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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

THE WILD NEW YEAR PARTY में किस फैमिली का गैंगबैंग चाहते है आप ?

  • राज की फैमिली

  • अमन की फैमिली

  • निशा की फैमिली

  • रज्जो की फैमिली


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DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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रागिनी के अफसाने
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DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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दिवाली धमाका अपडेट पेज नं 1341 पोस्ट कर दिया गया है

पढ़ कर हिलाओ और रॉकेट उड़ाओ
:shag:
THE EROTIC SUNDAY का आखिरी अपडेट भी रेडी है । :declare:

लेकिन बिना टारगेट पूरा किए मिलेगा नहीं 😁
 

Akaash04

Active Member
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💥अध्याय : 02 💥
UPDATE 024

THE EROTIC SUNDAY 08


" अरे खुशखबरी है मेरी नन्द रानी "
" क्या सच में अमन का छोटा भाई आ रहा है क्या ? "
" मेरी उम्र कहा अब आपको दूसरा भतीजा दे दूं , हा नयकी भौजाई से मांग लो हाहाहाहाहा " , ममता ने किचन में फोन पर संगीता से बात करते हुए मंजू को छेड़ा जो उसके साथ काम में लगी थी
: नयकी भौजाई मतलब ?
: अरे मतलब मुझे मेरी देवरानी मिल गई और अगले हफ्ते शादी भी है
: क्या सच में ? कौन है ? ( फोन पर संगीता एकदम से खुश हो गई )
: अरे वही पुराना माल वापस मिल गया है हाहाहाहाहा

ममता ने मंजू को छेड़ा और संगीता से बात कर रही थी
वही मुरारी अभी अभी बाहर से आ रहा था और हाल में बैठ हुए मदन को देख कर
: मदन जरा कमरे में आओ
: जी भैया
मुरारी उसे बोलकर अपने कमरे में चला गया और मदन थोड़ा असहज था , एक तो शादी और फिर आज दुपहर को कुछ हुआ था उसे लेकर

मदन कमरे में आया तो देखा मुरासुर सोफे पर बैठा हुआ डायरी खोलकर कुछ हिसाब लगा रहा था
: जी भइया
: अरे आओ बैठो , देखो टेंट और कैटरिंग वाले से अभी बात करके मै आ गया हूं, कल सुबह सजावट और लाइट साउंड के लिए बात हो जाएगी । अच्छा तुमने मेहमानों की लिस्ट बनाई
: अह हा भइया, ये देखिए
फिर मुरारी लिस्ट देखने लगा और मदन चुप था । एकदम से
मुरारी समझ रहा था कि मदन आज दुपहर की बात को लेकर असहज था

: तो कब तक चुप रहने का पक्का किया है ( मुरारी ने मेहमानों की लिस्ट पर पेन घुमाते हुए कहा )
: जी भैया ?
: अरे यार , मै दुपहर वाली बात कर रहा हूं
: सॉरी भैया , मुझे नहीं पता था कि आप लोग , सॉरी
: अरे यार हो गया , अब ज्वाइंट परिवार में ऐसी चीजें हो जाती है , इतना मत सोचो। देखो शादी की तैयारी करनी है और देखना तुम्हारी वजह अमन की मां को असहजता न हो
: जी भैया , ख्याल रखूंगा
: और क्या है तुम तो जान ही रहे हो कि इधर इतने दिन से मै था नहीं तो ... उसका भी मन हो गया और मेरा भी
: जी भैया ( थोड़ा शर्मा रहा था मदन )
: अरे यार तुम शर्मा क्यों रहे हो , हा , अगले हफ्ते तुम्हारी भी सुहागरात होगी हाहाहाहाहा
: क्या भैया आप भी ( मदन एकदम से शर्मिंदा हो गया और मुस्कुराने लगा )
: अरे हा , ममता बता रही थी कि आज तुम लोग थोड़े बहक गए थे उम्मम क्या ये सच है ?
मदन एकदम से चुप हो गया

मुरारी उसके कंधे पर हाथ रखता हुआ : हस कर : अरे तो क्या हो गया , इतना शरमाओ मत , मै भी मर्द हूं मेरे भी जज्बात डोल जाते है हाहाहा क्यों !!

मदन शर्मा कर मुस्कुराता हुआ : जी भैया
मुरारी : हा लेकिन अगर कुछ करना हो वो सब तो भाई ध्यान से कुंडी कड़ी लगा कर , समझे हाहाहाहाहा कही मै गलती से चला गया तो सही नहीं रहेगा न
मदन एकदम शर्म से गाढ़ हो गया : क्या भैया आप भी , शादी से पहले कैसे ?
मुरारी : अरे बेटा हमको चोदना मत सिखाओ , पकड़े गए थे उसी के साथ खेत में भूल गए हाहाहाहाहा
मदन मुस्कुराने लगा जब सालों पुरानी बात उसने खोद निकाली

कमरे का माहौल हसनुमा था कि मुरारी फिर एकदम से सीरियस होकर कहा : देखो मदन ये सब बाते ठीक है लेकिन मैने तुम्हे यहां कुछ बहुत खास बात करने के लिए बुलाया है
मदन थोड़ा शांत होकर : जी भइया कहिए
मुरारी का चेहरा अब एकदम सीरियस था और उसने नजरे उठा कर मदन की आंखों में देखते हुए : देखो अब तुम मंजू के साथ एक नए सफर पर जा रहे हो और शादी के बाद वही तुम्हारी संगिनी बन जाएगी तो ये तुम्हारी जिम्मेदारी है कि तुम उसके साथ ईमानदारी से पेश आओ
मदन : जी भइया मै समझ नहीं पा रहा हूं , साफ साफ कहिए
मुरारी थोड़ा रुक कर : हो सकता है दो दिन बाद ही संगीता आ जाए और तुम्हारा और उसका जो भी रिश्ता है मै चाहता हूं तुम उसे आगे न बढ़ाओ । यही तुम्हारे और मंजू के नए रिश्ते के लिए सही होगा
एकदम से मदन के चेहरे की हवाइयां उड़ गई और उसका माथा पसीना पसीना हो गया
मुरारी उसकी चुप्पी समझ सकता था : हा मुझे पता है और तुम्हारी हरकते ही ऐसी है कि किसी को भी भनक लग जाए , लैला मजनू जैसे इशारेबाजी चलती है तुम्हारी और कबसे चल रहा था तुम्हारा ये सब मुझे तो अमन की शादी के बात पता चली ?

मदन नजरे नीची किए हुए उसका दिल जोरो से धड़क रहा था : भइया वो शादी के दिनों में ही हुआ था , दीदी का नेचर जानते ही हो आप कितनी चंचल है वो और भोला जीजा इतने खुल कर रोमांस कर रहे थे कि मै उनकी ताकि झांक करने को बेचैन हो गया और फिर बहक गया था । लेकिन जो कुछ भी हुआ सब दीदी के पहल से हुआ था
मुरारी का लंड अकड़ रहा था : हा तुम बड़े हरिश्चंद्र हो तुम्हारा खूंटा खड़ा नहीं हुआ होगा ? देखो बात जो भी रही हो आगे से ये सब हरकते नहीं होनी चाहिए और अगर संगीता की तरफ से पहल हो तो मुझे बताओगे , मै उससे बात करूंगा ।

मदन : जी भइया
मुरारी : हम्ममम ठीक है अब जाओ


शिला के घर

: यार भाभी इन मर्दों ने तो हमसे हमारी आजादी छीन ली है ( शिला ने रज्जो को हाल में बैठे हुए रामसिंह और मानसिंह को देखते हुए कहा )
दोनों भाई आज रात के जबर्दस्त गैंगबैंग की योजना का सोच कर अपना लंड मसल रहे थे पेंट में
: हीहीही लग रहा है भाभी आपने अच्छे से निचोड़ा नहीं इनको , देखो तो कैसे धार बढ़ा रहे ( कम्मो ने खिल कर रज्जो के कंधे पर ठोकर मारते हुए कहा )
: अरे तुम दोनों के मर्द तो जंगली सांड है , एक बार चढ़ जाए तो उतरते नहीं जल्दी
: हीहीही दीदी लग रहा है भाभी को अपनी ट्रिक बतानी पड़ेगी
: हा कम्मो सच कह रही है , रज्जो रानी बड़ी भोली है इन्हें जंगली सांडो को कैसे उतारना है पता नहीं है हाहाहाहाहा

: अरे मतलब करना क्या है बताओ तो ( रज्जो थोड़ा कन्फ्यूज थी )
शिला ने रज्जो के कान में फुसफुसाई
: ओह्ह्ह , उम्मम फिर तो कोई नहीं बचेगा इस ट्रिक से


वही दूसरी ओर हाल में बैठे हुए तीनों गदराई औरतों के चूतड़ नाइटी में उठे थे और उन्हें देख कर
: भैया मुझसे और नहीं रुका जाएगा सीई , मै जाऊ क्या ?
: अरे पागल अरुण अभी सोया नहीं है
: आप उसपर ध्यान रखो जरा मैं बस थोड़ी सी मस्ती करके आता हूं ( ये बोलकर रामसिंह उठ कर किचन की ओर आ रहा है )
मानसिंह ने उसे रोकना चाहा लेकिन रामसिंह नहीं माना और उठ कर अपना लंड मसल कर बढ़ गया


शिला उसको आता देख बुदबुदाई : एक सांड आ रहा है फिलहाल इसको थोड़ा सा मजा देकर उतावला करना है , तैयार हो जाओ रंडियों
शिला की बात पर रज्जो और कम्मो खिलखिलाई
रामसिंह आते ही कम्मो और रज्जो के बीच खड़ा हो गया और दोनों के कूल्हे पर हाथ रख कर सहलाता हुआ : क्या बन रहा है कम्मो , महक तो अच्छी है

कम्मो ने धीरे से अपना हाथ उसके टाइट पेंट के ऊपर रख दिया और लंड पकड़ कर : फिलहाल तो मेरा मूड बन रहा है मेरे राजा
रामसिंह को उम्मीद नहीं थी कि कम्मो एकदम से उसका लंड पकड़ लेगी
रामसिंह : ओह्ह्ह्ह थोड़ा सब्र करो न
फिर शिला ने रज्जो को इशारा किया और रज्जो ने भी दूसरी तरफ से हाथ बढ़ा कर उसकी जांघ को सहलाने लगी : कितना सबर करे हम सब उम्मम नहीं रहा जाता सीईईई ओह्ह्ह

दोनों गरमाई औरतों के स्पर्श से रामसिंह का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा और पेंट में पूरा टाइट हो गया और कम्मो और रज्जो दोनों मिलकर उससे चिपकने लगी उसके गर्दन और सीने पर अपने चेहरे रेंगाने लगी
जिससे रामसिंह की धड़कने बढ़ने लगी उसकी सांस भी उखड़ने लगी ,,आंखे बंद कर वो अपने दोनों पंजों में रज्जो और कम्मो के चूतड़ मसलने लगा था
इतने में शिला धीरे से उसके आगे आई और नीचे बैठ कर उसका पेंट खोल दिया और लंड बाहर कर दिया
एकदम से रामसिंह से आंख खोलकर देखा तो शिला नीचे थे उसके बेलन जैसे कड़े मोटे काले लंड देखती हुई
: भाभीईईई ओह्ह्ह्ह उम्ममम
: उफ्फ नंदोई जी कितना बड़ा बांस जैसा हथियार है आपका रज्जो ने साइड से रामसिंह के हवा में झूल रहे लंड को सहलाया और आड़ को हथेली में रख लिया
जिससे उसके लंड की नशे और तन गई
: सीईईई ओह्ह्ह रज्जो भाभीईईई
: हा मेरे राजा , आज तो आपका लंड बड़ा लग रहा है क्यों दीदी ( कम्मो ने दूसरी ओर से रामसिंह के लंड की चमड़ी पकड़ कर पीछे किया और रज्जो ने आड़ को हथेली में टाइट कर दिया
पूरा का पूरा लंड एकदम से टाइट और सुपाड़ा भी अपना मुंह खोल दिया
: हा कम्मो देवर जी के लंड की खुशबू तो देख उम्ममम क्या मस्त रसगुल्ले जैसा दिख रहा है
: चाट लो दीदी न या मै आऊ ( रज्जो ने रामसिंह के आड टटोलते हुए कहा )
: नहीं मै दूंगी किसी को उम्ममम सीईईई

एकदम से रामसिंह के चूतड़ टाइट हो गए और वो एड़ियों के बल खड़े होने लगा उसने दोनों पंजों से रज्जो और कम्मो के चूतड़ में नाखून गाड़ दिए हो मानो और वही नीचे शिला ने अपनी जीभ की टिप से उसके सूखे लाल सुपाड़े के होल को छेड़ रही थी : ओह्ह्ह्ह भाभीईई उम्ममम सीईईई कितनी सुखा है ओह्ह्ह्ह मै गिर जाऊंगा


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रज्जो मुस्कुरा कर : हमारे रहते नहीं नंदोई जी , क्यों कम्मो
कम्मो उसका लंड सहला कर : हा मेरे राजा मै नहीं गिरने दूंगी आपको

: ओह्ह्ह्ह भाभी चाट लो न क्यों तंग कर रही हो उम्मम
शिला ने मदहोश नजरो से देखा और फिर अपने नरम होठ से उसका सुपाड़ा चूम लिया
: सीईईई ओह्ह्ह भाभी अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह गॉड
फिर शिला ने उसका लंड नीचे से जीभ से टच करते हुए ऊपर आई और पूरा सुपाड़ा मुंह में ले लिया और मुंह में पूरा लार से गिला कर दिया


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इधर रज्जो ने अपनी उंगलियों से उसके आड़ को टटोल रही थी और दबा रही थी और कम्मो के हाथ उसके लंड के तने को भर पुर भर भर चमड़ी आगे पीछे कर रहे थे

: सीई ओह्ह्ह मेरे राजा कितना गर्म लंड है ओह्ह्ह्ह
: ओह्ह्ह तुम लोग मुझे पागल कर रहे हो उम्मम भाभी और लो न अंदर
: दीदी और नंदोई जी का लंड मुंह में सीईईई पूरा चूस लो , कहो तो मै आ जाऊ उम्मम नंदोई जी ( रज्जो के रामसिंह के कान के पास बहुत मादकता से फुसफुसाया और उसके कान को मुंह में लेकर काटने लगी
वही कम्मो ने अपने दूसरा हाथ पीछे से रामसिंह की शर्ट में घुसा कर पीठ पर सहला रही थी और रज्जो ने अपने दूसरे हाथ से रामसिंह के चूतड़ों को सहलाना शुरू कर दिया



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रामसिंह पूरी गिरफ्त में था और नीचे शिला अपनी जीभ का करतब दिखाती हुई बिना एक बार भी उसका लंड छूए सिर्फ मुंह से लंड को गले तक उतारने लगी

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: उम्मम भाभी ओह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम वहा नहीं ( रज्जो ने उसके चूतड़ों पर रेंगते हाथों से अपनी उंगलियां उसके दरारों में घुसाने लगी और रामसिंह बिदकने लगा तो एकदम से कम्मो के उसके लिप्स से अपने लिप्स जोड़ लिए

उम्ममम , रामसिंह की आंखे बड़ी हो गई
इधर रज्जो ने उसके आड़ो को कस लिया मुट्ठी में और पीछे से उसके गाड़ के सुखी सुराख पर थूक लगा चुकी थी जिसे रामसिंह ने अपने चूतड़ कस कर रोकना चाह रहा था और कम्मो ने उसे पूरी तरह अपनी गिरफ्त में लिया उसके लंड की चमड़ी तेजी से आगे पीछे किए जा रही थी और उसके लिप्स को छोड़ने को तैयार नहीं थी
नीचे शिला लगातार एक तय स्पीड के उसका लंड मुंह में लिए हुए थी और

रामसिंह के सबर का फब्बारा उसके आड़ से छूट चुका था और नसे पूरी फूल चुकी थी रज्जो ने हल्की सी ढील दी और उसके आड़ो को अपने हथेली की कटोरी बना कर दुलारा तो सारी मलाई खिसक कर लंड की नसों के भर गई ,लंड एकदम गर्म टाइट और सुपाड़ा पूरा लाल हो गया था , जिसे रामसिंह ने पूरी ताकत से रोका हुआ था

कम्मो ने उसके लिप्स छोड़ते और रामसिंह गहरी सांस लेने लगा मुंह खोलकर और हांफता हुआ : ओह्ह्ह्ह गॉड आने वाला है भाभी
इतना सुनते ही रज्जो ने भी उसका लंड लिया एकदम जड़ में अपनी उंगली की रिंग बनाते हुए , कम्मो ने पहले से ही अपने पंजे के पकड़ रखा और और आगे की बची 4 इंच की जगह को शिला ने मुंह में ले रखा था

कम्मो और रज्जो ने मिलकर तेजी से उसका लंड मुठियाना शुरू किया
रामसिंह की एडी एक बार फिर हवा में और आंखे बंद कर अपने चूतड़ टाइट कर पूरी ताकत से उसने सुपाड़ा सिला हुआ था और फिर एकदम से उसने सब कुछ अपना ढीला छोड़ दिया


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: ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् यूयू बिच ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह यशस् अह्ह्ह्ह भाभीई ओह्ह्ह्ह कम्मो मेरी रानी सीईईई ओह्ह्ह
अब तो थोक के भाव में मलाई निकल रही थी और सारी सारी शिला के मुंह में
एक के बाद एक मोटी थक्केदार व्हाइट मलाई की पिचकारी छूट रही और रज्जो और कम्मो अखीर तक उसका लंड सहलाते रही और शिला उसका वीर्य पीती रही


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फिर शिला ने अच्छे से उसका लंड चाट कर साफ किया और रामसिंह हाफ कर खड़ा हो गया किचन स्लैब का सहारा लेता हुआ , उसका लंड उस वक्त मूसल से चुचका हुआ बैगन हो गया था और चेहरा तो जैसे सफेद पड़ गया हो
शिला अपने मुंह साफ करते हुए उठी और हस कर रज्जो के कंधे पर हाथ रखते हुए : देखा भाभी , ऐसे निचोड़ा जाता है जंगली सांडो को हाहाहा

रामसिंह समझ गया कि तीनों की मिल कर उसकी रगड़ाई की योजना थी , वो तो बस रात के खाने के पहले थोड़ा सा नाश्ता करने का सोच कर आया था लेकिन यहां तो सबने उसे ही दूह लिया

वही इनसब से अलग मानसिंह काफी देर तक किचन में खिलखिलाहट पाकर उठ कर अंदर गया तो

कम्मो हस कर : आज जाइए भाई साहब आप भी लाइन में लग जाइए

मानसिंह वहा की स्थिति देखी और किचन स्लैब पर अपना कमर टीका कर रामसिंह को उसके चुचके लंड के साथ बुझा हुआ देख कर समझ गया कि ये तो गया और अगर वो रुका तो उसकी भी रगड़ाई रात के घमासान से पहले हो ही जाएगी , इसीलिए वो मुस्कुरा कर खिसक लिया और तीनों हस कर मस्त हो गई


प्रतापपुर

: क्या जमाई बाबू आज बड़ा जल्दी भोजन निपटा लिए
: जी बाउजी आप व्यस्त थे तो भूख भी लगी थी
: कोई बात नहीं और बताओ , कुछ उदास दिख रहे हो
: हम्ममम बाऊजी , सोच रहा हूं कल घर निकल जाऊ
: क्यों ? भाई यहां खतीरदारी में कोई कमी तो नहीं
: नहीं नहीं ऐसी बात नहीं है , वो बस सोनल की मां , हाहाहा आप समझ ही रहे है

बनवारी मुस्कुरा कर : हा भाई यहां इस बात की दिक्कत है और कहो तो कमला को
: नहीं नहीं , बाउजी , बीवी की जगह रंडी थोड़ी ले पाएगी
: वाह जमाई बाबू आपकी यही अदा मुझे बड़ी भाती है
: क्या ? ( रंगी खिलकर )
: कि कुछ भी बात हो आप छोटकी ( रागिनी ) को शामिल कर लेते हो
: हाहाहा , आप तो जानते ही है , कितनी चंचल है वो और फिर ढलती रात में उसके साथ जो यादें है सीईईई
: हूं हूं समझ रहा हूं हाहाहाहा , पजामे में से भी कोई उसे याद कर रहा है
: बस एक बार आप उसका तरीका देख लो बाउजी , सच कह रहा हूं कि आप भी दीवाने को जाओगे
: ओह्ह्ह्ह जमाई बाबू , क्यों दुखती रग पर हाथ रखते है , कहा छोटकी से मेरा कुछ
: अरे बाउजी आप बस हा तो करिए , सोनल की मां को मनाने की जिम्मेदारी मेरी
: क्या सच में ?
: आपसे क्यों झूठ कहूंगा बाउजी , और फिर उसपर तो आपका मुझसे ज्यादा हक है । मै तो रोकूंगा
: लेकिन इतनी जल्दी ? कैसे ?
: मेरे साथ चलिए कल देखते है कुछ जुगाड़ , नहीं हुआ तो अपनी लाडली के चूतड़ देख लेना और सच कहूं तो शायद इसी बहाने वो भी मेरे जज्बात समझे
: आपके जज्बात मतलब ?
: अरे बाउजी , सोनल को लेकर ? देखिए कई बहुत ईमानदार हूं उसके साथ कभी कुछ नहीं छिपाता उससे और मै चाहता हूं कि वो भी मेरी भावनाएं समझे सोनल को लेकर और मुझे इजाजत देदे और ये सब तभी होगा जब वो पहले आपके साथ
: ओह जमाई बाबू , कभी कभी समझ नहीं आता कि आपके अंदर इतनी दिलेरी आती कैसे है ?
: सच्चा प्यार किसी भी बात से नहीं डरता बाउजी
: ओह्ह्ह मेरे शेर दिल , फिर क्या कमला वाली बात भी करोगे छोटकी से
: हा जरूर थोड़ा अपने तरीके से बताता पड़ेगा
: वो कैसे? ( बनवारी जिज्ञासु होकर कहा )
: सच बताऊं सुन लोगे
: हा हा कहो न
: बाउजी रागिनी को अपनी गाड़ चटवाना बहुत पसंद है , क्योंकि उसे ये पता है कि मै रज्जो जीजी के भड़कीले चूतड़ों का दीवाना हूं तो अकसर मेरे ऊपर बैठ जाती है अपने चूतड़ रख कर और मै उसे चाटता हूं और उसकी बुर का पानी पिता हूं । उसके भी अरमान थे कि उसका भी बदन रज्जो जीजी जैसा हो जाए और फिर मुझे खुश रखने के लिए कभी कभी रज्जो जीजी बन आती है । और आप तो मेरी रज्जो जीजी के लिए दीवानगी जानते है उनके चूतड़ सामने हो तो मै खुद को रोक पाता हूं और उसे बहुत पसंद आता है

: ओह्ह्ह जमाई बाबू , सीईईई सच कहा रज्जो की गाड़ का कोई जवाब नहीं सीई इतने बड़े बड़े रसीले मटके जैसे है और झुक जाए तो पहाड़ जैसे फैल जाते है उम्ममम
: सच कह रहे है बाउजी एक बार आप रागिनी की गाड़ चाटना , वो अपने नरम चर्बीदार चूतड़ों को जब आपके मुंह पर फेकेगी न ओह्ह्ह और गंध ओह्ह्ह्ह बाबूजी मै तो सोच कर ही झड़ जाऊंगा

: अह्ह्ह्ह जमाई बाबू मेरा भी कुछ ऐसा ही हाल है सीईईई ओह्ह्ह
तभी एकदम से दरवाजे पर आहट हुई और दोनों सतर्क होकर अपने लंड को छोड़ दिए

ये गीता थी जो अपने दादू के पास आई थी

एकदम से वो रंगी को बनवारी के पास बैठा देख कर ठिठक गई कि कही उसकी बात तो नहीं कर रहे थे दादू से

: क्या हुआ मीठी
: दादू मुझे आपके पास सोना है , मै अब गुड़िया के पास नहीं सोऊंगी ( नजरे चुराते हुए रंगी को देख कर बोली )
: अरे लेकिन आज तो जमाई बाबू सो रहे थे ?
रंगी तो गीता के सारे इरादे भाप रहा था कि रात में वो अपने दादा के लंड के साथ क्या क्या करेगी और वो मुस्कुरा कर बिस्तर से उठने लगा : अरे नहीं बाउजी इसको सोने दीजिए नहीं तो फिर से नाराज हो गई तो हाहाहाहाहा , आजा गीता तू आराम कर मै चलता हूं बाउजी अपने कमरे में

गीता रंगी का सपोर्ट पाकर मुस्कुरा कर उसे देखा और झट से बनवारी के कम्बल में घुस गई ।

रंगी हस कर : देखिएगा बाउजी ये बड़ी चुलबुली है और जिद्दी भी
बनवारी हस कर गीता को कंधे से पकड़ कर अपनी ओर खींचता हुआ : अरे कोई बात नहीं जमाई बाबू हाहाहा मेरी लाडली है इसका तो हक होता है जिद करे , क्यों बेटा
गीता अपने दादू से लिपट कर मुस्कुराने लगी और रंगी ये देख कर सिहर उठा


रंगी ने उसे देखा और फिर मुस्कुराता हुआ निकल गया अपने कमरे में और अटैच दरवाजा अपनी ओर से बंद कर दिया ।
फिर बिस्तर पर लेट कर बबीता की राह निहारने लगा करीब 20 मिनट बीत गए लेकिन उसका कोई अता पता नहीं चला
रंगी बेचैन होकर उठा और उसके कमरे की ओर गया तो पाया दरवाजा अन्दर से बंद है और कान लगा कर सुना तो उसके हल्के खिलखिलाने और फुसफुसाहट आ रही थी ।
साफ था कि वो फोन पर किसी से बात कर रही है

रंगी की सुलग कर रह गई कि बबीता ने उसको ठेंगा दिखा दिया था , सुबह से ही रंगी का लंड खड़ा हो हो दर्द होने लगा था, पहले सोनल और रज्जो की बाते फिर गीता के साथ काम होते होते रह गया और सुनीता भी आज अपने पति के साथ लगी थी दुपहर से और बबीता से थोड़ी बहुत उम्मीद जगी थी तो वो भी आज लटका कर चली गई , अब तो रंगी ने पूरा मन बना लिया था कि कल के कल ही वो निकल लेगा घर के लिए कम से कम चूत के लिए तरसना तो नहीं पड़ेगा ।

निराश होकर वो अपने कमरे में चला आया और कुछ बैठे रहने के बाद एकदम से उसके जहन में गीता का ख्याल आया कि क्यों न अगर बनवारी सो गया हो तो गीता को बुला ले
एक टूटी हुई उम्मीद सी जगी उसके दिल में और वो हौले से अपने कमरे से अंदर अटैच वाला दरवाजा खोला और हल्का सा गैप से झांका तो एकदम से चौक गया
गीता तो बनवारी का लंड निकाल कर चूसना शुरू कर चुकी थी , बड़े ही इत्मीनान से हौले हौले वो सुपाड़े को चुभला रही थी और रंगी ने जब अपने ससुर को देखा तो वो आंखे बंद कर गीता के सर को सहला रहा था


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सीईईई बाउजी गीता से खुद ओह्ह्ह्ह कितने रसीले होठ है उसके पूरा लंड गिला कर दिया है इसने तो अह्ह्ह्ह्ह
रंगी दरवाजे के गैप से अंदर देखता हुआ अपना लंड मिस कर बुदबुदाया

वही गीता को भनक पड़ गई थी कि रंगी उसे देख रहा है लेकिन अब उसे कोई डर नहीं था और उसने तो इस बार रंगी की आंखों में आंखे डाल कर अपने दादा जी का मोटा काला मूसल चूस रही थी और ये देख कर रंगी का लंड झटके खाने लगा और वो अपना लंड निकाल कर बाहर करके हिलाने लगा , गीता ने ये देख लिया और लंड छोड़ दिया

: दादू
: हा बेटा क्या हुआ
: मै आती हूं देखूं फूफा जी सो गए क्या ?
: हा बेटा देख ले फिर आ जल्दी से , उफ्फ तूने तो पूरा टाइट कर दिया है

ये बोलकर गीता बिस्तर से सरक कर नीचे उतरी और रंगी दरवाजे से हट कर कमरे की दिवाल से लग गया
गीता चुपके से कमरे के दरवाजे से अंदर गई और एकदम से रंगी उसके सामने आ गया
अपना बड़ा सा लंबा खीरे जैसा लंड पकड़ कर हिलाता हुआ
गीता उसे देख कर मुस्कुराई : आपका भी मन हो रहा है न
रंगी अपना लंड हिला कर सिसकता हुआ : सीईईई हा बेटा मेरा भी चूस दे न अह्ह्ह्ह्ह सीईईई
गीता : लेकिन दादू अभी सोए नहीं है
रंगी उसका हाथ पकड़ अपने लंड पर रख दिया : ओह्ह्ह्ह कितने मुलायम है तेरे हाथ बेटा सीईईई ओह्ह्ह

रंगी के लंड में खून का सैलाब आया हुआ था और उसका लंड पूरा टाइट होकर तप रहा था , गीता को उसके लंड का वजन बढ़ता महसूस हो रहा था और वो उसे अपने नरम हथेली से सहलाने लगी : उफ्फ कितना गर्म है और भारी भी लग रहा है
: हा बेटा कबसे तड़प रहा हूं इसको चाट कर ठंडा कर दे न जैसे अपने दादाजी का कर रही थी
गीता उसका लंड सहलाती हुई मुंह से हथेली में थूक लेकर अपने हथेली की कटोरी बना कर रंगी के सूखे सुपाड़े पर घुमाया और रंगी की आंखे उलटने लगी : सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम क्या करती है बेटा ओह्ह्ह्ह
गीता ने थूक को उसके मोटे मूसल जैसे लंड पर मल कर आगे पीछे करने लगी

गीता : आओ चलो
रंगी चौक गया : क्या ? कहा ?
गीता : दादू के पास वही मै आप दोनों को साथ में करूंगी
रंगी एकदम से चौक गया और उसकी थोड़ी फटने लगी : क्या कह रही हो तुम ,
गीता : ओके रुको अभी मै बुलाऊं तो आप आजाना, ओके
रंगी का दिमाग सुन्न हो गया था और गीता कमरे का दरवाजा पूरा खोलकर अपने दादू के पास चली गई और उसका लंड सहलाने लगी

: अरे मीठी , दरवाजा क्यों खोल दिया
गीता ने कुछ नहीं बोला सीधा अपने मुंह में उसका लंड लेकर चूसने लगी और बनवारी की सिसकारियां उठने लगी
: दादू पता है फूफा जी हमें कमरे से देख रहे है
बनवारी एकदम से सकपकाया और अपना लंड छुपाने लगा : क्या ? वो सोए नहीं
गीता उसका लंड कंबल के हाथ डाले सहलाती हुई : हीहीही नहीं , जब मै पहले इसको चूस रही थी न तभी मैने उन्हें देखा और पता है उनका भी बहुत बड़ा और गर्म हो गया है , उनको भी बुला लो न , मैने कहा कि चलो लेकिन वो नहीं आ रहे है

बनवारी को समझ नहीं आ रहा था कि क्या चल रहा है और उसका लंड भी मुरझाने लगा था

इधर रंगी समझ गया कि गीता ने आधी अधूरी बात कह कर सारा खेल बिगाड़ दिया और वो अपने कमरे से निकल कर बनवारी के कमरे में आया

: ज जमाई बाबू आप ( बनवारी थोड़ा हिचका )
: परेशान न हो बाउजी जी , ये तो मैने आज सुबह ही देखा था जब आप सो रहे थे और तब भी ये चुलबुली अपनी मिठाई खोजती हुई यहां आ गई थी
: मतलब मै समझा नहीं

फिर रंगी हंसता हुआ आकर बनवारी के पास बैठ जाता है और उसे सुबह से हुई उसकी और गीता की वो सब बातें बताता है कि कैसे गीता ने उसे बाथरूम में लंड हिलाते पकड़ा , फिर रंगी ने गीता को लंड चूसते पकड़ा , फिर उन दोनों को मस्ती करते हुए सुनीता ने पकड़ा , और इतनी सारी पकड़ा पकड़ी का नतीजा है कि आज मै बहुत परेशान था और नीद नहीं आ रही थी तो सोचा आपसे बात कर लूं और देखा तो ये यहां खेल रही थी ।


बनवारी कुछ सोच कर गीता को देखते हुए : तो इसीलिए बहु ने तुझे मारा था दुपहर में, तू जमाई बाबू के साथ थी
: हीहीही ( गीता दांत दिखाने लगी )
: मै कह रहा था न बाउजी बहुत चुलबुली है ये और जिद्दी भी
बनवारी हस कर : फिर तो सही पिटाई हुई तेरी , और जमाई बाबू इसने आपके साथ जो शरारत की उसके लिए माफ कीजियेगा , थोड़ी जिद्दी है और इसकी जिद के आगे मै भी हार ही गया

: हाहाहाहाहा वो तो दिख ही रहा है , लेकिन अब जो इंजॉय कर रहे है तो खुल के कीजिए ये पर्दा क्यों

रंगी ने कम्बल हटाया तो लंड गीता उसका लंड पकड़े हुए थी : देखिए मीठी को उसका खिलौना कितना पसंद है वो नहीं छोड़ने वाली हाहाहाहाहाहाहा

बनवारी हंसता हुआ : सच कहा जमाई बाबू , वैसे आप भी अपना खिलौना निकालिए मीठी उसे भी दुलारेगी क्यों बेटा करेगी न
गीता ने थोड़ा शर्मा कर थोड़ा उत्साहित होकर हा में सर हिलाया और पजामे से अपना लंड बाहर निकाल कर सहलाने लगा

गीता ने एक नजर उसे देखा और वापस से बनवारी का लंड चूसने लगी : ओह्ह्ह्ह मीठी सीई ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह क्या गजब का सुकून है जमाई बाबू

रंगी की लार टपकने लगी बनवारी की सिसकिया सुन कर और बनवारी ने गीता को इशारा कर रंगी के पास जाने को कहा
गीता थोड़ी मुस्कुरा कर खड़ी होकर रंगी के पास जा रही थी कि एकदम से रंगी ने उसे पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया और वो दोनों ससुर दामाद के बीच आ गिरी खिलखिलाती हुई
पूरा कमरा बनवारी के ठहाके और गीता की खिलखिलाहट से गूंज उठा

: जरा इधर आ और सुबह की उधारी पहले पूरी कर ( रंगी ने उसको अपनी बाहों में भरते हुए कहा )
: सुबह की उधारी मतलब जमाई बाबू ? ( बनवारी ने हस कर सवाल किया
: ओह्ह्ह बाउजी सुबह इसके रसीले दूध का स्वाद चखा ही था कि इसकी मम्मी आ गई थी और मै जीभ टपका कर रह गया , जरा इसको निकाल न ( रंगी ने गीता की टीशर्ट निकाल दी और वो अपने हाथों से हस्ती हुई अपने मोटी मोटी नारियल सी चूचियों को छिपाने लगी जो ब्रा में कैद थी )

: उफ्फ मीठी सीई तू तो बड़ी हो गई है , कितनी रसीले दूध है तेरे
: उम्ममम दादा जी आराम से ओह्ह्ह्ह फूफा उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई
दोनों ससुर दामाद ने गीता की रसीली छातियां टटोलनी शुरू कर दी
: उफ्फ बाउजी कितनी मुलायम छाती है अभी से इसकी उम्मम अह्ह्ह्ह्ह जरा निप्पल देखूं तो ( ये कहकर रंगी ने गीता के कंधे से उसकी ब्रा सरका दी और उसके रसीले मम्में को हाथों में भरने लगा ) अह्ह्ह्ह सीई कितनी भारी हो गई है अभी से तेरी छाती

: उम्ममम तो मै क्या करु , मम्मी कहती है कि मैं बड़ी बुआ पर गई हूं
रज्जो का जिक्र आते ही दोनों ससुर दामाद एक दूसरे को देख कर एक शरारत भरी मुस्कुराहट पास करते हैं और अगले ही पल उसके नंगी चूचियों पर टूट पड़ते है

: ओह्ह्ह्ह दादू उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम मम्मा ओह्ह्ह्ह सीईईई और उफ्फ फूफा ओह्ह्ह्ह यशस्स ओह्ह्ह्ह मम्मीईइई सीईईई


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दोनों ससुर दामाद ने एक एक चुची को अच्छे घुला घुला कर निप्पल मुंह में लेकर चूसने लगे और गीता की सिसकियां उठने लगी और वो दोनों के सर को अपने चुचियों पर दबाने लगी
बनवारी तेजी से अपनी जीभ से उसके किशमिश जैसे निप्पल को फ्लिक करने लगा और उसके हाथ नीचे उसके स्कर्ट के अंदर घुस कर उसकी चूत टटोलने लगे और गीता का बदन ऐंठने लगा , वही रंगी उसकी चुची को पकड़ कर पंजे में कसता हुआ उसके निप्पल मुंह में लेकर चुसे जा रहा था ।


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और वही बनवारी ने उसकी स्कर्ट खींच कर उसकी पैंटी में भी खींच कर निकाल दिया और उसकी गीली चूत पर नजर पड़ते ही रंगी ने बिना किसी देर किए अपने उंगलियों को उसके गीली बुर पर रख दिया : इश्श बाउजी उसकी बुर कितनी गीली है

: ओह्ह्ह्ह उम्ममम फूफा जी ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई अह्ह्ह्ह
: क्या हुआ बेटा उम्मम अच्छा नहीं लग रहा है
: ओह्ह्ह्ह बहुत अच्छा लग रहा है ओह्ह्ह्ह मै झड़ रही हूं ओह्ह्ह
रंगी ने अपनी स्पीड बढ़ाते हुए तेजी से उसके बुर के फांके रगड़ने लगा और वही दोनों ससुर दामाद वापस से उसकी निप्पल मुंह लेकर खींचना शुरू कर दिया


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कमरा पूरा गीता की चीखों से गूंज रहा था और उसकी कामुक चीखों से दोनों ससुर दामाद को मजा आ रहा था उसे रंगी तेजी से उसकी बुर के फांके सहला रहा था और गीता अपने कूल्हे उठा कर झड़ रही थी और अपनी जांघें कसने लगी : ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह फूफा जी ओह्ह्ह्ह मम्मीईइईइईई सीईईई ओह्ह्ह और और उम्ममम दादू ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् मीईईईई ओह मम्मीईईईई

रंगी का हाथ तबतक नहीं रुका जबतक कि उसकी हथेली गीता के रस से सराबोर नहीं हो गई और वो उसकी बुर पर उसके पानी को सहलाते हुए लिपने लगा और वही गीता झड़ने के बाद खिल रही थी और हाथ बढ़ा कर अपने दादू का लंड पकड़ लिया और सहलाने लगी
मौका देखकर रंगी ने भी अपना लंड आगे कर दिया और गीता ने दोनों का लंड पकड़ कर हिलाने लगी और मुंह खोलकर रंगी का लंड मुंह में ले लिया और चूसने लगी

: ओह्ह्ह्ह बाउजी सीईईई ओह्ह्ह ये तो उफ्फ
: हा जमाई बाबू ओह्ह्ह्ह मुझे भी वही महसूस हुआ था पहली बार , इसने अपने मम्मी पापा की चुदाई देख कर सब सिखा है सीई ओह गीता उम्ममम


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गीता ने लंड बदल कर बनवारी का लंड मुंह में ले लिया और चूसने लगी
रंगी : उफ्फ फिर तो बड़ी होनहार है ये तो सीई ओह्ह्ह इसका अंदाज तो उम्ममम आपको किसी याद आ रही है बाउजी
बनवारी मुस्कुरा दिया और हल्के से होठ से बडबडा कर रज्जो का नाम लिया और रंगी का लंड और कड़क हो ही गया : ओह्ह्ह्ह बाउजी उम्ममम मुझे तो मेरी सोनल की याद आ रही है वो भी जमाई बाबू का ऐसे ही लंड चूस रही होगी ओह्ह्ह्ह
गीता उन दोनों का लंड पकड़ कर हिलाती हुई हस कर : दादू पता है फूफा न हीहीही सोनल दीदी को पेलना चाहते है उम्ममम सुऊऊऊऊऊरूऊऊऊऊपपपपपप अह्ह्ह्ह
बनवारी रंगी को आंख मार कर हंसता हुआ : क्या सच में जमाई बाबू
रंगी : हा बाउजी आपसे क्या छिपाना अब ओह्ह्ह उसके चूतड़ तो क्या ही कहने ओह्ह्ह्ह सोचता हूं उसकी जवान चूत का स्वाद कैसा होगा


गीता : मेरी चाट के देख लो फूफा जी उम्म्म मै भी आपकी बेटी हूं ,
रंगी एकदम से जोश से भर गया और गीता से लंड छुड़ा कर उसकी जांघों के बीच आ गया और अपनी जीभ चला कर उसके रसीले चूत के फांकों को चाटने लगा

और गीता अपने दादू का लंड मुंह में लेकर चूसने लगी : ओह्ह्ह मीठी सीईईई ओह तू बहुत तेज हो गई है पहले से सीई ओह्ह्ह्ह चाट ले और उम्मम
: उम्ममम अह्ह्ह्ह फूफा जी आराम से ओह्ह्ह्ह मम्मीईइई अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् मीईईईई ओह मम्मीईईईई ओह्ह्ह्ह ( गीता बनवारी का लंड मुंह से निकाल कर हिलाती हुई नीचे देखने लगी कि कैसे रंगी उसकी बुर चूस रहा था


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रंगी ने अपनी जीभ उसके बुर के फांके में डाल दिया था और नचाने लगा
: ओह्ह्ह्ह बेटा लग रहा है जमाई बाबू को अपनी बेटी की बुर बहुत भा गई है क्यों जमाई बाबू
रंगी ऊपर उठ कर गीता के चूचे पकड़ कर मुंह भर लिया और चूस कर : एक बार आप भी टेस्ट करके देखो बाउजी उम्मम बड़ा नमकीन पानी है आपकी नातिन का उम्मम
बनवारी की जीभ भी रस छोड़ने लगी और वो सरक कर गीता के चूत पर चला गया और अपनी जीभ से उसके बुर के फांके पर चलाने लग और रंगी उसकी चूचियां मिज मिज कर पीने लगा


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: ओह्ह्ह्ह दादू मजा आ रहा है और और उम्मम सीईईई ओह्ह्ह डाल दो न प्लीज
: क्या चाहिए उम्मम बोल बेटा क्या लेगी
: लंड डाल दो न फूफा ओह्ह्ह्ह यशस्स अह्ह्ह्ह्ह सीईईई मम्मीइई अह्ह्ह्ह गर्म है और टाइट भी ओह्ह्ह्ह
: ओह्ह्ह्ह जमाई बाबू सच में इसकी बुर कस गई है ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
रंगी अपना लंड गीता के मुंह पर रगड़ता हुआ : ओह्ह्ह्ह बाउजी पेलीये न रगड़ कर ओह्ह्ह्ह ले बेटी चूस उम्मम ओह्ह्ह्ह कितनी रसभरी जीभ है तेरी ओह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
रंगी उसके मुंह ने लंड डाल कर उसकी छातियों को मिजने लगा और वही बनवारी तेजी से उसकी बुर में पेले जा रहा था


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बनवारी की नजरे तो अपने जमाई के अनोखे अंदाज पर थी जिस तरह से रंगी नए नए तरकीब और चुदाई के पैंतरे खोल रहा था , अपनी दुलारी और गुलगुली नातिन की इतनी कामुक मुंह पेलाई देख कर उसका भी जी ललचाने लगा और वो देख रहा था कि रंगी का लंड गीता के लार से लिभड़ाया हुआ
: ओह्ह्ह जमाई बाबू आपका अंदाज तो सबसे अलग है सीईईई उम्ममम
: क्यों बाउजी जगह बदलेंगे क्या ?
बनवारी ने इस पर मुस्कुरा दिया और रंगी ने हस कर गीता ने मुंह से लंड निकाल कर उसको घोड़ी बना दिया और उसकी बजबजाई बुर में पीछे से लंड घुसा दिया : ओह्ह्ह्ह बाउजी ये तो पूरा मक्खन है सीई ओह्ह्ह कितनी गर्म और मुलायम है


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: लेह बेटा चाट इसे उम्मम तेरे नर्म होठ और जीभ का करतब ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई ऐसे ही उम्मम ( वही बनवारी अपने आड़ लेकर गीता के मुंह के आगे खड़ा हो गया और गीता उन्हें चूमने लगी चाटने लगी )

: उन्ह्ह्ह सीईईई क्या मस्त रसीली चूत है तेरी गीता ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह लंड तो एकदम मक्खन जैसे सरक रहा है अंदर गपागप ओह्ह्ह्ह बाउजी ऐसे ही रागिनी की बुर जब खूब रस छोड़ती है तो पीछे से पकड़ कर उसको चोदने में बड़ा मजा आता है ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह


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: ओह्ह्ह्ह जमाई बाबू कहे मेरी तकलीफ बढ़ा रहे है सीई ओह्ह्ह्ह बेटा उम्मम ले चूस इसको भी और और अंदर ले हा उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई पूरी घोंट जा ओह्ह्ह ऐसे ही उम्मम
इधर रंगी ने देखा तो बनवारी ने भी अपना पूरा लंड गीता के गले में उतार दिया था और वो जोश में दुगने गति से उसकी नर्म रसीली चूत में पेलने लगा

: ओह्ह्ह्ह बाउजी ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई बहुत रुक नहीं पाऊंगा मैं ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह इसकी चूत बहुत कसी है और सुपाड़ा जल रहा है मेरा अब
: हा जमाई बाबू वही हाल मेरा भी है ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह चूस पूरा निचोड़ लें ओह्ह्ह मेरी जान मेरी लाडो उम्मम अह्ह्ह्ह पेलो जल्दी जल्दी जमाई बाबू मेरा बस आने ही वाला है ओह्ह्ह्ह

: आह बाउजी मेरा भी आयेगा ओह्ह्ह ओह्ह्ह्ह गीता बेटा आजा कहा लेगी मेरा बीज ओह्ह्ह्ह
: इसको तो अपनी छातियों पर लेना है ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह जमाई बाबू आजाओ

रंगी समझ गया था कि पहले भी गीता की जबरजस्त चुदाई हो चुकी है और वो अपना लंड निकाल कर खड़ा हो गया और तेजी से हिलाने लगा गीता की चूची पर वही बनवारी भी अपना लंड उसके चूचों पर घिसने लगा

: ओह्ह्ह्ह बाउजी सीईईई ओह्ह्ह आ रहा है ले बेटा ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई आह्ह्ह्ह


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रंगी लाल ने अपनी पिचकारी छोड़ी और उसे देखते ही बनवारी ने अपना फब्बारा छोड़ दिया
एक के एक दोनों तरफ से मोटी गाढ़ी पिचकारियां गीता के मुंह पर चूचों पर गिरने लगी और गीता जीभ निकाल कर उनके आडू को सहलाती हुई उनके बीज से नहा रही थी

फिर एकदम से रंगी ने अपना रस से लिभड़ाया लंड गीता के होठों पर रगड़ने लगा : ले चाट से बेटा उम्ममम साफ कर दे इसे


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देखा देखी बनवारी ने भी अपना लंड वही दूसरी तरफ से गीता के मुंह पर रख कर हिलाने लगा , गीता के होठ बचे से बीज से लसलसा रहे थे और गीता बारी बारी से दोनों सुपाड़े को मुंह में लेकर चूसने लगी थी ।

कुछ ही देर बाद दोनों ससुर दामाद बिस्तर पर फैल गए और हांफते हुए थोड़ी बातें करने लगे गीता को लेकर , लेकिन अभी भी उनके लंड की कसावट कम नहीं हुई थी और गीता उनके पैरो में बैठकर वापस से उनका लंड पकड़ कर सहला रही थी अगले राउंड की तैयारी में

लेकिन शायद वो भूल चुके थे कमरे का अटैच दरवाजा खुला था जो रंगी के कमरे में जाता था और रंगी ने पहले से बबीता के आने की राह में अपने कमरे का मेन दरवाजा सिर्फ भिड़का रखा था । वही बबीता तो अपने बाबू सोना को बहला कर उसको सुला कर रंगी से मिलने अपना वादा पूरा करने आई थी । लेकिन उसकी आंखे तब चकाचौंध रह गई जब उसने अंदर का कामुक नजारा देखा


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जहां गीता दोनों ससुर दामाद के पैरों के बीच बैठ पर उनके दोनों खड़े हुए लंड को पकड़ कर एक साथ हिला रही थी

जारी रहेगी

( बाकी डील जानते हो , टारगेट बनाए रखो अपडेट जल्दी और बड़े बड़े मिलेंगे 😁 )
I think there be a group sex of banwari house before rangi leave and same way anuj ragini so both husband wife share their secret with each other
 

THARKI BHAI

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💥अध्याय : 02 💥
UPDATE 024

THE EROTIC SUNDAY 08


" अरे खुशखबरी है मेरी नन्द रानी "
" क्या सच में अमन का छोटा भाई आ रहा है क्या ? "
" मेरी उम्र कहा अब आपको दूसरा भतीजा दे दूं , हा नयकी भौजाई से मांग लो हाहाहाहाहा " , ममता ने किचन में फोन पर संगीता से बात करते हुए मंजू को छेड़ा जो उसके साथ काम में लगी थी
: नयकी भौजाई मतलब ?
: अरे मतलब मुझे मेरी देवरानी मिल गई और अगले हफ्ते शादी भी है
: क्या सच में ? कौन है ? ( फोन पर संगीता एकदम से खुश हो गई )
: अरे वही पुराना माल वापस मिल गया है हाहाहाहाहा

ममता ने मंजू को छेड़ा और संगीता से बात कर रही थी
वही मुरारी अभी अभी बाहर से आ रहा था और हाल में बैठ हुए मदन को देख कर
: मदन जरा कमरे में आओ
: जी भैया
मुरारी उसे बोलकर अपने कमरे में चला गया और मदन थोड़ा असहज था , एक तो शादी और फिर आज दुपहर को कुछ हुआ था उसे लेकर

मदन कमरे में आया तो देखा मुरासुर सोफे पर बैठा हुआ डायरी खोलकर कुछ हिसाब लगा रहा था
: जी भइया
: अरे आओ बैठो , देखो टेंट और कैटरिंग वाले से अभी बात करके मै आ गया हूं, कल सुबह सजावट और लाइट साउंड के लिए बात हो जाएगी । अच्छा तुमने मेहमानों की लिस्ट बनाई
: अह हा भइया, ये देखिए
फिर मुरारी लिस्ट देखने लगा और मदन चुप था । एकदम से
मुरारी समझ रहा था कि मदन आज दुपहर की बात को लेकर असहज था

: तो कब तक चुप रहने का पक्का किया है ( मुरारी ने मेहमानों की लिस्ट पर पेन घुमाते हुए कहा )
: जी भैया ?
: अरे यार , मै दुपहर वाली बात कर रहा हूं
: सॉरी भैया , मुझे नहीं पता था कि आप लोग , सॉरी
: अरे यार हो गया , अब ज्वाइंट परिवार में ऐसी चीजें हो जाती है , इतना मत सोचो। देखो शादी की तैयारी करनी है और देखना तुम्हारी वजह अमन की मां को असहजता न हो
: जी भैया , ख्याल रखूंगा
: और क्या है तुम तो जान ही रहे हो कि इधर इतने दिन से मै था नहीं तो ... उसका भी मन हो गया और मेरा भी
: जी भैया ( थोड़ा शर्मा रहा था मदन )
: अरे यार तुम शर्मा क्यों रहे हो , हा , अगले हफ्ते तुम्हारी भी सुहागरात होगी हाहाहाहाहा
: क्या भैया आप भी ( मदन एकदम से शर्मिंदा हो गया और मुस्कुराने लगा )
: अरे हा , ममता बता रही थी कि आज तुम लोग थोड़े बहक गए थे उम्मम क्या ये सच है ?
मदन एकदम से चुप हो गया

मुरारी उसके कंधे पर हाथ रखता हुआ : हस कर : अरे तो क्या हो गया , इतना शरमाओ मत , मै भी मर्द हूं मेरे भी जज्बात डोल जाते है हाहाहा क्यों !!

मदन शर्मा कर मुस्कुराता हुआ : जी भैया
मुरारी : हा लेकिन अगर कुछ करना हो वो सब तो भाई ध्यान से कुंडी कड़ी लगा कर , समझे हाहाहाहाहा कही मै गलती से चला गया तो सही नहीं रहेगा न
मदन एकदम शर्म से गाढ़ हो गया : क्या भैया आप भी , शादी से पहले कैसे ?
मुरारी : अरे बेटा हमको चोदना मत सिखाओ , पकड़े गए थे उसी के साथ खेत में भूल गए हाहाहाहाहा
मदन मुस्कुराने लगा जब सालों पुरानी बात उसने खोद निकाली

कमरे का माहौल हसनुमा था कि मुरारी फिर एकदम से सीरियस होकर कहा : देखो मदन ये सब बाते ठीक है लेकिन मैने तुम्हे यहां कुछ बहुत खास बात करने के लिए बुलाया है
मदन थोड़ा शांत होकर : जी भइया कहिए
मुरारी का चेहरा अब एकदम सीरियस था और उसने नजरे उठा कर मदन की आंखों में देखते हुए : देखो अब तुम मंजू के साथ एक नए सफर पर जा रहे हो और शादी के बाद वही तुम्हारी संगिनी बन जाएगी तो ये तुम्हारी जिम्मेदारी है कि तुम उसके साथ ईमानदारी से पेश आओ
मदन : जी भइया मै समझ नहीं पा रहा हूं , साफ साफ कहिए
मुरारी थोड़ा रुक कर : हो सकता है दो दिन बाद ही संगीता आ जाए और तुम्हारा और उसका जो भी रिश्ता है मै चाहता हूं तुम उसे आगे न बढ़ाओ । यही तुम्हारे और मंजू के नए रिश्ते के लिए सही होगा
एकदम से मदन के चेहरे की हवाइयां उड़ गई और उसका माथा पसीना पसीना हो गया
मुरारी उसकी चुप्पी समझ सकता था : हा मुझे पता है और तुम्हारी हरकते ही ऐसी है कि किसी को भी भनक लग जाए , लैला मजनू जैसे इशारेबाजी चलती है तुम्हारी और कबसे चल रहा था तुम्हारा ये सब मुझे तो अमन की शादी के बात पता चली ?

मदन नजरे नीची किए हुए उसका दिल जोरो से धड़क रहा था : भइया वो शादी के दिनों में ही हुआ था , दीदी का नेचर जानते ही हो आप कितनी चंचल है वो और भोला जीजा इतने खुल कर रोमांस कर रहे थे कि मै उनकी ताकि झांक करने को बेचैन हो गया और फिर बहक गया था । लेकिन जो कुछ भी हुआ सब दीदी के पहल से हुआ था
मुरारी का लंड अकड़ रहा था : हा तुम बड़े हरिश्चंद्र हो तुम्हारा खूंटा खड़ा नहीं हुआ होगा ? देखो बात जो भी रही हो आगे से ये सब हरकते नहीं होनी चाहिए और अगर संगीता की तरफ से पहल हो तो मुझे बताओगे , मै उससे बात करूंगा ।

मदन : जी भइया
मुरारी : हम्ममम ठीक है अब जाओ


शिला के घर

: यार भाभी इन मर्दों ने तो हमसे हमारी आजादी छीन ली है ( शिला ने रज्जो को हाल में बैठे हुए रामसिंह और मानसिंह को देखते हुए कहा )
दोनों भाई आज रात के जबर्दस्त गैंगबैंग की योजना का सोच कर अपना लंड मसल रहे थे पेंट में
: हीहीही लग रहा है भाभी आपने अच्छे से निचोड़ा नहीं इनको , देखो तो कैसे धार बढ़ा रहे ( कम्मो ने खिल कर रज्जो के कंधे पर ठोकर मारते हुए कहा )
: अरे तुम दोनों के मर्द तो जंगली सांड है , एक बार चढ़ जाए तो उतरते नहीं जल्दी
: हीहीही दीदी लग रहा है भाभी को अपनी ट्रिक बतानी पड़ेगी
: हा कम्मो सच कह रही है , रज्जो रानी बड़ी भोली है इन्हें जंगली सांडो को कैसे उतारना है पता नहीं है हाहाहाहाहा

: अरे मतलब करना क्या है बताओ तो ( रज्जो थोड़ा कन्फ्यूज थी )
शिला ने रज्जो के कान में फुसफुसाई
: ओह्ह्ह , उम्मम फिर तो कोई नहीं बचेगा इस ट्रिक से


वही दूसरी ओर हाल में बैठे हुए तीनों गदराई औरतों के चूतड़ नाइटी में उठे थे और उन्हें देख कर
: भैया मुझसे और नहीं रुका जाएगा सीई , मै जाऊ क्या ?
: अरे पागल अरुण अभी सोया नहीं है
: आप उसपर ध्यान रखो जरा मैं बस थोड़ी सी मस्ती करके आता हूं ( ये बोलकर रामसिंह उठ कर किचन की ओर आ रहा है )
मानसिंह ने उसे रोकना चाहा लेकिन रामसिंह नहीं माना और उठ कर अपना लंड मसल कर बढ़ गया


शिला उसको आता देख बुदबुदाई : एक सांड आ रहा है फिलहाल इसको थोड़ा सा मजा देकर उतावला करना है , तैयार हो जाओ रंडियों
शिला की बात पर रज्जो और कम्मो खिलखिलाई
रामसिंह आते ही कम्मो और रज्जो के बीच खड़ा हो गया और दोनों के कूल्हे पर हाथ रख कर सहलाता हुआ : क्या बन रहा है कम्मो , महक तो अच्छी है

कम्मो ने धीरे से अपना हाथ उसके टाइट पेंट के ऊपर रख दिया और लंड पकड़ कर : फिलहाल तो मेरा मूड बन रहा है मेरे राजा
रामसिंह को उम्मीद नहीं थी कि कम्मो एकदम से उसका लंड पकड़ लेगी
रामसिंह : ओह्ह्ह्ह थोड़ा सब्र करो न
फिर शिला ने रज्जो को इशारा किया और रज्जो ने भी दूसरी तरफ से हाथ बढ़ा कर उसकी जांघ को सहलाने लगी : कितना सबर करे हम सब उम्मम नहीं रहा जाता सीईईई ओह्ह्ह

दोनों गरमाई औरतों के स्पर्श से रामसिंह का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा और पेंट में पूरा टाइट हो गया और कम्मो और रज्जो दोनों मिलकर उससे चिपकने लगी उसके गर्दन और सीने पर अपने चेहरे रेंगाने लगी
जिससे रामसिंह की धड़कने बढ़ने लगी उसकी सांस भी उखड़ने लगी ,,आंखे बंद कर वो अपने दोनों पंजों में रज्जो और कम्मो के चूतड़ मसलने लगा था
इतने में शिला धीरे से उसके आगे आई और नीचे बैठ कर उसका पेंट खोल दिया और लंड बाहर कर दिया
एकदम से रामसिंह से आंख खोलकर देखा तो शिला नीचे थे उसके बेलन जैसे कड़े मोटे काले लंड देखती हुई
: भाभीईईई ओह्ह्ह्ह उम्ममम
: उफ्फ नंदोई जी कितना बड़ा बांस जैसा हथियार है आपका रज्जो ने साइड से रामसिंह के हवा में झूल रहे लंड को सहलाया और आड़ को हथेली में रख लिया
जिससे उसके लंड की नशे और तन गई
: सीईईई ओह्ह्ह रज्जो भाभीईईई
: हा मेरे राजा , आज तो आपका लंड बड़ा लग रहा है क्यों दीदी ( कम्मो ने दूसरी ओर से रामसिंह के लंड की चमड़ी पकड़ कर पीछे किया और रज्जो ने आड़ को हथेली में टाइट कर दिया
पूरा का पूरा लंड एकदम से टाइट और सुपाड़ा भी अपना मुंह खोल दिया
: हा कम्मो देवर जी के लंड की खुशबू तो देख उम्ममम क्या मस्त रसगुल्ले जैसा दिख रहा है
: चाट लो दीदी न या मै आऊ ( रज्जो ने रामसिंह के आड टटोलते हुए कहा )
: नहीं मै दूंगी किसी को उम्ममम सीईईई

एकदम से रामसिंह के चूतड़ टाइट हो गए और वो एड़ियों के बल खड़े होने लगा उसने दोनों पंजों से रज्जो और कम्मो के चूतड़ में नाखून गाड़ दिए हो मानो और वही नीचे शिला ने अपनी जीभ की टिप से उसके सूखे लाल सुपाड़े के होल को छेड़ रही थी : ओह्ह्ह्ह भाभीईई उम्ममम सीईईई कितनी सुखा है ओह्ह्ह्ह मै गिर जाऊंगा


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रज्जो मुस्कुरा कर : हमारे रहते नहीं नंदोई जी , क्यों कम्मो
कम्मो उसका लंड सहला कर : हा मेरे राजा मै नहीं गिरने दूंगी आपको

: ओह्ह्ह्ह भाभी चाट लो न क्यों तंग कर रही हो उम्मम
शिला ने मदहोश नजरो से देखा और फिर अपने नरम होठ से उसका सुपाड़ा चूम लिया
: सीईईई ओह्ह्ह भाभी अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह गॉड
फिर शिला ने उसका लंड नीचे से जीभ से टच करते हुए ऊपर आई और पूरा सुपाड़ा मुंह में ले लिया और मुंह में पूरा लार से गिला कर दिया


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इधर रज्जो ने अपनी उंगलियों से उसके आड़ को टटोल रही थी और दबा रही थी और कम्मो के हाथ उसके लंड के तने को भर पुर भर भर चमड़ी आगे पीछे कर रहे थे

: सीई ओह्ह्ह मेरे राजा कितना गर्म लंड है ओह्ह्ह्ह
: ओह्ह्ह तुम लोग मुझे पागल कर रहे हो उम्मम भाभी और लो न अंदर
: दीदी और नंदोई जी का लंड मुंह में सीईईई पूरा चूस लो , कहो तो मै आ जाऊ उम्मम नंदोई जी ( रज्जो के रामसिंह के कान के पास बहुत मादकता से फुसफुसाया और उसके कान को मुंह में लेकर काटने लगी
वही कम्मो ने अपने दूसरा हाथ पीछे से रामसिंह की शर्ट में घुसा कर पीठ पर सहला रही थी और रज्जो ने अपने दूसरे हाथ से रामसिंह के चूतड़ों को सहलाना शुरू कर दिया



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रामसिंह पूरी गिरफ्त में था और नीचे शिला अपनी जीभ का करतब दिखाती हुई बिना एक बार भी उसका लंड छूए सिर्फ मुंह से लंड को गले तक उतारने लगी

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: उम्मम भाभी ओह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम वहा नहीं ( रज्जो ने उसके चूतड़ों पर रेंगते हाथों से अपनी उंगलियां उसके दरारों में घुसाने लगी और रामसिंह बिदकने लगा तो एकदम से कम्मो के उसके लिप्स से अपने लिप्स जोड़ लिए

उम्ममम , रामसिंह की आंखे बड़ी हो गई
इधर रज्जो ने उसके आड़ो को कस लिया मुट्ठी में और पीछे से उसके गाड़ के सुखी सुराख पर थूक लगा चुकी थी जिसे रामसिंह ने अपने चूतड़ कस कर रोकना चाह रहा था और कम्मो ने उसे पूरी तरह अपनी गिरफ्त में लिया उसके लंड की चमड़ी तेजी से आगे पीछे किए जा रही थी और उसके लिप्स को छोड़ने को तैयार नहीं थी
नीचे शिला लगातार एक तय स्पीड के उसका लंड मुंह में लिए हुए थी और

रामसिंह के सबर का फब्बारा उसके आड़ से छूट चुका था और नसे पूरी फूल चुकी थी रज्जो ने हल्की सी ढील दी और उसके आड़ो को अपने हथेली की कटोरी बना कर दुलारा तो सारी मलाई खिसक कर लंड की नसों के भर गई ,लंड एकदम गर्म टाइट और सुपाड़ा पूरा लाल हो गया था , जिसे रामसिंह ने पूरी ताकत से रोका हुआ था

कम्मो ने उसके लिप्स छोड़ते और रामसिंह गहरी सांस लेने लगा मुंह खोलकर और हांफता हुआ : ओह्ह्ह्ह गॉड आने वाला है भाभी
इतना सुनते ही रज्जो ने भी उसका लंड लिया एकदम जड़ में अपनी उंगली की रिंग बनाते हुए , कम्मो ने पहले से ही अपने पंजे के पकड़ रखा और और आगे की बची 4 इंच की जगह को शिला ने मुंह में ले रखा था

कम्मो और रज्जो ने मिलकर तेजी से उसका लंड मुठियाना शुरू किया
रामसिंह की एडी एक बार फिर हवा में और आंखे बंद कर अपने चूतड़ टाइट कर पूरी ताकत से उसने सुपाड़ा सिला हुआ था और फिर एकदम से उसने सब कुछ अपना ढीला छोड़ दिया


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: ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् यूयू बिच ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह यशस् अह्ह्ह्ह भाभीई ओह्ह्ह्ह कम्मो मेरी रानी सीईईई ओह्ह्ह
अब तो थोक के भाव में मलाई निकल रही थी और सारी सारी शिला के मुंह में
एक के बाद एक मोटी थक्केदार व्हाइट मलाई की पिचकारी छूट रही और रज्जो और कम्मो अखीर तक उसका लंड सहलाते रही और शिला उसका वीर्य पीती रही


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फिर शिला ने अच्छे से उसका लंड चाट कर साफ किया और रामसिंह हाफ कर खड़ा हो गया किचन स्लैब का सहारा लेता हुआ , उसका लंड उस वक्त मूसल से चुचका हुआ बैगन हो गया था और चेहरा तो जैसे सफेद पड़ गया हो
शिला अपने मुंह साफ करते हुए उठी और हस कर रज्जो के कंधे पर हाथ रखते हुए : देखा भाभी , ऐसे निचोड़ा जाता है जंगली सांडो को हाहाहा

रामसिंह समझ गया कि तीनों की मिल कर उसकी रगड़ाई की योजना थी , वो तो बस रात के खाने के पहले थोड़ा सा नाश्ता करने का सोच कर आया था लेकिन यहां तो सबने उसे ही दूह लिया

वही इनसब से अलग मानसिंह काफी देर तक किचन में खिलखिलाहट पाकर उठ कर अंदर गया तो

कम्मो हस कर : आज जाइए भाई साहब आप भी लाइन में लग जाइए

मानसिंह वहा की स्थिति देखी और किचन स्लैब पर अपना कमर टीका कर रामसिंह को उसके चुचके लंड के साथ बुझा हुआ देख कर समझ गया कि ये तो गया और अगर वो रुका तो उसकी भी रगड़ाई रात के घमासान से पहले हो ही जाएगी , इसीलिए वो मुस्कुरा कर खिसक लिया और तीनों हस कर मस्त हो गई


प्रतापपुर

: क्या जमाई बाबू आज बड़ा जल्दी भोजन निपटा लिए
: जी बाउजी आप व्यस्त थे तो भूख भी लगी थी
: कोई बात नहीं और बताओ , कुछ उदास दिख रहे हो
: हम्ममम बाऊजी , सोच रहा हूं कल घर निकल जाऊ
: क्यों ? भाई यहां खतीरदारी में कोई कमी तो नहीं
: नहीं नहीं ऐसी बात नहीं है , वो बस सोनल की मां , हाहाहा आप समझ ही रहे है

बनवारी मुस्कुरा कर : हा भाई यहां इस बात की दिक्कत है और कहो तो कमला को
: नहीं नहीं , बाउजी , बीवी की जगह रंडी थोड़ी ले पाएगी
: वाह जमाई बाबू आपकी यही अदा मुझे बड़ी भाती है
: क्या ? ( रंगी खिलकर )
: कि कुछ भी बात हो आप छोटकी ( रागिनी ) को शामिल कर लेते हो
: हाहाहा , आप तो जानते ही है , कितनी चंचल है वो और फिर ढलती रात में उसके साथ जो यादें है सीईईई
: हूं हूं समझ रहा हूं हाहाहाहा , पजामे में से भी कोई उसे याद कर रहा है
: बस एक बार आप उसका तरीका देख लो बाउजी , सच कह रहा हूं कि आप भी दीवाने को जाओगे
: ओह्ह्ह्ह जमाई बाबू , क्यों दुखती रग पर हाथ रखते है , कहा छोटकी से मेरा कुछ
: अरे बाउजी आप बस हा तो करिए , सोनल की मां को मनाने की जिम्मेदारी मेरी
: क्या सच में ?
: आपसे क्यों झूठ कहूंगा बाउजी , और फिर उसपर तो आपका मुझसे ज्यादा हक है । मै तो रोकूंगा
: लेकिन इतनी जल्दी ? कैसे ?
: मेरे साथ चलिए कल देखते है कुछ जुगाड़ , नहीं हुआ तो अपनी लाडली के चूतड़ देख लेना और सच कहूं तो शायद इसी बहाने वो भी मेरे जज्बात समझे
: आपके जज्बात मतलब ?
: अरे बाउजी , सोनल को लेकर ? देखिए कई बहुत ईमानदार हूं उसके साथ कभी कुछ नहीं छिपाता उससे और मै चाहता हूं कि वो भी मेरी भावनाएं समझे सोनल को लेकर और मुझे इजाजत देदे और ये सब तभी होगा जब वो पहले आपके साथ
: ओह जमाई बाबू , कभी कभी समझ नहीं आता कि आपके अंदर इतनी दिलेरी आती कैसे है ?
: सच्चा प्यार किसी भी बात से नहीं डरता बाउजी
: ओह्ह्ह मेरे शेर दिल , फिर क्या कमला वाली बात भी करोगे छोटकी से
: हा जरूर थोड़ा अपने तरीके से बताता पड़ेगा
: वो कैसे? ( बनवारी जिज्ञासु होकर कहा )
: सच बताऊं सुन लोगे
: हा हा कहो न
: बाउजी रागिनी को अपनी गाड़ चटवाना बहुत पसंद है , क्योंकि उसे ये पता है कि मै रज्जो जीजी के भड़कीले चूतड़ों का दीवाना हूं तो अकसर मेरे ऊपर बैठ जाती है अपने चूतड़ रख कर और मै उसे चाटता हूं और उसकी बुर का पानी पिता हूं । उसके भी अरमान थे कि उसका भी बदन रज्जो जीजी जैसा हो जाए और फिर मुझे खुश रखने के लिए कभी कभी रज्जो जीजी बन आती है । और आप तो मेरी रज्जो जीजी के लिए दीवानगी जानते है उनके चूतड़ सामने हो तो मै खुद को रोक पाता हूं और उसे बहुत पसंद आता है

: ओह्ह्ह जमाई बाबू , सीईईई सच कहा रज्जो की गाड़ का कोई जवाब नहीं सीई इतने बड़े बड़े रसीले मटके जैसे है और झुक जाए तो पहाड़ जैसे फैल जाते है उम्ममम
: सच कह रहे है बाउजी एक बार आप रागिनी की गाड़ चाटना , वो अपने नरम चर्बीदार चूतड़ों को जब आपके मुंह पर फेकेगी न ओह्ह्ह और गंध ओह्ह्ह्ह बाबूजी मै तो सोच कर ही झड़ जाऊंगा

: अह्ह्ह्ह जमाई बाबू मेरा भी कुछ ऐसा ही हाल है सीईईई ओह्ह्ह
तभी एकदम से दरवाजे पर आहट हुई और दोनों सतर्क होकर अपने लंड को छोड़ दिए

ये गीता थी जो अपने दादू के पास आई थी

एकदम से वो रंगी को बनवारी के पास बैठा देख कर ठिठक गई कि कही उसकी बात तो नहीं कर रहे थे दादू से

: क्या हुआ मीठी
: दादू मुझे आपके पास सोना है , मै अब गुड़िया के पास नहीं सोऊंगी ( नजरे चुराते हुए रंगी को देख कर बोली )
: अरे लेकिन आज तो जमाई बाबू सो रहे थे ?
रंगी तो गीता के सारे इरादे भाप रहा था कि रात में वो अपने दादा के लंड के साथ क्या क्या करेगी और वो मुस्कुरा कर बिस्तर से उठने लगा : अरे नहीं बाउजी इसको सोने दीजिए नहीं तो फिर से नाराज हो गई तो हाहाहाहाहा , आजा गीता तू आराम कर मै चलता हूं बाउजी अपने कमरे में

गीता रंगी का सपोर्ट पाकर मुस्कुरा कर उसे देखा और झट से बनवारी के कम्बल में घुस गई ।

रंगी हस कर : देखिएगा बाउजी ये बड़ी चुलबुली है और जिद्दी भी
बनवारी हस कर गीता को कंधे से पकड़ कर अपनी ओर खींचता हुआ : अरे कोई बात नहीं जमाई बाबू हाहाहा मेरी लाडली है इसका तो हक होता है जिद करे , क्यों बेटा
गीता अपने दादू से लिपट कर मुस्कुराने लगी और रंगी ये देख कर सिहर उठा


रंगी ने उसे देखा और फिर मुस्कुराता हुआ निकल गया अपने कमरे में और अटैच दरवाजा अपनी ओर से बंद कर दिया ।
फिर बिस्तर पर लेट कर बबीता की राह निहारने लगा करीब 20 मिनट बीत गए लेकिन उसका कोई अता पता नहीं चला
रंगी बेचैन होकर उठा और उसके कमरे की ओर गया तो पाया दरवाजा अन्दर से बंद है और कान लगा कर सुना तो उसके हल्के खिलखिलाने और फुसफुसाहट आ रही थी ।
साफ था कि वो फोन पर किसी से बात कर रही है

रंगी की सुलग कर रह गई कि बबीता ने उसको ठेंगा दिखा दिया था , सुबह से ही रंगी का लंड खड़ा हो हो दर्द होने लगा था, पहले सोनल और रज्जो की बाते फिर गीता के साथ काम होते होते रह गया और सुनीता भी आज अपने पति के साथ लगी थी दुपहर से और बबीता से थोड़ी बहुत उम्मीद जगी थी तो वो भी आज लटका कर चली गई , अब तो रंगी ने पूरा मन बना लिया था कि कल के कल ही वो निकल लेगा घर के लिए कम से कम चूत के लिए तरसना तो नहीं पड़ेगा ।

निराश होकर वो अपने कमरे में चला आया और कुछ बैठे रहने के बाद एकदम से उसके जहन में गीता का ख्याल आया कि क्यों न अगर बनवारी सो गया हो तो गीता को बुला ले
एक टूटी हुई उम्मीद सी जगी उसके दिल में और वो हौले से अपने कमरे से अंदर अटैच वाला दरवाजा खोला और हल्का सा गैप से झांका तो एकदम से चौक गया
गीता तो बनवारी का लंड निकाल कर चूसना शुरू कर चुकी थी , बड़े ही इत्मीनान से हौले हौले वो सुपाड़े को चुभला रही थी और रंगी ने जब अपने ससुर को देखा तो वो आंखे बंद कर गीता के सर को सहला रहा था


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सीईईई बाउजी गीता से खुद ओह्ह्ह्ह कितने रसीले होठ है उसके पूरा लंड गिला कर दिया है इसने तो अह्ह्ह्ह्ह
रंगी दरवाजे के गैप से अंदर देखता हुआ अपना लंड मिस कर बुदबुदाया

वही गीता को भनक पड़ गई थी कि रंगी उसे देख रहा है लेकिन अब उसे कोई डर नहीं था और उसने तो इस बार रंगी की आंखों में आंखे डाल कर अपने दादा जी का मोटा काला मूसल चूस रही थी और ये देख कर रंगी का लंड झटके खाने लगा और वो अपना लंड निकाल कर बाहर करके हिलाने लगा , गीता ने ये देख लिया और लंड छोड़ दिया

: दादू
: हा बेटा क्या हुआ
: मै आती हूं देखूं फूफा जी सो गए क्या ?
: हा बेटा देख ले फिर आ जल्दी से , उफ्फ तूने तो पूरा टाइट कर दिया है

ये बोलकर गीता बिस्तर से सरक कर नीचे उतरी और रंगी दरवाजे से हट कर कमरे की दिवाल से लग गया
गीता चुपके से कमरे के दरवाजे से अंदर गई और एकदम से रंगी उसके सामने आ गया
अपना बड़ा सा लंबा खीरे जैसा लंड पकड़ कर हिलाता हुआ
गीता उसे देख कर मुस्कुराई : आपका भी मन हो रहा है न
रंगी अपना लंड हिला कर सिसकता हुआ : सीईईई हा बेटा मेरा भी चूस दे न अह्ह्ह्ह्ह सीईईई
गीता : लेकिन दादू अभी सोए नहीं है
रंगी उसका हाथ पकड़ अपने लंड पर रख दिया : ओह्ह्ह्ह कितने मुलायम है तेरे हाथ बेटा सीईईई ओह्ह्ह

रंगी के लंड में खून का सैलाब आया हुआ था और उसका लंड पूरा टाइट होकर तप रहा था , गीता को उसके लंड का वजन बढ़ता महसूस हो रहा था और वो उसे अपने नरम हथेली से सहलाने लगी : उफ्फ कितना गर्म है और भारी भी लग रहा है
: हा बेटा कबसे तड़प रहा हूं इसको चाट कर ठंडा कर दे न जैसे अपने दादाजी का कर रही थी
गीता उसका लंड सहलाती हुई मुंह से हथेली में थूक लेकर अपने हथेली की कटोरी बना कर रंगी के सूखे सुपाड़े पर घुमाया और रंगी की आंखे उलटने लगी : सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम क्या करती है बेटा ओह्ह्ह्ह
गीता ने थूक को उसके मोटे मूसल जैसे लंड पर मल कर आगे पीछे करने लगी

गीता : आओ चलो
रंगी चौक गया : क्या ? कहा ?
गीता : दादू के पास वही मै आप दोनों को साथ में करूंगी
रंगी एकदम से चौक गया और उसकी थोड़ी फटने लगी : क्या कह रही हो तुम ,
गीता : ओके रुको अभी मै बुलाऊं तो आप आजाना, ओके
रंगी का दिमाग सुन्न हो गया था और गीता कमरे का दरवाजा पूरा खोलकर अपने दादू के पास चली गई और उसका लंड सहलाने लगी

: अरे मीठी , दरवाजा क्यों खोल दिया
गीता ने कुछ नहीं बोला सीधा अपने मुंह में उसका लंड लेकर चूसने लगी और बनवारी की सिसकारियां उठने लगी
: दादू पता है फूफा जी हमें कमरे से देख रहे है
बनवारी एकदम से सकपकाया और अपना लंड छुपाने लगा : क्या ? वो सोए नहीं
गीता उसका लंड कंबल के हाथ डाले सहलाती हुई : हीहीही नहीं , जब मै पहले इसको चूस रही थी न तभी मैने उन्हें देखा और पता है उनका भी बहुत बड़ा और गर्म हो गया है , उनको भी बुला लो न , मैने कहा कि चलो लेकिन वो नहीं आ रहे है

बनवारी को समझ नहीं आ रहा था कि क्या चल रहा है और उसका लंड भी मुरझाने लगा था

इधर रंगी समझ गया कि गीता ने आधी अधूरी बात कह कर सारा खेल बिगाड़ दिया और वो अपने कमरे से निकल कर बनवारी के कमरे में आया

: ज जमाई बाबू आप ( बनवारी थोड़ा हिचका )
: परेशान न हो बाउजी जी , ये तो मैने आज सुबह ही देखा था जब आप सो रहे थे और तब भी ये चुलबुली अपनी मिठाई खोजती हुई यहां आ गई थी
: मतलब मै समझा नहीं

फिर रंगी हंसता हुआ आकर बनवारी के पास बैठ जाता है और उसे सुबह से हुई उसकी और गीता की वो सब बातें बताता है कि कैसे गीता ने उसे बाथरूम में लंड हिलाते पकड़ा , फिर रंगी ने गीता को लंड चूसते पकड़ा , फिर उन दोनों को मस्ती करते हुए सुनीता ने पकड़ा , और इतनी सारी पकड़ा पकड़ी का नतीजा है कि आज मै बहुत परेशान था और नीद नहीं आ रही थी तो सोचा आपसे बात कर लूं और देखा तो ये यहां खेल रही थी ।


बनवारी कुछ सोच कर गीता को देखते हुए : तो इसीलिए बहु ने तुझे मारा था दुपहर में, तू जमाई बाबू के साथ थी
: हीहीही ( गीता दांत दिखाने लगी )
: मै कह रहा था न बाउजी बहुत चुलबुली है ये और जिद्दी भी
बनवारी हस कर : फिर तो सही पिटाई हुई तेरी , और जमाई बाबू इसने आपके साथ जो शरारत की उसके लिए माफ कीजियेगा , थोड़ी जिद्दी है और इसकी जिद के आगे मै भी हार ही गया

: हाहाहाहाहा वो तो दिख ही रहा है , लेकिन अब जो इंजॉय कर रहे है तो खुल के कीजिए ये पर्दा क्यों

रंगी ने कम्बल हटाया तो लंड गीता उसका लंड पकड़े हुए थी : देखिए मीठी को उसका खिलौना कितना पसंद है वो नहीं छोड़ने वाली हाहाहाहाहाहाहा

बनवारी हंसता हुआ : सच कहा जमाई बाबू , वैसे आप भी अपना खिलौना निकालिए मीठी उसे भी दुलारेगी क्यों बेटा करेगी न
गीता ने थोड़ा शर्मा कर थोड़ा उत्साहित होकर हा में सर हिलाया और पजामे से अपना लंड बाहर निकाल कर सहलाने लगा

गीता ने एक नजर उसे देखा और वापस से बनवारी का लंड चूसने लगी : ओह्ह्ह्ह मीठी सीई ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह क्या गजब का सुकून है जमाई बाबू

रंगी की लार टपकने लगी बनवारी की सिसकिया सुन कर और बनवारी ने गीता को इशारा कर रंगी के पास जाने को कहा
गीता थोड़ी मुस्कुरा कर खड़ी होकर रंगी के पास जा रही थी कि एकदम से रंगी ने उसे पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया और वो दोनों ससुर दामाद के बीच आ गिरी खिलखिलाती हुई
पूरा कमरा बनवारी के ठहाके और गीता की खिलखिलाहट से गूंज उठा

: जरा इधर आ और सुबह की उधारी पहले पूरी कर ( रंगी ने उसको अपनी बाहों में भरते हुए कहा )
: सुबह की उधारी मतलब जमाई बाबू ? ( बनवारी ने हस कर सवाल किया
: ओह्ह्ह बाउजी सुबह इसके रसीले दूध का स्वाद चखा ही था कि इसकी मम्मी आ गई थी और मै जीभ टपका कर रह गया , जरा इसको निकाल न ( रंगी ने गीता की टीशर्ट निकाल दी और वो अपने हाथों से हस्ती हुई अपने मोटी मोटी नारियल सी चूचियों को छिपाने लगी जो ब्रा में कैद थी )

: उफ्फ मीठी सीई तू तो बड़ी हो गई है , कितनी रसीले दूध है तेरे
: उम्ममम दादा जी आराम से ओह्ह्ह्ह फूफा उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई
दोनों ससुर दामाद ने गीता की रसीली छातियां टटोलनी शुरू कर दी
: उफ्फ बाउजी कितनी मुलायम छाती है अभी से इसकी उम्मम अह्ह्ह्ह्ह जरा निप्पल देखूं तो ( ये कहकर रंगी ने गीता के कंधे से उसकी ब्रा सरका दी और उसके रसीले मम्में को हाथों में भरने लगा ) अह्ह्ह्ह सीई कितनी भारी हो गई है अभी से तेरी छाती

: उम्ममम तो मै क्या करु , मम्मी कहती है कि मैं बड़ी बुआ पर गई हूं
रज्जो का जिक्र आते ही दोनों ससुर दामाद एक दूसरे को देख कर एक शरारत भरी मुस्कुराहट पास करते हैं और अगले ही पल उसके नंगी चूचियों पर टूट पड़ते है

: ओह्ह्ह्ह दादू उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम मम्मा ओह्ह्ह्ह सीईईई और उफ्फ फूफा ओह्ह्ह्ह यशस्स ओह्ह्ह्ह मम्मीईइई सीईईई


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दोनों ससुर दामाद ने एक एक चुची को अच्छे घुला घुला कर निप्पल मुंह में लेकर चूसने लगे और गीता की सिसकियां उठने लगी और वो दोनों के सर को अपने चुचियों पर दबाने लगी
बनवारी तेजी से अपनी जीभ से उसके किशमिश जैसे निप्पल को फ्लिक करने लगा और उसके हाथ नीचे उसके स्कर्ट के अंदर घुस कर उसकी चूत टटोलने लगे और गीता का बदन ऐंठने लगा , वही रंगी उसकी चुची को पकड़ कर पंजे में कसता हुआ उसके निप्पल मुंह में लेकर चुसे जा रहा था ।


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और वही बनवारी ने उसकी स्कर्ट खींच कर उसकी पैंटी में भी खींच कर निकाल दिया और उसकी गीली चूत पर नजर पड़ते ही रंगी ने बिना किसी देर किए अपने उंगलियों को उसके गीली बुर पर रख दिया : इश्श बाउजी उसकी बुर कितनी गीली है

: ओह्ह्ह्ह उम्ममम फूफा जी ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई अह्ह्ह्ह
: क्या हुआ बेटा उम्मम अच्छा नहीं लग रहा है
: ओह्ह्ह्ह बहुत अच्छा लग रहा है ओह्ह्ह्ह मै झड़ रही हूं ओह्ह्ह
रंगी ने अपनी स्पीड बढ़ाते हुए तेजी से उसके बुर के फांके रगड़ने लगा और वही दोनों ससुर दामाद वापस से उसकी निप्पल मुंह लेकर खींचना शुरू कर दिया


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कमरा पूरा गीता की चीखों से गूंज रहा था और उसकी कामुक चीखों से दोनों ससुर दामाद को मजा आ रहा था उसे रंगी तेजी से उसकी बुर के फांके सहला रहा था और गीता अपने कूल्हे उठा कर झड़ रही थी और अपनी जांघें कसने लगी : ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह फूफा जी ओह्ह्ह्ह मम्मीईइईइईई सीईईई ओह्ह्ह और और उम्ममम दादू ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् मीईईईई ओह मम्मीईईईई

रंगी का हाथ तबतक नहीं रुका जबतक कि उसकी हथेली गीता के रस से सराबोर नहीं हो गई और वो उसकी बुर पर उसके पानी को सहलाते हुए लिपने लगा और वही गीता झड़ने के बाद खिल रही थी और हाथ बढ़ा कर अपने दादू का लंड पकड़ लिया और सहलाने लगी
मौका देखकर रंगी ने भी अपना लंड आगे कर दिया और गीता ने दोनों का लंड पकड़ कर हिलाने लगी और मुंह खोलकर रंगी का लंड मुंह में ले लिया और चूसने लगी

: ओह्ह्ह्ह बाउजी सीईईई ओह्ह्ह ये तो उफ्फ
: हा जमाई बाबू ओह्ह्ह्ह मुझे भी वही महसूस हुआ था पहली बार , इसने अपने मम्मी पापा की चुदाई देख कर सब सिखा है सीई ओह गीता उम्ममम


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गीता ने लंड बदल कर बनवारी का लंड मुंह में ले लिया और चूसने लगी
रंगी : उफ्फ फिर तो बड़ी होनहार है ये तो सीई ओह्ह्ह इसका अंदाज तो उम्ममम आपको किसी याद आ रही है बाउजी
बनवारी मुस्कुरा दिया और हल्के से होठ से बडबडा कर रज्जो का नाम लिया और रंगी का लंड और कड़क हो ही गया : ओह्ह्ह्ह बाउजी उम्ममम मुझे तो मेरी सोनल की याद आ रही है वो भी जमाई बाबू का ऐसे ही लंड चूस रही होगी ओह्ह्ह्ह
गीता उन दोनों का लंड पकड़ कर हिलाती हुई हस कर : दादू पता है फूफा न हीहीही सोनल दीदी को पेलना चाहते है उम्ममम सुऊऊऊऊऊरूऊऊऊऊपपपपपप अह्ह्ह्ह
बनवारी रंगी को आंख मार कर हंसता हुआ : क्या सच में जमाई बाबू
रंगी : हा बाउजी आपसे क्या छिपाना अब ओह्ह्ह उसके चूतड़ तो क्या ही कहने ओह्ह्ह्ह सोचता हूं उसकी जवान चूत का स्वाद कैसा होगा


गीता : मेरी चाट के देख लो फूफा जी उम्म्म मै भी आपकी बेटी हूं ,
रंगी एकदम से जोश से भर गया और गीता से लंड छुड़ा कर उसकी जांघों के बीच आ गया और अपनी जीभ चला कर उसके रसीले चूत के फांकों को चाटने लगा

और गीता अपने दादू का लंड मुंह में लेकर चूसने लगी : ओह्ह्ह मीठी सीईईई ओह तू बहुत तेज हो गई है पहले से सीई ओह्ह्ह्ह चाट ले और उम्मम
: उम्ममम अह्ह्ह्ह फूफा जी आराम से ओह्ह्ह्ह मम्मीईइई अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् मीईईईई ओह मम्मीईईईई ओह्ह्ह्ह ( गीता बनवारी का लंड मुंह से निकाल कर हिलाती हुई नीचे देखने लगी कि कैसे रंगी उसकी बुर चूस रहा था


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रंगी ने अपनी जीभ उसके बुर के फांके में डाल दिया था और नचाने लगा
: ओह्ह्ह्ह बेटा लग रहा है जमाई बाबू को अपनी बेटी की बुर बहुत भा गई है क्यों जमाई बाबू
रंगी ऊपर उठ कर गीता के चूचे पकड़ कर मुंह भर लिया और चूस कर : एक बार आप भी टेस्ट करके देखो बाउजी उम्मम बड़ा नमकीन पानी है आपकी नातिन का उम्मम
बनवारी की जीभ भी रस छोड़ने लगी और वो सरक कर गीता के चूत पर चला गया और अपनी जीभ से उसके बुर के फांके पर चलाने लग और रंगी उसकी चूचियां मिज मिज कर पीने लगा


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: ओह्ह्ह्ह दादू मजा आ रहा है और और उम्मम सीईईई ओह्ह्ह डाल दो न प्लीज
: क्या चाहिए उम्मम बोल बेटा क्या लेगी
: लंड डाल दो न फूफा ओह्ह्ह्ह यशस्स अह्ह्ह्ह्ह सीईईई मम्मीइई अह्ह्ह्ह गर्म है और टाइट भी ओह्ह्ह्ह
: ओह्ह्ह्ह जमाई बाबू सच में इसकी बुर कस गई है ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
रंगी अपना लंड गीता के मुंह पर रगड़ता हुआ : ओह्ह्ह्ह बाउजी पेलीये न रगड़ कर ओह्ह्ह्ह ले बेटी चूस उम्मम ओह्ह्ह्ह कितनी रसभरी जीभ है तेरी ओह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
रंगी उसके मुंह ने लंड डाल कर उसकी छातियों को मिजने लगा और वही बनवारी तेजी से उसकी बुर में पेले जा रहा था


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बनवारी की नजरे तो अपने जमाई के अनोखे अंदाज पर थी जिस तरह से रंगी नए नए तरकीब और चुदाई के पैंतरे खोल रहा था , अपनी दुलारी और गुलगुली नातिन की इतनी कामुक मुंह पेलाई देख कर उसका भी जी ललचाने लगा और वो देख रहा था कि रंगी का लंड गीता के लार से लिभड़ाया हुआ
: ओह्ह्ह जमाई बाबू आपका अंदाज तो सबसे अलग है सीईईई उम्ममम
: क्यों बाउजी जगह बदलेंगे क्या ?
बनवारी ने इस पर मुस्कुरा दिया और रंगी ने हस कर गीता ने मुंह से लंड निकाल कर उसको घोड़ी बना दिया और उसकी बजबजाई बुर में पीछे से लंड घुसा दिया : ओह्ह्ह्ह बाउजी ये तो पूरा मक्खन है सीई ओह्ह्ह कितनी गर्म और मुलायम है


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: लेह बेटा चाट इसे उम्मम तेरे नर्म होठ और जीभ का करतब ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई ऐसे ही उम्मम ( वही बनवारी अपने आड़ लेकर गीता के मुंह के आगे खड़ा हो गया और गीता उन्हें चूमने लगी चाटने लगी )

: उन्ह्ह्ह सीईईई क्या मस्त रसीली चूत है तेरी गीता ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह लंड तो एकदम मक्खन जैसे सरक रहा है अंदर गपागप ओह्ह्ह्ह बाउजी ऐसे ही रागिनी की बुर जब खूब रस छोड़ती है तो पीछे से पकड़ कर उसको चोदने में बड़ा मजा आता है ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह


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: ओह्ह्ह्ह जमाई बाबू कहे मेरी तकलीफ बढ़ा रहे है सीई ओह्ह्ह्ह बेटा उम्मम ले चूस इसको भी और और अंदर ले हा उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई पूरी घोंट जा ओह्ह्ह ऐसे ही उम्मम
इधर रंगी ने देखा तो बनवारी ने भी अपना पूरा लंड गीता के गले में उतार दिया था और वो जोश में दुगने गति से उसकी नर्म रसीली चूत में पेलने लगा

: ओह्ह्ह्ह बाउजी ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई बहुत रुक नहीं पाऊंगा मैं ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह इसकी चूत बहुत कसी है और सुपाड़ा जल रहा है मेरा अब
: हा जमाई बाबू वही हाल मेरा भी है ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह चूस पूरा निचोड़ लें ओह्ह्ह मेरी जान मेरी लाडो उम्मम अह्ह्ह्ह पेलो जल्दी जल्दी जमाई बाबू मेरा बस आने ही वाला है ओह्ह्ह्ह

: आह बाउजी मेरा भी आयेगा ओह्ह्ह ओह्ह्ह्ह गीता बेटा आजा कहा लेगी मेरा बीज ओह्ह्ह्ह
: इसको तो अपनी छातियों पर लेना है ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह जमाई बाबू आजाओ

रंगी समझ गया था कि पहले भी गीता की जबरजस्त चुदाई हो चुकी है और वो अपना लंड निकाल कर खड़ा हो गया और तेजी से हिलाने लगा गीता की चूची पर वही बनवारी भी अपना लंड उसके चूचों पर घिसने लगा

: ओह्ह्ह्ह बाउजी सीईईई ओह्ह्ह आ रहा है ले बेटा ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई आह्ह्ह्ह


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रंगी लाल ने अपनी पिचकारी छोड़ी और उसे देखते ही बनवारी ने अपना फब्बारा छोड़ दिया
एक के एक दोनों तरफ से मोटी गाढ़ी पिचकारियां गीता के मुंह पर चूचों पर गिरने लगी और गीता जीभ निकाल कर उनके आडू को सहलाती हुई उनके बीज से नहा रही थी

फिर एकदम से रंगी ने अपना रस से लिभड़ाया लंड गीता के होठों पर रगड़ने लगा : ले चाट से बेटा उम्ममम साफ कर दे इसे


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देखा देखी बनवारी ने भी अपना लंड वही दूसरी तरफ से गीता के मुंह पर रख कर हिलाने लगा , गीता के होठ बचे से बीज से लसलसा रहे थे और गीता बारी बारी से दोनों सुपाड़े को मुंह में लेकर चूसने लगी थी ।

कुछ ही देर बाद दोनों ससुर दामाद बिस्तर पर फैल गए और हांफते हुए थोड़ी बातें करने लगे गीता को लेकर , लेकिन अभी भी उनके लंड की कसावट कम नहीं हुई थी और गीता उनके पैरो में बैठकर वापस से उनका लंड पकड़ कर सहला रही थी अगले राउंड की तैयारी में

लेकिन शायद वो भूल चुके थे कमरे का अटैच दरवाजा खुला था जो रंगी के कमरे में जाता था और रंगी ने पहले से बबीता के आने की राह में अपने कमरे का मेन दरवाजा सिर्फ भिड़का रखा था । वही बबीता तो अपने बाबू सोना को बहला कर उसको सुला कर रंगी से मिलने अपना वादा पूरा करने आई थी । लेकिन उसकी आंखे तब चकाचौंध रह गई जब उसने अंदर का कामुक नजारा देखा


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जहां गीता दोनों ससुर दामाद के पैरों के बीच बैठ पर उनके दोनों खड़े हुए लंड को पकड़ कर एक साथ हिला रही थी

जारी रहेगी

( बाकी डील जानते हो , टारगेट बनाए रखो अपडेट जल्दी और बड़े बड़े मिलेंगे 😁 )
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Rock2500

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THE EROTIC SUNDAY 08


" अरे खुशखबरी है मेरी नन्द रानी "
" क्या सच में अमन का छोटा भाई आ रहा है क्या ? "
" मेरी उम्र कहा अब आपको दूसरा भतीजा दे दूं , हा नयकी भौजाई से मांग लो हाहाहाहाहा " , ममता ने किचन में फोन पर संगीता से बात करते हुए मंजू को छेड़ा जो उसके साथ काम में लगी थी
: नयकी भौजाई मतलब ?
: अरे मतलब मुझे मेरी देवरानी मिल गई और अगले हफ्ते शादी भी है
: क्या सच में ? कौन है ? ( फोन पर संगीता एकदम से खुश हो गई )
: अरे वही पुराना माल वापस मिल गया है हाहाहाहाहा

ममता ने मंजू को छेड़ा और संगीता से बात कर रही थी
वही मुरारी अभी अभी बाहर से आ रहा था और हाल में बैठ हुए मदन को देख कर
: मदन जरा कमरे में आओ
: जी भैया
मुरारी उसे बोलकर अपने कमरे में चला गया और मदन थोड़ा असहज था , एक तो शादी और फिर आज दुपहर को कुछ हुआ था उसे लेकर

मदन कमरे में आया तो देखा मुरासुर सोफे पर बैठा हुआ डायरी खोलकर कुछ हिसाब लगा रहा था
: जी भइया
: अरे आओ बैठो , देखो टेंट और कैटरिंग वाले से अभी बात करके मै आ गया हूं, कल सुबह सजावट और लाइट साउंड के लिए बात हो जाएगी । अच्छा तुमने मेहमानों की लिस्ट बनाई
: अह हा भइया, ये देखिए
फिर मुरारी लिस्ट देखने लगा और मदन चुप था । एकदम से
मुरारी समझ रहा था कि मदन आज दुपहर की बात को लेकर असहज था

: तो कब तक चुप रहने का पक्का किया है ( मुरारी ने मेहमानों की लिस्ट पर पेन घुमाते हुए कहा )
: जी भैया ?
: अरे यार , मै दुपहर वाली बात कर रहा हूं
: सॉरी भैया , मुझे नहीं पता था कि आप लोग , सॉरी
: अरे यार हो गया , अब ज्वाइंट परिवार में ऐसी चीजें हो जाती है , इतना मत सोचो। देखो शादी की तैयारी करनी है और देखना तुम्हारी वजह अमन की मां को असहजता न हो
: जी भैया , ख्याल रखूंगा
: और क्या है तुम तो जान ही रहे हो कि इधर इतने दिन से मै था नहीं तो ... उसका भी मन हो गया और मेरा भी
: जी भैया ( थोड़ा शर्मा रहा था मदन )
: अरे यार तुम शर्मा क्यों रहे हो , हा , अगले हफ्ते तुम्हारी भी सुहागरात होगी हाहाहाहाहा
: क्या भैया आप भी ( मदन एकदम से शर्मिंदा हो गया और मुस्कुराने लगा )
: अरे हा , ममता बता रही थी कि आज तुम लोग थोड़े बहक गए थे उम्मम क्या ये सच है ?
मदन एकदम से चुप हो गया

मुरारी उसके कंधे पर हाथ रखता हुआ : हस कर : अरे तो क्या हो गया , इतना शरमाओ मत , मै भी मर्द हूं मेरे भी जज्बात डोल जाते है हाहाहा क्यों !!

मदन शर्मा कर मुस्कुराता हुआ : जी भैया
मुरारी : हा लेकिन अगर कुछ करना हो वो सब तो भाई ध्यान से कुंडी कड़ी लगा कर , समझे हाहाहाहाहा कही मै गलती से चला गया तो सही नहीं रहेगा न
मदन एकदम शर्म से गाढ़ हो गया : क्या भैया आप भी , शादी से पहले कैसे ?
मुरारी : अरे बेटा हमको चोदना मत सिखाओ , पकड़े गए थे उसी के साथ खेत में भूल गए हाहाहाहाहा
मदन मुस्कुराने लगा जब सालों पुरानी बात उसने खोद निकाली

कमरे का माहौल हसनुमा था कि मुरारी फिर एकदम से सीरियस होकर कहा : देखो मदन ये सब बाते ठीक है लेकिन मैने तुम्हे यहां कुछ बहुत खास बात करने के लिए बुलाया है
मदन थोड़ा शांत होकर : जी भइया कहिए
मुरारी का चेहरा अब एकदम सीरियस था और उसने नजरे उठा कर मदन की आंखों में देखते हुए : देखो अब तुम मंजू के साथ एक नए सफर पर जा रहे हो और शादी के बाद वही तुम्हारी संगिनी बन जाएगी तो ये तुम्हारी जिम्मेदारी है कि तुम उसके साथ ईमानदारी से पेश आओ
मदन : जी भइया मै समझ नहीं पा रहा हूं , साफ साफ कहिए
मुरारी थोड़ा रुक कर : हो सकता है दो दिन बाद ही संगीता आ जाए और तुम्हारा और उसका जो भी रिश्ता है मै चाहता हूं तुम उसे आगे न बढ़ाओ । यही तुम्हारे और मंजू के नए रिश्ते के लिए सही होगा
एकदम से मदन के चेहरे की हवाइयां उड़ गई और उसका माथा पसीना पसीना हो गया
मुरारी उसकी चुप्पी समझ सकता था : हा मुझे पता है और तुम्हारी हरकते ही ऐसी है कि किसी को भी भनक लग जाए , लैला मजनू जैसे इशारेबाजी चलती है तुम्हारी और कबसे चल रहा था तुम्हारा ये सब मुझे तो अमन की शादी के बात पता चली ?

मदन नजरे नीची किए हुए उसका दिल जोरो से धड़क रहा था : भइया वो शादी के दिनों में ही हुआ था , दीदी का नेचर जानते ही हो आप कितनी चंचल है वो और भोला जीजा इतने खुल कर रोमांस कर रहे थे कि मै उनकी ताकि झांक करने को बेचैन हो गया और फिर बहक गया था । लेकिन जो कुछ भी हुआ सब दीदी के पहल से हुआ था
मुरारी का लंड अकड़ रहा था : हा तुम बड़े हरिश्चंद्र हो तुम्हारा खूंटा खड़ा नहीं हुआ होगा ? देखो बात जो भी रही हो आगे से ये सब हरकते नहीं होनी चाहिए और अगर संगीता की तरफ से पहल हो तो मुझे बताओगे , मै उससे बात करूंगा ।

मदन : जी भइया
मुरारी : हम्ममम ठीक है अब जाओ


शिला के घर

: यार भाभी इन मर्दों ने तो हमसे हमारी आजादी छीन ली है ( शिला ने रज्जो को हाल में बैठे हुए रामसिंह और मानसिंह को देखते हुए कहा )
दोनों भाई आज रात के जबर्दस्त गैंगबैंग की योजना का सोच कर अपना लंड मसल रहे थे पेंट में
: हीहीही लग रहा है भाभी आपने अच्छे से निचोड़ा नहीं इनको , देखो तो कैसे धार बढ़ा रहे ( कम्मो ने खिल कर रज्जो के कंधे पर ठोकर मारते हुए कहा )
: अरे तुम दोनों के मर्द तो जंगली सांड है , एक बार चढ़ जाए तो उतरते नहीं जल्दी
: हीहीही दीदी लग रहा है भाभी को अपनी ट्रिक बतानी पड़ेगी
: हा कम्मो सच कह रही है , रज्जो रानी बड़ी भोली है इन्हें जंगली सांडो को कैसे उतारना है पता नहीं है हाहाहाहाहा

: अरे मतलब करना क्या है बताओ तो ( रज्जो थोड़ा कन्फ्यूज थी )
शिला ने रज्जो के कान में फुसफुसाई
: ओह्ह्ह , उम्मम फिर तो कोई नहीं बचेगा इस ट्रिक से


वही दूसरी ओर हाल में बैठे हुए तीनों गदराई औरतों के चूतड़ नाइटी में उठे थे और उन्हें देख कर
: भैया मुझसे और नहीं रुका जाएगा सीई , मै जाऊ क्या ?
: अरे पागल अरुण अभी सोया नहीं है
: आप उसपर ध्यान रखो जरा मैं बस थोड़ी सी मस्ती करके आता हूं ( ये बोलकर रामसिंह उठ कर किचन की ओर आ रहा है )
मानसिंह ने उसे रोकना चाहा लेकिन रामसिंह नहीं माना और उठ कर अपना लंड मसल कर बढ़ गया


शिला उसको आता देख बुदबुदाई : एक सांड आ रहा है फिलहाल इसको थोड़ा सा मजा देकर उतावला करना है , तैयार हो जाओ रंडियों
शिला की बात पर रज्जो और कम्मो खिलखिलाई
रामसिंह आते ही कम्मो और रज्जो के बीच खड़ा हो गया और दोनों के कूल्हे पर हाथ रख कर सहलाता हुआ : क्या बन रहा है कम्मो , महक तो अच्छी है

कम्मो ने धीरे से अपना हाथ उसके टाइट पेंट के ऊपर रख दिया और लंड पकड़ कर : फिलहाल तो मेरा मूड बन रहा है मेरे राजा
रामसिंह को उम्मीद नहीं थी कि कम्मो एकदम से उसका लंड पकड़ लेगी
रामसिंह : ओह्ह्ह्ह थोड़ा सब्र करो न
फिर शिला ने रज्जो को इशारा किया और रज्जो ने भी दूसरी तरफ से हाथ बढ़ा कर उसकी जांघ को सहलाने लगी : कितना सबर करे हम सब उम्मम नहीं रहा जाता सीईईई ओह्ह्ह

दोनों गरमाई औरतों के स्पर्श से रामसिंह का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा और पेंट में पूरा टाइट हो गया और कम्मो और रज्जो दोनों मिलकर उससे चिपकने लगी उसके गर्दन और सीने पर अपने चेहरे रेंगाने लगी
जिससे रामसिंह की धड़कने बढ़ने लगी उसकी सांस भी उखड़ने लगी ,,आंखे बंद कर वो अपने दोनों पंजों में रज्जो और कम्मो के चूतड़ मसलने लगा था
इतने में शिला धीरे से उसके आगे आई और नीचे बैठ कर उसका पेंट खोल दिया और लंड बाहर कर दिया
एकदम से रामसिंह से आंख खोलकर देखा तो शिला नीचे थे उसके बेलन जैसे कड़े मोटे काले लंड देखती हुई
: भाभीईईई ओह्ह्ह्ह उम्ममम
: उफ्फ नंदोई जी कितना बड़ा बांस जैसा हथियार है आपका रज्जो ने साइड से रामसिंह के हवा में झूल रहे लंड को सहलाया और आड़ को हथेली में रख लिया
जिससे उसके लंड की नशे और तन गई
: सीईईई ओह्ह्ह रज्जो भाभीईईई
: हा मेरे राजा , आज तो आपका लंड बड़ा लग रहा है क्यों दीदी ( कम्मो ने दूसरी ओर से रामसिंह के लंड की चमड़ी पकड़ कर पीछे किया और रज्जो ने आड़ को हथेली में टाइट कर दिया
पूरा का पूरा लंड एकदम से टाइट और सुपाड़ा भी अपना मुंह खोल दिया
: हा कम्मो देवर जी के लंड की खुशबू तो देख उम्ममम क्या मस्त रसगुल्ले जैसा दिख रहा है
: चाट लो दीदी न या मै आऊ ( रज्जो ने रामसिंह के आड टटोलते हुए कहा )
: नहीं मै दूंगी किसी को उम्ममम सीईईई

एकदम से रामसिंह के चूतड़ टाइट हो गए और वो एड़ियों के बल खड़े होने लगा उसने दोनों पंजों से रज्जो और कम्मो के चूतड़ में नाखून गाड़ दिए हो मानो और वही नीचे शिला ने अपनी जीभ की टिप से उसके सूखे लाल सुपाड़े के होल को छेड़ रही थी : ओह्ह्ह्ह भाभीईई उम्ममम सीईईई कितनी सुखा है ओह्ह्ह्ह मै गिर जाऊंगा


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रज्जो मुस्कुरा कर : हमारे रहते नहीं नंदोई जी , क्यों कम्मो
कम्मो उसका लंड सहला कर : हा मेरे राजा मै नहीं गिरने दूंगी आपको

: ओह्ह्ह्ह भाभी चाट लो न क्यों तंग कर रही हो उम्मम
शिला ने मदहोश नजरो से देखा और फिर अपने नरम होठ से उसका सुपाड़ा चूम लिया
: सीईईई ओह्ह्ह भाभी अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह गॉड
फिर शिला ने उसका लंड नीचे से जीभ से टच करते हुए ऊपर आई और पूरा सुपाड़ा मुंह में ले लिया और मुंह में पूरा लार से गिला कर दिया


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इधर रज्जो ने अपनी उंगलियों से उसके आड़ को टटोल रही थी और दबा रही थी और कम्मो के हाथ उसके लंड के तने को भर पुर भर भर चमड़ी आगे पीछे कर रहे थे

: सीई ओह्ह्ह मेरे राजा कितना गर्म लंड है ओह्ह्ह्ह
: ओह्ह्ह तुम लोग मुझे पागल कर रहे हो उम्मम भाभी और लो न अंदर
: दीदी और नंदोई जी का लंड मुंह में सीईईई पूरा चूस लो , कहो तो मै आ जाऊ उम्मम नंदोई जी ( रज्जो के रामसिंह के कान के पास बहुत मादकता से फुसफुसाया और उसके कान को मुंह में लेकर काटने लगी
वही कम्मो ने अपने दूसरा हाथ पीछे से रामसिंह की शर्ट में घुसा कर पीठ पर सहला रही थी और रज्जो ने अपने दूसरे हाथ से रामसिंह के चूतड़ों को सहलाना शुरू कर दिया



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रामसिंह पूरी गिरफ्त में था और नीचे शिला अपनी जीभ का करतब दिखाती हुई बिना एक बार भी उसका लंड छूए सिर्फ मुंह से लंड को गले तक उतारने लगी

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: उम्मम भाभी ओह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम वहा नहीं ( रज्जो ने उसके चूतड़ों पर रेंगते हाथों से अपनी उंगलियां उसके दरारों में घुसाने लगी और रामसिंह बिदकने लगा तो एकदम से कम्मो के उसके लिप्स से अपने लिप्स जोड़ लिए

उम्ममम , रामसिंह की आंखे बड़ी हो गई
इधर रज्जो ने उसके आड़ो को कस लिया मुट्ठी में और पीछे से उसके गाड़ के सुखी सुराख पर थूक लगा चुकी थी जिसे रामसिंह ने अपने चूतड़ कस कर रोकना चाह रहा था और कम्मो ने उसे पूरी तरह अपनी गिरफ्त में लिया उसके लंड की चमड़ी तेजी से आगे पीछे किए जा रही थी और उसके लिप्स को छोड़ने को तैयार नहीं थी
नीचे शिला लगातार एक तय स्पीड के उसका लंड मुंह में लिए हुए थी और

रामसिंह के सबर का फब्बारा उसके आड़ से छूट चुका था और नसे पूरी फूल चुकी थी रज्जो ने हल्की सी ढील दी और उसके आड़ो को अपने हथेली की कटोरी बना कर दुलारा तो सारी मलाई खिसक कर लंड की नसों के भर गई ,लंड एकदम गर्म टाइट और सुपाड़ा पूरा लाल हो गया था , जिसे रामसिंह ने पूरी ताकत से रोका हुआ था

कम्मो ने उसके लिप्स छोड़ते और रामसिंह गहरी सांस लेने लगा मुंह खोलकर और हांफता हुआ : ओह्ह्ह्ह गॉड आने वाला है भाभी
इतना सुनते ही रज्जो ने भी उसका लंड लिया एकदम जड़ में अपनी उंगली की रिंग बनाते हुए , कम्मो ने पहले से ही अपने पंजे के पकड़ रखा और और आगे की बची 4 इंच की जगह को शिला ने मुंह में ले रखा था

कम्मो और रज्जो ने मिलकर तेजी से उसका लंड मुठियाना शुरू किया
रामसिंह की एडी एक बार फिर हवा में और आंखे बंद कर अपने चूतड़ टाइट कर पूरी ताकत से उसने सुपाड़ा सिला हुआ था और फिर एकदम से उसने सब कुछ अपना ढीला छोड़ दिया


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: ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् यूयू बिच ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह यशस् अह्ह्ह्ह भाभीई ओह्ह्ह्ह कम्मो मेरी रानी सीईईई ओह्ह्ह
अब तो थोक के भाव में मलाई निकल रही थी और सारी सारी शिला के मुंह में
एक के बाद एक मोटी थक्केदार व्हाइट मलाई की पिचकारी छूट रही और रज्जो और कम्मो अखीर तक उसका लंड सहलाते रही और शिला उसका वीर्य पीती रही


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फिर शिला ने अच्छे से उसका लंड चाट कर साफ किया और रामसिंह हाफ कर खड़ा हो गया किचन स्लैब का सहारा लेता हुआ , उसका लंड उस वक्त मूसल से चुचका हुआ बैगन हो गया था और चेहरा तो जैसे सफेद पड़ गया हो
शिला अपने मुंह साफ करते हुए उठी और हस कर रज्जो के कंधे पर हाथ रखते हुए : देखा भाभी , ऐसे निचोड़ा जाता है जंगली सांडो को हाहाहा

रामसिंह समझ गया कि तीनों की मिल कर उसकी रगड़ाई की योजना थी , वो तो बस रात के खाने के पहले थोड़ा सा नाश्ता करने का सोच कर आया था लेकिन यहां तो सबने उसे ही दूह लिया

वही इनसब से अलग मानसिंह काफी देर तक किचन में खिलखिलाहट पाकर उठ कर अंदर गया तो

कम्मो हस कर : आज जाइए भाई साहब आप भी लाइन में लग जाइए

मानसिंह वहा की स्थिति देखी और किचन स्लैब पर अपना कमर टीका कर रामसिंह को उसके चुचके लंड के साथ बुझा हुआ देख कर समझ गया कि ये तो गया और अगर वो रुका तो उसकी भी रगड़ाई रात के घमासान से पहले हो ही जाएगी , इसीलिए वो मुस्कुरा कर खिसक लिया और तीनों हस कर मस्त हो गई


प्रतापपुर

: क्या जमाई बाबू आज बड़ा जल्दी भोजन निपटा लिए
: जी बाउजी आप व्यस्त थे तो भूख भी लगी थी
: कोई बात नहीं और बताओ , कुछ उदास दिख रहे हो
: हम्ममम बाऊजी , सोच रहा हूं कल घर निकल जाऊ
: क्यों ? भाई यहां खतीरदारी में कोई कमी तो नहीं
: नहीं नहीं ऐसी बात नहीं है , वो बस सोनल की मां , हाहाहा आप समझ ही रहे है

बनवारी मुस्कुरा कर : हा भाई यहां इस बात की दिक्कत है और कहो तो कमला को
: नहीं नहीं , बाउजी , बीवी की जगह रंडी थोड़ी ले पाएगी
: वाह जमाई बाबू आपकी यही अदा मुझे बड़ी भाती है
: क्या ? ( रंगी खिलकर )
: कि कुछ भी बात हो आप छोटकी ( रागिनी ) को शामिल कर लेते हो
: हाहाहा , आप तो जानते ही है , कितनी चंचल है वो और फिर ढलती रात में उसके साथ जो यादें है सीईईई
: हूं हूं समझ रहा हूं हाहाहाहा , पजामे में से भी कोई उसे याद कर रहा है
: बस एक बार आप उसका तरीका देख लो बाउजी , सच कह रहा हूं कि आप भी दीवाने को जाओगे
: ओह्ह्ह्ह जमाई बाबू , क्यों दुखती रग पर हाथ रखते है , कहा छोटकी से मेरा कुछ
: अरे बाउजी आप बस हा तो करिए , सोनल की मां को मनाने की जिम्मेदारी मेरी
: क्या सच में ?
: आपसे क्यों झूठ कहूंगा बाउजी , और फिर उसपर तो आपका मुझसे ज्यादा हक है । मै तो रोकूंगा
: लेकिन इतनी जल्दी ? कैसे ?
: मेरे साथ चलिए कल देखते है कुछ जुगाड़ , नहीं हुआ तो अपनी लाडली के चूतड़ देख लेना और सच कहूं तो शायद इसी बहाने वो भी मेरे जज्बात समझे
: आपके जज्बात मतलब ?
: अरे बाउजी , सोनल को लेकर ? देखिए कई बहुत ईमानदार हूं उसके साथ कभी कुछ नहीं छिपाता उससे और मै चाहता हूं कि वो भी मेरी भावनाएं समझे सोनल को लेकर और मुझे इजाजत देदे और ये सब तभी होगा जब वो पहले आपके साथ
: ओह जमाई बाबू , कभी कभी समझ नहीं आता कि आपके अंदर इतनी दिलेरी आती कैसे है ?
: सच्चा प्यार किसी भी बात से नहीं डरता बाउजी
: ओह्ह्ह मेरे शेर दिल , फिर क्या कमला वाली बात भी करोगे छोटकी से
: हा जरूर थोड़ा अपने तरीके से बताता पड़ेगा
: वो कैसे? ( बनवारी जिज्ञासु होकर कहा )
: सच बताऊं सुन लोगे
: हा हा कहो न
: बाउजी रागिनी को अपनी गाड़ चटवाना बहुत पसंद है , क्योंकि उसे ये पता है कि मै रज्जो जीजी के भड़कीले चूतड़ों का दीवाना हूं तो अकसर मेरे ऊपर बैठ जाती है अपने चूतड़ रख कर और मै उसे चाटता हूं और उसकी बुर का पानी पिता हूं । उसके भी अरमान थे कि उसका भी बदन रज्जो जीजी जैसा हो जाए और फिर मुझे खुश रखने के लिए कभी कभी रज्जो जीजी बन आती है । और आप तो मेरी रज्जो जीजी के लिए दीवानगी जानते है उनके चूतड़ सामने हो तो मै खुद को रोक पाता हूं और उसे बहुत पसंद आता है

: ओह्ह्ह जमाई बाबू , सीईईई सच कहा रज्जो की गाड़ का कोई जवाब नहीं सीई इतने बड़े बड़े रसीले मटके जैसे है और झुक जाए तो पहाड़ जैसे फैल जाते है उम्ममम
: सच कह रहे है बाउजी एक बार आप रागिनी की गाड़ चाटना , वो अपने नरम चर्बीदार चूतड़ों को जब आपके मुंह पर फेकेगी न ओह्ह्ह और गंध ओह्ह्ह्ह बाबूजी मै तो सोच कर ही झड़ जाऊंगा

: अह्ह्ह्ह जमाई बाबू मेरा भी कुछ ऐसा ही हाल है सीईईई ओह्ह्ह
तभी एकदम से दरवाजे पर आहट हुई और दोनों सतर्क होकर अपने लंड को छोड़ दिए

ये गीता थी जो अपने दादू के पास आई थी

एकदम से वो रंगी को बनवारी के पास बैठा देख कर ठिठक गई कि कही उसकी बात तो नहीं कर रहे थे दादू से

: क्या हुआ मीठी
: दादू मुझे आपके पास सोना है , मै अब गुड़िया के पास नहीं सोऊंगी ( नजरे चुराते हुए रंगी को देख कर बोली )
: अरे लेकिन आज तो जमाई बाबू सो रहे थे ?
रंगी तो गीता के सारे इरादे भाप रहा था कि रात में वो अपने दादा के लंड के साथ क्या क्या करेगी और वो मुस्कुरा कर बिस्तर से उठने लगा : अरे नहीं बाउजी इसको सोने दीजिए नहीं तो फिर से नाराज हो गई तो हाहाहाहाहा , आजा गीता तू आराम कर मै चलता हूं बाउजी अपने कमरे में

गीता रंगी का सपोर्ट पाकर मुस्कुरा कर उसे देखा और झट से बनवारी के कम्बल में घुस गई ।

रंगी हस कर : देखिएगा बाउजी ये बड़ी चुलबुली है और जिद्दी भी
बनवारी हस कर गीता को कंधे से पकड़ कर अपनी ओर खींचता हुआ : अरे कोई बात नहीं जमाई बाबू हाहाहा मेरी लाडली है इसका तो हक होता है जिद करे , क्यों बेटा
गीता अपने दादू से लिपट कर मुस्कुराने लगी और रंगी ये देख कर सिहर उठा


रंगी ने उसे देखा और फिर मुस्कुराता हुआ निकल गया अपने कमरे में और अटैच दरवाजा अपनी ओर से बंद कर दिया ।
फिर बिस्तर पर लेट कर बबीता की राह निहारने लगा करीब 20 मिनट बीत गए लेकिन उसका कोई अता पता नहीं चला
रंगी बेचैन होकर उठा और उसके कमरे की ओर गया तो पाया दरवाजा अन्दर से बंद है और कान लगा कर सुना तो उसके हल्के खिलखिलाने और फुसफुसाहट आ रही थी ।
साफ था कि वो फोन पर किसी से बात कर रही है

रंगी की सुलग कर रह गई कि बबीता ने उसको ठेंगा दिखा दिया था , सुबह से ही रंगी का लंड खड़ा हो हो दर्द होने लगा था, पहले सोनल और रज्जो की बाते फिर गीता के साथ काम होते होते रह गया और सुनीता भी आज अपने पति के साथ लगी थी दुपहर से और बबीता से थोड़ी बहुत उम्मीद जगी थी तो वो भी आज लटका कर चली गई , अब तो रंगी ने पूरा मन बना लिया था कि कल के कल ही वो निकल लेगा घर के लिए कम से कम चूत के लिए तरसना तो नहीं पड़ेगा ।

निराश होकर वो अपने कमरे में चला आया और कुछ बैठे रहने के बाद एकदम से उसके जहन में गीता का ख्याल आया कि क्यों न अगर बनवारी सो गया हो तो गीता को बुला ले
एक टूटी हुई उम्मीद सी जगी उसके दिल में और वो हौले से अपने कमरे से अंदर अटैच वाला दरवाजा खोला और हल्का सा गैप से झांका तो एकदम से चौक गया
गीता तो बनवारी का लंड निकाल कर चूसना शुरू कर चुकी थी , बड़े ही इत्मीनान से हौले हौले वो सुपाड़े को चुभला रही थी और रंगी ने जब अपने ससुर को देखा तो वो आंखे बंद कर गीता के सर को सहला रहा था


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सीईईई बाउजी गीता से खुद ओह्ह्ह्ह कितने रसीले होठ है उसके पूरा लंड गिला कर दिया है इसने तो अह्ह्ह्ह्ह
रंगी दरवाजे के गैप से अंदर देखता हुआ अपना लंड मिस कर बुदबुदाया

वही गीता को भनक पड़ गई थी कि रंगी उसे देख रहा है लेकिन अब उसे कोई डर नहीं था और उसने तो इस बार रंगी की आंखों में आंखे डाल कर अपने दादा जी का मोटा काला मूसल चूस रही थी और ये देख कर रंगी का लंड झटके खाने लगा और वो अपना लंड निकाल कर बाहर करके हिलाने लगा , गीता ने ये देख लिया और लंड छोड़ दिया

: दादू
: हा बेटा क्या हुआ
: मै आती हूं देखूं फूफा जी सो गए क्या ?
: हा बेटा देख ले फिर आ जल्दी से , उफ्फ तूने तो पूरा टाइट कर दिया है

ये बोलकर गीता बिस्तर से सरक कर नीचे उतरी और रंगी दरवाजे से हट कर कमरे की दिवाल से लग गया
गीता चुपके से कमरे के दरवाजे से अंदर गई और एकदम से रंगी उसके सामने आ गया
अपना बड़ा सा लंबा खीरे जैसा लंड पकड़ कर हिलाता हुआ
गीता उसे देख कर मुस्कुराई : आपका भी मन हो रहा है न
रंगी अपना लंड हिला कर सिसकता हुआ : सीईईई हा बेटा मेरा भी चूस दे न अह्ह्ह्ह्ह सीईईई
गीता : लेकिन दादू अभी सोए नहीं है
रंगी उसका हाथ पकड़ अपने लंड पर रख दिया : ओह्ह्ह्ह कितने मुलायम है तेरे हाथ बेटा सीईईई ओह्ह्ह

रंगी के लंड में खून का सैलाब आया हुआ था और उसका लंड पूरा टाइट होकर तप रहा था , गीता को उसके लंड का वजन बढ़ता महसूस हो रहा था और वो उसे अपने नरम हथेली से सहलाने लगी : उफ्फ कितना गर्म है और भारी भी लग रहा है
: हा बेटा कबसे तड़प रहा हूं इसको चाट कर ठंडा कर दे न जैसे अपने दादाजी का कर रही थी
गीता उसका लंड सहलाती हुई मुंह से हथेली में थूक लेकर अपने हथेली की कटोरी बना कर रंगी के सूखे सुपाड़े पर घुमाया और रंगी की आंखे उलटने लगी : सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम क्या करती है बेटा ओह्ह्ह्ह
गीता ने थूक को उसके मोटे मूसल जैसे लंड पर मल कर आगे पीछे करने लगी

गीता : आओ चलो
रंगी चौक गया : क्या ? कहा ?
गीता : दादू के पास वही मै आप दोनों को साथ में करूंगी
रंगी एकदम से चौक गया और उसकी थोड़ी फटने लगी : क्या कह रही हो तुम ,
गीता : ओके रुको अभी मै बुलाऊं तो आप आजाना, ओके
रंगी का दिमाग सुन्न हो गया था और गीता कमरे का दरवाजा पूरा खोलकर अपने दादू के पास चली गई और उसका लंड सहलाने लगी

: अरे मीठी , दरवाजा क्यों खोल दिया
गीता ने कुछ नहीं बोला सीधा अपने मुंह में उसका लंड लेकर चूसने लगी और बनवारी की सिसकारियां उठने लगी
: दादू पता है फूफा जी हमें कमरे से देख रहे है
बनवारी एकदम से सकपकाया और अपना लंड छुपाने लगा : क्या ? वो सोए नहीं
गीता उसका लंड कंबल के हाथ डाले सहलाती हुई : हीहीही नहीं , जब मै पहले इसको चूस रही थी न तभी मैने उन्हें देखा और पता है उनका भी बहुत बड़ा और गर्म हो गया है , उनको भी बुला लो न , मैने कहा कि चलो लेकिन वो नहीं आ रहे है

बनवारी को समझ नहीं आ रहा था कि क्या चल रहा है और उसका लंड भी मुरझाने लगा था

इधर रंगी समझ गया कि गीता ने आधी अधूरी बात कह कर सारा खेल बिगाड़ दिया और वो अपने कमरे से निकल कर बनवारी के कमरे में आया

: ज जमाई बाबू आप ( बनवारी थोड़ा हिचका )
: परेशान न हो बाउजी जी , ये तो मैने आज सुबह ही देखा था जब आप सो रहे थे और तब भी ये चुलबुली अपनी मिठाई खोजती हुई यहां आ गई थी
: मतलब मै समझा नहीं

फिर रंगी हंसता हुआ आकर बनवारी के पास बैठ जाता है और उसे सुबह से हुई उसकी और गीता की वो सब बातें बताता है कि कैसे गीता ने उसे बाथरूम में लंड हिलाते पकड़ा , फिर रंगी ने गीता को लंड चूसते पकड़ा , फिर उन दोनों को मस्ती करते हुए सुनीता ने पकड़ा , और इतनी सारी पकड़ा पकड़ी का नतीजा है कि आज मै बहुत परेशान था और नीद नहीं आ रही थी तो सोचा आपसे बात कर लूं और देखा तो ये यहां खेल रही थी ।


बनवारी कुछ सोच कर गीता को देखते हुए : तो इसीलिए बहु ने तुझे मारा था दुपहर में, तू जमाई बाबू के साथ थी
: हीहीही ( गीता दांत दिखाने लगी )
: मै कह रहा था न बाउजी बहुत चुलबुली है ये और जिद्दी भी
बनवारी हस कर : फिर तो सही पिटाई हुई तेरी , और जमाई बाबू इसने आपके साथ जो शरारत की उसके लिए माफ कीजियेगा , थोड़ी जिद्दी है और इसकी जिद के आगे मै भी हार ही गया

: हाहाहाहाहा वो तो दिख ही रहा है , लेकिन अब जो इंजॉय कर रहे है तो खुल के कीजिए ये पर्दा क्यों

रंगी ने कम्बल हटाया तो लंड गीता उसका लंड पकड़े हुए थी : देखिए मीठी को उसका खिलौना कितना पसंद है वो नहीं छोड़ने वाली हाहाहाहाहाहाहा

बनवारी हंसता हुआ : सच कहा जमाई बाबू , वैसे आप भी अपना खिलौना निकालिए मीठी उसे भी दुलारेगी क्यों बेटा करेगी न
गीता ने थोड़ा शर्मा कर थोड़ा उत्साहित होकर हा में सर हिलाया और पजामे से अपना लंड बाहर निकाल कर सहलाने लगा

गीता ने एक नजर उसे देखा और वापस से बनवारी का लंड चूसने लगी : ओह्ह्ह्ह मीठी सीई ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह क्या गजब का सुकून है जमाई बाबू

रंगी की लार टपकने लगी बनवारी की सिसकिया सुन कर और बनवारी ने गीता को इशारा कर रंगी के पास जाने को कहा
गीता थोड़ी मुस्कुरा कर खड़ी होकर रंगी के पास जा रही थी कि एकदम से रंगी ने उसे पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया और वो दोनों ससुर दामाद के बीच आ गिरी खिलखिलाती हुई
पूरा कमरा बनवारी के ठहाके और गीता की खिलखिलाहट से गूंज उठा

: जरा इधर आ और सुबह की उधारी पहले पूरी कर ( रंगी ने उसको अपनी बाहों में भरते हुए कहा )
: सुबह की उधारी मतलब जमाई बाबू ? ( बनवारी ने हस कर सवाल किया
: ओह्ह्ह बाउजी सुबह इसके रसीले दूध का स्वाद चखा ही था कि इसकी मम्मी आ गई थी और मै जीभ टपका कर रह गया , जरा इसको निकाल न ( रंगी ने गीता की टीशर्ट निकाल दी और वो अपने हाथों से हस्ती हुई अपने मोटी मोटी नारियल सी चूचियों को छिपाने लगी जो ब्रा में कैद थी )

: उफ्फ मीठी सीई तू तो बड़ी हो गई है , कितनी रसीले दूध है तेरे
: उम्ममम दादा जी आराम से ओह्ह्ह्ह फूफा उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई
दोनों ससुर दामाद ने गीता की रसीली छातियां टटोलनी शुरू कर दी
: उफ्फ बाउजी कितनी मुलायम छाती है अभी से इसकी उम्मम अह्ह्ह्ह्ह जरा निप्पल देखूं तो ( ये कहकर रंगी ने गीता के कंधे से उसकी ब्रा सरका दी और उसके रसीले मम्में को हाथों में भरने लगा ) अह्ह्ह्ह सीई कितनी भारी हो गई है अभी से तेरी छाती

: उम्ममम तो मै क्या करु , मम्मी कहती है कि मैं बड़ी बुआ पर गई हूं
रज्जो का जिक्र आते ही दोनों ससुर दामाद एक दूसरे को देख कर एक शरारत भरी मुस्कुराहट पास करते हैं और अगले ही पल उसके नंगी चूचियों पर टूट पड़ते है

: ओह्ह्ह्ह दादू उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम मम्मा ओह्ह्ह्ह सीईईई और उफ्फ फूफा ओह्ह्ह्ह यशस्स ओह्ह्ह्ह मम्मीईइई सीईईई


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दोनों ससुर दामाद ने एक एक चुची को अच्छे घुला घुला कर निप्पल मुंह में लेकर चूसने लगे और गीता की सिसकियां उठने लगी और वो दोनों के सर को अपने चुचियों पर दबाने लगी
बनवारी तेजी से अपनी जीभ से उसके किशमिश जैसे निप्पल को फ्लिक करने लगा और उसके हाथ नीचे उसके स्कर्ट के अंदर घुस कर उसकी चूत टटोलने लगे और गीता का बदन ऐंठने लगा , वही रंगी उसकी चुची को पकड़ कर पंजे में कसता हुआ उसके निप्पल मुंह में लेकर चुसे जा रहा था ।


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और वही बनवारी ने उसकी स्कर्ट खींच कर उसकी पैंटी में भी खींच कर निकाल दिया और उसकी गीली चूत पर नजर पड़ते ही रंगी ने बिना किसी देर किए अपने उंगलियों को उसके गीली बुर पर रख दिया : इश्श बाउजी उसकी बुर कितनी गीली है

: ओह्ह्ह्ह उम्ममम फूफा जी ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई अह्ह्ह्ह
: क्या हुआ बेटा उम्मम अच्छा नहीं लग रहा है
: ओह्ह्ह्ह बहुत अच्छा लग रहा है ओह्ह्ह्ह मै झड़ रही हूं ओह्ह्ह
रंगी ने अपनी स्पीड बढ़ाते हुए तेजी से उसके बुर के फांके रगड़ने लगा और वही दोनों ससुर दामाद वापस से उसकी निप्पल मुंह लेकर खींचना शुरू कर दिया


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कमरा पूरा गीता की चीखों से गूंज रहा था और उसकी कामुक चीखों से दोनों ससुर दामाद को मजा आ रहा था उसे रंगी तेजी से उसकी बुर के फांके सहला रहा था और गीता अपने कूल्हे उठा कर झड़ रही थी और अपनी जांघें कसने लगी : ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह फूफा जी ओह्ह्ह्ह मम्मीईइईइईई सीईईई ओह्ह्ह और और उम्ममम दादू ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् मीईईईई ओह मम्मीईईईई

रंगी का हाथ तबतक नहीं रुका जबतक कि उसकी हथेली गीता के रस से सराबोर नहीं हो गई और वो उसकी बुर पर उसके पानी को सहलाते हुए लिपने लगा और वही गीता झड़ने के बाद खिल रही थी और हाथ बढ़ा कर अपने दादू का लंड पकड़ लिया और सहलाने लगी
मौका देखकर रंगी ने भी अपना लंड आगे कर दिया और गीता ने दोनों का लंड पकड़ कर हिलाने लगी और मुंह खोलकर रंगी का लंड मुंह में ले लिया और चूसने लगी

: ओह्ह्ह्ह बाउजी सीईईई ओह्ह्ह ये तो उफ्फ
: हा जमाई बाबू ओह्ह्ह्ह मुझे भी वही महसूस हुआ था पहली बार , इसने अपने मम्मी पापा की चुदाई देख कर सब सिखा है सीई ओह गीता उम्ममम


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गीता ने लंड बदल कर बनवारी का लंड मुंह में ले लिया और चूसने लगी
रंगी : उफ्फ फिर तो बड़ी होनहार है ये तो सीई ओह्ह्ह इसका अंदाज तो उम्ममम आपको किसी याद आ रही है बाउजी
बनवारी मुस्कुरा दिया और हल्के से होठ से बडबडा कर रज्जो का नाम लिया और रंगी का लंड और कड़क हो ही गया : ओह्ह्ह्ह बाउजी उम्ममम मुझे तो मेरी सोनल की याद आ रही है वो भी जमाई बाबू का ऐसे ही लंड चूस रही होगी ओह्ह्ह्ह
गीता उन दोनों का लंड पकड़ कर हिलाती हुई हस कर : दादू पता है फूफा न हीहीही सोनल दीदी को पेलना चाहते है उम्ममम सुऊऊऊऊऊरूऊऊऊऊपपपपपप अह्ह्ह्ह
बनवारी रंगी को आंख मार कर हंसता हुआ : क्या सच में जमाई बाबू
रंगी : हा बाउजी आपसे क्या छिपाना अब ओह्ह्ह उसके चूतड़ तो क्या ही कहने ओह्ह्ह्ह सोचता हूं उसकी जवान चूत का स्वाद कैसा होगा


गीता : मेरी चाट के देख लो फूफा जी उम्म्म मै भी आपकी बेटी हूं ,
रंगी एकदम से जोश से भर गया और गीता से लंड छुड़ा कर उसकी जांघों के बीच आ गया और अपनी जीभ चला कर उसके रसीले चूत के फांकों को चाटने लगा

और गीता अपने दादू का लंड मुंह में लेकर चूसने लगी : ओह्ह्ह मीठी सीईईई ओह तू बहुत तेज हो गई है पहले से सीई ओह्ह्ह्ह चाट ले और उम्मम
: उम्ममम अह्ह्ह्ह फूफा जी आराम से ओह्ह्ह्ह मम्मीईइई अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् मीईईईई ओह मम्मीईईईई ओह्ह्ह्ह ( गीता बनवारी का लंड मुंह से निकाल कर हिलाती हुई नीचे देखने लगी कि कैसे रंगी उसकी बुर चूस रहा था


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रंगी ने अपनी जीभ उसके बुर के फांके में डाल दिया था और नचाने लगा
: ओह्ह्ह्ह बेटा लग रहा है जमाई बाबू को अपनी बेटी की बुर बहुत भा गई है क्यों जमाई बाबू
रंगी ऊपर उठ कर गीता के चूचे पकड़ कर मुंह भर लिया और चूस कर : एक बार आप भी टेस्ट करके देखो बाउजी उम्मम बड़ा नमकीन पानी है आपकी नातिन का उम्मम
बनवारी की जीभ भी रस छोड़ने लगी और वो सरक कर गीता के चूत पर चला गया और अपनी जीभ से उसके बुर के फांके पर चलाने लग और रंगी उसकी चूचियां मिज मिज कर पीने लगा


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: ओह्ह्ह्ह दादू मजा आ रहा है और और उम्मम सीईईई ओह्ह्ह डाल दो न प्लीज
: क्या चाहिए उम्मम बोल बेटा क्या लेगी
: लंड डाल दो न फूफा ओह्ह्ह्ह यशस्स अह्ह्ह्ह्ह सीईईई मम्मीइई अह्ह्ह्ह गर्म है और टाइट भी ओह्ह्ह्ह
: ओह्ह्ह्ह जमाई बाबू सच में इसकी बुर कस गई है ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
रंगी अपना लंड गीता के मुंह पर रगड़ता हुआ : ओह्ह्ह्ह बाउजी पेलीये न रगड़ कर ओह्ह्ह्ह ले बेटी चूस उम्मम ओह्ह्ह्ह कितनी रसभरी जीभ है तेरी ओह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
रंगी उसके मुंह ने लंड डाल कर उसकी छातियों को मिजने लगा और वही बनवारी तेजी से उसकी बुर में पेले जा रहा था


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बनवारी की नजरे तो अपने जमाई के अनोखे अंदाज पर थी जिस तरह से रंगी नए नए तरकीब और चुदाई के पैंतरे खोल रहा था , अपनी दुलारी और गुलगुली नातिन की इतनी कामुक मुंह पेलाई देख कर उसका भी जी ललचाने लगा और वो देख रहा था कि रंगी का लंड गीता के लार से लिभड़ाया हुआ
: ओह्ह्ह जमाई बाबू आपका अंदाज तो सबसे अलग है सीईईई उम्ममम
: क्यों बाउजी जगह बदलेंगे क्या ?
बनवारी ने इस पर मुस्कुरा दिया और रंगी ने हस कर गीता ने मुंह से लंड निकाल कर उसको घोड़ी बना दिया और उसकी बजबजाई बुर में पीछे से लंड घुसा दिया : ओह्ह्ह्ह बाउजी ये तो पूरा मक्खन है सीई ओह्ह्ह कितनी गर्म और मुलायम है


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: लेह बेटा चाट इसे उम्मम तेरे नर्म होठ और जीभ का करतब ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई ऐसे ही उम्मम ( वही बनवारी अपने आड़ लेकर गीता के मुंह के आगे खड़ा हो गया और गीता उन्हें चूमने लगी चाटने लगी )

: उन्ह्ह्ह सीईईई क्या मस्त रसीली चूत है तेरी गीता ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह लंड तो एकदम मक्खन जैसे सरक रहा है अंदर गपागप ओह्ह्ह्ह बाउजी ऐसे ही रागिनी की बुर जब खूब रस छोड़ती है तो पीछे से पकड़ कर उसको चोदने में बड़ा मजा आता है ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह


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: ओह्ह्ह्ह जमाई बाबू कहे मेरी तकलीफ बढ़ा रहे है सीई ओह्ह्ह्ह बेटा उम्मम ले चूस इसको भी और और अंदर ले हा उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई पूरी घोंट जा ओह्ह्ह ऐसे ही उम्मम
इधर रंगी ने देखा तो बनवारी ने भी अपना पूरा लंड गीता के गले में उतार दिया था और वो जोश में दुगने गति से उसकी नर्म रसीली चूत में पेलने लगा

: ओह्ह्ह्ह बाउजी ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई बहुत रुक नहीं पाऊंगा मैं ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह इसकी चूत बहुत कसी है और सुपाड़ा जल रहा है मेरा अब
: हा जमाई बाबू वही हाल मेरा भी है ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह चूस पूरा निचोड़ लें ओह्ह्ह मेरी जान मेरी लाडो उम्मम अह्ह्ह्ह पेलो जल्दी जल्दी जमाई बाबू मेरा बस आने ही वाला है ओह्ह्ह्ह

: आह बाउजी मेरा भी आयेगा ओह्ह्ह ओह्ह्ह्ह गीता बेटा आजा कहा लेगी मेरा बीज ओह्ह्ह्ह
: इसको तो अपनी छातियों पर लेना है ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह जमाई बाबू आजाओ

रंगी समझ गया था कि पहले भी गीता की जबरजस्त चुदाई हो चुकी है और वो अपना लंड निकाल कर खड़ा हो गया और तेजी से हिलाने लगा गीता की चूची पर वही बनवारी भी अपना लंड उसके चूचों पर घिसने लगा

: ओह्ह्ह्ह बाउजी सीईईई ओह्ह्ह आ रहा है ले बेटा ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई आह्ह्ह्ह


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रंगी लाल ने अपनी पिचकारी छोड़ी और उसे देखते ही बनवारी ने अपना फब्बारा छोड़ दिया
एक के एक दोनों तरफ से मोटी गाढ़ी पिचकारियां गीता के मुंह पर चूचों पर गिरने लगी और गीता जीभ निकाल कर उनके आडू को सहलाती हुई उनके बीज से नहा रही थी

फिर एकदम से रंगी ने अपना रस से लिभड़ाया लंड गीता के होठों पर रगड़ने लगा : ले चाट से बेटा उम्ममम साफ कर दे इसे


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देखा देखी बनवारी ने भी अपना लंड वही दूसरी तरफ से गीता के मुंह पर रख कर हिलाने लगा , गीता के होठ बचे से बीज से लसलसा रहे थे और गीता बारी बारी से दोनों सुपाड़े को मुंह में लेकर चूसने लगी थी ।

कुछ ही देर बाद दोनों ससुर दामाद बिस्तर पर फैल गए और हांफते हुए थोड़ी बातें करने लगे गीता को लेकर , लेकिन अभी भी उनके लंड की कसावट कम नहीं हुई थी और गीता उनके पैरो में बैठकर वापस से उनका लंड पकड़ कर सहला रही थी अगले राउंड की तैयारी में

लेकिन शायद वो भूल चुके थे कमरे का अटैच दरवाजा खुला था जो रंगी के कमरे में जाता था और रंगी ने पहले से बबीता के आने की राह में अपने कमरे का मेन दरवाजा सिर्फ भिड़का रखा था । वही बबीता तो अपने बाबू सोना को बहला कर उसको सुला कर रंगी से मिलने अपना वादा पूरा करने आई थी । लेकिन उसकी आंखे तब चकाचौंध रह गई जब उसने अंदर का कामुक नजारा देखा


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जहां गीता दोनों ससुर दामाद के पैरों के बीच बैठ पर उनके दोनों खड़े हुए लंड को पकड़ कर एक साथ हिला रही थी

जारी रहेगी

( बाकी डील जानते हो , टारगेट बनाए रखो अपडेट जल्दी और बड़े बड़े मिलेंगे 😁 )
Amazing update
 

ajaydas241

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💥अध्याय : 02 💥
UPDATE 024

THE EROTIC SUNDAY 08


" अरे खुशखबरी है मेरी नन्द रानी "
" क्या सच में अमन का छोटा भाई आ रहा है क्या ? "
" मेरी उम्र कहा अब आपको दूसरा भतीजा दे दूं , हा नयकी भौजाई से मांग लो हाहाहाहाहा " , ममता ने किचन में फोन पर संगीता से बात करते हुए मंजू को छेड़ा जो उसके साथ काम में लगी थी
: नयकी भौजाई मतलब ?
: अरे मतलब मुझे मेरी देवरानी मिल गई और अगले हफ्ते शादी भी है
: क्या सच में ? कौन है ? ( फोन पर संगीता एकदम से खुश हो गई )
: अरे वही पुराना माल वापस मिल गया है हाहाहाहाहा

ममता ने मंजू को छेड़ा और संगीता से बात कर रही थी
वही मुरारी अभी अभी बाहर से आ रहा था और हाल में बैठ हुए मदन को देख कर
: मदन जरा कमरे में आओ
: जी भैया
मुरारी उसे बोलकर अपने कमरे में चला गया और मदन थोड़ा असहज था , एक तो शादी और फिर आज दुपहर को कुछ हुआ था उसे लेकर

मदन कमरे में आया तो देखा मुरासुर सोफे पर बैठा हुआ डायरी खोलकर कुछ हिसाब लगा रहा था
: जी भइया
: अरे आओ बैठो , देखो टेंट और कैटरिंग वाले से अभी बात करके मै आ गया हूं, कल सुबह सजावट और लाइट साउंड के लिए बात हो जाएगी । अच्छा तुमने मेहमानों की लिस्ट बनाई
: अह हा भइया, ये देखिए
फिर मुरारी लिस्ट देखने लगा और मदन चुप था । एकदम से
मुरारी समझ रहा था कि मदन आज दुपहर की बात को लेकर असहज था

: तो कब तक चुप रहने का पक्का किया है ( मुरारी ने मेहमानों की लिस्ट पर पेन घुमाते हुए कहा )
: जी भैया ?
: अरे यार , मै दुपहर वाली बात कर रहा हूं
: सॉरी भैया , मुझे नहीं पता था कि आप लोग , सॉरी
: अरे यार हो गया , अब ज्वाइंट परिवार में ऐसी चीजें हो जाती है , इतना मत सोचो। देखो शादी की तैयारी करनी है और देखना तुम्हारी वजह अमन की मां को असहजता न हो
: जी भैया , ख्याल रखूंगा
: और क्या है तुम तो जान ही रहे हो कि इधर इतने दिन से मै था नहीं तो ... उसका भी मन हो गया और मेरा भी
: जी भैया ( थोड़ा शर्मा रहा था मदन )
: अरे यार तुम शर्मा क्यों रहे हो , हा , अगले हफ्ते तुम्हारी भी सुहागरात होगी हाहाहाहाहा
: क्या भैया आप भी ( मदन एकदम से शर्मिंदा हो गया और मुस्कुराने लगा )
: अरे हा , ममता बता रही थी कि आज तुम लोग थोड़े बहक गए थे उम्मम क्या ये सच है ?
मदन एकदम से चुप हो गया

मुरारी उसके कंधे पर हाथ रखता हुआ : हस कर : अरे तो क्या हो गया , इतना शरमाओ मत , मै भी मर्द हूं मेरे भी जज्बात डोल जाते है हाहाहा क्यों !!

मदन शर्मा कर मुस्कुराता हुआ : जी भैया
मुरारी : हा लेकिन अगर कुछ करना हो वो सब तो भाई ध्यान से कुंडी कड़ी लगा कर , समझे हाहाहाहाहा कही मै गलती से चला गया तो सही नहीं रहेगा न
मदन एकदम शर्म से गाढ़ हो गया : क्या भैया आप भी , शादी से पहले कैसे ?
मुरारी : अरे बेटा हमको चोदना मत सिखाओ , पकड़े गए थे उसी के साथ खेत में भूल गए हाहाहाहाहा
मदन मुस्कुराने लगा जब सालों पुरानी बात उसने खोद निकाली

कमरे का माहौल हसनुमा था कि मुरारी फिर एकदम से सीरियस होकर कहा : देखो मदन ये सब बाते ठीक है लेकिन मैने तुम्हे यहां कुछ बहुत खास बात करने के लिए बुलाया है
मदन थोड़ा शांत होकर : जी भइया कहिए
मुरारी का चेहरा अब एकदम सीरियस था और उसने नजरे उठा कर मदन की आंखों में देखते हुए : देखो अब तुम मंजू के साथ एक नए सफर पर जा रहे हो और शादी के बाद वही तुम्हारी संगिनी बन जाएगी तो ये तुम्हारी जिम्मेदारी है कि तुम उसके साथ ईमानदारी से पेश आओ
मदन : जी भइया मै समझ नहीं पा रहा हूं , साफ साफ कहिए
मुरारी थोड़ा रुक कर : हो सकता है दो दिन बाद ही संगीता आ जाए और तुम्हारा और उसका जो भी रिश्ता है मै चाहता हूं तुम उसे आगे न बढ़ाओ । यही तुम्हारे और मंजू के नए रिश्ते के लिए सही होगा
एकदम से मदन के चेहरे की हवाइयां उड़ गई और उसका माथा पसीना पसीना हो गया
मुरारी उसकी चुप्पी समझ सकता था : हा मुझे पता है और तुम्हारी हरकते ही ऐसी है कि किसी को भी भनक लग जाए , लैला मजनू जैसे इशारेबाजी चलती है तुम्हारी और कबसे चल रहा था तुम्हारा ये सब मुझे तो अमन की शादी के बात पता चली ?

मदन नजरे नीची किए हुए उसका दिल जोरो से धड़क रहा था : भइया वो शादी के दिनों में ही हुआ था , दीदी का नेचर जानते ही हो आप कितनी चंचल है वो और भोला जीजा इतने खुल कर रोमांस कर रहे थे कि मै उनकी ताकि झांक करने को बेचैन हो गया और फिर बहक गया था । लेकिन जो कुछ भी हुआ सब दीदी के पहल से हुआ था
मुरारी का लंड अकड़ रहा था : हा तुम बड़े हरिश्चंद्र हो तुम्हारा खूंटा खड़ा नहीं हुआ होगा ? देखो बात जो भी रही हो आगे से ये सब हरकते नहीं होनी चाहिए और अगर संगीता की तरफ से पहल हो तो मुझे बताओगे , मै उससे बात करूंगा ।

मदन : जी भइया
मुरारी : हम्ममम ठीक है अब जाओ


शिला के घर

: यार भाभी इन मर्दों ने तो हमसे हमारी आजादी छीन ली है ( शिला ने रज्जो को हाल में बैठे हुए रामसिंह और मानसिंह को देखते हुए कहा )
दोनों भाई आज रात के जबर्दस्त गैंगबैंग की योजना का सोच कर अपना लंड मसल रहे थे पेंट में
: हीहीही लग रहा है भाभी आपने अच्छे से निचोड़ा नहीं इनको , देखो तो कैसे धार बढ़ा रहे ( कम्मो ने खिल कर रज्जो के कंधे पर ठोकर मारते हुए कहा )
: अरे तुम दोनों के मर्द तो जंगली सांड है , एक बार चढ़ जाए तो उतरते नहीं जल्दी
: हीहीही दीदी लग रहा है भाभी को अपनी ट्रिक बतानी पड़ेगी
: हा कम्मो सच कह रही है , रज्जो रानी बड़ी भोली है इन्हें जंगली सांडो को कैसे उतारना है पता नहीं है हाहाहाहाहा

: अरे मतलब करना क्या है बताओ तो ( रज्जो थोड़ा कन्फ्यूज थी )
शिला ने रज्जो के कान में फुसफुसाई
: ओह्ह्ह , उम्मम फिर तो कोई नहीं बचेगा इस ट्रिक से


वही दूसरी ओर हाल में बैठे हुए तीनों गदराई औरतों के चूतड़ नाइटी में उठे थे और उन्हें देख कर
: भैया मुझसे और नहीं रुका जाएगा सीई , मै जाऊ क्या ?
: अरे पागल अरुण अभी सोया नहीं है
: आप उसपर ध्यान रखो जरा मैं बस थोड़ी सी मस्ती करके आता हूं ( ये बोलकर रामसिंह उठ कर किचन की ओर आ रहा है )
मानसिंह ने उसे रोकना चाहा लेकिन रामसिंह नहीं माना और उठ कर अपना लंड मसल कर बढ़ गया


शिला उसको आता देख बुदबुदाई : एक सांड आ रहा है फिलहाल इसको थोड़ा सा मजा देकर उतावला करना है , तैयार हो जाओ रंडियों
शिला की बात पर रज्जो और कम्मो खिलखिलाई
रामसिंह आते ही कम्मो और रज्जो के बीच खड़ा हो गया और दोनों के कूल्हे पर हाथ रख कर सहलाता हुआ : क्या बन रहा है कम्मो , महक तो अच्छी है

कम्मो ने धीरे से अपना हाथ उसके टाइट पेंट के ऊपर रख दिया और लंड पकड़ कर : फिलहाल तो मेरा मूड बन रहा है मेरे राजा
रामसिंह को उम्मीद नहीं थी कि कम्मो एकदम से उसका लंड पकड़ लेगी
रामसिंह : ओह्ह्ह्ह थोड़ा सब्र करो न
फिर शिला ने रज्जो को इशारा किया और रज्जो ने भी दूसरी तरफ से हाथ बढ़ा कर उसकी जांघ को सहलाने लगी : कितना सबर करे हम सब उम्मम नहीं रहा जाता सीईईई ओह्ह्ह

दोनों गरमाई औरतों के स्पर्श से रामसिंह का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा और पेंट में पूरा टाइट हो गया और कम्मो और रज्जो दोनों मिलकर उससे चिपकने लगी उसके गर्दन और सीने पर अपने चेहरे रेंगाने लगी
जिससे रामसिंह की धड़कने बढ़ने लगी उसकी सांस भी उखड़ने लगी ,,आंखे बंद कर वो अपने दोनों पंजों में रज्जो और कम्मो के चूतड़ मसलने लगा था
इतने में शिला धीरे से उसके आगे आई और नीचे बैठ कर उसका पेंट खोल दिया और लंड बाहर कर दिया
एकदम से रामसिंह से आंख खोलकर देखा तो शिला नीचे थे उसके बेलन जैसे कड़े मोटे काले लंड देखती हुई
: भाभीईईई ओह्ह्ह्ह उम्ममम
: उफ्फ नंदोई जी कितना बड़ा बांस जैसा हथियार है आपका रज्जो ने साइड से रामसिंह के हवा में झूल रहे लंड को सहलाया और आड़ को हथेली में रख लिया
जिससे उसके लंड की नशे और तन गई
: सीईईई ओह्ह्ह रज्जो भाभीईईई
: हा मेरे राजा , आज तो आपका लंड बड़ा लग रहा है क्यों दीदी ( कम्मो ने दूसरी ओर से रामसिंह के लंड की चमड़ी पकड़ कर पीछे किया और रज्जो ने आड़ को हथेली में टाइट कर दिया
पूरा का पूरा लंड एकदम से टाइट और सुपाड़ा भी अपना मुंह खोल दिया
: हा कम्मो देवर जी के लंड की खुशबू तो देख उम्ममम क्या मस्त रसगुल्ले जैसा दिख रहा है
: चाट लो दीदी न या मै आऊ ( रज्जो ने रामसिंह के आड टटोलते हुए कहा )
: नहीं मै दूंगी किसी को उम्ममम सीईईई

एकदम से रामसिंह के चूतड़ टाइट हो गए और वो एड़ियों के बल खड़े होने लगा उसने दोनों पंजों से रज्जो और कम्मो के चूतड़ में नाखून गाड़ दिए हो मानो और वही नीचे शिला ने अपनी जीभ की टिप से उसके सूखे लाल सुपाड़े के होल को छेड़ रही थी : ओह्ह्ह्ह भाभीईई उम्ममम सीईईई कितनी सुखा है ओह्ह्ह्ह मै गिर जाऊंगा


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रज्जो मुस्कुरा कर : हमारे रहते नहीं नंदोई जी , क्यों कम्मो
कम्मो उसका लंड सहला कर : हा मेरे राजा मै नहीं गिरने दूंगी आपको

: ओह्ह्ह्ह भाभी चाट लो न क्यों तंग कर रही हो उम्मम
शिला ने मदहोश नजरो से देखा और फिर अपने नरम होठ से उसका सुपाड़ा चूम लिया
: सीईईई ओह्ह्ह भाभी अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह गॉड
फिर शिला ने उसका लंड नीचे से जीभ से टच करते हुए ऊपर आई और पूरा सुपाड़ा मुंह में ले लिया और मुंह में पूरा लार से गिला कर दिया


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इधर रज्जो ने अपनी उंगलियों से उसके आड़ को टटोल रही थी और दबा रही थी और कम्मो के हाथ उसके लंड के तने को भर पुर भर भर चमड़ी आगे पीछे कर रहे थे

: सीई ओह्ह्ह मेरे राजा कितना गर्म लंड है ओह्ह्ह्ह
: ओह्ह्ह तुम लोग मुझे पागल कर रहे हो उम्मम भाभी और लो न अंदर
: दीदी और नंदोई जी का लंड मुंह में सीईईई पूरा चूस लो , कहो तो मै आ जाऊ उम्मम नंदोई जी ( रज्जो के रामसिंह के कान के पास बहुत मादकता से फुसफुसाया और उसके कान को मुंह में लेकर काटने लगी
वही कम्मो ने अपने दूसरा हाथ पीछे से रामसिंह की शर्ट में घुसा कर पीठ पर सहला रही थी और रज्जो ने अपने दूसरे हाथ से रामसिंह के चूतड़ों को सहलाना शुरू कर दिया



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रामसिंह पूरी गिरफ्त में था और नीचे शिला अपनी जीभ का करतब दिखाती हुई बिना एक बार भी उसका लंड छूए सिर्फ मुंह से लंड को गले तक उतारने लगी

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: उम्मम भाभी ओह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम वहा नहीं ( रज्जो ने उसके चूतड़ों पर रेंगते हाथों से अपनी उंगलियां उसके दरारों में घुसाने लगी और रामसिंह बिदकने लगा तो एकदम से कम्मो के उसके लिप्स से अपने लिप्स जोड़ लिए

उम्ममम , रामसिंह की आंखे बड़ी हो गई
इधर रज्जो ने उसके आड़ो को कस लिया मुट्ठी में और पीछे से उसके गाड़ के सुखी सुराख पर थूक लगा चुकी थी जिसे रामसिंह ने अपने चूतड़ कस कर रोकना चाह रहा था और कम्मो ने उसे पूरी तरह अपनी गिरफ्त में लिया उसके लंड की चमड़ी तेजी से आगे पीछे किए जा रही थी और उसके लिप्स को छोड़ने को तैयार नहीं थी
नीचे शिला लगातार एक तय स्पीड के उसका लंड मुंह में लिए हुए थी और

रामसिंह के सबर का फब्बारा उसके आड़ से छूट चुका था और नसे पूरी फूल चुकी थी रज्जो ने हल्की सी ढील दी और उसके आड़ो को अपने हथेली की कटोरी बना कर दुलारा तो सारी मलाई खिसक कर लंड की नसों के भर गई ,लंड एकदम गर्म टाइट और सुपाड़ा पूरा लाल हो गया था , जिसे रामसिंह ने पूरी ताकत से रोका हुआ था

कम्मो ने उसके लिप्स छोड़ते और रामसिंह गहरी सांस लेने लगा मुंह खोलकर और हांफता हुआ : ओह्ह्ह्ह गॉड आने वाला है भाभी
इतना सुनते ही रज्जो ने भी उसका लंड लिया एकदम जड़ में अपनी उंगली की रिंग बनाते हुए , कम्मो ने पहले से ही अपने पंजे के पकड़ रखा और और आगे की बची 4 इंच की जगह को शिला ने मुंह में ले रखा था

कम्मो और रज्जो ने मिलकर तेजी से उसका लंड मुठियाना शुरू किया
रामसिंह की एडी एक बार फिर हवा में और आंखे बंद कर अपने चूतड़ टाइट कर पूरी ताकत से उसने सुपाड़ा सिला हुआ था और फिर एकदम से उसने सब कुछ अपना ढीला छोड़ दिया


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: ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् यूयू बिच ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह यशस् अह्ह्ह्ह भाभीई ओह्ह्ह्ह कम्मो मेरी रानी सीईईई ओह्ह्ह
अब तो थोक के भाव में मलाई निकल रही थी और सारी सारी शिला के मुंह में
एक के बाद एक मोटी थक्केदार व्हाइट मलाई की पिचकारी छूट रही और रज्जो और कम्मो अखीर तक उसका लंड सहलाते रही और शिला उसका वीर्य पीती रही


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फिर शिला ने अच्छे से उसका लंड चाट कर साफ किया और रामसिंह हाफ कर खड़ा हो गया किचन स्लैब का सहारा लेता हुआ , उसका लंड उस वक्त मूसल से चुचका हुआ बैगन हो गया था और चेहरा तो जैसे सफेद पड़ गया हो
शिला अपने मुंह साफ करते हुए उठी और हस कर रज्जो के कंधे पर हाथ रखते हुए : देखा भाभी , ऐसे निचोड़ा जाता है जंगली सांडो को हाहाहा

रामसिंह समझ गया कि तीनों की मिल कर उसकी रगड़ाई की योजना थी , वो तो बस रात के खाने के पहले थोड़ा सा नाश्ता करने का सोच कर आया था लेकिन यहां तो सबने उसे ही दूह लिया

वही इनसब से अलग मानसिंह काफी देर तक किचन में खिलखिलाहट पाकर उठ कर अंदर गया तो

कम्मो हस कर : आज जाइए भाई साहब आप भी लाइन में लग जाइए

मानसिंह वहा की स्थिति देखी और किचन स्लैब पर अपना कमर टीका कर रामसिंह को उसके चुचके लंड के साथ बुझा हुआ देख कर समझ गया कि ये तो गया और अगर वो रुका तो उसकी भी रगड़ाई रात के घमासान से पहले हो ही जाएगी , इसीलिए वो मुस्कुरा कर खिसक लिया और तीनों हस कर मस्त हो गई


प्रतापपुर

: क्या जमाई बाबू आज बड़ा जल्दी भोजन निपटा लिए
: जी बाउजी आप व्यस्त थे तो भूख भी लगी थी
: कोई बात नहीं और बताओ , कुछ उदास दिख रहे हो
: हम्ममम बाऊजी , सोच रहा हूं कल घर निकल जाऊ
: क्यों ? भाई यहां खतीरदारी में कोई कमी तो नहीं
: नहीं नहीं ऐसी बात नहीं है , वो बस सोनल की मां , हाहाहा आप समझ ही रहे है

बनवारी मुस्कुरा कर : हा भाई यहां इस बात की दिक्कत है और कहो तो कमला को
: नहीं नहीं , बाउजी , बीवी की जगह रंडी थोड़ी ले पाएगी
: वाह जमाई बाबू आपकी यही अदा मुझे बड़ी भाती है
: क्या ? ( रंगी खिलकर )
: कि कुछ भी बात हो आप छोटकी ( रागिनी ) को शामिल कर लेते हो
: हाहाहा , आप तो जानते ही है , कितनी चंचल है वो और फिर ढलती रात में उसके साथ जो यादें है सीईईई
: हूं हूं समझ रहा हूं हाहाहाहा , पजामे में से भी कोई उसे याद कर रहा है
: बस एक बार आप उसका तरीका देख लो बाउजी , सच कह रहा हूं कि आप भी दीवाने को जाओगे
: ओह्ह्ह्ह जमाई बाबू , क्यों दुखती रग पर हाथ रखते है , कहा छोटकी से मेरा कुछ
: अरे बाउजी आप बस हा तो करिए , सोनल की मां को मनाने की जिम्मेदारी मेरी
: क्या सच में ?
: आपसे क्यों झूठ कहूंगा बाउजी , और फिर उसपर तो आपका मुझसे ज्यादा हक है । मै तो रोकूंगा
: लेकिन इतनी जल्दी ? कैसे ?
: मेरे साथ चलिए कल देखते है कुछ जुगाड़ , नहीं हुआ तो अपनी लाडली के चूतड़ देख लेना और सच कहूं तो शायद इसी बहाने वो भी मेरे जज्बात समझे
: आपके जज्बात मतलब ?
: अरे बाउजी , सोनल को लेकर ? देखिए कई बहुत ईमानदार हूं उसके साथ कभी कुछ नहीं छिपाता उससे और मै चाहता हूं कि वो भी मेरी भावनाएं समझे सोनल को लेकर और मुझे इजाजत देदे और ये सब तभी होगा जब वो पहले आपके साथ
: ओह जमाई बाबू , कभी कभी समझ नहीं आता कि आपके अंदर इतनी दिलेरी आती कैसे है ?
: सच्चा प्यार किसी भी बात से नहीं डरता बाउजी
: ओह्ह्ह मेरे शेर दिल , फिर क्या कमला वाली बात भी करोगे छोटकी से
: हा जरूर थोड़ा अपने तरीके से बताता पड़ेगा
: वो कैसे? ( बनवारी जिज्ञासु होकर कहा )
: सच बताऊं सुन लोगे
: हा हा कहो न
: बाउजी रागिनी को अपनी गाड़ चटवाना बहुत पसंद है , क्योंकि उसे ये पता है कि मै रज्जो जीजी के भड़कीले चूतड़ों का दीवाना हूं तो अकसर मेरे ऊपर बैठ जाती है अपने चूतड़ रख कर और मै उसे चाटता हूं और उसकी बुर का पानी पिता हूं । उसके भी अरमान थे कि उसका भी बदन रज्जो जीजी जैसा हो जाए और फिर मुझे खुश रखने के लिए कभी कभी रज्जो जीजी बन आती है । और आप तो मेरी रज्जो जीजी के लिए दीवानगी जानते है उनके चूतड़ सामने हो तो मै खुद को रोक पाता हूं और उसे बहुत पसंद आता है

: ओह्ह्ह जमाई बाबू , सीईईई सच कहा रज्जो की गाड़ का कोई जवाब नहीं सीई इतने बड़े बड़े रसीले मटके जैसे है और झुक जाए तो पहाड़ जैसे फैल जाते है उम्ममम
: सच कह रहे है बाउजी एक बार आप रागिनी की गाड़ चाटना , वो अपने नरम चर्बीदार चूतड़ों को जब आपके मुंह पर फेकेगी न ओह्ह्ह और गंध ओह्ह्ह्ह बाबूजी मै तो सोच कर ही झड़ जाऊंगा

: अह्ह्ह्ह जमाई बाबू मेरा भी कुछ ऐसा ही हाल है सीईईई ओह्ह्ह
तभी एकदम से दरवाजे पर आहट हुई और दोनों सतर्क होकर अपने लंड को छोड़ दिए

ये गीता थी जो अपने दादू के पास आई थी

एकदम से वो रंगी को बनवारी के पास बैठा देख कर ठिठक गई कि कही उसकी बात तो नहीं कर रहे थे दादू से

: क्या हुआ मीठी
: दादू मुझे आपके पास सोना है , मै अब गुड़िया के पास नहीं सोऊंगी ( नजरे चुराते हुए रंगी को देख कर बोली )
: अरे लेकिन आज तो जमाई बाबू सो रहे थे ?
रंगी तो गीता के सारे इरादे भाप रहा था कि रात में वो अपने दादा के लंड के साथ क्या क्या करेगी और वो मुस्कुरा कर बिस्तर से उठने लगा : अरे नहीं बाउजी इसको सोने दीजिए नहीं तो फिर से नाराज हो गई तो हाहाहाहाहा , आजा गीता तू आराम कर मै चलता हूं बाउजी अपने कमरे में

गीता रंगी का सपोर्ट पाकर मुस्कुरा कर उसे देखा और झट से बनवारी के कम्बल में घुस गई ।

रंगी हस कर : देखिएगा बाउजी ये बड़ी चुलबुली है और जिद्दी भी
बनवारी हस कर गीता को कंधे से पकड़ कर अपनी ओर खींचता हुआ : अरे कोई बात नहीं जमाई बाबू हाहाहा मेरी लाडली है इसका तो हक होता है जिद करे , क्यों बेटा
गीता अपने दादू से लिपट कर मुस्कुराने लगी और रंगी ये देख कर सिहर उठा


रंगी ने उसे देखा और फिर मुस्कुराता हुआ निकल गया अपने कमरे में और अटैच दरवाजा अपनी ओर से बंद कर दिया ।
फिर बिस्तर पर लेट कर बबीता की राह निहारने लगा करीब 20 मिनट बीत गए लेकिन उसका कोई अता पता नहीं चला
रंगी बेचैन होकर उठा और उसके कमरे की ओर गया तो पाया दरवाजा अन्दर से बंद है और कान लगा कर सुना तो उसके हल्के खिलखिलाने और फुसफुसाहट आ रही थी ।
साफ था कि वो फोन पर किसी से बात कर रही है

रंगी की सुलग कर रह गई कि बबीता ने उसको ठेंगा दिखा दिया था , सुबह से ही रंगी का लंड खड़ा हो हो दर्द होने लगा था, पहले सोनल और रज्जो की बाते फिर गीता के साथ काम होते होते रह गया और सुनीता भी आज अपने पति के साथ लगी थी दुपहर से और बबीता से थोड़ी बहुत उम्मीद जगी थी तो वो भी आज लटका कर चली गई , अब तो रंगी ने पूरा मन बना लिया था कि कल के कल ही वो निकल लेगा घर के लिए कम से कम चूत के लिए तरसना तो नहीं पड़ेगा ।

निराश होकर वो अपने कमरे में चला आया और कुछ बैठे रहने के बाद एकदम से उसके जहन में गीता का ख्याल आया कि क्यों न अगर बनवारी सो गया हो तो गीता को बुला ले
एक टूटी हुई उम्मीद सी जगी उसके दिल में और वो हौले से अपने कमरे से अंदर अटैच वाला दरवाजा खोला और हल्का सा गैप से झांका तो एकदम से चौक गया
गीता तो बनवारी का लंड निकाल कर चूसना शुरू कर चुकी थी , बड़े ही इत्मीनान से हौले हौले वो सुपाड़े को चुभला रही थी और रंगी ने जब अपने ससुर को देखा तो वो आंखे बंद कर गीता के सर को सहला रहा था


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सीईईई बाउजी गीता से खुद ओह्ह्ह्ह कितने रसीले होठ है उसके पूरा लंड गिला कर दिया है इसने तो अह्ह्ह्ह्ह
रंगी दरवाजे के गैप से अंदर देखता हुआ अपना लंड मिस कर बुदबुदाया

वही गीता को भनक पड़ गई थी कि रंगी उसे देख रहा है लेकिन अब उसे कोई डर नहीं था और उसने तो इस बार रंगी की आंखों में आंखे डाल कर अपने दादा जी का मोटा काला मूसल चूस रही थी और ये देख कर रंगी का लंड झटके खाने लगा और वो अपना लंड निकाल कर बाहर करके हिलाने लगा , गीता ने ये देख लिया और लंड छोड़ दिया

: दादू
: हा बेटा क्या हुआ
: मै आती हूं देखूं फूफा जी सो गए क्या ?
: हा बेटा देख ले फिर आ जल्दी से , उफ्फ तूने तो पूरा टाइट कर दिया है

ये बोलकर गीता बिस्तर से सरक कर नीचे उतरी और रंगी दरवाजे से हट कर कमरे की दिवाल से लग गया
गीता चुपके से कमरे के दरवाजे से अंदर गई और एकदम से रंगी उसके सामने आ गया
अपना बड़ा सा लंबा खीरे जैसा लंड पकड़ कर हिलाता हुआ
गीता उसे देख कर मुस्कुराई : आपका भी मन हो रहा है न
रंगी अपना लंड हिला कर सिसकता हुआ : सीईईई हा बेटा मेरा भी चूस दे न अह्ह्ह्ह्ह सीईईई
गीता : लेकिन दादू अभी सोए नहीं है
रंगी उसका हाथ पकड़ अपने लंड पर रख दिया : ओह्ह्ह्ह कितने मुलायम है तेरे हाथ बेटा सीईईई ओह्ह्ह

रंगी के लंड में खून का सैलाब आया हुआ था और उसका लंड पूरा टाइट होकर तप रहा था , गीता को उसके लंड का वजन बढ़ता महसूस हो रहा था और वो उसे अपने नरम हथेली से सहलाने लगी : उफ्फ कितना गर्म है और भारी भी लग रहा है
: हा बेटा कबसे तड़प रहा हूं इसको चाट कर ठंडा कर दे न जैसे अपने दादाजी का कर रही थी
गीता उसका लंड सहलाती हुई मुंह से हथेली में थूक लेकर अपने हथेली की कटोरी बना कर रंगी के सूखे सुपाड़े पर घुमाया और रंगी की आंखे उलटने लगी : सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम क्या करती है बेटा ओह्ह्ह्ह
गीता ने थूक को उसके मोटे मूसल जैसे लंड पर मल कर आगे पीछे करने लगी

गीता : आओ चलो
रंगी चौक गया : क्या ? कहा ?
गीता : दादू के पास वही मै आप दोनों को साथ में करूंगी
रंगी एकदम से चौक गया और उसकी थोड़ी फटने लगी : क्या कह रही हो तुम ,
गीता : ओके रुको अभी मै बुलाऊं तो आप आजाना, ओके
रंगी का दिमाग सुन्न हो गया था और गीता कमरे का दरवाजा पूरा खोलकर अपने दादू के पास चली गई और उसका लंड सहलाने लगी

: अरे मीठी , दरवाजा क्यों खोल दिया
गीता ने कुछ नहीं बोला सीधा अपने मुंह में उसका लंड लेकर चूसने लगी और बनवारी की सिसकारियां उठने लगी
: दादू पता है फूफा जी हमें कमरे से देख रहे है
बनवारी एकदम से सकपकाया और अपना लंड छुपाने लगा : क्या ? वो सोए नहीं
गीता उसका लंड कंबल के हाथ डाले सहलाती हुई : हीहीही नहीं , जब मै पहले इसको चूस रही थी न तभी मैने उन्हें देखा और पता है उनका भी बहुत बड़ा और गर्म हो गया है , उनको भी बुला लो न , मैने कहा कि चलो लेकिन वो नहीं आ रहे है

बनवारी को समझ नहीं आ रहा था कि क्या चल रहा है और उसका लंड भी मुरझाने लगा था

इधर रंगी समझ गया कि गीता ने आधी अधूरी बात कह कर सारा खेल बिगाड़ दिया और वो अपने कमरे से निकल कर बनवारी के कमरे में आया

: ज जमाई बाबू आप ( बनवारी थोड़ा हिचका )
: परेशान न हो बाउजी जी , ये तो मैने आज सुबह ही देखा था जब आप सो रहे थे और तब भी ये चुलबुली अपनी मिठाई खोजती हुई यहां आ गई थी
: मतलब मै समझा नहीं

फिर रंगी हंसता हुआ आकर बनवारी के पास बैठ जाता है और उसे सुबह से हुई उसकी और गीता की वो सब बातें बताता है कि कैसे गीता ने उसे बाथरूम में लंड हिलाते पकड़ा , फिर रंगी ने गीता को लंड चूसते पकड़ा , फिर उन दोनों को मस्ती करते हुए सुनीता ने पकड़ा , और इतनी सारी पकड़ा पकड़ी का नतीजा है कि आज मै बहुत परेशान था और नीद नहीं आ रही थी तो सोचा आपसे बात कर लूं और देखा तो ये यहां खेल रही थी ।


बनवारी कुछ सोच कर गीता को देखते हुए : तो इसीलिए बहु ने तुझे मारा था दुपहर में, तू जमाई बाबू के साथ थी
: हीहीही ( गीता दांत दिखाने लगी )
: मै कह रहा था न बाउजी बहुत चुलबुली है ये और जिद्दी भी
बनवारी हस कर : फिर तो सही पिटाई हुई तेरी , और जमाई बाबू इसने आपके साथ जो शरारत की उसके लिए माफ कीजियेगा , थोड़ी जिद्दी है और इसकी जिद के आगे मै भी हार ही गया

: हाहाहाहाहा वो तो दिख ही रहा है , लेकिन अब जो इंजॉय कर रहे है तो खुल के कीजिए ये पर्दा क्यों

रंगी ने कम्बल हटाया तो लंड गीता उसका लंड पकड़े हुए थी : देखिए मीठी को उसका खिलौना कितना पसंद है वो नहीं छोड़ने वाली हाहाहाहाहाहाहा

बनवारी हंसता हुआ : सच कहा जमाई बाबू , वैसे आप भी अपना खिलौना निकालिए मीठी उसे भी दुलारेगी क्यों बेटा करेगी न
गीता ने थोड़ा शर्मा कर थोड़ा उत्साहित होकर हा में सर हिलाया और पजामे से अपना लंड बाहर निकाल कर सहलाने लगा

गीता ने एक नजर उसे देखा और वापस से बनवारी का लंड चूसने लगी : ओह्ह्ह्ह मीठी सीई ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह क्या गजब का सुकून है जमाई बाबू

रंगी की लार टपकने लगी बनवारी की सिसकिया सुन कर और बनवारी ने गीता को इशारा कर रंगी के पास जाने को कहा
गीता थोड़ी मुस्कुरा कर खड़ी होकर रंगी के पास जा रही थी कि एकदम से रंगी ने उसे पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया और वो दोनों ससुर दामाद के बीच आ गिरी खिलखिलाती हुई
पूरा कमरा बनवारी के ठहाके और गीता की खिलखिलाहट से गूंज उठा

: जरा इधर आ और सुबह की उधारी पहले पूरी कर ( रंगी ने उसको अपनी बाहों में भरते हुए कहा )
: सुबह की उधारी मतलब जमाई बाबू ? ( बनवारी ने हस कर सवाल किया
: ओह्ह्ह बाउजी सुबह इसके रसीले दूध का स्वाद चखा ही था कि इसकी मम्मी आ गई थी और मै जीभ टपका कर रह गया , जरा इसको निकाल न ( रंगी ने गीता की टीशर्ट निकाल दी और वो अपने हाथों से हस्ती हुई अपने मोटी मोटी नारियल सी चूचियों को छिपाने लगी जो ब्रा में कैद थी )

: उफ्फ मीठी सीई तू तो बड़ी हो गई है , कितनी रसीले दूध है तेरे
: उम्ममम दादा जी आराम से ओह्ह्ह्ह फूफा उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई
दोनों ससुर दामाद ने गीता की रसीली छातियां टटोलनी शुरू कर दी
: उफ्फ बाउजी कितनी मुलायम छाती है अभी से इसकी उम्मम अह्ह्ह्ह्ह जरा निप्पल देखूं तो ( ये कहकर रंगी ने गीता के कंधे से उसकी ब्रा सरका दी और उसके रसीले मम्में को हाथों में भरने लगा ) अह्ह्ह्ह सीई कितनी भारी हो गई है अभी से तेरी छाती

: उम्ममम तो मै क्या करु , मम्मी कहती है कि मैं बड़ी बुआ पर गई हूं
रज्जो का जिक्र आते ही दोनों ससुर दामाद एक दूसरे को देख कर एक शरारत भरी मुस्कुराहट पास करते हैं और अगले ही पल उसके नंगी चूचियों पर टूट पड़ते है

: ओह्ह्ह्ह दादू उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम मम्मा ओह्ह्ह्ह सीईईई और उफ्फ फूफा ओह्ह्ह्ह यशस्स ओह्ह्ह्ह मम्मीईइई सीईईई


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दोनों ससुर दामाद ने एक एक चुची को अच्छे घुला घुला कर निप्पल मुंह में लेकर चूसने लगे और गीता की सिसकियां उठने लगी और वो दोनों के सर को अपने चुचियों पर दबाने लगी
बनवारी तेजी से अपनी जीभ से उसके किशमिश जैसे निप्पल को फ्लिक करने लगा और उसके हाथ नीचे उसके स्कर्ट के अंदर घुस कर उसकी चूत टटोलने लगे और गीता का बदन ऐंठने लगा , वही रंगी उसकी चुची को पकड़ कर पंजे में कसता हुआ उसके निप्पल मुंह में लेकर चुसे जा रहा था ।


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और वही बनवारी ने उसकी स्कर्ट खींच कर उसकी पैंटी में भी खींच कर निकाल दिया और उसकी गीली चूत पर नजर पड़ते ही रंगी ने बिना किसी देर किए अपने उंगलियों को उसके गीली बुर पर रख दिया : इश्श बाउजी उसकी बुर कितनी गीली है

: ओह्ह्ह्ह उम्ममम फूफा जी ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई अह्ह्ह्ह
: क्या हुआ बेटा उम्मम अच्छा नहीं लग रहा है
: ओह्ह्ह्ह बहुत अच्छा लग रहा है ओह्ह्ह्ह मै झड़ रही हूं ओह्ह्ह
रंगी ने अपनी स्पीड बढ़ाते हुए तेजी से उसके बुर के फांके रगड़ने लगा और वही दोनों ससुर दामाद वापस से उसकी निप्पल मुंह लेकर खींचना शुरू कर दिया


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कमरा पूरा गीता की चीखों से गूंज रहा था और उसकी कामुक चीखों से दोनों ससुर दामाद को मजा आ रहा था उसे रंगी तेजी से उसकी बुर के फांके सहला रहा था और गीता अपने कूल्हे उठा कर झड़ रही थी और अपनी जांघें कसने लगी : ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह फूफा जी ओह्ह्ह्ह मम्मीईइईइईई सीईईई ओह्ह्ह और और उम्ममम दादू ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् मीईईईई ओह मम्मीईईईई

रंगी का हाथ तबतक नहीं रुका जबतक कि उसकी हथेली गीता के रस से सराबोर नहीं हो गई और वो उसकी बुर पर उसके पानी को सहलाते हुए लिपने लगा और वही गीता झड़ने के बाद खिल रही थी और हाथ बढ़ा कर अपने दादू का लंड पकड़ लिया और सहलाने लगी
मौका देखकर रंगी ने भी अपना लंड आगे कर दिया और गीता ने दोनों का लंड पकड़ कर हिलाने लगी और मुंह खोलकर रंगी का लंड मुंह में ले लिया और चूसने लगी

: ओह्ह्ह्ह बाउजी सीईईई ओह्ह्ह ये तो उफ्फ
: हा जमाई बाबू ओह्ह्ह्ह मुझे भी वही महसूस हुआ था पहली बार , इसने अपने मम्मी पापा की चुदाई देख कर सब सिखा है सीई ओह गीता उम्ममम


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गीता ने लंड बदल कर बनवारी का लंड मुंह में ले लिया और चूसने लगी
रंगी : उफ्फ फिर तो बड़ी होनहार है ये तो सीई ओह्ह्ह इसका अंदाज तो उम्ममम आपको किसी याद आ रही है बाउजी
बनवारी मुस्कुरा दिया और हल्के से होठ से बडबडा कर रज्जो का नाम लिया और रंगी का लंड और कड़क हो ही गया : ओह्ह्ह्ह बाउजी उम्ममम मुझे तो मेरी सोनल की याद आ रही है वो भी जमाई बाबू का ऐसे ही लंड चूस रही होगी ओह्ह्ह्ह
गीता उन दोनों का लंड पकड़ कर हिलाती हुई हस कर : दादू पता है फूफा न हीहीही सोनल दीदी को पेलना चाहते है उम्ममम सुऊऊऊऊऊरूऊऊऊऊपपपपपप अह्ह्ह्ह
बनवारी रंगी को आंख मार कर हंसता हुआ : क्या सच में जमाई बाबू
रंगी : हा बाउजी आपसे क्या छिपाना अब ओह्ह्ह उसके चूतड़ तो क्या ही कहने ओह्ह्ह्ह सोचता हूं उसकी जवान चूत का स्वाद कैसा होगा


गीता : मेरी चाट के देख लो फूफा जी उम्म्म मै भी आपकी बेटी हूं ,
रंगी एकदम से जोश से भर गया और गीता से लंड छुड़ा कर उसकी जांघों के बीच आ गया और अपनी जीभ चला कर उसके रसीले चूत के फांकों को चाटने लगा

और गीता अपने दादू का लंड मुंह में लेकर चूसने लगी : ओह्ह्ह मीठी सीईईई ओह तू बहुत तेज हो गई है पहले से सीई ओह्ह्ह्ह चाट ले और उम्मम
: उम्ममम अह्ह्ह्ह फूफा जी आराम से ओह्ह्ह्ह मम्मीईइई अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् मीईईईई ओह मम्मीईईईई ओह्ह्ह्ह ( गीता बनवारी का लंड मुंह से निकाल कर हिलाती हुई नीचे देखने लगी कि कैसे रंगी उसकी बुर चूस रहा था


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रंगी ने अपनी जीभ उसके बुर के फांके में डाल दिया था और नचाने लगा
: ओह्ह्ह्ह बेटा लग रहा है जमाई बाबू को अपनी बेटी की बुर बहुत भा गई है क्यों जमाई बाबू
रंगी ऊपर उठ कर गीता के चूचे पकड़ कर मुंह भर लिया और चूस कर : एक बार आप भी टेस्ट करके देखो बाउजी उम्मम बड़ा नमकीन पानी है आपकी नातिन का उम्मम
बनवारी की जीभ भी रस छोड़ने लगी और वो सरक कर गीता के चूत पर चला गया और अपनी जीभ से उसके बुर के फांके पर चलाने लग और रंगी उसकी चूचियां मिज मिज कर पीने लगा


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: ओह्ह्ह्ह दादू मजा आ रहा है और और उम्मम सीईईई ओह्ह्ह डाल दो न प्लीज
: क्या चाहिए उम्मम बोल बेटा क्या लेगी
: लंड डाल दो न फूफा ओह्ह्ह्ह यशस्स अह्ह्ह्ह्ह सीईईई मम्मीइई अह्ह्ह्ह गर्म है और टाइट भी ओह्ह्ह्ह
: ओह्ह्ह्ह जमाई बाबू सच में इसकी बुर कस गई है ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
रंगी अपना लंड गीता के मुंह पर रगड़ता हुआ : ओह्ह्ह्ह बाउजी पेलीये न रगड़ कर ओह्ह्ह्ह ले बेटी चूस उम्मम ओह्ह्ह्ह कितनी रसभरी जीभ है तेरी ओह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
रंगी उसके मुंह ने लंड डाल कर उसकी छातियों को मिजने लगा और वही बनवारी तेजी से उसकी बुर में पेले जा रहा था


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बनवारी की नजरे तो अपने जमाई के अनोखे अंदाज पर थी जिस तरह से रंगी नए नए तरकीब और चुदाई के पैंतरे खोल रहा था , अपनी दुलारी और गुलगुली नातिन की इतनी कामुक मुंह पेलाई देख कर उसका भी जी ललचाने लगा और वो देख रहा था कि रंगी का लंड गीता के लार से लिभड़ाया हुआ
: ओह्ह्ह जमाई बाबू आपका अंदाज तो सबसे अलग है सीईईई उम्ममम
: क्यों बाउजी जगह बदलेंगे क्या ?
बनवारी ने इस पर मुस्कुरा दिया और रंगी ने हस कर गीता ने मुंह से लंड निकाल कर उसको घोड़ी बना दिया और उसकी बजबजाई बुर में पीछे से लंड घुसा दिया : ओह्ह्ह्ह बाउजी ये तो पूरा मक्खन है सीई ओह्ह्ह कितनी गर्म और मुलायम है


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: लेह बेटा चाट इसे उम्मम तेरे नर्म होठ और जीभ का करतब ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई ऐसे ही उम्मम ( वही बनवारी अपने आड़ लेकर गीता के मुंह के आगे खड़ा हो गया और गीता उन्हें चूमने लगी चाटने लगी )

: उन्ह्ह्ह सीईईई क्या मस्त रसीली चूत है तेरी गीता ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह लंड तो एकदम मक्खन जैसे सरक रहा है अंदर गपागप ओह्ह्ह्ह बाउजी ऐसे ही रागिनी की बुर जब खूब रस छोड़ती है तो पीछे से पकड़ कर उसको चोदने में बड़ा मजा आता है ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह


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: ओह्ह्ह्ह जमाई बाबू कहे मेरी तकलीफ बढ़ा रहे है सीई ओह्ह्ह्ह बेटा उम्मम ले चूस इसको भी और और अंदर ले हा उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई पूरी घोंट जा ओह्ह्ह ऐसे ही उम्मम
इधर रंगी ने देखा तो बनवारी ने भी अपना पूरा लंड गीता के गले में उतार दिया था और वो जोश में दुगने गति से उसकी नर्म रसीली चूत में पेलने लगा

: ओह्ह्ह्ह बाउजी ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई बहुत रुक नहीं पाऊंगा मैं ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह इसकी चूत बहुत कसी है और सुपाड़ा जल रहा है मेरा अब
: हा जमाई बाबू वही हाल मेरा भी है ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह चूस पूरा निचोड़ लें ओह्ह्ह मेरी जान मेरी लाडो उम्मम अह्ह्ह्ह पेलो जल्दी जल्दी जमाई बाबू मेरा बस आने ही वाला है ओह्ह्ह्ह

: आह बाउजी मेरा भी आयेगा ओह्ह्ह ओह्ह्ह्ह गीता बेटा आजा कहा लेगी मेरा बीज ओह्ह्ह्ह
: इसको तो अपनी छातियों पर लेना है ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह जमाई बाबू आजाओ

रंगी समझ गया था कि पहले भी गीता की जबरजस्त चुदाई हो चुकी है और वो अपना लंड निकाल कर खड़ा हो गया और तेजी से हिलाने लगा गीता की चूची पर वही बनवारी भी अपना लंड उसके चूचों पर घिसने लगा

: ओह्ह्ह्ह बाउजी सीईईई ओह्ह्ह आ रहा है ले बेटा ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई आह्ह्ह्ह


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रंगी लाल ने अपनी पिचकारी छोड़ी और उसे देखते ही बनवारी ने अपना फब्बारा छोड़ दिया
एक के एक दोनों तरफ से मोटी गाढ़ी पिचकारियां गीता के मुंह पर चूचों पर गिरने लगी और गीता जीभ निकाल कर उनके आडू को सहलाती हुई उनके बीज से नहा रही थी

फिर एकदम से रंगी ने अपना रस से लिभड़ाया लंड गीता के होठों पर रगड़ने लगा : ले चाट से बेटा उम्ममम साफ कर दे इसे


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देखा देखी बनवारी ने भी अपना लंड वही दूसरी तरफ से गीता के मुंह पर रख कर हिलाने लगा , गीता के होठ बचे से बीज से लसलसा रहे थे और गीता बारी बारी से दोनों सुपाड़े को मुंह में लेकर चूसने लगी थी ।

कुछ ही देर बाद दोनों ससुर दामाद बिस्तर पर फैल गए और हांफते हुए थोड़ी बातें करने लगे गीता को लेकर , लेकिन अभी भी उनके लंड की कसावट कम नहीं हुई थी और गीता उनके पैरो में बैठकर वापस से उनका लंड पकड़ कर सहला रही थी अगले राउंड की तैयारी में

लेकिन शायद वो भूल चुके थे कमरे का अटैच दरवाजा खुला था जो रंगी के कमरे में जाता था और रंगी ने पहले से बबीता के आने की राह में अपने कमरे का मेन दरवाजा सिर्फ भिड़का रखा था । वही बबीता तो अपने बाबू सोना को बहला कर उसको सुला कर रंगी से मिलने अपना वादा पूरा करने आई थी । लेकिन उसकी आंखे तब चकाचौंध रह गई जब उसने अंदर का कामुक नजारा देखा


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जहां गीता दोनों ससुर दामाद के पैरों के बीच बैठ पर उनके दोनों खड़े हुए लंड को पकड़ कर एक साथ हिला रही थी

जारी रहेगी

( बाकी डील जानते हो , टारगेट बनाए रखो अपडेट जल्दी और बड़े बड़े मिलेंगे 😁 )
bahut hii mazedar update
 

insotter

👑
711
1,601
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💥अध्याय : 02 💥
UPDATE 024

THE EROTIC SUNDAY 08


" अरे खुशखबरी है मेरी नन्द रानी "
" क्या सच में अमन का छोटा भाई आ रहा है क्या ? "
" मेरी उम्र कहा अब आपको दूसरा भतीजा दे दूं , हा नयकी भौजाई से मांग लो हाहाहाहाहा " , ममता ने किचन में फोन पर संगीता से बात करते हुए मंजू को छेड़ा जो उसके साथ काम में लगी थी
: नयकी भौजाई मतलब ?
: अरे मतलब मुझे मेरी देवरानी मिल गई और अगले हफ्ते शादी भी है
: क्या सच में ? कौन है ? ( फोन पर संगीता एकदम से खुश हो गई )
: अरे वही पुराना माल वापस मिल गया है हाहाहाहाहा

ममता ने मंजू को छेड़ा और संगीता से बात कर रही थी
वही मुरारी अभी अभी बाहर से आ रहा था और हाल में बैठ हुए मदन को देख कर
: मदन जरा कमरे में आओ
: जी भैया
मुरारी उसे बोलकर अपने कमरे में चला गया और मदन थोड़ा असहज था , एक तो शादी और फिर आज दुपहर को कुछ हुआ था उसे लेकर

मदन कमरे में आया तो देखा मुरासुर सोफे पर बैठा हुआ डायरी खोलकर कुछ हिसाब लगा रहा था
: जी भइया
: अरे आओ बैठो , देखो टेंट और कैटरिंग वाले से अभी बात करके मै आ गया हूं, कल सुबह सजावट और लाइट साउंड के लिए बात हो जाएगी । अच्छा तुमने मेहमानों की लिस्ट बनाई
: अह हा भइया, ये देखिए
फिर मुरारी लिस्ट देखने लगा और मदन चुप था । एकदम से
मुरारी समझ रहा था कि मदन आज दुपहर की बात को लेकर असहज था

: तो कब तक चुप रहने का पक्का किया है ( मुरारी ने मेहमानों की लिस्ट पर पेन घुमाते हुए कहा )
: जी भैया ?
: अरे यार , मै दुपहर वाली बात कर रहा हूं
: सॉरी भैया , मुझे नहीं पता था कि आप लोग , सॉरी
: अरे यार हो गया , अब ज्वाइंट परिवार में ऐसी चीजें हो जाती है , इतना मत सोचो। देखो शादी की तैयारी करनी है और देखना तुम्हारी वजह अमन की मां को असहजता न हो
: जी भैया , ख्याल रखूंगा
: और क्या है तुम तो जान ही रहे हो कि इधर इतने दिन से मै था नहीं तो ... उसका भी मन हो गया और मेरा भी
: जी भैया ( थोड़ा शर्मा रहा था मदन )
: अरे यार तुम शर्मा क्यों रहे हो , हा , अगले हफ्ते तुम्हारी भी सुहागरात होगी हाहाहाहाहा
: क्या भैया आप भी ( मदन एकदम से शर्मिंदा हो गया और मुस्कुराने लगा )
: अरे हा , ममता बता रही थी कि आज तुम लोग थोड़े बहक गए थे उम्मम क्या ये सच है ?
मदन एकदम से चुप हो गया

मुरारी उसके कंधे पर हाथ रखता हुआ : हस कर : अरे तो क्या हो गया , इतना शरमाओ मत , मै भी मर्द हूं मेरे भी जज्बात डोल जाते है हाहाहा क्यों !!

मदन शर्मा कर मुस्कुराता हुआ : जी भैया
मुरारी : हा लेकिन अगर कुछ करना हो वो सब तो भाई ध्यान से कुंडी कड़ी लगा कर , समझे हाहाहाहाहा कही मै गलती से चला गया तो सही नहीं रहेगा न
मदन एकदम शर्म से गाढ़ हो गया : क्या भैया आप भी , शादी से पहले कैसे ?
मुरारी : अरे बेटा हमको चोदना मत सिखाओ , पकड़े गए थे उसी के साथ खेत में भूल गए हाहाहाहाहा
मदन मुस्कुराने लगा जब सालों पुरानी बात उसने खोद निकाली

कमरे का माहौल हसनुमा था कि मुरारी फिर एकदम से सीरियस होकर कहा : देखो मदन ये सब बाते ठीक है लेकिन मैने तुम्हे यहां कुछ बहुत खास बात करने के लिए बुलाया है
मदन थोड़ा शांत होकर : जी भइया कहिए
मुरारी का चेहरा अब एकदम सीरियस था और उसने नजरे उठा कर मदन की आंखों में देखते हुए : देखो अब तुम मंजू के साथ एक नए सफर पर जा रहे हो और शादी के बाद वही तुम्हारी संगिनी बन जाएगी तो ये तुम्हारी जिम्मेदारी है कि तुम उसके साथ ईमानदारी से पेश आओ
मदन : जी भइया मै समझ नहीं पा रहा हूं , साफ साफ कहिए
मुरारी थोड़ा रुक कर : हो सकता है दो दिन बाद ही संगीता आ जाए और तुम्हारा और उसका जो भी रिश्ता है मै चाहता हूं तुम उसे आगे न बढ़ाओ । यही तुम्हारे और मंजू के नए रिश्ते के लिए सही होगा
एकदम से मदन के चेहरे की हवाइयां उड़ गई और उसका माथा पसीना पसीना हो गया
मुरारी उसकी चुप्पी समझ सकता था : हा मुझे पता है और तुम्हारी हरकते ही ऐसी है कि किसी को भी भनक लग जाए , लैला मजनू जैसे इशारेबाजी चलती है तुम्हारी और कबसे चल रहा था तुम्हारा ये सब मुझे तो अमन की शादी के बात पता चली ?

मदन नजरे नीची किए हुए उसका दिल जोरो से धड़क रहा था : भइया वो शादी के दिनों में ही हुआ था , दीदी का नेचर जानते ही हो आप कितनी चंचल है वो और भोला जीजा इतने खुल कर रोमांस कर रहे थे कि मै उनकी ताकि झांक करने को बेचैन हो गया और फिर बहक गया था । लेकिन जो कुछ भी हुआ सब दीदी के पहल से हुआ था
मुरारी का लंड अकड़ रहा था : हा तुम बड़े हरिश्चंद्र हो तुम्हारा खूंटा खड़ा नहीं हुआ होगा ? देखो बात जो भी रही हो आगे से ये सब हरकते नहीं होनी चाहिए और अगर संगीता की तरफ से पहल हो तो मुझे बताओगे , मै उससे बात करूंगा ।

मदन : जी भइया
मुरारी : हम्ममम ठीक है अब जाओ


शिला के घर

: यार भाभी इन मर्दों ने तो हमसे हमारी आजादी छीन ली है ( शिला ने रज्जो को हाल में बैठे हुए रामसिंह और मानसिंह को देखते हुए कहा )
दोनों भाई आज रात के जबर्दस्त गैंगबैंग की योजना का सोच कर अपना लंड मसल रहे थे पेंट में
: हीहीही लग रहा है भाभी आपने अच्छे से निचोड़ा नहीं इनको , देखो तो कैसे धार बढ़ा रहे ( कम्मो ने खिल कर रज्जो के कंधे पर ठोकर मारते हुए कहा )
: अरे तुम दोनों के मर्द तो जंगली सांड है , एक बार चढ़ जाए तो उतरते नहीं जल्दी
: हीहीही दीदी लग रहा है भाभी को अपनी ट्रिक बतानी पड़ेगी
: हा कम्मो सच कह रही है , रज्जो रानी बड़ी भोली है इन्हें जंगली सांडो को कैसे उतारना है पता नहीं है हाहाहाहाहा

: अरे मतलब करना क्या है बताओ तो ( रज्जो थोड़ा कन्फ्यूज थी )
शिला ने रज्जो के कान में फुसफुसाई
: ओह्ह्ह , उम्मम फिर तो कोई नहीं बचेगा इस ट्रिक से


वही दूसरी ओर हाल में बैठे हुए तीनों गदराई औरतों के चूतड़ नाइटी में उठे थे और उन्हें देख कर
: भैया मुझसे और नहीं रुका जाएगा सीई , मै जाऊ क्या ?
: अरे पागल अरुण अभी सोया नहीं है
: आप उसपर ध्यान रखो जरा मैं बस थोड़ी सी मस्ती करके आता हूं ( ये बोलकर रामसिंह उठ कर किचन की ओर आ रहा है )
मानसिंह ने उसे रोकना चाहा लेकिन रामसिंह नहीं माना और उठ कर अपना लंड मसल कर बढ़ गया


शिला उसको आता देख बुदबुदाई : एक सांड आ रहा है फिलहाल इसको थोड़ा सा मजा देकर उतावला करना है , तैयार हो जाओ रंडियों
शिला की बात पर रज्जो और कम्मो खिलखिलाई
रामसिंह आते ही कम्मो और रज्जो के बीच खड़ा हो गया और दोनों के कूल्हे पर हाथ रख कर सहलाता हुआ : क्या बन रहा है कम्मो , महक तो अच्छी है

कम्मो ने धीरे से अपना हाथ उसके टाइट पेंट के ऊपर रख दिया और लंड पकड़ कर : फिलहाल तो मेरा मूड बन रहा है मेरे राजा
रामसिंह को उम्मीद नहीं थी कि कम्मो एकदम से उसका लंड पकड़ लेगी
रामसिंह : ओह्ह्ह्ह थोड़ा सब्र करो न
फिर शिला ने रज्जो को इशारा किया और रज्जो ने भी दूसरी तरफ से हाथ बढ़ा कर उसकी जांघ को सहलाने लगी : कितना सबर करे हम सब उम्मम नहीं रहा जाता सीईईई ओह्ह्ह

दोनों गरमाई औरतों के स्पर्श से रामसिंह का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा और पेंट में पूरा टाइट हो गया और कम्मो और रज्जो दोनों मिलकर उससे चिपकने लगी उसके गर्दन और सीने पर अपने चेहरे रेंगाने लगी
जिससे रामसिंह की धड़कने बढ़ने लगी उसकी सांस भी उखड़ने लगी ,,आंखे बंद कर वो अपने दोनों पंजों में रज्जो और कम्मो के चूतड़ मसलने लगा था
इतने में शिला धीरे से उसके आगे आई और नीचे बैठ कर उसका पेंट खोल दिया और लंड बाहर कर दिया
एकदम से रामसिंह से आंख खोलकर देखा तो शिला नीचे थे उसके बेलन जैसे कड़े मोटे काले लंड देखती हुई
: भाभीईईई ओह्ह्ह्ह उम्ममम
: उफ्फ नंदोई जी कितना बड़ा बांस जैसा हथियार है आपका रज्जो ने साइड से रामसिंह के हवा में झूल रहे लंड को सहलाया और आड़ को हथेली में रख लिया
जिससे उसके लंड की नशे और तन गई
: सीईईई ओह्ह्ह रज्जो भाभीईईई
: हा मेरे राजा , आज तो आपका लंड बड़ा लग रहा है क्यों दीदी ( कम्मो ने दूसरी ओर से रामसिंह के लंड की चमड़ी पकड़ कर पीछे किया और रज्जो ने आड़ को हथेली में टाइट कर दिया
पूरा का पूरा लंड एकदम से टाइट और सुपाड़ा भी अपना मुंह खोल दिया
: हा कम्मो देवर जी के लंड की खुशबू तो देख उम्ममम क्या मस्त रसगुल्ले जैसा दिख रहा है
: चाट लो दीदी न या मै आऊ ( रज्जो ने रामसिंह के आड टटोलते हुए कहा )
: नहीं मै दूंगी किसी को उम्ममम सीईईई

एकदम से रामसिंह के चूतड़ टाइट हो गए और वो एड़ियों के बल खड़े होने लगा उसने दोनों पंजों से रज्जो और कम्मो के चूतड़ में नाखून गाड़ दिए हो मानो और वही नीचे शिला ने अपनी जीभ की टिप से उसके सूखे लाल सुपाड़े के होल को छेड़ रही थी : ओह्ह्ह्ह भाभीईई उम्ममम सीईईई कितनी सुखा है ओह्ह्ह्ह मै गिर जाऊंगा


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रज्जो मुस्कुरा कर : हमारे रहते नहीं नंदोई जी , क्यों कम्मो
कम्मो उसका लंड सहला कर : हा मेरे राजा मै नहीं गिरने दूंगी आपको

: ओह्ह्ह्ह भाभी चाट लो न क्यों तंग कर रही हो उम्मम
शिला ने मदहोश नजरो से देखा और फिर अपने नरम होठ से उसका सुपाड़ा चूम लिया
: सीईईई ओह्ह्ह भाभी अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह गॉड
फिर शिला ने उसका लंड नीचे से जीभ से टच करते हुए ऊपर आई और पूरा सुपाड़ा मुंह में ले लिया और मुंह में पूरा लार से गिला कर दिया


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इधर रज्जो ने अपनी उंगलियों से उसके आड़ को टटोल रही थी और दबा रही थी और कम्मो के हाथ उसके लंड के तने को भर पुर भर भर चमड़ी आगे पीछे कर रहे थे

: सीई ओह्ह्ह मेरे राजा कितना गर्म लंड है ओह्ह्ह्ह
: ओह्ह्ह तुम लोग मुझे पागल कर रहे हो उम्मम भाभी और लो न अंदर
: दीदी और नंदोई जी का लंड मुंह में सीईईई पूरा चूस लो , कहो तो मै आ जाऊ उम्मम नंदोई जी ( रज्जो के रामसिंह के कान के पास बहुत मादकता से फुसफुसाया और उसके कान को मुंह में लेकर काटने लगी
वही कम्मो ने अपने दूसरा हाथ पीछे से रामसिंह की शर्ट में घुसा कर पीठ पर सहला रही थी और रज्जो ने अपने दूसरे हाथ से रामसिंह के चूतड़ों को सहलाना शुरू कर दिया



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रामसिंह पूरी गिरफ्त में था और नीचे शिला अपनी जीभ का करतब दिखाती हुई बिना एक बार भी उसका लंड छूए सिर्फ मुंह से लंड को गले तक उतारने लगी

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: उम्मम भाभी ओह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम वहा नहीं ( रज्जो ने उसके चूतड़ों पर रेंगते हाथों से अपनी उंगलियां उसके दरारों में घुसाने लगी और रामसिंह बिदकने लगा तो एकदम से कम्मो के उसके लिप्स से अपने लिप्स जोड़ लिए

उम्ममम , रामसिंह की आंखे बड़ी हो गई
इधर रज्जो ने उसके आड़ो को कस लिया मुट्ठी में और पीछे से उसके गाड़ के सुखी सुराख पर थूक लगा चुकी थी जिसे रामसिंह ने अपने चूतड़ कस कर रोकना चाह रहा था और कम्मो ने उसे पूरी तरह अपनी गिरफ्त में लिया उसके लंड की चमड़ी तेजी से आगे पीछे किए जा रही थी और उसके लिप्स को छोड़ने को तैयार नहीं थी
नीचे शिला लगातार एक तय स्पीड के उसका लंड मुंह में लिए हुए थी और

रामसिंह के सबर का फब्बारा उसके आड़ से छूट चुका था और नसे पूरी फूल चुकी थी रज्जो ने हल्की सी ढील दी और उसके आड़ो को अपने हथेली की कटोरी बना कर दुलारा तो सारी मलाई खिसक कर लंड की नसों के भर गई ,लंड एकदम गर्म टाइट और सुपाड़ा पूरा लाल हो गया था , जिसे रामसिंह ने पूरी ताकत से रोका हुआ था

कम्मो ने उसके लिप्स छोड़ते और रामसिंह गहरी सांस लेने लगा मुंह खोलकर और हांफता हुआ : ओह्ह्ह्ह गॉड आने वाला है भाभी
इतना सुनते ही रज्जो ने भी उसका लंड लिया एकदम जड़ में अपनी उंगली की रिंग बनाते हुए , कम्मो ने पहले से ही अपने पंजे के पकड़ रखा और और आगे की बची 4 इंच की जगह को शिला ने मुंह में ले रखा था

कम्मो और रज्जो ने मिलकर तेजी से उसका लंड मुठियाना शुरू किया
रामसिंह की एडी एक बार फिर हवा में और आंखे बंद कर अपने चूतड़ टाइट कर पूरी ताकत से उसने सुपाड़ा सिला हुआ था और फिर एकदम से उसने सब कुछ अपना ढीला छोड़ दिया


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: ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् यूयू बिच ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह यशस् अह्ह्ह्ह भाभीई ओह्ह्ह्ह कम्मो मेरी रानी सीईईई ओह्ह्ह
अब तो थोक के भाव में मलाई निकल रही थी और सारी सारी शिला के मुंह में
एक के बाद एक मोटी थक्केदार व्हाइट मलाई की पिचकारी छूट रही और रज्जो और कम्मो अखीर तक उसका लंड सहलाते रही और शिला उसका वीर्य पीती रही


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फिर शिला ने अच्छे से उसका लंड चाट कर साफ किया और रामसिंह हाफ कर खड़ा हो गया किचन स्लैब का सहारा लेता हुआ , उसका लंड उस वक्त मूसल से चुचका हुआ बैगन हो गया था और चेहरा तो जैसे सफेद पड़ गया हो
शिला अपने मुंह साफ करते हुए उठी और हस कर रज्जो के कंधे पर हाथ रखते हुए : देखा भाभी , ऐसे निचोड़ा जाता है जंगली सांडो को हाहाहा

रामसिंह समझ गया कि तीनों की मिल कर उसकी रगड़ाई की योजना थी , वो तो बस रात के खाने के पहले थोड़ा सा नाश्ता करने का सोच कर आया था लेकिन यहां तो सबने उसे ही दूह लिया

वही इनसब से अलग मानसिंह काफी देर तक किचन में खिलखिलाहट पाकर उठ कर अंदर गया तो

कम्मो हस कर : आज जाइए भाई साहब आप भी लाइन में लग जाइए

मानसिंह वहा की स्थिति देखी और किचन स्लैब पर अपना कमर टीका कर रामसिंह को उसके चुचके लंड के साथ बुझा हुआ देख कर समझ गया कि ये तो गया और अगर वो रुका तो उसकी भी रगड़ाई रात के घमासान से पहले हो ही जाएगी , इसीलिए वो मुस्कुरा कर खिसक लिया और तीनों हस कर मस्त हो गई


प्रतापपुर

: क्या जमाई बाबू आज बड़ा जल्दी भोजन निपटा लिए
: जी बाउजी आप व्यस्त थे तो भूख भी लगी थी
: कोई बात नहीं और बताओ , कुछ उदास दिख रहे हो
: हम्ममम बाऊजी , सोच रहा हूं कल घर निकल जाऊ
: क्यों ? भाई यहां खतीरदारी में कोई कमी तो नहीं
: नहीं नहीं ऐसी बात नहीं है , वो बस सोनल की मां , हाहाहा आप समझ ही रहे है

बनवारी मुस्कुरा कर : हा भाई यहां इस बात की दिक्कत है और कहो तो कमला को
: नहीं नहीं , बाउजी , बीवी की जगह रंडी थोड़ी ले पाएगी
: वाह जमाई बाबू आपकी यही अदा मुझे बड़ी भाती है
: क्या ? ( रंगी खिलकर )
: कि कुछ भी बात हो आप छोटकी ( रागिनी ) को शामिल कर लेते हो
: हाहाहा , आप तो जानते ही है , कितनी चंचल है वो और फिर ढलती रात में उसके साथ जो यादें है सीईईई
: हूं हूं समझ रहा हूं हाहाहाहा , पजामे में से भी कोई उसे याद कर रहा है
: बस एक बार आप उसका तरीका देख लो बाउजी , सच कह रहा हूं कि आप भी दीवाने को जाओगे
: ओह्ह्ह्ह जमाई बाबू , क्यों दुखती रग पर हाथ रखते है , कहा छोटकी से मेरा कुछ
: अरे बाउजी आप बस हा तो करिए , सोनल की मां को मनाने की जिम्मेदारी मेरी
: क्या सच में ?
: आपसे क्यों झूठ कहूंगा बाउजी , और फिर उसपर तो आपका मुझसे ज्यादा हक है । मै तो रोकूंगा
: लेकिन इतनी जल्दी ? कैसे ?
: मेरे साथ चलिए कल देखते है कुछ जुगाड़ , नहीं हुआ तो अपनी लाडली के चूतड़ देख लेना और सच कहूं तो शायद इसी बहाने वो भी मेरे जज्बात समझे
: आपके जज्बात मतलब ?
: अरे बाउजी , सोनल को लेकर ? देखिए कई बहुत ईमानदार हूं उसके साथ कभी कुछ नहीं छिपाता उससे और मै चाहता हूं कि वो भी मेरी भावनाएं समझे सोनल को लेकर और मुझे इजाजत देदे और ये सब तभी होगा जब वो पहले आपके साथ
: ओह जमाई बाबू , कभी कभी समझ नहीं आता कि आपके अंदर इतनी दिलेरी आती कैसे है ?
: सच्चा प्यार किसी भी बात से नहीं डरता बाउजी
: ओह्ह्ह मेरे शेर दिल , फिर क्या कमला वाली बात भी करोगे छोटकी से
: हा जरूर थोड़ा अपने तरीके से बताता पड़ेगा
: वो कैसे? ( बनवारी जिज्ञासु होकर कहा )
: सच बताऊं सुन लोगे
: हा हा कहो न
: बाउजी रागिनी को अपनी गाड़ चटवाना बहुत पसंद है , क्योंकि उसे ये पता है कि मै रज्जो जीजी के भड़कीले चूतड़ों का दीवाना हूं तो अकसर मेरे ऊपर बैठ जाती है अपने चूतड़ रख कर और मै उसे चाटता हूं और उसकी बुर का पानी पिता हूं । उसके भी अरमान थे कि उसका भी बदन रज्जो जीजी जैसा हो जाए और फिर मुझे खुश रखने के लिए कभी कभी रज्जो जीजी बन आती है । और आप तो मेरी रज्जो जीजी के लिए दीवानगी जानते है उनके चूतड़ सामने हो तो मै खुद को रोक पाता हूं और उसे बहुत पसंद आता है

: ओह्ह्ह जमाई बाबू , सीईईई सच कहा रज्जो की गाड़ का कोई जवाब नहीं सीई इतने बड़े बड़े रसीले मटके जैसे है और झुक जाए तो पहाड़ जैसे फैल जाते है उम्ममम
: सच कह रहे है बाउजी एक बार आप रागिनी की गाड़ चाटना , वो अपने नरम चर्बीदार चूतड़ों को जब आपके मुंह पर फेकेगी न ओह्ह्ह और गंध ओह्ह्ह्ह बाबूजी मै तो सोच कर ही झड़ जाऊंगा

: अह्ह्ह्ह जमाई बाबू मेरा भी कुछ ऐसा ही हाल है सीईईई ओह्ह्ह
तभी एकदम से दरवाजे पर आहट हुई और दोनों सतर्क होकर अपने लंड को छोड़ दिए

ये गीता थी जो अपने दादू के पास आई थी

एकदम से वो रंगी को बनवारी के पास बैठा देख कर ठिठक गई कि कही उसकी बात तो नहीं कर रहे थे दादू से

: क्या हुआ मीठी
: दादू मुझे आपके पास सोना है , मै अब गुड़िया के पास नहीं सोऊंगी ( नजरे चुराते हुए रंगी को देख कर बोली )
: अरे लेकिन आज तो जमाई बाबू सो रहे थे ?
रंगी तो गीता के सारे इरादे भाप रहा था कि रात में वो अपने दादा के लंड के साथ क्या क्या करेगी और वो मुस्कुरा कर बिस्तर से उठने लगा : अरे नहीं बाउजी इसको सोने दीजिए नहीं तो फिर से नाराज हो गई तो हाहाहाहाहा , आजा गीता तू आराम कर मै चलता हूं बाउजी अपने कमरे में

गीता रंगी का सपोर्ट पाकर मुस्कुरा कर उसे देखा और झट से बनवारी के कम्बल में घुस गई ।

रंगी हस कर : देखिएगा बाउजी ये बड़ी चुलबुली है और जिद्दी भी
बनवारी हस कर गीता को कंधे से पकड़ कर अपनी ओर खींचता हुआ : अरे कोई बात नहीं जमाई बाबू हाहाहा मेरी लाडली है इसका तो हक होता है जिद करे , क्यों बेटा
गीता अपने दादू से लिपट कर मुस्कुराने लगी और रंगी ये देख कर सिहर उठा


रंगी ने उसे देखा और फिर मुस्कुराता हुआ निकल गया अपने कमरे में और अटैच दरवाजा अपनी ओर से बंद कर दिया ।
फिर बिस्तर पर लेट कर बबीता की राह निहारने लगा करीब 20 मिनट बीत गए लेकिन उसका कोई अता पता नहीं चला
रंगी बेचैन होकर उठा और उसके कमरे की ओर गया तो पाया दरवाजा अन्दर से बंद है और कान लगा कर सुना तो उसके हल्के खिलखिलाने और फुसफुसाहट आ रही थी ।
साफ था कि वो फोन पर किसी से बात कर रही है

रंगी की सुलग कर रह गई कि बबीता ने उसको ठेंगा दिखा दिया था , सुबह से ही रंगी का लंड खड़ा हो हो दर्द होने लगा था, पहले सोनल और रज्जो की बाते फिर गीता के साथ काम होते होते रह गया और सुनीता भी आज अपने पति के साथ लगी थी दुपहर से और बबीता से थोड़ी बहुत उम्मीद जगी थी तो वो भी आज लटका कर चली गई , अब तो रंगी ने पूरा मन बना लिया था कि कल के कल ही वो निकल लेगा घर के लिए कम से कम चूत के लिए तरसना तो नहीं पड़ेगा ।

निराश होकर वो अपने कमरे में चला आया और कुछ बैठे रहने के बाद एकदम से उसके जहन में गीता का ख्याल आया कि क्यों न अगर बनवारी सो गया हो तो गीता को बुला ले
एक टूटी हुई उम्मीद सी जगी उसके दिल में और वो हौले से अपने कमरे से अंदर अटैच वाला दरवाजा खोला और हल्का सा गैप से झांका तो एकदम से चौक गया
गीता तो बनवारी का लंड निकाल कर चूसना शुरू कर चुकी थी , बड़े ही इत्मीनान से हौले हौले वो सुपाड़े को चुभला रही थी और रंगी ने जब अपने ससुर को देखा तो वो आंखे बंद कर गीता के सर को सहला रहा था


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सीईईई बाउजी गीता से खुद ओह्ह्ह्ह कितने रसीले होठ है उसके पूरा लंड गिला कर दिया है इसने तो अह्ह्ह्ह्ह
रंगी दरवाजे के गैप से अंदर देखता हुआ अपना लंड मिस कर बुदबुदाया

वही गीता को भनक पड़ गई थी कि रंगी उसे देख रहा है लेकिन अब उसे कोई डर नहीं था और उसने तो इस बार रंगी की आंखों में आंखे डाल कर अपने दादा जी का मोटा काला मूसल चूस रही थी और ये देख कर रंगी का लंड झटके खाने लगा और वो अपना लंड निकाल कर बाहर करके हिलाने लगा , गीता ने ये देख लिया और लंड छोड़ दिया

: दादू
: हा बेटा क्या हुआ
: मै आती हूं देखूं फूफा जी सो गए क्या ?
: हा बेटा देख ले फिर आ जल्दी से , उफ्फ तूने तो पूरा टाइट कर दिया है

ये बोलकर गीता बिस्तर से सरक कर नीचे उतरी और रंगी दरवाजे से हट कर कमरे की दिवाल से लग गया
गीता चुपके से कमरे के दरवाजे से अंदर गई और एकदम से रंगी उसके सामने आ गया
अपना बड़ा सा लंबा खीरे जैसा लंड पकड़ कर हिलाता हुआ
गीता उसे देख कर मुस्कुराई : आपका भी मन हो रहा है न
रंगी अपना लंड हिला कर सिसकता हुआ : सीईईई हा बेटा मेरा भी चूस दे न अह्ह्ह्ह्ह सीईईई
गीता : लेकिन दादू अभी सोए नहीं है
रंगी उसका हाथ पकड़ अपने लंड पर रख दिया : ओह्ह्ह्ह कितने मुलायम है तेरे हाथ बेटा सीईईई ओह्ह्ह

रंगी के लंड में खून का सैलाब आया हुआ था और उसका लंड पूरा टाइट होकर तप रहा था , गीता को उसके लंड का वजन बढ़ता महसूस हो रहा था और वो उसे अपने नरम हथेली से सहलाने लगी : उफ्फ कितना गर्म है और भारी भी लग रहा है
: हा बेटा कबसे तड़प रहा हूं इसको चाट कर ठंडा कर दे न जैसे अपने दादाजी का कर रही थी
गीता उसका लंड सहलाती हुई मुंह से हथेली में थूक लेकर अपने हथेली की कटोरी बना कर रंगी के सूखे सुपाड़े पर घुमाया और रंगी की आंखे उलटने लगी : सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम क्या करती है बेटा ओह्ह्ह्ह
गीता ने थूक को उसके मोटे मूसल जैसे लंड पर मल कर आगे पीछे करने लगी

गीता : आओ चलो
रंगी चौक गया : क्या ? कहा ?
गीता : दादू के पास वही मै आप दोनों को साथ में करूंगी
रंगी एकदम से चौक गया और उसकी थोड़ी फटने लगी : क्या कह रही हो तुम ,
गीता : ओके रुको अभी मै बुलाऊं तो आप आजाना, ओके
रंगी का दिमाग सुन्न हो गया था और गीता कमरे का दरवाजा पूरा खोलकर अपने दादू के पास चली गई और उसका लंड सहलाने लगी

: अरे मीठी , दरवाजा क्यों खोल दिया
गीता ने कुछ नहीं बोला सीधा अपने मुंह में उसका लंड लेकर चूसने लगी और बनवारी की सिसकारियां उठने लगी
: दादू पता है फूफा जी हमें कमरे से देख रहे है
बनवारी एकदम से सकपकाया और अपना लंड छुपाने लगा : क्या ? वो सोए नहीं
गीता उसका लंड कंबल के हाथ डाले सहलाती हुई : हीहीही नहीं , जब मै पहले इसको चूस रही थी न तभी मैने उन्हें देखा और पता है उनका भी बहुत बड़ा और गर्म हो गया है , उनको भी बुला लो न , मैने कहा कि चलो लेकिन वो नहीं आ रहे है

बनवारी को समझ नहीं आ रहा था कि क्या चल रहा है और उसका लंड भी मुरझाने लगा था

इधर रंगी समझ गया कि गीता ने आधी अधूरी बात कह कर सारा खेल बिगाड़ दिया और वो अपने कमरे से निकल कर बनवारी के कमरे में आया

: ज जमाई बाबू आप ( बनवारी थोड़ा हिचका )
: परेशान न हो बाउजी जी , ये तो मैने आज सुबह ही देखा था जब आप सो रहे थे और तब भी ये चुलबुली अपनी मिठाई खोजती हुई यहां आ गई थी
: मतलब मै समझा नहीं

फिर रंगी हंसता हुआ आकर बनवारी के पास बैठ जाता है और उसे सुबह से हुई उसकी और गीता की वो सब बातें बताता है कि कैसे गीता ने उसे बाथरूम में लंड हिलाते पकड़ा , फिर रंगी ने गीता को लंड चूसते पकड़ा , फिर उन दोनों को मस्ती करते हुए सुनीता ने पकड़ा , और इतनी सारी पकड़ा पकड़ी का नतीजा है कि आज मै बहुत परेशान था और नीद नहीं आ रही थी तो सोचा आपसे बात कर लूं और देखा तो ये यहां खेल रही थी ।


बनवारी कुछ सोच कर गीता को देखते हुए : तो इसीलिए बहु ने तुझे मारा था दुपहर में, तू जमाई बाबू के साथ थी
: हीहीही ( गीता दांत दिखाने लगी )
: मै कह रहा था न बाउजी बहुत चुलबुली है ये और जिद्दी भी
बनवारी हस कर : फिर तो सही पिटाई हुई तेरी , और जमाई बाबू इसने आपके साथ जो शरारत की उसके लिए माफ कीजियेगा , थोड़ी जिद्दी है और इसकी जिद के आगे मै भी हार ही गया

: हाहाहाहाहा वो तो दिख ही रहा है , लेकिन अब जो इंजॉय कर रहे है तो खुल के कीजिए ये पर्दा क्यों

रंगी ने कम्बल हटाया तो लंड गीता उसका लंड पकड़े हुए थी : देखिए मीठी को उसका खिलौना कितना पसंद है वो नहीं छोड़ने वाली हाहाहाहाहाहाहा

बनवारी हंसता हुआ : सच कहा जमाई बाबू , वैसे आप भी अपना खिलौना निकालिए मीठी उसे भी दुलारेगी क्यों बेटा करेगी न
गीता ने थोड़ा शर्मा कर थोड़ा उत्साहित होकर हा में सर हिलाया और पजामे से अपना लंड बाहर निकाल कर सहलाने लगा

गीता ने एक नजर उसे देखा और वापस से बनवारी का लंड चूसने लगी : ओह्ह्ह्ह मीठी सीई ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह क्या गजब का सुकून है जमाई बाबू

रंगी की लार टपकने लगी बनवारी की सिसकिया सुन कर और बनवारी ने गीता को इशारा कर रंगी के पास जाने को कहा
गीता थोड़ी मुस्कुरा कर खड़ी होकर रंगी के पास जा रही थी कि एकदम से रंगी ने उसे पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया और वो दोनों ससुर दामाद के बीच आ गिरी खिलखिलाती हुई
पूरा कमरा बनवारी के ठहाके और गीता की खिलखिलाहट से गूंज उठा

: जरा इधर आ और सुबह की उधारी पहले पूरी कर ( रंगी ने उसको अपनी बाहों में भरते हुए कहा )
: सुबह की उधारी मतलब जमाई बाबू ? ( बनवारी ने हस कर सवाल किया
: ओह्ह्ह बाउजी सुबह इसके रसीले दूध का स्वाद चखा ही था कि इसकी मम्मी आ गई थी और मै जीभ टपका कर रह गया , जरा इसको निकाल न ( रंगी ने गीता की टीशर्ट निकाल दी और वो अपने हाथों से हस्ती हुई अपने मोटी मोटी नारियल सी चूचियों को छिपाने लगी जो ब्रा में कैद थी )

: उफ्फ मीठी सीई तू तो बड़ी हो गई है , कितनी रसीले दूध है तेरे
: उम्ममम दादा जी आराम से ओह्ह्ह्ह फूफा उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई
दोनों ससुर दामाद ने गीता की रसीली छातियां टटोलनी शुरू कर दी
: उफ्फ बाउजी कितनी मुलायम छाती है अभी से इसकी उम्मम अह्ह्ह्ह्ह जरा निप्पल देखूं तो ( ये कहकर रंगी ने गीता के कंधे से उसकी ब्रा सरका दी और उसके रसीले मम्में को हाथों में भरने लगा ) अह्ह्ह्ह सीई कितनी भारी हो गई है अभी से तेरी छाती

: उम्ममम तो मै क्या करु , मम्मी कहती है कि मैं बड़ी बुआ पर गई हूं
रज्जो का जिक्र आते ही दोनों ससुर दामाद एक दूसरे को देख कर एक शरारत भरी मुस्कुराहट पास करते हैं और अगले ही पल उसके नंगी चूचियों पर टूट पड़ते है

: ओह्ह्ह्ह दादू उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम मम्मा ओह्ह्ह्ह सीईईई और उफ्फ फूफा ओह्ह्ह्ह यशस्स ओह्ह्ह्ह मम्मीईइई सीईईई


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दोनों ससुर दामाद ने एक एक चुची को अच्छे घुला घुला कर निप्पल मुंह में लेकर चूसने लगे और गीता की सिसकियां उठने लगी और वो दोनों के सर को अपने चुचियों पर दबाने लगी
बनवारी तेजी से अपनी जीभ से उसके किशमिश जैसे निप्पल को फ्लिक करने लगा और उसके हाथ नीचे उसके स्कर्ट के अंदर घुस कर उसकी चूत टटोलने लगे और गीता का बदन ऐंठने लगा , वही रंगी उसकी चुची को पकड़ कर पंजे में कसता हुआ उसके निप्पल मुंह में लेकर चुसे जा रहा था ।


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और वही बनवारी ने उसकी स्कर्ट खींच कर उसकी पैंटी में भी खींच कर निकाल दिया और उसकी गीली चूत पर नजर पड़ते ही रंगी ने बिना किसी देर किए अपने उंगलियों को उसके गीली बुर पर रख दिया : इश्श बाउजी उसकी बुर कितनी गीली है

: ओह्ह्ह्ह उम्ममम फूफा जी ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई अह्ह्ह्ह
: क्या हुआ बेटा उम्मम अच्छा नहीं लग रहा है
: ओह्ह्ह्ह बहुत अच्छा लग रहा है ओह्ह्ह्ह मै झड़ रही हूं ओह्ह्ह
रंगी ने अपनी स्पीड बढ़ाते हुए तेजी से उसके बुर के फांके रगड़ने लगा और वही दोनों ससुर दामाद वापस से उसकी निप्पल मुंह लेकर खींचना शुरू कर दिया


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कमरा पूरा गीता की चीखों से गूंज रहा था और उसकी कामुक चीखों से दोनों ससुर दामाद को मजा आ रहा था उसे रंगी तेजी से उसकी बुर के फांके सहला रहा था और गीता अपने कूल्हे उठा कर झड़ रही थी और अपनी जांघें कसने लगी : ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह फूफा जी ओह्ह्ह्ह मम्मीईइईइईई सीईईई ओह्ह्ह और और उम्ममम दादू ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् मीईईईई ओह मम्मीईईईई

रंगी का हाथ तबतक नहीं रुका जबतक कि उसकी हथेली गीता के रस से सराबोर नहीं हो गई और वो उसकी बुर पर उसके पानी को सहलाते हुए लिपने लगा और वही गीता झड़ने के बाद खिल रही थी और हाथ बढ़ा कर अपने दादू का लंड पकड़ लिया और सहलाने लगी
मौका देखकर रंगी ने भी अपना लंड आगे कर दिया और गीता ने दोनों का लंड पकड़ कर हिलाने लगी और मुंह खोलकर रंगी का लंड मुंह में ले लिया और चूसने लगी

: ओह्ह्ह्ह बाउजी सीईईई ओह्ह्ह ये तो उफ्फ
: हा जमाई बाबू ओह्ह्ह्ह मुझे भी वही महसूस हुआ था पहली बार , इसने अपने मम्मी पापा की चुदाई देख कर सब सिखा है सीई ओह गीता उम्ममम


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गीता ने लंड बदल कर बनवारी का लंड मुंह में ले लिया और चूसने लगी
रंगी : उफ्फ फिर तो बड़ी होनहार है ये तो सीई ओह्ह्ह इसका अंदाज तो उम्ममम आपको किसी याद आ रही है बाउजी
बनवारी मुस्कुरा दिया और हल्के से होठ से बडबडा कर रज्जो का नाम लिया और रंगी का लंड और कड़क हो ही गया : ओह्ह्ह्ह बाउजी उम्ममम मुझे तो मेरी सोनल की याद आ रही है वो भी जमाई बाबू का ऐसे ही लंड चूस रही होगी ओह्ह्ह्ह
गीता उन दोनों का लंड पकड़ कर हिलाती हुई हस कर : दादू पता है फूफा न हीहीही सोनल दीदी को पेलना चाहते है उम्ममम सुऊऊऊऊऊरूऊऊऊऊपपपपपप अह्ह्ह्ह
बनवारी रंगी को आंख मार कर हंसता हुआ : क्या सच में जमाई बाबू
रंगी : हा बाउजी आपसे क्या छिपाना अब ओह्ह्ह उसके चूतड़ तो क्या ही कहने ओह्ह्ह्ह सोचता हूं उसकी जवान चूत का स्वाद कैसा होगा


गीता : मेरी चाट के देख लो फूफा जी उम्म्म मै भी आपकी बेटी हूं ,
रंगी एकदम से जोश से भर गया और गीता से लंड छुड़ा कर उसकी जांघों के बीच आ गया और अपनी जीभ चला कर उसके रसीले चूत के फांकों को चाटने लगा

और गीता अपने दादू का लंड मुंह में लेकर चूसने लगी : ओह्ह्ह मीठी सीईईई ओह तू बहुत तेज हो गई है पहले से सीई ओह्ह्ह्ह चाट ले और उम्मम
: उम्ममम अह्ह्ह्ह फूफा जी आराम से ओह्ह्ह्ह मम्मीईइई अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् मीईईईई ओह मम्मीईईईई ओह्ह्ह्ह ( गीता बनवारी का लंड मुंह से निकाल कर हिलाती हुई नीचे देखने लगी कि कैसे रंगी उसकी बुर चूस रहा था


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रंगी ने अपनी जीभ उसके बुर के फांके में डाल दिया था और नचाने लगा
: ओह्ह्ह्ह बेटा लग रहा है जमाई बाबू को अपनी बेटी की बुर बहुत भा गई है क्यों जमाई बाबू
रंगी ऊपर उठ कर गीता के चूचे पकड़ कर मुंह भर लिया और चूस कर : एक बार आप भी टेस्ट करके देखो बाउजी उम्मम बड़ा नमकीन पानी है आपकी नातिन का उम्मम
बनवारी की जीभ भी रस छोड़ने लगी और वो सरक कर गीता के चूत पर चला गया और अपनी जीभ से उसके बुर के फांके पर चलाने लग और रंगी उसकी चूचियां मिज मिज कर पीने लगा


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: ओह्ह्ह्ह दादू मजा आ रहा है और और उम्मम सीईईई ओह्ह्ह डाल दो न प्लीज
: क्या चाहिए उम्मम बोल बेटा क्या लेगी
: लंड डाल दो न फूफा ओह्ह्ह्ह यशस्स अह्ह्ह्ह्ह सीईईई मम्मीइई अह्ह्ह्ह गर्म है और टाइट भी ओह्ह्ह्ह
: ओह्ह्ह्ह जमाई बाबू सच में इसकी बुर कस गई है ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
रंगी अपना लंड गीता के मुंह पर रगड़ता हुआ : ओह्ह्ह्ह बाउजी पेलीये न रगड़ कर ओह्ह्ह्ह ले बेटी चूस उम्मम ओह्ह्ह्ह कितनी रसभरी जीभ है तेरी ओह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
रंगी उसके मुंह ने लंड डाल कर उसकी छातियों को मिजने लगा और वही बनवारी तेजी से उसकी बुर में पेले जा रहा था


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बनवारी की नजरे तो अपने जमाई के अनोखे अंदाज पर थी जिस तरह से रंगी नए नए तरकीब और चुदाई के पैंतरे खोल रहा था , अपनी दुलारी और गुलगुली नातिन की इतनी कामुक मुंह पेलाई देख कर उसका भी जी ललचाने लगा और वो देख रहा था कि रंगी का लंड गीता के लार से लिभड़ाया हुआ
: ओह्ह्ह जमाई बाबू आपका अंदाज तो सबसे अलग है सीईईई उम्ममम
: क्यों बाउजी जगह बदलेंगे क्या ?
बनवारी ने इस पर मुस्कुरा दिया और रंगी ने हस कर गीता ने मुंह से लंड निकाल कर उसको घोड़ी बना दिया और उसकी बजबजाई बुर में पीछे से लंड घुसा दिया : ओह्ह्ह्ह बाउजी ये तो पूरा मक्खन है सीई ओह्ह्ह कितनी गर्म और मुलायम है


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: लेह बेटा चाट इसे उम्मम तेरे नर्म होठ और जीभ का करतब ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई ऐसे ही उम्मम ( वही बनवारी अपने आड़ लेकर गीता के मुंह के आगे खड़ा हो गया और गीता उन्हें चूमने लगी चाटने लगी )

: उन्ह्ह्ह सीईईई क्या मस्त रसीली चूत है तेरी गीता ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह लंड तो एकदम मक्खन जैसे सरक रहा है अंदर गपागप ओह्ह्ह्ह बाउजी ऐसे ही रागिनी की बुर जब खूब रस छोड़ती है तो पीछे से पकड़ कर उसको चोदने में बड़ा मजा आता है ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह


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: ओह्ह्ह्ह जमाई बाबू कहे मेरी तकलीफ बढ़ा रहे है सीई ओह्ह्ह्ह बेटा उम्मम ले चूस इसको भी और और अंदर ले हा उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई पूरी घोंट जा ओह्ह्ह ऐसे ही उम्मम
इधर रंगी ने देखा तो बनवारी ने भी अपना पूरा लंड गीता के गले में उतार दिया था और वो जोश में दुगने गति से उसकी नर्म रसीली चूत में पेलने लगा

: ओह्ह्ह्ह बाउजी ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई बहुत रुक नहीं पाऊंगा मैं ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह इसकी चूत बहुत कसी है और सुपाड़ा जल रहा है मेरा अब
: हा जमाई बाबू वही हाल मेरा भी है ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह चूस पूरा निचोड़ लें ओह्ह्ह मेरी जान मेरी लाडो उम्मम अह्ह्ह्ह पेलो जल्दी जल्दी जमाई बाबू मेरा बस आने ही वाला है ओह्ह्ह्ह

: आह बाउजी मेरा भी आयेगा ओह्ह्ह ओह्ह्ह्ह गीता बेटा आजा कहा लेगी मेरा बीज ओह्ह्ह्ह
: इसको तो अपनी छातियों पर लेना है ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह जमाई बाबू आजाओ

रंगी समझ गया था कि पहले भी गीता की जबरजस्त चुदाई हो चुकी है और वो अपना लंड निकाल कर खड़ा हो गया और तेजी से हिलाने लगा गीता की चूची पर वही बनवारी भी अपना लंड उसके चूचों पर घिसने लगा

: ओह्ह्ह्ह बाउजी सीईईई ओह्ह्ह आ रहा है ले बेटा ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई आह्ह्ह्ह


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रंगी लाल ने अपनी पिचकारी छोड़ी और उसे देखते ही बनवारी ने अपना फब्बारा छोड़ दिया
एक के एक दोनों तरफ से मोटी गाढ़ी पिचकारियां गीता के मुंह पर चूचों पर गिरने लगी और गीता जीभ निकाल कर उनके आडू को सहलाती हुई उनके बीज से नहा रही थी

फिर एकदम से रंगी ने अपना रस से लिभड़ाया लंड गीता के होठों पर रगड़ने लगा : ले चाट से बेटा उम्ममम साफ कर दे इसे


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देखा देखी बनवारी ने भी अपना लंड वही दूसरी तरफ से गीता के मुंह पर रख कर हिलाने लगा , गीता के होठ बचे से बीज से लसलसा रहे थे और गीता बारी बारी से दोनों सुपाड़े को मुंह में लेकर चूसने लगी थी ।

कुछ ही देर बाद दोनों ससुर दामाद बिस्तर पर फैल गए और हांफते हुए थोड़ी बातें करने लगे गीता को लेकर , लेकिन अभी भी उनके लंड की कसावट कम नहीं हुई थी और गीता उनके पैरो में बैठकर वापस से उनका लंड पकड़ कर सहला रही थी अगले राउंड की तैयारी में

लेकिन शायद वो भूल चुके थे कमरे का अटैच दरवाजा खुला था जो रंगी के कमरे में जाता था और रंगी ने पहले से बबीता के आने की राह में अपने कमरे का मेन दरवाजा सिर्फ भिड़का रखा था । वही बबीता तो अपने बाबू सोना को बहला कर उसको सुला कर रंगी से मिलने अपना वादा पूरा करने आई थी । लेकिन उसकी आंखे तब चकाचौंध रह गई जब उसने अंदर का कामुक नजारा देखा


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जहां गीता दोनों ससुर दामाद के पैरों के बीच बैठ पर उनके दोनों खड़े हुए लंड को पकड़ कर एक साथ हिला रही थी

जारी रहेगी

( बाकी डील जानते हो , टारगेट बनाए रखो अपडेट जल्दी और बड़े बड़े मिलेंगे 😁 )
Bahut hi kamuk update
 

Deepaksoni

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💥अध्याय : 02 💥
UPDATE 024

THE EROTIC SUNDAY 08


" अरे खुशखबरी है मेरी नन्द रानी "
" क्या सच में अमन का छोटा भाई आ रहा है क्या ? "
" मेरी उम्र कहा अब आपको दूसरा भतीजा दे दूं , हा नयकी भौजाई से मांग लो हाहाहाहाहा " , ममता ने किचन में फोन पर संगीता से बात करते हुए मंजू को छेड़ा जो उसके साथ काम में लगी थी
: नयकी भौजाई मतलब ?
: अरे मतलब मुझे मेरी देवरानी मिल गई और अगले हफ्ते शादी भी है
: क्या सच में ? कौन है ? ( फोन पर संगीता एकदम से खुश हो गई )
: अरे वही पुराना माल वापस मिल गया है हाहाहाहाहा

ममता ने मंजू को छेड़ा और संगीता से बात कर रही थी
वही मुरारी अभी अभी बाहर से आ रहा था और हाल में बैठ हुए मदन को देख कर
: मदन जरा कमरे में आओ
: जी भैया
मुरारी उसे बोलकर अपने कमरे में चला गया और मदन थोड़ा असहज था , एक तो शादी और फिर आज दुपहर को कुछ हुआ था उसे लेकर

मदन कमरे में आया तो देखा मुरासुर सोफे पर बैठा हुआ डायरी खोलकर कुछ हिसाब लगा रहा था
: जी भइया
: अरे आओ बैठो , देखो टेंट और कैटरिंग वाले से अभी बात करके मै आ गया हूं, कल सुबह सजावट और लाइट साउंड के लिए बात हो जाएगी । अच्छा तुमने मेहमानों की लिस्ट बनाई
: अह हा भइया, ये देखिए
फिर मुरारी लिस्ट देखने लगा और मदन चुप था । एकदम से
मुरारी समझ रहा था कि मदन आज दुपहर की बात को लेकर असहज था

: तो कब तक चुप रहने का पक्का किया है ( मुरारी ने मेहमानों की लिस्ट पर पेन घुमाते हुए कहा )
: जी भैया ?
: अरे यार , मै दुपहर वाली बात कर रहा हूं
: सॉरी भैया , मुझे नहीं पता था कि आप लोग , सॉरी
: अरे यार हो गया , अब ज्वाइंट परिवार में ऐसी चीजें हो जाती है , इतना मत सोचो। देखो शादी की तैयारी करनी है और देखना तुम्हारी वजह अमन की मां को असहजता न हो
: जी भैया , ख्याल रखूंगा
: और क्या है तुम तो जान ही रहे हो कि इधर इतने दिन से मै था नहीं तो ... उसका भी मन हो गया और मेरा भी
: जी भैया ( थोड़ा शर्मा रहा था मदन )
: अरे यार तुम शर्मा क्यों रहे हो , हा , अगले हफ्ते तुम्हारी भी सुहागरात होगी हाहाहाहाहा
: क्या भैया आप भी ( मदन एकदम से शर्मिंदा हो गया और मुस्कुराने लगा )
: अरे हा , ममता बता रही थी कि आज तुम लोग थोड़े बहक गए थे उम्मम क्या ये सच है ?
मदन एकदम से चुप हो गया

मुरारी उसके कंधे पर हाथ रखता हुआ : हस कर : अरे तो क्या हो गया , इतना शरमाओ मत , मै भी मर्द हूं मेरे भी जज्बात डोल जाते है हाहाहा क्यों !!

मदन शर्मा कर मुस्कुराता हुआ : जी भैया
मुरारी : हा लेकिन अगर कुछ करना हो वो सब तो भाई ध्यान से कुंडी कड़ी लगा कर , समझे हाहाहाहाहा कही मै गलती से चला गया तो सही नहीं रहेगा न
मदन एकदम शर्म से गाढ़ हो गया : क्या भैया आप भी , शादी से पहले कैसे ?
मुरारी : अरे बेटा हमको चोदना मत सिखाओ , पकड़े गए थे उसी के साथ खेत में भूल गए हाहाहाहाहा
मदन मुस्कुराने लगा जब सालों पुरानी बात उसने खोद निकाली

कमरे का माहौल हसनुमा था कि मुरारी फिर एकदम से सीरियस होकर कहा : देखो मदन ये सब बाते ठीक है लेकिन मैने तुम्हे यहां कुछ बहुत खास बात करने के लिए बुलाया है
मदन थोड़ा शांत होकर : जी भइया कहिए
मुरारी का चेहरा अब एकदम सीरियस था और उसने नजरे उठा कर मदन की आंखों में देखते हुए : देखो अब तुम मंजू के साथ एक नए सफर पर जा रहे हो और शादी के बाद वही तुम्हारी संगिनी बन जाएगी तो ये तुम्हारी जिम्मेदारी है कि तुम उसके साथ ईमानदारी से पेश आओ
मदन : जी भइया मै समझ नहीं पा रहा हूं , साफ साफ कहिए
मुरारी थोड़ा रुक कर : हो सकता है दो दिन बाद ही संगीता आ जाए और तुम्हारा और उसका जो भी रिश्ता है मै चाहता हूं तुम उसे आगे न बढ़ाओ । यही तुम्हारे और मंजू के नए रिश्ते के लिए सही होगा
एकदम से मदन के चेहरे की हवाइयां उड़ गई और उसका माथा पसीना पसीना हो गया
मुरारी उसकी चुप्पी समझ सकता था : हा मुझे पता है और तुम्हारी हरकते ही ऐसी है कि किसी को भी भनक लग जाए , लैला मजनू जैसे इशारेबाजी चलती है तुम्हारी और कबसे चल रहा था तुम्हारा ये सब मुझे तो अमन की शादी के बात पता चली ?

मदन नजरे नीची किए हुए उसका दिल जोरो से धड़क रहा था : भइया वो शादी के दिनों में ही हुआ था , दीदी का नेचर जानते ही हो आप कितनी चंचल है वो और भोला जीजा इतने खुल कर रोमांस कर रहे थे कि मै उनकी ताकि झांक करने को बेचैन हो गया और फिर बहक गया था । लेकिन जो कुछ भी हुआ सब दीदी के पहल से हुआ था
मुरारी का लंड अकड़ रहा था : हा तुम बड़े हरिश्चंद्र हो तुम्हारा खूंटा खड़ा नहीं हुआ होगा ? देखो बात जो भी रही हो आगे से ये सब हरकते नहीं होनी चाहिए और अगर संगीता की तरफ से पहल हो तो मुझे बताओगे , मै उससे बात करूंगा ।

मदन : जी भइया
मुरारी : हम्ममम ठीक है अब जाओ


शिला के घर

: यार भाभी इन मर्दों ने तो हमसे हमारी आजादी छीन ली है ( शिला ने रज्जो को हाल में बैठे हुए रामसिंह और मानसिंह को देखते हुए कहा )
दोनों भाई आज रात के जबर्दस्त गैंगबैंग की योजना का सोच कर अपना लंड मसल रहे थे पेंट में
: हीहीही लग रहा है भाभी आपने अच्छे से निचोड़ा नहीं इनको , देखो तो कैसे धार बढ़ा रहे ( कम्मो ने खिल कर रज्जो के कंधे पर ठोकर मारते हुए कहा )
: अरे तुम दोनों के मर्द तो जंगली सांड है , एक बार चढ़ जाए तो उतरते नहीं जल्दी
: हीहीही दीदी लग रहा है भाभी को अपनी ट्रिक बतानी पड़ेगी
: हा कम्मो सच कह रही है , रज्जो रानी बड़ी भोली है इन्हें जंगली सांडो को कैसे उतारना है पता नहीं है हाहाहाहाहा

: अरे मतलब करना क्या है बताओ तो ( रज्जो थोड़ा कन्फ्यूज थी )
शिला ने रज्जो के कान में फुसफुसाई
: ओह्ह्ह , उम्मम फिर तो कोई नहीं बचेगा इस ट्रिक से


वही दूसरी ओर हाल में बैठे हुए तीनों गदराई औरतों के चूतड़ नाइटी में उठे थे और उन्हें देख कर
: भैया मुझसे और नहीं रुका जाएगा सीई , मै जाऊ क्या ?
: अरे पागल अरुण अभी सोया नहीं है
: आप उसपर ध्यान रखो जरा मैं बस थोड़ी सी मस्ती करके आता हूं ( ये बोलकर रामसिंह उठ कर किचन की ओर आ रहा है )
मानसिंह ने उसे रोकना चाहा लेकिन रामसिंह नहीं माना और उठ कर अपना लंड मसल कर बढ़ गया


शिला उसको आता देख बुदबुदाई : एक सांड आ रहा है फिलहाल इसको थोड़ा सा मजा देकर उतावला करना है , तैयार हो जाओ रंडियों
शिला की बात पर रज्जो और कम्मो खिलखिलाई
रामसिंह आते ही कम्मो और रज्जो के बीच खड़ा हो गया और दोनों के कूल्हे पर हाथ रख कर सहलाता हुआ : क्या बन रहा है कम्मो , महक तो अच्छी है

कम्मो ने धीरे से अपना हाथ उसके टाइट पेंट के ऊपर रख दिया और लंड पकड़ कर : फिलहाल तो मेरा मूड बन रहा है मेरे राजा
रामसिंह को उम्मीद नहीं थी कि कम्मो एकदम से उसका लंड पकड़ लेगी
रामसिंह : ओह्ह्ह्ह थोड़ा सब्र करो न
फिर शिला ने रज्जो को इशारा किया और रज्जो ने भी दूसरी तरफ से हाथ बढ़ा कर उसकी जांघ को सहलाने लगी : कितना सबर करे हम सब उम्मम नहीं रहा जाता सीईईई ओह्ह्ह

दोनों गरमाई औरतों के स्पर्श से रामसिंह का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा और पेंट में पूरा टाइट हो गया और कम्मो और रज्जो दोनों मिलकर उससे चिपकने लगी उसके गर्दन और सीने पर अपने चेहरे रेंगाने लगी
जिससे रामसिंह की धड़कने बढ़ने लगी उसकी सांस भी उखड़ने लगी ,,आंखे बंद कर वो अपने दोनों पंजों में रज्जो और कम्मो के चूतड़ मसलने लगा था
इतने में शिला धीरे से उसके आगे आई और नीचे बैठ कर उसका पेंट खोल दिया और लंड बाहर कर दिया
एकदम से रामसिंह से आंख खोलकर देखा तो शिला नीचे थे उसके बेलन जैसे कड़े मोटे काले लंड देखती हुई
: भाभीईईई ओह्ह्ह्ह उम्ममम
: उफ्फ नंदोई जी कितना बड़ा बांस जैसा हथियार है आपका रज्जो ने साइड से रामसिंह के हवा में झूल रहे लंड को सहलाया और आड़ को हथेली में रख लिया
जिससे उसके लंड की नशे और तन गई
: सीईईई ओह्ह्ह रज्जो भाभीईईई
: हा मेरे राजा , आज तो आपका लंड बड़ा लग रहा है क्यों दीदी ( कम्मो ने दूसरी ओर से रामसिंह के लंड की चमड़ी पकड़ कर पीछे किया और रज्जो ने आड़ को हथेली में टाइट कर दिया
पूरा का पूरा लंड एकदम से टाइट और सुपाड़ा भी अपना मुंह खोल दिया
: हा कम्मो देवर जी के लंड की खुशबू तो देख उम्ममम क्या मस्त रसगुल्ले जैसा दिख रहा है
: चाट लो दीदी न या मै आऊ ( रज्जो ने रामसिंह के आड टटोलते हुए कहा )
: नहीं मै दूंगी किसी को उम्ममम सीईईई

एकदम से रामसिंह के चूतड़ टाइट हो गए और वो एड़ियों के बल खड़े होने लगा उसने दोनों पंजों से रज्जो और कम्मो के चूतड़ में नाखून गाड़ दिए हो मानो और वही नीचे शिला ने अपनी जीभ की टिप से उसके सूखे लाल सुपाड़े के होल को छेड़ रही थी : ओह्ह्ह्ह भाभीईई उम्ममम सीईईई कितनी सुखा है ओह्ह्ह्ह मै गिर जाऊंगा


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रज्जो मुस्कुरा कर : हमारे रहते नहीं नंदोई जी , क्यों कम्मो
कम्मो उसका लंड सहला कर : हा मेरे राजा मै नहीं गिरने दूंगी आपको

: ओह्ह्ह्ह भाभी चाट लो न क्यों तंग कर रही हो उम्मम
शिला ने मदहोश नजरो से देखा और फिर अपने नरम होठ से उसका सुपाड़ा चूम लिया
: सीईईई ओह्ह्ह भाभी अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह गॉड
फिर शिला ने उसका लंड नीचे से जीभ से टच करते हुए ऊपर आई और पूरा सुपाड़ा मुंह में ले लिया और मुंह में पूरा लार से गिला कर दिया


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इधर रज्जो ने अपनी उंगलियों से उसके आड़ को टटोल रही थी और दबा रही थी और कम्मो के हाथ उसके लंड के तने को भर पुर भर भर चमड़ी आगे पीछे कर रहे थे

: सीई ओह्ह्ह मेरे राजा कितना गर्म लंड है ओह्ह्ह्ह
: ओह्ह्ह तुम लोग मुझे पागल कर रहे हो उम्मम भाभी और लो न अंदर
: दीदी और नंदोई जी का लंड मुंह में सीईईई पूरा चूस लो , कहो तो मै आ जाऊ उम्मम नंदोई जी ( रज्जो के रामसिंह के कान के पास बहुत मादकता से फुसफुसाया और उसके कान को मुंह में लेकर काटने लगी
वही कम्मो ने अपने दूसरा हाथ पीछे से रामसिंह की शर्ट में घुसा कर पीठ पर सहला रही थी और रज्जो ने अपने दूसरे हाथ से रामसिंह के चूतड़ों को सहलाना शुरू कर दिया



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रामसिंह पूरी गिरफ्त में था और नीचे शिला अपनी जीभ का करतब दिखाती हुई बिना एक बार भी उसका लंड छूए सिर्फ मुंह से लंड को गले तक उतारने लगी

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: उम्मम भाभी ओह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम वहा नहीं ( रज्जो ने उसके चूतड़ों पर रेंगते हाथों से अपनी उंगलियां उसके दरारों में घुसाने लगी और रामसिंह बिदकने लगा तो एकदम से कम्मो के उसके लिप्स से अपने लिप्स जोड़ लिए

उम्ममम , रामसिंह की आंखे बड़ी हो गई
इधर रज्जो ने उसके आड़ो को कस लिया मुट्ठी में और पीछे से उसके गाड़ के सुखी सुराख पर थूक लगा चुकी थी जिसे रामसिंह ने अपने चूतड़ कस कर रोकना चाह रहा था और कम्मो ने उसे पूरी तरह अपनी गिरफ्त में लिया उसके लंड की चमड़ी तेजी से आगे पीछे किए जा रही थी और उसके लिप्स को छोड़ने को तैयार नहीं थी
नीचे शिला लगातार एक तय स्पीड के उसका लंड मुंह में लिए हुए थी और

रामसिंह के सबर का फब्बारा उसके आड़ से छूट चुका था और नसे पूरी फूल चुकी थी रज्जो ने हल्की सी ढील दी और उसके आड़ो को अपने हथेली की कटोरी बना कर दुलारा तो सारी मलाई खिसक कर लंड की नसों के भर गई ,लंड एकदम गर्म टाइट और सुपाड़ा पूरा लाल हो गया था , जिसे रामसिंह ने पूरी ताकत से रोका हुआ था

कम्मो ने उसके लिप्स छोड़ते और रामसिंह गहरी सांस लेने लगा मुंह खोलकर और हांफता हुआ : ओह्ह्ह्ह गॉड आने वाला है भाभी
इतना सुनते ही रज्जो ने भी उसका लंड लिया एकदम जड़ में अपनी उंगली की रिंग बनाते हुए , कम्मो ने पहले से ही अपने पंजे के पकड़ रखा और और आगे की बची 4 इंच की जगह को शिला ने मुंह में ले रखा था

कम्मो और रज्जो ने मिलकर तेजी से उसका लंड मुठियाना शुरू किया
रामसिंह की एडी एक बार फिर हवा में और आंखे बंद कर अपने चूतड़ टाइट कर पूरी ताकत से उसने सुपाड़ा सिला हुआ था और फिर एकदम से उसने सब कुछ अपना ढीला छोड़ दिया


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: ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् यूयू बिच ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह यशस् अह्ह्ह्ह भाभीई ओह्ह्ह्ह कम्मो मेरी रानी सीईईई ओह्ह्ह
अब तो थोक के भाव में मलाई निकल रही थी और सारी सारी शिला के मुंह में
एक के बाद एक मोटी थक्केदार व्हाइट मलाई की पिचकारी छूट रही और रज्जो और कम्मो अखीर तक उसका लंड सहलाते रही और शिला उसका वीर्य पीती रही


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फिर शिला ने अच्छे से उसका लंड चाट कर साफ किया और रामसिंह हाफ कर खड़ा हो गया किचन स्लैब का सहारा लेता हुआ , उसका लंड उस वक्त मूसल से चुचका हुआ बैगन हो गया था और चेहरा तो जैसे सफेद पड़ गया हो
शिला अपने मुंह साफ करते हुए उठी और हस कर रज्जो के कंधे पर हाथ रखते हुए : देखा भाभी , ऐसे निचोड़ा जाता है जंगली सांडो को हाहाहा

रामसिंह समझ गया कि तीनों की मिल कर उसकी रगड़ाई की योजना थी , वो तो बस रात के खाने के पहले थोड़ा सा नाश्ता करने का सोच कर आया था लेकिन यहां तो सबने उसे ही दूह लिया

वही इनसब से अलग मानसिंह काफी देर तक किचन में खिलखिलाहट पाकर उठ कर अंदर गया तो

कम्मो हस कर : आज जाइए भाई साहब आप भी लाइन में लग जाइए

मानसिंह वहा की स्थिति देखी और किचन स्लैब पर अपना कमर टीका कर रामसिंह को उसके चुचके लंड के साथ बुझा हुआ देख कर समझ गया कि ये तो गया और अगर वो रुका तो उसकी भी रगड़ाई रात के घमासान से पहले हो ही जाएगी , इसीलिए वो मुस्कुरा कर खिसक लिया और तीनों हस कर मस्त हो गई


प्रतापपुर

: क्या जमाई बाबू आज बड़ा जल्दी भोजन निपटा लिए
: जी बाउजी आप व्यस्त थे तो भूख भी लगी थी
: कोई बात नहीं और बताओ , कुछ उदास दिख रहे हो
: हम्ममम बाऊजी , सोच रहा हूं कल घर निकल जाऊ
: क्यों ? भाई यहां खतीरदारी में कोई कमी तो नहीं
: नहीं नहीं ऐसी बात नहीं है , वो बस सोनल की मां , हाहाहा आप समझ ही रहे है

बनवारी मुस्कुरा कर : हा भाई यहां इस बात की दिक्कत है और कहो तो कमला को
: नहीं नहीं , बाउजी , बीवी की जगह रंडी थोड़ी ले पाएगी
: वाह जमाई बाबू आपकी यही अदा मुझे बड़ी भाती है
: क्या ? ( रंगी खिलकर )
: कि कुछ भी बात हो आप छोटकी ( रागिनी ) को शामिल कर लेते हो
: हाहाहा , आप तो जानते ही है , कितनी चंचल है वो और फिर ढलती रात में उसके साथ जो यादें है सीईईई
: हूं हूं समझ रहा हूं हाहाहाहा , पजामे में से भी कोई उसे याद कर रहा है
: बस एक बार आप उसका तरीका देख लो बाउजी , सच कह रहा हूं कि आप भी दीवाने को जाओगे
: ओह्ह्ह्ह जमाई बाबू , क्यों दुखती रग पर हाथ रखते है , कहा छोटकी से मेरा कुछ
: अरे बाउजी आप बस हा तो करिए , सोनल की मां को मनाने की जिम्मेदारी मेरी
: क्या सच में ?
: आपसे क्यों झूठ कहूंगा बाउजी , और फिर उसपर तो आपका मुझसे ज्यादा हक है । मै तो रोकूंगा
: लेकिन इतनी जल्दी ? कैसे ?
: मेरे साथ चलिए कल देखते है कुछ जुगाड़ , नहीं हुआ तो अपनी लाडली के चूतड़ देख लेना और सच कहूं तो शायद इसी बहाने वो भी मेरे जज्बात समझे
: आपके जज्बात मतलब ?
: अरे बाउजी , सोनल को लेकर ? देखिए कई बहुत ईमानदार हूं उसके साथ कभी कुछ नहीं छिपाता उससे और मै चाहता हूं कि वो भी मेरी भावनाएं समझे सोनल को लेकर और मुझे इजाजत देदे और ये सब तभी होगा जब वो पहले आपके साथ
: ओह जमाई बाबू , कभी कभी समझ नहीं आता कि आपके अंदर इतनी दिलेरी आती कैसे है ?
: सच्चा प्यार किसी भी बात से नहीं डरता बाउजी
: ओह्ह्ह मेरे शेर दिल , फिर क्या कमला वाली बात भी करोगे छोटकी से
: हा जरूर थोड़ा अपने तरीके से बताता पड़ेगा
: वो कैसे? ( बनवारी जिज्ञासु होकर कहा )
: सच बताऊं सुन लोगे
: हा हा कहो न
: बाउजी रागिनी को अपनी गाड़ चटवाना बहुत पसंद है , क्योंकि उसे ये पता है कि मै रज्जो जीजी के भड़कीले चूतड़ों का दीवाना हूं तो अकसर मेरे ऊपर बैठ जाती है अपने चूतड़ रख कर और मै उसे चाटता हूं और उसकी बुर का पानी पिता हूं । उसके भी अरमान थे कि उसका भी बदन रज्जो जीजी जैसा हो जाए और फिर मुझे खुश रखने के लिए कभी कभी रज्जो जीजी बन आती है । और आप तो मेरी रज्जो जीजी के लिए दीवानगी जानते है उनके चूतड़ सामने हो तो मै खुद को रोक पाता हूं और उसे बहुत पसंद आता है

: ओह्ह्ह जमाई बाबू , सीईईई सच कहा रज्जो की गाड़ का कोई जवाब नहीं सीई इतने बड़े बड़े रसीले मटके जैसे है और झुक जाए तो पहाड़ जैसे फैल जाते है उम्ममम
: सच कह रहे है बाउजी एक बार आप रागिनी की गाड़ चाटना , वो अपने नरम चर्बीदार चूतड़ों को जब आपके मुंह पर फेकेगी न ओह्ह्ह और गंध ओह्ह्ह्ह बाबूजी मै तो सोच कर ही झड़ जाऊंगा

: अह्ह्ह्ह जमाई बाबू मेरा भी कुछ ऐसा ही हाल है सीईईई ओह्ह्ह
तभी एकदम से दरवाजे पर आहट हुई और दोनों सतर्क होकर अपने लंड को छोड़ दिए

ये गीता थी जो अपने दादू के पास आई थी

एकदम से वो रंगी को बनवारी के पास बैठा देख कर ठिठक गई कि कही उसकी बात तो नहीं कर रहे थे दादू से

: क्या हुआ मीठी
: दादू मुझे आपके पास सोना है , मै अब गुड़िया के पास नहीं सोऊंगी ( नजरे चुराते हुए रंगी को देख कर बोली )
: अरे लेकिन आज तो जमाई बाबू सो रहे थे ?
रंगी तो गीता के सारे इरादे भाप रहा था कि रात में वो अपने दादा के लंड के साथ क्या क्या करेगी और वो मुस्कुरा कर बिस्तर से उठने लगा : अरे नहीं बाउजी इसको सोने दीजिए नहीं तो फिर से नाराज हो गई तो हाहाहाहाहा , आजा गीता तू आराम कर मै चलता हूं बाउजी अपने कमरे में

गीता रंगी का सपोर्ट पाकर मुस्कुरा कर उसे देखा और झट से बनवारी के कम्बल में घुस गई ।

रंगी हस कर : देखिएगा बाउजी ये बड़ी चुलबुली है और जिद्दी भी
बनवारी हस कर गीता को कंधे से पकड़ कर अपनी ओर खींचता हुआ : अरे कोई बात नहीं जमाई बाबू हाहाहा मेरी लाडली है इसका तो हक होता है जिद करे , क्यों बेटा
गीता अपने दादू से लिपट कर मुस्कुराने लगी और रंगी ये देख कर सिहर उठा


रंगी ने उसे देखा और फिर मुस्कुराता हुआ निकल गया अपने कमरे में और अटैच दरवाजा अपनी ओर से बंद कर दिया ।
फिर बिस्तर पर लेट कर बबीता की राह निहारने लगा करीब 20 मिनट बीत गए लेकिन उसका कोई अता पता नहीं चला
रंगी बेचैन होकर उठा और उसके कमरे की ओर गया तो पाया दरवाजा अन्दर से बंद है और कान लगा कर सुना तो उसके हल्के खिलखिलाने और फुसफुसाहट आ रही थी ।
साफ था कि वो फोन पर किसी से बात कर रही है

रंगी की सुलग कर रह गई कि बबीता ने उसको ठेंगा दिखा दिया था , सुबह से ही रंगी का लंड खड़ा हो हो दर्द होने लगा था, पहले सोनल और रज्जो की बाते फिर गीता के साथ काम होते होते रह गया और सुनीता भी आज अपने पति के साथ लगी थी दुपहर से और बबीता से थोड़ी बहुत उम्मीद जगी थी तो वो भी आज लटका कर चली गई , अब तो रंगी ने पूरा मन बना लिया था कि कल के कल ही वो निकल लेगा घर के लिए कम से कम चूत के लिए तरसना तो नहीं पड़ेगा ।

निराश होकर वो अपने कमरे में चला आया और कुछ बैठे रहने के बाद एकदम से उसके जहन में गीता का ख्याल आया कि क्यों न अगर बनवारी सो गया हो तो गीता को बुला ले
एक टूटी हुई उम्मीद सी जगी उसके दिल में और वो हौले से अपने कमरे से अंदर अटैच वाला दरवाजा खोला और हल्का सा गैप से झांका तो एकदम से चौक गया
गीता तो बनवारी का लंड निकाल कर चूसना शुरू कर चुकी थी , बड़े ही इत्मीनान से हौले हौले वो सुपाड़े को चुभला रही थी और रंगी ने जब अपने ससुर को देखा तो वो आंखे बंद कर गीता के सर को सहला रहा था


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सीईईई बाउजी गीता से खुद ओह्ह्ह्ह कितने रसीले होठ है उसके पूरा लंड गिला कर दिया है इसने तो अह्ह्ह्ह्ह
रंगी दरवाजे के गैप से अंदर देखता हुआ अपना लंड मिस कर बुदबुदाया

वही गीता को भनक पड़ गई थी कि रंगी उसे देख रहा है लेकिन अब उसे कोई डर नहीं था और उसने तो इस बार रंगी की आंखों में आंखे डाल कर अपने दादा जी का मोटा काला मूसल चूस रही थी और ये देख कर रंगी का लंड झटके खाने लगा और वो अपना लंड निकाल कर बाहर करके हिलाने लगा , गीता ने ये देख लिया और लंड छोड़ दिया

: दादू
: हा बेटा क्या हुआ
: मै आती हूं देखूं फूफा जी सो गए क्या ?
: हा बेटा देख ले फिर आ जल्दी से , उफ्फ तूने तो पूरा टाइट कर दिया है

ये बोलकर गीता बिस्तर से सरक कर नीचे उतरी और रंगी दरवाजे से हट कर कमरे की दिवाल से लग गया
गीता चुपके से कमरे के दरवाजे से अंदर गई और एकदम से रंगी उसके सामने आ गया
अपना बड़ा सा लंबा खीरे जैसा लंड पकड़ कर हिलाता हुआ
गीता उसे देख कर मुस्कुराई : आपका भी मन हो रहा है न
रंगी अपना लंड हिला कर सिसकता हुआ : सीईईई हा बेटा मेरा भी चूस दे न अह्ह्ह्ह्ह सीईईई
गीता : लेकिन दादू अभी सोए नहीं है
रंगी उसका हाथ पकड़ अपने लंड पर रख दिया : ओह्ह्ह्ह कितने मुलायम है तेरे हाथ बेटा सीईईई ओह्ह्ह

रंगी के लंड में खून का सैलाब आया हुआ था और उसका लंड पूरा टाइट होकर तप रहा था , गीता को उसके लंड का वजन बढ़ता महसूस हो रहा था और वो उसे अपने नरम हथेली से सहलाने लगी : उफ्फ कितना गर्म है और भारी भी लग रहा है
: हा बेटा कबसे तड़प रहा हूं इसको चाट कर ठंडा कर दे न जैसे अपने दादाजी का कर रही थी
गीता उसका लंड सहलाती हुई मुंह से हथेली में थूक लेकर अपने हथेली की कटोरी बना कर रंगी के सूखे सुपाड़े पर घुमाया और रंगी की आंखे उलटने लगी : सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम क्या करती है बेटा ओह्ह्ह्ह
गीता ने थूक को उसके मोटे मूसल जैसे लंड पर मल कर आगे पीछे करने लगी

गीता : आओ चलो
रंगी चौक गया : क्या ? कहा ?
गीता : दादू के पास वही मै आप दोनों को साथ में करूंगी
रंगी एकदम से चौक गया और उसकी थोड़ी फटने लगी : क्या कह रही हो तुम ,
गीता : ओके रुको अभी मै बुलाऊं तो आप आजाना, ओके
रंगी का दिमाग सुन्न हो गया था और गीता कमरे का दरवाजा पूरा खोलकर अपने दादू के पास चली गई और उसका लंड सहलाने लगी

: अरे मीठी , दरवाजा क्यों खोल दिया
गीता ने कुछ नहीं बोला सीधा अपने मुंह में उसका लंड लेकर चूसने लगी और बनवारी की सिसकारियां उठने लगी
: दादू पता है फूफा जी हमें कमरे से देख रहे है
बनवारी एकदम से सकपकाया और अपना लंड छुपाने लगा : क्या ? वो सोए नहीं
गीता उसका लंड कंबल के हाथ डाले सहलाती हुई : हीहीही नहीं , जब मै पहले इसको चूस रही थी न तभी मैने उन्हें देखा और पता है उनका भी बहुत बड़ा और गर्म हो गया है , उनको भी बुला लो न , मैने कहा कि चलो लेकिन वो नहीं आ रहे है

बनवारी को समझ नहीं आ रहा था कि क्या चल रहा है और उसका लंड भी मुरझाने लगा था

इधर रंगी समझ गया कि गीता ने आधी अधूरी बात कह कर सारा खेल बिगाड़ दिया और वो अपने कमरे से निकल कर बनवारी के कमरे में आया

: ज जमाई बाबू आप ( बनवारी थोड़ा हिचका )
: परेशान न हो बाउजी जी , ये तो मैने आज सुबह ही देखा था जब आप सो रहे थे और तब भी ये चुलबुली अपनी मिठाई खोजती हुई यहां आ गई थी
: मतलब मै समझा नहीं

फिर रंगी हंसता हुआ आकर बनवारी के पास बैठ जाता है और उसे सुबह से हुई उसकी और गीता की वो सब बातें बताता है कि कैसे गीता ने उसे बाथरूम में लंड हिलाते पकड़ा , फिर रंगी ने गीता को लंड चूसते पकड़ा , फिर उन दोनों को मस्ती करते हुए सुनीता ने पकड़ा , और इतनी सारी पकड़ा पकड़ी का नतीजा है कि आज मै बहुत परेशान था और नीद नहीं आ रही थी तो सोचा आपसे बात कर लूं और देखा तो ये यहां खेल रही थी ।


बनवारी कुछ सोच कर गीता को देखते हुए : तो इसीलिए बहु ने तुझे मारा था दुपहर में, तू जमाई बाबू के साथ थी
: हीहीही ( गीता दांत दिखाने लगी )
: मै कह रहा था न बाउजी बहुत चुलबुली है ये और जिद्दी भी
बनवारी हस कर : फिर तो सही पिटाई हुई तेरी , और जमाई बाबू इसने आपके साथ जो शरारत की उसके लिए माफ कीजियेगा , थोड़ी जिद्दी है और इसकी जिद के आगे मै भी हार ही गया

: हाहाहाहाहा वो तो दिख ही रहा है , लेकिन अब जो इंजॉय कर रहे है तो खुल के कीजिए ये पर्दा क्यों

रंगी ने कम्बल हटाया तो लंड गीता उसका लंड पकड़े हुए थी : देखिए मीठी को उसका खिलौना कितना पसंद है वो नहीं छोड़ने वाली हाहाहाहाहाहाहा

बनवारी हंसता हुआ : सच कहा जमाई बाबू , वैसे आप भी अपना खिलौना निकालिए मीठी उसे भी दुलारेगी क्यों बेटा करेगी न
गीता ने थोड़ा शर्मा कर थोड़ा उत्साहित होकर हा में सर हिलाया और पजामे से अपना लंड बाहर निकाल कर सहलाने लगा

गीता ने एक नजर उसे देखा और वापस से बनवारी का लंड चूसने लगी : ओह्ह्ह्ह मीठी सीई ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह क्या गजब का सुकून है जमाई बाबू

रंगी की लार टपकने लगी बनवारी की सिसकिया सुन कर और बनवारी ने गीता को इशारा कर रंगी के पास जाने को कहा
गीता थोड़ी मुस्कुरा कर खड़ी होकर रंगी के पास जा रही थी कि एकदम से रंगी ने उसे पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया और वो दोनों ससुर दामाद के बीच आ गिरी खिलखिलाती हुई
पूरा कमरा बनवारी के ठहाके और गीता की खिलखिलाहट से गूंज उठा

: जरा इधर आ और सुबह की उधारी पहले पूरी कर ( रंगी ने उसको अपनी बाहों में भरते हुए कहा )
: सुबह की उधारी मतलब जमाई बाबू ? ( बनवारी ने हस कर सवाल किया
: ओह्ह्ह बाउजी सुबह इसके रसीले दूध का स्वाद चखा ही था कि इसकी मम्मी आ गई थी और मै जीभ टपका कर रह गया , जरा इसको निकाल न ( रंगी ने गीता की टीशर्ट निकाल दी और वो अपने हाथों से हस्ती हुई अपने मोटी मोटी नारियल सी चूचियों को छिपाने लगी जो ब्रा में कैद थी )

: उफ्फ मीठी सीई तू तो बड़ी हो गई है , कितनी रसीले दूध है तेरे
: उम्ममम दादा जी आराम से ओह्ह्ह्ह फूफा उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई
दोनों ससुर दामाद ने गीता की रसीली छातियां टटोलनी शुरू कर दी
: उफ्फ बाउजी कितनी मुलायम छाती है अभी से इसकी उम्मम अह्ह्ह्ह्ह जरा निप्पल देखूं तो ( ये कहकर रंगी ने गीता के कंधे से उसकी ब्रा सरका दी और उसके रसीले मम्में को हाथों में भरने लगा ) अह्ह्ह्ह सीई कितनी भारी हो गई है अभी से तेरी छाती

: उम्ममम तो मै क्या करु , मम्मी कहती है कि मैं बड़ी बुआ पर गई हूं
रज्जो का जिक्र आते ही दोनों ससुर दामाद एक दूसरे को देख कर एक शरारत भरी मुस्कुराहट पास करते हैं और अगले ही पल उसके नंगी चूचियों पर टूट पड़ते है

: ओह्ह्ह्ह दादू उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम मम्मा ओह्ह्ह्ह सीईईई और उफ्फ फूफा ओह्ह्ह्ह यशस्स ओह्ह्ह्ह मम्मीईइई सीईईई


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दोनों ससुर दामाद ने एक एक चुची को अच्छे घुला घुला कर निप्पल मुंह में लेकर चूसने लगे और गीता की सिसकियां उठने लगी और वो दोनों के सर को अपने चुचियों पर दबाने लगी
बनवारी तेजी से अपनी जीभ से उसके किशमिश जैसे निप्पल को फ्लिक करने लगा और उसके हाथ नीचे उसके स्कर्ट के अंदर घुस कर उसकी चूत टटोलने लगे और गीता का बदन ऐंठने लगा , वही रंगी उसकी चुची को पकड़ कर पंजे में कसता हुआ उसके निप्पल मुंह में लेकर चुसे जा रहा था ।


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और वही बनवारी ने उसकी स्कर्ट खींच कर उसकी पैंटी में भी खींच कर निकाल दिया और उसकी गीली चूत पर नजर पड़ते ही रंगी ने बिना किसी देर किए अपने उंगलियों को उसके गीली बुर पर रख दिया : इश्श बाउजी उसकी बुर कितनी गीली है

: ओह्ह्ह्ह उम्ममम फूफा जी ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई अह्ह्ह्ह
: क्या हुआ बेटा उम्मम अच्छा नहीं लग रहा है
: ओह्ह्ह्ह बहुत अच्छा लग रहा है ओह्ह्ह्ह मै झड़ रही हूं ओह्ह्ह
रंगी ने अपनी स्पीड बढ़ाते हुए तेजी से उसके बुर के फांके रगड़ने लगा और वही दोनों ससुर दामाद वापस से उसकी निप्पल मुंह लेकर खींचना शुरू कर दिया


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कमरा पूरा गीता की चीखों से गूंज रहा था और उसकी कामुक चीखों से दोनों ससुर दामाद को मजा आ रहा था उसे रंगी तेजी से उसकी बुर के फांके सहला रहा था और गीता अपने कूल्हे उठा कर झड़ रही थी और अपनी जांघें कसने लगी : ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह फूफा जी ओह्ह्ह्ह मम्मीईइईइईई सीईईई ओह्ह्ह और और उम्ममम दादू ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् मीईईईई ओह मम्मीईईईई

रंगी का हाथ तबतक नहीं रुका जबतक कि उसकी हथेली गीता के रस से सराबोर नहीं हो गई और वो उसकी बुर पर उसके पानी को सहलाते हुए लिपने लगा और वही गीता झड़ने के बाद खिल रही थी और हाथ बढ़ा कर अपने दादू का लंड पकड़ लिया और सहलाने लगी
मौका देखकर रंगी ने भी अपना लंड आगे कर दिया और गीता ने दोनों का लंड पकड़ कर हिलाने लगी और मुंह खोलकर रंगी का लंड मुंह में ले लिया और चूसने लगी

: ओह्ह्ह्ह बाउजी सीईईई ओह्ह्ह ये तो उफ्फ
: हा जमाई बाबू ओह्ह्ह्ह मुझे भी वही महसूस हुआ था पहली बार , इसने अपने मम्मी पापा की चुदाई देख कर सब सिखा है सीई ओह गीता उम्ममम


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गीता ने लंड बदल कर बनवारी का लंड मुंह में ले लिया और चूसने लगी
रंगी : उफ्फ फिर तो बड़ी होनहार है ये तो सीई ओह्ह्ह इसका अंदाज तो उम्ममम आपको किसी याद आ रही है बाउजी
बनवारी मुस्कुरा दिया और हल्के से होठ से बडबडा कर रज्जो का नाम लिया और रंगी का लंड और कड़क हो ही गया : ओह्ह्ह्ह बाउजी उम्ममम मुझे तो मेरी सोनल की याद आ रही है वो भी जमाई बाबू का ऐसे ही लंड चूस रही होगी ओह्ह्ह्ह
गीता उन दोनों का लंड पकड़ कर हिलाती हुई हस कर : दादू पता है फूफा न हीहीही सोनल दीदी को पेलना चाहते है उम्ममम सुऊऊऊऊऊरूऊऊऊऊपपपपपप अह्ह्ह्ह
बनवारी रंगी को आंख मार कर हंसता हुआ : क्या सच में जमाई बाबू
रंगी : हा बाउजी आपसे क्या छिपाना अब ओह्ह्ह उसके चूतड़ तो क्या ही कहने ओह्ह्ह्ह सोचता हूं उसकी जवान चूत का स्वाद कैसा होगा


गीता : मेरी चाट के देख लो फूफा जी उम्म्म मै भी आपकी बेटी हूं ,
रंगी एकदम से जोश से भर गया और गीता से लंड छुड़ा कर उसकी जांघों के बीच आ गया और अपनी जीभ चला कर उसके रसीले चूत के फांकों को चाटने लगा

और गीता अपने दादू का लंड मुंह में लेकर चूसने लगी : ओह्ह्ह मीठी सीईईई ओह तू बहुत तेज हो गई है पहले से सीई ओह्ह्ह्ह चाट ले और उम्मम
: उम्ममम अह्ह्ह्ह फूफा जी आराम से ओह्ह्ह्ह मम्मीईइई अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् मीईईईई ओह मम्मीईईईई ओह्ह्ह्ह ( गीता बनवारी का लंड मुंह से निकाल कर हिलाती हुई नीचे देखने लगी कि कैसे रंगी उसकी बुर चूस रहा था


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रंगी ने अपनी जीभ उसके बुर के फांके में डाल दिया था और नचाने लगा
: ओह्ह्ह्ह बेटा लग रहा है जमाई बाबू को अपनी बेटी की बुर बहुत भा गई है क्यों जमाई बाबू
रंगी ऊपर उठ कर गीता के चूचे पकड़ कर मुंह भर लिया और चूस कर : एक बार आप भी टेस्ट करके देखो बाउजी उम्मम बड़ा नमकीन पानी है आपकी नातिन का उम्मम
बनवारी की जीभ भी रस छोड़ने लगी और वो सरक कर गीता के चूत पर चला गया और अपनी जीभ से उसके बुर के फांके पर चलाने लग और रंगी उसकी चूचियां मिज मिज कर पीने लगा


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: ओह्ह्ह्ह दादू मजा आ रहा है और और उम्मम सीईईई ओह्ह्ह डाल दो न प्लीज
: क्या चाहिए उम्मम बोल बेटा क्या लेगी
: लंड डाल दो न फूफा ओह्ह्ह्ह यशस्स अह्ह्ह्ह्ह सीईईई मम्मीइई अह्ह्ह्ह गर्म है और टाइट भी ओह्ह्ह्ह
: ओह्ह्ह्ह जमाई बाबू सच में इसकी बुर कस गई है ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
रंगी अपना लंड गीता के मुंह पर रगड़ता हुआ : ओह्ह्ह्ह बाउजी पेलीये न रगड़ कर ओह्ह्ह्ह ले बेटी चूस उम्मम ओह्ह्ह्ह कितनी रसभरी जीभ है तेरी ओह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
रंगी उसके मुंह ने लंड डाल कर उसकी छातियों को मिजने लगा और वही बनवारी तेजी से उसकी बुर में पेले जा रहा था


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बनवारी की नजरे तो अपने जमाई के अनोखे अंदाज पर थी जिस तरह से रंगी नए नए तरकीब और चुदाई के पैंतरे खोल रहा था , अपनी दुलारी और गुलगुली नातिन की इतनी कामुक मुंह पेलाई देख कर उसका भी जी ललचाने लगा और वो देख रहा था कि रंगी का लंड गीता के लार से लिभड़ाया हुआ
: ओह्ह्ह जमाई बाबू आपका अंदाज तो सबसे अलग है सीईईई उम्ममम
: क्यों बाउजी जगह बदलेंगे क्या ?
बनवारी ने इस पर मुस्कुरा दिया और रंगी ने हस कर गीता ने मुंह से लंड निकाल कर उसको घोड़ी बना दिया और उसकी बजबजाई बुर में पीछे से लंड घुसा दिया : ओह्ह्ह्ह बाउजी ये तो पूरा मक्खन है सीई ओह्ह्ह कितनी गर्म और मुलायम है


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: लेह बेटा चाट इसे उम्मम तेरे नर्म होठ और जीभ का करतब ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई ऐसे ही उम्मम ( वही बनवारी अपने आड़ लेकर गीता के मुंह के आगे खड़ा हो गया और गीता उन्हें चूमने लगी चाटने लगी )

: उन्ह्ह्ह सीईईई क्या मस्त रसीली चूत है तेरी गीता ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह लंड तो एकदम मक्खन जैसे सरक रहा है अंदर गपागप ओह्ह्ह्ह बाउजी ऐसे ही रागिनी की बुर जब खूब रस छोड़ती है तो पीछे से पकड़ कर उसको चोदने में बड़ा मजा आता है ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह


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: ओह्ह्ह्ह जमाई बाबू कहे मेरी तकलीफ बढ़ा रहे है सीई ओह्ह्ह्ह बेटा उम्मम ले चूस इसको भी और और अंदर ले हा उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई पूरी घोंट जा ओह्ह्ह ऐसे ही उम्मम
इधर रंगी ने देखा तो बनवारी ने भी अपना पूरा लंड गीता के गले में उतार दिया था और वो जोश में दुगने गति से उसकी नर्म रसीली चूत में पेलने लगा

: ओह्ह्ह्ह बाउजी ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई बहुत रुक नहीं पाऊंगा मैं ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह इसकी चूत बहुत कसी है और सुपाड़ा जल रहा है मेरा अब
: हा जमाई बाबू वही हाल मेरा भी है ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह चूस पूरा निचोड़ लें ओह्ह्ह मेरी जान मेरी लाडो उम्मम अह्ह्ह्ह पेलो जल्दी जल्दी जमाई बाबू मेरा बस आने ही वाला है ओह्ह्ह्ह

: आह बाउजी मेरा भी आयेगा ओह्ह्ह ओह्ह्ह्ह गीता बेटा आजा कहा लेगी मेरा बीज ओह्ह्ह्ह
: इसको तो अपनी छातियों पर लेना है ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह जमाई बाबू आजाओ

रंगी समझ गया था कि पहले भी गीता की जबरजस्त चुदाई हो चुकी है और वो अपना लंड निकाल कर खड़ा हो गया और तेजी से हिलाने लगा गीता की चूची पर वही बनवारी भी अपना लंड उसके चूचों पर घिसने लगा

: ओह्ह्ह्ह बाउजी सीईईई ओह्ह्ह आ रहा है ले बेटा ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई आह्ह्ह्ह


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रंगी लाल ने अपनी पिचकारी छोड़ी और उसे देखते ही बनवारी ने अपना फब्बारा छोड़ दिया
एक के एक दोनों तरफ से मोटी गाढ़ी पिचकारियां गीता के मुंह पर चूचों पर गिरने लगी और गीता जीभ निकाल कर उनके आडू को सहलाती हुई उनके बीज से नहा रही थी

फिर एकदम से रंगी ने अपना रस से लिभड़ाया लंड गीता के होठों पर रगड़ने लगा : ले चाट से बेटा उम्ममम साफ कर दे इसे


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देखा देखी बनवारी ने भी अपना लंड वही दूसरी तरफ से गीता के मुंह पर रख कर हिलाने लगा , गीता के होठ बचे से बीज से लसलसा रहे थे और गीता बारी बारी से दोनों सुपाड़े को मुंह में लेकर चूसने लगी थी ।

कुछ ही देर बाद दोनों ससुर दामाद बिस्तर पर फैल गए और हांफते हुए थोड़ी बातें करने लगे गीता को लेकर , लेकिन अभी भी उनके लंड की कसावट कम नहीं हुई थी और गीता उनके पैरो में बैठकर वापस से उनका लंड पकड़ कर सहला रही थी अगले राउंड की तैयारी में

लेकिन शायद वो भूल चुके थे कमरे का अटैच दरवाजा खुला था जो रंगी के कमरे में जाता था और रंगी ने पहले से बबीता के आने की राह में अपने कमरे का मेन दरवाजा सिर्फ भिड़का रखा था । वही बबीता तो अपने बाबू सोना को बहला कर उसको सुला कर रंगी से मिलने अपना वादा पूरा करने आई थी । लेकिन उसकी आंखे तब चकाचौंध रह गई जब उसने अंदर का कामुक नजारा देखा


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जहां गीता दोनों ससुर दामाद के पैरों के बीच बैठ पर उनके दोनों खड़े हुए लंड को पकड़ कर एक साथ हिला रही थी

जारी रहेगी

( बाकी डील जानते हो , टारगेट बनाए रखो अपडेट जल्दी और बड़े बड़े मिलेंगे 😁 )
Wow bhai kya majedar update diya h
Jha sheela kammo or rajjo ne mil kar ram shing ko nichod liya wahi
Sasur or damad nai mil kar apne land ki khumari apni natine or bhatiji ke sath mita li h
Lekin bhai kya arun ko bhi apni mummy or badi mummy ki chut milegi ki sirf ramshing or manshing hi un logo ki chudai karenge
 
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