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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

Ajju Landwalia

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#171.

जीव शक्ति:
(18 वर्ष पहले........जुलाई 1977, सीनोर राज्य का समुद्र तट, अराका द्वीप)

सुबह का समय था। आज मौसम भी काफी अच्छा था इसलिये लुफासा और वीनस आज मौज-मस्ती करने के लिये, समुद्र तट के पास आ गये थे।

इस समय लुफासा की आयु साxxx वर्ष और वीनस की आयु मात्र पाxxx वर्ष की थी।

“भाई, आज मौसम कितना अच्छा है, लहरें भी ऊंची-ऊंची उठ रही हैं, चलो ना लहरों के बीच चलें, वहां बहुत मजा आयेगा।” वीनस ने लुफासा को खींचते हुए लहरों की ओर ले जाना चाहा।

“नहीं, जब यहां किनारे से ही इतना अच्छा दृश्य दिख रहा है, तो वहां लहरों के पास जाने की क्या जरुरत है?” लुफासा ने वीनस से अपना हाथ छुड़ाते हुए कहा- “अगर लहरों की वजह से तुम्हारा सिर किसी चट्टान से टकरा गया तो?”

“क्या भाई, आप भी कितना डरते हो? हम यहां कोई पहली बार तो नहीं आ रहें हैं ना।” वीनस ने अपनी जीभ निकालकर लुफासा को चिढ़ाते हुए कहा।

“देखो, तुम डरने का नाम मत लो, मैं किसी से नहीं डरता।” लुफासा ने गुस्साते हुए कहा।

“अच्छा ठीक है भाई, अब मैं आपको डरपोक नहीं कहूंगी।” यह कहकर वीनस, लुफासा से थोड़ा दूर गई और फिर तेज से चिल्लाकर भागी- “डरपोक....डरपोक।”

“रुक जा अभी बताता हूं तुझे।” यह कहकर लुफासा भी वीनस के पीछे-पीछे उसे पकड़ने को भागा।

वीनस ने पास आ रही एक समुद्र की लहर को देखा और फिर वहां पड़े एक बड़े से पत्थर पर खड़ी होकर लुफासा के आने का इंतजार करने लगी।

“पकड़ लिया....।” लुफासा ने पत्थर पर चढ़कर वीनस को पकड़ते हुए कहा- “अब बता क्या कह रही थी?”

“भाई....वो...वो....मैं कह रही थी।” तभी समुद्र की तेज लहर ने वीनस और लुफासा दोनों को ही सराबोर कर दिया- “कि...........समुद्र की लहर इस पत्थर के ऊपर तक आने वाली हैं।”

लुफासा ने पहले अपने भीग चुके पूरे कपड़ों को देखा और फिर वीनस को डांटते हुए कहा- “बोलने में इतना देर लगाते हैं क्या? जब तक तुमने बोला, तब तक तो हम भीग चुके थे।”

“इसी लिये तो धीरे-धीरे बोल रही थी कि आपका ध्यान पूरी तरह से लहरों से भटककर मेरी ओर आ जाये और आप भीग जाओ।” वीनस ने शरारत भरे अंदाज में कहा- “भाई, अब तो चलो ना लहरों के बीच, देखो
अब तो आपके कपड़े भी पूरी तरह से भीग गये हैं।”

लेकिन इससे पहले कि लुफासा कोई जवाब दे पाता, उसके नीचे की जमीन हिलने लगी और वह स्वतः ही समुद्र की ओर जाने लगे।

“यह क्या भाई, हमें यह पत्थर समुद्र की ओर क्यों ले जा रहा है?” वीनस ने डरते हुए कहा।

लुफासा पत्थर को सरकते देख उस पर कूद गया और ध्यान से उस पत्थर को देखने लगा।

“अरे, यह पत्थर नहीं बल्कि कोई बड़ा सा कछुआ है, जो अब समुद्र की ओर जा रहा है।” लुफासा ने कहा- “जल्दी से उतर जाओ, नहीं तो यह तुम्हें भी लेकर समुद्र में चला जायेगा।”

“ले जाने दो।” वीनस ने उस कछुए पर आराम से बैठते हुए कहा- “भाई तो ले नहीं जा रहा समुद्र में, तो यह कछुआ ही सही। अब मैं आज से इसे ही भाई कहकर बुलाउंगी, कम से कम यह मेरी बात तो मानता है।
चलो-चलो कछुआ भाई...समुद्र की ओर चलो...और इस लुफासा की बात मत सुनना। यह अच्छा लड़का नहीं है।”

लुफासा अब वीनस को घूरकर देख रहा था, पर उसने भी ना तो वीनस को कछुए से नीचे उतारा और ना ही कछुए को रोका।

लुफासा को लग रहा था कि अभी कुछ आगे जाने के बाद वीनस डर कर कछुए से उतर जायेगी, पर वीनस भी एक नंबर की जिद्दी थी, वह भी लुफासा को परेशान करने के लिये कछुए से उतरी नहीं। बल्कि पानी के पास पहुंचने तक, अपने हाथ हिलाकर लुफासा को ‘बाय’ करती रही।

लुफासा को अब थोड़ी गड़बड़ लगने लगी थी क्यों कि वीनस अब बिल्कुल लहरों के पास पहुंच गई थी।

तभी समुद्र की एक ऊंची सी लहर आयी और जोर से वीनस और कछुए पर गिरी।

जब वह लहर हटी, तो लुफासा को ना तो वीनस कहीं नजर आयी और ना ही वह कछुआ।

यह देख लुफासा बहुत घबरा गया। माता-पिता के जाने के बाद अब वह वीनस को भी खोना नहीं चाहता था।

लुफासा अब चीखकर समुद्र की ओर भागा- “वीनसऽऽऽऽऽऽ।”

पर दूर-दूर तक लहरों के शोर के सिवा कुछ नहीं था। वैसे तो सभी अटलांटियन पानी में साँस लेना जानते थे, यानि की वीनस के डूबने का तो प्रश्न ही नहीं उठता था।

पर लुफासा की चिंता इसलिये भी ज्यादा दिख रही थी क्यों कि एक साधारण द्वीप के किनारे से इतनी आसानी से कोई कहीं नहीं जाता? पर अराका पानी पर तैर रहा एक कृत्रिम द्वीप था, जिसके थोड़ा ही आगे से गहरा समुद्र शुरु हो जाता था और गहरे समुद्र में खतरा पानी नहीं, बल्कि उसमें रहने वाले विशाल जीव थे।

लुफासा तुरंत वहां पहुंच गया, जहां कि अभी कुछ देर पहले वीनस और कछुआ थे। लुफासा उस स्थान पर पानी में अपना मुंह डालकर अंदर की ओर देखने लगा, पर वीनस आसपास कहीं दिखाई नहीं दी।

अब लुफासा धीरे-धीरे समुद्र में आगे की ओर बढ़ने लगा। कुछ ही देर में लुफासा अराका की धरती से कुछ दूर आ गया, पर पानी में दूर-दूर तक कुछ नहीं था।

तभी लुफासा को अराका की जमीन में पानी के नीचे एक कपड़ा फंसा हुआ दिखाई दिया।

वह कपड़ा देख लुफासा वापस अराका की ओर आ गया। पानी के अंदर, अराका की जमीन में एक झाड़ी के पास वह कपड़ा फंसा था।

लुफासा ने वह कपड़ा खींचा, पर उस कपड़े का दूसरा सिरा वीनस ने पकड़ रखा था, जो कि झाड़ियों के पीछे छिपी एक गुफा में बैठी मुस्कुरा रही थी।

यह देख लुफासा को बहुत गुस्सा आया। वह समझ गया कि वीनस ने जानबूझकर यह शरारत की थी।

तभी वीनस ने लुफासा को मुंह पर उंगली रखकर चुप रहने का इशारा किया और तैरकर उस गुफा के अंदर चली गई।

लुफासा को गुस्सा तो बहुत आया, पर फिर भी वो वीनस के पीछे-पीछे उस गुफा के अंदर चला गया।

अंदर काफी अंधेरा था, पर दूर कहीं एक लाल रंग की रोशनी दिखाई दे रही थी। लुफासा पानी के अंदर उस लाल रंग की रोशनी देख आश्चर्य से भर उठा।

अब उत्सुकता वश लुफासा तेजी से उस दिशा में तैरने लगा।

कुछ ही देर में वीनस और लुफासा एक ऐसे स्थान पर पहुंच गये, जिसका एकमात्र द्वार वह गुफा ही दिखाई दे रही थी।

यह स्थान लगभग 500 वर्ग फुट के आकार का था। उस स्थान पर काँच का 1 वर्ग फुट का एक वर्गाकार डिब्बा दिखाई दे रहा था, जिसके अंदर सुर्ख लाल रंग का एक रत्न रखा हुआ था।

उसी रत्न का प्रकाश उस पूरी गुफा में फैला दिखाई दे रहा था। वह गुफा उस लाल प्रकाश में पूरी जगमगा रही थी।

उस रत्न को देख, कुछ देर के लिये लुफासा यह भूल गया कि वह वीनस को डांट लगाने के लिये वहां आया था।

तभी लुफासा को वही समुद्री कछुआ दिखाई दिया, जो कि वीनस को लेकर भागा था। उसे देख लुफासा समझ गया कि इसी कछुए का पीछा करते हुए, वीनस को झाड़ियों के पीछे छिपी यह गुफा दिखाई दी होगी।

अब वह कछुआ भी लाल रंग के प्रकाश की ओर आकर्षित हो गया था। कछुए ने आगे बढ़कर उस काँच के डिब्बे को छू लिया।

उस डिब्बे को छूते ही कछुए के शरीर से लाल रंग का प्रकाश निकलने लगा। अब वह कछुआ खुशी से उस गुफा के चारो ओर चक्कर लगाने लगा।

यह देख वीनस और लुफासा भी तैरते हुए, उस काँच के डिब्बे के पास पहुंच गये।

डिब्बे के ऊपरी सिरे पर एक ढक्कन लगा था, जिसे लुफासा ने हल्के से प्रयास से ही खोल दिया।

अब लुफासा और वीनस की नजरें आपस में टकराईं और दोनों ने एक साथ झपटकर उस लाल रंग के रत्न को उठा लिया।

दोनों का हाथ रत्न पर एक साथ पड़ा, पर लुफासा ने वीनस से वह रत्न छीन लिया और उसे ध्यान से देखने लगा।

लुफासा और वीनस के छूते ही वह गाढ़े रंग का लाल प्रकाश उन दोनों के शरीर में समा गया और इसी के साथ वह रत्न पता नहीं कहां गायब हो गया?

रत्न के इस प्रकार गायब हो जाने पर दोनों घबराकर, अपने आसपास रत्न को ढूंढने लगे।

तभी वीनस को एक आवाज सुनाई दी- “वह रत्न गायब हो गया, मैंने देखा था।”

वीनस ने हैरान होते हुए अपने आसपास देखा।

तभी वीनस से कुछ दूरी पर पानी में तैर रहा वही कछुआ बोल उठा - “इधर-उधर क्या देख रही हो? मैं ही बोल रहा हूं।”

वीनस कछुए को बोलते देख हैरान हो गई। तभी वीनस को एक महीन गाने की आवाज सुनाई दी।

वीनस ने उस दिशा की ओर देखा, तो उसे कुछ नन्हीं रंग-बिरंगी मछलियां पानी में इधर-उधर घूमती दिखाईं दीं। गाना वही मछलियां गा रहीं थीं।

यह देख वीनस की खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा, वह भी पानी में तैरते हुए जोर-जोर से मछलियों
वाला गाना गाने लगी।

कुछ देर बाद जब वीनस रुकी, तो उसने देखा कि उसके आसपास सैकड़ों जलीय जंतु उसे हैरानी से गाते हुए देख रहे थे और लुफासा डरा-डरा गुफा के एक किनारे से चिपका हुआ था।

“आप हमारी भाषा जानती हो?” एक सितारा मछली ने आगे आते हुए पूछा।

“मुझे नहीं पता, पर अभी तुम जो बोली, मैं वह समझ गई। क्या तुम भी मेरी बात को समझ पा रही हो?” वीनस ने सितारा मछली से पूछा।

“हां...यह ही क्या, हम सभी तुम्हारी बात सुन और समझ पा रहे हैं।” तभी एक नन्हें ऑक्टोपस ने आगे बढ़कर कहा।

“अरे वाह, ये तो बहुत अच्छी बात है, फिर तुम सब खड़े क्यों हो? मेरे साथ नाचते क्यों नहीं?” वीनस ने यह कहा और फिर से जोर-जोर से गाकर पानी में नाचने लगी।

वीनस को देख वहां के सभी जलीय जंतु वीनस के साथ-साथ पानी में नाचने लगे।

लुफासा यह देखकर और ज्यादा डर गया, उसे लगा कि वीनस में कोई समुद्री भूत घुस गया है, इसलिये वह किसी को डिस्टर्ब नहीं कर रहा था।

काफी देर तक उस गुफा में यह नाच गाने का कार्य चलता रहा, पर अब वीनस थक गई थी। इसलिये उसने अब सभी को वहां कल आने को बोल, लुफासा के पास आ गई।

लुफासा अब भी डरी-डरी नजरों से वीनस को देख रहा था।

“क्या हुआ भाई, आप मुझे ऐसे क्यों देख रहे हो ?” वीनस ने लुफासा की ओर देखते हुए पूछा।

“तुम में कोई समुद्री भूत घुस गया है, जिसकी वजह से तुम अभी समुद्री जीव-जंतुओं से बातें कर रही थी।” लुफासा ने डरते हुए कहा।

“क्या भाई आप भी ना? कितना डरते हो।” वीनस ने लुफासा पर गुस्साते हुए कहा- “अरे वह पत्थर जिसे हमने छुआ था, वह कोई चमत्कारी पत्थर था। उसी की वजह से अब मैं सभी जीवों की भाषा बोल और समझ सकती हूं।.....हम दोनों ने एक साथ पत्थर छुआ था, आप भी देखो ना भाई, अवश्य ही आप में भी कोई शक्ति आयी होगी। देखो आपके हाथों के अंदर अभी भी हल्की सी लाल रंग की रोशनी निकल रही है।”

वीनस की बात सुन लुफासा अपने हाथों की ओर देखने लगा।

“हां रोशनी तो निकल रही है, पर अगर मुझे भी तेरी तरह शक्ति मिली होती तो मैं भी उन मछलियों की भाषा समझ पाता, पर ऐसा नहीं हुआ, मुझे उनकी भाषा नहीं समझ में आयी।” लुफासा ने बेचैनी से कहा।

तभी एक पीले रंग की नन्हीं मछली लुफासा के चेहरे के पास आकर तैरने लगी। यह देख लुफासा ने गुस्से से उसे घूरा, पर उसको घूरते ही लुफासा स्वयं, उस मछली के समान बन गया।

यह देख वीनस खुशी से चीख उठी- “देखा भाई, मैंने कहा था ना कि कोई ना कोई शक्ति तो आपको भी मिली होगी?”

अपने आपको मछली बना देख लुफासा भी खुशी से नाचने लगा, तभी दूसरी दिशा से एक थोड़ी बड़ी मछली आयी और मछली बनी लुफासा को अपने मुंह में भरकर चली गई।

यह देख वीनस के मुंह से चीख निकल गई, वह तेजी से उस बड़ी मछली की ओर भागी, पर तभी एक आवाज ने उसे रोक लिया- “मैं यहां ठीक हूं वीनस, वापस लौट आओ।”

यह आवाज लुफासा की ही थी। वीनस ने पलटकर देखा, तो उसे लुफासा उसी स्थान पर बैठा दिखाई दिया, जहां पर वह मछली बनने के पहले बैठा था।

“यह क्या है भाई, आपको तो वह मछली निगल गई थी। फिर आप बच कैसे गये?” वीनस ने आश्चर्य से लुफासा की ओर देखते हुए कहा।

“मुझे भी नहीं पता, जब उस बड़ी मछली ने मुझे निगला, तो उसके बाद मैंने स्वयं को, अपने असली रुप में यहीं पर पाया।.....पर....पर अब मैं वह पीली सी मछली नहीं बन पा रहा हूं। शायद मेरी शक्ति चली गई।”

तभी लुफासा के सामने से एक दूसरी नीले रंग की मछली निकली। इस बार लुफासा ने उसे ध्यान से देखा और इसी के साथ लुफासा अब नीले रंग की मछली के समान बन गया।

“लगता है कि अगर किसी एक रुप में मेरी मौत हो गई, तो वह रुप मैं दोबारा नहीं धर सकता और मेरे उस रुप की मौत होने के बाद मैं वापस उसी स्थान और रुप में पहुंच जाता हूं, जो मैं उस रुप के पहले था।”
लुफासा ने कहा।

“अरे वाह, ये तो इच्छाधारी शक्ति है...आप कोई भी रुप धारण कर सकते हो।” वीनस ने कहा और अब वह लुफासा से बार-बार अलग-अलग रुप बदलने को कहने लगी।

उन्हें देखकर ऐसा लग रहा था कि मानों उन बच्चों को एक नया खेल मिल गया हो।

पर जो भी हो, लुफासा और वीनस अपनी शक्तियों से खुश थे।


जारी रहेगा_____✍️

Gazab ki update he Raj_sharma Bhai,

Lufasa ki ichchadhari shakti ki shuruwat yaha se huyi he..............

Maja aa gaya Bhai

Keep rocking
 

Dhakad boy

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जीव शक्ति:
(18 वर्ष पहले........जुलाई 1977, सीनोर राज्य का समुद्र तट, अराका द्वीप)

सुबह का समय था। आज मौसम भी काफी अच्छा था इसलिये लुफासा और वीनस आज मौज-मस्ती करने के लिये, समुद्र तट के पास आ गये थे।

इस समय लुफासा की आयु साxxx वर्ष और वीनस की आयु मात्र पाxxx वर्ष की थी।

“भाई, आज मौसम कितना अच्छा है, लहरें भी ऊंची-ऊंची उठ रही हैं, चलो ना लहरों के बीच चलें, वहां बहुत मजा आयेगा।” वीनस ने लुफासा को खींचते हुए लहरों की ओर ले जाना चाहा।

“नहीं, जब यहां किनारे से ही इतना अच्छा दृश्य दिख रहा है, तो वहां लहरों के पास जाने की क्या जरुरत है?” लुफासा ने वीनस से अपना हाथ छुड़ाते हुए कहा- “अगर लहरों की वजह से तुम्हारा सिर किसी चट्टान से टकरा गया तो?”

“क्या भाई, आप भी कितना डरते हो? हम यहां कोई पहली बार तो नहीं आ रहें हैं ना।” वीनस ने अपनी जीभ निकालकर लुफासा को चिढ़ाते हुए कहा।

“देखो, तुम डरने का नाम मत लो, मैं किसी से नहीं डरता।” लुफासा ने गुस्साते हुए कहा।

“अच्छा ठीक है भाई, अब मैं आपको डरपोक नहीं कहूंगी।” यह कहकर वीनस, लुफासा से थोड़ा दूर गई और फिर तेज से चिल्लाकर भागी- “डरपोक....डरपोक।”

“रुक जा अभी बताता हूं तुझे।” यह कहकर लुफासा भी वीनस के पीछे-पीछे उसे पकड़ने को भागा।

वीनस ने पास आ रही एक समुद्र की लहर को देखा और फिर वहां पड़े एक बड़े से पत्थर पर खड़ी होकर लुफासा के आने का इंतजार करने लगी।

“पकड़ लिया....।” लुफासा ने पत्थर पर चढ़कर वीनस को पकड़ते हुए कहा- “अब बता क्या कह रही थी?”

“भाई....वो...वो....मैं कह रही थी।” तभी समुद्र की तेज लहर ने वीनस और लुफासा दोनों को ही सराबोर कर दिया- “कि...........समुद्र की लहर इस पत्थर के ऊपर तक आने वाली हैं।”

लुफासा ने पहले अपने भीग चुके पूरे कपड़ों को देखा और फिर वीनस को डांटते हुए कहा- “बोलने में इतना देर लगाते हैं क्या? जब तक तुमने बोला, तब तक तो हम भीग चुके थे।”

“इसी लिये तो धीरे-धीरे बोल रही थी कि आपका ध्यान पूरी तरह से लहरों से भटककर मेरी ओर आ जाये और आप भीग जाओ।” वीनस ने शरारत भरे अंदाज में कहा- “भाई, अब तो चलो ना लहरों के बीच, देखो
अब तो आपके कपड़े भी पूरी तरह से भीग गये हैं।”

लेकिन इससे पहले कि लुफासा कोई जवाब दे पाता, उसके नीचे की जमीन हिलने लगी और वह स्वतः ही समुद्र की ओर जाने लगे।

“यह क्या भाई, हमें यह पत्थर समुद्र की ओर क्यों ले जा रहा है?” वीनस ने डरते हुए कहा।

लुफासा पत्थर को सरकते देख उस पर कूद गया और ध्यान से उस पत्थर को देखने लगा।

“अरे, यह पत्थर नहीं बल्कि कोई बड़ा सा कछुआ है, जो अब समुद्र की ओर जा रहा है।” लुफासा ने कहा- “जल्दी से उतर जाओ, नहीं तो यह तुम्हें भी लेकर समुद्र में चला जायेगा।”

“ले जाने दो।” वीनस ने उस कछुए पर आराम से बैठते हुए कहा- “भाई तो ले नहीं जा रहा समुद्र में, तो यह कछुआ ही सही। अब मैं आज से इसे ही भाई कहकर बुलाउंगी, कम से कम यह मेरी बात तो मानता है।
चलो-चलो कछुआ भाई...समुद्र की ओर चलो...और इस लुफासा की बात मत सुनना। यह अच्छा लड़का नहीं है।”

लुफासा अब वीनस को घूरकर देख रहा था, पर उसने भी ना तो वीनस को कछुए से नीचे उतारा और ना ही कछुए को रोका।

लुफासा को लग रहा था कि अभी कुछ आगे जाने के बाद वीनस डर कर कछुए से उतर जायेगी, पर वीनस भी एक नंबर की जिद्दी थी, वह भी लुफासा को परेशान करने के लिये कछुए से उतरी नहीं। बल्कि पानी के पास पहुंचने तक, अपने हाथ हिलाकर लुफासा को ‘बाय’ करती रही।

लुफासा को अब थोड़ी गड़बड़ लगने लगी थी क्यों कि वीनस अब बिल्कुल लहरों के पास पहुंच गई थी।

तभी समुद्र की एक ऊंची सी लहर आयी और जोर से वीनस और कछुए पर गिरी।

जब वह लहर हटी, तो लुफासा को ना तो वीनस कहीं नजर आयी और ना ही वह कछुआ।

यह देख लुफासा बहुत घबरा गया। माता-पिता के जाने के बाद अब वह वीनस को भी खोना नहीं चाहता था।

लुफासा अब चीखकर समुद्र की ओर भागा- “वीनसऽऽऽऽऽऽ।”

पर दूर-दूर तक लहरों के शोर के सिवा कुछ नहीं था। वैसे तो सभी अटलांटियन पानी में साँस लेना जानते थे, यानि की वीनस के डूबने का तो प्रश्न ही नहीं उठता था।

पर लुफासा की चिंता इसलिये भी ज्यादा दिख रही थी क्यों कि एक साधारण द्वीप के किनारे से इतनी आसानी से कोई कहीं नहीं जाता? पर अराका पानी पर तैर रहा एक कृत्रिम द्वीप था, जिसके थोड़ा ही आगे से गहरा समुद्र शुरु हो जाता था और गहरे समुद्र में खतरा पानी नहीं, बल्कि उसमें रहने वाले विशाल जीव थे।

लुफासा तुरंत वहां पहुंच गया, जहां कि अभी कुछ देर पहले वीनस और कछुआ थे। लुफासा उस स्थान पर पानी में अपना मुंह डालकर अंदर की ओर देखने लगा, पर वीनस आसपास कहीं दिखाई नहीं दी।

अब लुफासा धीरे-धीरे समुद्र में आगे की ओर बढ़ने लगा। कुछ ही देर में लुफासा अराका की धरती से कुछ दूर आ गया, पर पानी में दूर-दूर तक कुछ नहीं था।

तभी लुफासा को अराका की जमीन में पानी के नीचे एक कपड़ा फंसा हुआ दिखाई दिया।

वह कपड़ा देख लुफासा वापस अराका की ओर आ गया। पानी के अंदर, अराका की जमीन में एक झाड़ी के पास वह कपड़ा फंसा था।

लुफासा ने वह कपड़ा खींचा, पर उस कपड़े का दूसरा सिरा वीनस ने पकड़ रखा था, जो कि झाड़ियों के पीछे छिपी एक गुफा में बैठी मुस्कुरा रही थी।

यह देख लुफासा को बहुत गुस्सा आया। वह समझ गया कि वीनस ने जानबूझकर यह शरारत की थी।

तभी वीनस ने लुफासा को मुंह पर उंगली रखकर चुप रहने का इशारा किया और तैरकर उस गुफा के अंदर चली गई।

लुफासा को गुस्सा तो बहुत आया, पर फिर भी वो वीनस के पीछे-पीछे उस गुफा के अंदर चला गया।

अंदर काफी अंधेरा था, पर दूर कहीं एक लाल रंग की रोशनी दिखाई दे रही थी। लुफासा पानी के अंदर उस लाल रंग की रोशनी देख आश्चर्य से भर उठा।

अब उत्सुकता वश लुफासा तेजी से उस दिशा में तैरने लगा।

कुछ ही देर में वीनस और लुफासा एक ऐसे स्थान पर पहुंच गये, जिसका एकमात्र द्वार वह गुफा ही दिखाई दे रही थी।

यह स्थान लगभग 500 वर्ग फुट के आकार का था। उस स्थान पर काँच का 1 वर्ग फुट का एक वर्गाकार डिब्बा दिखाई दे रहा था, जिसके अंदर सुर्ख लाल रंग का एक रत्न रखा हुआ था।

उसी रत्न का प्रकाश उस पूरी गुफा में फैला दिखाई दे रहा था। वह गुफा उस लाल प्रकाश में पूरी जगमगा रही थी।

उस रत्न को देख, कुछ देर के लिये लुफासा यह भूल गया कि वह वीनस को डांट लगाने के लिये वहां आया था।

तभी लुफासा को वही समुद्री कछुआ दिखाई दिया, जो कि वीनस को लेकर भागा था। उसे देख लुफासा समझ गया कि इसी कछुए का पीछा करते हुए, वीनस को झाड़ियों के पीछे छिपी यह गुफा दिखाई दी होगी।

अब वह कछुआ भी लाल रंग के प्रकाश की ओर आकर्षित हो गया था। कछुए ने आगे बढ़कर उस काँच के डिब्बे को छू लिया।

उस डिब्बे को छूते ही कछुए के शरीर से लाल रंग का प्रकाश निकलने लगा। अब वह कछुआ खुशी से उस गुफा के चारो ओर चक्कर लगाने लगा।

यह देख वीनस और लुफासा भी तैरते हुए, उस काँच के डिब्बे के पास पहुंच गये।

डिब्बे के ऊपरी सिरे पर एक ढक्कन लगा था, जिसे लुफासा ने हल्के से प्रयास से ही खोल दिया।

अब लुफासा और वीनस की नजरें आपस में टकराईं और दोनों ने एक साथ झपटकर उस लाल रंग के रत्न को उठा लिया।

दोनों का हाथ रत्न पर एक साथ पड़ा, पर लुफासा ने वीनस से वह रत्न छीन लिया और उसे ध्यान से देखने लगा।

लुफासा और वीनस के छूते ही वह गाढ़े रंग का लाल प्रकाश उन दोनों के शरीर में समा गया और इसी के साथ वह रत्न पता नहीं कहां गायब हो गया?

रत्न के इस प्रकार गायब हो जाने पर दोनों घबराकर, अपने आसपास रत्न को ढूंढने लगे।

तभी वीनस को एक आवाज सुनाई दी- “वह रत्न गायब हो गया, मैंने देखा था।”

वीनस ने हैरान होते हुए अपने आसपास देखा।

तभी वीनस से कुछ दूरी पर पानी में तैर रहा वही कछुआ बोल उठा - “इधर-उधर क्या देख रही हो? मैं ही बोल रहा हूं।”

वीनस कछुए को बोलते देख हैरान हो गई। तभी वीनस को एक महीन गाने की आवाज सुनाई दी।

वीनस ने उस दिशा की ओर देखा, तो उसे कुछ नन्हीं रंग-बिरंगी मछलियां पानी में इधर-उधर घूमती दिखाईं दीं। गाना वही मछलियां गा रहीं थीं।

यह देख वीनस की खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा, वह भी पानी में तैरते हुए जोर-जोर से मछलियों
वाला गाना गाने लगी।

कुछ देर बाद जब वीनस रुकी, तो उसने देखा कि उसके आसपास सैकड़ों जलीय जंतु उसे हैरानी से गाते हुए देख रहे थे और लुफासा डरा-डरा गुफा के एक किनारे से चिपका हुआ था।

“आप हमारी भाषा जानती हो?” एक सितारा मछली ने आगे आते हुए पूछा।

“मुझे नहीं पता, पर अभी तुम जो बोली, मैं वह समझ गई। क्या तुम भी मेरी बात को समझ पा रही हो?” वीनस ने सितारा मछली से पूछा।

“हां...यह ही क्या, हम सभी तुम्हारी बात सुन और समझ पा रहे हैं।” तभी एक नन्हें ऑक्टोपस ने आगे बढ़कर कहा।

“अरे वाह, ये तो बहुत अच्छी बात है, फिर तुम सब खड़े क्यों हो? मेरे साथ नाचते क्यों नहीं?” वीनस ने यह कहा और फिर से जोर-जोर से गाकर पानी में नाचने लगी।

वीनस को देख वहां के सभी जलीय जंतु वीनस के साथ-साथ पानी में नाचने लगे।

लुफासा यह देखकर और ज्यादा डर गया, उसे लगा कि वीनस में कोई समुद्री भूत घुस गया है, इसलिये वह किसी को डिस्टर्ब नहीं कर रहा था।

काफी देर तक उस गुफा में यह नाच गाने का कार्य चलता रहा, पर अब वीनस थक गई थी। इसलिये उसने अब सभी को वहां कल आने को बोल, लुफासा के पास आ गई।

लुफासा अब भी डरी-डरी नजरों से वीनस को देख रहा था।

“क्या हुआ भाई, आप मुझे ऐसे क्यों देख रहे हो ?” वीनस ने लुफासा की ओर देखते हुए पूछा।

“तुम में कोई समुद्री भूत घुस गया है, जिसकी वजह से तुम अभी समुद्री जीव-जंतुओं से बातें कर रही थी।” लुफासा ने डरते हुए कहा।

“क्या भाई आप भी ना? कितना डरते हो।” वीनस ने लुफासा पर गुस्साते हुए कहा- “अरे वह पत्थर जिसे हमने छुआ था, वह कोई चमत्कारी पत्थर था। उसी की वजह से अब मैं सभी जीवों की भाषा बोल और समझ सकती हूं।.....हम दोनों ने एक साथ पत्थर छुआ था, आप भी देखो ना भाई, अवश्य ही आप में भी कोई शक्ति आयी होगी। देखो आपके हाथों के अंदर अभी भी हल्की सी लाल रंग की रोशनी निकल रही है।”

वीनस की बात सुन लुफासा अपने हाथों की ओर देखने लगा।

“हां रोशनी तो निकल रही है, पर अगर मुझे भी तेरी तरह शक्ति मिली होती तो मैं भी उन मछलियों की भाषा समझ पाता, पर ऐसा नहीं हुआ, मुझे उनकी भाषा नहीं समझ में आयी।” लुफासा ने बेचैनी से कहा।

तभी एक पीले रंग की नन्हीं मछली लुफासा के चेहरे के पास आकर तैरने लगी। यह देख लुफासा ने गुस्से से उसे घूरा, पर उसको घूरते ही लुफासा स्वयं, उस मछली के समान बन गया।

यह देख वीनस खुशी से चीख उठी- “देखा भाई, मैंने कहा था ना कि कोई ना कोई शक्ति तो आपको भी मिली होगी?”

अपने आपको मछली बना देख लुफासा भी खुशी से नाचने लगा, तभी दूसरी दिशा से एक थोड़ी बड़ी मछली आयी और मछली बनी लुफासा को अपने मुंह में भरकर चली गई।

यह देख वीनस के मुंह से चीख निकल गई, वह तेजी से उस बड़ी मछली की ओर भागी, पर तभी एक आवाज ने उसे रोक लिया- “मैं यहां ठीक हूं वीनस, वापस लौट आओ।”

यह आवाज लुफासा की ही थी। वीनस ने पलटकर देखा, तो उसे लुफासा उसी स्थान पर बैठा दिखाई दिया, जहां पर वह मछली बनने के पहले बैठा था।

“यह क्या है भाई, आपको तो वह मछली निगल गई थी। फिर आप बच कैसे गये?” वीनस ने आश्चर्य से लुफासा की ओर देखते हुए कहा।

“मुझे भी नहीं पता, जब उस बड़ी मछली ने मुझे निगला, तो उसके बाद मैंने स्वयं को, अपने असली रुप में यहीं पर पाया।.....पर....पर अब मैं वह पीली सी मछली नहीं बन पा रहा हूं। शायद मेरी शक्ति चली गई।”

तभी लुफासा के सामने से एक दूसरी नीले रंग की मछली निकली। इस बार लुफासा ने उसे ध्यान से देखा और इसी के साथ लुफासा अब नीले रंग की मछली के समान बन गया।

“लगता है कि अगर किसी एक रुप में मेरी मौत हो गई, तो वह रुप मैं दोबारा नहीं धर सकता और मेरे उस रुप की मौत होने के बाद मैं वापस उसी स्थान और रुप में पहुंच जाता हूं, जो मैं उस रुप के पहले था।”
लुफासा ने कहा।

“अरे वाह, ये तो इच्छाधारी शक्ति है...आप कोई भी रुप धारण कर सकते हो।” वीनस ने कहा और अब वह लुफासा से बार-बार अलग-अलग रुप बदलने को कहने लगी।

उन्हें देखकर ऐसा लग रहा था कि मानों उन बच्चों को एक नया खेल मिल गया हो।

पर जो भी हो, लुफासा और वीनस अपनी शक्तियों से खुश थे।


जारी रहेगा_____✍️
Bhut hi badhiya update Bhai
Lufasa aur vinas ko apni shaktiya is tarah mili thi
 

parkas

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#171.

जीव शक्ति:
(18 वर्ष पहले........जुलाई 1977, सीनोर राज्य का समुद्र तट, अराका द्वीप)

सुबह का समय था। आज मौसम भी काफी अच्छा था इसलिये लुफासा और वीनस आज मौज-मस्ती करने के लिये, समुद्र तट के पास आ गये थे।

इस समय लुफासा की आयु साxxx वर्ष और वीनस की आयु मात्र पाxxx वर्ष की थी।

“भाई, आज मौसम कितना अच्छा है, लहरें भी ऊंची-ऊंची उठ रही हैं, चलो ना लहरों के बीच चलें, वहां बहुत मजा आयेगा।” वीनस ने लुफासा को खींचते हुए लहरों की ओर ले जाना चाहा।

“नहीं, जब यहां किनारे से ही इतना अच्छा दृश्य दिख रहा है, तो वहां लहरों के पास जाने की क्या जरुरत है?” लुफासा ने वीनस से अपना हाथ छुड़ाते हुए कहा- “अगर लहरों की वजह से तुम्हारा सिर किसी चट्टान से टकरा गया तो?”

“क्या भाई, आप भी कितना डरते हो? हम यहां कोई पहली बार तो नहीं आ रहें हैं ना।” वीनस ने अपनी जीभ निकालकर लुफासा को चिढ़ाते हुए कहा।

“देखो, तुम डरने का नाम मत लो, मैं किसी से नहीं डरता।” लुफासा ने गुस्साते हुए कहा।

“अच्छा ठीक है भाई, अब मैं आपको डरपोक नहीं कहूंगी।” यह कहकर वीनस, लुफासा से थोड़ा दूर गई और फिर तेज से चिल्लाकर भागी- “डरपोक....डरपोक।”

“रुक जा अभी बताता हूं तुझे।” यह कहकर लुफासा भी वीनस के पीछे-पीछे उसे पकड़ने को भागा।

वीनस ने पास आ रही एक समुद्र की लहर को देखा और फिर वहां पड़े एक बड़े से पत्थर पर खड़ी होकर लुफासा के आने का इंतजार करने लगी।

“पकड़ लिया....।” लुफासा ने पत्थर पर चढ़कर वीनस को पकड़ते हुए कहा- “अब बता क्या कह रही थी?”

“भाई....वो...वो....मैं कह रही थी।” तभी समुद्र की तेज लहर ने वीनस और लुफासा दोनों को ही सराबोर कर दिया- “कि...........समुद्र की लहर इस पत्थर के ऊपर तक आने वाली हैं।”

लुफासा ने पहले अपने भीग चुके पूरे कपड़ों को देखा और फिर वीनस को डांटते हुए कहा- “बोलने में इतना देर लगाते हैं क्या? जब तक तुमने बोला, तब तक तो हम भीग चुके थे।”

“इसी लिये तो धीरे-धीरे बोल रही थी कि आपका ध्यान पूरी तरह से लहरों से भटककर मेरी ओर आ जाये और आप भीग जाओ।” वीनस ने शरारत भरे अंदाज में कहा- “भाई, अब तो चलो ना लहरों के बीच, देखो
अब तो आपके कपड़े भी पूरी तरह से भीग गये हैं।”

लेकिन इससे पहले कि लुफासा कोई जवाब दे पाता, उसके नीचे की जमीन हिलने लगी और वह स्वतः ही समुद्र की ओर जाने लगे।

“यह क्या भाई, हमें यह पत्थर समुद्र की ओर क्यों ले जा रहा है?” वीनस ने डरते हुए कहा।

लुफासा पत्थर को सरकते देख उस पर कूद गया और ध्यान से उस पत्थर को देखने लगा।

“अरे, यह पत्थर नहीं बल्कि कोई बड़ा सा कछुआ है, जो अब समुद्र की ओर जा रहा है।” लुफासा ने कहा- “जल्दी से उतर जाओ, नहीं तो यह तुम्हें भी लेकर समुद्र में चला जायेगा।”

“ले जाने दो।” वीनस ने उस कछुए पर आराम से बैठते हुए कहा- “भाई तो ले नहीं जा रहा समुद्र में, तो यह कछुआ ही सही। अब मैं आज से इसे ही भाई कहकर बुलाउंगी, कम से कम यह मेरी बात तो मानता है।
चलो-चलो कछुआ भाई...समुद्र की ओर चलो...और इस लुफासा की बात मत सुनना। यह अच्छा लड़का नहीं है।”

लुफासा अब वीनस को घूरकर देख रहा था, पर उसने भी ना तो वीनस को कछुए से नीचे उतारा और ना ही कछुए को रोका।

लुफासा को लग रहा था कि अभी कुछ आगे जाने के बाद वीनस डर कर कछुए से उतर जायेगी, पर वीनस भी एक नंबर की जिद्दी थी, वह भी लुफासा को परेशान करने के लिये कछुए से उतरी नहीं। बल्कि पानी के पास पहुंचने तक, अपने हाथ हिलाकर लुफासा को ‘बाय’ करती रही।

लुफासा को अब थोड़ी गड़बड़ लगने लगी थी क्यों कि वीनस अब बिल्कुल लहरों के पास पहुंच गई थी।

तभी समुद्र की एक ऊंची सी लहर आयी और जोर से वीनस और कछुए पर गिरी।

जब वह लहर हटी, तो लुफासा को ना तो वीनस कहीं नजर आयी और ना ही वह कछुआ।

यह देख लुफासा बहुत घबरा गया। माता-पिता के जाने के बाद अब वह वीनस को भी खोना नहीं चाहता था।

लुफासा अब चीखकर समुद्र की ओर भागा- “वीनसऽऽऽऽऽऽ।”

पर दूर-दूर तक लहरों के शोर के सिवा कुछ नहीं था। वैसे तो सभी अटलांटियन पानी में साँस लेना जानते थे, यानि की वीनस के डूबने का तो प्रश्न ही नहीं उठता था।

पर लुफासा की चिंता इसलिये भी ज्यादा दिख रही थी क्यों कि एक साधारण द्वीप के किनारे से इतनी आसानी से कोई कहीं नहीं जाता? पर अराका पानी पर तैर रहा एक कृत्रिम द्वीप था, जिसके थोड़ा ही आगे से गहरा समुद्र शुरु हो जाता था और गहरे समुद्र में खतरा पानी नहीं, बल्कि उसमें रहने वाले विशाल जीव थे।

लुफासा तुरंत वहां पहुंच गया, जहां कि अभी कुछ देर पहले वीनस और कछुआ थे। लुफासा उस स्थान पर पानी में अपना मुंह डालकर अंदर की ओर देखने लगा, पर वीनस आसपास कहीं दिखाई नहीं दी।

अब लुफासा धीरे-धीरे समुद्र में आगे की ओर बढ़ने लगा। कुछ ही देर में लुफासा अराका की धरती से कुछ दूर आ गया, पर पानी में दूर-दूर तक कुछ नहीं था।

तभी लुफासा को अराका की जमीन में पानी के नीचे एक कपड़ा फंसा हुआ दिखाई दिया।

वह कपड़ा देख लुफासा वापस अराका की ओर आ गया। पानी के अंदर, अराका की जमीन में एक झाड़ी के पास वह कपड़ा फंसा था।

लुफासा ने वह कपड़ा खींचा, पर उस कपड़े का दूसरा सिरा वीनस ने पकड़ रखा था, जो कि झाड़ियों के पीछे छिपी एक गुफा में बैठी मुस्कुरा रही थी।

यह देख लुफासा को बहुत गुस्सा आया। वह समझ गया कि वीनस ने जानबूझकर यह शरारत की थी।

तभी वीनस ने लुफासा को मुंह पर उंगली रखकर चुप रहने का इशारा किया और तैरकर उस गुफा के अंदर चली गई।

लुफासा को गुस्सा तो बहुत आया, पर फिर भी वो वीनस के पीछे-पीछे उस गुफा के अंदर चला गया।

अंदर काफी अंधेरा था, पर दूर कहीं एक लाल रंग की रोशनी दिखाई दे रही थी। लुफासा पानी के अंदर उस लाल रंग की रोशनी देख आश्चर्य से भर उठा।

अब उत्सुकता वश लुफासा तेजी से उस दिशा में तैरने लगा।

कुछ ही देर में वीनस और लुफासा एक ऐसे स्थान पर पहुंच गये, जिसका एकमात्र द्वार वह गुफा ही दिखाई दे रही थी।

यह स्थान लगभग 500 वर्ग फुट के आकार का था। उस स्थान पर काँच का 1 वर्ग फुट का एक वर्गाकार डिब्बा दिखाई दे रहा था, जिसके अंदर सुर्ख लाल रंग का एक रत्न रखा हुआ था।

उसी रत्न का प्रकाश उस पूरी गुफा में फैला दिखाई दे रहा था। वह गुफा उस लाल प्रकाश में पूरी जगमगा रही थी।

उस रत्न को देख, कुछ देर के लिये लुफासा यह भूल गया कि वह वीनस को डांट लगाने के लिये वहां आया था।

तभी लुफासा को वही समुद्री कछुआ दिखाई दिया, जो कि वीनस को लेकर भागा था। उसे देख लुफासा समझ गया कि इसी कछुए का पीछा करते हुए, वीनस को झाड़ियों के पीछे छिपी यह गुफा दिखाई दी होगी।

अब वह कछुआ भी लाल रंग के प्रकाश की ओर आकर्षित हो गया था। कछुए ने आगे बढ़कर उस काँच के डिब्बे को छू लिया।

उस डिब्बे को छूते ही कछुए के शरीर से लाल रंग का प्रकाश निकलने लगा। अब वह कछुआ खुशी से उस गुफा के चारो ओर चक्कर लगाने लगा।

यह देख वीनस और लुफासा भी तैरते हुए, उस काँच के डिब्बे के पास पहुंच गये।

डिब्बे के ऊपरी सिरे पर एक ढक्कन लगा था, जिसे लुफासा ने हल्के से प्रयास से ही खोल दिया।

अब लुफासा और वीनस की नजरें आपस में टकराईं और दोनों ने एक साथ झपटकर उस लाल रंग के रत्न को उठा लिया।

दोनों का हाथ रत्न पर एक साथ पड़ा, पर लुफासा ने वीनस से वह रत्न छीन लिया और उसे ध्यान से देखने लगा।

लुफासा और वीनस के छूते ही वह गाढ़े रंग का लाल प्रकाश उन दोनों के शरीर में समा गया और इसी के साथ वह रत्न पता नहीं कहां गायब हो गया?

रत्न के इस प्रकार गायब हो जाने पर दोनों घबराकर, अपने आसपास रत्न को ढूंढने लगे।

तभी वीनस को एक आवाज सुनाई दी- “वह रत्न गायब हो गया, मैंने देखा था।”

वीनस ने हैरान होते हुए अपने आसपास देखा।

तभी वीनस से कुछ दूरी पर पानी में तैर रहा वही कछुआ बोल उठा - “इधर-उधर क्या देख रही हो? मैं ही बोल रहा हूं।”

वीनस कछुए को बोलते देख हैरान हो गई। तभी वीनस को एक महीन गाने की आवाज सुनाई दी।

वीनस ने उस दिशा की ओर देखा, तो उसे कुछ नन्हीं रंग-बिरंगी मछलियां पानी में इधर-उधर घूमती दिखाईं दीं। गाना वही मछलियां गा रहीं थीं।

यह देख वीनस की खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा, वह भी पानी में तैरते हुए जोर-जोर से मछलियों
वाला गाना गाने लगी।

कुछ देर बाद जब वीनस रुकी, तो उसने देखा कि उसके आसपास सैकड़ों जलीय जंतु उसे हैरानी से गाते हुए देख रहे थे और लुफासा डरा-डरा गुफा के एक किनारे से चिपका हुआ था।

“आप हमारी भाषा जानती हो?” एक सितारा मछली ने आगे आते हुए पूछा।

“मुझे नहीं पता, पर अभी तुम जो बोली, मैं वह समझ गई। क्या तुम भी मेरी बात को समझ पा रही हो?” वीनस ने सितारा मछली से पूछा।

“हां...यह ही क्या, हम सभी तुम्हारी बात सुन और समझ पा रहे हैं।” तभी एक नन्हें ऑक्टोपस ने आगे बढ़कर कहा।

“अरे वाह, ये तो बहुत अच्छी बात है, फिर तुम सब खड़े क्यों हो? मेरे साथ नाचते क्यों नहीं?” वीनस ने यह कहा और फिर से जोर-जोर से गाकर पानी में नाचने लगी।

वीनस को देख वहां के सभी जलीय जंतु वीनस के साथ-साथ पानी में नाचने लगे।

लुफासा यह देखकर और ज्यादा डर गया, उसे लगा कि वीनस में कोई समुद्री भूत घुस गया है, इसलिये वह किसी को डिस्टर्ब नहीं कर रहा था।

काफी देर तक उस गुफा में यह नाच गाने का कार्य चलता रहा, पर अब वीनस थक गई थी। इसलिये उसने अब सभी को वहां कल आने को बोल, लुफासा के पास आ गई।

लुफासा अब भी डरी-डरी नजरों से वीनस को देख रहा था।

“क्या हुआ भाई, आप मुझे ऐसे क्यों देख रहे हो ?” वीनस ने लुफासा की ओर देखते हुए पूछा।

“तुम में कोई समुद्री भूत घुस गया है, जिसकी वजह से तुम अभी समुद्री जीव-जंतुओं से बातें कर रही थी।” लुफासा ने डरते हुए कहा।

“क्या भाई आप भी ना? कितना डरते हो।” वीनस ने लुफासा पर गुस्साते हुए कहा- “अरे वह पत्थर जिसे हमने छुआ था, वह कोई चमत्कारी पत्थर था। उसी की वजह से अब मैं सभी जीवों की भाषा बोल और समझ सकती हूं।.....हम दोनों ने एक साथ पत्थर छुआ था, आप भी देखो ना भाई, अवश्य ही आप में भी कोई शक्ति आयी होगी। देखो आपके हाथों के अंदर अभी भी हल्की सी लाल रंग की रोशनी निकल रही है।”

वीनस की बात सुन लुफासा अपने हाथों की ओर देखने लगा।

“हां रोशनी तो निकल रही है, पर अगर मुझे भी तेरी तरह शक्ति मिली होती तो मैं भी उन मछलियों की भाषा समझ पाता, पर ऐसा नहीं हुआ, मुझे उनकी भाषा नहीं समझ में आयी।” लुफासा ने बेचैनी से कहा।

तभी एक पीले रंग की नन्हीं मछली लुफासा के चेहरे के पास आकर तैरने लगी। यह देख लुफासा ने गुस्से से उसे घूरा, पर उसको घूरते ही लुफासा स्वयं, उस मछली के समान बन गया।

यह देख वीनस खुशी से चीख उठी- “देखा भाई, मैंने कहा था ना कि कोई ना कोई शक्ति तो आपको भी मिली होगी?”

अपने आपको मछली बना देख लुफासा भी खुशी से नाचने लगा, तभी दूसरी दिशा से एक थोड़ी बड़ी मछली आयी और मछली बनी लुफासा को अपने मुंह में भरकर चली गई।

यह देख वीनस के मुंह से चीख निकल गई, वह तेजी से उस बड़ी मछली की ओर भागी, पर तभी एक आवाज ने उसे रोक लिया- “मैं यहां ठीक हूं वीनस, वापस लौट आओ।”

यह आवाज लुफासा की ही थी। वीनस ने पलटकर देखा, तो उसे लुफासा उसी स्थान पर बैठा दिखाई दिया, जहां पर वह मछली बनने के पहले बैठा था।

“यह क्या है भाई, आपको तो वह मछली निगल गई थी। फिर आप बच कैसे गये?” वीनस ने आश्चर्य से लुफासा की ओर देखते हुए कहा।

“मुझे भी नहीं पता, जब उस बड़ी मछली ने मुझे निगला, तो उसके बाद मैंने स्वयं को, अपने असली रुप में यहीं पर पाया।.....पर....पर अब मैं वह पीली सी मछली नहीं बन पा रहा हूं। शायद मेरी शक्ति चली गई।”

तभी लुफासा के सामने से एक दूसरी नीले रंग की मछली निकली। इस बार लुफासा ने उसे ध्यान से देखा और इसी के साथ लुफासा अब नीले रंग की मछली के समान बन गया।

“लगता है कि अगर किसी एक रुप में मेरी मौत हो गई, तो वह रुप मैं दोबारा नहीं धर सकता और मेरे उस रुप की मौत होने के बाद मैं वापस उसी स्थान और रुप में पहुंच जाता हूं, जो मैं उस रुप के पहले था।”
लुफासा ने कहा।

“अरे वाह, ये तो इच्छाधारी शक्ति है...आप कोई भी रुप धारण कर सकते हो।” वीनस ने कहा और अब वह लुफासा से बार-बार अलग-अलग रुप बदलने को कहने लगी।

उन्हें देखकर ऐसा लग रहा था कि मानों उन बच्चों को एक नया खेल मिल गया हो।

पर जो भी हो, लुफासा और वीनस अपनी शक्तियों से खुश थे।


जारी रहेगा_____✍️
Bahut hi badhiya update diya hai Raj_sharma bhai....
Nice and beautiful update....
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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रिव्यू की शुरुआत की जाए
उम्मीद के मुताबिक यह ऋतुओं वाला तिलिस्म कुछ अलग सा लगा। ख़ासकर भारत में ग्रीष्म ऋतु वाला हिस्सा, साँप-सीढ़ी के खेल से मिलता-जुलता नज़र आया। साथ ही शुरुआत में जिस गर्मी को दिखाया गया, वो सिर्फ़ एक छोटा सा भाग है; असली चुनौती तो 100वें नंबर पर मिलने वाली है।
Par kya 100ve no. Pe aasani se pohoch payenge ??? Ye dekhne wali baat hai 😉
साथ ही 1–10 में 10 नंबर पर क्यूपर बेल्ट, 11–20 पर प्लूटो, 20–30 पर नेप्च्यून—इन चीज़ों को देखकर इस तिलिस्म को मैंने डिकोड कर लिया है।
100वें नंबर पर हमारा सामना सूर्य से होगा। वहाँ हमें सूर्य की भयानक गर्मी का चैलेंज मिलेगा। अगर ये ग्रहों वाले हिंट नहीं दिए जाते, तो मेरे लिए इसे पकड़ पाना मुश्किल रहता।
Aapke charan kaha hain maha prabhu :bow::bow:
Bc itna lamba prediction? Ye to maine bhi na socha 😎

लेकिन जैसा मैंने तिलिस्म को पढ़ा, उसमें आख़िर में ग्रहों के चैलेंज आने हैं। तो क्या ये उसी से मिलता-जुलता नहीं होगा?
9 grah, 12 raashiya, sab se ladna hoga inko :roll:
मुख्य बात यह है कि केशवर द्वारा बार-बार इन लोगों की अपनी-अपनी कला की परीक्षा ली जा रही है, ताकि उन्हें और बेहतर बनाया जा सके।
जैसे तौकीफ़ का उदाहरण लेते हैं—बिना देखे भाला फेंकने से उसे बिना देखे कहीं भी निशाना लगाने की तकनीक में वृद्धि होगी।
Casver inko fail karna chahta hai, paas nahi :dazed:, balki wo to yahi chahega ki uska banaya tilism koi bhi na tod paye:dazed:
ठीक वैसे ही जैसे एलेक्स उछल-कूद कर अपनी ट्रेनिंग करता है। आगे ज़ेनिथ की नृत्य-कला उसे लचीला बनाने में सहायक होगी। आगे क्या होगा, ये हमें नहीं पता, लेकिन अगर आगे युद्ध में इन्हें लड़ना पड़ा, तो ये सारी ट्रेनिंग काम आएगी।
Yuddh ladne ke liye to tabhi bachenge jab tilisma tootega varna kaahe ka yuddh.😎
अब शफ़्फ़ाली और सुयश का भाग बचा है कि इनके लिए केशवर ने आगे क्या तैयार किया है।
वैसे केशवर अगर इनके बारे में इतना सब कुछ जानता है, तो वह इनकी क्षमता के अनुसार तिलिस्म क्यों बना रहा है? उसे तो इनके विपरीत परिस्थितियों वाला तिलिस्म बनाना चाहिए था, ताकि इन्हें मुश्किल हो।
क्या केशवर चाहता है कि ये लोग तिलिस्म को पार करें? क्या रोबोट कुछ ऐसा सोच रहा है, जिसकी कल्पना कोई नहीं कर पा रहा
Yahi to pech hai, ki casver kya soch ke kya bana raha hai? Or kyun bana raha hai? 🤔
ओवरऑल पूरा अपडेट शानदार था।

Raj_sharma
Thank you very much for your AMAZING Review and superb support bhai, :hug: sath bane raho, agla Update de diya hai, jab tak uska Review aayega, us se agla redy hoga 😎
 

Raj_sharma

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Raj_sharma

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