अक्षिता का इलाज के बाद कोमा मे चले जाना और एकांश का अक्षिता को याद कर नयनों से अश्रु बहाना इस अध्याय का अत्यंत ही भावुक पल था । संवेदनशील रीडर को ऐसे लम्हात भाव विह्वल कर ही देते है ।
पर , शायद यही जीवन है !
मुकेश और लता मंगेशकर के इस दर्द भरे नग्मे मे जीवन का सार छुपा हुआ है -
" कुछ पाकर खोना है , कुछ खोकर पाना है ।
जीवन का मतलब तो , आना और जाना है ।
दो पल के जीवन से , एक उम्र चुरानी है ,
जिंदगी और कुछ भी नही , तेरी मेरी कहानी है ।
एक प्यार का नगमा है , मौजों की रवानी है ,
जिंदगी और कुछ भी नही , तेरी मेरी कहानी है । "
जीवन के हर पल को पुरी तरह से जीना ही जीवन का सार है , वह जीवन भले ही अल्प उम्र की ही क्यों न हो !
मै अपनी बहन से बहुत स्नेह करता था , लेकिन वह बहुत कम उम्र मे ही भगवान को प्यारी हो गई । मै अपनी मां के वगैर अपने जीवन की कल्पना तक नही कर पाता था , लेकिन वह भी मुझे छोड़कर चली गई । मेरे पिता जी से बढ़कर मेरा कोई दोस्त नही था , लेकिन उन्होने भी मेरा साथ छोड़ दिया । मेरे कुछ बहुत ही खास दोस्त वक्त से पहले ईश्वर के पास पहुंच गए ।
उनकी यादें मुझे अक्सर भावुक करती है लेकिन जब भी इस गीत को सुनता हूं तो फिर जीवन के अर्थ का आभास हो जाता है ।
मै एक पोजिटिव माइंड सेट व्यक्ति हूं । मुझे यकीन है अक्षिता पुरी तरह से स्वस्थ हो जायेगी । एकांश और अक्षिता के लव स्टोरी का खुशहाल एंडिंग होगा ।
खुबसूरत और इमोशनल अपडेट
Adirshi भाई ।