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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

avsji

Weaving Words, Weaving Worlds.
Supreme
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24,523
159
103, 104 और 105 :

चैप्टर का अंत प्रश्नों की एक बेहद लम्बी फ़ेहरिस्त के साथ हुआ।
इतने प्रश्नों में से मुझे तो मुश्किल से दो तीन ही सूझे! हा हा हा हा! 😂 😂

वैसे, शिवन्या और रुद्राक्ष जैसे हिमलोक-वासी इतना लम्बा जीवन कैसे जी पाते हैं? आकृति भी अभी तक कैसे जीवित है - यह बात तो उन दोनों को भी अचरज भरी लगी। वो भौंरे वाली घटना से ‘बटरफ़्लाई इफ़ेक्ट’ वाली अवधारणा याद हो आई। ब्रेंडन भी चला गया - हिग्ग्स/बोसॉन के अंदर! मुझे तो मकोटा ही फ़साद की जड़ लगता है; जैगन नहीं। जैगन भी शायद उसके हाथ की कठपुतली हो, जिसको वो जैसा मन चाहे, जब मन चाहे इस्तेमाल कर ले। लुफ़ासा का समझ नहीं आ रहा है कि केवल उसकी मजबूरी है, या उसका खुद का मन है अपराध पर अपराध करते रहने का।

इस बार कुछ कहने को नहीं है। बड़ी और जटिल रचना है यह - आपको ही पूरी करनी है। हम तो मन्त्र-मुग्ध से पढ़ते रहेंगे! 👏👏👏
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Supreme
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304
romanchak update. lufasa ne gurutv shakti ki dibiya nikal li par jab rudraksh ke hamle se dibiya niche giri to kisine usko apne kabje me liya nahi .sirf ladhai par dhyan dete rahe .aur aakhir me lufasa wo dibiya lekar bhagne me kamiyab ho gaya .
ab kya hanuka us dibiya ko laane me kamiyab ho payega .
Ise hi kehte hain over confidence :dazed: Wo log kewal lufasa ko ek samaanya/ mayavi baaj hi samajh rahe the, or usko kam aank rahe the, isi liye maat kha gaye, aur shalaka ne ye socha ki rudraksh use Sambhal lega, isi liye wo yudh me samil nahi hui, varna parinaam kuch or hota, khair, dekhne wali baat hogi jab hanuka aur unka saamna hoga:yo:
Thank you very much for your wonderful review bhai :thanx:
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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103, 104 और 105 :

चैप्टर का अंत प्रश्नों की एक बेहद लम्बी फ़ेहरिस्त के साथ हुआ।
इतने प्रश्नों में से मुझे तो मुश्किल से दो तीन ही सूझे! हा हा हा हा! 😂 😂
Btw. Ek aadh sawal to bach hi gaya😂
वैसे, शिवन्या और रुद्राक्ष जैसे हिमलोक-वासी इतना लम्बा जीवन कैसे जी पाते हैं? आकृति भी अभी तक कैसे जीवित है - यह बात तो उन दोनों को भी अचरज भरी लगी। वो भौंरे वाली घटना से ‘बटरफ़्लाई इफ़ेक्ट’ वाली अवधारणा याद हो आई। ब्रेंडन भी चला गया - हिग्ग्स/बोसॉन के अंदर! मुझे तो मकोटा ही फ़साद की जड़ लगता है; जैगन नहीं। जैगन भी शायद उसके हाथ की कठपुतली हो, जिसको वो जैसा मन चाहे, जब मन चाहे इस्तेमाल कर ले। लुफ़ासा का समझ नहीं आ रहा है कि केवल उसकी मजबूरी है, या उसका खुद का मन है अपराध पर अपराध करते रहने का।
Ye log jeevit kaise hain? Mujhe kuch nahi pata :dazed: jaise hi pata lagega aapko jaroor bataunga:shhhh:
Rahi baat makota ki to mujhe bhi yahi lagta hai ki asli fasaad ki jad wahi hai:shhhh: Lufaasa jo bhi ho, lekin accha to ho nahi sakta, chahe majboiri hi sahi lekin kitne insaano ko khoon uske maathe per hai:sad:
इस बार कुछ कहने को नहीं है। बड़ी और जटिल रचना है यह - आपको ही पूरी करनी है। हम तो मन्त्र-मुग्ध से पढ़ते रहेंगे! 👏👏👏
Agar aap nahi kah sakte to fir kon kahega?:faint:Kosis to poori hai meri, ise poora karne ki, lekin beech beech me manobal tootne lagta hai:bored:Btw. Ek to waise hi pathak kam hai, aap or sanju vr se aasha thi ki dono ant tak sath nibhaoge, lekin aajkal aap dono bhi lxmbe-2 antraal ke liye gayab ho jaate ho:boredom: To raha saha hosla bhi toot jaata hai.
कहानी अभी आधी ही हुई है। और आगे और भी बोहोत सा रहस्य, रोमांच व अन्य चीजे बाकी है।
मै अपडेट की गती को लगातार बनाए रखने की कोशिश कर रहा हूं। लेकिन जब किसी की रिप्लाई ही नही आती तो निराश हे जाता हूॅ। जो नही पढ पाये उन्हें तो ये भी नही पता की वो क्या मिस कर रहै है:dazed: ये एक ऐसी गाथा है। जो X.F. पर दोबारा नहीं लिखी जायेगी:nope:

Thank you very much for your wonderful review and support bhai :hug:

Bhai aapne meri baaki do story bhi padhi thi kya usc me? Agar samay mil paye to kosis karna🙏🏼
Anuj ka likhna safal ho jayega🙏🏼
 

parkas

Well-Known Member
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303
#105.


सभी लोगो ने विधिवत भगवान महा..देव की उपासना की और उसके बाद मंदिर से बाहर आ गये।

लेकिन इससे पहले कि कोई कुछ कह पाता, अचानक एक जोर की आंधी चलने लगी।


“अरे ये आँधी कैसी?" रुद्राक्ष ने कहा- “मौसम तो बिल्कुल साफ है।"


तभी शिवन्या की नजर आसमान में उड़कर उधर आते एक विशाल गरुड़ पर पड़ी।


“अरे ये विशाल गरुड़ कैसा है?" शिवन्या ने कहा- “कहीं ये कोई माया तो नहीं?" अब सभी की नजर उस गरुड़ पर थी।


“कहीं ये देवताओं के द्वारा भेजा गया कोई जीव तो नहीं जो आज इस विशेष मौके पर महादेव के दर्शन के लिये आया है।" रुद्राक्ष ने कहा।


धीरे-धीरे उड़ता हुआ गरुड़ उनके पास आकर जमीन पर उतर गया। रुद्राक्ष ने सभी को हाथ के इशारे से कुछ भी गलत करने से रोक रखा था।


वह गरुड़ और कोई नहीं वरन लुफासा था। जो कि हिमालय की दूरी अराका से ज़्यादा होने के कारण गरुड़ बनकर आया था।


लुफासा ने एक नजर वहां खड़े सभी लोगो पर मारी। शलाका पर नजर पड़ते ही लुफासा बुरी तरह से हैरान रह गया।


“ये...इस लड़की का चेहरा तो बिल्कुल देवी शलाका जैसा है... कौन हो सकती है ये? कहीं ये भी तो अराका पर रहने वाली लड़की की तरह बहुरूपिया तो नहीं... जरूर ऐसा ही होगा। नहीं तो देवी शलाका यहां पर कहां से आयेंगी? और वैसे भी इस लड़की के वस्त्र स्थानीय लग रहे हैं।"


लुफासा ने यह सोच अपना ध्यान शलाका से हटाकर मंदिर की ओर कर लिया।


चूंकि वहां खड़े किसी भी व्यक्ति ने लुफासा के लिये प्रतिरोध उत्पन्न नहीं किया था, इसलिये लुफासा भी अभी तक शांत था।


रुद्राक्ष की नज़रें ध्यान से अभी भी गरुड़ को देख रहीं थी।


अब लुफासा चलता हुआ मंदिर के द्वार तक जा पहुंचा। उस की नजर मंदिर के अंदर की ओर गयी।


कुछ ही देर में लुफासा ने सोने की मटकी पर रखी उस डिबिया को देख लिया, जिसमें कि गुरुत्व शक्ति मौजूद थी।


लुफासा ने एकाएक मच्छर का रूप धारण कर लिया और मंदिर के अंदर प्रविष्ट हो गया।


“अरे यह गरुड़ कहां गायब हो गया?" रुद्राक्ष ने गरुड़ को गायब होते देख आश्चर्य से कहा।


सभी की नजर मंदिर के बाहर चारो ओर फिरने लगी।


“कहीं वह कोई शैतानी शक्ति तो नहीं थी, जो गुरुत्व शक्ति लेने आयी हो?"

शिवन्या ने कहा- “रुद्राक्ष गुरुत्व शक्ति पर ध्यान दो। वह जरूर उधर ही होगा।"


शिवन्या की बात सुन रुद्राक्ष मंदिर के अंदर की ओर आ गया। गुरुत्व शक्ति अब भी अपने स्थान पर रखी थी। उसे देख रुद्राक्ष ने चैन की साँस ली।


तभी लुफासा ने चील का रुप धारण किया और गुरुत्व शक्ति वाली डिबिया को उठाकर बाहर की ओर भागा।


रुद्राक्ष जब तक बाहर निकला, लुफासा काफ़ी आगे पहुंच गया था।

तभी रुद्राक्ष के दाहिने हाथ से नीले रंग की ऊर्जा का एक जाल निकला और वह बिजली की तेजी से जाकर चील के आगे आ गया।


वह जाल एक मानिसक तरंगों का बना था, जिसे लुफासा बिल्कुल भी समझ नहीं पाया। वह तेजी से जाल से टकराया और जमीन पर गिर पड़ा।


लुफासा के गिरते सोने की डिबिया उसके चील के पंजों से निकलकर दूर गिर गयी।


“शिवन्या गुरुत्व शक्ति उस चील के पास गिरी है, तुरंत उसे उठाओ, मैं इस शैतानी शक्ति को संभालता हूँ।" रुद्राक्ष ने चीखकर शिवन्या को सावधान किया।


तब तक लुफासा संभल चुका था। अब उसकी नजर रुद्राक्ष के नीले से चमक रहे हाथों की ओर थी।


लुफासा ने मानिसक शक्ति को कभी देखा तक नहीं था, इसिलये वह ये विचित्र शक्ति देखकर थोड़ा घबराया दिख रहा था।


इस बार रुद्राक्ष ने अपने दोनों हाथों को ताली बजाने वाली शैली से हवा में जोर से लहराया।


रुद्राक्ष के दोनों हाथों से नीले रंग के मानिसक तरंगो से बने विशाल हाथ निकले और चील बने लुफासा की ओर बढ़े।


लुफासा एक क्षण में ही समझ गया कि खतरा दोनों तरफ से है।


इसिलये उसने उछलकर स्वयं को बचाया अगर वह स्वयं को नहीं बचाता तो दोनों हाथों के बीच उसके एक और रुप की चटनी बन जानी थी।


रुद्राक्ष के दोनों मानिसक हाथ गर्जना करते हुए आपस में टकराये। लुफासा उस वार से तो बच गया, पर दोनों हाथों के टकराने से जो ऊर्जा पैदा हुई उसके प्रभाव से नहीं बच पाया।


चील बना लुफासा इस बार बुरी तरह से जख्मी हो गया था।


शलाका इस पूरे युद्ध का मजा ले रही थी। उसे पता था कि रुद्राक्ष और शिवन्या हर हाल में यह युद्ध जीत जायेंगे।


लुफासा समझ गया कि चील रुप में रुद्राक्ष से बचना मुश्किल है।


इसिलये उसने एक बार फ़िर सोने की डिबिया पर नजर मारी, जो कि उससे कुछ दूरी पर गिरी पड़ी थी और शिवन्या लुफासा को देखते हुए उस डिबिया की ओर बढ़ रही थी।


लुफासा एक बार फ़िर से डिबिया की ओर झपटा। इस बार उसकी एक नजर रुद्राक्ष पर भी थी।


लुफासा को डिबिया पर फ़िर से झपटते देख रुद्राक्ष ने इस बार लुफासा पर मानिसक तरंगो से बने तीरों की बौछार कर दी।


चूंकि इस बार लुफासा का पूरा ध्यान रुद्राक्ष पर था, इसिलये लुफासा कलाबाजी खाते हुए हर तीर से बच गया। पर इस तीर से और रुद्राक्ष से बचने के चक्कर में लुफासा का ध्यान शिवन्या की ओर नहीं गया।


अब शिवन्या के दोनों हाथ मानिसक तरंगो से नीले हो गये। इससे पहले कि लुफासा का ध्यान शिवन्या की ओर जाता, शिवन्या ने दोनों हाथों से मानिसक तरंगो का एक हथौड़ा बनाया और उसे खींचकर चील बने लुफासा पर मार दिया।


लुफासा उस हथौड़े में पूरी तरह से पिस गया और चील बना उसका वह रुप धुआं बनकर गायब हो गया।


चूंकि चील से पहले लुफासा मच्छर के रुप में था, इसलिये वह मच्छर के ही रुप में फ़िर से शि.व मंदिर के अंदर प्रकट हुआ।


“बाप रे ... मान्त्रिक तो कह रहे थे कि यहां पर साधारण लोग होंगे,पर गुरुत्व शक्ति की सुरक्षा का भार तो बहुत ही खतरनाक लोगों के हाथों में है। अभी वह लोग मुझे मरा समझ रहे हैं, यही मौका है उन पर टूट पड़ने का।"


इतना सोच मच्छर बना लुफासा उसी रुप में मंदिर के बाहर आ गया। उधर रुद्राक्ष और शिवन्या बर्फ में चील की लाश ढूंढ रहे थे।


लुफासा की नजर एक बार वहां खड़े सभी लोगों पर गयी और फ़िर कुछ दूर गिरी पड़ी उस सोने की डिबिया की ओर गयी, जो अब भी वहां बर्फ पर पड़ी थी।


अचानक लुफासा ने एक विशाल आग उगलते ड्रैगन का रुप ले लिया। किसी की भी समझ में नहीं आया कि यह ड्रैगन अचानक यहां कहां से आ गया?


इससे पहले कि कोई कुछ और समझ पाता, ड्रैगन बने लुफासा ने अपने मुंह से जोर की आग निकाली, पर इस बार उसका लक्ष्य वहां मौजूद कोई व्यक्ति नहीं बल्कि वह बर्फ का पहाड़ था।


इतनी तेज अग्नि की वजह से बर्फ के पहाड़ का एक हिस्सा टूटकर वहां मौजूद सभी लोगो पर गिरने लगा। यहां तक कि वह शि.व मंदिर भी अब बर्फ की चपेट में आने वाला था।


यह देख शिवन्या और रुद्राक्ष ने अपनी पूरी मानिसक शक्तियों को एकत्र कर दोनो की सम्मिलित शक्ति से मानिसक ऊर्जा का एक विशाल अर्द्धगोला तैयार किया, जिसके नीचे मंदिर और सभी लोग छिप गये।


बर्फ का एक विशाल भाग टूटकर सभी पर गिरा, पर मानिसक शक्तियों से ढके होने के कारण ना तो कोई व्यक्ति मरा और ना ही मंदिर के मंडप या ध्वज को कोई नुकसान पाहुंचा।


थोड़ी ही देर में रुद्राक्ष और शिवन्या ने उस अर्द्धगोले पर पड़ी सारी बर्फ को हटाकर बाहर आ गये।


पर तब तक लुफासा गुरुत्व शक्ति वाली सोने की डिबिया उठा हवा में उड़ गया था।


“हे ईश्वर, अब क्या होगा?" शिवन्या ने डरते हुए रुद्राक्ष की ओर देखा- “गुरुत्व-शक्ति तो गलत हाथों में चली गई। अब अगर हम इसे लाकर शाम होने के पहले इस मंदिर में नहीं रखते हैं तो हमें महा..देव के कोप का भाजन बनना पड़ेगा।"


“इतनी जल्दी हम उस शैतान को ढूंढकर गुरुत्व-शक्ति कैसे वापस ला पायेंगे?" रुद्राक्ष के भी शब्दों में अब चिंता साफ झलक रही थी- “धर्मगुरु.... अब धर्मगुरु नीमा ही हमें इस मुसीबत से बचा सकते हैं।"


शिवन्या ने भी सहमित में सर हिलाया।


रुद्राक्ष ने आँख बंदकर मानिसक तरंगो से धर्मगुरु नीमा से संपर्क स्थापित किया और वहां की पूर्ण घटना की जानकारी दे दी।


“अब आप ही हमें इस मुसीबत से बाहर निकाल सकते हैं धर्मगुरु।" रुद्राक्ष ने नीमा से कहा।


“तुम परेशान मत हो रुद्राक्ष।" नीमा ने रुद्राक्ष को आश्वासन देते हुए कहा- “हनुका के पास भी गुरुत्व-शक्ति है। वह अपनी शक्ति से पृथ्वी के किसी भी कोने से गुरुत्व-शक्ति को ढूंढ सकता है और वही एक ऐसा है जिसे कोई नहीं हरा सकता। वह शाम ढलने के पहले गुरुत्व-शक्ति वापस अवश्य ले आयेगा। तब तक तुम लोग वहीं शि.व मंदिर के पास रहो। ये ध्यान रहे कि जब तक मंदिर बर्फ़ के बाहर है, तब तक तुम लोगों को वहीं रहना है।"


“ठीक है धर्मगुरु।" यह कहकर रुद्राक्ष ने संपर्क काट दिया और सबको सारी बात बताकर वहीं बैठ गया।


रुद्राक्ष को बैठते देख सभी अब उस स्थान पर बैठ गये।


तभी कहीं दूर बर्फ पर एक धमाका सा हुआ और बिजली की गति से आसमान में उड़कर जाता हुआ हनुका दिखाई दिया।


अब सभी को इंतजार था, हनुका के लौटने का।


क्रमशः:



प्रश्नावली


तो दोस्तों जैसा कि आप देख रहे हैं कि पिछली बार की तरह यह


कहानी तेजी से बढ़ता जा रही है और हर पेज पर आपके दिमाग एक नया प्रश्न खड़ा करता जा रहा है। प्रश्नो की संख्या अब इतनी ज़्यादा हो चुकी है कि अब वह मस्तिष्क में एकत्रित नहीं हो पा रहे हैं। तो क्यों न इन सारे प्रश्नो को एक जगह पर एकत्रित कर ले-


1) क्या वेगा अराका द्वीप के बारे में सबकुछ जानता था?


2) ‘अटलांटिस का इतिहास’ नामक किताब ‘लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस’ में कैसे पहुंची? क्या इसके लेखक वेगा के बाबा कलाट ही थे? क्या इस किताब से और भी राज आगे खुले?


3) क्या वेगा को सम्मोहन आता था?


4) शैफाली के द्वारा बजायी गयी सीटी से पोसाइडन पर्वत की मूर्ति की आँखें लाल कैसे हो गयी? शैफाली के कानो में फुसफुसा कर बार-बार बोलने वाली आवाज किसकी थी?


5) विचित्र पेड़ ने शैफाली को अपने आप सारे नीले फल कैसे दे दिये?


6) ट्रांस अंटार्कटिक के पहाड़ों में दबा शलाका का महल असल में क्या था?


7) पानी से निकलने वाला मगरमच्छ मानव कौन था? शैफाली के ‘जलोथा’ कहने पर वह डर कर वापस क्यों चला गया?


8) वेगा पर आक्रमण करने वाला वह बाज कौन था? वह वेगा से वह किताब क्यों छीनना चाहता था?


9) जमीन पर वह विचित्र आकृतियाँ वाले पत्थर कैसे थे? क्या वह सच में भविष्य के बारे में बता रहे थे?


10) अराका द्वीप का निर्माण किसने किया था? और वह पानी पर अपने आप कैसे चलता था?


11) क्या सुयश की पीठ पर बना सूर्य की आकृति वाला टैटू बस एक सामान्य टैटू है? शलाका की मूर्ति छूने पर सुयश के टैटू में किस प्रकार की शक्ति ने प्रवेश किया था? शलाका महल की दीवार पर सुयश के टैटू वाली आकृति कैसे बनी थी?


12) दूसरी क्रिस्टी बनकर जेनिथ के अपहरण की कोशिश करने वाली लड़की कौन थी?


13) अटलांटिस के सिक्के का क्या रहस्य था? उसे शैफाली के पास कौन छोड़ गया था?


14) क्या देवी शलाका के भाइयों के पास सप्त शक्ति थी?

15) शलाका 5000 सालो से अपने भाइयों के साथ क्यों शीत-निद्रा में थी?


16) नयनतारा पेड़ का क्या रहस्य था?


17) वेगा की जोडियाक वॉच का क्या रहस्य था? क्या सच में उसका आविष्कार रिंजो- शिंजो ने किया था? या फिर वह धरा और मयूर की धरा-शक्ति का कमाल था।


18) शलाका मंदिर में मिलने वाली शलाका की मूर्ति का क्या रहस्य था? मूर्ति को छूने पर युगाका ने सुयश के मरने की कल्पना क्यों की?


19) लुफासा की इच्छाधारी शक्ति का क्या रहस्य था?


20) सीनोर राज्य में मकोटा ने पिरामिड क्यों बनवाया था?


21) मकोटा के द्वारा आकृति को दिये ‘नीलदंड’ में क्या विशेषताएं थी?


22) आकृति का चेहरा शलाका से कैसे मिलने लगा? वह पिछले 5000 सालो से जिंदा कैसे है?


23) ऐमू के अमरत्व का क्या राज है?


24) जैगन का सेवक गोंजालो का क्या राज है? सीनोर राज्य में उसकी मूर्ति क्यों लगी है?


25) क्या सनूरा की शक्तियों का राज एक रहस्यमय बिल्ली है?


26) अराका द्वीप से निकलने वाली ‘विद्युत चुम्बकिय तरंगों’ का क्या रहस्य था?


27) उड़ने वाली झोपड़ी का क्या रहस्य था?


28) सुयश का शलाका की मूर्ति को छूने पर शलाका को कैसे पता चल जाता था?


29) शलाका महल में मौजूद वह सिंहासन क्या हनुका का था? और वह समय यात्रा किस प्रकार कराता था?


30) वेदालय किस प्रकार का विद्यालय था? उसमें पढ़ाई किस प्रकार कराई जाती थी?


31) कैलाश पर्वत के पास स्थित 15 लोक का रहस्य क्या था? उसे किसने और क्यों बनाया था? आज के समय में वह विद्यालय क्यों बंद हो गया?


32) आर्यन कौन था? अगर वह सुयश था तो क्या सुयश का पुनर्जन्म हुआ है?


33) ब्रह्मकलश के अमरत्व का क्या रहस्य था?


34) रुद्राक्ष-शिवन्या, विक्रम-वारुणी, धरा-मयूर या वेदालय में मौजूद अन्य जोड़े कौन थे?


35) सप्ततत्व या ब्रह्मकण में कौन सी शक्तियां समायी थी?


36) क्या कैलाश पर्वत के पास समय तेज चलता था?


37) वुल्फा कौन था? क्या उसमें भी शैतानी शक्तियां थी?


38) उड़नतस्तरी के अंदर मौजूद 6 फुट का हरा कीड़ा बाकी कीडो से अलग क्यों था? वह इन्सानों की तरह कैसे चल रहा था?


39) मकोटा के सर्पदंड का क्या रहस्य था?


40) शैफाली की आँखों में सर्प की तरह ऐमू की तश्वीर कैसे उभर रही थी?


41) वेगा पर हुआ टुंड्रा हंसऔर बुल शार्क का हमला क्या साधारण हमला था?


42) क्या वेगा को अपनी जोडियाक वॉच का रहस्य पता चल पाया?


43) व्योम को जो जगह पानी के नीचे दिखाई दी, वह जगह क्या थी?


44) तिलिस्मा प्रोजेक्ट क्या था? उसका नियंत्रण करने वाला कैस्पर क्या सच में एक कंप्यूटर प्रोग्राम मात्र

ही था?


45) व्योम के सामने काँच के कैप्सूलनुमा ट्यूब में बैठकर समुद्र में जाने वाला व्यक्ति कौन था?


46) नकली ब्लू व्हेल का निर्माण किसने किया था? क्या यह वही व्हेल थी, जिसने ‘सुप्रीम’ के समय में सुयश पर पानी उछाला था?


47) तिलिस्मा के प्रोजेक्ट ‘स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी’ और ‘सात सिर वाले योद्धा’ का क्या रहस्य था?


48) क्या अराका द्वीप के गुप्त स्थान में ट्रांसमिट मशीन लगी थी? जिसने व्योम को सामरा राज्य में ट्रांसमिट कर दिया था?


49) नक्षत्रा की शक्तियों का क्या रहस्य था?


50) गिलफोर्ड का क्या हुआ? वह लाल किताब क्या थी? जिसे गिलफोर्ड देवी की मंदिर से लेकर भागा था?


51) त्रिकाली को सुप्रीम के डूबते समय अचानक से बर्फ की शक्तियां कैसे मिल गयी? जो कि उसे स्वयं भी नहीं पता थी।


52) शैफाली ने युगाका की वृक्ष शक्ति कैसे छीन ली? और शैफाली के पास शक्तियां अपने आप कैसे बढ़ती जा रहीं थी?


53) हनुका कौन है? उसके पास गुरुत्व-शक्ति कैसे आयी?


54) सामरा राज्य पर स्थित अटलांटिस वृक्ष का क्या रहस्य है? उसने किस प्रकार युगाका को वृक्ष शक्ति दी?


55) अटलांटिस वृक्ष से निकलकर जो रोशनी व्योम के अंदर समायी, वह कैसी थी?


56) महाशक्ति मैग्रा कौन है? और कलाट को उसका हज़ारों वर्ष से इंतजार क्यों है?


57) मैग्रा पंचशूल प्राप्त करने के बाद पोसाइडन के विरूद्ध ही क्यों काम करने लगी?


58) सागरिका, वेरिका, अग्निका आदि चमत्कारी पुस्तको का क्या रहस्य था?


59) सागरिका की कविताएँ क्या भविष्य बताती थी?


60) मेडूसा की मूर्ति का क्या रहस्य था? वह रात में सजीव होकर शैफाली को मैग्रा के सपने क्यों दिखा रही थी?


61) मैग्रा की सवारी ड्रेंगो का क्या रहस्य था? वह ड्रेगन और हाइड्रा दोनों में कैसे परिवर्तित हो जाता था?


62) समुद्र की तली के दरार में बना वह स्वर्ण महल किसका था? जिसमें से मैग्रा ने पंचशूल प्राप्त किया था।


63) 2 सिर वाला जलदैत्य कराका कौन था?


64) मैग्रा की शक्तियों का श्रोत क्या था?


65) अंटार्कटिका में बने शलाका महल के कमरे में मौजूद उस स्टीकर वाले दरवाजे का क्या रहस्य था?


66) रुद्राक्ष और शिवन्या की घातक मानिसक शक्तियों का क्या राज था?


67) ब्रेंडन और जॉनी को ले जाने वाला वह मायाजाल कैसा था?


68) गुरुत्व-शक्ति के हर वर्ष जमीन के नीचे से प्रकट होने के पीछे का क्या रहस्य था?


69) क्या हनुका समय रहते गुरुत्व-शक्ति को वापस ला सका?


70) क्या सुयश के साथ बचे बाकी सदस्य मायावन को पार करके तिलिस्मा तक पहुंच सके?

71) क्या मायावन अब और ज़्यादा खतरनाक हो गया था? ऐसे ही ना जाने कितने सवाल होंगे जो आपके दिमाग में घूम रहे होंगे।


तो दोस्तो इन सारे अनसुलझे सवालों के जवाब हमारी इस कहानी की अगले भाग में देंगे जिसका नाम है- “एक रहस्यमय जंगल-मायावन”

जिसमें हम आपको ले चलेंगे, इस पृथ्वी के सबसे खतरनाक भूभाग में, जहां पर छिपी तिलिस्मी मौत बेसब्री से अपने शिकार का इंतजार कर रही है।...................:yo:



तो दोस्तों इसके साथ मुझे फिर से 2-4 दिन की छुट्टी की इजाजत दीजिए ताकि अगली कड़ी को लेकर आपके सामने इसी थ्रेड पर जल्दी प्रकट हो जाऊँ।


आपका अपना राज शर्मा 🙏🏼
Bahut hi badhiya update diya hai Raj_sharma bhai....
Nice and beautiful update....
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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पंडित जी ! आप की यह " अटलांटिस संतति " एक्स फोरम के लाइब्रेरी मे नही , काॅलेज और युनिवर्सिटी के लाइब्रेरी मे होना चाहिए था ।
आप की यह रचना देवकी नंदन बाबु की याद दिलाती है । उन्होने चन्द्रकांता संतति लिखी और आपने 21 वीं सदी मे अटलांटिस संतति लिख डाली ।
ऐसी कहानियाँ बहुत ही विस्तृत होती है । इन्हे अगर पढ़ना हो तो आप कोई दूसरी कहानी नही पढ़ सकते । इसे पढ़ने के लिए एक नोटबुक की आवश्यकता होती है ।
वगैर नोटबुक के आप न ही सभी किरदार के नाम याद रख पाते है और न ही घटनाक्रम के । इस अपडेट मे आपने स्वयं ही 71 सवाल उठाए है और मै दावे से कहता हूं कोई भी रीडर बीस सवाल तक नही ढूँढ सकता ।
और जब रीडर्स बीस सवाल तक नही पुछ सकते तो फिर वो जबाव क्या ही दे सकते हैं !

इस कहानी मे अटलांटिस सभ्यता के साथ साथ भारतीय माइथोलाॅजी का भी सम्मिश्रण हुआ है । सनातनी धर्म के साथ साथ साइंस का भी समावेश हुआ है । चमत्कार और फैंटेसी इस कहानी का अभिन्न भाग है ही ।
यही नही , यह कहानी हजारों वर्ष पूर्व से लेकर वर्तमान के दौर से भी जुड़ी हुई है ।
आसान नही होता ऐसे कहानी पर प्रत्येक अपडेट पर अपनी विस्तृत राय जाहिर करना ।

पंडित जी , हम रीडर्स तो आप के दिखाए गए चमत्कारिक वर्ल्ड की सैर कर रहे हैं । और हां , मजा भी खूब आ रहा है । एक एडल्ट फोरम पर इस तरह की कहानी भी एक चमत्कार से कम नही है । कहानी के अपडेट मे निरन्तरता , अथक परिश्रम और इस कहानी के प्रति समर्पण भाव के लिए आपको बहुत बहुत साधुवाद । :hi:
 

Ajju Landwalia

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#105.


सभी लोगो ने विधिवत भगवान महा..देव की उपासना की और उसके बाद मंदिर से बाहर आ गये।

लेकिन इससे पहले कि कोई कुछ कह पाता, अचानक एक जोर की आंधी चलने लगी।


“अरे ये आँधी कैसी?" रुद्राक्ष ने कहा- “मौसम तो बिल्कुल साफ है।"


तभी शिवन्या की नजर आसमान में उड़कर उधर आते एक विशाल गरुड़ पर पड़ी।


“अरे ये विशाल गरुड़ कैसा है?" शिवन्या ने कहा- “कहीं ये कोई माया तो नहीं?" अब सभी की नजर उस गरुड़ पर थी।


“कहीं ये देवताओं के द्वारा भेजा गया कोई जीव तो नहीं जो आज इस विशेष मौके पर महादेव के दर्शन के लिये आया है।" रुद्राक्ष ने कहा।


धीरे-धीरे उड़ता हुआ गरुड़ उनके पास आकर जमीन पर उतर गया। रुद्राक्ष ने सभी को हाथ के इशारे से कुछ भी गलत करने से रोक रखा था।


वह गरुड़ और कोई नहीं वरन लुफासा था। जो कि हिमालय की दूरी अराका से ज़्यादा होने के कारण गरुड़ बनकर आया था।


लुफासा ने एक नजर वहां खड़े सभी लोगो पर मारी। शलाका पर नजर पड़ते ही लुफासा बुरी तरह से हैरान रह गया।


“ये...इस लड़की का चेहरा तो बिल्कुल देवी शलाका जैसा है... कौन हो सकती है ये? कहीं ये भी तो अराका पर रहने वाली लड़की की तरह बहुरूपिया तो नहीं... जरूर ऐसा ही होगा। नहीं तो देवी शलाका यहां पर कहां से आयेंगी? और वैसे भी इस लड़की के वस्त्र स्थानीय लग रहे हैं।"


लुफासा ने यह सोच अपना ध्यान शलाका से हटाकर मंदिर की ओर कर लिया।


चूंकि वहां खड़े किसी भी व्यक्ति ने लुफासा के लिये प्रतिरोध उत्पन्न नहीं किया था, इसलिये लुफासा भी अभी तक शांत था।


रुद्राक्ष की नज़रें ध्यान से अभी भी गरुड़ को देख रहीं थी।


अब लुफासा चलता हुआ मंदिर के द्वार तक जा पहुंचा। उस की नजर मंदिर के अंदर की ओर गयी।


कुछ ही देर में लुफासा ने सोने की मटकी पर रखी उस डिबिया को देख लिया, जिसमें कि गुरुत्व शक्ति मौजूद थी।


लुफासा ने एकाएक मच्छर का रूप धारण कर लिया और मंदिर के अंदर प्रविष्ट हो गया।


“अरे यह गरुड़ कहां गायब हो गया?" रुद्राक्ष ने गरुड़ को गायब होते देख आश्चर्य से कहा।


सभी की नजर मंदिर के बाहर चारो ओर फिरने लगी।


“कहीं वह कोई शैतानी शक्ति तो नहीं थी, जो गुरुत्व शक्ति लेने आयी हो?"

शिवन्या ने कहा- “रुद्राक्ष गुरुत्व शक्ति पर ध्यान दो। वह जरूर उधर ही होगा।"


शिवन्या की बात सुन रुद्राक्ष मंदिर के अंदर की ओर आ गया। गुरुत्व शक्ति अब भी अपने स्थान पर रखी थी। उसे देख रुद्राक्ष ने चैन की साँस ली।


तभी लुफासा ने चील का रुप धारण किया और गुरुत्व शक्ति वाली डिबिया को उठाकर बाहर की ओर भागा।


रुद्राक्ष जब तक बाहर निकला, लुफासा काफ़ी आगे पहुंच गया था।

तभी रुद्राक्ष के दाहिने हाथ से नीले रंग की ऊर्जा का एक जाल निकला और वह बिजली की तेजी से जाकर चील के आगे आ गया।


वह जाल एक मानिसक तरंगों का बना था, जिसे लुफासा बिल्कुल भी समझ नहीं पाया। वह तेजी से जाल से टकराया और जमीन पर गिर पड़ा।


लुफासा के गिरते सोने की डिबिया उसके चील के पंजों से निकलकर दूर गिर गयी।


“शिवन्या गुरुत्व शक्ति उस चील के पास गिरी है, तुरंत उसे उठाओ, मैं इस शैतानी शक्ति को संभालता हूँ।" रुद्राक्ष ने चीखकर शिवन्या को सावधान किया।


तब तक लुफासा संभल चुका था। अब उसकी नजर रुद्राक्ष के नीले से चमक रहे हाथों की ओर थी।


लुफासा ने मानिसक शक्ति को कभी देखा तक नहीं था, इसिलये वह ये विचित्र शक्ति देखकर थोड़ा घबराया दिख रहा था।


इस बार रुद्राक्ष ने अपने दोनों हाथों को ताली बजाने वाली शैली से हवा में जोर से लहराया।


रुद्राक्ष के दोनों हाथों से नीले रंग के मानिसक तरंगो से बने विशाल हाथ निकले और चील बने लुफासा की ओर बढ़े।


लुफासा एक क्षण में ही समझ गया कि खतरा दोनों तरफ से है।


इसिलये उसने उछलकर स्वयं को बचाया अगर वह स्वयं को नहीं बचाता तो दोनों हाथों के बीच उसके एक और रुप की चटनी बन जानी थी।


रुद्राक्ष के दोनों मानिसक हाथ गर्जना करते हुए आपस में टकराये। लुफासा उस वार से तो बच गया, पर दोनों हाथों के टकराने से जो ऊर्जा पैदा हुई उसके प्रभाव से नहीं बच पाया।


चील बना लुफासा इस बार बुरी तरह से जख्मी हो गया था।


शलाका इस पूरे युद्ध का मजा ले रही थी। उसे पता था कि रुद्राक्ष और शिवन्या हर हाल में यह युद्ध जीत जायेंगे।


लुफासा समझ गया कि चील रुप में रुद्राक्ष से बचना मुश्किल है।


इसिलये उसने एक बार फ़िर सोने की डिबिया पर नजर मारी, जो कि उससे कुछ दूरी पर गिरी पड़ी थी और शिवन्या लुफासा को देखते हुए उस डिबिया की ओर बढ़ रही थी।


लुफासा एक बार फ़िर से डिबिया की ओर झपटा। इस बार उसकी एक नजर रुद्राक्ष पर भी थी।


लुफासा को डिबिया पर फ़िर से झपटते देख रुद्राक्ष ने इस बार लुफासा पर मानिसक तरंगो से बने तीरों की बौछार कर दी।


चूंकि इस बार लुफासा का पूरा ध्यान रुद्राक्ष पर था, इसिलये लुफासा कलाबाजी खाते हुए हर तीर से बच गया। पर इस तीर से और रुद्राक्ष से बचने के चक्कर में लुफासा का ध्यान शिवन्या की ओर नहीं गया।


अब शिवन्या के दोनों हाथ मानिसक तरंगो से नीले हो गये। इससे पहले कि लुफासा का ध्यान शिवन्या की ओर जाता, शिवन्या ने दोनों हाथों से मानिसक तरंगो का एक हथौड़ा बनाया और उसे खींचकर चील बने लुफासा पर मार दिया।


लुफासा उस हथौड़े में पूरी तरह से पिस गया और चील बना उसका वह रुप धुआं बनकर गायब हो गया।


चूंकि चील से पहले लुफासा मच्छर के रुप में था, इसलिये वह मच्छर के ही रुप में फ़िर से शि.व मंदिर के अंदर प्रकट हुआ।


“बाप रे ... मान्त्रिक तो कह रहे थे कि यहां पर साधारण लोग होंगे,पर गुरुत्व शक्ति की सुरक्षा का भार तो बहुत ही खतरनाक लोगों के हाथों में है। अभी वह लोग मुझे मरा समझ रहे हैं, यही मौका है उन पर टूट पड़ने का।"


इतना सोच मच्छर बना लुफासा उसी रुप में मंदिर के बाहर आ गया। उधर रुद्राक्ष और शिवन्या बर्फ में चील की लाश ढूंढ रहे थे।


लुफासा की नजर एक बार वहां खड़े सभी लोगों पर गयी और फ़िर कुछ दूर गिरी पड़ी उस सोने की डिबिया की ओर गयी, जो अब भी वहां बर्फ पर पड़ी थी।


अचानक लुफासा ने एक विशाल आग उगलते ड्रैगन का रुप ले लिया। किसी की भी समझ में नहीं आया कि यह ड्रैगन अचानक यहां कहां से आ गया?


इससे पहले कि कोई कुछ और समझ पाता, ड्रैगन बने लुफासा ने अपने मुंह से जोर की आग निकाली, पर इस बार उसका लक्ष्य वहां मौजूद कोई व्यक्ति नहीं बल्कि वह बर्फ का पहाड़ था।


इतनी तेज अग्नि की वजह से बर्फ के पहाड़ का एक हिस्सा टूटकर वहां मौजूद सभी लोगो पर गिरने लगा। यहां तक कि वह शि.व मंदिर भी अब बर्फ की चपेट में आने वाला था।


यह देख शिवन्या और रुद्राक्ष ने अपनी पूरी मानिसक शक्तियों को एकत्र कर दोनो की सम्मिलित शक्ति से मानिसक ऊर्जा का एक विशाल अर्द्धगोला तैयार किया, जिसके नीचे मंदिर और सभी लोग छिप गये।


बर्फ का एक विशाल भाग टूटकर सभी पर गिरा, पर मानिसक शक्तियों से ढके होने के कारण ना तो कोई व्यक्ति मरा और ना ही मंदिर के मंडप या ध्वज को कोई नुकसान पाहुंचा।


थोड़ी ही देर में रुद्राक्ष और शिवन्या ने उस अर्द्धगोले पर पड़ी सारी बर्फ को हटाकर बाहर आ गये।


पर तब तक लुफासा गुरुत्व शक्ति वाली सोने की डिबिया उठा हवा में उड़ गया था।


“हे ईश्वर, अब क्या होगा?" शिवन्या ने डरते हुए रुद्राक्ष की ओर देखा- “गुरुत्व-शक्ति तो गलत हाथों में चली गई। अब अगर हम इसे लाकर शाम होने के पहले इस मंदिर में नहीं रखते हैं तो हमें महा..देव के कोप का भाजन बनना पड़ेगा।"


“इतनी जल्दी हम उस शैतान को ढूंढकर गुरुत्व-शक्ति कैसे वापस ला पायेंगे?" रुद्राक्ष के भी शब्दों में अब चिंता साफ झलक रही थी- “धर्मगुरु.... अब धर्मगुरु नीमा ही हमें इस मुसीबत से बचा सकते हैं।"


शिवन्या ने भी सहमित में सर हिलाया।


रुद्राक्ष ने आँख बंदकर मानिसक तरंगो से धर्मगुरु नीमा से संपर्क स्थापित किया और वहां की पूर्ण घटना की जानकारी दे दी।


“अब आप ही हमें इस मुसीबत से बाहर निकाल सकते हैं धर्मगुरु।" रुद्राक्ष ने नीमा से कहा।


“तुम परेशान मत हो रुद्राक्ष।" नीमा ने रुद्राक्ष को आश्वासन देते हुए कहा- “हनुका के पास भी गुरुत्व-शक्ति है। वह अपनी शक्ति से पृथ्वी के किसी भी कोने से गुरुत्व-शक्ति को ढूंढ सकता है और वही एक ऐसा है जिसे कोई नहीं हरा सकता। वह शाम ढलने के पहले गुरुत्व-शक्ति वापस अवश्य ले आयेगा। तब तक तुम लोग वहीं शि.व मंदिर के पास रहो। ये ध्यान रहे कि जब तक मंदिर बर्फ़ के बाहर है, तब तक तुम लोगों को वहीं रहना है।"


“ठीक है धर्मगुरु।" यह कहकर रुद्राक्ष ने संपर्क काट दिया और सबको सारी बात बताकर वहीं बैठ गया।


रुद्राक्ष को बैठते देख सभी अब उस स्थान पर बैठ गये।


तभी कहीं दूर बर्फ पर एक धमाका सा हुआ और बिजली की गति से आसमान में उड़कर जाता हुआ हनुका दिखाई दिया।


अब सभी को इंतजार था, हनुका के लौटने का।


क्रमशः:



प्रश्नावली


तो दोस्तों जैसा कि आप देख रहे हैं कि पिछली बार की तरह यह


कहानी तेजी से बढ़ता जा रही है और हर पेज पर आपके दिमाग एक नया प्रश्न खड़ा करता जा रहा है। प्रश्नो की संख्या अब इतनी ज़्यादा हो चुकी है कि अब वह मस्तिष्क में एकत्रित नहीं हो पा रहे हैं। तो क्यों न इन सारे प्रश्नो को एक जगह पर एकत्रित कर ले-


1) क्या वेगा अराका द्वीप के बारे में सबकुछ जानता था?


2) ‘अटलांटिस का इतिहास’ नामक किताब ‘लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस’ में कैसे पहुंची? क्या इसके लेखक वेगा के बाबा कलाट ही थे? क्या इस किताब से और भी राज आगे खुले?


3) क्या वेगा को सम्मोहन आता था?


4) शैफाली के द्वारा बजायी गयी सीटी से पोसाइडन पर्वत की मूर्ति की आँखें लाल कैसे हो गयी? शैफाली के कानो में फुसफुसा कर बार-बार बोलने वाली आवाज किसकी थी?


5) विचित्र पेड़ ने शैफाली को अपने आप सारे नीले फल कैसे दे दिये?


6) ट्रांस अंटार्कटिक के पहाड़ों में दबा शलाका का महल असल में क्या था?


7) पानी से निकलने वाला मगरमच्छ मानव कौन था? शैफाली के ‘जलोथा’ कहने पर वह डर कर वापस क्यों चला गया?


8) वेगा पर आक्रमण करने वाला वह बाज कौन था? वह वेगा से वह किताब क्यों छीनना चाहता था?


9) जमीन पर वह विचित्र आकृतियाँ वाले पत्थर कैसे थे? क्या वह सच में भविष्य के बारे में बता रहे थे?


10) अराका द्वीप का निर्माण किसने किया था? और वह पानी पर अपने आप कैसे चलता था?


11) क्या सुयश की पीठ पर बना सूर्य की आकृति वाला टैटू बस एक सामान्य टैटू है? शलाका की मूर्ति छूने पर सुयश के टैटू में किस प्रकार की शक्ति ने प्रवेश किया था? शलाका महल की दीवार पर सुयश के टैटू वाली आकृति कैसे बनी थी?


12) दूसरी क्रिस्टी बनकर जेनिथ के अपहरण की कोशिश करने वाली लड़की कौन थी?


13) अटलांटिस के सिक्के का क्या रहस्य था? उसे शैफाली के पास कौन छोड़ गया था?


14) क्या देवी शलाका के भाइयों के पास सप्त शक्ति थी?

15) शलाका 5000 सालो से अपने भाइयों के साथ क्यों शीत-निद्रा में थी?


16) नयनतारा पेड़ का क्या रहस्य था?


17) वेगा की जोडियाक वॉच का क्या रहस्य था? क्या सच में उसका आविष्कार रिंजो- शिंजो ने किया था? या फिर वह धरा और मयूर की धरा-शक्ति का कमाल था।


18) शलाका मंदिर में मिलने वाली शलाका की मूर्ति का क्या रहस्य था? मूर्ति को छूने पर युगाका ने सुयश के मरने की कल्पना क्यों की?


19) लुफासा की इच्छाधारी शक्ति का क्या रहस्य था?


20) सीनोर राज्य में मकोटा ने पिरामिड क्यों बनवाया था?


21) मकोटा के द्वारा आकृति को दिये ‘नीलदंड’ में क्या विशेषताएं थी?


22) आकृति का चेहरा शलाका से कैसे मिलने लगा? वह पिछले 5000 सालो से जिंदा कैसे है?


23) ऐमू के अमरत्व का क्या राज है?


24) जैगन का सेवक गोंजालो का क्या राज है? सीनोर राज्य में उसकी मूर्ति क्यों लगी है?


25) क्या सनूरा की शक्तियों का राज एक रहस्यमय बिल्ली है?


26) अराका द्वीप से निकलने वाली ‘विद्युत चुम्बकिय तरंगों’ का क्या रहस्य था?


27) उड़ने वाली झोपड़ी का क्या रहस्य था?


28) सुयश का शलाका की मूर्ति को छूने पर शलाका को कैसे पता चल जाता था?


29) शलाका महल में मौजूद वह सिंहासन क्या हनुका का था? और वह समय यात्रा किस प्रकार कराता था?


30) वेदालय किस प्रकार का विद्यालय था? उसमें पढ़ाई किस प्रकार कराई जाती थी?


31) कैलाश पर्वत के पास स्थित 15 लोक का रहस्य क्या था? उसे किसने और क्यों बनाया था? आज के समय में वह विद्यालय क्यों बंद हो गया?


32) आर्यन कौन था? अगर वह सुयश था तो क्या सुयश का पुनर्जन्म हुआ है?


33) ब्रह्मकलश के अमरत्व का क्या रहस्य था?


34) रुद्राक्ष-शिवन्या, विक्रम-वारुणी, धरा-मयूर या वेदालय में मौजूद अन्य जोड़े कौन थे?


35) सप्ततत्व या ब्रह्मकण में कौन सी शक्तियां समायी थी?


36) क्या कैलाश पर्वत के पास समय तेज चलता था?


37) वुल्फा कौन था? क्या उसमें भी शैतानी शक्तियां थी?


38) उड़नतस्तरी के अंदर मौजूद 6 फुट का हरा कीड़ा बाकी कीडो से अलग क्यों था? वह इन्सानों की तरह कैसे चल रहा था?


39) मकोटा के सर्पदंड का क्या रहस्य था?


40) शैफाली की आँखों में सर्प की तरह ऐमू की तश्वीर कैसे उभर रही थी?


41) वेगा पर हुआ टुंड्रा हंसऔर बुल शार्क का हमला क्या साधारण हमला था?


42) क्या वेगा को अपनी जोडियाक वॉच का रहस्य पता चल पाया?


43) व्योम को जो जगह पानी के नीचे दिखाई दी, वह जगह क्या थी?


44) तिलिस्मा प्रोजेक्ट क्या था? उसका नियंत्रण करने वाला कैस्पर क्या सच में एक कंप्यूटर प्रोग्राम मात्र

ही था?


45) व्योम के सामने काँच के कैप्सूलनुमा ट्यूब में बैठकर समुद्र में जाने वाला व्यक्ति कौन था?


46) नकली ब्लू व्हेल का निर्माण किसने किया था? क्या यह वही व्हेल थी, जिसने ‘सुप्रीम’ के समय में सुयश पर पानी उछाला था?


47) तिलिस्मा के प्रोजेक्ट ‘स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी’ और ‘सात सिर वाले योद्धा’ का क्या रहस्य था?


48) क्या अराका द्वीप के गुप्त स्थान में ट्रांसमिट मशीन लगी थी? जिसने व्योम को सामरा राज्य में ट्रांसमिट कर दिया था?


49) नक्षत्रा की शक्तियों का क्या रहस्य था?


50) गिलफोर्ड का क्या हुआ? वह लाल किताब क्या थी? जिसे गिलफोर्ड देवी की मंदिर से लेकर भागा था?


51) त्रिकाली को सुप्रीम के डूबते समय अचानक से बर्फ की शक्तियां कैसे मिल गयी? जो कि उसे स्वयं भी नहीं पता थी।


52) शैफाली ने युगाका की वृक्ष शक्ति कैसे छीन ली? और शैफाली के पास शक्तियां अपने आप कैसे बढ़ती जा रहीं थी?


53) हनुका कौन है? उसके पास गुरुत्व-शक्ति कैसे आयी?


54) सामरा राज्य पर स्थित अटलांटिस वृक्ष का क्या रहस्य है? उसने किस प्रकार युगाका को वृक्ष शक्ति दी?


55) अटलांटिस वृक्ष से निकलकर जो रोशनी व्योम के अंदर समायी, वह कैसी थी?


56) महाशक्ति मैग्रा कौन है? और कलाट को उसका हज़ारों वर्ष से इंतजार क्यों है?


57) मैग्रा पंचशूल प्राप्त करने के बाद पोसाइडन के विरूद्ध ही क्यों काम करने लगी?


58) सागरिका, वेरिका, अग्निका आदि चमत्कारी पुस्तको का क्या रहस्य था?


59) सागरिका की कविताएँ क्या भविष्य बताती थी?


60) मेडूसा की मूर्ति का क्या रहस्य था? वह रात में सजीव होकर शैफाली को मैग्रा के सपने क्यों दिखा रही थी?


61) मैग्रा की सवारी ड्रेंगो का क्या रहस्य था? वह ड्रेगन और हाइड्रा दोनों में कैसे परिवर्तित हो जाता था?


62) समुद्र की तली के दरार में बना वह स्वर्ण महल किसका था? जिसमें से मैग्रा ने पंचशूल प्राप्त किया था।


63) 2 सिर वाला जलदैत्य कराका कौन था?


64) मैग्रा की शक्तियों का श्रोत क्या था?


65) अंटार्कटिका में बने शलाका महल के कमरे में मौजूद उस स्टीकर वाले दरवाजे का क्या रहस्य था?


66) रुद्राक्ष और शिवन्या की घातक मानिसक शक्तियों का क्या राज था?


67) ब्रेंडन और जॉनी को ले जाने वाला वह मायाजाल कैसा था?


68) गुरुत्व-शक्ति के हर वर्ष जमीन के नीचे से प्रकट होने के पीछे का क्या रहस्य था?


69) क्या हनुका समय रहते गुरुत्व-शक्ति को वापस ला सका?


70) क्या सुयश के साथ बचे बाकी सदस्य मायावन को पार करके तिलिस्मा तक पहुंच सके?

71) क्या मायावन अब और ज़्यादा खतरनाक हो गया था? ऐसे ही ना जाने कितने सवाल होंगे जो आपके दिमाग में घूम रहे होंगे।


तो दोस्तो इन सारे अनसुलझे सवालों के जवाब हमारी इस कहानी की अगले भाग में देंगे जिसका नाम है- “एक रहस्यमय जंगल-मायावन”

जिसमें हम आपको ले चलेंगे, इस पृथ्वी के सबसे खतरनाक भूभाग में, जहां पर छिपी तिलिस्मी मौत बेसब्री से अपने शिकार का इंतजार कर रही है।...................:yo:



तो दोस्तों इसके साथ मुझे फिर से 2-4 दिन की छुट्टी की इजाजत दीजिए ताकि अगली कड़ी को लेकर आपके सामने इसी थ्रेड पर जल्दी प्रकट हो जाऊँ।


आपका अपना राज शर्मा 🙏🏼

Bahut hi gazab ki update he Raj_sharma Bhai,

Ye scene dekhkar bollywood movie Brahamsatra ki yaad aa gayi.............

Aise hi kuch scene us movie me bhi the..........

Gazab Bhai, outstanding
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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पंडित जी ! आप की यह " अटलांटिस संतति " एक्स फोरम के लाइब्रेरी मे नही , काॅलेज और युनिवर्सिटी के लाइब्रेरी मे होना चाहिए था ।
आप की यह रचना देवकी नंदन बाबु की याद दिलाती है । उन्होने चन्द्रकांता संतति लिखी और आपने 21 वीं सदी मे अटलांटिस संतति लिख डाली ।
भाई साहब ऐसा कुछ भी नही है। :D मै तो बस यही कोशिश कर रहा हूॅ कि रीडर्स को बांधे रख सकूं।:dazed: मुझे आपके औरAVSJ जैसे रीडर्स मिले है, मेरे लिए ये बोहोत बडी बात है। आप सभी के शब्दों से मुझे और आगे, ओर अच्छा लिखने का संबल मिलता है। आपके शब्द मुझे प्रेरित करते है।:yo:
ऐसी कहानियाँ बहुत ही विस्तृत होती है । इन्हे अगर पढ़ना हो तो आप कोई दूसरी कहानी नही पढ़ सकते । इसे पढ़ने के लिए एक नोटबुक की आवश्यकता होती है ।
वगैर नोटबुक के आप न ही सभी किरदार के नाम याद रख पाते है और न ही घटनाक्रम के । इस अपडेट मे आपने स्वयं ही 71 सवाल उठाए है और मै दावे से कहता हूं कोई भी रीडर बीस सवाल तक नही ढूँढ सकता ।
और जब रीडर्स बीस सवाल तक नही पुछ सकते तो फिर वो जबाव क्या ही दे सकते हैं !
इसीलिए तो वो सारे सवाल मैने खुद लिख दिए। ताकी कुछ छूट ना जाए। :D
माना कि कहानी मे पात्र, और घटनाक्रम काफी विस्तृत है।, पर कहानी के प्लाट और डिमांड के हिसाब से करना ही पडेगा, मै वादा तो पहीं करता, पर कोशिश जरूर करूंगा की ये कहानी पूरे XFORUM की सबसे यादगार और इकलौती कहानी होगी जो इतनी विशाल और विस्तृत होगी वो भी बिना किसी अश्लीलता के।:declare:
पर उसके लिए मै फिर कहता हूॅ कि मुझे आप दोनों यानी SANJU ( V. R. ) and avsji का साथ अंत तक चाहिए।
इस कहानी मे अटलांटिस सभ्यता के साथ साथ भारतीय माइथोलाॅजी का भी सम्मिश्रण हुआ है । सनातनी धर्म के साथ साथ साइंस का भी समावेश हुआ है । चमत्कार और फैंटेसी इस कहानी का अभिन्न भाग है ही ।
यही नही , यह कहानी हजारों वर्ष पूर्व से लेकर वर्तमान के दौर से भी जुड़ी हुई है ।
आसान नही होता ऐसे कहानी पर प्रत्येक अपडेट पर अपनी विस्तृत राय जाहिर करना ।
भारतीय आदमी लिखे और कहानी में भारतीय माइथोलाॅजी ना हो ऐसा कैसे हो सकता है सर:D
असली दम तो....खैर। आप बस पढिए और ज्यादा नहीं तो 2 शब्द ही बोल दिया कीजिए ताकी आपके साथ होने का एहसास होता रहे।:approve:
पंडित जी , हम रीडर्स तो आप के दिखाए गए चमत्कारिक वर्ल्ड की सैर कर रहे हैं । और हां , मजा भी खूब आ रहा है । एक एडल्ट फोरम पर इस तरह की कहानी भी एक चमत्कार से कम नही है । कहानी के अपडेट मे निरन्तरता , अथक परिश्रम और इस कहानी के प्रति समर्पण भाव के लिए आपको बहुत बहुत साधुवाद । :hi:
बोहोत बोहोत आभार प्रकट करता हूॅ आपकी इस प्यारी प्रतिक्रिया के लिए 🙏🏼🙏🏼
कहानी अभी आधी भी नही हुई है, लेकिन वादा करता हूॅ जब ये पूर्ण हो जाएगी तो आप इसे एक बार फिर पढ़ना चाहेंगे।। :thanx:
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Bahut hi gazab ki update he Raj_sharma Bhai,

Ye scene dekhkar bollywood movie Brahamsatra ki yaad aa gayi.............

Aise hi kuch scene us movie me bhi the..........

Gazab Bhai, outstanding
Thank you very much for your valuable review and support bhai :thanx:Sath bane rahiye, aap usko bhool jayenge, wada karta hu👍
 
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#103.

चैपटर-14

हिमलोक:
(10 जनवरी 2002, गुरुवार, 10:25, ट्रांस अंटार्कटिक पर्वत अंटार्कटिका)

विल्मर इस समय बहुत परेशान था। कल से जेम्स कुछ पता नहीं चल रहा था। इस वजह से वह काफ़ी घबराया हुआ था।

“इस कमरे में कहीं भी कोई दरवाजा नहीं है, फिर जेम्स अचानक से कमरे से कहां चला गया? कहीं सच में ही तो देवी शलाका उसे नहीं पकड़ ले गयी?" विल्मर के दिमाग में अजीब-अजीब से ख्याल आ रहे थे।

अभी विल्मर यह सब सोच ही रहा था कि तभी उसे हवा में एक द्वार बनता दिखाई दिया जो कि इस बात का घोतक था कि शलाका आ रही है।

हवा के द्वार से शलाका ने कमरे में प्रवेश किया। इस समय उसने बहुत ही मॉर्डन सी काले रंग की त्वचा से सटी (skin-tight) पोशाक पहन रखी थी। इस पोशाक में अगर कोई उसे देखता तो मान ही नहीं सकता था कि यह कोई देवी है। हर समय की तरह त्रिशूल अब भी शलाका के हाथ में था।

शलाका ने एक नजर कमरे में बैठे विल्मर पर मारी और बोल उठी- “जेम्स कहां है?“

“म ...मुझे नहीं पता ....।" विल्मर ने डरते हुए कहा- “जेम्स कल से कहीं गायब है। मुझे लगा उसे आप कहीं ले गयी है?"

शलाका की आँखें सोचने वाली मुद्रा में सिकुड गयी। उसने एक नजर पूरे कमरे पर मारी।
अब उसकी नजरें दरवाजे वाले स्टीकर पर जाकर चिपक गयी।

“इसका मतलब जेम्स ने गुप्त द्वार का प्रयोग किया है।" शलाका मन ही मन बड़बड़ायी।

“आपने कुछ कहा क्या?" विल्मर ने शलाका को बड़बड़ाते देखकर पूछा।

“नहीं... मैंने कुछ नहीं कहा और मैं जेम्स को लेकर कहीं नहीं गयी?, वो स्वयं ही गुप्त द्वार का प्रयोग करके यहां से बाहर गया है।" शलाका ने विल्मर की ओर देखते हुए कहा- “मैं उसको लाने जा रही हूँ, तब तक तुम इसी कमरे में रहो और ध्यान रहे, यहां के किसी सामान से छेड़-छाड़ करने की कोशिश मत करना, वरना तुम भी गायब हो जाओगे।" विल्मर ने हां में सिर हिलाया।

शलाका अब चलकर उस स्टीकर वाले दरवाजे के पास पहुंची और स्टीकर पर मौजूद लाल बटन को दबा दिया। बटन हरे रंग का हो गया। विल्मर आँखें फाड़े उस दृश्य को देख रहा था।

शलाका उस गुप्त द्वार में प्रवेश कर गयी। कुछ आगे चलने पर उसे चारो ओर दरवाजे ही दरवाजे नजर आये। यह देख शलाका की नजर सभी दरवाज़ों पर फिरने लगी।

कुछ देर देखने के बाद उसकी नजर एक दरवाजे पर टिक गयी। शलाका धीरे से आगे बढ़ी और उस द्वार में प्रवेश कर गयी।


वह रास्ता एक बर्फ़ की गुफा में निकला था। शलाका उस गुफा से बाहर निकली। उसे अपने अगल-बगल चारो तरफ बर्फ़ के पहाड़ दिखाई दे रहे थे।

यह स्थान देखकर शलाका की पुरानी याद ताजा हो गयी। जब वो 5000 वर्ष पहले यहां वेदालय में पढ़ती थी।

शलाका के चेहरे पर एक भीनी सी मुस्कान बिखर गयी। शलाका ने अपने आसपास देखा, पर उसे जीवन के कोई भी लक्षण वहां दिखाई नहीं दिये।

“यहां इतना सन्नाटा क्यों है, 5000 वर्ष पहले तो यह जगह पूरी तरह से जीवन से परिपूर्ण थी। इतने वर्ष में तो इस जगह को और विकसित हो जाना चाहिये था, पर यह तो बिल्कुल वीरान दिखाई दे रही है। ऐसी वीरान जगह पर तो जेम्स को ढूंढ पाना मुश्किल होगा।.....मुझे रुद्राक्ष और शिवन्या की मदद लेनी होगी, वह हिमलोक के बारे में सबकुछ जानते हैं। उन्हें अवश्य पता होगा कि जेम्स कहां है?"

यह सोचकर शलाका ने अपने त्रिशूल को हवा में उछाला। हवा में उछालते ही त्रिशूल कहीं गायब हो गया। अब शलाका ने अपने दोनों हाथ की मुट्ठियां बंद कर, दोनो हाथ के अंगूठे को अपने मस्तिष्क के दोनो तरफ लगाया और अपने मन में ‘रुद्राक्ष और शिवन्या’ दोहराना शुरू कर दिया।

हवा में मानिसक तरंगे फैलना शुरू हो गयी।

कुछ ही देर में शलाका को 4 रेंडियर एक स्लेज गाड़ी को खींचते उधर आते दिखाई दिये।

स्लेज आकर शलाका के पास रूक गयी। शलाका के स्लेज में बैठते ही रेंडियर उसे लेकर एक अंजान दिशा की ओर चल दिये। रास्ते भर शलाका हिमालय में हुए अनेकों बदलाव को देखती जा रही थी।

लगभग 15 मिनट के बाद रेंडियर बर्फ़ से ढकी एक गुफा के पास पाहुंच गये। रेंडियर एक क्षण को रुके और फ़िर गुफा में प्रवेश कर गये। अब रेंडियर गुफा में दौड़ रहे थे।

गुफा में बीच-बीच में ऊपर की ओर सुराख बने थे, जहां से थोड़ी-थोड़ी बर्फ़ गिर कर गुफा में आ रही थी।

कुछ देर के बाद शलाका को गुफा के आगे एक विशालकाय गड्ढ़ा दिखाई दिया, जिसके चारो ओर, नीचे की तरफ जाता हुआ एक 10 फिट चौड़ा रास्ता बना था। गड्डे की गहराई का अंत नहीं दिख रहा था।

रेंडियर उसी रास्ते पर दौड़ते हुए नीचे की ओर जाने लगे।

वह रास्ता इतना खतरनाक था कि शायद कोई मानव उसे देखकर उसमें जाने की सोचता भी नहीं, पर शलाका तो कई बार इस रास्ते से आ-जा चुकी थी। इसिलये वह आराम से स्लेज में बैठी हुई थी।

गड्डे में थोड़ा नीचे जाने के बाद अब उजाला नजर आने लगा था, पर यह उजाला कहां से आ रहा था, यह नहीं पता चल रहा था।
लगभग 500 मीटर का सफर उस गड्डे में तय करने के बाद अब रेंडियर रुक गये।

शलाका को वहां दीवार में एक द्वार दिखाई दिया। शलाका ने उस द्वार को खोला और अब उसके सामने था- “हिमलोक”।

वही हिमलोक जिसकी रचना वेदालय के समय में महागुरु नीलाभ ने की थी। वही हिमलोक जिस पर रुद्राक्ष और शिवन्या को शासन करने के लिये चुना गया था।

शलाका के सामने एक बर्फ़ से ढकी हुई दुनियां थी, जहां पर चारो ओर बर्फ़ की विशालकाय देवताओं की मूर्तियाँ स्थापित थी।

तभी शलाका को सामने खड़े रुद्राक्ष और शिवन्या दिखाई दिये। शलाका खुश होकर बारी-बारी दोनों के गले लग गयी।

“पूरे 5000 वर्ष बीत गये हैं तुमसे मिले।" शिवन्या ने शलाका को निहारते हुए कहा- “मुझे तो लगा था कि शायद अब तुम जीवित भी नहीं हो।"

“शायद अब तक जीवित नहीं बचती, पर किसी के इंतजार ने इतने वर्ष तक मुझे जीवित रखा।....अरे हां मैं दरअसल किसी दूसरे काम से यहां आयी हूँ.... मुझे एक जेम्स नाम के मनुष्य की तलाश है, जो गलती से हिमालय पर आ पहुंचा है।" शलाका ने बात को बदलते हुए कहा।

“एक विदेशी मनुष्य हमने पकड़ा तो है, जो कि हमारी सीमा में घूम रहा था। हो सकता है कि वही जेम्स हो?" रुद्राक्ष ने कहा।

“उसने नीले रंग की टी शर्ट और काली जींस पहनी हुई है।" शलाका ने जेम्स का हुलिया दोनों को बताया।

“हां फ़िर तो वही है ... जेम्स हमारे ही पास है .... हमें लगा कि वह गुरुत्व शक्ति चुराने आया है, इसिलये हमने उसे कैदखाने में डाल दिया।" शिवन्या ने कहा।

“गुरुत्व शक्ति!" शलाका ने आश्चर्य से कहा- “क्या कल गुरुत्व शक्ति प्रकट होने वाली है?"

“हां...तुम तो जानती हो कि गुरुत्व शक्ति हर साल एक विशेष नक्षत्र में सूर्योदय की पहली किरण के साथ बर्फ़ से निकलती है, जिसकी हम पूजा भी करते हैं और सूर्यास्त की आखरी किरण के साथ वापस बर्फ़ में समा जाती है।" शिवन्या ने शलाका को याद दिलाते हुए कहा।

“हां-हां .... मुझे सब याद है ... मैं कुछ भी नहीं भूली....ना गुरुत्व शक्ति और ना ही आर्यन को ................।" शलाका ने एक गहरी साँस भरते हुए कहा।

“चलो फ़िर हमारे महल चलो ... इतने दिन बाद आयी हो तो एक दिन तो रहना ही पड़ेगा हमारे साथ .... और वैसे भी कल तुम पूजा में भी भाग ले सकती हो।" रुद्राक्ष ने शलाका पर जोर डालते हुए कहा।
यह सुन शलाका थोड़ा सोच में पड़ गयी।

उसे सोच में पड़े देख शिवन्या भी बोल उठी- “अरे चलो ना यार... तुम्हारा जेम्स तो वैसे भी मिल गया है, अब तुम्हें परेशानी ही क्या है?"

“ठीक है चलती हूँ....।" कुछ सोचकर शलाका ने मस्कुराते हुए कहा- “अच्छा ये बता कि बाकी के लोग कैसे हैं?"

“बाकी सब तो ठीक हैं, परंतु धरा और मयूर थोड़े से परेशान हैं।" शिवन्या ने कहा- “दरअसल कुछ समय पहले उसकी धरा शक्ति का एक कण चोरी हो गया है, जिसे वो ढूंढ नहीं पा रहे हैं।"

ऐसा कैसे हो सकता है?“ शलाका ने आश्चर्य से पूछा- “पृथ्वी पर अगर कहीं भी वह धरा शक्ति का कण प्रयोग में लाया जाये तो वह धरा और मयूर को पता चल जायेगा, फ़िर वो उसे प्राप्त कर सकते हैं।"

“धरा शक्ति का प्रयोग अभी अमेरिका के एक शहर वाशिंगटन में कल ही 2 बार किया गया, जिससे उन्हें यह तो पता चल गया कि वह शक्ति इस समय अमेरिका में है, धरा और मयूर अमेरिका पहुंच भी चुके हैं। अब बस उन्हें इंतजार है उस शक्ति के अगली बार प्रयोग होने का। जैसे ही इस बार किसी ने उसका प्रयोग किया, वह पकड़ा जायेगा। .... पर छोड़ ना यार उनकी बातों को....वो दोनों आसानी से उस शक्ति को प्राप्त कर लेंगे। चल हम लोग चलते हैं, कल के उत्सव की तैयारियां करते हैं।"

शिवन्या यह कहकर शलाका को खींचकर महल की ओर चल दी।


चक्रवात
(10 जनवरी 2002, गुरुवार, 14:00, मायावन, अराका द्वीप)

रात में शैफाली और जेनिथ की वजह से सभी देर से सोये थे, इसिलये सभी के उठने में काफ़ी देर हो गया था।

चूंकि उस पार्क वाली जगह पर एक खूबसूरत सा तालाब भी था, जिसमें साफ पानी भरा था। इसिलये सभी ने उस जगह पर आधा दिन ज़्यादा रहने का विचार किया।

बारी-बारी सभी लेडीज और जेंट्स ने वहां पर खूब नहाया और अपने कपडों को साफ किया।
इतने दिनो बाद नहा कर सभी को बहुत ताज़ा महसूस हो रहा था।

अब सभी फ़िर से आगे की ओर बढ़ गये।

जेनिथ का दिमाग बुरी तरह से तौफीक पर खराब था। इसिलये वह तौफीक से ज़्यादा बात नहीं कर रही थी। तौफीक ने जेनिथ के इस बदलाव को महसूस कर लिया था, पर उसे इसका कारण नहीं पता चला।

अब केवल 8 लोग ही बचे थे, पर जोड़े पूरी तरह से टूट गये थे। क्रिस्टी से एलेक्स अलग हो गया था और जैक से जॉनी। जेनिथ और तौफीक का रिस्ता भी अब नहीं बचा था, इसिलये सभी अब थोड़ा कम बात कर रहे थे।

“अरे दोस्त दूसरों से बातें मत करो, पर मुझे तो इस तरह से बोर ना करो।" नक्षत्रा ने जेनिथ के मन में कहा- “कुछ तो बोलो?"

“हम तो सुबह से ढलकर, शाम हो गये,
इस कमबख्त इश्क से बदनाम हो गये।"

जेनिथ ने शायराना अंदाज में, नक्षत्रा को किवता सुनाई।

“वाह-वाह दोस्त क्या बात कही है?” नक्षत्रा ने कहा- “आप बहुत तेजी से उबर रहे हो अपने दुख से। ... बहुत खूब.... शानदार।"

“बहुत-बहुत धन्यवाद!" जेनिथ ने मन में कहा- “अब तुम भी कुछ सुनाओ नक्षत्रा?"

“पृथ्वी पर आकर हम भी इंसान हो गये,
तुझमें सिमटकर 2 रूह एक जान हो गये।"

जेनिथ ने भी जेनिथ के लिये एक किवता मार दी।

“बहुत ही खूबसूरत नक्षत्रा... मान गये तुम्हें.... तुम भी बहुत तेजी से सीख रहे हो पृथ्वी की भाषा।" जेनिथ ने खुश होते हुए नक्षत्रा से कहा।

भले ही तौफीक का राज जेनिथ को पता चल गया था, मगर नक्षत्रा की बातो ने जेनिथ को अब बिल्कुल संभाल लिया था। जेनिथ को जिंदगी का यह नया अंदाज बहुत पसंद आ रहा था।

तभी चलते हुए उनके रास्ते में एक फूलों की घाटी आ गई। बहुत ही खूबसूरत फूलों के पौधे चारो ओर लगे थे। चारो ओर खुशबू बिखरी हुई थी।

सभी को ये घाटी बहुत अच्छी लग रही थी। ब्रेंडन ने आगे चलते हुए एक गुलाबी रंग के फूल को तोड़कर अपने हाथो में ले लिया। उस फूल की खुशबू भी बहुत अच्छी थी।

तभी कहीं से एक भौंरा उड़ता हुआ आया और ब्रेंडन के आसपास मंडराने लगा। उसके पंखों की तेज़ ‘भन्न-भन्न’ की आवाज बहुत अजीब सी लग रही थी।

यह देख ब्रेंडन ने अपनी जगह बदल कर उस भौंरे से बचने की कोशिश की, पर भौंरा भी ब्रेंडन के पीछे-पीछे दूसरी जगह पर पहुंच गया।

ब्रेंडन ने फ़िर जगह बदल ली, पर शायद वह भौंरा भी जिद्दी था, वह ब्रेंडन के पीछे ही पड़ गया। ब्रेंडन जिधर जा रहा था, भौंरा उधर आ जा रहा था।

“ब्रेंडन अंकल शायद वह भौंरा आपके नहीं बल्कि आपके हाथ में मौजूद फूल के पीछे पड़ा है।" शैफाली ने ब्रेंडन से कहा- “आप उस फूल को फेंक दिजिये।"

ब्रेंडन को शैफाली का लॉजिक सही लगा, इसिलये उसने अपने हाथ में पकड़े गुलाबी फूल को वहीं जमीन पर फेंक दिया।

पर फूल का गुलाबी रंग और महक अभी भी ब्रेंडन के हाथों पर लगी थी। इसिलये भौंरा फूल को फेंकने के बाद भी ब्रेंडन के पीछे लगा रहा।

अब ब्रेंडन को उस भौंरे की आवाज थोड़ा इरिटेटिग लगने लगी। वह बार-बार भौंरे को अपने हाथ से भगाने की कोशिश कर रहा था।

पर उस भौंरे ने भी शायद ब्रेंडन को परेशान करने की कसम खा रखी थी, वह अभी भी ब्रेंडन के पीछे लगा था।

इस बार ब्रेंडन ने भौंरे को भगाने की कोशिश नहीं की और उसे थोड़ा और अपने पास आने दिया। जैसे ही वह भौंरा इस बार ब्रेंडन के पास आया, ब्रेंडन ने निशाना साधकर अपने हाथ का वार उस भौंरे के ऊपर कर दिया।

इस बार निशाना बिल्कुल ठीक था। ब्रेंडन का हाथ तेजी से भौंरे को लगा और वह वहीं एक धूल वाली जगह पर घायल होकर गिर गया।

भौंरे के भनभनाने की आवाज अब और तेज हो गयी थी। अब वह जमीन पर गिरकर जोर से तड़पते हुए धूल में लोट रहा था।

भौंरे के जमीन में तड़पने की वजह से जमीन पर कुछ गोल-गोल सी लकीरें बनने लगी।

अब थोड़ी-थोड़ी सी धूल भी जमीन से उठने लगी। कुछ ही देर में भौंरे वाली जगह पर छोटा सा धूल का गुबार बन गया। सभी की नजर उस भौंरे की ओर थी। सभी को भौंरे को देखकर किसी नये खतरे का अहसास हो गया था।

धीरे-धीरे भौंरे का छटपटाना बंद हो गया, पर आश्चर्यजनक तरीके से धूल का गुबार अभी भी कम नहीं हुआ था।

“ये धूल का गुबार क्यों कम नहीं हो रहा?" क्रिस्टी ने कहा- “क्या यह भौंरा भी किसी प्रकार के चमत्कार का हिस्सा है?"




जारी रहेगा_______✍️
Ek or gaya?😱 bhai ji kitno ko niptaoge? :D: dhasu update and mind blowing story bhai👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻
 
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