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अमीरों के शहर से ऊंचा वक़ार रखता हूं,
गरीब होकर के भी दिल मालदार रखता हूं।
मिले जो वक्त तो कर्जें वफ़ा चुका देना,
जा तुझपे मैं अपनी उधार रखता हूँ।।
गरीब होकर के भी दिल मालदार रखता हूं।
मिले जो वक्त तो कर्जें वफ़ा चुका देना,
जा तुझपे मैं अपनी उधार रखता हूँ।।
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