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जोरू का गुलाम भाग 246 ----तीज प्रिंसेज कांटेस्ट पृष्ठ १५३३
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Bhut shandaarचोर के घर मोर लगने वाले हैं![]()
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भाग २४२ - 'कीड़े ; और ;कीड़े पकड़ने की मशीन ;
35,36,384,
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स्कूटर पर ही उन्होंने उस डिवाइस के बाकी गुर भी बताये, जो उन्हें एयरपोर्ट पर मिली थी, देखने में एकदम इनके फोन जैसी लेकिन बग डिटेक्ट कर सकती थी, और उसके अलावा भी बहुत गुण थे उसमे
लेकिन एक चीज मैं समझ गयी थी स्साले जो रिकार्ड करेंगे करें, लेकिन अगर मेरे मरद का ठरकी बनने में फायदा है तो , ठरकी तो है ही वो, या तो ठरकी हो या मेरी ससुराल वाला वही दो लोग हाथ धोकर के अपनी माँ बहन के पीछे पड़ते हैं, ... और बस अब उस ठरकी को महा ठरकी बनाने में कोई देर नहीं है। और यह बालक अपनी बहन पर तो चढ़ाई कर ही चुका है , अगवाड़ा पिछवाड़ा दोनों, तो बस महतारी बची है उसका भी नम्बर लगवा दूँ
रस्ते में उस यंत्र के जो गुर उन्होंने बताए थे सब घर पहुँच के उन्होंने दिखाए भी,...
पहले तो कीड़े पकडने का बहुत अच्छा काम करता है,... और घर में कीड़े ही कीड़े ( बग्स ) मिले।
सबसे ज्यादा लिविंग रूम में (५ ) और हम दोनों के बेड रूम में थे ( ६ ). गुड्डी के कमरे में भी ४ मिले। कुल २५।
उस फोननुमा यंत्र में तीन तरह की व्यवस्था थी, जो ८०० मीटर से लेकर ८ मीटर तक के बग पकड़ता था,
हम लोगों ने इंडोर की सेटिंग पर लगाया था तो एक रेड इंडिकेशन आता था, रूम का एक मैप और उसमें बग्स कहाँ कहाँ है, नजदीक ले जाने पर वो और क्लियर हो जाता था, जैसे एक बग सीलिंग फैन के ब्लेड के उलटी साइड में था, सिर्फ आडियो कैप्चर करने के लिए उसकी भी लोकेशन पकड़ में आ गयी,
कीड़ा पकडक यंत्र में जब एक बग पर फोकस करते थे तो उसके सारे डिटेल, क्या वो साउंड से ऐक्टिवेट होगा, उसके अंदर कैमरे की पावर और डिस्टेंस क्या है, सब सब के नाइट विजन वाले थे, एकदम अँधेरे में भी रिकार्ड कर लेते। ज्यादातर की रेंज १५ से २५ मीटर की थी।
लेकिन ये यह जानना चाहते थे की उनकी ट्रांसमिट करने की रेंज क्या है, हम दोनों किचेन में थे ये चाय बना रहे थे। ऊपर चिमनी में एक बग एक्टिवेट हुआ, उस कीड़ा पकडक यंत्र में दिख भी गया, और यह भी की उसकी ट्रांसमिट करने की रेंज 5०० मीटर तक है।
सबसे बड़ी बात थी की अक्सर जब बग एक्टिव होते हैं तभी डिटेक्ट हो पाते हैं लेकिन यह मशीन उनकी एनर्जी के बेसिस पर पहचान रही थी.
और 5०० मीटर का मतलब इनका एक छोटा मोटा सेंटर ५०० मीटर के अंदर ही होगा. एक बात साफ़ थी, कोई जगह घर में नहीं थी जहाँ हम लोगों को सुना या देखा नहीं जा रहा था,
लेकिन ये कीट पकड़क यंत्र एकदम ही अलग टाइप का था, वैसे तो बग डिटेक्टर चवन्नी के तीन आज कल ऑनलाइन भी मिलते हैं और शादी में सहेलियां और दोस्त गिफ्ट में भी देते हैं, हनीमून की पैकिंग में सबसे आवश्यक उपकरण ( वैसे भी कपडे कौन ले जाता है हनीमून में, बस ऐसे ही काम की दो चार चीजें ), आजकल होटल वाले हनीमून कप्लर्स को जो जबरदस्त डिस्काउंट देते है वो कैमरों से, ...
लेकिन अब कपल्स दरवाजा बंद करने के बाद चुम्मा चाटी बाद में करते हैं, कैमरे पहले ढूंढते हैं।
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वो सब आर ऍफ़ डी डिटेक्टर, इंफ़्रा रेड डिटेक्टर और वाई फाई डिटेक्टर की सहायता से काम करते हैं, लेकिन परेशानी यह होती है की वाच करने वाला कैमरा भी उस डिवाइस को देख लेता है, दूसरे वो सब सिर्फ ये पता कर सकते हैं की डिवाइस है और सिग्नल वीक है या स्ट्रांग, जीपीएस डिटेक्टर हिडेन कैमरा सब पता चल सकता है, लेकिन हम लोगों के घर में जो लगे थे उन्हें पता करने में उन सबको पसीना छूट जाता।
एक बताया न पंखे के ब्लेड की उलटी साइड में और दो बिजली की स्विच बटन को रिप्लेस कर के लगे थे।
नार्मल कीड़ा पकडक के बस नहीं था ये सब।
दूसरे एकदम इनके पुराने धुराने डिस्काउंट में मिले आईफोन की तरह ही था वो, तो उन कैमरों से देख के भी कोई नहीं कह सकता था की हम लोग कोई कीड़ा पकडक यंत्र इस्तेमाल कर रहे हैं , क्योंकि यहाँ मामला दूसरा था।
हम चाहते थे की वो कीड़े बदस्तूर अपना काम करें लेकिन हमें मालूम हो बस की कहाँ से तांकझांक हो रही है, ... और शायद घर में कोई ऐसा कोना हो जो मियां बीबी के लिए प्राइवेसी का हो, आखिर हर बात तो जग जाहिर नहीं कर सकती न,
और सबसे बड़ी दो बातें इस मशीन में थी, ये रूम का एक मैप सा बनाती थी और हर बग की लोकेशन ज़ूम करने पर १० सेंटीमीटर तक आ जाती थी और उसके सारे डिटेल्स, पावर सोर्स, आडियो वीडियो, और सबसे बड़ी बात रिकार्ड कर के ट्रांसमिट कितनी दूर और किस दिशा में करती हैं.
मतलब चोर के घर मोर लग गए थे।
जो मशीन हम लोगों को मुफ्त में ज्ञान बाँट रही थी, वो पक्का उस ज्ञान को बाहर भी भेज रही होगी। ( ये मुझे बाद में समझ में आया जैसे समझदार बड़े आदमी अपने समझदार कुत्तों को बाहर ले जाते हैं सुबह शाम जिससे वो पब्लिक प्लेस में अपना प्राइवेट काम कर सके उसी तरह यह मशीन ये सब जानकारी बाहर तभी भेजती थी जब इस तरह के कीड़ों की सरहद और पकड़ के बाहर हो तभी वो काम करती थी।
और चोरों के घर मोर लगने के लिए ये भी जरूरी था की हम सब जरूरी काम करें जो रोज करते थे जिससे दुनिया देखे और आदर्श घरेलू जीवन के सबक सीखे।
और जब ये कैमरे ऐक्टिव होंगे तभी कम्युनिकेशन होगा, और जब कम्यूनिकेश होगा, तो ये मशीन पकड़ेगी की ये बात चीत कहाँ जा रही है, ( जो ५०० मीटर के आसपास ही होगी ) और फिर उन्हें ट्रेस कर के मोर लोग चोरों के सरदार तक पहुंचने की कोशिश करेंगे।
और फिर रिपोर्ट में इन्हे ठरकी कहा गया था, और हम लोगों की औकात क्या की रिपोर्ट वालों की बात गलत करें, फिर जितना वो इन्हे ठरकी समझते इनका काम भी आसान होता।
ठेले वाला -ताज़ी गाजर
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फिर भी कुछ बातें मैं इन्हे बताना चाहती थी जो इन सास ननद की तरह छुप छुप के सुनने वालों की पकड़ से बाहर हो आखिर हस्बेंड वाइफ की कुछ तो प्राइवेसी होनी चाहिए,...
पहली बात तो बड़ी मुश्किल से मैं अपने को रोक पायी, खिड़की से मैंने देखा,... वो आदमी जो पार्क में जब हम लोग मज़े ले रहे थे मोबाइल से कोई अंगूठी ढूंढ रहा था, वापस आ गया था, हम लोगों के घर के ठीक सामने लगे सब्जी के ठेले पे।
तभी पार्क में मैं कहूं की इसकी शकल कुछ देखी सी लग रही थी.
दो दिन पहले ही ठेला लगना शुरू हुआ था, मैं और गीता दोनों खुश की अबतक सब्जी लाने टाऊनशिप के बाहर जाना पड़ता था, और सब्जी भी सब एकदम फ्रेश,
गुड्डी कोचिंग से आयी थी और उस ठेले को देखकर वो भी बहुत खुश,
मुझे पकड़ के दबोच लिया, और चुम्मी लेके बोली,
" भौजी, बाहर ठेले पे बहुत मस्त गाजर बेच रहा है, खूब बड़े बड़े और एकदम मस्त रंग, ताजे,.... आज गाजर का हलवा बनाइये, "
गीता मेरे पास ही थी वो क्यों बख्श देती गुड्डी को, छेड़ते हुए बोली,
" काहें देख के अपने भैया क लंड याद आ गया का "
" हे हमरे भैया क लंड क कउनो जोड़ बनाने वाले ने नहीं बनाया, लम्बा मोटा कड़ा फाड़ के रख देता है, " बनावटी गुस्से से गीता से वो बोली, फिर मुस्करा के उसे गले लगा के बोली,
" हमरे भैया से १८ होगा, १७ नहीं। बित्ते भर के तो हैं ही, ... मोटे भी "
" मंजूर, हलवा बनेगा, लेकिन एक शर्त मेरी भी जो सबसे बड़े लम्बे होंगे वो दो तुझे घंटे भर अपने अंदर रखने होंगे "मैं क्यों ननद को छेड़ने से छोड़ती।
आगे की बात गुड्डी ने खुद बोल दी,
" और उस की आप रात को खीर बनाएंगी, यही है न चलिए भौजी आप भी क्या याद करेंगी, आपके कमल जीजू का घोंट लिया, पार्टी में जावेद का बांस घोंटूंगी, तो,...और आज तक मैंने अपनी प्यारी भौजी क कोई बात नहीं टाली, तो दो ठो गाजर कौन चीज हैं। वैसे भी आधे घंटे बाद मेरी एक एक घंटे की दो ऑनलाइन क्लासेज हैं, तो बस खीर की तैयारी भी,… मेरी क्लास भी, "
" तो चलो, खरीदवा देते हैं, लेकिन पहले ये नीचे वाला ढक्क्न खोलो " गीता बोली और झट से गुड्डी की पैंटी खींच के फर्श पर, ब्रा तो वैसे ही वो कोचिंग में भी पहन के नहीं जाती थी, टाइट टॉप में गोल्डन निप्स रिंग्स में कसे, पोकिंग निप्स साफ़ साफ दिखते थे,
गुड्डी, गीता और गाजर वाला,
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और गीता और गुड्डी गाजर वाले के ठेले पर।
गुड्डी अकेले ही काफी थी उस गाज़र के ठेले वाली की पैंट ढीली करवाने के लिए पर साथ में गीता भी, सहेली भी, गुड्डी की गुरु भी, ननद भाभी का रिश्ता भी,... दोनों टीनेजर,
" आइये बहनजी, एकदम ताज़े गाजर हैं, रस से भरे, साइज देखिये " ठेले वाला बोला।
" भैया, साइज तो मैं पकड़ के देखूंगी, अगर आपको बुरा न लगे, लम्बाई भी मोटाई भी" डबल मीनिंग डायलॉग में तो गुड्डी अब बड़ो बड़ों के कान काटती थी
" अरे बहन जी आप पकड़ के देखिये, दबा के देखिये, आपके लिए ही हैं, जैसी मर्जी बहन जी"
ठेले वाले की निगाह कभी गुड्डी के टॉप फाड़ते निप्स पर जाती तो कभी गीता के एकदम ही लो कट चोली से झांकते गोरे गोरे निप्स पर, गीता खेली खायी, उसे ठेले वाले को छेड़ती बोली, ...
" इनको बहन जी सम्हल के बोलियेगा, "
अब वो एक मिनट के लिए घबड़ाया, उसे लगा कुछ डबल मीनिंग ज्यादा हो गया,
" क्यों " उसने पूछा।
" इस लिए की जिस जिस को ये भैया बोलती हैं, उसको सैंया बनाये बिना छोड़ती नहीं है, तो आपकी गाज़र गयी समझिये "
हँसते खिलखिलाते गीता बोली, और गुड्डी के गाल में कस के चिकोटी काट ली.
" भैया, ये हमारी भौजी हैं, इसलिए आप इनसे रिश्ता खुद तय कर लीजिये" गुड्डी क्यों गीता को छोड़ती, और दाम कितना लगाइएगा, आपकी गाजर तो मुझे पसंद है। " गुड्डी बोली
" वैसे तो बाजार में ५० है लेकिन आप के लिए दस रुपये छूट। " वो बोला।
" क्या भैया, मुझे तो लगा आपने बहन बोला है तो बहन से कोई पैसा लेता है लेकिन चलिए बोहनी का टाइम है तो हमारे पास तो पच्चीस ही हैं " गुड्डी मुंह बना के थोड़ा और झुक के बोली,
और क्या अपनी बहन के पास देने के लिए बहुत चीजे हैं, पैसे तो हर कोई दे देता हैं तो बस मांग लीजिये, और आपकी बहन और मेरी ननद किसी को मना नहीं करतीं, बहुत सीधी हैं " ,ऐसा मौका गीता क्यों छोड़ती, बिना गुड्डी को रगड़े।
क्लीवेज देख के ठेले वाला भी, और उसने २५ रुपये लगा दिया, लेकिन गुड्डी इतने आसानी से नहीं छोड़ने वाली थी बोली, " भैया टेस्ट करने के लिए तो दो दे दीजिये, अपने हाथ से जो आपको पंसद हो, सबसे लम्बी हो बस,... "
दूकान वाले ने सच में चुन के एक खूब लम्बी मोटी निकाली और बोला, लीजिये बहन जी ये मेरी ओर से खा के देखिये, कितना रस है,
' अरे बहन जी के भैया जी, ... ये मेरी ननद, इनके भैया आज कल नहीं है न , इसलिए ऊपर वाले मुंह में नहीं नीचे वाले मुंह के लिए मांग रही हैं " गीता छेड़ते हुए बोली।
" भैया दो मेरी भौजी को भी दे दीजिये वरना वो नजर लगा देंगी " गुड्डी हंस के बोली।
तो आधे रेट पर और उसके अलावा चार बड़ी मोटी गाजर लेकर दोनों दुष्ट आ गयीं हंसती खिलखिलाती,
लेकिन शक मुझे तभी हो गया.
कौन दुकानदार आधे रेट पर दाम लगाता है और फिर गीता, वो बोली, उसकी आवाज से लग रहा था कहीं बाहर का है. फिर थोड़ी देर बाद एक और आदमी भी आके उसी ठेले पर खड़ा हो गया।
एक ठेले से एक आदमी का खरचा नहीं निकलता दो दो लोग,...
फिर कौन सब्जी वाला सिर्फ गाजर का ठेला लगाता है वो भी ऐसी जगह पे, बड़ी मंडी में ठीक है जहाँ थोक वाले आ रहे हैं, दूकान वाले खरीद रहे हैं , लेकिन टाउनशिप के एक कोने पे, सिर्फ गाजर का ठेला, मुझे लग रहा था की कुछ तो गड़बबड़ है।
कीड़े -घर के अंदर
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दूसरी बात मुझे और साफ़ हो गयी कीड़े कैसे घर के अंदर घुसे।
जिस दिन वो गुड्डी और गाजर वाली बात हुयी थी,उसी दिन या शायद अगले दिन,में और सुजाता बैठे गप्पे मार रहे थे, गुड्डी कोचिंग में थी।
हम दोनों मिसेज मोइत्रा के चीरहरण और उनकी दोनों बेटियों के साथ साथ शील हरण का प्रोग्राम बना रहे थे, तभी घण्टी बजी और तीन जमूरे जिस कम्पनी की वाशिंग मशीन, ओवन हम लोगो के पास थी,उसी के नाम की टी शर्ट पहने, बेसबाल कैप लगाए सामने खड़े थे और चालू हो गए,
" हमारी कम्पनी पेस्ट कंट्रोल में भी मूव कर रही है तो आप हमारे पुराने कस्टमर है इसलिए आपके यहाँ हम फर्स्ट राउंड फ्री में करेंगे, ६ महीने की गारंटी, साथ में आके सारे एक्विपमनेट्स की क्लिनिंनग और सर्विसिंग भी। "
सुजाता ने मुझसे कान में बोला की इसकी कम्पनी में फोन कर के चेक कर लो, और वहां से भी वही ऑफर और उन्होंने सेफ्टी चेक बताया की उनकी कम्पनी के नाम की टी शर्ट और उनके नेम टैग्स चेक कर लूँ। एकदम मैच कर रहे थे
तबतक दूसरे ने चार तरह के काकरोचों के बारे में ज्ञान देना शुरू कर दिया और घर एक घंटे के लिए उन्हें सौंप कर के मैं और सुजाता बाहर लान में,...
घण्टे भर बाद जब हम दोनों अंदर गए तो हर चीज एकदम चमक रही थी और किचेन में सैकड़ों छोटे छोटे काकरोच, वीरगति को प्राप्त पड़े थे।
उन लोगो ने बोला की चार घंटे बाद मैं किचेन इस्तेमाल कर सकती हूँ और तीन हफते बाद आ कर रिपीट करेंगे। ६ महीने की गारंटी, और मैंने जिस नंबर पर बात की थी वहीँ बता करके सर्विस रेट कर दूँ और एक ऐप डाउनलोड कर लूँ जिससे ६ महीने में कोई काम होगा, बस सर्विस रिक्वेसट डालनी होगी।
सब फ्री।
अब मुझे लगता है की उन्होंने काल डाइवरसन से उस कम्पनी की काल को अपने किसी आदमी के पास डाइवर्ट किया होगा, घर में सारे बग फिट किये होंगे और ऐप और दो बार उस कम्पनी से बात करने के चक्कर में मेरा फोन हैक कर लिया होगा।
हाँ एक बात और,
गाजर वाली बात के दूसरे दिन, गुड्डी की कोचिंग दोपहर को ही ख़तम हो गयी थी, और आते ही वो मार डोसा इडली करने लगी। दस पांच गाली सुनने के बाद बोली, की यहीं पास में एक फ़ूड ट्रक लगी है, चार दिन के लिए कोई साउथ इंडियन फ़ूड फेस्टिवल चला रही है बहुत कम रेट पे।
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गुड्डी की जिद, ये थे भी नहीं।
थोड़ी देर में हम दोनों ननद भौजाई उस फ़ूड ट्रक पे, डोसा तो ठीक ठाक था , लें इडली साम्भर गज़ब का टेस्टी थी। सबसे अच्छी बात ये थी की इनके बचपन के माल की सूरत उन्हें भा गयी थी, उस का फोन नंबर उन्होंने माँगा और गुड्डी ने झट्ट दे दिया। फिर एड्रेस, और बोला की वो लोग होम डिलीवरी भी कर सकते हैं। हमारा घर एक किलोमीटर के अंदर था , मुश्किल से ५०० -६०० मीटर,बल्कि उससे भी कम। गुड्डी ने अपने फोन से लोकेष्ण दिया और उन्होंने जोड़ के बता दिया, सिर्फ ४८३ मीटर। और पहली होम डिलवरी फ्री।
और वो फ़ूड ट्रक भी उन्ही का पार्ट होगा जो हमारा हाल चाल जान रहे थे पल पल की।
गाजर वाले ठेले से वो फ़ूड ट्रक दिखती थी जब की हमारे घर से नहीं दिखती थी।
मैंने भी बहुत जासूसी किताबें पढ़ी थी, सीरियल देखे थे। अब थोड़ा थोड़ा मैं भी समझ रही थी , गाजर के ठेले वाला फिजकल सर्वेलन्स कर रहा था और क्या पता बग्स की फीड उसके पास भी। और फ़ूड ट्रक वाले को जो उसके विजुअल लाइन में था उसे मेसेज कर रहा होगा।
फ़ूड ट्रक में कम्युनिकेशन इक्विपमनेट्स होंगे, एक छोटा मोटा कमांड कंट्रोल सिस्टम, और बग्स को वो वहीँ से रिकार्ड कर रहे होंगे और उन्हें अपने मालिक के पास कम्ययूनिकेट कर रहे होंगे।
ये सब बातें मैं इनको बताना चाहती थी लेकिन कैसे, किस जगह।
हर जगह तो दीवारों में बिजली की स्विच में कान उग आये थे। मैंने कहीं पढ़ा था की शावर बेस्ट जगहहोती है , शावर की आवाज में अपनी आवाज दब जाती है. और बाथरूम में कोई बग भी नहीं लगाता।
शावर
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तो मैंने इन्हे हड़काया, " यार पार्क में मजा तो बहुत आया लेकिन मिट्टी लग गयी है बहुत, चल पहले शावर कर ले।
मैं इन्हे खींच के शावर में ले गयी और कीड़ा पकड़क यंत्र ने वहां भी दो बग ढूंढ लिए। एक तो फ्लश की हैंडल पे थी, दूसरा शावर के पास, आडियो वीडियो दोनों,
अब वहां बात तो कर नहीं सकते थे , फिर जो करना था वो किया,... मस्ती। देखना हो तो देखें आँख फाड़ के।
और अब जब हम दोनों को पता था की कीड़े कहाँ हैं उनकी आँखे कहा है, तो बस मैं और आग लगा रही थी,...
और सच्ची बात थी आग तो लगी ही थी, तीन दिन कोई अपनी वाली को छोड़ के जाता है,...
शावर में हम दोनों एक दूसरे की देह से देह रगड़ रहे थे, कस के चिपकाए हुए, मैं पागलों की तरह उन्हें चूम रही थी. जिस तरह का सर्वेलंस उनके न रहने पर भी शुरू होगया तो उनके पीछे कितने पड़े रहे होंगे , क्या क्या खतरे उठाये होंगे मेरे बाबू ने, और बस मैं अपने ३४ सी उनके सीने पर बार बार रगड़ रही थी,.. नतीजा वही हुआ जो होना था
बाबू का बाबू खड़ा हो गया, ...
' वो ' खड़ा हो गया और मैं बैठ गयी,... शावर का कैमरा ठीक ऊपर कीड़े के पेट में लगा, ... देख ले जिसे देखना हो, गाजर की दूकान वाला, फ़ूड ट्रक वाला, सात समुन्दर पार वाला,...
और बैठ कर मैंने मुंह खोल दिया, चाहती तो थी उन से मुंह भर बतियाना, लेकिन इतनी आँखे और कान इस बाथरूम में भी थे और जब मुंह से बोल नहीं सकती थी अपने साजन से तो वही किया जो खुले मुंह से कर सकती थी,
मुंह में ले लिया, और आज उन्हें तड़पाया नहीं, न जीभ से पेशाब के छेद पर सुरसुरी की बस सीधे गप्प से वो फूला सुपाड़ा मेरे मुंह में, और हलके हलके चुभलाने लगी, पार्क में नीचे वाले मुंह की भूख उनके आने के बाद कुछ तो शांत हुयी थी पर बेचारा ऊपर वाला मुंह इन्तजार ही कर रहा था, और अब उसे मौका मिला।
गड़प
सुपाड़ा उनका इतना मोटा, उसी से मुंह भर गया,... कभी जीभ से नीचे चाटती तो कभी होंठों को गोल कर के मस्त चूसती, कोई डर नहीं था उसके पानी छोड़ने का इतनी जल्दी, ... लेकिन अब उनसे भी नहीं रहा गया, उन्होंने कस के मेरा सर पकड़ा और पूरी ताकत से खूंटा अंदर पेल दिया, .... आधे से ज्यादा मेरे मुंह में था, मैं प्यार से चूस रही थी कभी हलके कभी जोर लगा के,
लेकिन बदमाशी पर मेरी सास के बेटे का ही हक थोड़े था मैं भी तो अपनी सास की छोटी बहू थी, कुछ गुन उनका मेरे अंदर भी,... मेरी उँगलियाँ तो खाली थीं। तो बस कभी वो उनके दोनों रसगुल्लों पर, तो कभी पिछवाड़े के छेद पर,
लेकिन थोड़ी देर में ही मैंने भी अपने दोनों हाथों से उनके दोनों चूतड़ पकड़ लिए और कस के उन्हें पकड़ के अपनी ओर खींचने लगी, छेद चाहे जो भी हो मुझे तो पूरा चाहिए था अपने बालम का,... बस दोनों ओर से धक्कम धुक्का, सुपाड़ा मेरे हलक में रगड़ रहा था लेकिन चोक वाली फीलिंग तो मेरी बहुत पहले खतम हो चुकी थी अब तो सिर्फ मजा मिलता था,
पर अब मेरी चुनमुनिया पानी बहा रही थी, और अपने मन की बात वो मुझसे पहले इनसे कहती थी, और थोड़ी देर में हम दोनों लता की तरह गुथे हुए शावर के नीचे,
बड़ी ताकत थी इस लड़के में, मेरी एक टांग उठा के अपनी कमर में जैसे इस लड़के ने बांध लिया, और क्या धक्का मारा। अब हम दोनों कीड़े और कैमरे को भूल चुके थे, बस रगड़ा रगड़ी, अंदर बाहर, मस्ती। मैंने इन्हे कस के पकड़ रखा था, धक्के मारने का काम इनका, धक्के खाने का काम मेरा, लेकिन थोड़ी देर में मैं भी जवाब दे रहे थी होने साजन को चूतड़ उछाल उछाल कर, इनकी माँ बहन गरिया रही थी, चूम रही थी, इनके होंठ चूस रही थी,...
जो नहाने का काम दस मिनट में होता वो आधे घंटे में पूरा हुआ.
लेकिन जिस काम के लिए मैं इन्हे शावर में ले गयी थी वो नहीं हो पाया, जो मैंने उन्हें गाज़र के ठेले वाले की बात, फ़ूड ट्रक और मेरे अंदाज से कीड़े कैसे लगे, ये सब बताना चाहती थी, नहीं बता पायी। मुझे दूसरा उपाय सूझा।
साली, वो भी छोटी,... कौन जीजा होगा जिसके मुंह में पानी न आ जाए, और ये तो वैसे ही लिबरहे,...
" आपकी छोटी साली ने बुलाया था खाने को मैंने हां कर दिया " मैं बोली।
चेहरे पर बल्ब जल गया उनका, खूब खुश होके बोले,
" सुजाता, चलो चलते हैं बस झट्ट से मैं तैयार हो गया " ... और थोड़ी देर में हम दोनों घर से बाहर थे, पहला फायदा तो ये हुआ की मुझे खाना नहीं बढ़ाया, आज ये लड़का इतना भूखा था, किचेन में भी मुझे खाने के लिए उतावला रहता और असली बात मैंने सोची, वो गाजर के ठेले, फ़ूड कोर्ट और कीड़े कैसे आये ये सब उन्हें रास्ते में बता दूंगी,
निकलते ही मैंने उन्हें बोला , " यार एक पास में ही एक बहुत अच्छी फ़ूड ट्रक लगी है, मस्त डोसा बनाता है, दो दिन पहले ही लगी, तुम्हारी उस अनारकली ने ही देखा था पहले। हम दोनों ने टेस्ट कर लिया है। "
" अब आज तो तेरी छोटी बहन के हाथ का खाना है, हाँ कल परसों ट्राई करेंगे " मन तो उनका सुजाता पर लगा था. और साथ ही वो कीड़ा पकडक यंत्र अब निचली जेब से निकल कर उनके हाथ में आ गया। वो एकदम उनके पुराने धुराने क्लियरेंस सेल वाले आई फोन का डुप्लीकेट थे, लेकिन सबसे अच्छी बात ये थी की वो फोन ऐसा दीखता तो था ही फोन ऐसा काम भी कर सकता था,
दो दिन पहले से उन्हें अंदाज लग गया की ऐसी जगह पे जहाँ कोई दूकान भी नहीं चल सकती, फ़ूड ट्रक किसने लगाई होगी।
जैसे बहुत से लोग पेन वाला कैमरा लेकर चलते हैं जेब में खोंस कर लेकिन कोई कहे भाई साहब जरा पेन दीजिये या सिग्नेचर ही करना हो तो बगले झाँकने लगते थे, लेकिन ये फोन नुमा कीड़ा पकडक यंत्र, फोन का काम तो करता ही था, उसके अलावा भी बहुत सा काम कर सकता था, जैसे जब उन्होंने हाथ से निकाल कर जब फोन अपनी ऊपर वाली जेब में रख लिया तो वो चुप चाप अँधेरे में भी सब कुछ रिकार्ड करने लगा. इन्होने कान में गाना सुनने के लिए जो दो खोंसते हैं उस तरह का खोंस लिया था लेकिन वो दूसरा काम कर रहा था, फोन में आस पास के डाटा रिकार्डिंग डिवाइस, उन की लोकेशन सब न सिर्फ रिकार्ड हो रही थी बल्कि वॉयस में कन्वर्ट होकर उनके कान में भी।
हम दोनों हाथ में हाथ थामे कोई रोमांटिक गाना गुनगुनाते चल रहे थे, तभी उन्होंने अपने हाथ से मेरे हाथ की मंझली ऊँगली दबा दी ,
ये इशारे हम लोगों ने 'ऑपरेशन जेठानी ' के समय ये कोड डेवलप किया था अगर जेठानी जी कहीं परदे के पीछे से हम लोगों की बात सुन रही है या ' गलती से अपना मोबाइल टेबल पर रिकार्डिंग मोड में ' रख कर चली गयी हैं तो इसी इशारे से हम लोग उनके कोप से बचते थे।
बगल से एक साइकिल वाला गुजरा धीमी रफ्तार के समाचार की तरह,... उनके कीड़ा नाशक यंत्र ने वार्न ने किया था १०० मीटर दूर से कोई डाटा रिकार्डिंग मशीन लेकर चल रहा है.
जब हम लोग फ़ूड ट्रक के पास से गुजर रहे थे, एक आदमी कोई आर्डर दे रहा था, सांभर की बहुत अच्छी महक आ रही थी और उनका जूते का फीता खुल गया, और मैंने चार गालियां अपनी सास को सुनायी,
" तेरी महतारी की तरह तुझे भी नाड़ा खोलने में तो बहुत तेज हो, लेकिन बांधने में हरदम गड़बड़ करते हो. तेरी महतारी का तो यार लोग नाड़ा नहीं बाँधने देते होंगे, लेकिन तेरे जूते का फीता,... "
वो मुस्कराते रहे, फीता बांधते रहे। और वो कीड़ा नाशक यंत्र भी अपना काम कर रहा था।
एक बात तो मैं समझ गयी, दो बातें मैं सुजाता के घर पहुंच के जान पायी इन्होने समझायी।
इनका जूते का फीता इसलिए खुला की ये उस फ़ूड ट्रक का हाल चाल जानना चाहते थे. असल में उन्होने उस कीड़ा मारक यंत्र से उस फ़ूड ट्रक की लोकेशन रिकार्ड की थी.
सुजाता के यहाँ पहुँच के उन्होंने बताया की उस फ़ूड ट्रक में जो चिमनी थी, वो चिमनी के साथ साथ सेटेलाइट डिश का भी काम कर रही थी। यानी अभी थोड़ी देर पहले जो शावर में हम लोगों ने जल क्रीड़ा और काम क्रीड़ा की थी, वो सब इसी चिमनी के धुंए के साथ कितने लोगों के मन को खराब करने के लिए सेटलाइट से होकर गया होगा,
और दूसरी बात, जिस कीड़ा मारक यंत्र में उन्होएँ रिकार्ड किया था उससे वो ट्रांसमिट भी कर सकते थे, आखिर हम डाऊनलोड और अपलोड दोनों ही करते हैं। पर ट्रांसमिट करने में वेव्स के साथ सोर्स और डेसिनेशन दोनों ही पकड़े जा सकते हैं। इसलिए सुजाता के यहाँ पहुंच के सब चेक कर के ही उन्होंने फ़ूड ट्रक, साइकल वाले का और बाकी सब डाटा अपलोड किया।
इनकी मुंहबोली साली, मेरी सहेली, सुजाता
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लेकिन वो सब बातें बाद में हुयी पहले तो सुजाता ने इन्हे दस गालियां सुनायें, साली कौन जो गाली न दे,... फिर ये जबतक झिझके इन्हे पकड़ के दबोच लिया।
कुछ देर में ही हम दोनों सहेलियां किचेन में थीं।
और वो कीड़ा पकड़क यंत्र से सुजाता के घर के इंच इंच पर चेक कर रहे थे, कोई कीड़ा नहीं मिला।
और उन्होंने संतोष की सांस ली।
अब उस फोन कम कीड़ा पकडक से जो डाटा फ़ूड ट्रक, गाजर वाले का था वो सब ट्रांसमिट कर दिया। उन्हें भी नहीं मालूम था की डाटा कहाँ गया लेकिन सेकेंडो में सारी फाइलें गायब हो गयीं, अब कोई उस यंत्र को मिक्सी में डाल के भी निचोड़ दे तो एक डाटा नहीं मिलने वाला था।
बीच में मैं निकली तो उन्होंने इशारे से बता दिया की सुजाता के यहाँ अभी तक तो मामला सेफ है फिर मैंने उन्हें जो मेरे शक थे सब बता दिए, कीड़े कैसे लगे, फ़ूड ट्रक वाले ने कैसे गुड्डी का नंबर पता लगा लिया या गाजर वाले के यहाँ अनजाने में गीता के मुंह से निकल गया की वो घर पर नहीं है।
लेकिन वो जरा भी परेशान नहीं थे. बात सही थी अब हमारे हाथ में था की हम क्या इन्फो उन कीड़ो के जरिये पहुँचाना चाहते हैं दूसरे जितना ज्यादा हम ' ऐक्टिव ' रहेंगे, घर से डाटा निकल के गाजर वाले के पास, या फ़ूड ट्रक में पहुंचेगा और वहां से सेटलाइट, उस डाटा के जरिये आगे ट्रेस करना आसान होगा,. ...
खाना लग गया था, और खाना खाते हुए हम लोग अंत्याक्षरी भी खेल रहे थे, मैं और सुजाता एक तरफ ये अकेले।
लेकिन मेरी चमकी कहीं मम्मी का फोन मेरे फोन पर आ गया या इनके फोन पर और इनके मिशन के बारे में कुछ पूछ लिया या यही की कब आये, दूसरी बात की अगर मैं अपने फोन से मम्मी को कोई ऐसा वैसा मेसज करूँ और मेरा फोन तो कीड़े वाले ने हैक ही कर लिया है तो उन सब को भी पता चल जाएगा की मैं मम्मी को आगाह कर रही हूँ, ... तो मैंने सुजाता के फोन से मम्मी को ये मेसेज किया,
' मम्मी मैं सुजाता के यहाँ आपके दामाद के साथ अंत्याक्षरी खेल रही हूँ,मैं और सुजाता एक साथ धीरे धीरे बोल कोई सुन ना ले की अगली लाइन क्या है जल्दी से मेसेज करिये। "
मम्मी का जवाब आ गया और वो समझ भी गयीं की उन्हें मेरे और अपने दामाद से सम्हल के बातें करनी है। लेकिन फिर उनका एक और मेसेज आया की वो अपनी समधिन के साथ सवा नौ बजे वीडियो काल करेंगी, तब तक हम लोग घर पहुँच जाये।
हम दोनों नौ बजे ही घर पहुँच गए. फ़ूड ट्रक के आगे सन्नाटा था, लेकिन एक आदमी अभी भी विंडो पर था। सब्जी वाले ने ठेला तो बंद कर दिया था पर वही पास में लेटा था।
सवा नौ बजे मम्मी का फोन आया और फिर उन्होंने अपनी समधन को भी जोड़ लिया
आगे की कुछ बातें यही बताएंगे,
Aise hi shandaar reviews देते रहें..... हमारी और से बहुत बहुत धन्यवादkomaalrani जी, आपने तो इस अपडेट में 'घर-घर की कहानी' को 'बग-बग की कहानी' बना दिया!
सच कहूं तो ये पार्ट पढ़कर ऐसा लगा जैसे "मिशन इम्पॉसिबल" का देसी भारतीय वर्जन देख लिया हो, बस टॉम क्रूज़ की जगह एक "ठरकी" (जिसे आपने बड़े प्यार से महा-ठरकी बनाया) और उसकी धूर्त बीवी हैं, जो "चोरों के घर में मोर" बनकर छा गए!
वो फोन-नुमा बग डिटेक्टर तो जैसे घर की लक्ष्मण रेखा बन गया! सीरियल वालों की तरह "कौन बनेगा कीड़ा पकड़ने वाला" का गेम खेलते हुए:
"पंखे के पीछे कैमरा? स्विचबोर्ड में माइक? भाई, ये तो हमारे बचपन के 'आँख-मिचौनी' से भी आगे निकल गया!"
500 मीटर की ट्रांसमिशन रेंज पता चलते ही समझ आया—"ये जासूसी अब स्थानीय नहीं, सेटेलाइट लेवल की हो गई है!"
और फिर, "सिर्फ गाजर बेचने वाला ठेला" और डबल मीनिंग डायलॉग का कॉम्बो तो हिट हो गया! गुड्डी और गीता का "साइज़ चेक" करना: "भैया, लम्बाई-मोटाई देखूंगी! ठेले वाले का छूट देकर भी निप्पल्स पर नजर रखना.. ये डिस्काउंट नहीं, डिस्ट्रक्शन था!और फिर वो "नीचे वाला मुंह" वाली लाइन... "भाभी जी, आपकी साली ने तो सीधे गेम सेट-मैच कर दिया!"
फिर आया वो शावर वाला सीन: जहां बातें नहीं, "काम" हुआ! आपने "प्राइवेसी" की बात करनी थी, लेकिन "34C vs बाबू के बाबू" का मैच छिड़ गया! "शावर में कैमरा लगा है? कोई बात नहीं, लाइव स्ट्रीमिंग करते हैं!" "मुंह से बोल नहीं सकते? तो मुंह से कुछ और कर लो!" वाला सीन... "भाई, ये 'कीड़े' वाले अब तक सपने देख रहे होंगे!"
और अंत में फूड ट्रक वाला ट्विस्ट.. इडली-डोसा बेचने वाला ट्रक जो असल में स्पाई सेंटर निकला! और वो चिमनी वाला सेटेलाइट डिश... अब तो पता चला कि 'धुआंधार' एंटरटेनमेंट का मतलब क्या होता है!
और एक बात... जब चोर आपके घर में मोर बन जाए, तो उसे नाचने दो.. पर अपना डांस स्टेप भी तैयार रखो! कीड़े वालों को लगा वो "स्मार्ट" हैं, लेकिन आपके हीरो-हीरोइन ने "स्मार्टफोन से भी स्मार्ट" मूव चल दी!
टेंशन + मस्ती + जासूसी + गर्मागर्मी का बेहतरीन कॉम्बो था। अब इंतज़ार है अगले अपडेट का.. जहाँ शायद गाजर वाले का असली इरादा और सुजाता की नई स्कीम के बारे में पता चले!
अगली बार शावर में बात करने से पहले काम शुरू करने का टाइमर सेट कर देना.. वरना फिर से मुख्य मुद्दा छूट जाएगा!
छद्म चालों का विस्तृत जाल...जोरू का गुलाम -भाग २३६
मंगलवार -दिल्ली
३२,९३,531
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मिसेज डी मेलो
गेट पर मैंने बोल दिया था की , अगर कोई मुझे पूछे तो उसकी गाडी भी सीधे पीछे , मेरी गाड़ी के पास भेज देना।
दो बजे मिसेज डी मेलो आ गयीं।
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मिसेज डी मेलो, इनकी सेक्रेटरी,
लेकिन आर्गनाइजेशन में देखे तो इनसे बहुत ज्यादा एक्सपीरियंस, आफिस पॉलिटिक्स से लेकर कॉर्पोरटे आफिस के अंदरूनी हाल चाल तक सब उनकी उँगलियों पर, और सिर्फ इनकी नहीं मेरी और मम्मी की भी बहुत ख़ास, पर सुनती सब थीं , बोलती बहुत कम
और सबसे बड़ी दो बातें सुपर लॉयल और सुपर शार्प, वूड हाउस की कहानियों में जो हालत जीव्स की है एकदम उसी तरह से, बड़ी से बड़ी मुसीबत में बिना हिम्मत खोये, बिना कुछ बोले रास्ता निकाल लेने वाली,
और उन्होंने पूरी बात बता दी।
सुबह कांफ्रेंस एक स्पेशल रूम में हुए जिसे ये लोग 'एग ' कहते हैं। ये बगिंग , हैकिंग प्रूफ है , इसकी अंदरूनी दीवाले सर्जिकल स्टील की बनी हैं , और यह दिन में चार बार बग्स के लिए चेक होता है। और तब से यह उसी कमरे में बैठे सबसे बाते कर रहे हैं , सिर्फ एक बार बाहर निकल कर मिसेज डी मेलो को उन्होंने इंस्ट्रक्शन दिया।
वो अभी आलरेडी एक बगल के शहर में निकल गए हैं , जहाँ उनके एक फ्रेंड रहते हैं। इनके लिए मिसेज डी मेलो ने एक रूम भी एक होटल में बुक करा दिया है। वो वहीँ चेक इन करेंगे , अपने दोस्त से मिलेंगे और कुछ कम्पनी का भी काम है। दो दिन के लिए रूम बुक है।
लेकिन असली प्रोग्राम दूसरा है , जो सिर्फ मिसेज डी मेलो को मालूम है।
मिसेज डी मेलो और उनके एक कजिन का फर्स्ट एसी में दिल्ली के लिए एक कूपे बुक है , जो ट्रेन शाम सात बजे यहाँ से चलकर सुबह ६ बजे दिल्ली पहुंच जाती है। लेकिन रस्ते में जब ट्रेन उस शहर में पहुंचेगी , जहाँ के लिए ये गए हैं , वहां वो फर्स्ट एसी कूपे में आ जाएंगे और इनका कजिन उतर जाएगा , वह साढ़े दस की आखिरी फ्लाइट से दिल्ली पहुँच जाएगा और वहां से गाजियाबाद।
इनकी ट्रेन पांच बजे के करीब गाजियाबाद पहुंचेगी , वहां वह ट्रेन से उतर जाएंगे और मिसेज डी मेलो का कजिन वापस कूपे में ,...
अगर कोई ट्रैकमिसेज डी मेलो को ट्रैक करने की भी कोशिश करेगा तो वो यहां पर अपने कजिन के साथ फर्स्ट एसी कूपे से उतरेंगी , जिस स्टेशन पर चेंज होगा वहां भी ये दोनों लोग स्टेशन पर दो मिनट के लिए उतरेंगे , फिर वापस ट्रेन में चढ़ेंगे , .... और उनका कजिन वहां से बगल के डिब्बों से होता हुआ , तीन चार डिब्बे के बाद, जब ट्रेन स्टार्ट होगी उतर जाएगा।
ये बैग डी मेलो ही ले जाएंगी , और फर्स्ट एसी कूपे में ही इन्हे मिल जाएगा।
अब मैं समझ चुकी थी , ये बैग इन्होने क्यों मंगवाया।
जहाँ जिस शहर में उन्होंने होटल बुक करवाया है , वहीँ पर उनका फोन , कार्ड्स सब रह जाएंगे . निश्चित रुप से कोई उन्हें उनके कार्ड और मोबाइल से ट्रेस कर रहा होगा , वो फोन और कार्ड उसी शहर में दो दिन तक इस्तेमाल होंगे। और उन्ह ट्रैक करने वाला यही समझेगा की वो उसी शहर में हैं , जबकि वो कल अर्ली मॉर्निंग दिल्ली पहुँच चुके होंगे।
इस बैग में कई मोबाइल फोन थे , जिनमे कुछ तो एकदम बिना इस्तेमाल किये हुए , कुछ सिर्फ वन टाइम इस्तेमाल वाले थे। इसी तरह करीब आधी दर्जन सिम थीं , अलग अलग देशों की , अलग अलग लोगों के नामों की . लेकिन एकदम अनट्रेसेब्ल। उसके साथ भारी मात्रा में कैश भी था , जिससे कार्ड का इस्तेमाल भी उन्हें कम से कम करना पड़े। लेकिन कुछ कार्ड भी थे लेकिन अलग नामों से ,...
इस तरह एक दो दिन तक उन्हें टाइम मिल जाएगा।
हम लोगों की बात ख़तम होने के बाद किसी ने आकर बतलाया की मेंहदी वाले आये हैं , दो लड़कियां दो लड़के ,... मैंने उन्हें मिसेज डी मेलो से इंट्रोड्यूस करवाया , और कई ड्राइंग उन्होंने शेयर भी कीं।
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करीब आधे घंटे तक, सब टेक्नीकल डिटेल, मेहदी के कौन कैसे बनते हैं क्या क्या पड़ता है जिससे मेहँदी के रंग ज्यादा चटख हों और वो जल्दी सूख जाए, मेंहदी की डिजाइंस हाथ और पैर के साथ बाकी बॉडी पार्ट्स पर और फिर ब्राइडल मेहँदी,
वो मेहदी वलियाँ भी मान गयी की कोई जानकार थी,
मेरा बैग मिसेज डी मेलो के कार के पीछे वाली सीट पर , रखे एक बड़े बैग के अंदर चला गया।
और ढाई बजे तक मिसेज डी मेलो चली गयीं ,
यानी अगर कोई मिसेज डी मेलो को ट्रेस भी कर रहा होता, मेरी और उनके बीच की फोन की बात को हैक भी कर लिया होता तो उसे यही पता चलता की मिसेज डी मेलो, मेहदी वालो से मिलने आयी थी और क्लब में आकर चेक करने पर भी यही पता चलता की मिसेज डी मेलो ने मेंहदी वालो से बात की।
उनके जाने १० मिनट बाद सुजाता आयी , ...तब तक मैं जहाँ रेन डांस होना था , आर्टिफिसियल रेन , उनसे पानी के प्रेशर , एक साथ कितने शावर चलेंगे , कितनी एरिया कवर होगी , .... ये सब डिस्कस करती रही ,
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और सुजाता के आते ही तो फिर बदमाशियां छेड़खानियां , ... उसने आते ही मेंहदी वाले लड़कों को देख कर एकदम , मेरे कान में बोली ,
"स्साले मस्त चिकने लगते हैं , एकदम खाने लायक ,... अभी मूंछ भी नहीं आयी ठीक से , लेकिन औजार सही होगा मेरी गारंटी। "
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और फिर उन्हें चिढ़ाने पर जुट गयी , क्या पहन कर आओगे , ... कैसी मेंहदी लगाते ही , सिर्फ हाथ पर ,
वो लड़के भी लड़कियों के साथ कितना इंटरैक्ट करते होंगे , तुरंत डबल मीनिंग पर आ गए ,
" वो तो लगवाने वाली पर डिपेंड करता है , कहाँ ,कैसे लगवाती है। "
" नहीं नहीं यहाँ सिर्फ तुम सब तय करोगे , ... एक बार उसने हाथ फैला दिया तो बाकी सब ,... " सुजाता एकदम पीछे पड़ गयी , ...
और जब उसने टैब निकाल कर मेंहदी की ड्राइंग्स दिखायीं , तो इस बेचारे लौंडों की फट गयी
कोई हाथ पर नहीं थी , दस बारह तो सिर्फ बूब्स की , और पांच सीधे गुलाबो के चारो ओर ,
" देख पहले दोनों हाथ पर , ... पैर पर ,.... वो तो तुम लोग कर ही लोगे , असली चीज ये सब हैं ,... एक बार हाथ पैर पर लग गया तो हाथपैर थोड़े ही चला पाएंगी , फिर ये सब ,... " सुजाता ने ट्रिक भी बता दी और एक्स्सपीरिएंस भी पूछ लिया , टैब दिखा कर ,
" इसके पहले भी किसी को यहाँ लगाया है " बूब्स वाली मेंहदी खुली थी ,
" हाँ , ज्यादा नहीं , ज़रा सी ,.. दो तीन लड़कियों ने सुहागरात के पहले , ब्राइडल मेंहदी के साथ। "
" अरे यहां भी तो सुहागरात ही है सबकी उस दिन , ... और अच्छे से लगाया न तो अगले दिन तो ,... क्या पता तुम लोगों की भी , उस दिन तुम लोगो की उम्र वाली कच्ची कलियाँ ही रहेंगी। "
मैंने ध्यान नहीं दिया था , चमची नंबर २ आ गयी थी अभी अभी और वो बोली।
" एकदम अरे अगर पहले दिन , सैटरडे के दिन , तुमने अच्छे से लगाया न तो फिर संडे को तो ,... सोच सोच के मुट्ठ मत मारने लगना अभी से , ... एक से हाईस्कूल वालियां ,.. कोरी कच्ची कलियाँ ,... लेकिन क्या पहन के आओगे ,.... " सुजाता ने पूछ लिया और बिना उन सब के बोले ,
चमची नंबर दो ने फैसला सुना दिया ,
अरे उस दिन यहाँ कोई चड्ढी बनियान नहीं पहनेगा , तो अगर उस दिन वो तुम लोगों ने पहना तो गेट से ही बाहर ,... और फंक्शन का दिन है , तो सिर्फ कुरता ,.. बाकि छोटी सी कुर्ती और पाजामे में , और नार्मल नहीं चूड़ीदार देह से चिपका , सब कुछ दिखता है वाला , ... मैं खुद चेक करुँगी , ... "
और साथ में जो लड़कियां थीं उन्हें भी वही ड्रेस ,.. नो अंडरगार्मेंट्स ,... टाइट छोटी सी प्याजी कुर्ती और लेगिंग्स या केप्री।
अपनी सारी डिजाइन टैब से सुजाता ने उन चारों को वही व्हाट्सऐप कर दिया।
उनके जाने के बाद असली बदमाशी वाली प्लानिंग शुरू हुयी ,
तीज के अगले दिन की तीज प्रिंसेज ,... बल्कि हम तीनो को मालूम था असली टारगेट तो दोनों रसगुल्ले होने थे ,
ऊपर मन से तो ,मैं भी मस्ती वाली बाते कर रही थीं, चमची नंबर दो को एक से एक किंकी बातें करने के लिए उकसा रही थी,लेकिन मेरा मन इनमे लगा था। पहुँच जाय ठीक ठाक, क्या होगा, लेकिन फिर मैंने सर झटक दिया, मैं भी बड़ी बेवकूफ हूँ । ये हैं न सब ठीक कर लेंगे बस, एक बार पहुँच जाएँ
मन बार बार उमड़ घुमड़ कर इन्ही के पास जा रहा था।
ऐसे फंदे से नजरों को धोखा देना आसान...गाजियाबाद,-- दिल्ली - मंगल का दिन,
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डबल डिकॉय इस्तेमाल हुआ जिसकी जानकारी सिर्फ मिसेज डी मेलो को थी ( मुझे भी बाद में पूरा किस्सा पता चला ।
क्योंकि उन्होंने मुझे फोन पर कहा था की फ्लाइट से दिल्ली जाना है और किसी ने वो फोन हैक किया हो, तो दिल्ली का एक फ्लाइट का टिकट बाकयदा इनके नाम से बुक हुआ, ये इन्शियल्स ही इस्तेमाल करते थे वही आई डी में था। बोर्डिंग पास भी जारी हुआ और उसी इन्शियल वाला एक कोई उसी फ्लाइट से उस टिकट पर गया भी, वो भी कम्पनी की गाडी से। दिल्ली में भी कंपनी की ओर से होटल और गाडी बुक हुयी
एक तो डिकॉय ये था, जो आफिस में कुछ लोगो को पता था लेकिन सिर्फ ये की किसी मीटिंग में इन्हे जाना था लेकिन इनकी जगह वो आदमी जा रहा है और इन्हे कुछ परसनल काम आ गया था जिस वजह से ये नहीं जा पा रहे हे हैं।
दूसरे डिकॉय का कुछ हिस्सा किसी को नहीं मालूम था ये उस जगह पहंचे कैसे जहाँ इन्हे ट्रेन में बैठना था, मिसेज डी मेलो के साथ,। बाजार में एक मॉल में इनका एक दोस्त जिसका कम्पनी से कोई लेना देना नहीं था, वो मिला और उन्हें अपनी बाइक के पीछे बैठा के एक जगह छोड़ के आ गया। वहां से किसी कामर्सियल टैक्सी, जिसमे ४ की जगह ठूंस के ८ आदमी बैठाये जाते वो वहां पहुँच गए। और वहां पर फर्स्ट ऐसी के कूपे में, तबतक टिकट चेक हो चुका था और ये चुपचाप ऊपर की बर्थ पर लेट गए कंबल ओढ़ कर, गाजियाबाद तक दो तीन स्टापेज ही थे और कूपे में किसी को आना नहीं था।
तो अगले दिन सुबह यह गाजियाबाद पहुँच गए।
गाजियाबाद में उतर कर वो सीधे बाहर नहीं निकले , एक वेटिंग रूम में जाकर पहल फ्रेश होकर , दस मिनट बाद एक आटो से नोयडा , मेट्रो से कनाट प्लेस और फिर वहां से टैक्सी ,
आज और आनेवाला कल का दिन कम्पनी के लिए बहुत इम्पोर्टेन्ट थे और उनके इस रिजक्यू मिशन के बारे में मुम्बई के कारपोरेट हेडक्वार्टर को भी ज्यादा जानकारी नहीं थी, सिर्फ ग्लोबल स्ट्रेजटजिक टीम को और वो भी थोड़ी बहुत।
सुबह की मीटिंग में रिस्क असेसमेंट, थ्रेट परसेप्शन और वर्स्ट सिनेरियो के बारे में डिटेल बातचीत हुयी। और बहुत सी बात बिना बात के भी समझ ली गयी।
उसमें से एक यह था की बिना जो कॉरिडोर्स आफ पावर में हैं बिना उनके सपोर्ट के इस रिस्क से बचना बड़ा मुश्किल है , और उनके साथ निगोशिएशन्स के लिए निगोशियेटिंग स्किल के साथ, गिव एंड टेक की पावर, तुरंत डीसीजन लेने की क्षमता भी होनी चाहिए।
उनकी इंडियन कम्पनी एक बड़ी ग्लोबल कम्पनी की मेजारटी सब्सिडियरी थी, यानी मेजॉरिटी शेयर उनकी अमेरिकन कम्पनी के थे लेकिन बहुत सी और कंपनियों के शेयर थे और अभी कुछ ग्लोबल कंडीशन के चलते अक्वीजिशन का खतरा हो गया था। उन्होंने काफी स्टेप्स लिए थे लेकिन कहीं कुछ लीकेज था या कुछ और बातें हुयी, जिससे ये नयी सिचुएशन पैदा हुयी।
उनकी कम्पनी के पास कुछ इंटलेक्चुअल असेट थे जो अभी मॉनिटाइज नहीं किये जा सकते थे, पर कुछ और सपोर्टिंग रिसर्च के चलते अगले पांच छह महीनो में उनकी वैल्यू बहुत बढ़ने वाली थी और लगता था उनके बारे में कुछ कम्पनी को पता चल गया था और उन्होंने ये स्टेप्स लिए थे, जिसमे कुछ ग्लोबल और कुछ इंडियन कम्पनी की मिलीभगत थी।
लेकिन सब बातों को उन्होंने झटक के अलग किया, लिव इन द मोमेंट। प्रजेंट इस मोस्ट इम्पोर्टेन्ट , पास्ट इज पास्ट एंड फ्यूचर इज अनसर्टेन
बस आज और अभी , और ईश्वर में और खुद में विश्वास
तरीके खोज निकालना हीं जरुरी...दिल्ली गोल्फ क्लब
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साढ़े छह बजे उन्हें दिल्ली गोल्फ क्लब पहुंचना था , सवा छह पर वह पहुँच गए।
मम्मी के कांटैक्ट से उन्हें वही मिलना था।
तीसरे होल पर बात हुयी , बहुत थोड़ी सी। उस समय गोल्फ कोर्स में दूर दूर तक कोई नहीं थी , कैडी भी दूर चल रहा था।
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उनके साथ जो थे , वह दिल्ली के एक विवेकानंद थिंक टैंक और भारत फाउंडेशन दोनों में महत्वपूर्ण आदमी थे , अभी नीति आयोग के सबसे महत्वपूर्ण पद पर भी इसी थिंक टैंक से जुड़े एक , सज्जन थे. यह उस थिंक टैंक के आर्थिक और सिक्योरिटी दोनों ही मसलों में , मुख्य सलाहकार थे।
उन्होंने थोड़ी सी बात की , पर वो थिंक टैंक वाले सुनते रहे , ... और बस यही कहा की आठ बजे दिल्ली जिमखाना क्लब .
और दिल्ली जिमखाना क्लब, पहुँचने की बात सुन के उन्होंने चैन की सांस ली।
तमाम नेटवर्क के जरिये बड़ी मुश्किल से गोल्फ क्लब की यह मीटिंग तय हुयी थी।
अगर बात नहीं बनती तो उम्मीद की आखिरी किरण भी बुझ जाती पर दिल्ली जिमखाना क्लब की बात से परेशानी खत्म तो नहीं हुयी लेकिन एक बड़ा दरवाजा खुल गया।
दिल्ली जिमखाना के दरवाजे दिल्ली के सबसे पावरफुल लोगों के पीछे की पावर जो होती थी, जो अक्सर हेडलाइंस में नहीं आते थे, जिनका नाम भी लोग नहीं जानते थे, उन्ही के लिए खुलते थे, बड़े अफसर, सेना के अधिकारी, बिजनेसमैन और उनसे भी तगड़े, जो उन्हें उस पोजीशन तक पहुंचाते थे,
और अब सब कुछ उनके ऊपर था, उनकी निगोशियेटिंग स्किल पर और कैसे दोनों लोगो के लिए एक विन विन सिचुएशन क्रिएट की जा सकती है
असली बात चीत जिमखाना क्लब में ही हुयी , ब्रेकफास्ट के टाइम पर ,
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उनके सामने जो जो सज्जन थे उनसे मिलने के लिए दिल्ली के सत्ता के गलियारों में जो शक्तिशाली लोग हैं वो भी हफ़्तों इन्तजार करते थे , उन्हें हम मिस्टर एक्स कह सकते है , आर्थिक वाणिज्य , उद्योग और सुरक्षा ,... वह प्रधानमंत्री के आर्थिक मामलों की सलाहकार समिति में तो नहीं थे , पर उस समिति के आधे से ज्यादा सलाहकार उनके सुझाव पर रखे गए थे।
उन्होंने साफ़ साफ़ पूछ लिया , क्या चाहते हो , ...
और तुरंत उन्होंने मुंह खोल दिया , ... एल आई सी , और शेयर वो चाहते थे एल आई सी ख़रीदे ,...
और उनके सामने बैठे , उस महत्वपूर्ण आदमी ने साफ़ साफ़ मना कर दिया ,
" यू नो आलरेडी एल आई सी , इज स्ट्रेस्ड , एक बड़ी लीजिंग कम्पनी , जिसमें एल आई सी के मेजर शेयर थे , कोलैप्स के कगार पर है ,अभी हमें उसे बचाना है , ... आई कैन अंडरस्टैंड योर सिचुएशन ,... बट ,... "
इनका चेहरा एकदम गिर गया , पर वो बोले ,
" यू आर अ यंग पर्सन , लेट अस फाइंड अ सोल्यूशन , ...ओके एल आई सी कैन हेल्प बट नॉट लाइक दिस एंड ओनली आफ्टर यू मैनेज ५० % योरसेल्फ बिफोर थर्स्डे एंड आई आल्सो नो , बिफोर मार्केट क्लोजेस दिस वीक योर टेकओवर बीड विल बी मेड ,...सेकन्ड्ली इफ वन कम्पनी परचेज सच अ बिग चंक इट विल बी आब्वियस एंड यू टेक द फर्स्ट स्टेप एंड वी कैन फॉलो "
काफी देर बात के बाद रास्ता निकला , एल आई सी १/३ , १/३ कुछ गवर्मेंट कम्पनी और एन बी ऍफ़ सी , और बाकी १/३ इन्हे खुद मैनेज करना होगा। ये शर्त भी की पहले ये शेयर मैनेज करेंगे हटा ली गयी , ये एल आई सी के एक एम डी से आज रात को मुंबई में मीटिंग कर लें , कल शेयर मार्केट खुलने के बाद एल आइ सी इन्वेस्ट करेगा , इससे इनके शेयर थोड़े ऊपर चढ़ेंगे , उसके बाद वो एन बी एफ सी और फिर इनका इन्वेस्टमेंट ,
अगली बात जो उन्होंने रखी उसके लिए उन्हें अच्छी खासी डांट पड़ गयी ,
ये एक मेगा कारपोरेट जिसने इन्हे डेट दे रखा था , और जो उस डेट को इक्विटी में कन्वर्ट कर के एक्विजिशन में सपोर्ट करने वाला था , उससे ,...
" यू शुड नॉट फाइट विद हिम , नेवर डू एनीथिंग व्हिच विल लीड टू लास आफ फेस फॉर दैट कम्पनी , तुम समझते हो तुम्हारी कम्पनी उस डेट की बराबर पैसा तुम्हे ट्रांसफर करेगी , इन्वेस्टमेंट के नाम पर , ... बट गर्वमेंट उस फंड ट्रांसफर में इतनी अड़चन डाल सकती है , महीने दो महीने तो कुछ नहीं है , ... एंड बाय दैट टाइम योर टाइम टू रीपे विल बी ओवर , एंड एक बार टेक ओवर के बाद,... तुम्हारी पैरेंट कम्पनी कुछ नहीं कर सकती। ओके वी विल डू समथिंग , बट आफ्टर यू विल टेल अस , व्हाट यू आर ब्रिंगिंग ऑन द टेबल ,...
इनका चेहरा फक।
जो जो बातें इन्होने की थी , कारपोरेट आफिस की सारी स्ट्रेटेजी , सब कुछ मालूम थी ,.. यहाँ तक की फाइनेंसियल डिटेल्स , डील्स की डेट्स ,...
उनकी कम्पनी की ही नहीं, उनके राइवल्स की हालत, यहाँ तक की उनकी कम्पनी के बोर्ड ऑफ डायेरक्टर की मीटिंग में क्या बातें हुयी, और इन्फॉर्मेशन के साथ उनकी याददाश्त और बिजनेस अनिलिस गजब की थी, कम्पनी की बैलेंस शीट में जो बाते नहीं थी, वो डिटेल्स भी उन्हें मालूम थे
लेकिन इन्होने चैन की साँस ली, जब वो मुस्कराये, और अपनी सुलगायी और थोड़ा रिलेक्स हो के बोले
यस , योर कम्पनी इज लिकिंग लाइक अ सीव , एंड दैट इज द फर्स्ट थिंग यू शुड एड्ड्रेस , लेकिन चलो , आई विल सजेस्ट समबडी हु विल टेक केयर आफ दैट
फिर ये चालू हुए ,
स्टॉक मार्केट की बुरी हालत में सबसे बड़ा कारण ऍफ़ डी आई के इन्वेस्टमेंट की कमी है , अमेरिकन कंडीशन ठीक होने से , वहां की कंपनियां अब फंड वही इन्वेस्ट कर रही थी , इंफ़्रा , बैंकिंग पावर ,... इनकी पैरेंट कम्पनी के इन्वेस्टमेंट से ऍफ़ डी आई में फरक पडेगा।
और एक बार इनकी अमेरिकन कम्पनी ने इन्वेस्ट करना शुरू किया तो देखा देखी, कुछ पेंशन फंड और हेज फंड वाले भी इन्वेस्ट करना शुरू कर सकते हैं तो इस क्वार्टर में ऍफ़ डी आई इन्वेस्टमेन्ट सुधर जाएगा।
उन्होंने हलके से नाड किया और मुस्कराये, पाइप को थोड़ा ठीक किया और मुस्कराये।
इनकी जान में जान आयी और उन्होंने अपना अगला प्रपोजल पेश किया
ये अब इम्पोर्ट की जगह एक्सपोर्ट बेस्ड कम्पनी के तौर पर अपने को रिपोजीशन करेंगे ,
मैन्युफैचरिंग शिफ्ट करंगे शंघाई से ,
कम से कम ८०० सेमी स्किल्ड , और ४०० स्किल्ड जॉब क्रिएट होंगे ,
उन्होंने रोक दिया ,
ओके आई लाइक इट , कमिंग फ्रॉम अ यंग परसन लाइक यू ,
( ये रात भर ट्रेन में उस थिंक टैंक के पिछले छ महीने के पेपर पढ़ कर गए थे और अपनी सब बात उसी के सांचे में ढाल कर कर रहे थे )
लेकिन , सुनो , नो मोर् डिस्कसन , आई विल टेल थ्री फोर थिंग , कोई बातचीत नहीं ,
( उन्हें मालूम था की साढ़े नौ बजे उनका एक और अप्वाइंटमेंट है )
सत्ता के गलियारों में फेरा....दिल्ली जिमखाना -खुल गया दरवाजा
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ओके आई लाइक इट , कमिंग फ्रॉम अ यंग परसन लाइक यू ,
( ये रात भर ट्रेन में उस थिंक टैंक के पिछले छ महीने के पेपर पढ़ कर गए थे और अपनी सब बात उसी के सांचे में ढाल कर कर रहे थे )
लेकिन , सुनो , नो मोर् डिस्कसन , आई विल टेल थ्री फोर थिंग , कोई बातचीत नहीं ,
( उन्हें मालूम था की साढ़े नौ बजे उनका एक और अप्वाइंटमेंट है )
पहली बात जो तुम ऍफ़ डी आई में तुम्हारी पैरेंट कम्पनी के इन्वेस्टमेंट के बारे में कर रहे हो न , वो सभी लोग जानते हैं टेक ओवर से बचने के लिए है इसलिए मार्केट पर इसका कोई असर पॉजिटव नहीं पडेगा , तो जो मनी वो तुम्हारी कम्पनी में इन्वेस्ट करेंगे , उसका १० % कुछ कंपनियों को शोर करने के लिए , लिस्ट तुम्हे मिल जायेगी , मोस्टली सेमी गवर्मेन्ट कंपनी है , और पांच परसेंट , तुम्हे मार्केट को उठाने के लिए , मैं भी बुल्स को ही सपोर्ट करता हूँ ,
यह बाल उनकी वो सोच चुके थे। लेकिन इतनी जल्दी सामने बैठा उनके प्रस्ताव की पोल को पकड़ लेगा पर यही बात उन्होंने कल ग्लोबल बिजनेस ग्रुप में कही थी और उन्हें १२ पर्सेंट तक अडिशनल इन्वेस्टमेंट निगोशिएट की पावर मिली थी लेकिन उन्हें विश्वास था की इंडियन सब्सिडियरी को बचाने के लिए ये थोड़ा बहुत बात पैरेंट कम्पनी मान जायेगी। लेकिन इस समय उन्हें सिर्फ सुनना था और अगली बात उन्होंने ध्यान से सुनी।
दूसरी बात , पैरेंट कम्पनी तुम्हारी अभी उसकी रियल स्ट्रेंथ , क्लाउड कम्प्यूटिंग है , वी वांट की वो यहाँ ,... मुझे मालूम है वो कोई पार्टनर नहीं एक्सेप्ट करंगे , बहुत ज्यादा जॉब भी नहीं क्रिएट होंगे , उनकी जो भी कंडीशन होगी , हमें एक्सेप्टेबल होगी , इट इज ओनली फॉर गुड आप्टिक्स ,... वी विल ओपन ऑल द डोर्स ,... तुम्हे ,,मालूम तो होगा की , दो महीने में एक इम्पोर्टेन्ट विजिट अमेरिका में है , बस वहीँ , एनाउंसमेंट ,... डिजटल इण्डिया यू नो,...और ये मैनुफैक्चरिंग शिफ्ट के अलावा होगी,
तीसरी बात भी तुम्हारी पैरेंट कम्पनी से जुडी है , एक न्यूजपेपर भी वो ओन करते हैं , बस उस विजिट के पहले माहौल , ... वहां दो सीनेटर इण्डिया कॉकस के हैं , उनसे कॉन्टैक्ट ,... और थिंक टैंक की जो अमेरिकन ब्रांच है , उसकी ,... दो तीन आर्टिकल्स , ... यस वो उसे एडिट कर सकते हैं , टोन डाउन कर सकते हैं , पर दैट विल बी हेल्पफुल ,
और अब टेक ओवर , तो वि विल इंश्योर अगेंस्ट इट। हाँ जो मेगा कारपोरेट है , तुम लोग उसका सिर्फ ४० -४५ % लोन वापस करो , इससे तुम्हारी लिक्विडटी भी ठीक रहेगी और उनका फेस भी , कम से कम पांच छह साल तो वो तुम्हारे इस बिजनेस में नहीं घुसेंगे , कल शाम को उन लोगों से एक फॉर्मल मीटिंग हो जाएगी , हाँ ये मैं नहीं बोल रहा हूँ , बट इट मेक्स अ गुड बिजेनस सेन्स , ... वो लोग केबल इंटरटेनमेंट में घुस रहे हैं , यहाँ तुम लोग नहीं हो , इसलिए कम्पटीशन नहीं है पर यू कैन हेल्प देम इन टेक्नोलॉजी एंड मार्केटिंग ,
एक और तुम्हारी पैरेंट कम्पनी के फायदे की बात , ... हम लोग उसी विजिट में दस ऐसे स्मार्ट स्टोर जो तुम्हारी कम्पनी खोल रही है , ... ऐसे स्टोर यहाँ ,...यस वी विल परमिट मेजारटी शेयर होल्डिंग टू , फाइन टर्म्स एंड कंडीशन भी आप लोग बना सकते हो , टेक्नोलॉजी इन्फुजन के नाम पर ,...
ओके आई ऍम गोइंग , ... एंड यू विल बी टोल्ड अबाउट योर नेक्स्ट मीटिंग ,
नाऊ डोंट कांटेक्ट मी , एंड अवॉयड टाकिंग टू मुंबई , दे आर लिकिंग लाइक एनीथिंग शाम को पहुँचने के बाद सीधे उन्हें बता देना , परसन टू परसन ,
नौ बज गए थे , ये उन के जाने के बाद निकले , ... अभी वो सड़क पर नहीं पहुंचे थे की इनके मोबाइल पर तीन मेसेज आये ,
दो मीटिंग सिविल सर्विस इंस्टीट्यूट में थी , एक सवा ग्यारह पर और दूसरी पौने बारह पर , तीसरी कांस्टीट्यूशन क्लब में साढ़े बारह में।
कल कांफ्रेंस के बाद सिनसिनाटी से एक फोन आया था , और उसमें कहा गया था , दिल्ली से कोई फोन करना हो तो अमेरिकन एम्बैसी के कामर्सियल कौंसुलेट के पास जाना , वो सिक्योर रूम से ,...
और उनके कदम चाणक्यपुरी की ओर मुड़ चले ,
पैरेंट कम्पनी से एक घण्टे में चार बार बात वहीं से हुयी , फाइनली सारी कंडीशन मान ली गयीं , और उन्हें आगे के लिए भी ब्लेंक चेक दे दिया गया।
हाँ , आज रात को साढ़े दस , ग्यारह के बीच , मुंबई में अमेरिकन कौंसुलेट से ही पैरेंट कम्पनी से बात करनी थी , आज की प्रोग्रेस की और कल की प्लानिंग , अ गर कल दोपहर तक कुछ नहीं हुआ तो टेकओवर बचाना मुश्किल पड़ सकता था।
काफी गहराई वाला और गंभीर कदम...अमेरिकन एम्बेसी ,सिक्योरटी अडवाइजर
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पैरेंट कम्पनी के कॉन्टेक्ट्स बिजनेस कांउसलेट में थे। उनके बारे में पूरा डिटेल वहां पहले से था इसलिए वहां कोई दिक्कत नहीं हुयी और सब कुछ वेरिफाई करने के बाद सिक्योर कॉम का दरवाजा उनके लिए खुल गया। सिर्फ एक लैंड लाइन फोन था लेकिन दोनों एन्ड से स्क्रैम्ब्लर थे। बातों में भी उन्होंने यह नहीं जिक्र किया की किससे, कहाँ और कब मुलाकात हुयी, बस सबसे पहले रिवाइज्ड थ्रेड असेसमेंट कुछ कंडीशंस और उनका अपना सजेशन।
उन्हें मालूम था की सिनसिनाटी में इस समय रात के बारह बज रहे होंगे, ;लेकिन बिजनेस स्ट्रेटजी टीम के दो लोग यूरोप में थे, एक पेरिस दूसरा जेनेवा, स्विट्जलैंड में वहां सुबह के सवा छह बज रहे होंगे, तो मेसेज तो पहुँच जांयेंगे, डिटेल बातचीत रात में मुम्बई से होगी जब कम्पनी का आफिस खुल जाएगा
पर उनका ऑथराइजेशन और ब्रॉड स्ट्रेटजी पर क्लियरेंस मिल जायेगी
और उनके कदम चाणक्यपुरी की ओर मुड़ चले ,
पैरेंट कम्पनी के कॉन्टेक्ट्स बिजनेस कांउसलेट में थे। उनके बारे में पूरा डिटेल वहां पहले से था इसलिए वहां कोई दिक्कत नहीं हुयी और सब कुछ वेरिफाई करने के बाद सिक्योर कॉम का दरवाजा उनके लिए खुल गया। सिर्फ एक लैंड लाइन फोन था लेकिन दोनों एन्ड से स्क्रैम्ब्लर थे। बातों में भी उन्होंने यह नहीं जिक्र किया की किससे, कहाँ और कब मुलाकात हुयी, बस सबसे पहले रिवाइज्ड थ्रेड असेसमेंट कुछ कंडीशंस और उनका अपना सजेशन।
उन्हें मालूम था की सिनसिनाटी में इस समय रात के बारह बज रहे होंगे, ;लेकिन बिजनेस स्ट्रेटजी टीम के दो लोग यूरोप में थे, एक पेरिस दूसरा जेनेवा, स्विट्जलैंड में वहां सुबह के सवा छह बज रहे होंगे, तो मेसेज तो पहुँच जांयेंगे, डिटेल बातचीत रात में मुम्बई से होगी जब कम्पनी का आफिस खुल जाएगा
पर उनका ऑथराइजेशन और ब्रॉड स्ट्रेटजी पर क्लियरेंस मिल जायेगी
पैरेंट कम्पनी से एक घण्टे में चार बार बात वहीं से हुयी , फाइनली सारी कंडीशन मान ली गयीं , और उन्हें आगे के लिए भी ब्लेंक चेक दे दिया गया।
हाँ , आज रात को साढ़े दस , ग्यारह के बीच , मुंबई में अमेरिकन कौंसुलेट से ही पैरेंट कम्पनी से बात करनी थी , आज की प्रोग्रेस की और कल की प्लानिंग , अ गर कल दोपहर तक कुछ नहीं हुआ तो टेकओवर बचाना मुश्किल पड़ सकता था।
सवा ग्यारह बजे वो सिविल सर्विस इंस्टीट्यूट में थे , और उनके सामने सिक्योरटी अडवाइजर थे , एन एस ए के आफिस में चौथे नंबर पर ,
पहले एन टी आर ओ ( नेशनल टेक्नीकल रिसर्च आर्गनाइजेशन ) और यहाँ आने के पहले नैटग्रिड ( नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड ) के हेड भी थे।
सब उन्होंने ही बोला , सिक्योरटी अडवाइजर ने
" दो लोगों को मैंने काम पर लगा दिया है , एक काउंटर इंटेलिजेंस वाला और एक अटैकिंग स्ट्रेटजीज , साथ में एक हैकर , ब्लैक हैट है।
पहले वाले से कल साढ़े बारह बजे , तुम्हारी मीटिंग , बाइक्यूला स्टेशन के पास एक ईरानी रेस्टोरेंट है , वहीँ ,
और दूसरे वाले से , एक बजे दादर स्टेशन पर तिलक ब्रिज पर , वो तुम्हे कॉन्टैक्ट कर लेगा। साइबर इंटेलिजेंस वही दे देगा।
तुम्हारी आज की मीटिंग जहाँ जब थी , हम लोगों ने उस इलाके के सारे सी सी टीवी आधे घंटे के लिए बंद किये , सिविल सर्विस इंस्टीट्यूट मैंने इसी लिए चुना , इसके कैमरे हम ही आपरेट करते हैं ,... तुम लोगो की सारी बातें लीक हो रही हैं , हाँ , ... तुम अपने नए मोबाइल नंबर भी एक से ज्यादा बार इस्तेमाल मत करो , ... आजकल सिम क्लोन भी हो जाते हैं।
तुम अमेरिकन एम्बैसी गए थे ये हमें नहीं पता था , इसलिए वो सी सी टीवी ,... आज कल फेसियल रिकग्निशन इतना आसान हो गया है , और सी सी टीवी हैक करना भी ,... पर घबड़ाने की बात नहीं है , तुम्हारी पैरेंट कम्पनी अमेरिकन है तो तुम्हारा वहां जाना नार्मल है ,... और वो कम्युनिकेशन उसमें हम एन टी आर ओ के लोग भी हाथ नहीं लगाते , सिग्निट से हमारी अंडरस्टैंडिंग है।
और मुंबई में भी तुम अपने सी एम डी से रात में , मिलना और डिटेल मत शेयर करना , नो फोन्स विद हिम , जब तक उस काउंटर इंटेलिजेंस वाले से तुम्हारी बात न हो जाय और कैसे बाते लीक हो रही हैं , तुम्हारे यहां मोल कौन कौन है , ये पता न चल जाए ,... "
बस दस मिनट में मीटिंग ख़तम हो गयी , हाँ चलने के पहले उन्होंने एक कागज पर इनके सामने लिखा ,
इनकी पेरेंट्स कम्पनी के शेयर के नंबर ,
इन्हे मालूम था इनसे कहा नहीं जा रहा है , बताया जा रहा है , और इनके पास कोई रास्ता नहीं है , एक बार टेक ओवर बच जायेगा तो इस की दस गुना वो लोग एक झटके में कमा लेंगे।
इनके देखने के बाद अपने लाइटर से उन्होंने वो कागज जला दिया और सामने रखी ऐश ट्रे में राख झाड़ दी , पहले पड़ी सिगरेट की राखों में वो मिल गयी।
उनके जाने के बाद , इन्होने देखा की एक ब्राउन पेपर बैग मेज पर छूट गया है। पहले तो लगा की शायद वो भूल से , पर ये समझ गए थे सिक्योरिटी अडवाइजर की हर बात में मतलब है ,
फिर वो कुछ देर सोचते रहे , लास्ट लाइन उन्होंने कही थी , रेड मेरा फेवरिट कलर है।
उस बात का बाकी बातों से कोई मतलब नहीं था।
उन्होंने बैग खोल कर देखा उसमे दो मोबाइल फोन थे , थोड़े अलग ढंग के ,
लाल फोन को जैसे उन्होंने छुआ , एक वॉयस मेसेज स्टार्ट हो गया ,
वही सिक्योरटी अडवाइजर की आवाज ,
" ये लाल फोन आप मुझसे कॉन्टेक्ट के लिए ही इस्तेमाल कर सकते हो , इसी तरह अलग मीटिंग जिससे होगी , उसके साथ कॉन्टैक्ट के लिए नीला फोन है , टच करते ही कांटेक्ट होगा। अगर मैं फोन नहीं लिफ्ट कर सकूंगा तो दुबारा मैं खुद इसी फोन पर काल करूँगा। यह फोन ३२ घण्टे के लिए , कल रात आठ बजे सेल्फ डिस्ट्रक्ट हो जायेगा। इसमें कोई भी काल डिटेल सेव नहीं होगी। ये आपके अंगूठे और इंडेक्स फिंगर के निशान पर ही एक्टिवेट होगा , अगर आपने उन दोनों के अलावा कोई और ऊँगली स्क्रीन पर लगाई तो ये माना जायेगा की आप किसी थ्रेट में हो और सिक्योरटी प्रोसीजर स्टार्ट हो जायेगा। आपकी बायोमेट्रिक्स , आपके आधार डाटा लेकर इसमें डाली गयी है , अगर आपके अलावा किसी और ने फोन को छुआ तो फोन सेल्फ डिस्ट्रक्ट हो जायेगा , और उसके बायोमेट्रिक्स से हम उसे ट्रेस करेंगे। हम आपके साथ हैं , हमेशा। "
टाइम बाउंड एक्शन...आगे का प्रोग्राम -
मुम्बई
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उन्होंने उस फोन को रखा ही था की नीला फोन बजा और आवाज आयी , सेकेण्ड फ्लोर पर आ जाइये।
सेकेण्ड फ्लोर पर , जिनसे मुलाकात हुयी , वो ज्वाइंट सेक्रेटरी रेवेन्यू थे , स्टॉक एक्सचेंज , बैंक और इंश्योरेंस कम्पनी उन्ही के एरिया में पड़ते थे।
उन्होंने भी सिर्फ इंस्ट्रक्शन दिए और बातें बताई ,
" टेक ओवर बिड के पेपर उनकी राइवल ने प्रोसेस करने शुरू कर दिये हैं और कल सेबी में वो प्रेजन्ट होने वाले हैं , पर सेबी उसे कुछ दिन के लिए ऑब्जेक्शन लगा क्र रोक सकती है , एक उनके बॉर्ड आफ डायरेक्टर्स की मीटिंग भी कल काल की गयी है , उसे भी टालना होगा। आज शाम को मुंबई में सेबी , एल आई सी और एक मेजर एन बी ऍफ़ सी से उनकी मीटिंग वो शेड्यूल कर रहे हैं। उन्हें छह बजे तक मुम्बई पहुंच जाना है , जहाँ ये मीटिंग होगी।
शेयर मार्केट के ट्रेंड को बुलिश करने के लिए एक मिस्टर सांगी से भी मीटिंग शेड्यूल है , रात में साढ़े बारह बजे। जुहू होटल मैरियट के काफी शाप में कोई १२ बजे मिलेगा जो उन्हें ले जाएगा।
उनके बारे में इन्होने उड़ती खबर सुनी थी शार्ट टर्म के लिए वो बहुत ही वेव्स पैदा करता है लेकिन गेंस का ५० % उसका , और ये बुलिश ट्रेंड चार पांच दिन तक तो रहता है है , लेकिन उसे कॉन्टैक्ट करना बहुत टेढ़ा है ,
इसके अलावा भी ढेर सारे इकोनामिक डिटेल्स उन्होंने , जो कम्पनी इन्हे एक्वायर करने की कोशिश कर रही है , उसके दिए .
यह मीटिंग लम्बी चली , और इसके अंत में उन्होने कुछ डिमांड भी नहीं पेश की।
हाँ उनकी कांस्टीट्यूशन क्लब की मीटिंग कैंसल हो गई थी और उसके बदले में उन्हें करोल बाग़ के पास एक सामाजिक राष्ट्रवादी संगठन में किसी से मिलना था ,
यह मीटिंग आखिरी थी लेकिन सबसे इम्पोर्टेंट
उन्हें बताया गया की बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में एक डायरेक्टर उनका होगा।
उन्हें नाम भी बता दिया गया , और यह भी कल आफ्टरनून के पहले उसकी फाइलिंग सेबी के आफिस में हो जाए।
लेकिन चलने के पहले एक बात उन्होंने यह भी बोली ,
" उन्हें मालूम है की पैरेंट कम्पनी की भी शेयर होल्डिंग डायरेक्टली या इनडायरेक्टली बढ़ेगी , तो उनकी कम्पनी भी एक डायरेक्टर चेंज कर सकती है ,
कुछ देर यह चुप रहे फिर उनके कंधे पर हाथ रख कर बोले ,
"अगर वह आदमी तुम हो तो सेबी को कोई आब्जेक्शन नहीं होगा। , उसकी फाइलिंग भी वो साथ साथ कर सकते हैं। "
करोल बाग़ के पास से एयर पोर्ट ,... एक आदमी बल्कि लड़की से उन्होंने मीटिंग प्रेस क्लब में रखी थी , पर उस लड़की ने खुद बोला की वो लाउंज में एयरपोर्ट पर मिल जायेगी ,
आज रात से सारे इकनॉमिक साइट्स , न्यूज पेपर्स में क्या जाना है , ये सब उन्होंने डिसकस कर लिया , और कल सुबह से जितने चैनल हैं , सी एन बी ऍफ़ सी से लेकर एन डी टी वी बिजनेस तक ,...
फ्लाइट पौने छह बजे टर्मिनल टू पर पहुंच गयी , और उस के पहले उन्हें शेड्यूल मिल गया ,
१ - ७. ३० सेबी - बॉम्बे जिमखाना
२. ८. ४० , एल आई सी कॉर्पोरेट हेडक्वार्टस ,
३. ९. ३० एन बी ऍफ़ सी -यॉट क्लब
गनीमत है तीनों कोलाबा में थे , अमेरिकन कांसुलेट में उन्हें साढ़े ग्यारह के आस पास पहुँचना था , तबतक पैरेंट कम्पनी के आफिस खुल जाते , अमेरिका में।
एक सरप्राइज मीटिंग उन्हें वेट कर रही थी।
शेयर बाजार भी चक्करघिन्नी से कम नहीं है...बंबई -मंगलवार रात
सेबी -बॉम्बे जिमखाना
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सारी की सारी मीटिंग्स बहुत अच्छी हुयी।
लेकिन एयरपोर्ट से कोलाबा पहुँचने में भी टाइम लगता, तो बस उन्होंने बजाय कार से जाने के, एक टैक्सी अँधेरी के लिए और वहां से फास्ट लोकल से चर्च गेट,। शाम का टाइम था इसलिए रश लौटने वालों की थी और उन्हें लोकल में जगह मिल गयी, और चर्च गेट से बॉम्बे जिमखाना।
मीटिंग शुरू होने में अभी पंद्रह मिनट था। बॉम्बे जिमखाना के दरवाजे दिल्ली जिमखाना की तरह मुश्किल से तो नहीं खुलते थे लेकिन तभी भी वह काफी एक्सक्लूसिव था और आजादी के पहले तो बस यूरोपियन के लिए ही रिजर्व था। अभी भी उसकी मेम्बरशिप बहुत मुश्किल से मिलती थी लेकिन उसे सबसे ज्यादा अपील करती उसका आर्किटेक्चर, ओल्ड वर्ड चार्म और क्रिकेट से जुडी हिस्ट्री। और एक बात साल भर में सीख ली थी, काम के समय काम और मजे के समय मजा, पिछले तीन दिन तक तो सिर्फ मजे ही लिए थे लेकिन अब बस जब तक ये परेशानी दूर न हो जाए,
" सर देयर इज अ मेसेज फॉर यू। आप जिन के लिए वेट कर रहे हैं उन्होंने बार में एक कार्नर टेबल बुक करा रखी है "
और थोड़ी देर में, वो आ गया।
प्लीजेंट सरप्राइज।
बॉम्बे जिमखाना ने सेबी से जो आया था , वो इनका जूनियर निकल गया , आई आई एम् बेंगलूर का , उसने बाद में डेरिवेटिस में डॉक्टरेट की थी , और सेबी में डेरिवेटिव ही देखता था , लेकिन स्टॉक मार्केट का भी एकदम एक्सपर्ट , ... उसके साथ तो , उसने बल्कि इन्हे बहुत गाइड भी किया और ये भी की कल जो कम्पनी इन्हे एक्वायर करना चाहती है , मार्केट में इनके शेयर बेचेगी , और कोई नहीं चाहता की बियर अब और आगे बढे , वैसे ही स्टॉक मार्केट की लगी हुयी है।
इनकी चमकी , इन्होने पूछ लिया कौन से लोग मार्केट में मंदी लाने वाले ब्रोकर्स है , और उन्हें चार पांच नाम मिल गए , जो पहला था वो तो मशहूर था , मार्केट में तबाही लाने के लिए , जैसे सांगी बुल में था , वो बीयर में।
उन्हें लग गया की की शायद वो उन्हें एक्वायर करने वाला उसी का इस्तेमाल करे , सेबी वाले से उन्होंने पूछा की क्या वो कुछ देर के लिए उस का ट्रेडंग लाइंसेंस ठप कर सकते हैं ,...
फिर उन लोगों ने चार लोगों की लिस्ट बनायी ,
हाँ सेबी वाले ने बोला की वो इनकी फ़ाइल खंगालेगा , लेकिन अगर इन्हे भी कुछ उन चारों के बारे में पता चलेगा , उन्हें बता दें , पर वो एक साथ नहीं अगर करेंगे तो दोपहर बारह के आस पास , विद इम्मीडिएट एफ्फेक्ट उसके ट्रेडिंग राइट्स ख़तम करेंगे , जब तक वो अपील करेगा , कोर्ट में जाएगा , दिन निकल जाए।
दूसरा टेकओवर बिड वाले कल शर्तिया फाइलिंग करेंगे , उसे सेबी के लोग टालेंगे
और इनकी जो फाइलिंग होगी , अगर कोई तो वो चार बजे तक भी हो जायेगी तो उसे क्लियर कर देंगे , देर रात तक।
लेकिन असली खेल दूसरा था और बात पुरानी दोस्ती के चक्कर में शुरू हो गयी।
शेयर के मामलों में तो सेबी वाला दोस्त ज्यादा हेल्प नहीं कर सकता था, लेकिन मार्केट की इनसाइट उसे जबरदस्त थी, दूसरी अगली मीटिंग उनकी जिन लोगों के साथ थीं, उन सबकी कमजोरी, प्रिफरेंस, किस का काम कहाँ अटका पड़ा है लेकिन सबसे बात थी, फाइलिंग की इन्ट्रीकेसीज और अक्वीजिशन की क्या स्ट्रेटजी होगी, और उनकी अपनी कम्पनी के लीकेज के बारे में,
" देखिये, आपकी कम्पनी में, मुझे लगता है, ....और ये सुनगुन हफ्ते भर से चल रही है की अक्वीजिशन की कोशिश हो रही है, और जब भी अक्वीजिशन होता है तो सबसे पहले टॉप के लोगों के जॉब जाते हैं तो कम से दो तीन लोग आलरेडी उस कम्पनी से हाथ मिला रहा रहे हैं, और सबसे ज्यादा कम्पनी सेक्रेटरी के पास इन्फॉर्मेशन होती हैं, हर एक बोर्ड डायरेक्टर के बारे में भी। तो पहला काम वो कम्पनी शेयर एक्वायर कर के करेगी और उस के साथ ही वो कल ही कोशिश करेगी फाइलिंग कर के बोर्ड डायरेक्टर की मीटिंग को भी साथ बुलाएगी।
" अगर उस के मेजारटी शेयर न हो पाए तो " मैं कल के बारे में सोच रहा था,
" तब भी फाइलिंग कर सकते हैं और बोर्ड डायरेक्टर की मीटिंग बुला सकते हैं। असल में जो इंडिपेंडेंट और गवर्मेंट डायरेक्टर होते हैं वो अक्सर न्यूट्रल होते हैं और बाकी डायरेक्टर में से एक दो को भी जो आपके अपनी कम्पनी के हो उन्हें ब्रेक कर के, बोर्ड मीटिंग में रिजोलुशन पास करा के आपके शेयर का एक बड़ा हिस्सा लो रेट पे बेचने के लिए मजबूर कर सकते हैं। कम्पनी सेक्रेट्री अगर मिली हो तो और आसान होगा। "
इन सब पेचीदगियों का एकदम पता नहीं था इसलिए अगली बात मैंने पूछ ली
" एक्विजिशन के फ़ार्म में उसे क्या भरना होगा "
अपने टैब पे सेबी वाले ने एक स्टैण्डर्ड फ़ार्म दिखाया जिसमे कम्पनी के एक्वायर करने के तरीको में शेयर कब्जा करने के साथ असेट होल्डिंग और मर्जर भी था, जहाँ वो बोर्ड आफ डाइरेक्टर की मीटिंग का वो इस्तेमाल कर सकते थे। वो असेट सेल्स का भी रिजोल्यूशन पास करा सकते थे।
लेकिन सबसे खतरनाक थी टाइम लाइन, अटैक कल ही होना था, कल से शेयर के वो दाम गिराने शुरू करते, अपने बढे हुए स्टेक के हिसाब से फाइलिंग और बोर्ड आफ डायरेक्टर की अर्जेन्ट मीटिंग। कम्पनी सेक्रेटरी मिली होगी तो मीटिंग भी कल ही हो जाएगी और वो या तो अपना स्टेक पेश करेंगे या जो भी बोर्ड आफ डायरेकटर में मिले होंगे, वो मर्जर का प्रासातव पास कर देंगे। उसके बाद परसो पक्का शेयर बढ़ेंगे और वो वो नए डायरेकट के साथ कम्प्लीटली एक्वायर करेगा।
इस मीटिंग में शेड्यूल से पंद्रह बीस मिनट ज्यादा ही टाइम लग गया था, लेकिन एल आई सी की मीटिंग उनके कारपोरेट आफिस में थी जो फ़्लोरा के पास में था, मुश्किल से दस मिनट भी नहीं।