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DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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रोहन का रॉकेट
GN3v4-Q8ac-AADIOq
UPDATE 016 पेज नंबर 50 पर पोस्ट कर दिया है
पढ़ कर लाइक रेवो जरूर करें।
 
Last edited:

DREAMBOY40

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12 baje WISH nahi kia ?
🤣
Number likho .... न न न नाइन थी थी थी थ्री टू टू
Wish kar dene ka 😜


Fijul ki bakchodi likhne ka koi matalb nahi
Kahani ka flow nhi bigde , boriyat n ho
Baki aage ke updates me pata chal jayega ki maine skip Kiya hai ... Ya fir Rohan ne hi wish nhi Kiya
 

DREAMBOY40

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UPDATE 011



BABU , I'm sorry .

Ab hum kbhi bat nhi kar payenge .
Kbhi mil nahi payenge .
Mummy ne Mobile me hmare massage padh liye hai .
I love you 😭 humesha
Ye mera last time massage hai aapko

Aur kbhi mujhe massage ya call mat karna kyoki ab ye phone mere paas nhi rahega . Sorry 😔



कभी कभी आप महसूस करते हैं जिन्दगी आपको बहुत थोड़े के बदले आपसे बहुत कुछ छीन लेती है ,
क्या आपके साथ भी ऐसा होता है कि जब आप महसूस करो कि शायद वो लम्हा करीब है जब आप अपने मुताबिक अपने देखी दुनिया जीने के बेहद करीब हो और फिर एकदम से तूफान आता है और आपकी दुनिया ही तबाह हो जाती है

ये कोई साधारण मैसेज नहीं थे
एक फिलिंग जो आपको रह रह कर अहसास दिलाए कि कोई था आपका जो सबसे खास था और आपने उसे खो दिया , आपसे छीन लिया गया ।
फिर भी आप उसकी ही परवाह में हो कि कही उसे प्रताड़ना न मिल रही हो , घर में वो किस फेज से गुजर रही होगी । मन आपका उस डर में जीता है कि कही उस मासूम को जिसको आपने इतना प्यार दुलार दिया हो उसके नाजुक गालों पर बेरहमी के थप्पड़ जड़ रहा हो कोई , ना जाने क्या बीत रही हो उसपर
ऐसे में आप पर तब क्या बीतेगी जब आप उसका नाम और पता तक नहीं जानते ? कैसे खोजेंगे उसे ? कैसे खबर ले पाएंगे उसकी ?
आपका दिल बजाय उसकी मुहब्बत पाने के उसकी परवाह में रो रहा हो कैसे समझाएंगे आप खुद को ? कैसे ?



" रोहन ... रोहन "
" तुम्हारा एडमिट कार्ड आ गया "
एकदम से धड़ाक से दरवाजा खुला और प्रिया कमरे में आई
एक वक्त आता है कि आपकी आंखे भी आपके उस दर्द के आगे थक जाती है , हार मान लेती है और वापस ले लेती है अपनी नदिया समंदर सब कुछ
लेकिन जब आप देखते हो किसी को , कोई ऐसा जिसने आपको हमेशा से सहारा दिया हो और वो आपको बेबस लाचार और टूटा हुआ देखे तो क्या होगा ?
एक अनजाना सा डर , कल्पना कीजिए कि आपका दिल सर्द हुआ जा रहा है और सांसे बर्फ सी जमने लगी हो , पैर अब थरथरा रहे आपके जिस्म का बर्फीला बोझ उठाने में
शायद ही कुछ ऐसा महसूस किया होगा प्रिया ने
वो भाग कर मेरे पास आई और मेरे लाल हुई आंखों को देख कर मेरे चेहरे को अपने नरम हथेली में समेट लिया क्या हुआ ?
ये शब्द उस चिंगारी की तरह थे जिसने मेरी बर्फ हुए सीने के ग्लेशियर पिघला दिए थे और मै फुट कर बिलख पड़ा
बिना एक पल सोचे उसने मुझे सीने से लगा लिया
ना मेरे दुख के बारे में पूछा और ना कुछ दूसरे सवाल किए , बस संभालती रही बिना कुछ जाने क्या हुआ है मेरे साथ । शायद यही होती होगी एक सच्चे दोस्त की परिभाषा , जो आपके दर्द को जाने बिना भी कह दे

"चुप हो जाओ , मै हूं न "
जो आपको अहसास दिला रहा हो कि कुछ भी हुआ हो वो आपके साथ रहेगा आपके हर संघर्ष में , हर कदम पर , हर क्षण में ।
लेकिन जब आप अंदर से टूट गए हो और अपने किसी खास को तकलीफ में होने का डर आपको हर पल घेरे हुए हो तो शायद ये शब्द भी फीके पड़ जाते है ।

अनायास उसकी नजर मेरे मोबाइल पर गई , पैटर्न उसे पता था और उसने खोलकर सारे मैसेज पढ़ लिए जो कल रात तकरीबन 10 बजे के आए थे जब मै वापस ट्रेन से प्रयागराज उतर चुका था ।
फिर घंटे भर तक हम चुप थे
उसने मेरे लिए चाय बनाई और जबरजस्ती मुझे मेरी ही सोना की कसम दे पिलाई
वो सोना जिसे मै खो चुका था , शायद हमेशा के लिए .....

दुपहर और शाम का खाना भी लेकर आई मेरे लिए
रात से भूखा था और अकेले रहता तो शायद कुछ घंटे और बर्दाश्त हो भी जाता है लेकिन प्रिया ने ऐसा कुछ नहीं होने दिया ।
वो रात भी बस मै अपनी सोना की तस्वीरें निहारता रहा और सुबकता रहा उसकी यादों में ।

अगले हफ्ते 8 मार्च को मुझे परीक्षा के लिए मुरादाबाद जाना था और प्रिया ने मेरी हर तरीके से मदद की , पूरे हफ्ते मेरे खाने पीने का ख्याल रखा और फिर परीक्षा भी हो गई ।
अपनी जान से बिछड़ने का ग़म और घर जाने पर कही मन उसे तलाशने की जिद न कर बैठे इस डर से मै घर नहीं गया , होली पर भी नहीं ।
बस अपनी तैयारी पर ध्यान दिया और अप्रैल के शुरुआती दिनों में ही answer key में मुझे मेरा रिजल्ट मिल गया ।

समय आ चुका था अब सबको अलविदा कहने का
कहते है कि वक्त सारे घाव भर देता है लेकिन आप उस दुःख से कभी नहीं उभर पाते है जो आपसे आपकी मुस्कुराहट छीन लेती है ।
बीते महीने भर में प्रिया ने अपना वही किरदार निभाया जो एक सच्ची दोस्त निभाती है , उसने कभी भी इस बात का फायदा नहीं उठाया कि वो मेरी सोना की जगह ले ले । हमेशा मेरे प्रेम को सराहा और उसे इज्जत दी ।
ये पल बड़ा ही भारी था , मै उससे बिछड़ना नहीं चाहता था और न वो
अगर साथ चलने को कहता तो चल भी देती , इतना यकीन था मुझे लेकिन मै उसे दे ही क्या सकता था आखिर ? सिवाय एक दोस्ती भरे साथ के और शायद , शायद वो इसमें भी खुश रह लेती लेकिन मै उसके साथ बेइमानी नहीं चाहता था ।
बहुत ही भावुक पल था जब मैने मेरी दूसरी मां को अलविदा कहा
: आंटी आप बहुत याद आओगे ( भरी आंखों से मैने उन्हें देखा और उन्होंने मुझे अपनी छाती से लगा लिया)
: एक मां के लिए इससे बढ़ कर क्या होगा कि उसका बेटा अपनी लाइफ में सफल हो गया उम्मम चुप हो जा मेरा बेटा
सच कहूं तो ऐसा दुलार कभी अपनी मां से भी नहीं मिला था ।
सब रो रहे थे और मैने अंकल के पाव छुए और उन्हें डबडबाई आंखों से अपनी भावनाएं छिपाते हुए मेरी पीठ थपथपा कर बोले : जीते रहना मेरे बेटे

नहीं रोक पाया मै खुद को और लिपट गया और उन्होंने मुझे कस लिया अपने पास ।
बारी अब प्रिया की थी , वो खुश दिखने की कोशिश कर रही थी , जबरन होठों पर मुस्कुराहट लाती हुई लेकिन आंखों से उसके आंसू कहा रुकने वाले थे और उसने सबके सामने मुझे हग कर लिया और मेरे गाल चूम कर : विश यू लक रोहन
उसने हस कर अपने गाल साफ किए मैने अंकल आंटी के सामने असहज हुआ लेकिन उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ा
फिर उस नन्हे ने मेरे पैर पकड़ लिए और मैने उसे गोद में उठा कर उसके गाल चूम लिए
शायद यही वो कड़ी था जिसने मुझे इस प्यारे से परिवार से जोड़ रखा था
मेरी ट्रेन का समय हो गया था और मैने सबको अलविदा कह कर चढ़ गया और बाय करने लगा तबतक कि जबतक ट्रेन ने पूरा प्लेटफार्म छोड़ नहीं दिया ।


फिर मै अपने सीट पर आया और एक मैसेज आया प्रिया की तरफ


I miss you hmesha 😘

एक फीकी मुस्कुराहट मेरे चेहरे पर आ गई और मै चल पड़ा जिन्दगी के उस अनदेखे सफर पर जहां ये जिंदगी अपने हिसाब से ले जा रही थी ।

3rd एसी में मुझे RAC सीट मिली थी
और मै जब मेरी सीट पर आया तो देखा वहां दूसरी तरफ झोले और एक लेडीज पर्स था
फिर एक हड़बड़ाती हुई लड़की आई , जिसके बाल स्ट्रेट थे और खुले थे
उसने पीले रंग का सूट पहना हुआ था , कर्व अच्छे थे और रंग भी गोरा था

जल्दी जल्दी कुछ बैग से निकाल रही थी और समान उसने ज्यादा तर हमारी सीट पर बिखेर दिए थे
एकदम से अपनी हड़बड़ी में उसे मेरे होने का अहसास हुआ और उसने मुझे मुस्कुरा कर देखा : अह्ह सॉरी वो पापा को दवा देनी है

एक पल के लिए मैने उसे देखा और
आंख हैरान , दिल परेशान , सांसे तेजी से चढ़ने लगी
क्या ये वही ? नहीं ? क्या मै उसे बुलाऊं ? लेकिन क्या कह कर ? मुझे तो उसका नाम नहीं पता
लेकिन वो तो मुझे पहचानती थी ?
मेरी सोना ने मुझे एकदम से इंकार कर दिया कैसे ? क्यों ?

आंखे बंद कर दिल छलक ही पड़ता अगर एक पल मैने उसे पीछे से न देखा होता , वो थोड़ी मोटी थी और कूल्हे चौड़े थे । फिर समझ आया कि कद भी उसके जितना नहीं है और चेहरा भी बस मिलता जुलता ही है लेकिन आंखे उसके जैसी कत्थई नहीं थी ।

: कहा तक जाओगे आप ( सब कुछ सेट कर उसने इत्मीनान से पालती मार कर बैठ कर मुझसे कहा )
: लखनऊ ( एक फीकी मुस्कुराहट से मै बोला )
: ओह मै भी वही जा रही हूं , हम्ममम ( उसके बिस्किट के खुले पैकेट मेरी ओर किए और मैने ना में सर कर दिया )

मन में कुछ सवाल आ रहे थे
कही ये उसकी रिश्तेदार या खुद उसकी दीदी तो नहीं ?
बात चीत आगे बढ़ा कर पूछ लूं ? सोना की फोटो दिखा कर कि जानती है या नहीं ?
लेकिन अगर ये मेरे बारे में जानती होगी तो वापस मेरी जान को तकलीफ होगी ?
नहीं नहीं , मै नहीं कर सकता ...
कभी नहीं करूंगा ...
कभी उसके करीब नहीं जाऊंगा ..
कभी भी नहीं .....
कभी नहीं ...


कुछ घंटे में हम लखनऊ पहुंच गए और मैने उसे मोहनलाल गंज के लिए ऑटो करते हुए देखा

दिल रोया तड़पा कि चला जाऊ उसके पीछे , मिल आऊ अपने सुकून से
लेकिन एक डर शायद अब मेरे मुहब्बत पर हावी हो गया था और शायद अब मै उसकी ओर कभी जाता ।



एक साल बाद .......

बीते साल में चीजे बहुत बुरी तरह से बदल चुकी थी , साल 2021 ने जहां मुझसे मेरी मुहब्बत छीन ली तो दुबारा lockdown ने पापा से उनकी नौकरी । जिससे वो उदास रहने लगे , एक मेहनतकस से उसका काम छीन लेने बढ़ कर क्या दुख होगा ? बहुत हाथ पाव मारने के बाद भी पापा को उनके काबिलियत के हिसाब से नौकरी नहीं मिली , नतीजन घर में चीजे बिगड़ने लगी । उनका चिड़चिड़ापन और नाराजगी पहले से ज्यादा होने लगी लेकिन मेरी मां ने हर वो प्रयास किया जिससे हमारा घर टूटने से बच जाए

फिर लॉकडाउन बाद ही मेरी ज्वाइनिंग हो गई लखनऊ में । लेसा में विजिलेंस टीम में एक सरकारी पोस्ट पर अधिकारी रैंक की ।
धीरे धीरे चीजें सुधरने लगी , लेकिन एक रूटीन था जो कभी नहीं बदला था बीते साल से
मै हर रात सोने से पहले से उसकी रखी हुई हर एक तस्वीर को देखता और भगवान से यही दुआ करता कि एक बार वो खुद से वापस लौट आए फिर पूरी दुनिया की ताकत भी हमें जुदा नहीं कर पाएगी ।

धीरे धीरे ड्यूटी करते हुए चीजें अब धूमिल सी होने लगी
वक्त के साथ धीरे धीरे वो डर मेरे मन से छटने लगा था और वो खास पल आया जिस सुबह मै बेचैन हो उठा ।


आज 28 फरवरी 2022 थी

कितनी बार दिल हुआ कि उसको एक मैसेज भेज दूं , कितनी बार मैने लिखा

" Happy birthday sona "
फिर मिटाया
" Wish you a very happy birthday dear"
फिर मिटाया
" Happy b'day .... "

हर बार हिम्मत टूट रही थी , दिल बेचैनी के साथ साथ थक सा रहा था कुछ अंदर से ऐसा अहसास हो रहा था मानो मैं अब उसपर अपना हक भी खो चुका हूं ।
पूरे एक साल हो गए थे और मैने उसको मैसेज तक नहीं किए एक बार भी उसे पुचकारा नहीं

आज भी वो मैसेज मैने delete नहीं किए थे वो सब ऐसे पड़े थे । उसकी यादों की तह में रखे हुए ।

तभी मेरा मोबाइल बजा
और मेरे सीनियर ने बताया कि हमें आज मस्तीपुर की ओर जाना है मॉर्निंग रेड के लिए क्योंकि उस एरिया का स्टाफ मेडिकल लीव पर था
मै तैयार हो गया , हालांकि वो मेरा एरिया था नहीं लेकिन सीनियर की बात कहा टाली जा सकती थी ।

खुद लखनऊ और बाराबंकी में रहते हुए भी मैने पूरा जिला आज तक नहीं घूमा था ।
मै मेरी टीम के साथ था और रास्ते के पता नहीं था
बस इतना पता था कि हम लखनऊ प्रयागराज एक्सप्रेस वे पर थे ।
करीब घंटे भर बाद हम लोग पहुंचे मस्तीपुर और रेड अटेंड की ।

फिर हमारे टीम स्टाफ ने बताया कि यही मस्तीपुर के एक बहुत बड़ा ताल है और वहा इन सर्दियों के सीजन में कई तरह के विदेशी पक्षी आते है । वहां चाय नाश्ते की अच्छी दुकान भी रहती है ।
मन तो नहीं था पर चूंकि सीनियर ने भी कह दिया था और फिर इस काम के बाद आज पूरे दिन का आराम होने वाला था। इसीलिए मैने भी हा कर दी

हम लोग आए
वहां ताल के किनारे लोहे की ग्रिल लगी थी और नीचे तक पक्की सीढ़ियां थी , ताल के चारों तरफ कॉन्क्रीट की इंटरलॉकिंग की गई थी फुटपाथ जैसे और वही बगल में झाड़ी और पेड़ भी थे कुछ कुछ पार्क जैसा था और मेरी नजर वही एक तरफ शिव मंदिर पर गई
आज संजोग की बात थी कि दिन भी सोमवार था और बस मन में चाह उठी कि आज अपने सोना के बर्थडे पर भगवान से उसके लिए प्रार्थना करु ।

मै सबसे अलग होकर चला गया , मैने जूते निकाले और मंदिर की सीढ़ियां चढ़ता हुआ ऊपर आ गया
एक शांति सी महसूस हुई , जो कुछ सुबह की तलब थी जो बेचैनी जो डर मै महसूस कर रहा था सब कुछ शांत सा होने लगा
जैसे जैसे मै मंदिर की सीढ़ियां चढ़ रहा था , दिल से सारे गिले शिकवे दूर हो रहे थे और मन खुश हो रहा था ।
मैं मंदिर में जाके घुटने के बल खुद को झुका दिया
आंखे बंद कर बस दिल से उसके लिए प्रार्थना की और एक आखिरी विनती करते हुए

" हे भोलेनाथ , मुझे नहीं पता आपने मेरे भाग्य में क्या लिखा है लेकिन एक आखिरी बार आपसे कुछ मांग रहा हूं , शायद फिर अब कभी मै आपके दर नहीं आऊंगा और आऊंगा तो सिर्फ उसके साथ ही "

मैने आंखे बंद कर उन्हें नमन किया और उठ कर बाहर आया एक गहरी सांस लेते हुए नम आंखों से वहा पेड़ों की छांव में खुद को संभालता हुआ
एक आखिरी उम्मीद का दामन था वो भी मैने आज छोड़ दिया था और वापस मंदिर की सीढ़ियों से उतर कर अपना जूता पहन रहा था और अभी वापस अपनी टीम की ओर जा रहा था कि एक खिलखिलाहट ने मेरे पाव रोक दिए ।


ये आवाज
ये हंसी
ये तो मेरी ...
भागा मै उसी तरफ , मंदिर के चबूतरे के किनारे से घूमता हुआ और थम सा गया
हांफता हुआ, मुस्कुराता हुआ
और वो दिखी मुझे
मंदिर के पिछली सीढ़ियों पर बैठी हुई एक सूट सलवार में , सर पर चुन्नी लिए हुए


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उसका प्यारा सा चेहरा और वो आंखे देख कर मै थम सा गया
धड़कने तेज थी और दिल बेचैन
मै तैयार नहीं था उसके सामने जाने को और वही मंदिर के पीछे की खत्म होती दिवाल के छोर पर रुक गया और छिप कर देखने लगा उसे हंसते खिलखिलाते अपनी सहेली रेखा के साथ , वो उसकी पोट्रेट निकाल रही थी और मेरी सोना पोज दे रही थी


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एकदम से उसकी नजरे मेरी ओर गई और एक नजर भर हमारी आंखे टकराई । मै झट से उससे छिपने की कोशिश करता हुआ मंदिर की दिवाल से चिपक गया

लेकिन अगले ही पल मैने अपनी आंखे भींच ली और किस को मन ही मन गाली दी "अबे स्साले "

मेरे टीम का ड्राइवर था जो मुझे आवाज दे रहा था
" रोहन सर ... रोहन सर "

मै उल्टे पाव वहां से भागा और बस एक नजर पलट कर देखा
वो वही खड़ी थी मेरी वाली जगह , शायद उसने मुझे देख लिया था या कहूं महसूस कर लिया था , उसकी आंखे भर आई थी और होठ खुले थे जैसे हर बार वो मुझे देख कर खो सी जाती थी


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लेकिन मै रुक नहीं सकता था उसके सामने
मै मंदिर घूम कर गाड़ी की ओर जाने लगा और वो मेरे पीछे भागी आई

कि रेखा ने एक आवाज दी
" निशा ... निशा , क्या हुआ ? "
" कुछ नहीं ? चल "

वो आई थी मुझे खोजते हुए मेरे पीछे लेकिन मै छिप गया वही मंदिर के परतों में
फिर वो चली गई और मैने अपनी आंखे पोंछ कर अपने टीम के साथ के पास
चाहता तो रुकता
चाहता तो बातें भी कर सकता था
लेकिन हिम्मत नहीं थी
कैसे मिलता उससे
क्या पूछता उससे
क्या वो मुझे अभी भी चाहती है ? बिन कहे उसकी आंखों ने मेरे सवाल पहले ही पढ़ लिए थे ।
और क्या पूछता ? उसकी खैरियत ? आंखों ने उसकी सब बता दिए थे ।

अभी अभी तो मैने खुदा से मांगा उसे और वो मुझे यू उसके आगे खड़ा कर देंगे सोचा नहीं था ।

समझ नहीं आ रहा था कि क्या खेल चल रहा था
कोई नियति थी या फिर खुदा भी मेरी मुहब्बत की मांग के आगे झुक गया
मन में उस वक्त ये सवाल भी आए कि वो मोहनलालगंज से अपने टाऊन से 14 15 km दूर यहां क्या करने आई थी और मै भी क्यों आया ?

फिर गाड़ी में अगली सीट बैठ कर निकलते हुए एक बार फिर वो मुझे दिखी , अकेली मेरी राह निहार रही थी डबडबाई आंखों से उम्मीद बांधे हुए


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महज 20 फिट के दूरी से मै उसके सामने से होकर गुजरा
शायद वो समझे कि ये हमारी नियति का खेल था ।
शायद वो समझे ये हमारी किस्मत की आवाज थी ।
शायद वो लौट आए ।
शायद मुझे मेरी मुहब्बत वापस मिल जाए ।
शायद .... मै फिर जी उठूं ।


जारी रहेगी
 

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Congratulations Bhai for new story hope so aap jaldi update de kr sub arambha karenge

पहला अध्याय कब तक आएगा?


नई कहानी के लिए हार्दिक शुभकामनाएं।

आशा है की आपकी पिछली दो कहानियों की तरह ये भी पूरा मज़ा देगी। :)

Dear agar hinglish ma likho tu bohat se log Jo Hindi nai read ker sakty Hain wo bhi read comment suggestions de sakty hain
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