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Bhupinder Singh

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UPDATE 40


सायरा – (राज के कमरे में आके) अभय गीता काकी बुला रही है तुम्हे....

अभय –(सायरा की बात सुन के) क्या ठकुराइन को होश आ गया....

सायरा – अभी नही....

बोल के सायरा के साथ अभय चला गया संध्या के कमरे में....

अभय –(कमरे में आते ही) बड़ी मां आपने बुलाया....

गीता देवी – आजा बैठ तो पहले....

गीता देवी के पास जाते हुए अभय की नजर संध्या के पैरो में थी जिसमे डॉक्टर ने ट्यूब लगाया हुआ था फिर भी जलने का निशान दिख रहा था देखते हुए अभय गीता देवी के पास बैठ गया....

गीता देवी – तूने कुछ खाया....

अभय –???....

गीता देवी –(अभय के कंधे पे हाथ रख के) क्या हुआ....

अभय –कुछ नही बड़ी मां....

गीता देवी – 8 बजने वाले है तुमलोग बैठो यहां मैं घर से खाना बना के लाती हू....

सायरा –(बीच में) आप परेशान मत हो काकी मैं ले आती हू खाना सबके लिए....

अभय –(तुरंत बीच में) मैं चलता हू साथ में जल्दी आ जाएंगे हम चल जल्दी....

बोल के अभय तेजी से कमरे से बाहर निकल गया बीना सायरा या किसी की बात सुने....

सायरा –(हैरानी से) इतनी जल्दी क्या है इसे....

गीता देवी – पता नही तुम जाओ उसके साथ शायद कुछ कम रह गया हो....

चांदनी –अब कौन सा काम होगा मां....

गीता देवी – अब ये अभय ही जानता होगा....

बात सुन के सायरा निकल गई अस्पताल के बाहर जहा अभय बाइक के पास खड़ा था....

अभय –(सायरा के आता देख) जल्दी से बैठ जा....

सायरा –(बाइक में बैठ के) क्या बात है अभय इतनी जल्दी किस बात की....

अभय – बाद में बताता हू....

बोल के बाइक तेजी से लेके निकल गया अभय हॉस्टल की तरफ....

जबकि इस तरफ कुछ 2 घंटे पहले बगीचे में रंजीत सिन्हा इंतजार कर रहा था उस औरत के आने का इस बात से अनजान की खंडर में क्या हुआ है जबकि रंजीत सिन्हा को इंतजार करते करते काफी देर हो गई लेकिन औरत नही आई तब रंजीत ने कौल लगाना शुरू किया लेकिन कौल रिसीव नहीं हो रहा था थोड़ी देर बाद औरत का कौल आया रंजीत के पास....

रंजीत सिन्हा –(कौल रिसीव करके) क्या बात है तुम कहा हो आई क्यों नहीं तुम....

औरत –तुम्हे सिर्फ अपनी पड़ी है रंजीत और यहां मौका नहीं मिल रहा है कुछ और सोचने का....

रंजीत सिन्हा –(चौक के) ऐसा क्या हो गया अब....

औरत – किसी मामूली औरत का किडनैप नही हुआ है रंजीत गांव की ठकुराइन गायब हुई है पुलिस से लेके नेता तक सुबह से आ जा रहे है सब अभी थोड़ी देर पहले यहां का नेता गया है ये बोल के की वो CBI को ये केस हैंडल करके आए है....

रंजीत सिन्हा –(चौक के) क्या CBI तक बात आ गई ये....

औरत – रंजीत तेरे पास वक्त बहुत कम है इससे पहले बात बिगड़े जल्दी से जो जानकारी लेनी है संध्या से लेके निकाल उसे वहा से....

रंजीत सिन्हा – क्या बोले जा रही है पता है तुझे संध्या से जानकारी लेके अगर उसे छोड़ दिया तो क्या फायदा जानकारी लेने का क्या संध्या चुप बैठेंगी नही बल्कि सबको बता देगी खंडर के बारे में....

औरत – लगता है तेरा दिमाग अभी भी खराब है रंजीत ज्यादा लालच अच्छी नहीं होती जो मिल रहा है लेले कही ऐसा ना हो जो मिल रहा है उससे भी हाथ धो बैठे तू....

रंजीत सिन्हा – ठीक है आज के आज ही चाहे कुछ भी करना पड़े संध्या के साथ सारी जानकारी लेके ही रहूंगा मैं....

पीछे से औरत हेल्लो हेल्लो करती रह गई लेकिन रंजीत सिन्हा ने कॉल काट दिया था जबकि रंजीत ने कौल कट करने के बाद खंडर में अपने आदमियों को कौल करने लगा कौल ना रिसीव होने पर रंजीत गुस्से में निकल गया खंडर की तरफ जैसे ही खंडर के नजदीक आही रहा था की तभी रंजीत ने संध्या की कार को तेजी से निकलते हुए देखा खंडर से और तभी रंजीत की नजर गई कार ड्राइव कर रहे अभय पर....

रंजीत सिन्हा –(कार में अभय को देख आंख बड़ी करके) ये यहां पर इसे कैसे पता चला यहां के बारे में कही संध्या....

बोलते ही तुरंत भागा रंजीत खंडर के अन्दर वहा के हालात देख चौक गया ना संध्या मिली ना मुनीम दूसरी तरफ उसके कई आदमी मरे पड़े थे उनको देख रहा था की तभी एक आदमी जो जिंदा था....

आदमी –(रंजीत को बुला के) मालिक....

रंजीत –(आवाज सुन) ये सब क्या हो गया कैसे और कहा गई संध्या और मुनीम....

आदमी –एक लड़का आया था मालिक उसे किया ये सब किसी को नही छोड़ा सबको मार दिया उसने और संध्या और मुनीम को लेके चला गया , मुझे अस्पताल ले चलो मालिक वर्ना मैं मर जाऊंगा....

रंजीत सिन्हा –(अपने आदमी की बात सुन अपनी बंदूक निकाल उसके सिर में गोली मार के) और अगर तू बच गया तो मैं मारा जाऊंगा (अपने आदमी को मार गुस्से में) बहुत बड़ी गलती कर दी तूने अभय ठाकुर मेरा सारा प्लान चौपट करके अब देख मैं क्या करता हू तेरे और उस ठकुराइन के साथ (बोल के अपने आदमियों को कौल कर) सुनो तुम अपने सभी आदमियों को लेके तुरंत यहां खंडर में आ जाओ हथियारों के साथ कुछ लोगो की लाशों को हटाना है यहां से उसके बाद किसी को रास्ते से हटाना है जल्दी आओ तुम....

बोल के कुछ वक्त इंतजार किया अपने लोगो के आने का आदमियों के आते ही....

गजानन –(रंजीत को देख) कैसे हो रंजीत बाबू अचानक से कैसे याद किया मुझे वो भी हथियारों के साथ....

रंजीत सिन्हा – गजानन एक लौंडे को रास्ते से हटाना है तुझे किसी भी तरह से....

गजानन – कौन है वो....

रंजीत सिन्हा – अभय ठाकुर नाम है उसका....

अपने मोबाइल में अभय की फोटो दिखा के....

गजानन – (फोटो देख) इस बच्चे को मारने के लिए मुझे बुलाया है तुमने....

रंजीत सिन्हा – गजानन यहां पड़ी लाशे को देख रहे हो ये सब उस लड़के ने किया है अकेले....

गजानन – (बात सुन हस्ते हुए) तब तो बिलकुल सही आदमी को बुलाया है तुमने रंजीत बाबू कहा मिलेगा वो....

रंजीत सिन्हा – सब बताऊगा पहले एक कौल कर लू मैं....

बोल के रंजीत ने किसी को कौल मिलाया....

सामने से – बोलो रंजीत क्या बात है....

रंजीत सिन्हा – (संध्या के किडनैप से लेके अभी तक जो हुआ सब बता के) मैने गजानन को बुलाया है आज ही जाके काम तमाम करने के लिए....

सामने से – हरामजादे ये सब करने से पहले मुझे बताना जरूरी नही समझा तूने अब अपने हिसाब से काम करने लगा है तू क्या इसीलिए तुझे बुलाया था मैने....

रंजीत सिन्हा – लेकिन मालिक वो....

सामने से – चुप बे बड़ा आया मुझे समझाने वाला दो टके का इंस्पेक्टर होके ऐसी हरकत इसीलिए तू आज तक इंस्पेक्टर रहा है और तेरी बीवी DIG....

रंजीत सिन्हा – (गुस्से में) बहुत बोल लिया तूने मैं कुछ बोल नहीं रहा तो मेरे सिर पे चढ़े जा रहे हो भूलो मत मैं नही आया था तुम्हारे पास बल्कि तुमने बुलाया था मुझे तुम्हारे कहने पर मैंने उस लड़के को फसाने की कोशिश की थी अगर मेरी बीवी बीच में ना आती तो काम हो जाता उसी दिन तेरा तेरे लिए इतना कुछ किया और बदले में मेरी ही इज्जत उछाल रहा है....

सामने से – क्योंकि तेरे काम ही ऐसे है इसीलिए इतना बोलना पड़ रहा है अब ध्यान से सुन मेरी बात को....

रंजीत सिन्हा – जितना सुनना था सुन लिया मैने अब जो मुझे सही लगेगा वो करूंगा और इस बार आर या पार का सोच लिया है मैने कुछ भी हो जाय संध्या से राज हासिल कर के ही रहूंगा उसके लिए उसके खून का भी खून बहाना पड़े मैं पीछे नही हटूगा....

सामने से – (गुस्से में) तेरी बुद्धि भ्रष्ट हो गई है रंजीत तू नही जानता तू क्या करने जा रहा है....

रंजीत सिन्हा – सही कहा तूने मैं तेरी तरह नही हू जो सालो तक सब्र रखू अपना बदला लेने के लिए....

बोल के कॉल कट कर दिया रंजीत ने....

गजानन – क्या बात है रंजीत बाबू बहुत गुस्से में लग रहे हो क्या बोल दिया मालिक ने ऐसा....

रंजीत सिन्हा – उसे लगता है मैं उसका कुत्ता हू की जब वो चाहे जिसके सामने चाहे वहा भौकू बस लेकिन अब नही तू नही जानता गजानन मैं जरा सा करीब था उस राज को जानने के लिए संध्या से लेकिन एन वक्त पर ये लड़का बीच में आ गया वर्ना कम से कम वो राज जान जाता मै....

गजानन – (हैरान होके) कौन से राज की बात कर रहे हो....

रंजीत सिन्हा – इस खंडर का राज जिसमे एक राज छुपा हुआ है जो ठाकुर खानदान की नीव को हिला के रख देगा....

गजानन – हम्म्म तो अब क्या सोचा है आपने....

रंजीत सिन्हा – मुझे संध्या चाहिए हर हालत में इस काम के लिए और मौका भी सही है इस वक्त सावधान होगी वो लोग लेकिन वो नहीं जानते की , घर का भेदी लंका ढाए , का मतलब क्या होता है....

बोल के हसने लगे दोनो ओर कॉल मिलाया औरत को....

औरत – (कॉल रिसीव करके) हा रंजीत....

रंजीत सिन्हा – (खंडर में जो हुआ सब बता के) तू सही बोल रही थी मुझे तेरी बात माननी चाहिए थी लेकिन वक्त अभी भी हाथ से निकला नही है....

औरत – और क्या मतलब है इस बात का....

रंजीत सिन्हा – मुझे हर कीमत में संध्या चाहिए और तुझे अपना बदला चाहिए बस एक बार और मेरा काम कर दे तू....

औरत – क्या काम करना होगा मुझे....

रंजीत सिन्हा – संध्या की हर खबर चाहिए मुझे आज से तब तक की जब तक अस्पताल में है वो मौका मिला तो अस्पताल में या रास्ते में मैं काम करवा दुगा अपना....

औरत – ठीक है लेकिन तेरे बॉस को भी तो बदला लेना है उसका....

रंजीत सिन्हा – उसे सिर्फ सब्र करना है मेले के दिन का लेकिन तब तक मैं सब्र नहीं रख सकता बहुत कुछ झेला है मैने उस लौंडे के चक्कर में अपनी बीवी अपने बच्चे से अलग हो गया गिर गया उनकी नजरों में लेकिन अब नही अब सिर्फ हिसाब बराबर करना है सबसे....

औरत – काम तो मैं कर दू तेरा लेकिन मेरा बात याद है ना तुझे....

रंजीत सिन्हा – अच्छे से याद है तू चिंता मत कर तू जैसा चाहेगी वैसा होगा....

औरत – ठीक है मैं देती रहूंगी सारी जानकारी तुझे....

बोल के दोनो ने कॉल कट कर दिया....

औरत – चलो अच्छा हुआ संध्या बच गई वर्ना रंजीत जाने क्या करता संध्या के साथ आज , देखते है अस्पताल से कौल कब आता है संध्या के लिए....

इस तरफ अस्पताल में अभय के जाने के कुछ समय बाद ही संध्या को होश आया होश आते ही अपने सामने गीता देवी , चांदनी को देख....

संध्या –(दोनो को देख) अभय कहा है....

गीता देवी –(संध्या को होश में देख) होश आगया तुझे अब कैसे है तू....

संध्या –मैं ठीक हू दीदी लेकिन अभय कहा है....

गीता देवी – खाना लेने गया है सबके लिए....

संध्या –(चांदनी को देख) चांदनी तुम कैसी हो और राज....

चांदनी –मैं ठीक हू मौसी और राज भी ठीक है बगल वाले कमरे में है....

संध्या –(राज को अस्पताल के कमरे में सुन) क्या हुआ उसे....

चांदनी –(सारी बात बता के) अब ठीक है राज उसके साथ उसके दोस्त बैठे है....

गीता देवी – संध्या तेरे साथ ये सब किसने किया और खंडर में क्यों लेके गए थे तुझे....

संध्या –ये सब मुनीम का किया धरा है दीदी उसी ने किया ये सब....

गीता देवी –लेकिन ऐसा किया क्यों....

संध्या – लालच है उसे दौलत का दीदी शायद इसीलिए इतने सालो तक मुनीम हवेली में रह के चापलूसी करता था सबकी लेकिन अभय खंडर तक कैसे आया....

गीता देवी – राज के बेहोश होने से पहले उसने किसी को बात करते सुन लिया था और होश में आने पर उसने बताया तभी अभय तुरंत निकल गया खंडर के लिए....

संध्या – क्या अभय सच में मेरे लिए आया था खंडर....

गीता देवी – हा संध्या तू नही जानती अभय कल रात से सो नही पाया है ना जाने कौन सा बुरा सपना था जो उसे सोने नही दे रहे था शायद तेरा दर्द ने उसे सोने नही दिया....

संध्या – (आंख में आसू लिए) दीदी प्लीज बुला दो अभय को मैं मिलना चाहती हू उससे....

गीता देवी – तू रो मत वो आता होगा अभी खाना लेके सबके लिए फिर जी भर के देख और बात कर लेना अभय से....

जबकि इस तरफ हॉस्टल में आते ही सायरा चली गई खाना बनाने और अभय गया कमरे में जहा मुनीम को बांध के रखा था उसके पास जा के मू से पट्टी हटा के सामने बैठ गया और देखने लगा मुनीम को....

मुनीम – (सामने बैठे अभय से) मैं जानता हूं तुम अभय ठाकुर हो मैं सबको बता दुगा की तुम ही अभय हो जिंदा....

अभय – (सिर्फ डेल्टा रहा मुनीम को)....

मुनीम – देखो बेटा मुझे डॉक्टर के पास ले चलो बहुत दर्द हो रहा है पैर में....

अभय –(देखता रहा बिना किसी भाव के मुनीम को)....

मुनीम –(झल्ला के गुस्से में) आखिर तुम चाहते क्या हो बोलते क्यों नहीं....

उसके बाद अभय ने अपनी जेब से 5 सोने के सिक्के निकाल के मुनीम के सामने की टेबल में रख दिया जिसे देख....

मुनीम –(सोने के सिक्के देख अपनी आखें बड़ी करके) तुम्हे कैसे मिला ये तो खंडर में कही छुपा....

बोलते ही बीच में चुप हो गया मुनीम....

अभय –(मुनीम के बोलने के बाद किसी को कौल मिला के) हैलो अलित्ता मुझे एक जानकारी चाहिए....

अलित्ता – कैसे जानकारी अभय....

अभय – एक फोटो भेज रहा हू उसकी डिटेल पता करके मुझे भेजो जल्दी से....

अलित्ता – ठीक है भेजो फोटो....

अभय – और साथ में एक स्पेशलिस्ट चाहिए जो डॉक्टर हो है तरह का इनलीगल इलाज करता हो....

अलित्ता –(मुस्कुरा के) ठीक है कल सुबह तक आ जाएगा तुम्हारे पास....

अभय –शुक्रिया अलित्ता....

बोल के कॉल कट कर दिया....

मुनीम – (अभय की बात सुन) देखो बेटा मैं मानता हूं मैने गलती की है लेकिन रमन के कहने पर किया नही करता तो मुझे नौकरी से निकाल देता....

अभय –(शंकर को आवाज देके) शंकर....

शंकर – (आवाज सुन कमरे बाहर आके) जी मालिक आपने बुलाया मुझे....

अभय –मुनीम का खास ख्याल रखना है तुम्हे और ध्यान रहे कुछ और मत करना हॉस्टल के चारो तरफ मेरे लोग है अगर गलती से भी कमरे की खिड़की खोली या यहां से एक कदम भी बाहर रखा तो वो तुम दोनो को गोली मरने से पहले सोचेंगे नही....

शंकर –(डर के) नही मालिक ऐसा कुछ नही होगा आप जो बोलोगे वैसा ही करूगा मैं....

बोल के शंकर मुनीम की रस्सी खोल कमरे में ले गया बेड में वैसे ही लेटा दिया जैसे अभय ने किया था शंकर के साथ और टंकी के नल को खोल दिया....

अभय –(शंकर से) ध्यान रहे जितना चिल्लाए चिल्लाने देना इसे नल बंद नहीं होना चाहिए....

शंकर – जी मालिक....

बोल के निकल गया अभय कमरे से बाहर....

मुनीम –(शंकर से) शंकर तू क्या कर रहा है यहां पर....

शंकर – तुम लोगो का साथ देने का नतीजा भुगत रहा हू मै फसा के खुद आराम से बाहर घूम रहा है रमन और मैं यहां इस चार दिवारी में मुजरिम की तरह अपनी जान बचाने के लिए छुपा हुआ हू....

मुनीम – हुआ क्या था....

शंकर –(सारी बात बता के) बस इसीलिए मैं तब से यहां हू और तुम यहां कैसे मुनीम तुम तो गायब हो गए थे कही कहा थे तुम....

मुनीम –(अभय ने जो किया सिर्फ उतना बता के) उसके बाद अपना इलाज करवाया और अभय ने पकड़ लिया मुझे....

शंकर –(हस्ते हुए) तू चाहे कितनी बात बना ले मुनीम लेकिन तेरे झूठ पर कोई यकीन नही करेगा....

मुनीम – क्या मतलब है तेरा....

शंकर – ये जो पानी के एक एक बूंद तेरे सिर में गिर रही है ना ये सारा सच अपने आप निकलवा देगी तेरे मू से चिंता मत कर....

बोल के शंकर हस्ता रहा और मुनीम बस हैरानी से देखे जा रहा था शंकर को जबकि इस तरफ अभय निकल गया सायरा के साथ खाना लेके सबके लिए अस्पताल की तरफ रास्ते में....

सायरा –क्या बात है अभय कब से देख रही हू तुम जैसे साथ हो के नही साथ नही हो....

अभय – (मुस्कुरा के) ऐसी बात नही है सायरा वो बस ऐसे ही मैं....

सायरा –समझ सकती हू मै अभय ये मां और बेटे का रिश्ता भी अजीब होता होता भले नफरत दीवार कैसे भी क्यों न हो एक दूसरे का दर्द दोनो को महसूस होता है....

अभय –(तुरंत ही) ऐसा कुछ नही है सायरा उसकी जगह अगर तुम्ही होती खंडर में तो भी मैं बचाता....

सायरा –(ज्यादा न बोल के) ठीक है....

अस्पताल आते ही देखा काफी लोग थे जिसमे ललित्ता, मालती , शनाया , निधि , अमन और रमन इतने लोगो को कमरे के पास देख....

अभय –(सायरा से) आदि जल्दी आ गए ये लोग....

बोल कमरे के बाहर दरवाजे के पास खड़े देख रहे थे दोनो सभी को....

मालती –(संध्या से) कैसी हो आप दीदी....

संध्या –ठीक हू मै तुम सब कैसे हो....

ललिता – आपके बिना बहुत बेचैन थे हम दीदी....

मालती – ये सब किसने किया दीदी और क्यों....

संध्या –(दरवाजे की तरफ देख जहां अभय खड़ा था) अनजाने में मैने भी बहुत गलतियां की थी मालती शायद उसी का फल मिला है मुझे....

ललिता – शुभ शुभ बोलो दीदी जो हो गया उसे भूल जाओ आप हमारे लिए यही काफी है कि आप सही सलामत मिल गए , लेकिन आप को कौन लाया कहा थे आप 2 दिन से....

संध्या –(मुस्कुरा के अभय को देख) है कोई मेरा अपना जो सिर्फ मेरे लिए आया था वही मुझे यहां लाया है....

रमन – मैने डॉक्टर से बात कर ली है 1 हफ्ते तक आपको चलना फिरना माना किया है उसने आप हवेली में 1 हफ्ते तक आराम करो बाहर का काम मैं देख लुगा....

अमन –(अपने साथ व्हील चेयर लाके) हा ताई मां जब तक आपके पैर ठीक नही हो जाते आप इससे घुमा करना हवेली में....

मालती –अरे वाह बड़ा समझदार हो गया है तू चलो अच्छा है....

संध्या –(मुस्कुरा अमन के सिर पर हाथ फेर के) मेरा प्यार बच्चा....

संध्या का इतना बोलना था कि अभय दरवाजे पर खड़ा गुस्से में निकल गया राज के कमरे में....

ललिता – वैसे दीदी कहा है वो जो आपको अस्पताल लाया....

संध्या –(दरवाजे पर देख वहां अभय नहीं था) उसी का इंतजार कर रही हू जाने कहा है वो....

सायरा –(संध्या के सामने आके) यही है वो भी राज के कमरे में गया है आता होगा यहां तब तक आप खाना खा लीजिए....

रमन –(संध्या से) भाभी हमे बता देती हवेली से खाना ले आते हम....

संध्या –(मुस्कुरा के) ये भी घर का ही खाना है होटल का नही....

गीता देवी –(जो काफी देर से चुप चाप इन सबको बात करता देख रही थी) संध्या खाना खा लो पहले बाद में बात करते रहना....

सायरा –(संध्या से) है मालकिन खाना खा लीजिए आप पहले (गीता देवी और चांदनी से) आप भी साथ में खा लीजिए....

संध्या – (सायरा से) लेकिन वो भी....

सायरा – (बीच मे) आप परेशान मत हो मै देख लूंगी उसे पहले आप खा लीजिए....

यहां संध्या के कमरे में ये सब चल रहा था और राज के कमरे में....

अभय –(कमरे में आते ही राज से) ओर शायरी की दुकान क्या बात है देवदास बन के बैठे रहते है और तू लेटा हुआ है क्या बात है....

राज – हा हा उड़ा मजाक मेरा कल आंख से पट्टी खुलेगी न फिर देख में क्या करता हू....

अभय – (हस्ते हुए) क्या बोलते हो राजू , लल्ला आज की रात है मौका है अपने पास कल से एसा मौका शायद ही मिले....

राज –(चौक के) क्या मतलब है बे तेरा देख अभय फालतू की कोई हरकत मत करना मेरे साथ वर्ना बात नहीं करूंगा तेरे से कभी....

आगे पीछे दाए बाए तीनों मिल के राज को गुदगुदी करने लगे और राज चिल्लाता रहा और अबकी तीनों हस्ते रहे तभी इनकी आवाज सुन गीता देवी आ गई....

गीता देवी – (तीनों की हरकत देख गुस्से में) जहा मौका मिला नहीं बस शुरू हो गई चांडाल चौकड़ी अरे गधों अस्पताल में हो घर में नहीं और भी लोग है अस्पताल में उन्हें तो आराम करने दो कम से कम....

राज –मां देखो न ये अभय परेशान कर रहा है इतने देर से मुझे....

गीता देवी – तू चुप कर बड़ा आया मासूम बच्चा बनने वाला (राजू , लल्ला और अभय से) और तुम तीनों (खाने का टिफिन रख के) खाना खा लो तुम चारो जल्दी से....

बोल के गीता देवी चली गई कमरे से पीछे से बाकी तीनों ने मिल के खाना खुद भी खाने लगे साथ में राज को खिलाने लगे खाना खाने के बाद अभय उठा ही था तभी उसके मोबाइल में किसी का कॉल आ गया जिसे देख अभय के चेहरे पर मुस्कान आ गई कॉल रिसीव किया सामने से आवाज आई....

सामने से – गैस करो कहा हू मै.....

अभय –(मुस्कुरा के) सच में....

सामने से – KAISA LAGA SURPRISE
.
.
.
जारी रहेगा✍️✍️
Nice update
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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dev61901

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Badhiya update bhai

Ranjit bahut uchhal raha tha abhay ne uska sara plan chopat kar diya ab to ranjit aar par ki ladayi per aa gaya ha ranjit ka bhi boss ha lekin usse ladayi kar li ha ranjit ne ab ye boss wahi do thakuron me se ho sakta ha jo dada thakur ke dost the kher ranjit ne to puri paltan bula li ha lagta ha jald hi hamla karne wala ha

Or ye konse raj ki bat kar raha tha ranjit sinha kya khandhar me or bhi raj ha khajane ke siwa waise abhay us kamre me jyada achhi tarah se nahi dekha ha kya pata agli bar dhyan se dekhne ke bad kuchh or mil jaye

Ye haweli ki jo orat ha ek taraf to kahti ha ki sandhya se badla lena ha or fir kahti ha ki achha hua sandhya bach gayi ye to dono taraf se khel rahi ha kya pata iska maksad kya ha

Idhar munim ka torcher shuru ho gaya ha munim ko abhay ne dikha diya sone ke sikke to munim ko pata pad gaya ha ki abhay ne jarur wo darwaja khol liya ha idhar abhay ne josh me ake bata to diya munim ko lekin agar galti se bhi munim bhag nikla to wo to bata dega ki abhay ko pata pad gaya ha raj lekin aisa hona namumkin ha abhay to abhi tak or torcher karega ise

Or last me lagta ha king aa gaya ha abhay ke pas or sath me shalini ji bhi
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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UPDATE 40


सायरा – (राज के कमरे में आके) अभय गीता काकी बुला रही है तुम्हे....

अभय –(सायरा की बात सुन के) क्या ठकुराइन को होश आ गया....

सायरा – अभी नही....

बोल के सायरा के साथ अभय चला गया संध्या के कमरे में....

अभय –(कमरे में आते ही) बड़ी मां आपने बुलाया....

गीता देवी – आजा बैठ तो पहले....

गीता देवी के पास जाते हुए अभय की नजर संध्या के पैरो में थी जिसमे डॉक्टर ने ट्यूब लगाया हुआ था फिर भी जलने का निशान दिख रहा था देखते हुए अभय गीता देवी के पास बैठ गया....

गीता देवी – तूने कुछ खाया....

अभय –???....

गीता देवी –(अभय के कंधे पे हाथ रख के) क्या हुआ....

अभय –कुछ नही बड़ी मां....

गीता देवी – 8 बजने वाले है तुमलोग बैठो यहां मैं घर से खाना बना के लाती हू....

सायरा –(बीच में) आप परेशान मत हो काकी मैं ले आती हू खाना सबके लिए....

अभय –(तुरंत बीच में) मैं चलता हू साथ में जल्दी आ जाएंगे हम चल जल्दी....

बोल के अभय तेजी से कमरे से बाहर निकल गया बीना सायरा या किसी की बात सुने....

सायरा –(हैरानी से) इतनी जल्दी क्या है इसे....

गीता देवी – पता नही तुम जाओ उसके साथ शायद कुछ कम रह गया हो....

चांदनी –अब कौन सा काम होगा मां....

गीता देवी – अब ये अभय ही जानता होगा....

बात सुन के सायरा निकल गई अस्पताल के बाहर जहा अभय बाइक के पास खड़ा था....

अभय –(सायरा के आता देख) जल्दी से बैठ जा....

सायरा –(बाइक में बैठ के) क्या बात है अभय इतनी जल्दी किस बात की....

अभय – बाद में बताता हू....

बोल के बाइक तेजी से लेके निकल गया अभय हॉस्टल की तरफ....

जबकि इस तरफ कुछ 2 घंटे पहले बगीचे में रंजीत सिन्हा इंतजार कर रहा था उस औरत के आने का इस बात से अनजान की खंडर में क्या हुआ है जबकि रंजीत सिन्हा को इंतजार करते करते काफी देर हो गई लेकिन औरत नही आई तब रंजीत ने कौल लगाना शुरू किया लेकिन कौल रिसीव नहीं हो रहा था थोड़ी देर बाद औरत का कौल आया रंजीत के पास....

रंजीत सिन्हा –(कौल रिसीव करके) क्या बात है तुम कहा हो आई क्यों नहीं तुम....

औरत –तुम्हे सिर्फ अपनी पड़ी है रंजीत और यहां मौका नहीं मिल रहा है कुछ और सोचने का....

रंजीत सिन्हा –(चौक के) ऐसा क्या हो गया अब....

औरत – किसी मामूली औरत का किडनैप नही हुआ है रंजीत गांव की ठकुराइन गायब हुई है पुलिस से लेके नेता तक सुबह से आ जा रहे है सब अभी थोड़ी देर पहले यहां का नेता गया है ये बोल के की वो CBI को ये केस हैंडल करके आए है....

रंजीत सिन्हा –(चौक के) क्या CBI तक बात आ गई ये....

औरत – रंजीत तेरे पास वक्त बहुत कम है इससे पहले बात बिगड़े जल्दी से जो जानकारी लेनी है संध्या से लेके निकाल उसे वहा से....

रंजीत सिन्हा – क्या बोले जा रही है पता है तुझे संध्या से जानकारी लेके अगर उसे छोड़ दिया तो क्या फायदा जानकारी लेने का क्या संध्या चुप बैठेंगी नही बल्कि सबको बता देगी खंडर के बारे में....

औरत – लगता है तेरा दिमाग अभी भी खराब है रंजीत ज्यादा लालच अच्छी नहीं होती जो मिल रहा है लेले कही ऐसा ना हो जो मिल रहा है उससे भी हाथ धो बैठे तू....

रंजीत सिन्हा – ठीक है आज के आज ही चाहे कुछ भी करना पड़े संध्या के साथ सारी जानकारी लेके ही रहूंगा मैं....

पीछे से औरत हेल्लो हेल्लो करती रह गई लेकिन रंजीत सिन्हा ने कॉल काट दिया था जबकि रंजीत ने कौल कट करने के बाद खंडर में अपने आदमियों को कौल करने लगा कौल ना रिसीव होने पर रंजीत गुस्से में निकल गया खंडर की तरफ जैसे ही खंडर के नजदीक आही रहा था की तभी रंजीत ने संध्या की कार को तेजी से निकलते हुए देखा खंडर से और तभी रंजीत की नजर गई कार ड्राइव कर रहे अभय पर....

रंजीत सिन्हा –(कार में अभय को देख आंख बड़ी करके) ये यहां पर इसे कैसे पता चला यहां के बारे में कही संध्या....

बोलते ही तुरंत भागा रंजीत खंडर के अन्दर वहा के हालात देख चौक गया ना संध्या मिली ना मुनीम दूसरी तरफ उसके कई आदमी मरे पड़े थे उनको देख रहा था की तभी एक आदमी जो जिंदा था....

आदमी –(रंजीत को बुला के) मालिक....

रंजीत –(आवाज सुन) ये सब क्या हो गया कैसे और कहा गई संध्या और मुनीम....

आदमी –एक लड़का आया था मालिक उसे किया ये सब किसी को नही छोड़ा सबको मार दिया उसने और संध्या और मुनीम को लेके चला गया , मुझे अस्पताल ले चलो मालिक वर्ना मैं मर जाऊंगा....

रंजीत सिन्हा –(अपने आदमी की बात सुन अपनी बंदूक निकाल उसके सिर में गोली मार के) और अगर तू बच गया तो मैं मारा जाऊंगा (अपने आदमी को मार गुस्से में) बहुत बड़ी गलती कर दी तूने अभय ठाकुर मेरा सारा प्लान चौपट करके अब देख मैं क्या करता हू तेरे और उस ठकुराइन के साथ (बोल के अपने आदमियों को कौल कर) सुनो तुम अपने सभी आदमियों को लेके तुरंत यहां खंडर में आ जाओ हथियारों के साथ कुछ लोगो की लाशों को हटाना है यहां से उसके बाद किसी को रास्ते से हटाना है जल्दी आओ तुम....

बोल के कुछ वक्त इंतजार किया अपने लोगो के आने का आदमियों के आते ही....

गजानन –(रंजीत को देख) कैसे हो रंजीत बाबू अचानक से कैसे याद किया मुझे वो भी हथियारों के साथ....

रंजीत सिन्हा – गजानन एक लौंडे को रास्ते से हटाना है तुझे किसी भी तरह से....

गजानन – कौन है वो....

रंजीत सिन्हा – अभय ठाकुर नाम है उसका....

अपने मोबाइल में अभय की फोटो दिखा के....

गजानन – (फोटो देख) इस बच्चे को मारने के लिए मुझे बुलाया है तुमने....

रंजीत सिन्हा – गजानन यहां पड़ी लाशे को देख रहे हो ये सब उस लड़के ने किया है अकेले....

गजानन – (बात सुन हस्ते हुए) तब तो बिलकुल सही आदमी को बुलाया है तुमने रंजीत बाबू कहा मिलेगा वो....

रंजीत सिन्हा – सब बताऊगा पहले एक कौल कर लू मैं....

बोल के रंजीत ने किसी को कौल मिलाया....

सामने से – बोलो रंजीत क्या बात है....

रंजीत सिन्हा – (संध्या के किडनैप से लेके अभी तक जो हुआ सब बता के) मैने गजानन को बुलाया है आज ही जाके काम तमाम करने के लिए....

सामने से – हरामजादे ये सब करने से पहले मुझे बताना जरूरी नही समझा तूने अब अपने हिसाब से काम करने लगा है तू क्या इसीलिए तुझे बुलाया था मैने....

रंजीत सिन्हा – लेकिन मालिक वो....

सामने से – चुप बे बड़ा आया मुझे समझाने वाला दो टके का इंस्पेक्टर होके ऐसी हरकत इसीलिए तू आज तक इंस्पेक्टर रहा है और तेरी बीवी DIG....

रंजीत सिन्हा – (गुस्से में) बहुत बोल लिया तूने मैं कुछ बोल नहीं रहा तो मेरे सिर पे चढ़े जा रहे हो भूलो मत मैं नही आया था तुम्हारे पास बल्कि तुमने बुलाया था मुझे तुम्हारे कहने पर मैंने उस लड़के को फसाने की कोशिश की थी अगर मेरी बीवी बीच में ना आती तो काम हो जाता उसी दिन तेरा तेरे लिए इतना कुछ किया और बदले में मेरी ही इज्जत उछाल रहा है....

सामने से – क्योंकि तेरे काम ही ऐसे है इसीलिए इतना बोलना पड़ रहा है अब ध्यान से सुन मेरी बात को....

रंजीत सिन्हा – जितना सुनना था सुन लिया मैने अब जो मुझे सही लगेगा वो करूंगा और इस बार आर या पार का सोच लिया है मैने कुछ भी हो जाय संध्या से राज हासिल कर के ही रहूंगा उसके लिए उसके खून का भी खून बहाना पड़े मैं पीछे नही हटूगा....

सामने से – (गुस्से में) तेरी बुद्धि भ्रष्ट हो गई है रंजीत तू नही जानता तू क्या करने जा रहा है....

रंजीत सिन्हा – सही कहा तूने मैं तेरी तरह नही हू जो सालो तक सब्र रखू अपना बदला लेने के लिए....

बोल के कॉल कट कर दिया रंजीत ने....

गजानन – क्या बात है रंजीत बाबू बहुत गुस्से में लग रहे हो क्या बोल दिया मालिक ने ऐसा....

रंजीत सिन्हा – उसे लगता है मैं उसका कुत्ता हू की जब वो चाहे जिसके सामने चाहे वहा भौकू बस लेकिन अब नही तू नही जानता गजानन मैं जरा सा करीब था उस राज को जानने के लिए संध्या से लेकिन एन वक्त पर ये लड़का बीच में आ गया वर्ना कम से कम वो राज जान जाता मै....

गजानन – (हैरान होके) कौन से राज की बात कर रहे हो....

रंजीत सिन्हा – इस खंडर का राज जिसमे एक राज छुपा हुआ है जो ठाकुर खानदान की नीव को हिला के रख देगा....

गजानन – हम्म्म तो अब क्या सोचा है आपने....

रंजीत सिन्हा – मुझे संध्या चाहिए हर हालत में इस काम के लिए और मौका भी सही है इस वक्त सावधान होगी वो लोग लेकिन वो नहीं जानते की , घर का भेदी लंका ढाए , का मतलब क्या होता है....

बोल के हसने लगे दोनो ओर कॉल मिलाया औरत को....

औरत – (कॉल रिसीव करके) हा रंजीत....

रंजीत सिन्हा – (खंडर में जो हुआ सब बता के) तू सही बोल रही थी मुझे तेरी बात माननी चाहिए थी लेकिन वक्त अभी भी हाथ से निकला नही है....

औरत – और क्या मतलब है इस बात का....

रंजीत सिन्हा – मुझे हर कीमत में संध्या चाहिए और तुझे अपना बदला चाहिए बस एक बार और मेरा काम कर दे तू....

औरत – क्या काम करना होगा मुझे....

रंजीत सिन्हा – संध्या की हर खबर चाहिए मुझे आज से तब तक की जब तक अस्पताल में है वो मौका मिला तो अस्पताल में या रास्ते में मैं काम करवा दुगा अपना....

औरत – ठीक है लेकिन तेरे बॉस को भी तो बदला लेना है उसका....

रंजीत सिन्हा – उसे सिर्फ सब्र करना है मेले के दिन का लेकिन तब तक मैं सब्र नहीं रख सकता बहुत कुछ झेला है मैने उस लौंडे के चक्कर में अपनी बीवी अपने बच्चे से अलग हो गया गिर गया उनकी नजरों में लेकिन अब नही अब सिर्फ हिसाब बराबर करना है सबसे....

औरत – काम तो मैं कर दू तेरा लेकिन मेरा बात याद है ना तुझे....

रंजीत सिन्हा – अच्छे से याद है तू चिंता मत कर तू जैसा चाहेगी वैसा होगा....

औरत – ठीक है मैं देती रहूंगी सारी जानकारी तुझे....

बोल के दोनो ने कॉल कट कर दिया....

औरत – चलो अच्छा हुआ संध्या बच गई वर्ना रंजीत जाने क्या करता संध्या के साथ आज , देखते है अस्पताल से कौल कब आता है संध्या के लिए....

इस तरफ अस्पताल में अभय के जाने के कुछ समय बाद ही संध्या को होश आया होश आते ही अपने सामने गीता देवी , चांदनी को देख....

संध्या –(दोनो को देख) अभय कहा है....

गीता देवी –(संध्या को होश में देख) होश आगया तुझे अब कैसे है तू....

संध्या –मैं ठीक हू दीदी लेकिन अभय कहा है....

गीता देवी – खाना लेने गया है सबके लिए....

संध्या –(चांदनी को देख) चांदनी तुम कैसी हो और राज....

चांदनी –मैं ठीक हू मौसी और राज भी ठीक है बगल वाले कमरे में है....

संध्या –(राज को अस्पताल के कमरे में सुन) क्या हुआ उसे....

चांदनी –(सारी बात बता के) अब ठीक है राज उसके साथ उसके दोस्त बैठे है....

गीता देवी – संध्या तेरे साथ ये सब किसने किया और खंडर में क्यों लेके गए थे तुझे....

संध्या –ये सब मुनीम का किया धरा है दीदी उसी ने किया ये सब....

गीता देवी –लेकिन ऐसा किया क्यों....

संध्या – लालच है उसे दौलत का दीदी शायद इसीलिए इतने सालो तक मुनीम हवेली में रह के चापलूसी करता था सबकी लेकिन अभय खंडर तक कैसे आया....

गीता देवी – राज के बेहोश होने से पहले उसने किसी को बात करते सुन लिया था और होश में आने पर उसने बताया तभी अभय तुरंत निकल गया खंडर के लिए....

संध्या – क्या अभय सच में मेरे लिए आया था खंडर....

गीता देवी – हा संध्या तू नही जानती अभय कल रात से सो नही पाया है ना जाने कौन सा बुरा सपना था जो उसे सोने नही दे रहे था शायद तेरा दर्द ने उसे सोने नही दिया....

संध्या – (आंख में आसू लिए) दीदी प्लीज बुला दो अभय को मैं मिलना चाहती हू उससे....

गीता देवी – तू रो मत वो आता होगा अभी खाना लेके सबके लिए फिर जी भर के देख और बात कर लेना अभय से....

जबकि इस तरफ हॉस्टल में आते ही सायरा चली गई खाना बनाने और अभय गया कमरे में जहा मुनीम को बांध के रखा था उसके पास जा के मू से पट्टी हटा के सामने बैठ गया और देखने लगा मुनीम को....

मुनीम – (सामने बैठे अभय से) मैं जानता हूं तुम अभय ठाकुर हो मैं सबको बता दुगा की तुम ही अभय हो जिंदा....

अभय – (सिर्फ डेल्टा रहा मुनीम को)....

मुनीम – देखो बेटा मुझे डॉक्टर के पास ले चलो बहुत दर्द हो रहा है पैर में....

अभय –(देखता रहा बिना किसी भाव के मुनीम को)....

मुनीम –(झल्ला के गुस्से में) आखिर तुम चाहते क्या हो बोलते क्यों नहीं....

उसके बाद अभय ने अपनी जेब से 5 सोने के सिक्के निकाल के मुनीम के सामने की टेबल में रख दिया जिसे देख....

मुनीम –(सोने के सिक्के देख अपनी आखें बड़ी करके) तुम्हे कैसे मिला ये तो खंडर में कही छुपा....

बोलते ही बीच में चुप हो गया मुनीम....

अभय –(मुनीम के बोलने के बाद किसी को कौल मिला के) हैलो अलित्ता मुझे एक जानकारी चाहिए....

अलित्ता – कैसे जानकारी अभय....

अभय – एक फोटो भेज रहा हू उसकी डिटेल पता करके मुझे भेजो जल्दी से....

अलित्ता – ठीक है भेजो फोटो....

अभय – और साथ में एक स्पेशलिस्ट चाहिए जो डॉक्टर हो है तरह का इनलीगल इलाज करता हो....

अलित्ता –(मुस्कुरा के) ठीक है कल सुबह तक आ जाएगा तुम्हारे पास....

अभय –शुक्रिया अलित्ता....

बोल के कॉल कट कर दिया....

मुनीम – (अभय की बात सुन) देखो बेटा मैं मानता हूं मैने गलती की है लेकिन रमन के कहने पर किया नही करता तो मुझे नौकरी से निकाल देता....

अभय –(शंकर को आवाज देके) शंकर....

शंकर – (आवाज सुन कमरे बाहर आके) जी मालिक आपने बुलाया मुझे....

अभय –मुनीम का खास ख्याल रखना है तुम्हे और ध्यान रहे कुछ और मत करना हॉस्टल के चारो तरफ मेरे लोग है अगर गलती से भी कमरे की खिड़की खोली या यहां से एक कदम भी बाहर रखा तो वो तुम दोनो को गोली मरने से पहले सोचेंगे नही....

शंकर –(डर के) नही मालिक ऐसा कुछ नही होगा आप जो बोलोगे वैसा ही करूगा मैं....

बोल के शंकर मुनीम की रस्सी खोल कमरे में ले गया बेड में वैसे ही लेटा दिया जैसे अभय ने किया था शंकर के साथ और टंकी के नल को खोल दिया....

अभय –(शंकर से) ध्यान रहे जितना चिल्लाए चिल्लाने देना इसे नल बंद नहीं होना चाहिए....

शंकर – जी मालिक....

बोल के निकल गया अभय कमरे से बाहर....

मुनीम –(शंकर से) शंकर तू क्या कर रहा है यहां पर....

शंकर – तुम लोगो का साथ देने का नतीजा भुगत रहा हू मै फसा के खुद आराम से बाहर घूम रहा है रमन और मैं यहां इस चार दिवारी में मुजरिम की तरह अपनी जान बचाने के लिए छुपा हुआ हू....

मुनीम – हुआ क्या था....

शंकर –(सारी बात बता के) बस इसीलिए मैं तब से यहां हू और तुम यहां कैसे मुनीम तुम तो गायब हो गए थे कही कहा थे तुम....

मुनीम –(अभय ने जो किया सिर्फ उतना बता के) उसके बाद अपना इलाज करवाया और अभय ने पकड़ लिया मुझे....

शंकर –(हस्ते हुए) तू चाहे कितनी बात बना ले मुनीम लेकिन तेरे झूठ पर कोई यकीन नही करेगा....

मुनीम – क्या मतलब है तेरा....

शंकर – ये जो पानी के एक एक बूंद तेरे सिर में गिर रही है ना ये सारा सच अपने आप निकलवा देगी तेरे मू से चिंता मत कर....

बोल के शंकर हस्ता रहा और मुनीम बस हैरानी से देखे जा रहा था शंकर को जबकि इस तरफ अभय निकल गया सायरा के साथ खाना लेके सबके लिए अस्पताल की तरफ रास्ते में....

सायरा –क्या बात है अभय कब से देख रही हू तुम जैसे साथ हो के नही साथ नही हो....

अभय – (मुस्कुरा के) ऐसी बात नही है सायरा वो बस ऐसे ही मैं....

सायरा –समझ सकती हू मै अभय ये मां और बेटे का रिश्ता भी अजीब होता होता भले नफरत दीवार कैसे भी क्यों न हो एक दूसरे का दर्द दोनो को महसूस होता है....

अभय –(तुरंत ही) ऐसा कुछ नही है सायरा उसकी जगह अगर तुम्ही होती खंडर में तो भी मैं बचाता....

सायरा –(ज्यादा न बोल के) ठीक है....

अस्पताल आते ही देखा काफी लोग थे जिसमे ललित्ता, मालती , शनाया , निधि , अमन और रमन इतने लोगो को कमरे के पास देख....

अभय –(सायरा से) आदि जल्दी आ गए ये लोग....

बोल कमरे के बाहर दरवाजे के पास खड़े देख रहे थे दोनो सभी को....

मालती –(संध्या से) कैसी हो आप दीदी....

संध्या –ठीक हू मै तुम सब कैसे हो....

ललिता – आपके बिना बहुत बेचैन थे हम दीदी....

मालती – ये सब किसने किया दीदी और क्यों....

संध्या –(दरवाजे की तरफ देख जहां अभय खड़ा था) अनजाने में मैने भी बहुत गलतियां की थी मालती शायद उसी का फल मिला है मुझे....

ललिता – शुभ शुभ बोलो दीदी जो हो गया उसे भूल जाओ आप हमारे लिए यही काफी है कि आप सही सलामत मिल गए , लेकिन आप को कौन लाया कहा थे आप 2 दिन से....

संध्या –(मुस्कुरा के अभय को देख) है कोई मेरा अपना जो सिर्फ मेरे लिए आया था वही मुझे यहां लाया है....

रमन – मैने डॉक्टर से बात कर ली है 1 हफ्ते तक आपको चलना फिरना माना किया है उसने आप हवेली में 1 हफ्ते तक आराम करो बाहर का काम मैं देख लुगा....

अमन –(अपने साथ व्हील चेयर लाके) हा ताई मां जब तक आपके पैर ठीक नही हो जाते आप इससे घुमा करना हवेली में....

मालती –अरे वाह बड़ा समझदार हो गया है तू चलो अच्छा है....

संध्या –(मुस्कुरा अमन के सिर पर हाथ फेर के) मेरा प्यार बच्चा....

संध्या का इतना बोलना था कि अभय दरवाजे पर खड़ा गुस्से में निकल गया राज के कमरे में....

ललिता – वैसे दीदी कहा है वो जो आपको अस्पताल लाया....

संध्या –(दरवाजे पर देख वहां अभय नहीं था) उसी का इंतजार कर रही हू जाने कहा है वो....

सायरा –(संध्या के सामने आके) यही है वो भी राज के कमरे में गया है आता होगा यहां तब तक आप खाना खा लीजिए....

रमन –(संध्या से) भाभी हमे बता देती हवेली से खाना ले आते हम....

संध्या –(मुस्कुरा के) ये भी घर का ही खाना है होटल का नही....

गीता देवी –(जो काफी देर से चुप चाप इन सबको बात करता देख रही थी) संध्या खाना खा लो पहले बाद में बात करते रहना....

सायरा –(संध्या से) है मालकिन खाना खा लीजिए आप पहले (गीता देवी और चांदनी से) आप भी साथ में खा लीजिए....

संध्या – (सायरा से) लेकिन वो भी....

सायरा – (बीच मे) आप परेशान मत हो मै देख लूंगी उसे पहले आप खा लीजिए....

यहां संध्या के कमरे में ये सब चल रहा था और राज के कमरे में....

अभय –(कमरे में आते ही राज से) ओर शायरी की दुकान क्या बात है देवदास बन के बैठे रहते है और तू लेटा हुआ है क्या बात है....

राज – हा हा उड़ा मजाक मेरा कल आंख से पट्टी खुलेगी न फिर देख में क्या करता हू....

अभय – (हस्ते हुए) क्या बोलते हो राजू , लल्ला आज की रात है मौका है अपने पास कल से एसा मौका शायद ही मिले....

राज –(चौक के) क्या मतलब है बे तेरा देख अभय फालतू की कोई हरकत मत करना मेरे साथ वर्ना बात नहीं करूंगा तेरे से कभी....

आगे पीछे दाए बाए तीनों मिल के राज को गुदगुदी करने लगे और राज चिल्लाता रहा और अबकी तीनों हस्ते रहे तभी इनकी आवाज सुन गीता देवी आ गई....

गीता देवी – (तीनों की हरकत देख गुस्से में) जहा मौका मिला नहीं बस शुरू हो गई चांडाल चौकड़ी अरे गधों अस्पताल में हो घर में नहीं और भी लोग है अस्पताल में उन्हें तो आराम करने दो कम से कम....

राज –मां देखो न ये अभय परेशान कर रहा है इतने देर से मुझे....

गीता देवी – तू चुप कर बड़ा आया मासूम बच्चा बनने वाला (राजू , लल्ला और अभय से) और तुम तीनों (खाने का टिफिन रख के) खाना खा लो तुम चारो जल्दी से....

बोल के गीता देवी चली गई कमरे से पीछे से बाकी तीनों ने मिल के खाना खुद भी खाने लगे साथ में राज को खिलाने लगे खाना खाने के बाद अभय उठा ही था तभी उसके मोबाइल में किसी का कॉल आ गया जिसे देख अभय के चेहरे पर मुस्कान आ गई कॉल रिसीव किया सामने से आवाज आई....

सामने से – गैस करो कहा हू मै.....

अभय –(मुस्कुरा के) सच में....

सामने से – KAISA LAGA SURPRISE
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जारी रहेगा✍️✍️
Bahot badhiya bhai, :good:Chhaa gaye, jaha tak mujhe lagta hai abhay ka gussa ab kafi had tak kam ho gaya hai, kyu ki wo ye to samajh gaya hai ki uske sath mind game khela gaya hai, sandhya ke liye ab haweli bhi safe nahi hai, usko bhi abhay ke sahare ki jarurat hai, dekhte hai aage kya hota hai, waise abhay ke dost uske sath hai, to wo akela to nahi hai👍
Awesome update again 👌🏻 👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥🔥💥
 
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