एक चांदनी रात में, रमेश अपनी रोज़ की काम से लौट रहा था। उसकी आँखों में एक अदृश्य सी ताजगी थी, और दिल में एक अजीब सी बेचैनी भी थी, क्योंकि आज उसे सुनीता से रात में मिलना था।जब वह घर पहुँचा, तो सुनीता छत पर खड़ी थी।इसी दौरान, उसकी नज़रें सुनीता से मिलीं। उसकी जिज्ञासा बढ़ी और वह बिना कुछ सोचे...