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Ek number

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कपडे पहन लेने के बाद परम ने पुष्पा की साड़ी और पेटीकोट कमर तक उठा कर अपनी तरफ चेहरा करके गोदी में बैठा लिया और दोनो चुत्तडो को मसलते-मसलते बात बनाने लगा। पुष्पा की गांड को रगड़ते हुए परम ने पुष्पा को याद दिलाया कि वो पुमा से ही शादी करेगा और उसे (पुष्पा) जब तक लंड में दम है चोदता रहेगा।

पुष्पा ने जवाब में सिर्फ इतना कहा “देखेंगे।”
अब आगे..........


कुछ देर के बाद पहले पूनम घर आई और फिर पुष्पा का पति और पुमा। परम पुमा को देखने के लिए ही रुका था। पूनम परम को अपने घर में देख कर घबरा गई और कमरे के तहत चली गई और पुष्पा अपने पति को लेकर दूसरे कमरे में चली गई। पुष्पा ने परम को पूमा के साथ अकेले रहने का मौका दिया था। पुमा भी रूम मे जाने लगी तो परम ने उसे पकड़ कर उसे चूम लिया और उसकी नन्ही-नन्ही चूची को मसल दिया। परम फुसफुसाया,


“पूमा मैं तुमसे प्यार करता हूं और तुमसे ही शादी करूंगा।”

यह सुन कर पूमा का गुस्सा ठंडा हो गया। उसने आंख उठा कर परम को देखा और

“कोई देखेगा तो!”

लेकिन परम ने फिर उसे अपनी बाहो में लेकर जोर से दबाया और सीधा फ्रॉक उठाया कर नंगी चूचियो को मसल डाला।

“कभी अकेले मेरे घर पर आना, खूब मजा दूंगा…।”

दोनो अलग हो गए, पूमा अंदर चली गई। परम ने पुमा के शरीर में जहर भर दिया था और वो परम से अकेले मिलने का मौका का इंतजार करने लगी।

फिर पुष्पा ने परम को कुछ खाने को दिया और अपने पति से कहा कि परम पुमा से शादी करना चाहता है..।

“तो ठीक है… कर देंगे…उसमे कुछ बुराइ नहीं है” उसने उत्तर दिया…।” परम और पूमा की जोड़ी ठीक रहेगी...परम पागल है जो पूनम और रेखा से शादी का सोचता था...दोनों उससे बड़ी है... ।''

पुष्पा खुश हुई क्यों की उसके पति की परवानगी मिल गई थी तभी उसका पति ने बोला: “ और हां, अब जमाई समज लिया है तो उनको थोडा अकेले रहने का मौक़ा भी दे दिया करो, लेकिन उतना भी नहीं की शादी के पहले ही पूमा का पेट फुल जाए, तुम भी उसका साथ देती रहना।“ उसने पुष्पा की चूत पर हाथ रखते हुए कहा,”यह भी काफी समय से मांग रही है राईट??? घर की बात रहेगी और घर पर ही होता रहेगा।“

पुष्पा ने चिंतित नजर से कहा और पूनम?

“तुम्हे और मुझे दोनों को पता है पर बोलने की जरुरत नहीं, सिर्फ चोदु बनते रहे समजी?”


***


परम बहार निकल गया और सीधा सेठजी के वहा पहुंचा। सुंदरी तैयार थी। आते समय छोटी बहू ने परम से अगले दिन 2-3 बजे दोपहर में आने को कहा। परम सुंदरी को लेकर सेठजी के ऑफिस वाले रूम में आया। वहा देखा कि महक नंगी ही अजनबी के ऊपर लेटी हुई है और उसके लंड से खेल रही है। लंड लंगड़ा हो चुका था, यानी महक की चूत को फाड़कर ठंडा हो गया था। परम और माँ को देखकर महक अजनबी से अलग हो गई और अपनी माँ के पास आ गई। सुंदरी ने पुछा,

“सब ठीक से हो गया ना?”

महक शर्मा गई और मां चिपक गई। महक फुसफुसा कर बोली,

“बहुत मजा आया, लौड़ा में बहुत दम है.... साले ने तीन बार रगड़-रगड़ को चोदा है.,.चूत में झिल्ली जैसा कुछ रहा नहीं।“

अजनबी भी खड़ा हो गया,सुंदरी को देखा ही अजनबी का लंड टाइट होने लगा,

“क्या जबरदस्त माल है, कौन है यह माल?कोई है यहाँ?”

"ये सेठजी का खास माल है" परम ने जवाब दिया। “हर चुदाई का 50000/- देते हैं सेठजी.

परम ने उत्तर दिया.

“मैं एक लाख दूँगा।” अजनबी ने जवाब दिया और अपने ब्रीफ़केस से नोटों का बंडल निकाला और सुंदरी को दे दिया। “लो पूरा एक लाख है।” अजनबी ने सुंदरी को बिस्तर पर गिरा दिया और फटाफट उसे नंगा कर दिया। करीब 10 मिनट तक अजनबी सुंदरी को चूमता रहा, कभी होंठों पर, कभी चूची को तो कभी बेली को तो कभी चूत को। उसका लंड पूरा टाइट हो गया था और एक अजनबी ने एक धक्के में पूरा लंड सुंदरी के चूत को चीरता हुआ अन्दर चला गया।

इधर परम नंगी महक और सुंदरी की चुदाई देख कर गरमा गया और वो पूरा नंगा होकर महक को चूमने लगा। फिर महक को सुंदरी के बगल में लिटा कर अपनी बहन के टाइट चूत में लंड घुसेड़ दिया और चूतड उछाल कर चोदने लगा। परम के हर धक्के पर महक “आह…” “उहहह…” करती रही। परम और अजनबी दोनों पहले ही झड़ चुके थे तो दोनों आराम से खूब जम कर चुदाई कर रहे थे। आज एक दिन में सुंदरी दूसरी बाद नए आदमी से चुदाई कर रही थी और उधर 2 घंटे पहले महक का चूत फटा था और अब दूसरे लंड का मजा ले रही थी। सुंदरी और महक दोनो माँ-बेटी ने अपने-अपने पार्टनर को पूरा सहयोग किया। उन्हें चूमा, सहलाया, पैरों में कसा और अंत में दोनो के पानी को अपनी अपनी चूत के अन्दर लिया।

चुदाई ख़त्म करने के बाद सब कपड़े पहन कर तैयार हो गए तो अजनबी ने महक से पूछा कि वो बिना कुछ लिए (पैसे) परम से कैसे चुदवायी तो जवाब सुंदरी ने दिया,

“परम हम दोनों का यार है… जब चाहे हमारी चुदाई कर सकता है।”

परम ने अजनबी सेठ से उन्हें उनके घर तक छोड़ने का अनुरोध किया। अजनबी ने उन्हें बाध्य किया।

जब तीनों घर पहुंचे तो मुनीम ने दरवाजा खोला। सुंदरी अच्छी मात्रा में खाने का सामान लेकर आई थी जो बड़ी बहू ने उसे दिया था, सभी ने खाया और सोने के लिए अपने कमरे में चले गए।


***********



आज के लिए बस यही तक।


कुछ दिनों के लिए कहानी को आराम देंगे और बाद में फिर से वही रफ़्तार पकड़ लेंगे।

आशा रखती हूँ की पाठक फिर से यही पर आ जायेंगे,,,,,,,,,,,,,,


शुक्रिया दोस्तों।



आपको यह एपिसोड कैसा लगा इस बारे में तो बताना ही है।



।।जय भारत।।
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अगर कोई नीचे की ओर देखता तो उसे पता चलता कि वो औरत कितनी पनिया गई थी। उसकी चूत अपना चुतरस ज्यादा मात्रा में बहा रही थी। शायद आगे भी वह झड गई थी। जब परम ने पुमा को चोदने की बात कही थी तभी उसकी चूत से फुवारा निकल चुका था।

अब आगे................


चूत से पानी टपक कर बाहर गिर रहा था और लंड की गर्मी से बोबले टाइट हो गए थे। पुष्पा अपना सारा निश्चय भूल गई कि परम को अपनी चूत नहीं दिखायेगी। वो भी भूल गयी कि परम उसकी छोटी बेटी को चोदना चाहता था और होसकता है की भविष्या का दामाद हो पर,यहाँ वो खुद ही लंड खाने को तैयार थी। पुष्पा जोर-जोर से सिस्कारी मार रही थी कि परम ने पिचकारी छोड़ दी। लंड से सफ़ेद तरल पदार्थ की गोली जैसा निकला और पुष्पा की गर्दन को भिंगाता हुआ उसके मुँह और नाक में घुस गया।


पुष्पा ने लोडे का माल को चाटा और बोल पड़ी, फनलवर की पेशकश

“क्या बेटा… बीच रास्ते में ही गाड़ी पंचर कर दिया।” पुष्पा ने परम को धक्का देकर अपनी बॉडी से नीचे कर दिया और कहा,

"मैं ही पागल थी कि तेरे जैसे बच्चे के सामने नंगी हो गई.... चल हट मुझे कपड़ा पहनने दे, मादरचोद, चोदना आता ही नहीं और पुमा को चोदेगा।"

लेकिन परम ने पुष्पा को नीचे दबाया और लेटे-लेटे ही परम पुष्पा के पैरों के बीच आया और क्लिट को चूसने लगा। पुष्पा उछल पड़ी...

"हाय बेटा, बहुत मजा आया। आह्ह...।"

परम ने कुछ जवाब नहीं दिया और प्यार से चूत को चाटता रहा। कभी भगनासा को होंठों से चूसा जाता था तो कभी भगनासा को ऊपर की ओर खींचा जाता था। जीभ से चूत के होठों को चूमता था तो कभी जीभ को चूत के अंदर डाल कर घुमाता था। परम ने दोनों हाथों से चूत को फैला दिया था और पूरे होठों के नीचे डाल कर चाट रहा था और चूम रहा था। पुष्पा जोर जोर से सिस्कारी मार रही थी...इस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्............भे..........न..........चो.........द...........

पुष्पा कई सालो से चुदवा रही थी लेकिन कभी भी उसके पति ने चूत को चूमा नहीं। उसने सहेलियों से सुना था कि चूत चटवाने में बहुत मज़ा आता है। कई बाद उसका मन किया कि पति को बोले चूत को चाटने के लिए लेकिन वो शर्म के कारण नहीं बोल पाई। और अब जब परम चूत चाट रहा था तो उसे पहले की हर चुदाई से ज्यादा मजा आ रहा था। वो चुतर उछाल रही थी और परम चूत को चूसने के साथ-साथ 2 उंगली घुसा कर उसे चोद भी रहा था। पुष्पा की शिकायत की परम ने बीच रोड पर पंचर कर दिया, ख़तम हो गई थी और अब परम को मन ही मन बहुत आशीर्वाद दे रही थी।

परम पुष्पा की स्वादिष्ट चूत को चाटने और चूसने में बहुत तल्लीन था। ऐसा लग रहा था कि परम अपना पूरा सिर चूत में घुस जाएगा, लेकिन नाक और जीभ के अलावा और कुछ चूत के अन्दर नहीं जा सका। पुष्पा को भी बहुत मजा आ रहा था, इससे पहले किसी ने चूत नहीं चाटा था लेकिन जो मजा अभी आ रहा था वैसा मजा पहले कभी नहीं आया था। पुष्पा खूब मजा ले कर मजा ले रही थी और कमर हिला-हिला कर परम को बता रही थी कि उसको खूब मजा आ रहा है। पुष्पा जोरो से ‘आहह…. उह्ह्ह…कर रही थी, साथ ही कमर उछल-उछल कर परम के चूत चटाई का मजा मार रही थी। पुष्पा को इतना मजा आया कि उसने दोनों हाथों से अपनी जांघों को अपने बोबले की तरफ खींच लिया, जिस से उसकी चूत ज्यादा से ज्यादा फैले। अब पुष्पा को अपनी ही चूत दिख रही थी।

परम कभी क्लिट को चूस रहा था तो कभी पूरी जीभ को अन्दर डाल कर घुमा रहा था और चूत का माल अपनी जीभ से बहार निकाले जा रहा था। इस बिच पुष्पा ने भी अपना चुतरस को परम के मुंह में भर दिया। साथ ही उंगली भी चूत के अंदर घुसेड़ कर चूत का मजा लेने लगा। परम का लंड टाइट होने लगा था, 7-8 मिनट के बाद परम ने चूत से हाथ अलग हटा दिया और चूत में जीभ डाले हुए ही पुष्पा की दोनों स्तनों को जोर-जोर से दबाते हुए चूत को खाने लगा। परम खूब मजे से चूत के हर एक हिस्से को चूस रहा था और पुष्पा का एक अंग जलने लगा था। वो अपने पैरों को उठाकर परम के सिर को पकड़ कर नीचे दबाने लगी। पुष्पा चाह रही थी कि परम का पूरा सिर उसकी चूत में घुस जाए। पुष्पा को लगा कि वो अब झडने वाली है और उसने अपने दोनों हाथों से और पैरों से परम के सिर को चूत पर दबाया और अपने कुलहो को ऊपर उठा दिया।

परम समज गया कि पुष्पा अब ठंडी हो गई है तो वो पुष्पा के क्लच से बाहर निकला और फचाक से लंड को चूत में घुसा दिया और पुष्पा के होठों को चूसने लगा साथ ही खूब जोर से चोट में धक्का लगाने लगा। पुष्पा को महसूस हुआ कि उसकी चूत के अंदर जो लंड है वो उसके पति के लंड से मोटा और लंबा है। पुष्पा ने कुलहो उछाल कर जबाब दिया लेकिन उसे अपनी चूत का स्वाद परम के मुंह में अजीब सा लगा। वो परम को अलग करना चाहती है लेकिन परम पुष्पा को जोर से जोर से धक्का पे धक्का लग रहा है। आख़िर पुष्पा थक गयी और उसने अपना बदन ढीला कर दिया और चुदाई का मज़ा लेने लगी। और अपना चुतरस परम के मुख से चाटने लगी। उसे अब ओर भी मजा आया इस विकृति से, अब उसे यह सब विकृत नहीं काग रहा था उसका खुद का रस उसे भा गया।

परम ने पुष्पा के होठों को आज़ाद किया और गालों को चूमा

“क्यों काकी, अब तो पंक्चर नहीं हुआ।”
नीता की रचना पढ़ रहे है

"नहीं, बेटा बहुत मजा दे रहो हो...चुदाई करते रहो...लेकिन अब मैं झरने वाली हूं। तुमने चूत चूस कर मुझे पूरा मजा दे दिया।"

लेकिन उसके बाद भी परम जम कर धक्का मदता रहा। आख़िर पुष्पा पूरी तरह से थक गयी।

“अब लौड़ा निकाल लो बेटा...थक गई हूं....मैं हाथ से तुम्हारा पानी निकाल दूंगी...।”

“लोडा चुसोगी?”


“नहीं.. छी….लंड भी कोई चूसता है…? लोडा तो कोई चूसने की चीज़ है।”

“तो ठीक है.. मैं तब तक चोदता रहूंगा जब तक फिर से पंचर नहीं हो जाता हूं…” परम जोर जोर से धक्का लगाने लगा।

पुष्पा से अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था, वो पूरी ठंडी हो चुकी थी।

“ठीक है बेटा, मैं जान गई तेरा लोडे में बहुत दम है… तू जानता है किसने होली में मेरी चूत को मसला था…… तेरे बाप ने… और आज बेटे ने मेरी चूत मसल कर चोद डाला।…”

परम के बालों को प्यार से सहलाते हुए बोली,

“ला मैं लोडे को चूस कर ठंडा कर देती हूँ, आख़िर तूने भी तो चूत चाट कर मज़ा दिया है।”

इतना सुनकर परम ने एक आखिरी बाद जोर से चूत में धक्का दिया और सीधा लंड निकाल कर पुष्पा के मुंह में डाल दिया। पुष्पा ना नुकुर करती रही लेकिन परम लोडे को धीरे-धीरे पुष्पा के मुंह में बाहर निकालता रहा। और आखिर जब परम का पानी निकला तो परम ने पुष्पा के बाल पकड़ कर पूरा माल, पुष्पा के मुंह में गिरा दिया।, पुष्पा का मुंह खुला था और एक-एक बूंद उसके गले के नीचे चला गया। पूरा वीर्य निकलने के बाद परम ने पुष्पा को अपने ऊपर ले लिया और दोनों हाथों से उसकी गोल-गोल हिप्स को दबाते हुए, पुष्पा को किस करता रहा। आज पहली बाद परम ने अपने वीर्य का स्वाद चखा।

कुछ देर तक दोनों ठंडे पड़े रहे। पुष्पा ने दीवार घड़ी की तरफ देखा, और चिल्ला पड़ी...
नीता द्वार रचित कहानी

"बाप रे, बेटा डेढ़ घंटा हो गया। अब सब आने वाले होंगे। चल जल्दी से कपड़े पहन कर तैयार हो जा... किसी को पता नहीं चलना चाहिए।"

दोनो साथ टॉयलेट गए और मुंह हाथ साफ किया और वापस आकर कपड़े पहनने लगे। पुष्पा ने कहा कि अब कब उसे चोदेगा तो परम ने जवाब दिया वो हर 2-3 दिन बाद आकर पुष्पा की चूत मरामत कर देगा। परम ने ये भीखा की अगर और भी चुदवाने का मन करे तो उसके घर आ जाये।

“सुंदरी क्या बोलेगी।”

“वो कुछ नहीं बोलेगी और ना ही कोई कुछ कहेगी। और हां तुम्हारे पुराने यार यानी के मेरा बाप से भी चुद के अपनी अधूरी इच्छा पूरी कर सकेगी।”

कपडे पहन लेने के बाद परम ने पुष्पा की साड़ी और पेटीकोट कमर तक उठा कर अपनी तरफ चेहरा करके गोदी में बैठा लिया और दोनो चुत्तडो को मसलते-मसलते बात बनाने लगा। पुष्पा की गांड को रगड़ते हुए परम ने पुष्पा को याद दिलाया कि वो पुमा से ही शादी करेगा और उसे (पुष्पा) जब तक लंड में दम है चोदता रहेगा।


पुष्पा ने जवाब में सिर्फ इतना कहा “देखेंगे।”


आज बस इतना ही

बाकी कल................तब तक के लिए विदा............


आपके टिका टिपण्णी की प्रतीक्षा रहेगी


।जय भारत
Mast
 

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कपडे पहन लेने के बाद परम ने पुष्पा की साड़ी और पेटीकोट कमर तक उठा कर अपनी तरफ चेहरा करके गोदी में बैठा लिया और दोनो चुत्तडो को मसलते-मसलते बात बनाने लगा। पुष्पा की गांड को रगड़ते हुए परम ने पुष्पा को याद दिलाया कि वो पुमा से ही शादी करेगा और उसे (पुष्पा) जब तक लंड में दम है चोदता रहेगा।

पुष्पा ने जवाब में सिर्फ इतना कहा “देखेंगे।”
अब आगे..........


कुछ देर के बाद पहले पूनम घर आई और फिर पुष्पा का पति और पुमा। परम पुमा को देखने के लिए ही रुका था। पूनम परम को अपने घर में देख कर घबरा गई और कमरे के तहत चली गई और पुष्पा अपने पति को लेकर दूसरे कमरे में चली गई। पुष्पा ने परम को पूमा के साथ अकेले रहने का मौका दिया था। पुमा भी रूम मे जाने लगी तो परम ने उसे पकड़ कर उसे चूम लिया और उसकी नन्ही-नन्ही चूची को मसल दिया। परम फुसफुसाया,


“पूमा मैं तुमसे प्यार करता हूं और तुमसे ही शादी करूंगा।”

यह सुन कर पूमा का गुस्सा ठंडा हो गया। उसने आंख उठा कर परम को देखा और

“कोई देखेगा तो!”

लेकिन परम ने फिर उसे अपनी बाहो में लेकर जोर से दबाया और सीधा फ्रॉक उठाया कर नंगी चूचियो को मसल डाला।

“कभी अकेले मेरे घर पर आना, खूब मजा दूंगा…।”

दोनो अलग हो गए, पूमा अंदर चली गई। परम ने पुमा के शरीर में जहर भर दिया था और वो परम से अकेले मिलने का मौका का इंतजार करने लगी।

फिर पुष्पा ने परम को कुछ खाने को दिया और अपने पति से कहा कि परम पुमा से शादी करना चाहता है..।

“तो ठीक है… कर देंगे…उसमे कुछ बुराइ नहीं है” उसने उत्तर दिया…।” परम और पूमा की जोड़ी ठीक रहेगी...परम पागल है जो पूनम और रेखा से शादी का सोचता था...दोनों उससे बड़ी है... ।''

पुष्पा खुश हुई क्यों की उसके पति की परवानगी मिल गई थी तभी उसका पति ने बोला: “ और हां, अब जमाई समज लिया है तो उनको थोडा अकेले रहने का मौक़ा भी दे दिया करो, लेकिन उतना भी नहीं की शादी के पहले ही पूमा का पेट फुल जाए, तुम भी उसका साथ देती रहना।“ उसने पुष्पा की चूत पर हाथ रखते हुए कहा,”यह भी काफी समय से मांग रही है राईट??? घर की बात रहेगी और घर पर ही होता रहेगा।“

पुष्पा ने चिंतित नजर से कहा और पूनम?

“तुम्हे और मुझे दोनों को पता है पर बोलने की जरुरत नहीं, सिर्फ चोदु बनते रहे समजी?”


***


परम बहार निकल गया और सीधा सेठजी के वहा पहुंचा। सुंदरी तैयार थी। आते समय छोटी बहू ने परम से अगले दिन 2-3 बजे दोपहर में आने को कहा। परम सुंदरी को लेकर सेठजी के ऑफिस वाले रूम में आया। वहा देखा कि महक नंगी ही अजनबी के ऊपर लेटी हुई है और उसके लंड से खेल रही है। लंड लंगड़ा हो चुका था, यानी महक की चूत को फाड़कर ठंडा हो गया था। परम और माँ को देखकर महक अजनबी से अलग हो गई और अपनी माँ के पास आ गई। सुंदरी ने पुछा,

“सब ठीक से हो गया ना?”

महक शर्मा गई और मां चिपक गई। महक फुसफुसा कर बोली,

“बहुत मजा आया, लौड़ा में बहुत दम है.... साले ने तीन बार रगड़-रगड़ को चोदा है.,.चूत में झिल्ली जैसा कुछ रहा नहीं।“

अजनबी भी खड़ा हो गया,सुंदरी को देखा ही अजनबी का लंड टाइट होने लगा,

“क्या जबरदस्त माल है, कौन है यह माल?कोई है यहाँ?”

"ये सेठजी का खास माल है" परम ने जवाब दिया। “हर चुदाई का 50000/- देते हैं सेठजी.

परम ने उत्तर दिया.

“मैं एक लाख दूँगा।” अजनबी ने जवाब दिया और अपने ब्रीफ़केस से नोटों का बंडल निकाला और सुंदरी को दे दिया। “लो पूरा एक लाख है।” अजनबी ने सुंदरी को बिस्तर पर गिरा दिया और फटाफट उसे नंगा कर दिया। करीब 10 मिनट तक अजनबी सुंदरी को चूमता रहा, कभी होंठों पर, कभी चूची को तो कभी बेली को तो कभी चूत को। उसका लंड पूरा टाइट हो गया था और एक अजनबी ने एक धक्के में पूरा लंड सुंदरी के चूत को चीरता हुआ अन्दर चला गया।

इधर परम नंगी महक और सुंदरी की चुदाई देख कर गरमा गया और वो पूरा नंगा होकर महक को चूमने लगा। फिर महक को सुंदरी के बगल में लिटा कर अपनी बहन के टाइट चूत में लंड घुसेड़ दिया और चूतड उछाल कर चोदने लगा। परम के हर धक्के पर महक “आह…” “उहहह…” करती रही। परम और अजनबी दोनों पहले ही झड़ चुके थे तो दोनों आराम से खूब जम कर चुदाई कर रहे थे। आज एक दिन में सुंदरी दूसरी बाद नए आदमी से चुदाई कर रही थी और उधर 2 घंटे पहले महक का चूत फटा था और अब दूसरे लंड का मजा ले रही थी। सुंदरी और महक दोनो माँ-बेटी ने अपने-अपने पार्टनर को पूरा सहयोग किया। उन्हें चूमा, सहलाया, पैरों में कसा और अंत में दोनो के पानी को अपनी अपनी चूत के अन्दर लिया।

चुदाई ख़त्म करने के बाद सब कपड़े पहन कर तैयार हो गए तो अजनबी ने महक से पूछा कि वो बिना कुछ लिए (पैसे) परम से कैसे चुदवायी तो जवाब सुंदरी ने दिया,

“परम हम दोनों का यार है… जब चाहे हमारी चुदाई कर सकता है।”

परम ने अजनबी सेठ से उन्हें उनके घर तक छोड़ने का अनुरोध किया। अजनबी ने उन्हें बाध्य किया।

जब तीनों घर पहुंचे तो मुनीम ने दरवाजा खोला। सुंदरी अच्छी मात्रा में खाने का सामान लेकर आई थी जो बड़ी बहू ने उसे दिया था, सभी ने खाया और सोने के लिए अपने कमरे में चले गए।


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आज के लिए बस यही तक।


कुछ दिनों के लिए कहानी को आराम देंगे और बाद में फिर से वही रफ़्तार पकड़ लेंगे।

आशा रखती हूँ की पाठक फिर से यही पर आ जायेंगे,,,,,,,,,,,,,,


शुक्रिया दोस्तों।



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sam21003

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यह सुनकर महेक का पूरा बदन सिहर उठा और भाई से बिल्कुल चिपक गयी।

“नहीं, उसने अब तक इस पर हाथ भी नहीं लगाया..लेकिन तुमको तो पूनम खूब दबाने देती है ना..?” महक ने उत्तर दिया और जोड़ा।

“हट.... तुम ग़लत बोल रहे हो। लड़की जब जवान होती है तो उसकी चुचि अपने आप ही बढ़ने लगती है। मेरी चुचि तो अभी और बढ़ेगी। किसी के छूने से हो सकता है की जल्दी बढ़ जाए।” महेक ने मन ही मन कहा की तुम क्यो नही दबा रहे हो और फिर बिल्कुल चित लेट गयी।

महेक अचानक चित हुई थी और परम का हाथ सीधा महेक की एक चुचि पर रह गया। परम को बहुत अच्छा लगा और उसने हौले से चुचि को दबा दिया। भाई का हाथ चुचि पर पाकर महेक खुश हो गयी।

“भाई, तुमने कभी किसी की चुचि दबाई है? भाई, तुम तो पूनम की चूची खूब दबाते हो, कैसी है उसकी चूची...?" वह भाई से सराहना (appriciation) चाहती थी। महक अच्छी तरह जानती थी कि उसकी चूची पूनम से बड़ी और मांसल है...और भरी हुई है, शायद भाई मेरे इस गोलाई से आकर्षित हो के कुछ देर दबा के दे। थोडा मजा उन्हें और ज्यादा मजा मुझे आये।

“हा बस पूनम की वो भी ठीक से नहीं…तुम्हारे बोबले ज्यादा मांसल और बड़ी भी है…अच्छी गोलाई भी पकड़ ली है तुम्हारे इस बोबले ने...जिसे हर कोई दबाने और चूसने चाहेगा।”

बोलकर परम बहन की चुचि को हौले-हौले मसलने लगा। कभी एक चुचि को तो कभी दूसरी चुचि को। परम ने महसुस किया कि महक की चुची पानी से भरे गुब्बारे की तरह टाइट है जब सुंदरी के धइले स्पंजी (मुलायम) और गुदाज है।
“बहन, तुमने कभी नंगे आदमी को देखा है?”

“नही, भैया” महेक ने धीरे से कहा।

“कभी मन नही करता है?”

“जब सुधा अपनी नौकरानी और अपने पापा की बात सुनाती है तो मेरा भी मन करता है की कोई मुझे भी बाहों मे लेकर खूब मसले और चूमे। मेरे अंग-अंग को दबाए और तब तक दबाता रहे की मै थक ना जाऊ।”

महेक का इतना कहना परम के लिए खुला निमंत्रण था। परम झट से उठकर बैठा और दोनो हाथो से बहन को उठा कर बैठा लिया। महेक को ज़्यादा मालूम था। वो अपनी दोनो टांगे भाई के उगल-बगल रख कर उससे बिल्कुल सट गयी। महेक अपनी भाई के लंड पर बैठी थी। परम दोनो हाथो मे लपेट कर महेक को चूमने लगा। महेक ने भी पूरा साथ दिया। उसकी ताज़ी नोकीली निपल भाई के छाती से बिलकुट सटी हुई थी और नीचे कमर भी उचका रही थी। चूमते चूमते परम बहन को खूब ज़ोर से दबा भी रहा था जैसे की एक लड़की को नही किसी प्लास्टिक की गुड़िया को मसल रहा हो।

“और ज़ोर से दबाऊ? ” उसने बहन से पूछा।

“मुझे तोड़ डालो, मेरी चुचि को मसल-मसल कर चटनी बना दो। जहां मन करता है वहां मसलो खूब दबाओ, बहुत अच्छा लग रहा है।”

परम धइले (स्तन) को मसलता था तो कभी दोनो हाथो मे भर कर पूरी ताक़त से उसे जकड कर बहन की जवानी का मज़ा ले रहा था। लगता ऐसा था की आज ही महक के बोब्लो को अपनी माँ के जैसे बड़े कर देना चाहता हो।


“भाई अभी आपने कहा था की किसी पुरुष से धइले दबवाने से बड़े हो सकते है तो फिर बड़े करो मेरे भी। आपके हाथो से मेरे बोबले बड़े हो इस से ज्यादा और क्या चाहिए आपकी बहन को।“

“कपड़े उतार कर मसलने मे और भी मज़ा आएगा।”

“जो मन करता है करो, बस चोदना मत।”

परम ने फटाफट अपने कपड़े उतारे फिर बहन का फ्रॉक ओर पेंटी उतार दिया और फिर पहले की तरह दोनो चिपक कर चुम्मा-चाटी करने लगे। परम का तना हुआ लंड महेक के चूत पर दस्तक दे रहा था। महेक एक हाथ से लंड को पकड़ कर चूत पर रगड़ने लगी। परम का ध्यान बहन की चुचि से खेलने मे था। अब उसने निपल (डत्त्ती) को चूसना शुरू किया और उसके चिकने बदन को मसलता रहा।

महेक बहुत गर्म हो गयी थी औरऔर होना ही था पहली बार जो था, ज़ोर ज़ोर से लंड से अपने चूत को रग़ड रही थी। अचानक वो भाई से बिल्कुल चिपक गयी और सिसकारी मारते हुए कहा।

“मै…गयी…भैया” और ज़ोर से चूत का लंड पर धक्का मारा। परम के लंड का सूपड़ा बहन के चूत के अंदर चला गया। लेकिन तुरंत ही महेक को होश आया और उसने लंड को चूत से बाहर निकाल दिया।

“ओह बहन, लंड बाहर क्यो निकाला अंदर जाने देती!”

महेक पैर फैला कर लेट गयी और कहा “आज बहुत मज़ा आया। पहली बार जवानी का मज़ा लिया है, और जाना की जवानी क्या होती है और अगर इतने से इतनी मजा आती है तो भाई का लंड कैसा मजा देगा। जितने दिन चूत को संभाल सकती हूँ संभालने दो फिर तो तुम्ही को अपनी बहन की सील तोड़नी है। वादा करती हू पहली बार तुम्हारे लंड को ही चूत के अंदर लुंगी और अपना शील आपके लंड को ही गिफ्ट करुँगी।”

महेक लंड को सहलाने लगी और कहा “साला कितनी जल्दी अंदर घुस रहा था, लगता है भूखा है। मै जल्द ही इसके लिए एक मस्त माल लाउंगी।”

परम भी बगल मे बहन के उपर झुक कर लेट गया। उसने बहन की चूत को सहलाया।

इतनी देर मे पहली बार उसने चूत को छुआ था। परमने चूत को सहलाते हुए कहा,

“सुधा कौन है? तुम उसके बारे मे क्या कह रही थी?”


अगले अपडेट तक आप यह कहानी के बारे में अपनी राय बताये ........आशा करती हु की यह पहला एपिसोड आपको पसंद आया होगा.....


बने रहीये मेरे साथ इस कहानी में ...............
Amazing yaar 😁
 

prkin

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अगर कोई नीचे की ओर देखता तो उसे पता चलता कि वो औरत कितनी पनिया गई थी। उसकी चूत अपना चुतरस ज्यादा मात्रा में बहा रही थी। शायद आगे भी वह झड गई थी। जब परम ने पुमा को चोदने की बात कही थी तभी उसकी चूत से फुवारा निकल चुका था।

अब आगे................


चूत से पानी टपक कर बाहर गिर रहा था और लंड की गर्मी से बोबले टाइट हो गए थे। पुष्पा अपना सारा निश्चय भूल गई कि परम को अपनी चूत नहीं दिखायेगी। वो भी भूल गयी कि परम उसकी छोटी बेटी को चोदना चाहता था और होसकता है की भविष्या का दामाद हो पर,यहाँ वो खुद ही लंड खाने को तैयार थी। पुष्पा जोर-जोर से सिस्कारी मार रही थी कि परम ने पिचकारी छोड़ दी। लंड से सफ़ेद तरल पदार्थ की गोली जैसा निकला और पुष्पा की गर्दन को भिंगाता हुआ उसके मुँह और नाक में घुस गया।


पुष्पा ने लोडे का माल को चाटा और बोल पड़ी, फनलवर की पेशकश

“क्या बेटा… बीच रास्ते में ही गाड़ी पंचर कर दिया।” पुष्पा ने परम को धक्का देकर अपनी बॉडी से नीचे कर दिया और कहा,

"मैं ही पागल थी कि तेरे जैसे बच्चे के सामने नंगी हो गई.... चल हट मुझे कपड़ा पहनने दे, मादरचोद, चोदना आता ही नहीं और पुमा को चोदेगा।"

लेकिन परम ने पुष्पा को नीचे दबाया और लेटे-लेटे ही परम पुष्पा के पैरों के बीच आया और क्लिट को चूसने लगा। पुष्पा उछल पड़ी...

"हाय बेटा, बहुत मजा आया। आह्ह...।"

परम ने कुछ जवाब नहीं दिया और प्यार से चूत को चाटता रहा। कभी भगनासा को होंठों से चूसा जाता था तो कभी भगनासा को ऊपर की ओर खींचा जाता था। जीभ से चूत के होठों को चूमता था तो कभी जीभ को चूत के अंदर डाल कर घुमाता था। परम ने दोनों हाथों से चूत को फैला दिया था और पूरे होठों के नीचे डाल कर चाट रहा था और चूम रहा था। पुष्पा जोर जोर से सिस्कारी मार रही थी...इस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्............भे..........न..........चो.........द...........

पुष्पा कई सालो से चुदवा रही थी लेकिन कभी भी उसके पति ने चूत को चूमा नहीं। उसने सहेलियों से सुना था कि चूत चटवाने में बहुत मज़ा आता है। कई बाद उसका मन किया कि पति को बोले चूत को चाटने के लिए लेकिन वो शर्म के कारण नहीं बोल पाई। और अब जब परम चूत चाट रहा था तो उसे पहले की हर चुदाई से ज्यादा मजा आ रहा था। वो चुतर उछाल रही थी और परम चूत को चूसने के साथ-साथ 2 उंगली घुसा कर उसे चोद भी रहा था। पुष्पा की शिकायत की परम ने बीच रोड पर पंचर कर दिया, ख़तम हो गई थी और अब परम को मन ही मन बहुत आशीर्वाद दे रही थी।

परम पुष्पा की स्वादिष्ट चूत को चाटने और चूसने में बहुत तल्लीन था। ऐसा लग रहा था कि परम अपना पूरा सिर चूत में घुस जाएगा, लेकिन नाक और जीभ के अलावा और कुछ चूत के अन्दर नहीं जा सका। पुष्पा को भी बहुत मजा आ रहा था, इससे पहले किसी ने चूत नहीं चाटा था लेकिन जो मजा अभी आ रहा था वैसा मजा पहले कभी नहीं आया था। पुष्पा खूब मजा ले कर मजा ले रही थी और कमर हिला-हिला कर परम को बता रही थी कि उसको खूब मजा आ रहा है। पुष्पा जोरो से ‘आहह…. उह्ह्ह…कर रही थी, साथ ही कमर उछल-उछल कर परम के चूत चटाई का मजा मार रही थी। पुष्पा को इतना मजा आया कि उसने दोनों हाथों से अपनी जांघों को अपने बोबले की तरफ खींच लिया, जिस से उसकी चूत ज्यादा से ज्यादा फैले। अब पुष्पा को अपनी ही चूत दिख रही थी।

परम कभी क्लिट को चूस रहा था तो कभी पूरी जीभ को अन्दर डाल कर घुमा रहा था और चूत का माल अपनी जीभ से बहार निकाले जा रहा था। इस बिच पुष्पा ने भी अपना चुतरस को परम के मुंह में भर दिया। साथ ही उंगली भी चूत के अंदर घुसेड़ कर चूत का मजा लेने लगा। परम का लंड टाइट होने लगा था, 7-8 मिनट के बाद परम ने चूत से हाथ अलग हटा दिया और चूत में जीभ डाले हुए ही पुष्पा की दोनों स्तनों को जोर-जोर से दबाते हुए चूत को खाने लगा। परम खूब मजे से चूत के हर एक हिस्से को चूस रहा था और पुष्पा का एक अंग जलने लगा था। वो अपने पैरों को उठाकर परम के सिर को पकड़ कर नीचे दबाने लगी। पुष्पा चाह रही थी कि परम का पूरा सिर उसकी चूत में घुस जाए। पुष्पा को लगा कि वो अब झडने वाली है और उसने अपने दोनों हाथों से और पैरों से परम के सिर को चूत पर दबाया और अपने कुलहो को ऊपर उठा दिया।

परम समज गया कि पुष्पा अब ठंडी हो गई है तो वो पुष्पा के क्लच से बाहर निकला और फचाक से लंड को चूत में घुसा दिया और पुष्पा के होठों को चूसने लगा साथ ही खूब जोर से चोट में धक्का लगाने लगा। पुष्पा को महसूस हुआ कि उसकी चूत के अंदर जो लंड है वो उसके पति के लंड से मोटा और लंबा है। पुष्पा ने कुलहो उछाल कर जबाब दिया लेकिन उसे अपनी चूत का स्वाद परम के मुंह में अजीब सा लगा। वो परम को अलग करना चाहती है लेकिन परम पुष्पा को जोर से जोर से धक्का पे धक्का लग रहा है। आख़िर पुष्पा थक गयी और उसने अपना बदन ढीला कर दिया और चुदाई का मज़ा लेने लगी। और अपना चुतरस परम के मुख से चाटने लगी। उसे अब ओर भी मजा आया इस विकृति से, अब उसे यह सब विकृत नहीं काग रहा था उसका खुद का रस उसे भा गया।

परम ने पुष्पा के होठों को आज़ाद किया और गालों को चूमा

“क्यों काकी, अब तो पंक्चर नहीं हुआ।”
नीता की रचना पढ़ रहे है

"नहीं, बेटा बहुत मजा दे रहो हो...चुदाई करते रहो...लेकिन अब मैं झरने वाली हूं। तुमने चूत चूस कर मुझे पूरा मजा दे दिया।"

लेकिन उसके बाद भी परम जम कर धक्का मदता रहा। आख़िर पुष्पा पूरी तरह से थक गयी।

“अब लौड़ा निकाल लो बेटा...थक गई हूं....मैं हाथ से तुम्हारा पानी निकाल दूंगी...।”

“लोडा चुसोगी?”


“नहीं.. छी….लंड भी कोई चूसता है…? लोडा तो कोई चूसने की चीज़ है।”

“तो ठीक है.. मैं तब तक चोदता रहूंगा जब तक फिर से पंचर नहीं हो जाता हूं…” परम जोर जोर से धक्का लगाने लगा।

पुष्पा से अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था, वो पूरी ठंडी हो चुकी थी।

“ठीक है बेटा, मैं जान गई तेरा लोडे में बहुत दम है… तू जानता है किसने होली में मेरी चूत को मसला था…… तेरे बाप ने… और आज बेटे ने मेरी चूत मसल कर चोद डाला।…”

परम के बालों को प्यार से सहलाते हुए बोली,

“ला मैं लोडे को चूस कर ठंडा कर देती हूँ, आख़िर तूने भी तो चूत चाट कर मज़ा दिया है।”

इतना सुनकर परम ने एक आखिरी बाद जोर से चूत में धक्का दिया और सीधा लंड निकाल कर पुष्पा के मुंह में डाल दिया। पुष्पा ना नुकुर करती रही लेकिन परम लोडे को धीरे-धीरे पुष्पा के मुंह में बाहर निकालता रहा। और आखिर जब परम का पानी निकला तो परम ने पुष्पा के बाल पकड़ कर पूरा माल, पुष्पा के मुंह में गिरा दिया।, पुष्पा का मुंह खुला था और एक-एक बूंद उसके गले के नीचे चला गया। पूरा वीर्य निकलने के बाद परम ने पुष्पा को अपने ऊपर ले लिया और दोनों हाथों से उसकी गोल-गोल हिप्स को दबाते हुए, पुष्पा को किस करता रहा। आज पहली बाद परम ने अपने वीर्य का स्वाद चखा।

कुछ देर तक दोनों ठंडे पड़े रहे। पुष्पा ने दीवार घड़ी की तरफ देखा, और चिल्ला पड़ी...
नीता द्वार रचित कहानी

"बाप रे, बेटा डेढ़ घंटा हो गया। अब सब आने वाले होंगे। चल जल्दी से कपड़े पहन कर तैयार हो जा... किसी को पता नहीं चलना चाहिए।"

दोनो साथ टॉयलेट गए और मुंह हाथ साफ किया और वापस आकर कपड़े पहनने लगे। पुष्पा ने कहा कि अब कब उसे चोदेगा तो परम ने जवाब दिया वो हर 2-3 दिन बाद आकर पुष्पा की चूत मरामत कर देगा। परम ने ये भीखा की अगर और भी चुदवाने का मन करे तो उसके घर आ जाये।

“सुंदरी क्या बोलेगी।”

“वो कुछ नहीं बोलेगी और ना ही कोई कुछ कहेगी। और हां तुम्हारे पुराने यार यानी के मेरा बाप से भी चुद के अपनी अधूरी इच्छा पूरी कर सकेगी।”

कपडे पहन लेने के बाद परम ने पुष्पा की साड़ी और पेटीकोट कमर तक उठा कर अपनी तरफ चेहरा करके गोदी में बैठा लिया और दोनो चुत्तडो को मसलते-मसलते बात बनाने लगा। पुष्पा की गांड को रगड़ते हुए परम ने पुष्पा को याद दिलाया कि वो पुमा से ही शादी करेगा और उसे (पुष्पा) जब तक लंड में दम है चोदता रहेगा।


पुष्पा ने जवाब में सिर्फ इतना कहा “देखेंगे।”


आज बस इतना ही

बाकी कल................तब तक के लिए विदा............


आपके टिका टिपण्णी की प्रतीक्षा रहेगी


।जय भारत
Param ke bade maje hain Pushpa ke sath sath uski beti ko bhi chodega.
 

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कपडे पहन लेने के बाद परम ने पुष्पा की साड़ी और पेटीकोट कमर तक उठा कर अपनी तरफ चेहरा करके गोदी में बैठा लिया और दोनो चुत्तडो को मसलते-मसलते बात बनाने लगा। पुष्पा की गांड को रगड़ते हुए परम ने पुष्पा को याद दिलाया कि वो पुमा से ही शादी करेगा और उसे (पुष्पा) जब तक लंड में दम है चोदता रहेगा।

पुष्पा ने जवाब में सिर्फ इतना कहा “देखेंगे।”
अब आगे..........


कुछ देर के बाद पहले पूनम घर आई और फिर पुष्पा का पति और पुमा। परम पुमा को देखने के लिए ही रुका था। पूनम परम को अपने घर में देख कर घबरा गई और कमरे के तहत चली गई और पुष्पा अपने पति को लेकर दूसरे कमरे में चली गई। पुष्पा ने परम को पूमा के साथ अकेले रहने का मौका दिया था। पुमा भी रूम मे जाने लगी तो परम ने उसे पकड़ कर उसे चूम लिया और उसकी नन्ही-नन्ही चूची को मसल दिया। परम फुसफुसाया,


“पूमा मैं तुमसे प्यार करता हूं और तुमसे ही शादी करूंगा।”

यह सुन कर पूमा का गुस्सा ठंडा हो गया। उसने आंख उठा कर परम को देखा और

“कोई देखेगा तो!”

लेकिन परम ने फिर उसे अपनी बाहो में लेकर जोर से दबाया और सीधा फ्रॉक उठाया कर नंगी चूचियो को मसल डाला।

“कभी अकेले मेरे घर पर आना, खूब मजा दूंगा…।”

दोनो अलग हो गए, पूमा अंदर चली गई। परम ने पुमा के शरीर में जहर भर दिया था और वो परम से अकेले मिलने का मौका का इंतजार करने लगी।

फिर पुष्पा ने परम को कुछ खाने को दिया और अपने पति से कहा कि परम पुमा से शादी करना चाहता है..।

“तो ठीक है… कर देंगे…उसमे कुछ बुराइ नहीं है” उसने उत्तर दिया…।” परम और पूमा की जोड़ी ठीक रहेगी...परम पागल है जो पूनम और रेखा से शादी का सोचता था...दोनों उससे बड़ी है... ।''

पुष्पा खुश हुई क्यों की उसके पति की परवानगी मिल गई थी तभी उसका पति ने बोला: “ और हां, अब जमाई समज लिया है तो उनको थोडा अकेले रहने का मौक़ा भी दे दिया करो, लेकिन उतना भी नहीं की शादी के पहले ही पूमा का पेट फुल जाए, तुम भी उसका साथ देती रहना।“ उसने पुष्पा की चूत पर हाथ रखते हुए कहा,”यह भी काफी समय से मांग रही है राईट??? घर की बात रहेगी और घर पर ही होता रहेगा।“

पुष्पा ने चिंतित नजर से कहा और पूनम?

“तुम्हे और मुझे दोनों को पता है पर बोलने की जरुरत नहीं, सिर्फ चोदु बनते रहे समजी?”


***


परम बहार निकल गया और सीधा सेठजी के वहा पहुंचा। सुंदरी तैयार थी। आते समय छोटी बहू ने परम से अगले दिन 2-3 बजे दोपहर में आने को कहा। परम सुंदरी को लेकर सेठजी के ऑफिस वाले रूम में आया। वहा देखा कि महक नंगी ही अजनबी के ऊपर लेटी हुई है और उसके लंड से खेल रही है। लंड लंगड़ा हो चुका था, यानी महक की चूत को फाड़कर ठंडा हो गया था। परम और माँ को देखकर महक अजनबी से अलग हो गई और अपनी माँ के पास आ गई। सुंदरी ने पुछा,

“सब ठीक से हो गया ना?”

महक शर्मा गई और मां चिपक गई। महक फुसफुसा कर बोली,

“बहुत मजा आया, लौड़ा में बहुत दम है.... साले ने तीन बार रगड़-रगड़ को चोदा है.,.चूत में झिल्ली जैसा कुछ रहा नहीं।“

अजनबी भी खड़ा हो गया,सुंदरी को देखा ही अजनबी का लंड टाइट होने लगा,

“क्या जबरदस्त माल है, कौन है यह माल?कोई है यहाँ?”

"ये सेठजी का खास माल है" परम ने जवाब दिया। “हर चुदाई का 50000/- देते हैं सेठजी.

परम ने उत्तर दिया.

“मैं एक लाख दूँगा।” अजनबी ने जवाब दिया और अपने ब्रीफ़केस से नोटों का बंडल निकाला और सुंदरी को दे दिया। “लो पूरा एक लाख है।” अजनबी ने सुंदरी को बिस्तर पर गिरा दिया और फटाफट उसे नंगा कर दिया। करीब 10 मिनट तक अजनबी सुंदरी को चूमता रहा, कभी होंठों पर, कभी चूची को तो कभी बेली को तो कभी चूत को। उसका लंड पूरा टाइट हो गया था और एक अजनबी ने एक धक्के में पूरा लंड सुंदरी के चूत को चीरता हुआ अन्दर चला गया।

इधर परम नंगी महक और सुंदरी की चुदाई देख कर गरमा गया और वो पूरा नंगा होकर महक को चूमने लगा। फिर महक को सुंदरी के बगल में लिटा कर अपनी बहन के टाइट चूत में लंड घुसेड़ दिया और चूतड उछाल कर चोदने लगा। परम के हर धक्के पर महक “आह…” “उहहह…” करती रही। परम और अजनबी दोनों पहले ही झड़ चुके थे तो दोनों आराम से खूब जम कर चुदाई कर रहे थे। आज एक दिन में सुंदरी दूसरी बाद नए आदमी से चुदाई कर रही थी और उधर 2 घंटे पहले महक का चूत फटा था और अब दूसरे लंड का मजा ले रही थी। सुंदरी और महक दोनो माँ-बेटी ने अपने-अपने पार्टनर को पूरा सहयोग किया। उन्हें चूमा, सहलाया, पैरों में कसा और अंत में दोनो के पानी को अपनी अपनी चूत के अन्दर लिया।

चुदाई ख़त्म करने के बाद सब कपड़े पहन कर तैयार हो गए तो अजनबी ने महक से पूछा कि वो बिना कुछ लिए (पैसे) परम से कैसे चुदवायी तो जवाब सुंदरी ने दिया,

“परम हम दोनों का यार है… जब चाहे हमारी चुदाई कर सकता है।”

परम ने अजनबी सेठ से उन्हें उनके घर तक छोड़ने का अनुरोध किया। अजनबी ने उन्हें बाध्य किया।

जब तीनों घर पहुंचे तो मुनीम ने दरवाजा खोला। सुंदरी अच्छी मात्रा में खाने का सामान लेकर आई थी जो बड़ी बहू ने उसे दिया था, सभी ने खाया और सोने के लिए अपने कमरे में चले गए।


***********



आज के लिए बस यही तक।


कुछ दिनों के लिए कहानी को आराम देंगे और बाद में फिर से वही रफ़्तार पकड़ लेंगे।

आशा रखती हूँ की पाठक फिर से यही पर आ जायेंगे,,,,,,,,,,,,,,


शुक्रिया दोस्तों।



आपको यह एपिसोड कैसा लगा इस बारे में तो बताना ही है।



।।जय भारत।।
Wah Param ne mehak ka bhi swaad le liya.
 
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