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Funlover

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बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजक अपडेट है मजा आ गया
परम का लंड सुंदरी के रसीली गुफा की सैर पर निकल पडा
जी बिलकुल

अब तक यही था की कैसे यह दोनों खुले जिस से आगे की लाइन क्लियर हो ...................आगे अभी बहोत लंबा जाना है .............
 

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बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है मजा आ गया
आखिर परम ने अपनी माँ सुंदरी की रसिली चुद का मजा लेकर अपने पानी से सींच दिया
बडा ही मस्त अपडेट
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
जी बिलकुल आगे और भी बहोत कुछ है बस आप बने रहिये कहानी के साथ और आपके मंतव्य देते रहिये
 

Funlover

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आह क्या लिखती हो ऐसे लिखोगी तो बिना कुछ करे ही निकल जाएगा।। जोकि हम नहीं चाहते
बहोत धन्यवाद मित्र

अब यह कहानी ही कुछ ऐसी है की अपने आप निकल जायेगा, इसीलिए तो बड़ा अपडेट नहीं लिखती क्यों की आप नहीं चाहते की कुछ करे बिना ही हलके हो जाओ

:DD::ciao:


लिखना मेरा काम है और आपके अंडरवियर खराब ना हो उसका ध्यान आपको ही रखना है..........पहले भी कह चुकी हु और फिर से कह रही हु ......पढ़ते वक़्त आपका अपना हाथ सही जगह पर रखना आपकी जिम्मेदारी है :ciao::DD:


शुक्रिया फिर से आपका मंतव्य मुझे और भी अच्छा करने को उकसा रहे है ............................

धन्यवाद
 

Funlover

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ओह ऐसे लिख कर तो जान ही निकल लोगी। थोड़ा दोपहर में थोड़ा शाम को क्या??? दोगी
मुझे लगता है की आप समजदार है ....................
 

Funlover

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सुंदरी ने बेटे का लंड हाथ में लिया और मसलने लगी- “बहुत मस्त लंड है। बाप के लंड से करीब दो इंच लंबा और मोटा भी, सुपाड़ा तो और भी बहुत मस्त है। लेकिन तेरे बाप का सुपाड़ा इससे भी बड़ा है। जब उसने पहली बार मेरी चूत में सुपाड़ा पेला था तो लगा की मैं मर जाऊँगी जबकि मेरी चूत को उससे पहले 5-5 लोगों ने चोद डाला था…” वो परम के सुपाड़े को चुभलाने लगी।

परम ने कई बार माँ की पहली चुदाई और उन 5 लण्डों के बारे में पूछा लेकिन वो बस सुपाड़ा चूसती रही। परम शहर की सबसे आकर्षक और मशहूर महिला को चोदकर बहुत खुश था, सौभाग्य से वो उसकी माँ थी। उसने सुंदरी की पहली चुदाई का आनंद लिया। उसको पिछली शाम शेठानी (रेखा की मां) की चुदाई से भी ज्यादा आनंद आया।


अब परम रेखा की चूत में अपना लंड पेलना चाहता था।

परम से छूटने के बाद सुंदरी ने खाना पकाने से पहले कुछ समय के लिए विश्राम किया। लंच के बाद उसने फिर से खुद को अपने बेटे को पेश किया और इस बार बेटे के पूरे शरीर पर अपने फूले स्तन को रगड़ा- “बेटा, तुमने मेरे चरित्र को खराब कर दिया है। शादी के बाद मैंने सोचा था, मैं किसी और को मुझे चोदने की अनुमति नहीं दूँगी, लेकिन तुमने मेरे चरित्र को खराब कर दिया। तुमने मुझे इतनी मस्ती दे दिया है की मेरी चूत अब अधिक से अधिक लंड चाहती है। बोलो अब किससे पहले चुदवाना है। उस मादरचोद विनोद से या तेरी रानी रेखा के बाप से…?”

उसने परम के खड़े लंड को सहलाया और कहा- “तुम केवल देखो कि मैं कैसे तुम्हारे शेठजी और गांव के अन्य अमीर लोगों से कैसे लूटने जा रही हूँ…” उसने लंड को निगला और चूसा। कुछ समय बाद उसने परम से जोर से चोदने के लिए कहा। परम ने सुंदरी को दूसरी बार चोदकर और उसकी चूत को काफी हद तक ढीला कर के संतुष्ट कर दिया और उसके बाद दोनों सो गये।

लेकिन परम लंबे समय के लिए सो नहीं सका। उसके अचेतन मन ने उसे जगा दिया। उसे याद आ गया की रेखा (शेठजी की बेटी) ने 3:00 बजे दोपहर में उसे बुलाया है। उसने समय देखा, लगभग 2:30 बज रहे थे।

नग्न सो रही युवती को देखा, उसने उसे उठाया- “माँ… मैं शेठजी के घर जा रहा हूँ। रेखा ने मुझे बुलाया था…”

सुंदरी- “ओके, आज जरूर चोदना उसे…” और कहा की वापस आते हमय शेठ से ₹ 50000 ले लेना और पूछना की वह मेरी चुदाई कब करना चाहता है…” वह उठी और परम के पीछे दरवाजा बंद किया।
मैत्री और नीता से द्वारा अनुवादित कहानी आप पढ़ रहे है


परम आधे घंटे में अपने गंतव्य पर पहुंच गया। गार्ड उसे जानता था इसलिये उसे अंदर आने दिया। उसे ना तो शेठानी दिखाई दी और ना ही कोई नौकर। वह सीधे रेखा के कमरे में चला गया।

रेखा परम को अंदर देखकर वह उठी और मुश्कुराई- “तुम समय पर हो…” उसने टिप्पणी की।

परम- “मैं देर कैसे कर सकता हूँ डार्लिंग। मैं पूरी रात सो नहीं सका…” परम ने झूठ बोला।

पिछली शाम को रेखा के स्तन मसलने के बाद से, वह दो महिलाओं को पहले ही चोद चुका था, उसकी माँ के साथ ही अपनी माँ को भी। उसने रेखा को दोनों बाहों में लिया और उसे चूमा। वह भी इस पल का इंतजार कर रही थी। उसने जोश में सहकार दिया। जल्द ही उसकी फ्राक उसके शरीर से अलग थी, अब वह केवल ब्रा और पैंटी में थी।

परम ने रेखा से पूछा- “तुमने पहले ब्रा कभी नहीं पहनी थी…आज क्यों पहना हुआ है?”

रेखा- “तुम्हें कैसे पता है? तुमने तो बिना फ्राक मुझे पहले कभी नहीं देखा…लेकिन हां मुझे ब्रा पहनना अच्छा नहीं लगता।”

परम- “मुझे पता है…” परम बोला- “ओह, डियर तुम सुंदर हो। मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ…” यह कहते हुवे परम ने उसके स्तनों को सहलाया और चूमा। हालांकि परम ने पहले से ही कुछ महिलाओं और उसकी बहन को चखा था, उसको रेखा वास्तव में पसंद आई। वह उसके शरीर को सहलाने के साथ ही चूम रहा था।



अभी लिख रही हु जाइएगा नहीं
 
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“हमारे पास समय बहुत कम है…” रेखा फुसफुसाई। उसने ब्रा को खोलकर उसके स्तनों को मुक्त कर दिया और परम के मुँह में एक निपल पेल दिया- “एक बेटे की तरह मुझे चूसो, तुमको बहुत भूख लगी है…!”

परम ने सिर हिलाया और एक के बाद एक दोनों स्तनों को चूसा और रेखा को बिस्तर पर धक्का दे दिया। परम ने रेखा के पैरों से चड्डी को नीचे खींच लिया और उसको नंगा कर दिया। वह खड़ा होकर उसके सौंदर्य को देखता रहा। वह केवल 20 साल की थी और पतले शरीर की थी। न तो वह अपनी बहन महेक की तरह नाजुक और प्यारी थी और न ही सुंदरी की तरह सेक्सी और आकर्षक। फिर भी वह सुंदर थी। परम को बुरा लगा की वह उससे शादी नहीं कर सकता था।

रेखा- “परम… जैसा मैंने पिछली शाम को तुमसे कहा था, मैंने तुमको सबकुछ दिया है। तुम्हें और अधिक देखना है या मैं कपड़े पहन लूँ?”

परम नीचे झुका और योनी को सहलाया- “रेखा, मैं तुमसे प्यार करता हूँ। मैं शादी करना चाहता था, हालांकि की मैं जानता हूँ की यह संभव नहीं है…” उसने योनी के होठों को चूमा और झाँटों को सहलाया। वह योनी को सहलाता और क्लिट को मसलता रहा।

उसकी मां सुंदरी ने चोदते समय उसे सिखाया था की सिर्फ सहलाने और क्लिट मसलने से एक मृत महिला को भी कैसे उत्तेजित किया जा सकता है।

जैसे ही परम ने क्लिट दबाया, रेखा उछल गई- “आह…”


परम ने उसके क्लिट को दांत से पकड़ा लिया और धीरे-धीरे उसे चबाने लगा। रेखा उत्तेजित हो गई। परम क्लिट के साथ ही योनी के होंठों को चबा गया था और आनंद ले रहा था। उसने तो सुंदरी के क्लिट और चूत को भी चखा था लेकिन उसकी स्वाद और गंध बेहतर थी। वह अपनी बहन की चूत का स्वाद भूल गया जो उसने कल रात को खाया था। अब उसने रेखा को उंगली की।

“ओह परम, ऐसा मत करो… मैं कुंवारी रहना चाहती हूँ, मेरी शादी सिर्फ कुछ ही दिन दूर है। आह्ह… परम, बहुत मजा, मत करो, मैं मर जाऊँगी। ओह्ह… मुझे मेरी अपनी आँखों से मत गिराओ… जो आपने किया है उससे मेरी चूत जल रही है, मेरी निपल कस रही है। उसने अपनी चूची को मसला। आह्ह… नहीं, एक उंगली और पुश करो दोनों एक साथ। हाँ हाँ, तेजी से, तेजी से और जोर से, तुम क्या कर रहे हो? आह्ह… मेरी गांड खोद रहे हो, चाटो, मेरी गांड चाटो। आह तेजी से गांड में दो उंगली से चोदो। मैं चुदना चाहती हूँ, लेकिन मैं कुंवारी रहना चाहती हूँ। तुम चाहेंगे कि कुछ दिन बाद मेरे पति मेरी ‘सील’ (कौमार्य) टूटी हुई देखकर मुझे गाली दें… और साथ ही मेरे परिवार को भी… मुझे चोदो। आह्ह…”

परम ने उसके शरीर से मुँह और उंगली हटा लिया और अचानक अपनी प्रेमिका की गांड के अंदर अपने लंड को पेल दिया।

“उह म...र....गई......ओ...म...री...म..अ....म...मी....ओह राजा… मेरी गांड में दर्द हो रही है…गांड फट जायेगी राजा मत मार इतना उसे...थोडा धीरे-धीरे डाल... अपने लंड को काबू में रख...वह मेरी गांड चीरे जा रहा है....ओ...माँ.....मैं गई आज....इस लंड से!!!!”

लेकिन परम ने धीरे-धीरे उसकी गांड के छेद को चिकना बनाया और फिर उसकी गांड में पेल दिया। वह उसे अपने सीने की ओर करके उसके पैरों को धक्का देकर आगे से उसे गांड में चोदा था। उसने रेखा को चूमा और उसके कसे बोबले को निचोड़ा। बोला- “रानी, मैं तुम्हारे पास चुदाई करने के लिए आया था, लेकिन टूटी सील देखकर तुम्हारा पति तुम पर क्रोधित हो सकता है, इसलिए मैंने अपने लंड को तम्हारी कसी गांड का स्वाद देने के बारे में सोचा…सही है ना!”

तब परम उसकी गांड चोदता रहा। लगा वो उसके लंड से खुल जाएगी। उसे सुंदरी और शेटानी की चुदाई किया था जो कभी दर्द महसूस कर रही थी। रेखा कि गांड का छेद बहुत तंग था। रेखा के पूरे शरीर में अकड़न हो गयी।

रेखा “परम प्लीज लंड बाहर निकालो, बहुत दर्द कर रहा है। मेरी छोटी सी गांड फट गयी। लगता है खून भी निकलेगा आह्ह… परम जिद मत करो इससे अच्छा है की लंड निकालकर मेरी चूत ही फाड़ डालो, मर जाऊँगी… आ कोई मजा नहीं… आह… परम धीरे-धीरे मारो। थोड़ा और धीरे… आह्ह अब ठीक लग रहा है…”

कुछ समय के बाद रेखा ने भी आराम मिला और अपने जीवन की पहली चुदाई का मज़ा लिया। उसकी गांड का कौमार्य टूटा चुका था और असली कौमार्य बचा हुअ था। उन लोगों ने चुदाई की। जब परम चरमोत्कर्ष के कगार पर आया तो उसने रेखा के मुँह में झड़ने का अनुरोध किया।

वो शुरू में विरोध किया लेकिन बहुत मनाने के बाद मान गई। परम ने गांड से लंड बाहर निकाला और सीधे उसके मुँह में पेल दिया। उसको निश्चित रूप से गंध पसंद नहीं आई और उसने मुँह बनाया लिकिन सब पी गयी, कुछ वीर्य उसके होठों से बाहर बहने लगा। उसने उंगलियों से उसे साफ किया। लंड सिकुड़ने के बाद उसने बाहर खींच लिया। परम ने चूत को सहलाया और कहा- “वह हमेशा से इस सुंदर माल को चाहता था और अब कोई और इसका मज़ा लेगा।“
मैत्री और नीता द्वारा अनुवादित कहानी आप पढ़ रहे है



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