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आज राधा बहुत ख़ुश है शहर से उसका पति राकेश आनेवाला है। हफ़्तेमें बस दो दिन ही राकेश गाँव में अपने परिवार के साथ रह पाता है। शहर में उसकी अपनी फ़ेक्ट्री है। उसकी देखभाल वह वहीं रह के किया करता था ।
शाम के पहले ही राकेश आ चुका था । राधा का घर बढ़ा सारा है । नीचे दो और ऊपर तीन कमरें थे । नीचे के एक कमरें में रघु और ऊपर के दो कमरें में उसकी बेटी रेखा और वह रहतीथी। रात के खाने के बाद सब अपने अपने कमरे में जा चुके थे। राधा आज ख़ुश इस लिए थी क्योंकि उसे अपनी पति से आज अच्छी तरह चूदवाणी थी।
राधा एक नाइटी में अपने पति के सामने थी।
राकेश : आज तो लग रहा है काफ़ी गरम हो।
राधा : तो रहूँगी नहीं क्या। पिछली बार जब तुम आए थे तब तो मेरी माहवारी चल रही थी। आज तो मैं उसका भी हिसाब लूँगी। आज मुझे तीन बार चूदाईं चाहिए।
राकेश: अच्छा जी। तब तो सचमें तुम गरम हो गयी हो। देखना कहीं चूत में आग ना लग जाए। यह कहते हुए वह राधा को पीछे से पकड लेता है।
राधा: उससे आप को क्या।आप तो शहर में बिंदास ठुकाई करते जाते हैं। और इधर मैं लंड के लिए तरसी जा रही हूँ।
राकेश: मेरी राधा तुम्हें तो पता है तुम्हारा पति बिना चूदाईं के रह नहीं सकता। और उधर कारख़ाने की देखभाल भी करनी है। अब मैं रहूँ तो कैसे । तुम ने भी मुझे छूट दे रखी है। और मैं ने तुम्हें आज़ादी दी है इसी लिए तो हम एक दूसरे से इतना प्यार करते हैं।
राकेश अपनी बीबी को चूमने लगता है। और धीरे धीरे उसके कपड़े खोल देता है।
राधा: हाँ बाबा। दी है तुम्हें छूट। वह भी तुम्हारी ख़ुशी के लिए। अपने पति के बाँहों में समाते हुए। लेकिन मेरे बारे में भी ज़रा सोचके देखो किस तरह रहूँ मैं । जहाँ तुम रोज़ एक एक लड़की को चोदते रहते हो वहाँ मैं बस मैं हफ़्ते एक या दो दिन।
राकेश उसके बड़े बड़े मम्मे को मसलता हुया : लेकिन राधा इसकी वजह तो तुम ख़ुद हो। तुम ही बोलती हो तुम्हें किसी से चूदवाना अच्छा नहीं लगता।
राधा: हाँ तो सही तो बोलती हूँ। हाय इस तरह क्यों काट रहे हैं ।
राकेश उसके दूध चूसता चूसता बिस्तर पे लिटा देता है। और बालों से बिलकुल साफ़ चिकनी चूत पे अपना हाथ फेरता है। राधा मजे में सहम रही थी ।
राकेश: आज ही साफ़ किया है ना मेरी जान।
राधा:हाँ। उतने ग़ौर से क्या देख रहे हैं? वहीं मेरी चूत है जिसे आप ने चोद चोद के भोसढा बना दिया है। नया कुछ नहीं हैं।
राकेश: जो भी बोलो आज भी तुम मस्त लगती हो। तुम्हारी चूत देखके कोई बता नहीं सकता के इसी से दो दो बच्चों को निकाल चुकी हो। और यह कह कर वह अपना मुँह उसकी चूत में डुबो देता है।
राधा: आह आह धीरे धीरे चूसो । मैं आज बहुत गरम हूँ। कहीं चूस के ही मेरा पानी निकाल मत देना। मुझे आज दमदार चूदाईं की ज़रूरत है। हाँ हाँ इसी तरह चूसो। खा लो अपनी राधा की चूत। हाय कितना सुख मिल रहा है। कभी कभी जी करता है के किसी से चूत ही चूसवॉ लूँ। इस की गरमी बर्दाश्त नहीं होती।
राकेश चूसता हया अपना मुँह उठाता है। : तो चूसवा ही लेती।
राधा: पर तुम मर्दों को मैं अच्छे से जानती हूँ। वह चूस के मान ने वाला नहीं। वह चोदेगा तभी उसका मन भरेगा। आह आह राकेश मैं झड़ जाऊँगी। और ना चूसो अब घुसा दो अपना लंड। मैं दो हफ़्ते की भूकी हूँ।
राकेश: हाँ हाँ दे तो रहा हूँ! यह लो अपनी अमानत। और अपना 6 इंच का लण्ड निकाल उसके चुत के दरारों मैं घिसने लगता है।: आज मैं अपनी जान की सारी भूख मिटा दूंगा। अपना लौडा चुत के छेद पर घिसते घिसते हल्के से एक धक्के के आधा लण्ड अपनी बीबी की जानी पहचानी चुत में चला जाता है। और फिर एक और धक्के से पुरा लण्ड राधा की चुत मे गायब हो जाता है। राधा मुहं से एक हल्की सी आह निकलती है।
राकेश: अब दिल को शांति मिली ना!
राधा राकेश चेहरे को देखते हुये और मुस्कुरा के कहती है: शांति तो तब मिलेगी ना जब तुम अपना काम चालू रखोगे।
राकेश: तो यह लो ना। और चुत पे धक्के की शुरुयात करता है।
राधा: मुझे तो शांति और सुख तभी मिलेगा जब तुम मुझे रोजाना इसी अन्दाज से ठुकाई करोगे।
राकेश उसके होंटों को चुम्ता हुया: कौसे बोलो। मैं ने तुम्हें बता रखा है। अपनी पसंद का कोई देख लो।
राधा अपने दोनों टाँगें अपने पति के कमर के उपर रख के चुदाई का मजा लेते हुये: तुम्हें गावँ के हालात के बारे में कुछ पता भी है या नहीँ? वह तो मुझे भी पता है अगर मैं ने सोचा तो किसी से भी चूदवा सकती हूँ। पर अब गावँ के माहोल अच्छे नहीं रहे। यहां तो अब तुम्हारे उम्र के लोग जवान लडकियों के पीछे और जवान लौंडे औरतों पीछे लगे हुये हैं। और जिसे पटा लिया उसी को चोद लिया। यही चल रहा है ।
राकेश धक्के की तेज़ को और बढाकर: तो तुम भी किसी जवान लौंडे से अपनी चुत की ठुकाई करवा लेती।
राधा: नहीँ जी नहीं। मुझे बढ़ी शर्म आती है। अपने ही बेटे की उम्र के,,,,,,,,,,