बाबा : तुम बहुत भाग्यशाली हो …तुम्हारा लड़का आगे जा कर बहुत होनहार होगा …..लोगों के काम आएगा…और लोग भी उसकी बहुत मदत करेंगे..
बाबा: लेकिन…
अब आगे...
वसु: क्या??
बाबा: इसके ज़िन्दगी में बहुत सी लडकियां और औरतें आएँगी…
वसु: मतलब?
बाबा: तुम्हारे बालक तो प्रेम के पुजारी है
वसु: मैं समझी नहीं
बाबा: याद है जब तुम पिछली बार आयी थी तो मैंने तुम्हारे बेटे को गोद में लिया था और कुछ मंत्र भी पढ़े थे.
वसु: हाँ.
बाबा: उस वक़्त मैंने तुम्हारे बालक के हाथ की लकीर भी देखी थी. अभी तुम्हारा बालक छोटा है और लकीरें अभी बन रही है और आगे जाकर ये लकीरें और भी अच्छे रूप में आएगी. उसका “शुक्र पर्वत” भी बहुत अच्छा है.
वसु: ये “शुक्र पर्वत” क्या है?
बाबा: यह शब्द हस्तरेखा विज्ञान में इस्तेमाल होता है और हथेली में अंगूठे के नीचे के उभार को दर्शाता है जो प्रेम सौंदर्य और कला जैसे गुणों का प्रतीक माना जाता है. बाबा ऐसा कहते हुए वसु का हाथ पकड़ कर उसे वो जगह दिखाता है जिसे शुक्र पर्वत कहते है.
दुनिया में ऐसे बहुत लोग होंगे जिसका शुक्र पर्वत और हाथ की लकीरें अच्छी होगी... इसमें कोई शक नहीं है... लेकिन लेकिन तुम्हारा बालक सब से अलग है.
तुम्हारे बालक को ना चाहते हुए भी बहुत लोगों से प्यार होगा और शायद तुमसे भी..और बहुत सारे लोग भी तुम्हारे बालक के प्यार में पागल हो जाएंगे और इस पर मर मिटेंगे..पहले तो तुम्हे आश्चर्य होगा..लेकिन बाद में तुम खुद ही इस बात को मान लोगी की जो भी हो रहा है..अच्छे ले लिए ही हो रहा है.. क्यूंकि तुम सब लोगों के चेहरे पे जो ख़ुशी देखोगी उससे तुम्हे बहुत गर्व होगा क्यूंकि तुम्हे ये पता होगा की उनके चेहरे पे ख़ुशी तुम्हारे लड़की की वजह से हुई है और ये भी है की तुम्हारा लड़के की ज़िन्दगी में तुम्हारे घर वालों के साथ ही शादी होगी.. एक नहीं लेकिन बहुत लड़कियां उसकी बीवी बनेगी.
बाबा: एक और बात.. तुम्हारा लड़का बहुत बच्चों का बाप बनेगा और सब की ज़िन्दगी में ढेर सारी खुशियां लाएगा.
वसु: मैं कुछ समझी नहीं..
वसु: ये कैसे हो सकता है? ये तो समाज के खिलाफ है.. दुनिया वाले क्या कहेंगे की इसने घर के लोगों से ही शादी कर ली है?
बाबा: मैं जानता हूँ की ये शायद समाज के नियमो के खिलाफ है लेकिन वक़्त, ज़रूरतें और प्यार का ऐसा मेल आएगा की तुम्हारा बालक घर के लोगों से ही शादी करेगा
बाबा: अभी तुम्हे समझ में नहीं आएगा…वक़्त के साथ साथ तुम सब समझ जाओगी..
बाबा: एक और बात..
वसु: क्या?
बाबा: इसके ज़िन्दगी में जितनी भी लडकियां आएगी…काफी लोगों के कमर में एक तिल होगा…ऐसा मुझे लगता है…अब मुझे ये तो पता नहीं की ऐसे कौन लोग है..लेकिन ऐसा हो सकता है…
वसु: क्या सच में?
बाबा: हाँ..
वसु: और मेरी बेटी का कुछ बता सकते हो क्या?
बाबा: तुम्हारी बेटी भी तुम्हारी तरह ही है…रंग, रूप और काम में…लेकिन वो भी तुम्हारी तरह अपने परिवार के लोगों को बहुत प्यार करेगी और इसकी ज़िन्दगी भी खुशाली से ही रहेगी…हाँ…ये तो कहने की ज़रुरत नहीं है इसके जीवन में कुछ उतार चढ़ाव आएगी.. जैसे हर किसीके जीवन में आता है..लेकिन जल्दी ही उनसे उभर के भी आ जायेगी..
वसु बाबा की बात सुनकर एकदम खुश हो जाती है (ख़ास कर के निशा के बारे में.) क्यूंकि उसकी भी उम्र हो रही थी और उसका शादी भी करना था...(उसे और सब को ये पता नहीं था की निशा के मन में क्या है और वो क्या कहने वाली है) और उन्हें प्रणाम कर के उनसे विदा ले लेते है और अपने घर की और निकल जाती है..
घर आने के बाद वसु का पति वसु से पूछता है तो वसु कहती है की बाबा ने बताया है की तुम्हारा लड़का बहुत होशियार और होनहार होगा आगे जा कर लेकिन दीपू के शादी की बात नहीं बताती..
उनकी ज़िन्दगी काफी अच्छी चल रही थी. .. वसु अपने बेटों को बहुत प्यार करती है. और उसका पति भी वसु और बच्चों की बहुत अच्छी देखभाल करता है और रात को रोज़ वसु को चुदाई का मजा भी देता है.
दीपू और निशा जब दोनों जवानी के देहलीज़ पे कदम रखते है तो एक दिन अचानक से उनके बाप को दिल का दौरा पढ़ जाता है और उसे हॉस्पिटल में भर्ती कर देते है.. वसु की हालत बहुत ख़राब हो जाती है.. और रो रो कर उसका हाल बुरा हो जाता है ..डॉक्टर्स भी कहते है की हार्ट अटैक बहुत तेज़ हुआ है और उनके बचने का कोई चांस नहीं है.
दीपू के पापा को जब लगता है की उसके बचने का कोई चांस नहीं है तो वो तीनो को अपने पास बुलाता है
दीपू का हाथ पकड़ कर कहता है : बेटा लगता है मेरे जाने का वक़्त आ गया है.. मेरे जाने के बाद तुम अपनी माँ और बेहन का अच्छे से ख़याल रखना. तुम्हारी माँ बहुत दुःख झेली है . तुम्हारे दादा, दादी, नाना और नानी के खिलाफ हमने शादी की थी.
मैंने भी बहुत दुनिया देखीं है...कहने वाले हमेशा से कहते रहेंगे.. और ताने मारते रहेंगे लेकिन तुम उनकी चिंता मत करो और याद रखना मुश्किल समय में तुम्हे अपने ही काम आने वाले है ना की ये समाज..
दीपू कहता है … आप चिंता मत करो पिताजी. .. माँ और निशा को मैं अच्छे से देखभाल करूंगा और उन्हें कोई दुःख नहीं दूंगा.. आप को कुछ नहीं होगा. बस जल्दी से ठीक हो कर घर आ जाईये. हम सब आपका इंतज़ार कर रहे है घर आने के लिए.
वसु से: तुम भी अपने दोनों बच्चों को बहुत प्यार देना. .. हम दोनों की प्रेम की निशानी है
वसु ये सब बातें सुनकर बहुत रो रही थी.. वसु भी अपने पति से कहती है की उन दोनों को बहुत प्यार देगी और एक अच्छा इंसान बनाएगी
फिर कुछ देर बाद वसु अपने बच्चों को बाहर भेज देती है और उसके पति के पास आती है और थोड़ा असमँझ में रहती है.
उसका पति धीरे से उससे पूछता है की क्या हुआ है.. ऐसे क्यों खड़ी हो?
वसु कुछ सोचती है और फिर धीरे से उसे कहती है....मैं तुम्हे एक बात बताया नहीं है.
क्या?
वसु: तुम्हे पता है ना की मैं बाबा के पास गयी थी और बाबा से मैंने दीपू की कुंडली के बारे में पुछा था
हाँ
वसु: मैंने तुम्हे पूरी बात नहीं बतायी. ..
क्या नहीं बताया?
वसु: यही की बाबा ने दीपू के बारे में और भी कुछ बताया था. ..
क्या बताया था ..
वसु: हम बहुत भाग्यशाली है की दीपू आगे जा कर एक होनहार लड़का होगा और वो सब बातें जो बाबा ने वसु से कहा था वो उसके पति को बताती है.
वसु का पति उसकी पूरी बात सुनकर थोड़ा आश्चार्य हो जाता है लेकिन फिर से कहता है की अच्छी बात है. .. शायद अब मैं ज़्यादा दिन ना रहूँ लकिन दीपू तुम्हे और निशा की अच्छी देखभाल करेगा. .. मुझे इससे ज़्यादा और क्या चाहिए?
वैसे भी उसमें तुम्हारे ही गुण है.
वसु: मतलब?
धीरे से वसु को अपने पास बुला के: वो तुम्हारी तरह एकदम सुन्दर होगा जैसे पुजारी ने बताया था…तुम बिस्तर में जितनी जंगली बनती हो और मुझे तो पूरा थका देती हो, शायद तुम्हारा बेटा भी वैसे ही हो.. और हस देता है.
वसु: चुप रहो तुम.. ये भी कोई समय है ऐसी बातें करने का..
मुझे पूरा विश्वास है की तुम जितनी अच्छी हो हमारे बच्चे भी उतने ही अच्छे होंगे और तुम्हारी देखभाल करेंगे ख़ास कर के दीपू. तुम उसकी चिंता मत करो और अपने बच्चों को अच्छा इंसान बनने में मदत करो. मुझे और कुछ नहीं चाहिए.
वसु ये सब सुनते हुए उसकी आँखों में आंसू आ जाते है और उसके पति को अच्छे से गले लगा लेती है. इतने में डॉक्टर आ जाता है और कहता है की और ज़्यादा बात करना उनके सेहत के लिए अच्छा नहीं है और वसु को बाहर भेज देता है.
अगले दो दिन में उसकी हालत में कोई सुधार नहीं होता और फिर और तीसरे दिन उसकी मौत हो जाती है.
वसु को बहुत ज़ोर का झटका लगता है..उसके पती की मौत की खबर सुन कर उसके घर वाले भी उनसे मिलने आतें है. .. नाना, नानी, मामा, मामी ,चाचा, चाची और सभी बहुत दुःख भी थे. ..
(इन सब characters kaa introduction बाद में समय आने पर दूंगा)
घर में दुःख छा जाता और वसु की हालत बहुत ख़राब हो जाती है. .. लेकिन उसे सब धैर्य देते है और उसे संभालते है
कुछ दिनों बाद घर के सब कार्य करने के बाद सब लोग वापस अपने घर चले जाते है. .. जाते वक़्त वसु के माता पिता वसु की छोटी बेहन दिव्या को उसके पास रहने को कहते है. .. वसु मना करती है लेकिन वो मानते नहीं है और कहते है की दिव्या उसके साथ ही रहेगी और उसके बच्चों को भी देखभाल में उसकी मदत करेगी.
वसु भी आखिर में मान जाती है और दिव्या भी उनके साथ रहने लगती है.
दिव्या भी इसी तरह से इस परिवार में जुड़ जाती है.
आगे देखते है क्या होता है….