हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम शालिनी है और में दिल्ली की रहने वाली हूँ। मेरे घर में मेरे मम्मी, पापा है। में मेरे बाप की एक ही औलाद हूँ। मुझे मेरे माँ बाप ने बड़े प्यार से बड़ा किया है। आज मेरी उम्र 18 साल की है, लेकिन मुझे देखकर कोई कह नहीं सकता कि मेरी उम्र इतनी कम होगी, क्योंकि मेरा बदन बिल्कुल एक 20 साल की लड़की की तरह हो चुका है, मेरा फिगर साईज 34-28-36 है और इसकी वजह में खुद ही हूँ, जो 14 साल की उम्र से ही सेक्स की तरफ ज़्यादा ध्यान देने लगी थी और लगभग तब से में चूत में उंगली करने लग गयी थी। मेरे घर में 5 रूम है, एक में मेरे मम्मी पापा और दूसरे में खुद रहती हूँ और बाकि के दो कमरे हम अलग-अलग कामों के लिए उपयोग में लेते है। मेरे पापा की उम्र 38 साल की है। मेरी माँ वैसे तो बहुत खूबसूरत है, लेकिन बहुत ही पुराने विचारो वाली एक साधारण औरत है, पापा एक स्कूल में अध्यापक है और मेरी मम्मी एक सरकारी दफ्तर में नौकरी करती हैं. मम्मी को तो दफ्तर से वापिस आते आते शाम के छे बज जाते हैं. पर पापा एक टीचर होने के कारण दो बजे तक आ जाते है. मैं भी अपने स्कूल से दो बजे तक आ जाती हूँ. घर में मम्मी के आने तक मैं और पापा ही होते हैं. हम बहुत अमीर तो नहीं है, लेकिन हमारे घर में किसी चीज की कोई कमी नहीं है। मेरे पापा भी बहुत हैंडसम है, लेकिन मेरी माँ तो उन्हें टाईम ही नहीं दे पाती है, सिर्फ़ रात में जब उनके सोने का वक़्त होता है जब ही उनके पास जाती है।
यह बात तब की है, जब मेरी उम्र 18 साल की थी। एक रात हम सब खाना खाकर सोने के लिए अपने अपने रूम में चले गये थे कि तभी अचानक से मुझे लगा कि मेरे मम्मी पापा के रूम से लड़ने की आवाज़े आ रही है। मम्मी पापा का रूम मेरे रूम से ही लगा हुआ था, मुझे ज़िंदगी में पहली बार लगा था कि मम्मी पापा की लड़ाई हो रही है इसलिए में यह जानना चाहती थी कि वो लड़ क्यों रहे है? तो पहले तो मैंने सोचा कि में मम्मी से जाकर पूंछू, लेकिन फिर बाद में सोचा कि वो लोग मेरे सामने शर्मिंदा हो जाएगे इसलिए मैंने पूछना उचित नहीं समझा, लेकिन फिर भी मेरे मन में वजह जानने की इच्छा तेज होती गयी और जब मुझसे नहीं रहा गया तो मैंने उठकर देखने की कोशिश की। मेरे रूम में एक खिड़की थी, जो उनके कमरे में खुलती थी, वो खिड़की बहुत पुरानी तो नहीं थी, लेकिन उसमें 2-3 जगह छेद थे। फिर मैंने अपने रूम की लाईट ऑफ की और उस छेद में आँख लगा दी। अब अंदर का नज़ारा देखकर मेरे बदन में करंट सा दौड़ गया था।
अब मेरी मम्मी जो कि सिर्फ़ ब्रा और पेटीकोट में थी और बेड पर बैठी थी और मेरे पापा सिर्फ़ अपनी वी-शेप अंडरवेयर में खड़े थे और बार-बार मम्मी को अपनी ब्रा उतारने के लिए कह रहे थे और मेरी मम्मी उन्हें बार-बार मना कर रही थी। फिर मैंने देखा कि मेरे पापा की टाँगों के बीच में जहाँ मेरी पेशाब करने की जगह है, वहाँ कुछ फूला हुआ है। अब मेरी नजर तो बस वही टिक गयी थी और में चाहकर भी अपनी नजर हटा नहीं पा रही थी। अब वो लोग कुछ बात कर रहे थे, लेकिन मेरा ध्यान तो सिर्फ पापा की टाँगों के बीच में ही था और उनकी बातें सुनने का ध्यान भी नहीं था। अब मेरा दिल ज़ोर- ज़ोर से धड़क रहा था और मेरा बदन बिल्कुल अकड़ गया था और इसके साथ ही मुझ पर एक और बिजली गिरी और फिर मेरे पापा ने झटके से अपना अंडरवेयर भी उतार दिया। ओह गॉड मेरी तो जैसे साँसे ही रुक गयी थी। मेरे पापा की टाँगों के बीच में एक लकड़ी के डंडे की तरह कोई चीज लटकी हुई थी, जो कि मेरे हिसाब से 8 इंच लंबी और 3 इंच मोटी थी, उस चीज को क्या कहते है? मुझे उस वक़्त पता नहीं था।
फिर मेरी मम्मी उस चीज को देखकर पहले तो गुस्सा हुई और फिर शर्म से अपनी नजरे झुका ली। अब उन्हें भी मस्ती आने लगी थी और फिर उन्होंने इशारे से पापा को अपने पास बुलाया और उनके उस हथियार को प्यार से सहलाने लगी थी। फिर मम्मी ने अपनी ब्रा उतारी और अपने पेटीकोट का नाड़ा खोला और फिर बिल्कुल नंगी होकर सीधी लेट गयी और अपनी टांगे खोलकर पापा को अपनी चूत दिखाई और इशारे से उन्हें पास बुलाने लगी थी। फिर मेरे पापा कुछ देर तक तो गुस्से में सोचते रहे और फिर जैसे अपना मन मारकर उनके ऊपर उल्टे लेट गये और अपने एक हाथ से अपना लंड पकड़कर मम्मी की चूत में डाला और हिलते हुए मम्मी को किस करने लगे थे और फिर लगभग 10 मिनट तक हिलने के बाद वो शांत हो गये और ऐसे ही पड़े रहे।
फिर थोड़ी देर के बाद मम्मी ने उन्हें अपने ऊपर से हटाया और अपने कपड़े पहने और लाईट बंद करके सोने के लिए लेट गयी। अब कमरे में बिल्कुल अंधेरा होने की वजह से मुझे कुछ नहीं दिख रहा था, तो तब मैंने भी जाकर लेटने की सोची और फिर में भी अपने बिस्तर पर आकर लेट गयी, लेकिन अब मेरी आँखों के सामने तो मम्मी पापा की पिक्चर चल रही थी और पापा का वो भयानक हथियार पता नहीं मुझे क्यों बहुत अच्छा लग रहा था? अब मेरा दिल कर रहा था कि में भी उनके हथियार अपने हाथ में लेकर देखूं। उस रात मेरी चूत में बहुत खुजली हो रही थी। फिर मैंने उस रात पहली बार हस्तमैथुन किया। अब मेरे ख्यालों में और कोई नहीं बल्कि मेरे पापा ही थे। फिर जब मेरी चूत का रस निकला, तो तब में इतनी थक चुकी थी कि कब मेरी आँख लग गयी? मुझे पता ही नहीं चला।
फिर सुबह मम्मी ने जब आवाज लगाई तो मेरी आँख खुली। फिर मम्मी बोली कि बेटा सुबह के 7 बज रहे है, स्कूल नहीं जाना है क्या? तो तब में उठकर सीधी बाथरूम में गयी और नहाने के लिए अपने कपड़े उतारे।
फिर तब मैंने देखा कि मेरी पेंटी पर मेरी चूत के रस का धब्बा अलग ही दिख रहा है। अब मेरी आँखों के सामने फिर से वही नज़ारा आ गया था। अब मुझे फिर से मस्ती आने लगी थी तो मैंने फिर से अपनी चूत में उंगली करनी चालू कर दी और तब तक करती रही जब तक कि में झड़ नहीं गयी। दोस्तों मुझे इतना मज़ा आया था कि में यह सोचने लगी कि जब उंगली करने में ही इतना मज़ा आता है तो सेक्स में कितना मज़ा आता होगा? और फिर में अपने पापा के साथ ही यह मज़ा लेने की सोचने लगी और सोचने लगी कि कैसे पापा के साथ मज़ा लिया जाए? खैर जैसे तैसे करके में स्कूल जाने के लिए तैयार हुई और ड्रेस पहनकर बाहर आई तो नाश्ते की टेबल पर मेरा पापा से सामना हुआ, में रोज सुबह पापा को गुड मॉर्निंग किस करके विश करती थी। तो तब मैंने उस दिन भी पापा को किस करके ही विश किया, लेकिन इस बार मैंने कुछ ज़्यादा ही गहरा किस किया और थोड़ा अपनी जीभ से उनके गाल को थोड़ा चाट लिया, जिससे मेरे पापा पर कुछ असर तो हुआ, लेकिन उन्होंने मेरे सामने ज़ाहिर नहीं किया था।
अब में उनके ठीक सामने जाकर कुर्सी पर बैठकर नाश्ता करने लगी थी और फिर नाश्ता करने के बाद में स्कूल की बस पकड़ने के लिए बाहर जाने लगी, लेकिन मेरा मन पापा को छोड़कर जाने का नहीं हो रहा था, तो तब में बाहर तो गयी, लेकिन कुछ देर के बाद वापस आकर मैंने बहाना बनाया की मेरी बस निकल चुकी है। अब ऐसी स्थिति में पापा मुझे स्कूल छोड़कर आया करते थे, तो तब मम्मी बोली कि जा पापा से कह दे, वो तुझे स्कूल छोड़ आएँगे। फिर में खुशी-खुशी पापा के कमरे में गयी। अब पापा सिर्फ़ अपने पजामे में थे। फिर मैंने पापा से कहा तो वो मुझे स्कूल छोड़ने के लिए राज़ी हो गये। अब पापा अपनी पेंट पहनने लगे थे। फिर मैंने उनके हाथ से पेंट लेते हुए कहा कि पापा पजामा ही रहने दीजिए, में लेट हो रही हूँ। तो तब पापा बोले कि ठीक है, में टी-शर्ट तो पहन लूँ, तू मेरा बाहर इन्तजार कर, तो में बाहर आकर इन्तजार करने लगी।
पापा मुझे ज़्यादातर स्कूल कार में ही छोड़ते थे, लेकिन उस दिन मेरे कहने पर उन्होंने मुझे हमारी एक्टिवा स्कूटर पर स्कूल छोड़ने के लिए गये। दोस्तों यहाँ तक तो मेरा प्लान सफल रहा था, लेकिन आगे के प्लान में थोड़ा खतरा था और मुझे यकीन नहीं था कि वो सफल हो जाएगा। फिर में उनके पीछे बैठ गयी और फिर हम स्कूल की तरफ चल दिए। मेरा स्कूल घर से लगभग 10 किलोमीटर दूर था, रास्ता लंबा था और सुबह का वक़्त था, तो रोड सुनसान थी। फिर जब हम घर से 2 किलोमीटर दूर आ गये, तो तब मैंने पापा से कहा कि गाड़ी में चलाऊँगी। तो तब पापा बोले कि बेटी तुझसे गाड़ी नहीं चलेगी, तो में तो ज़िद्द करने लगी। तो तब पापा परेशान होकर बोले कि ठीक है, लेकिन हैंडल में ही पकडूँगा। अब मुझे मेरा प्लान कामयाब होता दिख रहा था।