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ये कहानी ROMANCE, SUSPENSE , THRILLER, ERITICA और ADULTERY आधारित है
कृपया सीमित अपडेट पढ़ कर अपनी राय बना कर कहानी छोड़ने की भूल न करें
भविष्य में आपको किसी अनूठे रस से चूकने का अफसोस रहेगा । कहानी के साथ बने रहे और ज्यादा से ज्यादा सपोर्ट करें । कहानी को आगे बढ़ाने में सहयोग करें ।
शायद ही आप इस तरह की कहानी आपको कहीं और पढ़ने को मिलेगी ।
कभी कभी समझ नहीं आता है कि कुछ अनचाहे लोग कब और कैसे आपके जीवन में आ जाते है और आपको भनक तक नहीं होती ।
बीते वक्त में उनकी की गई अनजानी सी मदद का बोझ लिए आप ढोते चले जाते है और वक्त के साथ वो बोझ बात चीत और मुलाकातों से बंधनों के रूप में आ जाता है । एक लंबे समय तक जब आप किसी के साथ शराफत का ढोंग करते हुए चले आओ तो एक समय बाद सामने वाली की कुछ अजीब बदतमीजियों को भी सहने के आप आदि हो जाते हो । चूंकि बीते वक्त में उसके किए हुए उपकार का कर्ज आपने उतारा नहीं होता है और वक्त के साथ उनसे कुछ रिश्ता सा बन जाए तो आपके लिए बड़ा ही मुश्किल हो जाता है कि आप उनसे कुछ असहज बाते कह कर पीछा छुड़ा लें ।
कुछ ऐसा ही एक उपकार से शुरू हुआ रिश्ता था मेरा और प्रिया का
साल 2018 बारिश का मौसम और मै अपने अरमान सजाए हुए तैयारी के लिए स्टेशन से पहली बार उतरा था प्रयागराज ।
एक ई-रिक्शा बुक करके गली गली सस्ता और आरामदायक जगह देखने के लिए शाम हो गई । कही भी सिंगल लड़के के लिए कमरे उपलब्ध नहीं मिले , रहे होंगे लेकिन चीजें मेरी पहुंच से तब दूर थी और मैने रिक्शे वाले को उसका 500 भाड़ा देकर वापस स्टेशन छोड़ने को बोल दिया था
रात के 08 बजे थे लगभग और बारिश से सड़के सुनसान थी , ना रास्ते का पता था न मंजिल की ओर वही एक सड़क किनारे एक लड़की दिखी भीगने से बचने की कोशिश करती हुई और वो आवाज दे रही थी हमें ही मतलब रिक्शे वाले को
: भैया अगर कहो तो वो दीदी को बिठा लूं , रात है सवारी नहीं मिलेगी
मै सुबह का थका था और मूड कुछ खास ठीक भी नहीं था । अपना ठिकाना न सही किसी को उसकी मंजिल मिल जाए
मैने हुंकारी भर दी और वो ई-रिक्शे को लेकर वहां पहुंचा
वहा एक नहीं दो थे
झट से वो अंदर आ गई अपने छोटे से भाई को लेकर
: ओह सॉरी रिजर्व है क्या ( वो पूछी )
: कोई बात नहीं बैठ जाओ , ये छोड़ देंगे
: थैंक्यू ( भीगी हुई लगभग वो बोली एक तसल्ली भरी मुस्कान के साथ )
मैने ध्यान नहीं दिया
: भइया तेलियरगंज छोड़ देंगे
वो ई-रिक्शे वाले से बोली । जगह का नाम सुना सुना सा था , लेकिन मन अब भारी हो चला था चीजें उतनी ध्यान में नहीं रह रही थी । भूख भी लगी थी और बारिश से थोड़ा बहुत मै भी भीग गया था ।
: दीदी , ये भइया कहा जा रहे है
उस छोटे से बच्चे की मासूमियत पर मै बहुत ही फीकी मुस्कुराहट से उसे देखा और वो थोड़ी असहज दिखी ।
: बाबू ये अपने घर जा रहे है , न ? ( उसने मुझे देख कर सवाल पूछा जैसे )
मै बोलता उससे पहले ई-रिक्शे वाला लड़का बोल दिया : नहीं दीदी , भैया तो आज सुबह ही इलाहाबाद आए है और किसी को जानते भी नहीं , सुबह से मै इनको कई जगह घुमा चुका हु ,कोई अकेले लड़के को रूम नहीं दे रहा है । बहुत परेशान है , अभी तो ये आपके मुहल्ले से निकल कर ही आए है
वो बड़े ध्यान से सुन रही और मै बजाय से देखने के अपनी नाकामी से झुकी नजरे फेर कर बाहर देख रहा था । वो चुप थी
: बस ये वाली गली में चलिए थोड़ा और आगे ( वो घूम कर ई रिक्शे वाले को घर का जगह बता रही थी )
: बस बस यही वाला है , रोक दीजिए उसने पैसे दिए और अपने छोटे भाई को लेकर उतर गई
: बाय बाय भैया ( उस मासूम ने हाथ उठा कर मुझे ग्रिट किया और मैने एक फीकी सी मुस्कुराहट से उसे देखा , पल भर को नजरे उससे मिली और मन उदास हो गया )
ई रिक्शे वाले ने गाड़ी घुमाई और हम 10 मीटर आगे आए ही थे कि उसने पीछे से आवाज दी ।
और भागती हुई आई
: सुनो , मेरे यहां एक रूम है लेकिन उसमें किचन नहीं है और बाथरूम भी कामन है । चाहो तो देख लो
चाहिए क्या था ? डूबते को तिनके का सहारा
" हाय रोहन "
: अरे प्रिया, हाय ( मुस्कुरा कर मैने देखा उसे )
काफी एक्साइटेड दिख रही थी
मैने उसे खुश देख उसकी वाइब में घुलता हुआ मुस्कुरा कर : क्या हुआ ?
: तुमने कुछ नोटिस नहीं किया ?
: क्या ? ( अचरज से मैने कहा )
: मेरी ड्रेस हीहीही , कैसी है ?
: ओह्ह्ह ,ये , वाव, अच्छी लग रही है
: थैंक्यू हीही ( इस तरह का उसका यू चहकना मेरे आगे आम सा था )
कोई नए कपड़े हो जो वो पहनती , कुछ स्पेशल जो वो बनाती मेरे पास जरूर परोसा जाता था ।
मैने मेरी तरफ से कभी भी अपना रिश्ता नहीं बनाया, मै बस एक शरीफ किरायेदार की तरह था दो साल से लेकिन उसके लिए मै बहुत खास था ।
शायद एक कैजुअल फ्रेंड से भी बढ़ कर , उसके पापा आर्मी में थे । चूंकि घर पर वो उसकी मां और उसका छोटा भाई था इसीलिए वो किराए पर कमरे नहीं देते थे । लेकिन नियति थी मेरी की बीते 2 साल से इस घर में मै ही अकेला किराएदार था ।
प्रिया की मां ने कभी भी मुझे या हम दोनो की कैजुअली मीटअप को शक के नजर से नहीं देखा । लेकिन एक वक्त के बाद मै बोर होने लगा था ।
उसका दखल मेरे निजी कमरे के साथ साथ मेरे निजी जीवन में भी ।
कई बार मन हुआ कमरा बदल लूं लेकिन कोचिंग में दूसरे लड़कों से उनके मकान मालिकों की मन मानियां और समय से आने जाने के पाबंदियां उनके बनाए रुल को सोच कर मन बदल जाता है
फिर परीक्षाये भी आने वाली थी ।
: मै मदद करूं
: अह नहीं हो जायेगा
: अच्छा ठीक है , काम कर लो और मम्मी ने कहा है कि रात को खाना मत बनाना
जान रहा था झूठ बोल रही है , लेकिन क्या कर सकता था , सामने वाले से बस प्यार ही मिल रहा था फिर मै खुद को एक बंधन में पा रहा था ।
वो चली गई
मैने अपना कमरा साफ किया और थक कर चौकी पर लगे बिस्तर पर फैल गया
और मोबाइल निकाल कर चेक किया तो मेरी सुकून का मैसेज आया था
मैडम कोचिंग से घर आ गई थी और डिनर की तैयारी में थी ।
मैने भी रूम पर आने का मैसेज डाल दिया और फ्रेश होकर निकल गया बाजार के लिए इलाहाबाद की शाम हर मौसम में सुहानी और जगमग होती है , बात जब सर्दियों की आए तो क्या कहना।
आम तौर पर यहां खाना पीना बहुत सस्ता था
मैने भी सब्जियां पैक करवाई और निकल गया टहलते हुए रूम पर ।
जीने से ऊपर जा रहा था कि एक फुसफुसाहट मेरे कान में आई और प्रिया का छोटा भाई आ गया बुलाने
: भइया आओ चाय पी लो
समझ गया उसी ने कहलवाया है
मै मुस्कुरा कर उसके साथ आ गया अंदर
हाल में उसकी मां बैठी थी , और किचन से मसाले की खुशबू आ रही थी
: नमस्ते आंटी
: नमस्ते बेटा , बैठो , और बताओ घर पर सब ठीक है
हमारा हाल चाल हो रहा था और वो चाय लेकर आई और अपनी मम्मी के पास खड़ी हो गई
जैसे मै कोई मेहमान हूं उनके यहां
एकदम से उसकी नजर मेरी सब्जियों की थैली पर गई उसने घूर कर मुझे देखा
ओह यहां मै आपको बताना भूल गया , हमारे इलाहाबाद में एक बड़ी ही गजब की बात है यहां लोग रोज सब्जियां खरीदने जाते है , मतलब आज रात क्या बनेगी सिर्फ उसी की खरीदारी होती थी।
चूंकि मै काफी दिनों से नहीं था तो कुछ मुख्य सब्जियां प्याज लहसुन के साथ अगले दिन के लिए भी सब्जी ले लिया था लेकिन उसको लगा कि मै खाना नहीं खाऊंगा उसके यहां।
तभी मेरा मोबाइल बजने लगा मेरी नजर घड़ी की सुई पर गई
8 बजने में 5 मिनट कम थे , मतलब मैडम के काल का ड्यू टाइम आने ही वाला था लेकिन पहले ही आगया
मैने झट से चाय खत्म की और आखिरी रिंग से पहले काल उठा दिया फिर सब्जी उठा कर : आंटी खाना हो जाए तो बता दीजिएगा , मुझे एक बहुत जरूरी लेक्चर अटेंड करना है ।
मै वहा से निकल गया और जीने पर आते ही फोन कान पर लगा कर
: हाय
: ओहो , तो आज लेक्चर अटेंड होगा उम्मम ( उसने मजे लिए)
: क्या यार आप भी , और बताओ कैसे हो ( मै मुस्कुरा कर बोला )
: बिलकुल अच्छी नहीं हूं, क्यों चले इतना दूर ( वो रोने का ड्रामा करती हुई बोली ) पता है मेरी सहेली बोल रही थी कि आपके दोस्त के घर परसो चौथ लेकर चलने के लिए, सोचा आपसे मिल लूंगी । आप क्यों चले गए ऊहू मम्मीईई
: क्या सच में आने वाले थे ?
: अब नहीं जाऊंगी , हा नहीं तो , कितना रोना आ रहा है मुझे । मुझे आपको देखना है आपको तो मेरी याद भी नहीं आती वीडियो काल भी नहीं करते , सब मुझे कहना पड़ेगा तब समझोगे क्या
उफ्फ दो दिनों में ही शिकायतों की लंबी लिस्ट लेकर बैठ गई मेरी शेरनी और मुझे हंसी आई
मैने अपना नेकबैंड कनेक्ट किया और उसको वीडियो काल
: अरे रो रहे हो
: तो क्या नाचूं , उतना दूर चले गए अगर मुझे आपकी धड़कन फील नहीं हुई तो ?
हंसी आई मुझे उसकी बच्चों जैसे बातों पर
: दूर कहा , यूं कहो और भी पास आ गया ( मै बिस्तर पर लेटकर मोबाइल अपने आगे रखता हुआ )
: वो कैसे ?
: यहां किसी से छिपना थोड़ी है , जब चाहूं तब आपसे बातें कर सकता हूं , जितना चाहूं उतना
: पूरी रात भी ( उसने पूछा )
: हा पूरी रात ( मैने हौले से कहा और वो शर्मा गई )
फिर हम एक दूसरे को देखने लगे मोबाइल स्क्रीन पर
मैने उसे अपने पास आने को कहा वो थोड़ा शर्माई और मुस्कुरा कर ना में सर हिलाया और कम्बल से मुंह छिपाने लगी
: बक्क आओ न
: नहीं ऐसे नहीं , वॉइस कॉल पर आओ
: अरे मै तो मेरे सुकून का प्यारा सा चेहरा देखूंगा बस
: पक्का न ( उसने वार्निंग दी )
उसने मोबाइल तकिए से टेक लगा कर खड़ा कर दिया और पेट के बल उसके सामने लेट कर अपने दोनों हाथ आगे करके ऊपर अपना चेहरा टिका कर उसे देखने लगी
: मत देखो न ऐसे
: क्यों ( मैंने उसे देखते हुए कहा )
: मुझे शर्म आ रही है ( वो मुंह पर हाथ रख कर बोली और मुस्कुराने लगी )
मैने कोई जवाब नहीं दिया बस उसे देखता रहा और वो भी शांत सी हो गई
हम फिर से खोने लगे एक दूसरे में और मै झट से लपक कर अपने मोबाइल स्क्रीन पर उसके लिप्स को चूम लिया
: अह धत्त गंदे हो आप ( वो मुंह पर हाथ रखते हुए घूम कर लेट गई )
मै खिलखिला कर हसने लगा
: आई लव यू ( मैने बोला और वो शांत हो गई और उसने मुझे देखा )
मैने भौहें उचका कर उसे इशारा किया और वो फिर शर्माई
: बोलो न , बक्क
: क्या ( वो मुंह पर हाथ रख शर्मा मुस्कुरा रही थी )
: वही
: क्या
: आई लव यू बोलो
: नहीं बोलूंगी , जबरजस्ती है क्या
: हा ( मैने भी हक जताया )
: आऊंगा न तो...
: आजाओ हीही ( उसने वापस चिढ़ाया)
: किस्सी दोगी न , आऊंगा तब
: हम्ममम आजाओ ( आंखों से उसने मुझे बुलाया )
: पक्का न
वो असहज हो गई और न में सर हिलाया
: इतना भी क्या डरना किसी से ( खिलखिला कर मैने उसके मजे लिए)
: अब तो पक्का कुछ नहीं दूंगी , रखो आप, हा नहीं तो , बाय
उसने चिढ़ कर फोन काट दिए और मै हंसने लगा
और मुझे एक प्यारे से गाने के बोल याद आ गए
मैने हस्ते हुए उसके व्हाट्सअप पर मैसेज टाइप करके भेज दिया
ओ मेरे सोना रे सोना रे सोना रे दे दूंगा जान , जुदा मत होना रे
मैं तुझे जरा देर में जाना हुआ कुसूर खफा मत होना रे
: o meri sona maan jaao na
अगले पल उसका रिप्लाई आया
: pagalu , mummy ne bulaya hai abhi bat krati hu
मैं खुश हो गया और थोड़ा अपनी पढ़ाई का देखने लगा , थोड़ी देर में प्रिया का भाई ऊपर आया खाने पर बुलाने के लिए मैने मेरी जान को एक मैसेज डाल कर मोबाइल चार्ज लगा कर नीचे चला गया खाना खाने
जैसा कि मैने बताया कि वो अक्सर खास खाने मेरे लिए सीखती और बनाती थी तो आज का खाना भी अच्छा था
चुकीं आज मेरा मन खुश था मेरे सुकून से बात करके तो मस्ती सूझ रही थी और मैने बजाय प्रिया के उसकी मम्मी की तारीफ की
: सच में आंटी, आपके हाथ की इतनी अच्छी सेवई है न
: और चाहिए तो ले लो बेटा ( वो हस बोली )
: नहीं आंटी , पेट भर गया और थैंक्यू सच आज थक सा गया था और शायद खाना बनाता भी नहीं
मैने देखा वही किचन में किसी को अपने लिए फैसले पर इतराते हुए और मै उठ कर हाथ धुलने के लिए किचन में चला गया
: चाहो तो एक थैंक्यू मुझे भी बोल सकते हो , सब्जी मैने ही बनाई थी ( तुनक कर वो बोली , हाथ बांध कर मेरे पीछे खड़ी हुई )
मुझे हसी आई कुल्ले करते हुए लेकिन मैने अपनी भावनाएं छिपाई
: सीई तभी सोचूं किसने बदला लेने के लिए मिर्ची ज्यादा डाली थी, फ़ूऊऊऊ अह्ह्ह्ह ( जीभ निकाल कर मैने नाटक किया तो वो मेरा गला पकड़ने दौड़ी)
मै बचने की कोशिश करता हुआ खिलखिलाया और वो भी मुस्कुराते हुए : तुम न , मम्मी है नहीं तो बताती अच्छे से
मै मुस्कुरा कर अपना कालर सही करता है उसको चिढ़ाता हुआ जानबूझ कर जीभ से सिसकारे लेते हुए निकल गया और वो चिढ़ कर रह गई ।
थोड़ी देर बाद ऊपर आया तो देखा 4 मिसकॉल आए थे
मैने अपने कमरे का दरवाजा बंद किया और काल बैक करते हुए बिस्तर में
: ओहो कोई मुझे मिस यू बैडली भी लिख सकता था इतना फोन करने के बजाय ( मैने उसे छेड़ा )
: हूह , किसने बोला मिस कर रही थी ( वो तुनकी )
: बस फ़ील हुआ खाते समय हिचकी आ रही थी ( अभी भी मै नीचे वाले फ्लोर के फ्लो में ही था )
: हूह , पता नहीं लोगो को क्या क्या भ्रम हो रहे है ( भिगो के दिया उसने मुझे और मेरी मस्ती फुर्र )
: हम्म्म लेकिन मै तो मेरी सोना को मिस कर रहा था
: अच्छा सच में
: हम्म्म, वो तो मेरी सांसों में बस गई
: ओहो
: हा , और पता है वो न
: हम्म्म ( उसने जताया कि वो गौर से सुन रही है )
: वो न मेरी जान है , मेरा सुकून है
: पागल , आई लव यू
: लव यू मेरी सोना
उसकी कुनमुनाहट भरी हंसी आई और एक फ्लैश नोटिफिकेशन पॉप अप हुआ स्क्रीन पर , उसने वीडियो काल की रिक्वेस्ट दी थी
मैने पिक की और फिर हम एक दूसरे को देखने लगे
मैने मोबाइल को दिवाल से लगा दिया और करवट लेकर कम्बल में से उसे देखने लगा
वो मुझे मुस्कुरा रही थी और मै उसे
कितना कुछ अनकहा सा प्यार था उसकी आंखों में जो वो कह नहीं पा रही थी
: बोल दो न
: क्या ( उसने मुस्कुरा कर पूछा)
: वही जो आंखों में लिए बैठे हो
: कैसे समझ जाते हो आप ( वो थोड़ा शर्माई )
: जान हो आप मेरी ( मैं प्यार से कहा और उसने मोबाइल पकड़ कर अपना स्क्रीन चूम लिया).
आंखे बंद कर मैं उस पल को महसूस किया और फिर से सामने थी
: सो जाओ ( सुकून भरी मुस्कुराहट से वो बोली )
: नहीं ऐसे रहो न ( मैने कहा और वो मान गई )
फिर मैने एक फ्लाइंग किस भेजी होठों से और वो मुस्कुरा कर वैसे ही लेटी रही फोन के आगे
और देखते ही देखते उसने आंखे बंद कर ली
इस पल को तो कायनात से चुरा लू इतनी मासूम लग रही थी मेरी जान , प्यारी सी गुड़िया मेरी मेरी लाडो मेरा सोना मेरा सुकून
जारी रहेगी
कृपया पढ़ कर अपने विचार जरूर साझा करें ताकि मै विचार कर सकू कि मेरी मेहनत सफल है भी या नहीं । वरना दूसरी सफल कहानियों को भी वक्त दिया जाए
इंस्टीट्यूट में वीकली टेस्ट शुरू हो गए और मार्च में एग्जाम होने के पूरे असार थे । मेरी अपनी भी तैयारी पूरी थी लेकिन युद्ध के पहले अभ्यास जरूरी होता है तो वही चल रहा था ।
एक ओर जहां नए साल का जश्न मनाया जा रहा था और मै अपने भविष्य के लिए रेजुलेशन लिख रहा था
इत्तेफाक की बात थी कि आज सुबह सुबह उसका फोन आया
मैने बिना एक पल गवाए फोन पिक किया
: गुड मॉर्निंग जान
: हाय , कितना प्यारा बोलते हो फिर से कहो न ( वो खिलखिलाई )
: गुड मॉर्निंग मेरा सोना & हैप्पी न्यू ईयर माई स्वीटू उम्माह
: सीईईई मेरी तो न्यू ईयर हैप्पी हो गई , थैंक्यू बाबू उम्माह & आई लव यू , लव यू , लव यू सो सो सो सो मच हिही ( उसने पूरा प्यार उड़ेल दिया मुझपर )
: उफ्फफ इतना प्यारा , पूरे साल का कोटा पूरा करोगी क्या हाहाहा
: आप पास होते न तो बताती कितना चाहती हूं आपको ( फिर एकदम से उसके सुर बदल गए ) पता है मेरी सहेली है रेखा वो भी अपने बॉयफ्रेंड के साथ आज घूमने जा रही है , मेरे कालेज में सब अपने अपने लवर्स के साथ होंगे सिर्फ मै अकेली रहूंगी , ऊहू अजाओ न बाबू प्लीज !!!!
उफ्फ पिघला दिया पगली ने मुझे , दुख तो मुझे भी हुआ अंदर से लेकिन मामले को समेटना था और फैलाना नहीं था।
: मेरा सोना मेरा सुकून, मै आऊंगा आपके बर्थडे पर और फिर आपके साथ तो मेरा हर दिन नए साल जैसा है उम्मम है न
: हम्ममम ( उसने थोड़ा संतोष मन से जवाब दिया ) पक्का आओगे न ?
: अपनी जान से कोई कैसे झूठ बोलेगा उम्मम
: आई लव यू, बहुत याद आ रही है आपकी उम्म्हुहुहू ( वो रोने सी लगी )
: अरे मेरा बच्चा , आई लव यू न सोना रो मत , आप भी अपने दोस्तों के साथ इंजॉय करने जाओ
: और आप ?
: मै भी इंजॉय कर लूंगा आप फोटो भेज देना
: पक्का न ? ( उसने इजाजत मांगी )
: हा मेरा सोना उम्माह ( मैने एक किस दी फोन पर )
: ओके थैंक्यू , लव यू बाय
: हम्ममम बाय
काल कट हुआ और मैने एक गहरी सांस ली और अपने काम में लग गया अभी घंटा भर बीता नहीं था कि मेरे रूम पर नॉक हुआ
समझ गया कि कौन आया होगा
मैने दरवाजा खोला और सामने प्रिया थी जो पूरी तैयार होकर साड़ी में खड़ी थी, उसकी यूनिवर्सिटी पर आज खास प्रोग्राम होने वाले थे
: हाय , हैप्पी न्यू ईयर ( उसने एक्साइटेड होकर थोड़ा सा ब्लश करते हुए कहा )
: हाय ... हैप्पी न्यू ईयर
मैने उसे ऊपर से नीचे तक देखा और नजर उसके कमर और पेट पर काफी नर्म और गुदाज थी उसने साड़ी को नाभि के नीचे बांध रखा था और बाल खुले थे किसी के भी होश उड़ाने के लिए काफी थे लेकिन मुझ पर उसकी ये कोशिश बेकार थी उस वक्त के लिए । उसने मुझे देखा और शर्मा कर अपने बाल कान में खोंसने लगी ।
: तुम मुझे मेरी यूनियर्सिटी ड्रॉप कर दोगे ? ( वो चहक कर इतराई जैसे उसे कितना विश्वास हो कि उसका ये रूप मुझे पसंद आ गया )
: ले..लेकिन बा..इक ?
: पापा की बुलेट है न उसी पर ( वो खुश होकर बोली )
मै समझ गया कि उसका आज अपनी यूनिवर्सिटी में सबको बताने का प्लान है कि उसका बॉयफ्रेंड मै हूं । मना करने का कोई बहुत खास रीजन नहीं था क्योंकि यूनिवर्सिटी 10 मिनट की दूरी पर थी ।
जैसे कि मैने पहले भी कहा था कि कभी कभी आप कुछ चीजें करने को मजबूर होते है जबकि आपके पास अपने दूसरे महत्वपूर्ण काम पहले से पेंडिग है ।
नए साल पर किसी लड़की को जो इतना तैयार होकर इंतजार करे कि आप उसे उसके कालेज ड्रॉप करने जाओ तो आपको भी एक पल के लिए अपनी इमेज का ख्याल करना पड़ जाता है
संजोग की ही बात थी कि कल ही मैने अपनी दाढ़ी बनवाई थी और बाल सेट करवाए थे । बैग से मैने ब्लैक शर्ट और काफी रंग की पैंट निकाली और तैयार होकर एक फॉर्मल सूज पहन कर नीचे आया जेब में एक सनग्लास रखे हुए
उसकी खुशी मुझे देखते ही दुगनी हो गई , आंटी अभी घर के दूसरे काम में व्यस्त थी और वो चाबी लेकर खड़ी थी
मैने बाइक निकाली और थोड़ा साफ करके स्टार्ट किया
पूरी गली में बुलेट 350 क्लासिक का इंजन भड़भडाया और वो मेरे कंधे पकड़ कर बैठ गई
मैंने भी बाइक आगे निकाली और सामने दो रास्ते थे उसने गर्ल हॉस्टल वाला रूट लेने को कहा
आज का रोला टाइट था अपना भी , गर्ल हॉस्टल के सामने निकलते हुए कुछ रेगुलर लड़कियों ने मुझे देखा जिन्होंने आज से पहले बस मुझे लोवर और टीशर्ट में ही देखा था ।
उनकी नजरे भी हम दोनो पर
मेन सड़क पर आते ही मैने सनग्लास लगाए
: थैंक्यू ( उसने मुस्कुरा कर कहा और बाएं रियर मिरर में मैने उसको देखा )
मै उसको लेकर यूनिवर्सिटी के कैंपस में आ गया , बवाल मचाने वाला माहौल था वहां। हाइटेक डीजे और गजब की सजावट उससे बढ़ कर फैशन झाड़ती लड़कियां और उनके चिपके हुए बॉयफ्रेंड
माहौल ऐसा कि सब कुछ चकाचौंध कर देना वाला , तकरीबन ढाई साल हो गए थे मुझे इलाहाबाद में लेकिन मैने कोचिंग से रूम और रूम से सब्जी मंडी इससे बढ़ कर इलाहाबाद को देखा नहीं था ।
: मै जाऊ फिर
वो थोड़ी असहज दिखी और मुझे हा बोल दिया ।
: लेने आना पड़ेगा ?
: नहीं मै आ जाऊंगी ( उसने थोड़े परेशान लहजे में कहा )
मुझे मेरे कल के टेस्ट की तैयारी करनी थी तो मैने बुलेट घुमाया और वापस कैम्पस से निकलने लगा
रियर मिरर में एक बार मैने देखा तो वो वही खड़ी थी अकेली , न उसके कोई दोस्त आए न सहेली
मुझे कुछ अजीब लगा
मैने सड़क की भीड़ से रुक कर किनारे हुआ और कुछ लड़कियां मेरे पास से निकली उसी की चर्चा करते हुए उसकी ओर
" वो देख आ गई , हीही , ये पता नहीं यहां किसके लिए इतना तैयार होकर आई है "
" छोड़ न उसको , अच्छा तेरा आरुष आ रहा है न "
" हा , फोन किया था तो बोला सैलून में हूं बेबी "
" ओह गॉड, आज तू गई हाहाहाहाहा"
" यार लेकिन इसे साथ में ले जाए , वहां ये कबाब में हड्डी रहेगी "
" छोड़ न कुछ बहाना करके निकल जाएंगे चल "
बहुत अजीब सा लगा जब महसूस हुआ कि असल में वो अपने दोस्तों के कितनी अकेली है , आज असल में उसके दिल का अकेलापन मैने महसूस किया था ।
धिक्कार रहा था खुद कि आजतक उस साफ दिल को मैने कितने अशब्द कहे थे। वो तो अब एक अच्छा दोस्त ही तलाश रही थी मुझमें और मैने उसकी कदर नहीं की ।
मूड पूरा स्वैग में था और आंखे थोड़ी नम
वो लड़कियां उसके पास पहुंच गई थीं और बातें हो रही थी , साफ पता चल रहा था कि उसके मुस्कुराते चेहरे के पीछे कितना दर्द छिपा है ।
मैने बुलेट घुमाई और एक्सीलेटर घुमाता हुआ पहुंच गया उसके सामने एक बार फिर
वो चौक गई , इसकी उसे उम्मीद नहीं थी और शायद इसकी भी नहीं जो आगे मै कहने वाला था ।
: सॉरी बाबू लेट हो गया आओ चले
उसने आंखे बड़ी करी और मेरी ओर देखा , चार छ: आंखे और थी जो मुझे घूर रही थी ।
: कम हियर
वो मेरे पास आई और मैने उसे बैठने का इशारा किया और उसी स्वैग में बुलेट घुमा कर निकल गया
कैम्पस से बाहर आते ही उसने मेरा कंधा थपथपा
: क्या हुआ ( हस कर मैने कहा )
: ये सब क्या था ? ( उसकी आंखों में खुशी थी )
: वो लड़कियां तुम्हारा मजाक बना रही थी कि तुम्हारा कोई दोस्त नहीं है , मेरे दोस्त को कोई ऐसा कहेगा तो क्या होगा ( हवा में तेज आवाज में बोलता हुआ मै हंसा और वो खिलखिलाई और मेरे बाजुओं के नीचे से हाथ डाल कर मुझे पकड़ , सच में वो मुझे अपना bf समझती हो
: कहा चले ( बाई रियर मिरर में देख कर मैने उसे बोला )
: जहां तुम चाहो ( मेरी पीठ पर सर रखे हुए वो बोली )
मैं आगे बढ़ कर कुछ दूर जाने के बाद एक जगह देखी जो नए साल की चहल पहल से दूर थी , एक म्यूजियम
पार्किंग में गाड़ी पार्क कर हमने टिकट ली और अंदर चले गए ।
शांति थी वहा और हम दोनो वही एक जगह देख कर जहां थोड़ी धूप आती हो बैठ गए
कुछ देर की चुप्पी के बाद
: सच में तुम्हारा कोई दोस्त था ही नहीं ?
: नहीं , बस यही दोनों सहेलियां थी लेकिन ये भी कमिनी निकली , और तुम्हारा ( उसने बड़ी उम्मीद से कहा)
मै मुस्कुराने लगा और सामने सड़क के बगल में रखे गमले में खिले हुए फूलों को देख कर , मेरे सुकून को याद किया
: मै उससे एक शादी में मिला था , पहली नजर का प्यार कह लो । वो बहुत प्यारी है और सच कहूं तो मुझे समझती भी है और पता है ( मैने उसकी ओर देखा उसने अपने आंखों से आंसू छिपाने की कोशिश की और जबरन होठों पर मुस्कुराहट लाई )
: हमम्म कहो
मुझे उसका दर्द महसूस हुआ लेकिन मेरे समझ से शायद यही तरीका था कि वो मुझसे दूरी बनाए
: वो दूर से ही मेरी धड़कने सुन लेती है और फिर उन्हें कंट्रोल भी कर देती जब कभी मै परेशान होता हूं
: वाव, तुम बहुत लकी हो रोहन । एक वादा करोगे ? ( डबडबाई आंखों से उसने मुझे देखा )
: भले ही उससे कुछ गलती हो जाए तुम उसका साथ कभी मत छोड़ना
मेरी आँखें भी नम कर दी उसने और मै हस कर : ये भी कोई कहने की बात है
: तुम बहुत अच्छे लड़के हो रोहन , कोई भी लड़की तुम्हे पसंद कर लेगी लेकिन वो लड़की बहुत ही खास होगी जिसे तुमने पसंद किया है ( उसके रोते दिल का दर्द मै समझ रहा था और बेबसी से मुस्कुरा रहा था )
: पता है , उस पहली मुलाकात के बाद हम दुबारा नहीं मिले है आज एक महीना होने हो गए है
: ओह्ह्ह हाहाहा , आज वो रूठ भी गई थी कि उसे अकेले नया साल मनाना पड़ेगा । लेकिन पता है मुझे क्या महसूस होता है उसके करीब होने पर
: क्या ? ( बड़े गौर से वो मुझे सुन रही थी )
: यही कि उसमें कुछ बहुत गहरा सा अंदर छुपा है आकर्षण सा है , लोग खुद उसकी ओर खींचे आ जाते है
: हम्मम , ये तो बहुत अच्छी बात है ( उसने ताज्जुब होकर जवाब दिया )
: हा लेकिन कुछ डर सा लगता है
: कैसा डर ?
: कि दुनिया में और भी दूसरे होंगे जो उसकी ओर खींचे आयेंगे , मै उन्हें कैसे रोक पाऊंगा
: उसकी तुम फिक्र मत करो, लड़कियों को उनके सही गलत की पहचान हो जाती है ।
मै प्रिया की बातों को गहरे से समझने लगा और थोड़ी देर की चुप्पी के बाद
: चलो घर चलते है ( वो बोली )
एक गहरी सांस लेते हुए मैने अपने पैर टाइट किए
: हा चलो लेकिन एक बात याद रखना ( खड़े होकर )
: क्या ?
: अब ये मत कहना कि तुम्हारा कोई दोस्त नहीं है ।
वो शर्मा कर मुस्कुराने लगी
: और सॉरी ?
वो समझ गई थी कि मैने सॉरी क्यों कहा और उसने फीकी मुस्कुराहट से मुझे देखा और हौले से बोली : कोई बात नहीं , मै खुश हूं तुम्हारे लिए सच्ची ।
मै मुस्कुरा दिया और मै बाइक पर बैठ कर उसको लेकर चल दिया
: एक राउंड और चले कैम्पस हाहाहा( मै खिलखिला कर बोला )
: नहीं पागल घर चलो ( वो खुश थी )
मै गाड़ी लेकर रूम के लिए निकल गया ।
शाम हुई और अभी तक मेरी पढ़ाई चल रही थी और उसका फोन आया
फोन पर
: हाय जान
: हाय मेरी जान ( मैने खुश होकर )
: क्या कर रहें हो ( उसने कुछ हांफते हुए कहा )
: बस वही कल के टेस्ट की तैयारी में हूं
: अच्छा , पता है बाबू आज बहुत थक गई है । डांस करके पैर दर्द हो रहा है
: ओहो डांस , वैसे क्या क्या मस्ती हुई उम्मम
फिर तो जैसे उसमें कितना ऊर्जा आ गई
: अरे बाबू , पता है कालेज में इतना मजा आया हीही हम लोग खूब डांस किए और फिर सेलिब्रेशन हुआ , कोई गाना गा रहा था कोई कॉमेडी हाहाहा उसकी बातों से साफ था कि उसने कितना इंजॉय किया
: फिर पता है
: हम्ममम बताओ
: उसके बाद मै , मेरी सहेली रेखा और उसका बॉयफ्रेंड सूरज , सुमन और उसका बॉयफ्रेंड अरविंद और विशाल आया था , फिर हम लोग न विशाल के घर गए ।
: और विशाल की gf ? ( मैने कैजुअली अपने नोटबुक देखते हुए पूछा )
: अरे उसकी gf उसके भइया की सगी साली है हिहिहीही वो अपने घर है
: ओह अच्छा ,
: हा पता है एक बात बताऊं? ( खनक भरी हंसी से वो बोली )
: हा बोलो न ( उसकी खिलखिलाहट ने तो आने वाले कल की चिंता की दूर कर दी , अंदर से इतनी खुशी हो रही थी )
: अच्छा एक चीजी पूंछू हीही
: हा पूछो ( मुस्कुराते होठों से मै बोला )
कुछ देर चुप हो कर
: ये सेक्स क्या होता है ?
: क्या ??
: अरे बाबा सेक्स एस ई एक्स ... सेक्स
: अ वो ( थोड़ा उलझन भरे लहजे में ) क्यों पूछ रही हो ( एक अनजानी सी उमंग उठी मन में और चेहरे पर मुस्कुराहट )
: ओफ्फो बताओ न बाबा , अच्छा सुनो
: हा कहो ( उसकी चंचलता और कुछ नया जान लेने की चुलबुलाहट से पैदा हुई खिलखिलाहट से मै खुश हो रहा है , कितना हल्का सा महसूस हो रहा था मानो आस पास तिलतिलिया उड़ रही हो )
: पता है हीहीही, मेरा दोस्त है न विशाल हीही ... उसने बताया कि वो सेक्स कर चुका है हाहाहाहाहा
एकदम से मेरे चेहरे की रौनक उड़ गई , मन में उदासी सी छा गई , एक डर एक तीव्र पोजेसिव नेस की भावना और कुछ जो मेरे लिए बहुत कीमती है वो खोने का डर और धड़कने तेज हो गई ।
: हैलो ... सुन रहे हो , हैलो
: अह हा बोलो न
: आपने कुछ सुना नहीं न ( वो थोड़ा नाराज सी हुई )
: अरे नहीं बाबू , सुना मैने बोलो आप
: आपको पता है हीहीही ( फिर वो अपने रंग में आ गई ) आज विशाल ने अपने दोस्त सूरज और रेखा को रूम दिया था वो सब करने के लिए। रेखा के साथ सुमन भी थी तो सुमन और अरविंद एक रूम में , रेखा और सूरज अलग रूम में थे हाहाहाहा
: और आप ?
: मै ? मै और विशाल हम लोग छत पर बातें कर रहे थे तो उसने बताया कि वो भी कर चुका है
: ओह्ह्ह , ठीक है कौन सा बड़ी बात है , gf bf तो करते ही है ।
: क्या ? इसका मतलब आप भी करोगे मेरे साथ , शादी से पहले ही
एकदम से उसने गियर बदला और बिना कोई गलती के तलवार मेरी गर्दन पर
: अरे नहीं बाबू , अच्छा मान लो मैने कहा करने को तो आप मान जाओगे क्या ?
: धत्त नहीं , मै तो शादी के बाद भी नहीं करुंगी और अगर बच्चे हो गए तो सबको पता भी चल जाएगा कि हमने सेक्स किया था छीईईई मम्मीइ, फिर मै मम्मी के सामने कैसे आऊंगी नहीं बाबा नहीं
उसकी बचकानी बातों से हंसी आई
: अरे लेकिन शादी के बाद तो सब करते है न ?
: नहीं मै नहीं करुंगी , अगर मंजूर हो आपको तभी मुझसे शादी करना
: ठीक है बाबा नहीं करूंगा ,
: हीहीही आप कितने प्यारे हो , मेरी सब बाते ऐसे ही माना करो
: जी रानी साहिबा , और कोई हुक्म
: हा रानी साहिबा को उनके बाबू का प्यार चाहिए दोनों चिक्स पर उम्मम कम से कम 50 50 चुम्मी और फॉरहेड पर भी खूब सारा
: और लिप्सी पर ?
: हा वहा भी , हीहीहीहि ( वो थोड़ा शर्मा कर बोली )
फिर मैने चुम्मीयो की बारिश कर दी फोन पर ही और वो खिलखिलाती रही ।।
जारी रहेगी
पढ़ कर अपना विचार साझा करें
ताकि रेगुलर अपडेट दिया जा सके
निशा ? निशा ? निशा ?
N..I....S...A..?
नहीं यार
NIS..H..A , ENTER !!!!
अरे यार इतने सारे USER ??
मैने एक के बाद एक करीब बीसियों इंस्टाग्राम यूजर आईडी को ओपन किया
या तो किसी के प्रोफाइल प्राइवेट थे या फिर वो मेरी सोना नहीं थी ।
तभी मेरी नजर अलग ही username पर गई __its_nishu
जिसके प्रोफाइल पर एक नियॉन एनिमेटेड तस्वीर थी शायद लार्ड कृष्णा की ।
सोचने वाली बात थी ये मेरे इंस्टा की फोलोवर लिस्ट में पहले से ही थी । लेकिन मैने इसपर कभी ध्यान नहीं दिया क्योंकि इनकी आईडी प्राइवेट थी और मैने फॉलो बैक नहीं किया था । मैने जब मेरे पब्लिक अकाउंट वाली आईडी की प्रोफाइल में अपने पोस्ट चेक करने शूरू किए थे पाया इसने मेरे सारे फोटो लाइक किए है और स्टोरी हाइलाइट भी !!
माथा घूमने लगा , कन्फर्म करने का एक ही तरीका था CONTACT SYNC ऑप्शन ऑन करके उन्हें इंस्टा पर खोजू जो मेरे contact list में सेव है
सर्च किया मैने नतीजा , वही , __its_nishu
मेरे दिल की धड़कने तेज हो गई
मेरी सोना मेरे इतने करीब थी और मै उसे खोज तक नहीं पाया , पहचान नहीं पाया
लेकिन सवाल ये था कि अगर वो मुझे जान रही थी , मेरी आईडी तो उसने मुझे बताया क्यों नहीं । कही ऐसा तो नहीं उसकी आईडी उसके घर वाले चलाते हो या फिर वो घर में ही किसी के मोबाइल में अपना आईडी खोल कर रखी हो चलाने के लिए
लेकिन ? सुबह तो उसकी सहेली के साथ में दो मोबाइल थे न , एक को वो पकड़े हुए थी और दूसरे से मेरी सोना की तस्वीरें निकाल रही थी ।
पता नहीं यार ....कुछ समझ नहीं आ रहा था
मै मेरे रूम में टहलते हुए गहरी सांस ले रहा था , क्योंकि बात जो भी ये तो पक्का था कि ये अकाउंट उसका ही है और वो बराबर मुझे स्टॉक कर रही थी लेकिन कभी बात नहीं किया ,क्यों ? क्यों ?
क्या मै उसको फॉलो बैक करु ?
नहीं , उसे पता चल जाएगा कि मै उसकी आईडी सर्च किया था ।
लेकिन फिर वो आज मुझे मिली ही क्यों ? हे भगवान क्या चाहते है आप ?
कभी कभी आप खुद समझ नहीं पाते हैं कि आप क्या रिएक्ट करें उस परिस्थिति पर जब आप अपने इष्ट से कुछ बहुत गहरे हृदय से मांगे और वो तत्काल उसे पूरी कर दें
शायद आप आने वाली परिस्थितियों के लिए तैयार नहीं होते है , शायद आप ये तय नहीं कर पाते है कि आगे जो कुछ होगा वो क्या नए हंगामे आपके लिए लेकर आने वाला है ।
लेकिन फिर आप गहरे भावनाओं से भर जाते हो और शायद यही सब मेरे साथ घट रहा था
देर रात तक मैने अपनी सोना के साथ बिताए हर एक पल याद किए और मुस्कुराता रोता रहा , उसको तस्वीरों में निहारता रहा । वो पल जब मैने उसकी आंखों में उम्मीद देखी थी और वो छलकी हुई आंखों में मेरे लिए तड़प देखी थी।
क्यों नहीं रुक गया मै वहा ?
चाहता तो रुक जाता , कर लेता कुछ फाइनल ?
द्वंद में सारी रात गुजर गई और अगली सुबह
01 मार्च 2022
09 बजकर 12 मिनट पर
एक अंजान नंबर से मेरा मोबाइल रिंग होने लगा
मै नहाने की तैयारी में था
ना जाने क्यों एक अजीब सी बेचैनी हो रही थी
धड़कने तेज थी एकदम से और मैने अपने फिंगरक्रोस कर मन ही मन अपनी सोना को याद कर आखिरी रिंग से पहले फोन उठाया
: हैलो ??
एकदम से चुप्पी सी थी दूसरी तरफ से , बैकग्राउंड में कुछ बाजार की चहल पहल थी
: हैलो ? ( मैने दुबारा से आवाज दी )
: हाय ( एक महीन सी आवाज , मानो कितने डर में बोली )
: बाबू ? ( पूरी रफ्तार से मेरा कलेजा धड़क रहा था )
: हम्ममम , कैसे हो आप ?
उसके ये शब्द ने मेरे दिल के जख्मों को जैसे सिलना शुरू कर दिया होगा , पूरा जिस्म मेरा पिघलने लगा था और धड़कने थोड़ी थोड़ी सी रुकने लगी थी ।
: जिसका सुकून चला गया हो उसकी लाइफ से वो कैसे रहेगा ( अपनी पूरी तकलीफ पूरा दर्द शायद ही किसी और तरीके से मै बयां कर सकता था )
एकदम से वो फफक पड़ी फोन पर
: अरे बाबू !! रो मत प्लीज आई लव यू न मेरा सोना ( नहीं रोक पाया मै भी खुद को रोने से और न ही अपने प्यार का इजहार करने से )
: सॉरी ( उसने सुबकते हुए कहा , लेकिन बैकग्राउंड में कुछ ज्यादा ही चहल पहल थी और गाड़ियों की आवाज आ जा रही थी )
: इसमें आपकी कोई गलती नहीं सोना , वो बस हमारी किस्मत थी जिसमें हम दोनो को जलना था ( मैने मेरे ओर हर संभव प्रयास किया कि मै उसे फोन पर ही सम्भाल लूं )
: हम्म्म, लेकिन आपको कैसे पता कि मै कल वहां आऊंगी ? ( सहज सा सवाल था उसका )
: नहीं पता सोना , मै तो बस वहां अपनी टीम के साथ मॉर्निंग रेड पर गया था और मंदिर में तुम्हारे जन्मदिन के लिए बस थोड़ी सी प्रार्थना करने गया था । .... ओह सॉरी ...हैप्पी बर्थडे मेरी सोना मेरा सुकून
: हम्ममम थैंक्यू ... क्या मांगा था आपने वहां ?
: मेरा सुकून लौटा दें वो हर कीमत पर उसे अपना बना कर रखूंगा , चाहे दुनिया खिलाफ हो जाए ।
एकदम से वो चुप सी हो गई और
: ठीक है मेरा ऑफिस आ गया , शाम को बात करूंगी बाय
: आप जॉब करते हो ? ( मैने अचरज से पूछा )
: हम्ममम
: कहा ?
: शाम को बात करें ! मै अंदर जा रही हूं बाय
: बाय सोना , आई लव यू सो सो मच , उम्माह
: हम्म्म बाय
काल कट गया
" बस बाय "
दिल उतर गया कि उसने एक बार भी मुझे वापस आई लव यू नहीं बोला ,, शायद ऑफिस में आ गई थी और लोग रहे होंगे इसीलिए । शाम को बात करेगी ही
मै खुश हो गया और एक नई उम्मीद सी भरने लगी मुझमें
मैने मन ही मन अपने इष्ट को धन्यवाद दिया और नहा धो कर ड्यूटी पर निकल गया ।
शायद ही इतनी बेचैनी में दिन कटा हो कभी , शाम को 05 बजे तक मै फ्री हो गया लेकिन वो नहीं
ठीक शाम 06 बजकर 32 मिनट पर उसका मैसेज आया
: Hiii
: hyy jaana ( मैने झट से उसको रिप्लाई किया , बाजार में था उस वक्त मै सब्जियां ले रहा था )
: sorry late ho gaya
: koi nahi , aur btao ,call kru
: hmmm
मै समझ गया और मैने उसको काल किया
: हाय सोना , क्या कर रहे हो ?
: बस घर पर जा रही हूं ( थोड़ी उदास सी बोली )
: अच्छा हा ! आप जॉब कहा करते हो ?
: लखनऊ में
: और रहते कहा हो ?
: घर अपने , डेली अपडाउन होता है ।
: ओह्ह्ह अच्छा ( थोड़ा थोड़ा मै उसकी स्थिति को समझने की कोशिश कर रहा था )
: और आप ? आपकी जॉब लग गई ?
: हम्मम , लास्ट ईयर ही और पहली ज्वाइनिंग भी यही है LESA में
: लेसा में मतलब ?
फिर मैने उसे अपने डिपार्टमेंट के बारे में बताया और अपनी पोस्ट और पोस्टिंग की जगह जो मोहनलालगंज से सीधे उल्टे दिशा में थी सीतापुर रूट से लग कर ।
: अच्छा है फिर तो , और घर में मम्मी पापा सब कैसे है ? ( फीकी सी खुशी से वो बोली )
: पापा की जॉब चली गई लास्ट ईयर कोरोना में तो वो घर पर है और मम्मी भी ठीक ही है अब और आपके यहां? आपके दीदी की शादी हो गई ?
: हा नवंबर लास्ट में
: और पापा मम्मी ठीक है ? ( मैने भी कैजुअल होकर सवाल किया )
: हा मम्मी ठीक है
: और पापा ? ( कुछ धड़कने मेरी कमजोर सी महसूस हुई )
: वो अब नहीं है , कोरोना में उनकी डेथ हो गई ( सुबक कर उसने कहा )
कलेजा कांप उठा मेरा ये खबर सुनकर और क्या बीती होगी मेरी सोना पर उस वक्त पर
: सॉरी बाबू , आप ठीक हो न ? अगर मुझे पता होता तो आ जाता आपके पास
: कोई बात नहीं , मै ठीक हूं ( उसकी सुरकती नाक की आवाज साफ साफ सुनाई दी मुझे , उनकी आंखे बह रही होगी ये सोच कर दिल रोने सा लगा मेरा )
: बाबू !!!
: हम्ममम
: ...... आई लव यू सोना ( बड़ी उम्मीद से मैने कहा उसे कि वो जवाब दे दे लेकिन इस बार भी वो चुप थी )
: मै बस पकड़ कर कॉल करती हूं ( एकदम से उसने ये बोलकर कॉल काट दिए )
और भी बेचैन कर गई
हर वो कोशिश जिससे मै मेरे दिल को ये यकीन दिला रहा था कि वो मुझे आज भी प्यार करती है , वो सब तसल्लिया मै मेरे दिल को दे रहा था ।
लेकिन शायद बीते साल में जो कुछ उसने सहा हो और वो सब बाते उसने मुझसे कही नहीं है अब तक , शायद उसकी हिम्मत टूट गई हो ।
काश मुझे ही पहल करके चले जाना चाहिए था उसके पास
कितनी अकेली पड़ गई होगी वो जब उसके पापा नहीं रूस इस दुनिया में
उसके घर की क्या मजबूरी रही होगी कि उसे नौकरी के लिए इतनी दूर आना पड़ा होगा शहर !!!
सवाल कई थे और जवाब सब मेरी सोना ही दे सकती थी
आया भी जवाब के रूप में एक मैसेज
: Ghar pahuch kar bat krungi , Bus me mere pahchan ke log hai
: okay sona
मैने रिप्लाई किया लेकिन उसका कोई जवाब नहीं आया
कुछ देर बाद वापस मैने हिम्मत करके एक text मैसेज भेज दिया : I love you mera sukoon
लेकिन उसने कोई रिप्लाई नहीं किया
और मै अपने काम में लग गया । वही शाम की सब्जी राशन की खरीदारी और वापस रूम पर ।
मन थोड़ा खुश था कि मेरी सोना लौट आई थी और कुछ उसके लिए परेशान भी , लेकिन मुझे सब्र ही रखना था शायद ही धीरे धीरे चीजें सुधरने लग जाए
देर रात में उसका मैसेज आया
: khana khaye aap ?
: Ha babu aur ap ? ( मैने उसको रिप्लाई किया )
: Hmm, kya ho rhaa hai ..
: kuch nhi , soya hu, apki foto dekh rhaa hu ( मैने खुश होकर रिप्लाई किया ) Miss you, call kru
: Nahi , Rat me nhi bat kar sakti hu call par
उसकी बातों से थोड़ा डर गया कही पिछले बार की तरह फिर से पकड़ी गई तो ,
: Ek foto bhejo n , plzzz ( मैने उससे दरखास्त की )
: ok ( उसका मैसेज आया और एक सेल्फी खींच कर बिस्तर में सोई हुई उसने भेजी )
लेकिन उस सेल्फी में कोई चमक नहीं थी बहुत उदास सी थी वो , कोई खुशी नहीं
: kya hua , sad kyo ho
: Nahi to
: Ap khush nhi ho hum fir se bat kar rahe hai ?
: aisi bat nhi hai
: achcha ek baat puchhu ? ( मैने मेरे भीतर चल रही बेचैनी को साझा करना चाहा )
: hmm kaho
: Ap itne din mujhse bat kyo nhi kiye ek bhi baar ? Apko meri yaad nhi aa rahi thi ?
: Sorry bahut muskil se ab fir se mummy ne mujh par bharosa kiya hai ... Mai use nhi todna chahati thi
उसकी बातों ने मुझे अंदर से झकझोर दिया , कि किन मुश्किल हालातों में उसने मुझे छोड़ देने का फैसला लिया होगा । ना जाने कौन सी कसमें वादे उसे ये फैसला लेने पर मजबूर की होंगी । कितने महीनों तक उसने अपनी मां से नजर नहीं मिलाई होगी ।
दिल पूरी तरह से निराश हो गया था उसका जवाब सुन कर , और कही न कही मन में एक सवाल उठ रहा था कि फिर उसने मुझे फोन क्यों किया ?
: To aap ab mujhse pyar nhi karte ( बड़ी हिम्मत कर मेरे भीतर उठ रहे तूफान को सवाल के रूप में सामने लाया )
: Maine Aisa to nhi kaha , Par mai mummy ka bharosa nhi tod sakti hun ... Sorry
उसकी बातों से मै समझने लगा था कि शायद मैने जो उम्मीद का दिया जलाया था वो बहुत दिन तक जलेगा नहीं
: koi baat nhi sona .. Thik hai hum baat nhi krenge . Lekin mai hamesha apki raah dekhunga wapas aane ki . I love you humesha
दर्द ही लिखा था मैने और शायद वो भी समझ रही थी मेरी टूटती उम्मीद को , लेकिन मजबूरी थी ऐसा मै समझ रहा था ।
: kyo nahi karenge baat ?
: aapne apni mummy ko promise Kiya hai to kaise ? Mai apne swarth ke liye apki promise ko nhi tudwa sakta n
: aisa kuch nhi hai .. maine koi promise nhi kiya h .. bus dar lagta hai ab
: kaisa dar ?
: kuch nhi ... Chalo aap so jao . Mummy aa jaa rahi hai . Ok good night bye
: Ok , good night sona , love you hug kar lo
कुछ देर बाद उसका रिप्लाई आया
: Hug you babu , I love you so so much
एकदम से जैसे मेरी धड़कन छोड़ती रूह ने लंबी आह सी भरी और मै अंदर से तरोताजा गया
वो मुझे आज भी चाहती है
इस से बढ़ कर मेरे लिए खुशी की बात आखिर क्या हो सकती थी
मैने सैकड़ों चुम्मिया कुर्बान कर दी उसके भेजे हुए तस्वीर पर और अपने सीने से लगा कर सो गया ।
दिन गुजरने लगे
और हमारी बात चीत हर रोज लगभग कुछ तय समय में ही होती थी
जैसे कि
* सुबह उठ कर उसका गुड मॉर्निंग विश मैसेज से
* फिर घर से निकलते हुए मैसेज से
* फिर जब वो लखनऊ आ जाती तो 2 या 1 मिनट बस फोन पर बात करती जबतक कि आपके ऑफिस नहीं पहुंच जाती
* शाम को फिर वही दो एक मिनट की बातचीत और फिर सीधा रात में खाने के बाद उसकी चैटिंग होती
कुछ ही दिनों में मै ये महसूस कर चुका था कि वो कितना सजग होकर बातचीत करती । उसका डर मै समझ रहा था या फिर कहूं सिर्फ मै ही समझ रहा है । धीरे धीरे मैने उससे बीते साल को लेकर बातचीत करनी बंद कर दी क्योंकि जब भी मै ऐसी बात छेड़ता वो एकदम से चुप हो जाती और मुझे ऐसा महसूस होता कि वो कुछ अपराध भाव सा महसूस कर रही हो ।
इनसब से उबरने का एक ही तरीका होता था कि मै उसको थोड़ा सा हंसाऊँ, छेड़ूं , थोड़ी रोमांटिक बातचीत शुरू करूं ।
फिर आया 6 मार्च 2022 का दिन
बीते हफ्ते में ये हमारा पहला रविवार था और मुझे उम्मीद थी कि हम सारा दिन बात करने वाले है , मैने उसको मैसेज किए
: Hyy sona, good morning
करीब 5 मिनट बाद उसका रिप्लाई आया
: hii babu , good morning jaan
: kya kar rha h bachcha mera ( मै आज बहुत खुश था और ना जाने क्यों उसपर प्यार भी बहुत आ रहा था )
: baathroom me hun
समझ गया पगली मोबाइल लेकर फ्रेश होने गई है , खैर ये आम सी बात थी और ऐसा कुछ भी नहीं था जो मैने भी पहले नहीं किया था ।
हमारी थोड़ी बातचीत हुई और उसने बम फोड़ा कि आज वो अपने दीदी के यहां जा रही है तो जबतक वो मैसेज न करे मै अपनी तरफ से कोई भी मैसेज या कॉल नहीं करूं।
उसकी दीदी ....
ट्रेन का वो सफर और जिस तरह से उसकी दीदी मुझे मिली थी बीते साल मैने आज तक उसका जिक्र नहीं किया था अपनी सोना से
उतनी खुश दिल , हड़बड़ाई और चंचल और सबसे बढ़कर दूसरों का परवाह करने वाली लड़की जिसे मैने 4 घंटे के सफर में बहुत करीब से समझ लिया था , वो क्या ऐसी होगी कि अपनी छोटी बहन की मुहब्बत को स्वीकार न करें । लेकिन फिर भी कही न कही ये ख्याल आता है कि एक बड़ी बहन के नाते क्या पता उसे डर हो कि उसकी छोटी बहन किसी गलत संगत या गलत जगह फंस न जाए ।
खैर मैने उसको बड़े उदास मन से कहा कि वो निश्चिंत रहे और मै उसकी राह देखूंगा लेकिन मैसेज या कॉल नहीं करूंगा ।
समय बिताना बहुत कठिन था
आज संडे था तो मैने घर पर थोड़ा हाल चाल लिया
फिर सारा दिन मोबाइल चलाया
रह रह कर व्हाट्सअप खोलता और उसको ऑनलाइन देखता लेकिन फिर हिम्मत नहीं होती कि मैसेज कर दूं ।
उस रोज उससे कोई बात चीत नहीं हुई रात में भी नहीं
मन को मैने यही कह कर भुलवाया कि शायद वो अपने दीदी के यहां रुक गई होगी , लेकिन फिर भी आंखों से नीद गायब थी । देर रात तक मैने उसको ऑनलाइन पाया , कितने सवाल उठ रहे थे और ना जाने क्या ऊंट पटांग चल रहा था दिमाग में ।
बस दिल को यही दिलासा थी कि उसकी मुहब्बत जो मै महसूस करता हूं वो सच्ची है ।
मै सो गया और अगली सुबह हुई
ना moring मैसेज ना कुछ
मै ऑफिस के लिए निकल गया अपना रेडी होकर और ठीक सवा 09 बजे उसका कॉल आया
: हाय सोना , कहा थे आप , पता है कितना मिस किया आपको
: सॉरी बाबू , पता है कल मेरा मोबाइल बिगड़ गया था तो मैसेज नहीं कर पाई और अपने व्हाट्सअप पर मैसेज तो नहीं किया न , क्योंकि कल मैने दीदी के मोबाइल में व्हाट्सअप खोला था ऑफिस काम के लिए
फिर मैने उसे बताया कि वो निश्चिंत रहे मैने कुछ नहीं किया
फिर पता चला कि आज शाम तक उसको मोबाइल मिल जाएगा तो वो बात करेगी ।
उसके बाद देर रात कही उसका मैसेज आया और हमने थोड़ी बात की और सो गए ।
ये हफ्ता बीता और अगले रविवार को पता चला कि इस बार उसकी दीदी घर आई है , उस दिन फिर हमारी कोई बात चित नहीं हुई ।
मंडे से फिर से चीजें नॉर्मल हो गई और उसी हफ्ते होली भी थी ।
घर पर पहले से ही बुलावा आ गया था और मै 16 मार्च को शाम को ही निकल गया था अपने घर के लिए ।
अब दूरी बहुत थी नहीं और विभाग से गाड़ी मिली थी तो मै निकल गया घर ।
घर आया तो पता चला कि मेरी बुआ आई थी , फैजाबाद वाली
यही वो पल था जब मेरी रोमांटिक कहानी या कहूं कि मेरी प्यार भरी जिंदगी को एक नया विजन मिलता है जिसे आम भाषा में एडल्टरी कहते है ।
नया पात्र परिचय
मेरी बुआ : सुशीला देवी , उम्र का सही आंकड़ा मुझे नहीं पता लेकिन इतना जरूर पता है कि पापा से बड़ी है । शायद ये पहली ऐसी महिला थी मेरी जीवन कि जिनके चौड़े कूल्हे देख कर मेरा मन विचलित हुआ कि उनकी पैंटी का साइज क्या होगा । दरअसल वो थोड़े भारी बदन की औरत थी , देसी गदराई मोटी जांघें , उठे हुए चौड़े कूल्हे , चर्बीदार पेट और खरबूजे जैसे मोटे गोल स्तन । भरा सुंदर गोरा चेहरा और दूधिया गोरा बदन , 6 मीटर की साड़ी में भी उनका बदन अच्छे से छिप नहीं पाता था । लेकिन इतना सब होने के बाद भी उनका स्वभाव बड़ा शर्मिला था , चूंकि मम्मी और वो दोनों इकलौती भाभी ननद थी तो उनकी आपस में खूब बनती थी । शायद ही मैने कभी मम्मी को इतना खुल कर किसी से बात करते या शरारत करते देखा था ।
मेरे फूफा : किशनलाल , पेशे से बिजनेस मैन , शराब के ठेके से लेकर पेट्रोल पंप तक का अच्छा खासा कारोबार चलता था । बचपन में लगता था कि फूफा बहुत अच्छे आदमी होंगे लेकिन बढ़ते उम्र की समझ ने मुझे उनके मजाकिया मिजाज और रंगीन मिजाज का फर्क बखूबी समझा दिया था । अक्सर एक चीज मैने देखी थी कि जब भी वो हमारे घर आते तो बहुत सारा समान कपड़े मिठाई के साथ आते । चूंकि वो घर के दामाद थे तो मम्मी उनकी खातिरदारी में कोई कमी नहीं छोड़ती , बचपन में उन्हें घंटों मम्मी से बात करते हंसते देखता लेकिन फिर समझ आने लगा कि उनके और मम्मी के बीच मजाक का स्तर कुछ अलग ही था ।
मेरी इकलौती बहन : बबली दीदी , वैसे तो दूर के रिश्ते में कई सारे कजन भाई बहन मिल जायेंगे लेकिन इनसे मेरा बचपन से ही रिश्ता काफी दोस्ताना था , हालांकि हम बहुत कम मिले है एकदूसरे से यहां तक कि कभी वो मुझे राखी नहीं बांधने आई क्योंकि शुरू से ही वो पढ़ाई के लिए बाहर रही थी और जब कभी मै किसी फंशन पर मम्मी पापा के साथ उनके यहां गया हूं तभी मेरी उनसे मुलाकात हुई थी। एक गजब का आकर्षण था उनमें , एक हसमुख सा चेहरा और शरारती आंखे । किसी को भी मोह लें । ये पहली बार था कि वो मेरे घर आई थी ।
मेरी गाड़ी रुकी और ड्राइवर ने मुझे ड्रॉप किया और वापस निकल गया , क्योंकि उसका घर लखनऊ में ही था और मुझे वापस भी अब होली बाद ही था ।
मैने एक मैसेज डाल दिया अपनी सोना को कि घर पहुंच गया हूं और गाड़ी से उतरते ही दो मंजिला मकान मेरा सामने थे और वही ढलती शाम में टैरिस पर कान में इयरबड्स लगाए एक टहलती हुई लड़की मैने देखी और शायद उसने भी मुझे देखा लेकिन शायद उसके मन में उतनी जिज्ञासा नहीं थी जितना मुझे हुई थी ।
मै उलझा हुआ घर में दाखिल हुआ
एक चैनलनुआ गेट दाखिल होते ही एक खुला बरामदा , जिसकी दाहिनी तरफ से एक जीना जो सीधे ऊपर के दोनों फ्लोर को जाता है । कहने का मतलब है ऊपर जाने के लिए बाहर से ही व्यवस्था है । एक गेट जिसमें घुसते ही हाल , जिसमें एक तरफ किचन तो दूसरी तरफ बाथरूम बीच रखा हुआ पुराना सोफा और सोफे के ठीक सामने दिवाल से चिपकी हुई 32 इंच की LED TV . सोफे के दोनों दो कमरे के गेट खुलते थे, किचन से लगा हुआ कमरा मम्मी पापा का था और बगल वाला मेरा , लेकिन शायद वो कमरा आज किसी और को अलॉट था ।
जिसके ट्राली बैग बेड के किनारे रखे हुए थे ।
अभी तक कोई मुझे दिखा नहीं
" मम्मीईईईई , कहा हो "
एकदम से मम्मी अपने रूम से खिलखिलाती हुई आई और मुझे देख कर उनके चेहरे की रौनक और बढ़ गई
: अरे रोहन ( मम्मी ने मुझे चेहरे को थाम कर देखा और मैने झुक कर पैर छुए और बगल से हग कर लिया )
मम्मी मेरी कमर में हाथ डाले हुए हंसी हुई अपने कमरे की ओर देखने लगी कि इतने में मेरी सुशीला बुआ अपने साड़ी का पल्लू सही करती हुई आई
उनका खिला चेहरा देख कर मै खुश हो गया
: अरे बुआ आप ...( झुक कर मैने उनके पैर छुए ) नमस्ते
बदले में वो मुझे पकड़ कर खड़ी हो गई , उनके दिल की खुशी साफ झलक रही थी ।
: कितना दिन बाद देखा तुझे ,कितना बड़ा हो गया है ( बुआ ने मेरे बाल सही करते हुए कहा ) इसके लिए कोई लड़की देखी या नहीं
लो शुरू हो गई शादी पुराण
मुझे एक चीज से खासा दिक्कत होती थी कि दो रिश्तेदार जब भी जवां खून देखते है उनको शादी की चूल हो जाती थी
मम्मी ने मुझे हाल में बिठाया और बुआ भी मेरे पास आ गई । फिर मम्मी मेरे लिए पानी लेकर आई और शुरू कर दी कि कहा कहा से मेरे लिए रिश्ते आ रहे है
: दीदी , मै तो अभी रोहन की कम से कम 2 बरस बाद ही शादी करूंगी , अरे उम्र ही क्या है मेरे लाडले की
: हा लेकिन भाभी , अरे अभी से देखना शुरू करोगी तब न कही अच्छी लड़की मिलेगी , कही ऐसा तो नहीं रोहन ने वही शहर में ही कोई पसंद कर ली ,क्यों बबुआ
ये जो हंसी मजाक में बच्चों को शामिल कर उनकी बाते उगलवा लेने की ट्रिक से मै काफी वाकिफ था तो बुआ के झांसे में मै आने से रहा
: मम्मी , आपको लगता है मै बुआ को छोड़ कर किसी और शादी करूंगा
बुआ एकदम से चौक गई मेरे मजाक से : धत्त बदमाश, मसखरी कर रहा है मुझसे
: अच्छा मम्मी , सच सच बताओ आपको बुआ जैसी अच्छी , प्यारी , इतनी गोरी बहु मिलेगी हीही बोलो बोलो ( मैने बुआ के गाल छू कर उन्हें छेड़ा )
: अरे मै तो कबसे राह देख रही हूं कि कब तेरी बुआ इस घर की बहु बने , लेकिन इनको तेरे पापा पसंद ही नहीं आ रहे है हाहाहा
मम्मी का मजाक थोड़ा डार्क हो गया और बुआ पूरी शर्म से गुलाबी , असहज थोड़ा मै भी हो गया , लेकिन यही तो एक कामन चीज थी मम्मी बुआ में इनकी मस्तियां फुल टू डार्क और गंदी होती थी । बचपन में मुझे चीजें समझ नहीं आती थी लेकिन धीरे धीरे उनके मतलब मै समझने लगा था ।
असहज होकर मैने बुआ को छोड़ दिया और बात घुमा दी : मम्मी पापा कहा है ?
: वो बाजार गए है सब्जी लेने ( मम्मी के गाल अभी भी खिले हुए थे और बुआ की गाल अभी तक गुलाबी थे )
मैने पानी पिया और एकदम से मुझे छत पर टहल रही ये शख्स की याद आई और फिर अपने प्राइवेट जोन की , कैसे मै रात में अपनी सोना से बातें कर पाऊंगा ।
: बुआ !!
: हा बबुआ बोल
: मेरे कमरे में आपका समान है ?
: हा क्यों ?
: फिर आप मेरे साथ सोओगे न?
: धत्त कहा रे, वहा हम दोनो सोएंगे तेरी बुआ और पापा साथ में सोएंगे
इतने डार्क मजाक से मै एकदम सन्न हो गया , हालांकि मम्मी बुआ के लिए ये सब कामन था लेकिन मम्मी ने कभी इसके लिए मेरे सामने परहेज नहीं किया ।
बुआ उन्हें आंखे दिखा रही थी और मै चुपचाप उठ कर ऊपर जाने के लिए सरक गया ।
जीने से ऊपर आते ही ऊपर एक खुला बालकनी नुमा खाली जगह है और जीने के ऊपर से ही जीना टैरिस की ओर जाता है । ऊपर भी नीचे की तरह ही दो कमरे हाल और वही नीचे वाला बरामदा ।
पहले ये घर एक मंजिला था , लेकिन नौकरी लगने के बाद नीचे वाला ही डिजाइन ऊपर उठा दिया , बस नीचे किचन की जगह पर एक स्टोर रूम बना दिया गया और हाल का बाथरूम टॉयलेट टैरिस पर सेट कर दिया गया पीछे की तरफ
मै ऊपर आया और मेरे कानो में कुछ बाते गुनगुनाई , न लपक कर जीने से ऊपर आया
छत की दूसरी ओर चारदीवारी के पास एक लड़की टीशर्ट और लोवर में फोन पर बात कर रही थी
जैसे ही उसने मेरी आहट पाई वो फोन काट कर मेरी ओर आई
उसका गोरा रंग और वो चंचल आंखे देखते ही मेरे मन में एक नाम उठा और मैने उसकी ओर उंगली करते हुए : बबली दीदी ??
: रोहन ??
: हा , हीहीही , नमस्ते दीदी
: नमस्ते के बच्चे कहा था तू , नौकरी लग गई और बताया भी नहीं न फोन न कोई खबर
: हा लेकिन कहा मेरे पास आपका नंबर था और आप भी तो नहीं थे अपने घर ?
: उम्मम सॉरी बाबू वो , मै दिल्ली में थी और अभी पिछले महीने ही लखनऊ शिफ्ट हुई हूं
: क्या लखनऊ में ? कहा ? मै भी तो लखनऊ में हूं ( मै एकदम से उत्साही हो गया )
: जानकीपुरम में मैने मेरा नया इंस्टीट्यूट खोला है ?
: किस चीज का ? ( मैने पूछा क्योंकि जानकीपुरम मेरे ऑफिस एरिया में ही आता था )
: अरे पागल , ब्यूटीशियन कोर्स का और किस चीज का ( वो बड़े कैजुअल होकर बोली जैसे मुझे पहले से पता होना ही चाहिए था ये सब ) मैने अपना यहां न्यू सेंटर खोला है और तू भी तो लखनऊ में ही है न ?
: हा , लेकिन थोड़ा दूर पड़ेगा आपके यहां से , वैसे ऑफिस मेरा वही पास ही है लेकिन ड्यूटी एरिया रूलर साइड में है ।
: ओह , हम्मम और बता मुझे मेरी भाभी से कब मिलवाएगा
एकदम से मै चौक गया
: क्या कह रहे हो आप ( मैने अपनी चोरी छिपानी चाही )
: क्या मतलब तेरी कोई gf नहीं है , इतना स्मार्ट है फिर भी ?
: सबको लगता है कि स्मार्ट हूं तो पहले से होगी हाहाहाहाहा
: हाहाहाहा पागल
: तो मेरे कोई जीजू है या नहीं ( छत पर खड़े हुए रेलिंग की पाइप को हथेली में ऐंठने की कोशिश करता हुआ मैंने नजरे चुरा कर पूछा )
: बदमाश कही का , हीहीहीही तेरे जीजू से ही बात कर रही थी
: सच्ची ( एकदम से अनजानी सी खुशी हुई सुनकर ) फोटो दिखाओ
: भक्क अभी नहीं , ये बता रात में कहा सोएगा तू , यार मुझे मम्मी के पास नहीं सोना , यहां ऊपर सोना है अकेले, तू भी यही आजा न
मै समझ रहा था कि बबली दीदी को प्राइवेसी चाहिए और शायद मुझे भी इसकी जरूरत थी क्योंकि नीचे कमरे में मुझे किसी न किसी के साथ तो सोना पड़ता और उनसे कही ज्यादा कंफर्टेबल मै अब बबली दीदी के साथ हो गया था । क्योंकि मुझे भी तो अपनी सोना से बातें करनी थी ।
फिर हम लोग प्लानिंग करके नीचे चले जाते है ।
जारी रहेगी
( कहानी पर वीक में दो से तीन अपडेट आएंगे अगर , मिनियम 10 लाइक और रेवो मिलते है । )
निशा ? निशा ? निशा ?
N..I....S...A..?
नहीं यार
NIS..H..A , ENTER !!!!
अरे यार इतने सारे USER ??
मैने एक के बाद एक करीब बीसियों इंस्टाग्राम यूजर आईडी को ओपन किया
या तो किसी के प्रोफाइल प्राइवेट थे या फिर वो मेरी सोना नहीं थी ।
तभी मेरी नजर अलग ही username पर गई __its_nishu
जिसके प्रोफाइल पर एक नियॉन एनिमेटेड तस्वीर थी शायद लार्ड कृष्णा की ।
सोचने वाली बात थी ये मेरे इंस्टा की फोलोवर लिस्ट में पहले से ही थी । लेकिन मैने इसपर कभी ध्यान नहीं दिया क्योंकि इनकी आईडी प्राइवेट थी और मैने फॉलो बैक नहीं किया था । मैने जब मेरे पब्लिक अकाउंट वाली आईडी की प्रोफाइल में अपने पोस्ट चेक करने शूरू किए थे पाया इसने मेरे सारे फोटो लाइक किए है और स्टोरी हाइलाइट भी !!
माथा घूमने लगा , कन्फर्म करने का एक ही तरीका था CONTACT SYNC ऑप्शन ऑन करके उन्हें इंस्टा पर खोजू जो मेरे contact list में सेव है
सर्च किया मैने नतीजा , वही , __its_nishu
मेरे दिल की धड़कने तेज हो गई
मेरी सोना मेरे इतने करीब थी और मै उसे खोज तक नहीं पाया , पहचान नहीं पाया
लेकिन सवाल ये था कि अगर वो मुझे जान रही थी , मेरी आईडी तो उसने मुझे बताया क्यों नहीं । कही ऐसा तो नहीं उसकी आईडी उसके घर वाले चलाते हो या फिर वो घर में ही किसी के मोबाइल में अपना आईडी खोल कर रखी हो चलाने के लिए
लेकिन ? सुबह तो उसकी सहेली के साथ में दो मोबाइल थे न , एक को वो पकड़े हुए थी और दूसरे से मेरी सोना की तस्वीरें निकाल रही थी ।
पता नहीं यार ....कुछ समझ नहीं आ रहा था
मै मेरे रूम में टहलते हुए गहरी सांस ले रहा था , क्योंकि बात जो भी ये तो पक्का था कि ये अकाउंट उसका ही है और वो बराबर मुझे स्टॉक कर रही थी लेकिन कभी बात नहीं किया ,क्यों ? क्यों ?
क्या मै उसको फॉलो बैक करु ?
नहीं , उसे पता चल जाएगा कि मै उसकी आईडी सर्च किया था ।
लेकिन फिर वो आज मुझे मिली ही क्यों ? हे भगवान क्या चाहते है आप ?
कभी कभी आप खुद समझ नहीं पाते हैं कि आप क्या रिएक्ट करें उस परिस्थिति पर जब आप अपने इष्ट से कुछ बहुत गहरे हृदय से मांगे और वो तत्काल उसे पूरी कर दें
शायद आप आने वाली परिस्थितियों के लिए तैयार नहीं होते है , शायद आप ये तय नहीं कर पाते है कि आगे जो कुछ होगा वो क्या नए हंगामे आपके लिए लेकर आने वाला है ।
लेकिन फिर आप गहरे भावनाओं से भर जाते हो और शायद यही सब मेरे साथ घट रहा था
देर रात तक मैने अपनी सोना के साथ बिताए हर एक पल याद किए और मुस्कुराता रोता रहा , उसको तस्वीरों में निहारता रहा । वो पल जब मैने उसकी आंखों में उम्मीद देखी थी और वो छलकी हुई आंखों में मेरे लिए तड़प देखी थी।
क्यों नहीं रुक गया मै वहा ?
चाहता तो रुक जाता , कर लेता कुछ फाइनल ?
द्वंद में सारी रात गुजर गई और अगली सुबह
01 मार्च 2022
09 बजकर 12 मिनट पर
एक अंजान नंबर से मेरा मोबाइल रिंग होने लगा
मै नहाने की तैयारी में था
ना जाने क्यों एक अजीब सी बेचैनी हो रही थी
धड़कने तेज थी एकदम से और मैने अपने फिंगरक्रोस कर मन ही मन अपनी सोना को याद कर आखिरी रिंग से पहले फोन उठाया
: हैलो ??
एकदम से चुप्पी सी थी दूसरी तरफ से , बैकग्राउंड में कुछ बाजार की चहल पहल थी
: हैलो ? ( मैने दुबारा से आवाज दी )
: हाय ( एक महीन सी आवाज , मानो कितने डर में बोली )
: बाबू ? ( पूरी रफ्तार से मेरा कलेजा धड़क रहा था )
: हम्ममम , कैसे हो आप ?
उसके ये शब्द ने मेरे दिल के जख्मों को जैसे सिलना शुरू कर दिया होगा , पूरा जिस्म मेरा पिघलने लगा था और धड़कने थोड़ी थोड़ी सी रुकने लगी थी ।
: जिसका सुकून चला गया हो उसकी लाइफ से वो कैसे रहेगा ( अपनी पूरी तकलीफ पूरा दर्द शायद ही किसी और तरीके से मै बयां कर सकता था )
एकदम से वो फफक पड़ी फोन पर
: अरे बाबू !! रो मत प्लीज आई लव यू न मेरा सोना ( नहीं रोक पाया मै भी खुद को रोने से और न ही अपने प्यार का इजहार करने से )
: सॉरी ( उसने सुबकते हुए कहा , लेकिन बैकग्राउंड में कुछ ज्यादा ही चहल पहल थी और गाड़ियों की आवाज आ जा रही थी )
: इसमें आपकी कोई गलती नहीं सोना , वो बस हमारी किस्मत थी जिसमें हम दोनो को जलना था ( मैने मेरे ओर हर संभव प्रयास किया कि मै उसे फोन पर ही सम्भाल लूं )
: हम्म्म, लेकिन आपको कैसे पता कि मै कल वहां आऊंगी ? ( सहज सा सवाल था उसका )
: नहीं पता सोना , मै तो बस वहां अपनी टीम के साथ मॉर्निंग रेड पर गया था और मंदिर में तुम्हारे जन्मदिन के लिए बस थोड़ी सी प्रार्थना करने गया था । .... ओह सॉरी ...हैप्पी बर्थडे मेरी सोना मेरा सुकून
: हम्ममम थैंक्यू ... क्या मांगा था आपने वहां ?
: मेरा सुकून लौटा दें वो हर कीमत पर उसे अपना बना कर रखूंगा , चाहे दुनिया खिलाफ हो जाए ।
एकदम से वो चुप सी हो गई और
: ठीक है मेरा ऑफिस आ गया , शाम को बात करूंगी बाय
: आप जॉब करते हो ? ( मैने अचरज से पूछा )
: हम्ममम
: कहा ?
: शाम को बात करें ! मै अंदर जा रही हूं बाय
: बाय सोना , आई लव यू सो सो मच , उम्माह
: हम्म्म बाय
काल कट गया
" बस बाय "
दिल उतर गया कि उसने एक बार भी मुझे वापस आई लव यू नहीं बोला ,, शायद ऑफिस में आ गई थी और लोग रहे होंगे इसीलिए । शाम को बात करेगी ही
मै खुश हो गया और एक नई उम्मीद सी भरने लगी मुझमें
मैने मन ही मन अपने इष्ट को धन्यवाद दिया और नहा धो कर ड्यूटी पर निकल गया ।
शायद ही इतनी बेचैनी में दिन कटा हो कभी , शाम को 05 बजे तक मै फ्री हो गया लेकिन वो नहीं
ठीक शाम 06 बजकर 32 मिनट पर उसका मैसेज आया
: Hiii
: hyy jaana ( मैने झट से उसको रिप्लाई किया , बाजार में था उस वक्त मै सब्जियां ले रहा था )
: sorry late ho gaya
: koi nahi , aur btao ,call kru
: hmmm
मै समझ गया और मैने उसको काल किया
: हाय सोना , क्या कर रहे हो ?
: बस घर पर जा रही हूं ( थोड़ी उदास सी बोली )
: अच्छा हा ! आप जॉब कहा करते हो ?
: लखनऊ में
: और रहते कहा हो ?
: घर अपने , डेली अपडाउन होता है ।
: ओह्ह्ह अच्छा ( थोड़ा थोड़ा मै उसकी स्थिति को समझने की कोशिश कर रहा था )
: और आप ? आपकी जॉब लग गई ?
: हम्मम , लास्ट ईयर ही और पहली ज्वाइनिंग भी यही है LESA में
: लेसा में मतलब ?
फिर मैने उसे अपने डिपार्टमेंट के बारे में बताया और अपनी पोस्ट और पोस्टिंग की जगह जो मोहनलालगंज से सीधे उल्टे दिशा में थी सीतापुर रूट से लग कर ।
: अच्छा है फिर तो , और घर में मम्मी पापा सब कैसे है ? ( फीकी सी खुशी से वो बोली )
: पापा की जॉब चली गई लास्ट ईयर कोरोना में तो वो घर पर है और मम्मी भी ठीक ही है अब और आपके यहां? आपके दीदी की शादी हो गई ?
: हा नवंबर लास्ट में
: और पापा मम्मी ठीक है ? ( मैने भी कैजुअल होकर सवाल किया )
: हा मम्मी ठीक है
: और पापा ? ( कुछ धड़कने मेरी कमजोर सी महसूस हुई )
: वो अब नहीं है , कोरोना में उनकी डेथ हो गई ( सुबक कर उसने कहा )
कलेजा कांप उठा मेरा ये खबर सुनकर और क्या बीती होगी मेरी सोना पर उस वक्त पर
: सॉरी बाबू , आप ठीक हो न ? अगर मुझे पता होता तो आ जाता आपके पास
: कोई बात नहीं , मै ठीक हूं ( उसकी सुरकती नाक की आवाज साफ साफ सुनाई दी मुझे , उनकी आंखे बह रही होगी ये सोच कर दिल रोने सा लगा मेरा )
: बाबू !!!
: हम्ममम
: ...... आई लव यू सोना ( बड़ी उम्मीद से मैने कहा उसे कि वो जवाब दे दे लेकिन इस बार भी वो चुप थी )
: मै बस पकड़ कर कॉल करती हूं ( एकदम से उसने ये बोलकर कॉल काट दिए )
और भी बेचैन कर गई
हर वो कोशिश जिससे मै मेरे दिल को ये यकीन दिला रहा था कि वो मुझे आज भी प्यार करती है , वो सब तसल्लिया मै मेरे दिल को दे रहा था ।
लेकिन शायद बीते साल में जो कुछ उसने सहा हो और वो सब बाते उसने मुझसे कही नहीं है अब तक , शायद उसकी हिम्मत टूट गई हो ।
काश मुझे ही पहल करके चले जाना चाहिए था उसके पास
कितनी अकेली पड़ गई होगी वो जब उसके पापा नहीं रूस इस दुनिया में
उसके घर की क्या मजबूरी रही होगी कि उसे नौकरी के लिए इतनी दूर आना पड़ा होगा शहर !!!
सवाल कई थे और जवाब सब मेरी सोना ही दे सकती थी
आया भी जवाब के रूप में एक मैसेज
: Ghar pahuch kar bat krungi , Bus me mere pahchan ke log hai
: okay sona
मैने रिप्लाई किया लेकिन उसका कोई जवाब नहीं आया
कुछ देर बाद वापस मैने हिम्मत करके एक text मैसेज भेज दिया : I love you mera sukoon
लेकिन उसने कोई रिप्लाई नहीं किया
और मै अपने काम में लग गया । वही शाम की सब्जी राशन की खरीदारी और वापस रूम पर ।
मन थोड़ा खुश था कि मेरी सोना लौट आई थी और कुछ उसके लिए परेशान भी , लेकिन मुझे सब्र ही रखना था शायद ही धीरे धीरे चीजें सुधरने लग जाए
देर रात में उसका मैसेज आया
: khana khaye aap ?
: Ha babu aur ap ? ( मैने उसको रिप्लाई किया )
: Hmm, kya ho rhaa hai ..
: kuch nhi , soya hu, apki foto dekh rhaa hu ( मैने खुश होकर रिप्लाई किया ) Miss you, call kru
: Nahi , Rat me nhi bat kar sakti hu call par
उसकी बातों से थोड़ा डर गया कही पिछले बार की तरह फिर से पकड़ी गई तो ,
: Ek foto bhejo n , plzzz ( मैने उससे दरखास्त की )
: ok ( उसका मैसेज आया और एक सेल्फी खींच कर बिस्तर में सोई हुई उसने भेजी )
लेकिन उस सेल्फी में कोई चमक नहीं थी बहुत उदास सी थी वो , कोई खुशी नहीं
: kya hua , sad kyo ho
: Nahi to
: Ap khush nhi ho hum fir se bat kar rahe hai ?
: aisi bat nhi hai
: achcha ek baat puchhu ? ( मैने मेरे भीतर चल रही बेचैनी को साझा करना चाहा )
: hmm kaho
: Ap itne din mujhse bat kyo nhi kiye ek bhi baar ? Apko meri yaad nhi aa rahi thi ?
: Sorry bahut muskil se ab fir se mummy ne mujh par bharosa kiya hai ... Mai use nhi todna chahati thi
उसकी बातों ने मुझे अंदर से झकझोर दिया , कि किन मुश्किल हालातों में उसने मुझे छोड़ देने का फैसला लिया होगा । ना जाने कौन सी कसमें वादे उसे ये फैसला लेने पर मजबूर की होंगी । कितने महीनों तक उसने अपनी मां से नजर नहीं मिलाई होगी ।
दिल पूरी तरह से निराश हो गया था उसका जवाब सुन कर , और कही न कही मन में एक सवाल उठ रहा था कि फिर उसने मुझे फोन क्यों किया ?
: To aap ab mujhse pyar nhi karte ( बड़ी हिम्मत कर मेरे भीतर उठ रहे तूफान को सवाल के रूप में सामने लाया )
: Maine Aisa to nhi kaha , Par mai mummy ka bharosa nhi tod sakti hun ... Sorry
उसकी बातों से मै समझने लगा था कि शायद मैने जो उम्मीद का दिया जलाया था वो बहुत दिन तक जलेगा नहीं
: koi baat nhi sona .. Thik hai hum baat nhi krenge . Lekin mai hamesha apki raah dekhunga wapas aane ki . I love you humesha
दर्द ही लिखा था मैने और शायद वो भी समझ रही थी मेरी टूटती उम्मीद को , लेकिन मजबूरी थी ऐसा मै समझ रहा था ।
: kyo nahi karenge baat ?
: aapne apni mummy ko promise Kiya hai to kaise ? Mai apne swarth ke liye apki promise ko nhi tudwa sakta n
: aisa kuch nhi hai .. maine koi promise nhi kiya h .. bus dar lagta hai ab
: kaisa dar ?
: kuch nhi ... Chalo aap so jao . Mummy aa jaa rahi hai . Ok good night bye
: Ok , good night sona , love you hug kar lo
कुछ देर बाद उसका रिप्लाई आया
: Hug you babu , I love you so so much
एकदम से जैसे मेरी धड़कन छोड़ती रूह ने लंबी आह सी भरी और मै अंदर से तरोताजा गया
वो मुझे आज भी चाहती है
इस से बढ़ कर मेरे लिए खुशी की बात आखिर क्या हो सकती थी
मैने सैकड़ों चुम्मिया कुर्बान कर दी उसके भेजे हुए तस्वीर पर और अपने सीने से लगा कर सो गया ।
दिन गुजरने लगे
और हमारी बात चीत हर रोज लगभग कुछ तय समय में ही होती थी
जैसे कि
* सुबह उठ कर उसका गुड मॉर्निंग विश मैसेज से
* फिर घर से निकलते हुए मैसेज से
* फिर जब वो लखनऊ आ जाती तो 2 या 1 मिनट बस फोन पर बात करती जबतक कि आपके ऑफिस नहीं पहुंच जाती
* शाम को फिर वही दो एक मिनट की बातचीत और फिर सीधा रात में खाने के बाद उसकी चैटिंग होती
कुछ ही दिनों में मै ये महसूस कर चुका था कि वो कितना सजग होकर बातचीत करती । उसका डर मै समझ रहा था या फिर कहूं सिर्फ मै ही समझ रहा है । धीरे धीरे मैने उससे बीते साल को लेकर बातचीत करनी बंद कर दी क्योंकि जब भी मै ऐसी बात छेड़ता वो एकदम से चुप हो जाती और मुझे ऐसा महसूस होता कि वो कुछ अपराध भाव सा महसूस कर रही हो ।
इनसब से उबरने का एक ही तरीका होता था कि मै उसको थोड़ा सा हंसाऊँ, छेड़ूं , थोड़ी रोमांटिक बातचीत शुरू करूं ।
फिर आया 6 मार्च 2022 का दिन
बीते हफ्ते में ये हमारा पहला रविवार था और मुझे उम्मीद थी कि हम सारा दिन बात करने वाले है , मैने उसको मैसेज किए
: Hyy sona, good morning
करीब 5 मिनट बाद उसका रिप्लाई आया
: hii babu , good morning jaan
: kya kar rha h bachcha mera ( मै आज बहुत खुश था और ना जाने क्यों उसपर प्यार भी बहुत आ रहा था )
: baathroom me hun
समझ गया पगली मोबाइल लेकर फ्रेश होने गई है , खैर ये आम सी बात थी और ऐसा कुछ भी नहीं था जो मैने भी पहले नहीं किया था ।
हमारी थोड़ी बातचीत हुई और उसने बम फोड़ा कि आज वो अपने दीदी के यहां जा रही है तो जबतक वो मैसेज न करे मै अपनी तरफ से कोई भी मैसेज या कॉल नहीं करूं।
उसकी दीदी ....
ट्रेन का वो सफर और जिस तरह से उसकी दीदी मुझे मिली थी बीते साल मैने आज तक उसका जिक्र नहीं किया था अपनी सोना से
उतनी खुश दिल , हड़बड़ाई और चंचल और सबसे बढ़कर दूसरों का परवाह करने वाली लड़की जिसे मैने 4 घंटे के सफर में बहुत करीब से समझ लिया था , वो क्या ऐसी होगी कि अपनी छोटी बहन की मुहब्बत को स्वीकार न करें । लेकिन फिर भी कही न कही ये ख्याल आता है कि एक बड़ी बहन के नाते क्या पता उसे डर हो कि उसकी छोटी बहन किसी गलत संगत या गलत जगह फंस न जाए ।
खैर मैने उसको बड़े उदास मन से कहा कि वो निश्चिंत रहे और मै उसकी राह देखूंगा लेकिन मैसेज या कॉल नहीं करूंगा ।
समय बिताना बहुत कठिन था
आज संडे था तो मैने घर पर थोड़ा हाल चाल लिया
फिर सारा दिन मोबाइल चलाया
रह रह कर व्हाट्सअप खोलता और उसको ऑनलाइन देखता लेकिन फिर हिम्मत नहीं होती कि मैसेज कर दूं ।
उस रोज उससे कोई बात चीत नहीं हुई रात में भी नहीं
मन को मैने यही कह कर भुलवाया कि शायद वो अपने दीदी के यहां रुक गई होगी , लेकिन फिर भी आंखों से नीद गायब थी । देर रात तक मैने उसको ऑनलाइन पाया , कितने सवाल उठ रहे थे और ना जाने क्या ऊंट पटांग चल रहा था दिमाग में ।
बस दिल को यही दिलासा थी कि उसकी मुहब्बत जो मै महसूस करता हूं वो सच्ची है ।
मै सो गया और अगली सुबह हुई
ना moring मैसेज ना कुछ
मै ऑफिस के लिए निकल गया अपना रेडी होकर और ठीक सवा 09 बजे उसका कॉल आया
: हाय सोना , कहा थे आप , पता है कितना मिस किया आपको
: सॉरी बाबू , पता है कल मेरा मोबाइल बिगड़ गया था तो मैसेज नहीं कर पाई और अपने व्हाट्सअप पर मैसेज तो नहीं किया न , क्योंकि कल मैने दीदी के मोबाइल में व्हाट्सअप खोला था ऑफिस काम के लिए
फिर मैने उसे बताया कि वो निश्चिंत रहे मैने कुछ नहीं किया
फिर पता चला कि आज शाम तक उसको मोबाइल मिल जाएगा तो वो बात करेगी ।
उसके बाद देर रात कही उसका मैसेज आया और हमने थोड़ी बात की और सो गए ।
ये हफ्ता बीता और अगले रविवार को पता चला कि इस बार उसकी दीदी घर आई है , उस दिन फिर हमारी कोई बात चित नहीं हुई ।
मंडे से फिर से चीजें नॉर्मल हो गई और उसी हफ्ते होली भी थी ।
घर पर पहले से ही बुलावा आ गया था और मै 16 मार्च को शाम को ही निकल गया था अपने घर के लिए ।
अब दूरी बहुत थी नहीं और विभाग से गाड़ी मिली थी तो मै निकल गया घर ।
घर आया तो पता चला कि मेरी बुआ आई थी , फैजाबाद वाली
यही वो पल था जब मेरी रोमांटिक कहानी या कहूं कि मेरी प्यार भरी जिंदगी को एक नया विजन मिलता है जिसे आम भाषा में एडल्टरी कहते है ।
नया पात्र परिचय
मेरी बुआ : सुशीला देवी , उम्र का सही आंकड़ा मुझे नहीं पता लेकिन इतना जरूर पता है कि पापा से बड़ी है । शायद ये पहली ऐसी महिला थी मेरी जीवन कि जिनके चौड़े कूल्हे देख कर मेरा मन विचलित हुआ कि उनकी पैंटी का साइज क्या होगा । दरअसल वो थोड़े भारी बदन की औरत थी , देसी गदराई मोटी जांघें , उठे हुए चौड़े कूल्हे , चर्बीदार पेट और खरबूजे जैसे मोटे गोल स्तन । भरा सुंदर गोरा चेहरा और दूधिया गोरा बदन , 6 मीटर की साड़ी में भी उनका बदन अच्छे से छिप नहीं पाता था । लेकिन इतना सब होने के बाद भी उनका स्वभाव बड़ा शर्मिला था , चूंकि मम्मी और वो दोनों इकलौती भाभी ननद थी तो उनकी आपस में खूब बनती थी । शायद ही मैने कभी मम्मी को इतना खुल कर किसी से बात करते या शरारत करते देखा था ।
मेरे फूफा : किशनलाल , पेशे से बिजनेस मैन , शराब के ठेके से लेकर पेट्रोल पंप तक का अच्छा खासा कारोबार चलता था । बचपन में लगता था कि फूफा बहुत अच्छे आदमी होंगे लेकिन बढ़ते उम्र की समझ ने मुझे उनके मजाकिया मिजाज और रंगीन मिजाज का फर्क बखूबी समझा दिया था । अक्सर एक चीज मैने देखी थी कि जब भी वो हमारे घर आते तो बहुत सारा समान कपड़े मिठाई के साथ आते । चूंकि वो घर के दामाद थे तो मम्मी उनकी खातिरदारी में कोई कमी नहीं छोड़ती , बचपन में उन्हें घंटों मम्मी से बात करते हंसते देखता लेकिन फिर समझ आने लगा कि उनके और मम्मी के बीच मजाक का स्तर कुछ अलग ही था ।
मेरी इकलौती बहन : बबली दीदी , वैसे तो दूर के रिश्ते में कई सारे कजन भाई बहन मिल जायेंगे लेकिन इनसे मेरा बचपन से ही रिश्ता काफी दोस्ताना था , हालांकि हम बहुत कम मिले है एकदूसरे से यहां तक कि कभी वो मुझे राखी नहीं बांधने आई क्योंकि शुरू से ही वो पढ़ाई के लिए बाहर रही थी और जब कभी मै किसी फंशन पर मम्मी पापा के साथ उनके यहां गया हूं तभी मेरी उनसे मुलाकात हुई थी। एक गजब का आकर्षण था उनमें , एक हसमुख सा चेहरा और शरारती आंखे । किसी को भी मोह लें । ये पहली बार था कि वो मेरे घर आई थी ।
मेरी गाड़ी रुकी और ड्राइवर ने मुझे ड्रॉप किया और वापस निकल गया , क्योंकि उसका घर लखनऊ में ही था और मुझे वापस भी अब होली बाद ही था ।
मैने एक मैसेज डाल दिया अपनी सोना को कि घर पहुंच गया हूं और गाड़ी से उतरते ही दो मंजिला मकान मेरा सामने थे और वही ढलती शाम में टैरिस पर कान में इयरबड्स लगाए एक टहलती हुई लड़की मैने देखी और शायद उसने भी मुझे देखा लेकिन शायद उसके मन में उतनी जिज्ञासा नहीं थी जितना मुझे हुई थी ।
मै उलझा हुआ घर में दाखिल हुआ
एक चैनलनुआ गेट दाखिल होते ही एक खुला बरामदा , जिसकी दाहिनी तरफ से एक जीना जो सीधे ऊपर के दोनों फ्लोर को जाता है । कहने का मतलब है ऊपर जाने के लिए बाहर से ही व्यवस्था है । एक गेट जिसमें घुसते ही हाल , जिसमें एक तरफ किचन तो दूसरी तरफ बाथरूम बीच रखा हुआ पुराना सोफा और सोफे के ठीक सामने दिवाल से चिपकी हुई 32 इंच की LED TV . सोफे के दोनों दो कमरे के गेट खुलते थे, किचन से लगा हुआ कमरा मम्मी पापा का था और बगल वाला मेरा , लेकिन शायद वो कमरा आज किसी और को अलॉट था ।
जिसके ट्राली बैग बेड के किनारे रखे हुए थे ।
अभी तक कोई मुझे दिखा नहीं
" मम्मीईईईई , कहा हो "
एकदम से मम्मी अपने रूम से खिलखिलाती हुई आई और मुझे देख कर उनके चेहरे की रौनक और बढ़ गई
: अरे रोहन ( मम्मी ने मुझे चेहरे को थाम कर देखा और मैने झुक कर पैर छुए और बगल से हग कर लिया )
मम्मी मेरी कमर में हाथ डाले हुए हंसी हुई अपने कमरे की ओर देखने लगी कि इतने में मेरी सुशीला बुआ अपने साड़ी का पल्लू सही करती हुई आई
उनका खिला चेहरा देख कर मै खुश हो गया
: अरे बुआ आप ...( झुक कर मैने उनके पैर छुए ) नमस्ते
बदले में वो मुझे पकड़ कर खड़ी हो गई , उनके दिल की खुशी साफ झलक रही थी ।
: कितना दिन बाद देखा तुझे ,कितना बड़ा हो गया है ( बुआ ने मेरे बाल सही करते हुए कहा ) इसके लिए कोई लड़की देखी या नहीं
लो शुरू हो गई शादी पुराण
मुझे एक चीज से खासा दिक्कत होती थी कि दो रिश्तेदार जब भी जवां खून देखते है उनको शादी की चूल हो जाती थी
मम्मी ने मुझे हाल में बिठाया और बुआ भी मेरे पास आ गई । फिर मम्मी मेरे लिए पानी लेकर आई और शुरू कर दी कि कहा कहा से मेरे लिए रिश्ते आ रहे है
: दीदी , मै तो अभी रोहन की कम से कम 2 बरस बाद ही शादी करूंगी , अरे उम्र ही क्या है मेरे लाडले की
: हा लेकिन भाभी , अरे अभी से देखना शुरू करोगी तब न कही अच्छी लड़की मिलेगी , कही ऐसा तो नहीं रोहन ने वही शहर में ही कोई पसंद कर ली ,क्यों बबुआ
ये जो हंसी मजाक में बच्चों को शामिल कर उनकी बाते उगलवा लेने की ट्रिक से मै काफी वाकिफ था तो बुआ के झांसे में मै आने से रहा
: मम्मी , आपको लगता है मै बुआ को छोड़ कर किसी और शादी करूंगा
बुआ एकदम से चौक गई मेरे मजाक से : धत्त बदमाश, मसखरी कर रहा है मुझसे
: अच्छा मम्मी , सच सच बताओ आपको बुआ जैसी अच्छी , प्यारी , इतनी गोरी बहु मिलेगी हीही बोलो बोलो ( मैने बुआ के गाल छू कर उन्हें छेड़ा )
: अरे मै तो कबसे राह देख रही हूं कि कब तेरी बुआ इस घर की बहु बने , लेकिन इनको तेरे पापा पसंद ही नहीं आ रहे है हाहाहा
मम्मी का मजाक थोड़ा डार्क हो गया और बुआ पूरी शर्म से गुलाबी , असहज थोड़ा मै भी हो गया , लेकिन यही तो एक कामन चीज थी मम्मी बुआ में इनकी मस्तियां फुल टू डार्क और गंदी होती थी । बचपन में मुझे चीजें समझ नहीं आती थी लेकिन धीरे धीरे उनके मतलब मै समझने लगा था ।
असहज होकर मैने बुआ को छोड़ दिया और बात घुमा दी : मम्मी पापा कहा है ?
: वो बाजार गए है सब्जी लेने ( मम्मी के गाल अभी भी खिले हुए थे और बुआ की गाल अभी तक गुलाबी थे )
मैने पानी पिया और एकदम से मुझे छत पर टहल रही ये शख्स की याद आई और फिर अपने प्राइवेट जोन की , कैसे मै रात में अपनी सोना से बातें कर पाऊंगा ।
: बुआ !!
: हा बबुआ बोल
: मेरे कमरे में आपका समान है ?
: हा क्यों ?
: फिर आप मेरे साथ सोओगे न?
: धत्त कहा रे, वहा हम दोनो सोएंगे तेरी बुआ और पापा साथ में सोएंगे
इतने डार्क मजाक से मै एकदम सन्न हो गया , हालांकि मम्मी बुआ के लिए ये सब कामन था लेकिन मम्मी ने कभी इसके लिए मेरे सामने परहेज नहीं किया ।
बुआ उन्हें आंखे दिखा रही थी और मै चुपचाप उठ कर ऊपर जाने के लिए सरक गया ।
जीने से ऊपर आते ही ऊपर एक खुला बालकनी नुमा खाली जगह है और जीने के ऊपर से ही जीना टैरिस की ओर जाता है । ऊपर भी नीचे की तरह ही दो कमरे हाल और वही नीचे वाला बरामदा ।
पहले ये घर एक मंजिला था , लेकिन नौकरी लगने के बाद नीचे वाला ही डिजाइन ऊपर उठा दिया , बस नीचे किचन की जगह पर एक स्टोर रूम बना दिया गया और हाल का बाथरूम टॉयलेट टैरिस पर सेट कर दिया गया पीछे की तरफ
मै ऊपर आया और मेरे कानो में कुछ बाते गुनगुनाई , न लपक कर जीने से ऊपर आया
छत की दूसरी ओर चारदीवारी के पास एक लड़की टीशर्ट और लोवर में फोन पर बात कर रही थी
जैसे ही उसने मेरी आहट पाई वो फोन काट कर मेरी ओर आई
उसका गोरा रंग और वो चंचल आंखे देखते ही मेरे मन में एक नाम उठा और मैने उसकी ओर उंगली करते हुए : बबली दीदी ??
: रोहन ??
: हा , हीहीही , नमस्ते दीदी
: नमस्ते के बच्चे कहा था तू , नौकरी लग गई और बताया भी नहीं न फोन न कोई खबर
: हा लेकिन कहा मेरे पास आपका नंबर था और आप भी तो नहीं थे अपने घर ?
: उम्मम सॉरी बाबू वो , मै दिल्ली में थी और अभी पिछले महीने ही लखनऊ शिफ्ट हुई हूं
: क्या लखनऊ में ? कहा ? मै भी तो लखनऊ में हूं ( मै एकदम से उत्साही हो गया )
: जानकीपुरम में मैने मेरा नया इंस्टीट्यूट खोला है ?
: किस चीज का ? ( मैने पूछा क्योंकि जानकीपुरम मेरे ऑफिस एरिया में ही आता था )
: अरे पागल , ब्यूटीशियन कोर्स का और किस चीज का ( वो बड़े कैजुअल होकर बोली जैसे मुझे पहले से पता होना ही चाहिए था ये सब ) मैने अपना यहां न्यू सेंटर खोला है और तू भी तो लखनऊ में ही है न ?
: हा , लेकिन थोड़ा दूर पड़ेगा आपके यहां से , वैसे ऑफिस मेरा वही पास ही है लेकिन ड्यूटी एरिया रूलर साइड में है ।
: ओह , हम्मम और बता मुझे मेरी भाभी से कब मिलवाएगा
एकदम से मै चौक गया
: क्या कह रहे हो आप ( मैने अपनी चोरी छिपानी चाही )
: क्या मतलब तेरी कोई gf नहीं है , इतना स्मार्ट है फिर भी ?
: सबको लगता है कि स्मार्ट हूं तो पहले से होगी हाहाहाहाहा
: हाहाहाहा पागल
: तो मेरे कोई जीजू है या नहीं ( छत पर खड़े हुए रेलिंग की पाइप को हथेली में ऐंठने की कोशिश करता हुआ मैंने नजरे चुरा कर पूछा )
: बदमाश कही का , हीहीहीही तेरे जीजू से ही बात कर रही थी
: सच्ची ( एकदम से अनजानी सी खुशी हुई सुनकर ) फोटो दिखाओ
: भक्क अभी नहीं , ये बता रात में कहा सोएगा तू , यार मुझे मम्मी के पास नहीं सोना , यहां ऊपर सोना है अकेले, तू भी यही आजा न
मै समझ रहा था कि बबली दीदी को प्राइवेसी चाहिए और शायद मुझे भी इसकी जरूरत थी क्योंकि नीचे कमरे में मुझे किसी न किसी के साथ तो सोना पड़ता और उनसे कही ज्यादा कंफर्टेबल मै अब बबली दीदी के साथ हो गया था । क्योंकि मुझे भी तो अपनी सोना से बातें करनी थी ।
फिर हम लोग प्लानिंग करके नीचे चले जाते है ।
जारी रहेगी
( कहानी पर वीक में दो से तीन अपडेट आएंगे अगर , मिनियम 10 लाइक और रेवो मिलते है । )
ये कहानी ROMANCE, SUSPENSE , THRILLER, ERITICA और ADULTERY आधारित है
कृपया सीमित अपडेट पढ़ कर अपनी राय बना कर कहानी छोड़ने की भूल न करें
भविष्य में आपको किसी अनूठे रस से चूकने का अफसोस रहेगा । कहानी के साथ बने रहे और ज्यादा से ज्यादा सपोर्ट करें । कहानी को आगे बढ़ाने में सहयोग करें ।
शायद ही आप इस तरह की कहानी आपको कहीं और पढ़ने को मिलेगी ।
निशा ? निशा ? निशा ?
N..I....S...A..?
नहीं यार
NIS..H..A , ENTER !!!!
अरे यार इतने सारे USER ??
मैने एक के बाद एक करीब बीसियों इंस्टाग्राम यूजर आईडी को ओपन किया
या तो किसी के प्रोफाइल प्राइवेट थे या फिर वो मेरी सोना नहीं थी ।
तभी मेरी नजर अलग ही username पर गई __its_nishu
जिसके प्रोफाइल पर एक नियॉन एनिमेटेड तस्वीर थी शायद लार्ड कृष्णा की ।
सोचने वाली बात थी ये मेरे इंस्टा की फोलोवर लिस्ट में पहले से ही थी । लेकिन मैने इसपर कभी ध्यान नहीं दिया क्योंकि इनकी आईडी प्राइवेट थी और मैने फॉलो बैक नहीं किया था । मैने जब मेरे पब्लिक अकाउंट वाली आईडी की प्रोफाइल में अपने पोस्ट चेक करने शूरू किए थे पाया इसने मेरे सारे फोटो लाइक किए है और स्टोरी हाइलाइट भी !!
माथा घूमने लगा , कन्फर्म करने का एक ही तरीका था CONTACT SYNC ऑप्शन ऑन करके उन्हें इंस्टा पर खोजू जो मेरे contact list में सेव है
सर्च किया मैने नतीजा , वही , __its_nishu
मेरे दिल की धड़कने तेज हो गई
मेरी सोना मेरे इतने करीब थी और मै उसे खोज तक नहीं पाया , पहचान नहीं पाया
लेकिन सवाल ये था कि अगर वो मुझे जान रही थी , मेरी आईडी तो उसने मुझे बताया क्यों नहीं । कही ऐसा तो नहीं उसकी आईडी उसके घर वाले चलाते हो या फिर वो घर में ही किसी के मोबाइल में अपना आईडी खोल कर रखी हो चलाने के लिए
लेकिन ? सुबह तो उसकी सहेली के साथ में दो मोबाइल थे न , एक को वो पकड़े हुए थी और दूसरे से मेरी सोना की तस्वीरें निकाल रही थी ।
पता नहीं यार ....कुछ समझ नहीं आ रहा था
मै मेरे रूम में टहलते हुए गहरी सांस ले रहा था , क्योंकि बात जो भी ये तो पक्का था कि ये अकाउंट उसका ही है और वो बराबर मुझे स्टॉक कर रही थी लेकिन कभी बात नहीं किया ,क्यों ? क्यों ?
क्या मै उसको फॉलो बैक करु ?
नहीं , उसे पता चल जाएगा कि मै उसकी आईडी सर्च किया था ।
लेकिन फिर वो आज मुझे मिली ही क्यों ? हे भगवान क्या चाहते है आप ?
कभी कभी आप खुद समझ नहीं पाते हैं कि आप क्या रिएक्ट करें उस परिस्थिति पर जब आप अपने इष्ट से कुछ बहुत गहरे हृदय से मांगे और वो तत्काल उसे पूरी कर दें
शायद आप आने वाली परिस्थितियों के लिए तैयार नहीं होते है , शायद आप ये तय नहीं कर पाते है कि आगे जो कुछ होगा वो क्या नए हंगामे आपके लिए लेकर आने वाला है ।
लेकिन फिर आप गहरे भावनाओं से भर जाते हो और शायद यही सब मेरे साथ घट रहा था
देर रात तक मैने अपनी सोना के साथ बिताए हर एक पल याद किए और मुस्कुराता रोता रहा , उसको तस्वीरों में निहारता रहा । वो पल जब मैने उसकी आंखों में उम्मीद देखी थी और वो छलकी हुई आंखों में मेरे लिए तड़प देखी थी।
क्यों नहीं रुक गया मै वहा ?
चाहता तो रुक जाता , कर लेता कुछ फाइनल ?
द्वंद में सारी रात गुजर गई और अगली सुबह
01 मार्च 2022
09 बजकर 12 मिनट पर
एक अंजान नंबर से मेरा मोबाइल रिंग होने लगा
मै नहाने की तैयारी में था
ना जाने क्यों एक अजीब सी बेचैनी हो रही थी
धड़कने तेज थी एकदम से और मैने अपने फिंगरक्रोस कर मन ही मन अपनी सोना को याद कर आखिरी रिंग से पहले फोन उठाया
: हैलो ??
एकदम से चुप्पी सी थी दूसरी तरफ से , बैकग्राउंड में कुछ बाजार की चहल पहल थी
: हैलो ? ( मैने दुबारा से आवाज दी )
: हाय ( एक महीन सी आवाज , मानो कितने डर में बोली )
: बाबू ? ( पूरी रफ्तार से मेरा कलेजा धड़क रहा था )
: हम्ममम , कैसे हो आप ?
उसके ये शब्द ने मेरे दिल के जख्मों को जैसे सिलना शुरू कर दिया होगा , पूरा जिस्म मेरा पिघलने लगा था और धड़कने थोड़ी थोड़ी सी रुकने लगी थी ।
: जिसका सुकून चला गया हो उसकी लाइफ से वो कैसे रहेगा ( अपनी पूरी तकलीफ पूरा दर्द शायद ही किसी और तरीके से मै बयां कर सकता था )
एकदम से वो फफक पड़ी फोन पर
: अरे बाबू !! रो मत प्लीज आई लव यू न मेरा सोना ( नहीं रोक पाया मै भी खुद को रोने से और न ही अपने प्यार का इजहार करने से )
: सॉरी ( उसने सुबकते हुए कहा , लेकिन बैकग्राउंड में कुछ ज्यादा ही चहल पहल थी और गाड़ियों की आवाज आ जा रही थी )
: इसमें आपकी कोई गलती नहीं सोना , वो बस हमारी किस्मत थी जिसमें हम दोनो को जलना था ( मैने मेरे ओर हर संभव प्रयास किया कि मै उसे फोन पर ही सम्भाल लूं )
: हम्म्म, लेकिन आपको कैसे पता कि मै कल वहां आऊंगी ? ( सहज सा सवाल था उसका )
: नहीं पता सोना , मै तो बस वहां अपनी टीम के साथ मॉर्निंग रेड पर गया था और मंदिर में तुम्हारे जन्मदिन के लिए बस थोड़ी सी प्रार्थना करने गया था । .... ओह सॉरी ...हैप्पी बर्थडे मेरी सोना मेरा सुकून
: हम्ममम थैंक्यू ... क्या मांगा था आपने वहां ?
: मेरा सुकून लौटा दें वो हर कीमत पर उसे अपना बना कर रखूंगा , चाहे दुनिया खिलाफ हो जाए ।
एकदम से वो चुप सी हो गई और
: ठीक है मेरा ऑफिस आ गया , शाम को बात करूंगी बाय
: आप जॉब करते हो ? ( मैने अचरज से पूछा )
: हम्ममम
: कहा ?
: शाम को बात करें ! मै अंदर जा रही हूं बाय
: बाय सोना , आई लव यू सो सो मच , उम्माह
: हम्म्म बाय
काल कट गया
" बस बाय "
दिल उतर गया कि उसने एक बार भी मुझे वापस आई लव यू नहीं बोला ,, शायद ऑफिस में आ गई थी और लोग रहे होंगे इसीलिए । शाम को बात करेगी ही
मै खुश हो गया और एक नई उम्मीद सी भरने लगी मुझमें
मैने मन ही मन अपने इष्ट को धन्यवाद दिया और नहा धो कर ड्यूटी पर निकल गया ।
शायद ही इतनी बेचैनी में दिन कटा हो कभी , शाम को 05 बजे तक मै फ्री हो गया लेकिन वो नहीं
ठीक शाम 06 बजकर 32 मिनट पर उसका मैसेज आया
: Hiii
: hyy jaana ( मैने झट से उसको रिप्लाई किया , बाजार में था उस वक्त मै सब्जियां ले रहा था )
: sorry late ho gaya
: koi nahi , aur btao ,call kru
: hmmm
मै समझ गया और मैने उसको काल किया
: हाय सोना , क्या कर रहे हो ?
: बस घर पर जा रही हूं ( थोड़ी उदास सी बोली )
: अच्छा हा ! आप जॉब कहा करते हो ?
: लखनऊ में
: और रहते कहा हो ?
: घर अपने , डेली अपडाउन होता है ।
: ओह्ह्ह अच्छा ( थोड़ा थोड़ा मै उसकी स्थिति को समझने की कोशिश कर रहा था )
: और आप ? आपकी जॉब लग गई ?
: हम्मम , लास्ट ईयर ही और पहली ज्वाइनिंग भी यही है LESA में
: लेसा में मतलब ?
फिर मैने उसे अपने डिपार्टमेंट के बारे में बताया और अपनी पोस्ट और पोस्टिंग की जगह जो मोहनलालगंज से सीधे उल्टे दिशा में थी सीतापुर रूट से लग कर ।
: अच्छा है फिर तो , और घर में मम्मी पापा सब कैसे है ? ( फीकी सी खुशी से वो बोली )
: पापा की जॉब चली गई लास्ट ईयर कोरोना में तो वो घर पर है और मम्मी भी ठीक ही है अब और आपके यहां? आपके दीदी की शादी हो गई ?
: हा नवंबर लास्ट में
: और पापा मम्मी ठीक है ? ( मैने भी कैजुअल होकर सवाल किया )
: हा मम्मी ठीक है
: और पापा ? ( कुछ धड़कने मेरी कमजोर सी महसूस हुई )
: वो अब नहीं है , कोरोना में उनकी डेथ हो गई ( सुबक कर उसने कहा )
कलेजा कांप उठा मेरा ये खबर सुनकर और क्या बीती होगी मेरी सोना पर उस वक्त पर
: सॉरी बाबू , आप ठीक हो न ? अगर मुझे पता होता तो आ जाता आपके पास
: कोई बात नहीं , मै ठीक हूं ( उसकी सुरकती नाक की आवाज साफ साफ सुनाई दी मुझे , उनकी आंखे बह रही होगी ये सोच कर दिल रोने सा लगा मेरा )
: बाबू !!!
: हम्ममम
: ...... आई लव यू सोना ( बड़ी उम्मीद से मैने कहा उसे कि वो जवाब दे दे लेकिन इस बार भी वो चुप थी )
: मै बस पकड़ कर कॉल करती हूं ( एकदम से उसने ये बोलकर कॉल काट दिए )
और भी बेचैन कर गई
हर वो कोशिश जिससे मै मेरे दिल को ये यकीन दिला रहा था कि वो मुझे आज भी प्यार करती है , वो सब तसल्लिया मै मेरे दिल को दे रहा था ।
लेकिन शायद बीते साल में जो कुछ उसने सहा हो और वो सब बाते उसने मुझसे कही नहीं है अब तक , शायद उसकी हिम्मत टूट गई हो ।
काश मुझे ही पहल करके चले जाना चाहिए था उसके पास
कितनी अकेली पड़ गई होगी वो जब उसके पापा नहीं रूस इस दुनिया में
उसके घर की क्या मजबूरी रही होगी कि उसे नौकरी के लिए इतनी दूर आना पड़ा होगा शहर !!!
सवाल कई थे और जवाब सब मेरी सोना ही दे सकती थी
आया भी जवाब के रूप में एक मैसेज
: Ghar pahuch kar bat krungi , Bus me mere pahchan ke log hai
: okay sona
मैने रिप्लाई किया लेकिन उसका कोई जवाब नहीं आया
कुछ देर बाद वापस मैने हिम्मत करके एक text मैसेज भेज दिया : I love you mera sukoon
लेकिन उसने कोई रिप्लाई नहीं किया
और मै अपने काम में लग गया । वही शाम की सब्जी राशन की खरीदारी और वापस रूम पर ।
मन थोड़ा खुश था कि मेरी सोना लौट आई थी और कुछ उसके लिए परेशान भी , लेकिन मुझे सब्र ही रखना था शायद ही धीरे धीरे चीजें सुधरने लग जाए
देर रात में उसका मैसेज आया
: khana khaye aap ?
: Ha babu aur ap ? ( मैने उसको रिप्लाई किया )
: Hmm, kya ho rhaa hai ..
: kuch nhi , soya hu, apki foto dekh rhaa hu ( मैने खुश होकर रिप्लाई किया ) Miss you, call kru
: Nahi , Rat me nhi bat kar sakti hu call par
उसकी बातों से थोड़ा डर गया कही पिछले बार की तरह फिर से पकड़ी गई तो ,
: Ek foto bhejo n , plzzz ( मैने उससे दरखास्त की )
: ok ( उसका मैसेज आया और एक सेल्फी खींच कर बिस्तर में सोई हुई उसने भेजी )
लेकिन उस सेल्फी में कोई चमक नहीं थी बहुत उदास सी थी वो , कोई खुशी नहीं
: kya hua , sad kyo ho
: Nahi to
: Ap khush nhi ho hum fir se bat kar rahe hai ?
: aisi bat nhi hai
: achcha ek baat puchhu ? ( मैने मेरे भीतर चल रही बेचैनी को साझा करना चाहा )
: hmm kaho
: Ap itne din mujhse bat kyo nhi kiye ek bhi baar ? Apko meri yaad nhi aa rahi thi ?
: Sorry bahut muskil se ab fir se mummy ne mujh par bharosa kiya hai ... Mai use nhi todna chahati thi
उसकी बातों ने मुझे अंदर से झकझोर दिया , कि किन मुश्किल हालातों में उसने मुझे छोड़ देने का फैसला लिया होगा । ना जाने कौन सी कसमें वादे उसे ये फैसला लेने पर मजबूर की होंगी । कितने महीनों तक उसने अपनी मां से नजर नहीं मिलाई होगी ।
दिल पूरी तरह से निराश हो गया था उसका जवाब सुन कर , और कही न कही मन में एक सवाल उठ रहा था कि फिर उसने मुझे फोन क्यों किया ?
: To aap ab mujhse pyar nhi karte ( बड़ी हिम्मत कर मेरे भीतर उठ रहे तूफान को सवाल के रूप में सामने लाया )
: Maine Aisa to nhi kaha , Par mai mummy ka bharosa nhi tod sakti hun ... Sorry
उसकी बातों से मै समझने लगा था कि शायद मैने जो उम्मीद का दिया जलाया था वो बहुत दिन तक जलेगा नहीं
: koi baat nhi sona .. Thik hai hum baat nhi krenge . Lekin mai hamesha apki raah dekhunga wapas aane ki . I love you humesha
दर्द ही लिखा था मैने और शायद वो भी समझ रही थी मेरी टूटती उम्मीद को , लेकिन मजबूरी थी ऐसा मै समझ रहा था ।
: kyo nahi karenge baat ?
: aapne apni mummy ko promise Kiya hai to kaise ? Mai apne swarth ke liye apki promise ko nhi tudwa sakta n
: aisa kuch nhi hai .. maine koi promise nhi kiya h .. bus dar lagta hai ab
: kaisa dar ?
: kuch nhi ... Chalo aap so jao . Mummy aa jaa rahi hai . Ok good night bye
: Ok , good night sona , love you hug kar lo
कुछ देर बाद उसका रिप्लाई आया
: Hug you babu , I love you so so much
एकदम से जैसे मेरी धड़कन छोड़ती रूह ने लंबी आह सी भरी और मै अंदर से तरोताजा गया
वो मुझे आज भी चाहती है
इस से बढ़ कर मेरे लिए खुशी की बात आखिर क्या हो सकती थी
मैने सैकड़ों चुम्मिया कुर्बान कर दी उसके भेजे हुए तस्वीर पर और अपने सीने से लगा कर सो गया ।
दिन गुजरने लगे
और हमारी बात चीत हर रोज लगभग कुछ तय समय में ही होती थी
जैसे कि
* सुबह उठ कर उसका गुड मॉर्निंग विश मैसेज से
* फिर घर से निकलते हुए मैसेज से
* फिर जब वो लखनऊ आ जाती तो 2 या 1 मिनट बस फोन पर बात करती जबतक कि आपके ऑफिस नहीं पहुंच जाती
* शाम को फिर वही दो एक मिनट की बातचीत और फिर सीधा रात में खाने के बाद उसकी चैटिंग होती
कुछ ही दिनों में मै ये महसूस कर चुका था कि वो कितना सजग होकर बातचीत करती । उसका डर मै समझ रहा था या फिर कहूं सिर्फ मै ही समझ रहा है । धीरे धीरे मैने उससे बीते साल को लेकर बातचीत करनी बंद कर दी क्योंकि जब भी मै ऐसी बात छेड़ता वो एकदम से चुप हो जाती और मुझे ऐसा महसूस होता कि वो कुछ अपराध भाव सा महसूस कर रही हो ।
इनसब से उबरने का एक ही तरीका होता था कि मै उसको थोड़ा सा हंसाऊँ, छेड़ूं , थोड़ी रोमांटिक बातचीत शुरू करूं ।
फिर आया 6 मार्च 2022 का दिन
बीते हफ्ते में ये हमारा पहला रविवार था और मुझे उम्मीद थी कि हम सारा दिन बात करने वाले है , मैने उसको मैसेज किए
: Hyy sona, good morning
करीब 5 मिनट बाद उसका रिप्लाई आया
: hii babu , good morning jaan
: kya kar rha h bachcha mera ( मै आज बहुत खुश था और ना जाने क्यों उसपर प्यार भी बहुत आ रहा था )
: baathroom me hun
समझ गया पगली मोबाइल लेकर फ्रेश होने गई है , खैर ये आम सी बात थी और ऐसा कुछ भी नहीं था जो मैने भी पहले नहीं किया था ।
हमारी थोड़ी बातचीत हुई और उसने बम फोड़ा कि आज वो अपने दीदी के यहां जा रही है तो जबतक वो मैसेज न करे मै अपनी तरफ से कोई भी मैसेज या कॉल नहीं करूं।
उसकी दीदी ....
ट्रेन का वो सफर और जिस तरह से उसकी दीदी मुझे मिली थी बीते साल मैने आज तक उसका जिक्र नहीं किया था अपनी सोना से
उतनी खुश दिल , हड़बड़ाई और चंचल और सबसे बढ़कर दूसरों का परवाह करने वाली लड़की जिसे मैने 4 घंटे के सफर में बहुत करीब से समझ लिया था , वो क्या ऐसी होगी कि अपनी छोटी बहन की मुहब्बत को स्वीकार न करें । लेकिन फिर भी कही न कही ये ख्याल आता है कि एक बड़ी बहन के नाते क्या पता उसे डर हो कि उसकी छोटी बहन किसी गलत संगत या गलत जगह फंस न जाए ।
खैर मैने उसको बड़े उदास मन से कहा कि वो निश्चिंत रहे और मै उसकी राह देखूंगा लेकिन मैसेज या कॉल नहीं करूंगा ।
समय बिताना बहुत कठिन था
आज संडे था तो मैने घर पर थोड़ा हाल चाल लिया
फिर सारा दिन मोबाइल चलाया
रह रह कर व्हाट्सअप खोलता और उसको ऑनलाइन देखता लेकिन फिर हिम्मत नहीं होती कि मैसेज कर दूं ।
उस रोज उससे कोई बात चीत नहीं हुई रात में भी नहीं
मन को मैने यही कह कर भुलवाया कि शायद वो अपने दीदी के यहां रुक गई होगी , लेकिन फिर भी आंखों से नीद गायब थी । देर रात तक मैने उसको ऑनलाइन पाया , कितने सवाल उठ रहे थे और ना जाने क्या ऊंट पटांग चल रहा था दिमाग में ।
बस दिल को यही दिलासा थी कि उसकी मुहब्बत जो मै महसूस करता हूं वो सच्ची है ।
मै सो गया और अगली सुबह हुई
ना moring मैसेज ना कुछ
मै ऑफिस के लिए निकल गया अपना रेडी होकर और ठीक सवा 09 बजे उसका कॉल आया
: हाय सोना , कहा थे आप , पता है कितना मिस किया आपको
: सॉरी बाबू , पता है कल मेरा मोबाइल बिगड़ गया था तो मैसेज नहीं कर पाई और अपने व्हाट्सअप पर मैसेज तो नहीं किया न , क्योंकि कल मैने दीदी के मोबाइल में व्हाट्सअप खोला था ऑफिस काम के लिए
फिर मैने उसे बताया कि वो निश्चिंत रहे मैने कुछ नहीं किया
फिर पता चला कि आज शाम तक उसको मोबाइल मिल जाएगा तो वो बात करेगी ।
उसके बाद देर रात कही उसका मैसेज आया और हमने थोड़ी बात की और सो गए ।
ये हफ्ता बीता और अगले रविवार को पता चला कि इस बार उसकी दीदी घर आई है , उस दिन फिर हमारी कोई बात चित नहीं हुई ।
मंडे से फिर से चीजें नॉर्मल हो गई और उसी हफ्ते होली भी थी ।
घर पर पहले से ही बुलावा आ गया था और मै 16 मार्च को शाम को ही निकल गया था अपने घर के लिए ।
अब दूरी बहुत थी नहीं और विभाग से गाड़ी मिली थी तो मै निकल गया घर ।
घर आया तो पता चला कि मेरी बुआ आई थी , फैजाबाद वाली
यही वो पल था जब मेरी रोमांटिक कहानी या कहूं कि मेरी प्यार भरी जिंदगी को एक नया विजन मिलता है जिसे आम भाषा में एडल्टरी कहते है ।
नया पात्र परिचय
मेरी बुआ : सुशीला देवी , उम्र का सही आंकड़ा मुझे नहीं पता लेकिन इतना जरूर पता है कि पापा से बड़ी है । शायद ये पहली ऐसी महिला थी मेरी जीवन कि जिनके चौड़े कूल्हे देख कर मेरा मन विचलित हुआ कि उनकी पैंटी का साइज क्या होगा । दरअसल वो थोड़े भारी बदन की औरत थी , देसी गदराई मोटी जांघें , उठे हुए चौड़े कूल्हे , चर्बीदार पेट और खरबूजे जैसे मोटे गोल स्तन । भरा सुंदर गोरा चेहरा और दूधिया गोरा बदन , 6 मीटर की साड़ी में भी उनका बदन अच्छे से छिप नहीं पाता था । लेकिन इतना सब होने के बाद भी उनका स्वभाव बड़ा शर्मिला था , चूंकि मम्मी और वो दोनों इकलौती भाभी ननद थी तो उनकी आपस में खूब बनती थी । शायद ही मैने कभी मम्मी को इतना खुल कर किसी से बात करते या शरारत करते देखा था ।
मेरे फूफा : किशनलाल , पेशे से बिजनेस मैन , शराब के ठेके से लेकर पेट्रोल पंप तक का अच्छा खासा कारोबार चलता था । बचपन में लगता था कि फूफा बहुत अच्छे आदमी होंगे लेकिन बढ़ते उम्र की समझ ने मुझे उनके मजाकिया मिजाज और रंगीन मिजाज का फर्क बखूबी समझा दिया था । अक्सर एक चीज मैने देखी थी कि जब भी वो हमारे घर आते तो बहुत सारा समान कपड़े मिठाई के साथ आते । चूंकि वो घर के दामाद थे तो मम्मी उनकी खातिरदारी में कोई कमी नहीं छोड़ती , बचपन में उन्हें घंटों मम्मी से बात करते हंसते देखता लेकिन फिर समझ आने लगा कि उनके और मम्मी के बीच मजाक का स्तर कुछ अलग ही था ।
मेरी इकलौती बहन : बबली दीदी , वैसे तो दूर के रिश्ते में कई सारे कजन भाई बहन मिल जायेंगे लेकिन इनसे मेरा बचपन से ही रिश्ता काफी दोस्ताना था , हालांकि हम बहुत कम मिले है एकदूसरे से यहां तक कि कभी वो मुझे राखी नहीं बांधने आई क्योंकि शुरू से ही वो पढ़ाई के लिए बाहर रही थी और जब कभी मै किसी फंशन पर मम्मी पापा के साथ उनके यहां गया हूं तभी मेरी उनसे मुलाकात हुई थी। एक गजब का आकर्षण था उनमें , एक हसमुख सा चेहरा और शरारती आंखे । किसी को भी मोह लें । ये पहली बार था कि वो मेरे घर आई थी ।
मेरी गाड़ी रुकी और ड्राइवर ने मुझे ड्रॉप किया और वापस निकल गया , क्योंकि उसका घर लखनऊ में ही था और मुझे वापस भी अब होली बाद ही था ।
मैने एक मैसेज डाल दिया अपनी सोना को कि घर पहुंच गया हूं और गाड़ी से उतरते ही दो मंजिला मकान मेरा सामने थे और वही ढलती शाम में टैरिस पर कान में इयरबड्स लगाए एक टहलती हुई लड़की मैने देखी और शायद उसने भी मुझे देखा लेकिन शायद उसके मन में उतनी जिज्ञासा नहीं थी जितना मुझे हुई थी ।
मै उलझा हुआ घर में दाखिल हुआ
एक चैनलनुआ गेट दाखिल होते ही एक खुला बरामदा , जिसकी दाहिनी तरफ से एक जीना जो सीधे ऊपर के दोनों फ्लोर को जाता है । कहने का मतलब है ऊपर जाने के लिए बाहर से ही व्यवस्था है । एक गेट जिसमें घुसते ही हाल , जिसमें एक तरफ किचन तो दूसरी तरफ बाथरूम बीच रखा हुआ पुराना सोफा और सोफे के ठीक सामने दिवाल से चिपकी हुई 32 इंच की LED TV . सोफे के दोनों दो कमरे के गेट खुलते थे, किचन से लगा हुआ कमरा मम्मी पापा का था और बगल वाला मेरा , लेकिन शायद वो कमरा आज किसी और को अलॉट था ।
जिसके ट्राली बैग बेड के किनारे रखे हुए थे ।
अभी तक कोई मुझे दिखा नहीं
" मम्मीईईईई , कहा हो "
एकदम से मम्मी अपने रूम से खिलखिलाती हुई आई और मुझे देख कर उनके चेहरे की रौनक और बढ़ गई
: अरे रोहन ( मम्मी ने मुझे चेहरे को थाम कर देखा और मैने झुक कर पैर छुए और बगल से हग कर लिया )
मम्मी मेरी कमर में हाथ डाले हुए हंसी हुई अपने कमरे की ओर देखने लगी कि इतने में मेरी सुशीला बुआ अपने साड़ी का पल्लू सही करती हुई आई
उनका खिला चेहरा देख कर मै खुश हो गया
: अरे बुआ आप ...( झुक कर मैने उनके पैर छुए ) नमस्ते
बदले में वो मुझे पकड़ कर खड़ी हो गई , उनके दिल की खुशी साफ झलक रही थी ।
: कितना दिन बाद देखा तुझे ,कितना बड़ा हो गया है ( बुआ ने मेरे बाल सही करते हुए कहा ) इसके लिए कोई लड़की देखी या नहीं
लो शुरू हो गई शादी पुराण
मुझे एक चीज से खासा दिक्कत होती थी कि दो रिश्तेदार जब भी जवां खून देखते है उनको शादी की चूल हो जाती थी
मम्मी ने मुझे हाल में बिठाया और बुआ भी मेरे पास आ गई । फिर मम्मी मेरे लिए पानी लेकर आई और शुरू कर दी कि कहा कहा से मेरे लिए रिश्ते आ रहे है
: दीदी , मै तो अभी रोहन की कम से कम 2 बरस बाद ही शादी करूंगी , अरे उम्र ही क्या है मेरे लाडले की
: हा लेकिन भाभी , अरे अभी से देखना शुरू करोगी तब न कही अच्छी लड़की मिलेगी , कही ऐसा तो नहीं रोहन ने वही शहर में ही कोई पसंद कर ली ,क्यों बबुआ
ये जो हंसी मजाक में बच्चों को शामिल कर उनकी बाते उगलवा लेने की ट्रिक से मै काफी वाकिफ था तो बुआ के झांसे में मै आने से रहा
: मम्मी , आपको लगता है मै बुआ को छोड़ कर किसी और शादी करूंगा
बुआ एकदम से चौक गई मेरे मजाक से : धत्त बदमाश, मसखरी कर रहा है मुझसे
: अच्छा मम्मी , सच सच बताओ आपको बुआ जैसी अच्छी , प्यारी , इतनी गोरी बहु मिलेगी हीही बोलो बोलो ( मैने बुआ के गाल छू कर उन्हें छेड़ा )
: अरे मै तो कबसे राह देख रही हूं कि कब तेरी बुआ इस घर की बहु बने , लेकिन इनको तेरे पापा पसंद ही नहीं आ रहे है हाहाहा
मम्मी का मजाक थोड़ा डार्क हो गया और बुआ पूरी शर्म से गुलाबी , असहज थोड़ा मै भी हो गया , लेकिन यही तो एक कामन चीज थी मम्मी बुआ में इनकी मस्तियां फुल टू डार्क और गंदी होती थी । बचपन में मुझे चीजें समझ नहीं आती थी लेकिन धीरे धीरे उनके मतलब मै समझने लगा था ।
असहज होकर मैने बुआ को छोड़ दिया और बात घुमा दी : मम्मी पापा कहा है ?
: वो बाजार गए है सब्जी लेने ( मम्मी के गाल अभी भी खिले हुए थे और बुआ की गाल अभी तक गुलाबी थे )
मैने पानी पिया और एकदम से मुझे छत पर टहल रही ये शख्स की याद आई और फिर अपने प्राइवेट जोन की , कैसे मै रात में अपनी सोना से बातें कर पाऊंगा ।
: बुआ !!
: हा बबुआ बोल
: मेरे कमरे में आपका समान है ?
: हा क्यों ?
: फिर आप मेरे साथ सोओगे न?
: धत्त कहा रे, वहा हम दोनो सोएंगे तेरी बुआ और पापा साथ में सोएंगे
इतने डार्क मजाक से मै एकदम सन्न हो गया , हालांकि मम्मी बुआ के लिए ये सब कामन था लेकिन मम्मी ने कभी इसके लिए मेरे सामने परहेज नहीं किया ।
बुआ उन्हें आंखे दिखा रही थी और मै चुपचाप उठ कर ऊपर जाने के लिए सरक गया ।
जीने से ऊपर आते ही ऊपर एक खुला बालकनी नुमा खाली जगह है और जीने के ऊपर से ही जीना टैरिस की ओर जाता है । ऊपर भी नीचे की तरह ही दो कमरे हाल और वही नीचे वाला बरामदा ।
पहले ये घर एक मंजिला था , लेकिन नौकरी लगने के बाद नीचे वाला ही डिजाइन ऊपर उठा दिया , बस नीचे किचन की जगह पर एक स्टोर रूम बना दिया गया और हाल का बाथरूम टॉयलेट टैरिस पर सेट कर दिया गया पीछे की तरफ
मै ऊपर आया और मेरे कानो में कुछ बाते गुनगुनाई , न लपक कर जीने से ऊपर आया
छत की दूसरी ओर चारदीवारी के पास एक लड़की टीशर्ट और लोवर में फोन पर बात कर रही थी
जैसे ही उसने मेरी आहट पाई वो फोन काट कर मेरी ओर आई
उसका गोरा रंग और वो चंचल आंखे देखते ही मेरे मन में एक नाम उठा और मैने उसकी ओर उंगली करते हुए : बबली दीदी ??
: रोहन ??
: हा , हीहीही , नमस्ते दीदी
: नमस्ते के बच्चे कहा था तू , नौकरी लग गई और बताया भी नहीं न फोन न कोई खबर
: हा लेकिन कहा मेरे पास आपका नंबर था और आप भी तो नहीं थे अपने घर ?
: उम्मम सॉरी बाबू वो , मै दिल्ली में थी और अभी पिछले महीने ही लखनऊ शिफ्ट हुई हूं
: क्या लखनऊ में ? कहा ? मै भी तो लखनऊ में हूं ( मै एकदम से उत्साही हो गया )
: जानकीपुरम में मैने मेरा नया इंस्टीट्यूट खोला है ?
: किस चीज का ? ( मैने पूछा क्योंकि जानकीपुरम मेरे ऑफिस एरिया में ही आता था )
: अरे पागल , ब्यूटीशियन कोर्स का और किस चीज का ( वो बड़े कैजुअल होकर बोली जैसे मुझे पहले से पता होना ही चाहिए था ये सब ) मैने अपना यहां न्यू सेंटर खोला है और तू भी तो लखनऊ में ही है न ?
: हा , लेकिन थोड़ा दूर पड़ेगा आपके यहां से , वैसे ऑफिस मेरा वही पास ही है लेकिन ड्यूटी एरिया रूलर साइड में है ।
: ओह , हम्मम और बता मुझे मेरी भाभी से कब मिलवाएगा
एकदम से मै चौक गया
: क्या कह रहे हो आप ( मैने अपनी चोरी छिपानी चाही )
: क्या मतलब तेरी कोई gf नहीं है , इतना स्मार्ट है फिर भी ?
: सबको लगता है कि स्मार्ट हूं तो पहले से होगी हाहाहाहाहा
: हाहाहाहा पागल
: तो मेरे कोई जीजू है या नहीं ( छत पर खड़े हुए रेलिंग की पाइप को हथेली में ऐंठने की कोशिश करता हुआ मैंने नजरे चुरा कर पूछा )
: बदमाश कही का , हीहीहीही तेरे जीजू से ही बात कर रही थी
: सच्ची ( एकदम से अनजानी सी खुशी हुई सुनकर ) फोटो दिखाओ
: भक्क अभी नहीं , ये बता रात में कहा सोएगा तू , यार मुझे मम्मी के पास नहीं सोना , यहां ऊपर सोना है अकेले, तू भी यही आजा न
मै समझ रहा था कि बबली दीदी को प्राइवेसी चाहिए और शायद मुझे भी इसकी जरूरत थी क्योंकि नीचे कमरे में मुझे किसी न किसी के साथ तो सोना पड़ता और उनसे कही ज्यादा कंफर्टेबल मै अब बबली दीदी के साथ हो गया था । क्योंकि मुझे भी तो अपनी सोना से बातें करनी थी ।
फिर हम लोग प्लानिंग करके नीचे चले जाते है ।
जारी रहेगी
( कहानी पर इस वीक में दो से तीन अपडेट आएंगे अगर , मिनियम 10+ लाइक और रेवो मिलते है । )
अगली सुबह मै जल्दी नहाने के लिए अपने कपड़े लेकर नीचे आ गया
जीने के ठीक सामने एक बाथरूम था जो पूरे घर के लिए कामन था ।
हालांकि टॉयलेट की व्यवस्था टैरिस पर थी लेकिन नहाने के नीचे ही आना पड़ता था ।
वैसे तो मेरी सुबह पढ़ाई से शुरू होती और करीब 09 बजे तक मै नहाने जाता और सर्दियों में तो 11 बज जाते
लेकिन आज मेरा 09 बजे ही टेस्ट था और मै जल्दी जल्दी ब्रश घुमाते हुए तकरीबन 08 बजे नीचे आया
उस समय घर में घंटियां बज रही थी मतलब यह कि आंटी नहा चुकी थी और मैने सोचा कि यही टाइम है मै नहा लूं
जैसे ही नीचे आया तो देखा कि प्रिया भी ब्रश लिए खड़ी है कंधे पर तौलिया रखे हुऐ लोवर टीशर्ट में
: नहाना है ? ( मुंह में ब्रश घुमाते हुए वो पूछी )
मैने थोड़ा असहज होकर हा में सर हिलाया और उसने सर घुमा कर इशारा कर दिया कि मै चला जाऊ और खुद दांत पर ब्रश घुमाते हुए गेट की ओर चली गई
अभी मै बाथरूम में घुस कर कुल्ला कर रहा था कि कोई बंदर की तरह झपटा और मै इतना तेज चौक गया कि मेरे हाथ से ब्रश और जीभा छिटक गए : मम्मीइई
वो एकदम से खिलखिलाई और मै कुछ बोलता इससे पहले वो बाथरूम में हैंगर पर टांगें हुए अपने ब्रा पैंटी के जोड़े को खींच ले गई
मैने अपना माथा पकड़ लिया
ऐसा नहीं था कि इतने साल में मैने कभी उसकी ब्रा पैंटी बाथरूम में नहीं देखी थी और मुझे उसके ब्रा 32C और 36 नंबर पैंटी का साइज भी पता था लेकिन आज वो जिस तरह से झपटी वो मुझे चौका दिया ।
कुछ देर में जब मै संभला और मेरी नजर आंटी की पैंटी पर गई तो मैने उसे भी पकड़ कर बाहर हाथ कर दिया
: हम्म्म ये भी है
वो शॉक्ड होकर मुझे देख रही और एकदम मेरे हाथ से पैंटी झपट कर मुस्कुरा कर अंदर चली गई और तब तक नहीं निकली जब तक नहा धोकर तैयार होकर कोचिंग के लिए नहीं चला गया ।
आज तीसरे हफ्ते के टेस्ट में बैठने से पहले हर बार की तरह इस बार भी मैने मेरी सोना को मैसेज कर दिया और फिर मोबाइल ऑफ करके क्लास के अंदर आ गया
साढ़े तीन घंटे बाद जब वापस निकला और मोबाइल चालू किया तो काफी सारे मैसेज आए थे और चूंकि आज संडे का दिन था तो मेरी सोना घर पर बोर हो रही थी
कोचिंग से निकलते ही मैने उसे काल घुमाया
: हाय सोना
: हाय ( वो उखड़ कर बोली )
: अरे मेरा बाबू क्या हुआ ?
: बाबू को अच्छा नहीं लग रहा है , बाबू आपको मिस्सी मिस्सी कर रही है ( कितने दुलार में वो बोली जैसे छोटा सा बेबी हो )
: याद आ रही थी मेरे सोना को
: हम्ममम बहुत ज्यादा , आप कुछ खाए
: अभी नहीं , अभी जाऊंगा खाने अच्छा रुको एक मिनट प्रिया फोन कर रही है
मैने मेरी सोना को होल्ड कर थोड़ा प्रिया से बात की और वापस काल रिट्रीव कर दिया
: हा जान बोलो
: क्या हुआ , क्या बोल रही थी वो ?
: कुछ नहीं उसकी तबियत नहीं ठीक है तो स्टोर से दवा लेना है
: हुंह, कुछ नहीं हुआ होगा , उसको बस आपका अटेंशन चाहिए ( थोड़ा पजेसिव होकर वो बोली )
: अरे ऐसा नहीं कहते बाबू, वो ऐसी नहीं है सच में उसकी तबियत नहीं ठीक होगी वरना वो मुझे कोई काम दे दे ऐसा नहीं होगा
: हा हा इतना अच्छा काश आप मुझे समझते तो बाबू को ऐसे नहीं लगता न
: अरे क्या हुआ , बताओ न
हम फोन पर थे और वो बोले जा रही
इतने में मै मेडिकल स्टोर पर आ गया
"जी भैया एक पैड देदो और ये दवा देदो"
: हा बाबू बोलो
: पता है वो मेरा दोस्त है विशाल उसका ब्रेकअप हो गया
: क्यों ( मैने मोबाइल कान में लगाए बोला )
" नहीं भाई N .. N , Fortran-N चाहिए " , मै दुकानदार से बोला
: हा बाबू बोलो ( वापस फोन पर )
: उसकी gf की शादी हो रही है कही दूसरे जगह
: क्यों ? ( मैं अचरज से )
: अरे अभी ये कैसे करेगा , इसके पास जॉब नहीं है न
: ओह , बेचारा
: क्या बेचारा मुझे बहुत डर लग रहा है , आप प्लीज बाबू जल्दी से जॉब ले लो और मुझे अपने साथ ले चलो प्लीज
मुझे थोड़ी हंसी आई
: हा मेरा सोना, बस मार्च में एग्जाम है और फिर एक दो महीने में रिजल्ट आ जाएगा फिर जॉब भी लग जाएगी
: सच्ची न , बाबू को आपके सिवा किसी और से शादी नहीं करना है प्लीज
फिर मैने मनाता समझाता हुआ मै वापस रूम पर आ गया और प्रिया को उसका समान देकर ऊपर चला गया
फिर मैने अपना लंच बनाया इलाहाबाद स्पेशल , दाल चावल चोखा और एक लंबी नींद शाम को तकरीबन 6 बज गए
मै उठ कर फ्रेश हो गया और शाम को सब्जी की खरीदारी के लिए निकल गया और वापस आने के बाद मैने देखा कि दोपहर बाद से मेरी सोना एकदम से गायब है , न मैसेज न फोन
मैने काल किया तो स्पीकिंग टू समवन एल्स बताया और फिर एक मैसेज आया कि वो अपने दोस्तों के साथ ग्रुप काल पर है । मैं भी सोचा कि उसको भी उसका पर्सनल स्पेस मिलना चाहिए और मुझे प्रिया ख्याल आया
मैने उसको मैसेज कर दिया
: hiii kaisi ho ?
कुछ देर बाद उसका मैसेज आया
: pahale se better
: khana ?
: mummy bna Rahi hai , dard jyada tha aaj
: hmmm ( मैने बहुत कुछ बोलना सही नहीं समझा )
: Test kaisa gaya tumhara
ये सवाल तो किसी और पूछना चाहिए था लेकिन प्रिया ने अपने किरदार में कोई बदलाव नहीं किए थे ।
: ekdm mast
:Good
: ok tum rest kro , kuch jrurt hogi to btana bye.
कुछ देर तक उसके प्रोफाइल के नीचे टाइपिंग दिखा लेकिन फिर गायब सा था , शायद कुछ कहना चाहती थी और नहीं कह सकी ।
मैने भी बात आगे नहीं बढ़ाई और अपने पढ़ाई में लग गया
खाने के बाद एक बार फिर ट्राई किया लेकिन मैडम का काल बिजी आया और मै एक मूवी देखते हुए सो गया
अगली सुबह
सुबह आंख खुली तो देखा मोबाइल पर 5+ मिसकॉल और 10 से ज्यादा मैसेज आए थे
Sorry babu
Late ho gaya
Please call uthao
So gaye kya ?
Wo mai group call par thi , Vishal ki tabiyat nhi thik hai , usko hurt hua hai bahut .
Ok araam kar lo .
Good night sweet dreams
Love you
Miss u apki yaad a Rahi hai
Bas ek baar phone utha lo plzzz
सुबह सुबह इतना सारा मैसेज देखा तो बड़ा अफसोस हुआ कि मेरी सोना कितनी देर रात तक मेरा वेट की और मै था कि सो गया ।
मैने वापस से कॉल लगा दिया , 3 4 रिंग और फोन उठा
: ह... हैलो सो .. ( मै कुछ बोलता उधर से एक मिलती जुलती हुई आवाज आई लेकिन आवाज मेरी सोना की नहीं थी )
: हैलो , विशाल वो सो रही है हेलो सुन रहे हो
मेरी तो इसी में फट गई कि उसका मोबाइक घर में किसी और ने उठाया
अब तो बड़ा सोच समझ कर फोन या मैसेज करना पड़ेगा । वरना यूं भावनाओं में बह कर सारा खेल ही बिगड़ जायेगा ।
और अच्छा हुआ मैने मेरी ओर से कोई मैसेज नहीं डाला नहीं तो पक्का मेरी सोना की खैर नहीं थी
लंबी लंबी सांसे लेकर मै फ्रेश हुआ और नहा धो कर बैठा था कि मेरे कमरे के दरवाजे पर दस्तक हुई
दरवाजा खोला तो प्रिया आई थी
: अरे तुम
: गुड मॉर्निंग रोहन ( वो ठीक दिख रही थी और नहा चुकी थी )
: आओ बैठो
वो कमरे में आई और हाथ में एक टिफिन भी था
: ये लो और थैंक्यू ( उसने वो टिफिन दोनो हाथों से देते हुए मुस्कुरा कर कहा )
: ये कहा है ? ( मैने टिफिन पकड़ते हुए ) गर्म है !!
: वही जो तुम्हे मेरे हाथ से अच्छी नहीं लगती , कटहल की सब्जी
दिल तो अंदर बाग बाग हो गया ठंड के मौसम में कटहल की मसालेदार सब्जी
: अब माफ भी कर दो यार , कितना सुनाओगी उसके लिए ( मैने बेबस भरी हंसी से उसे देखा )
: अच्छा ठीक है खा लेना , मै जा रही हूं
: सुनो
: हम्म्म कहो
: थैंक्यू ( मै उसको देख कर मुस्कुराया और वो भी )
वो चली गई और मैने फटाफट चावल चढ़ाया और अपनी पढ़ाई जारी कर दी
इधर सीटियां बज रही थी और वही मेरा मोबाइल बजने लगा
फोन पर बात हुई तो पता चला आज मैडम फोन लेकर कालेज जा रही है और वही से उनका ग्रुप विशाल से मिलने उसके घर जायेगा ।
मै भी अपनी पढ़ाई में व्यस्त था तो खाना खा कर वापस पढ़ाई में लग गया ।
शाम को बाजार के लिए निकलने से पहले मैने प्रिया का दिया हुआ टिफिन साफ करके नीचे ले आया
अंदर गया तो हाल में आंटी भी थी
: हाय आंटी, वो ये टिफिन ( थोड़ा उनसे असहज ही रहता था मै अक्सर )
: हा दो ( एकदम से वो किचन से आई )
मैने उसे दिया और वो टिफिन को खोलकर
: देख रही हो मम्मी , इतनी साफ तो आप भी नहीं कर पाएंगी इतना चकाचक करके लाए है ये
आंटी और मै दोनों समझ रहे थे कि बर्तन धूल कर देने के लिए ही ताना दिया जा रहा था
: अरे यार अब बाकी बर्तन के साथ वो भी धूल दिया तो क्या हो गया
: सिंक भरा है मेरा आओ ( उसने मुंह बना कर कहा )
आंटी हसने लगी
: क्या तू उसको परेशान कर रही है आ बेटा बैठ , और घर पर बात हुई
फिर हम थोड़ा हाल चाल लेने लगे और वो तुनक कर किचन में चली गई आंटी से बात करते करते ही 8 बज गए और मेरा टाइम हो गया , मतलब मेरी सोना के काल का टाइम हो गया था ।
मैने उसको पढ़ने का बोलकर बाहर न जाने के बजाय सीधा ऊपर अपने कमरे में चला आया
फोन आया
: उफ्फ फाइनली , आपकी आवाज सुनके अच्छा लगा
: हम्म्म ( वो कुछ उदास सी थी )
: क्या हुआ बाबू ?
: पता नहीं कुछ अच्छा नहीं लग रहा है , आप कब आओगे ?
: अगले महीने आपका बर्थडे है तो आ जाऊंगा सोना
: आप इधर नहीं आ सकते क्या ? ( उसने उखड़ कर कहा और मुझे फिक्र होने लगी )
: क्या हुआ मेरा बाबू , क्यों परेशान है मेरा सोना उम्मम
: पता नहीं डर सा लग रहा है , कही मेरी भी शादी हो गई तो और आज तो दीदी ने फोन उठा लिया था आपका
: ओह तो वो आपकी दीदी थी , एक पल को लगा कि आप ही हो
: नहीं दीदी थी और कल रात के लिए सॉरी
: कोई बात नहीं सोना
: वो विशाल रेखा सूरज सुमन हम लोग कान्फ्रेस काल पर थे ।
: अरे हा , आप तो आज उसके घर गए थे न ? कैसा है वो ?
: उसकी तबियत बहुत खराब है , आंटी बहुत रो रही थी और खाना नहीं खाया था 3 दिन से हम लोगों ने उसको खिलाया।
: ओह्ह्ह सच्चा प्यार ऐसा ही होता है
: मै तो मर जाऊंगी आपके बिना
: अरे ( मै एकदम सन्न हो गया ) ऐसा नहीं कहते बाबू
: क्या न कहूं , दीदी की शादी तय हो गई ( वो रुआंस होकर बोली )
: अरे तो दीदी की हुई है न , आपकी थोड़ी तब तक मै बात करने आ जाऊंगा पक्का ? आपकी कसम
: मुझे बहुत डर लग रहा है , मेरी छोटी मौसी मेरे लिए भी रिश्ता देख रही है
सच कहूं तो उसे खोने का डर मुझसे ज्यादा शायद ही उसे होगा , लेकिन मै मेरी कमजोरी दिखा कर उसे और परेशान नहीं कर सकता था । कारण जहां तक तब मुझे यही महसूस हो रहा था कि विशाल की gf की शादी और उसके दीदी की शादी तय हो जाने से वो ज्यादा इनसिक्योर हो गई थी । उसके भरोसे के लिए सबसे जरूरी था कि उससे मुलाकात की जाए ।
घर से आए मुझे लगभग दो महीने भी होने वाले थे
परीक्षा की घड़ी नजदीक आ रही थी और कुछ ही दिनों में फरवरी शुरू होने वाली थी । मन में कभी आ रहा था वेलेंटाइन वीक में ही मिलने चला जाऊ , लेकिन 28 फरवरी को उसका बर्थडे भी है ।
मम्मी ने मकर संक्रांति पर बुलाया था पढ़ाई का बोलकर नहीं गया और अब अगर एक ही महीने में 2 बार घर गया तो मेरा बाप मेरी गाड़ तोड़ देता ये तो फिक्स था ।
फिर मुझे समझ आया कि क्यों वेलेंटाइन वीक में घर चला जाऊं
10 फरवरी को शिवरात्रि भी है , परीक्षा के पहले पूजा पाठ का बहाना भी हो जाएगा और मै मेरी सोना से मिल भी लूंगा और फिर 28 फरवरी को उसके बर्थडे पर डायरेक्ट लखनऊ ही चला जाऊंगा बिना घर पर बताए
प्लानिंग सेट हो गई और अब बारी थी उसको सर्प्राइज देने की ।
एक हफ्ते बाद ......
आज रोज़ डे था और मै अपनी बैग की पैकिंग कर रहा था , दिन की ही ट्रेन थी , मैने जानबूझ कर प्रिया को भी नहीं बताया था कि घर जा रहा हूं
सुबह सुबह दरवाजे पर दस्तक हुई
मैंने खोला तो वो एक पीले रंग के सूट सलवार में खड़ी थी हाथ पीछे किए हुए
: हाय ( मुस्कुरा कर उसने मुझे ग्रीट किया )
: हाय !!! ( आज वो खिल रही थी थोड़ी , शायद ये रंग पर कुछ ज्यादा ही जंच रहा था )
: हैप्पी रोज़ डे रोहन ( एकदम से उसने एक पीला गुलाब अपने पीछे से आगे किया )
बड़ा सा खूबसूरत और लंबी डंडी जिसमें दो तीन कंटीली पत्ती भी थी
: ओह वाव ( उसके हाथ से गुलाब लेता हुआ ) थैंक्यू , अह मेरा मतलब तुमको भी हैप्पी.. रोज़.. डे
मै पूरी कोशिश कर रहा था कि असहज न हो पाऊं या उसे ऐसा न लगे कि मै उसने मुझे एकदम से चौका दिया लेकिन मै फेल था अपनी फिलिंग छुपाने में और वो मुस्कुरा रही थी ।
: अंदर नहीं बुलाओगे ( उसने अपने लटों को कान में उलझाया )
: आह आओ न , मै भी बस पैकिंग कर रहा था
: घर जा रहे हो ? बताया नहीं तुमने ( कुछ उदास लहजे में वो बोली )
: अह ... वो ( क्या जवाब दूं समझ नहीं आ रहा था ) हा मम्मी ने शिवरात्रि पर पूजा रखी है तो बुलाया है ।
: ओह , ठीक है फिर कब वापस आओगे ( उसने ठहरे हुए लहजे में पूछा )
: 11 को वापस , एग्जाम भी है न अगले महीने
: हम्ममम , उससे नहीं मिलोगे क्या ? वेलेंटाइन डे पर !! ( उसका इशारा मेरी जान की ओर था )
लेकिन मै क्या समझाता कि ये सब ड्रामा सिर्फ उससे मिलने के लिए ही हो रहा है ।
: हा कोशिश करूंगा , उसकी भी एग्जाम होने वाली है लास्ट ईयर की तो बिजी होगी ।
: ठीक है , मै तो बस ऐसी ही पूछ रही थी कि अगर जाओ मिलने तो फोटो भेजना साथ वाली ( एक फीकी मुस्कुराहट से वो बोली )
: अच्छा ठीक है , कोशिश करूंगा
देर रात तक मै घर पहुंचा
ट्रेन में बैठने के बाद घर फोन कर दिया था कि आ रहा हूं तो खाना बना हुआ था
घर आकर मैने मम्मी पापा के पैर छुए
पापा सोफे पर थे और मम्मी किचन में
: मम्मी ( मैने उनको हग कर लिया पीछे से )
: हा बेटा ( कुछ उदास सी मुस्कुराई वो )
: क्या हुआ ? आप खुश नहीं हो ( मैने उन्हें अपनी ओर घुमाया )
उन्होंने मुझे बड़े गौर से देखा और एक फीकी मुस्कुराहट से मेरी बढ़ी हुई दाढ़ी को छू कर : ये क्या , तू दाढ़ी बाल नहीं कटवाया ?
: वहा कौन देखेगा मुझे
: अच्छा और यहां कौन है ( अम्मी ने आंखे महीन करके मुझे देखने लगी )
: यहां मेरी प्यारी सी मम्मी है न हाहाहा ( मैने उनके नाक छू कर कहा और वो मुस्कुराई ) मै हूं न आपका हीरो बोलो
: हा मेरा लाला ( वो मेरे चेहरे को छू कर बोली ) जा हाथ मुंह धो ले और खाना निकाल दूं ।
मै मेरे कमरे में गया और सबसे पहले अपनी सोना को घर पहुंचने का मैसेज डाल दिया और मोबाइल चार्ज में लगा दिया । फिर फ्रेश होकर बाहर आया और पापा के पास बैठ गया
वो हाल में बैठे हुए न्यूज चैनल देख रहे थे , लगभग साल भर हो गया था कोरोना की खबरें सुनते हुए और खबर थी कि एक बार फिर अब देश के तेजी से केस बढ़ रहे है कोरोना के , कोई नया वेरिएंट आ गया है । पूरे आसार है कि फिर से लॉकडाउन लगने के । विदेशी यात्राओं पर रोक लगनी फिर से शुरू हो गई थी ।
आम तौर पर वैसे भी पापा और मेरी बहुत बात नहीं होती थी लेकिन इलाहाबाद से घर आने पर अक्सर वो मेरी पढ़ाई और परीक्षा को लेकर बातें करते थे लेकिन आज बहुत चुप थे ।
मुझे लगा कि कोई बात होगी और एक चीज मुझे अजीब लगी कि जब पापा जनवरी में ही वापस ड्यूटी पर गए थे तो होली से पहले वापस कैसे आ गए? सवाल लाजमी था लेकिन उनसे पूछताछ करने की हिम्मत मुझमें नहीं थी ।
मम्मी से चर्चा कि वो बोली कि तबियत ठीक नहीं थी इसीलिए उन्हें बुलवा लिया है , ठीक हो जाएंगे तो वापस जाएंगे। मै फ़िक्र न करूं अपनी तैयारी पर ध्यान दूं ।
रात में खाने पीने के बाद मै मेरे कमरे में आया और अपनी जान को काल कर दिया
पहले तो स्पीकिंग टू समवन एल्स आया लेकिन आखिरी रिंग जाते जाते काल पिक हो ही गया
: हाय बाबू , क्या हो रहा है ?
: कुछ नहीं, बस आपको याद कर रही थी ( थोड़ी असहज होकर वो बोली )
: वैसे कल कितने बजे निकलोगे आप ? ( मै खुश होकर बोला )
: उम्मम, वही कालेज वाले टाइम पर आप कबतक आ जाओगे
: मुझे तो दुपहर हो जाएगी आते आते
: कोशिश करना कि जल्दी आ जाओ प्लीज , मुझे आपको हग करना है कस के
: मुझे भी , बाबू को मै खूब देर तक कडल करके रहूंगा और किस्सी भी दूंगा
: और मेरा गिफ्ट ?
: वो भी लाया हूं हीहीहीही
: चलो आप मुझे हग कर लो, मेरे सर में दर्द हो रहा है आज मुझे आपकी बाहों में सोना है ( वो बड़े प्यार से बोली )
: आजाओ मेरा बाबू , हग यू टाइटली मेरा सोना उम्माह , सो जाओ गुड नाइट लव यू
और कुछ ही देर में वो सो गई फिर मै भी
अगली सुबह
मै फ्रेश हुआ और ब्रश करके सलून चला गया और वापस आया तो पापा फोन पर किसी से बहस कर रहे थे
मामला थोड़ा गंभीर था , किसी की अम्मा बहन हो रही थी लेकिन मेरी असल समस्या ये थी कि मुझे कुछ पैसे चाहिए थे और लखनऊ जाने का बहाना मैने पहले ही सोच लिया था ।
नहाने जाने से पहले मैने मम्मी को किचन से अपने रूम में बुलाया
: क्या हुआ ?
: मम्मी , मुझे कुछ बुकस लेनी है और आज लखनऊ जाना है पैसे चाहिए ?
: बुक्स ठीक है लेकिन लखनऊ क्यों जाना है ? ( मम्मी फिक्र से बोली )
: अरे मम्मी ******* कोचिंग क्लास से का साल्व पेपर सेट लेना है , उससे मेरे एक्जाम में हेल्फ हो जाएगी ।
: अच्छा कितना चाहिए तुझे
: यही कोई 2500 ? ( मैने आज के खर्चे का पूरा हिसाब कर लिया था ) फिर मुझे अलाहाबाद के लिए खर्चा भी नहीं चाहिए होगा ।
: 2500 ? ( मम्मी चौकी और उनके चेहरे का रंग उड़ गया )
एक नजर उन्होंने पापा को फोन पर बात करते हुए देखा और फिर कुछ सोच कर वो अपने कमरे में गईं और 1500 लाकर मुझे दे दी
: ये ले पकड़ , जब वापस जायेगा तो 1000 और दे दूंगी , ठीक है और सुन टाइम से घर आ जाना
: ठीक है
फिर मै नहाने चला गया और मै अपनी फेवरेट ब्लैक शर्ट और डेनिम जींस के साथ कैजुअल शूज डाले और निकल गया ।
बस पकड़ कर लखनऊ और फिर मोहनलालगंज
ट्रैफिक और स्वारी बदल कर ढाई घंटे बाद मै मोहनलाल गंज तहसील पहुंचा ।
ये दूसरी बार था कि मै इस टाऊन में आया था , उतरते ही जैसे कितनी बेचैनी होने लगी और हाथ में लिए हुए एक पेपर बैग को लेकर मैने एक होटल का एड्रेस किसी से पूछा और उधर चल दिया ।
इस दौरान मैसेज से लगातार मेरी बात मेरी सोना से हो रही थी, वो घंटे भर पहले ही पहुंच गई थी अपने लोकेशन पर
मैने उसको काल लगाया और उसने काल उठाया
: हाय , किधर हो
: यही जहां बताया , आप किधर हो ( उसने पूछा)
: बस ये जो .... ओह माय गॉड ( आंखे बड़ी कर मैने सामने देखा उसे )
पलके झपका कर , गर्दन झटक कर
: क्या हुआ ( वो टेंशन में बोली )
: मै वापस जा रहा हूं
: अरे हुआ क्या ?
: सच सच बताओ , आप मुझे मारना चाहते हो न ( मैने उसको सताया )
: क्या ?
: यार इतना खूबसूरत दिखने की क्या जरूरत थी ( मैने उसे रेस्तरां के एक जगह बैठे हुए देखा )
ब्लैक सूट में फूल स्लीव
खुले बाल और मासूम सा चेहरा , जिसकी बेचैन निगाहे मुझे ही तलाश रही थी
: धत्त पागल, बताओ न कहा हो( वो खड़ी होकर मुझे खोजने लगी उस भीड़ में )
मै तो ठीक उसके सामने ही था और एकदम से उसकी नजरे मुझ पर गई
वो खुशी से चहक कर रेस्तरां से भागी और सीढ़ियां उतरती हुई मेरी ओर आने लगी , अपना घेरेदार फ्राकसूट को लहराती हुई ।
फिर एकदम से रुक गई और धीमी पड़ गई
: क्या हुआ ( उसने सामने 10 मीटर की दूरी पर खड़ा था मै )
: कोई देख लेगा तो ? ( उसका डर वाजिब था और ये था भी तो उसका ही शहर )
: फिर ?
: अंदर आओ बैठते है और वो घूम कर चली गई
इश्श उसके लचीले कमर के वो मादक झटके , मैने मेरी नजर को भटकने से रोका और मुस्कुरा कर उससे थोड़ी दूरी किए हुए अंदर चला गया ।
वो बैठी थी एक टेबल पर और मै उसकी ओर बढ़ा कि उसने मुझे फोन पर टोका
फोन मेरा चालू और नेकबैंड कनेक्ट , उसने शायद एयरबड्स लगाए थे
: वही बैठ जाओ , उसी टेबल पर
हम दोनो थे अब आमने सामने लेकिन हमारे टेबल अलग थे
मैने आंखों से उसकी आंखों में देखा और वो मेरी
: आई लव यू ( मैं उसके सामने से बोला )
वो मुस्कुरा दी और छिप कर मुंह पर हाथ रखते हुए बोली: लव यू सो मच मेरी जान, कितने हैंडसम लग रहे हो
: और आप कतई जहर ( एकदम से उसकी आंखे चमक उठी और गाल पूरे गुलाबी होठ शर्म से मुस्कुरा उठे )
: भक्क मार खाओगे आप
: मार ही डालो , अब और कितना तड़पाओगी उम्मम
हम दोनो एक दूसरे को निहार रहे थे और खो रहे थे
मेरी सांसे बेचैन होने लगी थी और वो समझ गई
: क्या हुआ बाबू
: मुझे हग करना है अभी ( मैने उसे अपनी बेचैनी बयान की )
वो भी अब अपना शरीर हिलाने लगी और इधर उधर देखने लगी
फिर उठ कर इशारे से मुझे अपने पीछे आने को कहा
मै अपना कैरीबैग लेकर चल दिया उसके पीछे
वो रेस्तरां के पीछे पार्किंग की जगह थी और आगे एक खाली और सुनसान जगह थी , दुनिया की भीड़ से अलग
मुझे डर भी लग रहा था और फिर मैं उसके सामने था और वो मेरे
इतने करीब आकर मेरे दिल की धड़कने तेज होने लगी और उसकी नजरे सीधा मेरे सीने पर
बिना कुछ बोले वो मेरी बाहों में हाथ घुसा कर अपना सर मेरे सीने पर रख दिया
अह्ह्ह्ह , एक लंबी सांस ले कर मानों उसकी रूह मुझसे जुड़ गई और पुरे जिस्म के एक बिजली सी दौड़ गई
मैने भी कस लिया उसे अपनी बाहों में और लिपट गया
: आई लव यू सोना
: मै भी बहुत ज्यादा मेरा बाबू ( वो दुबक आकर मेरी बाहों में बोली )
: आप सिर्फ मेरे हो , अब मत डरना ( मैने उसका चेहरा आगे कर उसकी आंखों में देखा )
वो मुझे देख रही थी पूरे विश्वास के साथ और मैने उसके माथे को चूम लिया , फिर उसने अपनी आँखें बंद कर ली
पास से और भी प्यारी लग रही थी वो , उसका वो नरमाहट भरा अहसास और मैने उसकी खूबसूरत आंखों को भी चूम लिया
सिहर कर वापस वो मेरे सीने से लग गई: मै आपको खोना नहीं चाहती, आई लव यू सो मच
: लव यू मेरा बच्चा ( मैने उसके बालों को सहलाया और फिर उसके गालों को अपने हथेली के भर उसका चेहरा आगे किया
उसके गुलाबी लब थोड़े सिकुड़ गए और बहुत नर्म दिख रहे थे और आंखे बंद कर मै उनकी ओर बढ़ा और उसने भी आंखे बंद कर ली
फिर हम दोनो के होठ आपस से टच हुए एक अलग ही तरह की ऊर्जा पूरे बदन में महसूस हुई और वो मुस्कुराई साथ में भी
वापस से मैने उसके लिप्स पर किस किया : आई लव यू सो मच
वो फिर से मेरे सीने से लग गई
: बाबू
: हम्म्म? ( वो मुझसे लिपटी हुई बोली )
: चलें
: उन्हूं, नहीं जाना मुझे कही ( वो मुझे पकड़े हुए अपने गर्दन को मेरे सीने ओर हिला कर बड़ी मासुमियत से बोली और मुझे उसपर पहले से ज्यादा प्यार आने लगा )
: कोई देख लेगा तो ?
आंखे उठा कर उसने मुझे घूरा और मै मुस्कुरा रहा था अपनी नाराज शेरनी को देखकर
: अच्छा चलो फोटो निकालते है
और वो खुश हो गई
फिर हमने सेल्फी ली और मैं उसको एक ड्रेस , एक गुलाब और एक चाकलेट और एक छोटा सा टेडी वाला की- रिंग दिया ।
बदले में उसने मेरी कलाई पर एक घड़ी बांध दी
मैने मुस्कुरा कर उसकी निशानी को चूम लिया और फिर उसे भी ।
समय को देखते हुए मैने उसे जाने दिया और शाम होने से पहले पहले मै भी घर वापस आ गया ।
उस रात हमारी बातें देर रात चली वो भी रोमांटिक वाली , वो पहली किस का अहसास और पहला हग
सुकून से मै सो गया ।
अगले दिन घर में कुछ बहुत अच्छा माहौल नहीं दिखा , पापा की परेशानी समझ से परे थी , मम्मी भी कुछ साफ साफ बताने को राजी नहीं थी ।
इसीलिए 10 फरवरी को ही मै वापस इलाहाबाद लौट गया ।
रूम पर आने के बाद रात में प्रिया खाना लेकर आई थी ।
मैने उसे बैठने को कहा और उसकी नजर मेरी कलाई पर थी
: मतलब गिफ्ट मिल गया उम्मम
मै थोड़ा शर्माया
: बताए नहीं और फोन भी उठाए मेरा
: सॉरी घर में कुछ अच्छा नहीं चल रहा था ( मैंने उसे पापा के टेंशन में रहने की बात बताई )
: फोटो नहीं दिखाओगे ? ( थोड़ा हिचक कर वो बोली )
: अरे हा , रुको
मैने मोबाइल निकाल कर उसके पास बैठ गया सट कर इतना ही हमारे पैर आपस में टच हो रहे थे , वो थोड़ा असहज हुई लेकिन मै अपनी खुशी के नशे में था
गैलरी खोलकर उसको दिखाई
कुछ मस्ती भरी सेल्फी और मेरी सोना के सिंगल पोट्रेट
: वाव, कितनी प्यारी है ( फिर उसने अपनी कलाई मुंह के पास रख कर थोड़ा सा ऊपर थूथू किया )
: ये क्या था ( मै अचरज से )
: वो नजर न उसे मेरी इसीलिए करते हैं ( कुछ उदास आंखों से वो बोली )
: उसने ने तुम्हारे लिए भी कुछ भेजा है
: क्या सच में ? क्या ?
फिर मैने एक कंगन सेट निकाल कर अपने बैग से दिया
: ओह वाव , उससे बात हो तो कहना मुझे बहुत पसंद आया और सॉरी नेक्स्ट टाइम मै भी कुछ दूंगी लेते जाना
: हा क्यों नहीं ( उसकी खुशी देखने लायक थी उसने फौरन वो कंगन अपने कलाई में डाल दिए और मुझे दिखाने लगी )
: अच्छे है न ?
: हा बहुत सुंदर ( कुछ सोच कर मै थोड़ा उदास हुआ बोला )
: मैने न तुम्हारे लिए ये रखा था
उसने एक छोटा सा वॉटर बॉल दिया कांच का जिसमें एक सफेद टेडी था जिसके पेट पर एक रेड हार्ट पर लिखा था BEST FRIEND FOREVER
बहुत खूबसूरत तोहफा था लेकिन उससे बढ़ कर उसकी मेरी लिए परवाह
फिर वो खाना खाने को बोलकर चली गई
मैने खाना खाया और अपनी सोना के पास काल घुमाया
: चले गए न फिर से छोड़ कर ( वो थोड़ा इतराई )
: फिर आऊंगा न बाबू आपके बर्थडे पर
: अच्छा सुनो , इस बार आना आप तो विशाल से जरूर मिलना । वो तो उसी दिन मिलना चाहता था लेकिन मैने मना कर दिया । खास दिन था हमारा और फिर वो सब भी नहीं कर पाते हीही
मै उसकी बातों से मुस्कुराने लगा और फिर उससे बाते करता हुआ कब सो गया पता ही नहीं चला ।
अगली सुबह आज फिर मेरा टेस्ट था और नहाने के लिए मै नीचे आया
आज फिर वही संयोग लेकिन चीजें कुछ बदली हुई थी
वो बजाय लोवर टीशर्ट के टॉप और नीचे उसने तौलिया लपेटा था
जैसे ही मै जीने से नीचे आया एकदम से उसको देख कर सन्न रह गया उसकी गोरी दूधिया टांगे देख कर और वो भी झट से बाथरूम में ।
मै वापस रूम में आ गया , चीजे मुझे कुछ बेचैन सी कर गई थी । हालांकि मै पोर्न देखे हुए था , मगर इतने सालों में ये मेरा उसके साथ ऐसा पहला सामना था ।
कुछ अजीब सा महसूस हो रहा था और मैने महसूस किया कि लोवर में कुछ हरकत सी हो रही है , मुझे समझ आ रहा था कि मै क्या महसूस कर रहा हूं लेकिन मुझे ये यकीन नहीं हो रहा था ये फीलिंग मुझे प्रिया के लिए कभी महसूस होगी ।
मैने झट से दरवाजा बंद किया और लोवर निकाल कर अंडर वियर सरका दिया
बड़ा सा काला मूसल सांस लेता हुआ पूरा फनकार मारता हुआ , याद है वो दिन जब पहली बार मैने मूठ लगाई थी , दसवीं की बात रही होगी
मुहल्ले में एक अंकल थे जिनके बारे में ये चर्चा थी कि वो ब्लू फिल्मों के शौकीन है और उनके मोबाइल में ये सब भरा रहता है । संयोग की बात थी कि उस दिन वो मेरे यहां इन्वर्टर में मोबाइल चार्ज लगाने आए थे और मौका देख कर मै उनका मोबाइल चलाने लगा ।
एक दो वीडियो भगा कर देखने के बाद जो पहली उत्तेजना मुझे महसूस हुई थी वहीं आज मुझे महसूस हुई जब मैने पहली बार मैने प्रिया की नंगी चिकनी गोरी दूधिया टांगे देखी
मेरा लंड मेरे हाथ में था और उसकी तपिश मुझे मेरे हथेली में महसूस हो रही थी , लंड की नशे फड़कने लगी थी ,
मैने महसूस किया कि पढ़ाई के चक्कर में मैने बहुत कुछ ऐसे रसों से खुद को किनारे कर लिया था जो शायद एक खास उम्र के दरमियान उनका भोग किया जाता है ।
तभी दरवाजे पर दस्तक हुई और मैने झट से अपना लंड पकड़ कर अंडरवियर में डाल कर लोवर ऊपर किया और फिर उसे सेट करते हुए दरवाजा खोला तो समझ आया कि प्रिया नहा चुकी थी और हाथो में कपड़े लेकर ऊपर जा रही थी
उसने बस दरवाजा इसीलिए खटखटाया कि मै समझ जाऊ कि बाथरूम अब खाली है ।
लेकिन मै जैसे ही नीचे जाने को हुआ कि जीने की सीढ़ी पर एक लाल ब्रा गिरी हुई दिखी , समझते देर नहीं लगी कि ये उसके कपड़ो के बीच से सरक गई थी ।
बड़ी दुविधा थी कि क्या करूं, एक ही दिन दो दो असहज पल वो ही उस लड़की से जो मुझे लेकर बहुत सॉफ्ट फिलिंग रखती आई हो ।
अगर मै नीचे नहाने जाता हूं और उसे वापस आते हुए ब्रा सीढ़ी पर दिखेगी तो उसे ये न लगे कि मै उसके कपड़ो को अछूत समझता हूं इसीलिए उठाया नहीं और अगर मै इसे उठाता हूं वापस ऊपर ले जाने के लिए तो उसकी हिम्मत नहीं हो पा रही थी ।
फिलहाल दूसरा रास्ता ही सही था और मैने उसे उठाया , फिर जीने से ऊपर चला गया और वो एकदम से मुझे देख कर सकपका गई
: हम्मम ये गिर गया था ( मैंने ब्रा को हाथ में पकड़े हुए उसे दिया , जिसके पानी से मेरे हाथ गिले हो गए )
उसने बिना कुछ बोले ब्रा ले ली और घूम कर आर्गन पर कपड़े फैलाने लगी
मै नीचे जाने वाला था कि एकदम से उसकी आवाज आई
: आल द बेस्ट ( उसने मुझे मेरे टेस्ट के लिए बधाई दी थी )
मैने घूम कर उसे देखा और मुस्कुरा कर चला गया नीचे ।
टेस्ट के बाद वापस आया तो अपनी सोना के पास फोन करके बात करने लगा ।
: उम्मम धत्त गंदी बात नहीं
: अच्छा आपको कुछ फील नहीं हुआ था जब मैने आपको हग किया था ( मैने उसको छेड़ना शुरू किया )
: हा मुझे अच्छा अच्छा सा फिल हो रहा था और आपके सीने पर कितना सुकून था
: मान लो अगर मै शर्ट निकाल देता और फिर आपको हग करता तो ( मैने उसको लालच दिया )
एकदम से फोन पर उसकी सिहरन महसूस हुई
: अह्ह्ह्ह्ह बक्क ऐसा कुछ नहीं कर पाएंगे हम लोग
: सोचो आपको मेरे साथ मेरे बिस्तर पर सोने को मिले मेरे सीने से लग कर और मै बिना शर्ट के हूं
: इईईह्ह्ह हीही नहीं सोचूंगी ( वो थोड़ा शर्मा रही थी )
: सोचो न मेरे गर्म धड़कते दिल को और करीब से सुन पाओगे
: बाबूऊऊ , बक्क मिलने का मन करेगा फिर से
: फिर मिल लेंगे न जानू , आऊंगा तो फिर से आपको हग कर लूंगा और कस कर अपने सीने से आपको चिपका लूंगा एकदम टाइट वाला , कितने सॉफ्टी से हो आप
: धत्त गंदा मारूंगी मै आपको गंदी बात नहीं करो न
: इसमें गंदी बात क्या है ? आप इतने गब्बू गब्बू से हो सॉफ्टी सॉफ्टी से जी करता है खा जाऊ
: हीही पागल हो आप हाहाहा ( वो खिलखिलाई )
: बताओ न करोगे न हग नंगू पंगु वाला
: हा लेकिन बस आप होना नंगू पंगु मै नहीं हीहीही
एकदम से मेरे बदन में हलचल होने लगी और लोवर में कुछ हरकत होने लगी हाथ नीचे ले गया तो पता चला जनाब उठ रहे थे
: क्यों आप क्यों नहीं , मै तो आपको भी कर दूंगा
: छीइइइ नहीं , गंदे हो आप, मुझे सोच कर ही अजीब लग रहा है । मै कभी भी आपके सामने नंगू नहीं होऊंगी समझे , हा नहीं तो
: लाइट बंद कर दूंगा न बाबू
: फिर भी नहीं ( थोड़ा रुक कर वो बोली )
: ठीक है फिर जब आप नहाने जाओगे तब चुपके से आपको देख लूंगा ( मै अपना लंड लोवर के ऊपर से सहला रहा था और आंखे बंद कर उसको अपनी कल्पनाओं में नंगा करना चाह रहा था )
: हीही मै तो कपड़े पहन कर नहाती हूं हाहाहाहाहा ( वो खिलखिलाई जैसे मुझे चित कर दिया हो )
: कपड़े बदलोगे न तब देख लूंगा हाहा
: भक्क आप बहुत गंदे हो , चलो मुझे काम है मम्मी बुला रही है , बाद में बात करते है ।
: ओके लव यू सोना मिस्सी मिस्सी
: हीही , लव यू गंदा बाबू मेरा , बाय
उसने फोन काट दिया , लेकिन आज हो हलचल मेरे अंडरवियर में मची थी वो ऐसे नहीं मिटने वाली थी ।
फिर सालों बाद मैने इंटरनेट पर पोर्न सर्च किया
लिस्ट लंबी थी साइट्स की और मन में एक डर भी था , साइबर ठगी का
लेकिन मन में उमंग थी कि आज कुछ हवस उतारी जाए और मैने एक साइट खोलकर एक वीडियो चालू की
अजीब सा लग रहा था , बदन में गर्मी बढ़ने लगी और मैने लंड बाहर निकाल दिया
सीईईई ओह्ह्ह यस्स अह्ह्ह्ह्ह
कितना हल्का महसूस हो रहा था आज वीडियो में ताबड़तोड़ तोड़ चुदाई चल रही थी , नेकबैंड कनेक्ट था और कानो में उन कपल की सिसकिया गूंज रही थी , मैने मोबाइल साइड रख दिया और बस उन कामुक आवाजों को महसूस करता हुआ लंड आगे पीछे कर हिला रहा था और सिसक रहा था
एकदम से मुझे प्रिया की नंगी टांगों का ख्याल आया और मेरे अंदर रोमांच उठ गया , ना जाने क्या था जो मै उसकी ओर खींच रहा था
बार बार उसका चेहरा आंखों के आगे आ रहा था और मै उससे अलग अपनी सोना को सोचना चाहता था , वो पल जब उसके नरम दूध मेरे सीने से स्पर्श हुए थे और मैने उसके लिप्स को चूमा था
ओह्ह्ह्ह मेरी बाबू उफ्फ कितने प्यारे हो और आपके चूतड़ उफ्फ कितना sexy झटके खा रहे थे सूट में वो भी अंदर से कितने गोरे होंगे
गोरा दूधिया रंग का ख्याल आते ही एक बार फिर प्रिया की नंगी टांगे आंखों के सामने आई और मै झटके से आंखे खोलकर बैठ गया । फिर मोबाइल बंद कर लंड अंदर कर दिया
मुझे ताजा हवा चाहिए था और मै ऊपर चला गया दोपहर के 3 बज रहे थे और धूप तो थोड़ी धीमी पड़ रही थी , पछुआ हवाएं तेज थी और गहरी सांस लेकर छत की रेलिंग से नीचे देख रहा था
ठीक मेरे पास में ही रस्सी पर टंगे हुए कपड़े उड़ रहे थे , अनायास मेरी निगाहे चिमटी ने दबे हुए एक कपड़े पर गई
वो प्रिया का सूट था और उसके नीचे उसने अपनी पैंटी छिपा कर सुखाने के लिए डाल रखी थी । लेकिन हवा से सूट हट गया था और उसकी पैंटी साफ दिख रही थी
मै खुद को रोक रहा था लेकिन आज कुछ बेकाबू सा तूफान था मेरे अंदर जो भड़क उठा , सालों की दबी हुई वासना का ज्वालामुखी गरज रहा था
फिर से बिना कुछ सोचे ही लोवर में लंड टाइट होने लगा
मैने मोबाइल को हाथ में पकड़ कर एक बार वापस अपनी जान को काल किया तो उसने काल काट दी , शायद बिजी थी ।
हर वो मुमकिन प्रयास था मेरे ओर कि मै खुद को रोक लूं , चेहरे पर अलग ही तनाव , नथुने फूलने लगे थे और रह रह कर नजर प्रिया की पैंटी पर जा रही थी
जिस तरह उसने उसे छिपा कर रखा था उसे टटोलने की मेरी कामना तीव्र हुई जा रही थी और फिर झटके के मैने वो पैंटी खींच ली, फिर टैरिस वाले बाथरूम में घुस गया
लंड पूरा विकराल हुआ था और मैने उसे आजाद कर दिया
आंखे बंद कर मैने प्रिया की पैंटी को अपने हथेली में मिजा और उसको लंड कर रख दिया
: अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह
कितना नरम अहसास था मानो सच में उसके जिस्म का स्पर्श मिला हो मुझे और मैने अपना लंड हिलाने लगा
मैने अब अपनी कल्पनाओं को छूट दे दी और कुछ झलकियां आंखों के उठने लगी जब अतीत में मैने प्रिया को लेगिंग्स में देखा था और उसकी पैंटी उसके चूतड़ों पर उभरी हुई थी वो चर्बीदार नर्म अहसास और उसकी दूधिया टांगे
अह्ह्ह्ह फुट पड़ा मेरे सब्र का फब्बारा और एक के बाद एक मोटी थक्केदार व्हाइट लिक्विड , टॉयलेट सीट पर
झड़ता रहा उसकी पैंटी से अपना लंड पकड़े हुए जबतक कि वासना की आखिरी बूंद तक निचोड़ नहीं दी मैने और सिहरता हुआ हांफने लगा बाथरूम की दिवाल का सहारा लेकर
अंदर से पूरा पसीना पसीना हुआ था
मैने फ्लश चलाया और अपना लंड धूल कर बाहर आया कि एकदम से मेरी फट गई , प्रिया कपड़े उतार रही थी और मैं वो पैंटी अपने जेब में रख दी फिर बिना कुछ बोले नीचे अपने कमरे में चला आया ।
वासना का खुमार उतरते ही गाड़ फट कर चार हो गई , मन में डर था कि उसने अपनी पैंटी खोजी तो जरूर होगी । एक काम करता हूं छत पर कही ऐसी जगह रख दूंगा कि उसे लगे कि हवा से उड़ कर गया होगा ।
इधर थकावट से शरीर सुस्त हो गया था और मैने भी एक झपकी लेना सही समझा ।