वेद प्रकाश शर्मा की नोवेल ' विधवा का पति ' मैंने भी पढ़ा हुआ है । बेहतरीन उपन्यास है ।
अपडेट की शुरुआत अविनाश के लगातार कमरे में बंद रहने से घुटन महसूस होने से होती है ।
( जो कि मुझे लगता है वो किसी बात से ज्यादा परेशान है । शायद उसके अपने भाई भाभी के लिए जो चाल चली थी वो उल्टी पड़ गई हो या जिसे कैद करके रखा है उसके लिए । मुझे शत प्रतिशत विश्वास है कि उसकी कोई याददाश्त नहीं गई है । या हो सकता है कि वो अपने प्लान पर काम नहीं कर पा रहा हो क्योंकि दुश्यंत ने एक तरह से उसे नजरबंद कर के ही रखा है । छत पर जाने का मकसद वहां से फरार होने का हो सकता है ।)
प्रतिक्षा आ गई । मासूम और चंचल दोनों का सम्मिश्रण । आते ही अपनी मासूमियत और चंचलता का जादू बिखेरने लगी । विधि तो उससे बहुत ही इम्परेश हुई लेकिन दुश्यंत को पसीने छुटने लगे ।
( क्या करेगा बेचारा वो.... लड़कियों के मामले में मासूम जो है )
हां ! नहीं तो !
बेहतरीन अपडेट शुभम भाई ।