chapter 27
अभय अपने कमरे मे लेता दिशा से बात कर काजल को फोन लगा देता है
अभय - हैलो बुवा मे अभय
काजल हैरान होती है और खुश भी - बेटा अभय
अभय - जी बुवा मे उस दिन जो हुआ उसके लिये माफी चाहता हु
काजल कमरे से निकल घर के पीछे जाके एक जगह खरी होके - नही बेटा तुम माफी कियु मांग रहे हो गलती मेरी थी मुझे तुम्हे प्यार से मना करना चाहिये था लेकिन मे तुम पे गुस्सा हो गई
अभय - नही बुवा गलती मेरी थी
काजल - नही मेरी थी तेरे जाने के बाद मुझे अपने किये पे बहोत पचतावा हुवा मुझे तेरे साथ बिताये हर पल बहोत याद आ रहे थे मेने कई बार हिम्मत की तुम्हे फोन कर माफी मांग लू लेकिन कर नही पाई लेकिन तुम ने हि फोन का दिया मुझे माफ कर दे बेटा
अभय - ठीक ना गलती आप की ना मेरी हम उस बात को भूल जाते है
काजल - थैंक्स बेटा तुम बहोत अच्छे हो
अभय - आप भी बहोत अच्छी है बुवा आपको पता है उस रात मेने आपसे गीली किस्सी कियु मांगी
काजल थोरा शर्मा के - कियु
अभय - जिस दिन मे आपको छोरने जाने वाला था उसी रात मे मा से गीली किस्सी मांगा मेने कहा मा मे तीन दिन के लिये जा रहा हु मुझे गीली किस्सी दो
काजल हैरान - क्या फिर भाभी के दिया गीली किस्सी
अभय मुस्कुराते हुवे - हा
काजल सॉक होते हुवे - भाभी ने कुछ नही कहा
अभय - आपको पता है ना मा मुझसे कितना प्यार करती है मा ने कहा मा बेटे के बीच गीली किस्सी नही करते पति पत्नी या दो प्यार करने वाले के बीच होती है
काजल हैरानी से - फिर क्या हुवा
अभय - फिर मा ने कहा मेरे लाला ने पहली बार किस्सी मांगी है तो मना नही करुगी लेकिन एक बार उसके बाद नही मिलेगी उसके बाद मा मे मुझे गीली किस्सी की
काजल हैरान से- अच्छा
अभय - हा और उस रात मेने आपके रसीले गुलाबी होठ को देखा तो मेरे मुह से अपने आप निकल गया था
काजल सब जान सर्म से लाल होते हुवे - अच्छा ये बात थी अब समझ मे आया एक बात बता
अभय - पूछीये ना
काजल थोरा शर्मा के - क्या मेरे होठ सच मे भाभी की तरह लगे
अभय - हा बुवा आपके होठ भी मा की तरह बहोत रसीले गुलाबी है इसी लिये तो आपके होठ देख मुह से निकल गया था
काजल शर्मा के - सच केह रहा है क्या मेरे होठ तुम्हे इतने अच्छे लगे
अभय - आपकी कसम बुवा बहोत आप बहोत हॉट है और आपके होठ भी
काजल सर्म से अपने अंगूठे को अपने दूसरे अंगूठे के रगरते हुवे - अच्छा समझ गई
अभय - बुवा आप गुस्सा तो नही है ना उस रात आपने मुझे रुला दिया था पहली बार किसी ने मुझे दाता ( dp devil के कैद छोर के)
काजल दुखी होके - माफ कर दे बेटा अब कभी तुम्हे नही दातुगी अच्छा सुन सादी के 10 दिन पहले मुझे लेने आ जाना
अभय मुस्कुराते हुवे - आपको छोरने मे ही गया लेने भी मे हि आउ
काजल प्यार भरी आवाज मे - क्या अपनी बुवा को लेने नही आयेगा
अभय मुस्कुराते हुवे - आ जाउंगा लेकिन मुझे क्या मिलेगा
काजल हस्ते हुवे - बुवा से रिश्वत मागता है
अभय हस्ते हुवे - हुवा आज के समय मे रिश्वत बिना कोई काम नही करता
काजल हस्ते हुवे - ठीक है गीली किस्सी दूंगी
अभय - सोच दीजिये पुरा रस पी जाउंगा फिर मत केहना

अभय की बात सुन काजल सर्म से लाल हो जाती है सासे तेज चलने लगती है काजल नाइटी पहने थी अंदर कुछ नही था बरे टाइट चूचे के निपल तेज सासे लेने की वजह से उपर नीचे हो रहे थे
अभय - कुछ बोलिये हा या ना
काजल अपने आप को संभालते हुवे शर्मा के - सोच लिया
अभय - तब तो बरी प्रॉब्लम हो गई
काजल हैरानी से - कैसी प्रॉब्लम
अभय हस्ते हुवे - ये 10 दिन मेरे मुश्किल से गुजरेगे
अभय की बात सुन काजल फिर सर्म से लाल हो जाती है
काजल शर्मा के - तुम भी ना शैतान
अभय - अच्छा बुवा फूफा जी सो गये है क्या
काजल - हा सो रहे है
अभय - तो आप कमरे मे है या बाहर
काजल - घर के पीछे खरी बात कर रही हु मे नही चाहती उनका नींद खराब हो
अभय - अच्छा कास मे अभी वहा होता तो
काजल तेज सासे लेते हुवे - तो क्या
अभय - वही पकर आपके होठो का रस पिता
अभय की बात ने काजल के अंदर अजीब हलचल पैदा कर देती है काजल को अभय से बात कर बहोत अच्छा फिल हो रहा था पहली बार कोई था जो काजल से इस तरफ बात कर रहा था या काजल किसी से इस तरह बात कर रही थी इस उमर मे काजल के लिये ये सब बाते मस्ती सब अगल नया मजा दे रहा था
काजल सर्म से - शैतान बुवा के साथ ऐसा करेगा
अभय मुस्कुराते हुवे - आप ने ही तो कहा बना करेगी तो नही करुगा
काजल शर्मा के - मेने बना तो नही क्या अच्छा सुन रात हा गई है सो जाते है
अभय - हा अपने बात तो सही कही गुड नाइट हॉट बुवा
काजल हस्ते हुवे - गुड नाइट बेटा
फोन कट
काजल कमरे मे आके बिस्तर पे लेत अभय के साथ जो बाते हुई उसे याद कर मुस्कुराते हुवे आखे बंद कर लेती है
वही अभय भी खुश था ये जान की उसकी बुवा गुस्सा नही है
सुबह के समय
आसा नहाने के बाद ब्लाउस पेटीकोट मे कमरे मे आती है
आसा - नीचे बहोत बाल हो गये थे आज साफ कर लिया अब जाके अच्छा फिल हो रहा है मुझे

आसा अपने पेटीकोट उठा के चुत को देखते हुवे - हा देखने मे भी अच्छा लग रहा है ( तभी आसा अपने पति की याद कर दुखी हो जाती है) आसा के चुत अब पूरी तरफ से चिकनी साफ हो गई थी और इस उमर मे भी आसा की चुत टाइट थी आसा की चुत के उभार बाहर निकल आये थे फाके मोती साफ दिख रही थी और देखने मे बहोत खूबसूरत लग रही थी
आसा फिर रेडी होने मुस्कुराते हुवे अभय के कमरे मे आके अभय को जगाती है अभय आसा को बिस्तर पे खिच आसा के ऊपर आके आसा के होठो पे किस करते हुवे - गुड मोर्निंग हॉट मा

आसा अपने बाहों मे अभय को पकर अभय कि आखो मे प्यार से देख मुस्कुराते हुवे - गुड मोर्निंग मेरे लाला
अभय आसा को देख - रोज की तरह आज भी आप बहोत खूबसूरत लग रही है मेरी सेक्सी डार्लिंग
आसा सर्म से लाल अभय के गाल पे प्यार से मारते हुवे - अपनी मा को डार्लिंग केहता है
अभय आसा को देख प्यार से - आज से मे आपको प्यार से डार्लिंग हि करुगा बोलिये इज़ाज़त है मुझे
आसा अभय की आखो मे देखते हुवे - इज़ाज़त है
अभय - आई लोव यू डार्लिंग मा
आसा हस्ते हुवे - आई लोव यु तु डार्लिंग बेटा चल अब उठ बहोत काम करने है
अभय उठ जाता है और आसा सारी बाल सही कर दोनो बाहर आते है अभय अदिति के कमरे मे जाके अदिति को देखता है जो आराम से सो रही थी
अभय अदिति के गाल पे किस करते हुवे - गुड मोर्निंग गुरिया उठा जा
image ru
अदिति अंगराई लेते हुवे उठ कर खरी होती है और अभय को प्यार से देखती है फिर अभय के गाल पे किस करते हुवे - गुड मोर्निंग भाई
अभय मुस्कुराते हुवे - चल उठ गई तो मे जाता हु
अभय फिर हल्का होने के बाद 20 मिनट जोगिंग करता है उसके बाद सीधा विजय के घर पहुँच जाता है आगन मे कोमल खाना बना रही थी अभय कोमल को देख - गुड मोर्निंग बंदरिया
कोमल हैरान अभय को देखती फिर मुस्कुराते हुवे - गुड मोर्निंग बंदर
अभय मुस्कुराते हुवे - ऑन्टी कहा है
कोमल मुस्कुराते हुवे - कमरे मे है
अभय कमरे मे जाने लगता है कोमल अभय का जाते देख मन मे - अब पहले जैसा हा गया है बंदर
अभय कमरे मे जाता है तो देखता है मिनिता बिस्तर पे परे कपड़े को फोल्ड कर रख रही थी अभय धीरे से मिनिता के पीछे आके अपने दोनो हाथ से मिनिता के कमर पकर जोर से कस के पकर लेता है
मिनिता डर जाती है उसी के साथ मिनिता के मुह से आह निकल जाती है अभय मुस्कुराते हुवे - गुड मोर्निंग हॉट ऑन्टी
अभय की बात सुन मिनिता मुस्कुराते हुवे- तो तुम हो शैतान
अभय मुस्कुराते हुवे -हा और कोन हो सकता है

अभय पीछे से मिनिता के कमर पकर अपने से सताया हुवा था मिनिता के बाहर निकले बरे गांड और गर्मी अभय अपने लंड पे साफ फिल कर पा रहा था और मिनिता अभय के बाहों मे थी
अभय मिनिता को अपनी तरफ घुमा के मिनिता कि आखो मे देख - सच मे आप बहोत खूबसूरत है रोज देखता हु फिर भी दिल नही भरता

मिनिता सर्म से लाल नजरे नीचे किये - तुम भी ना अभय बेटा
अभय - सच केहता हु ऑन्टी आप बहोत हॉट है
मिनिता सर्म से पानी पानी हो जाती है

अभय मिनिता के होठो को देखने लगता है मिनिता सर्माये अभय को देखे जा रही थी अभय अपना होठ मिनिता के होठ के पास ले जाने लगता है मिनिता ये देख तेज सासे लेने लगती है सर्म से लाल हो जाती है
तभी काजल के साथ हुई घटना याद आते ही अभय पीछे हट जाता है ये देख मिनिता हैरान रेह जाती है और मिनिता को समझते देर नही लगती अभय कियु पीछे हट गया
अभय मुस्कुराते हुवे - विजय कहा गया है
मिनिता अभय को देख - सो रहा है अभी तक उसका रोज का है
अभय हस्ते हुवे - मेरी सादी तक छोर देता हु उसके बाद रोज अपने साथ जोगिग मे लेके जाउंगा
मिनिता मुस्कुराते हुवे - हा जरूर लेके जाना
अभय - अच्छा ऑन्टी मे चलता हु
मिनिता अभय के हाथ पकर् अभय को देख शर्मा के - गीली किस्सी करना है तो कर ले
अभय हैरान मिनिता को बाहों मे लेके - सच्ची
मिनिता शर्म से - हा
मिनिता की मंजूरी मिलते ही अभय अपना होठ मिनिता के पास ले जाने लगता है मिनिता अपनी मुठी कस लेती है सासे तेज दिल की धरकन् तेज चलने लगती है अंदर हलचल होने के साथ मिनिता को अजीब एहसास फीलिंग आने लगती है

मिनिता अभय तेज सासे लेते हुवे अभय की आखो मे देखती है अभय मिनिता की आखो मे दोनो के होठ बिल्कुल पास थे सासे एक दूसरे से टकरा रही थी मिनिता अपना होठ खोल देती है अभय टूट परता है

अभय मिनिता के चेहरे को पकर किस करने लगता है मिनिता भी साथ देती अभय मिनिता के होठ जिब को मुह मे लेने चूस कर पीने लगता है लेकिन जब मिनिता अभय के जिब को चूस कर पीती है तो मिनिता के रोम रोम खरे हो जाते है मिनिता का ये पेहला फ्रेंच किस उसका एहसास अंदर हो रही हलचल किस का लार पीने का स्वाद मिनिता को एक अलग दुनिया मे ले जाता है

मिनिता भी खुद को रोक नही पाती और पुरे जोस से दोनो एक दूसरे के होठ फिर जिब लेके चूसने पीने मे लग जाते है सब भूल के
अभय मिनिता के जिब चूस लार पीते हुवे मन मे - उफ ऑन्टी के होठ लार का रस के स्वाद के किया कहने बहोत मिठा है

मिनिता अभय के जिब चूस लार पीते हुवे मन मे - ये एहसास कैसा है मुझे इतना मजा कभी नही आया क्या इस तरह किस करने से जिब चूस कर लार पीने मे इतना मजा आता है आज पता चला ये किस इसका एहसास मजा सुकून सायद मे भूल ना पाउ

2 मिनट तक दोनो सब भूल कर जी भर के एक दूसरे का होठ जिब चूस कर लार पीते है अब सासे फूलने लगती है तो दोनो अलग होते है लेकिन होठो के होठ मुह से लार निकल एक लकीर बन जाती है
मिनिता सर्म से नजरे नीचे किये जोर जोर से सासे लिये जा रही थी वही अभय मिनिता के बरे चूचे सास लेने की वजह से उपर नीचे होते देख रहा था
अभय सब भूल मिनिता को देख - ऑन्टी आपका सुक्रिया मुझे बहोत मजा आया सच कहु आपके होठो का रस बहोत मिठा था
मिनिता सर्म से लाल - मुझे भी अच्छा लगा लेकिन बेटा किसी को केहना मत
अभय - जैसा आप कहे अच्छा मे चलता हु वैसे भी आज का दिन मेरे लिये बहोत अच्छा दिन रहा
अभय फिर कमरे से बाहर आके कोमल को देख - जा रहा हु बंदरिया खाना अच्छे से बनाना
कोमल खरी होके - रुक
अभय रुक जाता है कोमल अभय के गाल पे किस कर - अब जा
अभय मुस्कुराते हुवे - कभी होठो पे भी दे दिया कर ताकि मेरा भला हो
कोमल अभय के गांड पे लात मारते हुवे - जाके अपनी बीवी का ले कमीना बंदर होठो पे किस चाहिये
गांड पे लात परने से अभय गिरते गिरते अपने आप को बचा के खरा होके कोमल को देख - जा रहा हु भला कर देती तो क्या होता
कोमल गुस्से से अभय की तरफ डोरते हुवे - रुक भला करती हु तेरा
अभय तेजी से बाहर भागते हुवे हस्ते हुवे - रहने दे मत कर भला
अभय भाग जाता है कोमल मुस्कुराते हुवे फिर काम पे लग जाती है वही कमरे मे मिनिता बिस्तर पे लेती हुई किस के बारे मे सोच अपने होठो को छुटे हुवे मन शर्मा के - इस तरह किस करते है अजीब एहसास था पर मजा बहोत आया खास कर लार पीने मे छी मे क्या सोच रही हु
अभय घर आ जाता है
नहाने के बाद रेडी होके खाना खाता है फिर अदिति के कमरे मे जाता है अदिति बिस्तर पे लेती हुई थी अदिति अभय को देख - भाई
अभय अदिति को देख मुस्कुराते हुवे - आजा डांस करते है
अभय कि बात सुन अदिति बहोत खुश हो जाती है और बिस्तर से उठ अभय के पास आके खुश होते हुवे - चलिये सुरु करे
अभय मुस्कुराते हुवे अदिति के कमर को पकर अपनी तरफ खिच अपने से सता के अदिति के उंगली मे उंगली डाल हाथ पकर लेता है अदिति भी अभय के कंधे पे अपना हाथ रख देती है अभय अदिति को देख मुस्कुराते हुवे - सुरु करते है

दोनो भाई बहन अपने पैर आगे पीछे करते हुवे डांस करने लगते है अभय अदिति प्यार से एक दूसरे के आखो मे देखे जा रहे थे ( अभय - मेरी गुरिया चाँद की तरह खूबसूरत है तुम्हारा खूबसूरत मुस्कुराता चेहरा देखता हु तो मेरा दिल खुश हो जाता है तेरा भाई तेरे इस मुस्कुराहत को जाने नही देगा बस मे चाहता हु मेरी गुरिया हमेसा खुश रहे और तेरे लिये मे कुछ भी कर जाउंगा
अदिति इमोसनल होते हुवे अभय को देख - मुझे पता है मेरा भाई मेरे कुछ भी कर सकता है dp devil के कैद से आप हमारे लिये भाग के आ गये ( अदिति अभय के सीने पे सर रख ) मुझे बस आपके बाहों मे आपके मे रेहना है आपके साथ रेहना है आपके प्यार बिना अब जिया नही जायेगा

अभय अदिति के चेहरे को पकर आखो मे देख प्यार से - मे हु ना हमेसा तेरे आगे रहुंगा तु चिंता कियु करती है तू भी मेरी जान है ( अदिति अभय की आखो मे देख) आई लोव यू भाई ( अभय आई लोव यू तु गुरिया ( आसा दरवाजे पे सब देख सुन रही थी आसा आखो से आसु साफ करती है फिर मुस्कुराते हुवे चली जाती है

अदिति अभय से अलग होके एकदम से घूम जाती और नीचे गिरने वाली होती है लेकिन अभय जल्दी से अदिति को बाहों पे पकर लेता है अभय अदिति को देख - गिर जाती तो ( अदिति मुस्कुराते हुवे - मुझे यकीन था आप मुझे गिरने नही देते
quick image upload
अभय अदिति को खरा कर माथे पे किस करते हुवे - सही कहा तेरा भाई जबतक है तुझे कुछ नही होने देगा
अदिति अभय के गाल पे प्यार से किस करते हुवे - हा मुझे पता है भाई
अभय - अब खुश हो ना
अदिति - बहुत खुश
अभय - अच्छा अब मुझे थोरा काम है मुझे जाना होगा
अदिति - ठीक है भाई
अभय कमरे से बाहर निकल आता है अदिति बिस्तर पे लेत जाती है अदिति बहोत खुश थी अपने भाई के साथ डांस कर के
अदिति मन मे - मेरा भाई सबसे बेस्ट है आई लोव यू भाई
अभय आसा के कमरे मे आता है आसा बैठी हुई थी
आसा अभय को देख - हो गया डांस करना
अभय आसा को देख मुस्कुराते हुवे - तो आप देख रही थी
आसा मुस्कुराते हुवे - हा देख लिया मा के साथ डांस नही करेगा
अभय मुस्कुराते हुवे - रात को अभी मा मे कुछ काम से जा रहा हु
आसा मुस्कुराते हुवे - ठीक है जा
अभय फिर बाइक निकाल तेजी से 20 मिनट बाद एक गेट के पास पहुँचता है गेट अपने काम खुल जाता है अभय फिर बाइक लेके अंदर जाता है 2 मिनट बाद फिर एक गेट आता है इस बार एक गार्ड खोलता है जल्दी से अभय फिर सीधा एक बंगलो पे पहुँचता है
pic upload
अभय का नया दो मंजिला घर अभय घर को अच्छे से देखते हुवे अंदर जाता है हर एक कमरे को अच्छे से चेक करता है अभय जैसा कमरा सब के लिये चाहता था वैसा सजा हुआ था बाथरूम किचन सब चेक कर बाहर आता है
अभय का घर चारो तरफ से दीवार से घिरा हुआ है के बगल दीवार के उस पास के जमीन भी अभय ने ले लिया था उस जमीन पे कुछ लीची आम और आमरुद् फुल के पेर अलग अलग लगे हुवे थे आगे कुछ जगह खाली थी तो अभय वहा सविंगपुल बनवा रहा था जो कुछ दिन मे रेडी हो जायेगा बाकी बगीचे मे बैठने के लिये भी
अभय के पास एक बंदा आके - बॉस आप आ गये नीचे सब आपका इंतज़ार कर रहे है
अभय - ठीक है चलो
बंदा आगे आगे अभय पीछे पीछे दोनो बगीचे के आगे कोने साइड आ जाते है उसके बाद बंदा पेर पे एक जगह उंगली दबाता है तभी जमीन के नीचे से एक रास्ता खुल जाता है
अभय बंदा अंदर जाते है अंदर बहोत जयादा जगह थी अभी अंदर मे कुछ 15 लोग थे सभी अभय को देखते थी अभय के सामने झुक कर - आपका सवागत है बॉस
अभय चारो तरफ देखते हुवे - ठीक है बहोत अच्छा काम चल रहा है जैसा मे चाहता था
अभय एक बंदे को देख - सब काम जल्दी पुरा करो ताकि बाकी लोग यहा आ सके फिर अपना काम सुरु करेगे तुम सब बहोत अच्छा कर रहे हो गुड
सभी बंदे - थैंक्स बॉस
अभय जाते हुवे - याद रहे मेरे जमीन पे मेरे इज़ाज़त के बिना कोई पैर रख ना पाये अच्छे है छोर दो गलत इरादे से आते है पता करो उस हिसाब से सजा दो
अभय फिर ऊपर आके बाइक पे बैठ मधु के घर की तरफ निकल परता है
( उदय बंगलो )
कमरे मे आरोही टांगे फैलाई लेती हुई थी उदय तेज तेज धक्का मारते हुवे अपना लंड आरोही की टाइट चुत के अंदर बाहर करते जा रहा था आरोही दर्द मे आखो मे आसु लिये - हा उफ मा मर गई बाहर तेज धक्का मार रहे h दर्द हो रहा है उफ धीरे करिये ना प्लेस

उदय आरोही के चूचे दबाते हुवे तेज धक्का मारते हुवे - बेटी तेज चुदाई मे ही असली मजा है देखो कैसे तेरी चुत पानी बता रही है कमरे मे फट फच् आवाज के साथ ( आरोही आह मा मेरा आने वाला है उफ आ गया अंकल( उदय और तेज धक्का मारता है आरोही दर्द मे बिस्तर पकर कापते हुवे - हा आ गया अब निकलने वाला है मा मर गई करते हुवे आरोही उदय झर जाते है
आरोही हाफते हुवे - उफ दर्द मे मजा दिला देते है
उदय आरोही को देख - तेरी चुत बहोत टाइट गर्म है बेटी किया करू
आरोही मुस्कुराते हुवे - बीवी हु आपकी
उदय मुस्कुराते हुवे - हा लेकिन बेटी केहता हु तो एहसास होता है मे एक जवान कुवारी लरकी की चुत मार रहा हु तो मजा दुगना हो जाता है
आरोही मुस्कुराते हुवे - मेरा भी यही है आपको अंकल केहती हु तो मेरी चुत और पानी बहाने लगती है
आरोही बिस्तर से उतर कपड़े पेहन रेडी होके - बहोत देर हो गई जाना होगा सादी जल्दी करिये ताकि मे आपके साथ हमेसा रहु
उदय मुस्कुराते हुवे - बस कुछ दिन का इंतज़ार कर लो
आरोही जाते हुवे मुस्कुरा के - ठीक है बाय
आरोही जाते हुवे - मेरी चुत पानी पानी कर देते है मजा बहोत मजा आता है उफ
आरोही के जाने के बाद उदय आरोही के पिता जगमोहन को फोन करते हुवे - ससुर जी साम को आ जाइये बताइये कुवारी चाहिये या
जगमोहन - दामाद जी इस बार एक बच्चो की मा जिसके चूचे से दूध आता हो अगर मिल जाती तो मजा आ जाता
उदय मुस्कुराते हुवे - जरूर मिलेगी ससुर जी आपका दामाद है ना साम को आ जाइये
जगमोहन - ठीक है फिर
फोन कट
उदय मुस्कुराते हुवे - मुझे लगा ससुर जी को बदलने मे समय लगेगा लेकिन ससुर जी तो मुझसे भी तेज निकले दूध वाली चुत चाहिये हा हा हा 4 चुत मे ही असली रंग मे आ गये
उदय एक बंदे को फोन कर - हा जवान नही दूध वाली समझ गये
बंदा - जी सर हो जायेगा
मधु के घर
अभय मधु के घर पहुँच अंदर जाता है आगन मे मधु कमरे रस्सी पे डाल रही होती है अभय मधु को देख - क्या बात है मेरी गुरिया कपड़े धो रही है
अभय की आवाज सुनते ही मधु खुश हो जाती है और अभय को देख मुस्कुराते हुवे - करना परेगा ना भाई घर का काम
अभय मुस्कुराते हुवे - हा करना तो परेगा
मधु जल्दी से सारे कमरे डाल हाथ साफ कर अभय के पास आती है अभय मधु के कमर पकर अपने से सता लेता है मधु अभय से चिपक जाती है

अभय मधु की आखो मे देख - मुझे लगा आज फिर वो सीन देखने के लिये मिलेगा लेकिन फिर देर हो गई
मधु अभय को देख शर्मा के - गंदा भाई
अभय मधु को गोदी मे उठा लेता है मधु हैरान सर्म से अभय को देखने लगती है अभय मुस्कुराते हुवे मधु को कमरे मे ले जाता है और बिस्तर पे लेता के मधु के ऊपर आके मधु को देखने लगता है मधु सर्म से अभय को देखने लगती है
अभय मधु को देख - बताओ गुरिया तुम्हे कैसा लरका पसंद है मे तेरी सादी जैसे लरके से ही करवाउंगा
मधु अभय को देख शर्मा - भाई अभी अदिति दीदी की सादी होगी फिर बटाउगी
अभय मधु के ऊपर से नीचे मधु के साइड लेत जाता है मधु अभय के ऊपर आके लेत जाती है अभय मधु को पकर - चलो अच्छा है
तभी सिला खेत से आ जाती है अभय मधु बाहर आते है सिला अभय को देख - क्या बात है भाई बेहन पहले से ही लगे हुवे है
अभय सिला को बाहों मे लेके - अब आपसे लग जाउंगा उसमे क्या है सिला हस्ते हुवे - ये बता तैयारी कैसी चल रही है
अभय - अभी समय है लेकिन बाकी तैयारी चल रही है
सिला- इंतज़ार नही होता मुझे तो तुझे दुल्हे के रूप मे देखना है
मधु मुस्कुराते हुवे - मुझे भी मा भईया की सादी मे खूब मजा आने वाला है
सिला हस्ते हुवे - हा वो तो है
अभय सिला के गाल पे किस करते हुवे - हा जल्दी ही आप देखोगी मुझे दुल्हे पे रूप मे
अभय फिर 20 मिनट तक बाते करता है और फिर अपने घर की तरफ जाने लगता है तभी अभय को कुछ याद आता है और अभय मुस्कुराते हुवे बाजार जाता है ज्वेलरी स्टोर मे जाके अभय सबसे अच्छा दिखने वाला चोवाइस करने लगता है
अभय मन मे - ये मा मे अच्छा लगेगा जचेगा भी मे सोच कर ही केह सकता हु मा कैसी लगेगी बाकियो के लिये मे शोपिंग करने जायेंगे तब लूंगा
अभय पैसा पे कर बाइक पे बैठ घर आ जाता है
दोपहर 1 बज रहे थे अभय अदिति मा से बात करते हुवे सब सो जाते है साम तीन बजे अभय बाकी कुछ काम करने के लिये कुछ लोगो से मिलने जाता है इसी मे आते वक़्त साम हो जाती है
आँगन मे अदिति खाना बनाने मे लग जाती है आसा अभय खटिये पे बैठ थे बाते भी चल रही है
आसा - बेटा गारी खाना पंडाल बाजा के लिये सब को पहले से केह दिया है ना
अभय - हा मा मेने केह दिया है आप चिंता मत करो
आसा - अच्छा है सादी की खरीदारी भी करनी है
अभय - चिंता मत कीजिये मेने सोच लिया है सब साथ मे जाके खरीदारी कर देगे
आसा - हा मे कोई कमी नही चाहती मेरे बच्चे की सादी धूम धाम से देखना चाहती हु
अभय आसा को गले लगा के - जरूर मा आप जैसा कहेगी वैसा होगा
अदिति रोने सी आवाज मे अभय आसा को देख - भाभी होती तो मे भी आपके गोद मे बैठी बाते कर रही होती लेकिन देखो खाना बना रही हु
आसा अभय अदिति की बात पे हसने लगते है
रात 8 बजे
मिनिता रोज की तरह आती है कोमल विजय भी साथ मे थे
अभय मिनिता को देख मुस्कुरा देता है मिनिता थोरि शर्मा जाती है
आसा मुस्कुराते हुवे - आओ आओ बैठो
चटाई बिछाई जाती है सब नीचे बैठ जाते है
कोमल मधु बाते करने लगते है
अभय विजय अपने मे
सिला मिनिता अपने मे
मिनिता - दीदी जल्दी ही बेटे को दुल्हे के रूप मे देखेंगे
आसा मुस्कुराते हुवे - हा इंतज़ार नही होता
मिनिता हस्ते हुवे - इंतज़ार तो अभय बेटा को करना मुश्किल हो रहा होगा
आसा मिनिता की बात समझ मिनिता को गाल पे मारते हुवे - बेशर्म
अभय - तो क्या चल रहा है
विजय - भाई आपके घर से 10 मिनट की दूरी पे घर मिल गया है तो मेने ले लिया
अभय - बहोत अच्छा किया कब जाने का ईरादा है नये घर मे
विजय - भाई जब आप नये घर मे सिफ्ट हो जाओगे उसके बाद
अभय - अच्छा है
विजय - भाई अपने उस जगह को देख आये
अभय - हा आज गया था
विजय - कैसा लगा आपको काम
अभय- बहोत अच्छा है
कोमल - तो भाभी ना होने पे खाना बनाना पर रहा है
अदिति मुस्कुराते हुवे - हा लेकिन मे खुश भी हु अपने हाथो का बना खाना भाई को खिलाने मे खुशी होती है
कोमल मुस्कुराते हुवे - तु पूरी भाई की दीवानी है
अदिति - ये भी कहने की बात है
बाते करते करते 9. बज जाते है खाना खाने का वक़्त
मिनिता कोमल विजय जाने के लिये रेडी थे
मिनिता - अच्छा दीदी हम चलते है
आसा - हा ठीक है
मिनिता अभय को देखती है अभय मिनिता को फिर जाने लगते है
कोमल अभय को देख - जा रही हु बंदर
अभय मुस्कुराते हुवे - जा ना बंदरिया
आसा हस्ते हुवे - कोमल बेटी को बंदरिया बुलाता है
अभय हस्ते हुवे - वो भी तो मुझे बंदर बुलाती है
अदिति फिर खाना निकालती है आसा अभय अदिति खाना खाते है फिर कमरे मे आ जाते है
अभय कमरे मे आके कपड़े बदल कर मा के लिये जो लाया था लेके आसा के कमरे की तरफ जाने लगता है
आज के लिये इतना ही




