Update 04
में घर पहुंचा तब तक खाना लग गया था..मां और रश्मि ने मुझे खाना परोश दिया.. मां मेरे पास बैठ गई लेकिन मेने उनसे बात तक नही की..
में अपने कमरे में चला गया.. जैसे ही रश्मि आई मेने उसे अपने सीने लगा लिया और उसे प्यार देने लगा.. कितनी प्यारी लगती है अब क्या कहूं आप को वो मुझे.. पता नही चला कब हम एक दूसरे की बाहों में नंगे एक दूसरे को चूमने और सहलाने लगे.. मेने ज्यादा देर न करते हुए उसकी योनि में अपना लिंग उतार दिया..
रश्मि में एक बात थी वो जब भी मेरा लेती इसे सिसकारियां भरती जैसे पहली बार में ले रही हो उसकी मीठी मीठी बातें और उसकी दर्द भरी आहे.. मेरा सारा दुख दर्द पल भर जैसे गायब कर देती.. वैसी भी इतनी प्यारी खूबसूरत महिला आप की बाहों में उसका सब लूटा रही हो तब और क्या ही आप को याद रहेगा..
"आह आह क्या हो गया है आप को में कहा भाग रही हु आप की ही घोड़ी हु ना जितना दिल करे कीजिए लेकिन काटिए मत आआउच आह मां.."
में उसकी ऐसी बाते सुन और जॉस में आ गया और अपनी पूरी ताकत लगा के उसे अपनी बांहों में लेकर खड़ा हो गया.. रश्मि को हल्का सा डर रही थी इस लिए वो किसी बच्ची की तरह मुझे कस के पकड़ ली और अपने दोनो पैरो को मेरी कमर के चारो और इसे जकड़ दी जैसे एक दो नाग संभोग क्रिया कर रहे हो.."आह आह बस कीजिए आह.. आराम से में यही हु आह" रश्मि अपनी मीठी आवाज में सिसकारियां भरते हुए बड़ी मुश्किल से बोली...
"आज ना रोको जानू पता नही दिल नही मान रहा आज तुम गई देखो कल चल भी पाई तो" मेने कहा.. रश्मि मेरी बातो से पानी पानी हो गई..और मेरी पीठ को अपने नाखून से नोच डाली.. और उसका पूरा बदन अकड़ गया.. उसकी सिसकारियां कम हो गई.. और वो सुकून से मेरी बाहों में किसी बच्ची की तरह निढ़ाल होकर मेरे कंधे पे अपना सर रख दी.. में समझ गया मेरी प्यारी सी गुड़िया का हो गया था.. मेने उसे बड़े प्यार वैसे ही अपनी बाहों में लेकर खड़ा रहा आई उसके गालों से मेरे गाल घिसने लगा उसे कुछ देर प्यार करता रहा.. मेरा तना हुआ लिंग अभी तक उसकी योनि में घुसा हुआ था और उसकी योनि के पानी से पूरी तरह से भीग चुका था..
में उसे नंगी ही अपनी बाहों में लेकर बालकनी में गया और वहा रखी हुए बड़ी सी आराम कुर्सी में बैठ गया.. वो मेरे सीने से लिपट के सुकून से लेट गई.. मेने उसकी कोमल मखन जेसी गांड़ को सहलाया और उसके बालो को भी प्यार से सहला रहा था.. और बड़े प्यार से इसके कामों में कहा "क्यों मेरी गुड़िया आज पापा से पहले केसे जड़ दी.. आप तो पापा को निचोड़ दिया करती थी.." मेने मुस्करा के कहा..वो किसी बच्ची की तरह ही जवाब दी अपनी गांड़ मटका के "अब आप इसे जानवर की तरह अपनी गुड़िया को की लोगे तो क्या होगा" मेने उसका शर्म से झुका हुआ चहरा उपर किया और उसकी आखों में आंखे डाल के कहा "में क्या हु आप का.. बोलो मेरी बच्ची" मेने बड़े प्यार से कहा "जी पापा आप मेरे प्यारे पापा हो My Daddy..I love you daddy" ये सुनते ही मेने उसकी गांड़ में एक उंगली डाल दी.."आह आह....." उसकी एक तेज सिसकारी निकल गई.. और फिर वो मजे लेने लगी...
"क्या करते हो आप एक तो अपनी बीवी से इतना गंदा काम करवाते हो फिर उसे नंगी बाहर ले आई और अब ये.. कोई सुन लेगा जी.. और अभी 11 भी नही बजे कोई हमे इसे देख लेगा तो"
मेने उसकी गांड़ में और एक उंगली डाल दी और उसकी और तेज आवाज निकल गई.. "तुम सिर्फ मेरी हो और मेरा पूरा हक ही इस जिस्म पे समझी ना तुम.. कोई देखे तो देखने दो.. उन्हें भी पता चले बीवी को केसे खुस रखते हे"
"लेकिन मां और मम्मी जी भी है घर पे" रश्मि ने धीमी आवाज में कहा ... में ये बात सुन के और उत्तेजित हो गया सोच के की कही मेरी सास ने हमे ऐसे देख लिया तो... लेकिन मेने अपने आप को संभाला और कहा "श्रीमती जी.. यहां कोई केसे देख सकता है लाइट कहा जल रही है तुम भी ना.. चलो मेरा नही हुआ है यही करेंगे खुले में आज"
"नही नही में आप को तो पता है मेरा में संभाल नही पाती खुद को कोई सुन लेगा चलिए अंदर" रश्मि खुद से खड़ी नही हो सकती थी नही तो कोई यहां देख रहा होता तो उसके पूरे जिस्म का अंदाजा लगा लेता.. इस लिए वो नही गई नही तो कब की भाग जाती...
"तुम्हे जाना है तो जाओ" मेने जान बूझ के कहा...
"आप को पता हैं ना में पूरी तरह से नंगी हु" वो अपना मुंह बना के बोली...
"हा तो क्या हुआ"
"यानी आप चाहते है मेरा नंगा बदन सब खुले आम देखे"
उसकी सरारती मुस्कान मुझे बड़ी भाती थी....
मेने उसकी ये बात सुन के उसे अपनी बांहों में लेकर उठ गया और जाते हुए उसके गुलाबी होठ को चूसने लगा... वो फिर से मदहोश होने लगी.. जब में उठा मुझे ऐसा लगा जैसे कोई हमे देख रहा हे लेकिन मेरा ध्यान अभी मेरी प्यारी बीवी पे था...
मे उसकी योनि को बेरहमी से चाटने लगा और उसकी सिसकारियां तेज होने लगी आई जैसे ही वो एक दम गरम हुए मेने अपना लिंग उसकी योनि में उतार दिया.. इस बार वो बेड पे लेटी थी और मेने उसकी गांड़ के नीचे एक तकिया लगा के उसके पैरो चाटते हुए मेरे कंधे पे रख उसकी योनि में लिंग आगे पीछे करने लगा.. उसकी नंगी चूचियां उफ्फ.. दिल होता है खा जाऊ...
"आह आह रश्मि में आ रहा आह.. आह मेरी प्यारी गुड़िया आह" में अपनी चरम सीमा पे था.. "yes Daddy yes cum for me Daddy.." और में जोर जोर से धक्का देने लगा...
"नही नही रुकिए वो बाहर निकल दीजिए आप को मेरी कसम आह प्लीज" रश्मि हाफते हुए बोली.. में कहता नही था तो बस रुक गया और उसे अंदर ही रखा...
"क्या हुआ यार निकल ही गया था मेरा अब" मेने नाराजगी भरे स्वर में कहा...
"वो वो में तो भूल ही गई.. वो कप में निकल दीजिए ना.."
वो बोली और उठ खड़ी हुए... और अपना गाउन पहन ली..
"ये क्या है यार मेरा नही हुआ ना.." मेने कहा...
वो कप लेके मेरे पास आई और अपने हाथ से मेरा लिंग सहलाने लगी उसके हाथ तेज तेज चलने लगे..
लेकिन मेरा इसे नही आया बाहर.. तो वो अपने घुटनो के बल बैठ गई आई अपने मुंह में मेरा लिंग लिया और बड़ी मस्त होकर चूसने लगी..
और जब नही आया वो बोली "पापा प्लीज अपनी गुड़िया के लिए मुझे आप का बच्चा चाइए पापा.." और मेरी उतेजजा सताने आसमान पे पहुंच गई और मेरा लिंग अपना सारा पानी छोड़ने लगा.. और पूरा कप मेरे गाढ़े वीर्य से चलकने लगा..
रश्मि ने एक पल की भी देर ना की और भाग पे सासु मां के कमरे में चली गई...
ऐसा कही दिन चला और आखिर कार एक 1 हफ्ते में ही एक दिन जब में ऑफिस से घर आया मेने देखा सब कितने खुस है रश्मि तो इतना भावुक थी की मां और सासुमा के सामने ही मेरी बाहों में समा गए.. मेने भी खुशी में था और उसके माथे को चूमा और उसे कस के सीने से लगा दिया...
मेने मां को भी बड़े प्यार से आलिंगन दिया.. लेकिन जब मेरी सासुमा मेरे आगे थी मेरी हालत खराब हो गई.. में जैसे किसी पत्थर की तरह जम सा गया.. क्या करू क्या कहूं कुछ समझ ना आया... बस उनके पेट की और देख के में पानी पानी हो गया.. आज वो मेरी सास नही मेरे होने वाले बच्चे की मां थी..
सब काफी खुस थे.. कुछ दिन में मां चली गई.. तो रश्मि ने कहा की क्यों न हम तीनो साथ में सोया करे.. जब मेने कहा कि तुम दोनो सो जाओ ना.. तो वो बोली की बच्चे को उसके पापा अहसास भी होना चाहिए.. और आप मां से इतना भागो मत ये 9 महीने आप उन्हे खुस रखिए तभी हमारा बच्चा भी हेल्थी होगा...ये सब का उस के दिमाग पे असर होगा.. ऐसा डॉक्टर ने कहा है....मेने हामी भर दी...