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UPDATE 37


रात में खाना खाने के बाद अभय अपने बेड में लेटा हाथ में पकड़े एक फोटो फ्रेम को देख रहा था जिसमे उसके पिता मनन ठाकुर , संध्या और खुद अभय जब छोटा था काफी उसी फोटो को देखने में खोया हू था उसे ये भी पता नही चला कब सायरा कमरे में आके उसके बगल में आके लेट गई इतना सब होने पर अभय का ध्यान नही टूटा तब....

सायरा –(अभय के सिर में हाथ रख) क्या बात है अभय आज खोए हुए हो तस्वीर देखने में...

अभय –(तस्वीर से ध्यान हटा के सायरा को देख) हा बस ऐसे ही बाबा की याद आ रही थी बहुत इस तस्वीर के सिवा और है ही क्या मेरे पास...

सायरा – (अभय को गौर से देखते हुए) एक बात कहूं तुमसे...

अभय –हा बोलो ना...

सायरा – बिल्कुल तुम्हारी तरह ठकुराइन की यही आदत देखती आई थी मैं 2 साल से इसी तरह तुम्हारे कमरे में बैठ के तुम्हारी बनाई तस्वीर को देखती रहती थी और कई बार तो तुम्हारी तस्वीर को सीने से लगाए सो जाती थी कहने को गांव वालो के मू से कई बार सुना है मैंने की अभय के जाने के बाद ठकुराइन सिर्फ अमन को ही प्यार करती है लेकिन सच तो हवेली में रह के मैने जो देखा वो अलग था तुम्हे जब देखती हू कभी कभी मन में बस यही बात आती है तुम्हारे और ठकुराइन की आदत में ज्यादा फर्क नहीं फिर भी ये दूरी जाने क्या अंजाम होगा इसका...

अभय –(मुस्कुरा के) तुम बाते बहुत अच्छी करती हो सायरा यकीन नही होता तुम्हारी जैसे लड़की पुलिस में है जाने कैसे...

सायरा –(मुस्कुरा के) वक्त के साथ सब बदल जाता है धीरे धीरे अभय आदत भी , अगर तुम बुरा न मानो तो एक बात बोलूं तुम्हे...

अभय –हा बोलो ना भला मैं क्यों बुरा मनूगा तुम्हारी बात का...

सायरा – तुम जिस तरह नॉर्मली दोस्तो से पायल से बाते करते हो ना ठकुराइन से भी निर्मल रहो मानती हू मेरा कोई हक नही है तुम्हारे पर्सनल मामले में बोलने का ये सिर्फ इंसानियत के खातिर बोल रही हू आखिर जैसी भी सही ठकुराइन भी एक औरत है....

अभय –(मुस्कुरा के) दीदी भी यही चाहती है मुझ से सायरा खेर ठीक है मैं नॉर्मल रहूंगा अब से....


सायरा – VERY GOOD चलो सो जाओ तुम्हारे एग्जाम नजदीक आ रहे है अब पढ़ाई में अच्छे से ध्यान देना शुरू कर दो तुम कुछ समय के लिए बाकी सारी बातों को भूल जाओ अपनी पढ़ाई में ध्यान दो बस...

अभय –तुंभि बिल्कुल दीदी की तरह बात करने लगी हो अब...

सायरा – अच्छा लेकिन मैं दीदी तो नही हू मै तो तुम्हारी दोस्त हू खास...

अभय – हा बहुत खास दोस्त...

बोल के मुस्कुरा के सो गए दोनो अगले दिन सुबह उठ के अभय जल्दी निकल गया अखाड़े में जहा उसे सत्या बाबू मिले...

सत्या बाबू –(अभय को सामने देख) क्या बात है बेटा आज तुम इतनी जल्दी आ गए अभी तो 5 भी नही बजे है....

अभय –हा बाबा मेरी आदत है सुबह जल्दी उठ के वॉक और एक्सरसाइज करने की...

सत्या बाबू – बहुत अच्छी बात है बेटा , आओ बैठो मेरे साथ जब तक बाकी सब आए....

एक पेड़ के नीचे एक साथ बैठ....

सत्या बाबू – तुम जानते हो बेटा ये दुनिया कहने को तो गोल है बॉल की तरह लेकिन असल में बिल्कुल टेडी है जलेबी की तरह अगर तुम्हे आगे बड़ना है तो इसी नीति के साथ आगे बड़ना होगा तब तुम जान पाओगे अच्छाई और बुराई में फर्क क्या होता है....

अभय – जी बाबा , लेकिन मुझे कैसे पता चलेगा सच का और झूठ का...

सत्या बाबू – वैसे सच को किसी की जरूरत नहीं खुद को साबित करने की लेकिन सच को भी झूठ के पैर के सहारे चलना पड़ता है और जब इंसान सच बोलता है तब उसकी शशिर उसकी आखों में निडरता छलकती है और जब कोई इंसान झूठ बोलता है तब उसकी आंख और शशिर में एक अनजाना सा डर आजाता है....

अभय – कैसा डर बाबा....

सत्या बाबू – पकड़े जाने का डर बेइज्जत होने का डर....

अभय – बाबा जब इतना नुकसान देता है झूठ फिर भी लोग क्यों बोलते है झूठ.....

सत्या बाबू – मतलब की दुनिया है बेटा कोई झूठ बोलता है किसी की भलाई के लिए तो कोई अपनी भलाई के लिए बोलता है झूठ बोलते वक्त अंजाम की परवाह कोई नही करता और जो करता है वो झूठ कभी नही बोलता....

इससे पहले अभय कुछ बोलता तभी सामने से आते हुए राज , राजू और लल्ला तीनों को आवाज आ गई....

राज , राजू और लल्ला एक साथ – (अभय से) तू बड़ी जल्दी आ गया यहां....

अभय –(तीनों को देख) में तो रोज सुबह जल्दी ही उठ जाता हू भाई....

सत्या बाबू – तो अब तो तुम सभी के एग्जाम आने वाले है तो पढ़ाई के क्या हाल चाल है सबके....

चारो एक साथ – सब बढ़िया है बाबा...

सत्या बाबू – हम्म्म बहुत अच्छी बात है अब से एक काम करो चारो मन लगा के तयारी करो एग्जाम की जब तक एग्जाम खतम नही हो जाते तब तक के लिए तुम लोग सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान देना एग्जाम के बाद आना अखाड़े में सभी तब कसरत होगी सबकी शशिर और दिमाग की समझे....

चारो – जी बाबा...

सत्या बाबू – अब जाओ जाके Morning walk करो साथ में कल से सिर्फ पढ़ाई....

बोल के सत्या बाबू अखाड़े के अन्दर चले गए बाकी के चारो निकल गए Walk पर वापस आके सब निकल गए घर कॉलेज की तयारी के लिए साथ ही अभय भी हॉस्टल निकल गया तयार होके नाश्ता कर के निकल गया कॉलेज में जहा सभी दोस्तो से मुलाकात हुई कुछ समय बाद क्लास शुरू हो गई इंटरवल के वक्त अभय निकल गया शनाया के ऑफिस में

अभय –(शनाया के ऑफिस का दरवाजा खटखटा के) MAI I COMING....

शनाया –(बिना देखे) yes comin...

अभय –कैसी है आप...

शनाया –(अपने सामने अभय को देख शॉक होके) तुम....

अभय – (शनाया के पास आके) हा मैं क्यों क्या हुआ आपको...

शनाया – नही कुछ भी नही तुम बताओ कोई काम था क्या...

अभय –वो मैं ये कह रहा था कल शनिवार है तो....


शनाया –(शनिवार सुन हड़बड़ा के अभय को बात काटते हुए) हा वो मैं देखो अभय इस वक्त तुम्हारे एग्जाम शुरू होने वाले है तो तुम अभी सिर्फ अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो बाकी बाद में बात करेंगे उस बारे में हम....

अभय –(शनाया से अपना असली नाम सुन हैरान होके) हा मैं भी यही कह रहा था मैडम ठीक है मैं अब चलता हू...

बोल के अभय निकल गया ऑफिस से पीछे...

शनाया –(अभय के मू से मैडम सुन मन में – मैडम आज इतने साल बाद क्यों बोला (बात याद करके) OH SHIT ये मैने क्या कर दिया जल्दी बाजी में उसका असली नाम बोल दिया मैने कही उसे कोई शक तो नही हो गया धत तेरे की संध्या सही कह रही थी मैने जल्दी में बहुत बड़ी गलती कर दी उसका असली नाम लेके कही फिर से अभय गलत न समझे संध्या को)....

बोल के अपने सिर में हाथ रख के बैठ गई शनाया क्लास शुरू होते ही सब पढ़ाई में लग गए अपनी छुट्टी होम के बाद सब निकल रहे थे कॉलेज के बाहर...

पायल –(अभय से) सुन आज तू फ्री है...

अभय – हा तू बता कोई काम था....

पायल –(मुस्कुरा के) कोई काम नहीं तह बस यही बोलना था की आज मिलेगा शाम को बगीचे में मैं अपनी सहेली के साथ आऊंगी वहा पे...

अभय –अच्छा तू तो बोल रही थी संडे के लिए...

पायल –तू बिल्कुल बुद्धू का बुद्धू ही रहेगा एग्जाम शुरू होने वाले है 1 हफ्ते तक मौका कहा मिलेगा कही निकलने का इसीलिए...

अभय – (मुस्कुरा के) ठीक है आज शाम को आऊंगा मैं...

बात करते हुए मुस्कुरा के पायल निकल गई अपनी सहेली के साथ घर इधर अभय जा रहा था तभी शनाया ने आवाज दी अभय को....

शनाया – (अभय से) मुझे हवेली छोड़ दोगे....

अभय – हा बिल्कुल आइए...अभय के साथ बाइक में बैठ निकला गई शनाया हवेली की तरफ रास्ते में....

शनाया – तुम नाराज तो नही हो...

अभय –नही मैं क्यों नाराज होने लगा आपसे....

शनाया – नाराज तो लग रहे हो तुम मैने तुम्हे अभय कह के पुकारा था...

अभय –कोई बात नही इसमें नाराज होने वाली कोई बात नही...

शनाया – मुझे पता है तुम्हारा असली नाम अभय है अभी नही चांदनी ने मुझे सब बता दिया कल....

अभय –(बाइक रोक के) दीदी ने बता दिया सब क्यों...

शनाया –उस दिन तुम हवेली में बिना खाना खाए चले गए थे ना बस इसीलिए मैं पता कर रही थी तब चांदनी ने मुझे सब बता दिया....

अभय –(मुस्कुरा के) ठीक है कोई बात नही (बाइक स्टार्ट करके) मैं मिलने आया था आपसे बस इसीलिए एग्जाम आ रहे है और आपने शनिवार को आने को कहा था...

शनाया –हा कोई बात नही मिलते तो रहते है ना कॉलेज में हम एग्जाम हो जाए फिर बात करेंगे आराम से फ्री होके अभी मुझे भी तयारी करनी है एग्जाम के लिए बाहर से कुछ टीचर आ रहे है एग्जाम के पेपर्स लेके वैसे तुम्हारी तयारी कैस चल रही है...

अभय –अच्छी चल रही है तयारी मेरी....

शनाया – हम्म्म मन लगा के पढ़ाई करो जैसे स्कूल में करते थे वैसे ही....

बात करते करते हवेली में छोड़ अभय निकल गया हॉस्टल पे पीछे अभय के जाने के बाद....

शनाया –(अपने मन में – I M SORRY अभय लेकिन शायद मेरी किस्मत में प्यार लिखा ही नहीं है मैं नही चाहती तुम्हे सच पता चले कही सच जान के तुम संध्या की तरह मुझसे भी नफरत ना करने लगो)...

अपने मन में बात करते हुए शनाया हवेली में अन्दर चली गई शाम होते ही अभय निकल गया बगीचे पायल से मिलने थोड़ी देर में पायल आती हुई दिखी अभय को साथ नीलम और नूर टहलते टहलते अभय के पास आके....

पायल –बड़ी जल्दी आ गए तुम....

अभय – हा अगले एक हफ्ते तक तो पढ़ाई ही करनी है यार फुरसत कहा मिलेगी फिर एक हफ्ते तक और तुम बताओ कुछ...

अभय के बोलते ही पायल ने अपनी दोनो सहेली को इशारा किया जिससे नीलम और नूर साथ निकला गए दूसरी तरफ...

पायल –(दोनो सहेलियों के जाते ही) क्या बताओ बस तेरे सामने हू तेरे आने से लगने लगा है मैं भी जिंदा हू वर्ना मैं तो भूल ही गई थी...

इतना बोला ही था की अभय ने गले से लगा लिया पायल को अपने कुछ देर तक गले लगे रहे फिर अलग होके...

अभय – अब बेकार की बात छोड़ घर में सब कैसे है....

पायल – सब अच्छे है लेकिन तू कब तक अपने आप को छुपा के रखेगा सबसे बता को नही देता सभी गांव वालो को अपने बारे में....

अभय –(मुस्कुरा के) तुझे पता है ना बस बाकियों की क्या सोचना फिर...

पायल –डर लगता है कही फिर से तू चला गया कही....

अभय – अगर गया तो तुझे साथ लेके जाऊंगा समझी....

पायल –अच्छा जैसे मैं चल दुगी तेरे साथ मां बाबा को छोड़ के कही नही जाऊंगी मैं....

अभय – चिंता मत कर तुझे डोली मैं बैठा के ले जाऊंगा सबके सामने देखना....

पायल –(शर्मा के) अच्छा ऐसे कैसे पहले मेरे मां बाबा से हाथ तो मांग मेरा फिर सोचूगी...

अभय – (मुस्कुरा के) चिंता मत कर पूरे गांव के सामने तेरा हाथ मागूगा देख लेना और तेरे मां बाबा भी माना नही कर पाएंगे...

बोल के मुस्कुराने लगे दोनो ऐसे ही काफी देर तक साथ बगीचे घूमते बाते करते रहे दोनो नीलम और नूर के आते ही वापस चले गए अपने घर की तरफ और अभय हॉस्टल की तरफ फिर अगले एक हफ्ते तक सभी पढ़ाई करते रहे एक हफ्ता पढ़ाई और एग्जाम में बीत गया इनका आखरी एग्जाम के बाद सब कॉलेज में साथ बात करते हुए निकले एक दूसरे से एग्जाम के बारे में क्योंकि एग्जाम के बाद 3 दिन कॉलेज बंद रहेगा ये सब बात करते हुए शाम को दोस्तो से मिलने का बोल अपनी मंजिल पर मतलब अभय होस्टल बाकी सब अपने घर पर जबकि हवेली में कॉलेज के बाद शनाया और चांदनी एक साथ हवेली वापस आए आते ही संध्या हाल में बैठी मिली....

संध्या –(दोनो को देख) फुरसत मिल गई आज एग्जाम की ड्यूटी से दोनो को....

शनाया – चांदनी को मिल गई फुरसत लेकिन मुझे नही अभी कम से कम 5 दिन लगेंगे फ्री होने में मुझे जब तक आंसर शीट (Answer Sheet) चेक नही हो जाति तब तक....

संध्या –(मुस्कुरा के) ठीक है चलो तुम दोनो फ्रेश हो जाओ खाने का वक्त हो गया है....

थोड़ी देर में सब खाना खा के कमरे में चले गए आराम करने तब शनाया के कमरे में संध्या आई जिसे देख चांदनी बोली....

चांदनी –क्या हुआ मौसी....

संध्या – एक बात कहनी थी मुझे....

शनाया – हा बोलो ना संध्या इसमें पूछना कैसा....

संध्या – अब तो एग्जाम खतम हो गए है गांव से कुछ दूर हाईवे में एक नया रेस्टोरेंट खुला है हम वहा चले खाने पर....

चांदनी –(मुस्कुरा के) मौसी सिर्फ हम या अभय को भी बुलाना है....

संध्या –हा चांदनी बहुत दिन हो गए है उसे देखे बात किए अब मेरा कौल उठता तक नही है वो अगर एग्जाम ना होते मैं फिर से कॉल करती या मिलने जाति लेकिन इस वजह से उसके एग्जाम में दिक्कत न आए इसीलिए चुप चाप बैठी रही....

शनाया – (संध्या की बात सुन) वैसे रेस्टोरेंट वाला आइडिया अच्छा है लेकिन अभय को लाना टेडी खीर है कैसे आएगा वो....

चांदनी –(मुस्कुरा के) एक तरीका है मेरे पास अभय को रेस्टोरेंट में लाने का....

शनाया – क्या....

चांदनी – उसके दोस्त वो उनके साथ आएगा रेस्टोरेंट हमारे कहने पर नही लेकिन अपने दोस्तो के कहने पर जरूर आएगा बस इसके लिए राज से बात करनी होगी....

संध्या – प्लीज बात कर ना या मैं बात करू राज से....

संध्या ने राज से कॉल पर बात बोलते ही चांदनी ने अपना मोबाइल दिया संध्या को तभी मोबाइल में मैसेज आया जिसे पड़ के संध्या हसने लगी लगातार कई मैसेज आते रहे संध्या हस्ती रही....

शनाया –(संध्या जो मोबाइल देख हसे जा रही थी) क्या बात है संध्या तू इस तरह हस क्यों रही है....

शनाया की बात सुन संध्या उसके पास आके मोबाइल दिखाने लगी जिसे पड़ के शनाया हसने लगी इतनी देर देख चांदनी को समझ में नहीं आ रहा था की क्यों संध्या हसी जा रही है जब शनाया मोबाइल देख हसने लगी तब चांदनी के दिमाग की घंटी बजी तुरंत संध्या के पास आके मोबाइल लेके....

चांदनी –(संध्या से अपना मोबाइल लेके) मौसी आप अपने नंबर से बात कर लीजिए राज से...

बोल के बाथरूम में चली गई चांदनी पीछे से शनाया और संध्या हसने लगी तब संध्या बोली....

संध्या – (शनाया से) तूने पड़ा....

शनाया – हा बहुत मस्त शायरी लिखी राज ने एक के बाद एक भेजता जा रहा है शायरी....

संध्या – (हस्ते हुए) हफ्ते भर का कोटा आज ही पूरा करने में लगा है राज...

तभी चांदनी बाथरूम से निकली...

संध्या – मस्त शायरी भेजी है तुझे पढ़ी तूने....

चांदनी –(शर्मा के) क्या मौसी आप भी ना....

शनाया –देखो तो शर्मा कैसे रही है...

संध्या –(चांदनी का मोबाइल लेके शायरी पढ़ने लगी) अर्ज किया है...


जब रूबरू आ ही गया, इक फूल सा चेहरा,
इक कली पे माना, शबाब आया था,
सर्द हवा के झोकों ने, झंझकोर के रख दिया,
फूलों की बस्ती में, एक सैलाब आया था,
अब क्या कहै उस दीदार की प्यासी चकोरी को,
के अपने चांद पर, प्यार उसे बेहिसाब आया था‌‌ ।। (राज)

.

अर्ज किया है:
कभी मै रहके भी घर पर नहीं हूं ,
जहाँ मै हूँ, वहाँ अकसर नहीं हूँ ,
किसी को चोट मुझसे क्या लगेगी,
किसी की राह का पत्थर नहीं हूँ,
रहा फूलों की संगती में निरंतर,
बहारों का भले शायर नहीं हूँ,
तेरा दर खुला हैं मेरे लिए हमेशा,
ये क्या कम है कि बेघर नहीं हूँ ।।
राज.

.

अर्ज किया है:
मेरी जिंदगी की किताब में,
हर अध्याय तुम्हारा है,
कहानी तो मेरी है,
हर पन्ने पे नाम तुम्हारा है..!
.

अर्ज किया है:
तेरे इश्क ने हमें गुमनाम कर दिया,
तेरी अदा ने हमें बदनाम कर दिया,
हर खुशी से हमें अंजान कर दिया,
हमने तो कभी चाहा ही नही
कि हमें भी मोहब्ब्त हो,
लेकिन आपकी तिरछी नजरों ने हमे नीलाम कर दिया।।
.

अर्ज किया है:
ना जिंदगी का और
ना ही जमाने का सोचा है,
हमने बस तुम्हे अपना बनाने का सोचा है।

.

अर्ज किया है:
हमेशा के लिए रख लो ना, पास मुझे अपने
कोई पूछे तो बता देना, किरायेदार है दिल का!!

.

अर्ज किया है:
तेरे अहसास की खुशबू रग रग में समाई है,
अब तू ही बता क्या इसकी भी कोई दवाई है।

.

अर्ज किया है:
मुसाफिर इश्क़ का हूं मैं
मेरी मंज़िल मुहब्बत है,
तेरे दिल में ठहर जाऊं
अगर तेरी इजाज़त है।
.

अर्ज किया है:
ना हीरों की तमन्ना है और ना
परियों पर मरता हूं…
वो एक “भोली सी” लड़की है
जिसे मै मोहब्बत करता हूं!!
राज
.

अर्ज किया है:
ना समझो कि हम आपको भुला सकेंगे
आप नही जानते की दिल में छुपा कर रखेंगे
देख ना ले आपको कोई हमारी आंखों में दूर से
इसीलिए हम पलकें झुका के रखेंगे।।
"राज"


एक के बाद एक शायरी पड़ के संध्या और शनाया हसने लगी साथ में...

शनाया – (हस्ते हुए) चांदनी एक काम कर तू नया मोबाइल लेले क्योंकि जल्द ही ये मोबाइल शायरी की किताब बन के हैंग होने वाला है अपने जरूरी कॉन्टैक डिटेल्स संभाल के नए मोबाइल में रख ले जल्दी से...

इसके बाद तीनों हसने लगे थोड़ी देर में शनाया और चांदनी आराम करने लगे और संध्या इनको छोड़ अपने कमरे में चली गई आराम करने कमरे में आते ही....

संध्या –(राज को कॉल मिला के) हेलो राज कैसे हो...

राज –(कॉल पे) प्रणाम ठकुराइन मैं ठीक हू आप कैसे हो...

संध्या – प्रणाम , मैं भी अच्छी हू राज , तुझ से एक काम है अगर तू कर दे तेरा उपकार होगा मुझपे...

राज –(संध्या के मू से उपकार वाली बात सुन) ये क्या बोल रही है आप ठकुराइन भला उपकार कैसा आप सिर्फ हुकुम करिए...

संध्या –राज बहुत दिन हो गए अभय को देखे उससे बात किए अब तो मेरा कॉल तक नही उठाता है क्या किसी तरह तुम अभय को साथ लेके गांव से थोड़ी दूर हाईवे पर एक नया रेस्टोरेंट खुला है वहा ले आओ यहां से मैं और चांदनी वहा जाएंगे मैं उसे देखना चाहती हू...

राज –बस इतनी सी बात ठकुराइन आप जब बताए मैं लेके आऊंगा अभय को....

संध्या – ठीक है मैं शाम को बात करके बताती हू तुम्हे कौल पर...

इधर शाम होते ही अभय निकल गया दोस्तो से मिलने बगीचे में जहा सभी दोस्त मिल के बाते कर रहे थे तभी राज बोला....

राज –अबे तुम लोगो को पता है गांव से थोड़ी दूर हाईवे में एक नया रेस्टोरेंट खुला है क्यों न वहा चले हमसब...

राजू –(राज की बात सुन) हा यार बहुत वक्त हो गया कही घूमने गए नही हम...

लल्ला – हा तो इस बार साथ में घूमने चलते है हम चारो...

अभय –(तीनों की बात सुन) अबे भूल गए क्या कल से बाबा के पास जाना है सुबह अखाड़े में...

राज –(हस्ते हुए) अबे तू उनकी चिंता मत कर बाबा शहर गए हुए है काम से 2 दिन बाद वापस आएंगे....

अभय – अच्छा तो बताओ कब चलना है....

राज – कल चले शाम को 5 बजे सब कोई बता देना घर में खाना खा के आएंगे हम...

राज की बात सुन सब मान गए कुछ समय साथ वक्त बिताने के बाद सब निकल गए अपने घर अपने घर पे आते ही राज ने कौल लगाया संध्या को....

राज –(कौल पर ठकुराइन से) प्रणाम ठकुराइन मैने बात कर ली लेकिन....

संध्या –लेकिन क्या राज....

राज – वो ठकुराइन राजू और लल्ला भी साथ आएंगे...

संध्या – अरे तो इसमें सोचने वाली कौन सी बात है वो तो तुम सबको आना ही होगा मैं जानती हू अभय तुम सबके बिना आएगा नही सोचा तो मैने पायल का भी लेकिन क्या बहाना करू उसके लिए लोग गलत मतलब ना निकाले बस इसीलिए पायल से नही कहा...

राज –(मुस्कुरा के) कोई बात नही ठकुराइन ठीक है कल शाम को 5 बजे रेस्टोरेंट में मिलेंगे सब...

संध्या –(खुश होके) ठीक है कल शाम को वक्त पर आ जाना सब....

बोल के कौल कट कर दिया कई दिन बाद कल अभय को देखने की खुशी में संध्या बेड में लेटते ही सो गई सुबह होते ही इस तरफ हॉस्टल में अभय जल्दी उठ के निकल गया वॉक पर वापस आते ही...

सायरा – 3 दिन की छुट्टी है क्या करने वाले हो 3 दिन तुम...

अभय – करना क्या है यार यही रहूंगा 3 दिन तक सुबह शाम पूरा दिन कहा जाऊंगा मैं एक काम करना तू भी रुक जा 3 दिन (आंख मार के) कही मत जाना....

सायरा – (मुस्कुरा के) अच्छा और कोई काम नहीं सूझा तुम्हे...

अभय –(मुस्कुरा के) तो तुम ही बता दो कोई और काम....

सायरा – अभी नाश्ता करो पहले बाकी बाद में बात....

अभय –(नाश्ता करते वक्त) अच्छा सुनो शाम को खाना मत बनाना मेरे लिए दोस्तो के साथ हाईवे वाले नए रेस्टोरेंट में जा रहा हू वही पर खाना खाएंगे सब....

सायरा – (बात सुन के) कभी मुझे भी ले चल अपने साथ घुमाने को....

अभय – इसमें पूछना क्या है तू भी चला साथ में हमारे...

सायरा – अरे नही मैं मजाक कर रही थी...

अभय –लेकिन मैं मजाक नही कर रहा था चल एक काम करते है अगली बार सिर्फ तू और मैं चलेगे....

इधर हवेली में नाश्ते के वक्त टेबल पे सब नाश्ता कर रहे थे...

संध्या – (सभी से) अच्छा सुनो शाम को मुझे जाना है काम से चांदनी के साथ रात का खाना बाहर खा के आयेगे हम दोनो का खाना मत बनाना....

मालती – दीदी कहा जा रहे हो आप....

संध्या – पास के गांव में जा रही हू मै...

ललिता – दीदी 2 दिन बाद अमन का जन्मदिन है....

अपने जन्मदिन का सुन के अमन मुस्कुराते हुए देखने लगा संध्या को जिसे देख संध्या बोली....

संध्या – (अमन को देख बोली) वैसे भी अमन अपने दोस्तो के साथ मनाता है अपना जन्मदिन ठीक है मैने माना तो नही किया घूमना चाहे जा सकता है अमन घूमने....

बोल के संध्या चली गई खाता बही का काम देखने पीछे से अमन खुशी से बोला....

अमन –(अपनी मां से) मां मैं अपने दोस्तो के साथ घूमने जाऊंगा शहर मूवी देखने....

ललिता –(मुस्कुरा के) ठीक है चले जाना....

मालती –(अमन से) हर साल तो दोस्तो के साथ मनाता है जन्मदिन इस बार यही सबके साथ मना लेगा तो क्या हो जाएगा....

अपनी चाची की बात सुन अमन का मू बन गया चुप चाप सिर नीचे कर के नाश्ता करने लगा इस तरह दिन तो कटा अब चलने की तयारी हो रही थी सबकी इस तरफ जहा अभय तयार था तभी राज , राजू और लल्ला अपनी साइकिल से आ जाए अभय के पास....

अभय –(तीनों को साइकिल में देख) अबे आज भी साइकिल से चलोगे क्या बे...

राजू – अबे हम तो साइकिल से ही घूमते है पूरा गांव...

अभय – अबे गधे हाईवे दूर है काफी यहाँ से साइकिल से चलोगे तो रात हो जाएगी रेस्टोरेंट पहुंचने में....

लल्ला – बात तो सही अब क्या करे...

राज – (कुछ सोच के) एक काम करते है राजू और लल्ला तुम दोनो अभय के साथ बैठ जाओ बाइक पे....

अभय – अबे तो तू कैसा आएगा...

राज – (मुस्कुरा के) मेरे पास एक आइडिया है...

अभय –अरे कैसे आइडिया बता तो...

राज –बोला ना मैं आ जाऊंगा तुमलोग निकलो...

बात करके निकल गए अभय , राजू और लल्ला एक बाइक से इधर राज ने तुरंत कॉल किया चांदनी को जो ठकुराइन के साथ तयार होके मालती और ललिता को बता के निकलने वाली थी...

संध्या – (मालती और ललिता से) मैं चलती हू रात में आती हू...

चांदनी –(तभी उसका मोबाइल बजा नंबर देख कॉल उठा के) हा बोलो...

राज – एक छोटा सा काम ही आपसे....

चांदनी – क्या....

राज – मुझे भी अपने साथ ले चलो वो क्या है ना अभय की बाइक में चार लोग बैठ नही पाएंगे....

चांदनी –(संध्या को देख)अभय भी है...

राज –नही वो तो चला गया बस मैं हू और अगर आप चाहो तो सिर्फ मैं और आप ही साथ चले एक साथ रास्ते मे बोर नहीं होने दुगा मैं....

चांदनी –(राज की बात सुन मुस्कुरा के) अच्छा ठीक है...

बोल के कौल कट कर दिया....

संध्या – (चांदनी से) अभय है....

चांदनी –हा चलिए उसे लेना है साथ में...बोल के दोनो निकल गए साथ में आ गए राज के पास...

संध्या –(राज को देख चांदनी से) तुमने तो कहा अभय है यहां तो राज है....

चांदनी –(मुस्कुरा के) जी वो अभय तो चला गया पहले ही और ये....

संध्या –(बात को समझ के) ओह हो तो ये बात है पहले बताती तो तुझे अलग से कर देदेती , चल कोई ना अगली बार बता देना पहले से...

बोल के मुस्कुराने लगी संध्या जिसे देख चांदनी शर्मा गई चांदनी फिर राज को कार में बैठ के निकल गए तीनों रेस्टोरेंट की तरफ जबकि आई के जाने के बाद...

औरत –(कौल पर) एक खुश खबरी है तुम्हारे लिए...

रंजीत सिन्हा – अच्छा क्या खुश खबरी है मेरी जान...

औरत –संध्या हवेली से निकली है अभी चांदनी के साथ और रास्ते में अभय को अपने साथ ले जाने वाली है....

रंजीत सिन्हा –(औरत की बात सुन खुश होके) वाह मेरी जान कमाल की खुश खबरी दी है तूने अब देख क्या करता हू मै बस इंतजार कर जल्दी ही तेरी तम्मना पूरी हो ने वाली है मेरी जान...

हस्ते हुए कॉल कट कर किसी को कौल मिलाया....

रंजीत सिन्हा – (कौल पर किसी से) ध्यान से सुन मेरी बात संध्या और उसके साथ एक लड़का और एक लड़की हवेली से निकले है जल्दी से उठा लें संध्या को और ध्यान रखना उनके साथ लड़की और लड़का को कुछ भी नही हो ना चाहीए समझे...

सामने से – ठीक है साहब हो जाएगा काम...

इस तरफ तीनों कार से चले आ रहे थे बात करते हुए....

संध्या –(राज से) बाकी के सब कहा है राज....

राज –ठकुराइन बाकी तो पहले निकल गए....

संध्या – तुम्हे छोड़ के निकल गए....

राज –(मुस्कुरा के) वो बात ऐसी नही है वो असल में वो मैं....

संध्या –(मुस्कुरा के) ठीक है ठीक है बाते मत बना मेरे सामने सीधे बोल ना तुझे चांदनी के साथ अकेले आना था....

राज –(मुस्कुरा के) वो ठकुराइन वो क्या है की....

संध्या –क्या कुछ नही है सब समझती हू मै....

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अर्ज किया है:
ना समझो कि हम आपको भुला सकेंगे
आप नही जानते की दिल में छुपा कर रखेंगे
देख ना ले आपको कोई हमारी आंखों में दूर से
इसीलिए हम पलकें झुका के रखेंगे।।

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संध्या –(राज की शायरी उसे सुना के) बहुत मस्त शायरी लिखी तुमने वैसे मेरे पास तुम्हारी डायरी है शायरी वाली....

राज –(चौक के) मेरी शायरी वाली डायरी आपके पास....

संध्या – हा मेरे पास तूने अभय को दी थी ना एक बार याद है....

राज –(अपनी डायरी वाली बात याद करके) हा मैने एक बार दी थी डायरी अभय को तो क्या आपने संभाल के रखी है डायरी अभी तक....

संध्या – (हसी रोक सीरियस हो के) हा राज मैने अभय की हर चीज संभाल के रखी है....

राज – (संध्या के कंधे पे हाथ रख के) आप परेशान मत हो ठकुराइन मैं वादा करता हू एक दिन मैं अभय को हवेली लेके जरूर आऊंगा उसके बाद अभय हमेशा के लिए सिर्फ आपके साथ रहेगा मेरा वादा है आपसे चाहे जैसे भी लाऊं लेकिन लाऊंगा जरूर अपने यार को....

संध्या – शुक्रिया राज....

राज – नही ठकुराइन शुक्रिया बोल के पराया मत करिए आप आखिर मेरा भाई है अभय एक भाई को उसकी मां से मिलाना से बड़ा क्या हो सकता है दुनिया में....

राज की बात पे संध्या मुस्कुरा के अपना सिर हिलाई इस बीच चांदनी मुस्कुरा के केवल राज को देखे जा रही थी...

संध्या – वैसे तुमने बाकियों को भेज दिया कैसे चले गए तुम्हारे बिना वो तीनो...

राज –(मुस्कुरा के) मुझे पता था पहले से इसीलिए मैंने जानबूझ के राजू और लल्ला को साइकिल से अभय के हॉस्टल में आने को बोला मैं जानता था नया वाला रेस्टोरेंट गांव से काफी दूर है साइकिल से जाने पर रात हो जाएगी इसीलिए ये किया और अभय ने हमे साइकिल में देख दूरी वाली बात बोल दी तब मैने ही आइडिया दिया वो अभय के साथ चले जाए ताकि....

संध्या –(मुस्कुरा के बीच में) ताकि तुम और चांदनी साथ में यही ना...

संध्या की बात सुन राज और चांदनी शर्माने लगे जिसे देख संध्या हसने लगी थोड़ी दूरी आते ही संध्या ने कार को ब्रेक लगा दिया सामने देखा एक आमदी सड़क के बीच लेता पड़ा है साथ एक औरत और रोता हुआ बच्चा भी था जिसे देख...

राज – आप रुकिए मैं देखता हू....

राज कार से उतर के आगे जा के देखने लगा...

राज –(रास्ते में पद राधा और औरत को हिलाते हुए) क्या हो गया भाई....

बोल के राज हिलाने लगा उनको लेकिन राज को कुछ समझ में नहीं आया तब राज पीछे मुड़ के कर पर देख जहा संध्या और चांदनी भी देख रहे थे राज को अपनी तरफ देखते ही दोनो कार से निकल जैसे ही पास आने लगे तभी पीछे से 2 लोग ने आके तुरंत रुमाल एक ने चांदनी के मू पे लगाया और दूसरे ने संध्या के मू पे इससे पहले चांदनी या संध्या कुछ समझ पाते या कर पाते दोनो बेहोश हो गए जिसे देख राज तुरंत उठ के उनकी तरफ भागने को हुआ था की तभी पीछे जमीन में पड़ा आदमी उठ के राज के पीछे से उसकी आंख में मिट्टी मल दी जिससे राज को कुछ दिखा नही और इस बात का फायदा उठा के बाकी के दो आदमी भी निकल आए अपने साथियों के साथ मिल के राज को जमीन में गिरा के चारो तरफ से मारने लगे और राज आंख में मिट्टी लगे होने की वजह से बच नहीं पाया जमीन में पड़ा रहा मार खाता रहा तभी एक आदमी की आवाज आई....

रंजीत सिन्हा –(राज को देख) रुक जाओ ये लड़का कॉन है अभय कहा है....

दूसरा आदमी – साहब यही लड़का बैठा था कार में बस....

रंजीत सिन्हा – छोड़ो इसे....

राज को देख जो मार खा के बेहोश लग रहा था....

रंजीत सिन्हा – एक काम करो इस लड़के को कार की ड्राइवर वाली सीट मैं बैठा दो और लड़की को पीछे वाली सीट में दोनो को बेल्ट लगा के कार को सामने वाले पेड़ से टकरा दो लगेगा जैसे एक्सीडेंट हुआ है कार का....

दूसरा आदमी – साहब (संध्या की तरफ इशारा करके) इसका क्या करना है....

रंजीत सिन्हा – इसे उठा के खंडर में ले चलो ध्यान रखना कोई देख न पाए खंडर में जाते हुए हमे बाकी की बात इससे वही करेंगे....

बोल के बाकि आदमियों ने वही किया और लेके निकल गए संध्या को अपने साथ खंडर की तरफ इन सब बातो से अंजान अभय , राजू और लल्ला रेस्टोरेंट में बैठ के इंतजार कर रहे थे राज के आने का
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जारी रहेगा✍️✍️
बहुत ही सुंदर लाजवाब और गजब का अपडेट है भाई मजा आ गया
ये अभय और सायरा बीच की हसी ठिठोली बातें बडी ही नजाकत भरी हैं
काॅलेज में शनाया के मुॅंह से गलती से अभय का नाम निकलना और बाद में बडी ही कुशलता से बात को संभाल लेना बहुत ही मस्त
अभय का पायल के साथ बिताया समय और बातें बडी ही मस्त हैं
ये ढाबे पर खाना खाने का बहाना बना कर संध्या को अभय को देखने का राज और चांदनी से मिलकर बनाया प्लॅन सिर्फ शनाया और सायरा को ही पता था तो संध्या के अपहरण में रंजीत सिन्हा के साथ हवेली में रह कर रंजीत के लिये काम करने वाली ये दोनों मे से तो कोई नहीं है या फिर और कोई
ये खंडहर रंजीत सिन्हा के अवैध धंदों का अड्डा तो नहीं है जहाँ संध्या का अपहरण करके ले जाया जा रहा हैं
जब संध्या के अपहरण की खबर राज के व्दारा अभय को मिलेगी तो अभय की क्या प्रतिक्रिया होगी
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Are kimi na thoda sa dengu🫡...but i will be ohkey bhot jyada nahi hua h but jitna hua h wo bhari ho raha h because of fast🥲 but 3 din baad aaj admit hui ho to I will be fine
Dhyan raakhje tero, mere pas le-de ke ek tu hi hai, or tere jiso dusro koi ho bhi koni sake😉
 

Raj_sharma

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Kaun the wo saheli aur wo dost dono ne ek saath maje le liye tumhare 😂
Abe mai to tumhari baat kar raha tha, mujh se maskhari karoge to beta saayri se hi pel dunga :lol1: Mai to chootiyo ki baat kar raha tha be, tu mujh se maskhari karne lage😄
 

Raj_sharma

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Raji Ko dekh kar ek baat yad aai ki:
मेरे खाबो में कोई और नही तेरे सिवा,
तू ना दे पाएगी तो अपनी सहेली की दिला,
शिला गीता मुझे अच्छी नही लगती सोना,
चाहें दिन रात मुझे चू#त चमेली की दिला,
भाड़ में जाये ये दुनिया मुझे खुशियां देदे,
एक तस्वीर मुझे उसकी अकेली की दिला ।। :heart:
DEVIL MAXIMUM Tag karne ka kya fayda be? :?:
 

despicable

त्वयि मे'नन्या विश्वरूपा
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Abe mai to tumhari baat kar raha tha, mujh se maskhari karoge to beta saayri se hi pel dunga :lol1: Mai to chootiyo ki baat kar raha tha be, tu mujh se maskhari karne lage😄
Ek tum hi to ho jis se hum maskhari kar sakte hai baki chutiyo itne jaruri to nahi ki tum apni shayri unke liye barbaad karo 😎

Wo jo h jaha h jaisa hai mai kahta hu wo Meetha hai gud h chini hai chashni hai
 

DEVIL MAXIMUM

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Ek tum hi to ho jis se hum maskhari kar sakte hai baki chutiyo itne jaruri to nahi ki tum apni shayri unke liye barbaad karo 😎

Wo jo h jaha h jaisa hai mai kahta hu wo Meetha hai gud h chini hai chashni hai
Logo ko Pehchanna ka tarika kafi intresting hai aapka 😂😂😂😂
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Bado ne ek kahawat bilkul sahi kahe hai
Chor choro ko pehchann jata hai😂😂😂😂
 
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