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Incest बेरहम है तेरा बेटा......1

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कौन सा पात्र आपको ज्यादा पसदं है।

  • सोनू- कस्तुरी

    Votes: 7 77.8%
  • सोनू- फातीमा

    Votes: 2 22.2%
  • बेचन- शीला

    Votes: 0 0.0%
  • बेचन- सुगना

    Votes: 3 33.3%
  • कल्लू- मालती

    Votes: 2 22.2%

  • Total voters
    9
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Stone cold

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Achi story hai bhai bas ek request hai isme ho sake to gay scene mat dal na aur daily update diya karo bhai.
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Nikhil143

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बेरहम है तेरा बेटा-1
अपडेट......4

॥सोनू जैस ही घर पहुंचता है, घर में उसे सब बैठे हुए मीलते है, और राजू भी आ गया था।
सुनिता-- कहां था तू? सुबह से नीकला था, और अभी आ रहा है, (सुनिता थोड़े गुस्से में)

सोनू अपनी मां को गुस्सा हुता देख उसकी फट जाती है,

सोनू थोड़ा डरते हुए-- वो...वो मां मैं थोड़ा सोहन काका के यहां गया था..।

सुनिता-- चल ठीक है, ज्यादा इधर उधर मत घुमा कर,। "खाना खा ले और कब से भैंस चिल्ला रही हैं लगता है, गरम हो गयी है, तू खाना खाने के बाद भैंस को भानू काका के घर ले के जा। और सुनिता बोलते हुए कस्तुरी को आवाज़ लगाती है, की खाना ले के आ जाये,

+सोनू को अपनी मां का गुस्सा शांत होते देख उसके जी में जी आता है।

"तब तक कस्तुरी खाना ले के आ जाती है, और सोनू को देती है,

सोनू (खाना खाते हुए)-- मां इतनी ठंडी में भैस कैसे गरम हो गयी? लगता है उसे ठंढी लग गयी है। और उसे बुखार हो गया है, तो डाक्टर को बुला लाता हूं, भैंस को भानू काका के यंहा क्यूं ले के जाना?

'ये सुनकर पास में खड़ी कस्तुरी, अनिता और सुनिता तीनो हंसने लगती है।

तभी राजू-- अरे भइया, भैंस 'गरम' हो गयी मतलब उसे भानू काका के साँड के पास ले जाना है,

इतना सुनना था की सुनिता कस्तुरी और अनिता अपस में एक दुसरे को देखते शरमा जाती है।

सुनिता-- देख राजू बेटा कीतना सयाना हो गया, और तू रह गया बुद्धु का बुद्धु। खेत में काम कर कर के तू बैल बुद्धी बन गया है, कुछ सीख राजू से।

सोनू कुछ नही बोलता और खाना खाने के बाद भैंस को खुटे में से खोल चल देता है....

कस्तुरी-- अरे वाह मेरा राजू बेटा तो कीतना समझदार हो गया हैं 'क्यू दीदी?
सुनिता-- हां अरे राजू बेटा थोड़ा अपने भइया को भी कुछ सीखा दीया कर।

राजू शरमा जाता है और घर से बाहर नीकल जाता है,

कस्तूरी--ये सब तुम्हारी गलती है, दीदी।
सुनिता--मेरी क्या गलती है,

कस्तुरी-- सोनू बेटा 19 साल का हो गया लेकीन अभी है अनाड़ी का अनाड़ी,
सुनिता-- अरे एक बार उसकी शादी हो जायेगी तो सब सीख जायेगा, तू भी बेमतलब का परेशान हो रही है,

कस्तुरी-- अरे दीदी अपने राजू की उमर देखो, कीतना कुछ सीख गया, है। और सच कहु तो अपने सोनू के उमर के लड़के तो लड़कीयो की छेंद खोलने लगते है,

सुनिता-- बस कर, तू भी कीतनी बेशरम है।

कस्तुरी (धिरे से)-- अरे दिदी सच कह रही हू, मुझे तो लगता हैं अपना राजू भी छेंद का मजा ले चुका है।

ये सुनते ही सुनिता का गला सुखने लगता है...

सुनिता-- क...क्या बोल रही है?
कस्तुरी-- अरे हा दिदी, मुझे लगता है, राजू का चक्कर उसकी मामी कुमकुम से चल रहा है,

सुनिता (आश्चर्य से)-- क्या बोल रही है तू,?

कस्तुरी-- सच में दीदी, वो जब पिछले महीने आयी थी तो सोनू उसके पास ही सोता था, "एक रात मेरी निदं खुली तो मुझे उसकी आवाज सुनाइ दी।

सुनिता और अनिता की आखें फटी की फटी रह गयी॥

सुनिता-- क....कैसी आवाज़?

कस्तुरी-- "उस रात मुझे पेशाब लगी तो मैं उठ कर आंगन में जा रही थी, तभी मुझे कुमकुम के खाट पर से उसकी आवाज़ें सुनाइ दी, वो बोल रही थी, आह राजू मेरी बुर गीली हो गयी रे , अब डाल भी दे,

सुनिता और अनिता दोनो आश्चर्य से कस्तुरी की बात को सुने जा रही थी!

सुनिता-- हाय राम, तो तूने बड़ी दीदी को नही बताया क्या?

कस्तुरी-- सुबह होते ही बताया दीदी, लेकीन बड़ी दीदी बोली अब जवान हो रहा है, अब नही करेगा तो कब करेगा, "और वैसे भी ये सब चिजे पहले से पता होनी चाहिए नही तो शादी के बाद औरत को क्या खाक खुश कर पायेगा। फीर वही औरते बाहर ताका झाकी करने लगते है,

मैने कहां अरे दिदी शादी के बाद तो वो अपने औरत के साथ जब चाहे तब कर सकता है, भला औरत बाहर क्यू ताका झाकी करेगी,

सुनिता-- फीर.....,

कस्तुरी-- फीर क्यां दिदी बोली अरे शादी होगी कही 22 और 23 साल बाद तो जो लड़का इतने उमर में कुछ नही कीया, 23 साल के बाद वो अपनी औरत से सीखता ही रहेगा और उसकी औरत का कोइ और घुंघुरु बजा कर चला जायेगा,

कस्तुरी-- वैसे बात सही बोली, जिस लड़के को 22 साल तक कुछ पता ही ना हो वो कीतना शरमीला होगा, और औरते तो मर्द ढुढतीं है, शरमाने वाला नही।

सुनिता-- ह...हां बात तो ठीक कहा तूने,
कस्तुरी-- फीर सोनू की शादी कब करोगी दीदी, और हंसने लगती है॥

सुनिता(मुहं बनाये)-- मेरे बेटे का मज़ाक उड़ा रही है॥
कस्तुरी-- नही दिदी मैं तो ये सोच कर डर रही हू, की अपना सोनू तो इकदम अनाड़ी हैं, कोई और उसकी औरत का घुंघुरु ना,

सुनिता(बात काटती हुइ)-- चुप कर तू॥

तभी फातीमा आ जाती है( फ़ातीमा सुनिता की अच्छी सहेली है, दोनो में बहुत जमती है, पुये गांव मे सीर्फ 5 ,6 घर ही मुस्लिम था, फ़ातिमा 42 सार की खुबसुरत औरत थी, मुस्लिम होने की वजह से गोरा रंग लाज़मी था, लेकीन उसका बदन तो एकदम मस्त कर देने वाला था, बड़ी बड़ी गोल और बेहद कसी चुचीयां, गोल गोल मोटी गांड बिल्कुल सुनिता की तरह,)

पुरे गांव के जवान मर्दो की नज़र इन दो औरतो पर हमेशा रहती, सुनिता तो अपने पती के अलावा कभी कीसी के साथ सोचती भी नही, और अब जब उसका मरद इस दुनियां में नही है। तो उसकी चुदाइ की इच्छा ही जैसे खत्म हो गयी है।

फ़ातिमा का पता नही, लेकीन अगर सुनिता की सहेली थी तो जाहीर सी बात है की वो भी अच्छी औरत होगी,


फातीमा -- अरे क्या बाते हो रही है, *देवरानी और जेठानी में॥

सुनिता-- अरे आ फातीमां बैठ॥

फातीमा बैठ जाती है, तभी कस्तुरी-- कुछ नही दिदी बर सोनू को मर्द बनाने की बाते हो रही थी,

सुनिता-- चुप कर तू।

फातीमा-- मैं समझी नही॥

कस्तुरी-- ऐसे ही सोनू भी नही समझता!

फातीमा-- मतलब?

कस्तुरी-- अच्छा दिदी, अगर ये मौसम में भैंस चिल्लाये तो क्या मतलब है?

फातीमा- मतलब यही की वो गरम है, और उसे "सांड" की जरुरत है।

कस्तुरी-- हां दिदी लेकीन इनके बेटे का ख्याल कुछ अलक है।

सुनिता(कस्तुरी को घुरते)- तू चुप बैठेगी?

फातीमा-- अरे तू बता कस्तूरी, कैसा ख्याल अलग है?

कस्तुरी-- इनके बेटे का ख्याल है की, भैसं भला इतनी ठंडी में गरम कैसे होगइ, जरुर उसे बुखार हुआ है, भैस को सांड की नही डाक्टर कइ जरुरत है।

ये सुनकर फातीमा और कस्तुरी, अनिता हंसने लगते है। सुनिता मुह बना कर बैठी रहती है।

फातिमा-- कैसा अनाड़ी बेटा जना है, सुनिता ॥ इस उमर के लड़के खुद सांड की तरह अपनी भैंस ढुढतें है। और एक तेरा बेटा है...

कस्तुरी-- सब इनकी ही गलती है,
सुनिता(गुस्से में)-- मेरी क्या गलती है?

कस्तुरी-- जब देखो बेचारा खेत पर फीर खेत से घर, अरे अगर बाहर घुमता टहलता दो चार दोस्त मिलते तो सीखता नही था क्या?
लेकीन तुम्हारे डर की वजह से बेचार कभी बाहर नही जाता।

फातीमां -- अरे कोइ नही मैं सीखा दुंगी उसको थोड़ा बहुत, तू बस आज रात उसे मेरे घर भेज देना।

सुनिता-- सच में फाती मां,
फातीमा- अरे हा रे, नही तो तेरा बेटा अनाड़ी ही रह जायेगा,॥

सुनिता-- उसे बर उपर उपर ही सीखा देना, ज्यादा कुछ करने की जरुरत नही है,

फातीमा-- तू चिंता मत कर मुझे पता है, क्या करना है। चल अच्छा तो मैं चलती हूं॥ और जैसे ही जाने के लिये उठी तभी सोनू भैंस लेकर आ जाता है।

सोनू भैंस को खुटे से बांधता है, और अंदर आ जाता है,

फातीमा-- अरे सोनू बेटा तेरी भैंस भचक भचक कर क्यू चल रही है,

सोनू-- पता नही काकी, जब ले जा रहा था तो बहुत भाग रही थी, लेकीन जब से भानू काका का सांड इस पर चढ़ा तब से ये ऐसी चल रही है।

ये सुनकर सब हंसने लगते है...

फातीमा-- ऐसा ही होता है, बेटा जब सांड चढ़ता है तो चाल बदल ही जाती है...और हंसते हुए चली जाती है।

सोनू-- मां मै खेत जा रहा हूं।
सुनिता-- अरे आज मत जा, और वैसे भी शाम हो गयी है।

सोनू-- ठीक है मां॥

सुनिता-- बेटा तू मुझसे नाराज है ना।

सोनू-- नही तो मां क्यू?
सुनिता-- जो मैं तुझे हमेशा डाटती रहती हू।

सोनू-- नही मां ऐसी कोइ बात नही है।

सुनिता-- अच्छा आज तू फातीमा के यंहा रात रुक जाना।

सोनू-- क्यूं मां?
सुनिता-- अरे नही बस उसका मरद शहर गया है काम से कल आयेगा तो इसलीये॥

सोनू-- ठीक है मां॥

सोनू-- बड़ी अम्मा नही दिखाइ दे रही है।

सुनिता-- वो मायके गयी है, 10 दीन बाद आयेगीं ॥ उनकी मां की तबीयत खराब है।

सोनू-- (मन में) अरे यार एक ही तो बुर थी वो भी चली गयी, अब क्या करु...?


रात को खाना खाने के बाद सोनू फातीमा के घर की तरफ़ नीकल देता है.....।

कस्तुरी-- चलो ना दीदी थोड़ा आपके अनाड़ी बेटे का अनाड़ी पन देखते है।

सुनिता-- अरे शरम कर, तू अपने बेटे जैसे सोनू को वो सब करते देखेगी, तूझे शरम नही आती।

कस्तुरी-- अरे दिदी सिर्फ देखने को कह रही हो...करने को नही। आप रहने दो चल अनिता हम चलते है। और जैसे ही जाने को हुइ

सुनिता-- अच्छा रुक मैं भी चलती हूं॥

सोनू फातीमा के घर पहुचं गया ।

फातीमा-- आ गया बेटा॥ आ बैठ

सोनू खाट पर बैठ जाता है, और फातीमा कमरे में से निकल कर बाहर का दरवाजा बंद करने के लीये गयी ,
वो जैसे ही दरवाजा बंद करने को हुइ उसके सामने सुनिता और कस्तुरी, अनिता खड़ी दीखी।

फातीमा-- अरे तुम लोग।

कस्तुरी-- हा दीदी हम ये देखने आये थे की, कही आप हमारे बेटे सोनू को सीखाने के चक्कर मे, कुछ और ना कर दे।

फातीमा (हंसते हुए)- चलो आ जाओ अंदर

वो लोग अंदर आ जाते है,

फातीमा-- तुम लोग वो कमरे मे जाओ।

कस्तुरी-- अरे दिदी उस कमरे में से कुछ दिखेगा भी या नही,

फातीमा-- अरे सब दिखेगा। अब जाओ।

कस्तुरी-- ओ हो बड़ी उतावली हो रही हो दिदी,

सुनिता-- अब चल,
॥ और फीर वो तीनो दुसरे कमरे चली जाती है।
 

Nikhil143

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बेरहम है तेरा बेटा--1
अपडेट--5



' फातीमां कमरें में जाती है , तो देखती है सोनू खाट पर लेटा हुआ था।

फातीमा-- नीदं आ रही है क्यां सोनू बेटा?
सोनू-- नही काकी, बस ऐसे ही लेटा था।
फातीमां एक लाल कलर की सलवार कमीज पहने हुइ थी। उसके सलवार में उसकी गांड काफी कसी हुइ थी, सोनू की नजर जैसे ही उसकी बड़ी बड़ी और कसी हुइ गांड पर पड़ती है। उसका लंड सलामी देने लगता है।

तभी फातीमा सोनू के बगल में बैठ जाती है, और अपना दुपट्टा हटा कर खाट पर रख देती है।

सोनू के सामने उसकी बड़ी बड़ी गोल चुचींया जो की कमीज में से आजाद होने को चाहती थी देख कर सोनू मस्त हो जाता है।

सोनू की नज़र अभी भी उसकी चुचींयो को ही घुर रही थी।

फातीमां-- क्या देख रहा है सोनू बेटा।
सोनू (भोलू बनते हुए)-- ये आपकी कीतनी बड़ी बड़ी है।

फातीमा-- क्या बड़ी बड़ी है? बेटा
सोनू फातीमां के चुचीयों की तरफ इशारा करते हुए।

फातीमा-- अच्छा मेरी इसकी बात कर रहा है। क्यूं तुझे अच्छी नही लगी?

सोनू-- अच्छी है काकी।

फातीमा-- जब तेरी शादी होगी ना तो तेरी औरत की भी ऐसी ही होगी।

सोनू-- काकी लोग शादी करते है। तो बच्चा पैदा हो जाता है वो कैसे?

फातीमा को पता था की ये अनाड़ी है। और वैसे भी यही सब सीखाने तो सुनिता ने इसे भेजा है॥

फातीमा-- अरे सोनू बेटा सीर्फ शादी करने से बच्चे पैदा नही होते। बल्की कुछ और करना होता है।

सोनू(मन में)-- काकी आज तो तू गयी।

सोनू-- और क्या करना होता है?

फातीमा-- तुझे पता है आज जब तेरी भैंस गरम थी, तब तू उसे भानू के सांड के पास ले गया था।

सोनू-- हां काकी, पता है।

फातीमा-- तो सांड ने क्या कीया?

सोनू-- वो अपना बड़ा सा पता नही क्या नीकाला और भैसं के पीछे डाल कर धक्का मारने लगा।

फातीमा-- हां बेटा, वैसे ही जम मर्द औरत के अंदर डालकर धक्का मारता है। तब वो गर्भवती होती है।

लेकीन उससे पहले औरत को भी गरम करना पड़ता है।

सोनू--काकी ये औरत गरम कैसे होती है,

अंदर कमये में से नजारा देख रही सुनीता , कस्तुरी और अनिता।

कस्तुरी- अब बताओ फातीमा दीदी औरत गरम कैसे होती है।

फातीमा-- बेटा, तूझे कैसे समझाउ मैं की औरत को कैसे गरम करते है।

सोनू-- काकी तू बता मैं समझ जाउगां॥

फातीमा अपने मन में सोचती है की सोनू तो अभी नादान है। तो वैसे भी इसको सीखाना पड़ेगा ही॥

फातीमा-- बेटा औरत को गरम करने के लीये औरत के बदन के साथ खेलना पड़ता है।

सोनू-- काकी मैं समझ नही रहा हू?
फातीमा-- अरे सोनू बेटा, औरत के जीस्म के साथ खेलना मतलब, उसकी चुम्मीया लेना। और अपनी चुचीयों की तरफ इशार करते हुए, उसका ये दबाना ये सब करने से औरत गरम होती है।

सोनू(अपना पासा फेंकते हुए)- क्या काकी तुम झूठ बोल रही है।

फातीमा-- अरे नही बेटा सच कह रही हूं॥

सोनू-- तो मैं एक बार तूझे गरम करना चाहता हू। फीर पता चलेगा काकी तू झूठ बोल रही है या सच।

ये सुनकर फातीमा असमंजस में पड़ जाती है, की ये सोनू ने क्या कह दीया ॥ भला मैं इसके साथ कैसे?

अंदर कमरे में सुनीता के साथ साथ कस्तुरी और अनीता का भी रंग उड़ चुका था।

सोनू-- क्या हुआ काकी लगता है तू सच में झूठ बोल रही थी।

फातीमा(हकलाते हुए)-- न...नही बेटा ॥ अच्छा ठीक है तू कर ले लेकीन कीसी को भी बताना मत।

सोनू-- ठीक है काकी, नही बताउगां॥

॥ अंदर कमरे में खीड़की के पास खड़ी सुनीता बोली नही कस्तुरी ये गलत है। मुझे इसे रोकना पड़ेगा, और जैसे ही वो जाने को होती है, कस्तुरी उसका हाथ पकड़ लेती है।

कस्तुरी-- रहने दो दीदी, सोनू सीखने आया था। अब कर के सीखेगा,

सुनीता-- लेकीन!

कस्तुरी-- लेकीन वेकीन कुछ नही। आप ही चाहती थी ना की कम से कम उसे ये सब पता हो। तो आप क्यूं खेल बीगाड़ रही हो,
अब आप खड़ी रहो और अपने अनाड़ी बेटे को देखो कैसे खेलता है।

सुनिता-- अनाड़ी मत बोल मेरे बेटे को।
कस्तुरी-- अनाड़ी को अनाड़ी नही तो क्या बोलू। दुसरा कोइ होता तो अब तक फातीमा के उपर चढ़ चुका होता। और वैसे भी ये खेल के बाद पता चल ही जायेगा की सोनू बेटा अनाड़ी है या खीलाड़ी॥

सुनिता कुछ नही बोलती और चुप चाप खड़ी रहती थी क्यूकीं कहीं ना कहीं उसके बेटे की हरकते एक अनाड़ी के जैसे ही थी। वो इसी लीये कमरे मे जा रही थी ताकी वो इस खेल को रोक सके नही तो कल को यही औरतें ताना मारेगीं की तेरे बेटे को कुछ नही आता।

अंदर कमरे में खाट पर फातीमा लेटी हुइ थी।

फातीमा-- देख क्या रहा है बेटा चढ़ जा मेरे उपर।
सोनू फातीमा के उपर लेट जाता है, जैसे ही सोनू फातीमा के उपर चढ़ता है, दोनो के तन बदन में सीहरन होने लगती है।

फातीमा की तो आंखे बंद हो जाती है...लेकीन जब काफी समय से सोनू के तरफ से कोइ प्रतीक्रीया नही होती तो वो अपनी आंखे खोलती है।

फातीमा-- अब चढ़ा ही रहेगा या कुछ करेगा भी।

सोनू-- सोच रहा हूं कि कहा से शुरु करुं।

फातीमा-- या अल्लाह! इस लड़के को क्या बताउं मैं॥ बेटा तेरा जहा से मन करे वहा से शुरु कर।

सोनू की हालत तो फातीमा की चुचीयां देख कर ही खराब हो चुकी थी लेकीन वो ये अनाड़ी वाला खेल थोड़ा और देर तक खेलना चाहता था।

सोनू अपना हाथ धिरे से फातीमा की चुचीयों पर रख हल्के हल्के दबाने लगता है।

फातीमा-- आह...बेटा थोड़ा जोर से दबा...आह,
सोनू-- काकी तूझे दर्द होगा।

ये सुनकर कस्तुरी और अनीता हसं पड़ती है। सुनीता को थोड़ा भी अच्छा नही लग रहा था उसके बेटे के उपर हसंना।

फातीमा-- बेटा मर्द औरत के दर्द की परवाह नही करते, क्यूकीं औरत को दर्द में भी मजा है।

सोनू थोड़ा और तेज तेज दबाने लगता।

फातीमा-- हां....बेटा....ऐसे ही आह...दबा ,
सोनू-- काकी तेरी चुचीयां तो बड़ी बड़ी है।

फातीमा-- आह...बेटा तू..उझे...मेरी चुचीयां अच्छी....आह नही लगी क्या?
सोनू-- अच्छी है काकी। अपना ये कपड़े उतारो ना।

फातीमा-- आह बेटा तू ...उही उतार दे ना।

सोनू फातीमा का कमीज निकाल देता है, फातीमा की बड़ी बड़ी गोरी चुचीयां उसकी ब्रा मे से नीकलने को हो रही थी।

ये देख सोनू बेसब्र हो जाता है, और ब्रा के उपर से ही दबाने लगता है।

फातीमा-- आ....ह सोनू मेरी चुचीयां....ह दबाने में मजा आ रहा है तूझे।

सोनू-- हा काकी, लेकीन मुझे वो छेंद देखना है। जीसमे डालते है।

फातीमा-- आह बेटा मेरे नीचे ही है, देख ले मेरी सलवार उतार के।

सोनू के हाथ की उंगलीयो को ज्यादा देर नही लगी उसके सलवार के नाड़े को खोलने में॥

॥ अब फातीमा एक लाल कलर की चडढी में थी, फातीमा खाट पर नंगी लेटी बहुत गजब ढा रही थी। सोनू का लंड ना चाहते हुए भी पैटं मे खड़ा होने लगता है। लेकीन पैटं मे ज्यादा जगह ना होने के वजह से उसे लंड मे दर्द महसुस होने लगता है।

सोनू ने फातीमा की चडढी भी उतार दी जीससे उसकी गोरी और फुली बुर दीख जाती है।

फातीमा-- क्यूं बेटा दीखा छेदं॥
सोनू उसके बुर की फ़ाके खोलते हुए- हां काकी अब दीखा

फातीमा और अंदर से नजारा देखने वालो की हंसी नीकल पड़ती है।

फातीमा-- तूने मेरा तो देख लीया तेरा कब दिखायेगा?

फातीमा के मुह से ये शब्द सुनकर सुनिता की धड़कन तेज हो जाती है, क्यूकी एक मां के लीये कुछ अलग ही अहेसास होता है, अपने बेटे का लंड देखना।
॥ शायद इसका एक वजह ये भी हो सकता है की समाज इसकी इजाजत नही देता। और एक मां के मन में इस प्रकार का खयाल जो ना के बराबर है।


सोनू-- काकी मै तो दीखा दूगां लेकीन कुछ और तो बता की, और क्या क्या करते है औरत के साथ।

फातीमा-- बस बेटा इतना ही करते है। और अंत मे ये छेंद मे डालकर धक्के लगा लगा कर खेल को खत्म करते है।

सोनू-- हसंते हुए) - बहुत खुब काकी , तूने तो मुझे बहुत कुछ सीखा दीया। "चल अप थोड़ा बहुत मैं भी तुझे कुछ सीखा देता हूं।

फातीमा (हसंते हुए)- अले ले, अब मेरा अनाड़ी बेटा मुझे सीखायेगा।

सोनू (मन मे)- चल बेटा अब बहुत हो गया अनाड़ी पन, अब जरा कमीनापन दीखा, यही सोचते सोचते उसने अपना पैंट उतार फेकां॥

सोनू अपनी चडढी जैसे ही नीकालता है, फातीमा की आंखे फटी रह जाती है, और उधर कस्तुरी, अनीता और सुनिता का भी यही हाल था।

सुनिता मन में)-- हाय रे दइया, ये इसका लंड है की घोड़े का। लेकीन फीर, ये मै क्या सोच रही हू, और मुझे पसीना क्यू आ रहा है।

फातिमा-- हाय रब्बा, ये...ये तेरा तो बहुत बड़ा है।
सोनू-- क्यूं सच में बड़ा है।
फातीमा-- हां बेटा। कसम से मैने अपनी जींदगी में ऐसा लंड कभी नही देखा।

सोनू-- तो अब देख ले।
फातीमा-- हट जा बेशरम, मुझे शरम आ रही है।

सोनू-- शरम आ रही है सा....ली।
फातीमा-- सोनू अपनी काकी से ऐसे बात करते है?

सोनू--तो कैसे बात करते है, मादरचोद। अनाड़ी समझी थी मुझे कुतीया। चल मुह में ले और चुस इसे ,

अंदर खड़ी सुनिता, कस्तुरी और अनिता की आंखे फटी की फटी रह जाती है।

फातीमा-- छी भला इसे कोइ मुह में लेता है क्या?
सोनू झटके में फातीमा का बाल खीचकर उसे खाट पर से नीचे अपने घुटने के नीचे बीठा देता है।
फातीमा जोर से चील्लाती है-- आ....आ.. न...नही सोनू दर्द हो रहा है। छोड़ मेरा बाल......।

सोनू-- मुह खोल साली और चुस इसे।

फातीमा मरती क्या ना करती अपना मुह खोल कर सोनू का लंड मुह में लेने लगती है।

सोनू-- ले साली जल्दी।

फातीमा(रोते हुए)-- हां तो मैं क्या करु, इतना मोटा है जा ही नही रहा है।

सोनू-- कुतीया के जैसा मुह खोल, फीर जायेगा।

सुनीता सोनू का ये रुप देख कर दंग रह जाती है, वो सोचने लग जाती है...

फातीमा सोनू का लंड मुह में भर लेती है, और चुसने लगती है।

सोनू-- आह साली, ऐसे ही चुस आह तेरा मुह कीतन गरम है।

अंदर से देख रही कस्तुरी और अनीता का हाथ भी अब उनकी बुर पर था। सुनीता का भी मन मचलने लगा था।

सोनू के घुटने के निचे बैठी फातीमा कुतीया की तरह मुह खोले उसका लंड चुस रही थी।

ये देख कस्तुरी-- हाय दीदी क्या कुतीया की तरह अपना घोड़े जैसा लंड चुसा रहा है। काश मैं फातीमा की जगह होती।

कमरे में अंधेरा होने की वजह से वो लोग एक दुसरे को देख नही पा रहे थे। कस्तुरी अपनी एक उगंलीया बुर में डाल चुकी थी।

सोनू -- थोड़ा और अंदर डाल मुह मेआह ।
फातीमा अपना मुह और अंदर लेती है। और आगे पिछे करने लगती है।

कुछ देर ऐसे ही चुसने के बाद सोनू अपना लंड निकाल लेता है। और फातीमा को खाट पर लीटा देता है।

सोनू उसकी एक चुची को अपने हाथ से जोर जोर मसलने लगता है।

फातीमा-- आ...............आ...........सोनू धिरे......दर्द हो रहा है।
सोनू-- चुप साली कुतीया इतनी बड़ी बड़ी चुचीयां ली है। इसको तो मैं ऐसे ही मसलूगां॥

फातीमा-- आह........बे रहम तूझे तो मै...कल देख लूगीं तेरी मां से बता दूगीं॥

सोनू अपना मुह उसकी चुचीयों में लगा कर जोर जोर से चुसने लगता है।

अब फातीमा को भी मजा आने लगता है।

फातीमा-- आह , बेरहम ऐसे ही चुस नीचोड़ ले अपनी काकी की चुचींया आह बेटा इतना मजा मुझे कभी न...हइ........इ..........जोर से चील्लाती है।

सोनू ने उसका निप्पल दात में लेकर काट जो लीया था। फातीमा के कटे निप्पल से खुन नीकल जाता है।

सोनू-- चल मेरी रांड कुतीया बन जा। तेरा बुर फाड़ता हू।

फातीमा अपनी गांड खीड़की की तरफ कीये कुतीया बन जाती है।

फातीमा-- बेटा आराम से डालना, तेरा बहुत बड़ा है।

सोनू उसके गांड पर जोर का थप्पड़ मारता है। और उसकी बुर पर अपना लंड टीकाये जोर के धक्के के साथ अपना लंड जड़ तक घुसा देता है।

फातीमा-- आ............मां..........मर गयी.........नीकाल इ.......से........मुझे नही लेनां......मेरी......बुर।

सुनिता , कस्तुरी और अनीता की नजर सीधा फातीमा के बुर पर पड़ती है। सोनू का लंड उसके बुर को फैला चुका था, और उसके बुर से होते हुए सोनू के लंड से उसका खुन टपक रहा था।

सुनिता के मुह से आवाज ही नीकल रही थी, वो बस आखे फाड़े वो नजारा देख रही थी।

और इधर फातीमा का बुरा हाल हो गया था, पुरे कमरे में उसकी चिखे गुंज रही थी, और सोनू बेरहमी से उसे चोदे जा रहा था।

फातीमा-- हाय रे...........सुनी.......ता मुझे......बचा.......अपने आह बे.........रहम बेटे से......मेरी बुर फाड़ दे........गा।

कस्तुरी-- आह फातीमा फाड़ेगा नही फाड़ दी मेरे सोनू ने।

सोनू-- छटपटा मत मादरचोद कुतीया बनी रही।
फातीमा अपनी गांड उठाये सोनू के लंड से जोर जोर से चुद रही थी, उसे बहुत दर्द हो रहा था, और वो बस चील्लाये जा रही थी,

आखीर वो समय आया जब दर्द का मजंर थमा और फातीमा की पुरी खुल चुकी बुर सोनू के लंड को पच्च पच्च की आवाजो के साथ अपने बुर में ले रही थी।

अब फातीमा की आवाजे सीसकीयो में बदल चुकी थी। उसकी सीसकीया ये बंया कर रहीं थी की अब उसे मजा आ रहा है।

फातीमा-- आह सोनू...मजा आ रहा है...अपनी फातीमा काकी को आ....ह बेरहमी से क्यूं चोदा रे...

सोनू-- चुप कर साली और मेरा लंड ले।

फातीमा-- आह....सोनू तेरा ये लंड आह मुझे ब....हुत मजा दे रहा है। चोद आह बेटा, आज से मै तेरी रखैल हू, बे....रहम और फातीमा झड़ने लगती है,

सोनू भी झड़ने वाला था वो भी फातीमा की गांड पर जोर का थप्पड़ मारता है, और खाट पर चढ़ फातीमा की कमर पकड़ हवा मे उठा कर एक जोर जोर से पेलने लगता है।

फातीमा दर्द से तीलमीला जाती है, अपना हाथ खाट पर टीकाये अपनी बुर का दर्द बरदाशत नही कर पा रही थी, और वो इधर उधर छटपटाने लगती है, लेकीन सोनू उसकी कमर पकड़े हवा में उढाये बस चोदे जा रहा था।

सोनू-- आह ले साली कुतीया, मेरा पानी अपने बुर में और एक जोर का धक्का मार अपना लंड सीधा उसके बुर की गहराइ में उतार देता है।

फातीमा दर्द के मारे अपना मुह कीसी कुतीया की तरह खोल जोर से चील्लाती है, और सोनू के लंड का पानी अपने बच्चेदानी के मुह पर गिरता साफ महसुस कर रही थी।

सोनू अपना पुरा पानी छोड़ उसके गांड पर जोर का थप्पड़ मारा-- आह साली मजा आ गया तेरा बुर चोद कर, और खाट पर लेट जाता है।

फातीमा वैसे ही पड़ी दर्द से अब भी रो रही थी, और सोनू लेटे लेटे वैस ही निंद मे चला जाता है।

ये चुदाइ का मजंर देख कस्तुरी और अनीता के बुर ने बहुत ज्यादा पानी छोड़ा।

सुनीता-- बेरहम कीसी कुतीया की तरह चोद चोद कर फातीमा की हालत क्या कर दी है।

कस्तूरी-- हा दीदी फातीमा की बुर तो देखो कैसे चौड़ी हो कर दी है, तेरे बेरहम बेटे के लंड ने, और खुद आराम से सो रहा है।

सुनिता चल अब चलते है,
कस्तुरी-- थोड़ा फातीमा से मील कर चलते है।

सुनिता-- नही, उसकी जीस तरह से चुदाइ हुई है, वो रात भर रोयेगी...।

अनीता-- बेचारी...दीदी अनाड़ी समझ अपनी बुर फड़वा ली,

और तीनो हंसते हुए घर से बाहर नीकल अपने घर की तरफ चल देती है,

फातीमा रोते रोते आधी रात बित गयी, फीर वो रोते रोते सोनू के सीने पर अपना सर रखी लेट जाती है, और उसे बांहो मे भर कुछ समय बाद वो भी निंद की आगोश में चली जाती है.......।


सुबह सोनू की निंद तब खुलती है जब उसे कोइ जगाता है,

सोनू की आंख खुली तो पाया उसके सामने उसकी मां ,कस्तुरी और अनिता खड़ी थी, उसके बगल में फातीमा काकी भी नही थी।

सुनिता-- सोता ही रहेगा, की घर भी चलेगा।

सोनू की हालत खराब हो जाती है, क्यूकीं वो पुरी तरह नंगा था।

और ये बात सब को पता था,
॥ तभी फातीमा वहां हाथ में चाय लिये आती है, वो बहुत मुश्कील से चल पा रही थी।

कस्तुरी-- अरे काकी तुम भचक भचक कर क्यूं चल रही हो, और मुस्कूरा देती है।

फातीमा-- मुझसे क्या पुछ रही है, तेरे भतीजे से पुछ उसने ही ये हालत की है।

सोनू का सुनते ही गांड फट जाती है..

सुनिता-- क्यूं बेटा क्या कीया तूने फातीमा के साथ?

सोनू को कुछ समझ नही आ रहा था की क्या बोले तभी

फातीमा-- अरे सोनू ने कल मुझे धक्का गलती से धक्का मारा और मै निजे उस लकड़ी पर गीर गयी तो थोड़ा चोट आ गयी।

ये सुनकर सोनू के जान में जान आता है,

सुनिता-- चल बेटा अब घर जा, और जरा देख कर धक्का मारा कर लगने पर दर्द होता है, और हल्का सा मुस्कुराते हुए दुसरे कमरे में सब चली जाती है।

सोनू भी फटाफट अपने कपड़े पहन बाहर निकलता है। और घर की ओर चल देता है।


दुसरे कमरे मे बैठी कस्तुरी जोर जोर से हसंने लगती है।

सुनिता-- क्यूं हसं रही है?

कस्तुरी-- अरे कल रात फातीमा दिदी की ऐसी हालत थी, उसी पर। कैसे कुतीया की तरह चिल्ला रही थी।

फातीमा-- हस ले, अगर तू उसके निचे होती और जब अपना मुसल लंड तेरी बुर में डालकर चोदता तब समझ में आता।

कस्तुरी-- अरे सोनू के निचे आने के लीये तो मैं हर दर्द सह लूगीं दिदी।

सुनिता-- चुप कर तुम लोग मेरे बेटे की जान लोगे क्या?

फातीमा-- अरे सुनिता जान तो तेरा बेरहम बेटा निकाल देता है, ऐसे चोदता है की, बुर के साथ साथ पुरा बदन कांप उठता है।

सुनिता-- मेरे बेटे ने तेरी ऐसी हालत कर दी है, फीर भी तू उसका बखान कर रही है।

फातीमा-- तू भी एक औरत है, और एक औरत से बेहतर कोई नही समझ पाता की असली मर्द ऐसा ही होता है।

सुनिता शरमा जाती है, -- तूने तो कल मेरे बेटे को थका दीया।

फातीमा-- ओ हो, और जो तेरा बेटा मुझे कुतीया बना कर गंदी गंदी गालीया दे रहा था। और मेरी बुर का बैडं बजा रहा था उसका कुछ नही।

सुनिता-- तू भी तो उसको भड़का रही थी, की आज से मैं तेरी रखैल हूं फलाना ढेकाना।

फातीमा(शरमाते हुए)-- हा तो मैं हू उसकी रखैल।

कस्तुरी-- तेरा तो हो गया दीदी, हम लोग का नसीब ही खराब है।

फातीमा-- अरे मेरी मान तो सोनू को पटा ले, और जिंदगी भर मजे लुटना।

अनिता-- अरे दिदी हम उनकी चाचींया है, और भला?

फातीमा-- अरे तुम्हारे हिंदुओ में एक कहावत है।

कस्तुरी-- कैसी कहावत?

फातीमा-- बता जरा सुनिता।
"सुनिता शरमा जाती है,

कस्तुरी अब शरमाना बंद करो और बताओ दिदी।

सुनिता-- अरे वो..कहावत है.....(वो पुत ही क्या जो 'चोदे' ना चाची की 'चुत')

कस्तुरी-- आय हाय दिदी दील खुश कर दीया, अब तो मै सोनू को अपना बना कर ही रहुगीं॥

सुनिता-- शरम कर वो तेरे बेटा है।
कस्तुरी-- बेटा वो तुम्हारा है, मेरा तो भतीजा है।

फातीमा-- वैसे मां बेटे के लिये भी कोइ कहावत है क्या?

सुनिता-- चुप कर छिनाल, और सब हसंने लगते है॥



बारीश के हल्की हल्की फव्वारे गीर रही थी, और बेचन अपने खाट पर लेटा था। और उसके आंखो में उसकी बेटी की बड़ी बड़ी चुचीयों का तस्वीर सामने आ जाता.....।


॥ कहानी को लाइक और रिप्लाइ करने के लीये'थैंक्स' दोस्तो अपडेट मिलता रहेगा..... Take care of your health my friends!
 

Xfan

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Story to acchi hai lrkin dusrobki story copy or pest karne mai koi majja nhi hai...
Plz write ur own story...
 
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