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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

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mrDevi

There are some Secret of the past.
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# 11.
चैपटर-4 31 दिसम्बर 2001, सोमवार, 20:00;

“दोस्तों ! आज एक खुशियों भरी रात है।“ सुयश ने माइक संभाल कर बोलना शुरू किया-

“अब से ठीक 4 घंटे के बाद हमारे लिए एक नए वर्ष की शुरुआत होगी। हमारा “सुप्रीम” भी एक नए वर्ष में कदम रख रहा है। आज हम धरती से हजारों किलोमीटर दूर, अनंत सागर में हैं। लेकिन मैंने अपने इस शिप पर किसी चीज की कमी नहीं होने दी है। मैं यह चाहता हूं, कि आज की रात, आप अपनी जिंदगी में एक नया अध्याय शुरू करें और आज की तारीख को अपने अनमोल जिंदगी का एक इतिहास बना दें। एक ऐसा इतिहास, जिस के पन्ने आप जब भी पलटें, तो आपको गर्व हो, आज के दिन पर और इस यादगार लम्हे पर। कल एक नई सुबह, एक नई ‘सुप्रीम’ हमारा इंतजार कर रही है। ‘सो लेट्स इंजॉय दिस नाइट‘।“

इतना कहकर सुयश स्टेज से उतर गया। सभी इस रंगारंग कार्यक्रम का आनंद ले रहे थे। तभी स्टेज पर, प्रोफेसर अलबर्ट डिसूजा चढ़ गए। उनके साथ सुयश भी था। स्टेज पर पहुंचकर, सुयश ने अलबर्ट को माइक की ओर आने का इशारा किया। अलबर्ट ने धीरे से माइक संभाल लिया। पुनः अब सभी का ध्यान स्टेज की ओर केंद्रित हो गया।

“दोस्तों ! कृपया ध्यान दें।“ अलबर्ट ने बोलना शुरू किया- “मेरा नाम अलबर्ट डिसूजा है। मैं एक अमेरिकन साइंटिस्ट हूं। मेरा सारा जीवन सिर्फ अविष्कार और खोज करने में ही चला गया। यहां तक कि मैं अपनी बीवी मारिया को आज तक कोई यादगार खुशी नहीं दे सका।“ सभी व्यक्ति बहुत ध्यान से अलबर्ट की बा त सुन रहे थे।

“मुझे इस बात का बहुत दुख है, कि मैं उसके लिए आज तक कुछ न कर सका। पर दोस्तों आज की रात को मैं भी, अपने जीवन में यादगार बनाना चाहता हूं। दरअसल बात यह है, कि आज हमारी 40वीं मैरिज एनिवर्सरी है। और मैं चाहता हूं कि इस खुशी के मौके पर, आप लोग भी हमारी खुशी में शामिल होइये। इसलिए आज की रात सभी को मेरी तरफ से शैम्पेन फ्री में बांटा जाएगा। तो दोस्तों मेरी इस यादगार एनिवर्सरी में सभी लोग मेरे साथ मिलकर खुशियां बांटेंगे।“

इतना कहकर अलबर्ट चुप हो गया। तभी एक व्यक्ति ने हाथ में शैंपेन की बोतल लाकर अलबर्ट को दे दिया। अलबर्ट ने उसे तेजी से ऊपर-नीचे हिलाया और फिर एक झटके से उसका कार्क खोल दिया और हवा में बोतल को उठा कर कहा –

“मेरी खूबसूरत और जीवन भर साथ देने वाली बीवी मारिया के नाम।“ चारों तरफ से तालियां बजने लगीं। मारिया की भी आंखों में आंसू आ गए। लेकिन यह आंसू खुशी के थे। अलबर्ट उसके बाद धीरे से स्टेज से उतरकर, मारिया के पास आकर खड़ा हो गया और मारिया का हाथ, अपने हाथ में इस तरह ले लिया, मानों अब वह उसे पूरी जिंदगी ना छोड़ने वाला हो।

तभी धीरे-धीरे सभी लोग आकर उन्हें कां ग्रेचुलेट करने लगे। इस भीड़ में माइकल, मारथा और शैफाली भी थे।

“इधर सभी लोग न्यू ईयर सेलिब्रेट कर रहे हैं, तो क्यों ना थोड़ी देर के लिए कहीं और चलें। आइये शिप के कंट्रोल रूम में चलें। जरा यहां भी तो देखें, यहां का चालक दल न्यू ईयर के बारे में क्या सोच रहा है?“

“यार रोजर!“ असलम जो कि रोजर का हमउम्र होने के कारण उसे नाम से संबोधित करता था, रोजर से मुखातिब होकर बोला - “आज न्यू ईयर की रात है। 12 बजे के बाद से न्यू ईयर शुरू हो जाएगा। बाहर हॉल में तो सभी सेलिब्रेट कर रहे हैं। पर हम क्या ऐसे सूखे-सूखे ही नया साल मनाएंगे।“

“क्या मतलब है तुम्हारा ?“ रोजर ने समझ कर भी, ना समझने वाले भाव से कहा। “अरे अगर आप आर्डर दें, तो थोड़ा गला हम लोग भी तर कर लें।“ असलम ने रोजर को मनाते हुए कहा।

“तुम्हारा मतलब है, कि ड्यूटी टाइम पर ड्रिंक।“ रोजर ने धीरे से अपने कानों को हाथ लगाते हुए कहा-

“ना बाबा ना। अगर कैप्टन को यह पता चल गया कि, हम लोगों ने ड्यूटी टाइम पर ड्रिंक किया था, तो वह हंगामा खड़ा कर देगा। और वैसे भी तुम्हें मालूम है कि वह नियम और कानून का कितना पक्का है। भाई मुझे तो यह रिस्क लेना मंजूर नहीं है।“ उनकी बातें सुन चालक दल के अन्य सदस्य भी उस ओर आ गए और उनकी बातें सुनने लगे।

“अरे यार! मैं थोड़े से की तो बात कर रहा हूं। कौन सा हमें पूरी बोतल पीनी है। एक-दो पैग से कैप्टेन को क्या पता चलेगा ?“ असलम ने रोजर को उकसाते हुए कहा- “और वैसे भी कैप्टन तो इस समय हॉल में है। उसकी निगाहें तो अपराधी को खोज रही हैं। वह भला इस समय यहां क्या करने आएगा ?“

असलम के शब्द सुनकर रोजर सोच में पड़ गया। असलम रोजर को सोचते देख, उसके मन की दशा भांपकर, एक चोट और की।

“अब मान भी जाओ यार। वैसे अगर तुम कहो, तो थोड़ी देर के लिए, कंट्रोल रूम का दरवाजा अंदर से बंद कर देते हैं। अगर कोई आएगा भी, तो पहले दरवाजे पर नॉक करेगा। इतने में तो हम बोतलें छिपा लेंगे।“

इतना कहकर असलम फिर चुप हो गया और रोजर का चेहरा देखने लगा। तभी बाकी के चालक दल के लोग, जो अब तक उनकी बातें सुन रहे थे वह भी रोजर को मनाने में लग गए।

“अब मान भी जाइए रोजर सर, असलम सर बिल्कुल ठीक कह रहे हैं। एक दो पैग में कोई नहीं जान पाएगा।“

“अच्छा ठीक है, अगर तुम सभी लोग इतना कह रहे हो, तो ठीक है पर कोई भी आदमी दो पैग से ज्यादा नहीं पियेगा।“ रोजर ने लगभग हथियार डालते हुए जवाब दिया।

“हुर्रेऽऽऽऽऽ!“ सभी के मुंह से समवेत स्वर निकला।

“श्श्श्श्श्श्!“ पर तुरंत ही असलम ने मुंह पर हाथ रखकर सबको चुप रहने का इशारा किया। फिर क्या था । आनन-फानन ड्रिंक की व्यवस्था हुई, और कंट्रोल रूम के दरवाजे को अंदर से लॉक कर लिया गया। ये जाम वर्ष 2002 के नाम। चियर्स .....।“ रोजर ने असलम के जाम से जाम टकराया और जोर का जयकारा लगाते हुए चियर्स किया।

“चलिए यहां भी नए साल की पार्टी आखिरकार हो ही गई। आइए अब वापस हॉल में चलते हैं। देखें तो वहां की पार्टी किस तरह परवान चढ़ रही है।“

हॉल में बहुत ही धूमधाम से पार्टी का आयोजन चल रहा था। सभी लोग अपने- अपने दोस्तों के साथ सेलिब्रेट कर रहे थे। वक्त भी “सुप्रीम” की मानिंद मंथर गति से चल रहा था।

इस समय रात के 11:30 बज रहे थे। 10 मिनट के बाद जेनिथ का डांस शुरू हो गया। हॉल की लाइट अब धीमी कर दी गई थी। जेनिथ अपनी सहेली लॉरेन के साथ स्टेज पर प्रकट हुई। स्वर लहरियां बज उठीं। धीमी गति से डांस शुरू हो गया। इस समय हॉल के हर कोने में लाउडस्पी कर लगे होने के कारण पूरे हॉल में मध्यम संगीत गूंज रहा था।

सभी की आंखें, जैसे इस यादगार लम्हे को कैमरे की मानिंद शूट कर रहीं थीं। सभी की निगाहें अपने-अपने लक्ष्य पर थीं। जैसे डांस करती हुई, जेनिथ की निगाहें रह-रह कर तौफीक की ओर जा रहीं थीं।

उसने सोच रखा था कि जैसे ही 12:00 बजे लाइट ऑफ होगी। उसे भागकर तौफीक के पास पहुंचना है। जेनिथ, तौफीक के साथ ही न्यू ईयर सेलिब्रेट करना चाहती थी। तौफीक की भी निगाहें स्टेज पर ही थीं। लॉरेन की निगाहें, अपने बॉयफ्रेंड पर थीं। सुयश पूरे हॉल में नजरें दौड़ा कर, अपराधी को ढूंढने की कोशिश कर रहा था। ऐलेक्स की नजरें क्रिस्टी पर और क्रिस्टी की नजरें लॉरेन पर थीं। लारा अपने सिक्योरिटी के इंतजाम को चेक करने में व्यस्त था। ब्रैंडन की नजर सिर्फ और सिर्फ जॉनी पर थी। अलबर्ट डिसूजा, मारिया के साथ व्यस्त थे। उनसे कुछ दूरी पर खड़े माइकल, मारथा व शैफाली भी अपने आप में व्यस्त थे।

उधर जॉनी ने जैक को पहले ही बता दिया था, कि लाइट ऑफ होते ही वह जेनिथ की ओर जाएगा और उसे किस करके दिखाएगा। जॉनी का यह सोचना था कि 1 मिनट के अंधेरे में वह जेनिथ को किस करके वापस आ जा एगा। इसलिए वह स्टेज के पास खड़ा था और उसकी निगाहें लगातार जेनिथ की ओर थीं।

जैक, जॉनी का यह कारनामा देखना चाहता था, इसलिए उसने अपनी जेब में अंधेरे में देख सकने वाला चश्मा डाल डाल रखा था। उसकी निगाहें, जॉनी पर व एक हाथ अपनी जेब में था। फिलहाल हर आदमी का लक्ष्य निश्चित था। पार्टी जोरों से चल रही थी। घड़ी की सुईयां भी टिक-टिक करती हुई अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहीं थीं।

और आखिरकार वह समय भी आ गया। जब घड़ी की तीनों सुइयां एकाकार होने के लिए मचल उठीं। “15....14.... 13....12.....11....“ उल्टी गिनती शुरू हो चुकी थी- “5.....4.....3.....2............1“ जैसे ही तीनों सुइयों ने एक-दूसरे को अपने आलिंगन में लिया। तुरंत पूरे हॉल की लाइट ऑफ हो गयी।

हर तरफ शोर शराबे का माहौल था। जॉनी लाइट के ऑफ होते ही स्टेज की ओर भागा। लेकिन उसे यह नहीं पता था, कि जेनिथ लाइट के ऑफ होते ही तौफीक की तरफ जा चुकी है। अंधेरा होते देख, जैक ने तुरंत आंखों पर चश्मा लगा लिया। चश्मा लगाते ही उसे जेनिथ स्टेज से गायब दिखी।

उधर जॉनी भाग कर, लॉरेन को जेनिथ समझ, उसके पास पहुंच गया। यह देख के जैक के मुंह से एक ही शब्द निकला-

“अब तू मरा जॉनी ।“

इस भारी शोर-शराबे के बीच, एक शख्स ऐसा भी था, जिसे इस अंधेरे से कोई फर्क नहीं पड़ना था, और वह थी केवल शैफाली। सुयश की निगाहें, अपनी रेडियम युक्त घड़ी की सुईयों पर थी। 10 सेकेंड्स के बाद उसके चेहरे पर बेचैनी साफ झलकने लगी। ना जाने क्यों उसे ऐसा लगने लगा कि 30 सेकेंड्स के लिए, लाइट ऑफ की छूट देकर उसने गलती कर दी।

तभी पूरे हॉल में एक फॅायर की आवाज गूंजी- “धां यऽऽऽऽऽऽ।“ और इसी के साथ, एक चीख की आवाज सुनाई दी।

सुयश सहित सभी सिक्योरिटी के आदमी तुरंत हरकत में आ गए। हर तरफ से अब तेज शोर सुनाई दे रहा था। एका एक पूरे हॉल में सनसनी का माहौल हो गया।

“लाइट-जलाओ! लाइट-जलाओ!“ कई जगह से आवाजें उभरीं । तभी लाइट आ गई। सुयश भागकर स्टेज पर पहुंच गया। वहां पहुंचकर वह हक्का-बक्का रह गया ।

क्यों कि स्टेज पर लॉरेन की लाश पड़ी थी। उसके माथे के बीच में गोली लगी थी। लाश का चेहरा गोली लगने के कारण विकृत हो गया था। जॉनी, स्टेज पर, लॉरेन की लाश के बगल में खड़ा, थर-थर कांप रहा था। उसकी नजरें कभी लॉरेन की लाश पर, तो कभी उसे घूरते सुयश पर पड़ रही थी। सुयश ने अपनी सिक्योरिटी के द्वारा हॉल के सभी दरवाजे बंद करवादिए। अब हॉल में पिन ड्रॅाप साइलेंट था। उधर जेनिथ जो अभी तक रास्ते में थी, भागकर तौफीक के पास पहुंच गयी।

“सभी लोग कृपया ध्यान दें।“ सुयश ने माइक संभालते हुए सभी को संबोधित करते हुए कहा-

“देखिए जैसा की आप सभी देख रहे हैं, कि यहां पर एक मर्डर हो गया है। इसलिए मैं सभी से अनुरोध करता हूं, कि कृपया थोड़ा सा हमें सहयोग दें। जिसने भी हत्या की है, वह अभी यहीं पर होगा। इसलिए जो जहां पर है। कृपया वहीं पर खड़ा रहे।“

यह कहकर सुयश ने सभी सिक्योरिटी के आदमियों को अपने पास बुला कर, सभी की तलाशी लेने की बात की। सबसे पहले तलाशी जॉनी की ली जाती है। जॉनी का चेहरा डर के कारण बिल्कुल सफेद पड़ चुका था। उसकी तलाशी में कोई हथियार बरामद नहीं हुआ।




जारी रहेगा..........
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#112.

महाबली हनुका

(11 जनवरी 2002, शुक्रवार, 14:30, अटलांटिक महासागर)

हनुका ने अपनी पूरी जिंदगी महा..देव के साधना में लगा दी थी।

देव के आशीर्वाद स्वरुप आज से हजारों साल पहले ही उसे गुरुत्व शक्ति प्राप्त हो गयी थी। पर आज उसी गुरुत्व शक्ति की रक्षा के लिये गुरु नीमा ने उसे भेजा था।

इस समय हनुका आकाश मार्ग से तेजी से लुफासा के पीछे जा रहा था। हांलाकि उसे लुफासा अभी तक नजर नहीं आया था, पर गुरुत्व शक्ति से मिल रहे संकेतों से उसे लग रहा था कि बस वह अब लुफासा तक पहुंचने ही वाला है।

हनुका को जाने क्यों आज अपना बचपन याद आ रहा था। वह बिल्कुल नन्हा सा था, जब महा.. ने नीलाभ के विवाह में उपहार स्वरुप उसे नीलाभ को सौंप दिया था।

तब से नीलाभ ने ही उसे पाला था और बिल्कुल अपने बालक की तरह प्यार दिया था। हनुका भी नीलाभ को अपने पिता समान ही समझता था।

नीलाभ ने हनुका को कभी यति नहीं समझा और उसे असीम और विलक्षण ज्ञान दिया, पर जब से नीलाभ हिमालय से गायब हुए थे, उसने अपना बाकी जीवन हिमलोक की सेवा और महा..देव की साधना में लगा दिया था।

तभी हनुका की सोच पर विराम लग गया।

उसे अपने कुछ आगे उड़कर जाता हुआ, ड्रैगन बना लुफासा दिखाई दिया, जो पीछे आ रहे खतरे से बेखबर, गुरुत्व शक्ति की डिबिया अपने पंजों में दबाये, तेजी से अराका द्वीप की ओर उड़ा जा रहा था।

अराका द्वीप बस अब आने ही वाला था।

हनुका ने अपने उड़ने की गति थोड़ी और बढ़ाई और फिर ड्रैगन के सामने जा कर हवा में खड़ा हो गया।

“रुक जाओ मूर्ख दैत्य।” हनुका ने गरज कर कहा- “चुपचाप गुरुत्व शक्ति मेरे हवाले कर दो, मैं आपको जीवनदान दे दूंगा।”

लुफासा पहले तो हवा में उड़ते यति को देखकर हैरान रह गया, पर फिर हनुका के शब्दों को सुनकर वह समझ गया कि यह यति उसका पीछा करता हुआ हिमालय से आया है।

लुफासा एक पल में समझ गया कि यह यति भी मायावी है। इसलिये वह भी हवा में रुककर हनुका की अगली प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा करने लगा।

तभी हनुका ने मुंह खोलकर एक जोरदार गर्जना की।

हनुका की गर्जना इतनी शक्तिशाली थी कि ड्रैगन बना लुफासा गर्जना के वेग से कुछ कदम पीछे हो गया।

मात्र एक गर्जना से ही लुफासा जान गया कि हनुका बहुत शक्तिशाली है।

लुफासा ने हनुका की गर्जना का जवाब देने के लिये अपना ड्रैगन रुपी मुंह खोलकर एक जोर की आग हनुका पर उगल दी।

इतनी तेज आग के पीछे हनुका का पूरा शरीर ढक गया।

लुफासा को लगा कि हनुका उस आग में जल गया होगा। पर जैसे ही आग समाप्त हुई, लुफासा को हनुका मुस्कुराता हुआ वहीं खड़ा दिखाई दिया।

“आप मुझ पर आग बरसा रहे हैं दैत्यराज।” हनुका ने हंसते हुए कहा- “चलिये पहले आप अपने मन की और भी इच्छाएं पूरी कर लीजिये, फिर बताता हूं आपको कि हनुका क्या चीज है?”

“यह कैसा जीव है? इस पर तो आग का बिल्कुल प्रभाव नहीं पड़ा।” लुफासा ने मन ही मन सोचा और इस बार अपना मुंह खोल हनुका पर बर्फ का सैलाब उगल दिया।

हनुका बर्फ के सैलाब से पूरा का पूरा बर्फ की चट्टान मे बदल गया, मगर फिर एक झटके से हनुका बर्फ को तोड़कर बाहर आ गया।

“यह नकली बर्फ थी और पूर्णतया अशुद्ध थी। मैं तो हजारों वर्षों तक असली बर्फ में सोता हूं। बर्फ से आप मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते। कोई और शक्ति हो तो उसका प्रदर्शन करिये दैत्यराज?” हनुका ने हंसते हुए कहा।

लुफासा ने इस बार तेजी से आगे बढ़कर हनुका को अपने मुंह में भर लिया और अराका की ओर आगे बढ़ गया। अब लुफासा को अराका दिखाई देने लगा था। वह आसमान से नीचे की ओर उतरने लगा।

उधर ड्रैगन के मुंह में मौजूद हनुका के हाथ के नाखून आश्चर्यजनक ढंग से काफी बड़े हो गये।

हनुका ने अपने नुकीले नाखूनों से ड्रैगन का मुंह ही फाड़ डाला और बाहर आ गया।

मुंह फटने की वजह से ड्रैगन बुरी तरह से घायल हो गया। लुफासा ने यह देख, ड्रैगन के मरने के पहले ही, रुप बदल कर एक छोटी सी चिड़िया में परिवर्तित हो गया।

“अरे वह ड्रैगन की लाश कहां गायब हो गयी ?”

हनुका ने आश्चर्य से इधर-उधर देखा।
तभी हनुका को एक छोटी सी चिड़िया गुरुत्व शक्ति की डिबिया लिये आसमान से नीचे जाती हुई दिखाई दी।

यह देख हनुका का शरीर भी छोटा होकर चिड़िया के बराबर हो गया।

अब हनुका चिड़िया के बगल में उड़ता हुआ बोला- “अच्छा तो आप मायावी राक्षस हो और रुप बदलने की कला भी जानते हो। पर हे दैत्यराज, आप चाहे जितने भी रुप बदल लो, या फिर बड़े-छोटे हो जाओ, पर आप गुरुत्व शक्ति की डिबिया को छोटा-बड़ा नहीं कर सकते। इस प्रकार किसी भी रुप में मैं आपको पहचान जाऊंगा। पर अब मैं आप जैसे मूर्ख पर और समय नष्ट नहीं करुंगा।”

यह कहकर हनुका ने चिड़िया बने लुफासा को एक जोर का घूंसा जड़ दिया।

इतना शक्तिशाली घूंसा खाकर लुफासा पर बेहोशी छा गयी और गुरुत्व शक्ति की डिबिया उसके हाथों से छूटकर जमीन की ओर जाने लगी।

हनुका डिबिया को नीचे गिरता देख, तेजी से डिबिया के पीछे लपका, पर इससे पहले कि हनुका डिबिया को अपने हाथों से पकड़ पाता, वह बहुत तेजी से किसी अदृश्य दीवार से जा टकराया।

टक्कर बहुत भयानक थी। एक पल के लिये हनुका को कुछ समझ नहीं आया।

तभी वह डिबिया भी अदृश्य दीवार से टकरा कर खुल गयी और उसमें से गुरुत्व शक्ति निकलकर तेजी से जमीन की ओर बढ़ने लगी।

हनुका ने अदृश्य दीवार को हाथ से टटोलकर महसूस किया। अदृश्य दीवार को हाथ से छूते ही हनुका आश्चर्य से भर उठा-

“अरे यह तो माता की शक्तियां हैं, पर उनका तो पिछले 20000 वर्षों से कुछ पता नहीं है…… और वह इस अंजान द्वीप पर इतनी दूर कैसे पहुंची? मैं माता की शक्तियों से बने इस अदृश्य कवच को खंडित नहीं कर सकता और वैसे भी अब काफी देर हो चुकी है, अब तक तो गुरुत्व शक्ति भूमि पर गिरकर नष्ट भी हो गयी होगी। लगता है मुझे खाली हाथ ही वापस लौटना पड़ेगा।”

तब तक आसमान से लुफासा भी गायब हो गया था। अतः अनमने मन से हनुका खाली डिबिया को उठा हिमालय की ओर उड़ चला।

माया रहस्य

(19,110 वर्ष पहलेः दि ग्रेट ब्लू होल, बेलिज शहर के पास, कैरेबियन सागर)

सेण्ट्रल अमेरिका यानि कैरेबियन सागर के बेलिज शहर से 70 किलोमीटर दूर, लाइट हाऊस रीफ के पास स्थित है- दि ग्रेट ब्लू होल।

दि ग्रेट ब्लू होल, समुद्र के अंदर लगभग 300 मीटर के क्षेत्रफल में फैली, एक विशाल गोल गड्ढे की आकृति है।

यह विशालकाय गड्ढा पानी के अंदर कैसे बना? यह कोई नहीं जानता। इस गड्ढे का आकार इतना ज्यादा गोल है कि यह मानव निर्मित प्रतीत होता है।

124 मीटर गहरा यह अंडर वॉटर सिंकहोल, विश्व के सबसे खूबसूरत और रहस्यमयी क्षेत्रों में गिना जाता है।

समुद्र के अंदर की ओर इस गहरे गड्ढे में अनगिनत पहाड़ी गुफाओं का जाल सा बना है। किसी को नहीं पता कि इन गुफाओं में किस गुप्त शक्ति का वास है? इन्हीं अंजान गुफाओं के अंदर एक कमरे में कैस्पर, मैग्ना और माया बैठे थे।

“माँ, हमने आपके लिये समुद्र की लहरों पर एक खूबसूरत महल का निर्माण किया है।” मैग्ना ने कहा- “हम चाहते हैं कि अब आप इन गुफाओं से निकलकर हमारे साथ उस खूबसूरत महल में रहें।”
यह कहकर मैग्ना ने अपने हाथ में पकड़ा, रोल किया हुआ एक कागज खोलकर माया के सामने रख दिया।

कागज के टुकड़े पर एक चलता-फिरता महल का त्रिआयामी (3D) चित्र दिखाई दे रहा था।

माया ने एक बार ध्यान से महल को देखा और फिर मुस्कुराई।

तभी वातावरण में माया की आवाज गूंजी- “मुझे खुशी है कि तुम दोनों ने बिना किसी बाहरी मदद के, स्वयं से इतने सुन्दर महल की रचना की। मुझे लगता है कि मैंने तुम दोनों को विद्या देकर कोई गलती नहीं की।
पर....पर मैं तुम लोगों के साथ उस महल में रहने के लिये नहीं चल सकती।”

“क्यों माँ....आखिर ऐसी कौन सी मजबूरी है? जो आपको इन समुद्री गुफाओं से जोड़े हुए है।” कैस्पर ने माया से पूछा- “ऐसा क्या है जिसकी वजह से आप किसी से बात नहीं करतीं ?... किसी से भी मिलती नहीं हैं? आज तो आपको बताना ही पड़ेगा कि आपके इस प्रकार छिपकर समुद्र में रहने के पीछे क्या रहस्य है?”

यह सुनकर माया के चेहरे पर कुछ दर्द के भाव उभरे और फिर वातावरण में माया की आवाज उभरी- “ठीक है बेटा, मैं आज तुम दोनों को अपनी कहानी सुना ही देती हूं। शायद अब ये सबकुछ बताने का उचित समय भी है। तो फिर सुनो मैं तुम्हें आज हिं...दू धर्म की एक कहानी सुनाती हूं।”

“सनातन धर्म के बारे में आप हमें लगभग सबकुछ बता चुकी हैं” मैग्ना ने कहा- “यहां तक कि हम उनके देवी -देवताओं के बारे में भी सबकुछ जानते हैं। क्या आपकी कहानी उससे कुछ अलग है? या कुछ ऐसा है जिसके बारे में हम नहीं जानते?”

पर माया ने मैग्ना के सवालों का जवाब नहीं दिया, उसकी आवाज का गूंजना लगातार जारी था।

“जिधर से सूर्य उगता है, उस____ दिशा में तीन ओर से समुद्र, पहाड़ और बर्फ से घिरा एक उपमहाद्वीप है जिसे हम जम्बूद्वीप के नाम से जानते हैं, वहीं पर पृथ्वी की शुरुआत में ही इस धर्म का उदय हुआ था। इस धर्म के अनुसार पृथ्वी की उत्पत्ति ब्रह्म..देव ने अपने हाथों से की थी। पृथ्वी की उत्पत्ति के बाद ब्रह्म..देव ने मनुष्यों के निर्माण के बारे में सोचा।

इसके लिये उन्होंने बिना किसी स्त्री के, स्वयं के द्वारा कुछ मानसपुत्रों को जन्म दिया। इन्हीं प्रमुख 10 मानसपुत्रों से सृष्टि का प्रारम्भ हुआ। ब्रह्म..देव के एक मानसपुत्र का नाम ‘मरीचि’ था, जिन्हें ‘द्वितीय ब्रह्मा’ के नाम से भी जाना जाता है।

मरीचि के तीन पत्नियां थीं- संभूति, कला और ऊर्णा। मरीचि और कला से ‘कश्यप’ नामक पुत्र का जन्म हुआ। महर्षि कश्यप का विवाह प्रजापति दक्ष की 13 पुत्रियों से हुआ और इसी के साथ सृष्टि के हर जीव का प्रारम्भ हुआ।

महर्षि कश्यप की पहली पत्नि ‘अदिति’ से उत्पन्न हुए सभी पुत्र आदित्य यानि कि देवता कहलाये।

महर्षि कश्यप की दूसरी पत्नि ‘दिति’ से उत्पन्न हुए सभी पुत्र दैत्य कहलाये। इसी प्रकार महर्षि कश्यप की अन्य पत्नियों से बाकी जीवों का उत्पत्ति हुई।

महर्षि कश्यप और दिति के एक बलशाली पुत्र का नाम ‘मयासुर’ था। मयासुर को दैत्यराज भी कहा जाता था। मयासुर भगवान शि..व के बहुत बड़े भक्त थे। मयासुर ज्योतिष और खगोलविद् भी थे। प्रसिद्ध पुस्तक ‘सूर्य सिद्धान्तम’ की रचना मयासुर ने ही की थी। मयासुर के पास पत्थर को भी पिघलाकर आकार देने की शक्ति थी।

मयासुर को इतिहास में अपने एक से बढ़कर एक शहर की रचनाओं के लिए जाना जाता रहा है। एक बार जब देवताओं और दैत्यों के बीच युद्ध हुआ तो महा शि..व ने सारे दैत्यों को जलाकर राख कर दिया। तब मयासुर ने 12 वर्षों तक एक सूखे कुंए मे रहकर तप किया। जिसके फलस्वरुप महाशि..व ने सभी दैत्यों को पुनर्जीवन दान दिया।

जब मयासुर उस कुंए से निकलकर जाने लगे तो उनकी निगाह कुंए में बैठे 2 जीवों पर गई। वह जीव एक मेढकी और एक कोयल थी। दोनो ही जीव कालान्तर में किसी ना किसी श्राप से प्रभावित अप्सराएं थीं, जो कि 12 वर्ष तक मयासुर के साथ शि..व की तपस्या में रत थीं। मयासुर ने दोनों ही जीवों को वापस अप्सरा का रुप प्रदान कर, उन्हें अपनी पुत्री रुप में स्वीकार कर लिया। मयासुर ने मेढकी का नाम मन्दोदरी रखा और कोयल का नाम माया रखा।”

“इसका मतलब आप पहले अप्सरा थीं।” मैग्ना ने कहानी सुना रही माया को बीच में ही टोकते हुए कहा।

“हाँ , मेरा नाम पहले मणिका था, भगवान गणे..श को चिढ़ाने की वजह से उन्होंने मुझे श्राप देकर कोयल बना दिया था।” माया ने कहा और फिर कहानी सुनाना शुरु कर दिया-

“मयासुर ने मुझे और मन्दोदरी दोनों को वचन दिया कि वह हम दोनों का विवाह विश्व के सबसे बड़े शि..व भक्त और महायोद्धा से करेंगे।

मयासुर हम दोनों को ही अपनी कलाएं सिखाने लगे। कुछ वर्षों के बाद मयासुर को पता चला कि किसी महाबली ने शि..व के निवास स्थान कैलाश को भी उठाने की कोशिश की थी। मयासुर ने उस महाबली के बारे में पता किया।

वह महाबली लंका का राजा रावण था। मयासुर ने मन्दोदरी का विवाह रावण के साथ कर दिया। कुछ समय बाद उन्हें एक और महाबली शिवभक्त नीलाभ के बारे में पता चला। उन्होंने नीलाभ के साथ मेरा विवाह कर दिया।

विवाह के पश्चात मुझे पता चला कि नीलाभ समुद्र मंथन से निकले कालकूट नामक विष से उत्पन्न हुआ है, जिस वजह से वह अत्यन्त जहरीला है। अब मैं विवाहोपरांत नीलाभ से सम्बन्ध नहीं बना सकती थी।

तभी मुझे भगवान गणे..श के दिये श्राप का ध्यान आया। उन्होंने कहा था कि शादी के 20000 वर्षों तक मुझे पुत्र रत्न की प्राप्ति नहीं होगी। अब मैं काफी उदास रहने लगी।

नीलाभ ने कुछ दिनों के बाद हिमालय पर एक अद्भुत विद्यालय ‘वेदालय’ की रचना करने का निर्णय लिया, जिसमें पृथ्वी के अलग-अलग स्थानों से छात्र पढ़ने आते और वेदों के द्वारा शिक्षा ग्रहण करते।

मुझे नीलाभ का यह विचार बहुत पसंद आया। इसलिये मैंने 5 वर्षों तक कड़ी मेहनत कर हिमालय पर 15 विचित्र लोकों का निर्माण किया। निर्माण के बाद मैं वापस नीलाभ के महल में आ गयी, पर अब पुत्र के बिना मुझे बेचैनी सी महसूस होने लगी।

अंततः मैंने नीलाभ को चुपचाप छोड़कर जाने का निर्णय किया। एक रात जब नीलाभ सो रहा था, तो मैं चुपके से महल के बाहर आ गयी और सुदूर जंगलों में जा कर भगवान गणे…श की आराधना करने लगी।

800 वर्षों के अथक तप के बाद भगवान ने मुझे दर्शन दिये। मैंने उनसे पुत्र रत्न की कामना की। उन्होंने कहा कि मुझे 20000 वर्षों तक समुद्र के अंदर किसी गुप्त स्थान पर छिपकर रहना होगा और इन वर्षों के अवधि में प्रत्येक दिन विश्व के सबसे जहरीले नाग और नागिन का जहर रोज चखना होगा।

तब जाकर मेरा शरीर नीलाभ के योग्य बन जायेगा और मुझे पुत्र रत्न की प्राप्ति हो जायेगी। मैंने यह बात अपने पिता मयासुर को बतायी। यहां पर भाग्य ने मेरा साथ दिया क्यों कि विश्व का सबसे जहरीला नाग तक्षक मेरे पिता का दोस्त था।

तक्षक सहर्ष ही मुझे अपना विष देने को तैयार हो गया। अब मुझे तलाश थी एक ऐसे स्थान की जो पूर्णतया गुप्त हो और जहां मैं रहकर विष का सेवन कर सकूं। कुछ ही दिनों में मुझे यह स्थान मिल गया ।

मैंने यहां समुद्र की गुफाओं के अंदर अपना महल बनाने का विचार किया। एक दिन एक मनुष्य ने मुझे समुद्र के तट पर देख लिया। वह मुझे कोई देवी समझ मेरी पूजा करने लगा। अब उस मनुष्य को बचाना मेरा कर्तव्य बन गया।

मैंने पानी के तट के पास एक सभ्यता का निर्माण किया। जो बाद में मेरे नाम से ‘माया सभ्यता’ कहलायी। मैंने उस मनुष्य को ज्योतिष और खगोल विज्ञान सिखाया और देवी देवताओं के बारे में बताया।

मुझे इस स्थान पर अपना महल बनाने और माया सभ्यता को विकसित करने में 80 वर्ष लग गये। बाद में मैं इसी महल में आकर रहने लगी।

इन 80 वर्षों में मुझे विश्व की सबसे जहरीली नागिन मिल गयी थी और वह थी गार्गन फैमिली की 3 बहनों में से एक ‘यूरेल’। उस समय तक पर्सियस मेडूसा को मार चुका था। यूरेल मुझे अपना विष देने को तैयार हो गयी, पर एक शर्त के अनुसार मुझे उसके द्वारा दी गयी एक बच्ची को दुनिया से छिपा कर रखना था।

ऐसा वह क्यों कर रही थी? इसका मुझे पता ना चला। मैंने इस शर्त को स्वीकार कर लिया और उस बच्ची को लेकर अपने महल आ गयी। बच्चे वैसे भी मुझे पहले से ही पसंद थे। इस वजह से मैंने उस बच्ची को
अपनी बेटी की तरह पाला और उसका नाम मैग्ना रखा।”

“तो.... तो..... क्या मैं गार्गन परिवार की विषकन्या यूरेल की बेटी हूं?” मैग्ना ने आश्चर्य से पूछा।

“इस बारे में मुझे ज्यादा नहीं पता।” माया ने कहा- “इस बारे में तो तुम्हें यूरेल ही बता सकती है। उसने तुमसे 20 वर्ष तक यह राज छिपाने को भी कहा था।”

“तो अब मेरे बारे में भी बता दीजिये कि मैं कौन हूं?” कैस्पर ने आशा भरी नजरों से माया की ओर देखते हुए कहा।

“अभी इसका समय नहीं आया है कैस्पर।” माया ने कैस्पर की ओर देखते हुए कहा- “तुम्हें अभी थोड़ी और शक्तियां बटोरनी होंगी। उसके बाद ही मैं तुम्हें तुम्हारे बारे में बताऊंगी। अच्छा अब मेरी कहानी छोड़ो, तुम लोग कुछ अपने बारे में बताओ? अब आगे क्या करने का इरादा है तुम लोगों का?”

अचानक कैस्पर को पोसाईडन का ध्यान आया।

“माँ, क्या आप ग्रीक देवता पोसाईडन को भी जानती हो ?” कैस्पर ने माया से पूछा।

“थोड़ा-थोड़ा ही पता है, कुछ खास नहीं।” माया ने अपने चेहरे के भावों को छिपाते हुए कहा।

“माँ, पोसाईडन समुद्र के देवता हैं।” कैस्पर ने कहा- “कल वह हमारा महल देखने आये थे। महल देखकर वह बहुत खुश हुए। अब वह हमसे वैसा ही महल स्वयं के लिये बनवाना चाहते हैं। वह तो आपसे भी
मिलना चाहते थे, पर हमने मना कर दिया। क्या हमें उनका महल बनाना चाहिये?”

“तुम्हारी स्वयं की क्या इच्छा है कैस्पर?” माया ने उल्टा सवाल करते हुए कहा- “क्या तुम उनका महल बनाना चाहते हो?”

“देवताओं का सानिध्य हमेशा फलदायी होता है।” मैग्ना ने बीच में टोकते हुए कहा- “अगर हम उनका महल बनायेंगे तो हम हमेशा देवताओं की नजर में सुरक्षित रहेंगे।”

“हमेशा देवताओं की नजदीकी अच्छी नहीं होती मैग्ना।” माया ने एक गहरी साँस भरते हुए कहा- “ग्रीक देवताओं का कुछ पता नहीं रहता ? कि वह कब दोस्त से दुश्मन बन जायें और तुम पर ही हमला करने लगें।”

“मैं कुछ समझा नहीं ।” कैस्पर ने चकित होते हुए कहा- “क्या देवताओं की भविष्य में हमसे कोई दुश्मनी भी हो सकती है माँ ?”

“भविष्य को किसने देखा है, भविष्य में तो कुछ भी छिपा हो सकता है?” माया के शब्दों में रहस्य ही रहस्य नजर आ रहा था- “पर ठीक है अगर तुम लोगों ने पोसाईडन का महल बनाने का विचार कर ही लिया है,
तो एक बात ध्यान से अवश्य सुन लो।

तुम लोग देवताओं के लिये जिस भी प्रकार के भवन, महल, शहर या द्वीप का निर्माण करोगे, उसमें कुछ ना कुछ ऐसी शक्तियां जरुर छोड़ दोगे, जो किसी की भी जानकारी में नहीं रहेगी, परंतु समय पड़ने पर उस महल का अधिकार, उस गुप्त शक्ति की वजह से आसानी से तुम्हारे हाथ में आ जाये। तब मुझे तुम्हारे किसी भी निर्माण से कोई आपत्ति नहीं होगी।”

“ठीक है माँ, हम आजीवन आपकी इस बात का ध्यान रखेंगे।” मैग्ना ने कहा।

कैस्पर ने भी मैग्ना की बात पर अपनी सहमति जताई।

“चलो ! अब बातें काफी हो गयीं। मैंने तुम लोगों के लिये आज अपने हाथों से तुम्हारी पसंद का भोजन बनाया है। चलो उसे खाते हैं।”

माया यह कहकर कमरे के अंदर की ओर चल दी। कैस्पर और मैग्ना भी खुश हो कर माया के पीछे चल दिये।


जारी रहेगा_______✍️
Shandar update bhai

To ye thi devi maya ki puri kahani aur unke sath abhi tak kya kya huva

Vahi gurutva shakti bhi araka dveep par jakar gir gayi hai
Dhekte hai ab aage kya hota hai
 
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