• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

sunoanuj

Well-Known Member
4,274
11,089
159
प्रतीक्षा रहेगी आपके जल्दी स्वस्थ होने की !

💐💐💐🌺🌺🌺
 

Funlover

I am here only for sex stories No personal contact
16,457
24,783
229

Ashiq Baba

Member
210
383
63
हेल्लो मेरे सभी पाठक मित्रो


सब से पहले आप सब से क्षमा याचना की मेरे कारण आप लोगो को कहानी में थोडा सा ब्रेक आ गया............माफ़ी चाहती हूँ..............

अब काफी बेहतर हूँ और शायद लिखने की शुरुआत भी कर लुंगी..............

जैसे की आप लोगो का कहानी का रिधम डिस्टर्ब हुआ उसी हिसाब से मेरा भी लिंक थोडा सा डिस्टर्ब हुआ है...............आप लोगो से थोडा सा समय चाहूंगी, वह इसलिए की मैं भी थोडा रिवाइव कर लू कहानी का पिछले कुछ अपडेटस पढ़ लू ताकि बेहतर लिंक जोड़ सकू.......काफी केरेक्टर्स जुड़ चुके है तो सभी के नाम और प्रसंग जरा सा पढ़ लू........

आज रात को या फिर कल से हम फीर से कहानी को आगे ले जायेंगे...................


माफ़ी....................और शुक्रिया बने रहने के लिए......................
आपको माफी मांगने और शुक्रिया की जरूरत ही नही है आप यू ही तकल्लुफ कर रहे हों । आखिर आप भी एक इन्सान हो । एक्सीडेंटली आप समर्थ नही हो तो इसमें आपका कोई दोष नही है । और हम सभी पाठक ये बात अच्छे से जानते है ।
हम सभी आपको जल्द ही स्वस्थ देखना चाहते है अपने स्वार्थ के लिए नही बल्कि इंसानियत और मानवीयता के नाते । आप कृपया पहले एकदम स्वस्थ हो जाइए । आखिर जान है तो जहान है ।
 
Last edited:

Funlover

I am here only for sex stories No personal contact
16,457
24,783
229
आपको माफी मांगने और शुक्रिया की जरूरत ही नही है आप यू ही तकल्लुफ कर रहे हों । आखिर आप भी एक इन्सान हो । एक्सीडेंटली आप समर्थ नही हो तो इसमें आपका कोई दोष नही है । और हम सभी पाठक ये बात अच्छे से जानते है ।
हम सभी आपको जल्द ही स्वस्थ देखना चाहते है अपने स्वार्थ के लिए नही बल्कि इंसानियत और मानवीयता के नाते । आप कृपया पहले एकदम स्वस्थ हो जाइए । आखिर जान है तो जहान है ।

आपका बहोत बहोत धन्यवाद

जी बिलकुल सच है " आखिर जान है तो जहान है ।"
 

Funlover

I am here only for sex stories No personal contact
16,457
24,783
229

Update 11



परम बोल रहा है, "आज अगर काका नहीं होते, तो मैं उसे चूम कर पुमा की धइले को मसल डालता।"

आम तौर पर, अगर कोई किसी लड़की का उसकी माँ से इस तरह ज़िक्र करता, तो वह उसे ज़ोरदार थप्पड़ मार देती। लेकिन यह गाव तो विचित्रता से भरपूर है। आप लोग अब तक तो जान ही गए होंगे। यहाँ सब कुछ नार्मल तरीके से लिया जाता है। लेकिन ऐसे अनटोल्ड नियमो की वजह से, पुष्पा ऐसा नहीं कर सकती थी। वैसे भी, शादी से पहले और बाद में, हर होली पर उसने कुछ ख़ास लोगों को ही अपने स्तन सहलाने की इजाज़त दी थी, लेकिन किसी भी बाहरी पुरुष ने (घर के अलावा), यहाँ तक कि उसके पति ने भी, कभी उससे इतनी कामुक बातें नहीं कीं। हालाँकि कभी-कभी उसने सुंदरी और दूसरी सहेलियों के साथ सेक्स के बारे में बात की थी, लेकिन वह दूसरी औरतों के साथ यौन संबंधों तक ही सीमित रही। और तो और, अपनी कामुक बातों के साथ-साथ परम उसे अपने हाथों से भी खुश कर रहा था।

“अरे बेटे,अभी वह कच्ची है मैंने कहा तो सही, अभी वह ब्रा और पेंटी में है, घाघरा में नही आई।“ (अब इसका मतलब तो वोही समजा सकती है। मैं यह समजती हु की वहा औरतो या बड़ी लडकिया जो घाघरा-चोली पाहती है वे लोग ब्रा-पेंटी नहीं पहनते है। उन जरुरी दिनों के अलावा और स्कुल-कोलेज के अलावा।)

और तब परम ने वो शब्द कहे जो पुष्पा सुनना चाहती थी।
फनलवर द्वारा रचित

“काकी सच बोलता हूं, अगर मुझे अकेले मिल जाए तो मैं उसकी जमकर चुदाई कर डालूंगा, भले ही उसकी नन्ही सी चूत क्यों न फट जाए। मैं उसकी चूत और कोंख में मेरा वारिस रखना चाहता हु। आपकी मेहरबानी होगी तो जल्द ही फूलेगी।”

इतना सुनते ही पुष्पा शर्मा गई लेकिन उसकी चूत फुदकने लगी।

“हे काकी, एक बार मुझे पुमा के साथ अकेले रहने दो…” कहते हुए परम ने जांघों पर से हाथ हटाया और पुष्पा की दोनों गालों को अपने हाथों में लेकर लिया..

“काकी, तुम्हारे गाल भी बिलकुल पुमा जैसे है।”

पुष्पा को अच्छा नहीं लगा कि परम ने चूत पर हाथ लगाया बिना, अपना हाथ हटा लिया। इधर परम भी समझ नहीं पाया कि उसने चूत को क्यों नहीं मसला। लेकिन परम अब पुष्पा की गालों को रगड़ रहा था।

“तुमने कभी किसी को….क्या किया है?” पुष्पा चुदाई कहना चाहती थी लेकिन उसके संस्कारों ने उसे रोक लिया।

परम समझ गया लेकिन उसने पूछा, "क्या...किया है? मतलब"

पुष्पा ने अपने गालों पर से परम का हाथ हटाया तो परम ने उसकी गालों को चूम लिया।

“छी, क्या करता है…!”
फनलवर की रचना

कहते हुए परम को थोड़ा पीछे ढकेल दिया। और खुद पीछे खिसक कर बेड-रेस्ट से सटकर बैठ गई। जैसा कि आम तौर पर महिलाएं दोनों घुटनों को ऊपर उठा कर और पैरों को अंदर की तरफ खींच कर बैठती हैं। परम भी पुष्पा के एक तरफ आकर बैठ गया और बिना हिचकिचाहट के अपने हाथ पुष्पा के कमर पर रख दिया। पुष्पा ने अपना एक हाथ उसकी हाथ में रखा और कहा,

“वही, जो तुम पुमा के साथ अकेले काम करना चाहते हो..!”

“ओह.. तो तुम जानना चाहती हो कि मैंने किसी को चोदा.. है कि नहीं…? काकी, आपकी यह भाषा ही आपको इस गाव से अलग रखे हुए है। आप खुल के बोले ताकि सब को समज आये।”

“हां, हां, अब ज्यादा उपदेश ना दे! मैं भी इसी गाव से हु, मुझे सब पता है और आता भी है। यह हम पहली बार बात कर रहे है इसलिए....समजा! मुझे इस गाव से बहार मत समज।“

परम का हाथ अब बिल्कुल पुष्पा के छूट के ऊपर था। पुष्पा की चूत फुदक रही थी। परम ने प्यूबिक एरिया को सहलाते हुए झूठ कहा,

“नहीं काकी, अभी तक तो किसी को चोदने का मौका नहीं मिला है… मन तो बहुत करता है।” कहते हुए परम ने हाथ नीचे किया और काकी के चूत पर रख दिया और हौले से दबाते हुए कहा..

“मुझे तो मालूम भी नहीं कि चुदाई होती क्या है…।”

परम ने पुष्पा की चूत की फाँको पर उंगलियों को रगड़ा... करीब 1 मिनट तो पुष्पा ने चूत पर उंगलियों को रगड़ने दिया लेकिन उसके बाद उसने परम का हाथ उठा कर अलग किया और एक तकिये को अपनी गोद में रख लिया।

“अरे… उस में, सिखाना क्या है… जब कोई नंगी लड़की को बिस्तर पर लिटोगे तो अपने आप पता चल जाएगा की.. क्या करना है.. ।”काकी भी जानती थी की परम झूठ बोल रहा है लेकिन वह भी इस मस्ती को बंद करना नहीं चाहती थी। यही मस्ती उसे अपने अंजाम तक ले जायेगी बिना कुछ आगे बढे।

काकी ने कहा और अपना हाथ बढ़ा कर परम के कंधे पर रख कर दबाया। परम बिल्कुल पुष्पा से चिपक गया..

"जब मेरी शादी हुई तो मैं छोटी थी, पुमा के उमर की, और तुम्हारे काका 18-19 साल के। शादी के तीन महीने टुक मैं नंगी नहीं हुई। तुम्हारे काका ने बहुत कोशिश की, मेरे घर बालों से शिकायत भी की, मुझे डांटा भी लेकिन मैंने अपना कपड़ा नहीं खोला, आख़िर एक रात काका के पिता ने कुछ समजाया और काका ने जबरदस्त मेरे सारे कपड़े फाड़ डाले और मुझे पूरा नंगा कर अपना 'डंडा' मेरे अंदर पेल दिया। पहले बार तो बहुत दर्द किया था लेकिन बाद में बहुत मज़ा आने लगा। तुम्हारे काका अभी भी बहोत मजा देते हैं…” पुष्पा ने कहा।

परम सुन भी रहा था, और अपना काम भी कर रहा था। उसने अपना एक गाल पुष्पा की मस्त चूची से सटा कर रखा था और एक हाथ से पैरों के पास से कपड़े ऊपर उठा रहा था।

पुष्पा ने मना नहीं किया,बस बिना विरोध बैठी रही और पूछा, “तूने किसी को नंगा देखा है?”
फनलवर की रचना है

परम ने कपड़ों को घुटनों तक उठा दिया था और पुष्पा की चिकनी पिंडलियों को सहलाता रहा।

“हा काकी, कई बार सुंदरी की नंगी चुचियों को देखा है और बस एक बार महक की चूत को देखा है।”

परम का हाथ कभी बछड़ों पर घूम रहा था तो कभी पुष्पा की मांसल जांघो का मजा ले रहा था। उसने बोलना जारी रखा,

“लेकिन कभी भी मेरा लौड़ा इतना टाइट नहीं हुआ था जितना आज पुमा को कपड़ो में देख कर हुआ। बहोत टाईट हो गया था काकी,मेरा लंड।”

परम के मुँह से 'लोडा' सुनकर पुष्पा थोड़ी शर्मा गई। पुष्पा ने गोदी में तकिया रखा था इसलिए परम सामने से चूत पर हाथ नहीं लग सकता था। तब परम ने पिंडलियों को मसलते, पीठ-जांघों पर हाथ डाला और फिर दोनों जांघों के बीच कपड़ो के ऊपर से चूत को मसलने लगा। चूत का होंठ परम के उंगलियों के बीच में था और परम ने जोरो से मसलते हुए पूछा,

“काकी तुम तो अभी भी इतनी सुंदर हो और मस्त भी, कई लोग तुम्हारी चूत का मजा ले चुके होंगे।”

चूत को मसलते मसलते परम को बहुत गर्मी लगने लगी तो उसने हाथ हटा कर अपना शर्ट निकाल दिया।

"बहुत गर्मी है। काकी तुम्हें भी बहुत गर्मी लग रही होगी। साड़ी क्यों नहीं उतार देती हो.. मेरे सिवा कोई देखने बाला नहीं है।"

इतना कह कर परम ने तकिया खींच कर अलग कर दिया। साड़ी की गांठ भी खोल दिया और पुष्पा बैठी रही और परम ने साड़ी को बॉडी से अलग कर नीचे फेंक दिया। इस खिंचा तनी मे पेटीकोट (घाघरा) ऊपर उठ गया था और आधी जांघ साफ चमक रही थी। पुष्पा ने पेटीकोट को नीचे खींचना चाहा लेकिन परम ने उसका हाथ पकड़ कर रोक लिया।

“काकी, रहने दो ना, और मुझे काम करने दो न, मैंने इतनी सुंदर और चिकनी जांघें नहीं देखी हैं।” परम ने नंगी जंघो को सहलाया और पूछा, “बोलो ना काकी कितने लोगों से चुदवाई हो?”

अब पुष्पा से भी नहीं रहा गया। पुष्पा ने परम को अपनी ओर खींच लिया और उसके मुंह को अपने चुचियो के बीच में रख दिया।


“अपनी बेटियों की कसम तुम्हारे काका के अलावा किसी ने अब तक मुझे नहीं चोदा है।” नहीं चाहते हुए भी पुष्पा 'चोदा' बोल पड़ी। पुष्पा ने फिर कहा “लेकिन तेरे काका के अलावा एक आदमी ने सिर्फ एक बार मेरी चूत को खूब मसला था।”

कही जायिगा नहीं अभी काफी आगे बहोत बाकी है...........



जब तक दूसरा अपडेट लिख लू तब तक आप इस अपडेट के बारे में अपनी राय दीजिये प्लीज़.................


जय भारत।
 
Last edited:

Napster

Well-Known Member
6,970
18,358
188
अब आगे.................



महक को एक अजनबी के साथ बंद कमरे में छोड़कर परम बहुत उदास हो गया। उसे पता था कि वह अजनबी का लंड उसकी बहन का कौमार्य भंग करेगा, वह उसकी बहन की चूत चोद-चोद के कितनी बड़ी कर देगा, जिसकी उसे पिछले दो हफ़्तों से चाहत थी। उसे अपनी बहन के साथ की सारी मस्ती याद आ गई। उसने कल्पना की कि वह उस सेठ से कैसे चुद रही होगी। वह उसकी मस्त जवानी का मज़ा ले रहा होगा। वह सचमुच बहुत दुखी था और अपनी सेक्सी माँ सुंदरी पर गुस्सा हो रहा था। उस मादरचोद माँ ने ही पैसों के लिए महक को अपनी चूत का कौमार्य भंग करवाने के लिए उकसाया था और वह भी दुसरे कोई धनपति के द्वारा। परम अपने आप पर भी उतना ही गुस्से में था उसका मन यह मानने को तैयार ही नहीं था की उसकी बहन किसी और के सामने अपना पैर फैलाए और वह अजनबी उसकी चूत को फाड़े। यह शायद उसके लिए असहनीय था। उसी समय सुंदरी भी अपने आप को कोस रही थी की यह उसके द्वारा लिया गया सब से गन्दा काम था। वह “अब” नहीं चाहती थी की कोई अजनबी उसकी बेटी की चूत और गांड से खेले। हाँ वह एक व्याभिचार (इन्सेस्ट) में मानती थी और वह चाहती थी की महक उसके पापा की बनी रहे और वह खुले आम अपने विचारो से अपने पैर मनपसंद आदमी के लिए खुले रखे। पर पैसा उसके लिए महत्त्व था और उसीका नतीजा यह था की आज उसकी बेटी उसकी मरजी से किसी और के लंड को अपने में समा रही थी। मैत्री और नीता की रचना

वह यही सब सोच रहा था कि तभी उसने पूनम के पिता और उसकी छोटी बहन को वहाँ से गुजरते देखा। उन्होंने भी उसे देखा और रुक गए। जैसे ही परम ने पूनम की छोटी बहन पूमा (असली नाम पूर्णिमा) को देखा, वह सब कुछ भूल गया। वह महक, छोटी बहू और सुंदरी को भी भूल गया। वह उसकी खूबसूरती पर मंत्रमुग्ध हो गया। हालाँकि उसने पूमा को पहले भी देखा था, लेकिन उसने कभी ध्यान नहीं दिया था। लेकिन अब, जब उसने उसे अच्छे कपड़े पहने और थोड़ा सा मेकअप किए देखा, तो वह उससे प्यार करने लगा और उसने उससे शादी करने का फैसला कर लिया।

वह कितनी मनमोहक सुंदरी थी। पुमा एक पतली लड़की थी, अपनी बहन पूनम वाह से दो साल छोटी थी, जिसे कल रात बाप (मुनीम) और बेटे दोनों ने चोदा था। जब परम उनसे बात कर रहा था तो वह सुधा के सामने मुनीम के मोटे और बड़े सुपारे से अपनी चूत भरवा रही थी। परम ने पुमा और उसके पिता के साथ खुशियों का आदान-प्रदान किया। वह खुद को रोक नहीं सका।

परम ने पुमा के गाल को सहलाते हुए पूछा कि वे लोग कह जा रहे हैं। परम ने बताया कि वो सेठजी के काम से बाजार आया था और करीब दो घंटे के बाद वापस सेठजी के घर जाएगा। बात करते करते परम पुमा के गालो को सहलाता रहा और पुमा की नजरें नीचे की हुई खड़ी रही। पुमा के पापा ने परम को डांटा कि वो उनके घर आता नहीं है और कहा कि वो भी एक दोस्त के घर 'पूजा' में जा रहे हैं और वहां से वापस आने के लिए 1.5 से 2 घंटे लग जाएंगे। परम उनकी बात सुनता रहा और पुमा को घूरता रहा।

पुमा अभी कच्ची कली थी। उसकी चुची टमाटर के आकार की है। फ्रॉक के ऊपर से छोटी चुचियों का कसाव साफ़ साफ़ दिख रहा था। परम का मन किया कि हाथ बढ़ा कर उन चुचियों को मसल डाले। परम ने पुमा को आंखो से ही चोदना चालू किया। पतली कमर और घुटनों के ऊपर टाइट निचली जांघ को देखकर परम का लंड पैंट के नीचे धमाल करने लगा था। उसके कपडे हलका और खुला था इस लिए पुमा के पापा को और पुमा को पैंट के नीचे से लंड का कसाव नहीं दिखाई दिया।

कल रात ही परम ने पुमा की बड़ी बहन पूनम को चोदा था और उसकी टाइट और मस्त चूत का मजा रात भर लिया था लेकिन अब परम का मन कर रहा था कि वही पुमा को नंगी कर पूरा का पूरा लंड उसकी टाइट चूत में घुसेड़ डाले। पुमा की अनदेखी और टाइट चूत के बारे मे सोचते-सोचते परम को लगा कि उसके लंड फाड़ कर बहार निकल आएगा। परम ने पुमा के गालो पर से हाथ हटा कर उसकी कंधे पर रख कर थोड़ा जोर से दबाया। पुमा ने आंखें उठाई कर परम को देखा और मुस्कुराइ। और अपने पापा की ओर देखा। पापा भी परम की हरकत देख ही रहे थे पर उनके मुंह पर ऐसा गुस्सेवाला कोई भाव नहीं था क्योकि वह इस हरकत को सामान्यरूप से ले रहा था। उसे क्या पता की परम के मन में क्या चल रहा है और वह इस हरकत क्यों कर रहा है। लेकिन कब तक!

परम तो पुमा की प्यारी प्यारी आँखों को देखता ही रहता अगर पुमा का पापा उसका हाथ पकड़ कर आगे नहीं बढ़ता। जाते समय उसने परम को बताया कि पुमा की माँ घर पर अकेली है और अगर परम के पास कोई काम नहीं है तो वह उनके लौटने तक उसके साथ समय बिता सकता है।

दोनों चले गए और परम अकेले रह गया। उसे सेठजी के घर वापस जाना था, सुंदरी को अपने साथ लेना था और महक को लेना था और उसके बाद ही उसे घर जाना था। वह सेठजी के घर वापस जा सकता था और बहू और रेखा दोनों के साथ कुछ मस्ती करने की कोशिश कर सकता था लेकिन उसने पुमा के घर जाने का फैसला किया। उसने पुमा की मां से अपने मन की बात कहने का फैसला किया कि वह पुमा से शादी करेगा।

उसके पैर अपने आप ही पुमा के घर की तरफ चल पड़े। परम ने उसे उसके पति और पुमा से हुई अपनी छोटी सी मुलाक़ात के बारे में बताया। पुष्पा कमरे में एक चारपाई पर बैठ गई और परम को बैठने को कहा। परम ने उसके पास कुर्सी खींच ली। वे बातें करने लगे और अचानक परम बोला,

"काकी, पुमा से मेरी शादी करा दो.."

काकी ज़ोर से हँस पड़ीं। “अरे बेटा, पुमा तो अभी बच्ची है, कच्ची कली है…लेकिन अब तक तू पूनम के पीछे पागल था…मुझे पता है।”

“काकी, तुम तो जानती हो, पूनम और रेखा दोनों ने मुझसे शादी करने से मना कर दिया है…साली कहती है कि मैं उनके लिए बहुत छोटा हूँ…” परम ने कहा और जोड़ा..

"पुमा तो मुझसे छोटी है...मैं उससे ही शादी करूंगा..."

परम कुर्सी से उतर गया और अपने घुटनों के बल उसके पैरों के पास फर्श पर बैठ गया। उसने दोनों हाथ उसकी जाँघों पर रखे और कहा,

“नहीं काकी, मुझे तो पूमा चाहिए…उससे ही शादी करूंगा…”
मैत्री और नता की रचना

काकी ने परम के बालों पर हाथ रखा और उसके बालों को सहलाया। बालो को सहलते सहलते काकी ने कहा,

“अरे बेटा, वो अभी कच्ची है, उसे पूरा जवान होने में 2-3 साल लगेंगे… तब बोलेगा तो मैं उससे तेरी शादी करवा दूंगी।”

काकी ने अपनी उंगलियों को परम के बालो में फंसाते हुए कहा “क्या पता तब तक पुमा किसी और को पसंद कर ले..।”

“कुछ भी हो… मैं इंतजार करूंगा और पुमा की जवानी का मजा मैं ही लूंगा… मैं ही उससे शादी करूंगा… वो बस मेरी ही है।”

परम को अब होश आया कि उसके हाथ काकी की मोटी और सख्त जाँघों पर हैं। वह कपड़ों, पेटीकोट और साड़ी के ऊपर से भी उसकी जाँघों की गर्मी महसूस कर सकता था.. पहले तो सामने नहीं थे, परम ने अभी काकी को ही चोदने का मन बनाया।

"जानती हो काकी, पुमा को देखते ही पता नहीं क्या हुआ, मेरा पूरा बॉडी टाइट हो गया है। लगता है पैंट फट जाएगा..।"

बोलते-बोलते परम ने अपने दोनों हाथों को काकी के जांघों के बीच डाल कर दबाया।
मैत्री और नीता की रचना

*******

रात का समय, घर में अकेली एक लड़का के साथ। पति-बेटियों के इतनी जल्दी आने और परम की इतनी सेक्सी बातों की उम्मीद नहीं थी। प्रतिक्रिया स्वरूप उसने अपनी जाँघें अलग कर दीं लेकिन साथ ही उसने अपनी जाँघों के अंदरूनी हिस्से को सहलाते हुए परम के हाथों को खींच लिया और उसे अपने घुटनों के ठीक ऊपर ही रहने दिया। परम की माँ, उसकी अच्छी सहेली थी और दोनों मौका मिलने पर खूब बातें करते थे।

पुष्पा (पुमा और पूनम की मां) को अच्छा लगा कि परम उसकी बेटी की तारीफ कर रहा है। और खास कर पुष्पा को परम के बात करने का तरीका अच्छा लगा। परम जिस तरह से उसकी जाँघो को मसल रहा था, पुष्पा को अच्छा लगा। पुमा के पापा तो दो-तीन बार चुची को दबाते थे, जांघों को सहलाते थे और चूत में लौड़ा घुसा कर खूब चुदाई करते थे। वो कभी मस्ती नहीं करते थे, जब पुष्प चाहते थे तो चुदाई के पहले कोई उसे घंटो सहलाए, मसले, चूमे, चाटे टब चुदाई करे..

लेकिन पुष्पा को अभी भी अपने पति से चुदवाने में वही मजा मिला था जो पहली बार की चुदाई में मिला था। चुदाई की बात सोचते ही पुष्पा की चूत पनिया गई और उसने परम के बालों को सहलाते हुए अपनी जांघों को झुका दिया। ऐसा करने में उसकी चुची परम के हेड से टकरा गई लेकिन तुरंत ही परम के हेड को ऊपर उठा दिया और कहा,

“अच्छा बता, पुमा मे क्या है जो तुम इतना गरम हो गए हो, जब की पूनम पूरी जवान और तैयार है, और अच्छा माल भी बन चुकी है।”

परम के हाथों को ऊपर पुष्पा ने अपना हाथ रखा हुआ था फिर भी परम ने अपने हाथों को पुष्पा की जांघों को ऊपर की तरफ बढ़ाया। पुष्पा का हाथ परम के हाथों को दबाया जा रहा है और परम को पुष्पा की टाइट और गुदाज़ जांघों का मज़ा मिल रहा है।

“मुझे पता नहीं, लेकिन उसको देखते ही मैं और मेरा नीचेवाला पूरा गर्म हो गया।”

परम हौले-हौले जांघो को मसल रहा था और पुष्पा को भी मजा आ रहा था। पुष्पा ने मन ही मन सोच लिया था कि वो परम को कपड़े के ऊपर से पूरा मजा लेने देगी, जहां भी हाथ लगाना चाहेगा, सहलाने देगी, उसने फैसला किया कि वो परम को अपनी नंगी चूची भी दिखाएगी लेकिन चूत नहीं.. परम ने सहलाते-सहलाते जांघो को बाहर की तरफ फैलाया और पहली बाद खुलकर कहा,

“काकी दोनो टैंगो को पूरा फैलाओ प्लीज़!”

पुष्पा ने एक पैर को उठाकर बिस्तर पर रख दिया और दूसरे पैर को नीचे ही लटका दिया।

“टांग को फैला कर क्या करेगा…?”
मैत्री और नीता की रचना

पुष्पा ने मुस्कुराते हुए पुछा,फिर पुछा,

“तू बोला नहीं! पूमा में तुम्हे क्या दिखाई दिया। जो इतना प्यार उमड़ पड़ा है तेरे दिल में और निचे भी!”

पुष्पा अब जैसे बैठी थी उसमें उसकी एक जांघें ऊर्ध्वाधर स्थिति में थीं और दूसरे जांघों के बिस्तर पर क्षैतिज (हॉरिजॉन्टल) स्थिति में थीं। परम ने अपने बाएं हाथ को क्षैतिज जांघों पर जांघों के केंद्र पर रखा और दाहिने हाथ से ऊर्ध्वाधर जांघों को ऊपर से नीचे तक सहलाने लगा।

"काकी तुम्हारी जाँघ (जाँघें) बहुत मस्त, भरी हुई और टाइट है और साथ में चिकनी भी। बिलकुल केला के अंगूठा (केले का तना) जैसा।"

और परम ने जोर से दोनों जांघों को मसल दिया।

"ISSSSSSSSSSSS। पुष्पा ने जोर से सिस्कारी मारी. "इतना जोर से मसला। बोल ना पुमा मे क्या देखा..जो भी तेरे मन में है वह सब बता, डर मत बेटे।"


“काकी, टमाटर के साइज़ की टाइट चुची, उसके गोरे और चिकनी गाल और उसकी चिकनी चिकनी जाँघें, मैंने उसकी चूत के बारे में सोचा है की वह मस्त माल होगी।“ उसने फिर से एक जांघों को बिल्कुल चूत के पास जोर से मसला कि पुष्पा की चूत भी खिंच गई।
आज के लिए बस इतना ही कल फिर से एक नए अपडेट के साथ आपके समक्ष हाजिर होंगी.............तब तक के लिए क्षमा................


शुभरात्री


।जय भारत
बहुत ही शानदार लाजवाब और जबरदस्त मदमस्त अपडेट है मजा आ गया
 
Top