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हिना का पिछवाड़ा पंकज अब पूरी रफ़्तार से हिना को चोद रहा था, लेकिन गुलबिया ने मेरी ओर देखते हुए आँख मार के पंकज को ललकारा,
" पलट साली को, असल चुदवासी है तो लंड के ऊपर चढ़ के चोदेगी,... "
और पंकज ने पलटी मारी, खूंटा जड़ तक अंदर था और कस के उसने हिना को दबोच रखा था, अब हिना ऊपर, पंकज नीचे,...
अब कम्मो के मजे हो गए . एक से एक गारी और उसकी चचेरी बहन लीना जो इसी साल रजस्वला हुयी थी जिसको आसिष मिली थी वो तो और गरमा रही थी। हिना उसी की क्लास में पढ़ती थी और सब पर्दा, लुकना छिपाना का नाटक,... वो और जोर से चिढ़ा रही थी,
" अरे पहले ही बोली होती तो मैं खुद पंकज भैया को बोल के उनके खूंटे पे चढ़वा देती,... मजा आ रहा है घोंटने में, "
चुदाई रुक गयी थी, पंकज नीचे था और उसने अपने हाथ और पैरों से हिना को दबोच रखा था,...
अब हिना पंकज के मोटे लंड पे चढ़ी, बगिया के बीच,... साथ में उसके क्लास में पढ़ने वाली लीना, रूपा, बेला,... और बाकी भी तो रेनू, लीला, नीलवा सब उसी की स्कूल की थीं. कल जब स्कूल खुलेगा तो सब को पता चलेगा, जिसकी चेहरे की एक झलक नहीं मिलती थी ,... वो हिना खुद बगिया में कम्मो के भाई के खूंटे के ऊपर चढ़ कर गच्चागच, गचागच
लेकिन अभी तो हिना का मन कर रहा था पंकज बस घुसा दे, अंदर तक. दर्द तो अभी भी हो रहा था, फटी जा रही थी, लेकिन एक तो कमल ने जो हचक के फाड़ा था , सच में एक बार में ही खुल गयी थी, दूसरे कमल की मलाई, पंकज के लिए चिकनाई का काम कर रही थी. पर पंकज ने पेलना रोक दिया था, सिर्फ सुपाड़ा अंदर धंसा,
" नहीं भैया नहीं तुम मत घुसाओ,... ये चूत मरानो अभी खुद ही मेरे भैया के खूंटे पे उछल उछल के चोदेगी, ... " कम्मो ने पंकज को रोक दिया,...
कम्मो को याद आ रहा था जब उसके भैया ने छेड़ा था, हिना उसके और लीना के साथ आ रही थी, और मुड़ के पठानटोले वाली पगडंडी पे चली ही थी की पंकज ने छेड़ा,
" हे बुरके वाली, जरा बुरका हटाओ,... जरा बुर तो दिखाओ,... हम बुर के आशिक है कोई गैर नहीं "
बस हिना अलफ़ अपनी माँ से जा के सीधे शिकायत की। और मिर्च लगा के। लेकिन माँ उसकी समझदार, पूरे बाइस पुरवा में आना जाना, हंस के गले लगा के हिना को दुलराती बोली,
" अरे ये तो अच्छी बात है न इसका मतलब अब हमार बिटिया जवान हो गयी हैं. कली जब चटख के खिलने वाली होती है तभी तो भौंरे आते हैं। और हमरे टोला में तो कोई लौंडे लड़के हैं नहीं,... और वो तो तेरी सहेली का भाई, पलट के जवाब देना चाहिए था, भैया कम्मो की अभी देखा है की नहीं। "
बात वहीँ की वहीँ रह गयी, लेकिन कम्मो को चुभी तो, ... इसलिए वो आज अपने भैया को चढ़ा रही थी और हिना को तड़पा रही थी।
" सही तो कह रही है कम्मो, अरे लंड पे चढ़ने का शौक तो है तो चढ़ के चोदने का गुन ढंग भी सीखना चाहिए,... गुलबिया, हमारे नाउन की बहू बोली
और फिर वो और लीला आग में घी डालने में लग गयीं।
गुलबिया पंकज के खूंटे पर चढ़ी अटकी, हिना की बुर की दोनों फांको को मसलने लगी, साथ में क्लिट भी सहलाने लगी
और लीला अपने स्कूल की नौवें क्लास वाली के निपल पकड़ के सहलाने लगी, हिना की बुर में आग लग गयी. वो बार बार पंकज की आँख में देखती, गुहार करती, पेलो न नीचे से। लेकिन पंकज आज तड़पाने पे तुला था.
हिना की ओर से सुगना भाभी आ गयीं। हिना की पीठ सहलाते उन्होंने पंकज को हड़काया,
" काहें तड़पा रहे हो बेचारी, अरे आज पेल दो झाड़ बेचारी को,... फिर रोज चुदवायेगी, ... बुध को लगने वाली बाजार में बीच बाजार चुम्मा लोगे तो कुछ नहीं बोलेगी, दूसरा गाल आगे कर देगी। अरे जब कहोगे , जहाँ कहोगे वहां चुदवायेगी, खुद नाड़ा खोलेगी। अपने साथ बाकी पठानटोली वाली, जिनकी झांटे भी ठीक से नहीं आयी है उन्हें भी ले के आएगी, उनका नाडा भी अपने हाथ से खोलेगी, ... क्यों हिना ननदिया। "
" हाँ भैया, हाँ पंकज भैया,... बहुत मन कर रहा है, सब करुँगी, जब कहोगे, जहां कहोगे, जैसे कहोगे,... " हिना ने सब कबूला।
तो अब सुगना भाभी ने हिना को समझाया,
" तो ठीक है बस चार पांच धक्के मार दो पंकज के खूंटे पे, खाली आधा घोंट लो बाकी का वो करेगा, पूरी ताकत से चूतड़ के कमर के जोर से धक्के मारो, हाँ ऐसे है, अरे देखना मेरी पठानटोले वाली ननद तुम सब का कान काटेगी घोंटने में " सुगना भाभी हिना का चूतड़ सहलाते ऊपर से हलके हलके धक्के लगाते बोलीं,
हिना भी हलके हलके ऊपर से जोर डाल रही थी , जिस पंकज को इतना कहा सुना था खुद उस के लंड पर चढ़ कर चोद रही थी. जरा जरा करके पंकज का खूंटा अंदर सरक रहा था। थोड़ी देर बाद पंकज ने भी नीचे से धक्के मारने शुरू कर दिए.
बुर के वाली, बुर का हटाना, बुर को दिखाना,... चोदुँगा बुर तेरी प्यार से,
जिस पंकज के यह कह के चिढ़ाने पर हिना गुस्सा हो गयी थी, अब खुद अपनी बुर पंकज के लंड पर रख एक चोद रही थी
लेकिन मेरी और रेनू की निगाह सिर्फ एक जगह थीं, चिड़िया की आँख पर।
दोनों कसर मसर करते लौंडा मार्का हिना के चूतड़ों पर और उनके बीच की एकदम कसी दरार पर।
कमल का खूंटा एकदम फनफनाया, मैंने कमल और रेनू दोनों को हिना का पिछवाड़ा दिखा के इशारा किया, कमल के पहले रेनू समझ गयी,...
" अरे भैया एकदम कोरा पिछवाड़ा, अगवाड़ा तुमने फाड़ा तो पिछवाड़ा कौन फाड़ेगा,... मार लो गांड हिना रानी की, ... अगर आज तुमने इसकी गांड मार ली तो तेरी ये बहन रोज बिना नागा देगी अपनी, पांच दिन की छुट्टी में भी,... दिखा दो स्साली को,... " रेनू बोली और खुद उसका खूंटा पकड़ के,
दोनों हाथ से हिना के चूतड़ पकड़ के रेनू ने फैलाया, मुंह में ढेर सारा थूक लेके बड़ा सा बबल बना के उस दरार पर थूक दिया, एक बार, दो बार ऊँगली से फैला भी दिया, कमल की निगाह भी उसी दरार पे टिकी थी, और रेनू ने अपने हाथ से भाई का खूंटा पकड़ के सटा दिया,...
" तेरी बहन की कसम मार दे पूरी ताकत से ऐसे फाड़ जैसे आज तक किसी की फाड़ी न हो, दिखा दो इसको मेरे भैया में कितनी ताकत है "
कमल का खूंटा एकदम फनफनाया, मैंने कमल और रेनू दोनों को हिना का पिछवाड़ा दिखा के इशारा किया, कमल के पहले रेनू समझ गयी,...
" अरे भैया एकदम कोरा पिछवाड़ा, अगवाड़ा तुमने फाड़ा तो पिछवाड़ा कौन फाड़ेगा,... मार लो गांड हिना रानी की, ... अगर आज तुमने इसकी गांड मार ली तो तेरी ये बहन रोज बिना नागा देगी अपनी, पांच दिन की छुट्टी में भी,... दिखा दो स्साली को,... "
रेनू बोली और खुद उसका खूंटा पकड़ के,
दोनों हाथ से हिना के चूतड़ पकड़ के रेनू ने फैलाया, मुंह में ढेर सारा थूक लेके बड़ा सा बबल बना के उस दरार पर थूक दिया, एक बार, दो बार ऊँगली से फैला भी दिया, कमल की निगाह भी उसी दरार पे टिकी थी,
और रेनू ने अपने हाथ से भाई का खूंटा पकड़ के सटा दिया,...
" तेरी बहन की कसम मार दे पूरी ताकत से ऐसे फाड़ जैसे आज तक किसी की फाड़ी न हो, दिखा दो इसको मेरे भैया में कितनी ताकत है "
दोनों चूतड़ पकड़ के जो कमल ने ठेला तो हिना की चीख बाइसो पुरवा में सुनाई दी होगी, पर ननदों की चीख से बढ़िया म्यूजिक भाभी के लिए क्या होगी
और सब भौजी लोग कमल के पीछे,...
हाँ देवर फाड़ दो अरे आज फाड् दिया तो हम सबकी ननद तोहरे नाम,... कमल में ताकत की कमी तो थी नहीं,...
ऊपर से रेनू उसके पीछे अब खुल के अपने उभार उसकी पीठ से रगड़ रही थी, ऊँगली से खूंटे के बेस पर आठ दस धक्के लगातार, एक बार जब गांड का छल्ला पार हो गया तो वो रुक गया, आधा खूंटा बाहर था,...
थोड़ी देर तक वो और पंकज दोनों रुके रहे, फिर नीचे से पंकज ने पेलना शुरू किया और ऊपर कमल रुक गया।
दोनों बारी बारी से, ... और अब जब दोनों के मूसल जड़ तक अंदर थे तो गुलबिया बोली, अरे एक छेद तो बाकी है,...
चुन्नू वहीँ खड़ा था बेला के साथ,... और बेला ने गुलबिया को लहकाया, अरे भौजी देवर तो तोहार बगल में ही हैं
बस चुन्नू का हिना के मुंह में
लेकिन मैं सिर्फ कमल को देख रही थी
जिस तरह से वो हिना की गाँड़ मार रहा था, कभी आराम आराम से कभी रगड़ रगड़ के बेरहमी से जैसे अंदर की चमड़ी छील भी जाए तो उसे परवाह नहीं, उस का काम सिर्फ ठेलना है। जड़ तक ठेलने के बाद कुछ देर बस उसे घुसेड़े पड़ा रहता जिससे हिना की गाँड़ अच्छी तरह फैली रहे, उसे मोटे लंड का मजा भी मिले आदत भी पड़ जाए, और उतनी देर में नीचे से पंकज चोद चोद के हिना की बुर के चीथड़े उडाता, क्या कोई धुनिया रुई धुनेगा।
और जब नीचे के धक्के हलके होते ही कमल बहुत आराम आराम से अपना बित्ते भर का मूसल बाहर निकाल के फिर दोनों हाथों से हिना के लौंडा छाप चूतड़ पकड़ के हचक के पेलता, एक धक्के में ही गांड का छल्ला पार।
हिना दर्द से दुहरी हो रही थी, लेकिन चिल्ला भी नहीं पा रही थी। मुंह में तो चुन्नू ने अपनी डाट लगा रखी थी, हलक तक।
ऊपर से सबसे ज्यादा जुलुम रेनू ढा रही थी, कभी वो और गुलबिया, हिना के निपल्स को पकड़ के रगड़ देती तो कभी क्लिट मसल देती और रेनू कहती,
" अब गाँव में स्कूल में पर्दा वरदा सब बंद,... बोल "
बोलती कैसे मुंह में तो चुन्नू की डाट लगी थी। लेकिन सर हिला के हाँ करती, रेनू ने क्या क्या नहीं हिना से हामी भरवाई,... और जरा सी देर हुयी तो वो बस इशारा करती, कमल भैया।
बस इतना काफी था, कमल अपनी कमर के पूरे जोर से ऐसा धक्का मारता हिना की गांड में की अगर वो गांड नहीं चार बच्चो की माँ का भोसंडा भी चोदता तो उसकी चूल चूल ढीली हो जाती .
जो लड़कियां कल तक कमल को चिढ़ाती थीं, उसे देने के बारे में सोचती भी नहीं थी वो आज इस मोटे मूसल को देख के उसकी करामात देख के ललचा रही थीं। हिना तो उन सबमें कच्ची थी लेकिन अभी कमल ने उसकी झिल्ली फाड़ी, चूत से खून बहाया, और अब ऐसे जबरदस्त तरीके से गाँड़ मार रहा है, ... सोच रही थीं हम फालतू में डरते थे, मजा तो इसी में हैं, अब तो रेनू से दोस्ती करने में भलाई है। वो चाहेगी तभी ये मूसल मिलेगा।
रज्जो भाभी ने एक कच्ची उम्र की ननद से कहा, " देख ये सैयदानी को, पठान टोला वाली को कैसे मस्ती से गाँड़ मरवा रही है।
" लेकिन भौजी हिना को दर्द भी बहुत हो रहा है " वो नासमझ बोली।
" अरे ननद रानी , जब बच्चा बियाओगी तो इससे १०० गुना ज्यादा दर्द होगा, बच्चे की साइज देखो, लंड की साइज देखो, तो का बच्चा न बियाओगी, गाभिन न होगी। "
सुगना भौजी क्यों मौका छोड़ देतीं। छेड़ते हुए उन्होंने समझाया।
चमेलिया और रेनू के साथ एक दो और ननद भौजाइयां अब हिना की रगड़ाई कर रही थीं , कस के गैंग बैंग हो रहा था।
बीस मिनट के बाद एक एक करके तीनो ने हर छेद में अपना पानी छोड़ा,... थोड़ी देर तक सब चिपके रहे फिर धीरे धीरे अलग हुए,...
कमल के पास जाके मैं बोली,
" देवर जी अब तो नेग बनता है आज डबल धमाका हुआ,... एक तो बचपन का प्यार एकदम कुंवारा अगवाड़ा पिछवाड़ा, फिर एक कच्ची कली का भी अगवाड़ा भी फाड़ा पिछवाड़ा भी,... और वो कुल लड़कियों, भौजाइयों के सामने,... "
" एकदम भौजी जो कहिए " वो मुस्करा के बोला,
" बस और कुछ नहीं अब मेरी इस ननदिया के साथ नागा नहीं होना चाहिए, एकदम रखैल बना के रखो, अगवाड़ा पिछवाड़ा दोनों,... " मैंने मन की बात कह दी।
रेनू कम्मो और बाकी भाभियों के साथ मिल के हिना को सप्पोर्ट दे के उठा रही थी,... लेकिन उठने के बाद हिना ने सबसे पहले रेनू को गले लगाया फिर कम्मो को, दोनों के भाइयों ने उसकी रगड़ाई की थी, फिर सब भाभियों से भी अँकवार भर के मिली
कहते हैं आसमान से गिरे ताड़ पे अटके, बस यही हाल हिना की भी हुयी, गाँव के लौंडो से किसी तरह चुद चुद के छूटी तो भौजाइयों ने धर दबोचा, और उनमे सबसे आगे थीं चमेलिया, गुलबिया और सुगना भाभी।
चमेलिया का तो बाईसपुरवा में हर जगह आना जाना था, पठानटोला में भी, वही सबसे ज्यादा छेड़ रही थी,...
" बुरका हटा तो बुर का मजा मिला न, ननद रानी। अरे अभी तो शुरुआत है, दर्जनो लौंडे बचे हैं चढ़ने को "
लेकिन सुगना भाभी एकदम हिना का साथ दे रही थीं,... बोली
" काहें डरा रही हो हमरी पठान टोला वाली सैयदायिन को,... अरे कमल ऐसा सांड को जो अगवाड़े पिछवाड़े हँसते हँसते घोंट लिया, एक साथ तीन लौंडो का तीनों छेद में घोंटा है तो काहें डरेगी। अरे ये भी समझ गयी है, मजा बुरका में नहीं बुर का मजा लेने में है. अब देखना दोनों जोबना तान के चलेगी, बिना ढक्कन लगाए, ... देख के सब लौंडों का टाइट होगा, काहें बिन्नो।"
हिना ने मुस्करा के हामी भरी।
" अच्छा तोहार बुर तो कमलवा और पंकजवा दोनों क मलाई घोंट चुकी है, केतना बार झड़ के थेथर हो चुकी हो तो तनी हमरे बुर क भी झाड़ दो "
और जब तक हिना कुछ समझे,... साड़ी उठा के चमेलिया ने अपनी बुर सीधे हिना के मुंह पे सटा दी,... आज तक हिना ने किसी की बुर न चूसी थी न चाटी थी, अपनी बुर तक में उसने ऊँगली ही नहीं की थी, लेकिन अब चाटने के सिवाय चारा ही क्या था।
" अरे बस हलके हलके होंठ से चूस ले, मान जाएगी " सुगना भाभी प्यार से हिना को समझा रही थी, और गुलबिया हड़का रही थी हिना को,
" हे जल्दी से चूसना शुरू कर, ओकरे बाद हमहुँ चुसवाईब,... नहीं तो हाथ देख रही हो, कोहनी तक तोहरे गाँड़ में अबहियें ठेलूँगी,... चूतड़ चाकर कय के चार दिन टहलबू, पहले गांड मारब मुट्ठी से फिर पाँव भर मिर्चा क अचार क तेल चुआईब, गंडिया में "
बेचारी हिना कस के, चूस चूस के चमेलिया की बुर का रस निकालने के चक्कर, सब नाउन कहारिन मुंह बंद कर के हंसने लगी , ये सैयदाइन इतना नखड़ा पेलती थीं, खटिया के नीचे रखा पानी उठाने में हुकुम चलता था और अब खुदे उन्ही के यहाँ की,...
चमेलिया मार खुस, जोर जोर से गरियाती हिना का सर पकड़ के अपनी बुर उसके मुंह में रगड़ रही थी,
" खोल मुंह छिनार, निकार जीभ आपन बाहर, अरे जैसे रेनू क भैया का मोटका खूंटा अपनी गांडिया में घोंटी थी वैसे पेल जीभ आपन, .. जल्दी नहीं तो बुर क स्वाद नहीं तो मूत,... "
उसके आगे की बात सब भौजाइयों के ठहाके में डूब गयी,... और हिना ने अपनी जीभ चमेलिया की बुर में घुसेड़ दिया, एक नया स्वाद मिल रहा था,... गोल गोल घुमा रही थी, जैसे जैसे कान में सुगना भाभी सीखा रही थीं ठीक वैसे ही।
चमेलिया को बड़ा मजा आ रहा था हिनवा से बुर चुसवा के,... जो नखड़ा पेलती थी, ऐसा तम्बू कनात में ढंक छुपा के, अब सब कमल ने पेल दिया उसकी गाँड़ में, ये शेखजादी याद रखेगी, ... अब हरदम के लिए सुधर जाएगी, पक्की बुर चट्टो बनाना है इसे। पूरी ताकत से हिना के मुंह में अपनी बुर पेल रही थी.
सुगना भाभी ने जैसे समझाया था वैसे ही हिना कर रही थी और अब उसे भी थोड़ा थोड़ा मजा मिलने लगा था, बुर चाटने में भौजाइयों की गाली भी,... उसके टोले में लड़के ही नहीं थे तो कहाँ से भाभीया होतीं, और जो थोड़ी बहुत काम वाली और वो सब तो उन्हें तो वो,...
गुलबिया ने पीछे से दोनों कच्चे टिकोरे पकड़ लिए थे और कस के दबा रही थी, और चिढ़ा भी रही थी,
" अरे जवानी में जोबन रगड़वाने, दबवाने के लिए ही आते हैं और तो सात सात परदे में बंद रखती थी, बेचारे लौंडे देखने के लिए ललचाते रहते थे, देख जल्दी ही मिजवा के छोटी अमिया हो जायेगी, और जल्दी जल्दी चूस चमेलिया को, झाड़ उसको, ओकरे बाद हमहुँ चुसवाईब,... सोच लो चूस चूस के झाड़ोगी, नहीं तो पेलू मुट्ठी तोहरे गाँड़ में, ...
सुगना हिना की और से बोली, गुलबिया को हड़काते, उसकी तो देवरानी ही लगती थी,...
" अरे चूस तो रही है न, अभी देखना चमेलिया को झाड़ के थेथर कर देगी, तुम भी चुसवा लेना। आज से किसी को नहीं मना करेगी, न भौजाई को न हम सबन के देवर को, देखा नहीं, आज ही फटी है, एक साथ तीन तीन लंड घोंट रही थी अभी । नम्बरी चुदवासी है ये. कमल से इतना सब घबड़ाती थी, ये लौंडिया ओहि से बुर फड़वायी, ओहि से गाँड़। डरवाओ मत जबरदस्ती, आज खुद चल के आयी अपने टोले से,... "
और सुगना भाभी ने प्यार से हिना के कान में कुछ और ट्रिक सिखाई और हिना ने चूसने की रफ्तार बढ़ा दी, साथ में अपनी ऊँगली भी चमेलिया की क्लिट पर
कुछ देर में ही चमेलिया झड़ने लगी, लेकिन हिना की बचत नहीं थी।
चमेलिया तो खड़े खड़े चुसवा रही थी, लेकिन गुलबिया ने हल्का सा धक्का दिया,... और हिना बगीचे में जमीन पर और गुलबिया उसके ऊपर दोनों जाँघे अपनी फैलाये अपनी बुर हिना के मुंह पे रगड़ती, गुलबिया के दोनों हाथ हिना के छोटे छोटे जोबन पे,...
कुछ देर में ही चमेलिया झड़ने लगी, लेकिन हिना की बचत नहीं थी।
चमेलिया तो खड़े खड़े चुसवा रही थी, लेकिन गुलबिया ने हल्का सा धक्का दिया,... और हिना बगीचे में जमीन पर और गुलबिया उसके ऊपर दोनों जाँघे अपनी फैलाये अपनी बुर हिना के मुंह पे रगड़ती,
गुलबिया के दोनों हाथ हिना के छोटे छोटे जोबन पे,...
गुलबिया बीच बीच में हिना को अगवाड़े के साथ पिछवाड़े का भी स्वाद चखा देती थी।
जब तक हिना ने चूस के गुलबिया को झाड़ा, बाकी लड़के लड़कियां एक बार फिर आपस में, कोई निहुरी थी,
कोई खड़े खड़े ही किसी यार का घोंट रही थी
हिना बैठ के देख रही थी, हालत उसकी अभी भी खराब थी, एक ओर सुगना दूसरी ओर गुलबिया, .. सुगना उसे हलके हलके प्यार से समझा रही थीं
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सुगना क जोबन जैसे गुड़ क डली, कोई नयी बियाही साल दो साल पहले गौने से उतरी, और जेकर मरद चार पांच महीने बाद चला गया हो,... अभिन लड़कोर न हो, जोबन चोली में टनाटन कसमसात हों, और वो जो जुबना उभार के छोट छोट चोली में,... तो का होगा जैसे गुड पे चींटे लगते हैं उसी तरह,... लेकिन सुगना जानती थी ये चोली के अंदर वाली दोनों गुड़ की डली गाँव क लौंडन क ललचाने के लिए तो ठीक हैं, लेकिन उसके आगे ज्यादा नहीं,.. हाँ देह उसकी गुड़ की जलेबी की तरह मीठी रसीली, भारी भारी कूल्हे और चोली फाड़ते जोबना क देख के , और ये जानते हुए की इन्हे दबाने मीसने वाला साल डेढ़ साल से बाहर है, कब आएगा, पता नहीं,... ऊपर से घर में टोकने वाली न सास न जेठान, आग लगाने वाली न कोई छोट ननद न बड़ी, और घर में सेंध लगाने वाला देवर भी नहीं
सुगना का,...
सब लौंडो का पजामा टाइट रहता है. का पता भौजी कब केकरे आगे लहंगा पसार दें,.
लेकिन मस्त जोबन, चटक चांदनी की तरह रूप के साथ सुगना की मिठास शहद ऐसी बोली में थी, ... और जो उससे चिपक गया, चाहे लड़का या लड़की वो छूट नहीं सकता था।
हिना अभी उसी शहद में चिपक गयी थी।
जो बुर्के में अपना चेहरा गोरे चिकने गाल छिपाये रहते थी, और उस बुर्के के अंदर भी तीन तह का दुपट्टा ओढ़ती थी, जोबन की झलक भी न लगे किसी को,...
आज उसे ,... जिसके आगे बियाही भी नाड़ा नहीं खोलती थी, उसी कमल ने कैसे बेरहमी से फाड़ी, कितना खून खच्चर हुआ, अभी तक जाँघे सटा नहीं पा रही है,
... और उसके बाद पंकजवा जिससे वो सीधे मुंह बात नहीं करती थी, उसकी सहेली का भाई हो तो हो, वो भी,... और साथ में रेनू का भाई पिछवाड़े, ...
चूतड़ धर के बगिया में बैठी है तो रह रह के चिल्ख उठ रही है जैसे वो बहनचोद क लंड अभी भी गांड में घुसा हो, जरा सा हिलती है तो अंदर तक छिल गया है, ऐसा दर्द होता है, लेकिन हिना सुगना भौजी की मीठी बातों में सब भुला बैठी थी, बस एक परेशानी अभी भी थी,...
सुगना ने कह सुन के हिना के कपडे वापस करवा दिए थे वापस वो शलवार कुर्ते में, ... और सुगना भौजी भी तो खैर खाली साड़ी में अपनी साड़ी ऊपर कर के जोबन के दोनों खिलौना ढंक ली लेकिन सुगना एक हाथ हिना के कंधे पे रखे हुए, उसे अपनी ओर खींचे हुए, ... हलके से हाथ थोड़ा नीचे ले जाके हिना के टॉप से उसकी कच्ची अमिया दबाते बोली,...
" काहो ननद रानी मजा आया, झूठ मत बोलना बड़ी जोर से काला कौवा काटेगा, ठीक यहीं " कह के सुगना ने हिना के निप्स पे कस के चिकोटी काट ली, ..
" ओफ़्फ़्फ़ भौजी " हिना चीखी, लेकिन नौटंकी ज्यादा थीं, दर्द कम। सुगना को भी ये मालूम था की कुँवारी ननदें तो भाभियो के इन्तजार में रहती है, भाभी कब छेड़ें, नाप जोख करें, जोबना का हाल चाल पूछें,...
सुगना क जोबन जैसे गुड़ क डली, कोई नयी बियाही साल दो साल पहले गौने से उतरी, और जेकर मरद चार पांच महीने बाद चला गया हो,... अभिन लड़कोर न हो, जोबन चोली में टनाटन कसमसात हों, और वो जो जुबना उभार के छोट छोट चोली में,... तो का होगा जैसे गुड पे चींटे लगते हैं उसी तरह,... लेकिन सुगना जानती थी ये चोली के अंदर वाली दोनों गुड़ की डली गाँव क लौंडन क ललचाने के लिए तो ठीक हैं, लेकिन उसके आगे ज्यादा नहीं,.. हाँ देह उसकी गुड़ की जलेबी की तरह मीठी रसीली, भारी भारी कूल्हे और चोली फाड़ते जोबना क देख के , और ये जानते हुए की इन्हे दबाने मीसने वाला साल डेढ़ साल से बाहर है, कब आएगा, पता नहीं,...
सुगना ने कह सुन के हिना के कपडे वापस करवा दिए थे वापस वो शलवार कुर्ते में, ...
और सुगना भौजी भी तो खैर खाली साड़ी में अपनी साड़ी ऊपर कर के जोबन के दोनों खिलौना ढंक ली लेकिन सुगना एक हाथ हिना के कंधे पे रखे हुए, उसे अपनी ओर खींचे हुए, ... हलके से हाथ थोड़ा नीचे ले जाके हिना के टॉप से उसकी कच्ची अमिया दबाते बोली,...
" काहो ननद रानी मजा आया, झूठ मत बोलना बड़ी जोर से काला कौवा काटेगा, ठीक यहीं " कह के सुगना ने हिना के निप्स पे कस के चिकोटी काट ली, ..
" ओफ़्फ़्फ़ भौजी "
हिना चीखी, लेकिन नौटंकी ज्यादा थीं, दर्द कम। सुगना को भी ये मालूम था की कुँवारी ननदें तो भाभियो के इन्तजार में रहती है, भाभी कब छेड़ें, नाप जोख करें, जोबना का हाल चाल पूछें,...
निप्स को उसी तरह से पुल करते हुए सुगना ने चिढ़ाया, ...
" सच बोल, मजा आया की नहीं लंड घोंटने में नहीं तो कौवा बाद में काटेगा मैं पहले काट लूंगी। और वो पंकजवा, कमलवा के गाल काटे क निशान तो दो चार दिन में मि जाएगा लेकिन सुगना भौजी क काटल हफ्ता महीना भर, ... और सीधे तोहार गोर गोर मक्खन अस गाल काटूंगी, बोल मजा आया की नहीं घोंटने में,... हमर कसम."
हिना खिलखिला के हंसी जैसे चांदी के पायल के हजार घुंघरू एक साथ छनछना उठे हो,... फिर मुंह बना के, भौजी की गोदी में छोटी बच्ची की तरह सर छुपा के बोली,...
" भौजी, दर्द बहुत हुआ, अभी तक चिल्ख रहा है "
हिना का सर सहलाते सुगना ने कान में पूछा, " ससुरी, दर्द तो होबे करता है,... इसका मतलब मजा मिला,... बोल न " और कस के गुदगुदी लगा दी।
हिना फिर से खिलखिलाने लगी, लेकिन सर सुगना की गोद में छिपाये बोलने लगी, ... " भौजी, आपन कसम जिन धरावा,... और चाहे जेकर कसम खीया दा "
अंदर से हाथ डाल के हिना के कच्चे टिकोरे, जिसे थोड़ी देर पहले कमल और पंकज दोनों ने कस के मसला रगड़ा था, उसे मीजते हुए, सुगना ने पूछा, ...
" काहें आपन कसम काहें न धराई ,... "
हिना उछल के बैठ गयी, और अपना हाथ सुगना के कंधे पर रख के बोली, " यह लिए हमार भौजी की तोहार कसम खाब तो सच बोले के पड़ी। "
" तो मतलब की मजा आया,... है न बदमाश,... अरे यह गाँव क मूसल क मजा लेने हम आपन बाप महतारी छोड़ यह गाँव में आये, और तू छिनार एही गाँव में रह के,... गाँव के अंदर ही अइसन मोट मोट मूसल घोंटू। अभी भी आधा दर्जन से ऊपर देख तोहरी ओर देख के मुठिया रहे हैं."
" अरे भौजी, आप एकदम सही कीं, बाइस पुरवा के ख़ास कर यह गाँव क मरद मशहूर हैं, ... हमरे बाइस पुरवा क जवाब नहीं "
अब वह एकदम से असली ननद, अपने गाँव की तारीफ़ करने वाली गाँव की लड़की बन गयी।
और फिर सुगना के कंधे पर हाथ रख के हिना ने अपना डर उगल दिया, एकदम पक्की सहेली की तरह, राजदार।
" भौजी लेकिन बस एक डर लग रहा है बड़ी जोर से "
सुगना यही तो चाहती थी, हिना अपने मन की सब बात कह दे और एक बार हिना उसकी शहद ऐसी बातों में फंस गयी न वो. बस इसी हिनवा के सहारे, सब पठान टोला वालियों को,... दर्जन भर से ऊपर ही होंगी, एक से एक गोरी खूबसूरत, चिकनी माल है,... लेकिन सात पर्दें,... एक फंसी तो सब फंसी,... इसलिए हिनवा को पटाना बहुत जरूरी था।
" बोल न, भौजी लोग काहें को होती हैं, सच में केहू क पता न चली,... अब तो हम तुम सहेली "
हिना के चेहरे पर डर दिख रहा था, मजा लेते समय तो हर लड़की टांग फैला देती है लेकिन बाद में डर लगता है, बदनामी का डर, सब को मालूम हो गया तो लोग का कहेंगे,... वाला डर
सुगना अब कभी हिना के बाल सहलाती कभी हलके से चूम लेती, वो जानती थी हिना खुलेगी, और एक बार खुल गयी तो एक एक पठानटोली वाले माल का हाल मालूम होके रहेगी,
" अरे वही शबनम, ससुरी खुद तो कोई घास डालता नहीं, यहाँ वहां आग लगाती है, ... अगर उसको मालूम हो गया न तो कहाँ की बात कहाँ,... माई चाची क कौन डर नहीं हमें, वहीँ शबनम साली, हमसे पूरे दो साल बड़ी है और अभी भी,... "
सुगना यही तो चाहती थी, हिना अपने मन की सब बात कह दे और एक बार हिना उसकी शहद ऐसी बातों में फंस गयी न वो. बस इसी हिनवा के सहारे, सब पठान टोला वालियों को,... दर्जन भर से ऊपर ही होंगी, एक से एक गोरी खूबसूरत, चिकनी माल है,... लेकिन सात पर्दें,... एक फंसी तो सब फंसी,... इसलिए हिनवा को पटाना बहुत जरूरी था।
" बोल न, भौजी लोग काहें को होती हैं, सच में केहू क पता न चली,... अब तो हम तुम सहेली "
हिना के चेहरे पर डर दिख रहा था, मजा लेते समय तो हर लड़की टांग फैला देती है लेकिन बाद में डर लगता है, बदनामी का डर, सब को मालूम हो गया तो लोग का कहेंगे,... वाला डर
सुगना अब कभी हिना के बाल सहलाती कभी हलके से चूम लेती, वो जानती थी हिना खुलेगी, और एक बार खुल गयी तो एक एक पठानटोली वाले माल का हाल मालूम होके रहेगी,
" अरे वही शबनम, ससुरी खुद तो कोई घास डालता नहीं, यहाँ वहां आग लगाती है, ... अगर उसको मालूम हो गया न तो कहाँ की बात कहाँ,... माई चाची क कौन डर नहीं हमें, वहीँ शबनम साली, हमसे पूरे दो साल बड़ी है और अभी भी,... "
हिना बस सुबक के रो नहीं रही थी,... एकदम घबड़ाई,
और अब मोर्चा गुलबिया ने सम्हाल लिया। नाउन कहाईन से किसी का पेट छिपता नहीं। पठान टोले में भी तो सब रसम रिवाज़ सादी बियाह, परजा पौनी तो यही भरौटी, कहरौटी, पांच घर नाऊ के यही सम्हालते थे। पठान टोले की हो या कही भी गौने में दुल्हन उतरती थी, ... नाउन अगले दिन महावर लगाने के बहाने झांक लेती थी, अंदर सफेदा लगा है की बजबजा रहा है की एकदम सूखा। बिन बोले रात क हाल चाल पता चल जाता था। गुलबिया ठुड्डी पकड़ के हिना का सर अपनी ओर के पूछी,
" सबनमीया, उहे शबीहा क बहिनिया का "
" हाँ उहे, शब्बीर चाचा क मंझलकी बिटिया, हमसे साल भर से ज्यादा बड़ी है पक्की कमीनी, बहुत जलती है मुझसे, छुटकी तम्मना तो हमसे भी छह महीने छोट है. "
हिना ने पूरा राशन कार्ड पढ़ दिया।
" ओकर चिंता मत करा, वो सबीहा, उ तो भरौटी वाले रमुआ हरवाह से फंसी है, दो साल से खेत जुतवा रही है आपन " गुलबीया ने राज खोला।
ये बात सुगना को भी मालूम थी लेकिन उन्होंने गुलबिया को अभी मैदान सम्हालने का काम सौंपा, हिना की हिम्मत कुछ बढ़ी गुलबिया से मुस्करा के बोली
" रमुआ वाला किस्सा तो हम को भी मालूम है, देखे नहीं कभी लेकिन,... और यही लिए शबनमीया और छनछनाई रहती है। "
" अरे वो ससुरी लंड के लिए छनछनाई रहती है, बस दो दिन,... रमुआ को बोल दूंगी, अभी जो रोज बिना नागा सबीहा को खुराक खिलाता है तो दो तीन दिन उपवास करा दे, जब बड़की बहिनिया के बुरिया में आग लगेगी न तो बोलेगा की सबनमीया को भी ले आओ "
सुगना अब मैदान में आ गयीं, गुलबिया वैसे भी उनकी तो देवरान ही लगती थी, उनके बाद गौने उतरी थी। गुलबिया, से बोली, ...
" देख यार दो दिन में तो बहुत देर हो जायेगी,आज ही सांझ को रमुआ से बोल दे, ... सबीहा को समझा दे की कल भोर भिनसार गन्ने के खेत में. अपनी वही सबनमीया के साथ आ जाए,... लेकिन सबनमीया क वो नहीं फाड़ेगा,... हमरे गाँव क दू लौंडा तगड़े,... और जब वो चुद रही होगी न चूतड़ उछाल के,... तब तू और हिना दोनों, ..."
" चलो ननद वो भी तोहरे अस ननद क बात हम कैसे टालेंगे, " सुगना ने और शहद टपकाया लेकिन एक तीर और चलाया,
" उसकी एक और छोटी बहन तमन्ना कही वो उधरायी तो, उसको भी लंड खिला दो "
" अरे भौजी अभिन हमसे भी छोटी है पूरे छह महीना " हिना ने ना में सर हिलाया, लेकिन गुलबिया के पास असली हिसाब था,
" अरे कउनो छोट ना है कच्चे कच्चे टिकोरे है कुतरने लायक, यह गाँव क लौंडो क हाथ पड़ेगा तो कच्ची अमिया हो जायेँगे,... हम खुदे देखे थे, ... दो महीना पहले, झांट मुलायम मुलायम निकल रही है, फिर दो महीने पहले तो ओकर महतारी बतासा बांटी थी की ओकर खून खच्चर चालू हो गया है। "
गुलबिया के बात के बाद अब तमन्ना की भी लिख दी गयी गाँव की मोटी कलम से.
सुगना के थोड़ा उकसाने के बाद हिना ने पूरा सजरा बता दिया। उसके एक रहमान ताऊ हैं लेकिन चार साल से कतर में हैं उनकी तीन बेटियां,
रुखसाना हिना से दो साल बड़ी, जीनत हिना से साल भर बड़ी, और आयशा सब से छोटी वो तमन्ना के ही बराबर।
और सैयद का एक घर और है, वहां भी चार लड़किया हैं, ... दो हिना से बड़ी, कलसुम और फातिमा,... जैनब हिना के बराबर ही है और एक हिना से छोटी नूर।
लेकिन गुलबिया ऐसे थोड़ी छोड़ती, ... किस के टिकोरे कैसे हैं, किस की कच्ची अमिया,... हँसते खिलखिलाती हिना ने सब उगल दिया।
और उसमें थोड़ा असर जो उसकी सहेली लीना ने डबल डोज भांग वाली ठंढाई अभी दुबारा दी थी उसका भी था।
सैय्यद के अलावा भी दस बारह घर और थे, ... लड़के कही नहीं और लड़कियां तीन चार से कम नहीं।
सुगना भाभी सोच रही थी दर्जन भर माल होंगे लेकिन दो दर्जन से कम नहीं थे, और दो चार को छोड़ के सब बिन चुदी। लेकिन कहीं ससुरी गाभिन हो गयीं
सुगना के थोड़ा उकसाने के बाद हिना ने पूरा सजरा बता दिया। उसके एक रहमान ताऊ हैं लेकिन चार से कतर में हैं उनकी तीन बेटियां, रुखसाना हिना से दो साल बड़ी, जीनत हिना से साल भर बड़ी, और आयशा सब से छोटी वो तमन्ना के ही बराबर। और सैयद का एक घर और है, वहां भी चार लड़किया हैं, ... दो हिना से बड़ी, कलसुम और फातिमा,... जैनब हिना के बराबर ही है और एक हिना से छोटी नूर।
लेकिन गुलबिया ऐसे थोड़ी छोड़ती, ... किस के टिकोरे कैसे हैं, किस की कच्ची अमिया,... हँसते खिलखिलाती हिना ने सब उगल दिया।
और उसमें थोड़ा असर जो उसकी सहेली लीना ने डबल डोज भांग वाली ठंढाई अभी दुबारा दी थी उसका भी था।
सैय्यद के अलावा भी दस बारह घर और थे, ... लड़के कही नहीं और लड़कियां तीन चार से कम नहीं।
सुगना भाभी सोच रही थी दर्जन भर माल होंगे लेकिन दो दर्जन से कम नहीं थे, और दो चार को छोड़ के सब बिन चुदी। लेकिन कहीं ससुरी गाभिन हो गयीं
और उन्होंने गुलाबिया को इशारा किया, हिना को भी समझाया।
तय हो गया की आसा बहु को तो सब पहचानते हैं तो उनका तो मुश्किल होगा लकिन उनकी जो सहेली आयी थी, वो पठान टोले में बोलेगी की सब लड़कियों को जो गौने नहीं गयीं है और जिनकी माहवारी शुरू हो गयी है , एक बिमारी फ़ैल रही है उससे बचाने के लिए एक सुई सरकार की ओर से फ्री में लगेगी, बस सब लड़कियाँ को वो वही अंतरा वाली सूई, ... तीन महीने तक गचागच मोटी सूई घोंटें कोई खतरा नहीं, उसके बाद तो खुद ही जा के सब लगवाएंगी।
दूसरी बात सरकार की और से हुकुम है की चौदह साल तक पढ़ाई कम्पलसरी, तो चौदह साल वाली सब,.. और उसके ऊपर वाली जो स्कूल नहीं गयी हैं वो अब से स्कूल जाना शुरू करें ,...
आधी तो घर में ही थोड़ा बहुत पढ़ लेती थीं,... तो एक बार स्कूल जाना शुरू हुआ, उसी बहाने निकलना शुरू हुआ,...
और हिना भी सोच रही थी जब गाँव की बाकी लड़कियां भी उसी तरह से तो किस बात का लाज सरम, उसकी सब स्कूल की सहेलियां खुल के मजे ले रही हैं तो वो काहें को पीछे रहे।
धीरे धीरे एक बार फिर हिना का टॉप खुल गया था और सुगना भौजी की उँगलियाँ उसके कबूतरों के पंख सहला रही थीं. सुगना भौजी ने खुद अपनी साड़ी नीचे सरका के अपने अपने जोबन पर हिना का हाथ रख दिया और हिना अब हलके हलके भौजी क जुबना दबा रही थी।
हिना का नाड़ा सुगना ने खोल दिया था और शलवार सरक कर घुटने तक, सुगना भौजी की उँगलियाँ कच्ची ननद की, कच्ची पंखुड़ियों तक, बस हलके हलके सहला रही थीं
ननद भाभी सामने हो रहा खेल तमासा देख रही थीं।
मस्ती चालू थी, कुछ जिन की पहली बात फटी थी, बारी उमरिया वाली हिना की समौरिया, उन के भी सगे भाइयों ने कम से कम दो बारी अपनी बहिनिया का बाजा बजा दिया था, .... उनमे से कुछ बाग़ में टाँगे फैलाएं बैठीं, झिल्ली फटने के खून के निशान, भाई की बुर से बहती छलकती मलाई, जांघो पर मलाई के थक्के,...
थोड़ी थकी, थोड़ी अभी भी लजाती भौजाइयों से घिरी बैठीं थीं और भौजाइयां उन्हें चिढ़ा रही थीं, छेड़ रही थीं, कुछ ननद की बिल में से उसके भाई की मलाई निकाल के उसे चखा रही थीं, " खा लो फिर से ताकत हो जायेगी "
कुछ बहने अपने भाइयों से चिपकी, बैठीं थीं, क्या कोई प्रेमी प्रेमिका होंगे, एक पल के लिए छोड़ने को तैयार नहीं जिसमे रेनू, कमल, बेला और चुन्नू थे।
कमल अब तक चार बार झड़ चुका था, दो बार अपनी बहिनिया रेनू के अगवाड़े, पिछवाड़े, और दो बार हिना के अगवाड़े पिछवाड़े। कमल ने हिना को देखा और हिना शर्मा गयी, आँखे झुका ली। लेकिन रेनू के निगाह से ये कैसे बचता। कमल का थोड़ा सोया थोड़ा जागा खूंटा पकड़ के रेनू ने हिना को ललचाया चिढ़ाया, लेकिन अबकी हिना ने बजाय शर्माने के मुंह खोल के इशारा किया की वो गप्प कर लेगी।
लेकिन ज्यादातर लड़कियां अभी भी जोश में थीं और कुछ निहुरे, कुछ लेटे मजा ले रही थी। नीलू और चम्पा जो खूब खेली खायी थीं, एक आम के पेड़ के सहारे खड़े खड़े ही अपने यार का घोंट रही थीं।