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Thriller The cold night (वो सर्द रात) (completed)

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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Shandar jabardast update 👌 👌
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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despicable

त्वयि मे'नन्या विश्वरूपा
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वाह भाई क्या ग़ज़ब इमोशंस से भरपूर अपडेट दिया है आपने , आख़िरकार रोमेश क़त्ल करने के लिए मान ही गया

शंकर की शर्ते भी कमाल है करना भी है और बरी भी होना है। प्यार क्या क्या नहीं करवाएगा रोमेश से।

दुकान पर रोमेश की हरकते शायद उसकी कोर्ट केस मैं दलील जो होने वाली है उसी की योजना लग रही है।
वैशाली को काफ़ी बड़ी ज़िम्मेदारी दे गया रोमेश ।

किसी कहानी से अपने पाठको को जोड़ लेना एक लेखक के लिए बहुत अहम होता है मुझे वही फ़ीलिंग्स इस अपडेट के साथ बहुत अच्छे से महसूस हुई है ।

मेरा दिल कहता है सीमा इस पूरे प्रकरण से पाक साफ़ बाहर निकलेगी बाक़ी आपने क्या सोचा है वो अहम है
हम तो पाठक है लेखक जिस से अपनी लेखनी के दम पर प्यार करवाएगा कर लेंगे ।

ये अपडेट अपने आप मैं बहुत उम्दा है और कई आने वाले उच्च कोटि के अपडेट का आधार बनेगा ।
बहुत ही अच्छे लेखन का मुज़ायरा दोस्त ।

हमारे कॉंट्रैक्ट के हिसाब से अब मेरी आगे की पेमेंट कर देना भाई 😂

और मेरी सीमा डार्लिंग का ध्यान रखना
 
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Raj_sharma

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वाह भाई आदमी हो रोमेश सक्सेना जैसा गज़ब इमानदारी
बोहोत बोहोत आभार मित्र :hug:
 

Raj_sharma

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वाह भाई क्या ग़ज़ब इमोशंस से भरपूर अपडेट दिया है आपने , आख़िरकार रोमेश क़त्ल करने के लिए मान ही गया

शंकर की शर्ते भी कमाल है करना भी है और बरी भी होना है। प्यार क्या क्या नहीं करवाएगा रोमेश से।

दुकान पर रोमेश की हरकते शायद उसकी कोर्ट केस मैं दलील जो होने वाली है उसी की योजना लग रही है।
वैशाली को काफ़ी बड़ी ज़िम्मेदारी दे गया रोमेश ।

किसी कहानी से अपने पाठको को जोड़ लेना एक लेखक के लिए बहुत अहम होता है मुझे वही फ़ीलिंग्स इस अपडेट के साथ बहुत अच्छे से महसूस हुई है ।

मेरा दिल कहता है सीमा इस पूरे प्रकरण से पाक साफ़ बाहर निकलेगी बाक़ी आपने क्या सोचा है वो अहम है
हम तो पाठक है लेखक जिस से अपनी लेखनी के दम पर प्यार करवाएगा कर लेंगे ।

ये अपडेट अपने आप मैं बहुत उम्दा है और कई आने वाले उच्च कोटि के अपडेट का आधार बनेगा ।
बहुत ही अच्छे लेखन का मुज़ायरा दोस्त ।

हमारे कॉंट्रैक्ट के हिसाब से अब मेरी आगे की पेमेंट कर देना भाई 😂

और मेरी सीमा डार्लिंग का ध्यान रखना
:hug: आपके इस प्यार भरे रिव्यू के लिए बोहोत बोहोत आभार मित्र, 🧡आपको कहानी पसंद आ रही है ये मेरे लिए मायने रखता है, रही बात रोमेश की तो समय इंसान से क्या नही करवा सकता?
 
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Shekhu69

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# 14

उस रात तेज बारिश हो रही थी, रोमेश बरसती घटाओं को देख रहा था। बिजली चमकती, बादल गरजते, वह बे-मौसम की बरसात थी। वह खिड़की पर खड़ा सोच रहा
था कि क्या सीमा अब कभी उसकी जिन्दगी में नहीं लौटेगी? उसकी दुनिया में यह अचानक कैसी आग लग गई ?ञवह शराब पीता रहा। जनार्दन नागा रेड्डी इस तबाही का एकमात्र जिम्मेदार था।

ऐसे लोगों के सामने कानून बेबस खड़ा होता है, कानून की किताब रद्दी का कागज बन जाती है। पुलिस ऐसे लोगों की रक्षक बनकर खड़ी हो जाती है, तो फिर कानून किसके लिए है? किसके लिए वकील लड़ता है? यहाँ तो जज भी बिकते हैं। ऐसे लोगों को सजा नहीं मिलती? क्यों? क्यों है यह विधान?

"आज मेरे साथ हुआ, कल विजय के साथ होगा। हो सकता है कि वैशाली के साथ भी वैसा ही हादसा हो? आने वाले कल में वह विजय की पत्नी है। मेरे और विजय के
करीब रहने वाले हर शख्स को खतरा है।"

उसे लगा, जैसे दूर खड़ी सीमा उसे बुला रही है। लेकिन वह जा नहीं पा रहा है। उसके पैरों में बेड़ियाँ पड़ी हैं और वह बेड़ियाँ एक ही सूरत से कट सकती है, पच्चीस लाख !
पच्चीस लाख !! पच्चीस लाख !!!

पच्चीस लाख मिल सकता है। शर्त सिर्फ एक ही है, जनार्दन नागा रेड्डी का कत्ल। कानून की आन भी यही कहती है कि ऐसे अपराधी को सजा मिलनी ही चाहिये ।
क्या फर्क पड़ता है, उसे फांसी पर जल्लाद लटकाए या वह खुद ? कानून की आन रखनेके लिए अगर वह जल्लाद बन भी जाता है, तो हर्ज क्या है? क्या पुलिस, बदमाशों को मुठभेड़ में नहीं मार गिराती ?

मैं यह कत्ल करूंगा, जनार्दन नागा रेड्डी अब तुझे कोई नहीं बचा सकता।

सुबह रोमेश डस्टबिन से विजि टिंग कार्ड के टुकड़े तलाश कर रहा था, संयोग से डस्टबिन साफ नहीं हुआ था और कार्ड के टुकड़े मिल गये। रोमेश उन टुकड़ों को जोड़कर फोन नम्बर उतारने लगा।

शंकर का फोन नम्बर अब उसके सामने था। उसने फोन पर नम्बर डायल करना शुरू कर दिया।

शंकर दस लाख लेकर आ गया। उसने ब्रीफकेस रोमेश की तरफ खिसका दिया।

"गिन लीजिये, दस लाख हैं।"

"मुझे यकीन है कि दस लाख ही होंगे।" रोमेश ने कहा और ब्रीफकेस उठा कर एक तरफ रख दिया ।

"साथ में मेरी ओर से बधाई।"

"बधाई किस बात की ?"

"कत्ल करने और उसके जुर्म में बरी होने के लिए। आप जैसे काबिल आदमी की इस देश में जरूरत ही क्या है, मैं आपको अमेरिका में स्टैब्लिश कर सकता हूँ।"

"वह मेरा पर्सनल मैटर है कि मैं कहाँ रहूंगा, अभी हम केस पर ही बात करेंगे। पहले मुझे यह बताओ कि तुम यह कत्ल क्यों करवाना चाहते हो और तुम्हारा बैकग्राउण्ड क्या है, क्या तुम उसके कोई नाते रिश्तेदार हो ?"

"नागा रेड्डी तो हजारों हो सकते हैं, फिलहाल मैं इस सवाल का जवाब नहीं दे पाऊंगा। हाँ, जब मुकदमा खत्म हो जायेगा, तब आप मुझसे इस सवाल का जवाब भी पा लेंगे।"

"तुमने यह भी कहा था कि कोई पेशेवर कातिल इस काम को करेगा, तो तुम पकड़े जाओगे।"

"हाँ, यह सही है। इसलिये मैं यह चाहता हूँ कि इस कत्ल को कोई पेशेवर न करे। आपको यह बात अच्छी तरह जाननी होगी कि कत्ल आपके ही हाथों होना हैं और बरी भी आपको होना है। यही दो बातें इस सौदे में हैं।"

"ठीक है, काम हो जायेगा।"

"मैं जानता हूँ, शत प्रतिशत हो जायेगा। एक बार फिर आपको मुबारकबाद देना चाहूँगा। मैं अखबार, रेडियो और टी .वी . पर यह खबर सुनने के लिए बेताब रहूँगा। जैसे ही यह खबर मुझे मिलेगी, मैं बाकी रकम लेकर आपके पास चला आऊँगा।"

दोनों ने हाथ मिलाया और शंकर लौट गया।

अब रोमेश ने एक नयी विचारधारा के तहत सोचना शुरू कर दिया।

"मुझे यह रकम बहुत जल्दी खत्म कर देनी चाहिये।" रोमेश ने घूंसा मेज पर मारते हुए कहा,

"यह मुकदमा सचमुच ऐतिहासिक होगा।"

कुछ देर बाद ही रोमेश कोर्ट पहुँचा। उसने अपनी मोटरसाइकिल सर्विस के लिए दे दी और चैम्बर में पहुंचते ही उसने आवश्यक कागजात देखे और कुछ फाइलें देखीं और फिर अपने केबिन में वैशाली को बुलाया।

"आज मैं तुम्हें एक विशेष दर्जा देना चाहता हूँ।" रोमेश ने कहा।

"क्या सर ?"

"आज के बाद यह जितने भी केस पेंडिंग पड़े हैं और जितनी भी पैरवी मैं कर रहा हूँ, वह सब तुम करोगी।"

"मगर...। "

"पहले मेरी बात पूरी सुनो। ध्यान से सुनो। गौर से सुनो। आज के बाद मैं इस
चैम्बर में नहीं आऊँगा, इसकी उत्तराधिकारी तुम हो। मैं पूरे पेपर साइन करके इसकी ऑनरशिप तुम्हें दे रहा हूं, क्यों कि मैं एक संगीन मुकदमे से दो चार होने जा रहा हूँ। एक ऐसा मुकदमा, जो कभी किसी वकील ने नहीं लड़ा होगा। यह मुकदमा अदालत से बाहर लड़ा जाना है। हाँ, इसका अन्त अदालत में ही होगा।"

"मैं कुछ समझी नहीं सर।"

"मैंने जनार्दन नागा रेड्डी का कत्ल कर देने का फैसला किया है, कातिल बनने के बाद मुझे इस चैम्बर में आने का हक नहीं रह जायेगा, मेरी वकालत की दुनिया का यह आखिरी मुकदमा होगा।"

"आप क्या कह रहे हैं?" वैशाली का दिल बैठने लगा।

"हाँ, मैं सच कह रहा हूँ। इसलिये ध्यान से सुनो, आज के बाद तुम मेरे फ्लैट पर भी कदम नहीं रखोगी। तुम्हें अपने जीवन में मेरी पहचान बनना है। यह बात विजय को भी समझा देना कि वह मुझसे दूर रहे। मैंने आज अपने घरेलू नौकर को भी हटा देना है।"

"सर, मैं आपके लिए कुछ मंगाऊं?"

"नहीं, अभी इतनी खुश्की नहीं आई कि पानी पीना पड़े। चैम्बर का चार्ज सम्भालो और लगन से अपने काम पर जुट जाओ। अगर तुम कभी सरकारी वकील भी बनो, तब
भी एक बात का ध्यान रखना कि कभी भी किसी निर्दोष को सजा न होने पाये। यह तुम्हारा उसूल रहेगा। अपने पति को इतना प्यार देना, जितना कभी किसी पत्नी ने न दिया हो। जीवन में सिर्फ आदर्शों का महत्व होता है, पैसे का नहीं होता। विजय भी मेरी तरह का शख्स है, कभी उसे चोट न पहुँचे। यह लो, ये वह फाइल है, जिसमें तुम्हें इस चैम्बर की ऑनरशिप दी जाती है।"

वैशाली की आंखें डबडबा आयीं। वह कुछ बोली नहीं।

रोमेश उसका कंधा थपथपाता हुआ बाहर निकल गया। जाते जाते उसने कहा,

"कभी मेरे घर की तरफ मत आना। यह मत सोचना कि मैं मानसिक रूप से अस्वस्थ हूँ। मैं ठीक हूँ, बिल्कुल ठीक। और मेरा फैसला भी ठीक ही है।" रोमेश बाहर निकल गया।

रोमेश ने काम शुरू कर दिया। सबसे पहले जे.एन. के बारे में जानकारियां प्राप्त करने का काम था।

उसकी पिछली जिन्दगी की जानकारी, उसकी दिनचर्या क्या है? कौन उसके करीब हैं? उसे क्या-क्या शौक हैं ?

रोमेश ने तीन दिन में ही काफी कुछ जानकारियां प्राप्त कर लीं। सबसे उल्लेखनीय जानकारी यह थी कि जनार्दन नागा रेड्डी की माया नाम की एक रखैल थी, जिसके लिए उसने एक फ्लैट बांद्रा में खरीदा हुआ था। माया के पास वह बिना नागा हर शनिवार की रात गुजरता था, चाहे कहीं हो, उस जगह अवश्य पहुंच जाता था। वह भी गोपनीय तरीके से।

उस समय उसके पास सरकारी गार्ड या पुलिस प्रोटेक्शन भी नहीं रहता था। उसके दो प्राइवेट गार्ड रहते थे, जो रात भर उस फ्लैट पर रहते थे।

जे.एन. यहाँ वी .आई.पी . गाड़ी से नहीं आता था बल्कि साधारण गाड़ी से आता था । यह उसकी प्राइवेट लाइफ का एक हिस्सा था। सियासत से पहले जे.एन. एक माफिया था, और उसने एक जेबकतरे से अपनी जिन्दगी शुरू की थी। वह दो बार सजा भी काट चुका था। किन्तु अब सरकारी तौर पर जे.एन. का कोई आपराधिक रिकार्ड नहीं मिलता था।

इसके अतिरिक्त एक कोड का पता चला, फ़ोन पर यह कोड बोलने से सीधा जे.एन. ही कॉल सुनता था। यह कोड बहुत ही खास आदमी प्रयोग करते थे। यह कोड
माया भी प्रयोग करती थी। रोमेश के पास काफी जानकारियां थी।

एक जानकारी यह भी थी कि किसी आंदोलन के डर से जे.एन. की पार्टी के लोग ही उसे मुख्यमन्त्री पद से हटाने
के लिए अन्दर-अन्दर मुहिम छेड़े हुए हैं। वह जानते हैं कि सांवत मर्डर केस कभी भी रंग पकड़ सकता है।

अगर जे.एन. मुख्यमन्त्री बना रहता है, तो पार्टी की छवि खराब हो जायेगी। हो सकता था कि एक दो दिन में ही जे.एन. को मुख्यमन्त्री पद छोड़ना पड़े।

जे.एन. को केन्द्रीय मन्त्री के रूप में लिया जाना तय हो चुका था, किन्तु कुछ दिन उसे पार्टी ठंडे बस्ते में रखना चाहती थी।

इकत्तीस दिसम्बर की सुबह ही टी.वी. में यह खबर आ गयी थी कि जे.एन. मुख्यमन्त्री पद से हटा दिये गये हैं। समाचार यह भी था कि शीघ्र ही जे.एन. को केन्द्रीय मन्त्री पद मिल जायेगा। टी .वी . पर जे.एन. का इण्टरव्यू भी था। उसका यही कहना था कि पार्टी का जो कहना होगा, वह उसे स्वीकार है। चाहे वह मन्त्री न भी रहे, तब भी जनता की सेवा तो करता ही रहेगा ।


एक्स चीफ मिनिस्टर जे.एन. अब भी अत्यंत महत्वपूर्ण व्यक्ति था।
इकत्तीस दिसम्बर की रात जश्न की रात होती है। नया साल शुरू होने वाला था।

रोमेश एक मन्दिर में गया, उसने देवी माँ के चरण की रज ली और प्रार्थना की, कि आने वाले साल में वह जिस काम से निकल रहा है, उसे सम्भव बना दे। वह जे.एन. को
कत्ल करने के लिए मन्नत मांग रहा था।

उसके बाद उसने मोटरसाइकिल स्टार्ट की और मुम्बई की सड़कों पर निकल गया। एक डिपार्टमेंटल स्टोर के सामने उसने मोटरसाइकिल रोक दी। स्टोर में दाखिल हो गया, रेडीमेड गारमेंट्स के काउण्टर पर पहुँचा।

"वह जो बाहर शोकेस में काला ओवरकोट टंगा है, उसे देखकर मैं आपकी शॉप में चला आया हूँ।"

"अभी मंगाते हैं।" सेल्समैन ने कहा। शीघ्र ही काउण्टर पर ओवरकोट आ गया।

"क्या प्राइस है?"

"अभी आप पसन्द कर लीजिये, प्राइस भी लग जायेगी और क्या दें, पैंट शर्ट ?"

"इससे मैच करती एक काली पैंट।"

सेल्समैन ने कुछ काली पैंटे सामने रख दी और पैंटों की तारीफ करने लगा। रोमेश ने एक पैंट पसन्द की।

"काली शर्ट ?" रोमेश बोला।

"जी।" सेल्समैन ने सिर हिला या।

अब काउंटर पर काली शर्टों का नम्बर था। रोमेश ने उसमें से एक पसन्द की।

"एक काला स्कार्फ या मफलर होगा।" रोमेश बोला। मफलर भी आ गया।

"काले दस्ताने।"

"ज… जी !" सेल्समैन ने दस्ताने भी ला दिये,

"काले जुराब, काला चश्मा, काले जूते।"

"तुम आदमी समझदार हो, वैसे काले जूते मेरे पास हैं।" रोमेश ने अपने जूतों की तरफ इशारा किया।

"चश्मा इसी स्टोर के दूसरे काउण्टर पर है।" सेल्समैन बोला,

"यहीं मंगा दूँ ?"

चश्मे का सेल्समैन भी वहाँ आ गया। उसने कुछ चश्मे सामने रखे, रोमेश ने एक पसन्द कर लिया।

"अब एक काला फेल्ट हैट।"

"हूँ!"

सेल्समैन ने सीटी बजाने के अन्दाज में होंठ गोल किये, "मैं भी कितना अहमक हूँ, असली चीज तो भूल ही गया था। काला हैट !"
काला हैट भी आ गया।

"क्यों साहब किसी फैंसी शो में जाना है क्या ?" सेल्समैन ने पूछा।

"जरा मैं यह सब पहनकर देख लूं, फिर बताऊंगा।"

सेल्समैन ने एक केबिन की तरफ इशारा किया। रोमेश सारा सामान लेकर उसमें चला गया।

"अपुन को लगता है, कोई फिल्म का आदमी है, उसके वास्ते ड्रेस ले रहा होगा , नहीं तो मुम्बई के अन्दर कोट कौन पहनेगा ?"

"मेरे को लगता है फैंसी शो होगा।"

दोनों किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाये, तभी रोमेश सारी कॉ स्ट्यू म पहनकर बाहर आया।

"हैलो जेंटलमैन !" रोमेश बोला।

"ऐ बड़ा जमता है यार।" एक सेल्समैन ने दूसरे से कहा,

"फिल्म का विलेन लगता है कि नहीं।"

"अब एक रसीद बनाना, बिल पर हमारा नाम लिखो , रोमेश सक्सेना।"

"उसकी कोई जरूरत नहीं साहब, बिना नाम के बिल कट जायेगा।"

"नहीं , नाम जरूर।"

"ठीक है आपकी मर्ज़ी, लिख देंगे नाम भी।"

"रोमेश सक्सेना ।" रोमेश ने याद दिलाया।

बिल काटने के बाद रोमेश ने पेमेंट दी और फिर बोला, "हाँ तो तुम पूछ रहे थे कि साहब किसी फैन्सी शो में जाना है क्या ?"

"वही तो।" सेल्समैन बोला,

"हम तो वैसे ही आइडिया मार रहे थे।"

"मैं बताता हूँ । इन कपड़ों को पहनकर मुझे एक आदमी का खून करना है।"

"ख… खून।" सेल्समैन चौंका।

"हाँ , खून !"



जारी रहेगा.....✍️✍️
Bahut badia lekhni adhbhut update update Lajawab Jabardast superb romanchak ekdum dhasu 👌 👌:yes1::rock1::ban::thankyou:
 

park

Well-Known Member
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उस रात तेज बारिश हो रही थी, रोमेश बरसती घटाओं को देख रहा था। बिजली चमकती, बादल गरजते, वह बे-मौसम की बरसात थी। वह खिड़की पर खड़ा सोच रहा
था कि क्या सीमा अब कभी उसकी जिन्दगी में नहीं लौटेगी? उसकी दुनिया में यह अचानक कैसी आग लग गई ?ञवह शराब पीता रहा। जनार्दन नागा रेड्डी इस तबाही का एकमात्र जिम्मेदार था।

ऐसे लोगों के सामने कानून बेबस खड़ा होता है, कानून की किताब रद्दी का कागज बन जाती है। पुलिस ऐसे लोगों की रक्षक बनकर खड़ी हो जाती है, तो फिर कानून किसके लिए है? किसके लिए वकील लड़ता है? यहाँ तो जज भी बिकते हैं। ऐसे लोगों को सजा नहीं मिलती? क्यों? क्यों है यह विधान?

"आज मेरे साथ हुआ, कल विजय के साथ होगा। हो सकता है कि वैशाली के साथ भी वैसा ही हादसा हो? आने वाले कल में वह विजय की पत्नी है। मेरे और विजय के
करीब रहने वाले हर शख्स को खतरा है।"

उसे लगा, जैसे दूर खड़ी सीमा उसे बुला रही है। लेकिन वह जा नहीं पा रहा है। उसके पैरों में बेड़ियाँ पड़ी हैं और वह बेड़ियाँ एक ही सूरत से कट सकती है, पच्चीस लाख !
पच्चीस लाख !! पच्चीस लाख !!!

पच्चीस लाख मिल सकता है। शर्त सिर्फ एक ही है, जनार्दन नागा रेड्डी का कत्ल। कानून की आन भी यही कहती है कि ऐसे अपराधी को सजा मिलनी ही चाहिये ।
क्या फर्क पड़ता है, उसे फांसी पर जल्लाद लटकाए या वह खुद ? कानून की आन रखनेके लिए अगर वह जल्लाद बन भी जाता है, तो हर्ज क्या है? क्या पुलिस, बदमाशों को मुठभेड़ में नहीं मार गिराती ?

मैं यह कत्ल करूंगा, जनार्दन नागा रेड्डी अब तुझे कोई नहीं बचा सकता।

सुबह रोमेश डस्टबिन से विजि टिंग कार्ड के टुकड़े तलाश कर रहा था, संयोग से डस्टबिन साफ नहीं हुआ था और कार्ड के टुकड़े मिल गये। रोमेश उन टुकड़ों को जोड़कर फोन नम्बर उतारने लगा।

शंकर का फोन नम्बर अब उसके सामने था। उसने फोन पर नम्बर डायल करना शुरू कर दिया।

शंकर दस लाख लेकर आ गया। उसने ब्रीफकेस रोमेश की तरफ खिसका दिया।

"गिन लीजिये, दस लाख हैं।"

"मुझे यकीन है कि दस लाख ही होंगे।" रोमेश ने कहा और ब्रीफकेस उठा कर एक तरफ रख दिया ।

"साथ में मेरी ओर से बधाई।"

"बधाई किस बात की ?"

"कत्ल करने और उसके जुर्म में बरी होने के लिए। आप जैसे काबिल आदमी की इस देश में जरूरत ही क्या है, मैं आपको अमेरिका में स्टैब्लिश कर सकता हूँ।"

"वह मेरा पर्सनल मैटर है कि मैं कहाँ रहूंगा, अभी हम केस पर ही बात करेंगे। पहले मुझे यह बताओ कि तुम यह कत्ल क्यों करवाना चाहते हो और तुम्हारा बैकग्राउण्ड क्या है, क्या तुम उसके कोई नाते रिश्तेदार हो ?"

"नागा रेड्डी तो हजारों हो सकते हैं, फिलहाल मैं इस सवाल का जवाब नहीं दे पाऊंगा। हाँ, जब मुकदमा खत्म हो जायेगा, तब आप मुझसे इस सवाल का जवाब भी पा लेंगे।"

"तुमने यह भी कहा था कि कोई पेशेवर कातिल इस काम को करेगा, तो तुम पकड़े जाओगे।"

"हाँ, यह सही है। इसलिये मैं यह चाहता हूँ कि इस कत्ल को कोई पेशेवर न करे। आपको यह बात अच्छी तरह जाननी होगी कि कत्ल आपके ही हाथों होना हैं और बरी भी आपको होना है। यही दो बातें इस सौदे में हैं।"

"ठीक है, काम हो जायेगा।"

"मैं जानता हूँ, शत प्रतिशत हो जायेगा। एक बार फिर आपको मुबारकबाद देना चाहूँगा। मैं अखबार, रेडियो और टी .वी . पर यह खबर सुनने के लिए बेताब रहूँगा। जैसे ही यह खबर मुझे मिलेगी, मैं बाकी रकम लेकर आपके पास चला आऊँगा।"

दोनों ने हाथ मिलाया और शंकर लौट गया।

अब रोमेश ने एक नयी विचारधारा के तहत सोचना शुरू कर दिया।

"मुझे यह रकम बहुत जल्दी खत्म कर देनी चाहिये।" रोमेश ने घूंसा मेज पर मारते हुए कहा,

"यह मुकदमा सचमुच ऐतिहासिक होगा।"

कुछ देर बाद ही रोमेश कोर्ट पहुँचा। उसने अपनी मोटरसाइकिल सर्विस के लिए दे दी और चैम्बर में पहुंचते ही उसने आवश्यक कागजात देखे और कुछ फाइलें देखीं और फिर अपने केबिन में वैशाली को बुलाया।

"आज मैं तुम्हें एक विशेष दर्जा देना चाहता हूँ।" रोमेश ने कहा।

"क्या सर ?"

"आज के बाद यह जितने भी केस पेंडिंग पड़े हैं और जितनी भी पैरवी मैं कर रहा हूँ, वह सब तुम करोगी।"

"मगर...। "

"पहले मेरी बात पूरी सुनो। ध्यान से सुनो। गौर से सुनो। आज के बाद मैं इस
चैम्बर में नहीं आऊँगा, इसकी उत्तराधिकारी तुम हो। मैं पूरे पेपर साइन करके इसकी ऑनरशिप तुम्हें दे रहा हूं, क्यों कि मैं एक संगीन मुकदमे से दो चार होने जा रहा हूँ। एक ऐसा मुकदमा, जो कभी किसी वकील ने नहीं लड़ा होगा। यह मुकदमा अदालत से बाहर लड़ा जाना है। हाँ, इसका अन्त अदालत में ही होगा।"

"मैं कुछ समझी नहीं सर।"

"मैंने जनार्दन नागा रेड्डी का कत्ल कर देने का फैसला किया है, कातिल बनने के बाद मुझे इस चैम्बर में आने का हक नहीं रह जायेगा, मेरी वकालत की दुनिया का यह आखिरी मुकदमा होगा।"

"आप क्या कह रहे हैं?" वैशाली का दिल बैठने लगा।

"हाँ, मैं सच कह रहा हूँ। इसलिये ध्यान से सुनो, आज के बाद तुम मेरे फ्लैट पर भी कदम नहीं रखोगी। तुम्हें अपने जीवन में मेरी पहचान बनना है। यह बात विजय को भी समझा देना कि वह मुझसे दूर रहे। मैंने आज अपने घरेलू नौकर को भी हटा देना है।"

"सर, मैं आपके लिए कुछ मंगाऊं?"

"नहीं, अभी इतनी खुश्की नहीं आई कि पानी पीना पड़े। चैम्बर का चार्ज सम्भालो और लगन से अपने काम पर जुट जाओ। अगर तुम कभी सरकारी वकील भी बनो, तब
भी एक बात का ध्यान रखना कि कभी भी किसी निर्दोष को सजा न होने पाये। यह तुम्हारा उसूल रहेगा। अपने पति को इतना प्यार देना, जितना कभी किसी पत्नी ने न दिया हो। जीवन में सिर्फ आदर्शों का महत्व होता है, पैसे का नहीं होता। विजय भी मेरी तरह का शख्स है, कभी उसे चोट न पहुँचे। यह लो, ये वह फाइल है, जिसमें तुम्हें इस चैम्बर की ऑनरशिप दी जाती है।"

वैशाली की आंखें डबडबा आयीं। वह कुछ बोली नहीं।

रोमेश उसका कंधा थपथपाता हुआ बाहर निकल गया। जाते जाते उसने कहा,

"कभी मेरे घर की तरफ मत आना। यह मत सोचना कि मैं मानसिक रूप से अस्वस्थ हूँ। मैं ठीक हूँ, बिल्कुल ठीक। और मेरा फैसला भी ठीक ही है।" रोमेश बाहर निकल गया।

रोमेश ने काम शुरू कर दिया। सबसे पहले जे.एन. के बारे में जानकारियां प्राप्त करने का काम था।

उसकी पिछली जिन्दगी की जानकारी, उसकी दिनचर्या क्या है? कौन उसके करीब हैं? उसे क्या-क्या शौक हैं ?

रोमेश ने तीन दिन में ही काफी कुछ जानकारियां प्राप्त कर लीं। सबसे उल्लेखनीय जानकारी यह थी कि जनार्दन नागा रेड्डी की माया नाम की एक रखैल थी, जिसके लिए उसने एक फ्लैट बांद्रा में खरीदा हुआ था। माया के पास वह बिना नागा हर शनिवार की रात गुजरता था, चाहे कहीं हो, उस जगह अवश्य पहुंच जाता था। वह भी गोपनीय तरीके से।

उस समय उसके पास सरकारी गार्ड या पुलिस प्रोटेक्शन भी नहीं रहता था। उसके दो प्राइवेट गार्ड रहते थे, जो रात भर उस फ्लैट पर रहते थे।

जे.एन. यहाँ वी .आई.पी . गाड़ी से नहीं आता था बल्कि साधारण गाड़ी से आता था । यह उसकी प्राइवेट लाइफ का एक हिस्सा था। सियासत से पहले जे.एन. एक माफिया था, और उसने एक जेबकतरे से अपनी जिन्दगी शुरू की थी। वह दो बार सजा भी काट चुका था। किन्तु अब सरकारी तौर पर जे.एन. का कोई आपराधिक रिकार्ड नहीं मिलता था।

इसके अतिरिक्त एक कोड का पता चला, फ़ोन पर यह कोड बोलने से सीधा जे.एन. ही कॉल सुनता था। यह कोड बहुत ही खास आदमी प्रयोग करते थे। यह कोड
माया भी प्रयोग करती थी। रोमेश के पास काफी जानकारियां थी।

एक जानकारी यह भी थी कि किसी आंदोलन के डर से जे.एन. की पार्टी के लोग ही उसे मुख्यमन्त्री पद से हटाने
के लिए अन्दर-अन्दर मुहिम छेड़े हुए हैं। वह जानते हैं कि सांवत मर्डर केस कभी भी रंग पकड़ सकता है।

अगर जे.एन. मुख्यमन्त्री बना रहता है, तो पार्टी की छवि खराब हो जायेगी। हो सकता था कि एक दो दिन में ही जे.एन. को मुख्यमन्त्री पद छोड़ना पड़े।

जे.एन. को केन्द्रीय मन्त्री के रूप में लिया जाना तय हो चुका था, किन्तु कुछ दिन उसे पार्टी ठंडे बस्ते में रखना चाहती थी।

इकत्तीस दिसम्बर की सुबह ही टी.वी. में यह खबर आ गयी थी कि जे.एन. मुख्यमन्त्री पद से हटा दिये गये हैं। समाचार यह भी था कि शीघ्र ही जे.एन. को केन्द्रीय मन्त्री पद मिल जायेगा। टी .वी . पर जे.एन. का इण्टरव्यू भी था। उसका यही कहना था कि पार्टी का जो कहना होगा, वह उसे स्वीकार है। चाहे वह मन्त्री न भी रहे, तब भी जनता की सेवा तो करता ही रहेगा ।


एक्स चीफ मिनिस्टर जे.एन. अब भी अत्यंत महत्वपूर्ण व्यक्ति था।
इकत्तीस दिसम्बर की रात जश्न की रात होती है। नया साल शुरू होने वाला था।

रोमेश एक मन्दिर में गया, उसने देवी माँ के चरण की रज ली और प्रार्थना की, कि आने वाले साल में वह जिस काम से निकल रहा है, उसे सम्भव बना दे। वह जे.एन. को
कत्ल करने के लिए मन्नत मांग रहा था।

उसके बाद उसने मोटरसाइकिल स्टार्ट की और मुम्बई की सड़कों पर निकल गया। एक डिपार्टमेंटल स्टोर के सामने उसने मोटरसाइकिल रोक दी। स्टोर में दाखिल हो गया, रेडीमेड गारमेंट्स के काउण्टर पर पहुँचा।

"वह जो बाहर शोकेस में काला ओवरकोट टंगा है, उसे देखकर मैं आपकी शॉप में चला आया हूँ।"

"अभी मंगाते हैं।" सेल्समैन ने कहा। शीघ्र ही काउण्टर पर ओवरकोट आ गया।

"क्या प्राइस है?"

"अभी आप पसन्द कर लीजिये, प्राइस भी लग जायेगी और क्या दें, पैंट शर्ट ?"

"इससे मैच करती एक काली पैंट।"

सेल्समैन ने कुछ काली पैंटे सामने रख दी और पैंटों की तारीफ करने लगा। रोमेश ने एक पैंट पसन्द की।

"काली शर्ट ?" रोमेश बोला।

"जी।" सेल्समैन ने सिर हिला या।

अब काउंटर पर काली शर्टों का नम्बर था। रोमेश ने उसमें से एक पसन्द की।

"एक काला स्कार्फ या मफलर होगा।" रोमेश बोला। मफलर भी आ गया।

"काले दस्ताने।"

"ज… जी !" सेल्समैन ने दस्ताने भी ला दिये,

"काले जुराब, काला चश्मा, काले जूते।"

"तुम आदमी समझदार हो, वैसे काले जूते मेरे पास हैं।" रोमेश ने अपने जूतों की तरफ इशारा किया।

"चश्मा इसी स्टोर के दूसरे काउण्टर पर है।" सेल्समैन बोला,

"यहीं मंगा दूँ ?"

चश्मे का सेल्समैन भी वहाँ आ गया। उसने कुछ चश्मे सामने रखे, रोमेश ने एक पसन्द कर लिया।

"अब एक काला फेल्ट हैट।"

"हूँ!"

सेल्समैन ने सीटी बजाने के अन्दाज में होंठ गोल किये, "मैं भी कितना अहमक हूँ, असली चीज तो भूल ही गया था। काला हैट !"
काला हैट भी आ गया।

"क्यों साहब किसी फैंसी शो में जाना है क्या ?" सेल्समैन ने पूछा।

"जरा मैं यह सब पहनकर देख लूं, फिर बताऊंगा।"

सेल्समैन ने एक केबिन की तरफ इशारा किया। रोमेश सारा सामान लेकर उसमें चला गया।

"अपुन को लगता है, कोई फिल्म का आदमी है, उसके वास्ते ड्रेस ले रहा होगा , नहीं तो मुम्बई के अन्दर कोट कौन पहनेगा ?"

"मेरे को लगता है फैंसी शो होगा।"

दोनों किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाये, तभी रोमेश सारी कॉ स्ट्यू म पहनकर बाहर आया।

"हैलो जेंटलमैन !" रोमेश बोला।

"ऐ बड़ा जमता है यार।" एक सेल्समैन ने दूसरे से कहा,

"फिल्म का विलेन लगता है कि नहीं।"

"अब एक रसीद बनाना, बिल पर हमारा नाम लिखो , रोमेश सक्सेना।"

"उसकी कोई जरूरत नहीं साहब, बिना नाम के बिल कट जायेगा।"

"नहीं , नाम जरूर।"

"ठीक है आपकी मर्ज़ी, लिख देंगे नाम भी।"

"रोमेश सक्सेना ।" रोमेश ने याद दिलाया।

बिल काटने के बाद रोमेश ने पेमेंट दी और फिर बोला, "हाँ तो तुम पूछ रहे थे कि साहब किसी फैन्सी शो में जाना है क्या ?"

"वही तो।" सेल्समैन बोला,

"हम तो वैसे ही आइडिया मार रहे थे।"

"मैं बताता हूँ । इन कपड़ों को पहनकर मुझे एक आदमी का खून करना है।"

"ख… खून।" सेल्समैन चौंका।

"हाँ , खून !"



जारी रहेगा.....✍️✍️
Nice and superb update....
 

kas1709

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# 14

उस रात तेज बारिश हो रही थी, रोमेश बरसती घटाओं को देख रहा था। बिजली चमकती, बादल गरजते, वह बे-मौसम की बरसात थी। वह खिड़की पर खड़ा सोच रहा
था कि क्या सीमा अब कभी उसकी जिन्दगी में नहीं लौटेगी? उसकी दुनिया में यह अचानक कैसी आग लग गई ?ञवह शराब पीता रहा। जनार्दन नागा रेड्डी इस तबाही का एकमात्र जिम्मेदार था।

ऐसे लोगों के सामने कानून बेबस खड़ा होता है, कानून की किताब रद्दी का कागज बन जाती है। पुलिस ऐसे लोगों की रक्षक बनकर खड़ी हो जाती है, तो फिर कानून किसके लिए है? किसके लिए वकील लड़ता है? यहाँ तो जज भी बिकते हैं। ऐसे लोगों को सजा नहीं मिलती? क्यों? क्यों है यह विधान?

"आज मेरे साथ हुआ, कल विजय के साथ होगा। हो सकता है कि वैशाली के साथ भी वैसा ही हादसा हो? आने वाले कल में वह विजय की पत्नी है। मेरे और विजय के
करीब रहने वाले हर शख्स को खतरा है।"

उसे लगा, जैसे दूर खड़ी सीमा उसे बुला रही है। लेकिन वह जा नहीं पा रहा है। उसके पैरों में बेड़ियाँ पड़ी हैं और वह बेड़ियाँ एक ही सूरत से कट सकती है, पच्चीस लाख !
पच्चीस लाख !! पच्चीस लाख !!!

पच्चीस लाख मिल सकता है। शर्त सिर्फ एक ही है, जनार्दन नागा रेड्डी का कत्ल। कानून की आन भी यही कहती है कि ऐसे अपराधी को सजा मिलनी ही चाहिये ।
क्या फर्क पड़ता है, उसे फांसी पर जल्लाद लटकाए या वह खुद ? कानून की आन रखनेके लिए अगर वह जल्लाद बन भी जाता है, तो हर्ज क्या है? क्या पुलिस, बदमाशों को मुठभेड़ में नहीं मार गिराती ?

मैं यह कत्ल करूंगा, जनार्दन नागा रेड्डी अब तुझे कोई नहीं बचा सकता।

सुबह रोमेश डस्टबिन से विजि टिंग कार्ड के टुकड़े तलाश कर रहा था, संयोग से डस्टबिन साफ नहीं हुआ था और कार्ड के टुकड़े मिल गये। रोमेश उन टुकड़ों को जोड़कर फोन नम्बर उतारने लगा।

शंकर का फोन नम्बर अब उसके सामने था। उसने फोन पर नम्बर डायल करना शुरू कर दिया।

शंकर दस लाख लेकर आ गया। उसने ब्रीफकेस रोमेश की तरफ खिसका दिया।

"गिन लीजिये, दस लाख हैं।"

"मुझे यकीन है कि दस लाख ही होंगे।" रोमेश ने कहा और ब्रीफकेस उठा कर एक तरफ रख दिया ।

"साथ में मेरी ओर से बधाई।"

"बधाई किस बात की ?"

"कत्ल करने और उसके जुर्म में बरी होने के लिए। आप जैसे काबिल आदमी की इस देश में जरूरत ही क्या है, मैं आपको अमेरिका में स्टैब्लिश कर सकता हूँ।"

"वह मेरा पर्सनल मैटर है कि मैं कहाँ रहूंगा, अभी हम केस पर ही बात करेंगे। पहले मुझे यह बताओ कि तुम यह कत्ल क्यों करवाना चाहते हो और तुम्हारा बैकग्राउण्ड क्या है, क्या तुम उसके कोई नाते रिश्तेदार हो ?"

"नागा रेड्डी तो हजारों हो सकते हैं, फिलहाल मैं इस सवाल का जवाब नहीं दे पाऊंगा। हाँ, जब मुकदमा खत्म हो जायेगा, तब आप मुझसे इस सवाल का जवाब भी पा लेंगे।"

"तुमने यह भी कहा था कि कोई पेशेवर कातिल इस काम को करेगा, तो तुम पकड़े जाओगे।"

"हाँ, यह सही है। इसलिये मैं यह चाहता हूँ कि इस कत्ल को कोई पेशेवर न करे। आपको यह बात अच्छी तरह जाननी होगी कि कत्ल आपके ही हाथों होना हैं और बरी भी आपको होना है। यही दो बातें इस सौदे में हैं।"

"ठीक है, काम हो जायेगा।"

"मैं जानता हूँ, शत प्रतिशत हो जायेगा। एक बार फिर आपको मुबारकबाद देना चाहूँगा। मैं अखबार, रेडियो और टी .वी . पर यह खबर सुनने के लिए बेताब रहूँगा। जैसे ही यह खबर मुझे मिलेगी, मैं बाकी रकम लेकर आपके पास चला आऊँगा।"

दोनों ने हाथ मिलाया और शंकर लौट गया।

अब रोमेश ने एक नयी विचारधारा के तहत सोचना शुरू कर दिया।

"मुझे यह रकम बहुत जल्दी खत्म कर देनी चाहिये।" रोमेश ने घूंसा मेज पर मारते हुए कहा,

"यह मुकदमा सचमुच ऐतिहासिक होगा।"

कुछ देर बाद ही रोमेश कोर्ट पहुँचा। उसने अपनी मोटरसाइकिल सर्विस के लिए दे दी और चैम्बर में पहुंचते ही उसने आवश्यक कागजात देखे और कुछ फाइलें देखीं और फिर अपने केबिन में वैशाली को बुलाया।

"आज मैं तुम्हें एक विशेष दर्जा देना चाहता हूँ।" रोमेश ने कहा।

"क्या सर ?"

"आज के बाद यह जितने भी केस पेंडिंग पड़े हैं और जितनी भी पैरवी मैं कर रहा हूँ, वह सब तुम करोगी।"

"मगर...। "

"पहले मेरी बात पूरी सुनो। ध्यान से सुनो। गौर से सुनो। आज के बाद मैं इस
चैम्बर में नहीं आऊँगा, इसकी उत्तराधिकारी तुम हो। मैं पूरे पेपर साइन करके इसकी ऑनरशिप तुम्हें दे रहा हूं, क्यों कि मैं एक संगीन मुकदमे से दो चार होने जा रहा हूँ। एक ऐसा मुकदमा, जो कभी किसी वकील ने नहीं लड़ा होगा। यह मुकदमा अदालत से बाहर लड़ा जाना है। हाँ, इसका अन्त अदालत में ही होगा।"

"मैं कुछ समझी नहीं सर।"

"मैंने जनार्दन नागा रेड्डी का कत्ल कर देने का फैसला किया है, कातिल बनने के बाद मुझे इस चैम्बर में आने का हक नहीं रह जायेगा, मेरी वकालत की दुनिया का यह आखिरी मुकदमा होगा।"

"आप क्या कह रहे हैं?" वैशाली का दिल बैठने लगा।

"हाँ, मैं सच कह रहा हूँ। इसलिये ध्यान से सुनो, आज के बाद तुम मेरे फ्लैट पर भी कदम नहीं रखोगी। तुम्हें अपने जीवन में मेरी पहचान बनना है। यह बात विजय को भी समझा देना कि वह मुझसे दूर रहे। मैंने आज अपने घरेलू नौकर को भी हटा देना है।"

"सर, मैं आपके लिए कुछ मंगाऊं?"

"नहीं, अभी इतनी खुश्की नहीं आई कि पानी पीना पड़े। चैम्बर का चार्ज सम्भालो और लगन से अपने काम पर जुट जाओ। अगर तुम कभी सरकारी वकील भी बनो, तब
भी एक बात का ध्यान रखना कि कभी भी किसी निर्दोष को सजा न होने पाये। यह तुम्हारा उसूल रहेगा। अपने पति को इतना प्यार देना, जितना कभी किसी पत्नी ने न दिया हो। जीवन में सिर्फ आदर्शों का महत्व होता है, पैसे का नहीं होता। विजय भी मेरी तरह का शख्स है, कभी उसे चोट न पहुँचे। यह लो, ये वह फाइल है, जिसमें तुम्हें इस चैम्बर की ऑनरशिप दी जाती है।"

वैशाली की आंखें डबडबा आयीं। वह कुछ बोली नहीं।

रोमेश उसका कंधा थपथपाता हुआ बाहर निकल गया। जाते जाते उसने कहा,

"कभी मेरे घर की तरफ मत आना। यह मत सोचना कि मैं मानसिक रूप से अस्वस्थ हूँ। मैं ठीक हूँ, बिल्कुल ठीक। और मेरा फैसला भी ठीक ही है।" रोमेश बाहर निकल गया।

रोमेश ने काम शुरू कर दिया। सबसे पहले जे.एन. के बारे में जानकारियां प्राप्त करने का काम था।

उसकी पिछली जिन्दगी की जानकारी, उसकी दिनचर्या क्या है? कौन उसके करीब हैं? उसे क्या-क्या शौक हैं ?

रोमेश ने तीन दिन में ही काफी कुछ जानकारियां प्राप्त कर लीं। सबसे उल्लेखनीय जानकारी यह थी कि जनार्दन नागा रेड्डी की माया नाम की एक रखैल थी, जिसके लिए उसने एक फ्लैट बांद्रा में खरीदा हुआ था। माया के पास वह बिना नागा हर शनिवार की रात गुजरता था, चाहे कहीं हो, उस जगह अवश्य पहुंच जाता था। वह भी गोपनीय तरीके से।

उस समय उसके पास सरकारी गार्ड या पुलिस प्रोटेक्शन भी नहीं रहता था। उसके दो प्राइवेट गार्ड रहते थे, जो रात भर उस फ्लैट पर रहते थे।

जे.एन. यहाँ वी .आई.पी . गाड़ी से नहीं आता था बल्कि साधारण गाड़ी से आता था । यह उसकी प्राइवेट लाइफ का एक हिस्सा था। सियासत से पहले जे.एन. एक माफिया था, और उसने एक जेबकतरे से अपनी जिन्दगी शुरू की थी। वह दो बार सजा भी काट चुका था। किन्तु अब सरकारी तौर पर जे.एन. का कोई आपराधिक रिकार्ड नहीं मिलता था।

इसके अतिरिक्त एक कोड का पता चला, फ़ोन पर यह कोड बोलने से सीधा जे.एन. ही कॉल सुनता था। यह कोड बहुत ही खास आदमी प्रयोग करते थे। यह कोड
माया भी प्रयोग करती थी। रोमेश के पास काफी जानकारियां थी।

एक जानकारी यह भी थी कि किसी आंदोलन के डर से जे.एन. की पार्टी के लोग ही उसे मुख्यमन्त्री पद से हटाने
के लिए अन्दर-अन्दर मुहिम छेड़े हुए हैं। वह जानते हैं कि सांवत मर्डर केस कभी भी रंग पकड़ सकता है।

अगर जे.एन. मुख्यमन्त्री बना रहता है, तो पार्टी की छवि खराब हो जायेगी। हो सकता था कि एक दो दिन में ही जे.एन. को मुख्यमन्त्री पद छोड़ना पड़े।

जे.एन. को केन्द्रीय मन्त्री के रूप में लिया जाना तय हो चुका था, किन्तु कुछ दिन उसे पार्टी ठंडे बस्ते में रखना चाहती थी।

इकत्तीस दिसम्बर की सुबह ही टी.वी. में यह खबर आ गयी थी कि जे.एन. मुख्यमन्त्री पद से हटा दिये गये हैं। समाचार यह भी था कि शीघ्र ही जे.एन. को केन्द्रीय मन्त्री पद मिल जायेगा। टी .वी . पर जे.एन. का इण्टरव्यू भी था। उसका यही कहना था कि पार्टी का जो कहना होगा, वह उसे स्वीकार है। चाहे वह मन्त्री न भी रहे, तब भी जनता की सेवा तो करता ही रहेगा ।


एक्स चीफ मिनिस्टर जे.एन. अब भी अत्यंत महत्वपूर्ण व्यक्ति था।
इकत्तीस दिसम्बर की रात जश्न की रात होती है। नया साल शुरू होने वाला था।

रोमेश एक मन्दिर में गया, उसने देवी माँ के चरण की रज ली और प्रार्थना की, कि आने वाले साल में वह जिस काम से निकल रहा है, उसे सम्भव बना दे। वह जे.एन. को
कत्ल करने के लिए मन्नत मांग रहा था।

उसके बाद उसने मोटरसाइकिल स्टार्ट की और मुम्बई की सड़कों पर निकल गया। एक डिपार्टमेंटल स्टोर के सामने उसने मोटरसाइकिल रोक दी। स्टोर में दाखिल हो गया, रेडीमेड गारमेंट्स के काउण्टर पर पहुँचा।

"वह जो बाहर शोकेस में काला ओवरकोट टंगा है, उसे देखकर मैं आपकी शॉप में चला आया हूँ।"

"अभी मंगाते हैं।" सेल्समैन ने कहा। शीघ्र ही काउण्टर पर ओवरकोट आ गया।

"क्या प्राइस है?"

"अभी आप पसन्द कर लीजिये, प्राइस भी लग जायेगी और क्या दें, पैंट शर्ट ?"

"इससे मैच करती एक काली पैंट।"

सेल्समैन ने कुछ काली पैंटे सामने रख दी और पैंटों की तारीफ करने लगा। रोमेश ने एक पैंट पसन्द की।

"काली शर्ट ?" रोमेश बोला।

"जी।" सेल्समैन ने सिर हिला या।

अब काउंटर पर काली शर्टों का नम्बर था। रोमेश ने उसमें से एक पसन्द की।

"एक काला स्कार्फ या मफलर होगा।" रोमेश बोला। मफलर भी आ गया।

"काले दस्ताने।"

"ज… जी !" सेल्समैन ने दस्ताने भी ला दिये,

"काले जुराब, काला चश्मा, काले जूते।"

"तुम आदमी समझदार हो, वैसे काले जूते मेरे पास हैं।" रोमेश ने अपने जूतों की तरफ इशारा किया।

"चश्मा इसी स्टोर के दूसरे काउण्टर पर है।" सेल्समैन बोला,

"यहीं मंगा दूँ ?"

चश्मे का सेल्समैन भी वहाँ आ गया। उसने कुछ चश्मे सामने रखे, रोमेश ने एक पसन्द कर लिया।

"अब एक काला फेल्ट हैट।"

"हूँ!"

सेल्समैन ने सीटी बजाने के अन्दाज में होंठ गोल किये, "मैं भी कितना अहमक हूँ, असली चीज तो भूल ही गया था। काला हैट !"
काला हैट भी आ गया।

"क्यों साहब किसी फैंसी शो में जाना है क्या ?" सेल्समैन ने पूछा।

"जरा मैं यह सब पहनकर देख लूं, फिर बताऊंगा।"

सेल्समैन ने एक केबिन की तरफ इशारा किया। रोमेश सारा सामान लेकर उसमें चला गया।

"अपुन को लगता है, कोई फिल्म का आदमी है, उसके वास्ते ड्रेस ले रहा होगा , नहीं तो मुम्बई के अन्दर कोट कौन पहनेगा ?"

"मेरे को लगता है फैंसी शो होगा।"

दोनों किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाये, तभी रोमेश सारी कॉ स्ट्यू म पहनकर बाहर आया।

"हैलो जेंटलमैन !" रोमेश बोला।

"ऐ बड़ा जमता है यार।" एक सेल्समैन ने दूसरे से कहा,

"फिल्म का विलेन लगता है कि नहीं।"

"अब एक रसीद बनाना, बिल पर हमारा नाम लिखो , रोमेश सक्सेना।"

"उसकी कोई जरूरत नहीं साहब, बिना नाम के बिल कट जायेगा।"

"नहीं , नाम जरूर।"

"ठीक है आपकी मर्ज़ी, लिख देंगे नाम भी।"

"रोमेश सक्सेना ।" रोमेश ने याद दिलाया।

बिल काटने के बाद रोमेश ने पेमेंट दी और फिर बोला, "हाँ तो तुम पूछ रहे थे कि साहब किसी फैन्सी शो में जाना है क्या ?"

"वही तो।" सेल्समैन बोला,

"हम तो वैसे ही आइडिया मार रहे थे।"

"मैं बताता हूँ । इन कपड़ों को पहनकर मुझे एक आदमी का खून करना है।"

"ख… खून।" सेल्समैन चौंका।

"हाँ , खून !"



जारी रहेगा.....✍️✍️
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Raj_sharma

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