“पुछ मत बेटा, उसको देख-देखकर मैंने जितना पानी गिराया है उतना मैंने तेरी शेठानी को चोदकर भी नहीं गिराया होगा। लेकिन साली सुंदरी ने कभी मौका ही नहीं दिया, अभी तक मैं उसका हाथ नहीं पकड़ पाया, पर अब तुम साथ दे रहे हो तो तेरी माँ को चोदने का मौक़ा मिलेगा, कल तेरी माँ को चोदूँगा।“
सेठ ने आगे कहा, "तुम्हें पता है, तुम्हारी माँ समय के साथ और भी अच्छी होती जा रही है। वो इतनी चुदासी कभी नहीं थी जितनी अब दिखती है। इस गाव का सब से अच्छा माल बस मेरे नजरिये से सिर्फ और सिर्फ तेरी माँ है।"
सेठ बिल्कुल युवा लोगो की तरह मस्त हो गया था। 50 साल से ऊपर था और 18 साल के लड़के के साथ चुदाई की बात कर रहा था।
“अब क्या कहू बेटा, तेरी माँ की चूत ही मेरे लंड को शांत कर ने के काबिल है, उसे लंड चूसा-चूसा कर चोदूँगा…”, शेठ वासना के नशे में बडबडाता रहा,
“ बढती उम्र के साथ-साथ तुम्हारी मां की जवानी भी खिलती जा रही है…और मैं बहनचोद अभी तक मेरे लंड को उसकी चूत का भोसड़ा बनाने का मौक़ा नहीं मिला,कभी-कभी मुज पर लानत समजता हु बेटे, मुझे तेरी माँ की चूत और गांड चाहिए बेटा उसके लिए कुछ भी कर और कुछ भी करने को तैयार हु।“
शेठजी ने अपने लंड को दबाते हुए कहा: “वो पहले कभी इतनी चुदासी नही दिखी।।…जितनी अब दिखती है। जब देखो साली लंड को परेशान करती रहती है।”
शेठ बिल्कुल जवान लौन्डो की तरह मस्ता गया था।
परम ने मौके को समजते हुए, परम शेठ की बहुओं के बारे में भी गंदी बाते करना चाह रहा था…। इसलिए उसने पूछा,
“ शेठजी, अगर आपको मेरी बहन महेक, रेखा और आपकी दोनों बहुओं में से सिर्फ किसी एक को चोदनेका मौका दिया जाए, तो आप किसको चोदना चाहेंगे?”
शेठ गहरी सोंच में डूब गया। परम को लगा की कहीं यह सुनकर शायद शेठ उस पर गुस्सा न हो जाये। थोड़ी सी गांड फटी उसकी। लेकिन शेठ तो मन ही मन चारों लडकियोंकी तुलना करने में मशगुल था।
थोड़ी देर सोचने के बाद उसने कहा, “ युं तो तुम्हारी बहन उम्र में सबसे छोटी होने की वजह से माल बहोत ही कसा हुआ होगा, चुदाई का बहूत मजा देगी, और उसको चोद ने में भी ज्यादा मजा आएगा, तेरी बहन सिलपेक होगी और ऐसा अवसर बार-बार नहीं मिलता की उसका सिल मेरे लंड से टूटे, लेकिन फिर भी मै अपनी छोटी बहु लीला को चोदना पसंद करूँगा …वो गजब की सुन्दर और चुस्त शरीर की मालकिन है…। इसलिए सुंदरी के अलावा अगर मै किसी और के चूत में अपना लंड डालने के लिए बेक़रार हूँ तो वोह है मेरी छोटी बहु…लीला!” मैत्री और नीता की अनुवादित रचना।
परम:- “लेकिन मैं तो आपकी बेटी रेखा को चोदना चाहता हूँ…। साली बहुत मस्त-मस्त और चुस्त माल है…क्या बेटी पैदा की है आपके इस लंड ने।“
परम भी अपने दाव खेलने लगा,”क्या आपने कभी अपनी छोटी बहु को नंगा देखा है?”
शेठने इधर-उधर देखा और कहा- “देखा तो नहीं है लेकिन देखना चाहता हूँ…मादरचोद को मादरजात स्वरुप में देखना चाहता हु।”
शेठने परम की पीठ थपथपाई और फिर से कहा, “मैंने लीला बहू को कपड़े बदलते हुए देखा है और चोरी-चोरी कई बार कुतिया को खाली पेटीकोट और ब्रा में देखा है, क्या टाइट माल है,बेटा।
सुंदरी को पटाने के बाद उसे ही बोलूँगा की वो मेरी छोटी बहू को मेरा लंड के लिए तैयार करे…!”
दरवाज़े पर दस्तक हुई और परम के पिता की आवाज़ आई जो शेठ को किसी व्यापारी के आने की खबर दे रहे थे। शेठ उठे और परम से कहा कि “बेटा,कल दोपहर 2 बजे सुंदरी-मेरी माल को पिछले गेट से ले आना।“
“जी शेठजी आप फिकर ना करे, समजो आपकी परी आपके लंड पर आ गई,” परम ने 50,000 रुपये से भरा बैग लिया और अपने घर के लिए निकल पड़ा।
क्रमश: