Ajju Landwalia
Well-Known Member
- 3,829
- 14,811
- 159
सूरज बहुत खुश था कि उसे सोनू की चाची के साथ बाजार जाने का मौका मिला था भले ही सोनू की बीमारी का कारण था लेकिन फिर भी यह बीमारी आज उसके लिए आशीर्वाद का काम कर रहे थे क्योंकि सूरज ने कभी सोचा भी नहीं था कि इस तरह से सोनू की चाची के साथ अकेले ही सफर करना होगा और इस सफर के दौरान उसे उसके साथ बातचीत करने का अवसर प्राप्त होगा वैसे तो सोनू की चाची ने जिस तरह का अवसर सूरज को दी थी उसे तरह का अवसर पाकर सूरज अपनी किस्मत पर फुल नहीं समा रहा था लेकिन उसे अवसर का सूरज पूरी तरह से लाभ नहीं ले पाया था इस बात का मलाल उसे बहुत था और इसी अवसर को वह अपनी किस्मत बना देना चाहता था।
जिस तरह की खुशी सूरज के चेहरे पर दिखाई दे रही थी उसी तरह की खुशी सोनू की चाची के चेहरे पर भी दिखाई दे रही थी,,, सोनू की चाची के मन में उत्तेजना का भाव जागरूक हो रहा था वह किसी भी तरह से अपनी मां की इच्छा को पूरी कर लेना चाहती थी और आज से अच्छा मौका उसे पहले कभी नहीं मिला था आज मौका भी था और दस्तूर भी था और जिस जगह पर दोनों बैठकर आराम कर रहे थे उस जगह पर भी किसी का आना जाना नहीं था,, इसलिए सोनू की चाची इस मौके का फायदा उठा लेना चाहती थी,,, वैसे भी यह ख्याल उसके मन में अभी-अभी नहीं आया था बहुत पहले से उसके मन में सूरज के साथ संभोग सुख प्राप्त करने की इच्छा जाग चुकी थी और उसी के साथ संभोग करके अपनी मां बनने की इच्छा भी पूरी करना चाहती थी सोनू की चाची ,,,। वैसे भी सोनू की चाची इस खेल में कदम आगे बढ़ा चुकी थी सूरज के साथ वह अपनी चुचीयों का स्तन मर्दन करवा चुकी थी,,,।
इसीलिए तो उसके मन में एक अद्भुत ख्याल आया था जिसके चलते वह अपनी इच्छा पूरी करना चाहती थी इसीलिए तो वह सूरज के सामने एकदम खुलकर पेशाब करने वाली बात की थी क्योंकि इस बात का एहसास उसे भी अच्छी तरह से था कि सारे मर्द किसी न किसी बहाने औरत को बिना कपड़ों के देखने की कोशिश करते हैं और खास करके उन्हें पेशाब करते हुए देख कर तो वह और भी ज्यादा मस्त हो जाते हैं और सोनू की चाची को पक्का यकीन था कि मर्दों की फितरत में सूरज भी शामिल था उसे भी यह सब अच्छा लगता होगा और हो सकता है कि उसे पेशाब करता हुआ देखकर उसकी बड़ी-बड़ी कहां देखकर उसका मन भी उसे चोदने के लिए मचल उठे और उसकी इच्छा पूरी हो जाए।
इसीलिए तो पूरी तरह से बेशर्मी दिखाते हुए सोनू की चाची सूरज से पेशाब करने वाली बात की थी और अपनी जगह से उठ खड़ी हुई थी। सूरज तो उसके मुंह से पेशाब करने वाली बात सुनकर ही उत्तेजित हुआ जा रहा था ऐसा नहीं था कि वह पहली बार किसी औरत को पेशाब करते हुए देखने जा रहा था इससे पहले भी वह मुखिया की बीवी और मुखिया की लड़की के साथ-साथ अपनी बहन रानी को भी पेशाब करते हुए देख चुका था मुखिया की बीवी की तो बड़ी-बड़ी गांड देखकर ही उसके मन में उत्तेजना के पैर तोड़ने लगी थी और वह मुखिया की बीवी को छोड़ने का ख्वाब देखने लगा था और उसकी इच्छा पूरी भी हुई थी और उसके मन में यही चल रहा था कि काश उसे दिन की तरह आज भी उसे वह सौभाग्य प्राप्त हो जाए तो कितना मजा आ जाए इसलिए सूरज कुछ बोला नहीं और सोनू की चाची को देखने लगा,,।
सोनू की चाची अपनी जगह पर उठकर खड़ी हो गई थी और चारों तरफ नजर घुमा कर देख रही थी उसे इस तरह से देखता हुआ देख कर सूरज बोला।
चिंता मत करो चाचा यहां पर हम दोनों के सिवा कोई नहीं है कि तुम्हें इस अवस्था में देख सके देख नहीं रही हो चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ है यहां कोई नहीं आता और इस तरह की जेठ की गर्मी में तो यहां आने की कोई सोच भी नहीं सकता और वैसे भी यह रास्ता ना तो बाजार की तरफ जाता है और ना ही यहां किसी का कोई काम है,,,।
क्या सच में यह रास्ता बाजार की तरफ नहीं जाता!(आश्चर्यजताते हुए सोनू की चाची बोली तो उसका जवाब देते हुए सूरज बोला ,,,)
हां बिल्कुल सही यह रास्ता बाजार की तरफ नहीं जाता लेकिन मैं यहां से बाजार जाने का रास्ता जानता हूं इसलिए तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो और जो करना है कर लो,,,,,(अपनी जगह पर बैठे हुए ही सूरज ने बोला)
अच्छा हुआ तूने बता दिया नहीं तो मैं घबरा ही गई थी कि अगर यह रास्ता बाजार की तरफ नहीं जाता तो हम लोग बेवजह इस रास्ते पर क्यों जा रहे हैं,,,(ऐसा कहते हुए सोनू की चाची धीरे-धीरे अपनी कदम आगे बढ़ने लगी और इधर तसल्ली करने के लिए देख भी ले रही थी क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि वाकई में कोई इस अवस्था में उसे देखें देखते ही देखते दश पन्द्रह कदम चलने के बाद वह,, रुक गई और इधर-उधर देखने लगी सूरज जानबूझकर उसके सीधी नजर उसे नहीं देख रहा था बल्कि तिरछी नजर से देख ले रहा था क्योंकि वह चाहता था कि उसे ऐसा ना लगे कि वह उसे देख रहा है लेकिन जिस जगह पर वह खड़ी थी वहां पर वह एकदम साफ दिखाई दे रही थी। औरतों की फितरत से सूरज अच्छी तरह से बाकी हो चुका था इसलिए समझ गया था की सोनू की चाची के मन में भी वही चल रहा है जो मुखिया की बीवी के मन में चल रहा था सोनू की चाची भी बहुत प्यासी है वरना वहां पेशाब करने के लिए ऐसी जगह का चयन न करती जहां से उसे एकदम आराम से देखा जा सके बल्कि झाड़ियां के बीच जाती जहां पर वह दिखाई ना दे,,,।
मेरी तरफ देखना मत सूरज,,,(दोनों हाथों से साड़ी थाम कर वह बोली,,, इतना तो अच्छी तरह से जानती थी किसके कहने के बावजूद भी भला एक जवान लड़का एक खूबसूरत औरत को पेशाब करते हुए कैसे ना देखें,,, लेकिन फिर भी सोनू की चाची की तसल्ली के लिए सूरज दूसरी तरफ नजर घूमाता हुआ बोला,,)
तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो चाची आराम से कर लो,,, मैं नहीं देखूंगा,,,।
(सूरज की बात सुनकर सोनू की चाची अपने मन में ही बोली हरामजादी तुझे देखने के लिए क्या तेरे सामने पेशाब कर रही हूं ताकि जो मेरी नंगी गांड को देख सके और कह रहा है कि मैं नहीं देखूंगा फिर भी अपने मन में इस तरह से बात करते हुए वह अपने आप से ही बोली देखती हूं कैसे नहीं देखता है भला एक जवान औरत की नंगी गांड को देखने से एक मर्द कैसे इंकार कर सकता है,,, और इतना अपने मन में सोचते हुए वह धीरे-धीरे अपनी साड़ी को कमर की तरफ उठाने लगी अभी तक सोनू की चाची नजर पीछे घूमाकर सूरज की तरफ नहीं देखी थी लेकिन सूरज तिरछी नजरों से सोनू की चाची को ही देख रहा था और उसका इस तरह से अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठाना उसे उत्तेजित कर रहा था वह मदहोश हुआ जा रहा था,,,,।)
देखना नहीं सूरज मुझे बहुत शर्म आती है,,,।(सूरज की तरफ बिना देखे ही अपनी साड़ी को अपने घुटनों तक उठाते हुए वह बोली,,, बार-बार वह ऐसा कहकर सूरज का ध्यान अपनी तरफ ही करना चाहती थी और सूरज कोई सीधा-साधा लड़का तो था नहीं औरतों की संगत में वह पूरा मर्द बन चुका था और ऐसे हालात में उसे क्या करना है वह अच्छी तरह से जानता था इसलिए उसके कहने के बावजूद भी हुआ है उसकी नंगी गांड को देखना चाहता था उसके रस को अपनी आंखों से पीना चाहता था वह देखना चाहता था की सोनू की चाची की नंगी गांड कैसी दिखाई देती है इसलिए उसकी बात का मान रखते हुए वह बोला,,,)
बिल्कुल भी नहीं चाची तुम बेफिकर रहो,,,।
(ईतना कहकर वह अपने मन मे हीं बोला साली एक बार साड़ी कमर तक उठाकर अपनी गांड तो दिखा मैं भी तो देखूं कितनी जवानी भरी है तेरे में,,,,, सूरज का दिल जोरों से धड़क रहा था,,, उसकी आंखों के सामने जवानी से भरी हुई औरत अपनी साड़ी कमर तक उठाकर पेशाब करने के लिए बैठने वाली थी,,, ऐसे हालात मर्दों के सामने बहुत कम बार ही आते हैं लेकिन सूरज की आंखों के सामने इस तरह का नजारा बार-बार समय दर समय पर दिखाई दे ही जाता था और इस तरह का नजारा देकर उसकी उत्तेजना परम शिखर पर पहुंच जाती थी आज एक बार फिर से जवानी से भरी हुई औरत उसकी आंखों के सामने थी जो की पेशाब करने जा रही थी इसलिए वह बेशब्र होता जा रहा था,,,,
सोनू की चाची का दिल भी जोरों से धड़क रहा था क्योंकि अपने जीवन में पहली बार वह किसी जवान लड़के की आंखों के सामने जानबूझकर पेशाब करने के लिए बैठने जा रही थी और वह भी अपनी नंगी गांड दिखाते हुए वरना अक्सर वह पेशाब करने जब भी बैठी थी तब वह अपनी साड़ी से अपनी नंगी गांड को ढके रहती थी लेकिन आज वह पहले से ही अपने मन में निश्चय कर ली थी कि ऐसा हुआ नहीं करेगी अपनी साड़ी को पूरी तरह से कमर तक उठाकर अपनी नंगी गांड दिखाते हुए पेशाब करेंगे ताकि उसकी बात बन सके इसलिए तो उसका दिल जोरो से धड़क रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अब कैसे आगे बढा जाए और आगे बढ़ने का यही बस एक रास्ता उसे नजर आ रहा था,,, और उसे पर वह अग्रसर थी।
घुटनों तक ऊठी हुई साड़ी धीरे-धीरे ऊपर की तरफ जा रही थी और उसकी मोटी तगड़ी जांघ नजर आने लगी थी जो कि एकदम मक्खन की तरह चिकनी दिखाई दे रही थी उसकी मोटी तगड़ी जांघ को देखकर उसे पर सूरज का इनाम फिसल रहा था। सोनू की चाची अपने तन बदन में उत्तेजना की लहर उठती हुई महसूस कर रही थी और वही लहर सूरज के भी बदन में उठ रही थी देखते ही देखते सोनू की चाची का नितंबों का निचला स्तर लकीर दिखाई देने लगा जिसे देखते ही सूरज से रहा नहीं गया और पजामे में तने हुए अपने लंड को अपने हाथ से दबाने लगा,,,, एक खूबसूरत औरत को इस तरह से अपने कपड़े ऊपर उठाते हुए उसके अर्धनग्न बदन को देखकर अपने लंड को दबाने में भी एक अद्भुत आनंद की प्राप्ति होती है और इस सुख को सूरज भली भांति अपने अंदर महसूस कर रहा था,,,।
जेठ की दुपहरी में इस खूबसूरत मनोरम्य दृश्य को सूरज के शिवा देखने वाला दूसरा वहां कोई भी नहीं था सूरज अच्छी तरह से जानता था किस जगह पर कोई आता जाता नहीं है इसलिए वह पूरी तरह से निश्चित था बेहद खूबसूरत नजारा था बड़े-बड़े पेड़ एक छोटा सा तालाब जिसमें पानी भरा हुआ था और उसके किनारे ही सोनू की चाची अपनी साड़ी को धीरे-धीरे उठा रही थी और पेशाब करने की तैयारी कर रही थी भला ऐसा नजारा कहां देखने को मिलता है पड़ेगी भाग्य से इस तरह का नजारा देखने को मिलता है और सूरज इस समय भाग्य का धनी था इसलिए तो वहां अपनी आंखों के सामने जवानी से भरी हुई औरत को पेशाब करते हुए देखने जा रहा था।
सोनू की चाची से भी रहा नहीं जा रहा था पेशाब करने का नाटक करते-करते वास्तव में उसे बड़े जोरों की पेशाब लगने लगी थी,,, जिसका असर उसके बदन पर अच्छी तरह से दिखाई दे रहा था तीव्रता से पेशाब के असर को वह अपने अंदर दबाने की कोशिश करते हुए अपने एड़ी को ऊपर नीचे कर रही थी,,,, अब उससे भी रहा नहीं जा रहा था लेकिन अपनी साड़ी को पूरी तरह से अपने नितम्बों को उजागर करने से पहले वह नजर घूमाकर सूरज की तरफ देख लेना चाहती थी इसलिए जल्दी से नजर पीछे की तरफ घुमाई तो सूरज को अपनी तरफ ही देखता हुआ पाकर वह अंदर ही अंदर एकदम प्रसन्न हो गई लेकिन सूरज की चोरी पकड़ी गई थी इसलिए वह अपनी साड़ी को कमर से ऊपर तक उठाने से पहले एक बार फिर से बोली,,,
क्या सुरज तु तो मेरी तरफ ही देख रहा है भला ऐसे में मैं कैसे पैसाब कर पाऊंगी,,,,।
ओहहह ओ,,,,, चाची अनजाने में तुम्हारी तरफ नजर चली गई मुझे लगा कि तुम पेशाब कर ली होगी लेकिन तुम तोअभी तक खड़ी हो जल्दी करो,,,।
क्यों क्या हुआ सीधे बड़ी है क्या आप भी तो बहुत समय है इतनी धूप में जाने जैसा नहीं है,,,।
बात तो तुम सच कह रही हो चाचा मैं भी यही सोच रहा था कि इतनी धूप में निकलना ठीक नहीं है यहां पर आराम हीं करना पड़ेगा जब तक की धूप थोड़ी कम ना हो जाए,,,।
चल ठीक है नजर दूसरी तरफ घूमा ले मुझे बड़ी जोरों की लगी है,,,।
ठीक है चाची,,,,(ऐसा कहते हुए सूरज अपने मन में ही बोला साली रंडी अपनी चूची को कैसे दबवा रही थी और अभी कह रही है कि शर्म आ रही है,,, कसम से एक बार मौका मिल गया ना तो अपना लंड डालकर इसकी बुर का भोसड़ा बना दूंगा,,,, सूरज दूसरी तरफ नजर घुमा लिया था यह देखकर सोनू की चाची मन ही मन मुस्कुराने लगी क्योंकि वह जानती थी कि पहले ही वह इस समय अपनी नजर घुमा लिया है लेकिन उसे पेशाब करता हुआ जरुर देखेगा उसकी नंगी गांड को देखकर उसका लंड जरूर खड़ा होगा और तब शायद बात बन पाए ,।
और ऐसा सोचते हुए वहां साड़ी को पूरी तरह से अपनी कमर तक उठा ली और उसकी नंगी गांड एकदम से उजागर हो गई छत की दुपहरी में धूप की वजह से उसकी नंगी गांड सुनहरी नजर आ रही थी पूरी तरह से उसकी नंगी गांड सोने से मढी हुई नजर आ रही थी,,,, सूरज भी तिरछी नजर से देख रहा था और उसकी सुनहरी गांड देखकर मन ही मन सोचने लगा कि इसीलिए तो औरत को सबसे अनमोल खजाना कहा जाता है,,, सोनू की चाची की जवानी से भरपूर गांड को देखकर सूरज का लंड अकड़ने लगा था मन तो कर रहा था किसी समय उसके पास पहुंच जाए और पीछे से उसे अपनी बाहों में भर ले और खड़े-खड़े उसकी चुदाई करते लेकिन ऐसा करना उचित होता है क्योंकि सोनू की चाची की नजर में वहां इन सब बातों से बिल्कुल अनजान था वह इस खेल में धीरे-धीरे आगे बढ़ना चाहता था और मजा भी तो आ रहा था धीरे-धीरे आगे बढ़ाने में इस बात से वह इनकार नहीं कर पा रहा था।
सोनू की चाची को भी बड़ी जोरों से पेशाब लगी हुई थी वह इसलिए एकदम से नीचे बैठ गई और पेशाब करना शुरू कर दी उसकी गुलाबी छेद से पेशाब की धार बड़ी तेजी से निकल रही थी और और उसमें से आ रही सिटी की आवाज कैसे सुनसान जगह पर अपनी मधुर ध्वनि छोड़ रही थी जो पल भर में ही सूरज के कानों तक पहुंच गई थी और सिटी की आवाज को सुनते ही सूरज समझ गया कि, सोनू की चाची पेशाब करना शुरू कर दी है और उसे आवाज को सुनकर सूरज से रहा नहीं गया,,, सूरज ने तुरंत नजर घुमा कर सोनु की चाची को देखने लगा,,, और उस नजारे को देखकर सूरज की तो हालत एकदम से खराब हो गई।
हालत खराब कैसे न होती आखिरकार नजारा ही कुछ ऐसा था,,,, उसकी जगह कोई और होता तो उसकी भी हालत खराब हो जाती वैसे तो सूरज ने इस तरह के नजारे को बहुत बार देख चुका था लेकिन आज के नजारे में कुछ अद्भुत प्रकार का नशा था जिसे देखने के बाद ही सूरज की आंखों में जाने लगा था वैसे तो वह मुखिया की बेटी को भी पेशाब करते हुए देख चुका था जो कि सोनू की चाची की हम उम्र थी,,, लेकिन दोनों के बदन की बनावट में जमीन आसमान का फर्क था मुखिया की बीवी से सोनु की चाची मजबूत बदन की मालकिन थी,,, इसलिए मुखिया की बीवी के बदन की तुलना सोनू की चाची का बदन कुछ ज्यादा ही भरा हुआ था और उसकी गांड मुखिया की बीवी की गांड से ज्यादा बड़ी थी इसलिए तो सूरज की हालत खराब होती जा रही थी,,, मुखिया की बीवी की खाना खा तो पूरा मजा सूरज ले चुका था और उसे पर पूरी तरह से काबू भी कर चुका था लेकिन सोनू की चाची की गांड को ज्यादा ही बड़ी थी जिसे देखकर सूरज अपने मन में सोचने लगा बाप रे अगर मिल जाए तो मजा ही आ जाए इस पर कुछ ज्यादा ही मेहनत करनी पड़ेगी।
ऐसा अपने मन में सोचते हुए पाई जाने के ऊपर से ही सूरज अपने लंड को दबाने लगा,,,, बुर से निकल रही सिटी की आवाज लगातार उसके कानों में रस घोल रही थी जिसे सुनकर सूरज मन ही मन पूरी तरह से उत्तेजना के सागर में डूबने लगा था,, सूरज बेकरार साथ तड़प रहा था कि कब उसकी नंगी गांड को स्पर्श करने का मौका मिलेगा तब उसकी जवानी से खेलने का मौका मिलेगा वैसे तो सोनू की चाची की हालत को देखकर उसे पूरा यकीन हो गया था कि जल्द ही वह शुभ अवसर उसे मिलाने वाला है लेकिन फिर भी सूरज के लिए अब सब्र करना नामुमकिन हुआ जा रहा था,,,।
जेठ की दुपहरी में तालाब के किनारे सोनू की चाची बैठकर पेशाब कर रही थी और सुनहरी धूप में उसकी नंगी गांड सोने की तरह चमक रही थी और उसके ईर्द-गिर्द उगी हुई घास उसकी नंगी गांड की शोभा और ज्यादा बढ़ा रही थी,,, इसलिए तो सूरज से बर्दाश्त के बाहर हुआ जा रहा था,,,, सूरज अब अपने आप पर काबू नहीं कर पा रहा था इसलिए अपनी जगह से उठकर खड़ा हो गया और धीरे-धीरे कर कदमों से सीधे जाकर उसके पास खड़ा हो गया नजदीक से उसकी गांड देखकर करे ऐसा लग रहा था कि आसमान का चांद जमीन पर उतर आया हो उसे जी भरकर सूरज देखा ही रहा था कि इस बात से अनजान की सूरज ठीक उसके पास भी आकर खड़ा हो गया है वह नजर घुमा कर देखी तो सूरज को अपने पीछे खड़ा देखकर उसके एकदम से होश उड़ गए और वह एकदम से अपनी नंगी गांड को जानबूझकर साड़ी की ओट में छुपाने की कोशिश करते हुए बोली।
सूरज तू इधर आ गया,,,!
Behad shandar update he rohnny4545 Bhai,
Ab sonu ki chachi aur suraj me beech me chudayi ka khel shuru hone wala he.........
Keep rocking Bro