वह अभी कुछ व्यक्तिगत समस्याओं से जूझ रही हैं, अपनी कहानी के थ्रेड पे उन्होंने लिखा भी है, हम सब की दुआ उनके साथ है और स्थिति सामने होते ही वह तुरंत वापस आएँगी और आपने एकदम सही कहा उनकी अनुपस्थिति का असर तो महसूस हो रहा है लेकिन उनकी मजबूरी भी है।shetan ji शायद अभी फुरसत नहीं पा सकी होंगी...
नहीं तो रंगीन चित्रों के साथ कमेंट्स की भी बौछार हो जाती...
If you have visited any book fair, there are many person who visits stalls but rarely speaks and comments.
Kindly see the dedicated readers who visits your thread for your style of writing.

नहीं मानेगा तो मनवाया जाएगासाला मानेगा कैसे नहीं...
साजन की सजनी ने और उसके साथ की भौजाइयों ने घर की पुरनकी भौजाई को नया और अंजाना सुख देने का ठान जो लिया है...
और यह भाग, सास बहू की निकटता को उनके रिश्तों के खुलेपन को और देह से जुडी या कोई और बात हो उसे भी बिना छिपाव के कहने के संबंध को भी दिखाता है। बहू सास से छुप छुप के नहीं बल्कि लौट के रस ले ले के सास को बता रही है और सास भी मजे ले के उसे बढ़ावा दे रही है। पहले की भी कई पोस्टों में सास और बहू के इस कहानी में निकटता के प्रंसंग आये हैं जो देह के साथ आपसी समझ और मन के भी हैंसास ये पूछ कर अपने दिनों को याद कर रही है...
और अपने अनुभव भी साझा कर रही है...
ताकि बहु बेटे को बता दे कि सास को क्या-क्या अच्छा लगता है...
नहीं नही।" पहली बार खूंटे पे चढ़ के चोदा था तो क्या एक बार में ही सब गुर सीख गयी थी का ? अरे चुद तो हर कोई जाती है गौने की रात, ... लेकिन असली खेल तो तब शुरू हो जाता है जब औरत खुद चढ़ के चोदना शुरू करती है, मर्द को मजे दे दे के, खुद मजे ले ले के चुदवाती है और उसको सीखने में टाइम लगता ही है.
ये पहली सीख जो सास ने बताई ..कि आगे कैसे करना है...
और चौदह आने सीखी है क्योंकि चुदवाना जो है...
और सिर्फ पश्चिम पट्टी की .. पूरब पट्टी की औरतों ने क्या गुनाह किया था...
" आपके लिए पंच गव्य लायी हूँ " मेरी बुर में मलाई बजबजा रही थी कुछ रोकने के बाद भी छलक के बुर की फांको पे चिपकी
ये तो सबसे अच्छा प्रसाद दिया सास को...
अरे कहाँ बेचारा कमल, उसकी बहन रेनू ने जो उसको मना कर दिया था तो गाँव की बाकी लड़कियों ने भी, और वो खाली घासवालियों के साथ" सबसे बाद में तो कमल का तो लेकिन सबसे पहले किसकी मलाई गपकी मेरी बहुरिया ने "
सास भी कमल का पहचानती हैं..
मतलब पहले से हीं स्वाद ले रखा था...
मतलब अब बिट्टू का चखने को तैयार
सास का मन रख दिया आपने..
अपने जमाने में सारे करम कर रखी होंगी...
एकदमचंदरवा ने तो नयकी भौजाई का अगवाड़ा-पिछ्वाडा सब चाँद लेखा कर दिया....
अरे कहाँ आया सांड, आखिरी की लाइने एक बार फिर से देखिये नबहुत दिन बाद जवान लौंडो की मलाई चखने का उन्हें मौका मिला था वो भी बहू की बुर से, ...
एकदमे एक्सपिरियंस होल्डर हैं सास भी...
नए-नए माल की जुगत लगाते रहती हैं...
इसमें नया खाली ये कि अपनी नयकी बहुरिया के बिल से...
आ गया.. सांड .. रात को सास का रतजगा कराने..
आगे का इन्तजार...
करे और बेकरार...
कोमल जी के कलम की धार..
सबसे शानदार...
लगाए बेड़ापार...
