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Adultery तेरे प्यार में .....

Napster

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#21

“वो जरुर आएगी , एक पिता बुलाये और बेटी ना आये ऐसा हो नहीं सकता ” मैंने कहा

ठाकुर- बस एक बार उसे देखने की ख्वाहिश है, अभी जाना होगा पर तुम ध्यान रखना , कोशिश करना इस इल्जाम को दूर करने की.

मैंने हाँ में सर हिलाया एक दो नसीहत और देने के पश्चात निशा के पिता चले गए. रिश्तेदार इकठ्ठा होने लगे थे. अजीब सी हालत हो गयी थी , आदमी गुस्से में चाहे जो कह दे पर परिवार में मौत को सहना आसान तो नहीं होता. शिवाले पर बैठा मैं सोच रहा था की किसी ज़माने के क्या ही रुतबा था हमारे परिवार का और अब ऐसी भद्द पिट रही थी की कुछ बचा ही नहीं था . गाँव के कुछ लोग हॉस्पिटल गए थे पोस्ट मार्टम के लिए , अब वहां पता नहीं कितना समय लगता तब तक अंतिम संस्कार भी नहीं हो सकता था . पर एक बात अच्छी थी की मंजू लौट आई थी .

“कबीर,” मेरे पास बैठते हुए बोली वो.

मैं- तुझे बीच में पड़ने की क्या जरुरत थी

मंजू- बावला है क्या तू , अगर मैं ब्यान नहीं देती तो थानेदार धर लेता तुझे, मामला गरम है न जाने क्या से क्या हो जाता.

मैं- फिर भी तुझे झूट नहीं बोलना था

मंजू- मुझे यकीन है की इसमें तेरा कुछ लेना देना नहीं है.

मैं- तेरी कसम मैं तो सोया पड़ा था तूने ही तो उठाया न मुझे.

मंजु- कबीर एक बात तो गाँव के सबसे चूतिया से चूतिया की भी समझ में आ गयी है की तुम्हारे परिवार का दुश्मन गाँव में ही है, तू नहीं था तो सब शांत था जैसे ही तू आया ये काण्ड हो गया. कोई तो है जो हद्द खुन्नस खाए हुए है तुझसे.

मैं- मालूम कर लूँगा

मंजू- अभी तू शांत रहना, लोग आयेंगे कोई कुछ बोलेगा कोई कुछ किसी को सफाई नहीं देनी.

मैं-जी घुट रहा है यहाँ थोडा बाहर चले क्या

मंजू- घर चल फिर

मैं – नहीं थोडा बाहर की तरफ चलते है , ताज़ी हवा मिलेगी तो अच्छा लगेगा.

मंजू- उसके लिए भी तुझे घर चलना ही होगा. मुझे कपडे बदलने है

हम दोनों मंजू के घर आ गए . मैने हाथ मुह धोये , मंजू कपडे बदलने लगी.

मैं- एक काम कर चाय बना ले , उधर ही कही बैठ कर पियेंगे

मंजू- ये बढ़िया है .

मैंने जीप स्टार्ट की और जल्दी ही हम खेतो के पास उसी पेड़ के निचे बैठे थे .

“कबीर, क्या रंडी-रोना है तेरे कुनबे का , मैं जानती हु तू कुछ बाते छिपा लेता है मुझसे पर तू चाहे तो मुझसे अपने मन की बात कर सकता है , और एक बात ये की चाची की इज्जत नहीं उछालनी थी तुझे गाँव के बीच ” बोली वो

मैं- आज तक उसकी ही इज्जत बचाते आया हूँ मैं, पर उसे कद्र ही नहीं . उसको बचाने के लिए मैं सब से ख़राब हुआ चाचा से भी , यहाँ तक तू भी यही जानती है की मैं चोदता था उसे पर ये सच नहीं है

मंजू कसम से, फिर तू क्यों जलील हुआ ऐसी क्या वजह थी

मैं- वो वजह जा चुकी है अब मंजू पर तू अजीज है मुझे तो आज मैं तुझे वो सच बता ही देता हूँ चाची में अवैध सम्बन्ध मुझसे नहीं बल्कि पिताजी से थे .

जैसे ही मैंने ये बात कही मंजू के हाथ से बिस्कुट गिर गया.

मंजू- शर्म कर ले कबीर.

मैं- जिज्ञासा है तो फिर सच सुनने की क्षमता भी रख मंजू. जीजा साली का प्रेम-प्रसंग था कब से मैं ये तो नहीं जानता था पर अगर उस दिन तुड़े के कमरे में मैंने दोनों की चुदाई नहीं देखी होती तो मियन भी यकीं नहीं करता .

मंजू- यकीन नहीं होता की ताऊ जी ऐसा कर सकते है

मैं- ये दुनिया उतनी भी शरीफ नहीं जितना लोग समझते है

मंजू- पर फिर तूने अपने ऊपर क्यों लिया वो इल्जाम

मैं- मैं झूठ नहीं कहूँगा, जब से मैने चाची को देखा था मैं चोदना चाहता था उसे , मैंने प्रयास भी किया था पर उसने ऐसी बात बोल दी की फिर मुझे दो में से एक चुनाव करना था और मैंने उसकी इच्छा का मान रखा.

मंजू- क्या

मैं- चाची भी समझ रही थी की मेरे मन में क्या था उसके प्रति और फिर एक शाम ऐसी आई जब हम दोनों घर पर अकेले थे , चाची उस रात मेरे पास आई और उसने कहा कबीर तेरे मन में क्या है

“मेरे मन में क्या होगा चाची ” मैंने कहा

चाची- कबीर, हम दोनों जानते है की क्या बात है , मुझे भली भाँती मालूम है की तुम्हे पूर्ण जानकारी है मेरे गलत रिश्ते के बारे में

मैंने सर झुका लिया.

चाची- कबीर तुम्हारी उम्र में ये स्वाभाविक है की तुम मोह करो इस जिस्म का , और मेरे हालात ऐसे है की मुझे तुम्हारी इच्छा पूरी करनी होगी. पर कबीर तुमने इस जिस्म को पा भी लिया थो तुम कुछ नहीं पा सकोगे. जेठ जी और मैं प्रेम करते है एक दुसरे से , आज तो नहीं पर एक दिन तुम जरुर इसे समझ पाओगे. मैं तुम्हे अपना बेटा मानती हु , बेशक तुम चाहो तो मुझे इस बिस्तर पर लिटा सकते हो पर उस से केवल तुम्हारी भूख शांत होगी और मेरा मन घायल . औरत को कभी हासिल नहीं किया जाता कबीर, औरत के मन को जीता जाता है और इस जन्म में मेरा मन कहीं और है . तुम्हे चुनाव का पूर्ण अधिकार है , मैं कुण्डी नहीं लगा रही , तुम्हारा जो भी निर्णय मुझे मंजूर है , मेरी गरह्स्थी की लाज तुम्हारे पास छोड़ कर जा रही हु , आगे तुम जानो



“मंजू , उस रात मेरे पास मौका था पर मेरी हिम्मत नहीं हुई. मन का चोर हार गया. मैं नहीं जा पाया उसके कमरे में ” मैंने कहा

मंजू- फिर वो तमाशा क्यों हुआ

मैं- इस घर की गिरती नींव को बचाने के लिए. चाचा ने जीजा-साली को देख लिया था पर वो गलत समझ गया उसे लगा की मैं हु पर थे पिताजी ने हुबहू दो शर्ट खरीदी थी , वो ही पहन कर मैं दो रात पहले चाचा के साथ एक शादी में गया था , चाचा ने पिताजी की पीठ देखी और वो मुझे समझ बैठा, चूतिये को मैंने समझाने की भरपूर कोशिश की पर उसने तमाशा कर दिया. मारने लगा चाची को अब वो इस से पहले की पिताजी का नाम ले देती , अजीब सी बदनामी को बचाने के लिए मैंने विष का प्याला उठा लिया और फिर जो भी हुआ वो तो तू जानती ही है .

मंजू- फिर भी वो तुझी को कातिल बता रही है , भूल गयी कम से कम उसे तो तेरा लिहाज करना था .

मैं- यही तो समझ नहीं आ रहा की ऐसा क्या हुआ जो वो इतना बदल गयी. ................




बडा ही शानदार लाजवाब और जानदार अपडेट हैं भाई मजा आ गया
मंजु और कबीर की बातों से एक राज पर से परदा उठ गया की कबीर और चाची के बीच कोई नाजायज रिस्ता था,था तो कबीर के पिता और चाची के बीच
क्या कबीर ठाकुर और निशा का मेल मिलाप करेगा
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

Naik

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#19

“तमाशा नहीं होना चाहिए था कबीर ” निशा ने कहा

मैं – मैंने किया क्या.

“ले पानी पी ले थोडा ” मंजू ने जग मेरी तरफ करते हुए कहा

निशा- शांत हो जाओ कबीर, कभी कभी मौन हो जाना ठीक रहता है. तुम्हारी आँखों के आगे से आज पर्दा हट गया है , वर्तमान की सत्यता को स्वीकार करो.

मैं- कहती तो ठीक ही हो तुम

मंजू- ये लोग सांप है ये डस तो सकते है पर तुम्हारे कभी नहीं हो सकते.

निशा- शांत हुआ न

मैंने हाँ में सर हिलाया.

निशा- इस घटना को एक सीख की तरह लो और अब से ज्यादा सावधान रहना , तुम्हारे अपने ही तुम्हारे दुश्मन है. दूर रहो सेफ रहो. तुम पर पहले भी हमला हुआ , आई-गयी हुई पर कबीर मैं और परीक्षा नहीं देना चाहती, मैं जीना चाहती हु , तुम्हारे साथ . इतना तो हक़ है न मेरा.

मैं- समझता हु.

निशा- वादा कर तू ऐसा कुछ नहीं करेगा जिससे की बेफालतू की परेशानी हो . जब से लाला वाला काण्ड किया है मेरा मन सवाल करता है की क्या हो गया मेरे कबीर को.

मंजू- कौन लाला.

निशा ने मंजू को शहर वाली बात बताई तो मंजू भी घबरा गयी.

मैं- मेरा कोई दोष नहीं

निशा- ये दुनिया वैसी नहीं जैसा हम सोचते है , कुछ हमारी कमिया कुछ सामने वाले की . और खासकर जब तुम और मैं अपनी जिन्दगी को तलाश रहे है तो हमें बिलकुल भी पड़ी लकड़ी नहीं उठानी चाहिए.

मैं- वादा करता हु , मेरी तरफ से कोई पंगेबाजी नहीं रहेगी.

निशा- मैं कल ड्यूटी पर जा रही हु, कोशिश करुँगी की जल्दी लौट पाऊ. मंजू इसका ख्याल रखना

मंजू ने हाँ में सर हिलाया.

मैं- मुझे लगता है की माँ-पिताजी की मौत साधारण नहीं थी

“क्या मतलब है तुम्हारा ” निशा और मंजू एक साथ ही बोली.

मैं- मुझे लगता है की मर्डर ......

मंजू- कौन करना चाहेगा भला ऐसा.

मैं- शक तो चाचा पर है मेरा

निशा- ये बात तुम्हारा गर्म दिमाग कह रहा है

मैं- नहीं निशा, अक्सर मेरा मन ये बात कहता है .

निशा- और क्यों कहता है तुम्हारा मन ऐसा बार बार

मैं- उनकी मौत से कुछ दिन पहले काफी झगडा हुआ था दोनों भाइयो का . फिर चाचा अपने परिवार को लेकर हवेली से चला गया.

निशा- क्यों हुआ झगडा.

अब मैं क्या कहता निशा से ,

मैं- नहीं पता. चाचा कई दिनों से बंटवारा चाहता था , पिताजी की इच्छा थी की परिवार संगठित रहे पर जब चाचा ना माना तो पिताजी ने कहा की ताऊ जी छुट्टी आ जाये फिर बंटवारा करेंगे.

निशा- पुलिसवाली हु कबीर, झगडे की वजह कुछ और थी क्योंकि बंटवारा किस चीज का हुआ , सब कुछ तो लावारिस पड़ा है , तुम्हारी जमीने तुम्हारा घर . जो भी यहाँ से गया खाली हाथ गया . तो वो वजह बड़ी महत्र्पूर्ण हो जाती है न. कुछ तो खिचड़ी पकी थी तुम्हारे परिवार में जो ये सब हुआ. अगर तुम्हे लगता है की जैसा तुम सोच रहे हो तो तुम तलाश करो . साजिशे कामयाब तो हो जाती है पर मिट नहीं पाती .

मैं- सही कहती हो

मंजू- बड़े ताऊ जी की लाश भी तो खेतो में मिली थी , उसका भी तो सुराग नहीं लगा आजतक की क्या हुआ था . कहीं कबीर की बात सच में तो ठीक नहीं .

निशा- मंजू, एक पल को तुम्हारी बात मान भी ली जाये तो भी सवाल वही है की किसलिए. कोई किसी को बेवजह तो नहीं मार सकता न. किसी भी क़त्ल को करने के लिए सबसे बड़ी चीज होती है मोटिव .हद से ज्यादा नफरत होना . अगर ये कारण पता चला तो फिर सब बाते क्लियर हो जाएगी.

सुबह तक हम लोग अपनी अपनी धारणा में सम्भावनाये तलाश करते रहे. भाभी ने भी कहा था “पैसा , किसे ही चाहिए था ” तो फिर क्या चाहिए था . खैर, निशा सुबह ही निकल गयी. मंजू भी स्कूल चली गयी . चूँकि अब यही रहना था मैंने हवेली में बिजली बहाली का आवेदन दिया.छोटे मोटे काम किये. हवेली की सफाई का काम हो ही नहीं रहा था तो उसकी व्यवस्था की .पर चूँकि अब मुझे अकेले ही इधर रहना था तो सबसे बड़ी चीज थी सुरक्षा , जिसके लिए मुझे बहुत जायदा प्रयास करने थे .

तमाम बातो में रात होने को आई थी ना जाने क्यों मैंने भैया-भाभी के कमरे को खोल लिया. बेहद शांत कमरा, जब इस घर में चहल पहल थी तभी थी शांत था ये . पर क्या सच में ऐसा था इसी कमरे के बिस्तर में वो तूफ़ान था जिसे मेरा भाई कभी शांत नहीं कर पाया था , जिस बिस्तर पर मैं बैठा था इस कहानी का एक अहम् किरदार था इसी बिस्तर पर पहली बार मैंने भाभी की चूत मारी थी . काश, मैं उस समय जानता की ये आग इस परिवार को ही स्वाहा कर देगी तो कसम से मैं इन चक्करों में पड़ता ही नहीं.

अपने सीने को सहलाते हुए मैं उस रात के बारे में सोचने लगा . मेरे सीने पर तीन घाव थे गोलियों के , न जाने क्यों मुझे आज भी लगता था की बेशक पिस्तौल भाभी के हाथ में थी पर वो ऐसा नहीं कर सकती, बचपन से मेरा एक ही सपना था पुलिस में भर्ती होना , माता-पिता की मौत के बाद बहुत टूट गया था मैं, टूटने तो बहुत पहले लगा था मैं जब भाभी के साथ अवैध संबंधो का पता भाई को चला, टूट तो मैं तब गया था जब चाची की बदनामी को अपने सर लिया. टूट तो मैं गया था जब निशा के बाप ने एक झटके से उसका हाथ मेरे हाथ से अलग कर दिया. सपना था की पुलिस में भर्ती होते ही सब ठीक हो जायेगा पर सपना सपना ही रह गया. सबसे पहले मैं अपनी ख़ुशी भाभी को बताना चाहता था , बेशक उसके और मेरे अवैध सम्बन्ध थे पर रब्ब जानता था की मेरी नजरो में उसका दर्जा क्या था .

“धांय धांय ” अचानक से मेरी नींद खुली तो मैंने खुद को पसीने से लथपथ पाया और मेरे सामने मंजू खड़ी थी पसीने में भीगी, उफनती सांसो के साथ .

“ऐसा कोई करता है क्या जी निकल जाता मेरा अभी ” मैंने हाँफते हुए कहा

मंजू- कबीर, मुसीबत हो गयी, काण्ड हो गया .

मैं- क्या हुआ .

मंजू- तू चल मेरे साथ ..


मंजू ने लगभग घसीट ही तो लिया था मुझे, दौड़ते हुए हम शिवाले के सामने पहुंचे जहाँ पर...............................
Nisha or manju sahi keh Rahi h ki apni aankhe khol or dekh Kon apna or Kon paraya
Ab shiwale par kia Hoga Bhala kiska kand ho gaya
 

Naik

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#20

भीड़ जमा थी , चीखपुकार मची थी , भीड़ हटाते हुए मैं आगे गया और मैंने अपनी आँखे बंद कर ली. सामने चाचा की लाश पड़ी थी. बस यही नहीं देखना था. जैसे ही चाची की नजर मुझ पर पड़ी वो चिल्ला पड़ी ,”तूने , कबीर तूने मारा है मेरे पति को ” चाची ने मेरा गला पकड़ लिया.

मैंने उसे अपने से दूर किया.

“होश में रह कर बात कर चाची , तेरी हिम्मत कैसे हुई मुझ पर आरोप लगाने की ” मैंने गुस्से से कहा

चाची- तूने ही मेरी बेटी की शादी में तमाशा किया तू ही है वो जिसे हमारी खुशिया रास नहीं . गाँव वालो ये ही है कातिल इसी ने मेरा पति मारा है मुझे इंसाफ चाहिए.

मैं- खुशिया, बहन की लौड़ी . अपने करम देख . अरे भूल गयी तू वो मैं ही था जिसने तेरे पाप अपने सर लिए. मेरा मुह मत खुलवा , मैंने लिहाज छोड़ा न तो बहुत कुछ याद आ जायेगा मुझे भी और तुझे भी . तेरा पति अपने कर्मो की मौत मरा है . और गाँव वाले क्या करेंगे सारे गाँव को पता है तुम्हारी औकात . तेरे से जो हो वो तू कर ले , जहाँ जाना है जा , किसी भी थाने -तहसील में जा . मैंने मारा ही नहीं इस चूतिये को तो मुझे क्या परवाह .

गुस्से से मैंने थूका और वहां से चल दिया. पर आने वाले कठिन समय का अंदेशा मुझे हो गया था चाची ने जिस प्रकार आरोप लगाया था , गाँव वालो ने शादी में तमाशा देखा ही था तो सबके मन में शक का बीज उपज जाना ही था . मुझे जरा भी दुःख नहीं था चाचा के मरने का . हवेली आकर मैंने पानी पिया और गहरी सोच में डूब गया . परिवार का एक स्तम्भ और डूब गया था , तीन भाई तीनो अब दुनिया से रुखसत हो चुके थे .

शाम होते होते पुलिस आ पहुंची थी मैं जानता था की शिकायत तो देगी ही वो . दरोगा को मैंने अपनी तरफ से संतुष्ट करने की पूरी कोशिश की पर चूँकि मर्डर का मामला था तो वो भी अहतियात बरत रहा था

“दरोगा , चाहे कितनी बार पूछ लो मेरा जवाब यही रहेगा की पूरी रात मैं हवेली में ही था . ”मैंने जोर देते हुए कहा

दरोगा- गाँव में बहुत लोगो ने बताया की तुम्हारी दुश्मनी थी तुम्हारे चाचा के साथ , उसकी बेटी की शादी में भी तुमने हंगामा किया

मैं- दुश्मनी , बरसो पहले परिवार ख़तम हो गया था दरोगा साहब . परिवार के इतिहास के बारे में गाँव वालो से आपने पूछताछ कर ही ली होगी ऐसा मुझे यकीं है .फिर भी आप अपनी तहकीकात कीजिये , यदि आपको मेरे खिलाफ कोई सबूत मिले तो गिरफ्तार कर लेना. लाश आपने देख ली ही होगी. पोस्ट मार्टम रिपोर्ट भी आएगी

मेरी बातो से दरोगा के चेहरे पर असमंजस के भाव आ गए.

दरोगा- तुम्हारी बाते जायज है पर फिर भी आरोप तुम पर ही है . कोई ऐसा सबूत दे सकते हो जो ये पुष्टि करे की तुम तमाम रात हवेली में ही थे.

“मैं हूँ गवाह की कबीर पूरी रात हवेली में ही था ” मंजू ने आते हुए कहा और मैंने माथा पीट लिया

“और आप कौन मोहतरमा ” दरोगा ने सवाल किया

मंजू- मैं मंजू, इसी गाँव की हूँ और आपका वो सबूत जो कहता है की कबीर पूरी रात हवेली में था क्योंकि उसके साथ मैं थी .

दरोगा की त्योरिया चढ़ गयी पर वो कुछ बोल नहीं पाया .क्योंकि ठीक तभी हवेली के दर पर एक गाडी आकर रुकी और उसमे से जो उतरा मैं कभी सोच भी नहीं सकता था की वो यहाँ आयेगा.

“ठाकुर साहब” दरोगा ने खड़े होते हुए हाथ जोड़ लिए

निशा के पिताजी हवेली आ पहुंचे थे .

“दरोगा, कबीर का सेठ की मौत में कोई हाथ नहीं है ऐसा हम आपको आश्वस्त करते है ” उन्होंने कहा

दरोगा- जी ठाकुर साहब पर इसकी चाची ने शिकायत इसके नाम की है तो पूछताछ करनी ही होगी.

“बेशक, तुम अपनी कार्यवाही करो , यदि जांच में ये दोषी निकले तो कानून अनुसार अपना कार्य करना पर गिरफ़्तारी नहीं होगी ” ठाकुर ने कहा

मैं हैरान था की मुझसे नफरत करने वाला ये इन्सान मेरे पक्ष में इतना मजबूती से खड़ा था .

दरोगा- जैसा आपका आदेश पर ये गाँव से बाहर नहीं जायेगा और जब भी जरुरत पड़ेगी तो इसे थाने आना हो गा.

ठाकुर- कोई दिक्कत नहीं.

दरोगा – मंजू जी , आपको लिखित में बयान देना होगा.

मंजू ने हाँ कहा और वो दोनों चले गये. रह गए हम दोनों और हमारे बीच का सन्नाटा. पर किसी न किसी को तो बर्फ पिघलाने की कोशिस करनी ही थी .

मैं- आपको इस मामले में नहीं पड़ना था .

ठाकुर- मुझे विश्वास है तुम पर

मैं- सुन कर अच्छा लगा.

ठाकुर- कैसी है वो

मैं- कौन

ठाकुर- हम दोनों बहुत अच्छी तरह से जानते है की मैं क्या कह रहा हूँ और तुम क्या सुन रहे हो .

मैं- - आपके आशीर्वाद के बिना कैसी हो सकती है वो . आज वो इतनी बड़ी हो गयी है की जमाना उसके सामने झुकता है और एक वो है की अपने बाप के मुह से बेटी सुनने को तरसती है .

“तो फिर क्यों गयी थी बाप को छोड़ कर ” ठाकुर ने कहा

मैं- कभी नहीं गयी वो आपको छोड़ कर.

ठाकुर- तुमने मुझसे मेरी आन छीन ली कबीर.

मैं- इस ज़माने की तरह आप भी उसी गुमान में हो. क्या माँ ने आपको बताया नहीं

ठाकुर- तो फिर भागे क्यों

मैं- कोई नहीं भागा, मेरी परिस्तिथिया अलग थी और निशा ने घर छोड़ा नौकरी के लिए. बस दोनों काम साथ हुए इसलिए सबको लगता है की हमने भाग कर शादी कर ली.

ठाकुर- सच कहते हो

मैं- हाथ थामा है निशा का , मान है वो मेरे मन का उसे बदनाम कैसे कर सकता हूँ, भाग कर ही शादी करनी होती तो कौन रोक सकता था हमें, ना तब ना आज पर उसकी भी जिद है की विदा होगी तो अपने आँगन से ही. बाप की इज्जत का ख्याल था उसे तभी वनवास का चुनाव किया उसने. हम आज भी साथ होकर अलग है ठाकुर साहब पर हमें उम्मीद है की एक दिन हमें हमारे हिस्से का सुख जरुर मिलेगा.

ठाकुर- मैं अपनी बेटी को देखना चाहता हु

मैं- आपकी बेटी है जब चाहे मिलिए एक पिता को बेटी से मिलने से कौन रोक सकता है .

ठाकुर- गाँव समाज में प्रेम का कोई महत्त्व नहीं

मैं- मेरे प्रेम पर तो थोड़ी देर पहले ही आपने स्वीक्रति प्रदान कर दी है

ठाकुर के चेहरे पर छिपी मुस्कुराहट को मैंने पहचान लिया.

“दरोगा बहुत इमानदार है , तह तक जायेगा मामले की वो ” बोले वो

मैं- अगर मैं गलत नहीं तो फिर मुझे भय नहीं


ठाकुर ने मेरे कंधे पर हाथ रखा और बोले- उसे ले आओ कबीर, उसे ले आओ..............
Ab yeh sala chacha ko kisne maar dala ab Sara shak tow kabeer par jaana tow pakka tha kyoki sabne dekh kabeer ka or chacha ka jhagda
Wah Thakur sahab ne tow Kamal kar dia Matlab pakka h ki unhone dono ko maafi kar dia
Baherhal ab dekhte h kisne chacha ko maar dia kon h Jo kabeer or chacha ki dushmano ka faida utha Raha h
Baherhal dekhte h aage kia hota h
Badhiya shaandar update
 

Naik

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“वो जरुर आएगी , एक पिता बुलाये और बेटी ना आये ऐसा हो नहीं सकता ” मैंने कहा

ठाकुर- बस एक बार उसे देखने की ख्वाहिश है, अभी जाना होगा पर तुम ध्यान रखना , कोशिश करना इस इल्जाम को दूर करने की.

मैंने हाँ में सर हिलाया एक दो नसीहत और देने के पश्चात निशा के पिता चले गए. रिश्तेदार इकठ्ठा होने लगे थे. अजीब सी हालत हो गयी थी , आदमी गुस्से में चाहे जो कह दे पर परिवार में मौत को सहना आसान तो नहीं होता. शिवाले पर बैठा मैं सोच रहा था की किसी ज़माने के क्या ही रुतबा था हमारे परिवार का और अब ऐसी भद्द पिट रही थी की कुछ बचा ही नहीं था . गाँव के कुछ लोग हॉस्पिटल गए थे पोस्ट मार्टम के लिए , अब वहां पता नहीं कितना समय लगता तब तक अंतिम संस्कार भी नहीं हो सकता था . पर एक बात अच्छी थी की मंजू लौट आई थी .

“कबीर,” मेरे पास बैठते हुए बोली वो.

मैं- तुझे बीच में पड़ने की क्या जरुरत थी

मंजू- बावला है क्या तू , अगर मैं ब्यान नहीं देती तो थानेदार धर लेता तुझे, मामला गरम है न जाने क्या से क्या हो जाता.

मैं- फिर भी तुझे झूट नहीं बोलना था

मंजू- मुझे यकीन है की इसमें तेरा कुछ लेना देना नहीं है.

मैं- तेरी कसम मैं तो सोया पड़ा था तूने ही तो उठाया न मुझे.

मंजु- कबीर एक बात तो गाँव के सबसे चूतिया से चूतिया की भी समझ में आ गयी है की तुम्हारे परिवार का दुश्मन गाँव में ही है, तू नहीं था तो सब शांत था जैसे ही तू आया ये काण्ड हो गया. कोई तो है जो हद्द खुन्नस खाए हुए है तुझसे.

मैं- मालूम कर लूँगा

मंजू- अभी तू शांत रहना, लोग आयेंगे कोई कुछ बोलेगा कोई कुछ किसी को सफाई नहीं देनी.

मैं-जी घुट रहा है यहाँ थोडा बाहर चले क्या

मंजू- घर चल फिर

मैं – नहीं थोडा बाहर की तरफ चलते है , ताज़ी हवा मिलेगी तो अच्छा लगेगा.

मंजू- उसके लिए भी तुझे घर चलना ही होगा. मुझे कपडे बदलने है

हम दोनों मंजू के घर आ गए . मैने हाथ मुह धोये , मंजू कपडे बदलने लगी.

मैं- एक काम कर चाय बना ले , उधर ही कही बैठ कर पियेंगे

मंजू- ये बढ़िया है .

मैंने जीप स्टार्ट की और जल्दी ही हम खेतो के पास उसी पेड़ के निचे बैठे थे .

“कबीर, क्या रंडी-रोना है तेरे कुनबे का , मैं जानती हु तू कुछ बाते छिपा लेता है मुझसे पर तू चाहे तो मुझसे अपने मन की बात कर सकता है , और एक बात ये की चाची की इज्जत नहीं उछालनी थी तुझे गाँव के बीच ” बोली वो

मैं- आज तक उसकी ही इज्जत बचाते आया हूँ मैं, पर उसे कद्र ही नहीं . उसको बचाने के लिए मैं सब से ख़राब हुआ चाचा से भी , यहाँ तक तू भी यही जानती है की मैं चोदता था उसे पर ये सच नहीं है

मंजू कसम से, फिर तू क्यों जलील हुआ ऐसी क्या वजह थी

मैं- वो वजह जा चुकी है अब मंजू पर तू अजीज है मुझे तो आज मैं तुझे वो सच बता ही देता हूँ चाची में अवैध सम्बन्ध मुझसे नहीं बल्कि पिताजी से थे .

जैसे ही मैंने ये बात कही मंजू के हाथ से बिस्कुट गिर गया.

मंजू- शर्म कर ले कबीर.

मैं- जिज्ञासा है तो फिर सच सुनने की क्षमता भी रख मंजू. जीजा साली का प्रेम-प्रसंग था कब से मैं ये तो नहीं जानता था पर अगर उस दिन तुड़े के कमरे में मैंने दोनों की चुदाई नहीं देखी होती तो मियन भी यकीं नहीं करता .

मंजू- यकीन नहीं होता की ताऊ जी ऐसा कर सकते है

मैं- ये दुनिया उतनी भी शरीफ नहीं जितना लोग समझते है

मंजू- पर फिर तूने अपने ऊपर क्यों लिया वो इल्जाम

मैं- मैं झूठ नहीं कहूँगा, जब से मैने चाची को देखा था मैं चोदना चाहता था उसे , मैंने प्रयास भी किया था पर उसने ऐसी बात बोल दी की फिर मुझे दो में से एक चुनाव करना था और मैंने उसकी इच्छा का मान रखा.

मंजू- क्या

मैं- चाची भी समझ रही थी की मेरे मन में क्या था उसके प्रति और फिर एक शाम ऐसी आई जब हम दोनों घर पर अकेले थे , चाची उस रात मेरे पास आई और उसने कहा कबीर तेरे मन में क्या है

“मेरे मन में क्या होगा चाची ” मैंने कहा

चाची- कबीर, हम दोनों जानते है की क्या बात है , मुझे भली भाँती मालूम है की तुम्हे पूर्ण जानकारी है मेरे गलत रिश्ते के बारे में

मैंने सर झुका लिया.

चाची- कबीर तुम्हारी उम्र में ये स्वाभाविक है की तुम मोह करो इस जिस्म का , और मेरे हालात ऐसे है की मुझे तुम्हारी इच्छा पूरी करनी होगी. पर कबीर तुमने इस जिस्म को पा भी लिया थो तुम कुछ नहीं पा सकोगे. जेठ जी और मैं प्रेम करते है एक दुसरे से , आज तो नहीं पर एक दिन तुम जरुर इसे समझ पाओगे. मैं तुम्हे अपना बेटा मानती हु , बेशक तुम चाहो तो मुझे इस बिस्तर पर लिटा सकते हो पर उस से केवल तुम्हारी भूख शांत होगी और मेरा मन घायल . औरत को कभी हासिल नहीं किया जाता कबीर, औरत के मन को जीता जाता है और इस जन्म में मेरा मन कहीं और है . तुम्हे चुनाव का पूर्ण अधिकार है , मैं कुण्डी नहीं लगा रही , तुम्हारा जो भी निर्णय मुझे मंजूर है , मेरी गरह्स्थी की लाज तुम्हारे पास छोड़ कर जा रही हु , आगे तुम जानो



“मंजू , उस रात मेरे पास मौका था पर मेरी हिम्मत नहीं हुई. मन का चोर हार गया. मैं नहीं जा पाया उसके कमरे में ” मैंने कहा

मंजू- फिर वो तमाशा क्यों हुआ

मैं- इस घर की गिरती नींव को बचाने के लिए. चाचा ने जीजा-साली को देख लिया था पर वो गलत समझ गया उसे लगा की मैं हु पर थे पिताजी ने हुबहू दो शर्ट खरीदी थी , वो ही पहन कर मैं दो रात पहले चाचा के साथ एक शादी में गया था , चाचा ने पिताजी की पीठ देखी और वो मुझे समझ बैठा, चूतिये को मैंने समझाने की भरपूर कोशिश की पर उसने तमाशा कर दिया. मारने लगा चाची को अब वो इस से पहले की पिताजी का नाम ले देती , अजीब सी बदनामी को बचाने के लिए मैंने विष का प्याला उठा लिया और फिर जो भी हुआ वो तो तू जानती ही है .

मंजू- फिर भी वो तुझी को कातिल बता रही है , भूल गयी कम से कम उसे तो तेरा लिहाज करना था .

मैं- यही तो समझ नहीं आ रहा की ऐसा क्या हुआ जो वो इतना बदल गयी. ................
Nisha ke pita ka hirday pariwartan kaise ho gaya bahahal Jo huwa achcha hi huwa
Lekin sawal wahi ki chacha ko kisne mara or Chachi ne seedha iljam Laga dia ki kapeer ne mara h jabki uski izzat kabeer ne bachayi thi
Baherhal dekhte h aage kia hota h
 

Luckyloda

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#20

भीड़ जमा थी , चीखपुकार मची थी , भीड़ हटाते हुए मैं आगे गया और मैंने अपनी आँखे बंद कर ली. सामने चाचा की लाश पड़ी थी. बस यही नहीं देखना था. जैसे ही चाची की नजर मुझ पर पड़ी वो चिल्ला पड़ी ,”तूने , कबीर तूने मारा है मेरे पति को ” चाची ने मेरा गला पकड़ लिया.

मैंने उसे अपने से दूर किया.

“होश में रह कर बात कर चाची , तेरी हिम्मत कैसे हुई मुझ पर आरोप लगाने की ” मैंने गुस्से से कहा

चाची- तूने ही मेरी बेटी की शादी में तमाशा किया तू ही है वो जिसे हमारी खुशिया रास नहीं . गाँव वालो ये ही है कातिल इसी ने मेरा पति मारा है मुझे इंसाफ चाहिए.

मैं- खुशिया, बहन की लौड़ी . अपने करम देख . अरे भूल गयी तू वो मैं ही था जिसने तेरे पाप अपने सर लिए. मेरा मुह मत खुलवा , मैंने लिहाज छोड़ा न तो बहुत कुछ याद आ जायेगा मुझे भी और तुझे भी . तेरा पति अपने कर्मो की मौत मरा है . और गाँव वाले क्या करेंगे सारे गाँव को पता है तुम्हारी औकात . तेरे से जो हो वो तू कर ले , जहाँ जाना है जा , किसी भी थाने -तहसील में जा . मैंने मारा ही नहीं इस चूतिये को तो मुझे क्या परवाह .

गुस्से से मैंने थूका और वहां से चल दिया. पर आने वाले कठिन समय का अंदेशा मुझे हो गया था चाची ने जिस प्रकार आरोप लगाया था , गाँव वालो ने शादी में तमाशा देखा ही था तो सबके मन में शक का बीज उपज जाना ही था . मुझे जरा भी दुःख नहीं था चाचा के मरने का . हवेली आकर मैंने पानी पिया और गहरी सोच में डूब गया . परिवार का एक स्तम्भ और डूब गया था , तीन भाई तीनो अब दुनिया से रुखसत हो चुके थे .

शाम होते होते पुलिस आ पहुंची थी मैं जानता था की शिकायत तो देगी ही वो . दरोगा को मैंने अपनी तरफ से संतुष्ट करने की पूरी कोशिश की पर चूँकि मर्डर का मामला था तो वो भी अहतियात बरत रहा था

“दरोगा , चाहे कितनी बार पूछ लो मेरा जवाब यही रहेगा की पूरी रात मैं हवेली में ही था . ”मैंने जोर देते हुए कहा

दरोगा- गाँव में बहुत लोगो ने बताया की तुम्हारी दुश्मनी थी तुम्हारे चाचा के साथ , उसकी बेटी की शादी में भी तुमने हंगामा किया

मैं- दुश्मनी , बरसो पहले परिवार ख़तम हो गया था दरोगा साहब . परिवार के इतिहास के बारे में गाँव वालो से आपने पूछताछ कर ही ली होगी ऐसा मुझे यकीं है .फिर भी आप अपनी तहकीकात कीजिये , यदि आपको मेरे खिलाफ कोई सबूत मिले तो गिरफ्तार कर लेना. लाश आपने देख ली ही होगी. पोस्ट मार्टम रिपोर्ट भी आएगी

मेरी बातो से दरोगा के चेहरे पर असमंजस के भाव आ गए.

दरोगा- तुम्हारी बाते जायज है पर फिर भी आरोप तुम पर ही है . कोई ऐसा सबूत दे सकते हो जो ये पुष्टि करे की तुम तमाम रात हवेली में ही थे.

“मैं हूँ गवाह की कबीर पूरी रात हवेली में ही था ” मंजू ने आते हुए कहा और मैंने माथा पीट लिया

“और आप कौन मोहतरमा ” दरोगा ने सवाल किया

मंजू- मैं मंजू, इसी गाँव की हूँ और आपका वो सबूत जो कहता है की कबीर पूरी रात हवेली में था क्योंकि उसके साथ मैं थी .

दरोगा की त्योरिया चढ़ गयी पर वो कुछ बोल नहीं पाया .क्योंकि ठीक तभी हवेली के दर पर एक गाडी आकर रुकी और उसमे से जो उतरा मैं कभी सोच भी नहीं सकता था की वो यहाँ आयेगा.

“ठाकुर साहब” दरोगा ने खड़े होते हुए हाथ जोड़ लिए

निशा के पिताजी हवेली आ पहुंचे थे .

“दरोगा, कबीर का सेठ की मौत में कोई हाथ नहीं है ऐसा हम आपको आश्वस्त करते है ” उन्होंने कहा

दरोगा- जी ठाकुर साहब पर इसकी चाची ने शिकायत इसके नाम की है तो पूछताछ करनी ही होगी.

“बेशक, तुम अपनी कार्यवाही करो , यदि जांच में ये दोषी निकले तो कानून अनुसार अपना कार्य करना पर गिरफ़्तारी नहीं होगी ” ठाकुर ने कहा

मैं हैरान था की मुझसे नफरत करने वाला ये इन्सान मेरे पक्ष में इतना मजबूती से खड़ा था .

दरोगा- जैसा आपका आदेश पर ये गाँव से बाहर नहीं जायेगा और जब भी जरुरत पड़ेगी तो इसे थाने आना हो गा.

ठाकुर- कोई दिक्कत नहीं.

दरोगा – मंजू जी , आपको लिखित में बयान देना होगा.

मंजू ने हाँ कहा और वो दोनों चले गये. रह गए हम दोनों और हमारे बीच का सन्नाटा. पर किसी न किसी को तो बर्फ पिघलाने की कोशिस करनी ही थी .

मैं- आपको इस मामले में नहीं पड़ना था .

ठाकुर- मुझे विश्वास है तुम पर

मैं- सुन कर अच्छा लगा.

ठाकुर- कैसी है वो

मैं- कौन

ठाकुर- हम दोनों बहुत अच्छी तरह से जानते है की मैं क्या कह रहा हूँ और तुम क्या सुन रहे हो .

मैं- - आपके आशीर्वाद के बिना कैसी हो सकती है वो . आज वो इतनी बड़ी हो गयी है की जमाना उसके सामने झुकता है और एक वो है की अपने बाप के मुह से बेटी सुनने को तरसती है .

“तो फिर क्यों गयी थी बाप को छोड़ कर ” ठाकुर ने कहा

मैं- कभी नहीं गयी वो आपको छोड़ कर.

ठाकुर- तुमने मुझसे मेरी आन छीन ली कबीर.

मैं- इस ज़माने की तरह आप भी उसी गुमान में हो. क्या माँ ने आपको बताया नहीं

ठाकुर- तो फिर भागे क्यों

मैं- कोई नहीं भागा, मेरी परिस्तिथिया अलग थी और निशा ने घर छोड़ा नौकरी के लिए. बस दोनों काम साथ हुए इसलिए सबको लगता है की हमने भाग कर शादी कर ली.

ठाकुर- सच कहते हो

मैं- हाथ थामा है निशा का , मान है वो मेरे मन का उसे बदनाम कैसे कर सकता हूँ, भाग कर ही शादी करनी होती तो कौन रोक सकता था हमें, ना तब ना आज पर उसकी भी जिद है की विदा होगी तो अपने आँगन से ही. बाप की इज्जत का ख्याल था उसे तभी वनवास का चुनाव किया उसने. हम आज भी साथ होकर अलग है ठाकुर साहब पर हमें उम्मीद है की एक दिन हमें हमारे हिस्से का सुख जरुर मिलेगा.

ठाकुर- मैं अपनी बेटी को देखना चाहता हु

मैं- आपकी बेटी है जब चाहे मिलिए एक पिता को बेटी से मिलने से कौन रोक सकता है .

ठाकुर- गाँव समाज में प्रेम का कोई महत्त्व नहीं

मैं- मेरे प्रेम पर तो थोड़ी देर पहले ही आपने स्वीक्रति प्रदान कर दी है

ठाकुर के चेहरे पर छिपी मुस्कुराहट को मैंने पहचान लिया.

“दरोगा बहुत इमानदार है , तह तक जायेगा मामले की वो ” बोले वो

मैं- अगर मैं गलत नहीं तो फिर मुझे भय नहीं

ठाकुर ने मेरे कंधे पर हाथ रखा और बोले- उसे ले आओ कबीर, उसे ले आओ..............
अखिरकार चाचा को किसी ने कबीर के आते ही मार दिया
.


कोई तो ऐसा हैं जिसे पूरे खानदान से ही नफरत है...


ठाकुर साहब अखिर औलाद के सामने पिघल ही गए.... बहुत शानदार अपडेट.....
#21

“वो जरुर आएगी , एक पिता बुलाये और बेटी ना आये ऐसा हो नहीं सकता ” मैंने कहा

ठाकुर- बस एक बार उसे देखने की ख्वाहिश है, अभी जाना होगा पर तुम ध्यान रखना , कोशिश करना इस इल्जाम को दूर करने की.

मैंने हाँ में सर हिलाया एक दो नसीहत और देने के पश्चात निशा के पिता चले गए. रिश्तेदार इकठ्ठा होने लगे थे. अजीब सी हालत हो गयी थी , आदमी गुस्से में चाहे जो कह दे पर परिवार में मौत को सहना आसान तो नहीं होता. शिवाले पर बैठा मैं सोच रहा था की किसी ज़माने के क्या ही रुतबा था हमारे परिवार का और अब ऐसी भद्द पिट रही थी की कुछ बचा ही नहीं था . गाँव के कुछ लोग हॉस्पिटल गए थे पोस्ट मार्टम के लिए , अब वहां पता नहीं कितना समय लगता तब तक अंतिम संस्कार भी नहीं हो सकता था . पर एक बात अच्छी थी की मंजू लौट आई थी .

“कबीर,” मेरे पास बैठते हुए बोली वो.

मैं- तुझे बीच में पड़ने की क्या जरुरत थी

मंजू- बावला है क्या तू , अगर मैं ब्यान नहीं देती तो थानेदार धर लेता तुझे, मामला गरम है न जाने क्या से क्या हो जाता.

मैं- फिर भी तुझे झूट नहीं बोलना था

मंजू- मुझे यकीन है की इसमें तेरा कुछ लेना देना नहीं है.

मैं- तेरी कसम मैं तो सोया पड़ा था तूने ही तो उठाया न मुझे.

मंजु- कबीर एक बात तो गाँव के सबसे चूतिया से चूतिया की भी समझ में आ गयी है की तुम्हारे परिवार का दुश्मन गाँव में ही है, तू नहीं था तो सब शांत था जैसे ही तू आया ये काण्ड हो गया. कोई तो है जो हद्द खुन्नस खाए हुए है तुझसे.

मैं- मालूम कर लूँगा

मंजू- अभी तू शांत रहना, लोग आयेंगे कोई कुछ बोलेगा कोई कुछ किसी को सफाई नहीं देनी.

मैं-जी घुट रहा है यहाँ थोडा बाहर चले क्या

मंजू- घर चल फिर

मैं – नहीं थोडा बाहर की तरफ चलते है , ताज़ी हवा मिलेगी तो अच्छा लगेगा.

मंजू- उसके लिए भी तुझे घर चलना ही होगा. मुझे कपडे बदलने है

हम दोनों मंजू के घर आ गए . मैने हाथ मुह धोये , मंजू कपडे बदलने लगी.

मैं- एक काम कर चाय बना ले , उधर ही कही बैठ कर पियेंगे

मंजू- ये बढ़िया है .

मैंने जीप स्टार्ट की और जल्दी ही हम खेतो के पास उसी पेड़ के निचे बैठे थे .

“कबीर, क्या रंडी-रोना है तेरे कुनबे का , मैं जानती हु तू कुछ बाते छिपा लेता है मुझसे पर तू चाहे तो मुझसे अपने मन की बात कर सकता है , और एक बात ये की चाची की इज्जत नहीं उछालनी थी तुझे गाँव के बीच ” बोली वो

मैं- आज तक उसकी ही इज्जत बचाते आया हूँ मैं, पर उसे कद्र ही नहीं . उसको बचाने के लिए मैं सब से ख़राब हुआ चाचा से भी , यहाँ तक तू भी यही जानती है की मैं चोदता था उसे पर ये सच नहीं है

मंजू कसम से, फिर तू क्यों जलील हुआ ऐसी क्या वजह थी

मैं- वो वजह जा चुकी है अब मंजू पर तू अजीज है मुझे तो आज मैं तुझे वो सच बता ही देता हूँ चाची में अवैध सम्बन्ध मुझसे नहीं बल्कि पिताजी से थे .

जैसे ही मैंने ये बात कही मंजू के हाथ से बिस्कुट गिर गया.

मंजू- शर्म कर ले कबीर.

मैं- जिज्ञासा है तो फिर सच सुनने की क्षमता भी रख मंजू. जीजा साली का प्रेम-प्रसंग था कब से मैं ये तो नहीं जानता था पर अगर उस दिन तुड़े के कमरे में मैंने दोनों की चुदाई नहीं देखी होती तो मियन भी यकीं नहीं करता .

मंजू- यकीन नहीं होता की ताऊ जी ऐसा कर सकते है

मैं- ये दुनिया उतनी भी शरीफ नहीं जितना लोग समझते है

मंजू- पर फिर तूने अपने ऊपर क्यों लिया वो इल्जाम

मैं- मैं झूठ नहीं कहूँगा, जब से मैने चाची को देखा था मैं चोदना चाहता था उसे , मैंने प्रयास भी किया था पर उसने ऐसी बात बोल दी की फिर मुझे दो में से एक चुनाव करना था और मैंने उसकी इच्छा का मान रखा.

मंजू- क्या

मैं- चाची भी समझ रही थी की मेरे मन में क्या था उसके प्रति और फिर एक शाम ऐसी आई जब हम दोनों घर पर अकेले थे , चाची उस रात मेरे पास आई और उसने कहा कबीर तेरे मन में क्या है

“मेरे मन में क्या होगा चाची ” मैंने कहा

चाची- कबीर, हम दोनों जानते है की क्या बात है , मुझे भली भाँती मालूम है की तुम्हे पूर्ण जानकारी है मेरे गलत रिश्ते के बारे में

मैंने सर झुका लिया.

चाची- कबीर तुम्हारी उम्र में ये स्वाभाविक है की तुम मोह करो इस जिस्म का , और मेरे हालात ऐसे है की मुझे तुम्हारी इच्छा पूरी करनी होगी. पर कबीर तुमने इस जिस्म को पा भी लिया थो तुम कुछ नहीं पा सकोगे. जेठ जी और मैं प्रेम करते है एक दुसरे से , आज तो नहीं पर एक दिन तुम जरुर इसे समझ पाओगे. मैं तुम्हे अपना बेटा मानती हु , बेशक तुम चाहो तो मुझे इस बिस्तर पर लिटा सकते हो पर उस से केवल तुम्हारी भूख शांत होगी और मेरा मन घायल . औरत को कभी हासिल नहीं किया जाता कबीर, औरत के मन को जीता जाता है और इस जन्म में मेरा मन कहीं और है . तुम्हे चुनाव का पूर्ण अधिकार है , मैं कुण्डी नहीं लगा रही , तुम्हारा जो भी निर्णय मुझे मंजूर है , मेरी गरह्स्थी की लाज तुम्हारे पास छोड़ कर जा रही हु , आगे तुम जानो



“मंजू , उस रात मेरे पास मौका था पर मेरी हिम्मत नहीं हुई. मन का चोर हार गया. मैं नहीं जा पाया उसके कमरे में ” मैंने कहा

मंजू- फिर वो तमाशा क्यों हुआ

मैं- इस घर की गिरती नींव को बचाने के लिए. चाचा ने जीजा-साली को देख लिया था पर वो गलत समझ गया उसे लगा की मैं हु पर थे पिताजी ने हुबहू दो शर्ट खरीदी थी , वो ही पहन कर मैं दो रात पहले चाचा के साथ एक शादी में गया था , चाचा ने पिताजी की पीठ देखी और वो मुझे समझ बैठा, चूतिये को मैंने समझाने की भरपूर कोशिश की पर उसने तमाशा कर दिया. मारने लगा चाची को अब वो इस से पहले की पिताजी का नाम ले देती , अजीब सी बदनामी को बचाने के लिए मैंने विष का प्याला उठा लिया और फिर जो भी हुआ वो तो तू जानती ही है .

मंजू- फिर भी वो तुझी को कातिल बता रही है , भूल गयी कम से कम उसे तो तेरा लिहाज करना था .

मैं- यही तो समझ नहीं आ रहा की ऐसा क्या हुआ जो वो इतना बदल गयी. ................







चाची शायद chudayi के लिए तरस रही थी अपने जीजा जी के जाने के बाद

और फिर कबीर भी गाँव छोड़कर चला गया... भूख से पीड़ित औरत गुस्सा तो आएगा ही

बदनामी हो गयी और मजा भी नहीं आया....

चलो 1 राज तो खुला....
बाकी अतीत के पन्ने भी धीरे-धीरे सामने आयेंगे
 

Himanshu630

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“वो जरुर आएगी , एक पिता बुलाये और बेटी ना आये ऐसा हो नहीं सकता ” मैंने कहा

ठाकुर- बस एक बार उसे देखने की ख्वाहिश है, अभी जाना होगा पर तुम ध्यान रखना , कोशिश करना इस इल्जाम को दूर करने की.

मैंने हाँ में सर हिलाया एक दो नसीहत और देने के पश्चात निशा के पिता चले गए. रिश्तेदार इकठ्ठा होने लगे थे. अजीब सी हालत हो गयी थी , आदमी गुस्से में चाहे जो कह दे पर परिवार में मौत को सहना आसान तो नहीं होता. शिवाले पर बैठा मैं सोच रहा था की किसी ज़माने के क्या ही रुतबा था हमारे परिवार का और अब ऐसी भद्द पिट रही थी की कुछ बचा ही नहीं था . गाँव के कुछ लोग हॉस्पिटल गए थे पोस्ट मार्टम के लिए , अब वहां पता नहीं कितना समय लगता तब तक अंतिम संस्कार भी नहीं हो सकता था . पर एक बात अच्छी थी की मंजू लौट आई थी .

“कबीर,” मेरे पास बैठते हुए बोली वो.

मैं- तुझे बीच में पड़ने की क्या जरुरत थी

मंजू- बावला है क्या तू , अगर मैं ब्यान नहीं देती तो थानेदार धर लेता तुझे, मामला गरम है न जाने क्या से क्या हो जाता.

मैं- फिर भी तुझे झूट नहीं बोलना था

मंजू- मुझे यकीन है की इसमें तेरा कुछ लेना देना नहीं है.

मैं- तेरी कसम मैं तो सोया पड़ा था तूने ही तो उठाया न मुझे.

मंजु- कबीर एक बात तो गाँव के सबसे चूतिया से चूतिया की भी समझ में आ गयी है की तुम्हारे परिवार का दुश्मन गाँव में ही है, तू नहीं था तो सब शांत था जैसे ही तू आया ये काण्ड हो गया. कोई तो है जो हद्द खुन्नस खाए हुए है तुझसे.

मैं- मालूम कर लूँगा

मंजू- अभी तू शांत रहना, लोग आयेंगे कोई कुछ बोलेगा कोई कुछ किसी को सफाई नहीं देनी.

मैं-जी घुट रहा है यहाँ थोडा बाहर चले क्या

मंजू- घर चल फिर

मैं – नहीं थोडा बाहर की तरफ चलते है , ताज़ी हवा मिलेगी तो अच्छा लगेगा.

मंजू- उसके लिए भी तुझे घर चलना ही होगा. मुझे कपडे बदलने है

हम दोनों मंजू के घर आ गए . मैने हाथ मुह धोये , मंजू कपडे बदलने लगी.

मैं- एक काम कर चाय बना ले , उधर ही कही बैठ कर पियेंगे

मंजू- ये बढ़िया है .

मैंने जीप स्टार्ट की और जल्दी ही हम खेतो के पास उसी पेड़ के निचे बैठे थे .

“कबीर, क्या रंडी-रोना है तेरे कुनबे का , मैं जानती हु तू कुछ बाते छिपा लेता है मुझसे पर तू चाहे तो मुझसे अपने मन की बात कर सकता है , और एक बात ये की चाची की इज्जत नहीं उछालनी थी तुझे गाँव के बीच ” बोली वो

मैं- आज तक उसकी ही इज्जत बचाते आया हूँ मैं, पर उसे कद्र ही नहीं . उसको बचाने के लिए मैं सब से ख़राब हुआ चाचा से भी , यहाँ तक तू भी यही जानती है की मैं चोदता था उसे पर ये सच नहीं है

मंजू कसम से, फिर तू क्यों जलील हुआ ऐसी क्या वजह थी

मैं- वो वजह जा चुकी है अब मंजू पर तू अजीज है मुझे तो आज मैं तुझे वो सच बता ही देता हूँ चाची में अवैध सम्बन्ध मुझसे नहीं बल्कि पिताजी से थे .

जैसे ही मैंने ये बात कही मंजू के हाथ से बिस्कुट गिर गया.

मंजू- शर्म कर ले कबीर.

मैं- जिज्ञासा है तो फिर सच सुनने की क्षमता भी रख मंजू. जीजा साली का प्रेम-प्रसंग था कब से मैं ये तो नहीं जानता था पर अगर उस दिन तुड़े के कमरे में मैंने दोनों की चुदाई नहीं देखी होती तो मियन भी यकीं नहीं करता .

मंजू- यकीन नहीं होता की ताऊ जी ऐसा कर सकते है

मैं- ये दुनिया उतनी भी शरीफ नहीं जितना लोग समझते है

मंजू- पर फिर तूने अपने ऊपर क्यों लिया वो इल्जाम

मैं- मैं झूठ नहीं कहूँगा, जब से मैने चाची को देखा था मैं चोदना चाहता था उसे , मैंने प्रयास भी किया था पर उसने ऐसी बात बोल दी की फिर मुझे दो में से एक चुनाव करना था और मैंने उसकी इच्छा का मान रखा.

मंजू- क्या

मैं- चाची भी समझ रही थी की मेरे मन में क्या था उसके प्रति और फिर एक शाम ऐसी आई जब हम दोनों घर पर अकेले थे , चाची उस रात मेरे पास आई और उसने कहा कबीर तेरे मन में क्या है

“मेरे मन में क्या होगा चाची ” मैंने कहा

चाची- कबीर, हम दोनों जानते है की क्या बात है , मुझे भली भाँती मालूम है की तुम्हे पूर्ण जानकारी है मेरे गलत रिश्ते के बारे में

मैंने सर झुका लिया.

चाची- कबीर तुम्हारी उम्र में ये स्वाभाविक है की तुम मोह करो इस जिस्म का , और मेरे हालात ऐसे है की मुझे तुम्हारी इच्छा पूरी करनी होगी. पर कबीर तुमने इस जिस्म को पा भी लिया थो तुम कुछ नहीं पा सकोगे. जेठ जी और मैं प्रेम करते है एक दुसरे से , आज तो नहीं पर एक दिन तुम जरुर इसे समझ पाओगे. मैं तुम्हे अपना बेटा मानती हु , बेशक तुम चाहो तो मुझे इस बिस्तर पर लिटा सकते हो पर उस से केवल तुम्हारी भूख शांत होगी और मेरा मन घायल . औरत को कभी हासिल नहीं किया जाता कबीर, औरत के मन को जीता जाता है और इस जन्म में मेरा मन कहीं और है . तुम्हे चुनाव का पूर्ण अधिकार है , मैं कुण्डी नहीं लगा रही , तुम्हारा जो भी निर्णय मुझे मंजूर है , मेरी गरह्स्थी की लाज तुम्हारे पास छोड़ कर जा रही हु , आगे तुम जानो



“मंजू , उस रात मेरे पास मौका था पर मेरी हिम्मत नहीं हुई. मन का चोर हार गया. मैं नहीं जा पाया उसके कमरे में ” मैंने कहा

मंजू- फिर वो तमाशा क्यों हुआ

मैं- इस घर की गिरती नींव को बचाने के लिए. चाचा ने जीजा-साली को देख लिया था पर वो गलत समझ गया उसे लगा की मैं हु पर थे पिताजी ने हुबहू दो शर्ट खरीदी थी , वो ही पहन कर मैं दो रात पहले चाचा के साथ एक शादी में गया था , चाचा ने पिताजी की पीठ देखी और वो मुझे समझ बैठा, चूतिये को मैंने समझाने की भरपूर कोशिश की पर उसने तमाशा कर दिया. मारने लगा चाची को अब वो इस से पहले की पिताजी का नाम ले देती , अजीब सी बदनामी को बचाने के लिए मैंने विष का प्याला उठा लिया और फिर जो भी हुआ वो तो तू जानती ही है .

मंजू- फिर भी वो तुझी को कातिल बता रही है , भूल गयी कम से कम उसे तो तेरा लिहाज करना था .

मैं- यही तो समझ नहीं आ रहा की ऐसा क्या हुआ जो वो इतना बदल गयी. ................
मस्त अपडेट भाई

मंजू का कहना सही है कोई है गांव में जो हद दर्जे की खुन्नस खाए बैठा है कबीर से पर क्यों और कौन...
 
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