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Erotica अथर्वप्रियास्वनि

Arnavxlover

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नमस्कार दोस्तों, मैं अपनी दूसरी कहानी पोस्ट करने जा रहा हूँ। उम्मीद करता हूँ की आपको यह कहानी पसंद आयेगी।
कहानी का नाम है

अथर्वप्रियास्वनि
यह कहानी सिंपल और एरोटिक् से भरपूर रहेगी।
 
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Arnavxlover

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Update 1

मेरा नाम अथर्व है - अथर्व शेखावत । आज में आपके सामने मेरी जिंदगी की कहानी लेकर आया हूं। कहानी क्या , कहा जाए तो यह मेरी जिंदगी एक बंद तिजोरी की तरह है,जिसे आज में आपके सामने खोलने जा रहा हू। उम्मीद है कि आपको इसमे छुपा खजाना पसंद आएगा। में तीस साल का तथाकथित सफल और संपन्न आदमी। इतना की एक औसत व्यक्ति मुझसे इर्ष्या करे। सफलता की इस सीढ़ी को लांघने के लिए मेरे माता-पिता ने बहुत प्रोत्साहन दिया। उन्होंने अपने जीवनकाल में बहुत से कष्ट देखे और सहे थे - इसलिए उन्होंने बहुत प्रयास किया की मैं वैसे कष्ट न देख सकूँ। अतः उन्होंने अपना पेट काट-काट कर ही सही, लेकिन मेरी शिक्षा और लालन पालन में कोई कमी न आने दी। सदा यही सिखाया की 'पुत्र! लगे रहो। प्रयास छोड़ना मत! आज कर लो, आगे सिर्फ सुख भोगोगे!' मैं यह कतई नहीं कह रहा हूँ की मेरे माँ बाप की शिक्षा मिथ्या थी। प्रयास करना, मेहनत करना अच्छी बाते हैं - दरअसल यह सब मानवीय नैतिक गुण हैं। किन्तु मेरा मानना है की इनका 'जीवन के सुख' (वैसे, सुख की हमारी आज-कल की समझ तो वैसे भी गंदे नाले में स्वच्छ जल को व्यर्थ करने के ही तुल्य है) से कोई खास लेना देना नहीं है। और वह एक अलग बात है, जिसका इस कहानी से कोई लेना देना नहीं है। मैं यहाँ पर कोई पाठ पढाने नहीं आया हूँ।


जीवन की मेरी घुड़दौड़ अभी ठीक से शुरू भी नहीं हुई थी, की मेरे माँ बाप मुझे जीवन की जिन मुसीबतों से बचाना चाहते थे, वो सारी मुसीबतें मेरे सर पर मानो हिमालय के समस्त बोझ के सामान एक बार में ही टूट पड़ी। जब मैं ग्यारहवीं में पढ़ रहा था, तभी मेरे माँ बाप, दोनों का ही एक सड़क दुर्घटना में देहान्त हो गया, और मैं इस निर्मम संसार में नितान्त अकेला रह गया। मेरे दूरदर्शी जनक ने अपना सारा कुछ (वैसे तो कुछ खास नहीं था उनके पास) मेरे ही नाम लिख दिया था, जिससे मुझे कुछ अवलंब तो अवश्य मिला। ऐसी मुसीबत के समय मेरे चाचा-चाची मुझे सहारा देने आये - ऐसा मुझे लगा – लेकिन वह केवल मेरा मिथ्याबोध था। वस्तुतः वो दोनों आये मात्र इसलिए थे की उनको मेरे माँ बाप की संपत्ति का कुछ हिस्सा मिल जाए, और उनकी चाकरी के लिए एक नौकर (मैं) भी। किन्तु यह हो न सका - माँ बाप ने मेहनत करने के साथ ही अन्याय न सहने की भी शिक्षा दी थी। लेकिन मेरी अन्याय न सहने की वृत्ति थोड़ी हिंसक थी। चाचा-चाची से मुक्ति का वृतांत मार-पीट और गाली-गलौज की अनगिनत कहानियों से भरा पड़ा है, और इस कहानी का हिस्सा भी नहीं है। बस यहाँ पर यह बताना पर्याप्त होगा की उन दोनों कूकुरों से मुझे अंततः मुक्ति मिल ही गयी। बाप की सारी कमाई और उनका बनाया घर सब बिक गया। मेरे मात-पिता से मुझको जोड़ने वाली अंतिम भौतिक कड़ी भी टूट गयी। घर छोड़ा, आवासीय विद्यालयों में पढ़ा, और अपनी शिक्षा जारी रखने के लिए (जो मेरे माता पिता की न सिर्फ अंतिम इच्छा थी, बल्कि तपस्या भी) विभिन्न प्रकार की क्षात्रवृत्ति पाने के लिए मुझे अपने घोड़े को सबसे आगे रखने के लिए मार-मार कर लहू-लुहान कर देना पड़ा। खैर, विपत्ति भरे वो चार साल, जिसके पर्यंत मैंने अभियांत्रिकी सीखी, जैसे तैसे बीत गए - अब मेरे पास एक आदरणीय डिग्री थी, और नौकरी भी। किन्तु यह सब देखने के लिए मेरे माता पिता नहीं थे और न ही उनकी इतनी मेहनत से बनायी गयी निशानी।

घोर अकेलेपन में किसी भी प्रकार की सफलता कितनी बेमानी हो जाती है! लेकिन मैंने इस सफलता को अपने माता-पिता की आशीर्वाद का प्रसाद माना और अगले दो साल तक एक और साधना की - मैंने भी पेट काटा, पैसे बचाए और घोर तपस्या (पढाई) करी, जिससे मुझे देश के एक अति आदरणीय प्रबंधन संस्थान में दाखिला मिल जाए। ऐसा हुआ भी और आज मैं एक बहु-राष्ट्रीय कंपनी में प्रबंधक हूँ। कहने सुनने में यह कहानी बहुत सुहानी लगती है, लेकिन सच मानिए, तीस साल तक बिना रुके हुए इस घुड़दौड़ में दौड़ते-दौड़ते मेरी कमर टूट गयी है। भावनात्मक पीड़ा मेरी अस्थि-मज्जा के क्रोड़ में समा सी गयी है। ह्रदय में एक काँटा धंसा हुआ सा लगता है। और आज भी मैं एकदम अकेला हूँ। कुछ मित्र बने – लेकिन उनसे कोई अंतरंगता नहीं है – सदा यही भय समाया रहता है की न जाने कब कौन मेरी जड़ें काटने लगे! और न ही कोई जीवनसाथी बनने के इर्द-गिर्द भी है। ऐसा नहीं है की मेरे जीवन में लडकियां नहीं आईं - बहुत सी आईं और बहुत सी गईं। किन्तु जैसी बेईमानी और अमानवता मैंने अपने जीवन में देखी है, मेरे जीवन में आने वाली ज्यादातर लड़कियां वैसी ही बेइमान और अमानवीय मिली। आरम्भ में सभी मीठी-मीठी बाते करती, लुभाती, दुलारती आती हैं, लेकिन धीरे-धीरे उनके चरित्र की प्याज़ जैसी परतें हटती है, और उनकी सच्चाई की कर्कशता देख कर आँख से आंसू आने लगते हैं।

सच मानिए, मेरा मानव जाति से विश्वास उठता जा रहा है, और मैं खुद अकेलेपन के गर्त में समाता जा रहा हूँ। तो क्या अब आप मेरी मनःस्तिथि समझ सकते हैं? कितना अकेलापन और कितनी ही बेमानी जिन्दगी! प्रतिदिन (अवकाश वाले दिन भी) सुबह आठ बजे से रात आठ बजे तक कार्य में स्वयं को स्वाहा करता हूँ, जिससे की इस अकेलेपन का बोझ कम ढ़ोना पड़े। पर फिर भी यह बोझ बहुत भारी ही रहता है। कार्यालय में दो-तीन सहकर्मी और बॉस अच्छे व्यवहार वाले मिले। वो मेरी कहानी जानते थे, इसलिए मुझे अक्सर ही छुट्टी पर जाने को कहते थे। लेकिन वो कहते हैं न, की मुफ्त की सलाह का क्या मोल!

मैं अक्सर ही उनकी बातें अनसुनी कर देता। लेकिन, पिछले दिनों मेरा हवा-पानी बदलने का बहुत मन हो रहा था - वैसे भी अपने जीवन में मैं कभी भी बाहर (घूमने-फिरने) नहीं गया। मेरे मित्र मुझको “अचल संपत्ति” कहकर बुलाने लगे थे। अपनी इस जड़ता पर मुझको विजय प्राप्त करनी ही थी। इंटरनेट पर करीब दो माह तक शोध करने के बाद, मैंने मन बताया की उत्तराँचल जाऊंगा! अपने बॉस से एक महीने की छुट्टी ली - आज तक मैंने कभी भी छुट्टी नहीं ली थी। लेता भी किसके लिए - न कोई सगा न कोई सम्बन्धी। मेरा भला-मानुस बॉस ऐसा प्रसन्न हुआ जैसे उसको अभी अभी पदोन्नति मिली हो। उसने तुरंत ही मुझको छुट्टी दे दी और यह भी कहा की एक महीने से पहले दिखाई मत देना। छुट्टी लेकर, ऑफिस से निकलते ही सबसे पहले मैंने आवश्यकता के सब सामान जुटाए।

वह अगस्त मास था – मतलब वर्षा ऋतु। अतः समस्त उचित वस्तुएं जुटानी आवश्यक थीं। सामान पैक कर मैं पहला उपलब्ध वायुयान लेकर उत्तराँचल की राजधानी देहरादून पहुच गया। उत्तराँचल को लोग देव-भूमि भी कहते हैं - और वायुयान में बैठे हुए नीचे के दृश्य देख कर समझ में आ गया की लोग ऐसा क्यों कहते है। मैंने अपनी यात्रा की कोई योजना नहीं बनायीं थी - मेरा मन था की एक गाडी किराए पर लेकर खुद ही चलाते हुए बस इस सुन्दर जगह में खो जाऊं। समय की कोई कमी नहीं थी, अतः मुझे घूमने और देखने की कोई जल्दी भी नहीं थी। हाँ, बस मैं भीड़ भाड़ वाली जगहों (जैसे की हरिद्वार, ऋषिकेश इत्यादि) से दूर ही रहना चाहता था। मैंने देहरादून में ही एक छोटी कार किराए पर ली और उत्तराँचल का नक्शा, 'जी पी एस' और अन्य आवश्यक सामान खरीद कर कार में डाल लिया और आगे यात्रा के लिए चल पड़ा।

अगले एक सप्ताह तक मैंने बद्रीनाथ देवस्थान, फूलों की घाटी, कई सारे प्रयाग, और कुछ अन्य छोटे स्थानिक मंदिर भी देखे। हिमालय की गोद में चलते, प्राकृतिक छटा का रसास्वादन करते हुए यह एक सप्ताह न जाने कैसे फुर्र से उड़ गया। प्रत्येक स्थान मुझको अपने ही तरीके से अचंभित करता। अब जैसे बद्रीनाथ देवस्थान की ही बात कर लें – मंदिर से ठीक पूर्व भीषण वेग से बहती अलकनंदा नदी यह प्रमाणित करती है की प्रकृति की शक्ति के आगे हम सब कितने बौने हैं। इसी ठंडी नदी के बगल ही एक तप्त-कुंड है, जहाँ भूगर्भ से गरम पानी निकलता है। हम वैज्ञानिक तर्क-वितर्क करने वाले आसानी से कह सकते हैं की भूगर्भीय प्रक्रियाओं के चलते गरम पानी का सोता बन गया। किन्तु, एक आम व्यक्ति के लिए यह दैवीय चमत्कार से कोई कम नहीं है। मंदिर के प्रसाद में मिलने वाली वन-तुलसी की सुगंध, थके हुए शरीर से सारी थकान खींच निकालती है और सिर्फ यही नहीं। प्रत्येक सुबह, सूरज की पहली किरणें नीलकंठ पर्वत की छोटी पर जब पड़ती हैं, तो उस पर जमा हुआ हिम (बरफ) ऐसे जगमगाता है, जैसे की सोना!
 
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kamdev99008

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ये कहानी इसी फोरम पर कायाकल्प के नाम से चल रही हैं
Kayakalp original writer avsji ki authentic story hai
 
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avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
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Jitender kumar और kamdev99008 भाई लोगों - धन्यवाद! इस कहानी को न जाने कहाँ कहाँ पोस्ट किया जा चुका है इतने सालों में!
अब तो नाराज़गी भी नहीं होती। पहले होती थी।
सोचता था कि 'अंधी पीसे, कुत्ता खाय' वाली हालत है। फिर सोचा कि स्साला, कौन सा अभिज्ञान शाकुंतलम लिख रहा हूँ, जो नाराज़ होऊँ! :)

Arnavxlover भाई, आपने कहानी का टाइटल तो बढ़िया लिखा है। 👌 यह credit तो आपको दूँगा।
लेकिन अफ़सोस, कहानी आपने नहीं लिखी है। इसलिए कम से कम रिफरेन्स दे देते की कहीं और से उठाई है यह कहानी।
वैसे out of curiosity, रूद्र का नाम यहाँ अथर्व हो गया, संध्या और नीलम का क्या नाम रखने वाले थे?
एक जगह पर शक्ति सिंह का नाम किसी ने भँवर सिंह रखा था। :confused3:

वैसे इस फोरम पर मेरी और भी कहानियाँ हैं - देवनागरी और अंग्रेजी दोनों में।
कुछ नई हैं, और कुछ पुरानी। उनको पढ़ें और आनंद लें।
 
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Yash_hardhitter

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Jitender kumar और kamdev99008 भाई लोगों - धन्यवाद! इस कहानी को न जाने कहाँ कहाँ पोस्ट किया जा चुका है इतने सालों में!
अब तो नाराज़गी भी नहीं होती। पहले होती थी।
सोचता था कि 'अंधी पीसे, कुत्ता खाय' वाली हालत है। फिर सोचा कि स्साला, कौन सा अभिज्ञान शाकुंतलम लिख रहा हूँ, जो नाराज़ होऊँ! :)

Arnavxlover भाई, आपने कहानी का टाइटल तो बढ़िया लिखा है। 👌 यह credit तो आपको दूँगा।
लेकिन अफ़सोस, कहानी आपने नहीं लिखी है। इसलिए कम से कम रिफरेन्स दे देते की कहीं और से उठाई है यह कहानी।
वैसे out of curiosity, रूद्र का नाम यहाँ अथर्व हो गया, संध्या और नीलम का क्या नाम रखने वाले थे?
एक जगह पर शक्ति सिंह का नाम किसी ने भँवर सिंह रखा था। :confused3:

वैसे इस फोरम पर मेरी और भी कहानियाँ हैं - देवनागरी और अंग्रेजी दोनों में।
कुछ नई हैं, और कुछ पुरानी। उनको पढ़ें और आनंद लें।


Sahi kaha dost yeh kahani bahut jagah likhi jaa chuki hai... Lekin yeh kahani ek kitaab ke roop mein bhi hai... Naam hai

"बंद तिजोरी" By prianshi jain


Screenshot-2021-04-15-12-39-57-855-com-amazon-kindle
rose that grew from concrete poem book
 

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
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Sahi kaha dost yeh kahani bahut jagah likhi jaa chuki hai... Lekin yeh kahani ek kitaab ke roop mein bhi hai... Naam hai

"बंद तिजोरी" By prianshi jain


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हद्द है! खैर, है तो बनिया ही। आपदा में अवसर निकाल ली 😂 😂
वैसे कहानियों में मैंने कभी BDSM नहीं दिखाया। इस किताब की ज़िल्द पर तो वही दिख रहा है!!
 
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Hello everyone.

We are Happy to present to you The annual story contest of XForum


"The Ultimate Story Contest" (USC).

Jaisa ki aap sabko maloom hai abhi pichhle hafte hi humne USC ki announcement ki hai or abhi kuch time pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit Chat thread toh pehle se hi Hind section mein khula hai.

Well iske baare mein thoda aapko bata dun ye ek short story contest hai jisme aap kisi bhi prefix ki short story post kar sakte ho, jo minimum 700 words and maximum 7000 words (Story ke words count karne ke liye is tool ka use kare — Characters Tool) . Isliye main aapko invitation deta hun ki aap is contest mein apne khayaalon ko shabdon kaa roop dekar isme apni stories daalein jisko poora XForum dekhega, Ye ek bahot accha kadam hoga aapke or aapki stories ke liye kyunki USC ki stories ko poore XForum ke readers read karte hain.. Aap XForum ke sarvashreshth lekhakon mein se ek hain. aur aapki kahani bhi bahut acchi chal rahi hai. Isliye hum aapse USC ke liye ek chhoti kahani likhne ka anurodh karte hain. hum jaante hain ki aapke paas samay ki kami hai lekin iske bawajood hum ye bhi jaante hain ki aapke liye kuch bhi asambhav nahi hai.

Aur jo readers likhna nahi chahte woh bhi is contest mein participate kar sakte hain "Best Readers Award" ke liye. Aapko bas karna ye hoga ki contest mein posted stories ko read karke unke upar apne views dene honge.

Winning Writer's ko well deserved Awards milenge, uske alawa aapko apna thread apne section mein sticky karne ka mouka bhi milega taaki aapka thread top par rahe uss dauraan. Isliye aapsab ke liye ye ek behtareen mouka hai XForum ke sabhi readers ke upar apni chhaap chhodne ka or apni reach badhaane kaa.. Ye aap sabhi ke liye ek bahut hi sunehra avsar hai apni kalpanao ko shabdon ka raasta dikha ke yahan pesh karne ka. Isliye aage badhe aur apni kalpanao ko shabdon mein likhkar duniya ko dikha de.

Entry thread 7th February ko open hoga matlab aap 7 February se story daalna shuru kar sakte hain or woh thread 25th February tak open rahega is dauraan aap apni story post kar sakte hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna shuru kardein toh aapke liye better rahega.

Aur haan! Kahani ko sirf ek hi post mein post kiya jaana chahiye. Kyunki ye ek short story contest hai jiska matlab hai ki hum kewal chhoti kahaniyon ki ummeed kar rahe hain. Isliye apni kahani ko kayi post / bhaagon mein post karne ki anumati nahi hai. Agar koi bhi issue ho toh aap kisi bhi staff member ko Message kar sakte hain.



Story se related koi doubt hai to iske liye is thread ka use kare — Chit Chat Thread

Kisi bhi story par apna review post karne ke liye is thread ka use kare — Review Thread

Rules check karne ke liye is thread ko dekho — Rules & Queries Thread

Apni story post karne ke liye is thread ka use kare — Entry Thread

Prizes
Position Benifits
Winner 1500 Rupees + Award + 30 days sticky Thread (Stories)
1st Runner-Up 500 Rupees + Award + 2500 Likes + 15 day Sticky thread (Stories)
2nd Runner-UP 5000 Likes + 7 Days Sticky Thread (Stories) + 2 Months Prime Membership
Best Supporting Reader Award + 1000 Likes+ 2 Months Prime Membership
Members reporting CnP Stories with Valid Proof 200 Likes for each report



Regards :- XForum Staff
 

Damon_Salvatore

I am vengeance
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Hello everyone.

We are Happy to present to you The annual story contest of XForum


"The Ultimate Story Contest" (USC).


"Chance to win cash prize up to Rs 8000"
Jaisa ki aap sabko maloom hai abhi pichhle hafte hi humne USC ki announcement ki hai or abhi kuch time pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit Chat thread toh pehle se hi Hindi section mein khula hai.

Well iske baare mein thoda aapko bata dun ye ek short story contest hai jisme aap kisi bhi prefix ki short story post kar sakte ho, jo minimum 700 words and maximum 7000 words ke bich honi chahiye (Story ke words count karne ke liye is tool ka use kare — Characters Tool) . Isliye main aapko invitation deta hun ki aap is contest mein apne khayaalon ko shabdon kaa roop dekar isme apni stories daalein jisko poora XForum dekhega, Ye ek bahot accha kadam hoga aapke or aapki stories ke liye kyunki USC ki stories ko poore XForum ke readers read karte hain.. Aap XForum ke sarvashreshth lekhakon mein se ek hain. aur aapki kahani bhi bahut acchi chal rahi hai. Isliye hum aapse USC ke liye ek chhoti kahani likhne ka anurodh karte hain. hum jaante hain ki aapke paas samay ki kami hai lekin iske bawajood hum ye bhi jaante hain ki aapke liye kuch bhi asambhav nahi hai.

Aur jo readers likhna nahi chahte woh bhi is contest mein participate kar sakte hain "Best Readers Award" ke liye. Aapko bas karna ye hoga ki contest mein posted stories ko read karke unke upar apne views dene honge.

Winning Writer's ko well deserved Cash Awards milenge, uske alawa aapko apna thread apne section mein sticky karne ka mouka bhi milega taaki aapka thread top par rahe uss dauraan. Isliye aapsab ke liye ye ek behtareen mouka hai XForum ke sabhi readers ke upar apni chhaap chhodne ka or apni reach badhaane kaa.. Ye aap sabhi ke liye ek bahut hi sunehra avsar hai apni kalpanao ko shabdon ka raasta dikha ke yahan pesh karne ka. Isliye aage badhe aur apni kalpanao ko shabdon mein likhkar duniya ko dikha de.

Entry thread 15th February ko open ho chuka matlab aap apni story daalna shuru kar sakte hain or woh thread 5th March 2024 tak open rahega is dauraan aap apni story post kar sakte hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna shuru kardein toh aapke liye better rahega.

Aur haan! Kahani ko sirf ek hi post mein post kiya jaana chahiye. Kyunki ye ek short story contest hai jiska matlab hai ki hum kewal chhoti kahaniyon ki ummeed kar rahe hain. Isliye apni kahani ko kayi post / bhaagon mein post karne ki anumati nahi hai. Agar koi bhi issue ho toh aap kisi bhi staff member ko Message kar sakte hain.



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Winner 4000 Rupees + Award + 5000 Likes + 30 days sticky Thread (Stories)
1st Runner-Up 1500 Rupees + Award + 3500 Likes + 15 day Sticky thread (Stories)
2nd Runner-UP 1000 Rupees + 2000 Likes + 7 Days Sticky Thread (Stories)
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