बेरहम है तेरा बेटा-1
अपडेट......4
॥सोनू जैस ही घर पहुंचता है, घर में उसे सब बैठे हुए मीलते है, और राजू भी आ गया था।
सुनिता-- कहां था तू? सुबह से नीकला था, और अभी आ रहा है, (सुनिता थोड़े गुस्से में)
सोनू अपनी मां को गुस्सा हुता देख उसकी फट जाती है,
सोनू थोड़ा डरते हुए-- वो...वो मां मैं थोड़ा सोहन काका के यहां गया था..।
सुनिता-- चल ठीक है, ज्यादा इधर उधर मत घुमा कर,। "खाना खा ले और कब से भैंस चिल्ला रही हैं लगता है, गरम हो गयी है, तू खाना खाने के बाद भैंस को भानू काका के घर ले के जा। और सुनिता बोलते हुए कस्तुरी को आवाज़ लगाती है, की खाना ले के आ जाये,
+सोनू को अपनी मां का गुस्सा शांत होते देख उसके जी में जी आता है।
"तब तक कस्तुरी खाना ले के आ जाती है, और सोनू को देती है,
सोनू (खाना खाते हुए)-- मां इतनी ठंडी में भैस कैसे गरम हो गयी? लगता है उसे ठंढी लग गयी है। और उसे बुखार हो गया है, तो डाक्टर को बुला लाता हूं, भैंस को भानू काका के यंहा क्यूं ले के जाना?
'ये सुनकर पास में खड़ी कस्तुरी, अनिता और सुनिता तीनो हंसने लगती है।
तभी राजू-- अरे भइया, भैंस 'गरम' हो गयी मतलब उसे भानू काका के साँड के पास ले जाना है,
इतना सुनना था की सुनिता कस्तुरी और अनिता अपस में एक दुसरे को देखते शरमा जाती है।
सुनिता-- देख राजू बेटा कीतना सयाना हो गया, और तू रह गया बुद्धु का बुद्धु। खेत में काम कर कर के तू बैल बुद्धी बन गया है, कुछ सीख राजू से।
सोनू कुछ नही बोलता और खाना खाने के बाद भैंस को खुटे में से खोल चल देता है....
कस्तुरी-- अरे वाह मेरा राजू बेटा तो कीतना समझदार हो गया हैं 'क्यू दीदी?
सुनिता-- हां अरे राजू बेटा थोड़ा अपने भइया को भी कुछ सीखा दीया कर।
राजू शरमा जाता है और घर से बाहर नीकल जाता है,
कस्तूरी--ये सब तुम्हारी गलती है, दीदी।
सुनिता--मेरी क्या गलती है,
कस्तुरी-- सोनू बेटा 19 साल का हो गया लेकीन अभी है अनाड़ी का अनाड़ी,
सुनिता-- अरे एक बार उसकी शादी हो जायेगी तो सब सीख जायेगा, तू भी बेमतलब का परेशान हो रही है,
कस्तुरी-- अरे दीदी अपने राजू की उमर देखो, कीतना कुछ सीख गया, है। और सच कहु तो अपने सोनू के उमर के लड़के तो लड़कीयो की छेंद खोलने लगते है,
सुनिता-- बस कर, तू भी कीतनी बेशरम है।
कस्तुरी (धिरे से)-- अरे दिदी सच कह रही हू, मुझे तो लगता हैं अपना राजू भी छेंद का मजा ले चुका है।
ये सुनते ही सुनिता का गला सुखने लगता है...
सुनिता-- क...क्या बोल रही है?
कस्तुरी-- अरे हा दिदी, मुझे लगता है, राजू का चक्कर उसकी मामी कुमकुम से चल रहा है,
सुनिता (आश्चर्य से)-- क्या बोल रही है तू,?
कस्तुरी-- सच में दीदी, वो जब पिछले महीने आयी थी तो सोनू उसके पास ही सोता था, "एक रात मेरी निदं खुली तो मुझे उसकी आवाज सुनाइ दी।
सुनिता और अनिता की आखें फटी की फटी रह गयी॥
सुनिता-- क....कैसी आवाज़?
कस्तुरी-- "उस रात मुझे पेशाब लगी तो मैं उठ कर आंगन में जा रही थी, तभी मुझे कुमकुम के खाट पर से उसकी आवाज़ें सुनाइ दी, वो बोल रही थी, आह राजू मेरी बुर गीली हो गयी रे , अब डाल भी दे,
सुनिता और अनिता दोनो आश्चर्य से कस्तुरी की बात को सुने जा रही थी!
सुनिता-- हाय राम, तो तूने बड़ी दीदी को नही बताया क्या?
कस्तुरी-- सुबह होते ही बताया दीदी, लेकीन बड़ी दीदी बोली अब जवान हो रहा है, अब नही करेगा तो कब करेगा, "और वैसे भी ये सब चिजे पहले से पता होनी चाहिए नही तो शादी के बाद औरत को क्या खाक खुश कर पायेगा। फीर वही औरते बाहर ताका झाकी करने लगते है,
मैने कहां अरे दिदी शादी के बाद तो वो अपने औरत के साथ जब चाहे तब कर सकता है, भला औरत बाहर क्यू ताका झाकी करेगी,
सुनिता-- फीर.....,
कस्तुरी-- फीर क्यां दिदी बोली अरे शादी होगी कही 22 और 23 साल बाद तो जो लड़का इतने उमर में कुछ नही कीया, 23 साल के बाद वो अपनी औरत से सीखता ही रहेगा और उसकी औरत का कोइ और घुंघुरु बजा कर चला जायेगा,
कस्तुरी-- वैसे बात सही बोली, जिस लड़के को 22 साल तक कुछ पता ही ना हो वो कीतना शरमीला होगा, और औरते तो मर्द ढुढतीं है, शरमाने वाला नही।
सुनिता-- ह...हां बात तो ठीक कहा तूने,
कस्तुरी-- फीर सोनू की शादी कब करोगी दीदी, और हंसने लगती है॥
सुनिता(मुहं बनाये)-- मेरे बेटे का मज़ाक उड़ा रही है॥
कस्तुरी-- नही दिदी मैं तो ये सोच कर डर रही हू, की अपना सोनू तो इकदम अनाड़ी हैं, कोई और उसकी औरत का घुंघुरु ना,
सुनिता(बात काटती हुइ)-- चुप कर तू॥
तभी फातीमा आ जाती है( फ़ातीमा सुनिता की अच्छी सहेली है, दोनो में बहुत जमती है, पुये गांव मे सीर्फ 5 ,6 घर ही मुस्लिम था, फ़ातिमा 42 सार की खुबसुरत औरत थी, मुस्लिम होने की वजह से गोरा रंग लाज़मी था, लेकीन उसका बदन तो एकदम मस्त कर देने वाला था, बड़ी बड़ी गोल और बेहद कसी चुचीयां, गोल गोल मोटी गांड बिल्कुल सुनिता की तरह,)
पुरे गांव के जवान मर्दो की नज़र इन दो औरतो पर हमेशा रहती, सुनिता तो अपने पती के अलावा कभी कीसी के साथ सोचती भी नही, और अब जब उसका मरद इस दुनियां में नही है। तो उसकी चुदाइ की इच्छा ही जैसे खत्म हो गयी है।
फ़ातिमा का पता नही, लेकीन अगर सुनिता की सहेली थी तो जाहीर सी बात है की वो भी अच्छी औरत होगी,
फातीमा -- अरे क्या बाते हो रही है, *देवरानी और जेठानी में॥
सुनिता-- अरे आ फातीमां बैठ॥
फातीमा बैठ जाती है, तभी कस्तुरी-- कुछ नही दिदी बर सोनू को मर्द बनाने की बाते हो रही थी,
सुनिता-- चुप कर तू।
फातीमा-- मैं समझी नही॥
कस्तुरी-- ऐसे ही सोनू भी नही समझता!
फातीमा-- मतलब?
कस्तुरी-- अच्छा दिदी, अगर ये मौसम में भैंस चिल्लाये तो क्या मतलब है?
फातीमा- मतलब यही की वो गरम है, और उसे "सांड" की जरुरत है।
कस्तुरी-- हां दिदी लेकीन इनके बेटे का ख्याल कुछ अलक है।
सुनिता(कस्तुरी को घुरते)- तू चुप बैठेगी?
फातीमा-- अरे तू बता कस्तूरी, कैसा ख्याल अलग है?
कस्तुरी-- इनके बेटे का ख्याल है की, भैसं भला इतनी ठंडी में गरम कैसे होगइ, जरुर उसे बुखार हुआ है, भैस को सांड की नही डाक्टर कइ जरुरत है।
ये सुनकर फातीमा और कस्तुरी, अनिता हंसने लगते है। सुनिता मुह बना कर बैठी रहती है।
फातिमा-- कैसा अनाड़ी बेटा जना है, सुनिता ॥ इस उमर के लड़के खुद सांड की तरह अपनी भैंस ढुढतें है। और एक तेरा बेटा है...
कस्तुरी-- सब इनकी ही गलती है,
सुनिता(गुस्से में)-- मेरी क्या गलती है?
कस्तुरी-- जब देखो बेचारा खेत पर फीर खेत से घर, अरे अगर बाहर घुमता टहलता दो चार दोस्त मिलते तो सीखता नही था क्या?
लेकीन तुम्हारे डर की वजह से बेचार कभी बाहर नही जाता।
फातीमां -- अरे कोइ नही मैं सीखा दुंगी उसको थोड़ा बहुत, तू बस आज रात उसे मेरे घर भेज देना।
सुनिता-- सच में फाती मां,
फातीमा- अरे हा रे, नही तो तेरा बेटा अनाड़ी ही रह जायेगा,॥
सुनिता-- उसे बर उपर उपर ही सीखा देना, ज्यादा कुछ करने की जरुरत नही है,
फातीमा-- तू चिंता मत कर मुझे पता है, क्या करना है। चल अच्छा तो मैं चलती हूं॥ और जैसे ही जाने के लिये उठी तभी सोनू भैंस लेकर आ जाता है।
सोनू भैंस को खुटे से बांधता है, और अंदर आ जाता है,
फातीमा-- अरे सोनू बेटा तेरी भैंस भचक भचक कर क्यू चल रही है,
सोनू-- पता नही काकी, जब ले जा रहा था तो बहुत भाग रही थी, लेकीन जब से भानू काका का सांड इस पर चढ़ा तब से ये ऐसी चल रही है।
ये सुनकर सब हंसने लगते है...
फातीमा-- ऐसा ही होता है, बेटा जब सांड चढ़ता है तो चाल बदल ही जाती है...और हंसते हुए चली जाती है।
सोनू-- मां मै खेत जा रहा हूं।
सुनिता-- अरे आज मत जा, और वैसे भी शाम हो गयी है।
सोनू-- ठीक है मां॥
सुनिता-- बेटा तू मुझसे नाराज है ना।
सोनू-- नही तो मां क्यू?
सुनिता-- जो मैं तुझे हमेशा डाटती रहती हू।
सोनू-- नही मां ऐसी कोइ बात नही है।
सुनिता-- अच्छा आज तू फातीमा के यंहा रात रुक जाना।
सोनू-- क्यूं मां?
सुनिता-- अरे नही बस उसका मरद शहर गया है काम से कल आयेगा तो इसलीये॥
सोनू-- ठीक है मां॥
सोनू-- बड़ी अम्मा नही दिखाइ दे रही है।
सुनिता-- वो मायके गयी है, 10 दीन बाद आयेगीं ॥ उनकी मां की तबीयत खराब है।
सोनू-- (मन में) अरे यार एक ही तो बुर थी वो भी चली गयी, अब क्या करु...?
रात को खाना खाने के बाद सोनू फातीमा के घर की तरफ़ नीकल देता है.....।
कस्तुरी-- चलो ना दीदी थोड़ा आपके अनाड़ी बेटे का अनाड़ी पन देखते है।
सुनिता-- अरे शरम कर, तू अपने बेटे जैसे सोनू को वो सब करते देखेगी, तूझे शरम नही आती।
कस्तुरी-- अरे दिदी सिर्फ देखने को कह रही हो...करने को नही। आप रहने दो चल अनिता हम चलते है। और जैसे ही जाने को हुइ
सुनिता-- अच्छा रुक मैं भी चलती हूं॥
सोनू फातीमा के घर पहुचं गया ।
फातीमा-- आ गया बेटा॥ आ बैठ
सोनू खाट पर बैठ जाता है, और फातीमा कमरे में से निकल कर बाहर का दरवाजा बंद करने के लीये गयी ,
वो जैसे ही दरवाजा बंद करने को हुइ उसके सामने सुनिता और कस्तुरी, अनिता खड़ी दीखी।
फातीमा-- अरे तुम लोग।
कस्तुरी-- हा दीदी हम ये देखने आये थे की, कही आप हमारे बेटे सोनू को सीखाने के चक्कर मे, कुछ और ना कर दे।
फातीमा (हंसते हुए)- चलो आ जाओ अंदर
वो लोग अंदर आ जाते है,
फातीमा-- तुम लोग वो कमरे मे जाओ।
कस्तुरी-- अरे दिदी उस कमरे में से कुछ दिखेगा भी या नही,
फातीमा-- अरे सब दिखेगा। अब जाओ।
कस्तुरी-- ओ हो बड़ी उतावली हो रही हो दिदी,
सुनिता-- अब चल,
॥ और फीर वो तीनो दुसरे कमरे चली जाती है।