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Thriller अद्-भूत The horror, suspense, thriller

Hero tera

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रातको होस्टेलके गलियारेमें घना अंधेरा था. गलियारेके लाईट्स या तो किसीने चोरी किये होंगे या लडकोने तोड दिए होंगे. एक काला साया धीरे धीरे उस गलियारेमे चल रहा था. और वहासे थोडीही दुरीपर जॉन, ऍन्थोनी और उसके दो दोस्त एक खंबेके पिछे छुपकर बैठे थे. उन्होने पक्का फैसला किया था की आज किसीभी हालमें इस चोरको पकडकर होस्टेलकी लगभग रोज होनेवाली चोरीयां रोकनी है. काफी समयसे वे वहां छिपकर चोरकी राह देख रहे थे. आखिर वह साया उन्हे दिखतेही उनके चेहरेपर खुशी की लहर दौड गई.

चलो इतने देरसे रुके... आखिर मेहनत रंग लाई...

खुशीके मारे उनमें खुसुर फुसुर होने लगी.

'' ए चूप रहो... यही अच्छा मौका है ... सालेको रंगे हाथ पकडनेका '' जॉनने सबको चूप रहनेकी हिदायत दी.

वे वहांसे छिपते हूए सामने जाकर एक दुसरे खंबेके पिछे छूप गए.

उन्होने चोरको पकडनेकी पुरी प्लॅनींग और तैयारी कर रखी थी. चारोंने आपसमें काम बांट लिया था. उन चारोंमें एक लडका अपने कंधेपर एक काला ब्लॅंकेट संभाल रहा था.

'' देखो... वह रुक गया ... सालेकी घोंगड रपेटही करेंगे'' जॉन धीरेसे बोला.

वह साया गलियारेमे चलते हूए एक रुमके सामने रुक गया.

'' अरे किसकी रुम है वह ?'' किसीने पुछा.

'' मेरीकी ..'' ऍन्थोनीने धीमे स्वरमे जवाब दिया.

वह काला साया मेरीके दरवाजेके सामने रुका और मेरीके दरवाजेके कीहोलमें अपने पासकी चाबी डालकर घुमाने लगा.

'' देखो उसके पास चाबीभी है '' कोई फुसफुसाया.

'' मास्टर की होगी '' किसीने कहा.

'' या डूप्लीकेट बनाकर ली होगी सालेने ''

'' अब तो वह बिलकुल मुकर नही पाएगा ... हम उसे अब रेड हॅंन्डेड पकड सकते है. '' जॉनने कहा.

जॉन और ऍन्थोनीने पिछे मुडकर उनके दो साथीयोंको इशारा किया.

'' चलो ... यह एकदम सही वक्त है '' ऍन्थोनीने कहा.

वह साया अब ताला खोलनेकी कोशीश करने लगा.

सब लोगोंने एकदम उस काले सायेपर हल्ला बोल दिया. ऍन्थोनीने उस सायेके शरीरपर उसके दोस्तके कंधेपर जो था वह ब्लॅंकेट डालकर लपेट दिया और जॉनने उस सायेको ब्लॅकेटके साथ कसकर पकड लिया.

'' पहले साले को मारो... '' कोई चिल्लाया.

सबलोग मिलकर अब उस चोरकी धुलाई करने लगे.

'' कैसा हाथ आया रे साले ... ''

'' ए साले ... दिखा अब कहां छुपाकर रखा है तुने होस्टेलका सारा चोरी किया हूवा माल''

ब्लॅंकेटके अंदरसे 'आं ऊं' ऐसा दबा हूवा स्वर आने लगा.

अचानक सामनेका दरवाजा खुला और मेरी गडबडाई हूई दरवाजेसे बाहर आगई. शायद उसे उसके रुमके सामने चल रहे धांदलीकी आहट हुई होगी. कमरेमें जल रहे लाईटकी रोशनी अब उस ब्लॅंकेटमें लिपटे चोरके शरीर पर पड गई.

'' क्या चल रहा है यहां '' मेरी घाबराये हूए हालमें हिम्मत बटोरती हूई बोली.

'' हमने चोरको पकडा है '' ऍन्थोनीने कहा.

'' ये तुम्हारा कमरा डूप्लीकेट चाबीसे खोल रहा था. '' जॉनने कहा.

उस चोरको ब्लॅंकेटके साथ पकडे हूए हालमें जॉनको उस चोरके शरीरपर कुछ अजीबसा लगा. धांदलीमें उसने क्या है यह टटोलनेके लिए ब्लॅंकेटके अंदरसे अपने हाथ डाले. जॉनने हाथ अंदर डालनेसे उसकी उस सायेपरकी पकड ढीली हो गई और वह साया ब्लॅंकेटसे बाहर आगया.

'' ओ माय गॉड नॅन्सी! '' मेरी चिल्लाई.

नॅन्सी कोलीन उनकेही क्लासमेंकी एक सुंदर स्टूडंट थी. वह ब्लॅकेटसे बाहर आई और अभीभी असंमजसके स्थितीमें जॉन उसके दोनो उरोज अपने हाथमें कसकर पकडा हूवा था. उसने खुदको छुडा लिया और एक जोर का तमाचा जॉनके कानके निचे जड दिया.

जॉनको क्या बोले कुछ समझमें नही रहा था वह बोला, '' आय ऍम सॉरी .. आय ऍम रियली सॉरी ''

'' वुई आर सॉरी ...'' ऍन्थोनीनेभी कहा.

'' लेकिन इतने रात गए तुम यहां क्या कर रही हो?'' मेरी नॅन्सीके पास जाते हूए बोली.

'' इडीयट ... आय वॉज ट्राईंग टू सरप्राईज यू... तूम्हे जनमदिनकी शुभकामनाएं देने आई थी मै..'' नॅन्सी उसपर चिढते हूए बोली.

'' ओह ... थॅंक यू ... आय मीन सॉरी ... आय मीन आर यू ओके?'' मेरीको क्या बोले कुछ समझ नही आ रहा था.

मेरी नॅन्सीको रुममें ले गई. और जॉन फिरसे माफी मांगनेके लिए रुममे जानेलगा तो दरवाजा उसके मुंहपर धडामसे बंद होगया.
 

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क्लास चल रहा था. क्लासमें जॉन और उसके दो दोस्त पास-पास बैठे थे. जॉनका खयाल बिलकुल क्लासमें नही था. वह बेचैन लग रहा था और अस्वस्थतासे क्लास खतम होने की राह देख रहा था. उसने एकबार पुरे क्लासपर अपनी नजर घुमाई, खासकर नॅन्सीकी तरफ देखा. लेकिन उसका कहा उसकी तरफ ध्यान था? वह तो अपनी नोट्स लेनेमे व्यस्त थी. कल रातका वाक्या याद कर जॉनको फिरसे अपराधी जैसा लगने लगा.

उस बेचारीको क्या लगा होगा ? ...

इतने सारे लोगोंके सामने और मेरीके सामने मैने ...

नही मैने ऐसा नही करना चाहिए था...

लेकिन जोभी हूवा वह गलतीसे हूवा...

मुझे क्या मालूम था की वह चोर ना होकर नॅन्सी थी...

नही मुझे उसकी माफी मांगना चाहिए...

लेकिन कल तो मैने उसकी माफी मांगनेका प्रयास किया था ..

तो उसने धडामसे गुस्सेसे दरवाजा बंद किया था...

नही मुझे वह जबतक माफ नही करती तबतक माफी मांगतेही रहना चाहिए...

उसके दिमागमें विचारोंका तुफान उमड पडा था. इतनेमें पिरियड बेल बजी. शायद ब्रेक हो गया था.

चलो यह अच्छा मौका है ...

उसे माफी मांगनेका ...

वह उठकर उसके पास जानेही वाला था इतनेमें वह लडकियोंकी भिडमें कही गुम होगई थी.

ब्रेककी वजहसे कॉलेजके गलियारेमें स्टूडंट्स की भिड जमा हो गई थी. छोटे छोटे समूह बनाकर गप्पे मारते हूए स्टूडंट्स सब तरफ फैल गए थे. और उस भिडसे रास्ता निकालते हूए जॉन और उसके दो दोस्त उस भिडमें नॅन्सीको ढूंढ रहे थे.

कहा गई?...

अभी तो लडकियोंकी भिडमें क्लाससे बाहर जाते हूए दिखी थी... .

वे तिनो इधर उधर देखते हूए उसे ढूंढनेकी कोशीश करने लगे. आखिर एक जगह कोनेमें उन्हे अपने दोस्तोंके साथ बाते करती हूइ नॅन्सी दिख गई.

''चलो मेरे साथ... '' जॉनने अपने दोस्तो से कहा.

'' हम किसलिए ... हम यही रुकते है ... तुम ही जावो.. '' उसके दोस्तोमेंसे एक बोला.

'' अबे... साथ तो चलो '' जॉन उनको लगभग पकडकर नॅन्सीके पास ले गया.

जब जॉन और उसके दोस्त उसके पास गए तब उसका खयाल इन लोगोंकी तरफ नही था. वह अपनी गप्पे मारनेमें मशगुल थी. नॅन्सीने गप्पे मारते हूए एक नजर उनपर डाली और उनकी तरफ ध्यान ना देते हूए अपनी बातोंमेही व्यस्त रही. जॉनने उसके और पास जाकर उसका ध्यान अपनी तरफ आकर्षीत करनेका प्रयास किया. लेकिन बार बार वह उनकी तरफ ध्यान ना देते हूए उन्हे टालनेका प्रयास कर रही थी. उधर उनसे काफी दूर ऍन्थोनी गलियारेसे जारहा था वह जॉनकी तरफ देखकर मुस्कुराया और उसने अपना अंगूठा दिखाकर उसे बेस्ट लक विश किया.

'' नॅन्सी ... आय ऍम सॉरी'' जॉनको इतने लडको लडकियोंकी भिडमें शर्मभी आ रही थी. फिरभी ढांढस बांधते हूए उसने कहा.

नॅन्सीने एक कॅजूअल नजर उसपर डाली.

जॉनकी गडबडी हूइ दशा देखकर उसके दोस्तोने अब सिच्यूएशन अपने हाथमे ली.

'' ऍक्च्यूअली हम एक चोरको पकडनेकी कोशीश कर रहे थे. '' एक दोस्तने कहा.

'' हां ना ... वह रोज होस्टेलमें चोरी कर रहा था. '' दुसरे दोस्त ने कहा.

जॉन अब अपनी गडबडीभरी दशासे काफी उभर गया था. उसने फिरसे हिम्मत कर अपनी रट जारी रखी, , '' नॅन्सी ... आय ऍम सॉरी ... आय रियली डीडन्ट मीन इट... मै तो उस चोरको पकडनेकी ... .''

जॉन हाथोके अलग अलग इशारोंसे अपने भाव व्यक्त करनेकी कोशीश कर रहा था. वह क्या बोल रहा था और क्या इशारे कर रहा था उसका उसकोही समझ नही आ रहा था. आखिर वह एक हाव-भावके पोजीशनमें रुका. जब वह रुका तब उसके खयालमें आया की, भलेही स्पर्ष ना कर रहे हो, लेकिन उसके दोनो हाथ फिरसे नॅन्सीके उरोजोंके आसपास थे. वह नॅन्सीकेभी खयालमें आया. उसने झटसे अपने हाथ पिछे खिंच लिए. उसने गुस्सेसे भरा एक कटाक्ष उसके उपर डाला और फिरसे एक जोरका चांटा उसके गालपर जडकर चिढकर बोली, '' बद्तमीज''

इसके पहलेकी जॉन फिरसे संभलकर कुछ बोले वह गुस्सेसे पैर पटकाती हूई वहांसे चली गई थी. जब वह होशमें आया वह दूर जा चूकी थी और जॉन अपना गाल सहलाते हूए वहां खडा था.
 

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शामका समय था. अपनी शॉपींगसे लदी हूई बॅग संभालती हूई नॅन्सी फुटपाथसे जा रही थी. वैसे अब खरीदनेका कुछ खास नही बचा था. सिर्फ एक-दो चिजे खरीदनेकी बची थी.

वह चिजे खरीद ली की फिर घरही वापस जाना है...

वह बची हूई एक-दो चिजे लेकर जब वापस जानेके लिए निकली तब लगभग अंधेरा होनेको आया था और रास्तेपरभी बहुत कम लोग बचे थे. चलते चलते नॅन्सीके अचानक खयालमें आया की बहुत देरसे कोई उसका पिछा कर रहा है. उसकी पिछे मुडकर देखनेकी हिम्मत नही बन रही थी. वह वैसेही चलती रही. फिरभी उसका पिछा जारी है इसका उसे एहसास हूवा. अब वह घबरा गई. पिछे मुडकर ना देखते हूए वह वैसेही जोरसे आगे चलने लगी.

इतनेमे उसे पिछेसे आवाज आया , '' नॅन्सी ''

वह एक पल रुकी और फिर चलने लगी.

पिछेसे फिरसे आवाज आया, '' नॅन्सी ...''.

आवाजके लहजेसे नही लग रहा था की पिछा करने वाले का कोई गलत इरादा हो. नॅन्सीने चलते चलतेही पिछे मुडकर देखा. पिछे जॉनको देखतेही वह रुक गई. उसके चेहरेपर परेशानीके भाव भाव दिखने लगे.

यह इधरभी ..

अबतो सर पटकनेकी नौबत आई है...

वह एक बडा फुलोंका गुलदस्ता लेकर उसके पास आ रहा था. वह देखकर तो उसे एक क्षण लगाभी की सचमुछ अपना सर पटक ले. वह जॉन उसके नजदिक आनेतक रुक गई.

'' क्यो तुम मेरा लगातार पिछा कर रहे हो ?'' नॅन्सी नाराजगी जताते हूए गुस्सेसे बोली.

'' मुझपर एक एहसान करदो और भगवानके लिए मेरा पिछा करना छोड दो '' वह गुस्सेसे हाथ जोडते हूए, उसका पिछा छूडा लेनेके अविर्भावमें बोली.

गुस्सेसे वह पलट गई और फिरसे आगे पैर पटकती हूई चलने लगी. जॉनभी बिचमें थोडा फासला रखते हूए उसके पिछे पिछे चलने लगा.

जॉन फिरसे पिछा कर रहा है यह पता चलतेही वह गुस्सेसे रुक गई.

जॉनने अपनी हिम्मत बटोरकर वह फुलोंका गुलदस्ता उसके सामने पकडा और कहा, '' आय ऍम सॉरी...''

नॅन्सी गुस्सेसे तिलमिलाई. उसे क्या बोले कुछ सुझ नही रहा था. जॉनकोभी आगे क्या बोले कुछ समझ नही रहा था.

'' आय स्वीअर, आय मीन इट'' वह अपने गलेको हाथ लगाकर बोला.

नॅन्सी गुस्सेमेतो थी ही, उसने झटकेसे अपने चेहरेपर आ रही बालोंकी लटे एक तरफ हटाई. जॉनको लगा की वह फिरसे एक जोरदार तमाचा अपने गालपर जडने वाली है. डरके मारे अपनी आंखे बंद कर उसने झटसे अपना चेहरा पिछे हटाया.

उसकेभी यह खयालमें आया और वह अपनी हंसी रोक नही सकी. उसका वह डरा हूवा सहमा हूवा बच्चोके जैसा मासूम चेहरा देखकर वह खिलखिलाकर हंस पडी. उसका गुस्सा कबका रफ्फु चक्कर हो गया था. जॉनने आंखे खोलकर देखा. तबतक वह फिरसे रास्तेपर आगे चल पडी थी. थोडी देर चलनेके बाद एक मोडपर मुडनेसे पहले नॅन्सी रुक गई, उसने पिछे मुडकर जॉनकी तरफ देखा. एक नटखट मुस्कुराहटसे उसका चेहरा खिल गया था. गडबडाए हूए हालमें, संभ्रममे खडा जॉनभी उसकी तरफ देखकर मंद मंद मुस्कुराया. वह फिरसे आगे चलते हूए उस मोडपर मुडकर उसके नजरोंसे ओझल हो गई. भले ही वह उसके नजरोंसे ओझल हूई थी, फिरभी जॉन खडा होकर उधर मंत्रमुग्ध होकर देख रहा था. उसे रह रहकर उसकी वह नटखट मुस्कुराहट याद आ रही थी.

वह सचमुछ मुस्कुराई थी या मुझे वैसा आभास हूवा ....

नही नही आभास कैसे होगा ...

यह सच है की वहं मुस्कुराई थी ...

वह मुस्कुराई इसका मतलब उसने मुझे माफ किया ऐसा समझना चाहिए क्या? ...

हां वैसा समझनेमें कोई दिक्कत नही...

लेकिन उसका वह मुस्कुराना कोई मामूली मुस्कुराना नही था...

उसके उस मुस्कुराहटमें औरभी कुछ गुढ अर्थ छिपा हूवा था...

क्या था वह अर्थ?...

जॉन वह अर्थ समझनेकी कोशीश करने लगा. और जैसे जैसे वह अर्थ उसके समझमें आ रहा था उसकेभी चेहरेपर वही, वैसीही मुस्कुराहट फैलने लगी.
 

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चेप्टर 13
धीरे धीरे जॉन और नॅन्सी एकदूसरेके नजदीक खिंचते चले गए. उनके दिलमें कब प्रेमका बिज पनपना शुरु होगया उन्हे पता ही नही चला. झगडेसेभी प्रेमकी भावना पनप सकती है यह वे खुद अनुभव कर रहे थे. कॉलेजमे कोई पिरियड खाली होने पर वे मिलते. कॉलेज खत्म होनेपर मिलते. लायब्रीमें पढाईके बहानेसे मिलते थे. मिलनेका एक भी मौका वे छोडना नही चाहते थे. लेकिन सब छिप छिपकर चल रहा था. उन्हेने उनका प्रेम अभीतक किसीके खयालमें आने नही दिया था. लेकिन जो किसीके खयालमें नही आये उसे प्रेम कैसे कहे? या फिर एक वक्त ऐसा आता है की प्रेमी इतने बिन्दास हो जाते है की उनका प्रेम किसीके खयालमें आयेगा या किसीको पता चलेगा इस बातकी फिक्र करना वे छोड देते है. लोगोको अपना प्रेम पता चले ऐसी सुप्त भावनाभी शायद उनके मनमे आती हो.

काफी रात हो चूकी थी. अपनी बेटी अभीतक कैसे घर वापस नही आई यह चिंता नॅन्सीके पिता को खाये जा रही थी. वे बेचैन होकर हॉलमें चहलकदमी कर रहे थे. वैसी उन्होने नॅन्सीको पुरी छूट दे रखी थी. लेकिन ऐसी गैर जिम्मेदाराना वह कभी नही लगी थी. कभी देर होती तो वह घर फोन कर बताती थी. लेकिन आज उसने फोन करनेकीभी जहमत नही उठाई थी. इतने सालका उसके पिताका अनुभव कह रहा था की मामला कुछ गंभीर है.

नॅन्सी किसी गलत संगतमें तो नही फंस गई?...

या फिर ड्रग्ज वैगेरेकी लत तो नही लगी उसे ?...

अलग अलग प्रकारके अलग अलग विचार उनके दिमागमें घुम रहे थे. इतनेमें उन्हे बाहर कोई आहट हूई.

एक बाईक आकर घरके कंपाऊंडके गेटके सामने रुकी. बाईकके पिछेकी सिटसे नॅन्सी उतर गई. उसने सामने बैठे जॉनके गालका चूंबन लिया और वह गेटके तरफ निकल दी.

घरके अंदरसे, खिडकीसे नॅन्सीके पिता वह सब नजारा देख रहे थे. उनके चेहरेसे ऐसा लग रहा था की वे गुस्सेसे आगबबुला हो रहे थे. अपनी बेटीको कोई बॉय फ्रेंड है यह उनको गुस्सा आनेका कारण नही था. कारण कुछ अलग ही था.

हॉलमे सोफेपर नॅन्सीके पिता बैठे हूए थे और उनके सामने गर्दन झुकाकर नॅन्सी खडी थी.

'' इन ब्लडी एशीयन लोगोंके अलावा तुम्हे दूसरा कोई नही मिला क्या? '' उनका गुस्सेसे भरा गंभीर स्वर गुंजा.

नॅन्सीके मुंहसे शब्द नही निकल पा रहा था. वह अपने पितासे बात करनेके लिए हिंम्मत जुटानेका प्रयास कर रही थी. उतनेमे नॅन्सीका भाई जॉर्ज कोलीन्स, उम्र लगभग तिस के आसपास, गंभीर व्यक्तीमत्व, हमेशा किसी सोचमें खोया हूवा, ढीला ढीलासा रहनसहन, घरमेंसे वहा आ गया. वह नॅन्सीके बगलमें जाकर खडा हो गया. नॅन्सीकी गर्दन अभीभी झूकी हूई थी. उसका भाई बगलमें आकर खडा होनेसे उसमें थोडा ढांढस बंध गया. वह गर्दन निचेही रखकर अपनी हिम्मत जुटाकर एक एक शब्द तोलमोलकर बोली, '' वह एक अच्छा लडका है ... आप उसे एक बार मिल तो लो ''

'' चूप बैठो ... मुरख .. मुझे उससे मिलनेकी बिलकूल इच्छा नही. .. अगर तुम्हे इस घरमें रहना है तो तुम मुझे दुबारा उसके साथ दिखनी नही चाहिए... समझी '' उसके पिताने अपना अंतिम फैसला सुना दिया.

नॅन्सीके आंखोमें आंसू आगए और वहा से अपने आंसू छिपाते हूए वह घरके अंदर दौड पडी. जॉर्ज सहानुभूतीसे उसे अंदर जाते हूए देखता रहा.

घरमें किसीकीभी पिताजीसे बहस करनेकी हिम्मत नही थी.

जॉर्ज हिम्मत जुटाकर उसके पिताजीसे बोला, , '' पप्पा... आपको ऐसा नही लगता की आप थोडे जादाही कठोर हो रहे हो .... आपने कमसे कम नॅन्सी क्या बोलना चाहती है यह तो सुनना चाहिए... और एक बार वक्त निकालकर उस लडकेसे मिलनेमे क्या हर्ज है.?''

'' मै उसका बाप हूं... उसका भला बूरा मेरे सिवा और कौन जान सकता है?.. और तुम्हारी नसिहत तुम्हारे पास ही रखो... मुझे उसके तुम्हारे जैसे हूए हाल देखनेकी बिलकुल इच्छा नही है... तुमनेभी एक एशीयन लडकीसे शादी की थी... आखिर क्या हूवा?... तुम्हारी सब प्रॉपर्टी हडप कर उसने तुम्हे भगवान भरोसे छोड दिया..'' उसके पिताजी तेजीसे कदम बढाते हूए गुस्सेसे कमरेसे बाहर जाने लगे.

'' पप्पा आदमीका स्वभाव आदमी-आदमीमें फर्क लाता है... ना की उसका रंग, या उसका राष्ट्रीयत्व...'' जॉर्ज उसके पिताजीको बाहर जाते हूए उनकी पिठकी तरफ देखकर बोला.

उसके पिताजी जाते जाते अचानक दरवाजेमें रुक गए और उधर ही मुंह रखते हूए कठोर लहजेमें बोले, ''

'' और तुम्हे उसकी पैरवी करनेकी बिलकुल जरुरत नही... और ना ही उसे सपोर्ट करनेकी ''

जॉर्ज कुछ बोले इसके पहलेही उसके पिताजी वहांसे जा चूके थे.

इधर नॅन्सीके घरके बाहर अंधेरेमें खिडकीके पास छिपकर एक काला साया अंदर चल रहा यह सारा नजारा देख और सुन रहा था.
 

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चेप्टर 14
क्लासमें एक लेडी टीचर पढा रही थी. क्लासमें कॉलेजके छात्र ध्यान देकर उन्हे सुन रहे थे. उन्ही छात्रोमें जॉन और नॅन्सी बैठे हूए थे.

'' सो द मॉरल ऑफ द स्टोरी इज... कुछभी फैसला न लेते हूए बिचमेंही लटकनेसे अच्छा है कुछतो एक फैसला लेना ...'' टीचरने अबतक पढाए पाठका निष्कर्ष संक्षेपमें बताया.

नॅन्सीने छूपकर एक कटाक्ष जॉनकी तरफ डाला. दोनोंकी आखें मिल गई. दोनोंभी एक दुसरेकी तरफ देख मुस्कुराए. नॅन्सीने एक नोटबुकका पन्ना जॉनको दिखाया. उस नोटबुकके पन्नेपर बडे अक्षरोंमे लिखा था 'लायब्ररी'. जॉनने हां मे अपना सर हिलाया. उतनेमें पिरीयड बेल बजी. पहले टिचर और बादमें छात्र धीरे धीरे क्लाससे बाहर जाने लगे.

जॉन हमेशा की तरह जब लायब्ररीमें गया तब ब्रेक टाईम होनेसे वहां कोईभी छात्र नही थे. उसने नॅन्सीको ढूंढनेके लिए इधर उधर नजर दौडाई. नॅन्सी एक कोनेमे बैठकर किताब पढ रही थी. या कमसेकम वैसा दिखावा करनेकी चेष्टा कर रही थी. नॅन्सीने आहट होतेही किताबसे सर उपर उठाकर उधर देखा.

दोनोंकी नजरे मिलतेही वह वहांसे उठकर किताबोंके रॅकके पिछे जाने लगी. जॉनभी उसके पिछे पिछे जाने लगा. एकदुसरेसे कुछभी ना बोलते हूए या कुछभी इशारा ना करते हूए सबकुछ हो रहा था. उनका यह शायद रोजका दिनक्रम होगा. नॅन्सी कुछ ना बोलते हूए भलेही रॅकके पिछे जा रही थी लेकिन उसके दिमागमें विचारोंका तुफान उमड पडा था.

जो भी हो आज कुछ तो आखरी फैसला लेनाही है...

ऐसे कितने दिन तक ना इधर ना उधर इस हालमें रहेंगे...

टीचरने जो पढाए पाठका संक्षेपमें निष्कर्ष बताया था.. वह सही था...

हमें कुछ तो ठोस निर्णय लेनाही होगा...

आर या पार ...

बस अब बहुत हो गया ...

उसके पिछे पिछे जॉन रॅकके पिछे कुछ ना बोलते हूए जा रहा था. लेकिन उसके दिमागमेंभी विचारोंका सैलाब उमड पडा था.

हमेशा नॅन्सी पिरियड होनेके बाद लायब्रीमें मिलनेके लिए इशारा करती थी. ...

लेकिन आज उसने पिरियड शुरु था तबही इशारा किया..

उसके घरमें कुछ अघटीत तो नही घटा...

उसके चेहरेसे वह किसी दूविधामें लग रही थी ...

अपने घरके दबावमें आकर वह मुझे छोड तो नही देगी...

अलग अगल प्रकारके विचार उसके दिमागमें घुम रहे थे.

रॅकके पिछे कोनेमें किसीके नजरमें नही आये ऐसे जगहपर नॅन्सी पहूंच गई और पिछेसे दिवारको अपना एक पैर लगाकर वह जॉनकी राह देखने लगी.

जॉन उसके पास जाकर पहूंचा और उसके चेहरेके भाव पढनेकी कोशीश करते हूए उसके सामने खडा हो गया.

'' तो फिर तय हूवा ... आज रात ग्यारह बजे तैयार रहो ..'' नॅन्सीने कहा.

चलो मतलब अबभी नॅन्सी अपने घरके लोगोंके दबावमें नही आयी थी...

जॉनको सुकूनसा महसुस हूवा.

लेकिन उसने सुझाया हूवा यह दुसरा रास्ता कहां तक सही है? ...

यह एकदम चरम भूमीकातो नही हो रही है ? ...

'' नॅन्सी तुम्हे नही लगता की हम जरा जल्दीही कर रहे है... हम कुछ दिन रुकेंगे... और देखते है कुछ बदलता है क्या ... '' जॉनने कहा.

'' जॉन चिजे अपने आप नही बदलती... हमें उन्हे बदलना पडता है... '' नॅन्सीने दृढतासे कहा.

उनकी बहूत देर तक चर्चा चलती रही. जॉनको अभीभी उसकी भूमीका सही नही लग रही थी. लेकिने एक तरहसे उसका सहीभी था. कभी कभी ताबडतोड निर्णय लेनाही अच्छा होता है. जॉन सोच रहा था.

लेकिन इस फैसलेके लिए मै अबभी पूरी तरहसे तैयार नही हूं...

मुझे मेरे घरके लोगोंके बारेंमेंभी सोचना चाहिए...

लेकिन नही हम कितने दिन तक इस तरह बिचमें लटके रहेंगे...

हमें कुछतो ठोस कदम उठाना जरुरी है...

जॉन अपना एक फैसलेपर पहूंचकर दृढतासे उसपर कायम रहनेका प्रयास कर रहा था.

उधर रॅकके पिछे उन दोनोंकी चर्चा चल रही थी और इधर दो रॅक छोडकर एक साया छूपकर उन दोनोंकी सब बातें सुन रहा था.
 

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चेप्टर 15
जॉनके दिमागमें विचारोकी कश्मकश चल रही थी. अब वह जो फैसला लेनेवाला था उसकी वजहसे होनेवाले सब परिणामोंके बारेमें वह सोच रहा था. नॅन्सीके साथ लायब्ररीमें किए चर्चासे दो-तीन बाते एकदम साफ हो गई थी -

एक तो नॅन्सी भलेही उपरसे ना लगे लेकिन अंदरसे वह बहुत खंबीर और जबान की पक्की है...

वह किसीभी हालमें मुझे नही छोडेगी...

या फिर वैसा सोचेगीभी नही .....

लेकिन अब उसे अपने आपकाही भरोसा नही लग रहा था.

मैभी उसकी तरह अंदरसे खंबीर और पक्का हू क्या ?...

बुरे वक्तमें मेरा उसके प्रती प्रेम वैसाही कायम रहेगा क्या ?...

या बुरे वक्तमें वह बदल सकता है ?..

वह अब खुदकोही आजमा रहा था. वक्तही वैसा आया था की उसे खुदकाही विश्वास नही लग रहा था.

परंतू नही ...

मुझे ऐसा ढिला ढाला रहकर नही चलेगा...

मुझेभी कुछ ठोस फैसला लेना होगा..

और एक बार निर्णय लिया तो फिर बादमें उसके कुछ भी परिणाम हो, मुझे उसपर कायम रहना होगा...


जॉनने आखीर मनही मन एक ठोस फैसला लिया.

अपने कमरेका दरवाजा अंदरसे बंद कर वह उसे जिसकी जरुरत पडेगी वह सारी चिजे अपने बॅगमें भरने लगा.

सबकुछ ठिक तो होगा ना ?...

मुझे मेरे घरवालोंको सब बताना चाहिए क्या ?...

सोचते सोचते उसने अपनी सारी चिजें बॅगमें भर दी.

कपडे वैगेरा बदलकर उसने कुछ बचातो नही इसकी तसल्ली की. आखरी बची हूई एक चिज डालकर उसने बॅककी चैन लगाई. चेनका एक विशीष्ट ऐसा आवाज हूवा. उसने वह बॅग उठाकर सामने टेबलपर रख दी और टेबलके सामने रखे कुर्सीपर थोडा सुस्तानेके लिए बैठ गया. वह एक-दो पलही बैठा होगा की इतनेमें उसका मोबाईल व्हायब्रेट हो गया. उसने जेबसे मोबाईल निकालकर उसका डीस्प्ले देखा. डिस्प्लेपर उसे 'नॅन्सी' ऐसे डिजीटल शब्द दिखाई दिए. वह तुरंत कुर्सीसे उठ खडा हूवा. मोबाईल बंद किया, बॅग उठाई और धीरेसे कमरेसे बाहर निकल गया.

इधर उधर देखते हूए सावधानीसे जॉन मुख्य दरवाजेसे बाहर आ गया और उसने दरवाजा बाहरसे खिंचकर बंद कर लिया. फिर जॉगींग कियेजैसा वह कंधेपर बॅग लेकर कंपाऊंडके गेटके पास गया. बाहर रास्तेपर उसे एक टॅक्सी रुकी हूई दिखाई दी. कंपाऊंड के गेटसे बाहर निकलकर उसने गेटभी खिंचकर बंद कर लिया. टॅक्सीके पास पहूंचतेही उसे टॅक्सीमें पिछली सिटपर बैठकर उसकी राह देख रही नॅन्सी दिखाई दी. दोनोंकी नजरे मिली. दोनो एकदुसरेकी तरफ देखकर मुस्कुराए. झटसे जाकर वह बॅगके साथ नॅन्सीके बगलमें टॅक्सीमें घुस गया. टॅक्सीके दरवाजेका बडा आवाज ना हो इसका खयाल रखते हूए उसने सावधानीसे दरवाजा धीरेसे खिंच लिया. दोनो एकदुसरेकी बाहोंमे घुस गए. उनके चेहरेपर एक विजयी हास्य फैल गया था.

अब उनकी टॅक्सी घरसे बहुत दुर तेजीसे दौड रही थी. वे दोनो तेजीसे दौडती टॅक्सीके खिडकीसे आरहे तेज हवाके झोकेंका आनंद ले रहे थे. लेकिन उन्हे क्या पता था की एक काला साया पिछे एक दुसरी टॅक्सीमें बैठकर उनका पिछा कर रहा था.....


.... डिटेक्टीव्ह बेकर हकिकत बयान करते हूए रुक गया. डिटक्टीव सॅमने वह क्यों रुका यह जाननेके लिए उसके तरफ देखा. डिटेक्टीव्ह बेकरने सामने रखा ग्लास उठाकर पाणीका एक घूंट लिया. तबतक ऑफिसबॉयने चाय पाणी लाया था. डिटेक्टीव्हने वह उसके सामने बैठे डिटेक्टीव सॅम और उसके साथ आये एक ऑफिसरको परोसनेके लिए ऑफिसबायको इशारा किया.
 

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चेप्टर 16
ऑफिसबॉय चाय पाणी लेकर आनेसे बेकर जो हकिकत बता रहा था उसमें खंड पड गया. सॅमको और उसके साथीदारको आगेकी कहानी सुननेकी बडी उत्सुकता हो रही थी. सब लोगोंका चायपाणी होनेके बाद डिटेक्टीव्ह बेकर फिरसे आगेकी कहानी बताने लगा ....


... जॉनकी और नॅन्सीकी टॅक्सी रेल्वे स्टेशनपर पहूंच गई. दोनो टॅक्सीसे उतर गए. टॅक्सीवालेका किराया चूकाकर वे अपना सामान लेकर टिकीटकी खिडकीके पास चले गए. कहां जाना है यह उन्होने अबतक तय नही किया था. बस यहांसे निकल जाना है इतनाही उन्होने तय किया था. एक ट्रेन प्लॅटफॉर्मपर खडीही थी. जॉनने जल्दीसे उसी ट्रेनका टिकट निकाला.

प्लॅटफॉर्मपर वे अपना टिकट लेकर अपना रेल्वेका डिब्बा ढूंढने लगे. डिब्बा ढूंढनेके लिए उन्हे जादा मशक्कत नही करनी पडी. मुख्य दरवाजेसे उनका डिब्बा नजदिकही था. ट्रेन निकलनेका समय होगया था इसलिए वे तुरंत डिब्बेमें चढ गए. डिब्बेमें चढनेके बाद उन्होने अपनी सिट्स ढूंढ ली. अपने सिट के पास अपना सारा सामान रख दिया. उतनेमें गाडी हिलने लगी. गाडी निकलनेका वक्त हो चूका था. जैसेही गाडी निकलने लगी वैसे नॅन्सी जॉनको लेकर डिब्बेके दरवाजेके पास गई. उसे वहांसे जानेसे पहले अपने शहरको एक बार जी भरके देख लेना था. .

ट्रेनमें नॅन्सी और जॉन एकदम पास पास बैठे थे. उन्हे दोनोंको एकदुसरेका सहारा चाहिए था. आखिर उन्होने जो फैसला किया था उसके बाद उन्हे बस एकदुसरेकाही तो सहारा था. अपने घरसे सारे रिश्ते , सारे बंध तोडकर वे बहुत दुर जा रहे थे. नॅन्सीने अपना सर जॉनके कंधेपर रख दिया.

'' फिर ... अब कैसा लग रहा है '' जॉनने माहौल थोडा हलका करनेके उद्देशशे पुछा.

'' ग्रेट'' नॅन्सीभी झूटमुठ हंसते हूए बोली.

जॉन समझ सकता था की भलेही वह उपरसे दिखा रही हो लेकिन घर छोडने का दुख उसको होना लाजमी था. उसे सहारा देनेके उद्देशसे उसने उसे कसकर पकड लिया.

'' तुम्हे कुछ याद आ रहा है ?'' जॉनने उसे औरभी कसकर पकडते हूए पुछा.

नॅन्सीने प्रश्नार्थक मुद्रामें उसकी तरफ देखा.

'' नही मतलब कोई घटना कोई प्रसंग... जब मैने तुम्हे ऐसेही कसकर पकडा था. ''

'' मै कैसे भूल सकती हू उस घटना को... '' नॅन्सी उसने जब ब्लॅंकेटसे लपेटकर उसे कसकर पकडा था वह प्रसंग याद कर बोली.

'' और तुमभी ... '' नॅन्सी उसके गालपर हाथ मलते हूए उसे मारे हूए चाटेंकी याद देते हूए बोली.

दोनो खिलखिलाकर हंस पडे.

जब दोनोंका हसना थम गया नॅन्सी इतराते हूए उसे बोली , '' आय लव्ह यू''

'' आय लव्ह यू टू'' उसने उसे और नजदीक खिंचते हूए कहा.

दोनोभी कसकर एकदूसरेके आलिंगणमें बद्ध हो गए.

नॅन्सीने ट्रेनकी खिडकीसे झांककर देखा. बाहर सब अंधेरा छाया हूवा था. जॉनने नॅन्सीकी तरफ देखा.

'' तुम्हे पता है ... तुम्हे माफी मांगते वक्त वह फुलोंका गुलदस्ता मैने क्यों लाया था. ?'' जॉन फिरसे उसे वह माफी मांगनेका प्रसंग याद दिलाते हूए बोला. वह प्रसंग वह कैसे भूल सकता था ? उसी पलमेंतो उनके प्रेमके बिज बोए गए थे.

'' जाहिर है माफी जादा इफेक्टीव होना चाहिए इसलिए..." नॅन्सीने कहा.

'' नही .... अगर मै सच कहूं तो तुम्हे विश्वास नही होगा.'' जॉनने कहा.

'' फिर ... क्यों लाया था?''

'' मेरे हाथ फिरसे कोई अजीब इशारे कर गडबड ना करदे इसलिए ... नहीतो फिरसे शायद और एक चांटा मिला होता. '' जॉनने कहा.

नॅन्सी और जॉन फिरसे खिलखिलाकर हंस पडे.

धीरे धीरे उनकी हंसी थम गई. फिर थोडी देर सब सन्नाटा छाया रहा. सिर्फ रेल्वेका आवाज आता रहा. उस सन्नाटेमें न जाने क्यूं नॅन्सीको लगा की कोई इस ट्रेनमें बैठकर अपना पिछा तो नही कर रहा है..

नही ... कैसे मुमकीन है...

हम भाग जानेवाले है यह सिर्फ जॉन और उसके सिवा और किसीकोभीतो पता नही था...
 
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