिथ ने कहा।

“ईश्वर क्या है? क्या कोई बतायेगा?" अल्बर्ट ने एक बिलकुल विचित्र प्रश्न कर दिया।

किसी की भी समझ में नहीं आया कि अल्बर्ट क्या कहना चाह रहा है। इसिलये सभी चुप रहे।

अल्बर्ट ने सबको शांत देख स्वयं से ही ईश्वर की परिभाषा बताना शुरु कर दिया-

“ईश्वर वो है, जिसने हमको बनाया, यानी कि अगर हममें इतना ज्ञान आ जाये कि हम किसी जीव का निर्माण करने लगे, तो लोग हमारी भी तुलना ईश्वर से करने लगेंगे।

पर मुझे ये लगता है कि इस द्वीप की चीजे ईश्वर ने नहीं, बल्की हमारी ही तरह के किसी मनुष्य ने अपने ज्ञान और विज्ञान से की है। क्यों की ईश्वर द्वारा निर्मित हर वस्तु और जीव, कुछ सिद्धांतो पर काम करते है, पर यहां की हर वस्तु और जीव ईश्वर के सिद्धांतो से अलग दिख रही है। जैसे कि पेडों का स्वयं हरकत करना, उनका इंसान की भावनाएं समझ जाना, जीव के अंदर पानी को बर्फ में बदल देने की ताकत आदि।"

मगर इससे पहले कि कोई अल्बर्ट से कुछ पूछ पाता कि तभी वातावरण में एक आवाज गूंजी-

“दोस्त मिल गया.... दोस्त मिल गया....ऐमू का दोस्त मिल गया।"

ऐमू की आवाज सुन सभी की दृष्टि आसमान की ओर गयी। ऐमू सुयश के सिर के ऊपर हवा में गोल-गोल उड़ रहा था।

“यह ऐमू इस द्वीप पर कैसे आ गया?" असलम ने सुयश की ओर देखते हुए कहा- “यह तो शिप के डूबने के काफ़ी पहले ही गायब हो गया था।"

ऐमू अब सुयश के हाथ पर आकर बैठ गया- “अब ऐमू को छोड़ के मत जाना दोस्त। तुम बार-बार ऐमू को छोड़ के चले जाते हो।"

ब्रेंडन ऐमू को देख गुस्से से भर उठा- “मैं आज इस ऐमू के बच्चे को मारकर सारा किस्सा ही ख़त्म कर
देता हूँ। इसी के बताए रास्ते पर चलने की वजह से हमारा शिप डूब गया। यही है सारे मुसीबत की जड़।"

पर इससे पहले कि ब्रेंडन कुछ कर पाता, सुयश ने हाथ के इशारे से उसे रोक दिया।

अब सुयश की निगाहें पुनः ऐमू पर थी।

“तुम मुझे बार-बार दोस्त क्यों कहते हो?" सुयश ने ऐमू को देखते हुए पूछा।

“क्यों कि मैं ऐमू और तुम ऐमू के दोस्त।" ऐमू ने सुयश को देखते हुए भोलेपन से कहा।

“अच्छा ठीक है, तुम दोस्त ही हो।" सुयश ने मस्कुराते हुए कहा- “पर तुम इस द्वीप पर कैसे आये?"

“आकी ने बोला, आरू के पास जाओ। मैं आ गया।" ऐमू ने कहा।

ऐमू की बात सुन सबके चेहरे पर आश्चर्य के भाव आ गये।

“कौन ‘आरू’? कौन ‘आकी’?" सुयश ने आश्चर्यचकित होते हुए पूछा।

“आरू की आकी। तुम आरू। मैं आरू का दोस्त ।" ऐमू ने इस बार सुयश की आँखो में झांकते हुए कहा।

“पर मैं तो सुयश हूँ।" सुयश ने कहा- “मैं आकी को नहीं जानता।“

“तुम सब जानते .... तुम ऐमू के दोस्त।" यह कहकर ऐमू फ़िर से हवा में अपने पंख फड़फड़ाकर उड़ने लगा।

अब सुयश की नजर अपने आसपास खड़े सभी लोग पर गयी।

“मुझे लगता है कि ये ऐमू किसी गलतफहमी में है। यह मुझे अपना मालिक समझ रहा है।" सुयश ने इस बार अल्बर्ट की ओर देखते हुए कहा।

“आप सही कह रहे हो कैप्टन।" अल्बर्ट ने कहा- “मुझे भी कुछ ऐसा ही लगता है।"

“पर जो भी है कैप्टन अंकल, मुझे लगता है कि यह ऐमू आगे चलकर हमारे बहुत काम आने वाला है।" शैफाली ने कहा।




जारी
रहेगा________✍️
UPDATE to kafi jordar hai Raj_sharma bhai lekin ek sawal mnnn me aa raha hai mere agar Rojer is आकृति se mil gaya hai to kya esa ho sakta hai ki Ship ke baki log abhi jinda ho ya kahee Ship ke baki logo ko marne ke piche Rojer ka bhi hath hai
.
Sath me ek sawal or hai aakhir ye आकृति kaun hai
.
Is bar Emu fir se wapas aa gaya hai Suyash ke pass Emu ki bat sun ke esa lagata hai jaise ho na ho Suyash ka punarjanam ho sakta hai ya fir Suyash apni yaddasht ka mara ho sakta hai
 

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204
#74.

“सही कहा शैफाली ने।" सुयश ने ऐमू को देखते हुए कहा- “अभी ऐमू से आगे हमें और भी चीजे पता चल सकती हैं।"

“पर जाने क्यों मुझे इस ऐमू से बहुत डर लग रहा है।" जॉनी ने ऐमू को घूरते हुए कहा।

“जो डर गया...वो मर गया....ऐमू नहीं डरा.... ऐमू बच गया।" ऐमू ने जॉनी को चिढ़ाते हुए कहा।

ऐमू की बात सुनकर सभी के चेहरे पर मुस्कान आ गयी।

सभी अब सामान्य सी बातचीत करते हुए आगे की ओर बढ़ गये। पर ऐसे में भी कुछ लोगो को इस सफर
से कोई खास परेशानी नहीं हो रही थी।

जैसे अल्बर्ट हर पेड़ और पत्तियों को ध्यान से देखता हुआ चल रहा था। उसके लिये इस सफर में इतना कुछ था, जितना कि उसने अपनी पूरी जिंदगी में नहीं देखा था।

एलेक्स और क्रिस्टी को भी इस सफर में अब कोई परेशानी महसूस नहीं हो रही थी। वो दोनो एक दूसरे को छेड़ते हुए पूरे सफर पर एन्जॉय कर रहे थे।

“एलेक्स!"

क्रिस्टी ने एलेक्स की ओर देखते हुए शरारत भरे अंदाज में कहा- “क्या तुम्हें जंगल पसंद हैं?"

“बिल्कुल!”

एलेक्स ने जवाब दिया- “मुझे तो यह जंगल बहुत पसंद आ रहा है। मेरा तो मन यहीं बसने का कर रहा है। शहर के धूल और धुंए से हटकर स्वच्छ वातावरण में रहना।"

“हां ठीक कहा।"

क्रिस्टी ने हंसकर कहा- “तुम्हारे अंदर कुछ गुण भी जंगली जैसे हैं। जैसे पेड़ पर चढ़ना। बंदर से खूब पटरी खायेगी तुम्हारी, इसी खूबी की वजह से। और हां यहाँ पर किसी जंगली लड़की से शादी करके सेटल भी हो जाना।"

“एक मिनट अपने नाखून दिखाना।" एलेक्स ने बड़ा सीरियस होकर क्रिस्टी से कहा।

क्रिस्टी ने अपने दोनों हाथो को एलेक्स के आगे फैलाकर ना समझते हुए कहा- “नाखून क्यों?"

एलेक्स की नजर क्रिस्टी के लंबे और खूबसूरत गुलाबी नाखूनो पर गयी।

“नाखून तो तुम्हारे भी जंगली के जैसे हैं।"

इस बार एलेक्स ने क्रिस्टी का मजाक उड़ाया- “पर चेहरा जंगली के जैसा नहीं है। पर तुम चिंता ना करो, कुछ दिन जंगल में रहने के बाद तुम जंगली जैसी लगने लगोगी, फिर मैं तुम्हीं से शादी करके इस जंगल में सेटल हो जाऊंगा।"

सभी चुपचाप चलते हुए एलेक्स और क्रिस्टी की बातों का मजा लेकर मुस्कुरा रहे थे।

धीरे-धीरे छोटे पेड़ ख़तम होने लगे और अब उसकी जगह बड़े और विशालकाय पेडों का सिलसिला शुरू हो गया।

क्रिस्टी ने एक नजर उन घने पेडों पर मारी और फिर बोल उठी-
“एलेक्स क्या तुम इस पेड़ पर घर बना सकते हो? मुझे ट्री-हाउस बहुत अच्छे लगते हैं।" कहते-कहते क्रिस्टी एक घने पेड़ के पास पहुंच गयी।

सुयश की नज़रो एक क्षण के लिए क्रिस्टी पर पड़ी। उसे क्रिस्टी के पीछे वाली पेड़ की जड़ धीरे-धीरे हिलती नजर आयी। सुयश को तुरंत खतरे का अहसास हुआ और वह क्रिस्टी की ओर भागा।

किसी को कुछ समझ में नहीं आया कि क्या हुआ? सुयश ने क्रिस्टी का हाथ पकड़कर अपनी ओर खींचा।

क्रिस्टी को एक झटका लगा और वह बाकी खड़े लोगों की तरफ जमीन पर गिर गयी।

मगर सुयश क्रिस्टी को खींचने के चक्कर में पेड़ के और पास पहुंच गया।

अचानक उस पेड़ की एक जड़ में हरकत हुई और वह तेजी से सुयश के दांये पैर में लिपट गयी।

“आदमखोर पेड़!" अल्बर्ट जोर से चीखा- “ये सब आदमखोर पेड़ हैं। इनसे बच कर रहो।"

अल्बर्ट की आवाज सुनते ही सभी उन आदमखोर पेडों से दूर हो गये। क्रिस्टी को एलेक्स ने सहारा देकर दूर कर लिया।

पेड़ की पकड़ सुयश के पैरों पर बहुत तेज थी। सुयश छूटने की भरसक कोशिश कर रहा था।

अब पेड़ की कुछ शाखाओं ने भी सुयश को पूरी तरह से जकड़ लिया। वह शाखाएं धीरे-धीरे अब सुयश का खून चूसने लगी।

सुयश को अपने शरीर पर सुइयां चुभने जैसा अहसास होने लगा। वह दर्द से कराह उठा- “आहऽऽऽऽ!"

यह देख तौफीक और ब्रैंडन चाकू निकालकर उस पेड़ की ओर बढ़ने लगे।

“रुक जाओ।" तभी सुयश की आवाज गूंजी- “मेरे पास कोई नहीं आयेगा। अगर मुझे बचाने कोई आयेगा, तो यह पेड़ उसे भी अपना शिकार बना लेगा। आहऽऽऽऽऽ।"

सुयश की आवाज सुन तौफीक और ब्रैंडन अपनी जगह पर रुक गये।

“छोड़ दे गंदे पेड़, ऐमू के दोस्त को छोड़ दे।" यह कहकर ऐमू अपनी चोंच से पेड़ की डाल पर प्रहार
करने लगा।

परंतु भला ऐमू की चोंच से पेड़ पर क्या असर पड़ने वाला था।

तभी ब्रूनो तेजी से आगे बढ़ा और सुयश के शरीर से लिपटी, पेड़ की डाली को अपने दांतो से नोचने की कोशिश करने लगा।

मगर पेड़ की पकड़ इतनी सख्त थी कि ब्रूनो भी कुछ नहीं कर पा रहा था।

असलम ने तुरंत सिग्नल-फ्लैयर गन निकालकर, उसमें एक फ्लैयर फिट किया और वह गन तौफीक के हाथो में पकड़ा दी।

तौफीक ने निशाना लगाकर पेड़ पर फायर कर दिया। पर जैसे ही फ्लैयर पेड़ के पास पहुंचा, पेड़ की एक डाली हरकत में आयी और वह पास आ रहे सिग्नल-फ्लैयर से जोर से टकरायी।

सिग्नल-फ्लैयर एक झटके से दूर जाकर गिरा।

अब तौफीक ने एक नजर असलम और ब्रैंडन पर मारी। जैसे वह पूछने की कोशिश कर रहा हो कि अब क्या करना है?

उधर सुयश की चीखे बढ़ती जा रहीं थी। और असलम के पास भी अब आखरी फ्लैयर बचा था।

ब्रैंडन ने धीरे से इशारा कर असलम से वह आखरी फ्लैयर भी देने को कहा। असलम ने आखरी फ्लैयर भी तौफीक के हाथ पर रख दी।

तौफीक ने तुरंत आखरी फ्लैयर को अपने गन में लोड किया और पेड़ पर निशाना लगा कर फायर कर दिया।

पर पुनः वही घटना हुई। पेड़ की डाल ने भी पुनरावृति करते हुए इस फ्लैयर को भी दूर उछाल दिया।

तौफीक ने सिग्नल-फ्लैयर ख़तम होते देख गुस्से से गन को ही पेड़ पर खींच कर मार दिया, पर खाली गन से पेड़ का क्या होने वाला था।

तभी अल्बर्ट ने पास पड़ी कुछ लकडियों को लाइटर से जला लिया और सुयश को बचाते हुए, उसे एक-एक कर पेड़ की ओर फ़ेकने लगे।

पर पता नहीं क्यों उस आग से पेड़ पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा था।

अब किसी के भी पास कोई ऐसा उपाय नहीं सूझ रहा था जिसके द्वारा सुयश को बचाया जा सके।

इस बार शैफाली भी कुछ नहीं कर पा रही थी। वह बेबस सी नम आँखो से सुयश को निहार रही थी।

उधर ब्रूनो और ऐमू के प्रयास भी निरर्थक लग रहे थे।

अचानक ‘चर्र..-चर्र.. की आवाज के साथ सुयश की शर्ट पीठ के पास से फट गयी।

जिसके कारण सुयश की पीठ पर बना सुनहरे रंग का सूर्य का टैटू चमकने लगा।

युगाका भी दूर से इस पूरे घटनाक्रम को देख रहा था। सुयश के चमकते टैटू को देख युगाका की आँखे आश्चर्य से सिकुड गयी।

उधर सुयश की चीखे अब बढ़ती जा रही थी।

ब्रूनो तब तक गुस्से से पेड़ की छाल को काफ़ी जगह से नोच चुका था, पर पेड़ की डाल जाने क्यों ब्रूनो और ऐमू को कुछ नहीं कर रही थी।

सूर्य की किरणें उन घने पेडों के बीच से कहीं-कहीं पर छनकर आ रही थी।

तभी सूर्य की एक पतली किरण सुयश की पीठ पर बने उस सुनहरे टैटू पर जा पड़ी।

सूर्य की किरणें पड़ते ही टैटू की चमक और बढ़ गयी। अब टैटू बहुत तेज सुनहरी किरणें बिखेरने लगा।

सभी यह नजारा देख आश्चर्य से भर उठे।

सुयश के टैटू से एक सुनहरी किरण निकली और उस पेड़ को अपने घेरे में ले लिया।

सुनहरी किरणें के घेरे में आते ही पेड़ की पकड़ सुयश पर ढीली पड़ गयी।

यह देख अल्बर्ट जोर से चिल्लाया- “कैप्टन, भागो वहां से, आप पेड़ की पकड़ से छूट गये हो।"

सुयश लगभग निढाल हो चुका था, परंतु अल्बर्ट की आवाज ने जैसे उसके शरीर में रक्त का नया संचार कर दिया हो।

सुयश तुरंत उठकर पेड़ की पकड़ से दूर हो गया। उसके साथ ब्रूनो और ऐमू भी पेड़ के पास से हट गये।

सुनहरी रोशनी ने अभी भी पेड़ को जकड़ा हुआ था।

तभी ‘भक्क’ की आवाज के साथ उस पेड़ में आग लग गयी।

आदमखोर पेड़ अब ‘धू-धू’ करके जल उठा।

सुयश ने यह पूरी घटना नहीं देखी थी। उसे नहीं पता था कि पेड़ में आग कैसे लग गयी।

जब सुयश थोड़ा सा बेहतर दिखा तो अल्बर्ट ने उसे सारी बातें बता दी।

सभी की नजरे अब सुयश की पीठ पर बने टैटू पर थी। गोल आग फेंकता हुआ सूर्य वाला टैटू सुयश की पीठ पर अभी भी चमक रहा था।

“कैप्टन, यह आपकी पीठ पर बना टैटू सुनहरा कैसे हो गया?" ब्रेंडन ने सुयश से पूछा- “यह तो काले रंग का था।"

“सुनहरा!“

सुयश ने आश्चर्य से कहा- “लेकिन मेरा टैटू तो काले रंग का ही है।"

“क्या बात कर रहे हैं कैप्टन?"

अल्बर्ट ने आश्चर्य से कहा- “आपकी पीठ पर लगभग 8 इंच डायामीटर
का सुनहरा टैटू ही बना है। आपके कहे अनुसार अगर यह काले रंग का था तो सुनहरा कैसे हो गया?"

यह बात किसी की समझ में नहीं आयी।

तभी शैफाली बोल उठी- “मुझे ऐसा लगता है कि जिस समय आपने देवी शलाका की मूर्ति को स्पर्श किया था, उस समय उन सातों खंभो से अलग-अलग रंग की किरण निकलकर आप पर पड़ी थी। शायद उसी के प्रभाव से आपका टैटू सुनहरा बन गया है।"

“तुम कहीं यह तो नहीं कहना चाहती शैफाली?“

क्रिस्टी ने कहा- “कि देवी ने अपनी कुछ शक्तियां कैप्टन के टैटू में डाल दी हैं? इसी वजह से इस टैटू ने कैप्टन के प्राणों की रक्षा की है।"

“हो भी सकता है।"

अल्बर्ट ने कहा- “पर जो भी है, अब तो यह श्योर है कि यह सुनहरा टैटू अपने अंदर कुछ शक्तियां तो अवश्य रखे है।"

“एक बात और प्रोफेसर, वह पेड़ ब्रूनो और ऐमू को कुछ नहीं कर रहा था।" एलेक्स ने कहा।

“हो सकता है कि यहां के पेड़ जानवरों को कुछ ना कहते हो?" अल्बर्ट ने अपने विचार व्यक्त किये।

उधर पेड़ में लगी आग ने, आश्चर्यजनक तरीके से केवल उसी पेड़ को जलाया, जो सुयश को पकड़े था। उस पेड़ के जलने के बाद वह आग भी गायब हो गयी।

तौफीक ने अपना जैकेट उतारकर सुयश को पहना दिया। अब सभी फ़िर से आगे की ओर बढ़ गये।



जारी रहेगी_______✍️
Amazing update Raj_sharma bhai
Ab to pakka ho gaya Suyash bhi Shefali ke tarh Main hai or shayd ye dono he is Island se hai lekin inhe yad nahi hai abhi tak ki ye kaun hai ya ye kehna shai rhega ki ye kaun the pichle janam me
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Bahut badiya or Majedar raha update Raj_sharma bhai
Esa lagata hai Devi Shalaka or Suyash ka koi to khass sambandh hai shyad isileye Devi Shalaka ki murti ko chooteee he waha see door baithe Devi Shalaka muskura uthi
.
Lekin Devi Shalaka ko Suyash ka intjaar kis leye tha kahee such me Tilism todne ke leye he Suyash ko yaha laya gaya hai ya koi or bat hai
.
Mandir ke bahar chupa Yugaka mandir ke under Suyash ko Shalaka ki murti ke pass dekh ye kyo kaha ki ye jinda kaise Bach gya
Kya matlab is bat ka kahe Supreme Ship ko dubone per Yugaka ka hath hai
Are nahi bhai, aisa kuch nahi :nope:
Balki Yugaka ne aisa iss liye kaha ki, Shalaka ki murti ko bahar ka koi chu le to jinda nahi bachta:declare:
Agar kisi ne chua to shalaka ke bhai log se jo kiran nikli thi wo us aadmi ki jaan le leti:declare:
Shalaka aur aryan ek doosre se ILU-ILU KARTE HAI:approve: THANK YOU VERY MUCH FOR YOUR WONDERFUL REVIEW AND SUPPORT BHAI :hug:
 

Raj_sharma

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