• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery तेरे प्यार में .....

parkas

Well-Known Member
31,096
67,239
303
#19

“तमाशा नहीं होना चाहिए था कबीर ” निशा ने कहा

मैं – मैंने किया क्या.

“ले पानी पी ले थोडा ” मंजू ने जग मेरी तरफ करते हुए कहा

निशा- शांत हो जाओ कबीर, कभी कभी मौन हो जाना ठीक रहता है. तुम्हारी आँखों के आगे से आज पर्दा हट गया है , वर्तमान की सत्यता को स्वीकार करो.

मैं- कहती तो ठीक ही हो तुम

मंजू- ये लोग सांप है ये डस तो सकते है पर तुम्हारे कभी नहीं हो सकते.

निशा- शांत हुआ न

मैंने हाँ में सर हिलाया.

निशा- इस घटना को एक सीख की तरह लो और अब से ज्यादा सावधान रहना , तुम्हारे अपने ही तुम्हारे दुश्मन है. दूर रहो सेफ रहो. तुम पर पहले भी हमला हुआ , आई-गयी हुई पर कबीर मैं और परीक्षा नहीं देना चाहती, मैं जीना चाहती हु , तुम्हारे साथ . इतना तो हक़ है न मेरा.

मैं- समझता हु.

निशा- वादा कर तू ऐसा कुछ नहीं करेगा जिससे की बेफालतू की परेशानी हो . जब से लाला वाला काण्ड किया है मेरा मन सवाल करता है की क्या हो गया मेरे कबीर को.

मंजू- कौन लाला.

निशा ने मंजू को शहर वाली बात बताई तो मंजू भी घबरा गयी.

मैं- मेरा कोई दोष नहीं

निशा- ये दुनिया वैसी नहीं जैसा हम सोचते है , कुछ हमारी कमिया कुछ सामने वाले की . और खासकर जब तुम और मैं अपनी जिन्दगी को तलाश रहे है तो हमें बिलकुल भी पड़ी लकड़ी नहीं उठानी चाहिए.

मैं- वादा करता हु , मेरी तरफ से कोई पंगेबाजी नहीं रहेगी.

निशा- मैं कल ड्यूटी पर जा रही हु, कोशिश करुँगी की जल्दी लौट पाऊ. मंजू इसका ख्याल रखना

मंजू ने हाँ में सर हिलाया.

मैं- मुझे लगता है की माँ-पिताजी की मौत साधारण नहीं थी

“क्या मतलब है तुम्हारा ” निशा और मंजू एक साथ ही बोली.

मैं- मुझे लगता है की मर्डर ......

मंजू- कौन करना चाहेगा भला ऐसा.

मैं- शक तो चाचा पर है मेरा

निशा- ये बात तुम्हारा गर्म दिमाग कह रहा है

मैं- नहीं निशा, अक्सर मेरा मन ये बात कहता है .

निशा- और क्यों कहता है तुम्हारा मन ऐसा बार बार

मैं- उनकी मौत से कुछ दिन पहले काफी झगडा हुआ था दोनों भाइयो का . फिर चाचा अपने परिवार को लेकर हवेली से चला गया.

निशा- क्यों हुआ झगडा.

अब मैं क्या कहता निशा से ,

मैं- नहीं पता. चाचा कई दिनों से बंटवारा चाहता था , पिताजी की इच्छा थी की परिवार संगठित रहे पर जब चाचा ना माना तो पिताजी ने कहा की ताऊ जी छुट्टी आ जाये फिर बंटवारा करेंगे.

निशा- पुलिसवाली हु कबीर, झगडे की वजह कुछ और थी क्योंकि बंटवारा किस चीज का हुआ , सब कुछ तो लावारिस पड़ा है , तुम्हारी जमीने तुम्हारा घर . जो भी यहाँ से गया खाली हाथ गया . तो वो वजह बड़ी महत्र्पूर्ण हो जाती है न. कुछ तो खिचड़ी पकी थी तुम्हारे परिवार में जो ये सब हुआ. अगर तुम्हे लगता है की जैसा तुम सोच रहे हो तो तुम तलाश करो . साजिशे कामयाब तो हो जाती है पर मिट नहीं पाती .

मैं- सही कहती हो

मंजू- बड़े ताऊ जी की लाश भी तो खेतो में मिली थी , उसका भी तो सुराग नहीं लगा आजतक की क्या हुआ था . कहीं कबीर की बात सच में तो ठीक नहीं .

निशा- मंजू, एक पल को तुम्हारी बात मान भी ली जाये तो भी सवाल वही है की किसलिए. कोई किसी को बेवजह तो नहीं मार सकता न. किसी भी क़त्ल को करने के लिए सबसे बड़ी चीज होती है मोटिव .हद से ज्यादा नफरत होना . अगर ये कारण पता चला तो फिर सब बाते क्लियर हो जाएगी.

सुबह तक हम लोग अपनी अपनी धारणा में सम्भावनाये तलाश करते रहे. भाभी ने भी कहा था “पैसा , किसे ही चाहिए था ” तो फिर क्या चाहिए था . खैर, निशा सुबह ही निकल गयी. मंजू भी स्कूल चली गयी . चूँकि अब यही रहना था मैंने हवेली में बिजली बहाली का आवेदन दिया.छोटे मोटे काम किये. हवेली की सफाई का काम हो ही नहीं रहा था तो उसकी व्यवस्था की .पर चूँकि अब मुझे अकेले ही इधर रहना था तो सबसे बड़ी चीज थी सुरक्षा , जिसके लिए मुझे बहुत जायदा प्रयास करने थे .

तमाम बातो में रात होने को आई थी ना जाने क्यों मैंने भैया-भाभी के कमरे को खोल लिया. बेहद शांत कमरा, जब इस घर में चहल पहल थी तभी थी शांत था ये . पर क्या सच में ऐसा था इसी कमरे के बिस्तर में वो तूफ़ान था जिसे मेरा भाई कभी शांत नहीं कर पाया था , जिस बिस्तर पर मैं बैठा था इस कहानी का एक अहम् किरदार था इसी बिस्तर पर पहली बार मैंने भाभी की चूत मारी थी . काश, मैं उस समय जानता की ये आग इस परिवार को ही स्वाहा कर देगी तो कसम से मैं इन चक्करों में पड़ता ही नहीं.

अपने सीने को सहलाते हुए मैं उस रात के बारे में सोचने लगा . मेरे सीने पर तीन घाव थे गोलियों के , न जाने क्यों मुझे आज भी लगता था की बेशक पिस्तौल भाभी के हाथ में थी पर वो ऐसा नहीं कर सकती, बचपन से मेरा एक ही सपना था पुलिस में भर्ती होना , माता-पिता की मौत के बाद बहुत टूट गया था मैं, टूटने तो बहुत पहले लगा था मैं जब भाभी के साथ अवैध संबंधो का पता भाई को चला, टूट तो मैं तब गया था जब चाची की बदनामी को अपने सर लिया. टूट तो मैं गया था जब निशा के बाप ने एक झटके से उसका हाथ मेरे हाथ से अलग कर दिया. सपना था की पुलिस में भर्ती होते ही सब ठीक हो जायेगा पर सपना सपना ही रह गया. सबसे पहले मैं अपनी ख़ुशी भाभी को बताना चाहता था , बेशक उसके और मेरे अवैध सम्बन्ध थे पर रब्ब जानता था की मेरी नजरो में उसका दर्जा क्या था .

“धांय धांय ” अचानक से मेरी नींद खुली तो मैंने खुद को पसीने से लथपथ पाया और मेरे सामने मंजू खड़ी थी पसीने में भीगी, उफनती सांसो के साथ .

“ऐसा कोई करता है क्या जी निकल जाता मेरा अभी ” मैंने हाँफते हुए कहा

मंजू- कबीर, मुसीबत हो गयी, काण्ड हो गया .

मैं- क्या हुआ .

मंजू- तू चल मेरे साथ ..


मंजू ने लगभग घसीट ही तो लिया था मुझे, दौड़ते हुए हम शिवाले के सामने पहुंचे जहाँ पर...............................
Bahut hi badhiya update diya hai HalfbludPrince bhai....
Nice and beautiful update....
 

Himanshu630

Reader
274
1,000
124
#19

“तमाशा नहीं होना चाहिए था कबीर ” निशा ने कहा

मैं – मैंने किया क्या.

“ले पानी पी ले थोडा ” मंजू ने जग मेरी तरफ करते हुए कहा

निशा- शांत हो जाओ कबीर, कभी कभी मौन हो जाना ठीक रहता है. तुम्हारी आँखों के आगे से आज पर्दा हट गया है , वर्तमान की सत्यता को स्वीकार करो.

मैं- कहती तो ठीक ही हो तुम

मंजू- ये लोग सांप है ये डस तो सकते है पर तुम्हारे कभी नहीं हो सकते.

निशा- शांत हुआ न

मैंने हाँ में सर हिलाया.

निशा- इस घटना को एक सीख की तरह लो और अब से ज्यादा सावधान रहना , तुम्हारे अपने ही तुम्हारे दुश्मन है. दूर रहो सेफ रहो. तुम पर पहले भी हमला हुआ , आई-गयी हुई पर कबीर मैं और परीक्षा नहीं देना चाहती, मैं जीना चाहती हु , तुम्हारे साथ . इतना तो हक़ है न मेरा.

मैं- समझता हु.

निशा- वादा कर तू ऐसा कुछ नहीं करेगा जिससे की बेफालतू की परेशानी हो . जब से लाला वाला काण्ड किया है मेरा मन सवाल करता है की क्या हो गया मेरे कबीर को.

मंजू- कौन लाला.

निशा ने मंजू को शहर वाली बात बताई तो मंजू भी घबरा गयी.

मैं- मेरा कोई दोष नहीं

निशा- ये दुनिया वैसी नहीं जैसा हम सोचते है , कुछ हमारी कमिया कुछ सामने वाले की . और खासकर जब तुम और मैं अपनी जिन्दगी को तलाश रहे है तो हमें बिलकुल भी पड़ी लकड़ी नहीं उठानी चाहिए.

मैं- वादा करता हु , मेरी तरफ से कोई पंगेबाजी नहीं रहेगी.

निशा- मैं कल ड्यूटी पर जा रही हु, कोशिश करुँगी की जल्दी लौट पाऊ. मंजू इसका ख्याल रखना

मंजू ने हाँ में सर हिलाया.

मैं- मुझे लगता है की माँ-पिताजी की मौत साधारण नहीं थी

“क्या मतलब है तुम्हारा ” निशा और मंजू एक साथ ही बोली.

मैं- मुझे लगता है की मर्डर ......

मंजू- कौन करना चाहेगा भला ऐसा.

मैं- शक तो चाचा पर है मेरा

निशा- ये बात तुम्हारा गर्म दिमाग कह रहा है

मैं- नहीं निशा, अक्सर मेरा मन ये बात कहता है .

निशा- और क्यों कहता है तुम्हारा मन ऐसा बार बार

मैं- उनकी मौत से कुछ दिन पहले काफी झगडा हुआ था दोनों भाइयो का . फिर चाचा अपने परिवार को लेकर हवेली से चला गया.

निशा- क्यों हुआ झगडा.

अब मैं क्या कहता निशा से ,

मैं- नहीं पता. चाचा कई दिनों से बंटवारा चाहता था , पिताजी की इच्छा थी की परिवार संगठित रहे पर जब चाचा ना माना तो पिताजी ने कहा की ताऊ जी छुट्टी आ जाये फिर बंटवारा करेंगे.

निशा- पुलिसवाली हु कबीर, झगडे की वजह कुछ और थी क्योंकि बंटवारा किस चीज का हुआ , सब कुछ तो लावारिस पड़ा है , तुम्हारी जमीने तुम्हारा घर . जो भी यहाँ से गया खाली हाथ गया . तो वो वजह बड़ी महत्र्पूर्ण हो जाती है न. कुछ तो खिचड़ी पकी थी तुम्हारे परिवार में जो ये सब हुआ. अगर तुम्हे लगता है की जैसा तुम सोच रहे हो तो तुम तलाश करो . साजिशे कामयाब तो हो जाती है पर मिट नहीं पाती .

मैं- सही कहती हो

मंजू- बड़े ताऊ जी की लाश भी तो खेतो में मिली थी , उसका भी तो सुराग नहीं लगा आजतक की क्या हुआ था . कहीं कबीर की बात सच में तो ठीक नहीं .

निशा- मंजू, एक पल को तुम्हारी बात मान भी ली जाये तो भी सवाल वही है की किसलिए. कोई किसी को बेवजह तो नहीं मार सकता न. किसी भी क़त्ल को करने के लिए सबसे बड़ी चीज होती है मोटिव .हद से ज्यादा नफरत होना . अगर ये कारण पता चला तो फिर सब बाते क्लियर हो जाएगी.

सुबह तक हम लोग अपनी अपनी धारणा में सम्भावनाये तलाश करते रहे. भाभी ने भी कहा था “पैसा , किसे ही चाहिए था ” तो फिर क्या चाहिए था . खैर, निशा सुबह ही निकल गयी. मंजू भी स्कूल चली गयी . चूँकि अब यही रहना था मैंने हवेली में बिजली बहाली का आवेदन दिया.छोटे मोटे काम किये. हवेली की सफाई का काम हो ही नहीं रहा था तो उसकी व्यवस्था की .पर चूँकि अब मुझे अकेले ही इधर रहना था तो सबसे बड़ी चीज थी सुरक्षा , जिसके लिए मुझे बहुत जायदा प्रयास करने थे .

तमाम बातो में रात होने को आई थी ना जाने क्यों मैंने भैया-भाभी के कमरे को खोल लिया. बेहद शांत कमरा, जब इस घर में चहल पहल थी तभी थी शांत था ये . पर क्या सच में ऐसा था इसी कमरे के बिस्तर में वो तूफ़ान था जिसे मेरा भाई कभी शांत नहीं कर पाया था , जिस बिस्तर पर मैं बैठा था इस कहानी का एक अहम् किरदार था इसी बिस्तर पर पहली बार मैंने भाभी की चूत मारी थी . काश, मैं उस समय जानता की ये आग इस परिवार को ही स्वाहा कर देगी तो कसम से मैं इन चक्करों में पड़ता ही नहीं.

अपने सीने को सहलाते हुए मैं उस रात के बारे में सोचने लगा . मेरे सीने पर तीन घाव थे गोलियों के , न जाने क्यों मुझे आज भी लगता था की बेशक पिस्तौल भाभी के हाथ में थी पर वो ऐसा नहीं कर सकती, बचपन से मेरा एक ही सपना था पुलिस में भर्ती होना , माता-पिता की मौत के बाद बहुत टूट गया था मैं, टूटने तो बहुत पहले लगा था मैं जब भाभी के साथ अवैध संबंधो का पता भाई को चला, टूट तो मैं तब गया था जब चाची की बदनामी को अपने सर लिया. टूट तो मैं गया था जब निशा के बाप ने एक झटके से उसका हाथ मेरे हाथ से अलग कर दिया. सपना था की पुलिस में भर्ती होते ही सब ठीक हो जायेगा पर सपना सपना ही रह गया. सबसे पहले मैं अपनी ख़ुशी भाभी को बताना चाहता था , बेशक उसके और मेरे अवैध सम्बन्ध थे पर रब्ब जानता था की मेरी नजरो में उसका दर्जा क्या था .

“धांय धांय ” अचानक से मेरी नींद खुली तो मैंने खुद को पसीने से लथपथ पाया और मेरे सामने मंजू खड़ी थी पसीने में भीगी, उफनती सांसो के साथ .

“ऐसा कोई करता है क्या जी निकल जाता मेरा अभी ” मैंने हाँफते हुए कहा

मंजू- कबीर, मुसीबत हो गयी, काण्ड हो गया .

मैं- क्या हुआ .

मंजू- तू चल मेरे साथ ..


मंजू ने लगभग घसीट ही तो लिया था मुझे, दौड़ते हुए हम शिवाले के सामने पहुंचे जहाँ पर...............................
बढ़िया अपडेट भाई

अगर पिस्तौल भाभी के हाथ में थी और कबीर को लगता है गोली उसने नहीं चलाई तो वहां कोई तीसरा भी था पर कौन....

मंदिर पर कौन सा कांड हो गया कही कोई पुजारी जी को तो नहीं निपटा गया...
 

dhparikh

Well-Known Member
11,962
13,776
228
#19

“तमाशा नहीं होना चाहिए था कबीर ” निशा ने कहा

मैं – मैंने किया क्या.

“ले पानी पी ले थोडा ” मंजू ने जग मेरी तरफ करते हुए कहा

निशा- शांत हो जाओ कबीर, कभी कभी मौन हो जाना ठीक रहता है. तुम्हारी आँखों के आगे से आज पर्दा हट गया है , वर्तमान की सत्यता को स्वीकार करो.

मैं- कहती तो ठीक ही हो तुम

मंजू- ये लोग सांप है ये डस तो सकते है पर तुम्हारे कभी नहीं हो सकते.

निशा- शांत हुआ न

मैंने हाँ में सर हिलाया.

निशा- इस घटना को एक सीख की तरह लो और अब से ज्यादा सावधान रहना , तुम्हारे अपने ही तुम्हारे दुश्मन है. दूर रहो सेफ रहो. तुम पर पहले भी हमला हुआ , आई-गयी हुई पर कबीर मैं और परीक्षा नहीं देना चाहती, मैं जीना चाहती हु , तुम्हारे साथ . इतना तो हक़ है न मेरा.

मैं- समझता हु.

निशा- वादा कर तू ऐसा कुछ नहीं करेगा जिससे की बेफालतू की परेशानी हो . जब से लाला वाला काण्ड किया है मेरा मन सवाल करता है की क्या हो गया मेरे कबीर को.

मंजू- कौन लाला.

निशा ने मंजू को शहर वाली बात बताई तो मंजू भी घबरा गयी.

मैं- मेरा कोई दोष नहीं

निशा- ये दुनिया वैसी नहीं जैसा हम सोचते है , कुछ हमारी कमिया कुछ सामने वाले की . और खासकर जब तुम और मैं अपनी जिन्दगी को तलाश रहे है तो हमें बिलकुल भी पड़ी लकड़ी नहीं उठानी चाहिए.

मैं- वादा करता हु , मेरी तरफ से कोई पंगेबाजी नहीं रहेगी.

निशा- मैं कल ड्यूटी पर जा रही हु, कोशिश करुँगी की जल्दी लौट पाऊ. मंजू इसका ख्याल रखना

मंजू ने हाँ में सर हिलाया.

मैं- मुझे लगता है की माँ-पिताजी की मौत साधारण नहीं थी

“क्या मतलब है तुम्हारा ” निशा और मंजू एक साथ ही बोली.

मैं- मुझे लगता है की मर्डर ......

मंजू- कौन करना चाहेगा भला ऐसा.

मैं- शक तो चाचा पर है मेरा

निशा- ये बात तुम्हारा गर्म दिमाग कह रहा है

मैं- नहीं निशा, अक्सर मेरा मन ये बात कहता है .

निशा- और क्यों कहता है तुम्हारा मन ऐसा बार बार

मैं- उनकी मौत से कुछ दिन पहले काफी झगडा हुआ था दोनों भाइयो का . फिर चाचा अपने परिवार को लेकर हवेली से चला गया.

निशा- क्यों हुआ झगडा.

अब मैं क्या कहता निशा से ,

मैं- नहीं पता. चाचा कई दिनों से बंटवारा चाहता था , पिताजी की इच्छा थी की परिवार संगठित रहे पर जब चाचा ना माना तो पिताजी ने कहा की ताऊ जी छुट्टी आ जाये फिर बंटवारा करेंगे.

निशा- पुलिसवाली हु कबीर, झगडे की वजह कुछ और थी क्योंकि बंटवारा किस चीज का हुआ , सब कुछ तो लावारिस पड़ा है , तुम्हारी जमीने तुम्हारा घर . जो भी यहाँ से गया खाली हाथ गया . तो वो वजह बड़ी महत्र्पूर्ण हो जाती है न. कुछ तो खिचड़ी पकी थी तुम्हारे परिवार में जो ये सब हुआ. अगर तुम्हे लगता है की जैसा तुम सोच रहे हो तो तुम तलाश करो . साजिशे कामयाब तो हो जाती है पर मिट नहीं पाती .

मैं- सही कहती हो

मंजू- बड़े ताऊ जी की लाश भी तो खेतो में मिली थी , उसका भी तो सुराग नहीं लगा आजतक की क्या हुआ था . कहीं कबीर की बात सच में तो ठीक नहीं .

निशा- मंजू, एक पल को तुम्हारी बात मान भी ली जाये तो भी सवाल वही है की किसलिए. कोई किसी को बेवजह तो नहीं मार सकता न. किसी भी क़त्ल को करने के लिए सबसे बड़ी चीज होती है मोटिव .हद से ज्यादा नफरत होना . अगर ये कारण पता चला तो फिर सब बाते क्लियर हो जाएगी.

सुबह तक हम लोग अपनी अपनी धारणा में सम्भावनाये तलाश करते रहे. भाभी ने भी कहा था “पैसा , किसे ही चाहिए था ” तो फिर क्या चाहिए था . खैर, निशा सुबह ही निकल गयी. मंजू भी स्कूल चली गयी . चूँकि अब यही रहना था मैंने हवेली में बिजली बहाली का आवेदन दिया.छोटे मोटे काम किये. हवेली की सफाई का काम हो ही नहीं रहा था तो उसकी व्यवस्था की .पर चूँकि अब मुझे अकेले ही इधर रहना था तो सबसे बड़ी चीज थी सुरक्षा , जिसके लिए मुझे बहुत जायदा प्रयास करने थे .

तमाम बातो में रात होने को आई थी ना जाने क्यों मैंने भैया-भाभी के कमरे को खोल लिया. बेहद शांत कमरा, जब इस घर में चहल पहल थी तभी थी शांत था ये . पर क्या सच में ऐसा था इसी कमरे के बिस्तर में वो तूफ़ान था जिसे मेरा भाई कभी शांत नहीं कर पाया था , जिस बिस्तर पर मैं बैठा था इस कहानी का एक अहम् किरदार था इसी बिस्तर पर पहली बार मैंने भाभी की चूत मारी थी . काश, मैं उस समय जानता की ये आग इस परिवार को ही स्वाहा कर देगी तो कसम से मैं इन चक्करों में पड़ता ही नहीं.

अपने सीने को सहलाते हुए मैं उस रात के बारे में सोचने लगा . मेरे सीने पर तीन घाव थे गोलियों के , न जाने क्यों मुझे आज भी लगता था की बेशक पिस्तौल भाभी के हाथ में थी पर वो ऐसा नहीं कर सकती, बचपन से मेरा एक ही सपना था पुलिस में भर्ती होना , माता-पिता की मौत के बाद बहुत टूट गया था मैं, टूटने तो बहुत पहले लगा था मैं जब भाभी के साथ अवैध संबंधो का पता भाई को चला, टूट तो मैं तब गया था जब चाची की बदनामी को अपने सर लिया. टूट तो मैं गया था जब निशा के बाप ने एक झटके से उसका हाथ मेरे हाथ से अलग कर दिया. सपना था की पुलिस में भर्ती होते ही सब ठीक हो जायेगा पर सपना सपना ही रह गया. सबसे पहले मैं अपनी ख़ुशी भाभी को बताना चाहता था , बेशक उसके और मेरे अवैध सम्बन्ध थे पर रब्ब जानता था की मेरी नजरो में उसका दर्जा क्या था .

“धांय धांय ” अचानक से मेरी नींद खुली तो मैंने खुद को पसीने से लथपथ पाया और मेरे सामने मंजू खड़ी थी पसीने में भीगी, उफनती सांसो के साथ .

“ऐसा कोई करता है क्या जी निकल जाता मेरा अभी ” मैंने हाँफते हुए कहा

मंजू- कबीर, मुसीबत हो गयी, काण्ड हो गया .

मैं- क्या हुआ .

मंजू- तू चल मेरे साथ ..


मंजू ने लगभग घसीट ही तो लिया था मुझे, दौड़ते हुए हम शिवाले के सामने पहुंचे जहाँ पर...............................
Nice update....
 

Sushil@10

Active Member
952
1,007
123
#19

“तमाशा नहीं होना चाहिए था कबीर ” निशा ने कहा

मैं – मैंने किया क्या.

“ले पानी पी ले थोडा ” मंजू ने जग मेरी तरफ करते हुए कहा

निशा- शांत हो जाओ कबीर, कभी कभी मौन हो जाना ठीक रहता है. तुम्हारी आँखों के आगे से आज पर्दा हट गया है , वर्तमान की सत्यता को स्वीकार करो.

मैं- कहती तो ठीक ही हो तुम

मंजू- ये लोग सांप है ये डस तो सकते है पर तुम्हारे कभी नहीं हो सकते.

निशा- शांत हुआ न

मैंने हाँ में सर हिलाया.

निशा- इस घटना को एक सीख की तरह लो और अब से ज्यादा सावधान रहना , तुम्हारे अपने ही तुम्हारे दुश्मन है. दूर रहो सेफ रहो. तुम पर पहले भी हमला हुआ , आई-गयी हुई पर कबीर मैं और परीक्षा नहीं देना चाहती, मैं जीना चाहती हु , तुम्हारे साथ . इतना तो हक़ है न मेरा.

मैं- समझता हु.

निशा- वादा कर तू ऐसा कुछ नहीं करेगा जिससे की बेफालतू की परेशानी हो . जब से लाला वाला काण्ड किया है मेरा मन सवाल करता है की क्या हो गया मेरे कबीर को.

मंजू- कौन लाला.

निशा ने मंजू को शहर वाली बात बताई तो मंजू भी घबरा गयी.

मैं- मेरा कोई दोष नहीं

निशा- ये दुनिया वैसी नहीं जैसा हम सोचते है , कुछ हमारी कमिया कुछ सामने वाले की . और खासकर जब तुम और मैं अपनी जिन्दगी को तलाश रहे है तो हमें बिलकुल भी पड़ी लकड़ी नहीं उठानी चाहिए.

मैं- वादा करता हु , मेरी तरफ से कोई पंगेबाजी नहीं रहेगी.

निशा- मैं कल ड्यूटी पर जा रही हु, कोशिश करुँगी की जल्दी लौट पाऊ. मंजू इसका ख्याल रखना

मंजू ने हाँ में सर हिलाया.

मैं- मुझे लगता है की माँ-पिताजी की मौत साधारण नहीं थी

“क्या मतलब है तुम्हारा ” निशा और मंजू एक साथ ही बोली.

मैं- मुझे लगता है की मर्डर ......

मंजू- कौन करना चाहेगा भला ऐसा.

मैं- शक तो चाचा पर है मेरा

निशा- ये बात तुम्हारा गर्म दिमाग कह रहा है

मैं- नहीं निशा, अक्सर मेरा मन ये बात कहता है .

निशा- और क्यों कहता है तुम्हारा मन ऐसा बार बार

मैं- उनकी मौत से कुछ दिन पहले काफी झगडा हुआ था दोनों भाइयो का . फिर चाचा अपने परिवार को लेकर हवेली से चला गया.

निशा- क्यों हुआ झगडा.

अब मैं क्या कहता निशा से ,

मैं- नहीं पता. चाचा कई दिनों से बंटवारा चाहता था , पिताजी की इच्छा थी की परिवार संगठित रहे पर जब चाचा ना माना तो पिताजी ने कहा की ताऊ जी छुट्टी आ जाये फिर बंटवारा करेंगे.

निशा- पुलिसवाली हु कबीर, झगडे की वजह कुछ और थी क्योंकि बंटवारा किस चीज का हुआ , सब कुछ तो लावारिस पड़ा है , तुम्हारी जमीने तुम्हारा घर . जो भी यहाँ से गया खाली हाथ गया . तो वो वजह बड़ी महत्र्पूर्ण हो जाती है न. कुछ तो खिचड़ी पकी थी तुम्हारे परिवार में जो ये सब हुआ. अगर तुम्हे लगता है की जैसा तुम सोच रहे हो तो तुम तलाश करो . साजिशे कामयाब तो हो जाती है पर मिट नहीं पाती .

मैं- सही कहती हो

मंजू- बड़े ताऊ जी की लाश भी तो खेतो में मिली थी , उसका भी तो सुराग नहीं लगा आजतक की क्या हुआ था . कहीं कबीर की बात सच में तो ठीक नहीं .

निशा- मंजू, एक पल को तुम्हारी बात मान भी ली जाये तो भी सवाल वही है की किसलिए. कोई किसी को बेवजह तो नहीं मार सकता न. किसी भी क़त्ल को करने के लिए सबसे बड़ी चीज होती है मोटिव .हद से ज्यादा नफरत होना . अगर ये कारण पता चला तो फिर सब बाते क्लियर हो जाएगी.

सुबह तक हम लोग अपनी अपनी धारणा में सम्भावनाये तलाश करते रहे. भाभी ने भी कहा था “पैसा , किसे ही चाहिए था ” तो फिर क्या चाहिए था . खैर, निशा सुबह ही निकल गयी. मंजू भी स्कूल चली गयी . चूँकि अब यही रहना था मैंने हवेली में बिजली बहाली का आवेदन दिया.छोटे मोटे काम किये. हवेली की सफाई का काम हो ही नहीं रहा था तो उसकी व्यवस्था की .पर चूँकि अब मुझे अकेले ही इधर रहना था तो सबसे बड़ी चीज थी सुरक्षा , जिसके लिए मुझे बहुत जायदा प्रयास करने थे .

तमाम बातो में रात होने को आई थी ना जाने क्यों मैंने भैया-भाभी के कमरे को खोल लिया. बेहद शांत कमरा, जब इस घर में चहल पहल थी तभी थी शांत था ये . पर क्या सच में ऐसा था इसी कमरे के बिस्तर में वो तूफ़ान था जिसे मेरा भाई कभी शांत नहीं कर पाया था , जिस बिस्तर पर मैं बैठा था इस कहानी का एक अहम् किरदार था इसी बिस्तर पर पहली बार मैंने भाभी की चूत मारी थी . काश, मैं उस समय जानता की ये आग इस परिवार को ही स्वाहा कर देगी तो कसम से मैं इन चक्करों में पड़ता ही नहीं.

अपने सीने को सहलाते हुए मैं उस रात के बारे में सोचने लगा . मेरे सीने पर तीन घाव थे गोलियों के , न जाने क्यों मुझे आज भी लगता था की बेशक पिस्तौल भाभी के हाथ में थी पर वो ऐसा नहीं कर सकती, बचपन से मेरा एक ही सपना था पुलिस में भर्ती होना , माता-पिता की मौत के बाद बहुत टूट गया था मैं, टूटने तो बहुत पहले लगा था मैं जब भाभी के साथ अवैध संबंधो का पता भाई को चला, टूट तो मैं तब गया था जब चाची की बदनामी को अपने सर लिया. टूट तो मैं गया था जब निशा के बाप ने एक झटके से उसका हाथ मेरे हाथ से अलग कर दिया. सपना था की पुलिस में भर्ती होते ही सब ठीक हो जायेगा पर सपना सपना ही रह गया. सबसे पहले मैं अपनी ख़ुशी भाभी को बताना चाहता था , बेशक उसके और मेरे अवैध सम्बन्ध थे पर रब्ब जानता था की मेरी नजरो में उसका दर्जा क्या था .

“धांय धांय ” अचानक से मेरी नींद खुली तो मैंने खुद को पसीने से लथपथ पाया और मेरे सामने मंजू खड़ी थी पसीने में भीगी, उफनती सांसो के साथ .

“ऐसा कोई करता है क्या जी निकल जाता मेरा अभी ” मैंने हाँफते हुए कहा

मंजू- कबीर, मुसीबत हो गयी, काण्ड हो गया .

मैं- क्या हुआ .

मंजू- तू चल मेरे साथ ..


मंजू ने लगभग घसीट ही तो लिया था मुझे, दौड़ते हुए हम शिवाले के सामने पहुंचे जहाँ पर...............................
Nice update
 

despicable

त्वयि मे'नन्या विश्वरूपा
Supreme
356
1,080
123
मकड़जाल सी लग रही है ये स्टोरी ।
विलन कौन निकलेगा ये तो समय अनुसार पता चल ही जाएगा ।

बहन का भाई से विमुख होना किस और इशारा कर रहा है चाची ने कान भरे हो या चाचा ने या कबीर के छिपे गुनाह !


कबीर पर टिकट लगा देना चाहिए गाव का जिगोलो तो नहीं था पास्ट मैं कहीं ।

निशा सरकार से भी कबीर छिपा रहा है कुछ बातें या सब कुछ यही बातें तो नहीं क़सम से सूतेगी बहुत कबीर को पता चलेगा तो ।


ताऊ की बॉडी का आजतक ना मिलना भी ग़ज़ब है । खेत के पास जंगल मैं जरूर कुछ राज है ।

फ़्लैशबैक का इंतज़ार रहेगा लेकिन ये शिवाले के पास क्या हुआ है ।

आपकी लेखनी बहुत भी सुंदर है भाई कहानी लिखने का अंदाज़ भी लाजवाब है ।
 

Ajju Landwalia

Well-Known Member
4,041
15,565
159
#19

“तमाशा नहीं होना चाहिए था कबीर ” निशा ने कहा

मैं – मैंने किया क्या.

“ले पानी पी ले थोडा ” मंजू ने जग मेरी तरफ करते हुए कहा

निशा- शांत हो जाओ कबीर, कभी कभी मौन हो जाना ठीक रहता है. तुम्हारी आँखों के आगे से आज पर्दा हट गया है , वर्तमान की सत्यता को स्वीकार करो.

मैं- कहती तो ठीक ही हो तुम

मंजू- ये लोग सांप है ये डस तो सकते है पर तुम्हारे कभी नहीं हो सकते.

निशा- शांत हुआ न

मैंने हाँ में सर हिलाया.

निशा- इस घटना को एक सीख की तरह लो और अब से ज्यादा सावधान रहना , तुम्हारे अपने ही तुम्हारे दुश्मन है. दूर रहो सेफ रहो. तुम पर पहले भी हमला हुआ , आई-गयी हुई पर कबीर मैं और परीक्षा नहीं देना चाहती, मैं जीना चाहती हु , तुम्हारे साथ . इतना तो हक़ है न मेरा.

मैं- समझता हु.

निशा- वादा कर तू ऐसा कुछ नहीं करेगा जिससे की बेफालतू की परेशानी हो . जब से लाला वाला काण्ड किया है मेरा मन सवाल करता है की क्या हो गया मेरे कबीर को.

मंजू- कौन लाला.

निशा ने मंजू को शहर वाली बात बताई तो मंजू भी घबरा गयी.

मैं- मेरा कोई दोष नहीं

निशा- ये दुनिया वैसी नहीं जैसा हम सोचते है , कुछ हमारी कमिया कुछ सामने वाले की . और खासकर जब तुम और मैं अपनी जिन्दगी को तलाश रहे है तो हमें बिलकुल भी पड़ी लकड़ी नहीं उठानी चाहिए.

मैं- वादा करता हु , मेरी तरफ से कोई पंगेबाजी नहीं रहेगी.

निशा- मैं कल ड्यूटी पर जा रही हु, कोशिश करुँगी की जल्दी लौट पाऊ. मंजू इसका ख्याल रखना

मंजू ने हाँ में सर हिलाया.

मैं- मुझे लगता है की माँ-पिताजी की मौत साधारण नहीं थी

“क्या मतलब है तुम्हारा ” निशा और मंजू एक साथ ही बोली.

मैं- मुझे लगता है की मर्डर ......

मंजू- कौन करना चाहेगा भला ऐसा.

मैं- शक तो चाचा पर है मेरा

निशा- ये बात तुम्हारा गर्म दिमाग कह रहा है

मैं- नहीं निशा, अक्सर मेरा मन ये बात कहता है .

निशा- और क्यों कहता है तुम्हारा मन ऐसा बार बार

मैं- उनकी मौत से कुछ दिन पहले काफी झगडा हुआ था दोनों भाइयो का . फिर चाचा अपने परिवार को लेकर हवेली से चला गया.

निशा- क्यों हुआ झगडा.

अब मैं क्या कहता निशा से ,

मैं- नहीं पता. चाचा कई दिनों से बंटवारा चाहता था , पिताजी की इच्छा थी की परिवार संगठित रहे पर जब चाचा ना माना तो पिताजी ने कहा की ताऊ जी छुट्टी आ जाये फिर बंटवारा करेंगे.

निशा- पुलिसवाली हु कबीर, झगडे की वजह कुछ और थी क्योंकि बंटवारा किस चीज का हुआ , सब कुछ तो लावारिस पड़ा है , तुम्हारी जमीने तुम्हारा घर . जो भी यहाँ से गया खाली हाथ गया . तो वो वजह बड़ी महत्र्पूर्ण हो जाती है न. कुछ तो खिचड़ी पकी थी तुम्हारे परिवार में जो ये सब हुआ. अगर तुम्हे लगता है की जैसा तुम सोच रहे हो तो तुम तलाश करो . साजिशे कामयाब तो हो जाती है पर मिट नहीं पाती .

मैं- सही कहती हो

मंजू- बड़े ताऊ जी की लाश भी तो खेतो में मिली थी , उसका भी तो सुराग नहीं लगा आजतक की क्या हुआ था . कहीं कबीर की बात सच में तो ठीक नहीं .

निशा- मंजू, एक पल को तुम्हारी बात मान भी ली जाये तो भी सवाल वही है की किसलिए. कोई किसी को बेवजह तो नहीं मार सकता न. किसी भी क़त्ल को करने के लिए सबसे बड़ी चीज होती है मोटिव .हद से ज्यादा नफरत होना . अगर ये कारण पता चला तो फिर सब बाते क्लियर हो जाएगी.

सुबह तक हम लोग अपनी अपनी धारणा में सम्भावनाये तलाश करते रहे. भाभी ने भी कहा था “पैसा , किसे ही चाहिए था ” तो फिर क्या चाहिए था . खैर, निशा सुबह ही निकल गयी. मंजू भी स्कूल चली गयी . चूँकि अब यही रहना था मैंने हवेली में बिजली बहाली का आवेदन दिया.छोटे मोटे काम किये. हवेली की सफाई का काम हो ही नहीं रहा था तो उसकी व्यवस्था की .पर चूँकि अब मुझे अकेले ही इधर रहना था तो सबसे बड़ी चीज थी सुरक्षा , जिसके लिए मुझे बहुत जायदा प्रयास करने थे .

तमाम बातो में रात होने को आई थी ना जाने क्यों मैंने भैया-भाभी के कमरे को खोल लिया. बेहद शांत कमरा, जब इस घर में चहल पहल थी तभी थी शांत था ये . पर क्या सच में ऐसा था इसी कमरे के बिस्तर में वो तूफ़ान था जिसे मेरा भाई कभी शांत नहीं कर पाया था , जिस बिस्तर पर मैं बैठा था इस कहानी का एक अहम् किरदार था इसी बिस्तर पर पहली बार मैंने भाभी की चूत मारी थी . काश, मैं उस समय जानता की ये आग इस परिवार को ही स्वाहा कर देगी तो कसम से मैं इन चक्करों में पड़ता ही नहीं.

अपने सीने को सहलाते हुए मैं उस रात के बारे में सोचने लगा . मेरे सीने पर तीन घाव थे गोलियों के , न जाने क्यों मुझे आज भी लगता था की बेशक पिस्तौल भाभी के हाथ में थी पर वो ऐसा नहीं कर सकती, बचपन से मेरा एक ही सपना था पुलिस में भर्ती होना , माता-पिता की मौत के बाद बहुत टूट गया था मैं, टूटने तो बहुत पहले लगा था मैं जब भाभी के साथ अवैध संबंधो का पता भाई को चला, टूट तो मैं तब गया था जब चाची की बदनामी को अपने सर लिया. टूट तो मैं गया था जब निशा के बाप ने एक झटके से उसका हाथ मेरे हाथ से अलग कर दिया. सपना था की पुलिस में भर्ती होते ही सब ठीक हो जायेगा पर सपना सपना ही रह गया. सबसे पहले मैं अपनी ख़ुशी भाभी को बताना चाहता था , बेशक उसके और मेरे अवैध सम्बन्ध थे पर रब्ब जानता था की मेरी नजरो में उसका दर्जा क्या था .

“धांय धांय ” अचानक से मेरी नींद खुली तो मैंने खुद को पसीने से लथपथ पाया और मेरे सामने मंजू खड़ी थी पसीने में भीगी, उफनती सांसो के साथ .

“ऐसा कोई करता है क्या जी निकल जाता मेरा अभी ” मैंने हाँफते हुए कहा

मंजू- कबीर, मुसीबत हो गयी, काण्ड हो गया .

मैं- क्या हुआ .

मंजू- तू चल मेरे साथ ..


मंजू ने लगभग घसीट ही तो लिया था मुझे, दौड़ते हुए हम शिवाले के सामने पहुंचे जहाँ पर...............................

Gazab ki update he HalfbludPrince Manish Bhai,

Avaidh sambandho ki vajah se hi kabir ka parivar bikhar gaya tha.........

Ab shivale me kya kaand ho gaya????
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
12,997
90,760
259
#20

भीड़ जमा थी , चीखपुकार मची थी , भीड़ हटाते हुए मैं आगे गया और मैंने अपनी आँखे बंद कर ली. सामने चाचा की लाश पड़ी थी. बस यही नहीं देखना था. जैसे ही चाची की नजर मुझ पर पड़ी वो चिल्ला पड़ी ,”तूने , कबीर तूने मारा है मेरे पति को ” चाची ने मेरा गला पकड़ लिया.

मैंने उसे अपने से दूर किया.

“होश में रह कर बात कर चाची , तेरी हिम्मत कैसे हुई मुझ पर आरोप लगाने की ” मैंने गुस्से से कहा

चाची- तूने ही मेरी बेटी की शादी में तमाशा किया तू ही है वो जिसे हमारी खुशिया रास नहीं . गाँव वालो ये ही है कातिल इसी ने मेरा पति मारा है मुझे इंसाफ चाहिए.

मैं- खुशिया, बहन की लौड़ी . अपने करम देख . अरे भूल गयी तू वो मैं ही था जिसने तेरे पाप अपने सर लिए. मेरा मुह मत खुलवा , मैंने लिहाज छोड़ा न तो बहुत कुछ याद आ जायेगा मुझे भी और तुझे भी . तेरा पति अपने कर्मो की मौत मरा है . और गाँव वाले क्या करेंगे सारे गाँव को पता है तुम्हारी औकात . तेरे से जो हो वो तू कर ले , जहाँ जाना है जा , किसी भी थाने -तहसील में जा . मैंने मारा ही नहीं इस चूतिये को तो मुझे क्या परवाह .

गुस्से से मैंने थूका और वहां से चल दिया. पर आने वाले कठिन समय का अंदेशा मुझे हो गया था चाची ने जिस प्रकार आरोप लगाया था , गाँव वालो ने शादी में तमाशा देखा ही था तो सबके मन में शक का बीज उपज जाना ही था . मुझे जरा भी दुःख नहीं था चाचा के मरने का . हवेली आकर मैंने पानी पिया और गहरी सोच में डूब गया . परिवार का एक स्तम्भ और डूब गया था , तीन भाई तीनो अब दुनिया से रुखसत हो चुके थे .

शाम होते होते पुलिस आ पहुंची थी मैं जानता था की शिकायत तो देगी ही वो . दरोगा को मैंने अपनी तरफ से संतुष्ट करने की पूरी कोशिश की पर चूँकि मर्डर का मामला था तो वो भी अहतियात बरत रहा था

“दरोगा , चाहे कितनी बार पूछ लो मेरा जवाब यही रहेगा की पूरी रात मैं हवेली में ही था . ”मैंने जोर देते हुए कहा

दरोगा- गाँव में बहुत लोगो ने बताया की तुम्हारी दुश्मनी थी तुम्हारे चाचा के साथ , उसकी बेटी की शादी में भी तुमने हंगामा किया

मैं- दुश्मनी , बरसो पहले परिवार ख़तम हो गया था दरोगा साहब . परिवार के इतिहास के बारे में गाँव वालो से आपने पूछताछ कर ही ली होगी ऐसा मुझे यकीं है .फिर भी आप अपनी तहकीकात कीजिये , यदि आपको मेरे खिलाफ कोई सबूत मिले तो गिरफ्तार कर लेना. लाश आपने देख ली ही होगी. पोस्ट मार्टम रिपोर्ट भी आएगी

मेरी बातो से दरोगा के चेहरे पर असमंजस के भाव आ गए.

दरोगा- तुम्हारी बाते जायज है पर फिर भी आरोप तुम पर ही है . कोई ऐसा सबूत दे सकते हो जो ये पुष्टि करे की तुम तमाम रात हवेली में ही थे.

“मैं हूँ गवाह की कबीर पूरी रात हवेली में ही था ” मंजू ने आते हुए कहा और मैंने माथा पीट लिया

“और आप कौन मोहतरमा ” दरोगा ने सवाल किया

मंजू- मैं मंजू, इसी गाँव की हूँ और आपका वो सबूत जो कहता है की कबीर पूरी रात हवेली में था क्योंकि उसके साथ मैं थी .

दरोगा की त्योरिया चढ़ गयी पर वो कुछ बोल नहीं पाया .क्योंकि ठीक तभी हवेली के दर पर एक गाडी आकर रुकी और उसमे से जो उतरा मैं कभी सोच भी नहीं सकता था की वो यहाँ आयेगा.

“ठाकुर साहब” दरोगा ने खड़े होते हुए हाथ जोड़ लिए

निशा के पिताजी हवेली आ पहुंचे थे .

“दरोगा, कबीर का सेठ की मौत में कोई हाथ नहीं है ऐसा हम आपको आश्वस्त करते है ” उन्होंने कहा

दरोगा- जी ठाकुर साहब पर इसकी चाची ने शिकायत इसके नाम की है तो पूछताछ करनी ही होगी.

“बेशक, तुम अपनी कार्यवाही करो , यदि जांच में ये दोषी निकले तो कानून अनुसार अपना कार्य करना पर गिरफ़्तारी नहीं होगी ” ठाकुर ने कहा

मैं हैरान था की मुझसे नफरत करने वाला ये इन्सान मेरे पक्ष में इतना मजबूती से खड़ा था .

दरोगा- जैसा आपका आदेश पर ये गाँव से बाहर नहीं जायेगा और जब भी जरुरत पड़ेगी तो इसे थाने आना हो गा.

ठाकुर- कोई दिक्कत नहीं.

दरोगा – मंजू जी , आपको लिखित में बयान देना होगा.

मंजू ने हाँ कहा और वो दोनों चले गये. रह गए हम दोनों और हमारे बीच का सन्नाटा. पर किसी न किसी को तो बर्फ पिघलाने की कोशिस करनी ही थी .

मैं- आपको इस मामले में नहीं पड़ना था .

ठाकुर- मुझे विश्वास है तुम पर

मैं- सुन कर अच्छा लगा.

ठाकुर- कैसी है वो

मैं- कौन

ठाकुर- हम दोनों बहुत अच्छी तरह से जानते है की मैं क्या कह रहा हूँ और तुम क्या सुन रहे हो .

मैं- - आपके आशीर्वाद के बिना कैसी हो सकती है वो . आज वो इतनी बड़ी हो गयी है की जमाना उसके सामने झुकता है और एक वो है की अपने बाप के मुह से बेटी सुनने को तरसती है .

“तो फिर क्यों गयी थी बाप को छोड़ कर ” ठाकुर ने कहा

मैं- कभी नहीं गयी वो आपको छोड़ कर.

ठाकुर- तुमने मुझसे मेरी आन छीन ली कबीर.

मैं- इस ज़माने की तरह आप भी उसी गुमान में हो. क्या माँ ने आपको बताया नहीं

ठाकुर- तो फिर भागे क्यों

मैं- कोई नहीं भागा, मेरी परिस्तिथिया अलग थी और निशा ने घर छोड़ा नौकरी के लिए. बस दोनों काम साथ हुए इसलिए सबको लगता है की हमने भाग कर शादी कर ली.

ठाकुर- सच कहते हो

मैं- हाथ थामा है निशा का , मान है वो मेरे मन का उसे बदनाम कैसे कर सकता हूँ, भाग कर ही शादी करनी होती तो कौन रोक सकता था हमें, ना तब ना आज पर उसकी भी जिद है की विदा होगी तो अपने आँगन से ही. बाप की इज्जत का ख्याल था उसे तभी वनवास का चुनाव किया उसने. हम आज भी साथ होकर अलग है ठाकुर साहब पर हमें उम्मीद है की एक दिन हमें हमारे हिस्से का सुख जरुर मिलेगा.

ठाकुर- मैं अपनी बेटी को देखना चाहता हु

मैं- आपकी बेटी है जब चाहे मिलिए एक पिता को बेटी से मिलने से कौन रोक सकता है .

ठाकुर- गाँव समाज में प्रेम का कोई महत्त्व नहीं

मैं- मेरे प्रेम पर तो थोड़ी देर पहले ही आपने स्वीक्रति प्रदान कर दी है

ठाकुर के चेहरे पर छिपी मुस्कुराहट को मैंने पहचान लिया.

“दरोगा बहुत इमानदार है , तह तक जायेगा मामले की वो ” बोले वो

मैं- अगर मैं गलत नहीं तो फिर मुझे भय नहीं

ठाकुर ने मेरे कंधे पर हाथ रखा और बोले- उसे ले आओ कबीर, उसे ले आओ..............
 

vihan27

Be Loyal To Your Future, Not Your Past..
625
511
93
Aapka Hukum tha, Sarkar nahin hone Diya,
Khud Ko duniya Ka talabgar nahin hone Diya,
Aire gaire ko thaharne ki ijaajat nahin Di,
Dil ko dil Rakha Hai, bazar nahin hone Diya.

Bahut badhiya Bhai... Kabir ki playboy image ke bich ek sacha Aashiq bhi nazar aa raha hai....
 
Top