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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

parkas

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#144.

सुयश ने उस कील से खोपड़ी की माला उतार ली। माला उतारने के बाद, वह कील थोड़ी सी ऊपर की ओर खिसक गई, पर सुयश इस बदलाव को देख नहीं पाया।

सुयश ने खोपड़ी वाली माला को उलट-पुलट कर देखा, पर उसमें कुछ भी विचित्र नहीं था।

काफी देर तक ऐसे ही झोपड़ी में घूमने के बाद भी, किसी को ऐसा कोई सुराग नहीं मिला, जिससे यह पता चल पाता कि झोपड़ी कैसे उड़ेगी?

“कैप्टेन, क्यों ना इस काँच के बर्तन में भी हाथ डालकर उन मछलियों को देखें? क्या पता उनमें कुछ रहस्य छिपा हो।” तौफीक ने कहा।

सुयश की बात सुन जेनिथ ने आगे बढ़कर पहले उस नीलकमल को निकाल लिया, पर नीलकमल को निकालते ही झोपड़ी ऊपर की ओर हवा में उड़ने लगी।

यह देख सभी जमीन पर बैठ गये

“यह कैसे संभव हुआ? इस फूल को तो पहले भी हम निकाल कर देख चुके थे, तब तो कुछ नहीं हुआ था।” ऐलेक्स ने आश्चर्य से उस फूल की ओर देखते हुए कहा।

झोपड़ी अब हवा में नाच रही थी, पर अब उसे जमीन पर उतारना किसी को नहीं आता था। झोपड़ी के उड़ने से, इन्हें झटके नहीं लग रहे थे।

जब कुछ देर तक झोपड़ी को उड़ते हुए हो गया, तो सुयश बोल उठा- “लगता है कि इस झोपड़ी को उतारना भी हमें ही पड़ेगा।....जेनिथ तुम फूल को अपनी जगह पर वापस रख दो।”

जेनिथ ने फूल को वापस रख दिया, फिर भी झोपड़ी का उड़ना बंद नहीं हुआ। जेनिथ ने यह देख फूल को थोड़ा हिला-डुला कर देखा।

पर जेनिथ के फूल को हिलाते ही, झोपड़ी एक ही जगह पर गोल-गोल नाचने लगी।

यह देख सुयश उस नीलकमल के पास आकर ध्यान से उस फूल को देखने लगा।

“यह पूरा सिस्टम किसी मशीन की तरह काम कर रहा है।” सुयश ने कहा- “जैसे कि कोई कार। अब अगर ध्यान दें तो उस मटकी का पानी इस झोपड़ी का फ्यूल का काम कर रहा है, यह फूल इस झोपड़ी का स्टेयरिंग है। हम इस फूल को जिस दिशा में घुमा रहें हैं, यह झोपड़ी उस दिशा में घूम जा रही है। फिर तो काँच में मौजूद यह द्रव्य इंजन ऑयल की तरह होगा। इसका साफ मतलब है कि कहीं ना कहीं इस झोपड़ी को स्टार्ट करने वाला इग्नीशन भी रहा होगा, जिससे हमने अंजाने में ही, इस झोपड़ी को आसमान में उड़ा दिया। पर कहां?”

इतना कहकर सुयश अपने हाथ में पकड़ी, उस खोपड़ी की माला को देखने लगा। कुछ पल सुयश ने सोचा और उस खोपड़ी की माला को उसी कील पर टांग दिया।

माला के कील पर टंगते ही झोपड़ी जमीन पर उतर गई। अब झोपड़ी के दरवाजे के सामने पोसाईडन की मूर्ति दिखाई दे रही थी।

पोसाईडन की मूर्ति के पैर में एक बड़ा सा दरवाजा खुला हुआ दिखाई दे रहा था।

“लगता है कि हमें उस पोसाईडन की मूर्ति के, पैर में बने दरवाजे से, अंदर की ओर जाना है।” तौफीक ने बाहर की ओर देखते हुए कहा।

ऐलेक्स ने जैसे ही झोपड़ी के दरवाजे से बाहर जाने के अपना कदम बाहर की ओर बढ़ाया ।

एकाएक क्रिस्टी ने ऐलेक्स का हाथ जोर से अंदर की ओर खींचा।

ऐलेक्स झोपड़ी के अंदर आ गिरा और क्रिस्टी को अजीब सी नजरों से घूरने लगा।

“क्या हुआ क्रिस्टी? तुमने ऐलेक्स के साथ ऐसा क्यों किया?” सुयश ने भी क्रिस्टी को घूरते हुए पूछा।

“कैप्टेन, जब ऐलेक्स ने अपना पैर बाहर की ओर निकाला, तो उसका पैर बाहर दिखाई नहीं दिया, इसी लिये मैंने ऐलेक्स को अंदर की ओर खींचा था।” क्रिस्टी के शब्द पूरी तरह से रहस्य से भरे नजर आ रहे थे।

“मैं कुछ समझा नहीं ।” ऐलेक्स को भी क्रिस्टी की बातें समझ में नहीं आयी- “तुम कहना क्या चाहती हो क्रिस्टी?”

“आओ, दिखाती हूं तुम्हें।” यह कहकर क्रिस्टी ने ऐलेक्स को सहारा देकर जमीन से उठाया और उसे लेकर झोपड़ी के द्वार के पास पहुंच गयी।

“अब जरा एक बार फिर अपना पैर झोपड़ी से बाहर निकालो ऐलेक्स।” क्रिस्टी ने कहा।

ऐलेक्स ने क्रिस्टी के कहे अनुसार अपना एक पैर बाहर निकाला, पर ऐलेक्स को अपना पैर द्वार से बाहर कहीं दिखाई नहीं दिया।

यह देख ऐलेक्स ने घबरा कर अपना पैर वापस अंदर की ओर खींच लिया।

“यह कौन सी परेशानी है? यह दरवाजा हमें कहां ले जा रहा है?” सुयश ने कहा।

“कैप्टेन अंकल, शायद यह द्वार हमें तिलिस्मा में नहीं बल्कि कहीं और ले जा रहा है।” शैफाली ने अपना तर्क दिया।

“तो फिर क्या हम सामने दिख रहे तिलिस्म में प्रवेश नहीं कर सकते?” जेनिथ ने कहा।

“कुछ तो गड़बड़ है, जो हमें समझ में नहीं आ रहा?” सुयश का दिमाग तेजी से चलने लगा- “कहीं ऐसा तो नहीं कि हमें तिलिस्मा में घुसने के लिये कोई कार्ड या फिर गेट पास जैसी कोई चीज चाहिये, क्यों कि
तिलिस्मा में हमें ले तो यही झोपड़ी जायेगी।”

“कैप्टेन अंकल क्या पता हमें झोपड़ी में मौजूद किसी सामान को लेकर तिलिस्मा में जाना हो?” शैफाली ने कहा- “अगर आप कहें तो ये भी ट्राई करके देख लें।”

“चलो यह भी करके देख लेते हैं।” सुयश ने कहा- “सबसे पहले इस मटकी को ले चलते हैं क्यों कि जब पंख को पानी पिलाने के बाद खिड़की गायब हो गई, तो मटकी क्यों नहीं हुई। इसका मतलब मटकी का काम अभी झोपड़ी से खत्म नहीं हुआ है।”

यह कहकर सुयश ने मटकी तौफीक को पकड़ा कर बाहर निकलने की ओर इशारा किया।

तौफीक ने मटकी को लेकर झोपड़ी से निकलने की कोशिश की। पर वह बाहर नहीं जा पाया।

इसके बाद उसने फूल को ट्राई किया, फिर भी वो सफल नहीं हुआ। अब फूल को यथा स्थान रखकर तौफीक ने खोपड़ी की माला उतार ली।

तौफीक उस खोपड़ी की माला को जैसे लेकर निकलने चला, वह आसानी से बाहर निकल गया।

यह देख सबकी जान में जान आयी।

“तो इस खोपड़ी की माला को लेकर बाहर निकलना था।” सुयश ने हंसकर कहा- “यही है तिलिस्मा का गेट पास।“

अब तौफीक ने खोपड़ी को वापस अंदर की ओर फेंक दिया। इस बार शैफाली खोपड़ी लेकर बाहर निकल गयी।

उसके बाद फिर क्रिस्टी, फिर ऐलेक्स और फिर जेनिथ। जेनिथ ने बाहर निकलकर खोपड़ी को वापस अंदर की ओर फेंक दिया।

पर सुयश ने जब बाहर निकलने की कोशिश की तो इस बार उसे करंट का झटका लगा। तयह देख सुयश हैरान हो गया।

“इस माला ने सबको निकाल दिया, पर यह माला मुझे बाहर लेकर क्यों नहीं जा रही है?” सुयश मन ही मन बड़बड़ा उठा।

तभी तौफीक ने सुयश को बाहर ना निकलते देख पूछ लिया- “क्या हुआ कैप्टेन आप बाहर क्यों नहीं आ रहे हैं?”

सुयश ने तौफीक को भी परेशानी बता दी।

यह सुन तौफीक अंदर की ओर वापस आने चला, पर उसे करंट का झटका लगा, जिसका साफ मतलब था कि बाहर आया हुआ कोई भी व्यक्ति अब अंदर नहीं जा सकता।

यानि कि सुयश को अपनी परेशानी स्वयं ही समाप्त करनी थी। सुयश लगातार सोच रहा था।

तभी उसकी नजर उस कील पर गई, जिस पर वह खोपड़ी की माला लटकी थी।

सुयश अब वहां जाकर ध्यान से उस कील को देखने लगा। कील को छूने पर सुयश को वह कील हिलती हुई दिखाई दी।

अब सुयश इस मायाजाल को समझ गया था।

“तो ये बात है, इस खोपड़ी की माला को उतारते ही यह कील ऊपर की ओर हो जाती है, यानि यही इस झोपड़ी का इग्नीशन है, जो कि इसे उड़ाने में सहायक है। यानि कि मैं बिना माला टांगे यहां से बाहर नहीं जा सकता और बिना इस माला को लिये भी मैं बाहर नहीं जा सकता। ...... हे भगवान अब ये कैसा मायाजाल है?” अब सुयश परेशान हो उठा।

“कैसे....आखिर कैसे यह संभव है?”

तभी सुयश को सामने पड़ी मटकी दिखाई दी।

उसे तुरंत अपने ही बोले शब्द याद आ गये कि मटकी का कार्य अगर खत्म हो जाता तो मटकी भी गायब हो गई होती।

यह ध्यान कर सुयश की आँखें खुशी से चमकने लगीं।

उसने एक हाथ में खोपड़ी और दूसरे हाथ में मटकी लेकर दोनों का वजन किया। दोनों का ही वजन लगभग एक समान ही था।

अब सुयश ने सोने के डोंगे में बंधे धागे को खोलकर उस धागे से मटकी को बांधकर, उसे भी खोपड़ी की माला जैसा बना दिया।

अब सुयश ने खोपड़ी की माला को उतारकर अपने गले में पहन लिया। इसके बाद उस मटकी की माला को उस कील पर टांग दिया।

मटकी को कील पर टांगते ही कील वापस नीचे आ गई।

अब सुयश मुस्कुराया और झोपड़ी के द्वार की ओर चल दिया। वह समझ गया था कि दीवार पर खोपड़ी की माला टंगे रहना जरुरी नहीं था, बल्कि उस कील का नीचे झुके रहना जरुरी था।

सुयश ने अपना एक पैर बाहर निकाला और फिर पूरा का पूरा बाहर निकल गया। सभी सुयश को बाहर निकलते देखकर खुश हो गये।

तभी झोपड़ी हवा में गायब हो गई और झोपड़ी के अंदर रखा वह पत्थर, काँच के बर्तन, मछली और नीलकमल पोसाईडन के पैर में बने दरवाजे में समा गया।

सभी ने एक दूसरे को देखकर, फिर हाथ मिलाये और एकता की शक्ति का मूलमंत्र दोहराते हुए पोसाईडन पर्वत के पैर में बने दरवाजे की ओर बढ़ चले।

यह वो साधारण मनुष्य थे, जिनके पास हिम्मत, विश्वास, बुद्धि, ज्ञान और सबसे बढ़कर कभी ना झुकने का हौसला था।

उन्हें डर नहीं था, देवताओं की उन शक्ति से भी, जो तिलिस्मा के अंदर मौत बनकर बैठी उनका इंतजार कर रहीं थीं।

वह सभी तिलिस्मा की ओर ऐसे बढ़ रहे थे, जैसे कुछ मतवाले हाथियों का झुण्ड लहलहाते हुए गन्ने के खेत की ओर बढ़ता है।

प्रश्नमाला

दोस्तों जैसा कि आप देख रहे हैं कि यह कथानक बहुत तेजी से बढ़ता जा रहा है और हर पेज पर आपके दिमाग एक नया प्रश्न खड़ा करता जा रहा है। प्रश्नों की संख्या अब इतनी ज्यादा हो चुकी है कि अब
वह मस्तिष्क में एकत्रित नहीं हो पा रहे हैं।

तो क्यों न इन सारे प्रश्नों को एक जगह पर एकत्रित कर लें-
1) क्या वेगा अराका द्वीप के बारे में सबकुछ जानता था?
2) ‘अटलांटिस का इतिहास’ नामक किताब ‘लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस' में कैसे पहुची? क्या इसके लेखक वेगा के बाबा कलाट ही थे? क्या इस किताब से और भी राज आगे खुले?
3) क्या वेगा को सम्मोहन आता था?
4) नीलाभ अब कहां गायब हो गया था? उसके पास कैसी शक्तियां थीं?
5) माया से विदा लेने के बाद मेरोन और सोफिया का क्या हुआ?
6) ट्रांस अंटार्कटिक के पहाड़ों में दबा शलाका का महल असल में क्या था?
7) हनुका कौन था? ...देव ने नीलाभ के विवाह में उपहार स्वरुप हनुका को क्यों दिया?
8) क्या थी वह जीवशक्ति और वृक्षशक्ति जिससे मैग्ना ने मायावन का निर्माण किया था?
9) क्या जेनिथ सुयश के सामने तौफीक का राज खोल पायी?
10) पंचशूल का निर्माण किसने और क्यों किया था?
11) क्रिस्टी को नदी की तली से मिली, वह काँच की पेंसिल कैसी थी?
12) हवा के गोले में समाने के बाद गोंजालो का क्या हुआ?
13) कैस्पर के समुद्री घोड़े जीको का क्या रहस्य था? वह उड़ने वाला घोड़ा कैसे बन जाता था?
14) क्या देवी शलाका के भाइयों के पास सच में कोई शक्ति थी?
15) शैफाली को मैग्ना की ड्रेस तक पहुंचाने वाली पेंग्विन और डॉल्फिन क्या थीं?
16) धरा के भाई विराज के बारे में वेगा कैसे जान गया था? वेगा को वीनस की भी सारी बातें पता थीं। तो क्या वेगा के पास और भी कोई शक्ति थी?
17) काँच के अष्टकोण में बंद वह छोटा बालक कौन था? जिसका चित्र देखकर सुयश को कुछ आवाजें सुनाई देनें लगीं थीं?
18) वेदांत रहस्यम् में ऐसे कौन से राज छिपे थे? जिसके कारण शलाका सुयश को वह किताब पढ़ने नहीं दे रही थी?
19) लुफासा की इच्छाधारी शक्ति का क्या रहस्य था?
20) सीनोर राज्य में मकोटा ने पिरामिड क्यों बनवाया था?
21) मकोटा के द्वारा आकृति को दिये ‘नीलदंड’ में क्या विशेषताएं थीं?
22) आकृति का चेहरा शलाका से कैसे मिलने लगा? वह पिछले 5000 वर्षों से जिंदा कैसे है?
23) ऐमू के अमरत्व का क्या राज है?
24) जैगन का सेवक गोंजालो का क्या राज है? सीनोर राज्य में उसकी मूर्ति क्यों लगी है?
25) क्या सनूरा की शक्तियों का राज एक रहस्यमय बिल्ली है?
26) आकृति वेदांत रहस्यम् क्यों छीनना चाह रही थी?
27) आर्यन ने स्वयं अपनी मौत का वरण क्यों किया था?
28) आकृति शलाका के चेहरे से क्यों परेशान है?
29) मैग्ना का ड्रैगन, लैडन नदी की तली में क्यों सो रहा था? मेलाइट उसे क्यों जगाना चाहती थी?
30) पृथ्वी की ओजोन लेयर कैसे टूट गयी थी?
31) 3 आँख और 4 हाथ वाले उस विचित्र जीव का क्या रहस्य था? कैस्पर की शक्तियां इस्तेमाल करके उसे किसने बनाया था?
32) सुर्वया की दिव्यदृष्टि का क्या रहस्य था?
33) ब्रह्मकलश के अमरत्व का क्या रहस्य था?
34) आकृति सुनहरी ढाल क्यों प्राप्त करना चाहती थी?
35) वुल्फा कौन था? क्या उसमें भी शैतानी शक्तियां थीं?
36) उड़नतश्तरी के अंदर मौजूद 6 फुट का हरा कीड़ा बाकी कीड़ों से अलग क्यों था? वह इंसानों की तरह कैसे चल रहा था?
37) मकोटा के सर्पदंड का क्या रहस्य था?
38) सामरा राज्य पर स्थित अटलांटिस वृक्ष का क्या रहस्य है? उसने किस प्रकार युगाका को वृक्षशक्ति दी?
39) सागरिका, वेगिका, अग्निका आदि चमत्कारी पुस्तकों का क्या रहस्य था?
40) कैसा था तिलिस्मा? उसमें कौन सी मुसीबतें छिपीं थीं?
41) क्या तिलिस्मा में घुसे सभी लोग तिलिस्मा को पार कर काला मोती प्राप्त कर सके?
42) क्या माया कैस्पर को उसकी असलियत बता पायी?

ऐसे ही ना जाने कितने सवाल होंगे जो आपके दिमाग में घूम रहे होंगें।

तो दोस्तों इन सारे अनसुलझे सवालों के जवाब हम इस समय नहीं दे पा रहे हैं। तो इंतजार कीजिए हमारे इसके अगले चैप्टर का जिसमें हम आपको ले चलेंगे, इस तिलिस्म के एक ऐसे अद्भुत संसार में, जहां पर छिपी तिलिस्मी मौत बेसब्री से अपने शिकार का इंतजार कर रही है।....................

दोस्तों इन्द्रधनुष के रंगों की मांनिद होती है एक लेखक की रचनाएं। जिस प्रकार इन्द्रधनुष में सात रंग होते हैं, ठीक उसी प्रकार लेखक की रचनाओं में भी सात रंग पाये जाते हैं। हर रंग अपने आप में एक अलग पहचान रखता है।

एक उच्चस्तरीय लेख लिखने के लिए सबसे पहले एक सम्मोहक कथानक की आवश्यकता होती है, फिर इसके एक एक पात्र को मनका समझकर माला में पिरोया जाता है, जिससे पाठकों को हर एक पात्र के जीवंत दर्शन हो सके।

फिर कल्पना के असीम सागर में डुबकी लगाकर मोतियों की तरह एक एक शब्द को चुनकर उनके भावों को अभिव्यक्त करना पड़ता है। तब कहीं जाकर तैयार होती है एक लेखक की रचना।

दोस्तों इस कथा को लिखने में बहुत मेहनत और शोध लगा है। अगर आपको यह कथा अच्छी लगी, तो कृपया इसको रिव्यू देना ना भूलें। आपका यह छोटा सा प्रयास मुझे और अच्छा लिखने के लिये प्रेरित करेगा।

"दूसरों को बनाने में तमाम उम्र गुजारी है,
पंख नये हैं पर अब मेरे उड़ने की बारी है“



जारी ररहेगा_______✍️
Bahut hi shaandar update diya hai Raj_sharma bhai....
Nice and lovely update....
 

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#144.

सुयश ने उस कील से खोपड़ी की माला उतार ली। माला उतारने के बाद, वह कील थोड़ी सी ऊपर की ओर खिसक गई, पर सुयश इस बदलाव को देख नहीं पाया।

सुयश ने खोपड़ी वाली माला को उलट-पुलट कर देखा, पर उसमें कुछ भी विचित्र नहीं था।

काफी देर तक ऐसे ही झोपड़ी में घूमने के बाद भी, किसी को ऐसा कोई सुराग नहीं मिला, जिससे यह पता चल पाता कि झोपड़ी कैसे उड़ेगी?

“कैप्टेन, क्यों ना इस काँच के बर्तन में भी हाथ डालकर उन मछलियों को देखें? क्या पता उनमें कुछ रहस्य छिपा हो।” तौफीक ने कहा।

सुयश की बात सुन जेनिथ ने आगे बढ़कर पहले उस नीलकमल को निकाल लिया, पर नीलकमल को निकालते ही झोपड़ी ऊपर की ओर हवा में उड़ने लगी।

यह देख सभी जमीन पर बैठ गये

“यह कैसे संभव हुआ? इस फूल को तो पहले भी हम निकाल कर देख चुके थे, तब तो कुछ नहीं हुआ था।” ऐलेक्स ने आश्चर्य से उस फूल की ओर देखते हुए कहा।

झोपड़ी अब हवा में नाच रही थी, पर अब उसे जमीन पर उतारना किसी को नहीं आता था। झोपड़ी के उड़ने से, इन्हें झटके नहीं लग रहे थे।

जब कुछ देर तक झोपड़ी को उड़ते हुए हो गया, तो सुयश बोल उठा- “लगता है कि इस झोपड़ी को उतारना भी हमें ही पड़ेगा।....जेनिथ तुम फूल को अपनी जगह पर वापस रख दो।”

जेनिथ ने फूल को वापस रख दिया, फिर भी झोपड़ी का उड़ना बंद नहीं हुआ। जेनिथ ने यह देख फूल को थोड़ा हिला-डुला कर देखा।

पर जेनिथ के फूल को हिलाते ही, झोपड़ी एक ही जगह पर गोल-गोल नाचने लगी।

यह देख सुयश उस नीलकमल के पास आकर ध्यान से उस फूल को देखने लगा।

“यह पूरा सिस्टम किसी मशीन की तरह काम कर रहा है।” सुयश ने कहा- “जैसे कि कोई कार। अब अगर ध्यान दें तो उस मटकी का पानी इस झोपड़ी का फ्यूल का काम कर रहा है, यह फूल इस झोपड़ी का स्टेयरिंग है। हम इस फूल को जिस दिशा में घुमा रहें हैं, यह झोपड़ी उस दिशा में घूम जा रही है। फिर तो काँच में मौजूद यह द्रव्य इंजन ऑयल की तरह होगा। इसका साफ मतलब है कि कहीं ना कहीं इस झोपड़ी को स्टार्ट करने वाला इग्नीशन भी रहा होगा, जिससे हमने अंजाने में ही, इस झोपड़ी को आसमान में उड़ा दिया। पर कहां?”

इतना कहकर सुयश अपने हाथ में पकड़ी, उस खोपड़ी की माला को देखने लगा। कुछ पल सुयश ने सोचा और उस खोपड़ी की माला को उसी कील पर टांग दिया।

माला के कील पर टंगते ही झोपड़ी जमीन पर उतर गई। अब झोपड़ी के दरवाजे के सामने पोसाईडन की मूर्ति दिखाई दे रही थी।

पोसाईडन की मूर्ति के पैर में एक बड़ा सा दरवाजा खुला हुआ दिखाई दे रहा था।

“लगता है कि हमें उस पोसाईडन की मूर्ति के, पैर में बने दरवाजे से, अंदर की ओर जाना है।” तौफीक ने बाहर की ओर देखते हुए कहा।

ऐलेक्स ने जैसे ही झोपड़ी के दरवाजे से बाहर जाने के अपना कदम बाहर की ओर बढ़ाया ।

एकाएक क्रिस्टी ने ऐलेक्स का हाथ जोर से अंदर की ओर खींचा।

ऐलेक्स झोपड़ी के अंदर आ गिरा और क्रिस्टी को अजीब सी नजरों से घूरने लगा।

“क्या हुआ क्रिस्टी? तुमने ऐलेक्स के साथ ऐसा क्यों किया?” सुयश ने भी क्रिस्टी को घूरते हुए पूछा।

“कैप्टेन, जब ऐलेक्स ने अपना पैर बाहर की ओर निकाला, तो उसका पैर बाहर दिखाई नहीं दिया, इसी लिये मैंने ऐलेक्स को अंदर की ओर खींचा था।” क्रिस्टी के शब्द पूरी तरह से रहस्य से भरे नजर आ रहे थे।

“मैं कुछ समझा नहीं ।” ऐलेक्स को भी क्रिस्टी की बातें समझ में नहीं आयी- “तुम कहना क्या चाहती हो क्रिस्टी?”

“आओ, दिखाती हूं तुम्हें।” यह कहकर क्रिस्टी ने ऐलेक्स को सहारा देकर जमीन से उठाया और उसे लेकर झोपड़ी के द्वार के पास पहुंच गयी।

“अब जरा एक बार फिर अपना पैर झोपड़ी से बाहर निकालो ऐलेक्स।” क्रिस्टी ने कहा।

ऐलेक्स ने क्रिस्टी के कहे अनुसार अपना एक पैर बाहर निकाला, पर ऐलेक्स को अपना पैर द्वार से बाहर कहीं दिखाई नहीं दिया।

यह देख ऐलेक्स ने घबरा कर अपना पैर वापस अंदर की ओर खींच लिया।

“यह कौन सी परेशानी है? यह दरवाजा हमें कहां ले जा रहा है?” सुयश ने कहा।

“कैप्टेन अंकल, शायद यह द्वार हमें तिलिस्मा में नहीं बल्कि कहीं और ले जा रहा है।” शैफाली ने अपना तर्क दिया।

“तो फिर क्या हम सामने दिख रहे तिलिस्म में प्रवेश नहीं कर सकते?” जेनिथ ने कहा।

“कुछ तो गड़बड़ है, जो हमें समझ में नहीं आ रहा?” सुयश का दिमाग तेजी से चलने लगा- “कहीं ऐसा तो नहीं कि हमें तिलिस्मा में घुसने के लिये कोई कार्ड या फिर गेट पास जैसी कोई चीज चाहिये, क्यों कि
तिलिस्मा में हमें ले तो यही झोपड़ी जायेगी।”

“कैप्टेन अंकल क्या पता हमें झोपड़ी में मौजूद किसी सामान को लेकर तिलिस्मा में जाना हो?” शैफाली ने कहा- “अगर आप कहें तो ये भी ट्राई करके देख लें।”

“चलो यह भी करके देख लेते हैं।” सुयश ने कहा- “सबसे पहले इस मटकी को ले चलते हैं क्यों कि जब पंख को पानी पिलाने के बाद खिड़की गायब हो गई, तो मटकी क्यों नहीं हुई। इसका मतलब मटकी का काम अभी झोपड़ी से खत्म नहीं हुआ है।”

यह कहकर सुयश ने मटकी तौफीक को पकड़ा कर बाहर निकलने की ओर इशारा किया।

तौफीक ने मटकी को लेकर झोपड़ी से निकलने की कोशिश की। पर वह बाहर नहीं जा पाया।

इसके बाद उसने फूल को ट्राई किया, फिर भी वो सफल नहीं हुआ। अब फूल को यथा स्थान रखकर तौफीक ने खोपड़ी की माला उतार ली।

तौफीक उस खोपड़ी की माला को जैसे लेकर निकलने चला, वह आसानी से बाहर निकल गया।

यह देख सबकी जान में जान आयी।

“तो इस खोपड़ी की माला को लेकर बाहर निकलना था।” सुयश ने हंसकर कहा- “यही है तिलिस्मा का गेट पास।“

अब तौफीक ने खोपड़ी को वापस अंदर की ओर फेंक दिया। इस बार शैफाली खोपड़ी लेकर बाहर निकल गयी।

उसके बाद फिर क्रिस्टी, फिर ऐलेक्स और फिर जेनिथ। जेनिथ ने बाहर निकलकर खोपड़ी को वापस अंदर की ओर फेंक दिया।

पर सुयश ने जब बाहर निकलने की कोशिश की तो इस बार उसे करंट का झटका लगा। तयह देख सुयश हैरान हो गया।

“इस माला ने सबको निकाल दिया, पर यह माला मुझे बाहर लेकर क्यों नहीं जा रही है?” सुयश मन ही मन बड़बड़ा उठा।

तभी तौफीक ने सुयश को बाहर ना निकलते देख पूछ लिया- “क्या हुआ कैप्टेन आप बाहर क्यों नहीं आ रहे हैं?”

सुयश ने तौफीक को भी परेशानी बता दी।

यह सुन तौफीक अंदर की ओर वापस आने चला, पर उसे करंट का झटका लगा, जिसका साफ मतलब था कि बाहर आया हुआ कोई भी व्यक्ति अब अंदर नहीं जा सकता।

यानि कि सुयश को अपनी परेशानी स्वयं ही समाप्त करनी थी। सुयश लगातार सोच रहा था।

तभी उसकी नजर उस कील पर गई, जिस पर वह खोपड़ी की माला लटकी थी।

सुयश अब वहां जाकर ध्यान से उस कील को देखने लगा। कील को छूने पर सुयश को वह कील हिलती हुई दिखाई दी।

अब सुयश इस मायाजाल को समझ गया था।

“तो ये बात है, इस खोपड़ी की माला को उतारते ही यह कील ऊपर की ओर हो जाती है, यानि यही इस झोपड़ी का इग्नीशन है, जो कि इसे उड़ाने में सहायक है। यानि कि मैं बिना माला टांगे यहां से बाहर नहीं जा सकता और बिना इस माला को लिये भी मैं बाहर नहीं जा सकता। ...... हे भगवान अब ये कैसा मायाजाल है?” अब सुयश परेशान हो उठा।

“कैसे....आखिर कैसे यह संभव है?”

तभी सुयश को सामने पड़ी मटकी दिखाई दी।

उसे तुरंत अपने ही बोले शब्द याद आ गये कि मटकी का कार्य अगर खत्म हो जाता तो मटकी भी गायब हो गई होती।

यह ध्यान कर सुयश की आँखें खुशी से चमकने लगीं।

उसने एक हाथ में खोपड़ी और दूसरे हाथ में मटकी लेकर दोनों का वजन किया। दोनों का ही वजन लगभग एक समान ही था।

अब सुयश ने सोने के डोंगे में बंधे धागे को खोलकर उस धागे से मटकी को बांधकर, उसे भी खोपड़ी की माला जैसा बना दिया।

अब सुयश ने खोपड़ी की माला को उतारकर अपने गले में पहन लिया। इसके बाद उस मटकी की माला को उस कील पर टांग दिया।

मटकी को कील पर टांगते ही कील वापस नीचे आ गई।

अब सुयश मुस्कुराया और झोपड़ी के द्वार की ओर चल दिया। वह समझ गया था कि दीवार पर खोपड़ी की माला टंगे रहना जरुरी नहीं था, बल्कि उस कील का नीचे झुके रहना जरुरी था।

सुयश ने अपना एक पैर बाहर निकाला और फिर पूरा का पूरा बाहर निकल गया। सभी सुयश को बाहर निकलते देखकर खुश हो गये।

तभी झोपड़ी हवा में गायब हो गई और झोपड़ी के अंदर रखा वह पत्थर, काँच के बर्तन, मछली और नीलकमल पोसाईडन के पैर में बने दरवाजे में समा गया।

सभी ने एक दूसरे को देखकर, फिर हाथ मिलाये और एकता की शक्ति का मूलमंत्र दोहराते हुए पोसाईडन पर्वत के पैर में बने दरवाजे की ओर बढ़ चले।

यह वो साधारण मनुष्य थे, जिनके पास हिम्मत, विश्वास, बुद्धि, ज्ञान और सबसे बढ़कर कभी ना झुकने का हौसला था।

उन्हें डर नहीं था, देवताओं की उन शक्ति से भी, जो तिलिस्मा के अंदर मौत बनकर बैठी उनका इंतजार कर रहीं थीं।

वह सभी तिलिस्मा की ओर ऐसे बढ़ रहे थे, जैसे कुछ मतवाले हाथियों का झुण्ड लहलहाते हुए गन्ने के खेत की ओर बढ़ता है।

प्रश्नमाला

दोस्तों जैसा कि आप देख रहे हैं कि यह कथानक बहुत तेजी से बढ़ता जा रहा है और हर पेज पर आपके दिमाग एक नया प्रश्न खड़ा करता जा रहा है। प्रश्नों की संख्या अब इतनी ज्यादा हो चुकी है कि अब
वह मस्तिष्क में एकत्रित नहीं हो पा रहे हैं।

तो क्यों न इन सारे प्रश्नों को एक जगह पर एकत्रित कर लें-
1) क्या वेगा अराका द्वीप के बारे में सबकुछ जानता था?
2) ‘अटलांटिस का इतिहास’ नामक किताब ‘लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस' में कैसे पहुची? क्या इसके लेखक वेगा के बाबा कलाट ही थे? क्या इस किताब से और भी राज आगे खुले?
3) क्या वेगा को सम्मोहन आता था?
4) नीलाभ अब कहां गायब हो गया था? उसके पास कैसी शक्तियां थीं?
5) माया से विदा लेने के बाद मेरोन और सोफिया का क्या हुआ?
6) ट्रांस अंटार्कटिक के पहाड़ों में दबा शलाका का महल असल में क्या था?
7) हनुका कौन था? ...देव ने नीलाभ के विवाह में उपहार स्वरुप हनुका को क्यों दिया?
8) क्या थी वह जीवशक्ति और वृक्षशक्ति जिससे मैग्ना ने मायावन का निर्माण किया था?
9) क्या जेनिथ सुयश के सामने तौफीक का राज खोल पायी?
10) पंचशूल का निर्माण किसने और क्यों किया था?
11) क्रिस्टी को नदी की तली से मिली, वह काँच की पेंसिल कैसी थी?
12) हवा के गोले में समाने के बाद गोंजालो का क्या हुआ?
13) कैस्पर के समुद्री घोड़े जीको का क्या रहस्य था? वह उड़ने वाला घोड़ा कैसे बन जाता था?
14) क्या देवी शलाका के भाइयों के पास सच में कोई शक्ति थी?
15) शैफाली को मैग्ना की ड्रेस तक पहुंचाने वाली पेंग्विन और डॉल्फिन क्या थीं?
16) धरा के भाई विराज के बारे में वेगा कैसे जान गया था? वेगा को वीनस की भी सारी बातें पता थीं। तो क्या वेगा के पास और भी कोई शक्ति थी?
17) काँच के अष्टकोण में बंद वह छोटा बालक कौन था? जिसका चित्र देखकर सुयश को कुछ आवाजें सुनाई देनें लगीं थीं?
18) वेदांत रहस्यम् में ऐसे कौन से राज छिपे थे? जिसके कारण शलाका सुयश को वह किताब पढ़ने नहीं दे रही थी?
19) लुफासा की इच्छाधारी शक्ति का क्या रहस्य था?
20) सीनोर राज्य में मकोटा ने पिरामिड क्यों बनवाया था?
21) मकोटा के द्वारा आकृति को दिये ‘नीलदंड’ में क्या विशेषताएं थीं?
22) आकृति का चेहरा शलाका से कैसे मिलने लगा? वह पिछले 5000 वर्षों से जिंदा कैसे है?
23) ऐमू के अमरत्व का क्या राज है?
24) जैगन का सेवक गोंजालो का क्या राज है? सीनोर राज्य में उसकी मूर्ति क्यों लगी है?
25) क्या सनूरा की शक्तियों का राज एक रहस्यमय बिल्ली है?
26) आकृति वेदांत रहस्यम् क्यों छीनना चाह रही थी?
27) आर्यन ने स्वयं अपनी मौत का वरण क्यों किया था?
28) आकृति शलाका के चेहरे से क्यों परेशान है?
29) मैग्ना का ड्रैगन, लैडन नदी की तली में क्यों सो रहा था? मेलाइट उसे क्यों जगाना चाहती थी?
30) पृथ्वी की ओजोन लेयर कैसे टूट गयी थी?
31) 3 आँख और 4 हाथ वाले उस विचित्र जीव का क्या रहस्य था? कैस्पर की शक्तियां इस्तेमाल करके उसे किसने बनाया था?
32) सुर्वया की दिव्यदृष्टि का क्या रहस्य था?
33) ब्रह्मकलश के अमरत्व का क्या रहस्य था?
34) आकृति सुनहरी ढाल क्यों प्राप्त करना चाहती थी?
35) वुल्फा कौन था? क्या उसमें भी शैतानी शक्तियां थीं?
36) उड़नतश्तरी के अंदर मौजूद 6 फुट का हरा कीड़ा बाकी कीड़ों से अलग क्यों था? वह इंसानों की तरह कैसे चल रहा था?
37) मकोटा के सर्पदंड का क्या रहस्य था?
38) सामरा राज्य पर स्थित अटलांटिस वृक्ष का क्या रहस्य है? उसने किस प्रकार युगाका को वृक्षशक्ति दी?
39) सागरिका, वेगिका, अग्निका आदि चमत्कारी पुस्तकों का क्या रहस्य था?
40) कैसा था तिलिस्मा? उसमें कौन सी मुसीबतें छिपीं थीं?
41) क्या तिलिस्मा में घुसे सभी लोग तिलिस्मा को पार कर काला मोती प्राप्त कर सके?
42) क्या माया कैस्पर को उसकी असलियत बता पायी?

ऐसे ही ना जाने कितने सवाल होंगे जो आपके दिमाग में घूम रहे होंगें।

तो दोस्तों इन सारे अनसुलझे सवालों के जवाब हम इस समय नहीं दे पा रहे हैं। तो इंतजार कीजिए हमारे इसके अगले चैप्टर का जिसमें हम आपको ले चलेंगे, इस तिलिस्म के एक ऐसे अद्भुत संसार में, जहां पर छिपी तिलिस्मी मौत बेसब्री से अपने शिकार का इंतजार कर रही है।....................

दोस्तों इन्द्रधनुष के रंगों की मांनिद होती है एक लेखक की रचनाएं। जिस प्रकार इन्द्रधनुष में सात रंग होते हैं, ठीक उसी प्रकार लेखक की रचनाओं में भी सात रंग पाये जाते हैं। हर रंग अपने आप में एक अलग पहचान रखता है।

एक उच्चस्तरीय लेख लिखने के लिए सबसे पहले एक सम्मोहक कथानक की आवश्यकता होती है, फिर इसके एक एक पात्र को मनका समझकर माला में पिरोया जाता है, जिससे पाठकों को हर एक पात्र के जीवंत दर्शन हो सके।

फिर कल्पना के असीम सागर में डुबकी लगाकर मोतियों की तरह एक एक शब्द को चुनकर उनके भावों को अभिव्यक्त करना पड़ता है। तब कहीं जाकर तैयार होती है एक लेखक की रचना।

दोस्तों इस कथा को लिखने में बहुत मेहनत और शोध लगा है। अगर आपको यह कथा अच्छी लगी, तो कृपया इसको रिव्यू देना ना भूलें। आपका यह छोटा सा प्रयास मुझे और अच्छा लिखने के लिये प्रेरित करेगा।

"दूसरों को बनाने में तमाम उम्र गुजारी है,
पंख नये हैं पर अब मेरे उड़ने की बारी है“



जारी ररहेगा_______✍️
बहुत ही शानदार रचना लिखी है
आगे तिलिस्म का जादू कहानी को और अथिक रोमांचक बनायेगे
 
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Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Shabbas

ye Part End Huwa

detail wala mega Review Sunday ya ek do din mein deta hu

Ju know Mein headache ki samsya Se Jhujh Raha ek Jagah Concentrt karne mein Headache ho Rahaa Thaa To kisi bhi Story ke Review Nahi deraha.
Aur Update bhi Read Nahi kar Rahaa Thaa

Warna mein kabse Review dede Thaa .

Lekin fikar Not compensation Review Jaldi mil Jayega .
Yu matt sochna ki meine Kahani read karna chhod diyaa Thaa mein Jab Tak kahani chal Rahi Tab Tab review Deta Rahunga .
143 ka review kidhar hai? :waiting:
 

Dhakad boy

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#143.

सभी लगभग भागते हुए से चल रहे थे। रोजर ने अभी तक उस तलवार को नहीं फेंका था।

वह उस तलवार को हाथ में ही लेकर मेलाइट को घेरे हुए चल रहा था।ऐसा रोजर ने मेलाइट की सुरक्षा की वजह से किया था, पर मेलाइट भागते हुए भी रोजर को देख रही थी।

3-4 गुफा की सुरंगों को पार करते हुए, वह सभी एक मैदान में निकले। मैदान में आगे, कुछ दूरी पर एक छोटा सा, परंतु खूबसूरत महल बना दिखाई दे रहा था।

सनूरा सबको लेकर उसी महल की ओर बढ़ गयी।

महले में कई गलियारों और कमरों को पार करने के बाद वह एक विशाल शयनकक्ष में पहुंच गई।

उस कक्ष में एक बड़ी सी सेंटर टेबल के इर्द-गिर्द बहुत सी कुर्सियां लगीं थीं। बीच वाली कुर्सी पर एक बलिष्ठ इंसान बैठा था। रोजर उसे देखते ही पहचान गया, वह लुफासा था।

लुफासा ने सभी को कुर्सियों पर बैठने का इशारा किया। लुफासा का इशारा पाकर सभी वहां रखी कुर्सियों पर बैठ गये।

“तुम तो एक इंसान को लाने गयी थी, फिर ये इतने लोग तुम्हें कहां से मिल गये?” लुफासा ने सनूरा को देखते हुए कहा।

“आकृति ने एक नहीं अनेक लोगों को बंद कर रखा था, इसलिये सभी को छुड़ा लायी और वैसे भी दुश्मन का दुश्मन अपना दोस्त होता है।” सनूरा ने मुस्कुराते हुए कहा।

“ठीक है, तो सबसे पहले, हम सभी एक दूसरे को अपना परिचय दे दें, इससे सभी खुलकर एक दूसरे से बात कर सकेंगे।”

लुफासा ने कहा- “पहले मैं स्वयं से ही शुरु करता हूं। मेरा नाम लुफासा है और मैं इस अराका द्वीप के एक हिस्से सीनोर राज्य का राजकुमार हूं। आकृति ने हमारी देवी शलाका का रुप धरकर हम सभी को बहुत लंबे समय से मूर्ख बना रही है। हमें नहीं पता कि वह कौन है? और उसके पास कितनी शक्तियां हैं? हम इसी बात को जानने के लिये काफी दिनों से उस पर नजर रखें हुए थे।

"इसी बीच हमने रोजर को आकृति के पास देखा, पहले हमें लगा कि यह भी आकृति के साथ मिला है, पर बाद में पता चला कि आकृति ने इसे भी कैद कर रखा है। इसीलिये मैंने सीनोर राज्य की सेनापति सनूरा को रोजर को छुड़ाने के लिये भेजा। अब आप लोग अपने बारे में बतांए।”

“मेरा नाम रोजर है, मैं सुप्रीम नामक जहाज का असिस्टेंट कैप्टेन था, अराका द्वीप के पास जब मेरा
हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया, तो आकृति ने मुझे बंदी बना लिया था।”

“मेरा नाम मेलाइट है, मैं एक ‘फ्रेश वॉटर निम्फ’ हूं, जो कि एक ‘सीरीनियन हिंड’ में परिवर्तित हो जाती हूं। आप लोगों ने मेरी कहानी अवश्य सुन रखी होगी। देवता हरक्यूलिस को दिये गये 12 कार्यों में से एक कार्य मुझे पकड़कर लाना भी था। ग्रीक देवी आर्टेमिस की मैं सबसे प्रिय हूं। जब मैं सुनहरी हिरनी बनकर जंगल में घूम रही थी, तो इस मायावी आकृति ने मेरा अपहरण कर लिया। अब यह मुझे यहां क्यों लायी है? ये मुझे भी नहीं पता। पर अब देवी आर्टेमिस इस आकृति को किसी भी हाल में नहीं छोड़ेंगी।“

(ग्रीक माइथालोजी में साफ पानी में रहने वाली अप्सराओं को फ्रेश वॉटर निम्फ कहा जाता है)
(दक्षिण ग्रीस का एक प्राचीन नगर ‘सिरीनिया’ के एक जंगल में पायी जाने वाली सुनहरी हिरनी को सिरीनियन हिंड के नाम से जाना जाता है)

“तुम वही सुनहरी हिरनी हो, जिसकी 4 बहनें देवी आर्टेमिस के रथ को खींचती हैं?” लुफासा ने आश्चर्य से भरते हुए कहा।

“हां, मैं वहीं हूं।” मेलाइट ने कहा।

“हे मेरे ईश्वर इस आकृति ने क्या-क्या गड़बड़ कर रखी है। अगर मेलाइट ने देवताओं को यहां के बारे में बता दिया, तो देवता इस पूरे द्वीप को समुद्र में डुबो देंगे।” लुफासा की आँखों में भय के निशान साफ-साफ
दिख रहे थे।

अब लुफासा की किसी से और कुछ पूछने की हिम्मत ही नहीं बची थी।

“देखो मेलाइट...तुम जब भी जहां भी जाना चाहो, हम तुम्हें इस द्वीप से वहां भिजवा देंगे, पर एक वादा करो कि देवी आर्टेमिस से तुम आकृति की शिकायत करोगी, हम सभी की नहीं। हम देवता ‘अपोलो’ और देवी 'आर्टेमिस' के कोप का भाजन नहीं बनना चाहते।” लुफासा ने विनम्र शब्दों में मेलाइट से कहा।

लुफासा के ऐसे शब्दों को सुनकर मेलाइट ने धीरे से सिर हिला दिया।

मेलाइट का परिचय जानकर, अब रोजर की मेलाइट की ओर देखने की हिम्मत भी नहीं हो रही थी।

मेलाइट ने कनखियों से रोजर को देखा और उसे नीचे देखते पाकर धीरे से मुस्कुरा दी।

अब लुफासा की निगाह उस दूसरी लड़की पर पड़ी- “अब आप भी अपना परिचय दे दीजिये।”

“मेरा नाम सुर्वया है, मैं सिंहलोक की राजकुमारी हूं। एक समय मैं आकृति की बहुत अच्छी दोस्त थी, पर जब आकृति को मेरी दिव्यदृष्टि के बारे में पता चला, तो उसने मुझे उस शीशे में कैद करके हमेशा-हमेशा के लिये अपने पास रख लिया।” सुर्वया ने कहा।

“तुम्हारे पास किस प्रकार की दिव्यदृष्टि है?” सनूरा ने सुर्वया से पूछा।

“मैं इस पृथ्वी पर मौजूद हर एक जीव को अपनी आँखें बंद करके देख सकती हूं।” सुर्वया ने कहा।

“क्या ऽऽऽऽऽऽऽ?” सुर्वया के शब्द सुनकर सभी के मुंह से एकसाथ निकला।

“ये कैसी शक्ति है? यह शक्ति तो जिसके पास होगी, वह कुछ भी कर सकता है।” रोजर ने कहा।

“नहीं मेरी भी कुछ कमियां हैं, मैं सिर्फ उसी व्यक्ति या जीव को देख सकती हूं, जो उस समय जमीन पर हो। मैं पानी, बर्फ या हवा में रह रहे किसी जीव को नहीं ढूंढ सकती। मेरी इसी विद्या की वजह से, आकृति तुम सब लोगों के बारे में जान जाती थी। पर मेरे ना रहने के बाद अब वह कमजोर पड़ जायेगी।” सुर्वया ने कहा।

“तो क्या तुम बता सकती हो कि इस समय आकृति कहां है?” लुफासा ने कहा।

लुफासा की बात सुनकर सुर्वया मुस्कुरा दी- “यह बताने के लिये मुझे दिव्यदृष्टि की जरुरत नहीं है। मैंने ही उसे इस समय न्यूयार्क भेजा था।”

“न्यूयार्क?” लुफासा को सुर्वया की बात समझ में नहीं आयी।

“दरअसल किसी कार्य हेतु आकृति को एक सुनहरी ढाल की जरुरत है और वह ढाल इस समय एक पानी के जहाज के अंदर है, जो अंटार्कटिका से न्यूयार्क की ओर जा रहा है। वह उसे ही लाने गयी है।” सुर्वया ने कहा।

“क्या तुम ये बता सकती हो कि उसने मेरा अपहरण क्यों किया?” मेलाइट ने सुर्वया से पूछा।

“हां....आकृति के चेहरे पर इस समय शलाका का चेहरा है, जिसे वह स्वयं की मर्जी से हटा नहीं सकती, जबकि तुम्हारे पास एक कस्तूरी है, जिसे पीसकर उसका लेप लगाने पर आकृति अपने पुराने रुप में आ सकती है, इसी लिये उसने तुम्हारा अपहरण किया था।” सुर्वया ने कहा।

“पर मेलाइट के पास कस्तूरी कैसे हो सकती है?” लुफासा ने कहा- “कस्तूरी तो सिर्फ नर मृग में पायी जाती है।”

“वह कस्तूरी मेरी नहीं है, वह मेरे पास किसी की निशानी है, जिसे मैं उस आकृति को कभी भी नहीं दूंगी।” मेलाइट ने गुस्से से कहा- “और उसे इस कस्तूरी के बारे में पता कैसे चला? यह बात तो मेरे सिवा कोई भी नहीं जानता।”

“माफ करना मेलाइट, पर यह जानकारी मैंने ही उसे दी थी और मुझसे कुछ भी छिपा पाना असंभव है।” सुर्वया ने कहा।

तभी लुफासा के कमरे में लगी एक लाल रंग की बत्ती जलने लगी, जिसे देखकर लुफासा थोड़ा चिंतित हो गया।

“दोस्तों आप लोग अभी आराम करिये, मुझे अभी कुछ जरुरी काम से कहीं जाना है। मैं लौटकर आप लोगों से बात करता हूं।” यह कह लुफासा ने सनूरा की ओर देखा।

सनूरा जान गयी थी कि लुफासा को मकोटा ने याद किया था, उसने इशारे से लुफासा को निश्चिंत होकर जाने को कहा और फिर उठकर सबको कमरा दिखाने के लिये चल दी।

उड़ने वाली झोपड़ी:
(15 जनवरी 2002, मंगलवार, 14:30, पोसाईडन पर्वत, अराका द्वीप)

सभी अब अपने सामने मौजूद सुनहरी झोपड़ी को निहार रहे थे। सबसे पहले उन सभी झोपड़ी को चारो ओर से ध्यान से देखा।

झोपड़ी के सामने की ओर उसका दरवाजा था, झोपड़ी के पीछे कुछ भी नहीं था, पर झोपड़ी के दाहिने और बांयी ओर 2 छोटी खिड़कियां बनीं थीं।

उन खिड़कियों के नीचे, दोनो तरफ एक-एक सुनहरा पंख लगा था। जो हवा के चलने से धीरे-धीरे लहरा रहा था। पंख देख सभी आश्चर्य से भर उठे।

“कैप्टेन, इस झोपड़ी के पंख क्यों है? आपको क्या लगता है? क्या ये उड़ती होगी ?” ऐलेक्स ने सुयश से कहा।

“मुझे नहीं लगता कि ये उड़ती होगी। क्यों कि इतनी बड़ी झोपड़ी को इतने छोटे पंख, हवा में उड़ा ही नहीं सकते।“ सुयश ने अपने विचार को प्रकट करते हुए कहा- “यह अवश्य ही किसी और कार्य के लिये बनी
होगी?”

झोपड़ी के बाहर ऐसा कुछ भी नहीं था, जिसके बारे में और कुछ बात की जाती, इसलिये सभी ने अब अंदर जाने का फैसला कर लिया।

“दोस्तों, अंदर जाने से पहले मैं कुछ बातें करना चाहता हूं।” सुयश ने सभी को सम्बोधित करते हुए कहा- “हम शायद मायावन के आखिरी द्वार पर हैं, इसके बाद तिलिस्मा शुरु होगा। हमें नहीं पता कि आगे आने
वाली मुसीबतें किस प्रकार की होंगी, इसलिये मैं चाहता हूं कि सभी लोग आगे पड़ने वाली किसी भी चीज को तब तक हाथ नहीं लगायेंगे, जब तक सभी की अनुमति ना ले लें।”

सभी ने अपना सिर हां में हिलाकर सुयश की बात का समर्थन किया।

अब सुयश के इशारे पर सभी झोपड़ी के अंदर की ओर चल दिये।

झोपड़ी अंदर से ज्यादा बड़ी नहीं थी और ना ही उसमें बहुत ज्यादा सामान ही रखा था।

झोपड़ी की सभी दीवारें और जमीन लकड़ी के ही बने थे, बस उसकी छत साधारण झोपड़ी की तरह घास-फूस से बनी थी।

झोपड़ी के बीचो बीच एक पत्थर के वर्गा कार टुकड़े पर, काँच का बना एक गोल बर्तन रखा था, जो आकार में कार के टायर के बराबर था, परंतु उसकी गहराई थोड़ी ज्यादा थी।

उस काँच के बर्तन में पानी के समान पारदर्शी परंतु गाढ़ा द्रव भरा था। उस द्रव में नीले रंग की बहुत छोटी -छोटी मछलियां घूम रहीं थीं।

अब इतने गाढ़े द्रव में मछली कैसे घूम रहीं थीं, ये समझ से बाहर था।

उस काँच के बर्तन के बीच में एक नीले रंग का कमल का फूल रखा था।

झोपड़ी के एक किनारे पर, एक छोटे से स्टैंड पर, एक पकी मिट्टी की बनी छोटी सी मटकी रखी थी, उस मटकी पर ‘जलपंख’ लिखा था और जलपंख के नीचे एक गोले जैसे आकार में 2 लहर की आकृतियां बनीं थीं।

मटकी से पतली डोरी के माध्यम से, एक पानी निकालने वाला सोने का डोंगा भी बंधा था।

झोपड़ी की दूसरी दीवार पर एक कील गड़ी थी, जिसमें एक मानव खोपड़ी से निर्मित माला टंगी थी।
उस माला का धागा साधारण ही दिख रहा था।

दोनों खिड़कियों में लकड़ी के पल्ले लगे थे, जो कि खुले हुए थे।

“किसी को कुछ समझ में आ रहा है?” सुयश ने झोपड़ी में मौजूद सभी चीजों को देखने के बाद सबसे पूछा।

“कैप्टेन, इस झोपड़ी की दीवारें लकड़ी की हैं, यह समझ में आता है, पर इसकी जमीन क्यों लकड़ी की बनी है? यह समझ में नहीं आ रहा, क्यों कि कोई भी झोपड़ी बनाते समय उसकी जमीन नहीं बनवाता। और ऐसा सिर्फ वही लोग करते हैं जिन्हें अपने घर को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाना होता है।” तौफीक ने कहा। तौफीक का तर्क अच्छा था।

“और किसी को कुछ महसूस हुआ?” सुयश ने पूछा।

“उस नीलकमल, मानव खोपड़ी और इस मटकी में कुछ तो काम्बिनेशन है।” शैफाली ने कहा- “पर करना क्या है? ये समझ में नहीं आ रहा है।”

“तो फिर पहले किसी एक चीज को उठा कर देखते हैं, अगर कुछ बदलाव हुआ तो अपने आप पता चल जायेगा।“ सुयश ने कहा।

“कैप्टेन पहले इस नीलकमल को छूकर देखते हैं।” जेनिथ ने अपना सुझाव दिया।

सुयश ने जेनिथ को हां में इशारा किया। सुयश का इशारा पाकर जेनिथ ने धीरे से उस नीलकमल को उठा लिया। पर नीलकमल को उठाने के बाद कोई भी घटना नहीं घटी।

यह देख जेनिथ ने नीलकमल को वापस उसके स्थान पर रख दिया।

“अब मटकी को चेक करते हैं क्यों कि इस पर लिखा यह जलपंख और उसके नीचे बना गोला मुझे कुछ अजीब लग रहा है।” इस बार क्रिस्टी ने कहा।

सुयश के इशारा पाते ही क्रिस्टी ने जैसे ही मटकी को छुआ, उसे तेज करंट का झटका लगा।

“कैप्टेन, यह तो करंट मार रहा है।” क्रिस्टी ने घबरा कर अपना हाथ खींचतें हुए कहा।

“यानि की इसमें कुछ रहस्य अवश्य है।” शैफाली ने कहा- “कैप्टेन अंकल इस पर जलपंख क्यों लिखा है? कहीं इसका पानी बाहर बने झोपड़ी के पंख पर डालने के लिये तो नहीं है?”

“हो भी सकता है, पर यह तो छूने पर करंट मार रहा है, फिर इसका पानी पंख पर डाल कर ट्राई कैसे करें?” सुयश ने कहा।

“कैप्टेन...जलपंख तो समझ में आ गया, पर इस गोले वाले निशान का क्या मतलब है?” ऐलेक्स ने कहा- “यह पानी की लहरों के जैसा निशान है।”

“कहीं यह निशान एक जोडियाक चिन्ह तो नहीं है?” शैफाली ने निशान को देखते हुए कहा- “क्यों कि राशियों में कुम्भ राशि का निशान ऐसा ही होता है।”

“कुम्भ राशि!” सुयश ने सोचने वाले अंदाज में कहा।

“जो लोग 20 जनवरी से 19 फरवरी के बीच पैदा होते हैं, उनके राशि कुम्भ राशि होती है, और ऐसा निशान कुम्भ राशि का ही होता है।” शैफाली ने कहा।

“एक मिनट!” सुयश ने कुछ सोचते हुए कहा- “कुम्भ राशि का प्रतीक मटका ही तो होता है और यह निशान भी मटके पर ही है। इसका मतलब तुम सही सोच रही हो शैफाली।...क्या कोई यहां पर ऐसा है जिसकी राशि कुम्भ हो?”

“यस कैप्टेन!” जेनिथ ने अपना हाथ उठाते हुए कहा- “मेरा जन्म 11 फरवरी को हुआ है, उस हिसाब से मेरी राशि कुम्भ ही है।”

“जेनिथ तुम मटके को छूने की कोशिश करो, देखो यह तुम्हें भी करंट मारता है या नहीं?” सुयश ने जेनिथ को मटका छूने का निर्देश दिया।

जेनिथ ने डरते-डरते मटके को छुआ, पर उसे करंट नहीं लगा, यह देख शैफाली के चेहरे पर मुस्कान आ गयी।

“जेनिथ अब तुम इस डोंगे को पानी से पूरा भरकर, बांयी तरफ वाली खिड़की से, बाहर लगे पंख पर डालो, फिर देखते हैं कि क्या होता है?” सुयश ने जेनिथ से कहा।

जेनिथ ने सुयश के बताए अनुसार ही किया। पंख पर पानी पड़ते ही उसका आकार थोड़ा बड़ा हो गया।

“तो ये बात है....हमें पूरी मटकी का पानी बारी-बारी दोनों पंखों पर डालना होगा, तब पंख आकार में इस झोपड़ी के बराबर हो जायेंगे और फिर यह झोपड़ी हमें तिलिस्मा में पहुंचायेगी।” सुयश ने सबको समझाते हुए कहा- “पर जेनिथ इस बात का ध्यान रखना, कि पानी दोनों पंखों पर बराबर पड़े, नहीं तो एक पंख छोटा और एक पंख बड़ा हो जायेगा। जिससे बाद में उड़ते समय यह झोपड़ी अपना नियंत्रण खोकर गिर जायेगी।”

जेनिथ ने हामी भर दी। कुछ ही देर के प्रयास के बाद जेनिथ ने मटकी का पूरा पानी खत्म कर दिया।

झोपड़ी के दोनों ओर के पंख अब काफी विशालकाय हो गये थे।

जैसे ही मटकी का पानी खत्म हुआ, झोपड़ी के दोनों ओर की खिड़की अपने आप गायब हो गई।

अब झोपड़ी में उस स्थान पर भी लकड़ी की दीवार दिखने लगी थी।

“कैप्टेन, खिड़की का गायब होना, यह साफ बताता है कि पंख तैयार हो चुके हैं, अब बस इस झोपड़ी को उड़ाने की जरुरत है।” क्रिस्टी ने कहा।

“अब दीवार पर लगी वह खोपड़ी ही बची है, उसे भी छूकर देख लेते हैं। शायद वही झोपड़ी को उड़ाने वाली चीज हो।” शैफाली ने कहा।



जारी रहेगा______✍️
Bhut hi badhiya update Bhai

Lufasa ne sabhi logo ko aakriti ke kaid se aazad karwa diya aur sabhi logo ka aapas me parichay bhi huva
Idhar in sab logo ne milkar jhopdi ke Pankh to bade kar diye dhekte hai ab ye jhopdi ko udate kese hai
 

Sushil@10

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#144.

सुयश ने उस कील से खोपड़ी की माला उतार ली। माला उतारने के बाद, वह कील थोड़ी सी ऊपर की ओर खिसक गई, पर सुयश इस बदलाव को देख नहीं पाया।

सुयश ने खोपड़ी वाली माला को उलट-पुलट कर देखा, पर उसमें कुछ भी विचित्र नहीं था।

काफी देर तक ऐसे ही झोपड़ी में घूमने के बाद भी, किसी को ऐसा कोई सुराग नहीं मिला, जिससे यह पता चल पाता कि झोपड़ी कैसे उड़ेगी?

“कैप्टेन, क्यों ना इस काँच के बर्तन में भी हाथ डालकर उन मछलियों को देखें? क्या पता उनमें कुछ रहस्य छिपा हो।” तौफीक ने कहा।

सुयश की बात सुन जेनिथ ने आगे बढ़कर पहले उस नीलकमल को निकाल लिया, पर नीलकमल को निकालते ही झोपड़ी ऊपर की ओर हवा में उड़ने लगी।

यह देख सभी जमीन पर बैठ गये

“यह कैसे संभव हुआ? इस फूल को तो पहले भी हम निकाल कर देख चुके थे, तब तो कुछ नहीं हुआ था।” ऐलेक्स ने आश्चर्य से उस फूल की ओर देखते हुए कहा।

झोपड़ी अब हवा में नाच रही थी, पर अब उसे जमीन पर उतारना किसी को नहीं आता था। झोपड़ी के उड़ने से, इन्हें झटके नहीं लग रहे थे।

जब कुछ देर तक झोपड़ी को उड़ते हुए हो गया, तो सुयश बोल उठा- “लगता है कि इस झोपड़ी को उतारना भी हमें ही पड़ेगा।....जेनिथ तुम फूल को अपनी जगह पर वापस रख दो।”

जेनिथ ने फूल को वापस रख दिया, फिर भी झोपड़ी का उड़ना बंद नहीं हुआ। जेनिथ ने यह देख फूल को थोड़ा हिला-डुला कर देखा।

पर जेनिथ के फूल को हिलाते ही, झोपड़ी एक ही जगह पर गोल-गोल नाचने लगी।

यह देख सुयश उस नीलकमल के पास आकर ध्यान से उस फूल को देखने लगा।

“यह पूरा सिस्टम किसी मशीन की तरह काम कर रहा है।” सुयश ने कहा- “जैसे कि कोई कार। अब अगर ध्यान दें तो उस मटकी का पानी इस झोपड़ी का फ्यूल का काम कर रहा है, यह फूल इस झोपड़ी का स्टेयरिंग है। हम इस फूल को जिस दिशा में घुमा रहें हैं, यह झोपड़ी उस दिशा में घूम जा रही है। फिर तो काँच में मौजूद यह द्रव्य इंजन ऑयल की तरह होगा। इसका साफ मतलब है कि कहीं ना कहीं इस झोपड़ी को स्टार्ट करने वाला इग्नीशन भी रहा होगा, जिससे हमने अंजाने में ही, इस झोपड़ी को आसमान में उड़ा दिया। पर कहां?”

इतना कहकर सुयश अपने हाथ में पकड़ी, उस खोपड़ी की माला को देखने लगा। कुछ पल सुयश ने सोचा और उस खोपड़ी की माला को उसी कील पर टांग दिया।

माला के कील पर टंगते ही झोपड़ी जमीन पर उतर गई। अब झोपड़ी के दरवाजे के सामने पोसाईडन की मूर्ति दिखाई दे रही थी।

पोसाईडन की मूर्ति के पैर में एक बड़ा सा दरवाजा खुला हुआ दिखाई दे रहा था।

“लगता है कि हमें उस पोसाईडन की मूर्ति के, पैर में बने दरवाजे से, अंदर की ओर जाना है।” तौफीक ने बाहर की ओर देखते हुए कहा।

ऐलेक्स ने जैसे ही झोपड़ी के दरवाजे से बाहर जाने के अपना कदम बाहर की ओर बढ़ाया ।

एकाएक क्रिस्टी ने ऐलेक्स का हाथ जोर से अंदर की ओर खींचा।

ऐलेक्स झोपड़ी के अंदर आ गिरा और क्रिस्टी को अजीब सी नजरों से घूरने लगा।

“क्या हुआ क्रिस्टी? तुमने ऐलेक्स के साथ ऐसा क्यों किया?” सुयश ने भी क्रिस्टी को घूरते हुए पूछा।

“कैप्टेन, जब ऐलेक्स ने अपना पैर बाहर की ओर निकाला, तो उसका पैर बाहर दिखाई नहीं दिया, इसी लिये मैंने ऐलेक्स को अंदर की ओर खींचा था।” क्रिस्टी के शब्द पूरी तरह से रहस्य से भरे नजर आ रहे थे।

“मैं कुछ समझा नहीं ।” ऐलेक्स को भी क्रिस्टी की बातें समझ में नहीं आयी- “तुम कहना क्या चाहती हो क्रिस्टी?”

“आओ, दिखाती हूं तुम्हें।” यह कहकर क्रिस्टी ने ऐलेक्स को सहारा देकर जमीन से उठाया और उसे लेकर झोपड़ी के द्वार के पास पहुंच गयी।

“अब जरा एक बार फिर अपना पैर झोपड़ी से बाहर निकालो ऐलेक्स।” क्रिस्टी ने कहा।

ऐलेक्स ने क्रिस्टी के कहे अनुसार अपना एक पैर बाहर निकाला, पर ऐलेक्स को अपना पैर द्वार से बाहर कहीं दिखाई नहीं दिया।

यह देख ऐलेक्स ने घबरा कर अपना पैर वापस अंदर की ओर खींच लिया।

“यह कौन सी परेशानी है? यह दरवाजा हमें कहां ले जा रहा है?” सुयश ने कहा।

“कैप्टेन अंकल, शायद यह द्वार हमें तिलिस्मा में नहीं बल्कि कहीं और ले जा रहा है।” शैफाली ने अपना तर्क दिया।

“तो फिर क्या हम सामने दिख रहे तिलिस्म में प्रवेश नहीं कर सकते?” जेनिथ ने कहा।

“कुछ तो गड़बड़ है, जो हमें समझ में नहीं आ रहा?” सुयश का दिमाग तेजी से चलने लगा- “कहीं ऐसा तो नहीं कि हमें तिलिस्मा में घुसने के लिये कोई कार्ड या फिर गेट पास जैसी कोई चीज चाहिये, क्यों कि
तिलिस्मा में हमें ले तो यही झोपड़ी जायेगी।”

“कैप्टेन अंकल क्या पता हमें झोपड़ी में मौजूद किसी सामान को लेकर तिलिस्मा में जाना हो?” शैफाली ने कहा- “अगर आप कहें तो ये भी ट्राई करके देख लें।”

“चलो यह भी करके देख लेते हैं।” सुयश ने कहा- “सबसे पहले इस मटकी को ले चलते हैं क्यों कि जब पंख को पानी पिलाने के बाद खिड़की गायब हो गई, तो मटकी क्यों नहीं हुई। इसका मतलब मटकी का काम अभी झोपड़ी से खत्म नहीं हुआ है।”

यह कहकर सुयश ने मटकी तौफीक को पकड़ा कर बाहर निकलने की ओर इशारा किया।

तौफीक ने मटकी को लेकर झोपड़ी से निकलने की कोशिश की। पर वह बाहर नहीं जा पाया।

इसके बाद उसने फूल को ट्राई किया, फिर भी वो सफल नहीं हुआ। अब फूल को यथा स्थान रखकर तौफीक ने खोपड़ी की माला उतार ली।

तौफीक उस खोपड़ी की माला को जैसे लेकर निकलने चला, वह आसानी से बाहर निकल गया।

यह देख सबकी जान में जान आयी।

“तो इस खोपड़ी की माला को लेकर बाहर निकलना था।” सुयश ने हंसकर कहा- “यही है तिलिस्मा का गेट पास।“

अब तौफीक ने खोपड़ी को वापस अंदर की ओर फेंक दिया। इस बार शैफाली खोपड़ी लेकर बाहर निकल गयी।

उसके बाद फिर क्रिस्टी, फिर ऐलेक्स और फिर जेनिथ। जेनिथ ने बाहर निकलकर खोपड़ी को वापस अंदर की ओर फेंक दिया।

पर सुयश ने जब बाहर निकलने की कोशिश की तो इस बार उसे करंट का झटका लगा। तयह देख सुयश हैरान हो गया।

“इस माला ने सबको निकाल दिया, पर यह माला मुझे बाहर लेकर क्यों नहीं जा रही है?” सुयश मन ही मन बड़बड़ा उठा।

तभी तौफीक ने सुयश को बाहर ना निकलते देख पूछ लिया- “क्या हुआ कैप्टेन आप बाहर क्यों नहीं आ रहे हैं?”

सुयश ने तौफीक को भी परेशानी बता दी।

यह सुन तौफीक अंदर की ओर वापस आने चला, पर उसे करंट का झटका लगा, जिसका साफ मतलब था कि बाहर आया हुआ कोई भी व्यक्ति अब अंदर नहीं जा सकता।

यानि कि सुयश को अपनी परेशानी स्वयं ही समाप्त करनी थी। सुयश लगातार सोच रहा था।

तभी उसकी नजर उस कील पर गई, जिस पर वह खोपड़ी की माला लटकी थी।

सुयश अब वहां जाकर ध्यान से उस कील को देखने लगा। कील को छूने पर सुयश को वह कील हिलती हुई दिखाई दी।

अब सुयश इस मायाजाल को समझ गया था।

“तो ये बात है, इस खोपड़ी की माला को उतारते ही यह कील ऊपर की ओर हो जाती है, यानि यही इस झोपड़ी का इग्नीशन है, जो कि इसे उड़ाने में सहायक है। यानि कि मैं बिना माला टांगे यहां से बाहर नहीं जा सकता और बिना इस माला को लिये भी मैं बाहर नहीं जा सकता। ...... हे भगवान अब ये कैसा मायाजाल है?” अब सुयश परेशान हो उठा।

“कैसे....आखिर कैसे यह संभव है?”

तभी सुयश को सामने पड़ी मटकी दिखाई दी।

उसे तुरंत अपने ही बोले शब्द याद आ गये कि मटकी का कार्य अगर खत्म हो जाता तो मटकी भी गायब हो गई होती।

यह ध्यान कर सुयश की आँखें खुशी से चमकने लगीं।

उसने एक हाथ में खोपड़ी और दूसरे हाथ में मटकी लेकर दोनों का वजन किया। दोनों का ही वजन लगभग एक समान ही था।

अब सुयश ने सोने के डोंगे में बंधे धागे को खोलकर उस धागे से मटकी को बांधकर, उसे भी खोपड़ी की माला जैसा बना दिया।

अब सुयश ने खोपड़ी की माला को उतारकर अपने गले में पहन लिया। इसके बाद उस मटकी की माला को उस कील पर टांग दिया।

मटकी को कील पर टांगते ही कील वापस नीचे आ गई।

अब सुयश मुस्कुराया और झोपड़ी के द्वार की ओर चल दिया। वह समझ गया था कि दीवार पर खोपड़ी की माला टंगे रहना जरुरी नहीं था, बल्कि उस कील का नीचे झुके रहना जरुरी था।

सुयश ने अपना एक पैर बाहर निकाला और फिर पूरा का पूरा बाहर निकल गया। सभी सुयश को बाहर निकलते देखकर खुश हो गये।

तभी झोपड़ी हवा में गायब हो गई और झोपड़ी के अंदर रखा वह पत्थर, काँच के बर्तन, मछली और नीलकमल पोसाईडन के पैर में बने दरवाजे में समा गया।

सभी ने एक दूसरे को देखकर, फिर हाथ मिलाये और एकता की शक्ति का मूलमंत्र दोहराते हुए पोसाईडन पर्वत के पैर में बने दरवाजे की ओर बढ़ चले।

यह वो साधारण मनुष्य थे, जिनके पास हिम्मत, विश्वास, बुद्धि, ज्ञान और सबसे बढ़कर कभी ना झुकने का हौसला था।

उन्हें डर नहीं था, देवताओं की उन शक्ति से भी, जो तिलिस्मा के अंदर मौत बनकर बैठी उनका इंतजार कर रहीं थीं।

वह सभी तिलिस्मा की ओर ऐसे बढ़ रहे थे, जैसे कुछ मतवाले हाथियों का झुण्ड लहलहाते हुए गन्ने के खेत की ओर बढ़ता है।

प्रश्नमाला

दोस्तों जैसा कि आप देख रहे हैं कि यह कथानक बहुत तेजी से बढ़ता जा रहा है और हर पेज पर आपके दिमाग एक नया प्रश्न खड़ा करता जा रहा है। प्रश्नों की संख्या अब इतनी ज्यादा हो चुकी है कि अब
वह मस्तिष्क में एकत्रित नहीं हो पा रहे हैं।

तो क्यों न इन सारे प्रश्नों को एक जगह पर एकत्रित कर लें-
1) क्या वेगा अराका द्वीप के बारे में सबकुछ जानता था?
2) ‘अटलांटिस का इतिहास’ नामक किताब ‘लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस' में कैसे पहुची? क्या इसके लेखक वेगा के बाबा कलाट ही थे? क्या इस किताब से और भी राज आगे खुले?
3) क्या वेगा को सम्मोहन आता था?
4) नीलाभ अब कहां गायब हो गया था? उसके पास कैसी शक्तियां थीं?
5) माया से विदा लेने के बाद मेरोन और सोफिया का क्या हुआ?
6) ट्रांस अंटार्कटिक के पहाड़ों में दबा शलाका का महल असल में क्या था?
7) हनुका कौन था? ...देव ने नीलाभ के विवाह में उपहार स्वरुप हनुका को क्यों दिया?
8) क्या थी वह जीवशक्ति और वृक्षशक्ति जिससे मैग्ना ने मायावन का निर्माण किया था?
9) क्या जेनिथ सुयश के सामने तौफीक का राज खोल पायी?
10) पंचशूल का निर्माण किसने और क्यों किया था?
11) क्रिस्टी को नदी की तली से मिली, वह काँच की पेंसिल कैसी थी?
12) हवा के गोले में समाने के बाद गोंजालो का क्या हुआ?
13) कैस्पर के समुद्री घोड़े जीको का क्या रहस्य था? वह उड़ने वाला घोड़ा कैसे बन जाता था?
14) क्या देवी शलाका के भाइयों के पास सच में कोई शक्ति थी?
15) शैफाली को मैग्ना की ड्रेस तक पहुंचाने वाली पेंग्विन और डॉल्फिन क्या थीं?
16) धरा के भाई विराज के बारे में वेगा कैसे जान गया था? वेगा को वीनस की भी सारी बातें पता थीं। तो क्या वेगा के पास और भी कोई शक्ति थी?
17) काँच के अष्टकोण में बंद वह छोटा बालक कौन था? जिसका चित्र देखकर सुयश को कुछ आवाजें सुनाई देनें लगीं थीं?
18) वेदांत रहस्यम् में ऐसे कौन से राज छिपे थे? जिसके कारण शलाका सुयश को वह किताब पढ़ने नहीं दे रही थी?
19) लुफासा की इच्छाधारी शक्ति का क्या रहस्य था?
20) सीनोर राज्य में मकोटा ने पिरामिड क्यों बनवाया था?
21) मकोटा के द्वारा आकृति को दिये ‘नीलदंड’ में क्या विशेषताएं थीं?
22) आकृति का चेहरा शलाका से कैसे मिलने लगा? वह पिछले 5000 वर्षों से जिंदा कैसे है?
23) ऐमू के अमरत्व का क्या राज है?
24) जैगन का सेवक गोंजालो का क्या राज है? सीनोर राज्य में उसकी मूर्ति क्यों लगी है?
25) क्या सनूरा की शक्तियों का राज एक रहस्यमय बिल्ली है?
26) आकृति वेदांत रहस्यम् क्यों छीनना चाह रही थी?
27) आर्यन ने स्वयं अपनी मौत का वरण क्यों किया था?
28) आकृति शलाका के चेहरे से क्यों परेशान है?
29) मैग्ना का ड्रैगन, लैडन नदी की तली में क्यों सो रहा था? मेलाइट उसे क्यों जगाना चाहती थी?
30) पृथ्वी की ओजोन लेयर कैसे टूट गयी थी?
31) 3 आँख और 4 हाथ वाले उस विचित्र जीव का क्या रहस्य था? कैस्पर की शक्तियां इस्तेमाल करके उसे किसने बनाया था?
32) सुर्वया की दिव्यदृष्टि का क्या रहस्य था?
33) ब्रह्मकलश के अमरत्व का क्या रहस्य था?
34) आकृति सुनहरी ढाल क्यों प्राप्त करना चाहती थी?
35) वुल्फा कौन था? क्या उसमें भी शैतानी शक्तियां थीं?
36) उड़नतश्तरी के अंदर मौजूद 6 फुट का हरा कीड़ा बाकी कीड़ों से अलग क्यों था? वह इंसानों की तरह कैसे चल रहा था?
37) मकोटा के सर्पदंड का क्या रहस्य था?
38) सामरा राज्य पर स्थित अटलांटिस वृक्ष का क्या रहस्य है? उसने किस प्रकार युगाका को वृक्षशक्ति दी?
39) सागरिका, वेगिका, अग्निका आदि चमत्कारी पुस्तकों का क्या रहस्य था?
40) कैसा था तिलिस्मा? उसमें कौन सी मुसीबतें छिपीं थीं?
41) क्या तिलिस्मा में घुसे सभी लोग तिलिस्मा को पार कर काला मोती प्राप्त कर सके?
42) क्या माया कैस्पर को उसकी असलियत बता पायी?

ऐसे ही ना जाने कितने सवाल होंगे जो आपके दिमाग में घूम रहे होंगें।

तो दोस्तों इन सारे अनसुलझे सवालों के जवाब हम इस समय नहीं दे पा रहे हैं। तो इंतजार कीजिए हमारे इसके अगले चैप्टर का जिसमें हम आपको ले चलेंगे, इस तिलिस्म के एक ऐसे अद्भुत संसार में, जहां पर छिपी तिलिस्मी मौत बेसब्री से अपने शिकार का इंतजार कर रही है।....................

दोस्तों इन्द्रधनुष के रंगों की मांनिद होती है एक लेखक की रचनाएं। जिस प्रकार इन्द्रधनुष में सात रंग होते हैं, ठीक उसी प्रकार लेखक की रचनाओं में भी सात रंग पाये जाते हैं। हर रंग अपने आप में एक अलग पहचान रखता है।

एक उच्चस्तरीय लेख लिखने के लिए सबसे पहले एक सम्मोहक कथानक की आवश्यकता होती है, फिर इसके एक एक पात्र को मनका समझकर माला में पिरोया जाता है, जिससे पाठकों को हर एक पात्र के जीवंत दर्शन हो सके।

फिर कल्पना के असीम सागर में डुबकी लगाकर मोतियों की तरह एक एक शब्द को चुनकर उनके भावों को अभिव्यक्त करना पड़ता है। तब कहीं जाकर तैयार होती है एक लेखक की रचना।

दोस्तों इस कथा को लिखने में बहुत मेहनत और शोध लगा है। अगर आपको यह कथा अच्छी लगी, तो कृपया इसको रिव्यू देना ना भूलें। आपका यह छोटा सा प्रयास मुझे और अच्छा लिखने के लिये प्रेरित करेगा।

"दूसरों को बनाने में तमाम उम्र गुजारी है,
पंख नये हैं पर अब मेरे उड़ने की बारी है“



जारी ररहेगा_______✍️
Superb update and nice story
 

Dhakad boy

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#144.

सुयश ने उस कील से खोपड़ी की माला उतार ली। माला उतारने के बाद, वह कील थोड़ी सी ऊपर की ओर खिसक गई, पर सुयश इस बदलाव को देख नहीं पाया।

सुयश ने खोपड़ी वाली माला को उलट-पुलट कर देखा, पर उसमें कुछ भी विचित्र नहीं था।

काफी देर तक ऐसे ही झोपड़ी में घूमने के बाद भी, किसी को ऐसा कोई सुराग नहीं मिला, जिससे यह पता चल पाता कि झोपड़ी कैसे उड़ेगी?

“कैप्टेन, क्यों ना इस काँच के बर्तन में भी हाथ डालकर उन मछलियों को देखें? क्या पता उनमें कुछ रहस्य छिपा हो।” तौफीक ने कहा।

सुयश की बात सुन जेनिथ ने आगे बढ़कर पहले उस नीलकमल को निकाल लिया, पर नीलकमल को निकालते ही झोपड़ी ऊपर की ओर हवा में उड़ने लगी।

यह देख सभी जमीन पर बैठ गये

“यह कैसे संभव हुआ? इस फूल को तो पहले भी हम निकाल कर देख चुके थे, तब तो कुछ नहीं हुआ था।” ऐलेक्स ने आश्चर्य से उस फूल की ओर देखते हुए कहा।

झोपड़ी अब हवा में नाच रही थी, पर अब उसे जमीन पर उतारना किसी को नहीं आता था। झोपड़ी के उड़ने से, इन्हें झटके नहीं लग रहे थे।

जब कुछ देर तक झोपड़ी को उड़ते हुए हो गया, तो सुयश बोल उठा- “लगता है कि इस झोपड़ी को उतारना भी हमें ही पड़ेगा।....जेनिथ तुम फूल को अपनी जगह पर वापस रख दो।”

जेनिथ ने फूल को वापस रख दिया, फिर भी झोपड़ी का उड़ना बंद नहीं हुआ। जेनिथ ने यह देख फूल को थोड़ा हिला-डुला कर देखा।

पर जेनिथ के फूल को हिलाते ही, झोपड़ी एक ही जगह पर गोल-गोल नाचने लगी।

यह देख सुयश उस नीलकमल के पास आकर ध्यान से उस फूल को देखने लगा।

“यह पूरा सिस्टम किसी मशीन की तरह काम कर रहा है।” सुयश ने कहा- “जैसे कि कोई कार। अब अगर ध्यान दें तो उस मटकी का पानी इस झोपड़ी का फ्यूल का काम कर रहा है, यह फूल इस झोपड़ी का स्टेयरिंग है। हम इस फूल को जिस दिशा में घुमा रहें हैं, यह झोपड़ी उस दिशा में घूम जा रही है। फिर तो काँच में मौजूद यह द्रव्य इंजन ऑयल की तरह होगा। इसका साफ मतलब है कि कहीं ना कहीं इस झोपड़ी को स्टार्ट करने वाला इग्नीशन भी रहा होगा, जिससे हमने अंजाने में ही, इस झोपड़ी को आसमान में उड़ा दिया। पर कहां?”

इतना कहकर सुयश अपने हाथ में पकड़ी, उस खोपड़ी की माला को देखने लगा। कुछ पल सुयश ने सोचा और उस खोपड़ी की माला को उसी कील पर टांग दिया।

माला के कील पर टंगते ही झोपड़ी जमीन पर उतर गई। अब झोपड़ी के दरवाजे के सामने पोसाईडन की मूर्ति दिखाई दे रही थी।

पोसाईडन की मूर्ति के पैर में एक बड़ा सा दरवाजा खुला हुआ दिखाई दे रहा था।

“लगता है कि हमें उस पोसाईडन की मूर्ति के, पैर में बने दरवाजे से, अंदर की ओर जाना है।” तौफीक ने बाहर की ओर देखते हुए कहा।

ऐलेक्स ने जैसे ही झोपड़ी के दरवाजे से बाहर जाने के अपना कदम बाहर की ओर बढ़ाया ।

एकाएक क्रिस्टी ने ऐलेक्स का हाथ जोर से अंदर की ओर खींचा।

ऐलेक्स झोपड़ी के अंदर आ गिरा और क्रिस्टी को अजीब सी नजरों से घूरने लगा।

“क्या हुआ क्रिस्टी? तुमने ऐलेक्स के साथ ऐसा क्यों किया?” सुयश ने भी क्रिस्टी को घूरते हुए पूछा।

“कैप्टेन, जब ऐलेक्स ने अपना पैर बाहर की ओर निकाला, तो उसका पैर बाहर दिखाई नहीं दिया, इसी लिये मैंने ऐलेक्स को अंदर की ओर खींचा था।” क्रिस्टी के शब्द पूरी तरह से रहस्य से भरे नजर आ रहे थे।

“मैं कुछ समझा नहीं ।” ऐलेक्स को भी क्रिस्टी की बातें समझ में नहीं आयी- “तुम कहना क्या चाहती हो क्रिस्टी?”

“आओ, दिखाती हूं तुम्हें।” यह कहकर क्रिस्टी ने ऐलेक्स को सहारा देकर जमीन से उठाया और उसे लेकर झोपड़ी के द्वार के पास पहुंच गयी।

“अब जरा एक बार फिर अपना पैर झोपड़ी से बाहर निकालो ऐलेक्स।” क्रिस्टी ने कहा।

ऐलेक्स ने क्रिस्टी के कहे अनुसार अपना एक पैर बाहर निकाला, पर ऐलेक्स को अपना पैर द्वार से बाहर कहीं दिखाई नहीं दिया।

यह देख ऐलेक्स ने घबरा कर अपना पैर वापस अंदर की ओर खींच लिया।

“यह कौन सी परेशानी है? यह दरवाजा हमें कहां ले जा रहा है?” सुयश ने कहा।

“कैप्टेन अंकल, शायद यह द्वार हमें तिलिस्मा में नहीं बल्कि कहीं और ले जा रहा है।” शैफाली ने अपना तर्क दिया।

“तो फिर क्या हम सामने दिख रहे तिलिस्म में प्रवेश नहीं कर सकते?” जेनिथ ने कहा।

“कुछ तो गड़बड़ है, जो हमें समझ में नहीं आ रहा?” सुयश का दिमाग तेजी से चलने लगा- “कहीं ऐसा तो नहीं कि हमें तिलिस्मा में घुसने के लिये कोई कार्ड या फिर गेट पास जैसी कोई चीज चाहिये, क्यों कि
तिलिस्मा में हमें ले तो यही झोपड़ी जायेगी।”

“कैप्टेन अंकल क्या पता हमें झोपड़ी में मौजूद किसी सामान को लेकर तिलिस्मा में जाना हो?” शैफाली ने कहा- “अगर आप कहें तो ये भी ट्राई करके देख लें।”

“चलो यह भी करके देख लेते हैं।” सुयश ने कहा- “सबसे पहले इस मटकी को ले चलते हैं क्यों कि जब पंख को पानी पिलाने के बाद खिड़की गायब हो गई, तो मटकी क्यों नहीं हुई। इसका मतलब मटकी का काम अभी झोपड़ी से खत्म नहीं हुआ है।”

यह कहकर सुयश ने मटकी तौफीक को पकड़ा कर बाहर निकलने की ओर इशारा किया।

तौफीक ने मटकी को लेकर झोपड़ी से निकलने की कोशिश की। पर वह बाहर नहीं जा पाया।

इसके बाद उसने फूल को ट्राई किया, फिर भी वो सफल नहीं हुआ। अब फूल को यथा स्थान रखकर तौफीक ने खोपड़ी की माला उतार ली।

तौफीक उस खोपड़ी की माला को जैसे लेकर निकलने चला, वह आसानी से बाहर निकल गया।

यह देख सबकी जान में जान आयी।

“तो इस खोपड़ी की माला को लेकर बाहर निकलना था।” सुयश ने हंसकर कहा- “यही है तिलिस्मा का गेट पास।“

अब तौफीक ने खोपड़ी को वापस अंदर की ओर फेंक दिया। इस बार शैफाली खोपड़ी लेकर बाहर निकल गयी।

उसके बाद फिर क्रिस्टी, फिर ऐलेक्स और फिर जेनिथ। जेनिथ ने बाहर निकलकर खोपड़ी को वापस अंदर की ओर फेंक दिया।

पर सुयश ने जब बाहर निकलने की कोशिश की तो इस बार उसे करंट का झटका लगा। तयह देख सुयश हैरान हो गया।

“इस माला ने सबको निकाल दिया, पर यह माला मुझे बाहर लेकर क्यों नहीं जा रही है?” सुयश मन ही मन बड़बड़ा उठा।

तभी तौफीक ने सुयश को बाहर ना निकलते देख पूछ लिया- “क्या हुआ कैप्टेन आप बाहर क्यों नहीं आ रहे हैं?”

सुयश ने तौफीक को भी परेशानी बता दी।

यह सुन तौफीक अंदर की ओर वापस आने चला, पर उसे करंट का झटका लगा, जिसका साफ मतलब था कि बाहर आया हुआ कोई भी व्यक्ति अब अंदर नहीं जा सकता।

यानि कि सुयश को अपनी परेशानी स्वयं ही समाप्त करनी थी। सुयश लगातार सोच रहा था।

तभी उसकी नजर उस कील पर गई, जिस पर वह खोपड़ी की माला लटकी थी।

सुयश अब वहां जाकर ध्यान से उस कील को देखने लगा। कील को छूने पर सुयश को वह कील हिलती हुई दिखाई दी।

अब सुयश इस मायाजाल को समझ गया था।

“तो ये बात है, इस खोपड़ी की माला को उतारते ही यह कील ऊपर की ओर हो जाती है, यानि यही इस झोपड़ी का इग्नीशन है, जो कि इसे उड़ाने में सहायक है। यानि कि मैं बिना माला टांगे यहां से बाहर नहीं जा सकता और बिना इस माला को लिये भी मैं बाहर नहीं जा सकता। ...... हे भगवान अब ये कैसा मायाजाल है?” अब सुयश परेशान हो उठा।

“कैसे....आखिर कैसे यह संभव है?”

तभी सुयश को सामने पड़ी मटकी दिखाई दी।

उसे तुरंत अपने ही बोले शब्द याद आ गये कि मटकी का कार्य अगर खत्म हो जाता तो मटकी भी गायब हो गई होती।

यह ध्यान कर सुयश की आँखें खुशी से चमकने लगीं।

उसने एक हाथ में खोपड़ी और दूसरे हाथ में मटकी लेकर दोनों का वजन किया। दोनों का ही वजन लगभग एक समान ही था।

अब सुयश ने सोने के डोंगे में बंधे धागे को खोलकर उस धागे से मटकी को बांधकर, उसे भी खोपड़ी की माला जैसा बना दिया।

अब सुयश ने खोपड़ी की माला को उतारकर अपने गले में पहन लिया। इसके बाद उस मटकी की माला को उस कील पर टांग दिया।

मटकी को कील पर टांगते ही कील वापस नीचे आ गई।

अब सुयश मुस्कुराया और झोपड़ी के द्वार की ओर चल दिया। वह समझ गया था कि दीवार पर खोपड़ी की माला टंगे रहना जरुरी नहीं था, बल्कि उस कील का नीचे झुके रहना जरुरी था।

सुयश ने अपना एक पैर बाहर निकाला और फिर पूरा का पूरा बाहर निकल गया। सभी सुयश को बाहर निकलते देखकर खुश हो गये।

तभी झोपड़ी हवा में गायब हो गई और झोपड़ी के अंदर रखा वह पत्थर, काँच के बर्तन, मछली और नीलकमल पोसाईडन के पैर में बने दरवाजे में समा गया।

सभी ने एक दूसरे को देखकर, फिर हाथ मिलाये और एकता की शक्ति का मूलमंत्र दोहराते हुए पोसाईडन पर्वत के पैर में बने दरवाजे की ओर बढ़ चले।

यह वो साधारण मनुष्य थे, जिनके पास हिम्मत, विश्वास, बुद्धि, ज्ञान और सबसे बढ़कर कभी ना झुकने का हौसला था।

उन्हें डर नहीं था, देवताओं की उन शक्ति से भी, जो तिलिस्मा के अंदर मौत बनकर बैठी उनका इंतजार कर रहीं थीं।

वह सभी तिलिस्मा की ओर ऐसे बढ़ रहे थे, जैसे कुछ मतवाले हाथियों का झुण्ड लहलहाते हुए गन्ने के खेत की ओर बढ़ता है।

प्रश्नमाला

दोस्तों जैसा कि आप देख रहे हैं कि यह कथानक बहुत तेजी से बढ़ता जा रहा है और हर पेज पर आपके दिमाग एक नया प्रश्न खड़ा करता जा रहा है। प्रश्नों की संख्या अब इतनी ज्यादा हो चुकी है कि अब
वह मस्तिष्क में एकत्रित नहीं हो पा रहे हैं।

तो क्यों न इन सारे प्रश्नों को एक जगह पर एकत्रित कर लें-
1) क्या वेगा अराका द्वीप के बारे में सबकुछ जानता था?
2) ‘अटलांटिस का इतिहास’ नामक किताब ‘लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस' में कैसे पहुची? क्या इसके लेखक वेगा के बाबा कलाट ही थे? क्या इस किताब से और भी राज आगे खुले?
3) क्या वेगा को सम्मोहन आता था?
4) नीलाभ अब कहां गायब हो गया था? उसके पास कैसी शक्तियां थीं?
5) माया से विदा लेने के बाद मेरोन और सोफिया का क्या हुआ?
6) ट्रांस अंटार्कटिक के पहाड़ों में दबा शलाका का महल असल में क्या था?
7) हनुका कौन था? ...देव ने नीलाभ के विवाह में उपहार स्वरुप हनुका को क्यों दिया?
8) क्या थी वह जीवशक्ति और वृक्षशक्ति जिससे मैग्ना ने मायावन का निर्माण किया था?
9) क्या जेनिथ सुयश के सामने तौफीक का राज खोल पायी?
10) पंचशूल का निर्माण किसने और क्यों किया था?
11) क्रिस्टी को नदी की तली से मिली, वह काँच की पेंसिल कैसी थी?
12) हवा के गोले में समाने के बाद गोंजालो का क्या हुआ?
13) कैस्पर के समुद्री घोड़े जीको का क्या रहस्य था? वह उड़ने वाला घोड़ा कैसे बन जाता था?
14) क्या देवी शलाका के भाइयों के पास सच में कोई शक्ति थी?
15) शैफाली को मैग्ना की ड्रेस तक पहुंचाने वाली पेंग्विन और डॉल्फिन क्या थीं?
16) धरा के भाई विराज के बारे में वेगा कैसे जान गया था? वेगा को वीनस की भी सारी बातें पता थीं। तो क्या वेगा के पास और भी कोई शक्ति थी?
17) काँच के अष्टकोण में बंद वह छोटा बालक कौन था? जिसका चित्र देखकर सुयश को कुछ आवाजें सुनाई देनें लगीं थीं?
18) वेदांत रहस्यम् में ऐसे कौन से राज छिपे थे? जिसके कारण शलाका सुयश को वह किताब पढ़ने नहीं दे रही थी?
19) लुफासा की इच्छाधारी शक्ति का क्या रहस्य था?
20) सीनोर राज्य में मकोटा ने पिरामिड क्यों बनवाया था?
21) मकोटा के द्वारा आकृति को दिये ‘नीलदंड’ में क्या विशेषताएं थीं?
22) आकृति का चेहरा शलाका से कैसे मिलने लगा? वह पिछले 5000 वर्षों से जिंदा कैसे है?
23) ऐमू के अमरत्व का क्या राज है?
24) जैगन का सेवक गोंजालो का क्या राज है? सीनोर राज्य में उसकी मूर्ति क्यों लगी है?
25) क्या सनूरा की शक्तियों का राज एक रहस्यमय बिल्ली है?
26) आकृति वेदांत रहस्यम् क्यों छीनना चाह रही थी?
27) आर्यन ने स्वयं अपनी मौत का वरण क्यों किया था?
28) आकृति शलाका के चेहरे से क्यों परेशान है?
29) मैग्ना का ड्रैगन, लैडन नदी की तली में क्यों सो रहा था? मेलाइट उसे क्यों जगाना चाहती थी?
30) पृथ्वी की ओजोन लेयर कैसे टूट गयी थी?
31) 3 आँख और 4 हाथ वाले उस विचित्र जीव का क्या रहस्य था? कैस्पर की शक्तियां इस्तेमाल करके उसे किसने बनाया था?
32) सुर्वया की दिव्यदृष्टि का क्या रहस्य था?
33) ब्रह्मकलश के अमरत्व का क्या रहस्य था?
34) आकृति सुनहरी ढाल क्यों प्राप्त करना चाहती थी?
35) वुल्फा कौन था? क्या उसमें भी शैतानी शक्तियां थीं?
36) उड़नतश्तरी के अंदर मौजूद 6 फुट का हरा कीड़ा बाकी कीड़ों से अलग क्यों था? वह इंसानों की तरह कैसे चल रहा था?
37) मकोटा के सर्पदंड का क्या रहस्य था?
38) सामरा राज्य पर स्थित अटलांटिस वृक्ष का क्या रहस्य है? उसने किस प्रकार युगाका को वृक्षशक्ति दी?
39) सागरिका, वेगिका, अग्निका आदि चमत्कारी पुस्तकों का क्या रहस्य था?
40) कैसा था तिलिस्मा? उसमें कौन सी मुसीबतें छिपीं थीं?
41) क्या तिलिस्मा में घुसे सभी लोग तिलिस्मा को पार कर काला मोती प्राप्त कर सके?
42) क्या माया कैस्पर को उसकी असलियत बता पायी?

ऐसे ही ना जाने कितने सवाल होंगे जो आपके दिमाग में घूम रहे होंगें।

तो दोस्तों इन सारे अनसुलझे सवालों के जवाब हम इस समय नहीं दे पा रहे हैं। तो इंतजार कीजिए हमारे इसके अगले चैप्टर का जिसमें हम आपको ले चलेंगे, इस तिलिस्म के एक ऐसे अद्भुत संसार में, जहां पर छिपी तिलिस्मी मौत बेसब्री से अपने शिकार का इंतजार कर रही है।....................

दोस्तों इन्द्रधनुष के रंगों की मांनिद होती है एक लेखक की रचनाएं। जिस प्रकार इन्द्रधनुष में सात रंग होते हैं, ठीक उसी प्रकार लेखक की रचनाओं में भी सात रंग पाये जाते हैं। हर रंग अपने आप में एक अलग पहचान रखता है।

एक उच्चस्तरीय लेख लिखने के लिए सबसे पहले एक सम्मोहक कथानक की आवश्यकता होती है, फिर इसके एक एक पात्र को मनका समझकर माला में पिरोया जाता है, जिससे पाठकों को हर एक पात्र के जीवंत दर्शन हो सके।

फिर कल्पना के असीम सागर में डुबकी लगाकर मोतियों की तरह एक एक शब्द को चुनकर उनके भावों को अभिव्यक्त करना पड़ता है। तब कहीं जाकर तैयार होती है एक लेखक की रचना।

दोस्तों इस कथा को लिखने में बहुत मेहनत और शोध लगा है। अगर आपको यह कथा अच्छी लगी, तो कृपया इसको रिव्यू देना ना भूलें। आपका यह छोटा सा प्रयास मुझे और अच्छा लिखने के लिये प्रेरित करेगा।

"दूसरों को बनाने में तमाम उम्र गुजारी है,
पंख नये हैं पर अब मेरे उड़ने की बारी है“



जारी ररहेगा_______✍️
Bhut hi jabardast update bhai

Sabhi ne apni suj bujh aur ekta se is jhopdi ko bhi paar kar liya aur ab aa pahuche hai us jagah jaha inka kadam kadam par moat intezar kar rahi hai

To kahani ka ye baag bhi pura ho gaya
Ab agle baag me shuru hogi tilism ki sair
 

dhparikh

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#144.

सुयश ने उस कील से खोपड़ी की माला उतार ली। माला उतारने के बाद, वह कील थोड़ी सी ऊपर की ओर खिसक गई, पर सुयश इस बदलाव को देख नहीं पाया।

सुयश ने खोपड़ी वाली माला को उलट-पुलट कर देखा, पर उसमें कुछ भी विचित्र नहीं था।

काफी देर तक ऐसे ही झोपड़ी में घूमने के बाद भी, किसी को ऐसा कोई सुराग नहीं मिला, जिससे यह पता चल पाता कि झोपड़ी कैसे उड़ेगी?

“कैप्टेन, क्यों ना इस काँच के बर्तन में भी हाथ डालकर उन मछलियों को देखें? क्या पता उनमें कुछ रहस्य छिपा हो।” तौफीक ने कहा।

सुयश की बात सुन जेनिथ ने आगे बढ़कर पहले उस नीलकमल को निकाल लिया, पर नीलकमल को निकालते ही झोपड़ी ऊपर की ओर हवा में उड़ने लगी।

यह देख सभी जमीन पर बैठ गये

“यह कैसे संभव हुआ? इस फूल को तो पहले भी हम निकाल कर देख चुके थे, तब तो कुछ नहीं हुआ था।” ऐलेक्स ने आश्चर्य से उस फूल की ओर देखते हुए कहा।

झोपड़ी अब हवा में नाच रही थी, पर अब उसे जमीन पर उतारना किसी को नहीं आता था। झोपड़ी के उड़ने से, इन्हें झटके नहीं लग रहे थे।

जब कुछ देर तक झोपड़ी को उड़ते हुए हो गया, तो सुयश बोल उठा- “लगता है कि इस झोपड़ी को उतारना भी हमें ही पड़ेगा।....जेनिथ तुम फूल को अपनी जगह पर वापस रख दो।”

जेनिथ ने फूल को वापस रख दिया, फिर भी झोपड़ी का उड़ना बंद नहीं हुआ। जेनिथ ने यह देख फूल को थोड़ा हिला-डुला कर देखा।

पर जेनिथ के फूल को हिलाते ही, झोपड़ी एक ही जगह पर गोल-गोल नाचने लगी।

यह देख सुयश उस नीलकमल के पास आकर ध्यान से उस फूल को देखने लगा।

“यह पूरा सिस्टम किसी मशीन की तरह काम कर रहा है।” सुयश ने कहा- “जैसे कि कोई कार। अब अगर ध्यान दें तो उस मटकी का पानी इस झोपड़ी का फ्यूल का काम कर रहा है, यह फूल इस झोपड़ी का स्टेयरिंग है। हम इस फूल को जिस दिशा में घुमा रहें हैं, यह झोपड़ी उस दिशा में घूम जा रही है। फिर तो काँच में मौजूद यह द्रव्य इंजन ऑयल की तरह होगा। इसका साफ मतलब है कि कहीं ना कहीं इस झोपड़ी को स्टार्ट करने वाला इग्नीशन भी रहा होगा, जिससे हमने अंजाने में ही, इस झोपड़ी को आसमान में उड़ा दिया। पर कहां?”

इतना कहकर सुयश अपने हाथ में पकड़ी, उस खोपड़ी की माला को देखने लगा। कुछ पल सुयश ने सोचा और उस खोपड़ी की माला को उसी कील पर टांग दिया।

माला के कील पर टंगते ही झोपड़ी जमीन पर उतर गई। अब झोपड़ी के दरवाजे के सामने पोसाईडन की मूर्ति दिखाई दे रही थी।

पोसाईडन की मूर्ति के पैर में एक बड़ा सा दरवाजा खुला हुआ दिखाई दे रहा था।

“लगता है कि हमें उस पोसाईडन की मूर्ति के, पैर में बने दरवाजे से, अंदर की ओर जाना है।” तौफीक ने बाहर की ओर देखते हुए कहा।

ऐलेक्स ने जैसे ही झोपड़ी के दरवाजे से बाहर जाने के अपना कदम बाहर की ओर बढ़ाया ।

एकाएक क्रिस्टी ने ऐलेक्स का हाथ जोर से अंदर की ओर खींचा।

ऐलेक्स झोपड़ी के अंदर आ गिरा और क्रिस्टी को अजीब सी नजरों से घूरने लगा।

“क्या हुआ क्रिस्टी? तुमने ऐलेक्स के साथ ऐसा क्यों किया?” सुयश ने भी क्रिस्टी को घूरते हुए पूछा।

“कैप्टेन, जब ऐलेक्स ने अपना पैर बाहर की ओर निकाला, तो उसका पैर बाहर दिखाई नहीं दिया, इसी लिये मैंने ऐलेक्स को अंदर की ओर खींचा था।” क्रिस्टी के शब्द पूरी तरह से रहस्य से भरे नजर आ रहे थे।

“मैं कुछ समझा नहीं ।” ऐलेक्स को भी क्रिस्टी की बातें समझ में नहीं आयी- “तुम कहना क्या चाहती हो क्रिस्टी?”

“आओ, दिखाती हूं तुम्हें।” यह कहकर क्रिस्टी ने ऐलेक्स को सहारा देकर जमीन से उठाया और उसे लेकर झोपड़ी के द्वार के पास पहुंच गयी।

“अब जरा एक बार फिर अपना पैर झोपड़ी से बाहर निकालो ऐलेक्स।” क्रिस्टी ने कहा।

ऐलेक्स ने क्रिस्टी के कहे अनुसार अपना एक पैर बाहर निकाला, पर ऐलेक्स को अपना पैर द्वार से बाहर कहीं दिखाई नहीं दिया।

यह देख ऐलेक्स ने घबरा कर अपना पैर वापस अंदर की ओर खींच लिया।

“यह कौन सी परेशानी है? यह दरवाजा हमें कहां ले जा रहा है?” सुयश ने कहा।

“कैप्टेन अंकल, शायद यह द्वार हमें तिलिस्मा में नहीं बल्कि कहीं और ले जा रहा है।” शैफाली ने अपना तर्क दिया।

“तो फिर क्या हम सामने दिख रहे तिलिस्म में प्रवेश नहीं कर सकते?” जेनिथ ने कहा।

“कुछ तो गड़बड़ है, जो हमें समझ में नहीं आ रहा?” सुयश का दिमाग तेजी से चलने लगा- “कहीं ऐसा तो नहीं कि हमें तिलिस्मा में घुसने के लिये कोई कार्ड या फिर गेट पास जैसी कोई चीज चाहिये, क्यों कि
तिलिस्मा में हमें ले तो यही झोपड़ी जायेगी।”

“कैप्टेन अंकल क्या पता हमें झोपड़ी में मौजूद किसी सामान को लेकर तिलिस्मा में जाना हो?” शैफाली ने कहा- “अगर आप कहें तो ये भी ट्राई करके देख लें।”

“चलो यह भी करके देख लेते हैं।” सुयश ने कहा- “सबसे पहले इस मटकी को ले चलते हैं क्यों कि जब पंख को पानी पिलाने के बाद खिड़की गायब हो गई, तो मटकी क्यों नहीं हुई। इसका मतलब मटकी का काम अभी झोपड़ी से खत्म नहीं हुआ है।”

यह कहकर सुयश ने मटकी तौफीक को पकड़ा कर बाहर निकलने की ओर इशारा किया।

तौफीक ने मटकी को लेकर झोपड़ी से निकलने की कोशिश की। पर वह बाहर नहीं जा पाया।

इसके बाद उसने फूल को ट्राई किया, फिर भी वो सफल नहीं हुआ। अब फूल को यथा स्थान रखकर तौफीक ने खोपड़ी की माला उतार ली।

तौफीक उस खोपड़ी की माला को जैसे लेकर निकलने चला, वह आसानी से बाहर निकल गया।

यह देख सबकी जान में जान आयी।

“तो इस खोपड़ी की माला को लेकर बाहर निकलना था।” सुयश ने हंसकर कहा- “यही है तिलिस्मा का गेट पास।“

अब तौफीक ने खोपड़ी को वापस अंदर की ओर फेंक दिया। इस बार शैफाली खोपड़ी लेकर बाहर निकल गयी।

उसके बाद फिर क्रिस्टी, फिर ऐलेक्स और फिर जेनिथ। जेनिथ ने बाहर निकलकर खोपड़ी को वापस अंदर की ओर फेंक दिया।

पर सुयश ने जब बाहर निकलने की कोशिश की तो इस बार उसे करंट का झटका लगा। तयह देख सुयश हैरान हो गया।

“इस माला ने सबको निकाल दिया, पर यह माला मुझे बाहर लेकर क्यों नहीं जा रही है?” सुयश मन ही मन बड़बड़ा उठा।

तभी तौफीक ने सुयश को बाहर ना निकलते देख पूछ लिया- “क्या हुआ कैप्टेन आप बाहर क्यों नहीं आ रहे हैं?”

सुयश ने तौफीक को भी परेशानी बता दी।

यह सुन तौफीक अंदर की ओर वापस आने चला, पर उसे करंट का झटका लगा, जिसका साफ मतलब था कि बाहर आया हुआ कोई भी व्यक्ति अब अंदर नहीं जा सकता।

यानि कि सुयश को अपनी परेशानी स्वयं ही समाप्त करनी थी। सुयश लगातार सोच रहा था।

तभी उसकी नजर उस कील पर गई, जिस पर वह खोपड़ी की माला लटकी थी।

सुयश अब वहां जाकर ध्यान से उस कील को देखने लगा। कील को छूने पर सुयश को वह कील हिलती हुई दिखाई दी।

अब सुयश इस मायाजाल को समझ गया था।

“तो ये बात है, इस खोपड़ी की माला को उतारते ही यह कील ऊपर की ओर हो जाती है, यानि यही इस झोपड़ी का इग्नीशन है, जो कि इसे उड़ाने में सहायक है। यानि कि मैं बिना माला टांगे यहां से बाहर नहीं जा सकता और बिना इस माला को लिये भी मैं बाहर नहीं जा सकता। ...... हे भगवान अब ये कैसा मायाजाल है?” अब सुयश परेशान हो उठा।

“कैसे....आखिर कैसे यह संभव है?”

तभी सुयश को सामने पड़ी मटकी दिखाई दी।

उसे तुरंत अपने ही बोले शब्द याद आ गये कि मटकी का कार्य अगर खत्म हो जाता तो मटकी भी गायब हो गई होती।

यह ध्यान कर सुयश की आँखें खुशी से चमकने लगीं।

उसने एक हाथ में खोपड़ी और दूसरे हाथ में मटकी लेकर दोनों का वजन किया। दोनों का ही वजन लगभग एक समान ही था।

अब सुयश ने सोने के डोंगे में बंधे धागे को खोलकर उस धागे से मटकी को बांधकर, उसे भी खोपड़ी की माला जैसा बना दिया।

अब सुयश ने खोपड़ी की माला को उतारकर अपने गले में पहन लिया। इसके बाद उस मटकी की माला को उस कील पर टांग दिया।

मटकी को कील पर टांगते ही कील वापस नीचे आ गई।

अब सुयश मुस्कुराया और झोपड़ी के द्वार की ओर चल दिया। वह समझ गया था कि दीवार पर खोपड़ी की माला टंगे रहना जरुरी नहीं था, बल्कि उस कील का नीचे झुके रहना जरुरी था।

सुयश ने अपना एक पैर बाहर निकाला और फिर पूरा का पूरा बाहर निकल गया। सभी सुयश को बाहर निकलते देखकर खुश हो गये।

तभी झोपड़ी हवा में गायब हो गई और झोपड़ी के अंदर रखा वह पत्थर, काँच के बर्तन, मछली और नीलकमल पोसाईडन के पैर में बने दरवाजे में समा गया।

सभी ने एक दूसरे को देखकर, फिर हाथ मिलाये और एकता की शक्ति का मूलमंत्र दोहराते हुए पोसाईडन पर्वत के पैर में बने दरवाजे की ओर बढ़ चले।

यह वो साधारण मनुष्य थे, जिनके पास हिम्मत, विश्वास, बुद्धि, ज्ञान और सबसे बढ़कर कभी ना झुकने का हौसला था।

उन्हें डर नहीं था, देवताओं की उन शक्ति से भी, जो तिलिस्मा के अंदर मौत बनकर बैठी उनका इंतजार कर रहीं थीं।

वह सभी तिलिस्मा की ओर ऐसे बढ़ रहे थे, जैसे कुछ मतवाले हाथियों का झुण्ड लहलहाते हुए गन्ने के खेत की ओर बढ़ता है।

प्रश्नमाला

दोस्तों जैसा कि आप देख रहे हैं कि यह कथानक बहुत तेजी से बढ़ता जा रहा है और हर पेज पर आपके दिमाग एक नया प्रश्न खड़ा करता जा रहा है। प्रश्नों की संख्या अब इतनी ज्यादा हो चुकी है कि अब
वह मस्तिष्क में एकत्रित नहीं हो पा रहे हैं।

तो क्यों न इन सारे प्रश्नों को एक जगह पर एकत्रित कर लें-
1) क्या वेगा अराका द्वीप के बारे में सबकुछ जानता था?
2) ‘अटलांटिस का इतिहास’ नामक किताब ‘लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस' में कैसे पहुची? क्या इसके लेखक वेगा के बाबा कलाट ही थे? क्या इस किताब से और भी राज आगे खुले?
3) क्या वेगा को सम्मोहन आता था?
4) नीलाभ अब कहां गायब हो गया था? उसके पास कैसी शक्तियां थीं?
5) माया से विदा लेने के बाद मेरोन और सोफिया का क्या हुआ?
6) ट्रांस अंटार्कटिक के पहाड़ों में दबा शलाका का महल असल में क्या था?
7) हनुका कौन था? ...देव ने नीलाभ के विवाह में उपहार स्वरुप हनुका को क्यों दिया?
8) क्या थी वह जीवशक्ति और वृक्षशक्ति जिससे मैग्ना ने मायावन का निर्माण किया था?
9) क्या जेनिथ सुयश के सामने तौफीक का राज खोल पायी?
10) पंचशूल का निर्माण किसने और क्यों किया था?
11) क्रिस्टी को नदी की तली से मिली, वह काँच की पेंसिल कैसी थी?
12) हवा के गोले में समाने के बाद गोंजालो का क्या हुआ?
13) कैस्पर के समुद्री घोड़े जीको का क्या रहस्य था? वह उड़ने वाला घोड़ा कैसे बन जाता था?
14) क्या देवी शलाका के भाइयों के पास सच में कोई शक्ति थी?
15) शैफाली को मैग्ना की ड्रेस तक पहुंचाने वाली पेंग्विन और डॉल्फिन क्या थीं?
16) धरा के भाई विराज के बारे में वेगा कैसे जान गया था? वेगा को वीनस की भी सारी बातें पता थीं। तो क्या वेगा के पास और भी कोई शक्ति थी?
17) काँच के अष्टकोण में बंद वह छोटा बालक कौन था? जिसका चित्र देखकर सुयश को कुछ आवाजें सुनाई देनें लगीं थीं?
18) वेदांत रहस्यम् में ऐसे कौन से राज छिपे थे? जिसके कारण शलाका सुयश को वह किताब पढ़ने नहीं दे रही थी?
19) लुफासा की इच्छाधारी शक्ति का क्या रहस्य था?
20) सीनोर राज्य में मकोटा ने पिरामिड क्यों बनवाया था?
21) मकोटा के द्वारा आकृति को दिये ‘नीलदंड’ में क्या विशेषताएं थीं?
22) आकृति का चेहरा शलाका से कैसे मिलने लगा? वह पिछले 5000 वर्षों से जिंदा कैसे है?
23) ऐमू के अमरत्व का क्या राज है?
24) जैगन का सेवक गोंजालो का क्या राज है? सीनोर राज्य में उसकी मूर्ति क्यों लगी है?
25) क्या सनूरा की शक्तियों का राज एक रहस्यमय बिल्ली है?
26) आकृति वेदांत रहस्यम् क्यों छीनना चाह रही थी?
27) आर्यन ने स्वयं अपनी मौत का वरण क्यों किया था?
28) आकृति शलाका के चेहरे से क्यों परेशान है?
29) मैग्ना का ड्रैगन, लैडन नदी की तली में क्यों सो रहा था? मेलाइट उसे क्यों जगाना चाहती थी?
30) पृथ्वी की ओजोन लेयर कैसे टूट गयी थी?
31) 3 आँख और 4 हाथ वाले उस विचित्र जीव का क्या रहस्य था? कैस्पर की शक्तियां इस्तेमाल करके उसे किसने बनाया था?
32) सुर्वया की दिव्यदृष्टि का क्या रहस्य था?
33) ब्रह्मकलश के अमरत्व का क्या रहस्य था?
34) आकृति सुनहरी ढाल क्यों प्राप्त करना चाहती थी?
35) वुल्फा कौन था? क्या उसमें भी शैतानी शक्तियां थीं?
36) उड़नतश्तरी के अंदर मौजूद 6 फुट का हरा कीड़ा बाकी कीड़ों से अलग क्यों था? वह इंसानों की तरह कैसे चल रहा था?
37) मकोटा के सर्पदंड का क्या रहस्य था?
38) सामरा राज्य पर स्थित अटलांटिस वृक्ष का क्या रहस्य है? उसने किस प्रकार युगाका को वृक्षशक्ति दी?
39) सागरिका, वेगिका, अग्निका आदि चमत्कारी पुस्तकों का क्या रहस्य था?
40) कैसा था तिलिस्मा? उसमें कौन सी मुसीबतें छिपीं थीं?
41) क्या तिलिस्मा में घुसे सभी लोग तिलिस्मा को पार कर काला मोती प्राप्त कर सके?
42) क्या माया कैस्पर को उसकी असलियत बता पायी?

ऐसे ही ना जाने कितने सवाल होंगे जो आपके दिमाग में घूम रहे होंगें।

तो दोस्तों इन सारे अनसुलझे सवालों के जवाब हम इस समय नहीं दे पा रहे हैं। तो इंतजार कीजिए हमारे इसके अगले चैप्टर का जिसमें हम आपको ले चलेंगे, इस तिलिस्म के एक ऐसे अद्भुत संसार में, जहां पर छिपी तिलिस्मी मौत बेसब्री से अपने शिकार का इंतजार कर रही है।....................

दोस्तों इन्द्रधनुष के रंगों की मांनिद होती है एक लेखक की रचनाएं। जिस प्रकार इन्द्रधनुष में सात रंग होते हैं, ठीक उसी प्रकार लेखक की रचनाओं में भी सात रंग पाये जाते हैं। हर रंग अपने आप में एक अलग पहचान रखता है।

एक उच्चस्तरीय लेख लिखने के लिए सबसे पहले एक सम्मोहक कथानक की आवश्यकता होती है, फिर इसके एक एक पात्र को मनका समझकर माला में पिरोया जाता है, जिससे पाठकों को हर एक पात्र के जीवंत दर्शन हो सके।

फिर कल्पना के असीम सागर में डुबकी लगाकर मोतियों की तरह एक एक शब्द को चुनकर उनके भावों को अभिव्यक्त करना पड़ता है। तब कहीं जाकर तैयार होती है एक लेखक की रचना।

दोस्तों इस कथा को लिखने में बहुत मेहनत और शोध लगा है। अगर आपको यह कथा अच्छी लगी, तो कृपया इसको रिव्यू देना ना भूलें। आपका यह छोटा सा प्रयास मुझे और अच्छा लिखने के लिये प्रेरित करेगा।

"दूसरों को बनाने में तमाम उम्र गुजारी है,
पंख नये हैं पर अब मेरे उड़ने की बारी है“



जारी ररहेगा_______✍️
Nice update....
 

dhalchandarun

[Death is the most beautiful thing.]
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#144.

सुयश ने उस कील से खोपड़ी की माला उतार ली। माला उतारने के बाद, वह कील थोड़ी सी ऊपर की ओर खिसक गई, पर सुयश इस बदलाव को देख नहीं पाया।

सुयश ने खोपड़ी वाली माला को उलट-पुलट कर देखा, पर उसमें कुछ भी विचित्र नहीं था।

काफी देर तक ऐसे ही झोपड़ी में घूमने के बाद भी, किसी को ऐसा कोई सुराग नहीं मिला, जिससे यह पता चल पाता कि झोपड़ी कैसे उड़ेगी?

“कैप्टेन, क्यों ना इस काँच के बर्तन में भी हाथ डालकर उन मछलियों को देखें? क्या पता उनमें कुछ रहस्य छिपा हो।” तौफीक ने कहा।

सुयश की बात सुन जेनिथ ने आगे बढ़कर पहले उस नीलकमल को निकाल लिया, पर नीलकमल को निकालते ही झोपड़ी ऊपर की ओर हवा में उड़ने लगी।

यह देख सभी जमीन पर बैठ गये

“यह कैसे संभव हुआ? इस फूल को तो पहले भी हम निकाल कर देख चुके थे, तब तो कुछ नहीं हुआ था।” ऐलेक्स ने आश्चर्य से उस फूल की ओर देखते हुए कहा।

झोपड़ी अब हवा में नाच रही थी, पर अब उसे जमीन पर उतारना किसी को नहीं आता था। झोपड़ी के उड़ने से, इन्हें झटके नहीं लग रहे थे।

जब कुछ देर तक झोपड़ी को उड़ते हुए हो गया, तो सुयश बोल उठा- “लगता है कि इस झोपड़ी को उतारना भी हमें ही पड़ेगा।....जेनिथ तुम फूल को अपनी जगह पर वापस रख दो।”

जेनिथ ने फूल को वापस रख दिया, फिर भी झोपड़ी का उड़ना बंद नहीं हुआ। जेनिथ ने यह देख फूल को थोड़ा हिला-डुला कर देखा।

पर जेनिथ के फूल को हिलाते ही, झोपड़ी एक ही जगह पर गोल-गोल नाचने लगी।

यह देख सुयश उस नीलकमल के पास आकर ध्यान से उस फूल को देखने लगा।

“यह पूरा सिस्टम किसी मशीन की तरह काम कर रहा है।” सुयश ने कहा- “जैसे कि कोई कार। अब अगर ध्यान दें तो उस मटकी का पानी इस झोपड़ी का फ्यूल का काम कर रहा है, यह फूल इस झोपड़ी का स्टेयरिंग है। हम इस फूल को जिस दिशा में घुमा रहें हैं, यह झोपड़ी उस दिशा में घूम जा रही है। फिर तो काँच में मौजूद यह द्रव्य इंजन ऑयल की तरह होगा। इसका साफ मतलब है कि कहीं ना कहीं इस झोपड़ी को स्टार्ट करने वाला इग्नीशन भी रहा होगा, जिससे हमने अंजाने में ही, इस झोपड़ी को आसमान में उड़ा दिया। पर कहां?”

इतना कहकर सुयश अपने हाथ में पकड़ी, उस खोपड़ी की माला को देखने लगा। कुछ पल सुयश ने सोचा और उस खोपड़ी की माला को उसी कील पर टांग दिया।

माला के कील पर टंगते ही झोपड़ी जमीन पर उतर गई। अब झोपड़ी के दरवाजे के सामने पोसाईडन की मूर्ति दिखाई दे रही थी।

पोसाईडन की मूर्ति के पैर में एक बड़ा सा दरवाजा खुला हुआ दिखाई दे रहा था।

“लगता है कि हमें उस पोसाईडन की मूर्ति के, पैर में बने दरवाजे से, अंदर की ओर जाना है।” तौफीक ने बाहर की ओर देखते हुए कहा।

ऐलेक्स ने जैसे ही झोपड़ी के दरवाजे से बाहर जाने के अपना कदम बाहर की ओर बढ़ाया ।

एकाएक क्रिस्टी ने ऐलेक्स का हाथ जोर से अंदर की ओर खींचा।

ऐलेक्स झोपड़ी के अंदर आ गिरा और क्रिस्टी को अजीब सी नजरों से घूरने लगा।

“क्या हुआ क्रिस्टी? तुमने ऐलेक्स के साथ ऐसा क्यों किया?” सुयश ने भी क्रिस्टी को घूरते हुए पूछा।

“कैप्टेन, जब ऐलेक्स ने अपना पैर बाहर की ओर निकाला, तो उसका पैर बाहर दिखाई नहीं दिया, इसी लिये मैंने ऐलेक्स को अंदर की ओर खींचा था।” क्रिस्टी के शब्द पूरी तरह से रहस्य से भरे नजर आ रहे थे।

“मैं कुछ समझा नहीं ।” ऐलेक्स को भी क्रिस्टी की बातें समझ में नहीं आयी- “तुम कहना क्या चाहती हो क्रिस्टी?”

“आओ, दिखाती हूं तुम्हें।” यह कहकर क्रिस्टी ने ऐलेक्स को सहारा देकर जमीन से उठाया और उसे लेकर झोपड़ी के द्वार के पास पहुंच गयी।

“अब जरा एक बार फिर अपना पैर झोपड़ी से बाहर निकालो ऐलेक्स।” क्रिस्टी ने कहा।

ऐलेक्स ने क्रिस्टी के कहे अनुसार अपना एक पैर बाहर निकाला, पर ऐलेक्स को अपना पैर द्वार से बाहर कहीं दिखाई नहीं दिया।

यह देख ऐलेक्स ने घबरा कर अपना पैर वापस अंदर की ओर खींच लिया।

“यह कौन सी परेशानी है? यह दरवाजा हमें कहां ले जा रहा है?” सुयश ने कहा।

“कैप्टेन अंकल, शायद यह द्वार हमें तिलिस्मा में नहीं बल्कि कहीं और ले जा रहा है।” शैफाली ने अपना तर्क दिया।

“तो फिर क्या हम सामने दिख रहे तिलिस्म में प्रवेश नहीं कर सकते?” जेनिथ ने कहा।

“कुछ तो गड़बड़ है, जो हमें समझ में नहीं आ रहा?” सुयश का दिमाग तेजी से चलने लगा- “कहीं ऐसा तो नहीं कि हमें तिलिस्मा में घुसने के लिये कोई कार्ड या फिर गेट पास जैसी कोई चीज चाहिये, क्यों कि
तिलिस्मा में हमें ले तो यही झोपड़ी जायेगी।”

“कैप्टेन अंकल क्या पता हमें झोपड़ी में मौजूद किसी सामान को लेकर तिलिस्मा में जाना हो?” शैफाली ने कहा- “अगर आप कहें तो ये भी ट्राई करके देख लें।”

“चलो यह भी करके देख लेते हैं।” सुयश ने कहा- “सबसे पहले इस मटकी को ले चलते हैं क्यों कि जब पंख को पानी पिलाने के बाद खिड़की गायब हो गई, तो मटकी क्यों नहीं हुई। इसका मतलब मटकी का काम अभी झोपड़ी से खत्म नहीं हुआ है।”

यह कहकर सुयश ने मटकी तौफीक को पकड़ा कर बाहर निकलने की ओर इशारा किया।

तौफीक ने मटकी को लेकर झोपड़ी से निकलने की कोशिश की। पर वह बाहर नहीं जा पाया।

इसके बाद उसने फूल को ट्राई किया, फिर भी वो सफल नहीं हुआ। अब फूल को यथा स्थान रखकर तौफीक ने खोपड़ी की माला उतार ली।

तौफीक उस खोपड़ी की माला को जैसे लेकर निकलने चला, वह आसानी से बाहर निकल गया।

यह देख सबकी जान में जान आयी।

“तो इस खोपड़ी की माला को लेकर बाहर निकलना था।” सुयश ने हंसकर कहा- “यही है तिलिस्मा का गेट पास।“

अब तौफीक ने खोपड़ी को वापस अंदर की ओर फेंक दिया। इस बार शैफाली खोपड़ी लेकर बाहर निकल गयी।

उसके बाद फिर क्रिस्टी, फिर ऐलेक्स और फिर जेनिथ। जेनिथ ने बाहर निकलकर खोपड़ी को वापस अंदर की ओर फेंक दिया।

पर सुयश ने जब बाहर निकलने की कोशिश की तो इस बार उसे करंट का झटका लगा। तयह देख सुयश हैरान हो गया।

“इस माला ने सबको निकाल दिया, पर यह माला मुझे बाहर लेकर क्यों नहीं जा रही है?” सुयश मन ही मन बड़बड़ा उठा।

तभी तौफीक ने सुयश को बाहर ना निकलते देख पूछ लिया- “क्या हुआ कैप्टेन आप बाहर क्यों नहीं आ रहे हैं?”

सुयश ने तौफीक को भी परेशानी बता दी।

यह सुन तौफीक अंदर की ओर वापस आने चला, पर उसे करंट का झटका लगा, जिसका साफ मतलब था कि बाहर आया हुआ कोई भी व्यक्ति अब अंदर नहीं जा सकता।

यानि कि सुयश को अपनी परेशानी स्वयं ही समाप्त करनी थी। सुयश लगातार सोच रहा था।

तभी उसकी नजर उस कील पर गई, जिस पर वह खोपड़ी की माला लटकी थी।

सुयश अब वहां जाकर ध्यान से उस कील को देखने लगा। कील को छूने पर सुयश को वह कील हिलती हुई दिखाई दी।

अब सुयश इस मायाजाल को समझ गया था।

“तो ये बात है, इस खोपड़ी की माला को उतारते ही यह कील ऊपर की ओर हो जाती है, यानि यही इस झोपड़ी का इग्नीशन है, जो कि इसे उड़ाने में सहायक है। यानि कि मैं बिना माला टांगे यहां से बाहर नहीं जा सकता और बिना इस माला को लिये भी मैं बाहर नहीं जा सकता। ...... हे भगवान अब ये कैसा मायाजाल है?” अब सुयश परेशान हो उठा।

“कैसे....आखिर कैसे यह संभव है?”

तभी सुयश को सामने पड़ी मटकी दिखाई दी।

उसे तुरंत अपने ही बोले शब्द याद आ गये कि मटकी का कार्य अगर खत्म हो जाता तो मटकी भी गायब हो गई होती।

यह ध्यान कर सुयश की आँखें खुशी से चमकने लगीं।

उसने एक हाथ में खोपड़ी और दूसरे हाथ में मटकी लेकर दोनों का वजन किया। दोनों का ही वजन लगभग एक समान ही था।

अब सुयश ने सोने के डोंगे में बंधे धागे को खोलकर उस धागे से मटकी को बांधकर, उसे भी खोपड़ी की माला जैसा बना दिया।

अब सुयश ने खोपड़ी की माला को उतारकर अपने गले में पहन लिया। इसके बाद उस मटकी की माला को उस कील पर टांग दिया।

मटकी को कील पर टांगते ही कील वापस नीचे आ गई।

अब सुयश मुस्कुराया और झोपड़ी के द्वार की ओर चल दिया। वह समझ गया था कि दीवार पर खोपड़ी की माला टंगे रहना जरुरी नहीं था, बल्कि उस कील का नीचे झुके रहना जरुरी था।

सुयश ने अपना एक पैर बाहर निकाला और फिर पूरा का पूरा बाहर निकल गया। सभी सुयश को बाहर निकलते देखकर खुश हो गये।

तभी झोपड़ी हवा में गायब हो गई और झोपड़ी के अंदर रखा वह पत्थर, काँच के बर्तन, मछली और नीलकमल पोसाईडन के पैर में बने दरवाजे में समा गया।

सभी ने एक दूसरे को देखकर, फिर हाथ मिलाये और एकता की शक्ति का मूलमंत्र दोहराते हुए पोसाईडन पर्वत के पैर में बने दरवाजे की ओर बढ़ चले।

यह वो साधारण मनुष्य थे, जिनके पास हिम्मत, विश्वास, बुद्धि, ज्ञान और सबसे बढ़कर कभी ना झुकने का हौसला था।

उन्हें डर नहीं था, देवताओं की उन शक्ति से भी, जो तिलिस्मा के अंदर मौत बनकर बैठी उनका इंतजार कर रहीं थीं।

वह सभी तिलिस्मा की ओर ऐसे बढ़ रहे थे, जैसे कुछ मतवाले हाथियों का झुण्ड लहलहाते हुए गन्ने के खेत की ओर बढ़ता है।

प्रश्नमाला

दोस्तों जैसा कि आप देख रहे हैं कि यह कथानक बहुत तेजी से बढ़ता जा रहा है और हर पेज पर आपके दिमाग एक नया प्रश्न खड़ा करता जा रहा है। प्रश्नों की संख्या अब इतनी ज्यादा हो चुकी है कि अब
वह मस्तिष्क में एकत्रित नहीं हो पा रहे हैं।

तो क्यों न इन सारे प्रश्नों को एक जगह पर एकत्रित कर लें-
1) क्या वेगा अराका द्वीप के बारे में सबकुछ जानता था?
2) ‘अटलांटिस का इतिहास’ नामक किताब ‘लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस' में कैसे पहुची? क्या इसके लेखक वेगा के बाबा कलाट ही थे? क्या इस किताब से और भी राज आगे खुले?
3) क्या वेगा को सम्मोहन आता था?
4) नीलाभ अब कहां गायब हो गया था? उसके पास कैसी शक्तियां थीं?
5) माया से विदा लेने के बाद मेरोन और सोफिया का क्या हुआ?
6) ट्रांस अंटार्कटिक के पहाड़ों में दबा शलाका का महल असल में क्या था?
7) हनुका कौन था? ...देव ने नीलाभ के विवाह में उपहार स्वरुप हनुका को क्यों दिया?
8) क्या थी वह जीवशक्ति और वृक्षशक्ति जिससे मैग्ना ने मायावन का निर्माण किया था?
9) क्या जेनिथ सुयश के सामने तौफीक का राज खोल पायी?
10) पंचशूल का निर्माण किसने और क्यों किया था?
11) क्रिस्टी को नदी की तली से मिली, वह काँच की पेंसिल कैसी थी?
12) हवा के गोले में समाने के बाद गोंजालो का क्या हुआ?
13) कैस्पर के समुद्री घोड़े जीको का क्या रहस्य था? वह उड़ने वाला घोड़ा कैसे बन जाता था?
14) क्या देवी शलाका के भाइयों के पास सच में कोई शक्ति थी?
15) शैफाली को मैग्ना की ड्रेस तक पहुंचाने वाली पेंग्विन और डॉल्फिन क्या थीं?
16) धरा के भाई विराज के बारे में वेगा कैसे जान गया था? वेगा को वीनस की भी सारी बातें पता थीं। तो क्या वेगा के पास और भी कोई शक्ति थी?
17) काँच के अष्टकोण में बंद वह छोटा बालक कौन था? जिसका चित्र देखकर सुयश को कुछ आवाजें सुनाई देनें लगीं थीं?
18) वेदांत रहस्यम् में ऐसे कौन से राज छिपे थे? जिसके कारण शलाका सुयश को वह किताब पढ़ने नहीं दे रही थी?
19) लुफासा की इच्छाधारी शक्ति का क्या रहस्य था?
20) सीनोर राज्य में मकोटा ने पिरामिड क्यों बनवाया था?
21) मकोटा के द्वारा आकृति को दिये ‘नीलदंड’ में क्या विशेषताएं थीं?
22) आकृति का चेहरा शलाका से कैसे मिलने लगा? वह पिछले 5000 वर्षों से जिंदा कैसे है?
23) ऐमू के अमरत्व का क्या राज है?
24) जैगन का सेवक गोंजालो का क्या राज है? सीनोर राज्य में उसकी मूर्ति क्यों लगी है?
25) क्या सनूरा की शक्तियों का राज एक रहस्यमय बिल्ली है?
26) आकृति वेदांत रहस्यम् क्यों छीनना चाह रही थी?
27) आर्यन ने स्वयं अपनी मौत का वरण क्यों किया था?
28) आकृति शलाका के चेहरे से क्यों परेशान है?
29) मैग्ना का ड्रैगन, लैडन नदी की तली में क्यों सो रहा था? मेलाइट उसे क्यों जगाना चाहती थी?
30) पृथ्वी की ओजोन लेयर कैसे टूट गयी थी?
31) 3 आँख और 4 हाथ वाले उस विचित्र जीव का क्या रहस्य था? कैस्पर की शक्तियां इस्तेमाल करके उसे किसने बनाया था?
32) सुर्वया की दिव्यदृष्टि का क्या रहस्य था?
33) ब्रह्मकलश के अमरत्व का क्या रहस्य था?
34) आकृति सुनहरी ढाल क्यों प्राप्त करना चाहती थी?
35) वुल्फा कौन था? क्या उसमें भी शैतानी शक्तियां थीं?
36) उड़नतश्तरी के अंदर मौजूद 6 फुट का हरा कीड़ा बाकी कीड़ों से अलग क्यों था? वह इंसानों की तरह कैसे चल रहा था?
37) मकोटा के सर्पदंड का क्या रहस्य था?
38) सामरा राज्य पर स्थित अटलांटिस वृक्ष का क्या रहस्य है? उसने किस प्रकार युगाका को वृक्षशक्ति दी?
39) सागरिका, वेगिका, अग्निका आदि चमत्कारी पुस्तकों का क्या रहस्य था?
40) कैसा था तिलिस्मा? उसमें कौन सी मुसीबतें छिपीं थीं?
41) क्या तिलिस्मा में घुसे सभी लोग तिलिस्मा को पार कर काला मोती प्राप्त कर सके?
42) क्या माया कैस्पर को उसकी असलियत बता पायी?

ऐसे ही ना जाने कितने सवाल होंगे जो आपके दिमाग में घूम रहे होंगें।

तो दोस्तों इन सारे अनसुलझे सवालों के जवाब हम इस समय नहीं दे पा रहे हैं। तो इंतजार कीजिए हमारे इसके अगले चैप्टर का जिसमें हम आपको ले चलेंगे, इस तिलिस्म के एक ऐसे अद्भुत संसार में, जहां पर छिपी तिलिस्मी मौत बेसब्री से अपने शिकार का इंतजार कर रही है।....................

दोस्तों इन्द्रधनुष के रंगों की मांनिद होती है एक लेखक की रचनाएं। जिस प्रकार इन्द्रधनुष में सात रंग होते हैं, ठीक उसी प्रकार लेखक की रचनाओं में भी सात रंग पाये जाते हैं। हर रंग अपने आप में एक अलग पहचान रखता है।

एक उच्चस्तरीय लेख लिखने के लिए सबसे पहले एक सम्मोहक कथानक की आवश्यकता होती है, फिर इसके एक एक पात्र को मनका समझकर माला में पिरोया जाता है, जिससे पाठकों को हर एक पात्र के जीवंत दर्शन हो सके।

फिर कल्पना के असीम सागर में डुबकी लगाकर मोतियों की तरह एक एक शब्द को चुनकर उनके भावों को अभिव्यक्त करना पड़ता है। तब कहीं जाकर तैयार होती है एक लेखक की रचना।

दोस्तों इस कथा को लिखने में बहुत मेहनत और शोध लगा है। अगर आपको यह कथा अच्छी लगी, तो कृपया इसको रिव्यू देना ना भूलें। आपका यह छोटा सा प्रयास मुझे और अच्छा लिखने के लिये प्रेरित करेगा।

"दूसरों को बनाने में तमाम उम्र गुजारी है,
पंख नये हैं पर अब मेरे उड़ने की बारी है“



जारी ररहेगा_______✍️
Brother itne sare questions phir se aapne jama kar liya hai matlab abhi readers ko aur interesting cheez padhne ko milne wali hai.
Let's see aap kaise har ek sawaal ka jawab dete hain.
Wonderful update brother.
 
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