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शेठजी ने उस कमरे का दरवाजा खोला और अंदर से बंद कर लिया। सुंदरी को बिस्तर पर बैठा देखकर वह बहुत प्रसन्न हुए।

परम ने पैसे जेब में रखे और शेठजी के घर की ओर भागा। उसने पिछले दिन की तरह फिर से शेठजी की बेटी से भोग लगाने की सोची। वह शेठजी के घर में दाखिल हुआ और उसने देखा कि रेखा शेठानी और अन्य चार महिलाओं के साथ बैठी थी। वे बंडलों में से साड़ियाँ और अन्य कपड़े चुन रहे थे। परम को देखते ही रेखा के गांड में लपालप होने लगी और चूत गीली हो गई। बोब्लो में तनाव आ गया, रेखा का मन किया कि वही सबके सामने परम को अपना चूत चाटने को बोले।

इधर शेठानी की चूत भी चुदने के लिए फडफडाने लगी। शेठानी की चूत यह सोच कर ही अपना थोडा सा चूतरस को छोड़ दिया और लंड के आगमन के लिए अपने पैर थोड़े खोल दिए। लेकिन उन महिलाओं के सामने कुछ नहीं हो सकता था। परम भी सबके सामने रेखा या शेठानी को नहीं चोद सकता था। उसने शेठानी से पूछा “मालकिन आज कौन सा काम साफ कर दूं?”

शेठानी इशारा समझ गई और बोली, “बेटे आज इलाज वाला काम साफ कर दो। थोड़ी देर में मैं भी आती हूं…” फिर शेठानी ने रेखा की देख कर कहा, बेटी तू जाकर परम की मदद कर दे।”

“नहीं माँ, मुझे नींद आ रही है।” रेखा ने कहा और उठाकर नीचे चली गई। बहार बैठी औरतों को पता ही नहीं चला कि कौन किस काम के लिए गया। जब तक वो औरतें कुछ सोचती थी तब तक रेखा पूरी नंगी होकर बिस्तर पर पसर गई थी और परम उसकी चूत और गांड चाटने लगा था। बाहर औरतें साड़िया देखने और सिलेक्ट करने में ब्यस्त थे और रूम अंदर परम रेखा की गांड को कल जैसा ढीला कर रहा था। रेखा ने आज कल जैसा कोई नाटक नहीं किया। जब परम अन्दर आया उसने अपने आप ही अपने पैरो को फैला दिया और अपनी चूत को उजागर कर के परम को निमंत्रण दिया, उसकी चूत को चाट-चाट के ठंडा करे, और थोड़ी देर बाद उसने अपनी गांड पर एक ऊँगली रख के एक इशारा किया की उसकी गांड तेरे लंड से मार खाने के लिए तैयार है। परम भी इंतज़ार नहीं कर सकता था और उसका मुह तुरंत ही रेखा की चूत पे जा के चिपक गया और एक ऊँगली रेखा की गांड में चली गई। रेखा ने अपनी गांड को थोडा ढीला किया और गांड के होल में ऊँगली की प्रवेश को आसानी दे दी। आज रेखा ने जैमकार और खुश होकर अपनी गांड परम के लोडे को दे दिया और जैम कर अपनी गांड की मरामत करवा ली। उसकी गांड में परम का वीर्य से लबालब हो गई। रेखा गांड मरवा कर और चूत में कल दिन जैसा लंड रगड़वा कर बिल्कुल ठंडी हो गई थी और नंगे ही सोने की कोशिश करने लगी और सो भी गई।


बहार, औरतें साड़ी देख कर जाने की तैयारी में थी। परम कपडे पहन कर बाहर आया तो शेठानी ने उसे सबके लिए कोल्ड ड्रिंक बनाने को कहा। चारो औरतें ठंडा पी कर बाहर चली गईं और उनके जाते ही शेठानी ने अंदर से दरवाजा बंद कर परम को दबोच लिया।


आपकी राय की प्रतीक्षा रहेगी........
Behtreen update
 

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अब आगे........

“तूने रेखा को चोद लिया क्या?” शेठानी ने पूछा।




परम को सेठानी के सवाल की कहा पड़ी थी। परम ने सीधा सेठानी के ऊपर हमला कर दिया,परम ने शेठानी को पूरा नंगा कर दिया और उसके मांसल शरीर को सहलाते हुए कहा “नहीं रानी, तेरी बेटी की सिल नहीं तोड़ी है खाली चूत चाटी है और अपना लंड चुसाया है, और तेरी बेटी ने बड़े प्यार से मेरा लंड चूसा है और मेरा वीर्य को निगल गई और सो गई है, आ जा अब तुझे भी लंड चुसाता हूं।”

“अच्छा ठीक है लेकिन रेखा ने अच्छे से तेरे इस लौड़े को चूसा ना! ठीक से लंड का माल निकाला ना!”

“अभी सिख रही है तेरी बेटी, आदत हो जायेगी फिर वह भी तुम्हारे तरह मुझे अच्छे से चूसेगी और अपनी गांड भी फड़वाएगी तुम चिंता ना करो मेरे लंड की रानी। बस तुम अपने छेदों को जी भर के मेरे लंड को चोदने दो। तुम दोनों माँ-बेटी को मेरे लंड की आदत पड़ जाने दो। रानी, सही कह रहा हु न!”

“मुझे बस रेखा की चिंता थी बेटे, लेकिन अब तुम एक भरोसेमंद चोदु हो तो मुझे कोई तकलीफ नहीं आराम से उसके मुह को चोद और उसकी गांड की भी केर करता रह। फिर जब शादी के बाद आती है तो तेरा इस लंड से उसको गर्भवती भी कर देना और क्या चाहिए तुम्हे और मुझे भी! लेकिन इस रेखा के चक्कर में मेरी इस भोस को मत भूलना बेटे, आते जाते उसमे भी पानी डालते रहना। खुश हो के आशीर्वाद देगी बेचारी मेरी चूत।“

परम: “अरे, रानी फिकर क्यों करती हो,तुम चाहो तो अभी मेरे इस लंड से बच्चा ले सकती हो।“

अरे नहीं बेटे, मैं तो इस लिए कह रही थी की सब मर्दों को जवान और कमसिन माल में रस होता है, उसकी जवानी को तोड़ने में मजा होता है तो मैं समजी की तुम मुझे रेखा की मखमली चूत के सामने मुझे भूल जाओगे, इसलिए मैंने कहा बाकी मुझे मेरी बेटी को तुमसे चुदवाने में कोई रंज नहीं है, रेखा को जितना चोदेगा उतना तुम दोनों को मजा है और मुझे मेरी चूत में तेरा पानी ना सुख जाए बस।“

शेठानी गद्दे पर बैठ गई और परम के लंड को प्यार से चूसने लगी। थोड़ा देर चूसने के बाद परम से उसकी चूत चाटने को कहा। परम 69 पोजीशन में होकर चूत चूसने लगा। शेठानी की चूत सुंदरी की चूत का साइज से दोगुना हो गया। डबल रोटी जैसा फूला हुआ, लंबी फांक, करीब एक इंच लंबा क्लिट और फुद्दी / पंखुड़ियां बाहर निकले हुए। परम हर पार्ट्स को खूब मजे ले लेकर, जैसे कि चिकन की टांग चबा रहा हो, चूस रहा था। शेठानी भी लंड को कैंडी के जैसा प्यार से चाट रही थी। परम ने दोनों हाथो से मोटी मोटी जांघों को नीचे की तरफ खींच कर चूत को ऊपर उठा दिया था और उसकी गांड भी खुल गई थी। तभी शेठानी ने लंड मुँह से निकाला और कहा, “बेटा जल्दी चोदो नहीं तो कोई आ जाएगा तो मजा ख़राब हो जाएगा।”

परम निचे उतर कर उसकी एक टांग को अपने कंधे पर रख कर फचा-फच, फचा-फच चुदाई करने लगा। परम खूब दम लगा कर चोद रहा था।

“रानी, गांड मरवाओगी?”


"आज नहीं। शादी ख़त्म होने दो फिर दिनभर तुम्हारे लौड़े को चूत और गांड के अन्दर ही रखूंगी। अभी फटा-फट चोद के चूत को ठंडा कर दो।ज्यादा जोर से मारो बेटे, मेरी चूत कब से तेरे इस डंडे से मार खाने को तड़प रही है।" परम प्यार से मोटी-मोटी निपल दबा और शेठानी के होठों को चूम-चूम कर अपना लंड पाओ-रोटी जैसी चूत में पेलता रहा। शेठानी भी चुत्तर उछाल उछाल मजा ले रही थी और अपनी किस्मत को सराह रही थी की एक 45-46 साल की चूत को 20 साल का लौंडा प्यार से चोद रहा था। जैम के उसकी चूत की सर्विस कर रहा था। मैत्री और फनलव की अनुवादित कहानी पढ़ रहे है


कोमेंट बॉक्स में आप के सहकार की अपेक्षा सह:
Garam hot update
 

Chut chatu

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एपिसोड 3


अगले दिन परम कोलेज नहीं गया। उसने सोच रखा था की आज माँ (सुंदरी) को चोदना है। माँ ने बार-बार उसे कोलेज जाने के लिए कहा लेकिन परम नहीं माना। परम मौके का इंतेजार करता रहा। करीब 10:30 बजे सुंदरी नहाने गयी। 15 मिनट के बाद बाहर आई एक ब्लैक पेटीकोट और सफेद ब्रा में। बालों को तौलिया से बाँध रखा था। परम ने सोचा बस यही मौका है। जैसे ही सुंदरी परम के बगल से निकली, परम ने दोनों हाथों से माँ के कंधों को दबाकर उसे दीवाल से सटा दिया और खूब जोर से चूमने लगा। फिर कंधों से हाथ हटाकर दोनों मस्त चूचियों को ब्रा के ऊपर से मसलने लगा। आप यह कहानी मैत्री और नीता के द्वारा अनुवादित कहानी पढ़ रहे है


परम सुंदरी को बहुत बेदर्दी से मसल रहा था। कल परम ने रेखा की चूचियों को प्यार से सहलाया था और अभी माँ की चूची को आँटे की तरह मसल रहा था। 5 मिनट तक चूमने और मसलने के बाद परम ने अपना मुँह माँ के होंठों पर से हटाया और कहा- “तुम बहुत ही रसीली हो। तुम्हारे होंठ बहुत टेस्टी हैं…”

सुंदरी ने अपनी चूची सहलाते हुए कहा- “तुम तो मुझे मार ही डालोगे। ऐसे कोई मसलता है, प्यार से सहलाओ और मजा लो…” कहते हुए सुंदरी ने अपनी ब्रा का हुक खोल दिया। चूचियों को ब्रा से बाहर निकाला और कहा- “अब मजा लो, प्यार से…”

परम ने थोड़ी देर तक दोनों नंगी चूचियों को मसलकर मजा लिया। कभी चूची को नीचे से उठाकर दबोचता था, तो कभी घुंडियों को मसलता था। थोड़ा मसलने के बाद ही निपल कड़े हो गये और लंबे भी, ½ इंच से बड़े निपल्स के चारों ओर एक ब्राउन कलर का घेरा करीब एक इंच की गोलाई में फैला था। पूरा बोबला और भी टाइट हो गए। परम ने एक निपल को मुँह में लेकर चुभलाना चालू किया और दूसरे स्तन को मसलता रहा। बारी-बारी से दोनों स्तनों को चूसा और एक हाथ को नीचे नाभि पर लाया। पेट को सहलाते-सहलाते नाभि के छेद पर उंगली गोल-गोल घुमाया और हाथ नीचे बढ़ाया।

पेटीकोट का नाड़ा हाथ में आया और झटके से नाड़ा खींच दिया। नाड़ा खुलते ही पेटीकोट जमीन पर गिर पड़ा। परम का हाथ उसकी चूत पर था। चूत पर हल्के-हल्के बाल थे। परम उंगली से चूत के होंठों को मीजने लगा। माँ का बदन तन गया। सुंदरी की चूत का मजा लेते लेते परम ने अपना पायजामा खोलकर नीचे गिरा दिया। लोडा पूरा तना हुआ था और सुंदरी की चूत पर खटखटाने लगा। चूमना और सहलाना छोड़कर दोनों हाथों से सुंदरी के दोनों उभरे हुये चूतरों को जकड़कर लंड को चूत में जोर से दबाया। फिर उसी पोज में उसे बेतहासा चूमने लगा। सुंदरी आँखें बंद करके चुपचाप खड़ी थी, शायद उसे शरम आ रही थी। कुछ देर के बाद सुंदरी दीवाल से सटकर नीचे फिसलने लगी और अपने को फर्श पर सीधा लिटा लिया।

परम उसके ऊपर छा गया। परम सुंदरी को बेतहाशा चूम रहा था, होंठों को, गालों को काट रहा था और थनों को मसल रहा था।
सुंदरी ने महसूस किया की परम का लोडा पूरा तन गया है। सुंदरी ने सोचा की अगर जल्दी नहीं चुदवाएगी तो उस दिन जैसा परम का लोडा फिर पानी छोड़ देगा। यह सोचकर सुंदरी ने हाथ बढ़ाकर लोडे को पकड़ा और चूत के मुहाने पर रखा और नीचे से गांड को उछाला। पूरा लंड चूत को चीरते अंदर चला गया। उसकी चूत भी चुदवाने को बेताब थी और परम का लंड चोदने को। परम सुंदरी को जोर-जोर से चोदने लगा। लेकिन जमीन पर घुटनों में चोट लग रही थी। वह जोर-जोर से धक्का नहीं मार पा रहा था।

सुंदरी को भी चूतड़ उछलने से चोट लग रही थी।- “चलो बेटे, बेड पर चुदाई करेंगे…”

बने रहिये.............अपनी किमेंट देते रहिये................
Aah Funlover jeee akhir better ka Lund maa ki rasili bur me ghusa hi Diya jis bur se bikla hai usi me ghusa diya Aah Maja AA gaya
 

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“पुछ मत बेटा, उसको देख-देखकर मैंने जितना पानी गिराया है उतना मैंने तेरी शेठानी को चोदकर भी नहीं गिराया होगा। लेकिन साली सुंदरी ने कभी मौका ही नहीं दिया, अभी तक मैं उसका हाथ नहीं पकड़ पाया, पर अब तुम साथ दे रहे हो तो तेरी माँ को चोदने का मौक़ा मिलेगा, कल तेरी माँ को चोदूँगा।“

सेठ ने आगे कहा, "तुम्हें पता है, तुम्हारी माँ समय के साथ और भी अच्छी होती जा रही है। वो इतनी चुदासी कभी नहीं थी जितनी अब दिखती है। इस गाव का सब से अच्छा माल बस मेरे नजरिये से सिर्फ और सिर्फ तेरी माँ है।"
सेठ बिल्कुल युवा लोगो की तरह मस्त हो गया था। 50 साल से ऊपर था और 18 साल के लड़के के साथ चुदाई की बात कर रहा था।
“अब क्या कहू बेटा, तेरी माँ की चूत ही मेरे लंड को शांत कर ने के काबिल है, उसे लंड चूसा-चूसा कर चोदूँगा…”, शेठ वासना के नशे में बडबडाता रहा,

“ बढती उम्र के साथ-साथ तुम्हारी मां की जवानी भी खिलती जा रही है…और मैं बहनचोद अभी तक मेरे लंड को उसकी चूत का भोसड़ा बनाने का मौक़ा नहीं मिला,कभी-कभी मुज पर लानत समजता हु बेटे, मुझे तेरी माँ की चूत और गांड चाहिए बेटा उसके लिए कुछ भी कर और कुछ भी करने को तैयार हु।“

शेठजी ने अपने लंड को दबाते हुए कहा: “वो पहले कभी इतनी चुदासी नही दिखी।।…जितनी अब दिखती है। जब देखो साली लंड को परेशान करती रहती है।”

शेठ बिल्कुल जवान लौन्डो की तरह मस्ता गया था।

परम ने मौके को समजते हुए, परम शेठ की बहुओं के बारे में भी गंदी बाते करना चाह रहा था…। इसलिए उसने पूछा,

“ शेठजी, अगर आपको मेरी बहन महेक, रेखा और आपकी दोनों बहुओं में से सिर्फ किसी एक को चोदनेका मौका दिया जाए, तो आप किसको चोदना चाहेंगे?”

शेठ गहरी सोंच में डूब गया। परम को लगा की कहीं यह सुनकर शायद शेठ उस पर गुस्सा न हो जाये। थोड़ी सी गांड फटी उसकी। लेकिन शेठ तो मन ही मन चारों लडकियोंकी तुलना करने में मशगुल था।

थोड़ी देर सोचने के बाद उसने कहा, “ युं तो तुम्हारी बहन उम्र में सबसे छोटी होने की वजह से माल बहोत ही कसा हुआ होगा, चुदाई का बहूत मजा देगी, और उसको चोद ने में भी ज्यादा मजा आएगा, तेरी बहन सिलपेक होगी और ऐसा अवसर बार-बार नहीं मिलता की उसका सिल मेरे लंड से टूटे, लेकिन फिर भी मै अपनी छोटी बहु लीला को चोदना पसंद करूँगा …वो गजब की सुन्दर और चुस्त शरीर की मालकिन है…। इसलिए सुंदरी के अलावा अगर मै किसी और के चूत में अपना लंड डालने के लिए बेक़रार हूँ तो वोह है मेरी छोटी बहु…लीला!”
मैत्री और नीता की अनुवादित रचना

परम:- “लेकिन मैं तो आपकी बेटी रेखा को चोदना चाहता हूँ…। साली बहुत मस्त-मस्त और चुस्त माल है…क्या बेटी पैदा की है आपके इस लंड ने।“

परम भी अपने दाव खेलने लगा,”क्या आपने कभी अपनी छोटी बहु को नंगा देखा है?”

शेठने इधर-उधर देखा और कहा- “देखा तो नहीं है लेकिन देखना चाहता हूँ…मादरचोद को मादरजात स्वरुप में देखना चाहता हु।”

शेठने परम की पीठ थपथपाई और फिर से कहा, “मैंने लीला बहू को कपड़े बदलते हुए देखा है और चोरी-चोरी कई बार कुतिया को खाली पेटीकोट और ब्रा में देखा है, क्या टाइट माल है,बेटा।

सुंदरी को पटाने के बाद उसे ही बोलूँगा की वो मेरी छोटी बहू को मेरा लंड के लिए तैयार करे…!”

दरवाज़े पर दस्तक हुई और परम के पिता की आवाज़ आई जो शेठ को किसी व्यापारी के आने की खबर दे रहे थे। शेठ उठे और परम से कहा कि “बेटा,कल दोपहर 2 बजे सुंदरी-मेरी माल को पिछले गेट से ले आना।“


“जी शेठजी आप फिकर ना करे, समजो आपकी परी आपके लंड पर आ गई,” परम ने 50,000 रुपये से भरा बैग लिया और अपने घर के लिए निकल पड़ा।

क्रमश:
Uffff seth Param se khud apni beti chudwayega.
 

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Update 04



रात के खाने के बाद सुधा महेक के साथ उसके बिस्तर पर बैठी और परम उसके बिस्तर पर लेटा। महेक ने दरवाज़ा अंदर से बंद कर लिया और सीधे मुद्दे पर आ गयी।

जब परम रूम में घुसा उस से पहले दोनों सहेलिया आपस में बात करती हुई....

महक: “आजा सुधा यहाँ आके बैठ।“

सुधा उसके पास जाके पलंग पर बैठी और बोलती है, “हां बोल क्या बात है?”

महक; “वैसे तो तुजे सब पता है अब बोलने में क्या है जो है अब एक्शन ही होगा ना!” उसने सुधा को अपनी ओर खींचते हुए और उसके बोबले को थोडा पकड़ते हुए बोली।

सुधा: “अरे यार ये क्या कर रही हो! छोडो यह सब तुम जानती तो हो की मेरा बाप और नौकरानी की चुदाई देख-देख के मई कितनी चुदासी महसूस कर रही हु और तू है की खजाने पर हाथ रख के उस आग को भडका रही हो।

महक: “हां, तो क्या बुरा है इस आग को बढ़ने दे ना यहाँ कौनसा तेरा बाप आके तुजे रोकनेवाला है!”

वैसे महक ने सुबह से ही तय किया था की आज अपने भाई को एक नया ताज़ा माल देगी और उसके लिए उसे सुधा से बात कर के थोड़ी गरम कर के उसकी चूत को गीली कर के भाई के सामने पेश करना होगा। और उसके लिए ही वह आज उसके साथ बाते करके सुधा को अपने भाई के लिए तैयार करने में लगी हुई थी।
आप मैत्री और नीता की अनुवादित रचना पढ़ रहे है

सुधा:”हा बात तो सही है लेकिन क्या करू कुछ समज नहीं आता! एक तरफ लगता है की कोई लंड ले लू और दूसरी तरफ डर भी लगता है की कही कुछ ऐसा वैसा ना हो जाए जिस से मेरी और माँ-बाप की इज्जत पर लांछन ना लग जाए।

महक:”अब इतना सोचेगी तो कुछ होनेवाला नहीं है, चल छोड़ अब ऐसी बाते नहीं करते जिस से तुम्हारी इज्जत जाने का डर बना रहे।

सुधा को लगा की बात कुछ बिगड़ गई, तो उसने तुरंत जवाब दिया; “अरे ऐसा भी नहीं है की हम बात नहीं कर सकते, वैसे भी मैंने कहा ना मुझे चुदासी का अनुभव होता है पर डर भी लगता है, वैसे एक बात कहू कोई भरोसेमंद लड़का भी तो मिलना चाहिए।“

महक को लगा ली अब रेलगाड़ी पटरी पे आई है;”देख ऐसा है और तू तैयार है तो मई आने भाई से बात करके तेरा शील तोड़ने का प्रबंध कर सकती हु। लेकिन तेरी रजामंदी होनी जरुरी है आखिर मैं भी तो फिमेल हु और मुझे तेरी फिकर भी है। महक ने दाना डाला।

सुधा: ”तू तो मेरी सबसे अच्छी सहेली है अब तुज से कुछ छुपा नहीं है , पर क्या परम मेरे बारे में ऐसा सोचता होगा!”

महक: “अरे, सोचता क्या होगा! वह तो कब से तेरी आस लगाए बैठा हुआ है तुम्हे क्या पता मेरी डार्लिंग!”

धीरे-धीरे महक ने सुधा के पेड़ो को चौड़ा कर दिया और उसकी परी पर अपना हाथ रखते हुए बोली: “देख अगर तू तेरा शील मेरे भाई के लंड को गिफ्ट करेगी तो मैं भी कुछ सोचूंगी ना तेरे बाप के बारे में!”

“ओह्ह तो तू भी मेरे बाप के साथ......!” सुध ने महक का हाथ थोडा दबाते हुए कहा।

अब हमारी चूत है की लंड के हाथ मार खाने को तो फिर सोच्नेवाल्ली क्या बात है हम दोनों मिल के कुछ करेंगे. लेकिन अभी नहीं, अभी तो सिर्फ तू मेरे भाई के लंड को ठंडा कर और खुद भी चुदाई का मजा ले, बस सिर्फ तू चाहे तो!”

थोड़ी सोचने के बाद सुधा ने हामी भर दी लेकिन शर्त राखी के वह अकेली नहीं रहेगी और महक भी साथ रहे गी और कुछ साथ भी देगी। इसतरह दोनों की सम्मति हो गई और दोनों ने मुस्कुराते हुए अपने-अपने हाथ एकदुसरे के बोबले पे रख दिया। और महक ने बता भी दीया की वह और परम एकदूसरे के साथ सोते है और एक दुसरे के साथ खेल भी चुके है बस चुदाई नहीं हुई।


तभी परम ने रूम में एंट्री मारी....
Wow puri family chudai ke khel me shamil hai.
 

Premkumar65

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"भैया तुम भी मेरी चूत चाट-चाट कर चूत चोद ने के लिए ब्याकुल हो और सुधा भी रेनू को अपने बाप से रोज चुदवाते देख-देख कर लंड की दीवानी बन गई है। इसकी चूत भी लंड खाने के लिए तरस रही है। आ जाओ, साली को चोद-चोद कर पूरा मजा लो और दो, कुतिया की अभी तक सील भी नहीं टूटी है। एक दम कुंवारी है…समजे ना एकदम पेटी पेक माल है सभी जगह से! बस अपने चूत का टला खुलने की राह देख रही है। तुमने तो मेरी चूत को मसल-मसल कर और चाट-चाट कर फूला दिया है लेकिन इसकी चूत बिल्कुल कोरी है…। अपने इस मुसल चाबी से उसकी चूत का ताला खोलो और उसकी चूत के अन्दर अपने लोहे का सलिया डालो।”

महेक ने परम को अपने बिस्तर पर खींच लिया और उसको फटा-फट नंगा कर दिया। नंगा होते ही परम सुधा पर झपट पड़ा और उसका फ्रॉक और पैंटी उतार कर उसे भी नंगा कर दिया।

सुधा और महेक एक ही उम्र की थीं और शारीरिक बनावट भी लगभग एक जैसी थी। सुधा महेक की तरह गोरी तो नहीं थी लेकिन त्वचा पर चमक जरुर थी। उसके स्तन 34" आकार के थे और कूल्हे भी उसी आकार के थे। उसकी कमर पतली थी और जघन क्षेत्र बालों से भरा हुआ था। परम ने उसे बिस्तर पर सपाट लेटा दिया। उसने उसके प्रत्येक पैर को पकड़ लिया और जितना संभव हो उतना अलग कर दिया। पैरो के फैलते ही सुधा की चूत अपने आप बहार आके अपना मुह दिखाई देने लगी। उसकी जांघें पूरी तरह से विकसित हो गई हैं और सुंदरी की तरह मोटी नहीं हैं। परम ने सुधा की चूत पर अपने हाथ फेरे और चूत के होंठ और भगनासा को रगड़ा। महेक सुधा के पास बैठी थी और वह उसके बोब्लो को सहला रही थी। वह सुधा की चूत में लंड को घूमते और घुसते हुए देखने के लिए उत्सुक थी।

"भैया, माल (सुधा) पूरी गर्म है। चूत को चोदो और चूसो, सब से पहले साली को चुदाई का मजा दो, लंड चूत में पेल कर साली को एक मस्त औरत बना दो, चूत फाड़ डालो। मुझे चोदने के लिए तो रोज तैयार रहते हो और आज जब नंगी और अनछुई चूत सामने पड़ी है तो लंड छिपा रहा हो।” उसने अपने भाई का लंड हाथ में पकड़ा और अपने सहेली की चूत के सामने रख दिया। आप मैत्री और नीता की अनुवादित रचना पढ़ रहे है

परम कुंवारी चूत के छेद में प्रवेश करने के लिए तैयार ही था। सुबह उसने अपनी मां की पूरी तरह से चुदाई की थी और दोपहर के बाद परम ने रेखा की गांड मारी थी और करीब करीब चूत को चोद ही डाला था। यही सोचते-सोचते उसका जोश आया वह जोश उसके लंड पे चला गया और जोर से धक्का मारा।

“ओह माँ...ऊऊऊ ईईइ....म...आ...आआ....” सुधा चिल्लायी…”बाप रे बहुत दर्द करता है.... लंड बाहर निकालो…”

परम ने कस कर सुधा का कमर को जकड़ा और फिर जोर से धक्का मारा…”

सुधा को पसीना आने लगा। इस समय उसका मुंह और आंखें चौड़ी हो गईं थी, महेक ने सुधा के बोबे को बेरहमी से दबा दिया।। “चुदासी चिल्ला क्यों रही है।। अभी तक तो लौड़ा खाने के लिए मर रही थी और अब जब लौड़ा चूत में घुस रहा है तो बाप को याद कर रही है… तेरा बाप तो तुझे चोदेगा ही…” उसने परम की तरफ देखा और कहा भैया रुकना मत, साली की चूत फाड़ डालो…उसकी चूत को अब भोसड़ा बना दो।”

सुधा सचमुच दर्द में थी। उसे महसूस हुआ कि उसकी चूत से तरल पदार्थ की एक धारा उसकी जांघों तक बह रही है। उसने अपना हाथ वहाँ रखा और उसे देखा।

“बाप रे....मेरी चूत फाड़ डाला.... खून निकल रहा है… साला हरामी इतना ही चोदने का जोश है तो मेरे चूत से लंड निकाल कर अपनी बहन के चूत में डाल दो।। बहुत प्यार से चुदवाएगी… रोज तो चटवाती है आज लंड को चूत के अन्दर भी ले लेगी… मा....र डा....ला सा....ला… जा कर अपनी माँ को चोद ह....रा....मी... बाप रे बाप बहुत दर्द कर रहा है....नहीं चुदना है मुझे।
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अब तक पूरा लंड सुधा की चूत में जा चुका था और अब परम हल्के-हल्के धक्के लगा रहा था। अब सिल की परदी तो वह चूत में थी ही नहीं, और हलके धक्को से अब सुधा का दर्द भी कम होने लगा और जल्द ही उसने परम को अपनी बाहों में जकड़ लिया। "आआह्ह्ह.... राजा.... आह्ह्ह.... अच्छा लग रहा है!"

महेक ने सुधा के गालों पर चुटकी लेते हुए कहा, "साली, अभी तक तो बाप-बाप चिल्ला रही थी और अब पूरा लंड अंदर गपक गई है। मरवाले बापचोदी, चूत को ढीला कर ले, अपने बाप से चुदवाने के लिए। तेरा सिल मेरे भाई के लंड से टूटना था तो तूट गया।"

सुधा ने अपने कूल्हे उचकाए: ”मादरचोद तू क्यों बक-बक कर रही है…तुझे चुदाई का इतना दुख है तो चल अपने बाप के मोटे लंड से चुदवा दूंगी…। बहुत मजा आएगा हरामजादी…। लेगी ना मेरे बाप का लंड तेरी इस खुबसूरत चूत में!”


इतनी देर में महेक भी चुदासी होकर नंगी हो गई थी। परम सुधा की चूत को चोद रहा था और महेक के चूत को प्यार से देख कर सोच रहा था कि अब जल्दी से अपनी बहन की चूत भी चोदेगा…

बने रहिये
Bahut hi garam update hai.
 

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फिर विनोद परम को घर के अंदर और शयनकक्ष में ले गया। उसने अपनी माँ को बुलाया जो लगभग 41-42 की थी, थोड़ी मांसल और इतनी पतली फिगर वाली नहीं थी। जैसे ही वह कमरे में दाखिल हुई, विनोद ने उसकी साड़ी उतार दी और कहा,

“परम को खुश करो…जो चाहता है सब करने दो, और उसके लंड को खाली कर के छोड़ना।” विनोद ने अपनी माँ की चुची दबाते हुए कहा जल्दी से नंगी हो जा और परम के लंड को चूस। विनोद की माँ ने बिना कुछ कहे अपना पेटीकोट और ब्लाउज़ उतारा और बिस्तर पर लेट गईं और पैरों को फैला कर चुतर उठाया। विनोद की मां ने झांट साफ किया था, एक दम क्लीन चूत थी। उसकी चुची सुंदरी के चुची से बड़ी और मोटी थी लेकिन पूरी पेट तक आकर लटक गई थी। परम ने अपना कपड़ा उतारा और विनोद की माँ की चूत को चूमने लगा।

"परम, चूत चाटने के लिए नहीं होती, लौड़ा नीचे डाल कर चोदो!" विनोद चिल्लाया। लेकिन परम को चूत का स्वाद पता था। उसने अपने दोस्त की माँ को चूसा और चोदा। उस औरत के मुँह में स्खलित होने के बाद विनोद ने अपनी माँ से गरम दूध लाने को कहा। वो अंदर गई और तभी विनोद की बहन बिन्नी आ गई। विनोद ने उसे बाँहों में भर लिया और उसके कपड़े उतार दिए।

"जाओ साली परम से मरवाओ!" विनोद ने उसे परम पर धकेल दिया। परमने उसे अपनी बाहों में जकड़ लिया और उसे भी वैसे ही संतुष्ट किया जैसे उसने उसकी माँ को किया था। बिन्नी और उसकी माँ, दोनों के लिए यह पहली बार था जब किसी ने उनकी चूत चूसी थी। दोनों को यह चुदाई से ज़्यादा पसंद था। हालाँकि विनोद पिछले एक साल से उसे और उसकी माँ को चोद रहा था, उसने न तो कभी उनकी चूत को मुँह में लिया था, ना ही कलकत्ता के होटलों में किसी और को, न ही उसके पति को, जो हर महीने कुछ दिन उससे मिलने आता है। उन्होंने परम से कहा कि वह ज़्यादा बार आकर उनको चोदे। जी भर के चोदे, वह दोनों चूते अब परम के लंड के लिए तैयार रहेगी। परम ने भी कहा जब भी समय मिलेगा तुम दोनों की चूत की मरमत करने आ जाऊंगा। और दोनों औरतो ने उसे मुस्कुराते हुए विदा किया।




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अपनी कोमेंट देना ना भूलियेगा प्लीज़............
Param ke to maje hi maje hain.
 
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