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Incest पहाडी मौसम

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Ajju Landwalia

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सूरज बहुत खुश था कि उसे सोनू की चाची के साथ बाजार जाने का मौका मिला था भले ही सोनू की बीमारी का कारण था लेकिन फिर भी यह बीमारी आज उसके लिए आशीर्वाद का काम कर रहे थे क्योंकि सूरज ने कभी सोचा भी नहीं था कि इस तरह से सोनू की चाची के साथ अकेले ही सफर करना होगा और इस सफर के दौरान उसे उसके साथ बातचीत करने का अवसर प्राप्त होगा वैसे तो सोनू की चाची ने जिस तरह का अवसर सूरज को दी थी उसे तरह का अवसर पाकर सूरज अपनी किस्मत पर फुल नहीं समा रहा था लेकिन उसे अवसर का सूरज पूरी तरह से लाभ नहीं ले पाया था इस बात का मलाल उसे बहुत था और इसी अवसर को वह अपनी किस्मत बना देना चाहता था।

जिस तरह की खुशी सूरज के चेहरे पर दिखाई दे रही थी उसी तरह की खुशी सोनू की चाची के चेहरे पर भी दिखाई दे रही थी,,, सोनू की चाची के मन में उत्तेजना का भाव जागरूक हो रहा था वह किसी भी तरह से अपनी मां की इच्छा को पूरी कर लेना चाहती थी और आज से अच्छा मौका उसे पहले कभी नहीं मिला था आज मौका भी था और दस्तूर भी था और जिस जगह पर दोनों बैठकर आराम कर रहे थे उस जगह पर भी किसी का आना जाना नहीं था,, इसलिए सोनू की चाची इस मौके का फायदा उठा लेना चाहती थी,,, वैसे भी यह ख्याल उसके मन में अभी-अभी नहीं आया था बहुत पहले से उसके मन में सूरज के साथ संभोग सुख प्राप्त करने की इच्छा जाग चुकी थी और उसी के साथ संभोग करके अपनी मां बनने की इच्छा भी पूरी करना चाहती थी सोनू की चाची ,,,। वैसे भी सोनू की चाची इस खेल में कदम आगे बढ़ा चुकी थी सूरज के साथ वह अपनी चुचीयों का स्तन मर्दन करवा चुकी थी,,,।

इसीलिए तो उसके मन में एक अद्भुत ख्याल आया था जिसके चलते वह अपनी इच्छा पूरी करना चाहती थी इसीलिए तो वह सूरज के सामने एकदम खुलकर पेशाब करने वाली बात की थी क्योंकि इस बात का एहसास उसे भी अच्छी तरह से था कि सारे मर्द किसी न किसी बहाने औरत को बिना कपड़ों के देखने की कोशिश करते हैं और खास करके उन्हें पेशाब करते हुए देख कर तो वह और भी ज्यादा मस्त हो जाते हैं और सोनू की चाची को पक्का यकीन था कि मर्दों की फितरत में सूरज भी शामिल था उसे भी यह सब अच्छा लगता होगा और हो सकता है कि उसे पेशाब करता हुआ देखकर उसकी बड़ी-बड़ी कहां देखकर उसका मन भी उसे चोदने के लिए मचल उठे और उसकी इच्छा पूरी हो जाए।

इसीलिए तो पूरी तरह से बेशर्मी दिखाते हुए सोनू की चाची सूरज से पेशाब करने वाली बात की थी और अपनी जगह से उठ खड़ी हुई थी। सूरज तो उसके मुंह से पेशाब करने वाली बात सुनकर ही उत्तेजित हुआ जा रहा था ऐसा नहीं था कि वह पहली बार किसी औरत को पेशाब करते हुए देखने जा रहा था इससे पहले भी वह मुखिया की बीवी और मुखिया की लड़की के साथ-साथ अपनी बहन रानी को भी पेशाब करते हुए देख चुका था मुखिया की बीवी की तो बड़ी-बड़ी गांड देखकर ही उसके मन में उत्तेजना के पैर तोड़ने लगी थी और वह मुखिया की बीवी को छोड़ने का ख्वाब देखने लगा था और उसकी इच्छा पूरी भी हुई थी और उसके मन में यही चल रहा था कि काश उसे दिन की तरह आज भी उसे वह सौभाग्य प्राप्त हो जाए तो कितना मजा आ जाए इसलिए सूरज कुछ बोला नहीं और सोनू की चाची को देखने लगा,,।

सोनू की चाची अपनी जगह पर उठकर खड़ी हो गई थी और चारों तरफ नजर घुमा कर देख रही थी उसे इस तरह से देखता हुआ देख कर सूरज बोला।

चिंता मत करो चाचा यहां पर हम दोनों के सिवा कोई नहीं है कि तुम्हें इस अवस्था में देख सके देख नहीं रही हो चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ है यहां कोई नहीं आता और इस तरह की जेठ की गर्मी में तो यहां आने की कोई सोच भी नहीं सकता और वैसे भी यह रास्ता ना तो बाजार की तरफ जाता है और ना ही यहां किसी का कोई काम है,,,।

क्या सच में यह रास्ता बाजार की तरफ नहीं जाता!(आश्चर्यजताते हुए सोनू की चाची बोली तो उसका जवाब देते हुए सूरज बोला ,,,)

हां बिल्कुल सही यह रास्ता बाजार की तरफ नहीं जाता लेकिन मैं यहां से बाजार जाने का रास्ता जानता हूं इसलिए तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो और जो करना है कर लो,,,,,(अपनी जगह पर बैठे हुए ही सूरज ने बोला)

अच्छा हुआ तूने बता दिया नहीं तो मैं घबरा ही गई थी कि अगर यह रास्ता बाजार की तरफ नहीं जाता तो हम लोग बेवजह इस रास्ते पर क्यों जा रहे हैं,,,(ऐसा कहते हुए सोनू की चाची धीरे-धीरे अपनी कदम आगे बढ़ने लगी और इधर तसल्ली करने के लिए देख भी ले रही थी क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि वाकई में कोई इस अवस्था में उसे देखें देखते ही देखते दश पन्द्रह कदम चलने के बाद वह,, रुक गई और इधर-उधर देखने लगी सूरज जानबूझकर उसके सीधी नजर उसे नहीं देख रहा था बल्कि तिरछी नजर से देख ले रहा था क्योंकि वह चाहता था कि उसे ऐसा ना लगे कि वह उसे देख रहा है लेकिन जिस जगह पर वह खड़ी थी वहां पर वह एकदम साफ दिखाई दे रही थी। औरतों की फितरत से सूरज अच्छी तरह से बाकी हो चुका था इसलिए समझ गया था की सोनू की चाची के मन में भी वही चल रहा है जो मुखिया की बीवी के मन में चल रहा था सोनू की चाची भी बहुत प्यासी है वरना वहां पेशाब करने के लिए ऐसी जगह का चयन न करती जहां से उसे एकदम आराम से देखा जा सके बल्कि झाड़ियां के बीच जाती जहां पर वह दिखाई ना दे,,,।

मेरी तरफ देखना मत सूरज,,,(दोनों हाथों से साड़ी थाम कर वह बोली,,, इतना तो अच्छी तरह से जानती थी किसके कहने के बावजूद भी भला एक जवान लड़का एक खूबसूरत औरत को पेशाब करते हुए कैसे ना देखें,,, लेकिन फिर भी सोनू की चाची की तसल्ली के लिए सूरज दूसरी तरफ नजर घूमाता हुआ बोला,,)

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो चाची आराम से कर लो,,, मैं नहीं देखूंगा,,,।

(सूरज की बात सुनकर सोनू की चाची अपने मन में ही बोली हरामजादी तुझे देखने के लिए क्या तेरे सामने पेशाब कर रही हूं ताकि जो मेरी नंगी गांड को देख सके और कह रहा है कि मैं नहीं देखूंगा फिर भी अपने मन में इस तरह से बात करते हुए वह अपने आप से ही बोली देखती हूं कैसे नहीं देखता है भला एक जवान औरत की नंगी गांड को देखने से एक मर्द कैसे इंकार कर सकता है,,, और इतना अपने मन में सोचते हुए वह धीरे-धीरे अपनी साड़ी को कमर की तरफ उठाने लगी अभी तक सोनू की चाची नजर पीछे घूमाकर सूरज की तरफ नहीं देखी थी लेकिन सूरज तिरछी नजरों से सोनू की चाची को ही देख रहा था और उसका इस तरह से अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठाना उसे उत्तेजित कर रहा था वह मदहोश हुआ जा रहा था,,,,।)

देखना नहीं सूरज मुझे बहुत शर्म आती है,,,।(सूरज की तरफ बिना देखे ही अपनी साड़ी को अपने घुटनों तक उठाते हुए वह बोली,,, बार-बार वह ऐसा कहकर सूरज का ध्यान अपनी तरफ ही करना चाहती थी और सूरज कोई सीधा-साधा लड़का तो था नहीं औरतों की संगत में वह पूरा मर्द बन चुका था और ऐसे हालात में उसे क्या करना है वह अच्छी तरह से जानता था इसलिए उसके कहने के बावजूद भी हुआ है उसकी नंगी गांड को देखना चाहता था उसके रस को अपनी आंखों से पीना चाहता था वह देखना चाहता था की सोनू की चाची की नंगी गांड कैसी दिखाई देती है इसलिए उसकी बात का मान रखते हुए वह बोला,,,)

बिल्कुल भी नहीं चाची तुम बेफिकर रहो,,,।
(ईतना कहकर वह अपने मन मे हीं बोला साली एक बार साड़ी कमर तक उठाकर अपनी गांड तो दिखा मैं भी तो देखूं कितनी जवानी भरी है तेरे में,,,,, सूरज का दिल जोरों से धड़क रहा था,,, उसकी आंखों के सामने जवानी से भरी हुई औरत अपनी साड़ी कमर तक उठाकर पेशाब करने के लिए बैठने वाली थी,,, ऐसे हालात मर्दों के सामने बहुत कम बार ही आते हैं लेकिन सूरज की आंखों के सामने इस तरह का नजारा बार-बार समय दर समय पर दिखाई दे ही जाता था और इस तरह का नजारा देकर उसकी उत्तेजना परम शिखर पर पहुंच जाती थी आज एक बार फिर से जवानी से भरी हुई औरत उसकी आंखों के सामने थी जो की पेशाब करने जा रही थी इसलिए वह बेशब्र होता जा रहा था,,,,

सोनू की चाची का दिल भी जोरों से धड़क रहा था क्योंकि अपने जीवन में पहली बार वह किसी जवान लड़के की आंखों के सामने जानबूझकर पेशाब करने के लिए बैठने जा रही थी और वह भी अपनी नंगी गांड दिखाते हुए वरना अक्सर वह पेशाब करने जब भी बैठी थी तब वह अपनी साड़ी से अपनी नंगी गांड को ढके रहती थी लेकिन आज वह पहले से ही अपने मन में निश्चय कर ली थी कि ऐसा हुआ नहीं करेगी अपनी साड़ी को पूरी तरह से कमर तक उठाकर अपनी नंगी गांड दिखाते हुए पेशाब करेंगे ताकि उसकी बात बन सके इसलिए तो उसका दिल जोरो से धड़क रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अब कैसे आगे बढा जाए और आगे बढ़ने का यही बस एक रास्ता उसे नजर आ रहा था,,, और उसे पर वह अग्रसर थी।

घुटनों तक ऊठी हुई साड़ी धीरे-धीरे ऊपर की तरफ जा रही थी और उसकी मोटी तगड़ी जांघ नजर आने लगी थी जो कि एकदम मक्खन की तरह चिकनी दिखाई दे रही थी उसकी मोटी तगड़ी जांघ को देखकर उसे पर सूरज का इनाम फिसल रहा था। सोनू की चाची अपने तन बदन में उत्तेजना की लहर उठती हुई महसूस कर रही थी और वही लहर सूरज के भी बदन में उठ रही थी देखते ही देखते सोनू की चाची का नितंबों का निचला स्तर लकीर दिखाई देने लगा जिसे देखते ही सूरज से रहा नहीं गया और पजामे में तने हुए अपने लंड को अपने हाथ से दबाने लगा,,,, एक खूबसूरत औरत को इस तरह से अपने कपड़े ऊपर उठाते हुए उसके अर्धनग्न बदन को देखकर अपने लंड को दबाने में भी एक अद्भुत आनंद की प्राप्ति होती है और इस सुख को सूरज भली भांति अपने अंदर महसूस कर रहा था,,,।

जेठ की दुपहरी में इस खूबसूरत मनोरम्य दृश्य को सूरज के शिवा देखने वाला दूसरा वहां कोई भी नहीं था सूरज अच्छी तरह से जानता था किस जगह पर कोई आता जाता नहीं है इसलिए वह पूरी तरह से निश्चित था बेहद खूबसूरत नजारा था बड़े-बड़े पेड़ एक छोटा सा तालाब जिसमें पानी भरा हुआ था और उसके किनारे ही सोनू की चाची अपनी साड़ी को धीरे-धीरे उठा रही थी और पेशाब करने की तैयारी कर रही थी भला ऐसा नजारा कहां देखने को मिलता है पड़ेगी भाग्य से इस तरह का नजारा देखने को मिलता है और सूरज इस समय भाग्य का धनी था इसलिए तो वहां अपनी आंखों के सामने जवानी से भरी हुई औरत को पेशाब करते हुए देखने जा रहा था।

सोनू की चाची से भी रहा नहीं जा रहा था पेशाब करने का नाटक करते-करते वास्तव में उसे बड़े जोरों की पेशाब लगने लगी थी,,, जिसका असर उसके बदन पर अच्छी तरह से दिखाई दे रहा था तीव्रता से पेशाब के असर को वह अपने अंदर दबाने की कोशिश करते हुए अपने एड़ी को ऊपर नीचे कर रही थी,,,, अब उससे भी रहा नहीं जा रहा था लेकिन अपनी साड़ी को पूरी तरह से अपने नितम्बों को उजागर करने से पहले वह नजर घूमाकर सूरज की तरफ देख लेना चाहती थी इसलिए जल्दी से नजर पीछे की तरफ घुमाई तो सूरज को अपनी तरफ ही देखता हुआ पाकर वह अंदर ही अंदर एकदम प्रसन्न हो गई लेकिन सूरज की चोरी पकड़ी गई थी इसलिए वह अपनी साड़ी को कमर से ऊपर तक उठाने से पहले एक बार फिर से बोली,,,

क्या सुरज तु तो मेरी तरफ ही देख रहा है भला ऐसे में मैं कैसे पैसाब कर पाऊंगी,,,,।


ओहहह ओ,,,,, चाची अनजाने में तुम्हारी तरफ नजर चली गई मुझे लगा कि तुम पेशाब कर ली होगी लेकिन तुम तोअभी तक खड़ी हो जल्दी करो,,,।

क्यों क्या हुआ सीधे बड़ी है क्या आप भी तो बहुत समय है इतनी धूप में जाने जैसा नहीं है,,,।

बात तो तुम सच कह रही हो चाचा मैं भी यही सोच रहा था कि इतनी धूप में निकलना ठीक नहीं है यहां पर आराम हीं करना पड़ेगा जब तक की धूप थोड़ी कम ना हो जाए,,,।

चल ठीक है नजर दूसरी तरफ घूमा ले मुझे बड़ी जोरों की लगी है,,,।

ठीक है चाची,,,,(ऐसा कहते हुए सूरज अपने मन में ही बोला साली रंडी अपनी चूची को कैसे दबवा रही थी और अभी कह रही है कि शर्म आ रही है,,, कसम से एक बार मौका मिल गया ना तो अपना लंड डालकर इसकी बुर का भोसड़ा बना दूंगा,,,, सूरज दूसरी तरफ नजर घुमा लिया था यह देखकर सोनू की चाची मन ही मन मुस्कुराने लगी क्योंकि वह जानती थी कि पहले ही वह इस समय अपनी नजर घुमा लिया है लेकिन उसे पेशाब करता हुआ जरुर देखेगा उसकी नंगी गांड को देखकर उसका लंड जरूर खड़ा होगा और तब शायद बात बन पाए ,।

और ऐसा सोचते हुए वहां साड़ी को पूरी तरह से अपनी कमर तक उठा ली और उसकी नंगी गांड एकदम से उजागर हो गई छत की दुपहरी में धूप की वजह से उसकी नंगी गांड सुनहरी नजर आ रही थी पूरी तरह से उसकी नंगी गांड सोने से मढी हुई नजर आ रही थी,,,, सूरज भी तिरछी नजर से देख रहा था और उसकी सुनहरी गांड देखकर मन ही मन सोचने लगा कि इसीलिए तो औरत को सबसे अनमोल खजाना कहा जाता है,,, सोनू की चाची की जवानी से भरपूर गांड को देखकर सूरज का लंड अकड़ने लगा था मन तो कर रहा था किसी समय उसके पास पहुंच जाए और पीछे से उसे अपनी बाहों में भर ले और खड़े-खड़े उसकी चुदाई करते लेकिन ऐसा करना उचित होता है क्योंकि सोनू की चाची की नजर में वहां इन सब बातों से बिल्कुल अनजान था वह इस खेल में धीरे-धीरे आगे बढ़ना चाहता था और मजा भी तो आ रहा था धीरे-धीरे आगे बढ़ाने में इस बात से वह इनकार नहीं कर पा रहा था।

सोनू की चाची को भी बड़ी जोरों से पेशाब लगी हुई थी वह इसलिए एकदम से नीचे बैठ गई और पेशाब करना शुरू कर दी उसकी गुलाबी छेद से पेशाब की धार बड़ी तेजी से निकल रही थी और और उसमें से आ रही सिटी की आवाज कैसे सुनसान जगह पर अपनी मधुर ध्वनि छोड़ रही थी जो पल भर में ही सूरज के कानों तक पहुंच गई थी और सिटी की आवाज को सुनते ही सूरज समझ गया कि, सोनू की चाची पेशाब करना शुरू कर दी है और उसे आवाज को सुनकर सूरज से रहा नहीं गया,,, सूरज ने तुरंत नजर घुमा कर सोनु की चाची को देखने लगा,,, और उस नजारे को देखकर सूरज की तो हालत एकदम से खराब हो गई।

हालत खराब कैसे न होती आखिरकार नजारा ही कुछ ऐसा था,,,, उसकी जगह कोई और होता तो उसकी भी हालत खराब हो जाती वैसे तो सूरज ने इस तरह के नजारे को बहुत बार देख चुका था लेकिन आज के नजारे में कुछ अद्भुत प्रकार का नशा था जिसे देखने के बाद ही सूरज की आंखों में जाने लगा था वैसे तो वह मुखिया की बेटी को भी पेशाब करते हुए देख चुका था जो कि सोनू की चाची की हम उम्र थी,,, लेकिन दोनों के बदन की बनावट में जमीन आसमान का फर्क था मुखिया की बीवी से सोनु की चाची मजबूत बदन की मालकिन थी,,, इसलिए मुखिया की बीवी के बदन की तुलना सोनू की चाची का बदन कुछ ज्यादा ही भरा हुआ था और उसकी गांड मुखिया की बीवी की गांड से ज्यादा बड़ी थी इसलिए तो सूरज की हालत खराब होती जा रही थी,,, मुखिया की बीवी की खाना खा तो पूरा मजा सूरज ले चुका था और उसे पर पूरी तरह से काबू भी कर चुका था लेकिन सोनू की चाची की गांड को ज्यादा ही बड़ी थी जिसे देखकर सूरज अपने मन में सोचने लगा बाप रे अगर मिल जाए तो मजा ही आ जाए इस पर कुछ ज्यादा ही मेहनत करनी पड़ेगी।

ऐसा अपने मन में सोचते हुए पाई जाने के ऊपर से ही सूरज अपने लंड को दबाने लगा,,,, बुर से निकल रही सिटी की आवाज लगातार उसके कानों में रस घोल रही थी जिसे सुनकर सूरज मन ही मन पूरी तरह से उत्तेजना के सागर में डूबने लगा था,, सूरज बेकरार साथ तड़प रहा था कि कब उसकी नंगी गांड को स्पर्श करने का मौका मिलेगा तब उसकी जवानी से खेलने का मौका मिलेगा वैसे तो सोनू की चाची की हालत को देखकर उसे पूरा यकीन हो गया था कि जल्द ही वह शुभ अवसर उसे मिलाने वाला है लेकिन फिर भी सूरज के लिए अब सब्र करना नामुमकिन हुआ जा रहा था,,,।

जेठ की दुपहरी में तालाब के किनारे सोनू की चाची बैठकर पेशाब कर रही थी और सुनहरी धूप में उसकी नंगी गांड सोने की तरह चमक रही थी और उसके ईर्द-गिर्द उगी हुई घास उसकी नंगी गांड की शोभा और ज्यादा बढ़ा रही थी,,, इसलिए तो सूरज से बर्दाश्त के बाहर हुआ जा रहा था,,,, सूरज अब अपने आप पर काबू नहीं कर पा रहा था इसलिए अपनी जगह से उठकर खड़ा हो गया और धीरे-धीरे कर कदमों से सीधे जाकर उसके पास खड़ा हो गया नजदीक से उसकी गांड देखकर करे ऐसा लग रहा था कि आसमान का चांद जमीन पर उतर आया हो उसे जी भरकर सूरज देखा ही रहा था कि इस बात से अनजान की सूरज ठीक उसके पास भी आकर खड़ा हो गया है वह नजर घुमा कर देखी तो सूरज को अपने पीछे खड़ा देखकर उसके एकदम से होश उड़ गए और वह एकदम से अपनी नंगी गांड को जानबूझकर साड़ी की ओट में छुपाने की कोशिश करते हुए बोली।

सूरज तू इधर आ गया,,,!


Behad shandar update he rohnny4545 Bhai,

Ab sonu ki chachi aur suraj me beech me chudayi ka khel shuru hone wala he.........

Keep rocking Bro
 

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Well-Known Member
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सूरज ने जो कुछ भी देखा था उसे देखकर उसे गुस्सा भी आ रहा था और अपनी किस्मत पर गर्व भी हो रहा था क्योंकि जो कुछ भी उसने अपनी आंखों से देखा था उसके दो पहलू थे एक तो यह कि उसके पिताजी उसकी मां के साथ इंसाफ नहीं कर रहे थे और , अपनी बीवी को छोड़कर वह किसी गैर औरत के साथ रंगरेलियां बना रहे थे इस बात से सूरज के मन में दुख का भी आभास हो रहा था और इसका दूसरा पहलू यह था कि अपने पिताजी की बेवफाई उसके लिए सुख का रास्ता खोल रही थी क्योंकि वह जानता था कि अगर इसी तरह से चला रहा तो एक न एक दिन उसका सपना सच हो जाएगा,,‌ इसलिए सूरज को अपने पिताजी से नाराज़गी भी थी और खुशी भी थी,.




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सूरज अपने घर लौट चुका था लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह जो कुछ भी अपनी आंखों से देखा अपनी मां से बताएं या ना बताएं उसके मन में तो बहुत सारी बातें चल रही थी वह अपने मन में यह भी सोच रहा था कि उसे अपनी मां से कुछ भी नहीं छुपाना चाहिए अपने पिताजी के बारे में सब कुछ खोल कर बता देना चाहिए ताकि उसकी मां के दिल में उसके प्रति स्नेह जागने लगे. और इस बात से वह खुश भी था। वह जानता था कि एक औरत अपने पति से अगर संतुष्ट न हो तो वह दूसरी मर्द की तरफ आकर्षित हो ही जाती है फिर यहां तो मामला बेवफाई का था और एक औरत बेवफाई को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं कर पाती और ऐसे में बदला लेने के आवेश में उसके बेहद करीब रह रहे मर्द के साथ संबंध बनाने में भी बिल्कुल भी नहीं कतराती,,। इसलिए सूरज जल्द से जल्द अपनी मां से सब कुछ बता देना चाहता था।


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इसलिए वह बड़े सवेरे घर पर पहुंच चुका था घर पर पहुंचा तो देखा कि उसकी मां घर के आंगन में झाड़ू लगा रही थी और मन ही मन कुछ गुनगुना रही थी अपनी मां को इस तरह से खुश होता देखकर और कोई गीत गुनगुनाते देखकर सूरज की हिम्मत नहीं हुई कि वह अपनी मां से उसके पति के बेवफाई के बारे में बता सके यह बता सके की उसके पति का किसी गैर औरत के साथ जिस्मानी तालुका आते हैं और वह उसे औरत से शादी करना चाहता है और तुम्हें छोड़ना चाहता है सूरज अच्छी तरह से जानता था कि इस तरह की बात करके वह अपनी मां को दुखी कर देगा और इतना खूबसूरत चेहरा दुखी अवस्था में वह देखना नहीं चाहता था इसलिए वह इस समयअपनी मां से कुछ भी बताना जरूरी नहीं समझा और सही समय का इंतजार करने लगा।





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अपनी मां के करीब पहुंचकर वह अपनी मां से बोला,,

क्या बात है मां आज बहुत खुश नजर आ रही हो,,,।

तु,,,(झाड़ू को हाथ में लिए हुए ही नजर ऊपर करके सूरज की तरफ देखते हुए थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए बोली) पहले यह बात की रात भर था कहां तु,,,?

मैं तो यही था अपनी दोस्त के घर पर रुक गया था। (बहाना बनाते हुए सूरज बोला)

कौन से दोस्त के पास रुक गया था जरा मुझे भी तो बता रात भर तुझे ढूंढती रही,, रात को नींद भी नहीं आई,।

तुम्हें अगर इतनी चिंता थी तो अभी तो कुछ गुनगुना रही थी एकदम खुश नजर आ रही थी।





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अरे बेवकूफ दूर से आता हुआ तुझे देख ली थी इसलिए एकदम से खुश हो गई थी समझा ,,,(झाड़ू लिए हुए ही खड़ी होते हुए बोली)

ओहहह यह बात है,, तभी मुझे लगा कि आज इतना खुश कैसे दिखाई दे रही हो ,,(इतना कहकर वह घर के अंदर प्रवेश करने लगा,,, उसकी बात सुनकर नाराज होते हुए सुनैना उसकी तरफ आगे बढ़ते हुए बोली)

क्यों तेरे बाप की तरह तू भी मुझे खुश होता हुआ नहीं देख सकता तुझे भी परेशानी हो रही है मुझसे,,,।
(तब तक घर के अंदर सूरज प्रवेश कर चुका था और उसके पीछे भी पीछे उसकी मां भी घर में प्रवेश कर चुकी थी सुनैना के चेहरे पर गुस्सा साफ नजर आ रहा था अपनी मां की बात सुनकर एक पल के लिए सूरज को लगा कि वह इसी समय अपनी मां से कह दे की पिताजी का ही पता लगाने के लिए रात भर भटक रहा था और उन्हें सब कुछ बता दे लेकिन फिर वह कुछ बोल नहीं पाया और एकदम से खामोश रह गया,,, तब तक सुनैना उसके करीब पहुंच चुकी थी और उसका हाथ पकड़ कर उसे रोकते हुए बोली,,,)



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बता क्या तू भी मुझे खुश देखना नहीं चाहता तू भी तेरे बाप की तरह मुझे छोड़ कर जाना चाहता है अगर ऐसा है तो चले जा,,,।

क्या कह रही हो मां,,,, मैं भला ऐसा कैसे कर सकता हूं,,,।

नहीं तू भी कर सकता है तभी तो रात भर बिना बताए गायब रहा,,,।

अब कैसे कहूं दोस्त किधर रुक गया था ज्यादा रात हो गई थी इसलिए वापस नहीं आया,,, वैसे तो मैं आना चाहता था लेकिन उसने मुझे आने नहीं दिया,,,।
(हैरानी से अपनी मां की तरफ देखते हुए सूरज बोला उसकी मां की आंखों में आंसू था वह समझ सकता था अपनी मां का दर्द वह समझ सकता था कि उसकी मां के मन में क्या चल रहा है जिस तरह से बिना बताए उसके पिताजी घर छोड़कर किसी औरत के चक्कर में चले गए हैं इसी बात का डर उसकी मां की आंखों में दिखाई दे रहा था वह भी यही सोच रही थी कि कहीं उसका बेटा उसके पिताजी की तरह घर छोड़कर ना चला जाए,,,,.






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सूरज से रहा नहीं गया,,, अपनी मां की परेशानी और उसका उदास चेहरा उसे देखा नहीं की और वह अनजाने मे हीं अपनी मां का हाथ पड़कर उसे अपनी तरफ खींच लिया और उसे एकदम से अपने सीने से लगा लिया,,, यह सूरज की तरफ से अपनी मां के लिए सहानुभूति था वह उसे अपने सीने से लगा लिया था उसकी मां भी उसके सीने से लग कर आंसू बहाने लगी थी औरबोली,,,।

कसम खा मेरी मुझे छोड़कर नहीं जाएगा ना,,,

किसी बातेंकर रही हो मां,,, मैं भला तुम लोगों को छोड़कर कहां जाऊंगा मैं कसम खाता हूं मैं पिताजी की तरह बिल्कुल भी नहीं करूंगा जिंदगी भर तुम लोग के साथ रहूंगा,,,,(ऐसा कहते हुए सूरज अपनी मां की पीठ पर हाथ रखकर उसे सहला रहा था सहानुभूति के तौर पर,, यह बिल्कुल औपचारिक था इसमें जरा भी वासना और आकर्षक बिल्कुल भी नहीं था लेकिन थोड़ी ही देर में सुनैना के कंधे पर से साड़ी का पल्लू हल्का सा नीचे सरक गया और सूरज की हथेली उसकी नंगी चिकनी पीठ पर सरगोशी करने लगी उसकी पीठ पर घूमने लगी और थोड़ी ही देर में सूरज के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी।



से

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सुनैना भी एकदम सहज थी एकदम औपचारिक रूप से अपने बेटे के सीने से लगी हुई थी क्योंकि उसके मन में दर्द था एक डर था कि कहीं उसका बेटा भी उसे उसके पिताजी की तरह छोड़ करना चला जाए लेकिन जैसे ही सुनैना को एहसास हुआ कि उसके बेटे की हथेली उसकी नंगी पीठ पर,, जोकि ब्लाउज के बीच की जगह पर घूम रही है तो एक अलग ही एहसास उसे अपने बदन में महसूस होने लगा,,, सूरज कुछ पल के लिए समझ नहीं पाया कि वह क्या कर रहा है,,,, वह भी सहज रूप से अपनी मां के लगाव के कारण उसे अपने सीने से लगा लिया था लेकिन अब हालात धीरे-धीरे उसे कीसी और दिशा में मोड रहा था,,, सूरज के दिल की धड़कन बढ़ने लगी थी क्योंकि उसे इस बात का एहसास अच्छी तरह से होने लगा था कि अनजाने में ही वह अपनी मां को अपने गले से लगा लिया था।।



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नंगी चिकनी पीठ वैसे तो ब्लाउज पहनी हुई थी लेकिन फिर भी पीछे की ब्लाउज वाला हल्का सा हिस्सा उजागर ही रहता है और उसी पर सूरज की हथेली घूम रही थी इसका एहसास सुनैना को भी होने लगा था सुनैना भी भाव में आकर अपने बेटे की छाती से लग गई थी और उसे अब एहसास होने लगा था कि, भले ही वह अपने बेटे की छाती से लगी हुई है लेकिन है तो वह एक मर्द ही उसकी हरकत का एहसास सुनैना को होने लगा था लेकिन न जाने क्यों सुनैना उससे अलग नहीं हो पा रही थी और गहरी गहरी सांस ले रही थी उसके नथुनों से निकलने वाली गर्म-गर्म सांसे उसकी छाती पर गर्माहट दे रही थी जिसका एहसास सूरज को अच्छी तरह से हो रहा था और वह अपनी मां की स्थिति को समझने लगा था,,,।




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कुछ जब सूरज ने देखा कि उसकी हरकत के बावजूद भी उसकी मां उससे अलग नहींहो रही है तो उसकी हिम्मत बढ़ने लगी और दूसरा हाथ तुरंत तो अपनी मां की चिकनी कमर पर रख दिया एकदम मांसल और मखमल जैसी चिकनी कमर पर हाथ रखते ही सूरज के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी और इसका एहसास उसे पल भर में अपनी दोनों टांगों के बीच होने लगा उसके दोनों टांगों के बीच की स्थिति बेकाबू होती जा रही थी। पल भर में उसकी आंखों के सामने उसके पिताजी का चेहरा घूमने लगा उसकी आंखों के सामने रात में देखे गए कामुक दृश्यों की झड़ी गुजरने लगी,,, वह अपने मन में सोचने लगा कि कैसे उसके पिताजी खूबसूरत बीवी के होने के बावजूद भी किसी गैर औरत के साथ जिस्मानी ताल्लुकात बनाकर मजा लूट रहे हैं,, और अपनी बीवी को तड़पने के लिए छोड़ दिए हैं।




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सूरज की दूसरी हथेली अपनी मां की चिकनी कमर पर घूम रही थी उसे अपनी मां की चिकनी कमर पर अपनी हथेली घूमना बहुत अच्छा लग रहा था और उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी अपनी पत्नी चिकनी कमर पर अपने बेटे की हथेली की गरमाहट को मैसेज करते ही सुनैना पिघलने लगी उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार जवाब देने लगी उसके बदन में उठ रही उत्तेजना की लहर का केंद्र बिंदु उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार रही थी जो की पूरी तरह से उसे अपने बेटे के काबू में दे चुकी थी। दोनों की गरमा गरम सांसें एक दूसरे को गर्म कर रही थी। घर में इस वक्त रानी मौजूद नहीं थी सिर्फ दोनों मां बेटे ही थे ,, ओर इस बात को सूरज अच्छी तरह से जानता था




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जिस तरह के हालात दोनों के बीच बना रहे थे उसे देखते हुए सूरज के मन में खुशी की लहर उठने लगी और उसे सोनू की चाची याद आ गई जब वह मशीन चालू करने के लिए टूटी हुई मडई में गया था सोनू की चाची के साथ और वहां पर जो कुछ भी हुआ था वह पूरी तरह से उसे मदहोश कर देने वाला था सोनू की चाची की खरबूजे जैसी बड़ी-बड़ी चूचियों को देखकर वह बेकाबू हो चुका था और उसे दोनों हाथों में लेकर जोर-जोर से दबा रहा था और उसका स्तनपान कर रहा था। उसे समय सूरज की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था सूरज को लगने लगा था कि सोनू की चाची मड़ई में ही अपना सर्वस्व उसके ऊपर निछावर कर देगी लेकिन एन समय पर सोनू के चाचा वहां पर आ गए थे और दोनों के बीच जो कुछ भी होने वाला था उस पर पुर्नविराम लग गया था। सूरज अपनी मां को बाहों में लिए हुए इस समय यही सोच रहा था कि जब एक औरत पति के होने के बावजूद भी उसे संतुष्ट न होकर उसके साथ मजा लूटने के लिए तैयार हो गई थी तब तो यहां उसकी मां जो अपने पति का प्यार कुछ महीने से बिल्कुल भी नहीं पाई थी ऐसे में उसका बहकना एकदम लाजमी था,,।



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और इसीलिए सूरज की खुशी का ठिकाना नहीं था क्योंकि उसकी हरकत का उसकी मां बिल्कुल भी विरोध नहीं कर रही थी इसलिए तो उसकी हिम्मत बढ़ती जा रही थी वह पूरी तरह से अपनी मां को अपनी छाती से लगाए हुए उसके बदन से खेलने का अपने मन में ठंड लिया था इसलिए तो उसकी नंगी पीठ और उसकी चिकनी कमर पर अपनी हथेली को घूमते घूमते हैं वह अपनी दूसरी हथेली को भी नीचे की तरफ ले जाने लगा और अगले ही पल वह अपने दोनों हथेली को उसकी कमर पर रखकर पागल हुआ जा रहा था उसका मन तो कर रहा था कि इसी समय अपनी मां के लाल लाल होठों को अपने होठों में भरकर उसके होठों का रसपान करने लगे।




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लेकिन न जाने क्यों ऐसा करने की उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी लेकिन जो कुछ भी हुआ कर रहा था जो कुछ भी हो रहा था उसमें ही उसे आनंद की पराकाष्ठा महसूस हो रही थी देखते-देखते पजामी ने उसका लंड कोई तरह से अपनी औकात में आ चुका था और देखते ही देखते पजामे में तंबू बन कर साड़ी के ऊपर से ही ना जाने का उसकी मां की दोनों टांगों के बीच ठोकर मारने लगा,,, इस ठोकर को सुनैना बड़ी अच्छी तरह से महसूस कर रही थी और मदहोश हुए जा रही थी वह इस समय भूल चुकी थी कि वह अपने बेटे की बाहों में है अपने बेटे की मर्दाना छाती की गर्मी उसे पूरी तरह से पिघलाने पर मजबूर कर रही थी। दोनों की सांस गहरी चलने लगी थी,,, वक्त के साथ दोनों मदहोश हुए जा रहे थे,, सूरज कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि घर पर पहुंचने पर इस तरह के हालात दोनों के बीच पैदा होंगे।




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जिस के हालात दोनों के बीच पनप रहे थे वह बेहद मदहोशी और कामुकता से भरा हुआ था। यह बेहद पतली लकीर थी लेकिन इस पार करने में दोनों के पसीने छूट रहे थे सूरज मदहोशी के आलम में उत्तेजना के परम शिखर पर विराजमान हो चुका था और उसका लंड अपनी औकात में आकर अपनी मां की बुर पर ठोकर मार रहा था साड़ी के ऊपर से ही अपने बेटे के मजबूत तगड़े लंड को अपनी बर पर महसूस करके सुनैना की हालत खराब होने लगी थी। सुनैना को अच्छी तरह से एहसास हो रहा था कि अगर उसकी तरफ से उसके बेटे को छूट मिल जाए तो साड़ी सहित वह अपने लंड को उसकी बुर में उतार देगा और इस बात से सुनैना एकदम गदगद हुए जा रही थी।



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सुनैना की बुर पानी छोड़ रही थी,, महीनो से वह पुरुष संसर्ग के लिए तड़प रही थी इसलिए तो अपने बेटे की बाहों में पिघलने लगी थी उसे इस बात का अहसास तक नहीं था कि वह क्या कर रही है। तभी सूरज को एहसास हुआ कि उसकी मां अपनी कमर को उसकी तरफ बढ़ा रही थी वह उसके लंड को अपनी बुर में अच्छी तरह से महसूस करना चाहती थी और इस बात का अहसास होते हैं सूरज पूरी तरह से मदहोश हो गया और तुरंत अपनी दोनों हथेलियां को साड़ी के ऊपर से अपनी मां के भारी भरकम नितंबों पर रखकर उसे एकदम से दबोच लिया और उसे अपनी तरफ खींच लिया ऐसा करने से तुरंत पजामे में तना हुआ उसका लंड साड़ी सहित उसके गुलाबी पर की पत्तियों को हल्के से खोलता हुआ अंदर की तरफ प्रवेश करने लगा यह एहसास सुनैना के लिए पूरी तरह से बेकाबू और मदहोश कर देने वाला था। वह एकदम से तड़प उठी और अपने बेटे के सीने से चिपक गई।

अपनी मां की हालत को देखकर सूरज की भी हालात पूरी तरह से खराब हो गई और वह समझ गया कि उसकी मां समर्पण के लिए पूरी तरह से तैयार है और वह अपनी मां की सारी उठाने के बारे में सोच रहा था वह अपनी मां की साड़ी को कमर तक उठाकर अपने लंड को उसकी बुर में डाल देना चाहता था क्योंकि उसे लग रहा था कि यही सही मौका है अपना सपना पूरा करने का और इसके लिए वह अपने आप को पूरी तरह से तैयार कर चुका था क्योंकि वह जानता था कि अब उसकी मां विरोध करने वाली नहीं है इसलिए वह जैसे ही दोनों हाथों से अपनी मां की साड़ी उठाने को हुआ वैसे ही घर के बाहर बर्तन के गिरने की आवाज आई और दोनों एकदम से होश में आ गए और एक दूसरे से अलग हो गए।

सुनैना जल्दी से रसोई में जाकर बैठ गई और सूरज अपने पजामे में बने तंबू को छुपाने के लिए एकदम से खटिया पर जाकर बैठ गया,,, दोनों सही समय पर एक दूसरे से अलग हुए थे क्योंकि रानी बाल्टी में पानी भरकर घर के अंदर प्रवेश कर चुकी थी अच्छा हुआ कि सही समय पर बर्तन गिर गया और दोनों एक दूसरे से अलग हो गए वरना यह नजारा रानी अपनी आंखों से देख लेती वैसे भी वह पहले से ही अपने भाई की हरकत से मदहोश हो चुकी थी और दिन रात अपने भाई के बारे में ही सोच रही थी।

सुनैना को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें उसका चेहरा उत्तेजना से एकदम लाल हो चुका था पल भर पहले जो कुछ भी हुआ था वह पूरी तरह से उसकी जवानी को निचोड़ देने वाला था उसे अपनी बुर पानी पानी होती हुई महसूस हो रही थी। वह जानबूझकर चूल्हा जलाने लगी थी और सूरज बैठकर इधर-उधर देखने लगा था वह भी कुछ बोलने लायक नहीं था और सुनैना अपने बेटे से नजर तक नहीं मिल पा रही थी तभी रानी उन दोनों के करीब पहुंच गई और अपने भाई को खटिया पर बैठे हुए देखकर बोली।

अरे भाई तू कहां था रात भर हम दोनों कितना परेशान हुए थे तुझे मालूम है कहीं जाना था तो बात कर जाना था ना बिना पता इस तरह से रात भर गायब रहा।

अब तू भी शुरू हो गई,,, मां को मैंने सब कुछ बता दिया हुं दोस्त के वहां था ,,,,


लेकिन बता कर तो जाना था ना,,,,


अब आगे से बात कर जाऊंगा ठीक है मुझे क्या मालूम था कि तुम दोनों इतना परेशान हो जाओगे।
(अांवले वाले दिन से लेकर के आज वह दिन था जब रानी अपने भाई से इस तरह से बात की थी वरना उसे दिन से तो वह अपने भाई से नजर तक मिला नहीं पाती थी। और इस बात की खुशी सूरज के चेहरे पर नजर आ रही थी दोनों के बीच की स्थिति अब सामान्य हो रही थी,,, दोनों के बीच इतना बातचीत हो गया था लेकिन शर्म के मारे सुनैना कुछ बोल‌ नहीं पा रही थी।


स्थिति को देखते हुए सूरज भी कुछ बोला नहीं और पास में पड़ी दातुन को हाथ में लेकर घर के बाहर निकल गया।
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर जबरदस्त अपडेट हैं भाई मजा आ गया
सुरज और सुनैना का एकाकार होना लगबग तय हो गया था की राणी आ गयी और सुरज का सपना चुरचुर हो गया
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
 
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जो कुछ भी हुआ था उसे सुनैना बेहदअचंभित थी,,, यह सब क्या हुआ कैसे हुआ उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था वह तो अपने बेटे के रात भर घर ना आने की वजह से चिंतित थी और इसीलिए सुबह-सुबह अपनी बेटी को घर आता देखकर वह अंदर ही अंदर बहुत खुश नजर आ रही थी एक तरफ से वह अपने बेटे से नाराज भी थी और उसे देखकर खुश भी थी यह नाराजगी और प्रसन्नता का मिला जुला असर था जो वह एकदम से भावुक हो गई थी,,। वैसे भी उसकी जगह कोई और मां होती तो शायद उसकी भी यही हालत होती जैसा कि उसकी हालत हुई थी अपने बेटे को देखकर,,,।


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और इसीलिए भावुकता में वह पूरी तरह से बह गई थी वह अपने बेटे को भी अपने पति की तरह खोना नहीं चाहती थी जिस तरह से उसका पति बिना कहे छोड़कर ना जाने कहां चला गया था जिसका कोई अदा पता नहीं था इसलिए अपने बेटे को एक रात घर से गायब देखकर वह भी बेहद चिंतित हो गई थी और इसीलिए तो वह अपने बेटे को देखकर भावुकता में बहकर उसके सीने से लग गईथी,, लेकिन इसके बाद जो कुछ भी हुआ वह उसे पूरी तरह से चिंतित कर दिया था यह सब कैसे हो गया उसे समझ में नहीं आ रहा था लेकिन उसे इतना एहसास तो था कि उसका बेटा पूरी तरह से जवान हो गया था हट्टा कट्टा मर्द बन गया था शायद इसीलिए एक औरत को अपनी बाहों में देखकर वह अपने मन पर काबू नहीं कर पाया और उत्तेजित हो गया,,, उसे अपने बेटे से इस तरह की उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी लेकिन जैसा भी उसने अनुभव की थी वह बेहद चिंताजनक था।





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एक मा होने के नाते उसे अपने बेटे की हरकत कुछ अच्छी नहीं लग रही थी वह समझ नहीं पा रही थी ऐसा कैसे हो गया था वह रसोई बनाते समय इसी बारे में सोच रही थी और काफी हैरान थी उसे अपने बेटे से इस तरह की उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी,, आज पहली बार ऐसा हुआ था जब वह अपने बेटे के सीने से लग गई थी और उसका बेटा भी उसे अपनी छाती से लगाकर कुछ ही देर में उत्तेजना के सागर में बैठे हुए उसके अंगों पर अपने हथेली का कसाव देने लगा था यह सब भी सुनैना सह जाती है लेकिन जब उसे अपनी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार पर उसके बेटे का लंड ठोकर मारता हुआ महसूस हुआ तो वह एकदम से दंग रह गई थी।





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एक औरत सोने के नाते वशीकरण से जानती थी कि एक मर्द का लंड किस अवस्था में खड़ा होता है किसलिए खड़ा होता है,,, सुनैना इस बात को अच्छी तरह से जानती थी की मर्द का लंड जब एक औरत उसके बेहद नजदीक होती है करीब होती है और जब वह चुदवासा महसूस करता है तभी उसका लंड खड़ा होता है यही सब सो कर वह परेशान हो जा रही थी कि क्या उसका बेटा अपनी मां की उपस्थिति में उत्तेजित हो रहा था क्या सच में उसे अपनी बाहों में भरकर उसका बेटा उसे चोदने का सोच रहा था अगर ऐसा नहीं होता तो उसका लंड खड़ा क्यों होता,,, और उत्तेजित अवस्था में उसने उसके नितंबों पर अपने दोनों हाथ रखकर जोर से दबाते हुए उसे अपनी तरफ खींच भी लिया था,,, इन्हीं सब हरकत के बारे में सोचकर सुनैना हैरान हुए जा रही थी।




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इसमें सुनैना की गलती नहीं थी सुनैना एक मां के नजरिए से इन सब बातों को सोच रही थी,, अगर एक औरत बनकर ही सब बातों को सोचती तो शायद इसमें हैरान होने वाली कोई बात नहीं थी,,, सुनैना यह बात भूल गई थी कि उसका बेटा भले उसका बेटा था लेकिन सर्वप्रथम वह एक मर्द था और एक मर्द की खासियत को उसे समझना चाहिए उसका बेटा बच्चा नहीं रह गया था पूरा मर्द बन चुका था जिसकी दोनों टांगों के बीच उसका हथियार पूरी तरह से करीब का हो चुका था जो किसी भी औरत को संतुष्टि का एहसास कराने में सक्षम हो गया था,। तभी तो अपनी मां को अपनी बाहों में महसूस करके वह अपनी उत्तेजना को दबा नहीं पाया और उसकी उत्तेजना अपने आप ही उजागर होने लगी और अपनी मां की दोनों टांगों के बीच ही दस्तक देने लगी यह सब एहसास सुनैना के लिए बेहद अजीब जरूर था लेकिन उसे पल वह भी पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी इस बात से भी वह इनकार नहीं कर सकती थी।





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रसोई बनाते समय सुनैना इसी बारे में सोच रही थी कि आखिरकार उसका बेटा बहक रहा था लेकिन वह कैसे बहक गई,, आज तक उसने किसी गैर मर्द की परछाई भी अपने बदन पर नहीं पड़ने दी थी,,, फिर आज ऐसा कैसे हो गया कि अपने बेटे की बाहों में ही वह अपने आप को खुद को पिघलती हुई महसूस करने लगी उसे इस बात से शर्म भी महसूस हो रही थी कि उस अवस्था में उसकी बुर पानी छोड़ रही थी जैसा कि वह अपने पति के साथ महसूस करती थी आज वैसा ही अपने बेटे के साथ महसूस करके वह दंग हो गई थी। शर्म के मारे उसके गाल पूरी तरह से लाल हो चुके थे अपने बेटे की हथेली को अपनी चिकनी पीठ के साथ-साथ अपनी चिकनी कमर पर महसूस करके वह वैसा ही महसूस कर रही थी कि जैसा कि अपनी पति की बाहों में महसूस करती थी।





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सुनैना को कुछ समझ में नहीं आ रहा था लेकिन जिस पल में वह मदहोश हो रही थी वह पल के बारे में याद करके एक तरफ उसके मन में अपने आप से ही और अपने बेटे से शर्मिंदगी का एहसास हो रहा था वहीं दूसरी तरफ उसे उस पल आनंद भी आ रहा था,,, लेकिन वह इतनी सी पतली भेद रेखा को नहीं समझ पा रही थी कि एक मां होने के बावजूद भी वह एक औरत थी जिसकी कुछ ज़रूरतें थी कुछ चाहत थी,, और महीनो से अपने पति के संपर्क में नहीं आई थी इसलिए उसे एक मर्द की जरूरत पड़ रही थी अपने पति के साथ होने पर उसका पति उसके साथ संभोग करता ही था जिससे उसकी भी जरूरत पूरी हो जाती थी और उसे अपने बदन की भूख मिटाने का अवसर मिल जाता था,,, लेकिन पति के न होने की वजह से यह बदन की भूख अंदर ही अंदर भड़क रही थी सुलग रही थी और सूरज की बाहों में वह अपनी भूख को धड़कता हुआ महसूस करने लगी थी उसके बदन में दबी हुई चिंगारी ऊपर उठने लगी थी तभी तो वह उसे पाल सब कुछ भूल चुकी थी अगर उसका बेटा उसके साथ कुछ कामुक हरकत और ज्यादा बड़ा था तो शायद वह इनकार नहीं कर पाती और अपने बेटे की हरकतों का आनंद ले लेते लेकिन सही समय पर उसकी बेटी रानी आ गई थी जिससे दोनों की कामुक तंद्रा एकदम से भंग हो चुकी थी,,, और वह एकदम से होश में आ गए थे।




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इस बात को चार-पांच दिन गुजर गए थे इस बीच सुनैना अपने बेटे से तरह से नजर नहीं मिल पा रही थी और नहीं उसे ठीक तरह से बात कर पा रही थी यही यार सूरज का भी था जबकि सूरज की तो दिली ख्वाहिश यही थी,, लेकिन फिर भी जब भी उसकी आंखों के सामने उसकी मां आ जाती थी तो उसकी नजर अपने आप झुक जाती थी वह अपनी मां से कुछ बोल नहीं पाता था,, और शायद इसलिए कि वह अपनी मां के व्यवहार को अच्छी तरह से जानता था उसके चरित्र को अच्छी तरह से समझता था इसीलिए पहल करने से डरता था,, सूरज के मन में अपनी गलती को आगे बढ़ाने की चाहत बढ़ती जा रही थी और वह अपनी ख्वाहिश को पूरी करना चाहता था लेकिन दूसरी तरफ उसकी मां अपनी गलती पर काफी शर्मिंदगी महसूस करती थी और ऐसी गलती दोबारा ना हो इसका ख्याल रखती थी और मौका ढुंढती थी इस बारे में अपने बेटे से बात करने के लिए लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अपने बेटे से अगर बात करें भी तो कैसे क्योंकि उसे अंदर ही अंदर इस तरह की बातें करने में भी शर्म महसूस हो रही थी और वह भी अपने बेटे के साथ तो इस तरह की बातें करने के बारे में सोच कर उसके बदन में गनगनी सी छा जाती थी।




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ऐसे ही एक दिन घूमता फिरता हुआ वह सोनू की चाची के घर पहुंच गया लेकिन शायद उसकी किस्मत अच्छी नहीं थी घर पर सोनू की चाची तो मौजूद थी लेकिन उसके साथ सोनू भी मौजूद था,,, और सोनू को देखकर सूरज मन ही मन बहुत गुस्सा कर रहा था और यही हाल सोनू की चाची का भी था क्योंकि इस समय सोनू की चाची के साथ सिर्फ सोनू ही था अगर इस समय सोनू ना होता तो शायद सोनू की चाची इस समय अपनी मनसा पूरी कर लेती,,, फिर भी सोनू की चाची सूरज को देखकर खुश होते हुए बोली।

अरे आओ सूरज बेटा बहुत दिनों बाद घर पर आए हो। लगता है रास्ता भूल गए थे क्या,,,?

अरे नहीं चाची ऐसी कोई बात नहीं है,,, यहां से गुजर रहा था तो सोचा चलो सोनू से मिलने चलो बहुत दिनों से सोनू से मिला नहीं हुं,,,,





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आजकल तबीयत थोड़ी सही नहीं थी इसलिए घर पर ही हूं,,,(सूरज की बात सुनकर सोनू बोला जो की खटिया पर लेटा हुआ था उसकी बात सुनकर सूरज हैरान होता हुआ बोला,,)

क्या हुआ तुझे तभी मैं सोचूं कि दिखता कीसलिए नहीं है,,,।

बुखार आ रहा है,,,।

कितने दिन से आ रहा है,,,?(उसके पास बैठता हुआ सूरज बोला तो उसकी बात सुनकर सोनू की चाची बोली,,)

पांच छः दिन हो गए हैं दवाई भी लाए थे लेकिन फिर वही हालत हो जाती है,,,।

मैं एक वेद जी को जानता हूं बड़ी अच्छी दवाई देते हैं एक बार में ही आराम हो जाएगा।


यह तो अच्छी बात है कहां रहते हैं वेद जी,,,?(एकदम उत्साहित होते हुए सोनू की चाची बोली)





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यही अपने बाजार के आगे बहुत अच्छी दवा देते हैं।

(सूरज की बात सुनकर सोनू की चाची के मन में ढेर सारे ख्याल आने लगी और वह तुरंत बोली)

चल चल कर ले आते हैं,,,।

अभी चलोगी,,,


हां अभी चलते हैं बहुत परेशान हो गया है सोनु ,,

तब ठीक है चलो चलते हैं,,, लेकिन सोनू,,(ऐसा कहते हुए सूरज भी कुछ सोचने लगा और सोते हुए बोला) सिर्फ बुखार ही आता है ना..

हां सिर्फ बुखार हीआता है,,,।(सोनू की चाची तपाक से बोली,,)

तब तो ठीक है बात कर ही दवा मिल जाएगी वेद जी से सोनू का जाना जरूरी नहीं है,,,।
(सूरज की बात सुनकर मन ही मन सोनू की चाची प्रसन्न होने लगी क्योंकि दोनों को अकेले वहां जाना था,,, लेकिन सोनू को शंका न हो इसलिए वह बोली)






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बाजार से थोड़ा सामान भी लाना है इसी समय दोनों काम भी हो जाएगा रुक में तैयार होकर आती हुं,,,।

ठीक है चाची,,,, मैं यहीं बैठा हूं,,।
(सोनू की चाची अंदर कमरे में जा चुकी थी तैयार होने के लिए और सूरज सोनू के पास बैठा हुआ था और सोनू की हालत को देखकर मुस्कुराता हुआ बोला,,)

साले तू तो अपनी चाची की लेना चाहता था,,, लेकिन तेरी हालत देखकर लगता है कि खाली हिला हिला कर बीमार हो गया है ऐसी हालत में तो तू अपनी चाची की ले भी नहीं सकता,,,।

तुझे यही मौका मिला है मेरा मजाक उड़ाने का एक तो पैसे ही में तकलीफ में हूं और तू जले पर नमक छिड़क रहा है,,,।

नमक नहीं छिड़क रहा है तेरी हालत के बारे में बता रहा हूं अच्छा सा चीज बताना तूने कभी अपनी चाची को बिना कपड़ों के एकदम नंगी देखा है।





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क्या बात कर रहा है तु ,,(एकदम से गुस्से में सूरज की तरफ देखते हुए सोनू बोला,,)

अरे मैं सिर्फ पूछ रहा हूं बात तो सही क्या कभी ऐसा मौका मिला कि अपनी चाची बिना कपड़ों के देखा हो।

नहीं यार ऐसा मौका कभी नहीं मिला बस एक बार नहाते हुए देखा था और वह भी पेटिकोट पहन कर अपना पेटिकोट उतार रही थी इसलिए ज्यादा कुछ दिख नहीं बस नंगी नंगी,, टांगे ही दिखी।

बस नंगी टांगे देखकर ही तू अपनी चाची को चोदना चाहता है अगर पूरी नंगी देख लेता तो मुझे लगता है कि तू जबरदस्ती कर लेता,,, वैसे सच कहूं तो तेरी चाची है मजेदार,,,,।


चल ज्यादा कुछ करने की सोचना भी नहीं,,, वह ऐसी वैसी नहीं है।

इसलिए मैं तो तुझसे पूछ रहा था क्या तेरा मामला आगे बड़ा कि नहीं क्योंकि मैं जानता हूं तेरी चाची बहुत गुस्से वाली है अगर दिमाग सटक गया तो बहुत मारेगी इसलिए तो कोई कुछ करने के बारे में सोच भी नहीं सकता,,,।
(सूरज के मुंह से इतना सुनकर सोनू को तसल्ली होने लगी और उसके चेहरे पर मुस्कुराहट तैरने लगी उसे इस बात की खुशी थी कि सूरज उसकी चाची के साथ ऐसा वैसा कुछ भी करना नहीं चाहता है,,, इसलिए बोला)


इसलिए तो कहता हूं चाची बहुत खड़ूस है अगर कुछ करने की कोशिश किया या कुछ ऐसी वैसी हरकत किया तो सीधा तेरी मां से बता देगी बिल्कुल भी शर्माएगी नहीं,,,।

ना बाबा ना,,, तेरी चाची के साथ कुछ ऐसा वैसा करने की मैं सोच भी नहीं सकता मुझे मार नहीं खाना है और वैसे भी तेरी चाची कि मैं बहुत इज्जत करता हूं इस बारे में सोच भी नहीं सकता समझा ना ,, तू आराम कर में पानी पीकर आता हूं,, ,(इतना कहकर सूरज खटिया पर से उठ कर खड़ा हो गया और कमरे की तरफ अंदर जाने लगा सोनू को इस बात की तसल्ली थी कि सूरज उसकी चाची के साथ ऐसी वैसी कोई हरकत नहीं करेगा जैसा कि वह खुद अपनी चाची के साथ करना चाहता है इसलिए उसके मन में तसल्ली थी और उसे बिल्कुल भी शक नहीं हुआ था कि उन दोनों के बीच भी कुछ पड़ा है देखते देखते सूरज कमरे में प्रवेश कर गया,,,,

कमरे में प्रवेश करते ही देखा तो सोनू की चाची कपड़े बदल रही थी कमर के नीचे पेटिकोट तो था लेकिन ऊपर कुछ भी नहीं था और वह ब्लाउज हाथ में लेकर उसे पहनने वाली थी कि सूरज को अपनी आंखों के सामने देख कर एक पल के लिए तो वह घबरा गई और ब्लाउज से ही अपनी चूची को ढकने की कोशिश करने लगी लेकिन जैसे ही उसे एहसास हुआ कि दरवाजे पर सूरज है तो वह निश्चित हो गई और मुस्कुराते हुए बोली,,,

यहां क्या करने आया है आ तो रही थी,,,,।

उस दिन की मुलाकात शायद अधूरी रह गई थी,,,(दरवाजे पर खड़े होकर बाहर की तरफ देखते हुए सूरज बोल तो उसकी बात को सोनू की चाची समझ गई और मुस्कुराने लगे और उसकी बात का मतलब समझते ही अपनी छाती पर से अपने ब्लाउस को हटा दी जो कि उसके हाथ में ही थी उससे पहले नहीं थी और एक बार फिर से सूरज की आंखों के सामने सोनू की चाची की खरबूजे जैसी गोल गोल चूचियां एकदम से उजागर हो गई जिसे देखकर सूरज की आंखों में चमक बढ़ने लगी और वह एकदम से मुस्कुराते हुए आगे बढ़ते हुए बोला)

सच में चाची उसने तुम्हारी च को हाथ में लेकर मुझे तो ऐसा ही लग रहा था जैसे पूरी दुनिया मेरे हाथ में आ गई हो बहुत मजा आ रहा था लेकिन चाचा जी के यहां जाने पर सारी हसरत खत्म हो गई,,,(ऐसा कहते हुए वह सोनू की चाची के एकदम करीब पहुंच गया,,,, और प्यासी नजरों से उसकी दोनों चूचियों को घूरने लगा तो मुस्कुराते हुए सोने की चाची उसकी तरफ देखकर बिना कुछ बोले अपनी दाईं छाती पर आगे की तरफ कर दी और उसका इशारा बातें ही सूरज की आंखों में वासना की चमक नजर आने लगी और वह तुरंत,,, बिना कुछ सोचे समझे अपने प्यास होठों को उसकी चूची पर रख दिया और उसकी गुलाबी हो चली खजूर को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया सोनू की चाची सूरज की हरकत से एकदम से गन गना गई,,, और उत्तेजना के मारे उसके हाथ में से ब्लाउज छूकर नीचे जमीन पर गिर गया।

सूरज पागलों की तरह एक हाथ उसकी कमर में डालकर उसे अपनी तरफ खींच कर उसकी चूची का रसपान करने लगा और सोनू की चाची भी मदहोश होते हुए उसके कंधे पर हाथ रखकर उसका हौसला बढ़ाने लगी और देखते ही देखते कुछ देर बाद अपनी दूसरी चूची को भी अपने हाथ से पकड़ कर उसके मुंह की तरफ आगे बढ़ा दिया और सूरज पहले वाली चुची पर से मुंह हटाकर दूसरी वाली चुची को मुंह में लेकर पीना शुरू कर दिया,,, सूरज पागल हुआ जा रहा था उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आ गया था जिसका एहसास सोनू की चाची को हो रहा था और वह अपना हाथ उसके पजामे पर रखकर पजामे के ऊपर से ही उसके लंड को दबोचने लगी और सोनू की चाची की ईस हरकत से वह पूरी तरह से मदहोश हो गया मन तो उसका कर रहा था कि इसी समय उसे दीवार से सटाकर अपने लंड को उसकी बुर में डाल दे लेकिन जल्दबाजी करना ठीक नहीं समझ रहा था इसलिए अपने मां पर काबू किए हुए था।

सूरज पागलों की तरह बारी-बारी से उसकी दोनों चूचियों को पीने का मजा ले रहा था लेकिन जानता था कि समय बहुत कम है इसलिए हाथों से अलग करते हुए बोला,,।

चाची सोनू से तो मैं यह कह कर आया था कि पानी पीकर आता हूं लेकिन तुमने अपना दूध पिला कर मुझे मस्त कर दि हो,,,,।

तूने भी मुझे मस्त कर दिया है,,,(गहरी सांस लेते हुए ब्लाउज को अपने हाथ में डालते हुए बोली,,,,,)

तुम सच में बहुत खूबसूरत हो चाची,,, तुम्हें देखे बिना रहा नहीं जाता इसलिए तो एक बहाने से तुमसे मिलने आया था आजकल तुम खेत में भी नहीं मिल रही हो,,, खेत में भी रोज जाता हूं लेकिन वहां तो सोनू की मां होती है इसलिए वहां से चला जाता हूं आज रहा नहीं गया तो तुमसे मिलने यहां चला आया,, ,।


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अच्छा किया जो तु यहां आ गया,,,(अपने ब्लाउज का बटन बंद करते हुए बोली ,,,,) मेरा भी मन तुझसे मिलने के लिए बहुत तड़प रहा था,,, लेकिन सोनू के कारण में खेत में भी नहीं जा सकती लेकिन अब तेरे साथ बाजार तक चलकर मुझे बहुत अच्छा लगेगा।

मुझे भी बहुत अच्छा लगेगा,,,।

वैसे तेरा लंड बहुत जल्दी खड़ा हो जाता है,,,(ब्लाउज का आखिरी बटन बंद करते हुए अपनी नजर नीचे करके सूरज के पजामे की तरफ देखते हुए बोली,,, उसकी बात सुनकर सूरज थोड़ा सा शर्मा गया और अपने हथेली को अपने पजामी पर रखकर अपने तंबू को छुपाने की कोशिश करते हुए बोला,,,)

यह सब तुम्हारी चुचियों का नतीजा है इसीलिए खड़ा हो जाता है,,,।
(उसकी बात सुनकर सोनू की चाची मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए बोली)

जा पीछे जाकर पानी पी ले देर हो रही है वरना सोनू की मां आ गई तो कहीं बाजार जाना मुश्किल ना हो जाए और मेरी जगह वह खुद चल दे ,,


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हां चाची तुम सही कह रही हो मैं अभी पानी पीकर आता हूं ,,,(और इतना कहकर सूरज घर के पीछे की तरफ चल दिया जहां पर वह पहली बार सोनू की चाची के पीछे-पीछे आया था और उसे पेशाब करते हुए देखकर मत हो गया था जल्दी से सूरज पानी पीकर वापस सोनू के पास आ गया जहां पर तैयार होकर पहले से ही सोनू की चाची खड़ी थी और जाने से पहले सोनू को हिदायत देते हुए बोली।)

सोनू मैं जा रही हूं दवा लेने दीदी आए तो बता देना कि मैं वेद जी के वहां दवा लेने गई हूं और घर का थोड़ा सामान भी लेकर आ जाऊंगी।

ठीक है चाची जाओ,,,,

(और दोनों निकल गए बाजार की तरफ)
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गया सुरज के साथ की हरकतों से बहक गयी सुनैना अपने ही मन से द्वंद्व कर रही हैं वही सुरज सोनु की चाची को पेलने की पुरी तयारी कर के उसके साथ बाहर जा रहा हैं तो सोनु की चाची भी सुरज के नीचे आने के लिये तडप रही हैं
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
 

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सोनू की चाची और सूरज दोनों वेद जी के वहां दवा लेने के लिए निकल गए थे, सोनू को इस बात का अहसास तक नहीं था कि उसकी खुद की चाची सूरज के आकर्षण में पूरी तरह से बंध चुकी है , और अगर उसे दिन खेत में मड़ई के अंदर उसके चाचा नहाते तो शायद उसी दिन उसकी चाची सूरज के लंड को अपनी बुर में ले ली होती,,, इसीलिए तो सोनू की चाची झट से उसके साथ चलने के लिए तैयार हो गई थी इस सफर के दौरान उसे इस बात की उम्मीद थी कि उन दोनों का काम आगे बढ़ सकेगा। सोनू तो बीमार होकर खटिया पर पड़ा था लेकिन उसकी चाची सूरज के साथ मिलकर घमासान चुदाई करवा कर खटिया तोड़ देना चाहती थी।



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सूरज और सोनू की चाची दोनों घर से बाहर निकल चुके थे दोपहर का समय था और शाम से पहले दोनों ए भी जाते क्योंकि बाजार को ज्यादा दूर नहीं था। दोपहर का समय होने की वजह से लोग अपनी-अपने घरों में आराम कर रहे थे और सोनू की चाची सूरज के साथ धीरे-धीरे कच्ची सड़क से होते हुए गांव से बाहर निकल चुकी थी वैसे भी सूरज के साथ चलते हुए वह इधर-उधर देख ले रही थी कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है लेकिन जेठ की गर्मी में लोग अपने-अपने घरों में आराम कर रहे थे इसलिए उन्हें कोई भी देखने वाला नहीं था। दोनों के बीच अभी किसी भी प्रकार की बातचीत नहीं हो रही थी दोनों खामोश ही थे सूरज जो कि सोनू की चाची के पीछे-पीछे चल रहा था वह बात की शुरुआत करना चाहता था लेकिन कैसे करें उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था लेकिन इस दौरान भी उसकी नज़रें सोनू की चाची की मटकती हुई गांड पर ही टिकी हुई थी,,,। कसी हुई साड़ी में उसके नितंबों का उपाय कुछ ज्यादा ही अपना आकर्षण बिखेर रहा था,,,। वैसे भी सूरज की सबसे बड़ी कमजोरी बन गई थी औरतों की बड़ी-बड़ी गांड।



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जिसे देखकर वह हमेशा मस्त हो जाता था और पल भर में ही उत्तेजना उसके दिलों दिमाग पर छा जाती थी ऐसा अक्सर अब होने लगा था घर में भी अपनी मां और अपनी बहन दोनों की गांड को देखकर वह कई बार पजामे के ऊपर से ही अपने खड़े लंड को दबा दिया था,,, वैसे तो उसकी मां की तुलना में उसकी बहन की गांड ज्यादा बड़ी और भरावदार बिल्कुल भी नहीं थी,, लेकिन फिर भी आकर्षक बहुत थी क्योंकि वह अपनी दो मर्तबा तो पेशाब करते हुए देख चुका था और बैठने के बाद जो उसकी गांड का उभार बाहर की तरफ नदी के पत्थर की चिकनाहट लिए हुए नजर आती थी उसे देखकर तो किसी का भी लंड खड़ा हो जाए,, और पूरी तरह से मगन अवस्था में तो वहां पूरी तरह से स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा ही की तरह दिखती थी। और सूरज के लिए यह तय कर पाना मुश्किल हो जाता था कि उसकी मां की गांड ज्यादा खूबसूरत है या उसकी बहन की लेकिन वह इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि दोनों की गांड का एक लगाकर सुन जिसे देखकर वह एकदम मस्त हो जाता था।




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और इस समय ऐसी हालत में वही नशा वही मादकता सोनू की चाची की मदमस्त कर देने वाली गांड में नजर आ रही थी कई हुई साड़ी में उसकी गांड मटकती थी तो ऐसा लगता था कि जैसे दो बड़े-बड़े तरबूज उसके पीछे बांध दिए गए हो क्योंकि आपस में उसकी गांड की रगड़ कसी हुई साड़ी में एकदम साफ नजर आती थी और ऐसा लग रहा था कि जैसे सोनू की चाची ने जान बूझ कर साड़ी को कस के बांधी हो ताकि वह उसे देख सके और मस्त हो सके,,, बात की शुरुआत तो करनी ही थी क्योंकि बिना बात चीत किए बिना मजा नहीं आने वाला था , क्योंकि सूरज मौका भी तो ऐसा ही ढूंढ रहा था कि सोनू की चाची के साथ वक्त बिताया जा सके इसलिए वह आगे आगे चल रही सोनू की चाची से मुखातिब होता हुआ बोला,,,।




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क्या बात है चाचा बड़ी जल्दी-जल्दी भागी चली जा रही हो कुछ ज्यादा जल्दी है क्या,,,?

(सूरज की है बात सुनकर सोनू की चाची मंद मंद मुस्कुराने लगी,,, क्योंकि वह भी यही चाहती थी कि दोनों के बीच बातचीत की शुरुआत हो ताकि बात कुछ आगे बढ़ सके वैसे भी सोनू की चाची ने सूरज के लिए काफी इशारा दे दिया था जिसे सूरज को तो खुद ही आगे बढ़ जाना चाहिए था लेकिन मड़ई वाले वाक्ये से सोनु की चाची को इतना एहसास हो गया था कि सूरज को औरतों के अंगों के भूगोल के बारे में ज्यादा कुछ मालूम नहीं है क्योंकि सोनू की चाची को ऐसा ही लग रहा था कि उसने जिंदगी में पहली बार किसी औरत की नंगी चूची को देखा था और अपने हाथों में पकड़ कर दबाया था जो कि यह बिल्कुल गलत था सूरज जानबूझकर सोनू के चाचा से ज्यादा ना चाहता था कि इससे पहले उसने कभी भी औरत को नंगी नहीं देखा था ना ही उनके अंगों को।



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और उसकी बात में सोनू की चाची पूरी तरह से आ चुकी थी इसीलिए वह ऐसा ही समझ कर सूरज को अपनी चूची दिख रही थी मानो पहली बार किसी लड़के को दिखा रही हो और सूरज भी अनजान बनता हुआ पहली मर्तबा का अनुभव दिखाते हुए जैसा-जैसा सोनू की चाची बोल रही थी वैसा वैसा हुआ कर रहा था ताकि उसे बिल्कुल भी सपना हो कि सूरज औरतों के मामले में उसकी सोच से 10 कदम आगे निकल चुका है इसी में तो उसे मजा आ रहा था। सोनू की चाची का दिल जोरो से धड़क रहा था क्योंकि वह देखते ही देखते गांव से बाहर और घनी झाड़ियां के बीच चल रहे थे छोटी-छोटी ऊंची नीची पगडंडी और अगल-बगल घनी झाड़ियां बड़े-बड़े पेड़ दोनों तरफ से सड़क को ढके हुए थे जिससे गर्मी का एहसास नहीं हो रहा था और शीतल हवा चल रही थी।




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अभी कुछ देर पहले ही सोने की चाची भी अपनी बड़ी-बड़ी चूचीयो को एक बार फिर से सूरज के हाथों में सौंप दी थी और सूरज भी सोनू की चाची का आज्ञा पाकर दोनों बड़ी-बड़ी चूचियों को बारी-बारी से अपने हाथों में लेकर उसे मुंह में भरकर चूस रहा था पी रहा था और यह एहसास सोनू की चाची की बुर गीली करने के लिए काफी थी,,,,, और इसीलिए तो सोनू की चाची इस खेल में आगे बढ़ना चाहती थी अपनी जवानी का जलवा दिखा कर सूरज को अपनी जवानी का दीवाना बनाकर उसे गुलाम बनाना चाहती थी ताकि जब चाहे तब वह अपनी जवानी की प्यास उसे के साथ बुझा सकती थी और अपनी मां बनने की ख्वाहिश भी पूरी कर सकती थी वरना सूरज का साथ और उसका सहकार लिए बिना उसका ख्वाब कभी पूरा होने वाला नहीं था।





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जल्दी नहीं है लेकिन देख रही हूं कि तू कुछ बोल ही नहीं रहा है इसलिए मैं जल्दी चली जा रही हूं नहीं तो देख तो सही कितना सुहाना मौसम है जेठ की गर्मी होने के बावजूद भी यहां कितनी ठंडक है,,,।(एकदम से रुक कर सूरज की तरफ घूम कर मुस्कुराते हुए बोली उसकी बात सुनकर सूरज भी मुस्कुराते हुए बोला)

बात तो सही कह रही हो चाची लेकिन मैं तुमसे बात क्या करूं मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है।

अरे कुछ भी बात कर मैं तुझे कुछ कहने वाली थोड़ी हूं और वैसे भी तुझे कह दूंगी तो मुझे बहुत अच्छा लगते हैं इसलिए तो तेरे साथ यहां आने के लिए तैयार हो गई वरना मैं किसी के भी साथ बाजार नहीं जाती।

सोनू के साथ भी नहीं,,,।




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सोनू भी उसके चाचा की तरह ही एकदम निकम्मा है। लेकिन तू बहुत काम का है,,,। आज उसे बड़े पेड़ के नीचे थोड़ी देर बैठते हैं और पास में ही कितना अच्छा तालाब है ठंडी ठंडी हवा आ रही है चल कुछ बातें करते हैं।

ठीक है चाची जैसा तुम ठीक समझो,,, तुम्हारा यह सुझाव मुझे भी अच्छा लग रहा है क्योंकि थोड़ी देर बाद यह बड़े-बड़े पेड़ खत्म हो जाएंगे और फिर धूप में चलना पड़ेगा तब मजा नहीं आएगा।

तभी तो कह रही हूं अाजा,,,(इतना कहते हुए सोनू की चाची यहां के आगे चलते हुए कच्ची सड़क से नीचे उतरकर एक बड़े से पेड़ के नीचे पहुंच गई उसके पास में ही एक बड़ा सा तालाब भी था वाकई में जगह बहुत खूबसूरत थी और ऐसी जगह थी जहां पर खूबसूरत औरत और एक जवान लड़का हो तो दोनों के बीच कुछ भी हो सकने की संभावना बढ़ जाती है,,, सूरज भी उसके पीछे-पीछे बड़े से पेड़ के पास पहुंच गया,,,, सोनू की चाची नीचे जमीन पर इधर-उधर देख रही थी सूरज समझ गया कि यह बैठने के लिए जगह निश्चित कर रही है इसलिए वह बैठती इससे पहले ही बोला,,,)




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रुको चाची ऐसे नहीं,,,,(और इतना कहकर इधर-उधर अपनी नजर घूमाने लगा सोनु की चाची को भी समझ में नहीं आया कि यह क्या कर रहा है,,,, लेकिन थोड़ी ही देर में इधर-उधर से सूरज जल्दी-जल्दी सूखी हुई घास और टूटे हुए पत्तों को इकट्ठा करके बड़े से पेड़ के नीचे रख दिया और बोला,,,)


अब बैठ जाओ,,,,

(उसकी हरकत और उसकी बात सुनकर सोनू की चाची मुस्कुराने लगी और उसे मुस्कुराता हुआ देखकर सूरज भी मुस्कुराते हुए बोला,,,)

मैं समझ गया था कि तुम बैठने के लिए जगह ढूंढ रही हो और मुझे पूरा यकीन नहीं की तुम्हारी खूबसूरत नरम नरम चूचियों की तरह तुम्हारी गांड भी एकदम नरम होगी,,,,,,, इसलिए तुम्हें बैठने में किसी प्रकार की चुभन ना हो इसलिए नरम नरम बिछोना भी लगा दिया,,,।






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हाय दइया तू तो कितना सोचता है मेरे बारे में,,,(एकदम से मुस्कुराते हुए सोनू की चाची बोली सूरज की यह हरकत उसे बहुत अच्छी लगी थी इसलिए वह भी मुस्कुराते हुए सोई हुई घास पर अपनी बड़ी-बड़ी गांड रखकर बैठ गई.. और अपने पास में ही इशारा करते हुए बोली)

तू भी बैठ जा,,,।
(औरतों की संगत में सूरज औरतों को अच्छी तरह से समझने लगा था और वह भी तो सोनू की चाचा जैसी औरतें की संगत पाने के लिए हमेशा मचलता रहता है इसलिए उसका सारा पाते हैं एकदम से उसके पास में बैठ गया और इस तरह से बैठा कि उसका बदन उसके बदन से एकदम से स्पर्श होने लगा,,,, सोनू की चाची अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,)




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क्या तुझे सच में मेरी चूचियां नरम नरम लगती है,,,!(एकदम से अपनी चूचियों की तरफ देखते हुए सोनू की चाची बोली और वह इस तरह से सूरज का भी ध्यान अपनी चूचियों पर लाना चाहती थी और सूरज का ध्यान भी एकदम से उसकी छाती की तरफ चला गया था जिसे वह तिरछी नजर से देखते हुए बोला)

सच में चाचा देख कर तो बिल्कुल भी नहीं लगता था की चूचीया इतनी नर्म होती है,,, वह तो तुम्हारी चूची को हाथ में लेकर दबाने पर ही पता चला कि सच में एकदम कठोर दिखाने वाली चूंचियां कितनी नरम होती है,,,,(एकदम से उत्साहित होता हुआ सूरज बोला ,, उसकी बात सुनकर मुस्कुराते हुए सोनू की चाची बोली,,)

सच कहूं तो औरतों का बदन किसी रहस्य से कम नहीं होता है,,,जब तक उसे अपनी आंखों से देख ना लो, उसे छूकर स्पर्श करके महसूस कर ना लो तब तक एक औरत मर्द के लिए हमेशा रहस्य बनी रहती है ,,,।




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तब तो तुम भी मेरे लिए एक रहस्य हो,,।

क्यों तूने तो मेरी चूची दबाया भी है और मुंह में लेकर पिया भी है,,,।

सिर्फ चुची ही,,, और तो सारे अंग अभी भी मेरे लिए किसी रहस्य से कम नहीं है,,,।


इसका मतलब तुम मेरे सारे अंगों को देखना चाहता है मेरे बदन का हिस्सा मेरे बदन का कोना-कोना देखना चाहता है,,,।

सच कहूं तो चाची तुम्हारी खूबसूरती मेरी आंखों को भाग गई है तो मुझे अच्छी लगती हो और इसीलिए ना जाने क्यों तुम्हें बिना कपड़ों के देखने का मन करता है।
(सूरज की बात सुनकर सोनू की चाची मुस्कुराने लगी क्योंकि सूरज उसके मन की ही बात कर रहा था ऐसा लग रहा था कि धीरे-धीरे दोनों की गाड़ी पटरी पर आ रही थी और सोनू की चाची भी यही चाहती थी क्योंकि पटरी पर गाड़ी के आने से ही वह अपनी मंजिल तक पहुंच सकती थी वरना राग भटकने का डर पूरी तरह से बना हुआ था,,,, सूरज की बातें उसके बदन में उत्तेजना की लहर पैदा कर रही थी खास करके इसकी दोनों टांगों की पतली दरार में तो तूफ़ान उठता हुआ महसूस हो रहा था क्योंकि सूरज पूरी तरह से एक जवान लड़का था जवानी की दहलीज पर अभी-अभी कदम रखा था और सोनू की चाची अच्छी तरह से जानती थी कि इस उम्र में एक जवान लड़का कितना मजा देता होगा इस बात को सिर्फ और सोच ही सकती थी इसका अनुभव अभी उसे बिल्कुल भी नहीं था लेकिन जवान लंड कितना कड़क और दमदार होगा इसका एहसास उसे अच्छी तरह से था भले ही इसका आनंद कभी भी ना ले सकी हो। सूरज की बात सुनकर मुस्कुराते हुए बोली।)


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हाय भैया तू तो बहुत चालू है मैं तो तुझे सीधा-साधा समझती थी।

सीधा-साधा हूं तभी तो मुझे नहीं मालूम की औरतों के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए किस तरह से पेश आना चाहिए उनसे कैसे प्यार करना चाहिए लेकिन जो कुछ भी तुमने मड़ई में की और अपने घर पर अपनी चूची पिलाई यह सब महसूस करके मुझे विश्वास है कि तुम मुझे इसके आगे का भी सुख दोगी जो मुझे पूरी तरह से तुम्हारा दीवाना बना देगा और तुम्हारा गुलाम भी,,,(सोनू की चाची सूरज की बातों को बड़ी गौर से सुन रही थी सूरज की आंखों में उसे सच्चाई और मासूमियत नजर आ रही थी जबकि वह नहीं जानती थी कि सूरज उसकी सोच से 10 कदम आगे था वह औरतों के साथ मजे ले चुका था और औरतों को समझने लगा था वह समझ गया था कि सोनू की चाची एकदम चुदवाती है और किसी भी तरीके से उससे चुदवाना चाहती है,,, वरना वह सोनू की चाची से इस तरह की बातें कभी ना करता,,,, सोनू की चाची उसे बड़े गौर से देखते हुए बोली,,,)

मतलब साफ है कि तू मुझे बिना कपड़ों के देखना चाहता है,,,।

बिल्कुल सही चाचा अगर तुम चाहो तो।



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अच्छा यह बताओ बिना कपड़ों के देखने के बाद तु क्या करेगा,,,.?(मुस्कुराते हुए सोनू की चाची बोली वह अपने सवाल से सूरज के जवाब को सुनना चाहती थी वह देखना चाहती थी कि सूरज को औरतों के बारे में उनके बीच के रिश्ते के बारे में वाकई में कुछ खबर है या जानबूझकर नादान बनने की कोशिश कर रहा है सूरज भी खेल खाया मर्द हो चुका था इसलिए उसकी इस तरह की बात का जवाब देते हुए वह बोला)

मैं तुम्हें बिना कपड़ों की देखूंगा तुम्हारा बदन के हर एक अंक को देखूंगा क्योंकि मुझे मालूम है कि तुम्हारे बदन का हर एक अंग बेहद आकर्षक और खूबसूरत होगा क्योंकि अभी तक मैंने सिर्फ तुम्हारी खूबसूरत चेहरे को और तुम्हारी खूबसूरत चूचियों को देखा हूं जोकि बेहद खूबसूरत और बेहद आकर्षक है सच कहूं तो पूरे गांव में मैं तुम्हारी जैसी खूबसूरत औरत नहीं देखा तुम्हारा चेहरा कितना खूबसूरत एकदम भरा हुआ गोल-गोल चेहरा लंबी तीखी नाक ,,, लाल-लाल होठ ,,,, सच में बहुत खूबसूरत लगती है तभी तो तुम्हें देखता हूं तो देखते ही रह जाता हूं,,,,।



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(सोनू की चाची को सूरज के मुंह से अपनी जवानी अपनी खूबसूरती के तारीफ सुनना बहुत अच्छा लग रहा था और ऐसा उसके साथ पहली बार हो रहा था कि कोई जवान लड़का उसकी खूबसूरती की तारीफ कर रहा था इसलिए तो वह अंदर ही अंदर से गदगद हुए जा रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि सूरज की बातों का वह क्या जवाब दें वह केवल शर्म से अपनी आंखें नीचे झुका दी थी वैसे तो वह सूरज पर अपना लगाम अपने हाथों में ली हुई थी लेकिन इस मामले में वह सूरज से शर्मा गई थी,,,, और उसे शरमाता हुआ देखकर सूरज अपनी बात को आगे बढ़ता हुआ बोला,,,)

देखो शर्माने पर भी कितनी ज्यादा खूबसूरत लगती है सच में तुम बहुत खूबसूरत हो चाची मैं तो तुम्हारा दीवाना हो गया हुं,,,,।


हाय दइया धीरे बोल कोई सुन लेगा तो गजब हो जाएगा ना इधर के रह जाऊंगी ना उधर की,,,(सोनू की चाची इधर-उधर देखते हुए बोली तो सूरज उसे निश्चिंत होने का इशारा करते हुए बोला)

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो यहां पर जल्दी कोई नहीं आता क्योंकि हम लोग दूसरे रास्ते से बाजार की तरफ जा रहे हैं यहां कोई आने वाला नहीं है इसलिए बिल्कुल भी मत करना और मेरे बात की सच्चाई को समझो,,,(सूरज बात ही बात में इस बात का इशारा दे रहा था कि इस जगह पर वह दोनों एकदम अकेले हैं और उन दोनों के सिवा वहां पर कोई आने वाला नहीं है ताकि ऐसे माहौल में सोनू की चाची कोई कामुक हरकत कर सके जिससे दोनों को मजा आ जाए,,, और ऐसा हो भी रहा था सूरज की बात सुनकर सोनू की चाची फिर से इधर-उधर देखने लगी और आश्चर्य जताते हुए बोली,,)



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क्या सच में इधर कोई नहीं आता मेरे को तो बरसों गुजर गए हैं बाजार कभी गई नहीं तभी मैं सोचूं इतनी खूबसूरत जगह पर आखिरकार कोई है कि नहीं और वैसे भी यह गांव से ज्यादा दूर भी नहीं है,,,


सच कह रही हो चाची,,,,,।

(दोनों की बातें अत्यधिक उन्मादक थी,,, जहां पर इस तरह की बातें करके सूरज का लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आ चुका था वहीं दूसरी तरफ इस तरह की बातों का असर सोनू की चाची की दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में हो रहा था,,,और उसे अपनी बुर से मदन रस बहता हुआ महसूस हो रहा था,,, सोनू की चाची को यही मौका सही लग रहा था अपनी इच्छा की पूर्ति के लिए हो जानती थी कि अगर एक बार दोनों के बीच की सारी सीमाएं टूट जाएंगे तो बार-बार दोनों का मिलन होता रहेगा और वह अपने बदन की प्यास भी पूजा पाएगी और अपनी मां की इच्छा को भी पूरी कर लेगी इसलिए उसके मन में कुछ और चल रहा था वह अपनी जवानी का जलवा पूरी तरह से दिखा देना चाहती थी इसलिए वह बोली ,,,)

तू यहीं बैठ में पेशाब करके आती हूं,,,,,।

(इतना सुनते ही सूरज के बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी,,, लेकिन इतना कहकर वह सूरज की तरफ अच्छी नहीं और अपनी जगह से उठकर खड़ी होने लगी,,,)
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
औरतों के मामले में माहिर हो चुका सुरज ने अपने मासुमियत का जाल सोनु की चाची पर फेक कर उसे अपने बातों में फसाकर सोनु की चाची की कामवासना पुरी तरहा से भडकाकर उसका भोग लगाने का समय आ गया वही सोनु के चाची की माँ बनने की इच्छा भी पुरी होने की संभावना सुरज के साथ ही होगी ऐसा लग रहा हैं
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
 
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सूरज बहुत खुश था कि उसे सोनू की चाची के साथ बाजार जाने का मौका मिला था भले ही सोनू की बीमारी का कारण था लेकिन फिर भी यह बीमारी आज उसके लिए आशीर्वाद का काम कर रहे थे क्योंकि सूरज ने कभी सोचा भी नहीं था कि इस तरह से सोनू की चाची के साथ अकेले ही सफर करना होगा और इस सफर के दौरान उसे उसके साथ बातचीत करने का अवसर प्राप्त होगा वैसे तो सोनू की चाची ने जिस तरह का अवसर सूरज को दी थी उसे तरह का अवसर पाकर सूरज अपनी किस्मत पर फुल नहीं समा रहा था लेकिन उसे अवसर का सूरज पूरी तरह से लाभ नहीं ले पाया था इस बात का मलाल उसे बहुत था और इसी अवसर को वह अपनी किस्मत बना देना चाहता था।




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जिस तरह की खुशी सूरज के चेहरे पर दिखाई दे रही थी उसी तरह की खुशी सोनू की चाची के चेहरे पर भी दिखाई दे रही थी,,, सोनू की चाची के मन में उत्तेजना का भाव जागरूक हो रहा था वह किसी भी तरह से अपनी मां की इच्छा को पूरी कर लेना चाहती थी और आज से अच्छा मौका उसे पहले कभी नहीं मिला था आज मौका भी था और दस्तूर भी था और जिस जगह पर दोनों बैठकर आराम कर रहे थे उस जगह पर भी किसी का आना जाना नहीं था,, इसलिए सोनू की चाची इस मौके का फायदा उठा लेना चाहती थी,,, वैसे भी यह ख्याल उसके मन में अभी-अभी नहीं आया था बहुत पहले से उसके मन में सूरज के साथ संभोग सुख प्राप्त करने की इच्छा जाग चुकी थी और उसी के साथ संभोग करके अपनी मां बनने की इच्छा भी पूरी करना चाहती थी सोनू की चाची ,,,। वैसे भी सोनू की चाची इस खेल में कदम आगे बढ़ा चुकी थी सूरज के साथ वह अपनी चुचीयों का स्तन मर्दन करवा चुकी थी,,,।




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इसीलिए तो उसके मन में एक अद्भुत ख्याल आया था जिसके चलते वह अपनी इच्छा पूरी करना चाहती थी इसीलिए तो वह सूरज के सामने एकदम खुलकर पेशाब करने वाली बात की थी क्योंकि इस बात का एहसास उसे भी अच्छी तरह से था कि सारे मर्द किसी न किसी बहाने औरत को बिना कपड़ों के देखने की कोशिश करते हैं और खास करके उन्हें पेशाब करते हुए देख कर तो वह और भी ज्यादा मस्त हो जाते हैं और सोनू की चाची को पक्का यकीन था कि मर्दों की फितरत में सूरज भी शामिल था उसे भी यह सब अच्छा लगता होगा और हो सकता है कि उसे पेशाब करता हुआ देखकर उसकी बड़ी-बड़ी कहां देखकर उसका मन भी उसे चोदने के लिए मचल उठे और उसकी इच्छा पूरी हो जाए।




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इसीलिए तो पूरी तरह से बेशर्मी दिखाते हुए सोनू की चाची सूरज से पेशाब करने वाली बात की थी और अपनी जगह से उठ खड़ी हुई थी। सूरज तो उसके मुंह से पेशाब करने वाली बात सुनकर ही उत्तेजित हुआ जा रहा था ऐसा नहीं था कि वह पहली बार किसी औरत को पेशाब करते हुए देखने जा रहा था इससे पहले भी वह मुखिया की बीवी और मुखिया की लड़की के साथ-साथ अपनी बहन रानी को भी पेशाब करते हुए देख चुका था मुखिया की बीवी की तो बड़ी-बड़ी गांड देखकर ही उसके मन में उत्तेजना के पैर तोड़ने लगी थी और वह मुखिया की बीवी को छोड़ने का ख्वाब देखने लगा था और उसकी इच्छा पूरी भी हुई थी और उसके मन में यही चल रहा था कि काश उसे दिन की तरह आज भी उसे वह सौभाग्य प्राप्त हो जाए तो कितना मजा आ जाए इसलिए सूरज कुछ बोला नहीं और सोनू की चाची को देखने लगा,,।

सोनू की चाची अपनी जगह पर उठकर खड़ी हो गई थी और चारों तरफ नजर घुमा कर देख रही थी उसे इस तरह से देखता हुआ देख कर सूरज बोला।




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चिंता मत करो चाचा यहां पर हम दोनों के सिवा कोई नहीं है कि तुम्हें इस अवस्था में देख सके देख नहीं रही हो चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ है यहां कोई नहीं आता और इस तरह की जेठ की गर्मी में तो यहां आने की कोई सोच भी नहीं सकता और वैसे भी यह रास्ता ना तो बाजार की तरफ जाता है और ना ही यहां किसी का कोई काम है,,,।

क्या सच में यह रास्ता बाजार की तरफ नहीं जाता!(आश्चर्यजताते हुए सोनू की चाची बोली तो उसका जवाब देते हुए सूरज बोला ,,,)

हां बिल्कुल सही यह रास्ता बाजार की तरफ नहीं जाता लेकिन मैं यहां से बाजार जाने का रास्ता जानता हूं इसलिए तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो और जो करना है कर लो,,,,,(अपनी जगह पर बैठे हुए ही सूरज ने बोला)

अच्छा हुआ तूने बता दिया नहीं तो मैं घबरा ही गई थी कि अगर यह रास्ता बाजार की तरफ नहीं जाता तो हम लोग बेवजह इस रास्ते पर क्यों जा रहे हैं,,,(ऐसा कहते हुए सोनू की चाची धीरे-धीरे अपनी कदम आगे बढ़ने लगी और इधर तसल्ली करने के लिए देख भी ले रही थी क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि वाकई में कोई इस अवस्था में उसे देखें देखते ही देखते दश पन्द्रह कदम चलने के बाद वह,, रुक गई और इधर-उधर देखने लगी सूरज जानबूझकर उसके सीधी नजर उसे नहीं देख रहा था बल्कि तिरछी नजर से देख ले रहा था क्योंकि वह चाहता था कि उसे ऐसा ना लगे कि वह उसे देख रहा है लेकिन जिस जगह पर वह खड़ी थी वहां पर वह एकदम साफ दिखाई दे रही थी। औरतों की फितरत से सूरज अच्छी तरह से बाकी हो चुका था इसलिए समझ गया था की सोनू की चाची के मन में भी वही चल रहा है जो मुखिया की बीवी के मन में चल रहा था सोनू की चाची भी बहुत प्यासी है वरना वहां पेशाब करने के लिए ऐसी जगह का चयन न करती जहां से उसे एकदम आराम से देखा जा सके बल्कि झाड़ियां के बीच जाती जहां पर वह दिखाई ना दे,,,।




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मेरी तरफ देखना मत सूरज,,,(दोनों हाथों से साड़ी थाम कर वह बोली,,, इतना तो अच्छी तरह से जानती थी किसके कहने के बावजूद भी भला एक जवान लड़का एक खूबसूरत औरत को पेशाब करते हुए कैसे ना देखें,,, लेकिन फिर भी सोनू की चाची की तसल्ली के लिए सूरज दूसरी तरफ नजर घूमाता हुआ बोला,,)

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो चाची आराम से कर लो,,, मैं नहीं देखूंगा,,,।

(सूरज की बात सुनकर सोनू की चाची अपने मन में ही बोली हरामजादी तुझे देखने के लिए क्या तेरे सामने पेशाब कर रही हूं ताकि जो मेरी नंगी गांड को देख सके और कह रहा है कि मैं नहीं देखूंगा फिर भी अपने मन में इस तरह से बात करते हुए वह अपने आप से ही बोली देखती हूं कैसे नहीं देखता है भला एक जवान औरत की नंगी गांड को देखने से एक मर्द कैसे इंकार कर सकता है,,, और इतना अपने मन में सोचते हुए वह धीरे-धीरे अपनी साड़ी को कमर की तरफ उठाने लगी अभी तक सोनू की चाची नजर पीछे घूमाकर सूरज की तरफ नहीं देखी थी लेकिन सूरज तिरछी नजरों से सोनू की चाची को ही देख रहा था और उसका इस तरह से अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठाना उसे उत्तेजित कर रहा था वह मदहोश हुआ जा रहा था,,,,।)





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देखना नहीं सूरज मुझे बहुत शर्म आती है,,,।(सूरज की तरफ बिना देखे ही अपनी साड़ी को अपने घुटनों तक उठाते हुए वह बोली,,, बार-बार वह ऐसा कहकर सूरज का ध्यान अपनी तरफ ही करना चाहती थी और सूरज कोई सीधा-साधा लड़का तो था नहीं औरतों की संगत में वह पूरा मर्द बन चुका था और ऐसे हालात में उसे क्या करना है वह अच्छी तरह से जानता था इसलिए उसके कहने के बावजूद भी हुआ है उसकी नंगी गांड को देखना चाहता था उसके रस को अपनी आंखों से पीना चाहता था वह देखना चाहता था की सोनू की चाची की नंगी गांड कैसी दिखाई देती है इसलिए उसकी बात का मान रखते हुए वह बोला,,,)

बिल्कुल भी नहीं चाची तुम बेफिकर रहो,,,।
(ईतना कहकर वह अपने मन मे हीं बोला साली एक बार साड़ी कमर तक उठाकर अपनी गांड तो दिखा मैं भी तो देखूं कितनी जवानी भरी है तेरे में,,,,, सूरज का दिल जोरों से धड़क रहा था,,, उसकी आंखों के सामने जवानी से भरी हुई औरत अपनी साड़ी कमर तक उठाकर पेशाब करने के लिए बैठने वाली थी,,, ऐसे हालात मर्दों के सामने बहुत कम बार ही आते हैं लेकिन सूरज की आंखों के सामने इस तरह का नजारा बार-बार समय दर समय पर दिखाई दे ही जाता था और इस तरह का नजारा देकर उसकी उत्तेजना परम शिखर पर पहुंच जाती थी आज एक बार फिर से जवानी से भरी हुई औरत उसकी आंखों के सामने थी जो की पेशाब करने जा रही थी इसलिए वह बेशब्र होता जा रहा था,,,,




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सोनू की चाची का दिल भी जोरों से धड़क रहा था क्योंकि अपने जीवन में पहली बार वह किसी जवान लड़के की आंखों के सामने जानबूझकर पेशाब करने के लिए बैठने जा रही थी और वह भी अपनी नंगी गांड दिखाते हुए वरना अक्सर वह पेशाब करने जब भी बैठी थी तब वह अपनी साड़ी से अपनी नंगी गांड को ढके रहती थी लेकिन आज वह पहले से ही अपने मन में निश्चय कर ली थी कि ऐसा हुआ नहीं करेगी अपनी साड़ी को पूरी तरह से कमर तक उठाकर अपनी नंगी गांड दिखाते हुए पेशाब करेंगे ताकि उसकी बात बन सके इसलिए तो उसका दिल जोरो से धड़क रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अब कैसे आगे बढा जाए और आगे बढ़ने का यही बस एक रास्ता उसे नजर आ रहा था,,, और उसे पर वह अग्रसर थी।




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घुटनों तक ऊठी हुई साड़ी धीरे-धीरे ऊपर की तरफ जा रही थी और उसकी मोटी तगड़ी जांघ नजर आने लगी थी जो कि एकदम मक्खन की तरह चिकनी दिखाई दे रही थी उसकी मोटी तगड़ी जांघ को देखकर उसे पर सूरज का इनाम फिसल रहा था। सोनू की चाची अपने तन बदन में उत्तेजना की लहर उठती हुई महसूस कर रही थी और वही लहर सूरज के भी बदन में उठ रही थी देखते ही देखते सोनू की चाची का नितंबों का निचला स्तर लकीर दिखाई देने लगा जिसे देखते ही सूरज से रहा नहीं गया और पजामे में तने हुए अपने लंड को अपने हाथ से दबाने लगा,,,, एक खूबसूरत औरत को इस तरह से अपने कपड़े ऊपर उठाते हुए उसके अर्धनग्न बदन को देखकर अपने लंड को दबाने में भी एक अद्भुत आनंद की प्राप्ति होती है और इस सुख को सूरज भली भांति अपने अंदर महसूस कर रहा था,,,।




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जेठ की दुपहरी में इस खूबसूरत मनोरम्य दृश्य को सूरज के शिवा देखने वाला दूसरा वहां कोई भी नहीं था सूरज अच्छी तरह से जानता था किस जगह पर कोई आता जाता नहीं है इसलिए वह पूरी तरह से निश्चित था बेहद खूबसूरत नजारा था बड़े-बड़े पेड़ एक छोटा सा तालाब जिसमें पानी भरा हुआ था और उसके किनारे ही सोनू की चाची अपनी साड़ी को धीरे-धीरे उठा रही थी और पेशाब करने की तैयारी कर रही थी भला ऐसा नजारा कहां देखने को मिलता है पड़ेगी भाग्य से इस तरह का नजारा देखने को मिलता है और सूरज इस समय भाग्य का धनी था इसलिए तो वहां अपनी आंखों के सामने जवानी से भरी हुई औरत को पेशाब करते हुए देखने जा रहा था।




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सोनू की चाची से भी रहा नहीं जा रहा था पेशाब करने का नाटक करते-करते वास्तव में उसे बड़े जोरों की पेशाब लगने लगी थी,,, जिसका असर उसके बदन पर अच्छी तरह से दिखाई दे रहा था तीव्रता से पेशाब के असर को वह अपने अंदर दबाने की कोशिश करते हुए अपने एड़ी को ऊपर नीचे कर रही थी,,,, अब उससे भी रहा नहीं जा रहा था लेकिन अपनी साड़ी को पूरी तरह से अपने नितम्बों को उजागर करने से पहले वह नजर घूमाकर सूरज की तरफ देख लेना चाहती थी इसलिए जल्दी से नजर पीछे की तरफ घुमाई तो सूरज को अपनी तरफ ही देखता हुआ पाकर वह अंदर ही अंदर एकदम प्रसन्न हो गई लेकिन सूरज की चोरी पकड़ी गई थी इसलिए वह अपनी साड़ी को कमर से ऊपर तक उठाने से पहले एक बार फिर से बोली,,,




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क्या सुरज तु तो मेरी तरफ ही देख रहा है भला ऐसे में मैं कैसे पैसाब कर पाऊंगी,,,,।


ओहहह ओ,,,,, चाची अनजाने में तुम्हारी तरफ नजर चली गई मुझे लगा कि तुम पेशाब कर ली होगी लेकिन तुम तोअभी तक खड़ी हो जल्दी करो,,,।

क्यों क्या हुआ सीधे बड़ी है क्या आप भी तो बहुत समय है इतनी धूप में जाने जैसा नहीं है,,,।

बात तो तुम सच कह रही हो चाचा मैं भी यही सोच रहा था कि इतनी धूप में निकलना ठीक नहीं है यहां पर आराम हीं करना पड़ेगा जब तक की धूप थोड़ी कम ना हो जाए,,,।

चल ठीक है नजर दूसरी तरफ घूमा ले मुझे बड़ी जोरों की लगी है,,,।




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ठीक है चाची,,,,(ऐसा कहते हुए सूरज अपने मन में ही बोला साली रंडी अपनी चूची को कैसे दबवा रही थी और अभी कह रही है कि शर्म आ रही है,,, कसम से एक बार मौका मिल गया ना तो अपना लंड डालकर इसकी बुर का भोसड़ा बना दूंगा,,,, सूरज दूसरी तरफ नजर घुमा लिया था यह देखकर सोनू की चाची मन ही मन मुस्कुराने लगी क्योंकि वह जानती थी कि पहले ही वह इस समय अपनी नजर घुमा लिया है लेकिन उसे पेशाब करता हुआ जरुर देखेगा उसकी नंगी गांड को देखकर उसका लंड जरूर खड़ा होगा और तब शायद बात बन पाए ,।

और ऐसा सोचते हुए वहां साड़ी को पूरी तरह से अपनी कमर तक उठा ली और उसकी नंगी गांड एकदम से उजागर हो गई छत की दुपहरी में धूप की वजह से उसकी नंगी गांड सुनहरी नजर आ रही थी पूरी तरह से उसकी नंगी गांड सोने से मढी हुई नजर आ रही थी,,,, सूरज भी तिरछी नजर से देख रहा था और उसकी सुनहरी गांड देखकर मन ही मन सोचने लगा कि इसीलिए तो औरत को सबसे अनमोल खजाना कहा जाता है,,, सोनू की चाची की जवानी से भरपूर गांड को देखकर सूरज का लंड अकड़ने लगा था मन तो कर रहा था किसी समय उसके पास पहुंच जाए और पीछे से उसे अपनी बाहों में भर ले और खड़े-खड़े उसकी चुदाई करते लेकिन ऐसा करना उचित होता है क्योंकि सोनू की चाची की नजर में वहां इन सब बातों से बिल्कुल अनजान था वह इस खेल में धीरे-धीरे आगे बढ़ना चाहता था और मजा भी तो आ रहा था धीरे-धीरे आगे बढ़ाने में इस बात से वह इनकार नहीं कर पा रहा था।



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सोनू की चाची को भी बड़ी जोरों से पेशाब लगी हुई थी वह इसलिए एकदम से नीचे बैठ गई और पेशाब करना शुरू कर दी उसकी गुलाबी छेद से पेशाब की धार बड़ी तेजी से निकल रही थी और और उसमें से आ रही सिटी की आवाज कैसे सुनसान जगह पर अपनी मधुर ध्वनि छोड़ रही थी जो पल भर में ही सूरज के कानों तक पहुंच गई थी और सिटी की आवाज को सुनते ही सूरज समझ गया कि, सोनू की चाची पेशाब करना शुरू कर दी है और उसे आवाज को सुनकर सूरज से रहा नहीं गया,,, सूरज ने तुरंत नजर घुमा कर सोनु की चाची को देखने लगा,,, और उस नजारे को देखकर सूरज की तो हालत एकदम से खराब हो गई।

हालत खराब कैसे न होती आखिरकार नजारा ही कुछ ऐसा था,,,, उसकी जगह कोई और होता तो उसकी भी हालत खराब हो जाती वैसे तो सूरज ने इस तरह के नजारे को बहुत बार देख चुका था लेकिन आज के नजारे में कुछ अद्भुत प्रकार का नशा था जिसे देखने के बाद ही सूरज की आंखों में जाने लगा था वैसे तो वह मुखिया की बेटी को भी पेशाब करते हुए देख चुका था जो कि सोनू की चाची की हम उम्र थी,,, लेकिन दोनों के बदन की बनावट में जमीन आसमान का फर्क था मुखिया की बीवी से सोनु की चाची मजबूत बदन की मालकिन थी,,, इसलिए मुखिया की बीवी के बदन की तुलना सोनू की चाची का बदन कुछ ज्यादा ही भरा हुआ था और उसकी गांड मुखिया की बीवी की गांड से ज्यादा बड़ी थी इसलिए तो सूरज की हालत खराब होती जा रही थी,,, मुखिया की बीवी की खाना खा तो पूरा मजा सूरज ले चुका था और उसे पर पूरी तरह से काबू भी कर चुका था लेकिन सोनू की चाची की गांड को ज्यादा ही बड़ी थी जिसे देखकर सूरज अपने मन में सोचने लगा बाप रे अगर मिल जाए तो मजा ही आ जाए इस पर कुछ ज्यादा ही मेहनत करनी पड़ेगी।




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ऐसा अपने मन में सोचते हुए पाई जाने के ऊपर से ही सूरज अपने लंड को दबाने लगा,,,, बुर से निकल रही सिटी की आवाज लगातार उसके कानों में रस घोल रही थी जिसे सुनकर सूरज मन ही मन पूरी तरह से उत्तेजना के सागर में डूबने लगा था,, सूरज बेकरार साथ तड़प रहा था कि कब उसकी नंगी गांड को स्पर्श करने का मौका मिलेगा तब उसकी जवानी से खेलने का मौका मिलेगा वैसे तो सोनू की चाची की हालत को देखकर उसे पूरा यकीन हो गया था कि जल्द ही वह शुभ अवसर उसे मिलाने वाला है लेकिन फिर भी सूरज के लिए अब सब्र करना नामुमकिन हुआ जा रहा था,,,।

जेठ की दुपहरी में तालाब के किनारे सोनू की चाची बैठकर पेशाब कर रही थी और सुनहरी धूप में उसकी नंगी गांड सोने की तरह चमक रही थी और उसके ईर्द-गिर्द उगी हुई घास उसकी नंगी गांड की शोभा और ज्यादा बढ़ा रही थी,,, इसलिए तो सूरज से बर्दाश्त के बाहर हुआ जा रहा था,,,, सूरज अब अपने आप पर काबू नहीं कर पा रहा था इसलिए अपनी जगह से उठकर खड़ा हो गया और धीरे-धीरे कर कदमों से सीधे जाकर उसके पास खड़ा हो गया नजदीक से उसकी गांड देखकर करे ऐसा लग रहा था कि आसमान का चांद जमीन पर उतर आया हो उसे जी भरकर सूरज देखा ही रहा था कि इस बात से अनजान की सूरज ठीक उसके पास भी आकर खड़ा हो गया है वह नजर घुमा कर देखी तो सूरज को अपने पीछे खड़ा देखकर उसके एकदम से होश उड़ गए और वह एकदम से अपनी नंगी गांड को जानबूझकर साड़ी की ओट में छुपाने की कोशिश करते हुए बोली।

सूरज तू इधर आ गया,,,!
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
वाह भाई वाह क्या गजब का वर्णन किया है सोनु की चाची के पेशाब करने को जाने का
जबरदस्त अपडेट
खैर देखते हैं आगे क्या होता हैं
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 
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sunoanuj

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बहुत ही शानदार अपडेट दिया है !
 

rohnny4545

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हालात पूरी तरह से बेकाबू होता चला जा रहा था,,जिस तरह का नजारा सूरज की आंखों के सामने दिखाई दे रहा था उसकी जगह कोई और होता है तो शायद उसकी भी हालत होतीक्योंकि मर्दों की हमेशा फिट रहती है यही रही है कि वह किसी ने किसी बहाने से औरत को नग्न अवस्था में या अर्धनग्न अवस्था मेंदेख पाए और यहां तो एक खूबसूरत औरत अपनी साड़ी कमर तक उठाकर पेशाब करने देती हुई थी भला इस तरह के मदहोश कर देने वाले नजारे को देखने से कौन इनकार कर पाएगा,,, इसलिए सोनू की चाची ऊपरी मन सेसूरज को मना कर रही थी कि उसकी तरफ मत देखना और अंदर से यही चाहती थी कि सूरज उसकी भरपूर जवानी को अपनी आंखों से देखें और ऐसा ही हुआ था सूरज जो औरतों के मामले में धीरे-धीरे पूरा खिलाड़ी बनता चला जा रहा था भला इस तरह के नजारे को देखने से कैसे अपने मन को रोक पाता,,,।




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और वही हुआ जैसा कि सोनू की चाची चाहते थे और वैसे भी सोनू की चाची सूरज को अपनी भरपूर जवानी के दर्शन करना ही चाहती थी वरना,,, भला ऐसी कौन सी औरत होगी जो जानबूझकर एक जवान लड़के के सामने पेशाब करने बैठ जाती है वह संस्कारी तो बिल्कुल भी नहीं होगी और इस समय सोनू की चाची भी पूरी तरह से बेशर्म बन चुकी थी।अपने बरसों के विवाहित जीवन से वह इतना तो सीख ही चुकी थी कि श्रम करने में अब कोई फायदा नहीं है अगर शर्म करती रह गई तो वह ना तो शरीर सुख पाएगी और ना ही मां बनने का शुभ प्राप्त कर पाएंगे इसीलिए उसका भी प्रेशर में बनना जरूरी होता जा रहा था और वह पूरी बेशर्मी सूरज के सामने ही दिखा रही थी। वह जानती थी किसूरज उसे पेशाब करते हुए देखेगा उसकी बड़ी-बड़ी गांड को देखेगा तो जरूर उत्तेजित हो जाएगा और उसके साथ शरीर संबंध स्थापित करेगा,,,।




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सोनू की चाची को पेशाब करते हुए देखकर ऐसा नहीं था कि सिर्फ सूरज की ही हालत खराब थी सूरज की उत्तेजित हुआ जा रहा था बल्कि जिंदगी में पहली बार इस तरह का नजाराऔर वह भी जान पूछ कर एक जवान लड़के को दिखाने में सोनू की चाची की भी हालत खराब होती जा रही थी उसके बाद में भी मदहोशी जा रही थी जवानी का नशा सर चढ़कर बोल रही थी भले ही उसकी बुर से पेशाब की धार फूट रही हो लेकिन मदहोशी के मारे उसके मदन रस की बौछार भी हो रही थी,,, जेठ की कड़कती धूप में एक खूबसूरत जवान से भरी हुई औरत को बड़ी-बड़ी खास के बीच में बैठकर पेशाब करता हुआ देखकर सूरज की रोशनी में चमकती हुई उसकी मदहोश कर देने वाली गांड को देखकर सूरज की हालत पूरी तरह से खराब हो चुकी थी सूरज ने अब तक सोनू की चाची के सामने ऐसा ही जाते था की औरतों के बारे में उसे कुछ ज्ञात नहीं है इसीलिए तो सोनू की चाची उसे अपनी जवानी का जलवा दिखा रही थी और उसकी मदद कर देने वाली गांड को देखकर सूरज के बेसब्री का बांध टूटने लगा था और वह धीरे-धीरे उसके करीब पहुंच गया था।



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सोनू की चाची को इसका अंदेशा बिल्कुल भी नहीं था कि सूरज उसके करीब पहुंच जाएगा इसलिए सूरज को अपने पास देखकर वह जानबूझकर शर्माने का नाटक करते हुए साड़ी की ओट में अपनी नंगी बड़ी-बड़ी गांड को छुपाने की कोशिश करते हुए बोली।

अरे सूरज तो इधर क्यों आ गया तुझे तो मैं देखने के लिए मन की थी,,,।

क्या करूं चाची तुम्हें पेशाब करता हुआ देखकर मुझे भी बड़ी जोरों की पेशाब लग गई,,(सोनू की चाची के एकदम बगल में खड़ा होकर वहां पजामे में तने हुए अपने तंबू को दबाते हुए बोला और उसकी हरकत को सोनू की चाची तिरछी नजर से देख रही थी और उसकी हरकत को देखकर मन ही मन उत्तेजित हो जा रही थी सोनू की चाची सूरज की बात को सुनकर बोली,,,)

अरे तो तुझे पेशाब लगी थी तो वहीं कहीं कर लेता मेरे पास आने की क्या जरूरत थी,,,।



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पता नहीं चाचा लेकिन मुझे रहने की और मैं यहां आ गया तुम कहो तो मैं दूसरी जगह चला जाता हूं पेशाब करने के लिए,,,।

नहीं नहीं अब तु आ ही गया है तो यही कर ले,,, यहां पर पेड़ की छाव भी है,,, दूसरी जगह जाएगा तो बड़ी तेज धूप है,,,,(तिरछी नजर से सुरज के तंबू की तरफदेखते हुए बोली वैसे तो अब वह पेशाब कर चुकी थी उसकी बुर से पेशाब की धार निकलना बंद हो चुकी थी लेकिन वह जान पूछ कर बैठी हुई थी क्योंकि वह भी सुरज के मोटे-फटे लंड को देखना चाहती थी,,, और यही मौका थासोनू की चाची के लिए सूरज के मोटे कपड़े लैंड के दर्शन करने के लिए इसलिए वह इस मौके को अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहती थी क्योंकि जिस तरह से सूरज उसके करीब खड़ा था निश्चित तौर पर उसके सामने ही वह भी पेशाब करने वाला था,,, और सूरज भी तो यही चाहता था,वह जल्द से जल्द सोनू की चाची को अपने लैंड के दर्शन करना चाहता था अपने मर्दाना अंग के दर्शन करा कर वह जल्द से जल्द उसकी दोनों टांगों के बीच जगह बनाना चाहता था वह अच्छी तरह से जानता था की प्यासी औरत मर्द के मोटे तगड़े लंड को देखकर सबर नहीं कर पाती उससे रहा नही जाता और वह मर्द के साथ एकाकार हो जाती है।



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सोनू की चाची की इजाजत ताकतसूरज का दिल जोरो से धड़कने लगा था क्योंकि उसे पूरा मौका मिल गया था सोनू की चाची को अपना लंड दिखाने के लिए,, और इससे सुनहरा मौका अब उसके हाथ में आने वाला नहीं था इसलिए वह भी इस मौके का पूरी तरह से फायदा उठा लेना चाहता था,,, सूरज तो पहले से लालायित था,,इस खेल में आगे बढ़ाने के लिए और अब तो उसे रास्ता भी मिल गया था अपने मंजिल तक पहुंचाने के लिए इसलिए वह सोनू की चाची की बात को काट भी नहीं सकता थाइसलिए वह भी नीचे कर लिया था कि सोनू की चाची की आंखों के सामने ही भाभी पेशाब करेगा ताकि वह उसके लंड को देख सके,,,।

जेठ की दुपहरी की गर्मीउतनी आज नहीं बरसा रही थी जितनी की सोनू की चाची की जवानी आग बरसा रही थी,,,सोनू की चाची पेशाब कर चुकी थी लेकिन अभी भी कमर के नीचे वह पूरी तरह से नंगी होकर बैठी हुई,,, और इसीलिए इस मौके का फायदा उठाते हुए बार-बार सूरज उसकी नंगी गांड की तरफ देख ले रहा था सूरज समझ गया था कि अब यह उठने वाली नहीं है,,, जब तक की पूरा मामला साफ नहीं हो जाता तब तक यह अपनी जवानी का जलवा दिखाई रहेगीऔर वैसे भी सोनू की चाची की बड़ी-बड़ी गांड को देखने में सूरज की उत्तेजना निरंतर बढ़ती जा रही थी,,दोनों की सांसों की गति बड़ी तेजी से चल रही थी दोनों की हालत खराब थी दोनों आगे बढ़ना चाहते थे लेकिन बस इसी ताक में थे कि कौन शुरुआत करता है,,,सोनू की चाची के लिए तो यह पहला मौका था लेकिन सूरज इस खेल में पूरी तरह से पक्का खिलाड़ी होता जा रहा था इसलिए कैसे आगे बढ़ाना है उसे अच्छी तरह से मालूम था और सोनू की चाची की आंखों के सामने पेशाब करने की युक्ति भी सूरज की ही थी जिस पर अब अमल करने की देरी थी।



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सोनू की चाची की इजाजत पाते हैं सूरज से रहा नहीं जा रहा था वैसे भी उत्तेजना उसके सर पर चढ़कर बोल रही थी और सोनू की चाची को पैसाब करते हुए देखकर जहां एक तरफ वह उत्तेजित हुआ जा रहा था वहीं दूसरी तरफ उसे भी पेशाब बड़ी जोरों की लगने लगी थी,,, पजामे बना हुआ तंबू सोनू की चाची के होश उड़ा रहा था वह तिरछी नजर से बार-बारसूरज के तंबू की तरफ देख ले रही थी और उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि वाकई में उसके पजामे के अंदर उसके लायक ही हथियार है,,,सोनू की चाची इस बात को भी अच्छी तरह से जानती थी कि जब लक्ष्य अभेद हो तो उसे भेंदने के लिए हथियार भी मजबूत होना चाहिए,, और उसे अपना हथियार मिल चुका था,,,।सूरज सोनू की चाची को तड़पाना चाहता था इसलिए अपने पजामी का हाथ रखकर वह उसे नीचे की तरफ सरकार नहीं रहा था बल्कि बार-बार सोनू की चाची की तरफ देख रहा था कभी उसके खूबसूरत चेहरे की तरफ देखा तो कभी उसकी उभरी हुई बड़ी-बड़ी गांड की तरफ देखा दोनों चमक रही थी,,,शर्म और उत्तेजना में सोनू की चाची का चेहरा टमाटर की तरह लाल हो चुका था।




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लेकिन अब ज्यादा तड़पना उचित नहीं था इसलिएसूरज अपने पजामे को दोनों हाथों से पकड़कर उसे धीरे-धीरे नीचे की तरफ सरकाने लगा,, लेकिन नीचे की तरफ सरक नहीं रहा था क्योंकि उसमें उसका खूंटा अड़ जा रहा था,, वह बार-बार उसे नीचे की तरफ सरकने की कोशिश करता है लेकिन उसके लंड की लंबाई उसकी कड़कपन उसका उत्थान, पजामे को नीचे सरकने से रोक रहा था,,, यह देखकर सोनू की चाची अपने मन में सोच रही थी कि काश उसके पजामे को उतारने का मौका उसे मिलता तो कितना मजा आता,,,, लेकिन वह मुक प्रेछक बनकर सिर्फ देख रही थी,,,, वैसे तो सूरज बड़े आराम से अपना पैजामा उतार देता लेकिनसोनू की चाची की आंखों के सामने वह जानबूझकर इस तरह की हरकत कर रहा था मैं सोनू की चाची को तड़पाना चाहता था। और वह तड़प भी रही थी।



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लेकिन फिर सूरज पजामे को आगे की तरफ खींचकर उसे धीरे सेअपने लंड से बाहर कर दिया और पजामा के उतरते ही जो नजर सोनू की चाची की आंखों के सामने दिखाई दिया उसे देखकर तो सोनू की चाची के दिल की धड़कन एकदम से पढ़ने लगी उत्तेजना और आश्चर्य से उसकी आंखें फटी की फटी रह गई और लाल लाल होठ अपने आप खुल गए,,, लाल-लाल होठों का हाल तो बुरा था ही उसके दोनों टांगों के बीच के गुलाबी होठ भी उत्तेजना के मारे फूलने पिचकने लगे थे। वास्तविकता यही थीकी सोनू की चाची ने इस तरह के मर्दन अंगों को कभी अपनी आंखों से देखी ही नहीं थी और ना ही उसे बात का यकीन था कि किसी के पास इस तरह का मर्दाना अंग हो भी सकता है। अब तक उसने अपने पति के ही लंड को देखी थी जोकी इसके सामने वो पूरी तरह से बच्चा ही था,,, इसलिए उसके आश्चर्य का ठिकाना न था,,।




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सूरज सोनू की चाची की हालत को समझ सकता था वह अच्छी तरह से जाता था कि सोनू की चाची के मन में क्या चल रहा होगा क्योंकि वह तिरछी नजरों से देख रही थी और काफी देर हो चुकी थी उन्हें पेशाब करने की मुद्रा में बैठे हुए और वह यह भी जानता था कि सोनू की चाची जानबूझकर बैठी हुई है वरना वह उठकर चली जाती वह भी वही सब चाहती है जैसा कि वह जा रहा है तो इसमें हर्ज ही क्या है सूरज अपने मन में ऐसा सोचते हुए धीरे से अपने लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया और पेशाब करना शुरू कर दिया,,, लंड की नसों में लहू पूरी तरह से दौड़ रहा था उसका उत्थान परम शिखर पर था उसे रोक पाना नामुमकिन नजर आ रहा था और पेशाब की धार एकदम तेजी से लगभग लगभग 2 मीटर की दूरी तक जा रही थी,,, यह सब देखकर सोनू की चाची मदहोश हुए जा रही थी उसके लिए यह सब असहनीय होता जा रहा था,,,।




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सूरज अच्छी तरह से जानता था कि उसे क्या करना है वह पूरी तरह से सोनू की चाची को मदहोश कर देना चाहता था इसलिए जानबूझकर,,अपने हाथ से अपने लंड को ऊपर नीचे करके हिलना शुरू कर दिया यह नजारा सब सोनू की चाची के लिए और भी ज्यादा उत्तेजित कर देने वाला था वह पूरी तरह से पागल हुए जा रही थी तिरछी नजरों से देखते-देखते वह अब सीधे-सीधे सूरज के खड़े लंड को देख रही थी उसकी आंखों में वासना और प्यास दोनों साफ नजर आ रही थीयही तो सूरज चाहता था सूरज के तन बदन में भी उत्तेजना की लहर उठ रही थी जिसका असर उसके लंड पर पड़ रहा था और वह पूरी तरह से लोहे के रोड की तरह एकदम कड़क हो गया था,,,, और वह जिस तरह से हिला रहा था,,, सोनू की चाची की बुर पानी छोड़ रही थी,,,वह अपने मन में सोचने लगी की यही सही मौका है अपने मन की मुराद पूरी करने के लिए और वह इस तरह का मौका अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहती थी इसलिए वह अपने मन में पूरी तरह से निश्चय कर ली थी और तुरंत अपना हाथ आगे बढ़ाकर सूरज का लंड को पकड़ ली थी।



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सूरज एकदम मदहोश हो गया जब सोनू की चाची की नरम नरम हथेलियां उसके लंड के इर्द गिर्द कसती चली गई,,, हालांकि अभी भी उसमें से पेशाब की धार निकल रही थी और इस अवस्था में उसे पकड़ने का मजा ही कुछ और था जिसे सोनू की चाची अंदर ही अंदर महसूस कर रही थी लेकिन सोनू की चाची की ही हरकत पर सूरज मासूम बनता हुआ बोला,,,।

यह क्या कर रही हो चाची,,,?(ऐसा कहते हुए सूरज अपने लंड कोपीछे करने के लिए अपनी कमर को पीछे खींचने लगा लेकिन उसको ऐसा करता हुआ देखकर सोनू की चाची उसके लंड पर अपनी मुट्ठी का कसाव उस पर एकदम से बढ़ा दी थी और उसे दबोच ली थी,,,, जिससे सूरज चाह कर भी अपने लंड को उसकी पकड़ से निकाल नहीं पाया था,,, सोनू की चाची की इस हरकत सेसूरज मदहोश हो गया था उसकी उत्तेजना परम शिखर पर पहुंच चुकी थी वह कुछ बोल नहीं पाया था लेकिन सोनू की चाची बोली,,,)



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हाय दइया इतना मोटा और लंबा क्या है रे,,,,!(आश्चर्य जतातें हुए सोनू की चाची बोली,,,)

ककककक,,, क्या चाची,,,?(जानबूझकर हैरानी का नाटक करते हुए सूरज बोला)

तेरा यह लंड और क्या,,,,(मट्ठी में कसते हुए)कितना गजब का है मुझे तो यकीन नहीं हो रहा है कि किसी का इतना बड़ा और मोटा हो सकता है मैंने तो आज तक ऐसा कभी नहीं देखी,,,,.
(सोनू की चाची किस तरह की बातें सुनकर सूरज अंदर ही अंदर प्रसन्न हो रहा था और अपने लंड पर गर्व महसूस कर रहा था,,,, सोनू की चाची की बातें उसे अच्छी लग रही फिर भी उसकी बातों को सुनकर अनजान बनता हुआ बोला,,,)



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क्या कह रही हो चाची सबके पास तो ऐसा ही होता है और चाचा जी के पास भी ऐसा ही होगा,,,,(गहरी सांस लेता हुआ सूरज बोला)

झूठ तेरे जैसा किसी के पास नहीं है और चाचा जी के पास तो सिर्फ उंगली के बराबर है तभी तो मैं तेरा देख कर एकदम हैरान हूं,,,, कसम से बहुत गजब का है,,,(ऐसा कहते हुए सोनू की चाची हल्के हल्के उसे मुठियाना शुरू कर दी थी जिससे सूरज के बदन में सुरूर चढ़ता जा रहा था,,, सोनू की चाची की हरकत से उसे आनंद की प्राप्ति हो रही थी उसे बहुत मजा आ रहा था,,,, फिर भी सोनू की चाची की बात को सुनकर वह बोला,,,)

ऐसा कैसे हो सकता है चाची,,,,मेरे जैसा अंग तो हर जवान लड़की के पास होता है हर मर्द के पास होता है फिर अलग-अलग कैसे हो सकता है,,,।


यही तो दिक्कत है,,, तुझे कुछ पता ही नहीं है तुझे पता होता तो शायद यह बात ना करता और खुद ही मुझे दिखाते हुए बोलना कि देखो मेरा कितना बड़ा और लंबा है,,,,।(सोनू की चाची उसी तरह से मदहोशी में उसे पकड़े हुए बोली,,, ईस अभी भी उसमें से पेशाब की धार निकल रही थी,,,,।




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जेठ की गर्मी में माहौल पूरी तरह से गर्म होता जा रहा था जिस तरह का नजारा था वह बेहद मदहोश कर देने वाला था सोनू की चाची को भी और सूरज को भी सोनू की चाची तो अभी तक पेशाब करने वाली मुद्रा में बैठी हुई थी अभी तक उसकी नंगी गांड सुनहरी धूप में चमक रही थीऔर उसके पास में ही खड़ा होकर सूरज इस तरह से पेशाब कर रहा था उसके मर्दाना अंग पर किसी भी औरत की नजर जाती तो ऐसेहालत में वह उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने से बिल्कुल भी नहीं कतराती,,,,सूरज की सांस ऊपर नीचे हो रही थी और यही हाल सोनू की चाची का भी थाजिंदगी में पहली बार उसने इतना मोटा तगड़ा लंड देखी थी और उसे अपने हाथ में पड़ी हुई थी उसकी कर्माहट उसे अपने बदन में अच्छी तरह से महसूस हो रही थी और इस तरह की गरमाहट को महसूस करके वह पूरी तरह से पानी पानी हुई जा रही थी,,,गहरी सांस लेते हुए सोनू की चाची की बात को सुनकर सूरज फिर से अपनी मासूमियत दिखाने का नाटक करते हुए बोला,,,)



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तो क्या हुआ चाचा मोटा लंबा चाहे जैसा भी होचाहे पतला हो मोटा हो लंबा हो आखिरकार पेशाब ही तो करना है,,,,।

(सूरज की बातों को सुनकर सोनू की चाची मन ही मन प्रसन्न होने लगी उसे इस बात का एहसास होने लगा कि सूरज पूरी तरह सेऔरत और मर्द के बीच के खेल से अनजान है उसे बिल्कुल भी नहीं पता की मर्द और औरत के बीच होता क्या है और इस अंग से किया क्या जाता है इसलिए वह मुस्कुराते हुए बोली,,)

तू सच में एकदम नादान है तो सच में इसके और भी क्या काम होते हैं उसके बारे में नहीं जानता,,,!(सूरज के लंड को मुठीयआते हुए सोनू की चाची बोली,,,)

भला ईससे और क्या काम होता होगा चाची,,, मैंने तो आज तक सिर्फ इससे पैसाब ही किया है,,, इससे और क्या काम होता है यह तो मैं नहीं जानता,, और ना ही किसी ने मुझे बताया है क्या सच में इससे कोई और भी काम किया जाता है,,,।

(सूरज की बात सुनकर सोनू की चाची के चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी और वह उसके सवाल पर एक सवाल और दागते हुए बोली,,,)

अच्छा चल यह बता,,, जिस तरह से तू बोल रहा है कि पैसाब ही किया जाता है,,,,(ऐसा कहकर वह सूरज के चेहरे की तरफ देखने लगी वह देखना चाहती थी कि उसके मुंह लंड जैसे खुले शब्दसुनकर उसके चेहरे का हाव-भाव कैसे बदलता है और ऐसा ही हुआ सोनू की चाची के मुंह से लंड शब्द सुनकरसूरज के चेहरे का हाफ पूरी तरह से बदलने लगा था उसे यकीन नहीं था कि सोनू की चाची इस तरह से एकदम से उसका खुल के नाम ले लेगी और उसके इस तरह से नाम लेने पर वह पूरी तरह से मदहोश होने लगा था और अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,)

तो क्या तू जानता है कि हम औरतों की बुर से,,,(एक बार फिर से सोनू की चाची के मुंह से बुर शब्द सुनकर सूरज के दीलों दिमाग पर उत्तेजना का धमाका होने लगा,,,उसका मुंह आश्चर्य और उतेजना से खुला का खुला रह गया और सोनू की चाची अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,) सिर्फ पेशाब करने का ही काम किया जाता है और कोई काम नहीं होता इससे,,,,।

(सोनू की चाची के मुंह सेइस तरह की बात सुनकर और खास करके बुर शब्द सुनकर सूरज पूरी तरह से मदहोश हो चुका था वह वैसे तो सोनू की चाची के सवाल का जवाब अच्छी तरह से दे सकता थाक्योंकि उसके साथ क्या किया जाना चाहिए वह अच्छी तरह से जानता था और इस तरह का सुख भोग भी चुका थालेकिन फिर भी सोनू की चाची के आगे उसे अनजान बना था मासूम बना था इसलिए वहां कुछ बोला नहीं बस आश्चर्य से अपना मुंह खुला रखकर उसकी बात को सुनता रहा अभी भी उसका लंड सोनू की चाची के हाथ में था और पूरे उफान पर था,,,सूरज की हालत को देखकर वह मन ही मन मुस्कुराने लगी क्योंकि वह किसी भी तरह का जवाब नहीं दे रहा था समझ गई की ईसने अभी तक बुर को देखा ही नहीं है इसलिए अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,)


अच्छा यह बता गांड तो तूने देख लिया लेकिन क्या कभी औरत की बुर देखा है,,,,।
(सोनू की चाची के मुंह से इस तरह के अश्लील शब्दों को सुनकर जहां सूरज का उत्तेजना का ठिकाना नहीं था वहीं दूसरी तरफ वहां जानबूझकर अपने चेहरे परहैरानी के भाव ला रहा था ताकि सोनू की चाची को यही लगे कि उसने आज तक औरत के अंगों के भूगोल के बारे में कुछ ज्यादा जानता ही नहीं है और ऐसा ही हो रहा था जिस तरह सेहैरानी वाले भाव सूरज ने अपने चेहरे पर बना कर रखे तो उसे देखते हुए सोनू की चाची के चेहरे की मुस्कान बढ़ने लगी थी वह समझ गई थी कि उसने आज तक औरत के खूबसूरत अंगों को कभी देखा ही नहीं है इसलिए मुस्कुराती हुई बोली,,,)

हाय दइया तु तो एकदम नादान है,,,,(सूरज के लंड को ऊपर नीचे करके हिलाते हुए वह बोली,,,, सोनू की चाची की हरकत से सूरज एकदम से गनगना गया,,,, पर्वत धीरे से अपनी जगह से उठकर खड़ी हो गई उसकी साड़ी उसके उठते हीउसकी कमर से नीचे गिर गई और एक खूबसूरत नजारे पर पर्दा पड़ गया और वह इधर-उधर देख रही थी शायद कोई जगह ढूंढ रही थी सूरज समझ गया कि अभी यह कुछ करना चाहती हैऔर फिर उसकी एक जगह नजर गई जहां पर एक टूटी हुई मड़ई थी,,,, और जगह पर नजर पड़ते ही उसके चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी और वह मुस्कुराते हुए बोली,,,)

लगता है तुझे वह भी दिखाना पड़ेगा,,,,, चल मेरे साथ,,,,(ऐसा कहते हुए वहां सूरज के लंड को पकड़े हुए ही उस मड़ई की तरफ आगे बढ़ने लगी,,,,सूरज के पास बोलने के लिए कोई शब्द नहीं बचे थे वह आप सोनू की चाची के हाथों की कठपुतली बनने के लिए तैयार था क्योंकि वह जानता था कि उसके हाथों की कठपुतली बनने में ही आनंद ही आनंद हैऔर वह इस आनंद को अंदर महसूस करना चाहता था जिसकी शुरुआत हो चुकी थी उसका मोटा तगड़ा लंड सोनू की चाची के हाथों में था जिसे वह पकड़ कर मडई की तरफ बढ़ रही थी।
 
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