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स्नेही श्री पाठकगण।

भगवान और माँ भारती, आपको और आपके परिवार को यह नया साल खुशहाल, स्वास्थवर्धक और प्रगतिशील बनाए रखे ऐसी मनोकामना।

नव वर्ष की शुभकामनाएँ।


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Dear Reader,

May God and Maa BHARATI keep you and your family Happy, Healthy, and Progressive in this New Year.

Happy New Year.
 

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दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं ||
आप को और आपके स्नेहीजनो को मेरी ओर से दीपावली की ढेर सारी शुभकामनाये

भगवान हम सब को इस नए साल में खुशहाली और प्रगतिशील बनाये रखे|
 

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Pushpa to Param se chud kar sab kuch bhul gayi ab to Puma se shadi ka takhta taiyar ho gaya param ke liye. Romanchak. Pratiksha agle rasprad update ki
जी बिलकुल अब शायद परम के लिए पूमा का रास्ता साफ़ होता दिख रहा है ...............लेकिन अभी सुंदरी की सम्मति लेना बाकी है देखते है आगे.................
 

Napster

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अगर कोई नीचे की ओर देखता तो उसे पता चलता कि वो औरत कितनी पनिया गई थी। उसकी चूत अपना चुतरस ज्यादा मात्रा में बहा रही थी। शायद आगे भी वह झड गई थी। जब परम ने पुमा को चोदने की बात कही थी तभी उसकी चूत से फुवारा निकल चुका था।

अब आगे................


चूत से पानी टपक कर बाहर गिर रहा था और लंड की गर्मी से बोबले टाइट हो गए थे। पुष्पा अपना सारा निश्चय भूल गई कि परम को अपनी चूत नहीं दिखायेगी। वो भी भूल गयी कि परम उसकी छोटी बेटी को चोदना चाहता था और होसकता है की भविष्या का दामाद हो पर,यहाँ वो खुद ही लंड खाने को तैयार थी। पुष्पा जोर-जोर से सिस्कारी मार रही थी कि परम ने पिचकारी छोड़ दी। लंड से सफ़ेद तरल पदार्थ की गोली जैसा निकला और पुष्पा की गर्दन को भिंगाता हुआ उसके मुँह और नाक में घुस गया।


पुष्पा ने लोडे का माल को चाटा और बोल पड़ी, फनलवर की पेशकश

“क्या बेटा… बीच रास्ते में ही गाड़ी पंचर कर दिया।” पुष्पा ने परम को धक्का देकर अपनी बॉडी से नीचे कर दिया और कहा,

"मैं ही पागल थी कि तेरे जैसे बच्चे के सामने नंगी हो गई.... चल हट मुझे कपड़ा पहनने दे, मादरचोद, चोदना आता ही नहीं और पुमा को चोदेगा।"

लेकिन परम ने पुष्पा को नीचे दबाया और लेटे-लेटे ही परम पुष्पा के पैरों के बीच आया और क्लिट को चूसने लगा। पुष्पा उछल पड़ी...

"हाय बेटा, बहुत मजा आया। आह्ह...।"

परम ने कुछ जवाब नहीं दिया और प्यार से चूत को चाटता रहा। कभी भगनासा को होंठों से चूसा जाता था तो कभी भगनासा को ऊपर की ओर खींचा जाता था। जीभ से चूत के होठों को चूमता था तो कभी जीभ को चूत के अंदर डाल कर घुमाता था। परम ने दोनों हाथों से चूत को फैला दिया था और पूरे होठों के नीचे डाल कर चाट रहा था और चूम रहा था। पुष्पा जोर जोर से सिस्कारी मार रही थी...इस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्............भे..........न..........चो.........द...........

पुष्पा कई सालो से चुदवा रही थी लेकिन कभी भी उसके पति ने चूत को चूमा नहीं। उसने सहेलियों से सुना था कि चूत चटवाने में बहुत मज़ा आता है। कई बाद उसका मन किया कि पति को बोले चूत को चाटने के लिए लेकिन वो शर्म के कारण नहीं बोल पाई। और अब जब परम चूत चाट रहा था तो उसे पहले की हर चुदाई से ज्यादा मजा आ रहा था। वो चुतर उछाल रही थी और परम चूत को चूसने के साथ-साथ 2 उंगली घुसा कर उसे चोद भी रहा था। पुष्पा की शिकायत की परम ने बीच रोड पर पंचर कर दिया, ख़तम हो गई थी और अब परम को मन ही मन बहुत आशीर्वाद दे रही थी।

परम पुष्पा की स्वादिष्ट चूत को चाटने और चूसने में बहुत तल्लीन था। ऐसा लग रहा था कि परम अपना पूरा सिर चूत में घुस जाएगा, लेकिन नाक और जीभ के अलावा और कुछ चूत के अन्दर नहीं जा सका। पुष्पा को भी बहुत मजा आ रहा था, इससे पहले किसी ने चूत नहीं चाटा था लेकिन जो मजा अभी आ रहा था वैसा मजा पहले कभी नहीं आया था। पुष्पा खूब मजा ले कर मजा ले रही थी और कमर हिला-हिला कर परम को बता रही थी कि उसको खूब मजा आ रहा है। पुष्पा जोरो से ‘आहह…. उह्ह्ह…कर रही थी, साथ ही कमर उछल-उछल कर परम के चूत चटाई का मजा मार रही थी। पुष्पा को इतना मजा आया कि उसने दोनों हाथों से अपनी जांघों को अपने बोबले की तरफ खींच लिया, जिस से उसकी चूत ज्यादा से ज्यादा फैले। अब पुष्पा को अपनी ही चूत दिख रही थी।

परम कभी क्लिट को चूस रहा था तो कभी पूरी जीभ को अन्दर डाल कर घुमा रहा था और चूत का माल अपनी जीभ से बहार निकाले जा रहा था। इस बिच पुष्पा ने भी अपना चुतरस को परम के मुंह में भर दिया। साथ ही उंगली भी चूत के अंदर घुसेड़ कर चूत का मजा लेने लगा। परम का लंड टाइट होने लगा था, 7-8 मिनट के बाद परम ने चूत से हाथ अलग हटा दिया और चूत में जीभ डाले हुए ही पुष्पा की दोनों स्तनों को जोर-जोर से दबाते हुए चूत को खाने लगा। परम खूब मजे से चूत के हर एक हिस्से को चूस रहा था और पुष्पा का एक अंग जलने लगा था। वो अपने पैरों को उठाकर परम के सिर को पकड़ कर नीचे दबाने लगी। पुष्पा चाह रही थी कि परम का पूरा सिर उसकी चूत में घुस जाए। पुष्पा को लगा कि वो अब झडने वाली है और उसने अपने दोनों हाथों से और पैरों से परम के सिर को चूत पर दबाया और अपने कुलहो को ऊपर उठा दिया।

परम समज गया कि पुष्पा अब ठंडी हो गई है तो वो पुष्पा के क्लच से बाहर निकला और फचाक से लंड को चूत में घुसा दिया और पुष्पा के होठों को चूसने लगा साथ ही खूब जोर से चोट में धक्का लगाने लगा। पुष्पा को महसूस हुआ कि उसकी चूत के अंदर जो लंड है वो उसके पति के लंड से मोटा और लंबा है। पुष्पा ने कुलहो उछाल कर जबाब दिया लेकिन उसे अपनी चूत का स्वाद परम के मुंह में अजीब सा लगा। वो परम को अलग करना चाहती है लेकिन परम पुष्पा को जोर से जोर से धक्का पे धक्का लग रहा है। आख़िर पुष्पा थक गयी और उसने अपना बदन ढीला कर दिया और चुदाई का मज़ा लेने लगी। और अपना चुतरस परम के मुख से चाटने लगी। उसे अब ओर भी मजा आया इस विकृति से, अब उसे यह सब विकृत नहीं काग रहा था उसका खुद का रस उसे भा गया।

परम ने पुष्पा के होठों को आज़ाद किया और गालों को चूमा

“क्यों काकी, अब तो पंक्चर नहीं हुआ।”
नीता की रचना पढ़ रहे है

"नहीं, बेटा बहुत मजा दे रहो हो...चुदाई करते रहो...लेकिन अब मैं झरने वाली हूं। तुमने चूत चूस कर मुझे पूरा मजा दे दिया।"

लेकिन उसके बाद भी परम जम कर धक्का मदता रहा। आख़िर पुष्पा पूरी तरह से थक गयी।

“अब लौड़ा निकाल लो बेटा...थक गई हूं....मैं हाथ से तुम्हारा पानी निकाल दूंगी...।”

“लोडा चुसोगी?”


“नहीं.. छी….लंड भी कोई चूसता है…? लोडा तो कोई चूसने की चीज़ है।”

“तो ठीक है.. मैं तब तक चोदता रहूंगा जब तक फिर से पंचर नहीं हो जाता हूं…” परम जोर जोर से धक्का लगाने लगा।

पुष्पा से अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था, वो पूरी ठंडी हो चुकी थी।

“ठीक है बेटा, मैं जान गई तेरा लोडे में बहुत दम है… तू जानता है किसने होली में मेरी चूत को मसला था…… तेरे बाप ने… और आज बेटे ने मेरी चूत मसल कर चोद डाला।…”

परम के बालों को प्यार से सहलाते हुए बोली,

“ला मैं लोडे को चूस कर ठंडा कर देती हूँ, आख़िर तूने भी तो चूत चाट कर मज़ा दिया है।”

इतना सुनकर परम ने एक आखिरी बाद जोर से चूत में धक्का दिया और सीधा लंड निकाल कर पुष्पा के मुंह में डाल दिया। पुष्पा ना नुकुर करती रही लेकिन परम लोडे को धीरे-धीरे पुष्पा के मुंह में बाहर निकालता रहा। और आखिर जब परम का पानी निकला तो परम ने पुष्पा के बाल पकड़ कर पूरा माल, पुष्पा के मुंह में गिरा दिया।, पुष्पा का मुंह खुला था और एक-एक बूंद उसके गले के नीचे चला गया। पूरा वीर्य निकलने के बाद परम ने पुष्पा को अपने ऊपर ले लिया और दोनों हाथों से उसकी गोल-गोल हिप्स को दबाते हुए, पुष्पा को किस करता रहा। आज पहली बाद परम ने अपने वीर्य का स्वाद चखा।

कुछ देर तक दोनों ठंडे पड़े रहे। पुष्पा ने दीवार घड़ी की तरफ देखा, और चिल्ला पड़ी...
नीता द्वार रचित कहानी

"बाप रे, बेटा डेढ़ घंटा हो गया। अब सब आने वाले होंगे। चल जल्दी से कपड़े पहन कर तैयार हो जा... किसी को पता नहीं चलना चाहिए।"

दोनो साथ टॉयलेट गए और मुंह हाथ साफ किया और वापस आकर कपड़े पहनने लगे। पुष्पा ने कहा कि अब कब उसे चोदेगा तो परम ने जवाब दिया वो हर 2-3 दिन बाद आकर पुष्पा की चूत मरामत कर देगा। परम ने ये भीखा की अगर और भी चुदवाने का मन करे तो उसके घर आ जाये।

“सुंदरी क्या बोलेगी।”

“वो कुछ नहीं बोलेगी और ना ही कोई कुछ कहेगी। और हां तुम्हारे पुराने यार यानी के मेरा बाप से भी चुद के अपनी अधूरी इच्छा पूरी कर सकेगी।”

कपडे पहन लेने के बाद परम ने पुष्पा की साड़ी और पेटीकोट कमर तक उठा कर अपनी तरफ चेहरा करके गोदी में बैठा लिया और दोनो चुत्तडो को मसलते-मसलते बात बनाने लगा। पुष्पा की गांड को रगड़ते हुए परम ने पुष्पा को याद दिलाया कि वो पुमा से ही शादी करेगा और उसे (पुष्पा) जब तक लंड में दम है चोदता रहेगा।


पुष्पा ने जवाब में सिर्फ इतना कहा “देखेंगे।”


आज बस इतना ही

बाकी कल................तब तक के लिए विदा............


आपके टिका टिपण्णी की प्रतीक्षा रहेगी


।जय भारत
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है मजा आ गया
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 
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Reactions: Ashiq Baba

Funlover

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सबसे पहले तो आप सभी लोगो को दीपावली महापर्व की हार्दिक शुभकामनाएं ।

लेखिका को बहुत बहुत धन्यवाद । ये दोनों अपडेट बहुत ही डिटेल से विस्तार और बारीकी से लिखे है । और लिखे भी उम्दा तरीके से है कुल मिला कर दिल बाग बाग हो गया । रिकवेस्ट है ऐसा ही विस्तार और कामुकता से लबरेज कोई अपडेट आप सुन्दरी पर भी लिखे मगर परम के साथ नही बल्कि विनोद या किसी अन्य के साथ ।
इस अपडेट की खासियत ये है कि पुष्पा के अंतर्मन में परम के बाप यानी मुनीम जी के प्रति कुछ प्रेम दबा हुआ था जो उसने अपनी पहली होली की घंटना के रूप में परम को सुनाई थी कि मतलब कही ना कही वह चाहती थी कि मुनीम के साथ उसके शारीरिक सम्बंध बनते मगर आज उसका वंशज के साथ प्रेमालाप करके वह उस कसक को पूरा करना चाहती है । लोग शायद भूल गए मगर मुझे अच्छी तरह याद है जिस वक्त मुनीम ने पुष्पा की बड़ी बेटी यानी पूनम की सील तोड़ी थी तो मुनीम ने भी यही कहा था कि वह पूनम की माँ को चोदना चाहता था मगर वो ना सही उसकी बेटी सही ।

बहुत ही शानदार सीन लिखा है आपने । जहां पुष्पा और मुनीम जवानी में एक दूसरे से मिलना चाहते थे वहाँ उम्र के इस पड़ाव पर पुरुष प्रेमिका की बेटी को भोग रहा है और स्त्री उस पुरुष के पुत्र से अंतरंग हुई है । और आगे जाकर शायद दोनो मिल जाये ।

आपकी कहानी से कई प्लोट तैयार हो सकते है काफी नई कहानियों या कहे कि शाखाएं जन्म ले सकती है ।

फिर एक बार आपका दिल से धन्यवाद । आप स्वस्थ रहें खुश रहे और लिखते रहे । परिवार के साथ समय बिताएं और आकर अपडेट देवे इसी के साथ शुभ दीपावली ।
@Ashiq Baba

जी बहोत बहोत आभार

आपको और आपके स्नेहीजनो को भी मेरी ओर इस महापर्व दीपावली की से ढेर सारी शुभकामनाये।



और यह नया साल आपके लिए प्रगतिशील और स्वास्थ्यवर्धक बना रहे और आपकी इच्छापूर्ति बनी रहे ऐसे ह्रदय से कामना।

अब आगे ही विश किया है की आपकी इच्छापूर्ति होती रहे तो बेशक अगले नए साल में आप की इच्छा को ध्यान में रखते हुए ऐसा कोई एपिसोड लिख दूंगी। आपका सुचन ध्यान में है।

जी बिलकुल मुझे अच्छा लगा की शब्दों के द्वार जताया गया पुराना प्रेम को आपने प्रसंशा की। जी हाँ पुष्पा पहले से ही चाहती थी की वह मुनीम के संसर्ग में रहे पर संजोग उसके फेवर में नहीं रहे थे। और यहाँ परम के साथ बात-बात में यह बताने का कारण भी यही था की वह अभी भी मुनीम का स्वागत करने के लिए तैयार है, अगर मौक़ा मिले तो......मौक़ा मिलता है या नहीं वह तो आआगे की कहानी ही बता पाएगी।

जी आप बिलकुल सही है, यह वाकया शायद एपिसोड 5 या 6 में बताया गया है मुझे पूरा तो याद नहीं पर ........



मुनीम ने 16-17 साल पहले इस उम्र की पूनम की माँ को देखा था और उसे चोदने के लिए लंड खड़ा हो गया था। मुनीम पूनम की माँ को तो नहीं चोद पाया लेकिन आज उसकी बेटी चुदवाने के लिए पूरी नंगी उसके सामने खड़ी है। मुनीम उसे घूरता रहा।

समय समय की बात है एक समय ऐसा था की दो प्रेमी मिल नहीं सके एक ही गाँव रहते हुए भी, शायद दोनों के लिये एक सीमा बन गई थी। आज समय घूम के दुसरे रूप में प्रकाशित हुआ है, जा प्रेमी का बेटा प्रेमिका से और प्रेमी प्रेमिका की बेटी से जो कुछ भी हो सकता था, हो रहा है।


कभी उन दोनों में से किसी ने भी यह तो नहीं सोचा होगा। और आगे का तो यही कहानी बता सकती है की क्या क्या हो सकता है, संभावनाए काफी है.........

जी जैसे जैसे कहानी आगे जाती है प्लॉट्स उभर कर आते रहेते है और आगे भी आते रहेंगे...........और एक एक मोती से माला बनती जायेगी।

एक बार फिर से आपका बहोत बहोत धन्यवाद की आप कहानी के जड़ तक जाते हो और छिपा हुआ मर्म निकाल देते हो...............


शब्दों के शौक़ीन हो तो मेरी एक कहानी है लूइके पन्ने जो काफी धीरे से चलती है क्योकि ज्यादातर मेरा समय परम-सुंदरी ले लेती है फिर भी आशा है की आप को वर्नात्मकता का प्रभाव देखने को मिल सकता है। हलाकि वह अश्लीलता शायद नहीं है या फिर नहीं के बराबर है या फिर शब्दों की गुंथा गया है। समय मिले तो कभी वह सैर कर लेना।


मेरी दोनों कहानी का तफावत मिल जायेगा जहा एक ओर अशीलता से भरपूर गाँव है वह दूसरी ओर निश्वार्थ भावना, और गाँव की परिभाषा, और गाँव कैसा होता है उनकी रहन सहन और व्यवहार देखने को मिल सकता है। प्रयास कैसा है जरा बताना। (जरुरी नहीं की वह प्रसंशनीय ही हो, आपके प्रमाणिक टिपण्णी की आवश्यकता है)


लुइ के पन्ने!
 
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Funlover

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Good one madam...
Btw, ये आपने अच्छा किया की नया अपडेट लिखने से पहले आप पिछली अपडेट के १- २ लाइन लिख कर अब आगे... लिख रहे हो. It makes reading easier...as you post your replies to each of your comments, chances are that in between if you post any update..it might get missed...but since you are adding 1-2 lines of your last update..it ensures that we do not miss out on any update :)

Hope you get my point.

Once Again, a Very Happy Deepawali to you and your Family.

Funlover
Yes, thank you very much, friend.

Every time I think of something new (Innovative), perhaps this is one of them.

You liked the change and I glad to hear it.

Very Happy Deepawali to you and your Family.
 

Funlover

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Wishing You and your Family a very Happy and Safe Deepawali!!

आप को और आपके परिवार को शुभ दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें

Funlover
जी आपको और आपके स्नेहीजन को भी मेरी तरफ से दिवाली की बहोत बहोत ढेर सारी शुभकामनाये
 
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