parkas
Well-Known Member
- 31,201
- 67,381
- 303
Bahut hi shaandar update diya hai Raj_sharma bhai....#144.
सुयश ने उस कील से खोपड़ी की माला उतार ली। माला उतारने के बाद, वह कील थोड़ी सी ऊपर की ओर खिसक गई, पर सुयश इस बदलाव को देख नहीं पाया।
सुयश ने खोपड़ी वाली माला को उलट-पुलट कर देखा, पर उसमें कुछ भी विचित्र नहीं था।
काफी देर तक ऐसे ही झोपड़ी में घूमने के बाद भी, किसी को ऐसा कोई सुराग नहीं मिला, जिससे यह पता चल पाता कि झोपड़ी कैसे उड़ेगी?
“कैप्टेन, क्यों ना इस काँच के बर्तन में भी हाथ डालकर उन मछलियों को देखें? क्या पता उनमें कुछ रहस्य छिपा हो।” तौफीक ने कहा।
सुयश की बात सुन जेनिथ ने आगे बढ़कर पहले उस नीलकमल को निकाल लिया, पर नीलकमल को निकालते ही झोपड़ी ऊपर की ओर हवा में उड़ने लगी।
यह देख सभी जमीन पर बैठ गये
“यह कैसे संभव हुआ? इस फूल को तो पहले भी हम निकाल कर देख चुके थे, तब तो कुछ नहीं हुआ था।” ऐलेक्स ने आश्चर्य से उस फूल की ओर देखते हुए कहा।
झोपड़ी अब हवा में नाच रही थी, पर अब उसे जमीन पर उतारना किसी को नहीं आता था। झोपड़ी के उड़ने से, इन्हें झटके नहीं लग रहे थे।
जब कुछ देर तक झोपड़ी को उड़ते हुए हो गया, तो सुयश बोल उठा- “लगता है कि इस झोपड़ी को उतारना भी हमें ही पड़ेगा।....जेनिथ तुम फूल को अपनी जगह पर वापस रख दो।”
जेनिथ ने फूल को वापस रख दिया, फिर भी झोपड़ी का उड़ना बंद नहीं हुआ। जेनिथ ने यह देख फूल को थोड़ा हिला-डुला कर देखा।
पर जेनिथ के फूल को हिलाते ही, झोपड़ी एक ही जगह पर गोल-गोल नाचने लगी।
यह देख सुयश उस नीलकमल के पास आकर ध्यान से उस फूल को देखने लगा।
“यह पूरा सिस्टम किसी मशीन की तरह काम कर रहा है।” सुयश ने कहा- “जैसे कि कोई कार। अब अगर ध्यान दें तो उस मटकी का पानी इस झोपड़ी का फ्यूल का काम कर रहा है, यह फूल इस झोपड़ी का स्टेयरिंग है। हम इस फूल को जिस दिशा में घुमा रहें हैं, यह झोपड़ी उस दिशा में घूम जा रही है। फिर तो काँच में मौजूद यह द्रव्य इंजन ऑयल की तरह होगा। इसका साफ मतलब है कि कहीं ना कहीं इस झोपड़ी को स्टार्ट करने वाला इग्नीशन भी रहा होगा, जिससे हमने अंजाने में ही, इस झोपड़ी को आसमान में उड़ा दिया। पर कहां?”
इतना कहकर सुयश अपने हाथ में पकड़ी, उस खोपड़ी की माला को देखने लगा। कुछ पल सुयश ने सोचा और उस खोपड़ी की माला को उसी कील पर टांग दिया।
माला के कील पर टंगते ही झोपड़ी जमीन पर उतर गई। अब झोपड़ी के दरवाजे के सामने पोसाईडन की मूर्ति दिखाई दे रही थी।
पोसाईडन की मूर्ति के पैर में एक बड़ा सा दरवाजा खुला हुआ दिखाई दे रहा था।
“लगता है कि हमें उस पोसाईडन की मूर्ति के, पैर में बने दरवाजे से, अंदर की ओर जाना है।” तौफीक ने बाहर की ओर देखते हुए कहा।
ऐलेक्स ने जैसे ही झोपड़ी के दरवाजे से बाहर जाने के अपना कदम बाहर की ओर बढ़ाया ।
एकाएक क्रिस्टी ने ऐलेक्स का हाथ जोर से अंदर की ओर खींचा।
ऐलेक्स झोपड़ी के अंदर आ गिरा और क्रिस्टी को अजीब सी नजरों से घूरने लगा।
“क्या हुआ क्रिस्टी? तुमने ऐलेक्स के साथ ऐसा क्यों किया?” सुयश ने भी क्रिस्टी को घूरते हुए पूछा।
“कैप्टेन, जब ऐलेक्स ने अपना पैर बाहर की ओर निकाला, तो उसका पैर बाहर दिखाई नहीं दिया, इसी लिये मैंने ऐलेक्स को अंदर की ओर खींचा था।” क्रिस्टी के शब्द पूरी तरह से रहस्य से भरे नजर आ रहे थे।
“मैं कुछ समझा नहीं ।” ऐलेक्स को भी क्रिस्टी की बातें समझ में नहीं आयी- “तुम कहना क्या चाहती हो क्रिस्टी?”
“आओ, दिखाती हूं तुम्हें।” यह कहकर क्रिस्टी ने ऐलेक्स को सहारा देकर जमीन से उठाया और उसे लेकर झोपड़ी के द्वार के पास पहुंच गयी।
“अब जरा एक बार फिर अपना पैर झोपड़ी से बाहर निकालो ऐलेक्स।” क्रिस्टी ने कहा।
ऐलेक्स ने क्रिस्टी के कहे अनुसार अपना एक पैर बाहर निकाला, पर ऐलेक्स को अपना पैर द्वार से बाहर कहीं दिखाई नहीं दिया।
यह देख ऐलेक्स ने घबरा कर अपना पैर वापस अंदर की ओर खींच लिया।
“यह कौन सी परेशानी है? यह दरवाजा हमें कहां ले जा रहा है?” सुयश ने कहा।
“कैप्टेन अंकल, शायद यह द्वार हमें तिलिस्मा में नहीं बल्कि कहीं और ले जा रहा है।” शैफाली ने अपना तर्क दिया।
“तो फिर क्या हम सामने दिख रहे तिलिस्म में प्रवेश नहीं कर सकते?” जेनिथ ने कहा।
“कुछ तो गड़बड़ है, जो हमें समझ में नहीं आ रहा?” सुयश का दिमाग तेजी से चलने लगा- “कहीं ऐसा तो नहीं कि हमें तिलिस्मा में घुसने के लिये कोई कार्ड या फिर गेट पास जैसी कोई चीज चाहिये, क्यों कि
तिलिस्मा में हमें ले तो यही झोपड़ी जायेगी।”
“कैप्टेन अंकल क्या पता हमें झोपड़ी में मौजूद किसी सामान को लेकर तिलिस्मा में जाना हो?” शैफाली ने कहा- “अगर आप कहें तो ये भी ट्राई करके देख लें।”
“चलो यह भी करके देख लेते हैं।” सुयश ने कहा- “सबसे पहले इस मटकी को ले चलते हैं क्यों कि जब पंख को पानी पिलाने के बाद खिड़की गायब हो गई, तो मटकी क्यों नहीं हुई। इसका मतलब मटकी का काम अभी झोपड़ी से खत्म नहीं हुआ है।”
यह कहकर सुयश ने मटकी तौफीक को पकड़ा कर बाहर निकलने की ओर इशारा किया।
तौफीक ने मटकी को लेकर झोपड़ी से निकलने की कोशिश की। पर वह बाहर नहीं जा पाया।
इसके बाद उसने फूल को ट्राई किया, फिर भी वो सफल नहीं हुआ। अब फूल को यथा स्थान रखकर तौफीक ने खोपड़ी की माला उतार ली।
तौफीक उस खोपड़ी की माला को जैसे लेकर निकलने चला, वह आसानी से बाहर निकल गया।
यह देख सबकी जान में जान आयी।
“तो इस खोपड़ी की माला को लेकर बाहर निकलना था।” सुयश ने हंसकर कहा- “यही है तिलिस्मा का गेट पास।“
अब तौफीक ने खोपड़ी को वापस अंदर की ओर फेंक दिया। इस बार शैफाली खोपड़ी लेकर बाहर निकल गयी।
उसके बाद फिर क्रिस्टी, फिर ऐलेक्स और फिर जेनिथ। जेनिथ ने बाहर निकलकर खोपड़ी को वापस अंदर की ओर फेंक दिया।
पर सुयश ने जब बाहर निकलने की कोशिश की तो इस बार उसे करंट का झटका लगा। तयह देख सुयश हैरान हो गया।
“इस माला ने सबको निकाल दिया, पर यह माला मुझे बाहर लेकर क्यों नहीं जा रही है?” सुयश मन ही मन बड़बड़ा उठा।
तभी तौफीक ने सुयश को बाहर ना निकलते देख पूछ लिया- “क्या हुआ कैप्टेन आप बाहर क्यों नहीं आ रहे हैं?”
सुयश ने तौफीक को भी परेशानी बता दी।
यह सुन तौफीक अंदर की ओर वापस आने चला, पर उसे करंट का झटका लगा, जिसका साफ मतलब था कि बाहर आया हुआ कोई भी व्यक्ति अब अंदर नहीं जा सकता।
यानि कि सुयश को अपनी परेशानी स्वयं ही समाप्त करनी थी। सुयश लगातार सोच रहा था।
तभी उसकी नजर उस कील पर गई, जिस पर वह खोपड़ी की माला लटकी थी।
सुयश अब वहां जाकर ध्यान से उस कील को देखने लगा। कील को छूने पर सुयश को वह कील हिलती हुई दिखाई दी।
अब सुयश इस मायाजाल को समझ गया था।
“तो ये बात है, इस खोपड़ी की माला को उतारते ही यह कील ऊपर की ओर हो जाती है, यानि यही इस झोपड़ी का इग्नीशन है, जो कि इसे उड़ाने में सहायक है। यानि कि मैं बिना माला टांगे यहां से बाहर नहीं जा सकता और बिना इस माला को लिये भी मैं बाहर नहीं जा सकता। ...... हे भगवान अब ये कैसा मायाजाल है?” अब सुयश परेशान हो उठा।
“कैसे....आखिर कैसे यह संभव है?”
तभी सुयश को सामने पड़ी मटकी दिखाई दी।
उसे तुरंत अपने ही बोले शब्द याद आ गये कि मटकी का कार्य अगर खत्म हो जाता तो मटकी भी गायब हो गई होती।
यह ध्यान कर सुयश की आँखें खुशी से चमकने लगीं।
उसने एक हाथ में खोपड़ी और दूसरे हाथ में मटकी लेकर दोनों का वजन किया। दोनों का ही वजन लगभग एक समान ही था।
अब सुयश ने सोने के डोंगे में बंधे धागे को खोलकर उस धागे से मटकी को बांधकर, उसे भी खोपड़ी की माला जैसा बना दिया।
अब सुयश ने खोपड़ी की माला को उतारकर अपने गले में पहन लिया। इसके बाद उस मटकी की माला को उस कील पर टांग दिया।
मटकी को कील पर टांगते ही कील वापस नीचे आ गई।
अब सुयश मुस्कुराया और झोपड़ी के द्वार की ओर चल दिया। वह समझ गया था कि दीवार पर खोपड़ी की माला टंगे रहना जरुरी नहीं था, बल्कि उस कील का नीचे झुके रहना जरुरी था।
सुयश ने अपना एक पैर बाहर निकाला और फिर पूरा का पूरा बाहर निकल गया। सभी सुयश को बाहर निकलते देखकर खुश हो गये।
तभी झोपड़ी हवा में गायब हो गई और झोपड़ी के अंदर रखा वह पत्थर, काँच के बर्तन, मछली और नीलकमल पोसाईडन के पैर में बने दरवाजे में समा गया।
सभी ने एक दूसरे को देखकर, फिर हाथ मिलाये और एकता की शक्ति का मूलमंत्र दोहराते हुए पोसाईडन पर्वत के पैर में बने दरवाजे की ओर बढ़ चले।
यह वो साधारण मनुष्य थे, जिनके पास हिम्मत, विश्वास, बुद्धि, ज्ञान और सबसे बढ़कर कभी ना झुकने का हौसला था।
उन्हें डर नहीं था, देवताओं की उन शक्ति से भी, जो तिलिस्मा के अंदर मौत बनकर बैठी उनका इंतजार कर रहीं थीं।
वह सभी तिलिस्मा की ओर ऐसे बढ़ रहे थे, जैसे कुछ मतवाले हाथियों का झुण्ड लहलहाते हुए गन्ने के खेत की ओर बढ़ता है।
प्रश्नमाला
दोस्तों जैसा कि आप देख रहे हैं कि यह कथानक बहुत तेजी से बढ़ता जा रहा है और हर पेज पर आपके दिमाग एक नया प्रश्न खड़ा करता जा रहा है। प्रश्नों की संख्या अब इतनी ज्यादा हो चुकी है कि अब
वह मस्तिष्क में एकत्रित नहीं हो पा रहे हैं।
तो क्यों न इन सारे प्रश्नों को एक जगह पर एकत्रित कर लें-
1) क्या वेगा अराका द्वीप के बारे में सबकुछ जानता था?
2) ‘अटलांटिस का इतिहास’ नामक किताब ‘लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस' में कैसे पहुची? क्या इसके लेखक वेगा के बाबा कलाट ही थे? क्या इस किताब से और भी राज आगे खुले?
3) क्या वेगा को सम्मोहन आता था?
4) नीलाभ अब कहां गायब हो गया था? उसके पास कैसी शक्तियां थीं?
5) माया से विदा लेने के बाद मेरोन और सोफिया का क्या हुआ?
6) ट्रांस अंटार्कटिक के पहाड़ों में दबा शलाका का महल असल में क्या था?
7) हनुका कौन था? ...देव ने नीलाभ के विवाह में उपहार स्वरुप हनुका को क्यों दिया?
8) क्या थी वह जीवशक्ति और वृक्षशक्ति जिससे मैग्ना ने मायावन का निर्माण किया था?
9) क्या जेनिथ सुयश के सामने तौफीक का राज खोल पायी?
10) पंचशूल का निर्माण किसने और क्यों किया था?
11) क्रिस्टी को नदी की तली से मिली, वह काँच की पेंसिल कैसी थी?
12) हवा के गोले में समाने के बाद गोंजालो का क्या हुआ?
13) कैस्पर के समुद्री घोड़े जीको का क्या रहस्य था? वह उड़ने वाला घोड़ा कैसे बन जाता था?
14) क्या देवी शलाका के भाइयों के पास सच में कोई शक्ति थी?
15) शैफाली को मैग्ना की ड्रेस तक पहुंचाने वाली पेंग्विन और डॉल्फिन क्या थीं?
16) धरा के भाई विराज के बारे में वेगा कैसे जान गया था? वेगा को वीनस की भी सारी बातें पता थीं। तो क्या वेगा के पास और भी कोई शक्ति थी?
17) काँच के अष्टकोण में बंद वह छोटा बालक कौन था? जिसका चित्र देखकर सुयश को कुछ आवाजें सुनाई देनें लगीं थीं?
18) वेदांत रहस्यम् में ऐसे कौन से राज छिपे थे? जिसके कारण शलाका सुयश को वह किताब पढ़ने नहीं दे रही थी?
19) लुफासा की इच्छाधारी शक्ति का क्या रहस्य था?
20) सीनोर राज्य में मकोटा ने पिरामिड क्यों बनवाया था?
21) मकोटा के द्वारा आकृति को दिये ‘नीलदंड’ में क्या विशेषताएं थीं?
22) आकृति का चेहरा शलाका से कैसे मिलने लगा? वह पिछले 5000 वर्षों से जिंदा कैसे है?
23) ऐमू के अमरत्व का क्या राज है?
24) जैगन का सेवक गोंजालो का क्या राज है? सीनोर राज्य में उसकी मूर्ति क्यों लगी है?
25) क्या सनूरा की शक्तियों का राज एक रहस्यमय बिल्ली है?
26) आकृति वेदांत रहस्यम् क्यों छीनना चाह रही थी?
27) आर्यन ने स्वयं अपनी मौत का वरण क्यों किया था?
28) आकृति शलाका के चेहरे से क्यों परेशान है?
29) मैग्ना का ड्रैगन, लैडन नदी की तली में क्यों सो रहा था? मेलाइट उसे क्यों जगाना चाहती थी?
30) पृथ्वी की ओजोन लेयर कैसे टूट गयी थी?
31) 3 आँख और 4 हाथ वाले उस विचित्र जीव का क्या रहस्य था? कैस्पर की शक्तियां इस्तेमाल करके उसे किसने बनाया था?
32) सुर्वया की दिव्यदृष्टि का क्या रहस्य था?
33) ब्रह्मकलश के अमरत्व का क्या रहस्य था?
34) आकृति सुनहरी ढाल क्यों प्राप्त करना चाहती थी?
35) वुल्फा कौन था? क्या उसमें भी शैतानी शक्तियां थीं?
36) उड़नतश्तरी के अंदर मौजूद 6 फुट का हरा कीड़ा बाकी कीड़ों से अलग क्यों था? वह इंसानों की तरह कैसे चल रहा था?
37) मकोटा के सर्पदंड का क्या रहस्य था?
38) सामरा राज्य पर स्थित अटलांटिस वृक्ष का क्या रहस्य है? उसने किस प्रकार युगाका को वृक्षशक्ति दी?
39) सागरिका, वेगिका, अग्निका आदि चमत्कारी पुस्तकों का क्या रहस्य था?
40) कैसा था तिलिस्मा? उसमें कौन सी मुसीबतें छिपीं थीं?
41) क्या तिलिस्मा में घुसे सभी लोग तिलिस्मा को पार कर काला मोती प्राप्त कर सके?
42) क्या माया कैस्पर को उसकी असलियत बता पायी?
ऐसे ही ना जाने कितने सवाल होंगे जो आपके दिमाग में घूम रहे होंगें।
तो दोस्तों इन सारे अनसुलझे सवालों के जवाब हम इस समय नहीं दे पा रहे हैं। तो इंतजार कीजिए हमारे इसके अगले चैप्टर का जिसमें हम आपको ले चलेंगे, इस तिलिस्म के एक ऐसे अद्भुत संसार में, जहां पर छिपी तिलिस्मी मौत बेसब्री से अपने शिकार का इंतजार कर रही है।....................
दोस्तों इन्द्रधनुष के रंगों की मांनिद होती है एक लेखक की रचनाएं। जिस प्रकार इन्द्रधनुष में सात रंग होते हैं, ठीक उसी प्रकार लेखक की रचनाओं में भी सात रंग पाये जाते हैं। हर रंग अपने आप में एक अलग पहचान रखता है।
एक उच्चस्तरीय लेख लिखने के लिए सबसे पहले एक सम्मोहक कथानक की आवश्यकता होती है, फिर इसके एक एक पात्र को मनका समझकर माला में पिरोया जाता है, जिससे पाठकों को हर एक पात्र के जीवंत दर्शन हो सके।
फिर कल्पना के असीम सागर में डुबकी लगाकर मोतियों की तरह एक एक शब्द को चुनकर उनके भावों को अभिव्यक्त करना पड़ता है। तब कहीं जाकर तैयार होती है एक लेखक की रचना।
दोस्तों इस कथा को लिखने में बहुत मेहनत और शोध लगा है। अगर आपको यह कथा अच्छी लगी, तो कृपया इसको रिव्यू देना ना भूलें। आपका यह छोटा सा प्रयास मुझे और अच्छा लिखने के लिये प्रेरित करेगा।
"दूसरों को बनाने में तमाम उम्र गुजारी है,
पंख नये हैं पर अब मेरे उड़ने की बारी है“
जारी ररहेगा_______![]()
Nice and lovely update....