If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.
नियत ने कुछ और नहीं जीवनरस छुपाया जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ेगी वासना के कई रूप दिखाई पड़ेंगे सरयू सिंह और सोनी के बीच यदि कुछ होता है तो वह भी इसी वासना की परिणीति के रूप में देखा जाना चाहिए इंतजार करिए और जुड़े रहिए और यूं ही अपनी प्रतिक्रियाएं साझा करते रहिए धन्यवाद
Thanks welcome to story..Send again please checkSent thanks for coming on storyThanksधन्यवाद आपकी प्रतिक्रिया मन मोहने वाली है मेरी 3 घंटे की मेहनत को आप चंद शब्दों में पिरो कर उसका सारांश प्रस्तुत कर देते हैं और वह भी भली-भांति समझते हुए जुड़े रहेThanksमित्र अपडेट पर काम जारी है...
धन्यवाद....अरे आगे भी कुछ कुछ हो चुका है अपडेट 112 पोस्ट किया जा चुका है.....Tkuसरयू सिंह और सोनी के बीच आपने जो कुछ भी पड़ा है वह आने वाले समय में एक अहम भूमिका निभाएगा मैं चाहता हूं की कहानी के छोटे बड़े प्रसंगों को समय आने पर उनकी उपयोगिता सहित प्रदर्शित करूं ताकि उस समय यह कहानी पर थोपा...
वही तो नहीं है मित्र परंतु जितना मिल रहा है उसमें लिख रहा हूं और आपकी उसका उसी प्रकार आनंद लेते रहेंJin updates ko आप कुछ घंटों में पड़ गए होंगे उन्हें लिखने में उतनी ही दिन लगे हैं परंतु आपने कहानी के पटल पर आकर लिखने वाले को प्रोत्साहन दिया है धन्यवादधन्यवाद जी आपकी सराहना के लिएहमेशा की...
आप सभी को और आपकी त्वरित प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद। सरयू सिंह का सपना टूटा अवश्य है परंतु अभी उनके पास वक्त बाकी है और सोनी को अभी उनके दिव्यास्त्र की ताकत का अनुमान नहीं है..
जब सोनी को जरूरत होगी सरयू सिंह अपना फर्ज जरूर निभाएंगे प्रतीक्षा करें और आनंद लेते रहें
धन्यवाद...मैंने यह कहानी हकीकत के आसपास रखते हुए बुनी है परंतु इसका वास्तविक दुनिया से कोई लेना देना नहीं है... यदि आपको और पाठकों को यह कहानी पसंद आ रही है तो मेरी मेहनत सफल हो रही हैThanksथैंक्स
भाग 112तभी दरवाजे पर ठक ठक की आवाज हुई सोनू ने आगे बढ़कर दरवाजा खोला…. बाहर दो बड़ी बड़ी कार खड़ी थीं …हाथों में सजी-धजी फलों और मिठाई की टोकरी लिए तीन चार व्यक्ति बाहर खड़े थे और उनके पीछे लाल रंग का चमकदार बैग लिए हांथ जोड़े दो संभ्रांत पुरुष..उनकी वेशभूषा और फलों तथा मिठाइयों की की गई...
Sentधन्यवाद जी बस यूं hib कहानी के पटल पर आते रहेंधन्यवाद जी बस यूं hib कहानी के पटल पर आते रहेंधन्यवाद जी बस यूं hib कहानी के पटल पर आते रहेंरिश्ता आया तो है पर किसके लिए यह तो अगले एपिसोड में ही पता चलेगा पर आपने जो नीचे फोटो लगाई है उसने मूड बना दिया है...अब तो यह सीन कहानी में...
Sentआपकी इस सारगर्भित प्रतिक्रिया के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद जब कोई पाठक कहानी के पात्रों से अपना जुड़ाव दिखाता है और लेखक द्वारा लिखी गई लाइनों से कहानी के चरित्रों के मनोभाव को समझने का प्रयास करता है तो लेखक की मेहनत सफल होती है सोनू और सुगना का अंतर्मन पढ़ पाना और उसे हकीकत के करीब रख पाना...
Tha ksथैंक्सधन्यवाद यह कहानी एक जीवन धारा सुगना की जब तक आनंद आता रहेगा और आप पाठकों का साथ मिलता रहेगा अपडेट की संख्या रुकावट नहीं बनेगी।ThnaksSentथैंक्सधन्यवाद...
देखते हैं किस की किस्मत खुलती हैयह बात सच है कि मनोरमा ठीक उसी डॉक्टर के पास जा रही है जिसने एसडीएम साहब की नसबंदी की...
बहुत बहु धन्यवाद....आपने तो स्वयं नियति में भी उत्तेजना भर दी... अब तो मिलन करना और कराना नियति की भी प्राथमिकता बन गई है....सिमिलर एक्सपेक्टेशन from my other readers too...
कहानी पढ़कर शांत बैठे पाठकों से अनुरोध है कि वह अपनी प्रतिक्रिया यथाशीघ्र देकर अपनी भूमिका निभाते रहे आप चंद लाइने लिखेंगे मैं उन्हें कई गुना कर आपको वापस करता रहूंगा परंतु यदि आप शांत हुए तो मैं स्वयं भी शांत पड़ जाऊं गा.एक कहानी सुनाता हूं शायद सबने सुनी होगी राजा ने आदेश दिया की सब लोग...
आप ने सच कहा सुगना को सोनू के करीब लाने में मेरी लेखनी के भी पसीने छूट रहे हैं नियति परेशान है आखिर विधाता और पाठकों ने उसे किस मझधार में लाकर छोड़ दिया है... सरयू सिंह और सोनी का प्रकरण तो एक कुत्सित वासना से उपजा आकर्षण है जो न जाने किस मोड़ पर खत्म होगा पर अभी सुगना को अपने छोटे भाई सोनू को...
यदि सच में ऐसा है तो मेरी मेहनत सफल हुई..थैंक्सHone ko kuch bhi ho sataka hai... keep enjoying and sharing progress...भाई सहज पके सो मीठा होय आनद लीजिए वक्त आने पर या तो वो होगा जो आप चाहते है या फिर वो जो सुगना के भाग्य में लिखा हैMoni ki yaad mujhe bhi aa rahi haiVery short like...
भाग १११जैसे ही सूरज और मधू की नींद लगी सुगना बिस्तर से उठी और एक बार फिर नित्य क्रिया के लिए गुसल खाने की तरफ गई परंतु वापस आने के बाद वह अपनी जगह पर जाने की बजाय सोनू की तरफ जाकर बिस्तर पर बैठने लगी। अपने प्रश्नों में उलझी हुई सुगना इस बार शॉल लेना भूल गई थी। भरी भरी चूचियां थिरक रही थीं और...