भाग:–67
पहले इन लोगों ने कैलिफोर्निया के विद्वानों से ज्ञान लिया था, उसके बाद अमेरिका भ्रमण पर निकले थे। करीब महीना दिन में सारा ज्ञान समेटकर कैलिफोर्निया अपने स्थाई निवास पर पहुंचे। सभी एक साथ हॉल में बैठकर पंचायत लगाये।
रूही:– यहां आ गये। सीखना था अंग्रेजी उसके साथ–साथ न जाने क्या–क्या नही हमने सिख लिया। या यूं कह लें की गलत तरीके से सिख लिया। अब आगे क्या?
आर्यमणि:- ज्ञान लेना गलत नही था लेकिन उसे हमने अर्जित गलत तरीके से किया। कोई बात नही जो भी ज्ञान है उसका प्रसार करके हम अपनी गलती को ठीक करने की कोशिश करेंगे। अब आगे यही करना है।
ओजल:– सही कहा भैया। और जबतक यहां मज़ा आ रहा है रहेंगे, मज़ा खत्म तो पैकअप करके कहीं और।
अलबेली:- मै थक गई हूं, मै ऊपर वाला कमरा ले लेती हूं।
इवान और ओजल भी उसके पीछे निकल गये सोने। रूही और आर्यमणि दोनो बैठे हुये थे… "कहां से कहां आ गये ना बॉस। जिंदगी भी कितनी अजीब है।"..
आर्यमणि:- तुम तो इंजीनियरिंग फोर्थ ईयर में थी ना। मेरी वजह से तुम्हारा तो पुरा कैरियर खत्म हो गया।
रूही:- या नए कैरियर की शुरुआत। इन तीनों का कुछ सोचा है?
आर्यमणि:- कुछ दिन यहां के माहौल में ढलने देते है। स्कूल का पता किया था, इनको ग्रेड 11 में एडमिशन करवाने का सोच रहा हूं।
रूही:- और टेस्ट जो होगा उसका क्या?
आर्यमणि:- ज्ञान की घुट्टी दी है ना। 11th ग्रेड के टेस्ट तो क्या उन्हे डॉक्टर की डिग्री लेने में कोई परेशानी नही होगी।
रूही:- हां ये भी सही है। वैसे पिछले कुछ महीनों से बहुत भागदौड़ हो गई, मै भी चलती हूं आराम करने।
आर्यमणि:- हम्मम ठीक है जाओ।
आर्यमणि कुछ देर वहीं बैठा रहा, अपने फोन को देखते। सोचते–सोचते कब उसकी आंख लग गयी पता ही नहीं चला। सुबह अलबेली और इवान के झगड़े से उसकी नींद खुली… "क्या हुआ दोनो के बीच लड़ाई किस बात की हो रही है?"..
अलबेली:- टीवी देखने को लेकर, और किस बात पर।
आर्यमणि:- अब टीवी देखने में झगड़ा कैसा?
अलबेली:- बॉस ये ना पता नहीं कौन-कौन सी मूवी सुबह-सुबह लगा दिया। शर्म नाम की चीज है कि नहीं पूछो इससे।
इवान:- बॉस वो मुझे थोड़े ना पता था कि यहां पुरा ओपन ही दिखा देते है। 5 सेकंड के लिये आया और गया उसपर ये झगड़ा करने बैठ गई।
आर्यमणि:- समय क्या हुआ है।
इवान:- 4.30 बज रहे है।
आर्यमणि:- ठीक है इवान सबको जगाकर ले आओ, जबतक मै अलबेली से ट्रेनिंग शुरू करता हूं।
"अलबेली याद है ना क्या करना है, दिमाग में कुछ भी अंधेरा नहीं होने देना है और पुरा ध्यान अपने दिमाग पर। अपने धड़कन और गुस्से पर पूरा काबू। समझ गयी।"..
अलबेली ने हां में अपना सर हिलाया और आर्यमणि को अपने तैयार होने का इशारा की। आर्यमणि ने पूरा चाकू उसके पेट में घुसा दिया। दर्द से वो बिलबिला गयी और अगले ही पल उसने अपना शेप शिफ्ट कर लिया।
शेप शिफ्ट करते ही वो तेजी के साथ अपने क्ला आर्यमणि पर चलाने लगी। आर्यमणि बिना कोई परेशानी के अपने हाथो से उसे रोकता रहा। वो गुस्से में ये भी नहीं देख पायी की उसका जख्म कबका भर चुका है। हमला करते-करते उसे अचानक ख्याल आया और अपनी जगह खड़े होकर अपनी तेज श्वांस को काबू करती, लंबी श्वांस अंदर खींचने लगी और फिर धीमी श्वांस बाहर।
कुछ पल के बाद… "सॉरी दादा, वो मै खुद पर काबू नहीं रख पायी।"..
आर्यमणि:- कुछ भी हो पहले से बेहतर है। पहले 5 मिनट में होश आता था आज 2 मिनट में आया है।
लगभग 2 घंटे सबकी ट्रेनिंग चली और सबसे आखरी में आर्यमणि की। जिसमें पहले चारो ने मिलकर उसपर लगातार हमले किये। कोई शेप शिफ्ट नहीं। फिर इलेक्ट्रिक चेयर और बाद में अन्य तरह की ट्रेनिंग। इसके बाद सबसे आखरी में शुरू हो गया इनके योगा का अभ्यास।
ट्रेनिंग खत्म होने के बाद सबने फिर एक नींद मार ली और सुबह के 9 बजे सब नाश्ते पर मिले। नाश्ते के वक़्त सबकी एक ही राय थी, भेज खाने में बिल्कुल मज़ा नहीं आता। आर्यमणि सबके ओर हंसते हुए देखता और प्यार से कहता… "खाना शरीर की जरूरत है, तुम लोग प्रीडेटर नहीं इंसान हो।"..
आज आर्यमणि ने तीनों टीन वुल्फ को पूरा शहर घूमने भेज दिया और खुद रूही को लेकर पहले ड्राइविंग स्कूल पहुंचा। पैसे फेके और लाइसेंस के लिये अप्लाई कर दिया। वहां से निकलकर दोनो बैंक पहुंचे जहां 5 खाते खुलवाने और सभी खाते में लगभग 2 मिलियन अमाउंट जमा करने की बात जैसे ही कहे, बैंक वाले तो दामाद की तरह ट्रीट करने लगे और सारी पेपर फॉर्मेलिटी तुरंत हो गयी।
आर्यमणि और रूही वहां से निकलकर टीन वुल्फ के स्कूल एडमिशन की प्रक्रिया समझने स्कूल पहुंच गये और उसके बाद वापस घर। घर आकर रूही ने एक बार तीनों को कॉल लगाया और उनके हाल चाल लेकर आर्यमणि के पास आकर बैठ गई।… "अपने लोगो के बीच ना होने से कितना खाली-खाली लग रहा है ना।"..
आर्यमणि:- खाली क्यों लगेगा, ये कहो की काम नहीं है उल्लू। वैसे बात क्या है आज बहुत सेक्सी दिख रही..
रूही:- ओह हो मै सेक्सी दिख रही हूं, या ये क्यों नहीं कहते कि कुछ-कुछ हो रहा है।
आर्यमणि:- एक हॉट लड़की जब पास में हो तो मूड अपने आप ही बन जाता है।
रूही:- सोच लो ये हॉट लड़की उम्र भर तुम्हारे साथ रहने वाली है और एक बात बता दूं मिस्टर आर्यमणि कुलकर्णी, मुझे तुमसे बिल्कुल प्यार नहीं। मुझे जानते हो कैसा लड़के की ख्वाहिश है..
आर्यमणि:- कैसे लड़के की..
रूही:- कोई मुझे छेड़े ना तो वो खुद उससे कभी नहीं जीत सकता हो, लेकिन फिर भी मेरे लिए भिड़कर मार खा जाये। ऐसा लड़का जिसकी अपने मां बाप से फटती हो, लेकिन जब मेरा मैटर हो तो चेहरे पर शिकन दिल में डर रहे, फिर भी हिम्मत जुटा कर अपने पिता से कह सके, मुझे रूही से प्यार है। बेसिकली बिल्कुल इनोसेंट जो मुझसे प्यार करे।
आर्यमणि:- तो यहां रहने से थोड़े ना मिलेगा ऐसा लड़का। चलो वापस भारत।
रूही, आर्यमणि को किस्स करती… "मेरी किस्मत में होगा तो मुझे मिल ही जाएगा। तब तुम मेरी तरफ देखना भी नहीं। लेकिन अभी तो कुछ तन की इक्छाएँ है, उसे तो पूरी कर लूं।"..
आर्यमणि, हड़बड़ा कर उठ गया। रूही हैरानी से आर्यमणि को देखती... "क्या हुआ बॉस, ऐसे उठकर क्यों जा रहे।"
आर्यमणि:– तुम भी आओ...
दोनो बेसमेंट में पहुंच गये। आर्यमणि अपने सोने के भंडार को देखते... "इसके बारे में तो भूल ही गये।"
रूही:– हां ये अमेरिका है और हमारी मस्त मौलों की टोली। कहीं कोई सरकारी विभाग वाले यहां पहुंच गये फिर परेशानी हो जायेगी।
आर्यमणि:– हां लेकिन इतने सोने का करे क्या? 5000 किलो सोना है।
रूही:– कोई कारगर उपाय नहीं मिल रहा है। यहां की जैसी प्रशासन व्यवस्था है, बिना बिल के कुछ भी बेचे तो चोरी का माल ही माना जायेगा। इसे तो किसी चोर बाजार ही ठिकाने लगाना होगा।
आर्यमणि:– ज्वेलरी शॉप डाल ली जाये तो। पैसे इतने ही पड़े–पड़े सर जायेंगे और गोल्ड इतना है कि कहीं बिक न पायेगा।
रूही:– बात तो सही कह रहे हो, लेकिन हम यहां टूरिस्ट वीजा पर है। 6 महीने के लिये घर लीज पर लिया है। यहां धंधा शुरू करना तो दूर की बात है, लंबे समय तक रहने के लिये पहले जुगाड करना होगा।
आर्यमणि:– सबसे आसान और बेस्ट तरीका क्या है।
रूही:– यहां के किसी निवासी से शादी कर के ग्रीन कार्ड बनवा लो। लेकिन फिर उन तीनो का क्या...
आर्यमणि:– हम इतना डिस्कस क्यों कर रहे है। वो मॉल का मैनेजर है न निकोल, उसके पास चलते हैं। वैसे भी उसका क्रिसमस का महीना तो हमने ही रौशन किया है न।
रूही:– एक काम करते है, दोनो के लिये बढ़िया सा गिफ्ट लेते है। 1 बॉटल सैंपियन कि और कुछ मंहगे खिलौने उनके बच्चे के लिये।
आर्यमणि:– हां चलो ये भी सही है...
दोनो बाजार निकले वहां से महंगा लेडीज पर्स, मंहगी वॉच, बच्चों के लिये लेटेस्ट विडियो गेम, और एक जो गोद में था उसके लिये खूबसूरत सा पालना। सारा गिफ्ट पैक करके आर्यमणि और रूही निकोल के घर रात के करीब 9 बजे पहुंचे। बेल बजी और दरवाजे पर उसकी बीवी। बड़ा ही भद्दा सा मुंह बनाते, बिलकुल रफ आवाज में पूछी... "क्या काम है।"…
शायद यहां के लोगों को पहचान पूछने की जरूरत न पड़ती। सीधा काम पूछो और दरवाजे से चलता करो। आर्यमणि और रूही उसकी बात सुनकर बिना कुछ बोले ही वहां से निकलने लगे। वह औरत गुस्से में चिल्लाती... "बेल बजाकर परेशान करते हो। शक्ल से ही चोर नजर आ रहे। रूको मैं अभी तुम्हारी कंप्लेन करती हूं।"..
आर्यमणि:– मुझे निकोल से काम था लेकिन तुम्हारा व्यवहार देखकर अब मैं जा रहा। अपने हब्बी से कहना वही आदमी आया था जिसने उसके कहने पर 30 हजार यूएसडी के समान लिये। लेकिन अब मुझे उसके यहां का व्यवहार पसंद नही आया।
वह औरत दरवाजे से ही माफी मांगती दौड़ी लेकिन आर्यमणि रुका नही और वहां से टैक्सी लेकर अपने घर लौट आया। घर लौटकर वह हाल में बैठा ही था कि पीछे से घर की बेल बजी। आर्यमणि ने दरवाजा खोला तो सामने निकोल और उसकी बीवी खड़े थे। आर्यमणि भी उतने ही रफ लहजे में.… "क्या काम है।"…
वह औरत अपने दोनो हाथ जोड़ती.… "कुछ लड़के पहले ही परेशान कर के गये थे इसलिए मैं थोड़ी उखड़ी थी। प्लीज हमे माफ कर दीजिये।"..
आर्यमणि पूरा दरवाजा खोलते... "अंदर आओ"…
निकोल:– सर प्लीज बात दिल पर मत लीजिये, मैं अपनी बीवी की गलती के लिये शर्मिंदा हूं।
आर्यमणि:– क्यों हमारे शक्ल पर तो चोर लिखा है न... तुम्हारी बीवी ने तो हमे चोर बना दिया। न तो तुम्हारी माफी चाहिए और न ही तुम्हारे स्टोर का एक भी समान।
आर्यमणि की बात सुनकर स्टोर मैनेजर निकोल का चेहरा बिल्कुल उतर गया। एक तो दिसंबर का फेस्टिव महीना ऊपर से जॉब जाने का डर। निकोल का चेहरा देख उसकी बीवी का चेहरा भी आत्मग्लानी से भर आया... "वापस करने दो इसे समान, मैं खरीद लूंगी। बल्कि आपके पहचान का कोई कार डीलर हो तो वो भी बता दीजिए"…
रूही की आवाज सुनकर निकोल का भारी मन जैसे खिल गया हो.… "क्या मैम"..
आर्यमणि:– उसका नाम रूही है और मेरा...
निकोल:– और आपका आर्यमणि। यदि आप मजाक कर रहे थे वाकई आपने मेरे श्वांस अटका दी थी। और यदि मजाक नही कर रहे तो समझिए श्वान्स अब भी अटकी है।
आर्यमणि, अपने हाथ से उन्हे गिफ्ट देते... "आपकी पत्नी ने हमारा दिल दुखाया इसलिए हमने भी वही किया। अब बात बराबर, और ये गिफ्ट जो आपके लिये लेकर आये थे।"..
गिफ्ट देखकर तो दोनो मियां–बीवी का चेहरा खिल गया। ऊपर से उनके बच्चों तक के लिये गिफ्ट। दोनो पूरा खुश हो गये। रूही, निकोल की बीवी के साथ गिफ्ट का समान कार में रखवा रही थी और निकोल, आर्यमणि के साथ था।
निकोल:– बताइए सर क्या मदद कर सकता हूं।
आर्यमणि:– यदि मैं यहां के किसी लोकल रेजिडेंस से शादी कर लूं तो मुझे ग्रीन कार्ड मिल जायेगी...
निकोल:– थोड़ी परेशानी होगी, लेकिन हां मिल जायेगी..
आर्यमणि:– मेरे साथ तीन टीनएजर रहते है, फिर उनका क्या?
निकोल:– तीनों प्रवासी है और क्या आप पर डिपेंडेंट है..
आर्यमणि:– हां...
निकोल:– आपको मेयर से मिलना चाहिए। आप पसंद आ गये तो आपके ग्रीन कार्ड से लेकर उन टीनएजर के एडोप्टेशन का भी बंदोबस्त हो जायेगा।
आर्यमणि:– और क्या मेयर मुझसे मिलेंगे...
निकोल:– हां बिलकुल मिलेंगे.... शॉपिंग मॉल उन्ही का तो है। कहिए तो मैं अपॉइंटमेंट ले लूं।
आर्यमणि:– रहने दो, हमारी बात नही बनी तो तुम्हारी नौकरी चली जायेगी।
निकोल:– मुझे यकीन है बात बन जायेगी। मैं अपॉइंटमेंट फिक्स करके टेक्स्ट करता हूं।
2 दिन बाद मेयर से मीटिंग फिक्स हो गयी। आर्यमणि और रूही उससे मिले। कुछ बातें हुई। 50 हजार यूएसडी उसके इलेक्शन फंड में गया। 10 हजार डॉलर में एक लड़का और एक लड़की ने दोनो से शादी कर ली। मैरिज काउंसलर ने आकर विजिट मारी। सारे पेपर पुख्ता किये। उसके बाद वो दोनो अपने–अपने 10 हजार यूएसडी लेकर अपने घर। अब बस एक बार तलाक के वक्त मुलाकात करनी थी, जिसका पेपर पहले ही साइन करवा कर रख लिया गया था।
आर्यमणि मिठाई लेकर मेयर के पास पहुंचा और अपने आगे की योजना उसने बतायी की कैसे वह कैलिफोर्निया के पास जो गोल्ड माइन्स है उसके जरिये सोने का बड़ा डिस्ट्रीब्यूटर बनना चाहता है। हालांकि पहले तो मनसा ज्वेलरी शॉप की ही थी लेकिन थोड़े से सर्वे के बाद यह विकल्प ज्यादा बेहतर लगा।
मेयर:– हां लेकिन सोना ही क्यों? उसमे तो पहले से बहुत लोग घुसे है।
आर्यमणि:– हां लेकिन आप तो नही है न इस धंधे में..
मेयर:– न तो मैं इस धंधे में हूं और न ही कोई मदद कर सकता हूं। इसमें मेरा कोई रोल ही नही है। सब फेडरल (सेंट्रल) गवर्मेंट देखती है।
आर्यमणि:– हां तो एक गोल्ड ब्रिक फैक्ट्री हम भी डाल लेंगे। इसमें बुराई क्या है। प्रॉफिट का 10% आपके पार्टी फंड में। बाकी आप अपना पैसा लगाना चाहे तो वो भी लगा सकते है।
मेयर:– कितने का इन्वेस्टमेंट प्लान है?
आर्यमणि:– 150–200 मिलियन डॉलर। आते ही 2 मिलियन खर्च हो गये है। कुछ तो रिकवर करूंगा।
मेयर:– मुझे प्रॉफिट का 30% चाहिए.. वो भी अनऑफिशियली..
आर्यमणि:– मुझे मंजूर है लेकिन 50 मैट्रिक टन बिकने के बाद ये डील शुरू होगी।
मेयर:– और 50 मेट्रिक टन का प्रॉफिट...
आर्यमणि:– उसमे हम दोनो में से किसी का प्रॉफिट नही होगा। आप अनाउंस करेंगे की पहले 50 मेट्रिक टन तक हम धंधा जीरो परसेंट पर करेंगे। ये आपके इलेक्शन कैंपेन में काम आयेगा और हम कुछ कस्टमर भी बना लेंगे...
मेयर:– गोल्ड का रेट फेडरल यूनिट तय करती है उसमे कम या ज्यादा नही कर सकते। हां लेकिन तुम 20 मेट्रिक टन का प्रॉफिट कैलिफोर्निया के नाम अनाउंस कर दो और 30 मैट्रिक टन का प्रॉफिट सीधा फेडरल यूनिट के नाम, फिर तो तुम हीरो हुये।
आर्यमणि:– ऐसी बात है क्या? फिर तो अभी से कर दिया।
मेयर:– बधाई हो। सही धंधा अच्छा चुना है। हां लेकिन कुछ और धंधा करते तो मैं भी तुम्हारे साथ अपना पैसा लगाता।
आर्यमणि:– और अब..
मेयर:– अब तो तुम मेरे खास दोस्त हो। परमिशन से लेकर लैंड और फैक्ट्री सेटअप सब मेरी कंपनी को टेंडर दे दो। 1 महीने में काम पूरा हो जायेगा।
आर्यमणि:– ठीक है पेपर भिजवा देना, मैं साइन कर दूंगा।
मेयर:– "ओह हां एक बात मैं बताना भूल ही गया। इस से पहले की तुम पेपर साइन करो मैं एक बात साफ कर दूं, मैं गोल्ड का धंधा सिर्फ इसलिए नहीं करता क्योंकि वह धंधा मेरा बाप करता है। यदि मैंने उसके धंधे में हाथ डाला फिर मैं और मेरा करियर दोनो नही रहेगा। एक तो वैसे ही बाहर से आये हो ऊपर से बड़े लोगों का धंधा कर रहे। कहीं कोई परेशानी होगी तो मैं बीच में नही आऊंगा उल्टा उन परेशान करने वालों में से मैं भी एक रहूंगा।"
"अपनी सारी टर्म्स डिस्कस हो चुकी है। रिस्क मैंने तुम्हे बता दिया। इसके बाद तुम आगे अपना सोच कर करना। यदि गोल्ड का बिजनेस नही करना तो हम कुछ और धंधे के बारे में डिस्कस कर सकते हैं जिसमे कोई रिस्क नहीं होगा।"
आर्यमणि:– वो धंधा ही क्या जो रिस्क लेकर न किया जाये। आप तो गोल्ड डिस्ट्रीब्यूशन का सारा प्रक्रिया कर के, गोल्ड ब्रिक फैक्ट्री की परमिशन ले लो।
मेयर हंसते हुये हाथ मिलाते... "लगता है कुछ बड़ा करने के इरादे से यहां पहुंचे हो।"..
आर्यमणि:– वो कारनामे ही क्या जो बड़ा ना हो। चलता हूं।
सुबह सुबह एक छोटा सा अंग्रेजो के खुल्लम खुल्ला सो किया दिख गया दो टीनेज आपस में ही लड़ बैठे इवान को क्या पता नया जगह नया परिवेश और अलग ही रीत तो गलती से रिमोट का बटन दावा और शो शुरू हों गया।
यह एक बात सबसे खाश रहा की आर्य अपने पैक के सभी सदस्यों के लिए बॉस बनकर नहीं अपितु एक अभिभक बनकर सभी सभी का ध्यान रख रहा है खासकर टिनेज सदस्य का, सभी के लिए हर वो काम कर रहा है जो उनके लिए जरूरी है। खुद पर नियंत्रण रखने की ट्रेनिग खुद दे रहा है और खुद की ट्रेनिंग भी कर रहा हैं।
निकोल से मिलने गया लेकिन उसकी बीबी के बेइज्जत कर दिया अजीब परिवेश है कुछ और पूछा ही नहीं सीधा काम का ही पूछा खैर जैसा व्यवहार निकोल की पत्नी ने किया बिल्कुल वैसा ही व्यवहार आर्यमणि ने दोनों पति पत्नी के साथ किया इसी को कहते है जैसे को तैसा लौटा देना।
अब आर्य स्वर्ण आभूषण की दुकान खोलने का विचार त्याग दिया और स्वर्ण खुदाई करने का व्यापार करने का मन बना लिया। जिसकी जानकारी मेयर से भेट के वक्त उसे दे दिया। अब देखते है अपना हीरो स्वर्ण खुदाई के व्यापार में कैसे झंडा गड़ता हैं?