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Horror किस्से अनहोनियों के

komaalrani

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बहोत बहोत धन्यवाद. आप मेरी इस स्टोरी पर भी आए. और मेरा होशला बढ़ाया. Saya एक फैंटासी हॉरर स्टोरी है. और किस्से हकीकत घटनाओं पर आधारित कहानी है. मुजे इस स्टोरी के लिए सपोर्ट की बहोत ज्यादा जरुरत थी. Lot of thanks.

कोई बात नहीं.

रोहित नहीं रौनक. दरसल हिप्नोटाइज मतलब की वशीकरण. जब की देखा जाए तो वशीकरण के कई प्रकार है. जिसमे से एक है नजर बंद. और नजर बंध का ही इंग्लिश ट्रांसलेट हिप्नोटाइज होता है.

मेरे कहने का मतलब है की यह हिप्नोटाइज से बड़े लेवल का है. इसे सम्मोहन विधया कहते है. जिसे इंडिया मे ज्यादा मयोंग असम वाले करते है. और यह वशीकरण का हाई क्वालिटी का सब्जेक्ट माना जाता है.

रौनक को सामने रखी प्रतिमा के जरिये सम्मोहित किया गया. इसमें तंत्रा जादू लगता है.
आपकी टिप्पणियों से भी बहुत बातें पता चलती हैं।
 
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आपकी टिप्पणियों से भी बहुत बातें पता चलती हैं।
बहोत बहोत धन्यवाद कोमलजी. हॉरर टॉपिक ज्यादा कोई नहीं पढता. आप सब के सहारे ही मै कुछ लिख पाती हु. बहोत बहोत धन्यवाद.
 
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lovelesh

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बहोत बहोत धन्यवाद कोमलजी. हॉरर टॉपिक ज्यादा कोई नहीं पढता. आप सब के सहारे ही मै कुछ लिख पाती हु. बहोत बहोत धन्यवाद.
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Shetan

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माफ करना. थोड़ा टाइम ज्यादा ही ले लिया. थोड़ा घर के कामों से फुर्शत नहीं मिली. तो लिखने मे देरी हुई.
 

Shetan

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Update 44


कॉलम, बलबीर, दाई माँ और डॉ रुस्तम एक ही वान मे थे. वो सारे वापस जा रहे थे. कोमल बहोत ज्यादा खुश थी. क्यों की दाई माँ उसके साथ आ रही थी. पर एक उसे टेंशन भी थी की उनका रिजर्वेशन नहीं था. दाई माँ ने सारा रिस्क अपने ऊपर ले लिया था. कोमल की टेंशन को डॉ रुस्तम भाप गए.


डॉ : (स्माइल) दाई माँ जब साथ है तो तुम फिकर क्यों करते हो.


डॉ रुस्तम की बात सुनकर दाई माँ हलका सा हस पड़ी. कोमल ने डॉ रुस्तम की तरफ टेंशन वाली नजरों से देखा. पर पहेली बार कोमल ने डॉ रुस्तम को डांट भी दिया.


कोमल : दाई माँ है... दाई माँ है. बस यही बता रहे हो. कुछ आगे बता भी तो नहीं रहे. कम से कम कुछ सुना ही दो. दो ढाई घंटे का सफर है.


डॉ रुस्तम भी हस पड़े. उन्होंने दाई माँ की तरफ देखा. दाई माँ ने भी हा मे हिशारा दिया. और डॉ रुस्तम ने एक बढ़िया किस्सा सुना ना सुरु किया.


डॉ : कभी तुमने कर्ण पिशाजनी का नाम सुना है??


कोमल : पिशाज सुना है. कर्ण पिशाजनी तो पहेली बार सुन रही हु.


डॉ : तो फिर तुम पिशाज से क्या समझती हो???


कोमल एक बार तो सोचने लग गई. पर उसके ज़वाब मे लॉजिक था.


कोमल : वो सब बोलते है ना. भुत पिशाज शब्द. वैसे ही सुना है. पर टीवी पर बचपन मे एक सीरियल देखा था. विक्रम और बेताल. तो उसमे राजा विक्रमदित्य एक बेताल को पकड़ने जाता है ना. उसमे बेताल को पिशाज बताया है.


डॉ : वह बिलकुल सही कहानी है. बेताल ही कलयुग का पहला पिशाज माना गया है. जिसे किसी ने नरी आँखों से देखा था. वैसे तो बेताल भी कई प्रकार के है. और उन्हें शास्त्रों मे भी पिशाज के रूप मे ही माना गया है. पर पिशाज भी कई प्रकार के होते है. जैसे की बेताल, रक्त पिशाज, कर्ण पिशाजनी, काम पिशाजनी, वैसे तो कई देवी देवता ने भी अपना राजसिक पिशाजिक रूप लिया हुआ है.


कोमल : यह राजसिक क्या होता है???


डॉ : जैसे हम इन्शान भगवान को सात्विक तरीके से पूजते है. तंत्रा के जरिये तामशिक एक भक्ति का मार्ग है. पर हम जीवो के आलावा मरे हुए लोग, और दूसरी एनर्जी जिनमे भुत, पिशाज, जिन्न, डाकण, डायन, वगेरा वगेरा बहोत है. अब भगवान तो उनके भी है. और वो भी यही है. तो यह एनर्जी भगवान को राजसिक तरीके से पूजती है. इसी लिए एक पंथ और है. सात्विक, तामशिक, और राजसिक.


कोमल : ओके. तो फिर आप कर्ण पिशाजनी के बारे मे आप बता रहे थे.


डॉ : हम्म्म्म. कर्ण मतलब की कान मे बताने वाली. यह पिशाज सिर्फ फीमेल फोरम मे ही होती है. इसमें कोई मेल पिशाज नहीं होता. कर्ण पिशाजनी वैसे तो कोई साधक ज्ञान को बढ़ाने के लिए ही करते है. क्यों की यह भुत काल और वर्तमान काल बताती है. वैसे तो यह भविस्य भी बता सकती है. पर भविस्य कुछ पलों तक का ही. क्यों की हर किसी का भविस्य बदलता रहता है.

इसी लिए साधक सिर्फ भूतकाल और वर्तमान काल का पता ही कर्ण पिशाजनी के जरिये सटीक लगा सकते है. कुछ मुर्ख साधक इसे अपनी वासना पूरी करने के लिए भी करते है. मगर यह खतरनाक भी साबित होता है.


कोमल से रहा नहीं गया. और वो बिच मे बोल पड़ी.


कोमल : पर आपने पिशाजो के जीकर मे काम पिशाज भी जीकर किया था. तो....?????


डॉ : मै पहले कर्ण पिशजनी के बारे मे बता ता हु. एक साधक कर्ण पिशाजनी को बुलाने के लिए साधना करता है. यह साधना वाम मार्ग के जरिये की जाए तो सिर्फ 3 दिन की होती है. या फिर सम्पूर्ण करें तो 21 से 23 दिन की होती है. जो तीन दिन वाली साधना करते है. उसमे साधक को तीन दिन तक एक बंद घर मे करनी पडती है.

साधक तीन दिन तक नहाता नहीं है. उसे गन्दा होना पड़ता है. उसे अपना मल( लेटरिंग, टट्टी ) अपने शरीर पर लगाना होता है. और भूख लगने पर अपना ही मल खाना होता है. वही अपने ही मूत्र से अपनी प्यास भुजानी होती है. साथ एक मंत्र का जाप करते रहना होता है.

पहले तो वह साधक की परीक्षा लेती है. उसे डरती है. और फिर वह साधक कामयाब हुआ तो उसकी गोदी मे आकर बैठ जाती है. इसमें कर्ण पिशाजनी साधक के सामने अपनी शर्त रखती है. इस क्रिया मे कर्ण पिशाजनी सिर्फ प्रेमिका के रूप मे ही सिद्ध होती है.

वह शर्त रखती है की वो जब चाहे तब साधक के साथ सम्भोग करेंगी. साधक उसे रोक नहीं सकता. अगर साधक ने किसी लड़की से कोई प्रेम या सम्भोग का रिस्ता बनाया तो कर्ण पिशाजनी उस लड़की और उस साधक को मार डालेगी. कई लोग जिनहे ज्ञान नहीं होता. कर्ण पिशाजनी के चपेट मे आ चुके है.

अमूमन नवजावन लड़के अपनी वासना पूरी करने के चक्कर मे कर्ण पिशाजनी के हत्थे चढ़ गए.कर्ण पिशाजनी ना जीने के लायक छोड़ती है. ना ही मरने के लायक. वह उस साधक के साथ तब तक सम्भोग करती ही रहती है. जब तक वो मर ना जाए.


कोमल : और दूसरा तरीका कोनसा है??


डॉ : दूसरा तरीका पिशाजी साधना के जरिये. जो 21 से 23 दिन का होता है. इसमें साधक पिशाजी यन्त्र बनाकर उसमे अपने वीर्य का अर्पण करता है. और सारे रिचुअल्स पुरे करते हुए कर्ण पिशाजनी का आवाहन करता है. जब कर्ण पिशाजनी आती है तो उसे कुछ नियम के तहत ही अपनाया जाता है. साधक उसे किस रूप मे स्वीकार करेगा. यह साधक के ऊपर है.

या माँ के रूप मे. अगर साधक ने माँ के रूप मे कर्ण पिशाजनी को स्वीकार किया तो वह साधक की अशली माँ को मार देगी. क्यों की माँ एक ही होती है. साधक उसे बहन के रूप मे भी स्वीकार कर सकता है. मगर उसके बाद किसी और बहन से ज्यादा लाड़ लड़ाया तो उस बहन को मार देगी. और फिर तीसरा है पत्नी के रूप मे.

अगर पत्नी के रूप मे अगर साधक स्वीकार करें तो वो किसी और नारी के साथ प्रेम सम्बन्ध या काम सम्बन्ध नहीं बना सकता. नहीं तो वो साधक और उसकी प्रेमिका मतलब की उस लड़की को भी मार देगी. मगर साधक अगर चतुराई दिखाए. और अपनी भी शर्त मानवा ले तो कर्ण पिशाजनी को सही तरीके से मैनिपुलेट कर सकता है.


कोमल : वो कैसे???


डॉ : साधक पत्नी के रूप मे स्वीकार करें तब कर्ण पिशाजनी से भी वचन ले सकता है की जब साधक चाहेगा तब ही सम्भोग होगा. तब वो कर्ण पिशाजनी को मैनिपुलेट कर सकेगा. पर साधक कर्ण पिशाजनी की मोहक सुंदरता मे इतना खो जाता है की वो खुद अपनी बात मनवाने के बजाय उसी की बात मान कर वचन बंद हो जाता है. नतीजा कर्ण पिशाजनी अपनी मर्जी से साधक के साथ जबरदस्ती सम्भोग करती रहती है. फिर साधक का क्या होगा. वो तो तुम भी समझ सकती हो.


कोमल : फिर तो चतुराई माँ या बहन के रूप मे ही सिद्ध करना बेटर होगा.


डॉ रुस्तम हस दिए.


डॉ : (स्माइल) अपनी माँ बहेनो की इच्छा पूरी करना एक बेटे और एक भाई का फ़र्ज होता है. वो कभी किसी जिन्दा बच्चे की बली मांगेगी. कभी कवारी लड़की का खून. साधक कहा से लाएगा???


कोमल भी सोच मे पड़ गई.


कोमल : हम्म्म्म यह बात तो है. पर यह यन्त्र पर वीर्य क्यों???


डॉ : क्यों की कर्ण पिशाजनी अपने पिशाजिक लोक मे बच्चे पैदा करती है. और कर्ण पिशाजनी मे कोई मेल नहीं होता. सिर्फ सारी फीमेल ही होती है. इसी लिए उसे बच्चे पैदा करने के लिए ज्यादा से ज्यादा वीर्य चाहिये. जो उसे ज्यादा सम्भोग के जरिये ही मिलता है.

जब की काम पिशाजनी मे उल्टा होता है. वो चाहे उस लड़की को तुम पर मोहित कर देगी. पर तुम्हे प्रेम करने नहीं देगी. सिर्फ तुम्हे सम्भोग ही करवाएगी. वो शादी करने नहीं देती. खुद भी सम्भोग करती है. और दुसरो से भी करवाती है. मगर साधक अगर कमिटेड हुआ तो उसे मार डालती है.


कोमल के अंदर शारारत कभी ख़तम नहीं हो सकती.


कोमल : (स्माइल) अगर मेरे पास कर्ण पिशाजनी होती तो मै बहोतो की वाट लगा देती.


डॉ : नहीं है वही अच्छा है. हा एक बात और अगर साधक वृद्ध होने लगे. या उसे पता हो की वो मरने वाला है. तो उसे अपनी सिद्धिया किसी और साधक को वारिस के तोर पर देनी होती है. जो ना दे तो भी प्रॉब्लम हो सकती है.


कोमल : हा मगर यह तो कर्ण पिशाजनी पाने का तीसरा रस्ता भी है.


डॉ : (स्माइल) वैसे अब मै किस्सा सुना दू. नहीं तो तुम कोई और रस्ता निकल लोगी.


सिर्फ कोमल ही नहीं दाई माँ बलवीर वान मे बैठे सभी हसने लगे. उसके बाद कुछ पलों के लिए शांत हो गए. और डॉ रुस्तम के आगे कुछ बोलने का इंतजार करने लगे. खास कर कोमल. क्यों की किस्सा सुन ने की तलब सबसे ज्यादा कोमल को ही थी.
 

Shetan

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Update 45


डॉ रुस्तम ने एक नया किस्सा सुना ना शुरू किया.


डॉ : यह किस्सा रवि का है. आज से 9 साल पहले की बात है. रवि तोमर मुरैना का रहने वाला था. बी ए सेकंड ईयर मे पढ़ने वाला रवि बहोत ही दुबला पतला और कमजोर था. ना ही वो पढ़ाई मे अच्छा था ना ही वो खेल कूद मे. वो कोई और एक्टिविटी मे भी नहीं था. रवि का परिवार बहोत बड़ा था. मतलब की वो जॉइंट फॅमिली मेंबर था. उसके पिता जशवंत सिंह किसान थे.

और उसकी माता कल्याणी देवी हाउसवाइफ थी. एक बड़ी बहन कांता जिसकी शादी पास ही के गांव मे हुई थी. एक बड़ा भाई देवेंद्र सिंह जो CPWD ग्वालियर मे नौकरी कर रहा था. देवेंद्र का कुछ वक्त पहले ही रिस्ता पक्का हुआ था. रवि के परिवार के पास अच्छी खासी जमीन थी. और गांव मे बहोत इज्जत भी थी.

ठाकुर परिवार मे अगर कोई बच्चा कमजोर हो तो वो सबसे ज्यादा ट्रोल होता है. रवि के साथ भी यही सब हो रहा था. परिवार मे, कॉलेज मे हर जगह वो ताने सुन रहा था. लोग उसका मज़ाक उड़ाते. उसपर हस्ते. रवि मे दो समस्या तो बहोत ज्यादा थी.

एक उसकी कभी गर्लफ्रेंड नहीं बन पाई. जिस कारण रवि बहोत ज्यादा डिप्रेस्ड रहता था. और दूसरा पोर्न वगेरा ज्यादा देखने के कारण रवि हस्थमैथुन बहोत ज्यादा करने लगा था. हमारी बॉडी मे पांच चक्रा होते है. जिसमे से एक नाभि चक्रा या कुंडलिनी चक्रा कहते है. यह हमारी सोल(आत्मा) पर एक आवरण क्रिएट करता है. हमारी बॉडी के इर्द गिर्द एक औरा मण्डल क्रिएट करता है. जिस से हम बहोत सी बुरी चीजों से दूर रहते है.


कोमल : (सॉक) क्या सच मे???


डॉ : बिलकुल. अगर हमारी लाइफ मे अगर सेक्स ना हो तो हम ऊपर वाले से डायरेक्ट ही मिल सकते. हमारी बॉडी मे हमारे स्पर्म का बहोत महत्व है. इसे युही बेफिज़ूल बहाना बहोत ही हानिकारक है. पर अभी यह टॉपिक नहीं.


डॉ रुस्तम आगे किस्सा सुनते है. और सभी बहोत ध्यान से सुनते है.


डॉ : रवि बहोत परेशान था. वो कॉलेज मे अपने दोस्तों को अपनी अपनी गर्लफ्रेंड से रोमांस करते देखता फ्लर्ट करते देखता था. यह सब देख कर उसे बहोत तकलीफ होती थी. ऐसा नहीं था की वो कोसिस नहीं करता था. मगर जब भी कोसिस करता.

लड़कियों के सामने वो मज़ाक का कारण बन जाता. लड़किया खुद भी रवि का बहोत मज़ाक उड़ा देती. तब उसे कही से कर्ण पिशाजनी के बारे मे पता चला. रवि ने कर्ण पिशाजनी के बारे मे पता करना शुरू किया. वो कई बाबाओ के पास भटका. इंटरनेट खंगालना शुरू किया. उसे धीरे धीरे क्रिया के बारे मे पता चला.

उसकी सबसे बड़ी गलती यह थी की कर्ण पिशाजनी साधना के लिए कोई विषेस गुरु नहीं मिला. कोई भी साधना बिना गुरु के नहीं करनी चाहिये. वरना बहोत बुरा परिणाम हो सकता है.


कोमल : पर ऐसा क्यों??? अगर कोई परफेक्ट हो तो साधना खुद क्यों नहीं कर सकता.


डॉ : क्यों की गुरु एक ऐसा कवच है जो सारी गलतियों से बचा लेता है. रवि ने ना गुरु चुना. और ना ही वो साधना के योग्य था. वो नाभि से बहोत कमजोर था. और उसने वाम मार्ग के जरिये 3 दिन की साधना को चुना. रवि ने सारे रिचुअल्स अपनाए. सारा सामान एकत्रित किया.

उस वक्त वो मुरैना मे एक मकान किराए पर रहकर अपनी पढ़ाई कर रहा था. माँ बाप भाई बहन कोई उसके साथ नहीं था. सभी तो गांव मे ही थे. वो अकेला उस मकान मे रह रहा था. रवि ने अपना घर बहार से बंद किया. उसे लॉक लगा दिया. और पीछे के रास्ते से वो अपने घर मे घुस गया. ताकि उसे कोई परेशान ना कर सके.

साधना के लिए अंधेरा जरुरी होता है. उसने सारे खिड़कियों पर अख़बार चिपका दिए. ताकि बहार का उजाला भी अंदर ना आ सके. और साधना का सामान विधि वत लगा दिया. और साधना शुरू करी. इसी दौरान रवि ने अपना ही मल(लेटरिंग टट्टी) अपने शरीर पर लगाई. अपने ही मल को खाया.

प्यास लगी तो अपने ही पेशाब को पिया. तीन दिन बिना नहाए. बिना बहार की हवा के बगैर उसके शरीर से बदबू भी आने लगी. मगर वो अपनी पिछली जिंदगी से छुटकारा चाहता था. रवि कर्ण पिशाजनी के लिए बहोत आसान शिकार था. पहले दिन से ही उसे किसी की उपस्थिति का एहसास होने लगा. पहले दिन किसी के उसके पास होने का एहसास हुआ. उसे डर भी लगा.

मगर वो डटा रहा. दूसरे दिन हरकत और ज्यादा बढ़ गई. पहले तो उसे आभास हुआ की कोई चहेरा उसके बहोत करीब है. और वो रवि के चहेरे पर फुक मार रहा है. धीरे धीरे ज्यादा वक्त होने के कारण रवि का डर ख़तम होने लगा था. उसे ऐसा भी एहसास हुआ की कोई उसके सर पर बालो को सहला रहा है.

तीसरे दिन हरकत उसे ज्यादा सुनाई देने लगी. उसे ऐसा महसूस हुआ की कोई उसके कान मे कुछ बोल रहा है. तूने मुजे बुलाया है. तुझे अब जिन्दा नहीं छोडूंगी. मत कर. तुझे मै बर्बाद कर दूंगी. तीसरे दिन रवि को डर लगने लगा. लेकिन वो उठा ही नहीं.

तब उसे एहसास हुआ की गोई उसकी गोदी मे आकर बैठ गया है. और उसे पुकारा. तूने मुजे बुलाया है. क्यों बुलाया है. ले मै आ गई. अब आंखे खोल. रवि ने आंखे खोली तो हरा मगर बहोत ही खुबशुरत कामुख चहेरा उसे दिखाई दिया.

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वो रूप ही इतना कामुख था की रवि को देखते ही उत्तेजना महसूस होने लगी. वो उसमे खोने लगा था. तभि कर्ण पिशाजनी ने उसका फायदा उठाना शुरू किया.


कर्ण पिशाजनी : मै बहोत सुंदर हु ना???


रवि उसमे खोने लगा था. पर एक खास बात वो उत्तेजित तो वास्तव मे हो रहा था. लेकिन उसे वह पिशाजनी उसकी चेतना मे दिखाई दे रही थी. पिशाजनी के रूप मे खोए रवि ने हा मे सर हिलाया. वो पिशाजनी उसे चूमने लगी. उसके गले पर गलो पर. ऐसे ही चूमते हुए पिशाजनी ने उसके कान मे कुछ कहा.


कर्ण पिशाजनी : अगर मुजे पाना चाहते हो तो तुम्हे मेरे नियम को मान ना होगा. तभि तुम मुझसे प्रेम कर सकोगे.


वो रवि के चहेरे को देखने लगी. रवि भी उसके चहेरे मे खोया कुछ सोच नहीं पाया. और बिना सोचे उसने हा कहे दिया.


रवि : (मदहोश) हा...


रवि को हा बोलने मे भी बहोत ताकत लगानी पड़ी. वह पिशाजनी की सुंदरता मे इतना ज्यादा खो गया. पिशजनी ने अपनी शर्त उसके सामने रख दी.


कर्ण पिशाजनी : 1) तुम मुजे सिर्फ प्रेमिका के रूप मे ही पा सकते हो.

2)तुम्हे मेरे सिवा किसी भी नारी से कोई विवाह या प्रेम सम्बन्ध नहीं बना ने है. अगर तुमने मेरे सिवा किसी भी मादा से सम्बन्ध बनाए तो मै उस नारी को और तुम्हे जीवित नहीं छोडूंगी.

3) मै जब चाहे तब तुमसे सम्भोग करुँगी. तुम्हे मुझसे सम्भोग करना ही होगा. तुम मुजे ना कभी नहीं करोगे.


रवि ने कुछ सोचा नहीं और एक बार और पूरा जोर लगाकर ज़वाब दिया.


रवि : हा........


उसके बाद कर्ण पिशाजनी उसके साथ उस रात बहोत जोरो से सम्भोग करती है. ऐसा अनुभव रवि को पहले कभी नहीं हुआ था. उस रात तो रवि बहोत खुश था.


बिच मे कोमल से रहा नहीं गया. और उसने अपना सवाल पूछ ही लिया.


कोमल : लेकिन रवि शरीर से कमजोर था. तो वो इतनी बार सेक्स कर पाया. मतलब पूरी रात. जब की वो पिशाजनी है???


डॉ रुस्तम को ज़वाब देने मे थोड़ी शर्म महसूस हुई. जब की कोमल एक वकील थी. उसे सवाल पूछने पर भी बिलकुल शर्म महसूस नहीं हुई. जब की दाई माँ शांत रही. और बलबीर भी शर्म से दए बाए देखने लगा. पर डॉ रुस्तम ने ज़वाब दिया.


डॉ : यह मायने नहीं रखता की तुम भौतिक जीवन मे क्या कर सकते हो. या कितनी क्षमता तुम मे है. वो यह सब चेतना मे करती है. जब की भुगतना तुम्हे भौतिक जिंदगी मे पड़ता है.


कोमल इस बात को समझ गई. और जैसे कुछ सोच रही हो. उसने हा मे सर हिलाया.


कोमल : फिर क्या हुआ???


कोमल का बोलना और उसी वक्त उनकी वान रुक गई. तब जाकर कोमल को एहसास हुआ की वो रेलवे स्टेशन पहोच चुके है. लेकिन अब कोमल के लिए यह ज्यादा मुसीबत की घड़ी थी. क्यों की आगे क्या हुआ यह जान ना था. मगर अब तो वो रेलवे स्टेशन पहोच चुके थे.


कोमल : (हड़बडाट) जल्दी अभी सिर्फ 07:10 ही हो रही है. ट्रैन 09:40 पर है. और मुजे यह किस्सा सुन ना है. वरना मै परसो मुंबई नहीं आउंगी.


डॉ रुस्तम हैरान हो गए. मतलब की कोमल तैयार है. उसके साथ पैरानॉर्मल एक्टिविटीज पर काम करने के लिए.


डॉ : (सॉक) हा हा पर.....


कोमल वान से उतार गई थी.


कोमल : अरे जल्दी करो. उतरो ना जल्दी. टाइम कम है हमारे पास.


सभी उतरे और रेलवे स्टेशन के अंदर जाने लगे. किस्सा सुन ने के लिए कोमल कुछ ज्यादा ही जल्दबाज़ी कर रही थी. वो प्लेटफॉर्म पर पहोच गए. कोमल दए बाए देखने लगी.


दाई माँ : उतउ चल. ( उधर चल.)


दाई माँ कोमल को प्लेटफार्म के लास्ट हिस्से की तरफ चलने को कहती है. क्यों की जनरल डिब्बा पीछे और आगे की तरफ होता है. दाई माँ के पास तो बस अपना एक झोला था. लेकिन कोमल और बलबीर दोनों का सामान एक ही ट्रॉली बैग मे था. कुरता पजामा पहने कोमल के सिर्फ कंधे मे उसका पर्स था. और वो सबसे आगे तेज़ी से चल रही थी. वो बिच बिच मे पीछे मुड़ती है. और सब को जल्दी चलने को कहती है.


कोमल : इससससस... जल्दी करो... ना... क्या तुम लोग टाइम वेस्ट कर रहे हो.


कोमल की इस हरकत पर डॉ रुस्तम और दाई माँ को हसीं आ रही थी. क्यों की बेचारा बलबीर सबसे पीछे था. जो ट्रॉली बैग को घसीट कर ला रहा था. जिसे ट्रॉली बैग लेकर चलते बन नहीं रहा था. ऊपर से कोई ट्रैन खड़ी थी. इस लिए भीड़ भी बढ़ रही थी. चलते हुए कोमल ने उस ट्रैन का नाम नंबर देखा. और वो हैरान हो गई.

क्यों की वो उन्ही की ट्रैन थी. वो सोचने लगी की कही वो जो नेट पर ट्रेन का शेड्यूल टाइम देख रही थी. वो गलत तो नहीं है. पर उसे यह नहीं पता था की ट्रेनजहा से स्टार्ट होती है. वहां कुछ घंटे पहले ही लग जाती है. कोमल लास्ट मे जाकर खड़ी हो गई. वहां गरीबो वाला डिब्बा तो था. पर कोई भीड़ नहीं थी. कोमल जैसे थक गई हो. वो पलट कर मुस्कुराती है. दाई माँ उसके करीब पहोची.


दाई माँ : जाइ है. (यही है)


दाई माँ बोल कर ट्रैन के डिब्बे मे चढ़ गई. और डिब्बे के सबसे बिच वाला केबिन जो पहले से ही खाली था. कोमल भी चढ़ी और फिर बाद मे बलबीर भी चढ़ गया. कोमल हैरान थी. की जनरल डिब्बा तो हमेशा फुल होता है. पर यह कैसे खाली है. वो सीधा विंडो वाली शीट पर बैठ गई. डॉ रुस्तम बहार विंडो पर ही खड़े थे. दाई माँ कोमल के सामने बैठी. और बलबीर कोमल के पास. कोमल डॉ रुस्तम को देख कर स्माइल करती है.


कोमल : (स्माइल) हासससससस... अब पता नहीं कब ट्रैन चलेगी. अब आगे क्या हुआ वो तो सुना दो.


डॉ रुस्तम हस पड़े.


डॉ : (स्माइल) मतलब परसो तुम मुंबई आ रही हो ना???


कोमल : परसो नहीं. पहोचने के दो दिन बाद. मतलब परसो नहीं. परसो के अगले दिन. अब जल्दी सुनाओ. टाइम कम है.


डॉ : (स्माइल) फिकर मत करो. अब भी दो घंटे है.


कोमल : तो सुनाओ ना.


डॉ रुस्तम ने आगे सुना ना शुरू किया.


डॉ : रवि को उस घर मे बंद हुए 7 दिन हो गए थे. उसने इन 7 दिनों मे ना तो किसी को फोन तक किया. और ना ही किसी से संपर्क किया. वहां गांव मे उसकी माँ कल्याणी देवी परेशान हो गई. उसके पिता जसवंत सिंह ने रवि को कॉल किया तो मोबाइल स्विच ऑफ बता रहा था. वो परेशान हो गए. रवि का एक दोस्त भी था.

जो उसके ही बगल वाले घर मे रहे रहा था. उसका नाम था रितिक. हलाकि रितिक वहां अपनी फैमली के साथ रहता था. रितिक भी यही सोच रहा था की उसने भी कई दिनों से रवि को नहीं देखा. उस दिन रितिक के मोबाइल पर रवि के पिता जसवंत सिंह का कॉल आया.

रितिक रवि के पिता जसवंत सिंह के कहने पर रवि के रूम के डोर पर गया. उसने देखा बहार से तो डोर लॉक है. उसे बड़ा अजीब लगा. क्यों की विंडो के ऊपरी हिस्से पर जहा कांच था. वहां अख़बार चिपकाया हुआ है. वो सोचता है की वो पीछे की ओर से जाए.

रितिक रवि के रूम के पीछे की तरफ गया. पीछे का डोर भी बंद ही था. पर रितिक को कुछ डाउट होने लगा. जब वो डोर के पास गया तो उसे कुछ बदबू महसूस हुई. उसने कॉल बैक कर के रवि के पिता जसवंत सिंह को बताया. उन्होंने रितिक से रिक्वेस्ट की के वो दरवाजे को कैसे भी खोले. चाहे दरवाजा तोडना भी पड़े तो तोड़ दे. रितिक भी अपने दोस्त के पिता होने के कारण मान गया.

उसने दरवाजे को धक्का मरना शुरू किया. बार बार प्रयास करने पर दरवाजा खुल गया. दरवाजा खुलते रितिक निचे गिरते गिरते बचा. मगर जब डोर खुला तो उसकी हालत ख़राब हो गई. अंदर से बहोत जोरो से बहोत बुरी बदबू का भापका उसपर आया. उसे ऐसा महसूस हुआ की वो वोमिट कर देगा. वो तुरंत पीछे हो गया.

और खुली हवा मे सांस लेने लगा. वो बदबू जैसे की कई वक्त से कोई बंद गटर खोली गई हो. नार्मल होने के बाद उसने जेब से रुमाल निकला. और एक बार फिर अंदर जाने का प्रयास करता है. बदबू बस थोड़ी ही कम हुई थी. पर जब अंदर गया तो उसने जो देखा. वो देख कर उसके होश उड़ गए. रितिक ने तुरंत अपना मोबाइल निकला और पहले फोटो खींचा. ताकि वो रवि के पिता को दिखा सके.

रितिक ने देखा की रवि के रूम मे कई सारे कागज़ बिखरे पड़े है. फर्श पर आकृति बनी हुई है. जैसे किसी तांत्रिक ने पूजा की हो. एक मांस का बड़ा टुकड़ा पड़ा हुआ था. जिसपर मखिया भीन भीना रही थी. एक खुला हुआ मिठाई का डिब्बा. जिसमे गिराड जैसे सफ़ेद कीड़े पड़ गए थे. और ऊपर से मखिया भीन भीना रही थी.

कुछ पूजा का सामान जैसे सिदुर, उड़द की दाल वगेरा बहोत कुछ था. नीबू सुख चूका था. वही रवि तो बहोत ही बुरी हालत मे मिला. पूरा नंगा बेड पर आधा और आधा बेड से निचे लटकता हुआ बेहोश दिखाई दिया. रितिक रवि को इस हाल मे देख कर हैरान रहे गया. वो पहले से ही दुबला पतला था. और तब तो उसके बॉडी से कुछ ज्यादा ही कमजोर लगने लगा था. उसके फेफड़ों की हड्डिया तक उभर आई थी. रितिक ने उसे बेड पर अच्छे से लेटाया.

जब रितिक उसे लेटा रहा था. तब रवि अपनी बेहोशी के हालत मे कुछ बड़बड़या. जिसे पहले तो रितिक समझ नहीं पाया. पर धीरे धीरे उसे साफ सुनाई दिया.


रवि : (बेहोश) तुमने...... उसका..... काम बिगाड़ा है.... ससससस वो... ससससस तुम्हे ससससस हहहह नहीं छोड़ेगी.... तुम भी... हा..... तुम भी....


रितिक ने सब सुना. मगर वो समझ नहीं पाया. वो रवि को बेड पर अच्छे से लेता देता है. और चाबी ढूढ़ता है. रितिक को चाबी मिल गई. और उसने रूम का आगे वाला डोर खोल दिया. सारी गंदगी भी साफ कर दी. और उसने उन कागज़ को ध्यान से देखा. उसपर पिजाजिक मंत्रो को देखा. उसने वो बस एक ही बार पढ़ा.

पर उसे कुछ ठीक नहीं लगा. उसने सारे कागजो को इखट्टा किया. और जला दिया. जसवंत सिंह भी वहां गांव से निकल चुके थे. और वो भी पहोच गए. रात 10 बजे जसवंतसिंह पहोच गए. बहोत कोसिस की तो रवि को होश आ गया. रितिक और जसवंत सिंह ने रवि से बहोत पूछने की कोसिस की. पर रवि कुछ बोल ही नहीं रहा था.

जसवंत सिंह ने रात अपने बेटे के पास ही रुकने का फेशला किया. रतिक की मदद से रात खाने पिने का बंदाबस्त हुआ. जसवंत ने रवि को भी खाने को बोला. वो भी अपने पिता के साथ खाना खाने बैठ गया. रवि ने उस रात कोई हरकत नहीं की. बस खामोश ही रहा. उसने खाना भी बड़े आराम से ही खाया.


कोमल बड़े टाइम से आराम से सुन रही थी. पर इस बार उस से रहा नहीं गया. और वो अपना सवाल बिच मे ही पूछे बिना रहे नहीं पाई.


कोमल : एक एक मिनट डॉक्टर साहब. पर जब भी किसी पर कोई एनटीटी आती है. तो वो दुगना तिगना खाना खाता है. मेने मेरे एक्स को भी देखा था. तो रवि नार्मल कैसे???


डॉ रुस्तम थोड़ा मुश्कुराए.


डॉ : (स्माइल) दूसरी एनर्जी जिसे टारगेट करती है. वो उसकी बॉडी का इस्तेमाल करती है. मतलब वो उसी मे होती है. मगर पिशाजनी, यक्षिणी, अप्सरा किन्नर और गंधर्व जैसी एनर्जी बॉडी के आस पास होती है. अंदर नहीं. जब उसे जरुरत हो या फिक्स टाइम पर साधक या उसके टारगेट की चेतनाओ मे आती है.


कोमल : (सोचते हुए) हम्म्म्म...





 

Shetan

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Episode 46


डॉ रुस्तम आगे सुना ना शुरू करते है.


डॉ : खाने के बाद सोते वक्त जसवंत सिंह अपने बेटे रवि के पास आए. और बड़े प्यार से पूछा. पर रवि कुछ नहीं बोला. वो दोनों सो गए. वही रितिक भी अपने घर जा चूका था. और वो भी सो गया. इस बार रवि को नहीं रितिक को सपना आया. जब रितिक गहेरी नींद मे सो गया तो उसे सपने मे एक भयानक चहेरा दिखा.

IMG-20250719-192033

रितिक एकदम डर गया और आंखे खोलने की कोसिस करने लगा. लेकिन ऐसा लगा जैसे वो अपने ही बस मे नहीं है. उसने जो चहेरा देखा था. वो उसकी छाती पर आकर बैठ गई. वो और कोई नहीं. वही कर्ण पिशाजनी थी. जिसे रवि ने बुलाया था. और वो रितिक को अपना शिकार बना रही थी.


कर्ण पिशाजनी : तुमने मेरे काम मे रूकावट पैदा की है. अब तुम्हे मुजे वचन देना होगा. तुम किसी भी नारी से विवाह या प्रेम कोई सम्बन्ध नहीं बनाओगे. तुम मेरे साथ सम्भोग करोगे. और जब मै चहु तब तुम्हे मुझसे सम्भोग करना होगा.


रितिक ने पूरी ताकत लगाई. पर रितिक उस से छूट नहीं पाया. वो पिशाजनी उसे उठने नहीं दे रही थी. और रितिक का दम घुटने लगा. वो बहोत ताकत लगाकर सिर्फ एक ही शब्द बोल पाया.


रितिक : अअअअअ..... नहीं.... हहहहह....


उसके ना बोलते ही उसका शरीर एकदम से हलका हो गया. और रितिक एकदम से नींद से उठाकर जोरो से हाफने लगा.


अचानक कोमल ने एक बार फिर अपना सवाल पूछ ही लिया.


कोमल : पर रितिक ने तो उस कर्ण पिशाजनी को एक बार भी नहीं बुलाया. फिर वो रितिक कैसे शिकार बन गया???


डॉ : रवि ने पिशाजनी बुलाई. वो वाम मार्ग था. उसने तीन दिन की वाम साधना की. और वो आ गई. क्यों की वो पिशाज लोक से आई थी.

इसी लिए रवि को वाम साधना करनी पड़ी. जो की तंत्रा मे गलत माना जाता है. बिना गुरु की आज्ञा के. वही जब रितिक ने उस कागज़ को जलाने से पहले उसने एक बार पिशाजिक मंत्र सिर्फ पढ़ा था. और उस वक्त वो पिशाजनी वही थी. रवि के करीब. इसी लिए वो तुरंत आ गई.


कोमल को धीरे धीरे बात समझ आने लगी. इस बार भी जैसे वो गहेरी सोच मे डूबी हुई हो. बस हा मे गर्दन हिलाती है. और फिर डॉ रुस्तम आगे सुना ना शुरू करते है.


कोमल : हम्म्म्म....


डॉ : वही रात 2 बजे रवि के रूम मे फिर हरकत हुई. जसवंसंत सिंह को तेज़ साँसो की आवाज आने लगी. वो उठ कर बैठ गए. और रवि की तरफ देखा. वो देख कर हैरान हो गए. रवि एक बार फिर पूरा नंगा आधा बेड पर और सर की तरफ से आधा बेड से निचे लटक रहा था. जसवंत सिंह समझ गए के यह कुछ अनहोनी है. उन्होंने जैसे तैसे रात तो काट ली. और किसी के थ्रू उन्होंने दाई माँ से कॉन्टेक्ट किया. दाई माँ उनके वहां चार दिन बाद आई.


दाई माँ का नाम आते कोमल ने मुश्कुराते हुए दाई माँ की तरफ देखा. दाई माँ ने भी हलकी स्माइल की.


डॉ : पर दाई माँ उन दिनों मुजे भी अपने साथ ही रखती थी. इसी लिए मै भी साथ था. हलाकि मै तब भी सब काम सात्विक तरीके से ही करता था. उन चार दिनों मे रवि की हलत ज्यादा ही ख़राब होने लगी. पर एक हादसा रितिक के साथ भी हो गया. शाम के वक्त रितिक अपने घर की छत पर था. और वो टहल रहा था.

टहलते हुए जब वो किनारो की दीवार के सहारे खड़ा हुआ तो उसे ऐसा लगा की किसी ने उसे धक्का दिया. और वो गिर गया. उसकी टांग मे दो फेक्चर आए. रितिक अपने माँ बाप को सब बता चूका था. वो भी समझ गए की मांजरा क्या है. जब चार दिन बाद हम वहां पहोचे रवि की हालत बहोत ज्यादा बिगड़ चुकी थी.

उसे देखा तो ऐसा लग रहा था की कोई गांजा फुकने वाला अपनी जिंदगी के आखरी दौर मे है. जब हम पहोचे तब दोपहर के 12 बज रहे थे. दाई माँ जब उसके सामने बैठी रवि सो रहा था. दाई माँ के उसके सामने बैठ ते ही वो अपने आप उठ कर बैठ गया. किसी के बिना जगाए. यह देख कर हम हैरान थे. सिवाय दाई माँ के.

उसकी हालत बहोत ख़राब थी. उसकी आंखे तक नहीं खुल रही थी. पर दाई माँ उसे गुस्से मे बस घूरे ही जा रही थी. दाई माँ ने उस के सामने बस कुछ शब्द रखे. जैसे कोई सवाल कर रही हो.


दाई माँ : फूल??? फूल???


उसने पहले तो बारी बारी हम सब को देखा. दाई माँ थोड़ा जोर देकर पूछती है.


दाई माँ : (चिल्लाकर) फूल???


उसने बड़े आराम से ज़वाब दिया.


रवि : (मदहोश) पोस्त (अफीम का फूल)


दाई माँ : भूख???


रवि : (मदहोश) मांस.


दाई माँ : प्यास???


रवि : (मदहोश) शराब...


दाई माँ : फल???


रवि : (मदहोश) कोख (औरत का गर्भ)


दाई माँ : बीज???


रवि : (मदहोश) इंसान का वीर्य.


दाई माँ झट से खड़ी हुई. वो समझ गई थी.


दाई माँ : पिशाजनी हते जी. कर्ण पिशसजनी
(पिशाजनी है यह. कर्ण पिशाजनी)


सीधा बोल देने पर सबके कान खड़े हो गए. उस वक्त दाई माँ ने खुद इलाज नहीं किया. वो मुझसे सात्विक तरीके से इलाज करवाया. क्यों की रवि का औरा खुल चूका था. उसे हार रोज H/चालिसा का अनुष्ठान करवाया. मेने खुद 108 दिन हर रोज चालीसा 108 दिन उसे सुनाई. हवन किए और दाई माँ ने सुरक्षा घेरा बनाकर उस पिशाजनी को वापस पिशाज लोक भेजा. अब बस करो. आधा घंटा बचा है ट्रैन चलने मे. अब तुम आराम करो. और खाना खाकर सो जाना.


डॉ रुस्तम के बोलने पर सभी लोग हस पड़े.


डॉ : (स्माइल) अच्छा यह बताओ की तुम हमारे साथ काम करने आ रही हो ना??


कोमल ने स्माइल करते हुए बस हा मे सर हिलाया.
 

sunoanuj

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डॉ रुस्तम आगे सुना ना शुरू करते है.


डॉ : खाने के बाद सोते वक्त जसवंत सिंह अपने बेटे रवि के पास आए. और बड़े प्यार से पूछा. पर रवि कुछ नहीं बोला. वो दोनों सो गए. वही रितिक भी अपने घर जा चूका था. और वो भी सो गया. इस बार रवि को नहीं रितिक को सपना आया. जब रितिक गहेरी नींद मे सो गया तो उसे सपने मे एक भयानक चहेरा दिखा.

IMG-20250719-192033


रितिक एकदम डर गया और आंखे खोलने की कोसिस करने लगा. लेकिन ऐसा लगा जैसे वो अपने ही बस मे नहीं है. उसने जो चहेरा देखा था. वो उसकी छाती पर आकर बैठ गई. वो और कोई नहीं. वही कर्ण पिशाजनी थी. जिसे रवि ने बुलाया था. और वो रितिक को अपना शिकार बना रही थी.


कर्ण पिशाजनी : तुमने मेरे काम मे रूकावट पैदा की है. अब तुम्हे मुजे वचन देना होगा. तुम किसी भी नारी से विवाह या प्रेम कोई सम्बन्ध नहीं बनाओगे. तुम मेरे साथ सम्भोग करोगे. और जब मै चहु तब तुम्हे मुझसे सम्भोग करना होगा.


रितिक ने पूरी ताकत लगाई. पर रितिक उस से छूट नहीं पाया. वो पिशाजनी उसे उठने नहीं दे रही थी. और रितिक का दम घुटने लगा. वो बहोत ताकत लगाकर सिर्फ एक ही शब्द बोल पाया.


रितिक : अअअअअ..... नहीं.... हहहहह....


उसके ना बोलते ही उसका शरीर एकदम से हलका हो गया. और रितिक एकदम से नींद से उठाकर जोरो से हाफने लगा.


अचानक कोमल ने एक बार फिर अपना सवाल पूछ ही लिया.


कोमल : पर रितिक ने तो उस कर्ण पिशाजनी को एक बार भी नहीं बुलाया. फिर वो रितिक कैसे शिकार बन गया???


डॉ : रवि ने पिशाजनी बुलाई. वो वाम मार्ग था. उसने तीन दिन की वाम साधना की. और वो आ गई. क्यों की वो पिशाज लोक से आई थी.

इसी लिए रवि को वाम साधना करनी पड़ी. जो की तंत्रा मे गलत माना जाता है. बिना गुरु की आज्ञा के. वही जब रितिक ने उस कागज़ को जलाने से पहले उसने एक बार पिशाजिक मंत्र सिर्फ पढ़ा था. और उस वक्त वो पिशाजनी वही थी. रवि के करीब. इसी लिए वो तुरंत आ गई.


कोमल को धीरे धीरे बात समझ आने लगी. इस बार भी जैसे वो गहेरी सोच मे डूबी हुई हो. बस हा मे गर्दन हिलाती है. और फिर डॉ रुस्तम आगे सुना ना शुरू करते है.


कोमल : हम्म्म्म....


डॉ : वही रात 2 बजे रवि के रूम मे फिर हरकत हुई. जसवंसंत सिंह को तेज़ साँसो की आवाज आने लगी. वो उठ कर बैठ गए. और रवि की तरफ देखा. वो देख कर हैरान हो गए. रवि एक बार फिर पूरा नंगा आधा बेड पर और सर की तरफ से आधा बेड से निचे लटक रहा था. जसवंत सिंह समझ गए के यह कुछ अनहोनी है. उन्होंने जैसे तैसे रात तो काट ली. और किसी के थ्रू उन्होंने दाई माँ से कॉन्टेक्ट किया. दाई माँ उनके वहां चार दिन बाद आई.


दाई माँ का नाम आते कोमल ने मुश्कुराते हुए दाई माँ की तरफ देखा. दाई माँ ने भी हलकी स्माइल की.


डॉ : पर दाई माँ उन दिनों मुजे भी अपने साथ ही रखती थी. इसी लिए मै भी साथ था. हलाकि मै तब भी सब काम सात्विक तरीके से ही करता था. उन चार दिनों मे रवि की हलत ज्यादा ही ख़राब होने लगी. पर एक हादसा रितिक के साथ भी हो गया. शाम के वक्त रितिक अपने घर की छत पर था. और वो टहल रहा था.

टहलते हुए जब वो किनारो की दीवार के सहारे खड़ा हुआ तो उसे ऐसा लगा की किसी ने उसे धक्का दिया. और वो गिर गया. उसकी टांग मे दो फेक्चर आए. रितिक अपने माँ बाप को सब बता चूका था. वो भी समझ गए की मांजरा क्या है. जब चार दिन बाद हम वहां पहोचे रवि की हालत बहोत ज्यादा बिगड़ चुकी थी.

उसे देखा तो ऐसा लग रहा था की कोई गांजा फुकने वाला अपनी जिंदगी के आखरी दौर मे है. जब हम पहोचे तब दोपहर के 12 बज रहे थे. दाई माँ जब उसके सामने बैठी रवि सो रहा था. दाई माँ के उसके सामने बैठ ते ही वो अपने आप उठ कर बैठ गया. किसी के बिना जगाए. यह देख कर हम हैरान थे. सिवाय दाई माँ के.

उसकी हालत बहोत ख़राब थी. उसकी आंखे तक नहीं खुल रही थी. पर दाई माँ उसे गुस्से मे बस घूरे ही जा रही थी. दाई माँ ने उस के सामने बस कुछ शब्द रखे. जैसे कोई सवाल कर रही हो.


दाई माँ : फूल??? फूल???


उसने पहले तो बारी बारी हम सब को देखा. दाई माँ थोड़ा जोर देकर पूछती है.


दाई माँ : (चिल्लाकर) फूल???


उसने बड़े आराम से ज़वाब दिया.


रवि : (मदहोश) पोस्त (अफीम का फूल)


दाई माँ : भूख???


रवि : (मदहोश) मांस.


दाई माँ : प्यास???


रवि : (मदहोश) शराब...


दाई माँ : फल???


रवि : (मदहोश) कोख (औरत का गर्भ)


दाई माँ : बीज???


रवि : (मदहोश) इंसान का वीर्य.


दाई माँ झट से खड़ी हुई. वो समझ गई थी.


दाई माँ : पिशाजनी हते जी. कर्ण पिशसजनी
(पिशाजनी है यह. कर्ण पिशाजनी)


सीधा बोल देने पर सबके कान खड़े हो गए. उस वक्त दाई माँ ने खुद इलाज नहीं किया. वो मुझसे सात्विक तरीके से इलाज करवाया. क्यों की रवि का औरा खुल चूका था. उसे हार रोज H/चालिसा का अनुष्ठान करवाया. मेने खुद 108 दिन हर रोज चालीसा 108 दिन उसे सुनाई. हवन किए और दाई माँ ने सुरक्षा घेरा बनाकर उस पिशाजनी को वापस पिशाज लोक भेजा. अब बस करो. आधा घंटा बचा है ट्रैन चलने मे. अब तुम आराम करो. और खाना खाकर सो जाना.


डॉ रुस्तम के बोलने पर सभी लोग हस पड़े.


डॉ : (स्माइल) अच्छा यह बताओ की तुम हमारे साथ काम करने आ रही हो ना??


कोमल ने स्माइल करते हुए बस हा मे सर हिलाया.
बहुत ही जबर्दस्त वापसी की है आपने ! और यह कर्ण पिशाचनी वाला किस्सा बहुत ही रोचक और अद्भुत है!

वापस आने के लिए बहुत बहुत शुभकामनाएँ 🎉🎉🎉
 

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डॉ रुस्तम आगे सुना ना शुरू करते है.


डॉ : खाने के बाद सोते वक्त जसवंत सिंह अपने बेटे रवि के पास आए. और बड़े प्यार से पूछा. पर रवि कुछ नहीं बोला. वो दोनों सो गए. वही रितिक भी अपने घर जा चूका था. और वो भी सो गया. इस बार रवि को नहीं रितिक को सपना आया. जब रितिक गहेरी नींद मे सो गया तो उसे सपने मे एक भयानक चहेरा दिखा.

IMG-20250719-192033


रितिक एकदम डर गया और आंखे खोलने की कोसिस करने लगा. लेकिन ऐसा लगा जैसे वो अपने ही बस मे नहीं है. उसने जो चहेरा देखा था. वो उसकी छाती पर आकर बैठ गई. वो और कोई नहीं. वही कर्ण पिशाजनी थी. जिसे रवि ने बुलाया था. और वो रितिक को अपना शिकार बना रही थी.


कर्ण पिशाजनी : तुमने मेरे काम मे रूकावट पैदा की है. अब तुम्हे मुजे वचन देना होगा. तुम किसी भी नारी से विवाह या प्रेम कोई सम्बन्ध नहीं बनाओगे. तुम मेरे साथ सम्भोग करोगे. और जब मै चहु तब तुम्हे मुझसे सम्भोग करना होगा.


रितिक ने पूरी ताकत लगाई. पर रितिक उस से छूट नहीं पाया. वो पिशाजनी उसे उठने नहीं दे रही थी. और रितिक का दम घुटने लगा. वो बहोत ताकत लगाकर सिर्फ एक ही शब्द बोल पाया.


रितिक : अअअअअ..... नहीं.... हहहहह....


उसके ना बोलते ही उसका शरीर एकदम से हलका हो गया. और रितिक एकदम से नींद से उठाकर जोरो से हाफने लगा.


अचानक कोमल ने एक बार फिर अपना सवाल पूछ ही लिया.


कोमल : पर रितिक ने तो उस कर्ण पिशाजनी को एक बार भी नहीं बुलाया. फिर वो रितिक कैसे शिकार बन गया???


डॉ : रवि ने पिशाजनी बुलाई. वो वाम मार्ग था. उसने तीन दिन की वाम साधना की. और वो आ गई. क्यों की वो पिशाज लोक से आई थी.

इसी लिए रवि को वाम साधना करनी पड़ी. जो की तंत्रा मे गलत माना जाता है. बिना गुरु की आज्ञा के. वही जब रितिक ने उस कागज़ को जलाने से पहले उसने एक बार पिशाजिक मंत्र सिर्फ पढ़ा था. और उस वक्त वो पिशाजनी वही थी. रवि के करीब. इसी लिए वो तुरंत आ गई.


कोमल को धीरे धीरे बात समझ आने लगी. इस बार भी जैसे वो गहेरी सोच मे डूबी हुई हो. बस हा मे गर्दन हिलाती है. और फिर डॉ रुस्तम आगे सुना ना शुरू करते है.


कोमल : हम्म्म्म....


डॉ : वही रात 2 बजे रवि के रूम मे फिर हरकत हुई. जसवंसंत सिंह को तेज़ साँसो की आवाज आने लगी. वो उठ कर बैठ गए. और रवि की तरफ देखा. वो देख कर हैरान हो गए. रवि एक बार फिर पूरा नंगा आधा बेड पर और सर की तरफ से आधा बेड से निचे लटक रहा था. जसवंत सिंह समझ गए के यह कुछ अनहोनी है. उन्होंने जैसे तैसे रात तो काट ली. और किसी के थ्रू उन्होंने दाई माँ से कॉन्टेक्ट किया. दाई माँ उनके वहां चार दिन बाद आई.


दाई माँ का नाम आते कोमल ने मुश्कुराते हुए दाई माँ की तरफ देखा. दाई माँ ने भी हलकी स्माइल की.


डॉ : पर दाई माँ उन दिनों मुजे भी अपने साथ ही रखती थी. इसी लिए मै भी साथ था. हलाकि मै तब भी सब काम सात्विक तरीके से ही करता था. उन चार दिनों मे रवि की हलत ज्यादा ही ख़राब होने लगी. पर एक हादसा रितिक के साथ भी हो गया. शाम के वक्त रितिक अपने घर की छत पर था. और वो टहल रहा था.

टहलते हुए जब वो किनारो की दीवार के सहारे खड़ा हुआ तो उसे ऐसा लगा की किसी ने उसे धक्का दिया. और वो गिर गया. उसकी टांग मे दो फेक्चर आए. रितिक अपने माँ बाप को सब बता चूका था. वो भी समझ गए की मांजरा क्या है. जब चार दिन बाद हम वहां पहोचे रवि की हालत बहोत ज्यादा बिगड़ चुकी थी.

उसे देखा तो ऐसा लग रहा था की कोई गांजा फुकने वाला अपनी जिंदगी के आखरी दौर मे है. जब हम पहोचे तब दोपहर के 12 बज रहे थे. दाई माँ जब उसके सामने बैठी रवि सो रहा था. दाई माँ के उसके सामने बैठ ते ही वो अपने आप उठ कर बैठ गया. किसी के बिना जगाए. यह देख कर हम हैरान थे. सिवाय दाई माँ के.

उसकी हालत बहोत ख़राब थी. उसकी आंखे तक नहीं खुल रही थी. पर दाई माँ उसे गुस्से मे बस घूरे ही जा रही थी. दाई माँ ने उस के सामने बस कुछ शब्द रखे. जैसे कोई सवाल कर रही हो.


दाई माँ : फूल??? फूल???


उसने पहले तो बारी बारी हम सब को देखा. दाई माँ थोड़ा जोर देकर पूछती है.


दाई माँ : (चिल्लाकर) फूल???


उसने बड़े आराम से ज़वाब दिया.


रवि : (मदहोश) पोस्त (अफीम का फूल)


दाई माँ : भूख???


रवि : (मदहोश) मांस.


दाई माँ : प्यास???


रवि : (मदहोश) शराब...


दाई माँ : फल???


रवि : (मदहोश) कोख (औरत का गर्भ)


दाई माँ : बीज???


रवि : (मदहोश) इंसान का वीर्य.


दाई माँ झट से खड़ी हुई. वो समझ गई थी.


दाई माँ : पिशाजनी हते जी. कर्ण पिशसजनी
(पिशाजनी है यह. कर्ण पिशाजनी)


सीधा बोल देने पर सबके कान खड़े हो गए. उस वक्त दाई माँ ने खुद इलाज नहीं किया. वो मुझसे सात्विक तरीके से इलाज करवाया. क्यों की रवि का औरा खुल चूका था. उसे हार रोज H/चालिसा का अनुष्ठान करवाया. मेने खुद 108 दिन हर रोज चालीसा 108 दिन उसे सुनाई. हवन किए और दाई माँ ने सुरक्षा घेरा बनाकर उस पिशाजनी को वापस पिशाज लोक भेजा. अब बस करो. आधा घंटा बचा है ट्रैन चलने मे. अब तुम आराम करो. और खाना खाकर सो जाना.


डॉ रुस्तम के बोलने पर सभी लोग हस पड़े.


डॉ : (स्माइल) अच्छा यह बताओ की तुम हमारे साथ काम करने आ रही हो ना??


कोमल ने स्माइल करते हुए बस हा मे सर हिलाया.
बहुत ही जबर्दस्त वापसी की है आपने ! और यह कर्ण पिशाचनी वाला किस्सा बहुत ही रोचक और अद्भुत है!

वापस आने के लिए बहुत बहुत शुभकामनाएँ 🎉🎉🎉
 

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डॉ रुस्तम आगे सुना ना शुरू करते है.


डॉ : खाने के बाद सोते वक्त जसवंत सिंह अपने बेटे रवि के पास आए. और बड़े प्यार से पूछा. पर रवि कुछ नहीं बोला. वो दोनों सो गए. वही रितिक भी अपने घर जा चूका था. और वो भी सो गया. इस बार रवि को नहीं रितिक को सपना आया. जब रितिक गहेरी नींद मे सो गया तो उसे सपने मे एक भयानक चहेरा दिखा.

IMG-20250719-192033


रितिक एकदम डर गया और आंखे खोलने की कोसिस करने लगा. लेकिन ऐसा लगा जैसे वो अपने ही बस मे नहीं है. उसने जो चहेरा देखा था. वो उसकी छाती पर आकर बैठ गई. वो और कोई नहीं. वही कर्ण पिशाजनी थी. जिसे रवि ने बुलाया था. और वो रितिक को अपना शिकार बना रही थी.


कर्ण पिशाजनी : तुमने मेरे काम मे रूकावट पैदा की है. अब तुम्हे मुजे वचन देना होगा. तुम किसी भी नारी से विवाह या प्रेम कोई सम्बन्ध नहीं बनाओगे. तुम मेरे साथ सम्भोग करोगे. और जब मै चहु तब तुम्हे मुझसे सम्भोग करना होगा.


रितिक ने पूरी ताकत लगाई. पर रितिक उस से छूट नहीं पाया. वो पिशाजनी उसे उठने नहीं दे रही थी. और रितिक का दम घुटने लगा. वो बहोत ताकत लगाकर सिर्फ एक ही शब्द बोल पाया.


रितिक : अअअअअ..... नहीं.... हहहहह....


उसके ना बोलते ही उसका शरीर एकदम से हलका हो गया. और रितिक एकदम से नींद से उठाकर जोरो से हाफने लगा.


अचानक कोमल ने एक बार फिर अपना सवाल पूछ ही लिया.


कोमल : पर रितिक ने तो उस कर्ण पिशाजनी को एक बार भी नहीं बुलाया. फिर वो रितिक कैसे शिकार बन गया???


डॉ : रवि ने पिशाजनी बुलाई. वो वाम मार्ग था. उसने तीन दिन की वाम साधना की. और वो आ गई. क्यों की वो पिशाज लोक से आई थी.

इसी लिए रवि को वाम साधना करनी पड़ी. जो की तंत्रा मे गलत माना जाता है. बिना गुरु की आज्ञा के. वही जब रितिक ने उस कागज़ को जलाने से पहले उसने एक बार पिशाजिक मंत्र सिर्फ पढ़ा था. और उस वक्त वो पिशाजनी वही थी. रवि के करीब. इसी लिए वो तुरंत आ गई.


कोमल को धीरे धीरे बात समझ आने लगी. इस बार भी जैसे वो गहेरी सोच मे डूबी हुई हो. बस हा मे गर्दन हिलाती है. और फिर डॉ रुस्तम आगे सुना ना शुरू करते है.


कोमल : हम्म्म्म....


डॉ : वही रात 2 बजे रवि के रूम मे फिर हरकत हुई. जसवंसंत सिंह को तेज़ साँसो की आवाज आने लगी. वो उठ कर बैठ गए. और रवि की तरफ देखा. वो देख कर हैरान हो गए. रवि एक बार फिर पूरा नंगा आधा बेड पर और सर की तरफ से आधा बेड से निचे लटक रहा था. जसवंत सिंह समझ गए के यह कुछ अनहोनी है. उन्होंने जैसे तैसे रात तो काट ली. और किसी के थ्रू उन्होंने दाई माँ से कॉन्टेक्ट किया. दाई माँ उनके वहां चार दिन बाद आई.


दाई माँ का नाम आते कोमल ने मुश्कुराते हुए दाई माँ की तरफ देखा. दाई माँ ने भी हलकी स्माइल की.


डॉ : पर दाई माँ उन दिनों मुजे भी अपने साथ ही रखती थी. इसी लिए मै भी साथ था. हलाकि मै तब भी सब काम सात्विक तरीके से ही करता था. उन चार दिनों मे रवि की हलत ज्यादा ही ख़राब होने लगी. पर एक हादसा रितिक के साथ भी हो गया. शाम के वक्त रितिक अपने घर की छत पर था. और वो टहल रहा था.

टहलते हुए जब वो किनारो की दीवार के सहारे खड़ा हुआ तो उसे ऐसा लगा की किसी ने उसे धक्का दिया. और वो गिर गया. उसकी टांग मे दो फेक्चर आए. रितिक अपने माँ बाप को सब बता चूका था. वो भी समझ गए की मांजरा क्या है. जब चार दिन बाद हम वहां पहोचे रवि की हालत बहोत ज्यादा बिगड़ चुकी थी.

उसे देखा तो ऐसा लग रहा था की कोई गांजा फुकने वाला अपनी जिंदगी के आखरी दौर मे है. जब हम पहोचे तब दोपहर के 12 बज रहे थे. दाई माँ जब उसके सामने बैठी रवि सो रहा था. दाई माँ के उसके सामने बैठ ते ही वो अपने आप उठ कर बैठ गया. किसी के बिना जगाए. यह देख कर हम हैरान थे. सिवाय दाई माँ के.

उसकी हालत बहोत ख़राब थी. उसकी आंखे तक नहीं खुल रही थी. पर दाई माँ उसे गुस्से मे बस घूरे ही जा रही थी. दाई माँ ने उस के सामने बस कुछ शब्द रखे. जैसे कोई सवाल कर रही हो.


दाई माँ : फूल??? फूल???


उसने पहले तो बारी बारी हम सब को देखा. दाई माँ थोड़ा जोर देकर पूछती है.


दाई माँ : (चिल्लाकर) फूल???


उसने बड़े आराम से ज़वाब दिया.


रवि : (मदहोश) पोस्त (अफीम का फूल)


दाई माँ : भूख???


रवि : (मदहोश) मांस.


दाई माँ : प्यास???


रवि : (मदहोश) शराब...


दाई माँ : फल???


रवि : (मदहोश) कोख (औरत का गर्भ)


दाई माँ : बीज???


रवि : (मदहोश) इंसान का वीर्य.


दाई माँ झट से खड़ी हुई. वो समझ गई थी.


दाई माँ : पिशाजनी हते जी. कर्ण पिशसजनी
(पिशाजनी है यह. कर्ण पिशाजनी)


सीधा बोल देने पर सबके कान खड़े हो गए. उस वक्त दाई माँ ने खुद इलाज नहीं किया. वो मुझसे सात्विक तरीके से इलाज करवाया. क्यों की रवि का औरा खुल चूका था. उसे हार रोज H/चालिसा का अनुष्ठान करवाया. मेने खुद 108 दिन हर रोज चालीसा 108 दिन उसे सुनाई. हवन किए और दाई माँ ने सुरक्षा घेरा बनाकर उस पिशाजनी को वापस पिशाज लोक भेजा. अब बस करो. आधा घंटा बचा है ट्रैन चलने मे. अब तुम आराम करो. और खाना खाकर सो जाना.


डॉ रुस्तम के बोलने पर सभी लोग हस पड़े.


डॉ : (स्माइल) अच्छा यह बताओ की तुम हमारे साथ काम करने आ रही हो ना??


कोमल ने स्माइल करते हुए बस हा मे सर हिलाया.
बहुत ही जबर्दस्त वापसी की है आपने ! और यह कर्ण पिशाचनी वाला किस्सा बहुत ही रोचक और अद्भुत है!

वापस आने के लिए बहुत बहुत शुभकामनाएँ 🎉🎉🎉
 
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