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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

Raj Kumar Kannada

Good News
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सभी पाठकों को रक्षा बंधन की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं
🥳🥳🥳🥳

इस फोरम के सदस्यों खास कर मेरे कहानी के पाठकों के लिए ये दिन खास होता है :jerker:
तो आप सभी के लिए ये दिन कामोत्तेजना से भरपूर हो और सबके साथ कुछ शुभ लाभ हो


Happy rakshabandhan
💖💐

Happy rakshabandhan to u bhai ❤️
 

Akaash04

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💥 अध्याय : 02 💥

UPDATE 16 (A)


रागिनी-अनुज स्पेशल


" अरे देखो तो , इसका नाटक " , रागिनी ने मुस्कुरा कर अनुज को देखा और फिर जबरन उसके कंबल में जाने लगी
अनुज भूनक कर : क्या कर रहे हो मम्मी यार आप
रागिनी : अरे मुझे ठंडी लग रही है , खिसक न ऊहूहु कितनी गलन है
रागिनी हंसती हुई जबरन अनुज के कंबल में घुस गई

अनुज फिर भी करवट लेकर अपनी मां की ओर पीठ किए पढ़ रहा था राज के बिस्तर में ।
लेकिन पढ़ाई हो कहा रही थी , उसके मा का यूं कम्बल के घुसना और उसकी कमर का अनुज के पीठ में गुदाज मुलायम स्पर्श उसे अंदर से गुदगुदी कर रहा था । जबरन आंखे गड़ाए वो किताब देख रहा था , जबकि उसे तो नोट्स लिखने थे ।

रागिनी : आज की रात मै भी यही सो जाती हूं , कितनी ठंडी है दादा
अनुज अभी भी गुस्सा था तो पिनक कर अपनी मां को बिना देखे : क्यों आपके बिस्तर में भी कम्बल है न
रागिनी हंसते हुए सरक कर कंबल में नीचे जाते हुए : वहा तुझे ऐसे पकड़ कर सोने को नहीं मिलेगा न हीहीहीही
रागिनी ने एकदम से अनुज की टीशर्ट में अपने ठंडे हाथ घुसा कर उसके पेट को छुआ और अनुज छटकते हुए हसने लगा : क्या मम्मी छोड़ो न कितना ठंडा हाथ है आपका
रागिनी उसको पीछे से पकड़ कर अपनी ओर कस ली , अनुज को अपनी मां की नरम छातियां अपने पीठ पर महसूस हुई और उसका लंड लोवर में झटका देने लगा : उम्ममम
वो सिसक पड़ा
रागिनी : भूल गया जब तू छोटा था और तुझे ठंड लगती थी तो ऐसे ही तुझे अपने सीने से लगा कर सुलाती थी , अब मुझे लग रही है तो नाटक कर रहा है ।
अनुज को अपनी मां की बचकानी बातें सुनकर हसी आ रही थी लेकिन उसके बदन का स्पर्श उसे कामोत्तेजित भी कर रहा था ।
अनुज उसकी ओर गर्दन फेर कर सीधा होता हुआ : तो क्या अब आप मेरे सीने पर सोओगे
रागिनी बिना एक पल सोचे अपना हाथ उसके टीशर्ट में पेट से सरका कर उसके सीने पर ले गई ,जो अब रागिनी के करीब आने से तवे की तरह तप रहा है : उफ्फ कितना गर्म है रे तू
अनुज की सांसे चढ़ने लगी जब उसने अपनी मां की नरम हथेली अपने सीने पर महसूस की , नीचे लोवर ने तम्बू बन गया था और चेहरा लाल होने लगा था ।
रागिनी मुस्कुरा कर उसके सीने पर सर कर ली : बिल्कुल सोऊंगी , अह्ह्ह्ह्ह कितना आराम है उम्मम अब तो लग रहा है तेरे पापा को छोड़ कर तेरे साथ ही सोना पड़ेगा सारी सर्दी

उसकी मां के मुंह से निकले एक एक शब्द अनुज को गहरी काम कल्पनाओं से भर दे रहे थे ,उसपर से रागिनी उससे एकदम लिपटी हुई थी ।
अनुज खुद को संभालता हुआ : क्यों ?
रागिनी : भाई मुझे बहुत सर्दी लगती है और आगे अभी ठंडी तो बहुत पड़ेगी । तो मै तेरे पास ही सोऊंगी तुझे पकड़ कर
अनुज खुद की सांसे काबू करता हुआ : और पापा
रागिनी : अच्छा बच्चू, मम्मी इतना प्यार करती है उसकी फिकर नहीं है पापा का बड़ा ध्यान है , हूह
अनुज अपनी को मुंह बनाता देख मुस्कुरा : नहीं ऐसा नहीं है , मतलब उनको आदत नहीं होगी न अकेले सोने की
रागिनी तुनक कर तुरंत अनुज के बात का जवाब देती हुई : उनको मेरे होने न होने क्या फर्क , दो दिन हो गए फोन भी आया हूह
अनुज अपने दिल का डर बयां करने लगा : फिर भी वापस आयेंगे तो आप चले जाओगे न
रागिनी उसकी देख कर उसके गाल छूती हुई : अच्छा लगता है मम्मी के पास सोना
अनुज मासूम सा मुंह बना कर : हम्ममम
लेकिन रागिनी की ममता एक पल में चूर हो जाती अगर उसका हाथ ऊपर की जगह नीचे होता , नीचे अनुज का लंड फौलादी हुआ जा रहा था , सुपाड़ा अपनी खोल से निकलने की राह देख रहा था और लंड खूंटे की तरह अकड़ा हुआ ।
रागिनी : अच्छा ठीक है , मै तेरे पापा को बोल दूंगी कि अब मै मेरे बेटे के साथ सोऊंगी , वो जाए दूसरी बीवी ले आए
अनुज : क्या ? भक्क नहीं
रागिनी हसने लगी : अच्छा अब तो नाराज नहीं है न मुझसे मेरा बेटा
अनुज मुंह बिगाड़ कर : किसने बोला , मै तो नाराज हूं
रागिनी : अच्छा बच्चू बताऊं , करु गुदगुदी
अनुज एकदम से खिलखिलाने लगा , कम्बल के अंदर हलचल होने लगी अनुज पैर झटकने लगा और रागिनी उसको खिलखिलाता देख खुश थी ।
फिर वो रुक गई और दोनों एक दूसरे को देखने लगे ।
अनुज की आंखों में सवाल स्पष्ट रूप से तैर रहा था जिन्हें रागिनी समझ रही थी और उसका दिल बेचैन होने लगा । चेहरे की रौनक मद्धम पड़ने लगी और सांसे तेज होने लगी ।
उस चुप्पी में दोनों के दिल जोरो से धड़क रहे थे ।

रागिनी ने आंखों से इशारा करते हुए : क्या हुआ बोल न
अनुज उसकी ओर से मुंह घूमा कर छत की सीलिंग फैन को देखने लगा : जब आप बताओगे नहीं तो क्या ?
रागिनी समझ रही थी मगर अनुज उसकी नजरो में अभी वो छोटा बच्चा था, उसे उसके ऐसे ही खेलना मस्ती करना , उसे सताना और फिर मनाना। रागिनी समझ रही थी कि दसवीं कक्षा के लड़के की उम्र में जिज्ञासा बढ़ रही होगी । मगर उसके लिए अनुज अभी भी बहुत भोला था , भावनाओं से भरा हुआ , मासूम और उसका दुलारा उसकी जान से भी बढ़ कर ।
वो परेशान थी और चुप भी , वो सोच रही थी काश इस वक्त उसकी किसी तरह अपनी बड़ी बहन रज्जो से बात हो जाती तो शायद वो इस बात का हाल दे देती । मगर फिलहाल ऐसी कोई व्यवस्था मुमकिन नहीं थी , ऐसे में रागिनी ने सोचा कि अगर उसकी जगह रज्जो होती तो वो कैसे इस असहज माहौल को सही करती क्योंकि रज्जो ऐसे असहज माहौल को हैंडल करने में बहुत हद तक अच्छी थी । रागिनी के दिमाग में रज्जो की कई सारी बातें आ रही थी और तभी उसका दिमाग चल गया । शायद ये तरीका कारगार हो जाए ।
रागिनी : मै बत्ती बुझा दूं
अनुज चुप रहा कुछ बोला नहीं तो रागिनी ने उठ कर बत्ती बुझा दी और वापस कम्बल में आ गई ।
अनुज अभी भी शांत था और रागिनी उसके बगल में सीधी लेट गई
रागिनी : एक वादा करेगा
अनुज अचरज से अंधेरे में अपनी मां की आवाज पर उसकी ओर देखता हुआ : क्या ?
रागिनी : ये बात किसी से कहेगा तो नहीं न
अनुज : कौन सी बात ?
रागिनी : अरे जो मै अभी बताने वाली हूं, तूने पूछा न वो अंडर गारमेंट किसकी है और उसे कौन पहनता है ।
अनुज की सांसे तेज होने लगी उसका लंड अकड़ने लगा : ठीक है , नहीं कहूंगा , बताओ अब
रागिनी अपना गला साफ कर रही थी उसे थोड़ी हंसी भी आ रही थी
अनुज : अब बोलो न
रागिनी : बता रही हूं न , तू तेरे नाना के बारे में जानता ही है कि वो थोड़े रोमेंटिक है
अनुज टोक कर : थोड़े ?
रागिनी को हंसी आई : हा मतलब ज्यादा वाले है , लेकिन एक बात है जो तू नहीं जानता।
अनुज : क्या ?
रागिनी : कि जब अम्मा थी तो भी बाऊजी के शौक थे अलग अलग औरतों के साथ वो सब करने का
ये सुनते ही अनुज का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा और अनुज उसको पकड़ कर भींचने लगा : क्या ? सच में और नानी को पता नहीं था ।
रागिनी मुस्कुरा कर : पता था उनको भी
अनुज : क्या सच में
रागिनी : हा भाई , और अम्मा तो बाउजी के लिए हेल्प भी करती थी ।
अनुज : हेल्प ? मतलब नानी दूसरे औरतों को बुलाती थी नाना के लिए
रागिनी : भक्क नहीं , वैसे नहीं
अनुज : तो ?
रागिनी अटक कर : वो अम्मा बाउजी के लिए उस औरत के कपड़े पहन कर तैयार होती जिसको बाउजी पसंद करते थे
अनुज एकदम सन्न हो गया उस लंड लोवर में अकड़ गया
अनुज : नानी को गुस्सा नहीं आता कि नानू को दूसरी औरते पसंद है
रागिनी मुस्कुराने लगी : पता नहीं लेकिन अम्मा को कभी बाउजी से झगड़ते नहीं देखा , अम्मा घर में काम करने वाली औरतों और दूसरे मेहमानों के कपड़े पहन कर बाउजी के पास जाती थी ।

अनुज का लंड अकड़ रहा था लेकिन इसके दिमाग में सवाल उठ रहे थे : तो क्या नानू को घर आए रिश्तेदारों को भी पसंद करते थे ।
रागिनी थोड़ी असहज होकर : अब करते ही होंगे तभी न अम्मा उनके कपड़े पहनती थी और एक बार को तो ....
अनुज : क्या ?
रागिनी : कुछ नहीं
अनुज : बताओ न
रागिनी : एक बार तो सुलोचना बुआ आई थी घर ...
अनुज का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा कि उसके नाना अपनी बहन को भी चोदना चाहते थे : तो क्या नानी ने उसे भी पहन लिया ?
रागिनी की सांसे तेज थी: हम्ममम
फिर कुछ देर की चुप्पी बनी रही और अनुज : लेकिन इन सब का उस अंडर गारमेंट से क्या लेना देना।

रागिनी की सांसे अब अफ़नाने लगी और वो थोड़ा हिचक रही थी : दरअसल तेरे पापा भी कुछ कुछ तेरे नाना जैसे है
अनुज एकदम से चौक गया : क्या ?
रागिनी चुप थी
अनुज की बेताबी बढ़ गई उसके दिमाग में ढेरों कल्पनाओं और जिज्ञासाओं ने घर करना शुरू कर दिया ।
अनुज: तो क्या पापा भी दूसरी औरतों के साथ वो सब करते हैं?
रागिनी : धत्त, उन्हें कौन इस उम्र में घास डालेगी
अनुज कंबल में अपना सुपाड़ा मिज कर : फिर ?
रागिनी मुस्कुरा कर : मुझे ही कपड़े पहनने पड़ते है उनके लिए
अनुज का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा , मानो सारी नसे खून उसके लंड के आस पास ही दौड़ा रही थी । अपने पापा के बारे में ऐसी बातें उसे कामोत्तेजना से भर देती है ।
अनुज ने दिमाग में जो ख्याल चल रहे थे उससे उसका सुपाड़ा बुरी तरह से खुजा रहा था और वो उसको अपने हथेली के मिजते : तो आपने किसके किसके कपड़े पहने है अब तक
रागिनी एकदम से लजा गई : धत्त वो क्यों जानना है तुझे
अनुज : बताओ न मम्मी प्लीज
रागिनी अब खुद के ही बनाए जंजाल में फंस गई थी उसे उम्मीद थी कि वो कहानी सुनाएगी और बात को घुमा ले जायेगी , लेकिन यहां तो अनुज ने सवाल करना शुरू कर दिया , अब उसे समझ नहीं आ रहा था कि किसका नाम ले , अगर मुहल्ले या किसी ऐसी बाहरी औरत का नाम लिया और अनुज ने कौतूहल में जांच पड़ताल कर दी चीजें बिगड़ जायेगी क्योंकि अभी भी उसके जहन अनुज का भोलापन वाला ही किरदार बसा था , उसे कोई ऐसा नाम चाहिए था जिसे जरूरत पड़ने पर वो अपने हिसाब से उस इंसान से बात कर स्थिति अपने काबू में रख पाए और उसके जहन में एक ही चेहरा याद आ रहा था जो शायद उसकी गलतियों को अपने हिसाब से सुधार सके अगर भविष्य में इसकी कोई गुंजाइश हुई तो ।
रागिनी : तू किसी को कहेगा तो नहीं
अनुज का लंड मुंह खोलकर अकड़ रहा था : नहीं
रागिनी कुछ देर चुप हुई : सबसे ज्यादा तो मैने रज्जो दीदी की साड़ी पहनी है ।
रज्जो का जिक्र आते ही अनुज का लंड पूरा फूल गया , उसका सुपाड़ा जलन से भर गया लंड एकदम खूंटे जैसा टाइट उस सख्ती ने उसके लंड के दर्द सा भी उठने लगा । इतनी उत्तेजना अब तक कभी अनुज ने महसूस नहीं की थी ।
उसके दिमाग में अब रज्जो मौसी और उसके पापा की छवि चल रही थी। उसके जहन में सोनल की शादी के दिनों में वो पल याद आ रहे थे जब उसके पापा ने उसकी रज्जो मौसी को किचन में पीछे से उसकी मां समझ कर पकड़ लिया था और सब कुछ जानने के बाद भी उसके पापा ने रज्जो की कमर से हाथ नहीं हटाए और रज्जो मौसी ने कितनी बेशर्मी से हस कर कहा था
" क्यू आपको मेरे और रागिनी के पिछवाड़े मे कोई अन्तर नही मिलता क्या? खुब समझती हू आपकी चालाकिया जमाई बाबू "
अनुज अपने मन में बड़बड़ाया : इसका मतलब सच में उसके पापा मौसी को पेलना चाहते है तभी तो उसकी मां रज्जो मौसी के कपड़े पहनती है ।
रागिनी अनुज को चुप देख कर : क्या सोच रहा है
अनुज अपने ख्यालों से निकल कर : बस साड़ी ?
रागिनी थोड़ी लजाती हुई मुस्कुरा कर : हा , मतलब सारे कपड़े , ब्रा पैंटी सब
अनुज हलक से थूक गटक कर : और पापा आपको फिर क्या कह कर बुलाते थे

रागिनी समझ रही थी कि अनुज के दिमाग में इस वक्त चीजें तेजी से चल रही होगी और वो इनसब को अपने हिसाब से जोड़ तोड़ भी रहा होगा ।
रागिनी : वो सब क्यों जानना है तुझे
अनुज तड़प कर : बताओ न मम्मी प्लीज
अनुज तड़प रहा था और सोच रहा था कि क्या जो वो सोच रहा है वैसा ही उसके पापा करते होंगे उसकी मां के साथ , और अगर चीजें उसकी कल्पनाओं के जैसी ही घटित हो रही होगी तो । अनुज अपने ही ख्यालों से बेचैन हो उठा और एक तीव्र कामोत्तेजना से वो भर गया । सांसे चढ़ने लगी पूरे बदन में गर्मी बढ़ने लगी जिसे रागिनी भी महसूस कर रही थी । लेकिन उसकी कमर और जांघों के पास खून का बहाव बढ़ गया , वहा जलन भरा दर्द अकड़न सा होने लगा
रागिनी : तुझे नहीं पता तेरे पापा तेरी मौसी को क्या कहते है
अनुज एकदम से अकड़ने लगा उसके जहन उसकी मौसी की नंगी छवियां उठने लगी जिसमें उसके पापा उसकी मौसी को झुका कर पेल रहे है " ओह जीजी आपकी गाड़ कितनी बड़ी है आह्ह्ह्ह"

रागिनी : क्या हुआ
अनुज ने अपना हाथ अब लंड से हटा लिया था , उसे डर था कि अब उसने वहा छेड़छाड़ की तो पक्का उसका लंड बह जाएगा और गलती से इसकी भनक उसकी मां को हो गई तो गड़बड़ हो जायेगी ।
अनुज थोड़ा हिचक कर : कुछ नहीं
रागिनी को थोड़ा शक हुआ कि जरूर उसके मन में कुछ चल रहा है : बोल न क्या सोच रहा है
अनुज : कुछ नहीं वो मै सोच रहा था कि पापा ऐसे कैसे कर सकते हैं, ये तो आपके साथ गलत हुआ न
रागिनी मुस्कुरा दी ये सोच कर कि इतनी गंभीर बात पर अनुज को अभी उसके मा की फिक्र है : नहीं तो , किसने कहा । हा गलत होता अगर वो मुझसे छिप कर ये सब करते । उनके दिल में जो भी था उन्होंने मुझसे खुल कर कहा कभी कोई बात नहीं छिपाई और फिर रज्जो दीदी जैसी औरत किसे भला नहीं भाएगी ।
अनुज : फिर भी उनकी शादी तो आपसे हुई है न
अनुज की बात सही थी लेकिन , चूंकि रागिनी रायता फैला चुकी थी तो समेटना उसे ही था और वो अनुज को समझाने लगी : देख बेटा इस दुनिया में जितने आदमी है मेरे ख्याल लगभग उतनी ही औरतें आधी आधी क्यों ?
अनुज ने हुंकारी भरी
रागिनी : हा तो तू ही बता वो इंसान सच्चा है जो ये कहे कि मै मेरी बीवी के अलावा किसी दूसरे औरत को नहीं देखता या फिर वो जो स्वीकार करें कि इतनी बड़ी दुनिया आंखे बंद करके और मन को बांध कर नहीं जिया जा सकता है । चाहते न चाहते हुए भी दूसरी औरतों पर नजर चल जाती है ।

अनुज के पास अपनी मां के तर्कों का कोई तोड़ नहीं था : दूसरा वाला सही होगा
रागिनी : फिर तू ही बता तेरे पापा जो कि उन्होंने मुझे साफ साफ अपने मन की बात बता दी क्या वो गलत है
अनुज चुप होकर : नहीं
लेकिन अनुज के मन एक ही सवाल आ रहा था लेकिन उसके दिल में डर था मगर अब उसने हिम्मत बांध लिया
अनुज : एक बात पूछूं मम्मी
रागिनी : क्या बोल
अनुज : अगर पापा सचमुच में मौसी के साथ करने को कहे तो ?
रागिनी एकदम से चौक गई , उसे इस सवाल की बिल्कुल उम्मीद नहीं थी ।
लेकिन अब रागिनी के पास पीछे लौटने का कोई रास्ता नहीं था ।
रागिनी थोड़ा हिचक कर : अगर दीदी को ऐतराज नहीं होगा तो मै नहीं रोकूंगी ।
अनुज : क्या सच में
रागिनी : हा , लेकिन तू इनसब बातों को इतना बड़ा क्यों बना रहा है । अगर तेरे पापा मुझे बता कर तेरी मौसी से वो सब करते है तो ये कोई धोखा नहीं हुआ न ।
अनुज : हम्ममम
रागिनी : और कोई सवाल
अनुज : वो अंडरगार्मेंट किसके है
रागिनी को हंसी आई : जानती थी , बदमाश कही का वही पूछेगा ।
अनुज : बताओ न मम्मी, सब तो बता दिया तो उसे क्यों नहीं ।
रागिनी : बता रही हूं लेकिन इसमें तेरे पापा की कोई गलती है समझा । उनको बुरा भला मत कहना । वो बस तेरी मौसी के ही दीवाने है किसी और के नहीं । ये बस मेरी शरारत थी और कुछ नहीं ।
अनुज सोच में पड़ गया आखिर ऐसी क्या बात होगी , उसकी बेचैनी बढ़ने लगी ।
अनुज ने हुंकारी भरी
रागिनी : बात दरअसल तब की है जब सोनल की शादी का शगुन जाना था , तो उसमें सोनल की सास का भी शगुन और कपड़े भेजने थे तो शादी ब्याह में समधन लोगों का आपस में हसी ठिठौली चलती है । तो मैने सोनल की सास ने बातों बातों में उसके अंडर गारमेंट का साइज पूछ लिया और तेरे पापा को जिम्मेदारी दे दी कि वो शहर अपनी समधन के नाप की ब्रा पैंटी लेकर आए ।
अनुज चौक कर : सच में ? और वो लाए ?
रागिनी पुरे विश्वास से : लाएंगे क्यों नहीं हीहीहीही , पता है वो बता रहे थे कि उन्हें बड़ी शर्म आ रही थी खरीदते हुए
अनुज मुस्कुराने लगा और उसका मन भी थोड़ा हल्का हो गया था लेकिन लंड ने अकड़ने बरकरार थी : फिर ?
रागिनी खुश हो रही थी कि अनुज को उसकी कहानी में रस आ रहा है : फिर क्या सारी चीजें शगुन में भेज सकती दी मैने , बाद में पता चला कि सोनल की सास के कूल्हे बड़े है और पैंटी छोटी
अनुज : कितने नंबर की थी
रागिनी : 50 , बाद में सोनल की सास ने बताया कि काफी समय से वो नीचे कुछ पहनती नहीं है और इधर उनका वजन बढ़ गया है
अनुज समझ रहा था लेकिन उसने की कोई टिप्पणी नहीं की ।
रागिनी : फिर मैने राज से बात कर दो नंबर बड़ी ऑनलाइन मंगवाया और शादी के बाद चौथ में नई वाली देकर पुरानी वाली लेली ।
अनुज : भक्क सच में , इतना मतलब ये ममता आंटी का है
रागिनी : हा उन्हीं का है
अनुज : तो क्या आपने इसे भी पहना था पापा के लिए जो धूल कर डाली थी ।
रागिनी हंस कर : पहना नहीं था लेकिन पहनने वाली थी इसलिए धूल कर रखा था और तौलिए से छुपाया भी था । लेकिन मुझे क्या पता था कि मेरे घर में एक जासूस है जो चीजे खोजता है ।
अनुज : अरे , मैने खोजी नहीं , बस तौलिया खींचा तो गिर गई थी ।
रागिनी : चल ठीक है , अब पता चल गया न तो सो जा । कल संडे है कितने काम है ।
कुछ देर अनुज चुप रहा और रागिनी भी समझ रही थी कुछ देर वो कुछ पूछेगा जरूर
अनुज : तो क्या पापा को पता है कि आप लेकर आए हो ममता आंटी की ब्रा पैंटी
रागिनी : नहीं, उनके लिए सरप्राईज रहेगा ये
अनुज का लंड फिर से फड़फड़ाने लगा और एक नई कल्पना ने उसे घर कर लिया
ममता , भरा लंबा चौड़ा बदन , बाहर निकले हुए हौद जैसे चूतड़ और बड़े बड़े पपीते जैसे चूचे, कामुक गोरा चेहरा । उफ्फ अनुज को याद आ रहा था अपने दीदी की शादी में उसने हाथ उठा कर बस उन्हें थोड़ा सा डांस करते देखा था , सबकी नजर उसके उछलते चुचे पर थी और जब एक जगह वो मण्डप में झुकी थी कुछ देने के लिए उसके बड़े बड़े चौड़े चूतड़ साड़ी ऐसे फैल गए थे मानो पहाड़ ।
अनुज का लंड फड़कने लगा ।
अनुज : तो क्या पापा को ममता आंटी भी पसंद है
रागिनी हसने लगी : पता नहीं लेकिन जब मैने उन्हें उस नाप की ब्रा पैंटी लाने को कही थी तो वो कह रहे थे कि... हीही ( रागिनी बातों को कैज़ुअल रखते हुए हस रही थी ताकि उसे असहजता न हो अनुज मजाक ही समझे )
अनुज : क्या
रागिनी : वो कह रहे थे कि मुरारी भाई की किस्मत बहुत बड़ी है हिहीही , तो मैने सोचा अब तेरे पापा अपनी किस्मत पर अफसोस करें अच्छा थोड़ी लगेगा तो उनके लिए सरप्राईज रखने का सोचा है ।
अनुज : तो कब पहनोगे आप उसको
रागिनी एकदम से चौक गई , उसे बिल्कुल भी यकीन नहीं था कि अनुज एकदम से उससे ऐसे सवाल पूछ लेगा ।
रागिनी समझ रही थी कि वो अगर इस बात को आगे बढ़ाएगी तो अनुज के सवाल कम नहीं होंगे बल्कि उसके पास बात बनाने के लिए कुछ बचेगा भी नहीं इसीलिए उसने उसको फुसलाने के कहा : जब पहनूंगी तो बता दूंगी तुझे , ठीक है मेरे जासूस
अनुज जासूस शब्द पर हसने लगा : हीहीही
रागिनी : और नहीं तो क्या नहीं तू खोज बिन करता रहेगा ।
अनुज हंसता रहा और रागिनी ने उसे अपने पास खींच कर उसके सीने पर वापस अपना सर रखती हुई : चल अब मुझे सुला दे
अनुज हसने लगा कि उसकी मम्मी उससे लिपट कर बच्चों जैसी हरकते कर रही थी , जबकि अभी 10 मिनट पहले वो झड़ने के करीब था ।
उसने अपनी मां को पकड़ लिया और रागिनी ने उसके सीने पर हाथ रख कर उसके ऊपर पैर फेक दी ।
संजोग की ही बात थी कि रागिनी का घुटना अनुज के लोवर में बने तंबू से कुछ इंच ही नीचे था और अनुज की सास अटक कर वापस से चलने लगी ।
अनुज भी समझ रहा था कि आज की रात अब इससे अधिक कुछ नहीं होने वाला और इससे बड़ी बात क्या होती कि उसकी मां उसकी बाहों में है और वो भी अपनी मां को अपनी बाहों में भर कर सो गया ।
एक नए सवेरे और नए सपने संजोते हुए जिसमें सिर्फ वो और उसकी मां थी ।

जारी रहेगी
Good update but still ragini shouldn't be think anuj as child but okay
Now after this update my penis become Rock can't wait to see what happens next try to give next part as soon as possible
 

ajaydas241

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💥 अध्याय : 02 💥

UPDATE 16 (A)


रागिनी-अनुज स्पेशल


" अरे देखो तो , इसका नाटक " , रागिनी ने मुस्कुरा कर अनुज को देखा और फिर जबरन उसके कंबल में जाने लगी
अनुज भूनक कर : क्या कर रहे हो मम्मी यार आप
रागिनी : अरे मुझे ठंडी लग रही है , खिसक न ऊहूहु कितनी गलन है
रागिनी हंसती हुई जबरन अनुज के कंबल में घुस गई

अनुज फिर भी करवट लेकर अपनी मां की ओर पीठ किए पढ़ रहा था राज के बिस्तर में ।
लेकिन पढ़ाई हो कहा रही थी , उसके मा का यूं कम्बल के घुसना और उसकी कमर का अनुज के पीठ में गुदाज मुलायम स्पर्श उसे अंदर से गुदगुदी कर रहा था । जबरन आंखे गड़ाए वो किताब देख रहा था , जबकि उसे तो नोट्स लिखने थे ।

रागिनी : आज की रात मै भी यही सो जाती हूं , कितनी ठंडी है दादा
अनुज अभी भी गुस्सा था तो पिनक कर अपनी मां को बिना देखे : क्यों आपके बिस्तर में भी कम्बल है न
रागिनी हंसते हुए सरक कर कंबल में नीचे जाते हुए : वहा तुझे ऐसे पकड़ कर सोने को नहीं मिलेगा न हीहीहीही
रागिनी ने एकदम से अनुज की टीशर्ट में अपने ठंडे हाथ घुसा कर उसके पेट को छुआ और अनुज छटकते हुए हसने लगा : क्या मम्मी छोड़ो न कितना ठंडा हाथ है आपका
रागिनी उसको पीछे से पकड़ कर अपनी ओर कस ली , अनुज को अपनी मां की नरम छातियां अपने पीठ पर महसूस हुई और उसका लंड लोवर में झटका देने लगा : उम्ममम
वो सिसक पड़ा
रागिनी : भूल गया जब तू छोटा था और तुझे ठंड लगती थी तो ऐसे ही तुझे अपने सीने से लगा कर सुलाती थी , अब मुझे लग रही है तो नाटक कर रहा है ।
अनुज को अपनी मां की बचकानी बातें सुनकर हसी आ रही थी लेकिन उसके बदन का स्पर्श उसे कामोत्तेजित भी कर रहा था ।
अनुज उसकी ओर गर्दन फेर कर सीधा होता हुआ : तो क्या अब आप मेरे सीने पर सोओगे
रागिनी बिना एक पल सोचे अपना हाथ उसके टीशर्ट में पेट से सरका कर उसके सीने पर ले गई ,जो अब रागिनी के करीब आने से तवे की तरह तप रहा है : उफ्फ कितना गर्म है रे तू
अनुज की सांसे चढ़ने लगी जब उसने अपनी मां की नरम हथेली अपने सीने पर महसूस की , नीचे लोवर ने तम्बू बन गया था और चेहरा लाल होने लगा था ।
रागिनी मुस्कुरा कर उसके सीने पर सर कर ली : बिल्कुल सोऊंगी , अह्ह्ह्ह्ह कितना आराम है उम्मम अब तो लग रहा है तेरे पापा को छोड़ कर तेरे साथ ही सोना पड़ेगा सारी सर्दी

उसकी मां के मुंह से निकले एक एक शब्द अनुज को गहरी काम कल्पनाओं से भर दे रहे थे ,उसपर से रागिनी उससे एकदम लिपटी हुई थी ।
अनुज खुद को संभालता हुआ : क्यों ?
रागिनी : भाई मुझे बहुत सर्दी लगती है और आगे अभी ठंडी तो बहुत पड़ेगी । तो मै तेरे पास ही सोऊंगी तुझे पकड़ कर
अनुज खुद की सांसे काबू करता हुआ : और पापा
रागिनी : अच्छा बच्चू, मम्मी इतना प्यार करती है उसकी फिकर नहीं है पापा का बड़ा ध्यान है , हूह
अनुज अपनी को मुंह बनाता देख मुस्कुरा : नहीं ऐसा नहीं है , मतलब उनको आदत नहीं होगी न अकेले सोने की
रागिनी तुनक कर तुरंत अनुज के बात का जवाब देती हुई : उनको मेरे होने न होने क्या फर्क , दो दिन हो गए फोन भी आया हूह
अनुज अपने दिल का डर बयां करने लगा : फिर भी वापस आयेंगे तो आप चले जाओगे न
रागिनी उसकी देख कर उसके गाल छूती हुई : अच्छा लगता है मम्मी के पास सोना
अनुज मासूम सा मुंह बना कर : हम्ममम
लेकिन रागिनी की ममता एक पल में चूर हो जाती अगर उसका हाथ ऊपर की जगह नीचे होता , नीचे अनुज का लंड फौलादी हुआ जा रहा था , सुपाड़ा अपनी खोल से निकलने की राह देख रहा था और लंड खूंटे की तरह अकड़ा हुआ ।
रागिनी : अच्छा ठीक है , मै तेरे पापा को बोल दूंगी कि अब मै मेरे बेटे के साथ सोऊंगी , वो जाए दूसरी बीवी ले आए
अनुज : क्या ? भक्क नहीं
रागिनी हसने लगी : अच्छा अब तो नाराज नहीं है न मुझसे मेरा बेटा
अनुज मुंह बिगाड़ कर : किसने बोला , मै तो नाराज हूं
रागिनी : अच्छा बच्चू बताऊं , करु गुदगुदी
अनुज एकदम से खिलखिलाने लगा , कम्बल के अंदर हलचल होने लगी अनुज पैर झटकने लगा और रागिनी उसको खिलखिलाता देख खुश थी ।
फिर वो रुक गई और दोनों एक दूसरे को देखने लगे ।
अनुज की आंखों में सवाल स्पष्ट रूप से तैर रहा था जिन्हें रागिनी समझ रही थी और उसका दिल बेचैन होने लगा । चेहरे की रौनक मद्धम पड़ने लगी और सांसे तेज होने लगी ।
उस चुप्पी में दोनों के दिल जोरो से धड़क रहे थे ।

रागिनी ने आंखों से इशारा करते हुए : क्या हुआ बोल न
अनुज उसकी ओर से मुंह घूमा कर छत की सीलिंग फैन को देखने लगा : जब आप बताओगे नहीं तो क्या ?
रागिनी समझ रही थी मगर अनुज उसकी नजरो में अभी वो छोटा बच्चा था, उसे उसके ऐसे ही खेलना मस्ती करना , उसे सताना और फिर मनाना। रागिनी समझ रही थी कि दसवीं कक्षा के लड़के की उम्र में जिज्ञासा बढ़ रही होगी । मगर उसके लिए अनुज अभी भी बहुत भोला था , भावनाओं से भरा हुआ , मासूम और उसका दुलारा उसकी जान से भी बढ़ कर ।
वो परेशान थी और चुप भी , वो सोच रही थी काश इस वक्त उसकी किसी तरह अपनी बड़ी बहन रज्जो से बात हो जाती तो शायद वो इस बात का हाल दे देती । मगर फिलहाल ऐसी कोई व्यवस्था मुमकिन नहीं थी , ऐसे में रागिनी ने सोचा कि अगर उसकी जगह रज्जो होती तो वो कैसे इस असहज माहौल को सही करती क्योंकि रज्जो ऐसे असहज माहौल को हैंडल करने में बहुत हद तक अच्छी थी । रागिनी के दिमाग में रज्जो की कई सारी बातें आ रही थी और तभी उसका दिमाग चल गया । शायद ये तरीका कारगार हो जाए ।
रागिनी : मै बत्ती बुझा दूं
अनुज चुप रहा कुछ बोला नहीं तो रागिनी ने उठ कर बत्ती बुझा दी और वापस कम्बल में आ गई ।
अनुज अभी भी शांत था और रागिनी उसके बगल में सीधी लेट गई
रागिनी : एक वादा करेगा
अनुज अचरज से अंधेरे में अपनी मां की आवाज पर उसकी ओर देखता हुआ : क्या ?
रागिनी : ये बात किसी से कहेगा तो नहीं न
अनुज : कौन सी बात ?
रागिनी : अरे जो मै अभी बताने वाली हूं, तूने पूछा न वो अंडर गारमेंट किसकी है और उसे कौन पहनता है ।
अनुज की सांसे तेज होने लगी उसका लंड अकड़ने लगा : ठीक है , नहीं कहूंगा , बताओ अब
रागिनी अपना गला साफ कर रही थी उसे थोड़ी हंसी भी आ रही थी
अनुज : अब बोलो न
रागिनी : बता रही हूं न , तू तेरे नाना के बारे में जानता ही है कि वो थोड़े रोमेंटिक है
अनुज टोक कर : थोड़े ?
रागिनी को हंसी आई : हा मतलब ज्यादा वाले है , लेकिन एक बात है जो तू नहीं जानता।
अनुज : क्या ?
रागिनी : कि जब अम्मा थी तो भी बाऊजी के शौक थे अलग अलग औरतों के साथ वो सब करने का
ये सुनते ही अनुज का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा और अनुज उसको पकड़ कर भींचने लगा : क्या ? सच में और नानी को पता नहीं था ।
रागिनी मुस्कुरा कर : पता था उनको भी
अनुज : क्या सच में
रागिनी : हा भाई , और अम्मा तो बाउजी के लिए हेल्प भी करती थी ।
अनुज : हेल्प ? मतलब नानी दूसरे औरतों को बुलाती थी नाना के लिए
रागिनी : भक्क नहीं , वैसे नहीं
अनुज : तो ?
रागिनी अटक कर : वो अम्मा बाउजी के लिए उस औरत के कपड़े पहन कर तैयार होती जिसको बाउजी पसंद करते थे
अनुज एकदम सन्न हो गया उस लंड लोवर में अकड़ गया
अनुज : नानी को गुस्सा नहीं आता कि नानू को दूसरी औरते पसंद है
रागिनी मुस्कुराने लगी : पता नहीं लेकिन अम्मा को कभी बाउजी से झगड़ते नहीं देखा , अम्मा घर में काम करने वाली औरतों और दूसरे मेहमानों के कपड़े पहन कर बाउजी के पास जाती थी ।

अनुज का लंड अकड़ रहा था लेकिन इसके दिमाग में सवाल उठ रहे थे : तो क्या नानू को घर आए रिश्तेदारों को भी पसंद करते थे ।
रागिनी थोड़ी असहज होकर : अब करते ही होंगे तभी न अम्मा उनके कपड़े पहनती थी और एक बार को तो ....
अनुज : क्या ?
रागिनी : कुछ नहीं
अनुज : बताओ न
रागिनी : एक बार तो सुलोचना बुआ आई थी घर ...
अनुज का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा कि उसके नाना अपनी बहन को भी चोदना चाहते थे : तो क्या नानी ने उसे भी पहन लिया ?
रागिनी की सांसे तेज थी: हम्ममम
फिर कुछ देर की चुप्पी बनी रही और अनुज : लेकिन इन सब का उस अंडर गारमेंट से क्या लेना देना।

रागिनी की सांसे अब अफ़नाने लगी और वो थोड़ा हिचक रही थी : दरअसल तेरे पापा भी कुछ कुछ तेरे नाना जैसे है
अनुज एकदम से चौक गया : क्या ?
रागिनी चुप थी
अनुज की बेताबी बढ़ गई उसके दिमाग में ढेरों कल्पनाओं और जिज्ञासाओं ने घर करना शुरू कर दिया ।
अनुज: तो क्या पापा भी दूसरी औरतों के साथ वो सब करते हैं?
रागिनी : धत्त, उन्हें कौन इस उम्र में घास डालेगी
अनुज कंबल में अपना सुपाड़ा मिज कर : फिर ?
रागिनी मुस्कुरा कर : मुझे ही कपड़े पहनने पड़ते है उनके लिए
अनुज का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा , मानो सारी नसे खून उसके लंड के आस पास ही दौड़ा रही थी । अपने पापा के बारे में ऐसी बातें उसे कामोत्तेजना से भर देती है ।
अनुज ने दिमाग में जो ख्याल चल रहे थे उससे उसका सुपाड़ा बुरी तरह से खुजा रहा था और वो उसको अपने हथेली के मिजते : तो आपने किसके किसके कपड़े पहने है अब तक
रागिनी एकदम से लजा गई : धत्त वो क्यों जानना है तुझे
अनुज : बताओ न मम्मी प्लीज
रागिनी अब खुद के ही बनाए जंजाल में फंस गई थी उसे उम्मीद थी कि वो कहानी सुनाएगी और बात को घुमा ले जायेगी , लेकिन यहां तो अनुज ने सवाल करना शुरू कर दिया , अब उसे समझ नहीं आ रहा था कि किसका नाम ले , अगर मुहल्ले या किसी ऐसी बाहरी औरत का नाम लिया और अनुज ने कौतूहल में जांच पड़ताल कर दी चीजें बिगड़ जायेगी क्योंकि अभी भी उसके जहन अनुज का भोलापन वाला ही किरदार बसा था , उसे कोई ऐसा नाम चाहिए था जिसे जरूरत पड़ने पर वो अपने हिसाब से उस इंसान से बात कर स्थिति अपने काबू में रख पाए और उसके जहन में एक ही चेहरा याद आ रहा था जो शायद उसकी गलतियों को अपने हिसाब से सुधार सके अगर भविष्य में इसकी कोई गुंजाइश हुई तो ।
रागिनी : तू किसी को कहेगा तो नहीं
अनुज का लंड मुंह खोलकर अकड़ रहा था : नहीं
रागिनी कुछ देर चुप हुई : सबसे ज्यादा तो मैने रज्जो दीदी की साड़ी पहनी है ।
रज्जो का जिक्र आते ही अनुज का लंड पूरा फूल गया , उसका सुपाड़ा जलन से भर गया लंड एकदम खूंटे जैसा टाइट उस सख्ती ने उसके लंड के दर्द सा भी उठने लगा । इतनी उत्तेजना अब तक कभी अनुज ने महसूस नहीं की थी ।
उसके दिमाग में अब रज्जो मौसी और उसके पापा की छवि चल रही थी। उसके जहन में सोनल की शादी के दिनों में वो पल याद आ रहे थे जब उसके पापा ने उसकी रज्जो मौसी को किचन में पीछे से उसकी मां समझ कर पकड़ लिया था और सब कुछ जानने के बाद भी उसके पापा ने रज्जो की कमर से हाथ नहीं हटाए और रज्जो मौसी ने कितनी बेशर्मी से हस कर कहा था
" क्यू आपको मेरे और रागिनी के पिछवाड़े मे कोई अन्तर नही मिलता क्या? खुब समझती हू आपकी चालाकिया जमाई बाबू "
अनुज अपने मन में बड़बड़ाया : इसका मतलब सच में उसके पापा मौसी को पेलना चाहते है तभी तो उसकी मां रज्जो मौसी के कपड़े पहनती है ।
रागिनी अनुज को चुप देख कर : क्या सोच रहा है
अनुज अपने ख्यालों से निकल कर : बस साड़ी ?
रागिनी थोड़ी लजाती हुई मुस्कुरा कर : हा , मतलब सारे कपड़े , ब्रा पैंटी सब
अनुज हलक से थूक गटक कर : और पापा आपको फिर क्या कह कर बुलाते थे

रागिनी समझ रही थी कि अनुज के दिमाग में इस वक्त चीजें तेजी से चल रही होगी और वो इनसब को अपने हिसाब से जोड़ तोड़ भी रहा होगा ।
रागिनी : वो सब क्यों जानना है तुझे
अनुज तड़प कर : बताओ न मम्मी प्लीज
अनुज तड़प रहा था और सोच रहा था कि क्या जो वो सोच रहा है वैसा ही उसके पापा करते होंगे उसकी मां के साथ , और अगर चीजें उसकी कल्पनाओं के जैसी ही घटित हो रही होगी तो । अनुज अपने ही ख्यालों से बेचैन हो उठा और एक तीव्र कामोत्तेजना से वो भर गया । सांसे चढ़ने लगी पूरे बदन में गर्मी बढ़ने लगी जिसे रागिनी भी महसूस कर रही थी । लेकिन उसकी कमर और जांघों के पास खून का बहाव बढ़ गया , वहा जलन भरा दर्द अकड़न सा होने लगा
रागिनी : तुझे नहीं पता तेरे पापा तेरी मौसी को क्या कहते है
अनुज एकदम से अकड़ने लगा उसके जहन उसकी मौसी की नंगी छवियां उठने लगी जिसमें उसके पापा उसकी मौसी को झुका कर पेल रहे है " ओह जीजी आपकी गाड़ कितनी बड़ी है आह्ह्ह्ह"

रागिनी : क्या हुआ
अनुज ने अपना हाथ अब लंड से हटा लिया था , उसे डर था कि अब उसने वहा छेड़छाड़ की तो पक्का उसका लंड बह जाएगा और गलती से इसकी भनक उसकी मां को हो गई तो गड़बड़ हो जायेगी ।
अनुज थोड़ा हिचक कर : कुछ नहीं
रागिनी को थोड़ा शक हुआ कि जरूर उसके मन में कुछ चल रहा है : बोल न क्या सोच रहा है
अनुज : कुछ नहीं वो मै सोच रहा था कि पापा ऐसे कैसे कर सकते हैं, ये तो आपके साथ गलत हुआ न
रागिनी मुस्कुरा दी ये सोच कर कि इतनी गंभीर बात पर अनुज को अभी उसके मा की फिक्र है : नहीं तो , किसने कहा । हा गलत होता अगर वो मुझसे छिप कर ये सब करते । उनके दिल में जो भी था उन्होंने मुझसे खुल कर कहा कभी कोई बात नहीं छिपाई और फिर रज्जो दीदी जैसी औरत किसे भला नहीं भाएगी ।
अनुज : फिर भी उनकी शादी तो आपसे हुई है न
अनुज की बात सही थी लेकिन , चूंकि रागिनी रायता फैला चुकी थी तो समेटना उसे ही था और वो अनुज को समझाने लगी : देख बेटा इस दुनिया में जितने आदमी है मेरे ख्याल लगभग उतनी ही औरतें आधी आधी क्यों ?
अनुज ने हुंकारी भरी
रागिनी : हा तो तू ही बता वो इंसान सच्चा है जो ये कहे कि मै मेरी बीवी के अलावा किसी दूसरे औरत को नहीं देखता या फिर वो जो स्वीकार करें कि इतनी बड़ी दुनिया आंखे बंद करके और मन को बांध कर नहीं जिया जा सकता है । चाहते न चाहते हुए भी दूसरी औरतों पर नजर चल जाती है ।

अनुज के पास अपनी मां के तर्कों का कोई तोड़ नहीं था : दूसरा वाला सही होगा
रागिनी : फिर तू ही बता तेरे पापा जो कि उन्होंने मुझे साफ साफ अपने मन की बात बता दी क्या वो गलत है
अनुज चुप होकर : नहीं
लेकिन अनुज के मन एक ही सवाल आ रहा था लेकिन उसके दिल में डर था मगर अब उसने हिम्मत बांध लिया
अनुज : एक बात पूछूं मम्मी
रागिनी : क्या बोल
अनुज : अगर पापा सचमुच में मौसी के साथ करने को कहे तो ?
रागिनी एकदम से चौक गई , उसे इस सवाल की बिल्कुल उम्मीद नहीं थी ।
लेकिन अब रागिनी के पास पीछे लौटने का कोई रास्ता नहीं था ।
रागिनी थोड़ा हिचक कर : अगर दीदी को ऐतराज नहीं होगा तो मै नहीं रोकूंगी ।
अनुज : क्या सच में
रागिनी : हा , लेकिन तू इनसब बातों को इतना बड़ा क्यों बना रहा है । अगर तेरे पापा मुझे बता कर तेरी मौसी से वो सब करते है तो ये कोई धोखा नहीं हुआ न ।
अनुज : हम्ममम
रागिनी : और कोई सवाल
अनुज : वो अंडरगार्मेंट किसके है
रागिनी को हंसी आई : जानती थी , बदमाश कही का वही पूछेगा ।
अनुज : बताओ न मम्मी, सब तो बता दिया तो उसे क्यों नहीं ।
रागिनी : बता रही हूं लेकिन इसमें तेरे पापा की कोई गलती है समझा । उनको बुरा भला मत कहना । वो बस तेरी मौसी के ही दीवाने है किसी और के नहीं । ये बस मेरी शरारत थी और कुछ नहीं ।
अनुज सोच में पड़ गया आखिर ऐसी क्या बात होगी , उसकी बेचैनी बढ़ने लगी ।
अनुज ने हुंकारी भरी
रागिनी : बात दरअसल तब की है जब सोनल की शादी का शगुन जाना था , तो उसमें सोनल की सास का भी शगुन और कपड़े भेजने थे तो शादी ब्याह में समधन लोगों का आपस में हसी ठिठौली चलती है । तो मैने सोनल की सास ने बातों बातों में उसके अंडर गारमेंट का साइज पूछ लिया और तेरे पापा को जिम्मेदारी दे दी कि वो शहर अपनी समधन के नाप की ब्रा पैंटी लेकर आए ।
अनुज चौक कर : सच में ? और वो लाए ?
रागिनी पुरे विश्वास से : लाएंगे क्यों नहीं हीहीहीही , पता है वो बता रहे थे कि उन्हें बड़ी शर्म आ रही थी खरीदते हुए
अनुज मुस्कुराने लगा और उसका मन भी थोड़ा हल्का हो गया था लेकिन लंड ने अकड़ने बरकरार थी : फिर ?
रागिनी खुश हो रही थी कि अनुज को उसकी कहानी में रस आ रहा है : फिर क्या सारी चीजें शगुन में भेज सकती दी मैने , बाद में पता चला कि सोनल की सास के कूल्हे बड़े है और पैंटी छोटी
अनुज : कितने नंबर की थी
रागिनी : 50 , बाद में सोनल की सास ने बताया कि काफी समय से वो नीचे कुछ पहनती नहीं है और इधर उनका वजन बढ़ गया है
अनुज समझ रहा था लेकिन उसने की कोई टिप्पणी नहीं की ।
रागिनी : फिर मैने राज से बात कर दो नंबर बड़ी ऑनलाइन मंगवाया और शादी के बाद चौथ में नई वाली देकर पुरानी वाली लेली ।
अनुज : भक्क सच में , इतना मतलब ये ममता आंटी का है
रागिनी : हा उन्हीं का है
अनुज : तो क्या आपने इसे भी पहना था पापा के लिए जो धूल कर डाली थी ।
रागिनी हंस कर : पहना नहीं था लेकिन पहनने वाली थी इसलिए धूल कर रखा था और तौलिए से छुपाया भी था । लेकिन मुझे क्या पता था कि मेरे घर में एक जासूस है जो चीजे खोजता है ।
अनुज : अरे , मैने खोजी नहीं , बस तौलिया खींचा तो गिर गई थी ।
रागिनी : चल ठीक है , अब पता चल गया न तो सो जा । कल संडे है कितने काम है ।
कुछ देर अनुज चुप रहा और रागिनी भी समझ रही थी कुछ देर वो कुछ पूछेगा जरूर
अनुज : तो क्या पापा को पता है कि आप लेकर आए हो ममता आंटी की ब्रा पैंटी
रागिनी : नहीं, उनके लिए सरप्राईज रहेगा ये
अनुज का लंड फिर से फड़फड़ाने लगा और एक नई कल्पना ने उसे घर कर लिया
ममता , भरा लंबा चौड़ा बदन , बाहर निकले हुए हौद जैसे चूतड़ और बड़े बड़े पपीते जैसे चूचे, कामुक गोरा चेहरा । उफ्फ अनुज को याद आ रहा था अपने दीदी की शादी में उसने हाथ उठा कर बस उन्हें थोड़ा सा डांस करते देखा था , सबकी नजर उसके उछलते चुचे पर थी और जब एक जगह वो मण्डप में झुकी थी कुछ देने के लिए उसके बड़े बड़े चौड़े चूतड़ साड़ी ऐसे फैल गए थे मानो पहाड़ ।
अनुज का लंड फड़कने लगा ।
अनुज : तो क्या पापा को ममता आंटी भी पसंद है
रागिनी हसने लगी : पता नहीं लेकिन जब मैने उन्हें उस नाप की ब्रा पैंटी लाने को कही थी तो वो कह रहे थे कि... हीही ( रागिनी बातों को कैज़ुअल रखते हुए हस रही थी ताकि उसे असहजता न हो अनुज मजाक ही समझे )
अनुज : क्या
रागिनी : वो कह रहे थे कि मुरारी भाई की किस्मत बहुत बड़ी है हिहीही , तो मैने सोचा अब तेरे पापा अपनी किस्मत पर अफसोस करें अच्छा थोड़ी लगेगा तो उनके लिए सरप्राईज रखने का सोचा है ।
अनुज : तो कब पहनोगे आप उसको
रागिनी एकदम से चौक गई , उसे बिल्कुल भी यकीन नहीं था कि अनुज एकदम से उससे ऐसे सवाल पूछ लेगा ।
रागिनी समझ रही थी कि वो अगर इस बात को आगे बढ़ाएगी तो अनुज के सवाल कम नहीं होंगे बल्कि उसके पास बात बनाने के लिए कुछ बचेगा भी नहीं इसीलिए उसने उसको फुसलाने के कहा : जब पहनूंगी तो बता दूंगी तुझे , ठीक है मेरे जासूस
अनुज जासूस शब्द पर हसने लगा : हीहीही
रागिनी : और नहीं तो क्या नहीं तू खोज बिन करता रहेगा ।
अनुज हंसता रहा और रागिनी ने उसे अपने पास खींच कर उसके सीने पर वापस अपना सर रखती हुई : चल अब मुझे सुला दे
अनुज हसने लगा कि उसकी मम्मी उससे लिपट कर बच्चों जैसी हरकते कर रही थी , जबकि अभी 10 मिनट पहले वो झड़ने के करीब था ।
उसने अपनी मां को पकड़ लिया और रागिनी ने उसके सीने पर हाथ रख कर उसके ऊपर पैर फेक दी ।
संजोग की ही बात थी कि रागिनी का घुटना अनुज के लोवर में बने तंबू से कुछ इंच ही नीचे था और अनुज की सास अटक कर वापस से चलने लगी ।
अनुज भी समझ रहा था कि आज की रात अब इससे अधिक कुछ नहीं होने वाला और इससे बड़ी बात क्या होती कि उसकी मां उसकी बाहों में है और वो भी अपनी मां को अपनी बाहों में भर कर सो गया ।
एक नए सवेरे और नए सपने संजोते हुए जिसमें सिर्फ वो और उसकी मां थी ।

जारी रहेगी
Nice Update
 

Napster

Well-Known Member
6,555
17,305
188
💥 अध्याय : 02 💥

UPDATE 14
( MEGA )

बंद कमरे में मादक सिसकारियां उठ रही थी , दो होठ एक दूसरे को निचोड़ने में अपने रस साझा कर रहे थे , रंगी में मजबूत पंजे सुनीता के रसीले चूतड़ों को साड़ी के ऊपर से मसलने लगे थे और सुनीता उसके होठों के चुम्बन से मदहोश हुई जा रही थी ,
रंगी कभी उसके गाल तो कभी उसके कान के पास तो कभी उसके गर्दन और आगे सीने पर सुनीता कुनमुनाती सिसकती हुई मुस्कुरा रही थी और वो गुदगुदाहट भरे चुम्बन उसके बुर के दाने को फड़का रहे थे ।
एकदम से वो पीछे हटी और अपने सीने से आंचल हटा दिया


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भरे भरे दो रसभरे खरबूजे जैसे चूचे ब्लाउज में कसे हुए जो अपने वजन से झूल ही जाते अगर उन्हें उस डिजाइनर चुस्त ब्रा के कप्स ने नहीं थामा होता ।
हल्का उभरा हुआ नरम पेट और चर्बीदार गहरी नाभि उफ्फ क्या दूधिया रंग था ।
रंगी का लंड अकड़ रहा था और वो उसकी ओर लपका लेकिन सुनीता पीछे हटने लगी और एकदम से रंगी खड़ा हो गया क्योंकि अब सुनीता पीछे नहीं जा सकती थी क्योंकि पीछे दिवाल और नीचे सोफा रखा था ।
सुनीता उस सोफे पर चढ़ कर कसमसाने लगी , मानो रंगी को जता रही हो कि वो कितनी तड़प रही है और वो आए उसे बाहों में भर ले ।
मिनट भर भी नहीं रोक सका रंगी खुद को और साड़ी के नीचे से झांकती उसकी गदराई दूधिया जांघों को सहलाते हुए अपने हाथ सीधा सरका कर उसके नरम चर्बीदार चूतड़ों पर ले गया और आगे झुक कर उसके गुदाज मुलायम पेट को चूमने लगा


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जैसे जैसे नीचे साड़ी में रंगी उसके चूतड़ के नंगे भागो को अपने पंजे से छेड़ता उन्हें मसलता वैसे वैसे सुनीता अपने गाड़ सख्त कर अपने कमर को उठा देती और रंगी उसकी रसीली नाभि में जीभ डाल कर अपने होठ से उन्हें चूसता
सुनीता अकड़ रही थी और उसकी सिसकियां पहले से तेज होने लगी और रंगी उसके ब्लाउज के ऊपर से उसके नरम मोटे मम्मे को काटने लगा : अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम रुको न
रंगी ने मुस्कुरा कर उसे देखा और आंखों से ही सवाल किया कि क्या हुआ
सुनीता मुस्कुरा कर अपनी जगह बदलते हुए सोफे पर लेट गई और अपने ब्रा के हुक खोलते हुए : अह्ह्ह्ह अब आओ न मेरे राजा ओह्ह्ह्ह उम्ममम धत्त अह्ह्ह्ह्ह सीईईई उम्मम कितने उतावले हो अह्ह्ह्ह्ह


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रंगी उसके दोनों जांघों को फैला कर उसके ऊपर आता हुआ उसके चूचियों के नंगे भागो को मुंह में रखता हुआ : उम्मम तुम्हे देखते ही मै बेसब्र हो जाता हु , उफ्फ कितनी मुलायम हो तुम और तुम्हारे ये दूध उम्मम
रंगी उस लाल ब्रा के ऊपर से सुनीता के तने हुए निप्पल को चुबलाने लगा
सुनीता तड़प उठी और रंगी का मुंह पर छातियों पर दबाने लगी : ओह्ह्ह्ह उम्ममम काट क्यों रहे हो अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह
रंगी उसके निप्पल से हट कर उसके चूचे सहलाते हुए वापस पेट की ओर जाने लगा और नीचे साड़ी खींचता हुआ उसके पेडू के पास चूमने लगा : ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह दैय्या दीदी तो पागल ही हो जाती होंगी उफ्फ अह्ह्ह्ह्ह
रंगी : आज तो तुम्हे पागल करना है आजाओ
रंगी ने झटके से उसका हाथ पकड़ खड़ा किया और खुद उसकी साड़ी खींचने लगा


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सुनीता मुस्कुरा उसके आगे घूम गई और देखते ही देखते रंगी के हाथों में उसकी साड़ी थी जिन्हें वो अपने ऊपर लपेट कर सूंघने लगा और वही सुनीता उसके आगे अपना पेटीकोट उतारने लगी , और रंगी अपने कपड़े ।
अब वो उसके आगे सिर्फ मैचिंग ब्रा पैंटी के खड़ी थी , सुर्ख लाल रंग में उसके चूत फूल गए थे और सांसे चढ़ने लगी थी , नरम चर्बीदार चूतड़ों पैंटी से बाहर निकल गए थे और उसकी नजर फिलहाल सुनीता की दूधिया जांघों पर थी जो उसके जिस्म में सबसे ज्यादा गोरी जगह थी
दुनिया ने अपनी एक टांग उठा कर रंगी के आगे परोसा और रंगी अपनी ललचाई आंखों से उन्हें घूरता हुआ अपने पंजे से उन्हें छूने लगा और रंगी के हाथों के स्पर्श पाकर सुनीता की सांसे फिर से बेताब होने लगी और जिसे हो रंगी ने अपने होठ उसके जांघों पर रखे वो पागल होने लगी , कमरे में उसकी मादक सिसकियां भर आई ।


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रंगी ने एकदम से उसको घुमाया और उसके नरम चर्बीदार चूतड़ों को अपने आगे किया और उन्हें दोनों हाथों से भर कर पैंटी के ऊपर से ही मसलने लगा और उन्हें अपन नाथूनो के करीब ला रहा था कि एकदम से सुनीता नीचे उसकी गोद में उसके तने हुए लंड के ऊपर बैठ गई : ओह्ह्ह्ह सीईईई कितनी गर्म गाड़ है तुम्हारी उम्मम
सुनीता उसके लंड को जो रंगी के अंडरवियर में तंबू बनाए खड़ा था उसके ऊपर अपनी गाड़ को घिसने लगी और उसके ऊपर लोटने लगी
रंगी ने अपने हाथ आगे कर उनके पेट मसलने लगा और उसके गर्दन के पास चूमने लगा जल्द ही सुनीता उसकी बाहों में खुद को सौंप चुकी थी और रंगी के हाथ अब उसके रसभरे खरबूजे जैसे चूचे को मसलने के लिए आगे बढ़ने लगे थे।
वही दूसरी तरफ गीता ने मौका देख कर अपने दादू के पास चली गई थी ।
रात के इस प्रहर में बनवारी एकदम से गीता को अपने कमरे में पाकर हड़क गया ।
कारण भी लाजमी था , जो कुछ भी शाम को हुआ उसके बाद बनवारी और गीता की कोई बात नहीं हुई थी और जब ऐसे वक्त में जब कमला और रंगीलाल कभी भी उसके कमरे में आ सकते थे , उस वक्त गीता का वहां होना उचित नहीं था ।

बनवारी बिस्तर पर हेड बोर्ड का टेक लिए हुआ अपने ऊपर चादर तान रखा था : अरे मीठी , तुम सोई नहीं
गीता मुस्कुरा कर ना में सर हिलाई , बनवारी की बेचैनी और भी बढ़ रही थी जिस तरह से वो शर्माकर अपने बदन को लहरा रही थी , टीशर्ट में उसके बिना ब्रा के मोटे नारियल जैसे चूचे टाइट मालूम पड़ रहे थे और घुटनों तक वाली स्कर्ट उसकी मुलायम मोटी जांघों को लगभग उघाड़ रही थी ।
बनवारी : बेटा सो जाओ , मैने क्या समझाया था कि हम अकेले में बात करेंगे , बोला था न
गीता धड़धड़ाते हुए बिस्तर पर खिलखिलाती हुई अपने दादू के पास आ गई : हा लेकिन मुझे आपके पास सोना है आज
बनवारी उसकी जिद से परिचित था और गीता की ये हरकत से उसकी बेचैनी और बढ़ने लगी : क्यों ? तो क्या गुड़िया अकेले सोएंगी
गीता मुंह बना कर : वो तो पापा के साथ गोदाम गई है
बनवारी थोड़ा सा उलझे हुए स्वर में : गोदाम पर , क्यों ?
गीता : वो पता नहीं , लेकिन मै आपके साथ सोऊंगी
बनवारी हड़बड़ा कर : अह नहीं बेटा , अभी जमाई बाबू खाना खा कर आने वाले है शायद वो यही सोए
गीता का मुंह बनने लगा : बक्क नहीं
बनवारी उसको अपने पास खींच कर : अच्छा ठीक है तू अगर अपने कमरे सोने जाएगी तो तुझे कुछ दिखाऊंगा
गीता का मन एकदम से ललचा गया और उसके निप्पल तन गया
गीता वही घुटने के बल बनवारी के पास खड़ी थोड़ी मुस्कुराने लगी और लजाने लगी ।
बनवारी ने हाथ आगे बढ़ा कर उसके स्कर्ट में हाथ घुसा कर उसके चूतड़ों पर हाथ फिराया तो पाया उसने नीचे कुछ भी नहीं पहना : अरे कच्छी नहीं पहना तूने
गीता मुस्कुरा कर लजाती हुई ना में सर हिलाई
बनवारी मुस्कुरा कर उसको छेड़ता हुआ : क्यों ?
गीता लजाते हुए हस पड़ी : बक्क दादू , अह्ह्ह्ह्ह उम्ममम
बनवारी उसके जांघों के बीच उसकी नरम बुर के चिपके हुए फांकों को उंगली से फैलाने लगा : दादू के पास सोना था इसलिए उम्मम तूने नही पहना न
गीता की हालात खराब होने लगी और वो अपने दादा जी के कंधे को पकड़ कर उनकी ओर झुक गई और सिसकने लगी : उम्मम हा दादू अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम
बनवारी उसके नरम होठ अपने पास देखे और खुद से ही पहन कर उसके लिप्स चूसने लगा ।


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अपनी नातिन के नरम होठों का रस पाते ही एकदम से बनवारी के बदन में सी हुई और उसका लंड जांघिये में फड़कने लगा , उसके हाथ खुद से गीता ने के टीशर्ट में झूलते चूचे को छूने लगे
अपने दादू के उंगलियों का स्पर्श अपने निप्पल के पास पाकर गीता पूरी तरह से मचल उठी और झट से उसने अपने टीशर्ट निकाल दिए और उसके दोनों रसीले मम्में पूरे नंगे बनवारी के आगे
बड़े बड़े चौसा आम जैसे चूचे और उनकी गुलाबी घुंडियों को देख कर बनवारी की आंखे चमक उठी
तभी उसे अपने जांघों पर कुछ हरकत महसूस हुई देखा तो गीता चादर हटा कर उसके जांघिये को नीचे कर रही थी
बनवारी : बेटा कोई आ जाए... अह्ह्ह्ह कितने मुलायम है तेरे हाथ उफ्फ
गीता ने अपनी नरम नरम हथेली के अपने दादू का अकड़ा हुआ मोटा लंड पकड़ा और हिलाने लगी : कोई नहीं आएगा दादू उम्ममम कितना बड़ा है
गीता के नरम हाथ जिस तरह से उसके लंड की चमड़ी को आगे पीछे कर रहे थे,बनवारी की हालत खराब होने लगी । पहले से ही अपने दामाद के साथ रज्जो के बारे में बाते फिर कमला को साथ में मिलकर पेलने का सोच कर उसका लंड अकड़ा हुआ था और अब उसपे से उसकी नातिन के नरम हथेली का स्पर्श उसकी नसों को फड़का रहा था । गीता नीचे हाथ ले जाकर उसके आड़ को टटोल रही थी और बनवारी उसके नंगे चूचों को हाथ में भर रहा था


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उसे डर भी था कि कही जमाई बाबू न जाए और वो पकड़ा जाए : बेटी रुक जा न ऐसे नहीं आएगा वो
गीता मुस्कुरा कर : मै निकाल दूं
बनवारी उसकी आंखों में देखते हुए : कैसे ?
गीता मुस्कुरा कर नीचे झुक गई और अपने होठ खोलते हुए उसका सुपाड़ा चुभलाने लगी : ओह्ह्ह्ह मीठी उम्ममम क्या क्या सीख रही है तू अह्ह्ह्ह उम्मम
गीता बड़े चाव से आंखे बंद कर हौले हौले बनवारी का लंड चुभलाने लगी और बनवारी के पैर अकड़ने लगे , उसकी सांसे चढ़ने लगी , आगे झुकने से गीता के नंगे चूतड़ और फैल गए ।
बनवारी अपने पंजे से उसके नरम चूतड़ों को सहलाते हुए उसके बुर को कुरेदने लगा ।


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गीता अपनी बुर में उंगली पाते ही तेजी से अपनी जीभ का भी इस्तेमाल करने लगी जैसा उसने पहले अपने राज भैया से सिखा था और बनवारी के आड़ सहलाती हुई गले तक ले जाने लगी
बनवारी की हालत अब पूरी तरह से खराब थी और उसके चूतड़ कसने लगे , उसके आड़ से वीर्य अब नसों में उतर कर सुपाड़े की ओर बढ़ने लगा
बनवारी तड़पने लगा : ओह्ह्ह बेटी हा और चूस आयेगा अह्ह्ह्ह तूने तो मेरी तकलीफ कम कर दी ओह्ह्ह और ले अह्ह्ह्ह
गीता के गाल भी अब दर्द होने लगे थे और वो मुंह की जगह अब हाथों से तेजी से अपने दादू का लंड हिलाने लगी और बनवारी कोहनियों के पल उठ गया उसके पैर अकड़ने लगे और लंड की कसावट बढ़ गई और फिर एकदम से लावा फूट पड़ा


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जैसे ही गीता ने बनवारी के लंड की पिचकारी फूटते देखी आगे होकर अपने गोरे नंगे चूचों को आगे कर दिया कुछ बिस्तर पर तो कुछ उसकी छातियों पर बचे हुए छोटी पिचकारियां वो अपने गाल पर लेने लगी और फिर एक बार मुंह में लेक उसको सुरकने लगी
बनवारी एकदम से सुस्त होकर बिस्तर पर गिर पड़ा और हांफने लगा । वही गीता मुस्कुरा कर अपने गाल और छतिया सहलाती हुई वैसे ही अपने दादू के पास लेट गई
वही दूसरी ओर कमरे में मादक सिसकारियां उठ रही थी , रंगी के हाथों में सुनीता के दोनों बड़े बड़े खरबूजे जैसे गोल चूचे थे जिन्हें वो मसल रहा था और नीचे सुनीता का हाथ रंगी के लंड को भींच रहा था
रंगी : उफ्फ कितनी मुलायम दूध है तुम्हारे
सुनीता : तो पी लो न मेरे राजा अह्ह्ह्ह्ह सीईईई काटो मत उम्मम निशान पड़ गए तो तुम्हारे साले को क्या कहूंगी
रंगी उसके निप्पल से मुंह हटा कर अपना लंड सीधा खड़े खड़े ही उसकी बुर में भेदता हुआ : बोल देना कि नंदोई जी ने कहा कि बहन के साथ बीवी भी अब देनी पड़ेगी

सुनीता मुस्कुराई लेकिनी नीचे से उसकी चूत नीचे से मानो छिल सी गई जब रंगी ने अपना मोटा लंड उसके कसी जांघों के बीच से उसकी बुर में भेदा: अह्ह्ह्ह मेरे राजा ऐसे ही करोगे क्या अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह उम्ममम
रंगी उसके चर्बीदार चूतड़ों को हाथों में लेकर फैलाते हुए तेजी से उसके चूत में खड़े खड़े ही लंड पेलने का : क्यों मजा नहीं आ रहा उम्ममम
सुनीता आंखे उलटती हुई : आ रहा है ओह्ह्ह्ह उम्ममम लेकिन सूखा है अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह उम्ममम
रंगीलाल उसकी कमर में हाथ डाल कर उसको अपने करीब कर फिर से उसके लिप्स चूसता हुआ : तो गिला कर दो न इसे
सुनीता मुस्कुरा और सरक कर रंगीलाल के पैरों में चली गई , रंगीलाल का लंड एकदम तना हुआ रॉड जैसे हवा में लहराने लगा
जैसे ही सुनीता ने उसकी जांघों को छुआ उसके पैर कांपने लगे और बड़ी मादक नजरो से उसने आंखे उठा कर रंगी को देखा और मुंह खोलकर सुपाड़ा चुबलाया : ओह्ह्ह मेरी रानी अह्ह्ह्ह कितनी मुलायम ओह्ह्ह्ह उम्ममम हा ऐसे ही अह्ह्ह्ह कितनी मज़ाह उफ्फफ उम्ममम


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रंगी के हाथ खुद से सुनीता के बालों को छूने लगे , उसकी कमर खुद आगे पीछे होकर सुनीता के मुंह में पेलने लगा
सुनीता उसका लंड पकड़ उसको पूरा जाने से रोकने लगी जिससे रंगी की तड़प और बढ़ने लगी : और लो न मेरी जान हा और घोट जा पूरा ओह्ह्ह्ह उम्ममम साली रंडी
एकदम से सुनीता रुक गई और चौक कर मुंह में लंड भरे हुए रंगी को देखा तो रंगी मुस्कुरा कर : सॉरी मेरी जान चूसो न
सुनीता मुंह बनाई और फिर वापस से उसका लंड चुभलाने लगी : ओह्ह्ह्ह मेरी जान हा और और चूसो ओह्ह्ह उम्ममम
सुनीता मुंह से लंड निकाला और खड़ी होकर बिस्तर पर टांगे खोलकर लेट गई और अपनी बुर सहलाने लगी
रंगी समझ गया कि सुनीता थोड़ी बुरा मान गई वो शब्द सुनकर और वो मुस्कुरा कर उसके ऊपर आता हुआ अपने लंड को उसकी बुर पर टिकाने लगा और सुनीता के चेहरे के हाव भाव बदलने लगे ।


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फिर एकदम से रंगी ने अपना लंड हचक से उसकी बुर में उतार दिया जो तेजी से सरकता हुआ उसकी चूत में जाने लगा
सुनीता की आंखे बड़ी हो गई जब उसने रंगी का मोटा तपता लंड अपनी बुर के महसूस किया और उसने कस कर दोनों हाथों से उसे अपने पास खींचने लगी : अह्ह्ह्ह उम्मम कितना बड़ा और गर्म उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई
रंगी : अभी भी नाराज हो मेरी जान
सुनीता मुस्कुरा कर ना में सर हिलाई
रंगी मुस्कुरा कर उसके होठ चूसता हुआ एक करारा झटका फिर दिया और सुनीता का पूरा बदन झन्ना गया
सुनीता : उफ्फफ फाड़ डालोगे क्या मेरे राजा ओह्ह्ह्ह उम्ममम
रंगी : ना फाड़ू फिर रुक जाऊ
सुनीता : नहीईई ( फिर वो थोड़ा शरमाई )


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रंगी उसके दोनों गाल पकड़ कर उसके नरम रसीले होठों को चुबलाते हुए अपनी कमर चलाने लगा और फचर फचर आवाज के साथ सुनीता की बजबजाई बुर में लंड जाने लगा
इतना गर्म और नर्म अहसास रंगी पाकर और जोश में आ गया , फिर तेजी से अपना लंड पेलने लगा
सुनीता की हालात बिगड़ रही थी उसकी बुर तेजी से रस छोड़ रहे थी और सिसकिया रुकने का नाम नहीं ले रही थी : उफ्फ नंदोई जी अह्ह्ह्ह आपने तो पूरी रेल बना दी उम्मम , इतना तेज अह्ह्ह्ह उम्मम और ओह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह

रंगी उसके हिलते हुए चूचे मुंह में भरता हुआ दुगने जोश में कमर चलाने लगा और सुनीता हवा में उड़ने लगी : उम्मम तुम्हारे जैसी रसीली माल को ऐसे ही पेलने में मजा है ओह्ह्ह्ह

सुनीता : मेरे जैसी मतलब , और भी किसी को
रंगी अपनी स्पीड हल्की करता हुआ मुस्कुराने लगा तो सुनीता हंसती हुई उसकी दाढ़ी छूती हुई : उम्मम देखो तो कैसे शर्मा रहे है अह्ह्ह्ह हाय दैय्या सीईई अह्ह्ह्ह मेरे राजा उम्मम कितना अंदर डालोगे उम्ममम अह्ह्ह्ह
रंगी आगे झुक कर उसके रसीले होंठ चूसता हुआ : कहो तो और गहरी कर दु उम्मम
सुनीता लजाई: धत्त , अब क्या रज्जो दीदी जितनी करोगे
रंगी एकदम से हड़का और अपने कंधे टाइट कर रुक गया : क्या मतलब
सुनीता मुस्कुरा उसके कमर को पकड़ती हुई खुद हुई उसके लंड को अपनी बुर से चुस्ती हुई अपनी गाड़ उठाने लगी , जिससे रंगी का सुपाड़ा इस कामुक कसावट भरे अहसास से बिलबिला उठा और रंगी की बाहों ढीली पड़ गई उसकी सांसे तेज होने लगी : आपको क्या लगा था कि आपकी तोता मैना की लव स्टोरी पकड़ी नहीं जायेगी उम्ममम
रंगी कमजोर लहजे : लेकिन तुमको कैसे ? अह्ह्ह्ह
सुनीता मुस्कुरा कर : आपकी कातिल निगाहें सब कुछ बता देती आपके बारे में , जरा ध्यान से इधर उधर घुमाया करो अह्ह्ह्ह
रंगी मुस्कुरा कर फिर से अपना लंड उसकी चूत में गहरे उतरता हुआ : अब तो सच में ध्यान रखना ही पड़ेगा , तुम्हे बुरा तो नहीं लगा
सुनीता मुस्कुरा: पहले लगता था
रंगी बहुत ही आहिस्ता उसकी चूत में लंड को घिसता हुआ : क्यों ?
सुनीता उसके सुपाड़े की रगड़ से मदमस्त होती हुई : अह्ह्ह्ह्ह मै सोचती थी कि शादी में मेरे इतने सेक्सी लुक के बाद न जाने किसकी कमी थी कि आपने मुझे एक नजर नहीं देखा और दीदी के आगे पीछे घूमते थे
रंगी हौले से एक झटका देता है : फिर ?
सुनीता सिसक कर : फिर समझ गया कि रज्जो दीदी जितनी बड़े दिल वाली तो मै हूं नहीं , मेरे पास गिनती के लोगों के लिए ही जगह हो सकती है
रंगी उसकी बातों से साफ समझ गया कि सुनीता को रज्जो के बारे में कुछ ऐसा पता है जिससे वो अंजान है और उसके लिए रज्जो आज एक पहेली जैसी नजर आ रही थी
रंगी मुस्कुरा कर : तो फिर तुमने मुझे जगह दे दी क्यों उम्मन
सुनीता रंगी के करारे झटके से सिसकी और हस्ती हुई उसकी आंखों में देखते हुए : आपको को भला कैसे मना कर सकती थी अह्ह्ह्ह उम्मम मेरे राजा भर दो न और न तड़पाओ
रंगी : वैसे जान सकता हूं और कौन है तुम्हारे दिल में


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सुनीता उसको कस कर अपनी ओर खींचने लगी उसकी बुर ने रंगी के लंड की कस लिया था, रंगी की मीठी बातों से वो झड़ने के करीब आ गई थी : अह्ह्ह्ह उम्मम ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह दैय्या सीईई अह्ह्ह्ह मेरे राजा ओह्ह्ह्ह रुको मत सब बताऊंगी ओह्ह्ह्ह उम्ममम आ रहा है
रंगी उसके जोश से और जोश में आ आगया और सुनीता के कसे छल्ले में ही अपना लंड आगे पीछे करने लगा , जैसे जैसे सुनीता उसके लंड पर झड़ रही थी मानो उसका लंड पूरी गहराई में ले जा रही थी उसकी नसों को नीचे से निचोड़ रही थी और सुनीता के दूसरे दीवानों के बारे में सोच कर वो भी झड़ने लगा उसकी बुर में और झड़ता रहा जबतक आखिरी बूंद तक निचोड़ नहीं दिया उसकी बुर में।
हांफता हुआ अलग होकर निढाल हो गया उसके बिस्तर पर ..... और कुछ पल बीते थे कि बनवारी उसके मोबाइल पर फोन घुमाने लगा था ।

"मुझे जाना होगा " , रंगी उठ कर अपना शर्ट पहनने लगा
सुनीता उखड़ कर : क्या मुझे सारी रात ऐसे ही छोड़ कर जाओगे ?
रंगी झुक कर उसके नंगे चूचों को फिर से चुभलाता हुआ : मन तो नहीं कर रहा है लेकिन बाउजी फोन कर रहे है ।
सुनीता के पास अब कोई चारा नहीं था रंगी को रोकने का और उसने इजाजत दे दी । फिर रंगी झट से कमरे से निकल गया , दबे पाव कि कोई उसे देखे नहीं ।लेकिन कोई था जो उसे सुनीता के कमरे से निकलते हुए देख चुका था ।

चमनपुरा


" अरे राज बेटा "
" हैप्पी बर्थ डे आंटी " , राज मुस्कुरा कर ठकुराइन के पास जाकर बोला ।
" सो स्वीट , थैंक्यू बेटा " , ठकुराइन ने उसके पास छू कर मुस्कुराई।
राज करीब खड़ा होकर : बहुत प्यारी लग रही हो आंटी


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ठकुराइन : अच्छा जी
राज दांत कड़े कर होठ हिला कर भुनभुनाया : हम्ममम , बाकी डिटेल में मैसेज करके बताता हूं
ठकुराइन को हंसी आई : बदमाश कही का हिहिहीही
राज उसकी आंखों में देखा और मुस्कुराने लगा

तभी संजीव ठाकुर उनकी ओर आने लगा हाथ में विस्की का ग्लास : वाव लुक माय डॉलरिंग वाइफ
ठाकुराइन शर्माने लगी और राज भी थोड़ा असहज होने लगा
तभी सरोजा राज के कान में बोली : तुम्हे लगता है भैया मुझे देखेंगे
राज ने चुपके से सरोजा को चिमटी काट कर उसे चुप रहने को कहा ।
संजीव : राज बेटा , मीट माय हॉट & सेक्सी वाइफ
राज : जी मै मिला अंकल अभी अभी
ठकुराइन उसके हाथ से गिलास लेती हुई : इसे मुझे दीजिए , बहुत पी चुके है आप
संजीव ठाकुर लड़खड़ा कर : कहा यार , अभी तो पार्टी शुरू हुई है ।
तभी राज की नजर सीढ़ियों से उतरते बड़े ठाकुर पर गई और वो धीरे से संजीव ठाकुर के कान में बोला: अंकल , बाउजी आ रहे है आपके
संजीव ठाकुर एकदम से अपनी शर्ट सही करने लगा : ओके इंजॉय करो , अरे इंजॉय क्या ? केक काटना है चलो
ठकुराइन मुस्कुरा कर राज से : वैसे सही नस दबाई तुमने हीहीही
राज और सरोजा उसकी बात पर हसने लगे ।
केक काटने का समय हो रहा था और मालती अभी तक कही दिखाई नहीं दी तो ठकुराइन परेशान होने लगी, कि कही वो चंदू के साथ और कही मेहमानों में किसी ने उसको देख लिया तो
राज : क्या हुआ आंटी
ठकुराइन धीरे से उसकी ओर देख कर : मालती नहीं है
तभी सरोजा बोली : मै देखती हूं भाभी
सारे लोग ठकुराइन और संजीव ठाकुर को घेर कर खड़े थे और आपस में बाते कर रहे थे ।
तभी भीड़ में हलचल हुई और सरोजा मालती को लेकर बीच में आई
वो एक ब्लैक गाउन में थी । मेकअप के बाद गजब की खूबसूरत दिख रही थी ।
ठकुराइन ने आते ही उसे गुस्से से घूरा और वो नजरे झुका ली , राज समझ गया कि जरूर मालती चंदू के चक्कर में इधर उधर कही थी ।
फिर सारे लोग हल्ला हू करने लगे और तालियां बजाने लगे , फिर केक काटने के बाद सब इधर उधर बट गए ।
कुछ खाने की ओर तो कुछ डांस फ्लोर पर
बड़े ठाकुर भी एक राउंड अपनी बहु की पेलाई कर थक गए थे तो खाने की बफर की ओर बढ़ गए
सरोजा और उसकी भाभी दूसरे मेहमानों से मिल रही थी और तभी राज की नजर संजीव ठाकुर की ओर गई जो ऊपर कमरे की ओर जा रहे थे
राज ने यही सही मौका देखा और झट से सरोजा को मिसकॉल करते हुए उसको एक मैसेज किया
उसे पढ़ते ही सरोजा की सांसे तेज हो गई और वो मेहमानों के बीच खड़ी हुई बेचैन होकर राज की ओर देखने लगी तो उसने इशारें से ऊपर जाने को कहा और फिर मैसेज किया
राज : go, show him your sexy ass
सरोजा राज के मैसेज पढ़ कर मुस्कुराई और फिर वहां से निकल गई । वही राज की नजर ठकुराइन पर गई , उसकी बैकलेस ब्लाउज में उसकी चौड़ी पीठ बड़ी सेक्सी दिख रही थी और ब्लाउज की डोरी के लटकन नीच उसके मोटे चूतड़ों तक लटके थे ।
राज ने सोफे पर बैठे हुए ही मोबाइल से ठकुराइन के व्हाट्सअप पर मैसेज किया : Ab samjha , uncle ne aapko Hot & Sexy kyo kaha 😍

ठकुराइन का मोबाइल बजा और उसने राज के मैसेज के नोटिफिकेशन देखते ही उसको खोला और मैसेज पढ़ कर मुस्कुराई और फिर इधर उधर देख कर राज को खोजने लगी और ठीक अपने पीछे सोफे पर उसे कोल्ड ड्रिंक पीते हुए देखा।
दोनों की नजरे मिली और ठकुराइन ने मैसेज टाइप किया : achcha ji , natakhat kahi ke piche kya kar rahe ho
राज ने मैसेज पढ़ कर जल्दी जल्दी टाइप करने लगा : details chek kr raha hu 🫣
मैसेज पढ़ कर ठाकुराइन मुस्कुराई और मैसेज टाइप करने लगी : oh , lag raha hai mujhe mera faishon designer mil gaya
राज मुस्कुरा कर मोबाइल में मैसेज देखता हुआ : yes, ma'am 😁
ठाकुराइन: jara btayenge , piche se sb thik to hai ? Blouse ki fitting ?
राज ने ठकुराइन की ओर देखा कसे हुए चुस्त ब्लाउज़ में उसकी कमर पर आई चर्बीदार सिलवटें देख कर उसका लंड अकड़ने लगा : upar sb sahi hai ma'am 😍
ठकुराइन को इस खेल में मजा आ रहा था तो वो उस ने इतरा कर एक बार राज की कर घूम कर देखा : aur niche ?
राज ने मैसेज पढ़ा और तुंरत ठकुराइन के चूतड़ों पर नजर डाली और जानबूझ कर फिर से मैसेज टाइप किया : niche?
ठाकुराइन: offo, niche dekho saree upar to nhi chadh gayi hai , mere bumm par 😄


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राज ने मैसेज पढ़ा और तुंरत टाइप करके : Haan, thodi upar to aa gayi hai
ठाकुराइन थोड़ी परेशान हुई और झट से अपनी साड़ी को नीचे टाइट कर अपने कूल्हे पर चुस्त करने लगी और जल्दी से मैसेज टाइप कर राज को देखा : Ab dekho ? Ya aur niche Karu ?
राज ने उसके कसे हुए चूतड़ों पर चुस्त साड़ी को देखा और उसे कुछ शरारत सूझी और उसने अजीब सा मुंह बना कर जल्दी से मुंह बनाया : Ab krengi to saree khul jaayegi aapki , aap room me jakar sahi kar lo
ठकुराइन राज का मैसेज पढ़ कर परेशान हो गई और झट से उसने मैसेज टाइप किया : ok , mere sath aao
ठकुराइन फिर वहा मेहमानों के बीच से निकल कर हाल में ही एक ओर जाने लगी और गलियारे की पहुंच कर उसने राज को देखा जो उसे ही देख रहा था , उसने राज को आने का इशारा किया और राज उठ कर खड़ा हो गया । फिर भीड़ से निकल कर ठाकुराइन के पीछे चला गया ।
अंदर गलियारे कमरे से होकर पीछे स्टोर रूम की ओर उसने ठकुराइन को जाते देखा और तेजी से उसके पास गया
ठकुराइन : थैंक यू तूने तो बचा लिया मुझे
राज मुस्कुरा कर : आपके फैशन डिजाइनर के रहते आपको कोई दिक्कत नहीं होगी आंटी हीहीही
ठाकुराइन हसने लगी : नटखट कही का , जरा देखना कोई इधर आए नहीं
और फिर ठकुराइन ने झट से राज के आगे ही नीचे से साड़ी खोल दी
और राज की नजर ठकुराइन के पेटीकोट पर गई जो उसके कूल्हे पर पूरे चुस्त थे और आगे पेडू तक बंधे थे ।



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ठकुराइन असहज होने का दिखावा करती हुई जल्दी जल्दी साड़ी सही करने लगी और फिर प्लीट बना कर उसको नाभि के ऊपर तक खोंस दिया
फिर अपने सीने से पल्लू हटा दिया
उफ्फ ये बड़े बड़े रसीले मम्में खरबूजे जैसे चूचे ब्लाउज में ठूंसे हुए , राज की नजर एकदम से वही ठहर गई


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ठकुराइन मुस्कुरा कर उसको छेड़ती हुई : ओह हा , डिजाइनर साहब मेरा ब्लाउज ठीक है न हीहीही
राज शर्मा गया और मुस्कुराने लगा और ठकुराइन ने झट से अपना पल्लू सही किया : अब ठीक है न
ठकुराइन उसके आगे घूम कर उसे आगे पीछे दिखाया
मगर राज के जहन में था कि उसने साड़ी नाभि के ऊपर क्यों पहनी थी : हा सब ठीक है , बस आपने साड़ी नेवल के ऊपर पहनी है उसे नीचे कर लो
ठाकुराइन ने सेकंड भी नहीं लिया और झट से साड़ी नीचे कर दी : अब ठीक है


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राज उसके गुदाज चर्बीदार नाभि और गोरे पेट को देख कर सिहर उठा : जी आंटी , बहुत खूबसूरत
ठकुराइन मुस्कुरा कर उसके गाल खींचती हुई : बदमाश कही का , चले अब
राज हंसता हुआ : हा चलो
दोनों आगे बढ़े ही थे कि तभी राज के कान खड़े हुए और उसे कुछ आहट आई

राज : रुकिए
ठाकुराइन की मुस्कुराहट हल्की होने लगी : क्या हुआ ?
राज उसको चुप करता हुआ उसकी कलाई पकड़ लिया : श्शश्श आपने नहीं सुना , आइए
फिर दोनों दबे पाव स्टोर रूम के आगे बढ़ गए , जहां पीछे दरवाजे गोदाम की ओर निकलते है ।
ठकुराइन दबी हुई : राज , बेटा चलते है न
राज : शीईईई रुकिए यही मै आता हूं
फिर राज दबे पाव आगे जाता है और वहा जीने के पास छिप कर खड़ा होकर आगे देखता है तो उनके आंखे बड़ी हो जाती है और लंड एकदम फड़फड़ाने लगता है ।

वो नजारा देख कर राज की हालात खराब होने लगती है और तबतक ठकुराइन वहा आ जाती है और जैसे ही उसकी नजर सामने पड़ती है । वो जम जाती है


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सामने चंदू बोरियो के सहारे मालती को झुकाए हुए पीछे से उसकी चोद रहा था उसका गाउन उठा कर और मालती सिसक रही थी ।
राज और ठाकुराइन ने चौक कर बड़ी बड़ी आंखों से एक दूसरे को देखा।
ठकुराइन की आंखे लाल हो रही थी और राज समझने लगा कि गुस्से में थी वो और उसने झट से ठकुराइन की कलाई पकड़ कर उसे वहा स्टोर रूम की ओर खींच लाया

राज : सॉरी आंटी
ठकुराइन : बेटा इसमें तेरी क्या गलती , मै तो थक गई हूं इनकी इन हरकतों से
राज चुप रहा और ठकुराइन बोलती रही : अब तू ही बता बेटा , क्या ये सब करने की कोई उम्र है
राज मुस्कुरा दिया
ठकुराइन : तू हस रहा है
राज : नहीं वो मै सोच रहा था कि आपकी शादी किस उम्र में हुई थी
ठकुराइन एकदम से हस पड़ी : बदमाश कही का
राज हंसता हुआ : अच्छा सच बताओ , सच में शादी के पहले आपका कोई बॉयफ्रेड नहीं था
ठकुराइन मुस्कुराकर : जी नहीं , जो कुछ भी थे सब तुम्हारे अंकल थे
राज : वाव, सो लकी
ठकुराइन मुस्कुराने लगी , शायद उसे राज का साथ पसंद आ रहा था ।
राज ने गहरी सांस ली और आगे बढ़ता हुआ : अच्छा ये सब छोड़ो , ये बताओ वो क्रीम तो ठीक थी न , मैने दूसरे दुकान से लेकर कर दी थी ।

ठकुराइन मुस्कुरा कर चलने लगी : हा ठीक थी
राज : वैसे मैने आपके हाथों पर कभी बाल देखे नहीं !
ठकुराइन मुस्कुराने लगी और आगे चलती रही : तुम बहुत भोले हो अभी , हर चीज हाथ और पैर पर ही नहीं लगाई जाती बुद्धू
राज को समझते देर नहीं लगी और वो मुस्कुराने लगा
ठकुराइन उसको मुस्कुराता देख : क्या सोच रहे
राज मुस्कुरा कर : सोच रहा हूं आज तो अंकल की किस्मत बुलंद है
ठकुराइन शर्म से लाल हो गई : धत्त नटखट , मारूंगी कितने बदमाश हो तुम
राज अब खिलखिला कर हसने लगा और फिर बोला : वैसे खास जगहों के लिए कुछ खास ब्रांड होते है । अगली बार वो ट्राई करना
ठाकुराइन: अच्छा जी , तो अब मुझे मेरा कॉस्मेटिक कंसल्टेंट भी मिल गया
राज : जी जरूर हीहीहीही
ठकुराइन हंसती हुई : पागल

और दोनों पार्टी हाल में वापस आ गए

मंजू - मुरारी

हाइवे से लगे एक अच्छे होटल पर खाने के लिए मुरारी मंजू रुके थे । मुख्य सड़क से लगभग 25 मीटर अंदर फील्ड के बाद एक खुली जगह में रेस्तरां था , जो लगभग पूरी तरह से फैमिलियर था । रात में पेड़ो और पोल पर लपेटी हुई रंग बिरंगी झालर से वहा गजब की रौनक थी ।

मंजू : वैसे ये जगह अच्छी है , काफी रौनक है यहां
मुरारी : हा , लेकिन मुझे लग रहा है यहां की रौनक तो तुम हो , सब तुम्हे ही देखे जा रहे है
मंजू मुस्कुरा कर शरमाई : धत्त क्या आप भी भैया , फ्लर्ट करेंगे मुझसे अब
मुरारी हस कर : मै तो मेरे दोस्त की तारीफ कर रहा था , फ्लर्ट थोड़ी
मंजू मुस्कुरा कर धीरे से : तो फ्लर्ट किसे कहते है ?
मुरारी मुस्कुरा कर उसके आगे झुक कर : पक्का न
मंजू मुस्कुरा कर हा में इशारा की
मुरारी इधर उधर देख कर : फ्लर्टिंग तो उसे कहते हैं जब मै कहता कि मंजू जबसे तुम्हे बाथरूम में देखा है कुछ कुछ हो रहा है
मंजू शॉक्ड हुई फिर अजीब सा मुंह बना कर हस्ती हुई : छीईईई इतना गंदा कौन करता है फ्लर्टिंग
मुरारी : भाई मै कोई शायर नहीं हूं तो मुझे जो चीजे पसंद आती है उन्हीं के बारे में कहूंगा
मंजू शर्मा कर मुंह फेरती हुई : आपको बस वही याद है मेरे बारे में , सामने आपके बैठी हूं और कुछ नहीं नजर आता मुझमें , हीही
मुरारी ने उसको अपने आगे देखा ,


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साड़ी के पल्लू से झांकती हुई कसे ब्लाउज में चुस्त छातियों की लकीर , रसभरे लिपस्टिक से चमकते होठ , शरारती और सुरमई आंखे ।
मुरारी : अब तो लग रहा है शायर ही बनना पड़ेगा
मंजू इतरा कर : तो बन जाइए , इतना तो कर ही सकते है अपने दोस्त के लिए उम्मम
मुरारी मुस्कुराने लगा और फिर बड़े गौर से मंजू की आंखों में देखता हुआ
" उफ्फ ये कजरारी आंखे , उफ्फ ये रसीले होंठ , उफ्फ ये गाल गुलाबी उफ्फ ये बड़े .... "
मंजू हस्ती हुई : बस बस रुक जाइए
मंजू अपने साड़ी का पल्लू सही कर अपने क्लीवेज ढकती हुई : आप न बहुत तेज है , तभी मै सोचूं कि भाभी क्यों परेशान रहती थी ।

मुरारी : उम्मम कही मेरी बातों से तुम तो नहीं परेशान हो रही
मंजू मुस्कुरा कर : उम्हू , इतना आसान भी नहीं
मुरारी टेबल के नीचे अपने जूते निकालने लगा : अच्छा ऐसा क्या ?
फिर धीरे से मंजू के पैर के ऊपर रख दिया और वो एकदम से चौक गई और बड़ी बड़ी आंखों से मुरारी को देखने लगी : हटाइए न , क्या कर रहे है कोई देख लेगा ।
मुरारी : तो गाड़ी में चले वहां कोई नहीं देखेगा
मंजू लाज से मुस्कुरा कर दूसरी ओर देखने लगी और मुरारी के पैर की उंगलिया मंजू की एडी से ऊपर साड़ी के भीतर घुसने लगी और उसकी सांसे लड़खड़ाने लगी ।
मंजू एकदम से उठ गई : मै बाथरूम से आती हूं
वो खुद को संभालना चाहती थी इसलिए उठ कर बाथरूम की ओर निकल गई , मगर मुरारी इस मौके को जाने नहीं देना चाहता था और वो उसके साड़ी में झटके खाते मोटे चौड़े चूतड़ों को देख कर अपना खड़ा लंड पजामे में सेट करने लगा ।
इधर वेटर खाना लेकर आ गया
मुरारी : तुम खाना लगाओ , मै हाथ धूल कर आता हूं
ये बोलकर मुरारी भी तेजी से बाथरूम की ओर चला गया ।
वहा जाकर देखा तो मंजू एक जगह खड़ी थी खुले में , एक पेड़ के पास जहां रोशनी कम थी ,मगर मुरारी ने उसकी साड़ी से उसे पहचान लिया और दबे पाव बिना उसकी नजर में आए उसके पास गया और झट से उसका हाथ पकड़ कर थोड़ा और आगे ले गया , जहां उस होटल की चारदीवारी लगी थी
मंजू : भैया आप यहां
मुरारी : यहां हमे कोई नहीं देखेगा मंजू
मंजू की सांसे चढ़ने लगी और वो मुरारी इरादा समझ रही थी और वो मुरारी को देख रही थी
मुरारी ने उसकी कमर में हाथ डाला और अपनी ओर कर लिया
मंजू सिहर उठी : भैया , वो ....
मुरारी उसके करीब जाकर उसके होठों से कुछ इंच की दूरी थी और हल्के से बोला : बस एक बार
मंजू उसके गर्म नथुनों से आती हवा से मदहोश सी हो गई और मुरारी ने उसके लिप्स चूसने लगा और मंजू ने भी भरपूर साथ देने लगी ।


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दोनो का जोश पूरे स्वाब पर था और मुरारी साड़ी के ऊपर से ही उसके जिस्म को मसलने लगा और उसके चूतड़ को सहलाने लगा

तभी उन्हें बाथरूम की ओर कुछ हलचल सुनाई दी और मंजू झट से मुरारी से अलग हो गई और खाने के टेबल की ओर चली गई , 2 मिनट रुक कर मुरारी भी खाने की टेबल पर पहुंचा और दोनों बस एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा रहे थे ।
भूख तो उनको थी मगर वो अब बदल चुकी थी , तो खाना भी फीका लगने लगा था ।

मुरारी : क्या हुआ खाओ न
मंजू मुस्कुरा कर न में सर हिलाई और निवाला चबाने लगी ।
वही मुरारी ने वापस से अपना पैर जूते से निकाल कर उसके टांगे घिसने लगा और मंजू की हालात खराब होने लगी । मगर अब वो मुरारी को चाह कर भी रोक नहीं सकती थी ।
खाने के बाद दोनों गाड़ी की ओर आए तो देखा ड्राइवर सो रहा था गाड़ी में ।
पार्किंग में और भी लोग थे तो मुरारी मंजू को छू नहीं सकता था ।
मंजू थोड़ी सोच में थी और मुरारी : चाहो तो आज रात हम यही आराम कर सकते है , यहां रूम भी मिल जायेंगे !
मंजू की आंखे बड़ी हो गई और मुरारी का इरादा समझ रही थी तो मुस्कुरा कर : नहीं रहने दीजिए , घर चलकर मै आराम कर लूंगी ।
मुरारी मुंह फेर कर भुनभुनाया : हा लेकिन घर पर कहा तुम मेरे साथ सोओगी
मंजू उसको घूर कर : क्या बोले ?
मुरारी ना में सर हिला कर हसने लगा तो मंजू आंखे महीन कर उसे घूरती हुई : कितने मतलबी हो आप
मुरारी : अरे इसमें सिर्फ मेरा फायदा थोड़ी है
मंजू : नहीं चाहिए मुझे फायदा कुछ , सब पता किसका फायदा है ।
मुरारी उसके पास आकर : मान भी जाओ न , प्लीज , शायद ये मौका मिले न मिले
मंजू थोड़ा सोचने लगी फिर मुस्कुरा कर झट से गाड़ी का दरवाजा खोलकर अंदर घुस गई खिलखिलाती हुई : मै तो घर जाऊंगी हीहीही

तभी ड्राइवर उठ गया : चले साहब जी
मुरारी मंजू को घूर कर देखता हुआ : हा भाई चलो हो गया

मंजू बस बिना आवाज के हसी जा रही थी और मुरारी मुंह बनाए हुए था ।

ममता - मदन


" भाभी मुझे आपको कुछ बताना है "
" हा , सुन रही हूं" , गर्दन फेर कर बड़ी शोख अदा से ममता ने मदन को देखा ।
उसकी शरारती मुस्कुराहट और नंगा बदन मदन को कामोत्तेजना के शिखर पर ले जा रहा थे ।
मदन की सांसे भारी होने लगी : यहां नहीं पहले नीचे चलिए
ममता एकदम से घूम गई और मदन की ओर एक कदम चल कर उसकी आंखों में देखते हुए : पहले बताओ तो , बात अगर इंटरेस्ट हुई तो नीचे भी चलूंगी और...
एकदम से ममता ने बोलते हुए अपने निचले होठ को हल्का सा अपने भीतर दबाया और आंखे महीन कर मुस्कुराई
मदन की हालत खराब हो रही थी ,वो अपनी मर्यादा नहीं तोड़ना चाहता था और न ही अपनी भाभी की इस बेसुधी का फायदा लेना चाहता था ।

मदन : दरअसल , आज शाम को दो बार मै आपके कमरे की ओर आया था
ममता मुस्कुराई : तो ?
मदन हिचकता हुआ : जब पहली बार तो उस वक्त आप भैया को याद कर रही थी
ममता को समझते देर नहीं लगी कि वो थोड़ा सा लजाई जरूर लेकिन शराब के नशे ने उसे लगभग बेशर्म कर दिया था : हम्ममम इंट्रेस्टिंग
मदन : तो नीचे चले
ममता खीझ कर : आगे बोलो न यार , आप भी देवर जी
मदन थोड़ा सा डर गया एकदम से ममता के हावभाव बदल गए : अच्छा ठीक है , ऐसा मैने आपको पहली बार देखा था और ना जाने मुझे क्या हुआ कि मेरे नीचे हरकत सी होने लगी

ममता मुस्कुराई: उफ्फ इसका मतलब आपको मुझे देखकर कुछ कुछ होता है न
मदन की सांसे बेचैन थी : हा , इसीलिए कह रहा हूं कि आप प्लीज कपड़े पहन लीजिए , आपको ठंड लग जाएगी
ममता हस्ती हुई उसकी ओर झुकने लगी : मुझे ठंड लग जाएगी या आपको गर्मी बरदाश्त नहीं हो रही है
एकदम से ममता ने नीचे हाथ बढ़ा कर मदन के पजामे में बने तंबू को छुआ , मदन अपने सुपाड़े पर ममता की उंगलियों का अहसास पाते ही गिनगिना गया और झटके से पीछे हो गया : भाभी नहीं
ममता : हाहाहाहाहा, तो मामला पूरा गर्म हो गया है उम्मम
मदन शर्म से झेपने लगा था , नजरे चुराने लगा था
फिर ममता ने ऐसी बात कही और उसकी आंखे बड़ी हो गई : दिखाइए न
मदन : ये ये क्या कह रही है भाभी , नहीं
ममता : ओहो अब भाव मत खाओ
मदन पीछे हटने लगा और ममता उसकी ओर नंगी बढ़ने लगी : नहीं भाभी प्लीज
ममता हस्ती हुई : आज मै तुम्हारी इज्जत लूट लूंगी मदन हीही हाहाहाहाहा
मदन की हालत पतली होंने लगी और अब उसके पीछे चारदीवाली थी और ममता एकदम उसे पास
मदन उसके हस्ते हुए क्रिपी चेहरे को देखता फिर उसकी निगाहे ममता के नंगे बदन पर जाती : नीचे !!
ममता रुक गई : ?
मदन : यहां नहीं नीचे , प्लीज
ममता एकदम से कैजुअल होकर : ओके
फिर वो अपनी नाइटी उठाई और गुनगुनाते हुए सीधा जीने से नीचे जाने लगी , एक बार भी मूड कर मदन की ओर देखा भी नहीं ।
मदन हैरत में आ गया कि आखिर एकदम से उसे क्या हुआ ।
उसने ऊपर बिखरा हुआ समान देखा और एक पल को उसने सोचा कि वो इन्हें समेटे , फिर सोचा छोड़ो यार कही वो वापस आ गई तो और बखेड़ा हो जाएगा । उसने चलते हुए सिगरेट के पैकेट उठाए और तेजी से जीने की ओर बढ़ा ।

तब तक जीने से उतरती हुई नीचे आ गई थी , हालांकि उसे चलने उतनी दिक्कत नहीं आ रही थी लेकिन उसका सर घूम रहा था और वो सीधे किचन से पानी पीने के लिए फ्रिज से पानी लेने गई और ठंडे पानी से पहले अपना मुंह धोया और फिर पानी पी कर गहरी सांस लेने लगी । अब उसकी चेतना थोड़ी थोड़ी जगने लगी थी । वही मदन ममता को खोजता हुआ नीचे आने , लगा उसे डर था कही ममता इधर उधर न गिर पड़े और जब उसने जीने पर से हाल में सोफे पर फैल कर नंगी लेती हुई ,


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उसके दोनों बड़े बड़े रसीले मम्में सीने के दोनों तरफ लटके हुए थे , उठी हुई मोटी गाड़ और चिपकी हुई जांघों के बीच चूत बालों से ढकी हुई।
मदन के कदमों की आहट से ममता के गर्दन उठा कर उसे देखा और मुस्कुराई
मदन आंखे फाड़ कर उसके सोफे से लटके हुए चूचे देखने लगा और उसकी सांसे तेज होने लगी ,मुंह में पानी आने लगा , लंड तो आधे घंटे से अकड़ा हुआ था ।

ममता भी काफी हद कर चेतना में लौट चुकी थी और उसे अपने नशे में किए गए बातों का ध्यान था मगर अब चीजें बदल गई थी । वो न शर्मा रही थी ना झिझक रही थी , उसके अंदर अलग ही तरह से कामना ने जनम ले लिया था जिससे उसकी बुर में कुलबुलाहट सी उठने लगी थी

ममता : वही रुको
मदन एकदम से ठहर गया
ममता छेड़ती हुई : शर्त भूल गए , चली जाऊ ऊपर
मदन एकदम से चौक कर : नहीं नहीं , वो मै करने ही वाला था
ममता हसने लगी और मदन पहले अपना कुर्ता और फिर पजामा निकाल दिया , उसका लंड उसके अंडरवियर में तना हुआ था अकड़ा एकदम से
तभी ममता की नजर मदन के कुर्ते की जेब में चौकोर डिबिया पर गई और लपक कर उसने उठा लिया और सिगरेट जला कर कस लेते हुई : अह्ह्ह्ह मजा आ गया उफ्फ हाहा
मदन मुस्कुराता हुआ खड़ा रहा वही
ममता सिगरेट की कस लेती हुई अपने पैर क्रॉस कर सोफे पर झुकी हुई थी और बड़े आत्मविश्वास से मदन को देख रही थी ।
ममता उसे छेड़ती हुई : वैसे दर्द तो होगा ही क्यों ?
मदन मुस्कुराने लगा और तकिया लेकर बगल वाले सोफे पर बैठ गया ।
ममता : सच सच बताओ कभी किसी के साथ ?
मदन एकदम से हड़का : कैसी बात कर रही है आप भाभी, मै किसके साथ ?
ममता मुस्कुरा कर : तो फिर वो कमरे में हेडबोर्ड के पास वाले दराज में वो पैकेट किसके है ।
ममता का इशारा मदन के कमरे में रखे कंडोम के पैकेट्स पर था ।
मदन की सांसे अटक गई और उलझन सी होने लगी
ममता : अब शरमाओ मत देवर जी , मै आपके भैया को नहीं कहने वाली कुछ
मदन : वो दरअसल काफी पुरानी है कभी शहर आना जाना होता है तो काम आ जाता है
ममता खिलती हुई : ओहो फिर तो इतने सालों में बड़े सारे लोगों के साथ काम किए होंगे आप क्यों ?
मदन मुस्कुराने लगा
ममता : ड्यूटी के टाइम पर तो मुश्किल ही रही होगी न
मदन : नहीं वहा तो और भी आसानी होती थी ।
ममता दिलचस्प दिखा कर उसके करीब हुई और मदन की निगाहे उसके झूलते चूचे पर : मतलब ?


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मदन : वहा फोर्स में सीनियर अपने परिवार सहित होते थे और जब अफसर लोग नहीं होते थे तो कई मैडम इसका फायदा लेती थी घर में काम कर रहे सिपाहियों से ।
ममता : क्या सच में ? और आप
मदन : मै भी कुछ के साथ था , एक थी जिसके साथ करीब 7 साल तक , प्लीज आप ये सब भैया से मत कहिएगा
ममता : 7 साल तक ? ऐसा क्या जादू कर दिया था उसने उम्मम कि छोड़ा नहीं
मदन मुस्कुरा कर : दरअसल उसने मुझे नहीं छोड़ा था
ममता : ओह्ह्ह , अच्छा कभी ऐसा मन नहीं हुआ कि शादी कर ले या फिर लेकर भाग जाए ।
मदन : नहीं , वहां हमारा रिश्ता हमेशा जिस्मानी ही रहा
ममता : दिखने में कैसी थी ?
मदन : कौन
ममता : अरे वही जिसके साथ 7 साल तक
मदन मुस्कुरा कर : अच्छी थी पंजाबन थी
ममता : फिगर कैसा था ?
मदन : क्या ?
ममता हस कर : अरे फिगर फिगर, दिखने में कैसी थी । मोटी पतली कैसी
मदन हंसता हुआ : वो लगभग आपके जैसी
ममता चौकी : क्या सच में ?
मदन ने मुस्कुरा कर हा में सर हिलाया
ममता उसको शर्माता देख : कही ऐसा तो नहीं कि वो जैसी थी इसलिए 7 साल तक उसको छोड़ा नहीं ।
मदन : क्या भाभी कैसी बात कर रही है, मैने आपके बारे में ऐसा कभी नहीं सोचा
ममता : चल झूठे , अभी ऊपर कह रहे थे कि मुझे शाम को कुछ करते देखा , क्या कर रही थी बताओ न
मदन : वो आप लेटे हुए भैया को याद कर रही थी


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ममता ने मदन को तंग करते हुए अपनी जांघें फैला दी और उसकी बड़ी लंबी फांक वाली चूत मदन के आगे , उसकी सांसे अटकने लगी और वो आंखे फाड़े ममता के लंबी बुर को निहार रहा था
ममता अपने हाथ अपने चूचों पर ले गई और उन्हें सहलाने लगी : कैसा ऐसे कर रही थी तब मैं उम्ममम
मदन उसकी ओर झुकने लगा : नहीं भाभी वो आप नीचे उफ्फ भाभीईईई

ममता ने एकदम से अपनी एक टांग खोलकर दूसरे हाथ से अपनी बुर की लंबी फांकों को सहलाने लगी मदन के सामने : ऐसे क्या देवर जी


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मदन घुटने के बदल होकर ममता के आगे आ गया था और उसकी आंखे बस एक टक ममता की रसाती बुर देखे जा रहे थी : हा भाभी
ममता : और आपका क्या मन कर रहा था , मुझे तड़पता देख कर उम्मम
मदन : मै सोच रहा था कि... कि
ममता अपने चूत के दाने को उसके आगे सहलाती हुई : कि मेरे हाथ की जगह आपकी जीभ होती तो उम्मम
मदन की सांसे भरारे लगी और तेजी से सास लेता हुआ ममता की ओर झुक रहा था : हा , क्या मै ?
ममता ने मदन की तड़पती आंखों में देखा और पूछा : पसंद है क्या ?
मदन : इतनी लंबी फांकों वाली मैने पहले कभी नहीं देखी भाभी उफ्फ
ममता : चाटना है ?
मदन ने ममता की आंखों में देख कर हा में सर हिलाया

ममता ने मुस्कुरा कर अपने कूल्हे उठा कर आगे किए और मदन को खुला आमंत्रण दे दिया
ममता की बुर कबसे गीली हुई जा रही थी और उसमें से आती मादक गंध से मदन का नथुना भर गया था, उसके दिमाग की नशे तन गई थी और जांघिया में लंड एकदम फड़फड़ाने लगा
नजर भर उसने ममता की ओर देखा और अपनी लार छोड़ती जीभ से थूक गटकता हुआ अपने होठ सीधा ममता के बुर के ऊपर दाने पर रख दिया
ममता आंखे बंद कर सिहर उठी : अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह


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अगले ही पल अपने होठ वही जमाए हुए निचले होठ को ममता के फांकों पर रगड़ कर नीचे करके अपने होठ खोल कर जीभ निकाली और ममता की लंबी फांकों की निचली छोर से पूरी जीभ को फिराता हुआ ऊपर ले आया , जिससे उसकी जीभ ममता के कामरसों से सन गई और उसने अपने होठों सिकोड़ कर उसके दाने को चुबलाया
ममता की पीठ अकड़ गई , जांघें झनझनाने लगी , सांसे तेज हो गई नथुने फूलने लगे और निप्पल पूरी तरह तन कर खड़े हो गए : उफ्फफ देवर जीईईईई ओह्ह्ह्ह


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अगले ही पल फिर से मदन ने वही प्रक्रिया दोहराई और इस बार होठों से लगातार तीन बार उसके दाने को चूसा
ममता की मानो जान ही उसी रास्ते निकल जाए और वो अपने कूल्हे उठा दी और मदन के सर पर हाथ रख दी : उफ्फ देवर जी अह्ह्ह्ह


मदन बिना मुंह उठाने नजर उठा कर पगलाई हुई ममता को देखा , जिसकी आंखों के सेक्स की कितनी भूख थी कितनी तड़प थी, उसकी आंखों में देखते हुए ही मदन ने अपनी जीभ को उसके गिले बुर पर गोल गोल फिराया
ममता आंखे उलटने लगती मुंह खोल कर जब मदन की जीभ के टिप का निचला हिस्सा उसके बुर के दाने के पास जाता
मदन ने वापस ने अपने काम में लग गया और इस बार उसके फांकों को मुंह में लिया और उन्हें बाहर खींचते हुए चुबलाते हुए छोड़ दिया
ममता अपनी गाड़ उठाए रह गई और हांफने लगी : ओह्ह्ह्ह यशस्स अह्ह्ह्ह्ह
मदन ने वापस से वही प्रकिया दोहराई और फिर एकदम से अपनी जीभ को रेंगाते हुए ममता की बुर में घुसा दिया : अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह
ममता हाफ रही थी और दोनों हाथों से सोफे पर सहारा ले कर अपने गाड़ को हवा में उठा रखा था और आंखे बंद कर मदन की जीभ को अपनी बुर की दिवालो को कुरेदता महसूस कर रही थी : अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह गॉड कितना अह्ह्ह्ह मै ... अह्ह्ह्ह देवर जी अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह


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ममता ने मदन के बाल पकड़ कर अपने बुर पर दबाने लगी जिससे मदन के ऊपरी होठ उसके बुर के दाने पर घिसने लगे , अब तो उसका पागलपन और बढ़ गया और आंखे उलटती हुई वो अपनी कमर झटकने लगी तेज आवाज में चीखती हुई : अह्ह्ह्ह उम्मम ओह्ह्ह देवर जी अह्ह्ह्ह लो पी लो आह्ह्ह्ह आ रहा है अह्ह्ह्ह हाय दैय्या सीईई अह्ह्ह्ह मर जाऊंगी अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह

ममता पूरी तरह से अकड़ गई थी ,उसके चूतड़ सख्त हो गए थे और जांघों ने मदन का सर अपनी गिरफ्त में ले लिया था ,मदन हिल भी नहीं सकता था और ममता के बुर से आती रस दार मुंह लगा कर वो उसकी बुर पर ही लिपने लगा और ममता बस झड़ती रही और हांफती रही ।
ममता सोफे पर और मदन उसकी गदराई जांघों के बीच में सर टिका कर सुस्ताने लगा ।

जारी रहेगी
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर बडा ही जबरदस्त कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
 

Rony 1

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456
64
💥 अध्याय : 02 💥

UPDATE 16 (A)


रागिनी-अनुज स्पेशल


" अरे देखो तो , इसका नाटक " , रागिनी ने मुस्कुरा कर अनुज को देखा और फिर जबरन उसके कंबल में जाने लगी
अनुज भूनक कर : क्या कर रहे हो मम्मी यार आप
रागिनी : अरे मुझे ठंडी लग रही है , खिसक न ऊहूहु कितनी गलन है
रागिनी हंसती हुई जबरन अनुज के कंबल में घुस गई

अनुज फिर भी करवट लेकर अपनी मां की ओर पीठ किए पढ़ रहा था राज के बिस्तर में ।
लेकिन पढ़ाई हो कहा रही थी , उसके मा का यूं कम्बल के घुसना और उसकी कमर का अनुज के पीठ में गुदाज मुलायम स्पर्श उसे अंदर से गुदगुदी कर रहा था । जबरन आंखे गड़ाए वो किताब देख रहा था , जबकि उसे तो नोट्स लिखने थे ।

रागिनी : आज की रात मै भी यही सो जाती हूं , कितनी ठंडी है दादा
अनुज अभी भी गुस्सा था तो पिनक कर अपनी मां को बिना देखे : क्यों आपके बिस्तर में भी कम्बल है न
रागिनी हंसते हुए सरक कर कंबल में नीचे जाते हुए : वहा तुझे ऐसे पकड़ कर सोने को नहीं मिलेगा न हीहीहीही
रागिनी ने एकदम से अनुज की टीशर्ट में अपने ठंडे हाथ घुसा कर उसके पेट को छुआ और अनुज छटकते हुए हसने लगा : क्या मम्मी छोड़ो न कितना ठंडा हाथ है आपका
रागिनी उसको पीछे से पकड़ कर अपनी ओर कस ली , अनुज को अपनी मां की नरम छातियां अपने पीठ पर महसूस हुई और उसका लंड लोवर में झटका देने लगा : उम्ममम
वो सिसक पड़ा
रागिनी : भूल गया जब तू छोटा था और तुझे ठंड लगती थी तो ऐसे ही तुझे अपने सीने से लगा कर सुलाती थी , अब मुझे लग रही है तो नाटक कर रहा है ।
अनुज को अपनी मां की बचकानी बातें सुनकर हसी आ रही थी लेकिन उसके बदन का स्पर्श उसे कामोत्तेजित भी कर रहा था ।
अनुज उसकी ओर गर्दन फेर कर सीधा होता हुआ : तो क्या अब आप मेरे सीने पर सोओगे
रागिनी बिना एक पल सोचे अपना हाथ उसके टीशर्ट में पेट से सरका कर उसके सीने पर ले गई ,जो अब रागिनी के करीब आने से तवे की तरह तप रहा है : उफ्फ कितना गर्म है रे तू
अनुज की सांसे चढ़ने लगी जब उसने अपनी मां की नरम हथेली अपने सीने पर महसूस की , नीचे लोवर ने तम्बू बन गया था और चेहरा लाल होने लगा था ।
रागिनी मुस्कुरा कर उसके सीने पर सर कर ली : बिल्कुल सोऊंगी , अह्ह्ह्ह्ह कितना आराम है उम्मम अब तो लग रहा है तेरे पापा को छोड़ कर तेरे साथ ही सोना पड़ेगा सारी सर्दी

उसकी मां के मुंह से निकले एक एक शब्द अनुज को गहरी काम कल्पनाओं से भर दे रहे थे ,उसपर से रागिनी उससे एकदम लिपटी हुई थी ।
अनुज खुद को संभालता हुआ : क्यों ?
रागिनी : भाई मुझे बहुत सर्दी लगती है और आगे अभी ठंडी तो बहुत पड़ेगी । तो मै तेरे पास ही सोऊंगी तुझे पकड़ कर
अनुज खुद की सांसे काबू करता हुआ : और पापा
रागिनी : अच्छा बच्चू, मम्मी इतना प्यार करती है उसकी फिकर नहीं है पापा का बड़ा ध्यान है , हूह
अनुज अपनी को मुंह बनाता देख मुस्कुरा : नहीं ऐसा नहीं है , मतलब उनको आदत नहीं होगी न अकेले सोने की
रागिनी तुनक कर तुरंत अनुज के बात का जवाब देती हुई : उनको मेरे होने न होने क्या फर्क , दो दिन हो गए फोन भी आया हूह
अनुज अपने दिल का डर बयां करने लगा : फिर भी वापस आयेंगे तो आप चले जाओगे न
रागिनी उसकी देख कर उसके गाल छूती हुई : अच्छा लगता है मम्मी के पास सोना
अनुज मासूम सा मुंह बना कर : हम्ममम
लेकिन रागिनी की ममता एक पल में चूर हो जाती अगर उसका हाथ ऊपर की जगह नीचे होता , नीचे अनुज का लंड फौलादी हुआ जा रहा था , सुपाड़ा अपनी खोल से निकलने की राह देख रहा था और लंड खूंटे की तरह अकड़ा हुआ ।
रागिनी : अच्छा ठीक है , मै तेरे पापा को बोल दूंगी कि अब मै मेरे बेटे के साथ सोऊंगी , वो जाए दूसरी बीवी ले आए
अनुज : क्या ? भक्क नहीं
रागिनी हसने लगी : अच्छा अब तो नाराज नहीं है न मुझसे मेरा बेटा
अनुज मुंह बिगाड़ कर : किसने बोला , मै तो नाराज हूं
रागिनी : अच्छा बच्चू बताऊं , करु गुदगुदी
अनुज एकदम से खिलखिलाने लगा , कम्बल के अंदर हलचल होने लगी अनुज पैर झटकने लगा और रागिनी उसको खिलखिलाता देख खुश थी ।
फिर वो रुक गई और दोनों एक दूसरे को देखने लगे ।
अनुज की आंखों में सवाल स्पष्ट रूप से तैर रहा था जिन्हें रागिनी समझ रही थी और उसका दिल बेचैन होने लगा । चेहरे की रौनक मद्धम पड़ने लगी और सांसे तेज होने लगी ।
उस चुप्पी में दोनों के दिल जोरो से धड़क रहे थे ।

रागिनी ने आंखों से इशारा करते हुए : क्या हुआ बोल न
अनुज उसकी ओर से मुंह घूमा कर छत की सीलिंग फैन को देखने लगा : जब आप बताओगे नहीं तो क्या ?
रागिनी समझ रही थी मगर अनुज उसकी नजरो में अभी वो छोटा बच्चा था, उसे उसके ऐसे ही खेलना मस्ती करना , उसे सताना और फिर मनाना। रागिनी समझ रही थी कि दसवीं कक्षा के लड़के की उम्र में जिज्ञासा बढ़ रही होगी । मगर उसके लिए अनुज अभी भी बहुत भोला था , भावनाओं से भरा हुआ , मासूम और उसका दुलारा उसकी जान से भी बढ़ कर ।
वो परेशान थी और चुप भी , वो सोच रही थी काश इस वक्त उसकी किसी तरह अपनी बड़ी बहन रज्जो से बात हो जाती तो शायद वो इस बात का हाल दे देती । मगर फिलहाल ऐसी कोई व्यवस्था मुमकिन नहीं थी , ऐसे में रागिनी ने सोचा कि अगर उसकी जगह रज्जो होती तो वो कैसे इस असहज माहौल को सही करती क्योंकि रज्जो ऐसे असहज माहौल को हैंडल करने में बहुत हद तक अच्छी थी । रागिनी के दिमाग में रज्जो की कई सारी बातें आ रही थी और तभी उसका दिमाग चल गया । शायद ये तरीका कारगार हो जाए ।
रागिनी : मै बत्ती बुझा दूं
अनुज चुप रहा कुछ बोला नहीं तो रागिनी ने उठ कर बत्ती बुझा दी और वापस कम्बल में आ गई ।
अनुज अभी भी शांत था और रागिनी उसके बगल में सीधी लेट गई
रागिनी : एक वादा करेगा
अनुज अचरज से अंधेरे में अपनी मां की आवाज पर उसकी ओर देखता हुआ : क्या ?
रागिनी : ये बात किसी से कहेगा तो नहीं न
अनुज : कौन सी बात ?
रागिनी : अरे जो मै अभी बताने वाली हूं, तूने पूछा न वो अंडर गारमेंट किसकी है और उसे कौन पहनता है ।
अनुज की सांसे तेज होने लगी उसका लंड अकड़ने लगा : ठीक है , नहीं कहूंगा , बताओ अब
रागिनी अपना गला साफ कर रही थी उसे थोड़ी हंसी भी आ रही थी
अनुज : अब बोलो न
रागिनी : बता रही हूं न , तू तेरे नाना के बारे में जानता ही है कि वो थोड़े रोमेंटिक है
अनुज टोक कर : थोड़े ?
रागिनी को हंसी आई : हा मतलब ज्यादा वाले है , लेकिन एक बात है जो तू नहीं जानता।
अनुज : क्या ?
रागिनी : कि जब अम्मा थी तो भी बाऊजी के शौक थे अलग अलग औरतों के साथ वो सब करने का
ये सुनते ही अनुज का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा और अनुज उसको पकड़ कर भींचने लगा : क्या ? सच में और नानी को पता नहीं था ।
रागिनी मुस्कुरा कर : पता था उनको भी
अनुज : क्या सच में
रागिनी : हा भाई , और अम्मा तो बाउजी के लिए हेल्प भी करती थी ।
अनुज : हेल्प ? मतलब नानी दूसरे औरतों को बुलाती थी नाना के लिए
रागिनी : भक्क नहीं , वैसे नहीं
अनुज : तो ?
रागिनी अटक कर : वो अम्मा बाउजी के लिए उस औरत के कपड़े पहन कर तैयार होती जिसको बाउजी पसंद करते थे
अनुज एकदम सन्न हो गया उस लंड लोवर में अकड़ गया
अनुज : नानी को गुस्सा नहीं आता कि नानू को दूसरी औरते पसंद है
रागिनी मुस्कुराने लगी : पता नहीं लेकिन अम्मा को कभी बाउजी से झगड़ते नहीं देखा , अम्मा घर में काम करने वाली औरतों और दूसरे मेहमानों के कपड़े पहन कर बाउजी के पास जाती थी ।

अनुज का लंड अकड़ रहा था लेकिन इसके दिमाग में सवाल उठ रहे थे : तो क्या नानू को घर आए रिश्तेदारों को भी पसंद करते थे ।
रागिनी थोड़ी असहज होकर : अब करते ही होंगे तभी न अम्मा उनके कपड़े पहनती थी और एक बार को तो ....
अनुज : क्या ?
रागिनी : कुछ नहीं
अनुज : बताओ न
रागिनी : एक बार तो सुलोचना बुआ आई थी घर ...
अनुज का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा कि उसके नाना अपनी बहन को भी चोदना चाहते थे : तो क्या नानी ने उसे भी पहन लिया ?
रागिनी की सांसे तेज थी: हम्ममम
फिर कुछ देर की चुप्पी बनी रही और अनुज : लेकिन इन सब का उस अंडर गारमेंट से क्या लेना देना।

रागिनी की सांसे अब अफ़नाने लगी और वो थोड़ा हिचक रही थी : दरअसल तेरे पापा भी कुछ कुछ तेरे नाना जैसे है
अनुज एकदम से चौक गया : क्या ?
रागिनी चुप थी
अनुज की बेताबी बढ़ गई उसके दिमाग में ढेरों कल्पनाओं और जिज्ञासाओं ने घर करना शुरू कर दिया ।
अनुज: तो क्या पापा भी दूसरी औरतों के साथ वो सब करते हैं?
रागिनी : धत्त, उन्हें कौन इस उम्र में घास डालेगी
अनुज कंबल में अपना सुपाड़ा मिज कर : फिर ?
रागिनी मुस्कुरा कर : मुझे ही कपड़े पहनने पड़ते है उनके लिए
अनुज का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा , मानो सारी नसे खून उसके लंड के आस पास ही दौड़ा रही थी । अपने पापा के बारे में ऐसी बातें उसे कामोत्तेजना से भर देती है ।
अनुज ने दिमाग में जो ख्याल चल रहे थे उससे उसका सुपाड़ा बुरी तरह से खुजा रहा था और वो उसको अपने हथेली के मिजते : तो आपने किसके किसके कपड़े पहने है अब तक
रागिनी एकदम से लजा गई : धत्त वो क्यों जानना है तुझे
अनुज : बताओ न मम्मी प्लीज
रागिनी अब खुद के ही बनाए जंजाल में फंस गई थी उसे उम्मीद थी कि वो कहानी सुनाएगी और बात को घुमा ले जायेगी , लेकिन यहां तो अनुज ने सवाल करना शुरू कर दिया , अब उसे समझ नहीं आ रहा था कि किसका नाम ले , अगर मुहल्ले या किसी ऐसी बाहरी औरत का नाम लिया और अनुज ने कौतूहल में जांच पड़ताल कर दी चीजें बिगड़ जायेगी क्योंकि अभी भी उसके जहन अनुज का भोलापन वाला ही किरदार बसा था , उसे कोई ऐसा नाम चाहिए था जिसे जरूरत पड़ने पर वो अपने हिसाब से उस इंसान से बात कर स्थिति अपने काबू में रख पाए और उसके जहन में एक ही चेहरा याद आ रहा था जो शायद उसकी गलतियों को अपने हिसाब से सुधार सके अगर भविष्य में इसकी कोई गुंजाइश हुई तो ।
रागिनी : तू किसी को कहेगा तो नहीं
अनुज का लंड मुंह खोलकर अकड़ रहा था : नहीं
रागिनी कुछ देर चुप हुई : सबसे ज्यादा तो मैने रज्जो दीदी की साड़ी पहनी है ।
रज्जो का जिक्र आते ही अनुज का लंड पूरा फूल गया , उसका सुपाड़ा जलन से भर गया लंड एकदम खूंटे जैसा टाइट उस सख्ती ने उसके लंड के दर्द सा भी उठने लगा । इतनी उत्तेजना अब तक कभी अनुज ने महसूस नहीं की थी ।
उसके दिमाग में अब रज्जो मौसी और उसके पापा की छवि चल रही थी। उसके जहन में सोनल की शादी के दिनों में वो पल याद आ रहे थे जब उसके पापा ने उसकी रज्जो मौसी को किचन में पीछे से उसकी मां समझ कर पकड़ लिया था और सब कुछ जानने के बाद भी उसके पापा ने रज्जो की कमर से हाथ नहीं हटाए और रज्जो मौसी ने कितनी बेशर्मी से हस कर कहा था
" क्यू आपको मेरे और रागिनी के पिछवाड़े मे कोई अन्तर नही मिलता क्या? खुब समझती हू आपकी चालाकिया जमाई बाबू "
अनुज अपने मन में बड़बड़ाया : इसका मतलब सच में उसके पापा मौसी को पेलना चाहते है तभी तो उसकी मां रज्जो मौसी के कपड़े पहनती है ।
रागिनी अनुज को चुप देख कर : क्या सोच रहा है
अनुज अपने ख्यालों से निकल कर : बस साड़ी ?
रागिनी थोड़ी लजाती हुई मुस्कुरा कर : हा , मतलब सारे कपड़े , ब्रा पैंटी सब
अनुज हलक से थूक गटक कर : और पापा आपको फिर क्या कह कर बुलाते थे

रागिनी समझ रही थी कि अनुज के दिमाग में इस वक्त चीजें तेजी से चल रही होगी और वो इनसब को अपने हिसाब से जोड़ तोड़ भी रहा होगा ।
रागिनी : वो सब क्यों जानना है तुझे
अनुज तड़प कर : बताओ न मम्मी प्लीज
अनुज तड़प रहा था और सोच रहा था कि क्या जो वो सोच रहा है वैसा ही उसके पापा करते होंगे उसकी मां के साथ , और अगर चीजें उसकी कल्पनाओं के जैसी ही घटित हो रही होगी तो । अनुज अपने ही ख्यालों से बेचैन हो उठा और एक तीव्र कामोत्तेजना से वो भर गया । सांसे चढ़ने लगी पूरे बदन में गर्मी बढ़ने लगी जिसे रागिनी भी महसूस कर रही थी । लेकिन उसकी कमर और जांघों के पास खून का बहाव बढ़ गया , वहा जलन भरा दर्द अकड़न सा होने लगा
रागिनी : तुझे नहीं पता तेरे पापा तेरी मौसी को क्या कहते है
अनुज एकदम से अकड़ने लगा उसके जहन उसकी मौसी की नंगी छवियां उठने लगी जिसमें उसके पापा उसकी मौसी को झुका कर पेल रहे है " ओह जीजी आपकी गाड़ कितनी बड़ी है आह्ह्ह्ह"

रागिनी : क्या हुआ
अनुज ने अपना हाथ अब लंड से हटा लिया था , उसे डर था कि अब उसने वहा छेड़छाड़ की तो पक्का उसका लंड बह जाएगा और गलती से इसकी भनक उसकी मां को हो गई तो गड़बड़ हो जायेगी ।
अनुज थोड़ा हिचक कर : कुछ नहीं
रागिनी को थोड़ा शक हुआ कि जरूर उसके मन में कुछ चल रहा है : बोल न क्या सोच रहा है
अनुज : कुछ नहीं वो मै सोच रहा था कि पापा ऐसे कैसे कर सकते हैं, ये तो आपके साथ गलत हुआ न
रागिनी मुस्कुरा दी ये सोच कर कि इतनी गंभीर बात पर अनुज को अभी उसके मा की फिक्र है : नहीं तो , किसने कहा । हा गलत होता अगर वो मुझसे छिप कर ये सब करते । उनके दिल में जो भी था उन्होंने मुझसे खुल कर कहा कभी कोई बात नहीं छिपाई और फिर रज्जो दीदी जैसी औरत किसे भला नहीं भाएगी ।
अनुज : फिर भी उनकी शादी तो आपसे हुई है न
अनुज की बात सही थी लेकिन , चूंकि रागिनी रायता फैला चुकी थी तो समेटना उसे ही था और वो अनुज को समझाने लगी : देख बेटा इस दुनिया में जितने आदमी है मेरे ख्याल लगभग उतनी ही औरतें आधी आधी क्यों ?
अनुज ने हुंकारी भरी
रागिनी : हा तो तू ही बता वो इंसान सच्चा है जो ये कहे कि मै मेरी बीवी के अलावा किसी दूसरे औरत को नहीं देखता या फिर वो जो स्वीकार करें कि इतनी बड़ी दुनिया आंखे बंद करके और मन को बांध कर नहीं जिया जा सकता है । चाहते न चाहते हुए भी दूसरी औरतों पर नजर चल जाती है ।

अनुज के पास अपनी मां के तर्कों का कोई तोड़ नहीं था : दूसरा वाला सही होगा
रागिनी : फिर तू ही बता तेरे पापा जो कि उन्होंने मुझे साफ साफ अपने मन की बात बता दी क्या वो गलत है
अनुज चुप होकर : नहीं
लेकिन अनुज के मन एक ही सवाल आ रहा था लेकिन उसके दिल में डर था मगर अब उसने हिम्मत बांध लिया
अनुज : एक बात पूछूं मम्मी
रागिनी : क्या बोल
अनुज : अगर पापा सचमुच में मौसी के साथ करने को कहे तो ?
रागिनी एकदम से चौक गई , उसे इस सवाल की बिल्कुल उम्मीद नहीं थी ।
लेकिन अब रागिनी के पास पीछे लौटने का कोई रास्ता नहीं था ।
रागिनी थोड़ा हिचक कर : अगर दीदी को ऐतराज नहीं होगा तो मै नहीं रोकूंगी ।
अनुज : क्या सच में
रागिनी : हा , लेकिन तू इनसब बातों को इतना बड़ा क्यों बना रहा है । अगर तेरे पापा मुझे बता कर तेरी मौसी से वो सब करते है तो ये कोई धोखा नहीं हुआ न ।
अनुज : हम्ममम
रागिनी : और कोई सवाल
अनुज : वो अंडरगार्मेंट किसके है
रागिनी को हंसी आई : जानती थी , बदमाश कही का वही पूछेगा ।
अनुज : बताओ न मम्मी, सब तो बता दिया तो उसे क्यों नहीं ।
रागिनी : बता रही हूं लेकिन इसमें तेरे पापा की कोई गलती है समझा । उनको बुरा भला मत कहना । वो बस तेरी मौसी के ही दीवाने है किसी और के नहीं । ये बस मेरी शरारत थी और कुछ नहीं ।
अनुज सोच में पड़ गया आखिर ऐसी क्या बात होगी , उसकी बेचैनी बढ़ने लगी ।
अनुज ने हुंकारी भरी
रागिनी : बात दरअसल तब की है जब सोनल की शादी का शगुन जाना था , तो उसमें सोनल की सास का भी शगुन और कपड़े भेजने थे तो शादी ब्याह में समधन लोगों का आपस में हसी ठिठौली चलती है । तो मैने सोनल की सास ने बातों बातों में उसके अंडर गारमेंट का साइज पूछ लिया और तेरे पापा को जिम्मेदारी दे दी कि वो शहर अपनी समधन के नाप की ब्रा पैंटी लेकर आए ।
अनुज चौक कर : सच में ? और वो लाए ?
रागिनी पुरे विश्वास से : लाएंगे क्यों नहीं हीहीहीही , पता है वो बता रहे थे कि उन्हें बड़ी शर्म आ रही थी खरीदते हुए
अनुज मुस्कुराने लगा और उसका मन भी थोड़ा हल्का हो गया था लेकिन लंड ने अकड़ने बरकरार थी : फिर ?
रागिनी खुश हो रही थी कि अनुज को उसकी कहानी में रस आ रहा है : फिर क्या सारी चीजें शगुन में भेज सकती दी मैने , बाद में पता चला कि सोनल की सास के कूल्हे बड़े है और पैंटी छोटी
अनुज : कितने नंबर की थी
रागिनी : 50 , बाद में सोनल की सास ने बताया कि काफी समय से वो नीचे कुछ पहनती नहीं है और इधर उनका वजन बढ़ गया है
अनुज समझ रहा था लेकिन उसने की कोई टिप्पणी नहीं की ।
रागिनी : फिर मैने राज से बात कर दो नंबर बड़ी ऑनलाइन मंगवाया और शादी के बाद चौथ में नई वाली देकर पुरानी वाली लेली ।
अनुज : भक्क सच में , इतना मतलब ये ममता आंटी का है
रागिनी : हा उन्हीं का है
अनुज : तो क्या आपने इसे भी पहना था पापा के लिए जो धूल कर डाली थी ।
रागिनी हंस कर : पहना नहीं था लेकिन पहनने वाली थी इसलिए धूल कर रखा था और तौलिए से छुपाया भी था । लेकिन मुझे क्या पता था कि मेरे घर में एक जासूस है जो चीजे खोजता है ।
अनुज : अरे , मैने खोजी नहीं , बस तौलिया खींचा तो गिर गई थी ।
रागिनी : चल ठीक है , अब पता चल गया न तो सो जा । कल संडे है कितने काम है ।
कुछ देर अनुज चुप रहा और रागिनी भी समझ रही थी कुछ देर वो कुछ पूछेगा जरूर
अनुज : तो क्या पापा को पता है कि आप लेकर आए हो ममता आंटी की ब्रा पैंटी
रागिनी : नहीं, उनके लिए सरप्राईज रहेगा ये
अनुज का लंड फिर से फड़फड़ाने लगा और एक नई कल्पना ने उसे घर कर लिया
ममता , भरा लंबा चौड़ा बदन , बाहर निकले हुए हौद जैसे चूतड़ और बड़े बड़े पपीते जैसे चूचे, कामुक गोरा चेहरा । उफ्फ अनुज को याद आ रहा था अपने दीदी की शादी में उसने हाथ उठा कर बस उन्हें थोड़ा सा डांस करते देखा था , सबकी नजर उसके उछलते चुचे पर थी और जब एक जगह वो मण्डप में झुकी थी कुछ देने के लिए उसके बड़े बड़े चौड़े चूतड़ साड़ी ऐसे फैल गए थे मानो पहाड़ ।
अनुज का लंड फड़कने लगा ।
अनुज : तो क्या पापा को ममता आंटी भी पसंद है
रागिनी हसने लगी : पता नहीं लेकिन जब मैने उन्हें उस नाप की ब्रा पैंटी लाने को कही थी तो वो कह रहे थे कि... हीही ( रागिनी बातों को कैज़ुअल रखते हुए हस रही थी ताकि उसे असहजता न हो अनुज मजाक ही समझे )
अनुज : क्या
रागिनी : वो कह रहे थे कि मुरारी भाई की किस्मत बहुत बड़ी है हिहीही , तो मैने सोचा अब तेरे पापा अपनी किस्मत पर अफसोस करें अच्छा थोड़ी लगेगा तो उनके लिए सरप्राईज रखने का सोचा है ।
अनुज : तो कब पहनोगे आप उसको
रागिनी एकदम से चौक गई , उसे बिल्कुल भी यकीन नहीं था कि अनुज एकदम से उससे ऐसे सवाल पूछ लेगा ।
रागिनी समझ रही थी कि वो अगर इस बात को आगे बढ़ाएगी तो अनुज के सवाल कम नहीं होंगे बल्कि उसके पास बात बनाने के लिए कुछ बचेगा भी नहीं इसीलिए उसने उसको फुसलाने के कहा : जब पहनूंगी तो बता दूंगी तुझे , ठीक है मेरे जासूस
अनुज जासूस शब्द पर हसने लगा : हीहीही
रागिनी : और नहीं तो क्या नहीं तू खोज बिन करता रहेगा ।
अनुज हंसता रहा और रागिनी ने उसे अपने पास खींच कर उसके सीने पर वापस अपना सर रखती हुई : चल अब मुझे सुला दे
अनुज हसने लगा कि उसकी मम्मी उससे लिपट कर बच्चों जैसी हरकते कर रही थी , जबकि अभी 10 मिनट पहले वो झड़ने के करीब था ।
उसने अपनी मां को पकड़ लिया और रागिनी ने उसके सीने पर हाथ रख कर उसके ऊपर पैर फेक दी ।
संजोग की ही बात थी कि रागिनी का घुटना अनुज के लोवर में बने तंबू से कुछ इंच ही नीचे था और अनुज की सास अटक कर वापस से चलने लगी ।
अनुज भी समझ रहा था कि आज की रात अब इससे अधिक कुछ नहीं होने वाला और इससे बड़ी बात क्या होती कि उसकी मां उसकी बाहों में है और वो भी अपनी मां को अपनी बाहों में भर कर सो गया ।
एक नए सवेरे और नए सपने संजोते हुए जिसमें सिर्फ वो और उसकी मां थी ।

जारी रहेगी
Itna hi sahi Chalo 2 Saal intezar Karne k bad Aisha Kuch dekhne ki Matlab padne ko toh mila ummed hai jaldi anuj ragini chudai uske bad threesome foursome dekhne ko milega
 

Napster

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💥 अध्याय : 02 💥
UPDATE 15



चमनपुरा

किताबें लेकर अनुज किचन में टेबल पर बैठा हुआ था , बीच बीच में रागिनी उससे बात कर रही थी और अनुज की नजर भी रागिनी पर थी , स्कर्ट में उठे हुए रागिनी के मोटे चूतड़ पर सोनल के मुलायम स्कर्ट का कपड़ा एकदम चिपका था और बिना पैंटी के उसके चूतड़ों के उभार और दरार साफ झलक रहे थे,जिन्हें देख कर अनुज का लंड अकड़ रहा था ।

रागिनी सब्जी चला कर उसके पास आई और अनुज को किताबों में खोया देख उसके सर पर हाल फेरती हुई : भूख लगी न मेरा बेटा
अपनी के मुलायम और ममता भरे स्पर्श से अनुज के बदन में कंपकपी सी हुई और वो पिघलने लगा मानो : हा मम्मी , बहुत तेज
रागिनी : ठीक है तू हाथ धो ले फिर खाना लगाती हूं
फिर अनुज किताब नोट बुक्स साइड के रख कर हाथ धूल कर खड़ा हो गया और उसे कोई तौलिया नहीं मिल रहा था पोछने के लिए

रागिनी उसको इधर उधर देखता हुआ : क्या हुआ
अनुज गिले हाथों से : तौलिया ?
रागिनी ने देखा कि फिलहाल किचन में भी कोई रुमाल ऐसा नहीं था : इसीलिए मै साड़ी पहनती हूं, हाथ पोछने के लिए कपड़ा नहीं खोजना पड़ता

अनुज मुस्कुरा कर : कोई बात नहीं , मम्मी मै बाथरूम में से लेकर आता हूं
अनुज लपक कर बाथरूम में गया और वहां से तौलिया झटके से खींचा तो तौलिए के नीचे हैंगर में टंगी हुई ब्रा पैंटी की जोड़ी नीचे बाथरूम के फर्श पर गिर गई
अनुज ने जैसे ही बाथरूम के फर्श पर ब्रा पैंटी का जोड़ा गिरा पाया तो उसके मन में अपनी मां का ही ख्याल आया और उसने एक नजर दरवाजे से बाहर कमरे की ओर देखा और बिना एक पल गवाए फौरन अपने नथुनों से लगा लिया : उम्ममम मम्मी क्या मस्त खुशबू है अह्ह्ह्ह
उसका लंड पजामे के ठुमके लगाने लगा
फिर वो हड़बड़ी में अपनी मां की पैंटी को फैलाया और उसका साइज देखते ही उसे कुछ शक हुआ , क्योंकि जबसे वो दुकान पर बैठने लगा था उसे साइज के बारे में अच्छी जानकारी हो गई थी । और उस पैंटी का साइज देखने के बाद उसने जल्दी जल्दी उसका लेबल खोजा , तो उसपर 50 नंबर लिखा था । उसने अपना दिमाग दौड़ाया , भला उसके घर इतनी बड़ी गाड़ किसकी होगी । एक पल को उसका ध्यान रज्जो मौसी और शिला बुआ पर गया , मगर वो सब भी 46 वाली साइज के थे ।
जब उसने ब्रा का साइज पढ़ा तो 44E अब तो उसका माथा ही घूम गया क्योंकि इतने बड़े बड़े चूचों वाला तो उसके जानने वाले में कोई नहीं । सबसे बड़ी बात ना इस ब्रांड और साइज की पूरे चमनपुरा में कोई दुकान होगी जो ऐसे अच्छी क्वालिटी में ब्रा पैंटी रखता हो ।


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तभी बाहर से रागिनी ने आवाज दी और वो झट से कपड़े टांग कर बाहर आ गया ।
फिर दोनों के टीवी के आगे खाना खाने लगे , अनुज के दिमाग में अभी वो सवाल घूम रहे थे कि आखिर ये किसके हो सकते है लेकिन वो अपनी मां से पूछे भी तो कैसे ?
रागिनी : क्या हुआ क्या सोच रहा , खा न
अनुज बिना कुछ बोले खाना खाने लगा और फिर कुछ देर बाद कमरे में रागिनी आई : अच्छा सुन आज तू भी यही सो जाना
अनुज जो कि आज रात अपनी नई इंस्टा आईडी खोलने की सोच रहा था तो उसने जल्दीबाजी में बोल दिया कि उसे पढ़ाई करनी है अभी

रागिनी : हा तो ठीक है यही कर लेना न
अनुज को थोड़ा पछतावा होने लगा कि कल संडे हो जाएगा और वो लाली से बात भी नहीं कर पाएगा ।
रागिनी : राज भी आयेगा नहीं , और तेरे पापा वो तो ससुराल जाकर भूल ही गए है हम सबको , एक बार भी फोन नहीं किए , न हाल चाल लिया ।
अनुज : अरे मम्मी , न आपके पास फोन है और न मेरे तो किसके पास करेंगे ?
तभी अनुज का माथा ठनका " अरे यार हॉटस्पॉट भी तो नहीं है , राज भैया नहीं है तो "
फिर उसने सोचा क्यों न अपनी मां के साथ ही नजदीकिया बढ़ाई जाए ।
रागिनी मुंह बनाती हुई : अरे फिर भी हाल चाल होना चाहिए न , ना जाने क्या मिल गया है उन्हें वहां। तेरी मामी के साथ भाग गए तो
अनुज एकदम से खिलखिलाया : क्या मम्मी आप भी हीहीही
रागिनी हंसते हुए बिस्तर लगा रही थी : और क्या , तेरी मामी कहा गोरी और जवान और मै तो एक बिटिया भी ब्याह चुकी हूं
अनुज थोड़ा पोजेस हुआ जब रागिनी ने खुद को कम बताया और घुड़क कर : हा तो उससे क्या हुआ , आप मामी से ज्यादा सुंदर हो लेकिन

ये दूसरी बार था जब रागिनी ने अनुज के मुंह अपने लिए ऐसा कुछ सीरियस जैसा महसूस किया और हस्ती हुई : हा भाई मान गई, अब मुंह मत बना मै भी नहीं कहूंगी कुछ तेरी मम्मी के बारे में हीहीही खुश अब
अनुज थोड़ा शर्माने लगा और मुस्कुराने भी
रागिनी कम्बल रखती हुई : आजा बिस्तर पर वो लाइट बुझा दे , अगर पढ़ना नहीं है तो
अनुज ने सोचा अगर बत्ती बुझ गई तो उसकी जो योजना है वो विफल हो सकती है इसलिए हड़बड़ाया: नहीं मुझे लिखना है अभी कितना सारा, आज ये खत्म कर लूंगा तो कल जाऊंगा मिस जी के यहां से दूसरे नोट्स लेने है ।
रागिनी : अच्छा ठीक है भाई तू लिख ले आह्ह्ह्ह मै तो सोउंगी अरे दादा उम्मम कमर अकड़ सी गई
अनुज धीरे से भुनभुनाया : और करो डांस
रागिनी हस्ती हुई : क्या बोला , पागल कही का
अनुज हसने लगा : हा इतनी तेज तेज कमर हिला रही थी तो होगा नहीं दर्द
रागिनी कुछ सोच कर मुस्कुराती हुई उसे देखी
अनुज : बाम लगा दु ?
रागिनी : अरे तू तो डांटने भी लगा अब हीही
अनुज : भक्क मम्मी , चलो लेट जाओ अच्छे से

फिर रागिनी पेट के बल होकर लेट गई और अनुज ने उसकी कमर पर बाम लगा कर उसकी नंगी चर्बीदार मुलायम कमर और आधी पीठ तक हाथ से सहलाने ।
रागिनी : अह्ह्ह्ह्ह तेरे हाथ कितने नरम है , तुझे तो मसाज वाली होना चाहिए था
अनुज : भक्क मम्मी
रागिनी : सच में , गांव में पहले मसाज वाली होती थी
अनुज ने पहले कभी नहीं सुना था कि गांव में मसाज वाली होती है ।
रागिनी : वो सब बड़े घरों के यहां औरतों की मालिश करती थी ।
अनुज : और मर्दों की ?
रागिनी : हा उनकी भी करती थी , लेकिन कुछ खास लोगों की ही
अनुज : क्यों ?
रागिनी : अरे पहले का पहनावा और माहौल अलग था
अनुज : मतलब ?
रागिनी : मुझे देख रहा है , ऐसे ही पहले गांव के मालिश वाली घूमती थी बिना अपनी छाती ढके , घुटने तक घाघरे को लहराते हुए , ताकि बड़े घरानों के मर्द उनको देख कर आकर्षित हो और उन्हें मालिश के लिए बुलाए और उन्हें ज्यादा पैसा मिले
अनुज कुछ सोचता हुआ : तो क्या वो लोग उनके साथ कुछ जबरजस्ती नहीं करते थे
रागिनी : होता था बहुत बार , लेकिन ज्यादातर मालिश वाली खुद इनसब के लिए तैयार होती थी ।
अनुज का लंड अब हरकत करने लगा था और उसके दिमाग में कुछ ऐसा चल रहा था जिससे उसकी धड़कने तेज होने लगी थी । लेकिन वो चुप था
रागिनी : क्या हुआ क्या सोच रहा है
अनुज : मम्मी आपको एक बात बताऊं, आपकी कसम मै झूठ नहीं बोल रहा

रागिनी फिकर में उसे अपने पास करती हुई सीने से लगाने लगी : हा बोल न बेटा , इतना डर क्यों रहा है ।
अनुज अपनी मां से चिपका हुआ और भी कमोतेजित महसूस कर रहा था : वो जब हम लोग नानू के यहां जाते थे तो मैने वहां दो तीन बार नानू के कमरे में एक औरत को जाते देखा था फिर वो घंटे भर तक कमरे बंद रखते थे । एक बार उनसे पूछा तो कि नानू वो कौन थी तो कह रहे थे कि मालिश वाली है ।

रागिनी एकदम से चुप हो गई क्योंकि वो अपने बाप बनवारी की हरकतों से परिचित थी
अनुज : क्या हुआ मम्मी बोलो न
रागिनी : हा वो थोड़ा तेरे नाना को पैर के दिक्कत होती है , उसी की तो दवा भी चलती है ।
अनुज : और एक बात बताऊं मम्मी
रागिनी का दिल डर रहा था कि कही गलती से अनुज ने अपने नाना को गलत हालातों में देख न लिया हो ।
रागिनी : हा बोल बेटा
अनुज : नानू बहुत गंदे है
रागिनी की सांसे तेज होने लगी और वो समझ गई कि जरूर अनुज ने बनवारी को कुछ ठरकीपना करते देखा है : नहीं बेटा ऐसा नहीं कहते , तू अभी ये सब समझने के लिए बहुत छोटा है ।

अनुज : मै सच कह रहा हूं मम्मी , आपकी कसम , भैया की कसम
रागिनी की हालात खराब होने लगी कि वो कैसे उसे समझाए : बेटा देख अम्मा ( अनुज की नानी ) को गुजरे कई साल हो गए हैं जब हम लोग छोटे थे तभी और बाउजी थोड़े रोमेंटिक है ये बाती सब जानते है । लेकिन बेटा वो किसी के साथ जबरजस्ती नहीं करते । उनकी अपनी जरूरत है बस इसीलिए ।

अनुज अब चुप था और फिर बोला : लेकिन दो दो औरतों के साथ
रागिनी चौकी : क्या दो दो के साथ ?
अनुज : अब कभी चलना नानू के यहां तो मै दिखाऊंगा आपको कौन थी वो दोनों
रागिनी : अच्छा ठीक है ठीक है, छोड़ अब वो बातें । कहा से तेरे दिमाग में आ गई । पढ़ ले थोड़ा
अनुज मुस्कुरा कर किताबों की ओर हो गया और रागिनी करवट लेकर घूम गई ।
अपनी मां से इतनी बड़ी बाते साझा कर उसने समझा कि शायद उसे अब इतना भी नहीं डरना चाहिए जितना वो डरता है और उसके जहन में एक और सवाल ने जगह बना ली ।

अनुज : मम्मी
रागिनी : अब क्या हुआ ?
अपनी मां की खीझा देख
अनुज एकदम से डाउन हो गया : सॉरी कुछ नहीं
रागिनी कम्बल से मुंह निकाल कर करवट लेकर उसकी ओर घूमती हुई : क्या हुआ भाई बोल न
अनुज : वो आपके बाथरूम में किसी गेस्ट के अंडरगारमेट छूट गए है , जब मैने तौलिया लेने गया तो नीचे गिर गया था
रागिनी हंसते हुई : पागल गेस्ट के कहा से रहेंगे , मेरे होगे
अनुज : नहीं , उतना बड़ा थोड़ी न आपका होगा
अनुज की बात सुनकर कर एकदम से रागिनी का माथा ठनका और उसे याद आया कि वो अपनी समधन ममता की ब्रा पैंटी मांग कर लाई थी । इससे पहले वो कुछ बोलती अनुज झट से बेड से उछल कर बाथरूम में भागा: रुको दिखाता हु

फिर अगले ही पल बिजली की तरह वापस आ गया : देखो , 50 नंबर और ये 44 इतना बड़ा कोई नहीं पहनता ।

रागिनी को हंसी भी आ रही थी और थोड़ी शर्म भी अनुज के आगे , लेकिन अनुज एकदम कैजुअल था
अनुज उसके हाथों में देता हुआ : किसकी है ये
रागिनी : ठीक है रख दे तेरी मौसी या बुआ की होगी
अनुज : नहीं मम्मी, मौसी की कैसे होगी उनकी ब्रा का साइज 42 है
रागिनी ने एकदम से घूरा
अनुज की हालत खराब होने लगी और अगले ही पल रागिनी की ये सोच कर हसी आई कि इसे कैसे पता रज्जो का साइज ।
अनुज सफाई देता हुआ : वो जब पिछले साल पूजा पर मौसी आई थी तो आप ही दुकान से निकाल कर लेकर गई थी उनके लिए भूल गई ।
रागिनी को याद आया कि रज्जो कपड़े लेकर नहीं आती थी और रज्जो को उसके ब्लाउज फिट नहीं आ रहे थे इसीलिए वो उसको ब्रा निकाल कर दी थी

रागिनी अपना माथा पकड़ कर : हे भगवान , क्या क्या याद रखता है तू । छोड़ होगी किसी की
अनुज : लेकिन किसकी ?
रागिनी थोड़ी बिगड़ी : सब कुछ तुझे जानना जरूरी है । पढ़ाई तो तुझे करनी नहीं है इधर उधर की बाते कर रहा है । बत्ती बुझा कर सो जा ।
अनुज को पसंद नहीं आया और वो अपनी किताबें उठाया और बत्ती बुझा कर कमरे से बाहर निकल गया ।
रागिनी ने उसको आवाज दी लेकिन वो राज के कमरे में चला गया ।
रागिनी खुद को कोसने लगी कि क्यों उसने डाटा उसे , जानती है कि वो कितना भोला है, जल्दी चिढ़ जाता है कुछ बोलो तो ।
लेकिन गलती तो उसकी ही थी , लापरवाही में उसने सोचा ही नहीं कि काम के बाद समान उसके जगह पर होना चाहिए। अब कोई चारा नहीं था सिवाय अनुज को मनाने का इसलिए वो उठ कर गई राज के कमरे की ओर जाने लगी ।


शिला के घर

" उम्ममम अभी छोड़ दे बेटा , खाने के बाद आती हूं न तेरे पास अह्ह्ह्ह उम्मम"


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" उफ्फ बड़ी मामी कितना मुलायम दूध है आपका , अह्ह्ह्ह उम्मम " अरुण रज्जो के ब्लाउज खोलकर उसके चूचे चूस रहा था दोनों हाथ से पकड़ कर ।
रज्जो खड़े खड़े उसके सर को सहलाती हुई : बस अह्ह्ह्ह्ह रुक न उम्ममम अह्ह्ह्ह
रज्जो उससे अलग होकर अपना बड़ा सा मम्मा हाथ से अपनी ब्लाउज में डाली और हुक लगाती हुई अपना पल्लू सही करने लगी
फिर अरुण की ओर देखा जो लोवर में बने तंबू को ऊपर से मुठिया रहा था और उसकी आंखों में चुदाई की तड़प तैर रही थी : बदमाश कही का हिहिही
अरुण : मामी पक्का आओगी न
रज्जो : मै अपना वादा नहीं भूलती
फिर रज्जो उसके कमरे से निकल कर किचन की ओर गई , जहां कम्मो एक नाइटी में थाली में खाना परोस रही थी
रज्जो उसके पास गई और उसके चूतड़ों को सहलाते हुए : अब किसको परोसने जा रही हो जानेमन
कम्मो : ओह भाभी आप ,
रज्जो : तू तो बड़ी चालू निकली , मैने सोचा आग लगाऊंगी थोड़ा ड्रामा होगा
कम्मो : चालू तो आप भी कम नहीं है , मुझे दीदी के पास भेज कर खुद भाई साहब के साथ उम्मम
रज्जो मुस्कुरा कर : अब क्या करती , बेचारे की बीवी उन्हें धोखा दे रही थी तो अब उनको संभालना भी तो जरूरी था , नहीं तो टूट जाते बेचारे
कम्मो : सही किया , मै भी क्या करती खड़ा हथियार हम बहनों की कमजोरी है
रज्जो : ओह्ह्ह
कम्मो: और क्या , हम बहने हथियार हथियार में भेद नहीं करती । मिल बाट कर रहने में क्या बुराई है भला ।
रज्जो : वैसे दो चार हथियार मायके में भी है , वहा से भेदभाव क्यों हीहीहीही
कम्मो के कान खड़े हो गए : क्या धत्त तुम भी न भाभी , छोड़ो जरा भाई साहब को खाना दे दु ।
रज्जो : और उनको ( रामसिंह )
कम्मो मुस्कुराई और इठलाती हुई : वो अपनी खुराक ले रहे है ऊपर
फिर किचन से मानसिंह के पास चली गई ।
बिना एक पल गवाए फौरन वो भी उसके पीछे हो ली
इधर कम्मो जैसे ही मानसिंह के कमरे में दाखिल हुई : उम्हू इतना किसे याद कर रहे है
रज्जो कमरे के बाहर रुक गई और हल्के से अंदर झांका तो देखा मानसिंह अभी भी नीचे कुछ नहीं पहना था और उसका खड़ा लंड उसके हाथ था और वो सोफे पर था
मानसिंह कम्मो को देखते ही अपना लैपटॉप साइड कर कम्मो को अपनी गोद में बिठाता हुआ : आह मेरी जान , तुम्हारे बिना इसका मन नहीं लग रहा था तो भुलवा रहा था मै
कम्मो उसका खड़ा लंड पकड़ती हुई : अच्छा जी , फिर तो इसे भूख भी नहीं लग रही होगी
मानसिंह सिहरता हुआ : भूख तो बहुत है इसे मेरी जान , पर मेरी भूख का क्या ?
कम्मो : तब तो आप दोनों की भूख एक साथ मिटानी पड़ेगी
और अगले ही पल कम्मो ने अपनी जांघें खोलते हुए अपनी नाइटी उठाने लगी और मुंह से थूक लेकर उसे मानसिंह के सुपाड़े पर लगा कर अपनी बुर पर टिकाते हुए 8 इंच का मोटा लंबा तना हुआ लन्ड अपनी बुर में लेती हुई बैठ गई , उसकी चिपकी हुई सुखी बुर में मानसिंह का लंड रगड़ता हुआ अंदर जाने लगा और कम्मो जब पूरा लंड अंदर ले ली तो अपने साथ लाई हुई थाली आगे करके एक एक निवाला बनाती हुई मानसिंह को खिलाने लगी : अब ठीक है न
मानसिंह मुस्कुराने लगा और वही रज्जो कमरे में आती हुई : अरे ठीक क्यों नहीं रहेगा , ऊपर नीचे दोनों तरफ से परोस रही हो
एकदम से रज्जो के आने से कम्मो शर्मा गई

रज्जो : उन्हूं उठना मत वरना मै बैठ जाऊंगी
रज्जो ने मानसिंह को आंख मारी और मानसिंह मुस्कुराने निवाला चबाते हुए
कम्मो : धत्त भाभी ,आप तो ऊपर जा रही थी न
रज्जो : हा लेकिन फिर सोचा कही नंदोई जी को कुछ नमकीन चाहिए होगा तो पूछ लु , क्यों नंदोई जी नमक कम तो नहीं
मानसिंह कम्मो के कूल्हे आगे पीछे करता हुआ : चटक खाना मुझे पसंद है भाभी , मिल तो कोई बुराई नहीं
रज्जो समझ गई और अगले ही पल सोफे पर आकर खड़ी होकर साड़ी उठाती ही अपनी बुर को मानसिंह के मुंह के पास ले गया


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मानसिंह उसकी गदराई जांघों को थमता हुआ उसके बुर ने अपना मुंह दे दिया : सीईईईई अह्ह्ह्ह थोड़ा आराम से नंदोई जी गिर जाऊंगी ओह्ह्ह्ह उम्ममम
कम्मो रज्जो की हरकत देख कर जोश में आ गई और मानसिंह के लंड पर मथने लगी , उसका लंड अपने बुर ने नचाने लगी और उसका लंड अपनी बुर ने पूरी तरह चोक कर सुरकने लगी : अह्ह्ह्ह मेरी जान उफ्फ तेरी इसी अदा पर तो मै उम्ममम यश माय बेबी उम्मम फक्क मीईई
रज्जो अलग हो गई और मानसिंह के बगल में बैठ गई और सीने पर हाथ फेरने लगी , वही मानसिंह कम्मो के चूतड़ पकड़ कर अपनी ओर खींचने लगा
कम्मो मानसिंह का मोटा लंड अपनी बुर में अंदर तक महसूस कर रही थी और उसपर मस्ती छा रही थी
उसके कम्मो की नाइटी निकाल दी और उसको पूरी नंगी कर दिया
कम्मो के गोल और कसे हुए नुकीले निप्पल वाले चूचे देख कर रज्जो की आँखें फैल गई


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और इधर मानसिंह देरी न करते हुए कम्मो का की एक छाती पकड़ कर मुंह लगा दिया : उफ्फ मेरे राजा उम्मम यशस्श उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सक इट उम्मम सीई अह्ह्ह्ह गॉड
कम्मो पूरी तरह पगला गई थी , और तेजी से मानसिंह के लंड पर मथने लगी , मानसिंह की चुची का निप्पल खींच रहा था
रज्जो से रहा नहीं गया वो भी कम्मो की दूसरी हिलती हुई छाती को छूने लगी : उफ्फ कम्मो रानी तुम्हारे जोबन तो बड़े कड़े अह्ह्ह्ह
कम्मो रज्जो के स्पर्श से अकड़ने लगी , उसकी जांघें फड़फड़ाने लगी , जिसका सीधा असर मानसिंह के लंड पर हो रहा था : सीईईईई अह्ह्ह्ह भाभी यह क्या कर उम्ममम अह्ह्ह्ह मुझे कुछ हो रहा है अह्ह्ह्ह भाभीईई उम्मम
रज्जो उसके निप्पल पर पास उंगलियों को घुमाती हुई : क्या हो रहा है मेरी जान , यहां कुछ हो रहा है
कम्मो तड़प कर सिसकती हुई मानसिंह के लंड पर अपनी गाड़ हिला रही थी : हा भाभी उफ्फ नहीइई ( एकदम से रज्जो ने उसके निप्पल पर जीभ फिराई और होठों से चूसने लगी ) सीईईई अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह यशस् आयेगा आयेगा अह्ह्ह्ह भाभीईई उम्मम
एकदम से कम्मो कांपने लगी, उसने एक हाथ से मानसिंह का तो दूसरे हाथ से रज्जो से सहारा ले रखा था ,लेकिन नीचे उसके पैर थरथरा रहे थे और मानसिंह के लंड पर वो ऐसे झड़ रही थी मानो पेशाब कर रही थी
जैसे जैसे कम्मो झड़ रही थी , दोनो उसके चूचों को कस कर चूस रहे थे और फिर एकदम से सुस्त हो गई और मानसिंह के सीने पर ढह गई । लेकिन रज्जो के बुर में अभी भी चूल हो रही थी और मानसिंह को देखा तो वो भी सुस्ता रहा था , जैसे मानो कम्मो के साथ वो भी झड़ गया हो ।
रज्जो ने उन्हें आराम करने दिया और अपने लिए खाना लेने किचन की ओर चली गई

सरोजा के घर

रात गहरा रही थी और बाहर के मेहमान लगभग सब जा चुके थे , घर की कुछ औरते और बच्चे थे उन सब को ठकुराइन खाना खिलाने और सुलाने की व्यवस्था देख रही थी ।
राज सोफे पर बैठा हुआ मोबाइल देख रहा था , आज उसके नीलू दीदी वाले व्हाट्सअप ग्रुप में भी हॉस्टल की मस्तियों वाली तस्वीरें आई थी , सिम्मी जो अपने घर गई थी वो शायद वहा की मस्ती मिस कर रही थी
ऐसे में राज ने भी सरोजा के घर का स्नैप बना कर डाल दिया

नीलू : yo bro !! Smart choice 😎
तभी सिम्मी ने भी रिप्लाई किया : yaar sb koi masti kar rahe hai , ek mai hu ki ghar par aayi hu
तभी चारु ने एक फोटो डाली जिसमें कुछ लड़कियां बैठी चियर कर रही थी और राज ने देखा उसमें एक लड़की के हाथ में बियर बोटल थी ।
तभी झट से नीलू ने वो फोटो डिलीट कर दी । राज समझ गया हॉस्टल में सर्दियां कुछ ज्यादा ही है ।
अक्सर इस ग्रुप में मैसेज फोटो आते है राज कभी उन पर उतना ध्यान नहीं देता , बस चुपचाप सीन करके निकल जाता है । तभी उसकी नजर सिम्मी के डीपी पर गई और उसने उसका प्रोफ़ाइल खोला


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क्या गजब की खूबसूरत दिख रही थी वो , वही बिंदास अंदाज खुले बाल कैजुअल लुक और उभरे हुए गोल मटोल चूचे एकदम टाइट और कड़े ।

" वाव सो सेक्सी , वैसे कौन है ये " , एकदम से राज के कानों में संजीव ठाकुर की आवाज आई और वो हड़बड़ा गया ।
राज अपने बगल में देखता हुआ झट से मोबाइल लॉक कर दिया : अरे अंकल आप ?
संजीव : रिलैक्स बेटा , वैसे थी कौन वो
राज हड़बड़ाने लगा : जी अंकल वो मेरी बुआ की लड़की है उसकी दोस्त है
संजीव : बात होती है
राज अभी भी थोड़ा डर रहा था : हा हम सब एक कॉमन ग्रुप में है बस उसी में
संजीव : कभी पर्सनली हाय हैलो नहीं किया
राज : जी नहीं
संजीव : बेटा कब करेगा , चलो अभी करो
राज मुस्कुराने लगा : नहीं मै बाद में कर लूंगा
संजीव : अरे मै जानता हु तुम्हारी भी आदत रंगी की तरह से टालते तुम दोनों को ,
राज : अगर उसे पसंद नहीं आया तो ?
संजीव : पहले ट्राई तो करो , इतना भी क्या डरना
राज : आप तो ऐसे कह रहे हो जैसे , वो पट ही जाएगी हीहीही
संजीव : अगर तुझे नहीं करना ट्राई तो नंबर मुझे दे मै बात कर लूंगा
राज हंसता हुआ आंखे बड़ी कर : हा , बोलूं आंटी को
संजीव ठहर गया : क्या यार तू भी
राज समझ रहा था कि वो नशे में है शायद इसलिए कुछ ज्यादा ही फ्रांक हो रहा है ।
राज मुस्कुरा कर : अच्छा ठीक है नहीं कहता , लेकिन मुझे शक है जरूर बाहर कोई gf होगी आपकी क्यों ? हीहीही
संजीव उसके कंधे पर हाथ रखे हुए अपनी लाल आंखों से मुस्कुराया : तू और तेरे पापा दोनों बहुत चालू चीज हो , बात कहा तेरी थी अब मेरे ऊपर घुमा दिया , सही है गुरु
राज हसने लगा : आखिर बेटा तो उन्हीं का हू हीहीही, वैसे एक बात पूछूं अंकल
संजीव : हा बोल न बेटा
राज : कम से कम 3 4 तो होंगी ही आपकी हिहीही क्यों ?
संजीव : खींच रहा अब मेरी हां ?
राज हंसता हुआ : सॉरी हीही
संजीव : 3 4 नहीं है , बस एक ही है और खबरदार अपनी आंटी को बताया तो ?
राज की आंखों के चमक उठी और वो चहक कर : फोटो दिखाओ तब न मानू
संजीव ने फिर अपने कोट की जेब से अपना मोबाइल निकाला और कुछ टिप टॉप कर एक फोटो दिखाई


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क्या गजब का गोल चेहरा , बड़ी बड़ी आंखे , बड़ी ही बिंदी माथे पर सिंदूर , बड़े बड़े रसीले मम्में ब्लाउज में चुस्त और चौड़े कूल्हे उसकी वेशभूषा को देखते ही राज के मुंह से निकला : बंगाली है ?
संजीव आस पास देखा : हा , तुझे कैसे पता ?
राज मुस्कुराने लगा : बस पता चल जाता है , लेकिन तो शादी शुदा है
संजीव दबे हुए आवाज में : अफेयर में क्या कुंवारी या शादी वाली , खुल कर देने वाली होनी चाहिए
राज एकदम से चौक गया और सन्न भरी मुस्कुराहट से संजीव को देखा ।
राज : वैसे अन्दर और भी फोटो है देखा मैने , वो सब कौन है
संजीव ने आस पास देखा और धीरे से फोल्डर से एक दो तस्वीरें निकाली ,
वो फोटो देखते ही राज की आंखे बड़ी हो गई, एक होटल में स्विमिंग पूल की तस्वीरें थी जिसमें वो दो बड़ी बड़ी मोटी मोटी गाड़ और चूचियों वाली औरतें पूरी तरह से नंगी पूल में थी


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राज : ये कौन है और इनके साथ आप कैसे ?
संजीव : एक बार फॉरेन ट्रिप का पैकेज मिल था , मेरे बिजनेस कंपनी से वही की है , सुजैन और मरियम , सीईईई कमाल की औरत थी दोनो

राज थूक गटक कर : दोनो के साथ ?
संजीव : अरे वहा तो जितना बड़ा चाहो ग्रुप बना लो , मुझे बड़ी दिग्गी का शौक है तो ....
फिर संजीव मुस्कुराने लगा
राज आंखे नचा कर मुस्कुराता हुआ : वैसे फिर कभी और ट्रिप पर नहीं गए
संजीव : अभी इसी साल समर में बना रहा था , लेकिन तेरे पापा तैयार नहीं हुए
राज चौक कर : क्या पापा के साथ ?
संजीव : हा वो सोनल बिटिया की शादी तय हो गई थी न
राज अभी भी हैरान था : हा लेकिन पापा के साथ ? क्या वो भी बाहर ?
संजीव एकदम से चुप हो गया
राज : अंकल बोलिए न
संजीव : अह ये मै ... सॉरी बेटा मुझे
राज : प्लीज अब तो बता दो , कौन सा मै मम्मी से कहने जाऊंगा ये सब बातें
संजीव हस कर : ये हुई न बात , फिर तो जोड़ी जमेगी अपनी , वैसे ड्रिंक करते हो
राज ने भिनक कर नाक सिकोड़ते हुए ना में सर हिलाया तो संजीव : चलो कोई नहीं , तुम तो हम दोनो की दोस्ती जानते हो । लेकिन जैसे तुम्हारे पापा के नाम में रंगी है वो बहुत ही रंगीला आदमी है ।
राज मुस्कुराने लगा और वो समझ भी रहा था ।
संजीव : वैसे खाना खाया तुमने
राज : हा खा लिया
संजीव उसका कंधा थपथपा कर : चलो थोड़ा खुले में चलते है और फिर वो ऊपर जाने लगे , थोड़ा कैजुअल बातें करते हुए
संजीव : वैसे तू इंस्टाग्राम तो चलाता होगा न
राज ने हुंकारी भरी
संजीव झट से अपना मोबाइल खोलता हुआ : ओके तेरी id क्या है
राज अपनी id बताता है और मुस्कुराने लगता है जिस तरह से संजीव उससे क्लोज हो रहा था ।
तभी ऊपर के गलियारे से सरोजा नाइट गाउन में आती दिखी ।
संजीव ने जैसे ही सरोजा को देखा तो असहज हो गया और सरोजा भी नजरे चुराने लगी ।
लेकिन हम उसे गलियारे से होकर जाना था तो संजीव : सरोज , जरा बाकी मेहमानों का देख लेना उन्हें सोने का दिक्कत न हो
सरोजा : जी भैया और वो नजरे नीची किए हुए निकल गई और जाते हुए एक बार संजीव ने घूम कर उसको देखा ।
राज को समझ आ रहा था थोड़ी देर पहले कुछ जरूर हुआ था लेकिन बात तो तब खुलेगी जब वो सरोजा से बात करेगा ।
संजीव : आओ राज इधर
ये ठकुराइन का ही कमरा था
राज : मुझे लगा हम छत पर जा रहे है
संजीव : अरे भाई सर्दी है कहा ऊपर जाएंगे
फिर संजीव उसे आराम से सोफे पर बैठने को कहता है
राज उसके बोलने की राह देख रहा था
संजीव : ओह हा , एक बात कहूं यकीन करोगे ?
राज मुस्कुरा कर : कहिए
संजीव : मुझे बिगाड़ने वाला रंगी ही था , शादी के पहले से हमारी दोस्ती थी जब वो लोग गांव पर रहते थे । कभी बाग बगीचे घूमना , मेरी गाड़ी पर घूमने का बड़ा शौक था रंगी को ।
राज बड़ी उत्सुकता से सुन रहा था ।
संजीव : मै उसे अपने शहर के कालेज के बारे में बताया , वहा की लड़कियों के बारे में , ऐसे में उसे एक रोज अपने कालेज ले गया गाड़ी से ही , बिना घर बताए हम दोनो निकल गए । भाई मेरा लड़कियों को देखने के तरस रहा था तो मैने भी ठाना इसको शहर की हवा खिला दु , पूरे 65 km मै बाइक चला कर ले गया और वहां जाने के बाद हमने 2 घंटे कैंपस में लड़कियां देखी , और यकीन नहीं मानोगे वहां उसे लड़की पसंद आ गई
राज की आंखों में चमक उठी : क्या सच में
संजीव हस कर : ठरकी ने आधे घंटे तक मुझे छोड़ कर उसका पीछा किया , उसका दिल आ गया था उस लड़की के मोटे चूतड़ों पर
राज थोड़ा खुले शब्दों से असहज हुआ मगर संजीव को जैसे अब फर्क नहीं पड़ रहा था : उसके चक्कर अब लगभग हर हफ्ते उसे मै कैंपस लेकर आता और 3 महीने की मेहनत के बाद वो सेट हो गई । वो बाद में उसने बताया कि कमीना बीच बीच में खुद बस से शहर जाता था देखने के लिए।
राज हसने लगा : फिर
संजीव : फिर क्या , शहर के पार्क में चुम्मिया साझा हुई लेकिन तड़प तो उसे किसी और चीज की थी , आखिर उसने मुझे अपनी दिल की बात कह दी और कहा कि मै कुछ कमरे का बंदोबस्त करु
राज चौक कर : क्या सच में , वो सब करने के लिए
संजीव : हा भाई ,
राज : फिर आपने क्या किया
संजीव : वही कालेज में मेरी एक दोस्त थी , कुसुम उसका घर वही शहर में था ।
राज : ओह दोस्त या फिर हिही
संजीव हस कर : हा भाई वही थी,
राज : सीरियस वाली या टाइम पास
संजीव : सीरियस कुछ तेरे बाप ने रहने कहा दिया , छोड़ आगे बताऊंगा वो सब
राज हसने लगा
संजीव : तो मैने कुसुम के यहां बात की , पहले वो नहीं मानी लेकिन फिर मैने उसे मना लिया अपने तरीके से , फिर उन्हें एक कमरा मिला और उस रोज भाई की सील टूटी , 3घंटे तक साला बाहर नहीं आया ।
राज हस रहा था
संजीव : फिर उस रोज के बाद कई बार मैने उन्हें कुसुम के यहां मिलवाया , फिर वो हर हफ्ते मिलने को कहता तो जब मुझे लगा बात बिगड़ रही है , तो मै मना करने लगा, और उसको समझाने लगा कि बता किसी दिन बिगड़ जाएगी लेकिन वो नहीं माना और वो खुद बिना मुझे बताए कुसूम से रिक्वेस्ट करके मिलने लगा इस बीच वो लड़की अपने गांव चली गई और इसकी तड़प कम नहीं हुई साला मुझे भनक तक नहीं लगी और उस ठरकी ने मेरी बंदी कुसुम को पता लिया , कुछ बार के बाद उसने खुद मुझे सब बताया और मुझे समझ आ गया कि जैसा नाम वैसी उसकी फितरत है हाहाहाहा
राज संजीव को मुस्कुराता देख : आपको बुरा नहीं लगा कि पापा ने आपकी gf पटा ली
संजीव : उस पर मेरी जिंदगी उधार है बेटा , अगर वो कहे कि मै वसु को पटा लू तो भी मै उसे रोकूंगा नहीं
राज : वसु कौन ?
संजीव : अरे मेरी बीवी तेरी आंटी वसु
राज : क्या ?
संजीव बेशर्मी से हस्ते हुए : और मुझे पता भी है साला देखता भी होगा वसु को , उस ठरकी का कोई भरोसा नहीं ।
राज मुस्कुराने लगा : वैसे आंटी है ही ऐसी कि कोई उन्हें न देखे ऐसा हो ही नहीं सकता
संजीव ने उसे गौर से देखा तो राज हस कर सफा देने लगा : मेरा मतलब बहुत खूबसूरत है
संजीव मुस्कुरा कर : हा पता है मुझे
राज : तो आप कुछ बता रहे थे
संजीव : हा , फिर जब उसने कुसुम के बारे में बताया तो साथ में एक ऑफर भी दिया कि अपनी बंदी मुझसे मिलवाएगा
राज हैरान होकर मुस्कुराता हुआ : क्या सच में ?
संजीव : हा और उसने अपना वादा निभाया लेकिन जगह हमने दूसरी चुनी , शहर के बाद एक खंडर था वहा गए और मैने तब पहली बार अहसास किया कि क्यों रंगी उस लड़की के लिए पागल था
राज थूक गटक कर अपना लंड पेंट में दबाता हुआ : क्यों ?
संजीव आंखे बंद कर हवा में हाथ लहराने लगा , और छवियां बनाने लगा : सीईईई उस पल को सोचता हूं तो आज भी खड़ा हो जाता है , और उसके मोटे मोटे रबर जैसे नरम चर्बीदार चूतड़ों का अहसास , खासकर उसको घोड़ी बना कर चोदने में जो मजा था , जितना तेज मारो उतना उछाल देती सीई

संजीव : लेकिन कालेज खत्म होने के बाद कुसुम और उससे मिलना छूट गया और हम दोनो तनहा हो गए । फिर रंगी के पिता जी ने गांव में कुछ जमीन बेच कर यहां चमनपुरा में जमीन लेली बजार में फिर दुकान खुल गई तो हम दोनो पहले से ज्यादा मिलने लगे । पता है वो तुम्हारे पुराने घर के सामने वाले मुहल्ले में रुबीना रहती है ।
राज समझ गया : हा हा जानता हूं
संजीव : मैने कुछ खबर सुनी थी कि उसके यहां लोग पैसे देकर जाते है और मैने ये बात रंगी से कही , रुबीना के भड़कीले चूतड़ों की चाल किसे पसंद नहीं आती और मैने उसे दिखाया । उसकी तड़प बढ़ गई लेकिन दिक्कत ये थी कि हम लड़के थे और वो हमसे ज्यादा बड़ी थी । शब्बो उसकी लड़की तब छोटी थी । जैसे किस्मत बुलंद थी हमारी उन दिनों और एक रोज मैने उसे यहां अपने गोदाम पर देखा । बाउजी ने बुलाया था ।
राज ने चौंकने का नाटक किया : क्या ?
संजीव : अब जरूरतें तो सबकी होती है बेटा , मैने एक चिट्ठी लिखी ब्लैकमेल भरी रुबीना को कि मै ये बात अपनी अम्मा को कह दूंगा और फिर वो तैयार हो गई । फिर हमने तय किया कि उसे ऐसी जगह बुलाया जाए जहां किसी को कोई शक न हो और तब हमने तय किया कि रंगी की नई बर्तन वाली दुकान पर बुलाते है । सबसे पहले रंगी ने अपने बाउजी को बताया कि उसने सुना है चमनपुरा में बाहर से चोर आए है । उन दिनों संजोग से कुछ बंजारे करतब दिखाने के लिए गांव के बाहर नदी के पास डेरा लगाए थे । रंगी के बाउजी को यकीन हो गया लेकिन पहले दो दिन तो वो ही रात के खाने के बाद सोने आए , फिर तीसरे रोज रंगी आया और फिर उस रात तुम्हारी दुकान बर्तन देर रात तक खनकते रहे । बारी बारी से हमने रूबीना के छेद भरे ।
राज का लंड ये कहानी सुन कर हथौड़ा हो गया था और उसे जरा भी हिचक नहीं हो रही थी संजीव के सामने अपना सुपाड़ा मिजने में

संजीव मुस्कुरा कर : अभी से परेशान हो गए
राज मुस्कुराने लगा : अच्छा तभी से आपको बड़ी दिग्गी वाली गाड़ी पसंद आने लगी
संजीव ठहाका लगाते हुए : सही कहा , लेकिन फिर बारी बारी हमारी शादी हो गई । कुछ साल तक रंगी ये सब भूल गया और एकदम से सब कुछ बंद कर दिया , क्योंकि उसे तुम्हारी मां से बहुत मुहब्बत थी , मैने भी उसके नक्शे कदम पर चलना चाहा मगर मेरे काम ने मेरा साथ नहीं दिया ।
राज : फिर
संजीव : बिजनेस कंपनी की ट्रिप और बड़ी दिग्गी की लालच में मैने कुछ साल बाद फिर शुरू कर दिया , लेकिन मुझे पुरानी बाते याद आती और मेरे दोस्त का साथ याद आता । तो मैने एक प्लान बनाया और बिजनेस के सिलसिले में उसे भी साथ ले गया । होटल में हमने एक ही कमरा लिया और फिर डिनर के मेन्यू के साथ एक और बुक आई ।
उसने खोला था वो भी एक खास तरह का मेनू था जिसमें लड़कियां चुन कर रात बीता सकते थे । वो एकदम से मना कर दिया तो मैने उसे अपनी दोस्ती की कसम देदी और फिर जबरन उसे मेरे खातिर एक गदराई औरत चुनी और फिर हमने मिलकर उसको नहलाया । लेकिन मै मान गया रंगी को उसने ये बात बिल्कुल भी तुम्हारी मां से नहीं छिपाई और बता दिया
राज : क्या सच में ? फिर
संजीव : पता नहीं क्या बात हुई लेकिन रंगी ने उसके बारे में कोई चर्चा नहीं किया । और आगे मुझे कभी उसके जबरजस्ती नहीं करनी पड़ी । जब मेरा मूड होता वो तैयार होता , कभी एक तो कभी दो दो के साथ बदल बदल कर हमने मस्ती की समझा ।

राज ने गहरी सांस ली: उफ्फ मान गए आप लोगों को हिही
तभी संजीव की नजर दरवाजे के बाहर गुजरती हुई सरोजा पर गई और वो थोड़ा उठने लगा , लेकिन राज इस बात से बेखबर था ।
राज : क्या हुआ
संजीव : कुछ नहीं , तुम यही आराम करो कमरे में , मै थोड़ा नीचे देख लू सब कुछ ठीक है न
राज : लेकिन ये तो आपका कमरा है
संजीव : तुम कोई गेस्ट नहीं मेरे , बेटा कि तुम्हारे लिए अलग कमरा देखूंगा तो आराम करो यही , तुम्हारा ही घर है ।
राज मुस्कुराने लगा और संजीव तेजी से बाहर निकल गया । राज भी खड़ा होकर अपना लंड सेट करता हुआ कमरे के बाथरूम में चला गया ।

मंजू - मुरारी

ड्राइवर के होने से मुरारी एकदम शांत हो गया था और उसे बेबस देख कर मंजू की हंसी नहीं रुक रही थी । अब तो बस रात भर का सफर बचा था और सुबह तड़के चमनपुरा पहुंचने वाले थे । लेकिन मुरारी आज इस मौके को छोड़ना नहीं चाहता था ।
वो धीरे धीरे सरक कर मंजू की ओर आ गया , ड्राइवर अपने सुरूर में कान में इयरफोन लगाए किसी से बात करते हुए आगे देख रहा था ।
जैसे ही मुरारी उसके करीब हुआ मंजू शांत हो गई उसके बदन में कंपकपी सी होने लगी , उसकी सांसे तेज होने लगी और वो ना में सर हिला कर मुरारी को किसी भी तरह की हरकत के लिए मना करने लगी ।
मुरारी ने नीचे ही अंधेरे में अपना हाथ पीछे के जाकर उसकी कमर में हाथ डाल दिया और फिर उसके फैले हुए कूल्हे सहलाने लगा । मंजू उसके स्पर्श से कसमसाने लगी और उसकी बेचैनी बढ़ने लगी ।
तभी मुरारी ने पीछे से वो हाथ निकाल कर आगे उसके नरम चर्बीदार पेट पर फिराने लगा , उसकी नरम चर्बीदार नाभि को हथेली में भरने लगा , मंजू ने सिसक कर उसकी कलाई पकड़ ली : उम्मम नहीं प्लीज
मुरारी ने उसका हाथ पकड़ कर अपने पजामे में बने हुए तंबू पर रख दिया : उफ्फ अब रहा नहीं जा रहा
मंजू उसके लंड का सुपाड़े का कड़कपन महसूस कर पूरी तरह से घिनघिना गई , उसकी सांसे गर्माहट से भरने लगी , आज पूरे दिन मुरारी ने जितनी हरकते की और उसकी बातों से वो खुद वासना से भर चुकी थी । और आज मुरारी ने उसपर जो अहसान किए उसके धुएं ने अब मदन की छवि धुंधली कर दी थी । वो चाह कर भी मुरारी को कुछ भी मनमानी करने से रोक नहीं रही थी और उसकी हथेली में आलू जैसे कड़े सुपाड़े का अहसास उसे बदन में बिजलियां गिरा रहा था ।
मंजू : हम पकड़े जाएंगे , आप समझते क्यों नहीं
मुरारी ने एकदम से उसका हाथ छोड़ दिया और बैग से एक बड़ी सी चादर निकाल कर दोनों को ढक दिया ।
मंजू निशब्द हो गई थी मुरारी की चतुराई के आगे और उसने मुस्कुरा कर मुरारी को देखा ।
मुरारी फिर से उसका हाथ पकड़ कर पजामे के ऊपर रख दिया और एक बार फिर मंजू के भीतर बादल घुमड़ने जैसा हुआ और उसकी नथुनों से गर्म सांसे उफनाने लगी , मुरारी ने उसकी हथेली को कस कर अपने लंड पर दबाया और उसका लंड उससे दुगनी ताकत के साथ अपनी नसे टाइट कर दी और ऊपर उठने लगा । मंजू ने महसूस किया कि किसी असल फौलाद को पकड़े हुए थे , उसकी गर्मी से अब उसकी हथेली पसीजने लगी थी और उसने थाम लिया उसका लंड पूरा सुपाड़े के नीचे पजामे में आलू की तरह उसका सुपाड़ा उभर आया ।
मुरारी की सांसे चढ़ने लगी और मंजू की नरम हथेली ने उसका लंड हिलाने लगी ।
मुरारी ने वापस चादर के नीचे और पीछे से मंजू की कमर में हाथ डाल कर उसे अपने करीब कर लिया
मंजू हल्की सी सिसकी और मुरारी की ओर देखने लगी फिर उसके कंधे पर सर टिका दी ।
अब गाड़ी के साथ साथ मुरारी का पिस्टन भी ऊपर नीचे हो रहा था और उसकी शरारती उंगलियां दूसरी तरफ से चादर के नीचे ही मंजू के ब्लाउज तक आ गई थी
मंजू दांत पिसती हुई : वहा कहा ले जा रहे है सीईईईई आह्ह्ह्ह आराम से उम्मम
मंजू के कहने से पहले ही मुरारी ने उसके चूचे को पकड़ लिया और उसको सफेदा आम की तरह टटोल टटोल कर घुलाने लगा , मंजू की पकड़ और मजबूत हो गई मुरारी के लंड पर
मुरारी ने दूसरा हाथ भी लगा दिया और अब दोनो हाथों से वो मंजू के दोनों चूचे ब्लाउज के ऊपर से मसल रहा था । मंजू की हालत खराब हो रही थी लेकिन मस्ती में वो भी झूम रही थी ।
बात आगे बढ़ी और मुरारी हुक खोलने लगा एक हुक खुला तो एकदम से मंजू चिहुकी और सीने पर उसका हाथ रोक दिया : नहीं पागल मत बनिए अब
मुरारी उसको नाराज नहीं करना चाहता था : अच्छा ठीक है नहीं खोलता हु
और अगले ही पल उसने अपनी सामने वाला हाथ ऊपर से उसके कसे ब्लाउज में घुसा दिया और दूसरी तरफ वाली नंगी चुची को पूरा हथेली में भर दिया , मंजू एकदम से चौक गई , उसकी पीठ पर ब्लाउज पूरा टाइट हो गया था और आगे से मुरारी उसकी तनी हुई घुंडी घुमा रहा , उसकी हालत खराब होने लगी उसने पूरी ताकत से मुरारी का लंड पकड़ लिया: उम्ममम निकालिए न दर्द हो रहा है
मुरारी : इसीलिए तो खोल रहा था
मंजू : धत्त बड़े वो हो आप अह्ह्ह्ह्ह सीईईई
मुरारी हल्की आवाज में : परेशान न हो उसे भनक नहीं होगी
मंजू तो जैसे फुसल गई और मुरारी एक एक करके उसके सारे हुक खोल दिया और उसकी नंगी आजाद चुचियों को भर भर कर मसलने लगा । मंजू अपनी सिसकियां पीने लगी और मुरारी की कड़क हथेली में मिजती अपनी चूचियों अजीब सी ना मिटने वाली कुलबुलाहट महसूस करने लगी
मुरारी : अह्ह्ह्ह कितने मुलायम है दूध तुम्हारे मंजू
मंजू सिसक कर : बोलना जरूरी है
मुरारी उसके गाल चूम कर : नाराज क्यों होती हो , तारीफ ही तो कर रहा हूं ये लो अह्ह्ह्ह
मुरारी वही दूसरी ओर अपना पजामा खोलकर अपना लंड बाहर निकाल दिया और मंजू को पकड़वा दिया ।
मोटा लंबा खूंटे जैसा तपता लंड का स्पर्श पाकर मंजू पूरी तरह हिल गई : कितना टाइट है
मुरारी : जबसे तुम्हारे चूतड़ों को देखा है तबसे ऐसे ही है
मंजू भुनकती हुई : ऐसा कुछ बचा है जो नहीं देखा आपने , ऊपर नीचे सब तो देख लिए सीईईई अह्ह्ह्ह
मुरारी उसके कंधे पर हाथ रखता हुआ उसके अपने लंड की ओर झुकाने लगा : जाओ तुम भी देख लो
मंजू उसक इरादा समझ रही थी और उसे हंसी आ रही थी , फिर मुरारी ने जगह बनाई और मंजू सरक कर चादर के नीचे उसकी गोद में आ गई पेट पर जहां मुरारी का लंड ठीक उसके आगे था जिसमें से तेज मादक गंध आ रही थी और मंजू के नथुने फूलने लगे , थूक से मुंह भरने लगा और उसने ऊपर मुंह उठाए सुपाड़े का मुंह अपने होठों के पास लिया और भर लिया
मंजू के गिले नरम होठों का स्पर्श पाकर मुरारी का लंड और फूलने लगा , मंजू की बेचैनी उसकी बुर से रिसाने लगी थी वो मुरारी का लंड पाकर पूरी तरह से अब झिझकना छोड़ चुकी थी और उसने वैसे ही मुरारी की गोद में लेटे हुए उसका लंड चूसने लगी । मुरारी इस बात का पूरा ध्यान दे रहा था कि ड्राइवर को पता भी चले इसलिए उसने मंजू को अच्छे से धक रखा था और चादर के नीचे अभी भी उसका एक हाथ मंजू की नंगी चूचियां टटोल रहा था ।
मंजू चादर नीचे अब अफ़नाने लगी थी , सही पोजीशन न होने से उसके मुंह में दर्द होने लगा था और मुरारी का लंड एकदम कड़ा था ।
उसने लेटे हुए अपने ब्लाउज सही किए और धीरे से उठ गई ।
मुरारी सवालिया अंदाज में : क्या हुआ
मंजू मुंह बना कर अपने गाल छूती हुई : दर्द होने लगा और क्या
मुरारी मुस्कुराया : इसलिए तो कह रहा था होटल में रुकते है
मंजू : धत्त , उसकी छोड़ो अब क्या करें मुझे , मै ... परेशान हु बहुत ज्यादा
मुरारी : तो क्या करे , इधर हम लोग एक्सप्रेस वे पर है , कुछ घंटे तक होटल नहीं आयेगे ।
मंजू : भक्क , आप बहुत बुरे हो, खुद परेशान थे मुझे भी कर दिया
मुरारी : सॉरी न, अब क्या करु
मंजू तुनक कर मुंह फूला ली : पता नहीं मै नहीं जानती
मुरारी उसकी नाराजगी समझ रहा था और अब उसे समझ नहीं आ रहा था क्या करे तो उसने नीचे से मंजू की साड़ी ऊपर करनी शुरू कर दी और मंजू एकदम से चौक गई और चादर में थोड़ी हाथों की नोक झोंक होने लगी: क्या कर रहे है आप
मुरारी : शीई, तुम्हारी परेशानी कम कर रहा हूं
मंजू उसे रोकती तबतक चादर के नीचे मुरारी के हाथ उसकी जांघों तक पहुंच गए और उन्हें दबोचने लगे , मंजू की सिसकिया उठने लगी और धीरे धीरे उसकी उंगलियां मंजू के बुर की के बढ़ने लगी और उसने पैंटी के ऊपर से ही उसकी बुर छूने लगा ।
मंजू की सांसे एक बार फिर बिगड़ने लगी और लंबा सफर अब और लंबा होने लगा , गाड़ी हाइवे पर आगे बढ़ रही थी और इधर मुरारी की उंगलियों ने अपना करतब शुरू कर दिया था ।


प्रतापपुर

राजेश को गए काफी समय हो गए थे, बबीता की चूत रस से सनी हुई थी , उसने मोबाइल खंगाल कर पुराने वीडियो निकाले थे जिसमें उसके पापा किसी के साथ चुदाई कर रहे थे और उन्हें देखते हुए कंबल में झड़ गई ।
फिर थोड़ी देर फिल्म देखा और फिर उसका दिल नहीं माना तो वापस से दूसरी विडियोज देखने लगी , उसके पापा का मोटा लंड जब किसी की बुर में घुसता उसकी बुर चिपकने लगती आपस में और दाना फड़कने लगता वो सिन देख कर , मोबाइल में समय 11 बजने को हो रहे थे और बबीता जो सोच कर आई थी राजेश ने उसपर जरा भी ध्यान नहीं दिया । बस काम में लगा रहा ।
कंबल के नीचे बिस्तर पर टेक लेकर अपनी गीली बुर को कुरेद रही थी , उसकी ऊनी पैजामी उसकी घुटनों के नीचे थे , ब्लूमर के जांघों की लास्टिक की खींच कर उंगली बुर को छू रही थी ।
मोबाइल में बड़ा ही रसदार सिन चल रहा था , जिसमें राजेश किसी औरत की रसीली छातियां मिज रहा था और वो औरत सिसक रही थी ।
इधर राजेश भी काम के बीच में बबीता के हाल चाल लेने कमरे में आया तो देखा कमरे की बत्ती बुझी है और उसे हल्की आवाज आ रही थी मोबाइल से लेकिन स्पष्ट नहीं ।
वो समझ गया कि बबीता अभी भी जाग रही थी ।
उसने कमरे में आते ही दरवाजा लगाया और बत्ती जला दी : गुड़िया , अभी सोई नहीं बेटा
बबीता ने जल्दी जल्दी मोबाइल में प्लेयर बदल कर एक मूवी चालू कर दिया जिसका वॉल्यूम तेज था : वो मै फिल्म देख रही थी , आपका काम हो गया क्या पापा
राजेश ने अपनी आंखे महीन की : फिर से झूठ , अभी मै आया तो फिल्म की आवाज इतनी तेज तो नहीं आई , क्या देख रही थी तू
राजेश के मुस्कुराते चेहरे को देखकर बबीता को जरा भी डर नहीं लगा और वो मुस्कुराने लगी और कम्बल में दुबकने लगी
राजेश उसके पास जाकर कंबल उठा तो देखा बबीता की पायाजामी घुटने के नीचे : फिर से ! मना किया था न तुझे
राजेश उसके पास बैठ गया और बबीता चुप हो गई : सॉरी पापा
राजेश : सॉरी की बच्ची , मार खाएगी अब बदमाश
बबीता मुस्कुराने लगी और अपने पापा से चिपकने लगी
राजेश : कबसे देख रही है तू उम्मम जबसे गया हु तबसे न
बबीता : नहीं बस अभी अभी चालू किया
राजेश ने उसकी आंखों में देखा कितनी चंचल और मादक थी : रुक अभी पता चल जाएगा
और अगले ही पल उसने कम्बल हटाया और बबीता की जांघें खींच कर फैला दी : अह्ह्ह्ह
बबीता की सिसकी निकल गई और उसकी सांसे तेज हो गई और तभी राजेश ने अपनी उंगलियां उसकी गीली ब्लूमर पर चूत के पास रख कर टटोली , और वो पूरी तरह से गीली थी : मुझसे झूठ बोल रही है, कबसे देख रही थी तभी न इतना निकला है
बबीता शर्माने लगी और राजेश की उंगलियों के स्पर्श ने उसकी बुर की फड़फड़ाहट बढ़ा दी ।
बबीता ने खुद से वहा मच रही खुजली के लिए अपनी उंगलियों से रगड़ा
राजेश : अरे फिर से
बबीता : नहीं वो खुजली हो रही है वहां
राजेश खुद से उसके ब्लूमर को जांघों के पास साइड कर बुर गीली बुर पर उंगली रखते हुए : यहां पर क्या
बबीता ने आंखे बंद कर ली और सिसकने लगी : हा पापा वही पर
राजेश उंगली फिराने लगा और बबीता की बुर टपकने लगी : उफ्फ कितनी गीली कर ली है तूने , इतना अच्छा लग रहा था वीडियो
बबीता आंखे बंद किए : हम्ममम बहुत सीईईई आप देखोगे तो आपका भी हो जायेगा
राजेश का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा और उसने बबीता को छोड़ कर मोबाइल में वही वीडियो चालू कर दिया जो बबीता ने छोड़ा था । आवाज आते ही बबीता की आंखे खुली और वो चौक गई कि उसके पापा उसके आगे ही वीडियो चला रहे है : अह्ह्ह्ह सच कर रही है तू , सीमा की छातियां बड़ी मुलायम है

बबीता : ये कौन है पापा
राजेश अपना लंड पजामे के ऊपर से मसलता हुआ : मम्मी से तो नहीं कहेगी न
बबीता ने मुस्कुरा कर न सर हिलाया
राजेश : ये मेरे दोस्त की बहन है
बबीता : क्या ?
राजेश : हम्म्म , है न खूबसूरत
बबीता मोबाइल में अपने पापा को उस औरत की रसीली छातियां नंगी मिजते देख कर अपनी बुर सहलाने लगी और राजेश भी अपना लंड मसलने लगा : अह्ह्ह्ह पता है एक बात बताऊं इसके बारे में
बबीता गर्म होने लगी : हा पापा बताओ न
राजेश : इसके दूध पकड़ो तो ये नीचे कस कर पकड़ लेती थी
बबीता मुस्कुराने लगी थोड़ी शर्म आ रही थी उसे , राजेश उसे शर्माता देख : अह्ह्ह्ह सोच कर परेशान हो गया
बबीता : बाहर कर लो न
राजेश ने उसे देखा और मुस्कुरा कर अपना पजामा और अंडरवियर के लंड बाहर कर दिया
एकदम अकड़ा खूंटे जैसा टाइट लाल सुपाड़ा ऊपर की ओर मुंह उठाए : अह्ह्ह्ह्ह कितना आराम है उफ्फ दर्द होने लगा था अंदर
बबीता बस आंखे फाड़ कर उसके लंड को देखे जा रही थी , उसकी बुर रस बहा रही थी और अंदर से टपक रही थी
राजेश : क्या हुआ गुड़िया

बबीता हसरत भरी नजरो से मुस्कुराकर ना में सर हिलाते हुए वीडियो देखने लगी जिसमें वो औरत उसके पापा का लंड घुटने के बल होकर उसके दोनों हाथों से सहला रही थी


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राजेश अपना लंड हिलाते हुए : उम्मम कितना नशा सा हो जाता है उसके छूने से
बबीता मुस्कुराने लगी वो अपने पापा का इरादा समझ चुकी थी लेकिन पहल कैसे करे ।
राजेश बबीता को फुसलाता हुआ : पता है तेरी मम्मी को भी मेरा ये खूब पसंद है वो तो मिल जाए तो छोड़े न इसे
बबीता मुस्कुराकर अपने पापा को देखी : पापा मै पकड़ लूं
राजेश के कान में ये शब्द आते ही उसके लंड की नशे तन गई और धड़कने तेज : हा पकड़ कर देख कैसा है
बबीता ने हाथ निकाला और राजेश का लंड थाम किया , एकदम टाइट जैसे कोई बांस का खूंटा , कड़क तपता हुआ : गरम और कड़ा है उफ्फ बड़ा भी है वीडियो से


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राजेश आंखे बंद करके सिहर उठा बबीता की कोमल हथेलियों में अपना लंड महसूस कर : उफ्फ गुड़िया तेरे हाथ कितने नरम है
बबीता उसका लंड आगे पीछे करने लगी और दूसरा हाथ भी उसका अपनी बुर मसल रहा था : आपको अच्छा लगता है न पापा ऐसे
राजेश के भीतर जैसे कामुकता के बादल घुमड़ने लगे और वो आंखे बंद कर गहरी सास लेता हुआ : सीईईई हा बेटा बहुत ओह्ह्ह्ह
गुड़िया : पापा आपका ये बहुत अच्छा है , बड़ा भी है
राजेश ने दूसरे हाथ में मोबाइल पकड़ कर अपने हाथ उसके जांघ पर ले गया : तुझे पसंद आया बेटी उम्मम
बबीता ने उसकी ओर देख हा में सर हिलाया और उसके करीब हो गई क्योंकि वो समझ रही थी उसके पापा किस ओर बढ़ रहे है और अगले ही पल वापस से राजेश ने बबीता की बुर को सहलाने लगा


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बबीता की आंखे उलटने लगी , जिस तरह से राजेश उसके फांके कुरेद रहा था और वो तड़पने लगी : अह्ह्ह्ह पापा उम्मम कितना अच्छा लग रहा है उम्ममम और करो ऐसे अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह
राजेश तेजी से उसकी बुर सहलाने लगी और एक उंगली डाल कर उसकी बुर का जायजा लिया और उसकी उंगली आसानी से अंदर चली गई । राजेश समझ गया कि बबीता बे बहुत उंगलियां चलाई है अपनी चूत में
और वही बबीता झटके खाने लगी , उसने अपनी स्वेटर खोलकर कर ब्रा के ऊपर से अपनी छातियां दबाने लगी
राजेश इस दौरान लगातार उसे मोबाइल पर वीडियो दिखा रहा था जिसमें वो औरत उसका लंड चूस रही थी , जिसे देख कर बबीता को लालच आ रहा था और उसकी लार टपकने लगी थी
राजेश : उफ्फ क्या मस्त चुस्ती है ये उम्मम
बबीता राजेश का लंड सहलाती हुई : पापा मै कर दूं
राजेश चौक कर : तुझे आता है ?
बबीता थोड़ा लजा कर थोड़ी मुस्कुराकर : वीडियो देख कर , कर लूंगी
राजेश अब क्या बोले और उसकी चुप्पी हो हा समझ कर बबीता ने अपना पोजिशन बदलते हुए राजेश की गोद में आ गई और उसका लंड पकड़ कर मुंह में ले लिया
राजेश सिसक पड़ा : ओह्ह्ह गुड़िया उम्मम कितने रसीले होंठ है तेरे उम्मम उम्मम.


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बबीता ने वीडियो देखना छोड़ दिया था आंखे बंद कर पूरे रस लेते हुए अपने पापा का लंड चूसने लगी
राजेश का और मोटा होने लगा और वो उसके ब्रा में हाथ घुसा कर उसकी


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कोमल नरम मौसमी जैसी चूचियां पकड़ लिया और उसने सहलाने लगा , उसकी निप्पल को खींचने लगा , वही बबीता कभी उसका लंड पकड़ कर अपने होठों से रगड़ती कभी गहरे मुंह में ले जाती
राजेश उसके सर को हौले हौले दबाता ताकि वो और गले तक लंड को ले
बबीता ने थूक से उसका लंड गिला कर दिया था
वही वीडियो में चुदाई चल रही थी जिसमें वो औरत बबीता के पापा की गोद में बैठ कर लंड को अपनी बुर में में भर कर अपने मोटे चूतड़ पटक रही थी
बबीता एकदम से उठ गई
राजेश चौक कर : क्या हुआ बेटा
बबीता मुस्कुराई और उसके आगे अपनी ब्लूमर निकालने लगी
राजेश को समझते देर नहीं और उसने भी आगे कोई सवाल जवाब नहीं किया ।झट से अपना पजामा और अंडरवियर निकाल पोजिशन में आ गया
फिर लंड सहलाते हुए : आजा मेरा बेटा आजा
बिना एक पल गवाए बबीता ने पैर फेक कर अपनी टांगे फोल्ड करती हुई राजेश के लंड को अपने बुर पर लगाने लगी और राजेश ने अपना सुपाड़ा सेट करके उसको अपने लंड पर बिठा लिया
बबीता अपने पापा के मोटे सुपाड़े को सरकता हुआ महसूस कर सिसक पड़ी और उसके कंधे को पकड़ कर लिपट गई : आह्ह्ह्ह पापा उम्मम
वही राजेश को अपने सुपाड़े पर गर्म लावा की दीवारों में चीरते हुए घुसना पसंद आ रहा था वो बबीता की बुर अंत तक पहुंच गया : बस बेटा आराम से ऊपर नीचे होना अब , दर्द तो नहीं हो रहा
बबीता अपने पापा के मोटे सुपाड़े वाले लंड को छोड़ने के फिराक में नहीं थी तो उसने ना में सर झटका और हल्का हल्का ऊपर नीचे होने लगी : उम्ममम पापा अच्छा लग रहा है अह्ह्ह्ह उम्मम मम्मीई ओह्ह्ह यस्स पापा उफ्फ


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राजेश ने उसको अपनी बाहों में कस लिया और अपने पंजे से उसके चूतड़ों को फैलाते हुए नीचे से लंड चलाने लगा ।
राजेश के ऐसा करने से बबीता की बुर बुरी तरह से फड़कने लगी , राजेश उसकी बजबजाई बुर में तेजी से लंड भेदने लगा जिससे बबीता ने उसका चेहरा पकड़ कर उसके लिप्स से अपने लिप्स जोड़ लिया और चूसने लगीं
राजेश उसके जोश और भी कामोत्तेजक हो गया : अह्ह्ह्ह पापा उम्मम और और उम्मम अच्छा लग रहा ऐसे ही उम्मम मम्मीई ओह्ह्ह
राजेश पूरे जोश में नीचे से अपने कमर को झटकर देता हुआ बबीता की बुर में पेलने लगा : अच्छा लग रहा मेरी गुड़िया को और मजा चाहिए
बबीता उसकी आंखों में मदहोशी दे देखती हुई : हा पापा और दो मुझे और प्यार करो अह्ह्ह्ह्ह उम्मम


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राजेश ने उसके उछलते नंगे चूचे मुंह में भर लिए और तेजी से नीचे से उसकी बुर में लंड देने लगा , जिससे बबीता एकदम से तड़प कर झड़ने लगी , गर्म गर्म रस धार से राजेश का सुपाड़ा बिलबिला उठा और उसके आड़ से वीर्य ऊपर आने लगा वो एकदम से अकड़ गया : उठ जा बेटा आ रहा है मेरा अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह
बबीता झट से उठी और अपने पापा लंड पकड़ कर मुंह लेकर चूसने लगी और एकदम से फव्वारा फूट पडा : अह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह बेटा उम्मम गुड़िया आह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह


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बबीता ने आखिर तक अपने होठ लगाए हुए उसका लंड हिलाती रही और राजेश का लंड पंप होकर सुपाड़े से मलाई उसके गालों और होठों पर उड़ेलता रहा ।
राजेश समझ चुका था कि उसकी बेटी पहले ही खेली खाई है , मगर सवाल था किसके साथ
लेकिन वो बेफिक्र था क्योंकि अभी रात अभी रात लंबी थी

जारी रहेगी
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर खतरनाक अपडेट है भाई मजा आ गया
 
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