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Incest आखिर पापा से मजा ले ही लिया मैंने

Ting ting

Ting Ting
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दोस्तों मैं अपनी एक नयी कहानी लेकर आप सब के सामने फिर हाज़िर हूँ. मेरी पिछली कहानियों को अपने बहुत प्यार दिया है. आशा है की इस कहानी को भी आप सब का प्यार मिलेगा.
ये कहानी मेरी और मेरे पापा की हैं जिस में मैंने किस तरह अपने पापा को पटाया और फिर उनसे अपने सम्बन्ध बनाये यह बताया है.
तो चलिए कहानी शुरू करते है.
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हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम शालिनी है और में दिल्ली की रहने वाली हूँ। मेरे घर में मेरे मम्मी, पापा है। में मेरे बाप की एक ही औलाद हूँ। मुझे मेरे माँ बाप ने बड़े प्यार से बड़ा किया है। आज मेरी उम्र 18 साल की है, लेकिन मुझे देखकर कोई कह नहीं सकता कि मेरी उम्र इतनी कम होगी, क्योंकि मेरा बदन बिल्कुल एक 20 साल की लड़की की तरह हो चुका है, मेरा फिगर साईज 34-28-36 है और इसकी वजह में खुद ही हूँ, जो 14 साल की उम्र से ही सेक्स की तरफ ज़्यादा ध्यान देने लगी थी और लगभग तब से में चूत में उंगली करने लग गयी थी। मेरे घर में 5 रूम है, एक में मेरे मम्मी पापा और दूसरे में खुद रहती हूँ और बाकि के दो कमरे हम अलग-अलग कामों के लिए उपयोग में लेते है। मेरे पापा की उम्र 38 साल की है। मेरी माँ वैसे तो बहुत खूबसूरत है, लेकिन बहुत ही पुराने विचारो वाली एक साधारण औरत है, पापा एक स्कूल में अध्यापक है और मेरी मम्मी एक सरकारी दफ्तर में नौकरी करती हैं. मम्मी को तो दफ्तर से वापिस आते आते शाम के छे बज जाते हैं. पर पापा एक टीचर होने के कारण दो बजे तक आ जाते है. मैं भी अपने स्कूल से दो बजे तक आ जाती हूँ. घर में मम्मी के आने तक मैं और पापा ही होते हैं. हम बहुत अमीर तो नहीं है, लेकिन हमारे घर में किसी चीज की कोई कमी नहीं है। मेरे पापा भी बहुत हैंडसम है, लेकिन मेरी माँ तो उन्हें टाईम ही नहीं दे पाती है, सिर्फ़ रात में जब उनके सोने का वक़्त होता है जब ही उनके पास जाती है।

यह बात तब की है, जब मेरी उम्र 18 साल की थी। एक रात हम सब खाना खाकर सोने के लिए अपने अपने रूम में चले गये थे कि तभी अचानक से मुझे लगा कि मेरे मम्मी पापा के रूम से लड़ने की आवाज़े आ रही है। मम्मी पापा का रूम मेरे रूम से ही लगा हुआ था, मुझे ज़िंदगी में पहली बार लगा था कि मम्मी पापा की लड़ाई हो रही है इसलिए में यह जानना चाहती थी कि वो लड़ क्यों रहे है? तो पहले तो मैंने सोचा कि में मम्मी से जाकर पूंछू, लेकिन फिर बाद में सोचा कि वो लोग मेरे सामने शर्मिंदा हो जाएगे इसलिए मैंने पूछना उचित नहीं समझा, लेकिन फिर भी मेरे मन में वजह जानने की इच्छा तेज होती गयी और जब मुझसे नहीं रहा गया तो मैंने उठकर देखने की कोशिश की। मेरे रूम में एक खिड़की थी, जो उनके कमरे में खुलती थी, वो खिड़की बहुत पुरानी तो नहीं थी, लेकिन उसमें 2-3 जगह छेद थे। फिर मैंने अपने रूम की लाईट ऑफ की और उस छेद में आँख लगा दी। अब अंदर का नज़ारा देखकर मेरे बदन में करंट सा दौड़ गया था।

अब मेरी मम्मी जो कि सिर्फ़ ब्रा और पेटीकोट में थी और बेड पर बैठी थी और मेरे पापा सिर्फ़ अपनी वी-शेप अंडरवेयर में खड़े थे और बार-बार मम्मी को अपनी ब्रा उतारने के लिए कह रहे थे और मेरी मम्मी उन्हें बार-बार मना कर रही थी। फिर मैंने देखा कि मेरे पापा की टाँगों के बीच में जहाँ मेरी पेशाब करने की जगह है, वहाँ कुछ फूला हुआ है। अब मेरी नजर तो बस वही टिक गयी थी और में चाहकर भी अपनी नजर हटा नहीं पा रही थी। अब वो लोग कुछ बात कर रहे थे, लेकिन मेरा ध्यान तो सिर्फ पापा की टाँगों के बीच में ही था और उनकी बातें सुनने का ध्यान भी नहीं था। अब मेरा दिल ज़ोर- ज़ोर से धड़क रहा था और मेरा बदन बिल्कुल अकड़ गया था और इसके साथ ही मुझ पर एक और बिजली गिरी और फिर मेरे पापा ने झटके से अपना अंडरवेयर भी उतार दिया। ओह गॉड मेरी तो जैसे साँसे ही रुक गयी थी। मेरे पापा की टाँगों के बीच में एक लकड़ी के डंडे की तरह कोई चीज लटकी हुई थी, जो कि मेरे हिसाब से 8 इंच लंबी और 3 इंच मोटी थी, उस चीज को क्या कहते है? मुझे उस वक़्त पता नहीं था।

फिर मेरी मम्मी उस चीज को देखकर पहले तो गुस्सा हुई और फिर शर्म से अपनी नजरे झुका ली। अब उन्हें भी मस्ती आने लगी थी और फिर उन्होंने इशारे से पापा को अपने पास बुलाया और उनके उस हथियार को प्यार से सहलाने लगी थी। फिर मम्मी ने अपनी ब्रा उतारी और अपने पेटीकोट का नाड़ा खोला और फिर बिल्कुल नंगी होकर सीधी लेट गयी और अपनी टांगे खोलकर पापा को अपनी चूत दिखाई और इशारे से उन्हें पास बुलाने लगी थी। फिर मेरे पापा कुछ देर तक तो गुस्से में सोचते रहे और फिर जैसे अपना मन मारकर उनके ऊपर उल्टे लेट गये और अपने एक हाथ से अपना लंड पकड़कर मम्मी की चूत में डाला और हिलते हुए मम्मी को किस करने लगे थे और फिर लगभग 10 मिनट तक हिलने के बाद वो शांत हो गये और ऐसे ही पड़े रहे।

फिर थोड़ी देर के बाद मम्मी ने उन्हें अपने ऊपर से हटाया और अपने कपड़े पहने और लाईट बंद करके सोने के लिए लेट गयी। अब कमरे में बिल्कुल अंधेरा होने की वजह से मुझे कुछ नहीं दिख रहा था, तो तब मैंने भी जाकर लेटने की सोची और फिर में भी अपने बिस्तर पर आकर लेट गयी, लेकिन अब मेरी आँखों के सामने तो मम्मी पापा की पिक्चर चल रही थी और पापा का वो भयानक हथियार पता नहीं मुझे क्यों बहुत अच्छा लग रहा था? अब मेरा दिल कर रहा था कि में भी उनके हथियार अपने हाथ में लेकर देखूं। उस रात मेरी चूत में बहुत खुजली हो रही थी। फिर मैंने उस रात पहली बार हस्तमैथुन किया। अब मेरे ख्यालों में और कोई नहीं बल्कि मेरे पापा ही थे। फिर जब मेरी चूत का रस निकला, तो तब में इतनी थक चुकी थी कि कब मेरी आँख लग गयी? मुझे पता ही नहीं चला।
फिर सुबह मम्मी ने जब आवाज लगाई तो मेरी आँख खुली। फिर मम्मी बोली कि बेटा सुबह के 7 बज रहे है, स्कूल नहीं जाना है क्या? तो तब में उठकर सीधी बाथरूम में गयी और नहाने के लिए अपने कपड़े उतारे।

फिर तब मैंने देखा कि मेरी पेंटी पर मेरी चूत के रस का धब्बा अलग ही दिख रहा है। अब मेरी आँखों के सामने फिर से वही नज़ारा आ गया था। अब मुझे फिर से मस्ती आने लगी थी तो मैंने फिर से अपनी चूत में उंगली करनी चालू कर दी और तब तक करती रही जब तक कि में झड़ नहीं गयी। दोस्तों मुझे इतना मज़ा आया था कि में यह सोचने लगी कि जब उंगली करने में ही इतना मज़ा आता है तो सेक्स में कितना मज़ा आता होगा? और फिर में अपने पापा के साथ ही यह मज़ा लेने की सोचने लगी और सोचने लगी कि कैसे पापा के साथ मज़ा लिया जाए? खैर जैसे तैसे करके में स्कूल जाने के लिए तैयार हुई और ड्रेस पहनकर बाहर आई तो नाश्ते की टेबल पर मेरा पापा से सामना हुआ, में रोज सुबह पापा को गुड मॉर्निंग किस करके विश करती थी। तो तब मैंने उस दिन भी पापा को किस करके ही विश किया, लेकिन इस बार मैंने कुछ ज़्यादा ही गहरा किस किया और थोड़ा अपनी जीभ से उनके गाल को थोड़ा चाट लिया, जिससे मेरे पापा पर कुछ असर तो हुआ, लेकिन उन्होंने मेरे सामने ज़ाहिर नहीं किया था।

अब में उनके ठीक सामने जाकर कुर्सी पर बैठकर नाश्ता करने लगी थी और फिर नाश्ता करने के बाद में स्कूल की बस पकड़ने के लिए बाहर जाने लगी, लेकिन मेरा मन पापा को छोड़कर जाने का नहीं हो रहा था, तो तब में बाहर तो गयी, लेकिन कुछ देर के बाद वापस आकर मैंने बहाना बनाया की मेरी बस निकल चुकी है। अब ऐसी स्थिति में पापा मुझे स्कूल छोड़कर आया करते थे, तो तब मम्मी बोली कि जा पापा से कह दे, वो तुझे स्कूल छोड़ आएँगे। फिर में खुशी-खुशी पापा के कमरे में गयी। अब पापा सिर्फ़ अपने पजामे में थे। फिर मैंने पापा से कहा तो वो मुझे स्कूल छोड़ने के लिए राज़ी हो गये। अब पापा अपनी पेंट पहनने लगे थे। फिर मैंने उनके हाथ से पेंट लेते हुए कहा कि पापा पजामा ही रहने दीजिए, में लेट हो रही हूँ। तो तब पापा बोले कि ठीक है, में टी-शर्ट तो पहन लूँ, तू मेरा बाहर इन्तजार कर, तो में बाहर आकर इन्तजार करने लगी।
पापा मुझे ज़्यादातर स्कूल कार में ही छोड़ते थे, लेकिन उस दिन मेरे कहने पर उन्होंने मुझे हमारी एक्टिवा स्कूटर पर स्कूल छोड़ने के लिए गये। दोस्तों यहाँ तक तो मेरा प्लान सफल रहा था, लेकिन आगे के प्लान में थोड़ा खतरा था और मुझे यकीन नहीं था कि वो सफल हो जाएगा। फिर में उनके पीछे बैठ गयी और फिर हम स्कूल की तरफ चल दिए। मेरा स्कूल घर से लगभग 10 किलोमीटर दूर था, रास्ता लंबा था और सुबह का वक़्त था, तो रोड सुनसान थी। फिर जब हम घर से 2 किलोमीटर दूर आ गये, तो तब मैंने पापा से कहा कि गाड़ी में चलाऊँगी। तो तब पापा बोले कि बेटी तुझसे गाड़ी नहीं चलेगी, तो में तो ज़िद्द करने लगी। तो तब पापा परेशान होकर बोले कि ठीक है, लेकिन हैंडल में ही पकडूँगा। अब मुझे मेरा प्लान कामयाब होता दिख रहा था।
 
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फिर तब मैंने कहा कि ठीक है और पापा ने गाड़ी साईड में रोककर मुझे अपने आगे बैठाया और मेरी बगल में से अपने दोनों हाथ डालकर हैंडल पकड़ा और धीरे-धीरे चलाने लगे। लेकिन अब गाड़ी चलाने में किसका ध्यान था? अब मेरा ध्यान तो पापा के लुंगी में लटके उनके लंड पर था।

पापा का लंड तो अभी ठंडा और बैठा हुआ था. पापा को क्या मालूम था की उनकी बेटी के मन में उनके लौड़े के लिए क्या भाव हैं. मेरा तो मन कर रहा था की पापा मेरे पास हो जाये और अपना लंड मेरे पीछे लगा दें. पर पापा तो पीछे हट के बैठे थे. सड़क खराब तो थी ही मैंने उसका फायदा लेने का सोचा। तभी गाड़ी जैसे ही खड्डे में गयी, तो मैंने हिलने का बहाना करके उनका लंड ठीक मेरी गांड के नीचे दबा लिया। अब पापा कुछ अच्छा महसूस नहीं कर रहे थे। वो लंड को मेरे नीचे से निकलना चाहते थे पर मैं उन्हें ये मौका कहाँ देने वाली थी. अब में अपनी गांड को उनके लंड पर रगड़ने लगी थी। अब गर्मी पाकर उनका लंड धीरेधीरे खड़ा होने लगा था, जिससे मुझे भी मस्ती आने लगी थी। लंड तो आखिर लंड ही है. उसे एक बार चूतड़ का स्पर्श मिला तो वो खड़ा होने लग गया. अब लंड तो रिश्ते से क्या लेना. उधर पापा भी तो आखिर इंसान ही हैं. जब उनके लंड को मजा मिला तो उन्हें भी आनंद आने लगा. अब पापा को भी मज़ा आ रहा था। वो भी मेरे पास खिसक आये और एक्टिवा चलाने के बहाने से अपने लंड को मेरे चूतड़ों पर रगड़ने लगे. उनका लंड पूरा खड़ा हो गया था. वो भी समझ गए थे की उनकी प्यारी बेटी उनके लंड का आनंद ले रही थी.

मैंने धीरे से खिसक कर पापा के लंड जो अपने दोनों चूतड़ों के बीच में दबा लिया.

चूतड़ों की जो दरार है उस में पापा का टाइट और गर्म गर्म लंड मुझे पूरा मजा दे रहा था और पापा को भी पूरी मस्ती आ रही थी, पापा का लंड पूरा टाइट था और हम मजा ले रहे थे. पापा थोड़ा सा आगे खिसक जाते जिससे उनका लंड मेरी चूत की ओर जाता तो मुझे बहुत मजा आता था .

मुझे और पापा दोनों को मजा आ रहा था. पापा भी समझ रहे थे की उनकी बेटी को उनके खड़े लंड से मजा आ रहा है.

मैंने पापा को थोड़ा और मजा देने के लिए उन्हें कहा।

"पापा आप स्कूटर का हैंडल छोड़ दीजिये मैं खुद चला लुंगी पर आप अपना हाथ मेरे पेट या कमर पर रख लो ताकि यदि मेरे से स्कूटर हिल भी जाये तो आप झट से उसे संभाल सको. "

पापा ने हैंडल छोड़ दिया और हाथ को मेरे कमर पर रख लिया.

पापा धीरे धीरे मेरे नंगे पेट पर अपना हाथ घुमाने लगे. मुझे सिहरन होने लगी थी.
 

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फिर मैंने कहा।

"पापा कमर पर हाथ रखने से मुझे गुदगुदी होती है. आप अपना हाथ मेरे टांगों पर रख लो कहीं गुदगुदी से मेरा हाथ हिल गया तो स्कूटर गिर जायेगा. "

पापा ने अपन हाथ मेरे जाँघो पर रख लिया. पर अब मुझे नंगी कमर से भी कम मजा आ रहा था. क्योंकि टांगों पर तो मेरी फ्राक का कपडा आ रहा था.

मैंने पापा के लंड पर अपनी गांड को रगड़ते हुए कहा।

"पापा फ्राक के कपडे पर हाथ ठीक से नहीं रखा जा रहा. आप ऐसा करो की फ्राक के अंदर से टांगो पर हाथ रख लो। "

पापा समझ गए की बेटी नंगी जाँघो पर अपने प्यारे पापा के हाथों का मजा लेना चाहती है.

पापा ने फ्राक के नीचे से मेरी नंगी जाँघो पर ज्यों ही हाथ रखा तो मेरी तो जैसे मजे से ऑंखें ही बंद होने लगी.

पापा भी समझ रहे थे की उनकी बेटी नादान बनने का नाटक कर रही है और मजे ले रही है. पापा ने मेरी नंगी टांगों पर धीरे धीरे हाथ फेरते हुए उसे मेरी टांगों के जोड़ की ओर ले जाना शुरू कर दिया.

मैंने ऐसा शो किया की जैसे मुझे कुछ भी नहीं पता और मैं मासूमियत का प्रदर्शन करते हुए स्कूटर चलाती रही.

थोड़ी ही देर में पापा के हाथ मेरी पैंटी के पास पहुँच गए. मेरी तो चूत से पूरा पानी बह रहा था. लगता था की पापा को मेरी गीली पैंटी का गीलापन महसूस हो जाएगा.

मैं पापा को रोकना चाहती थी पर मेरा मन मेरे बस में ही नहीं था.

अब पापा का हाथ मेरी कच्छी तो स्पर्श करने ही वाला था की मेरा स्कूल आ गया.

मैंने सकून की सांस ली. क्योंकि वरना तो पता नहीं अभी क्या कुछ हो जाता.

"पापा स्कूल आ गया. "

मैंने कहा।

पापा चूत के इतने पास आ कर भी उसे टच न कर पाए थे तो थोड़े उदास थे.

मैं पापा की तड़पन का मजा ले रही थी.

और फिर इस तरह मस्ती करते हुए में स्कूल पहुँच गयी। फिर पापा को जाते वक़्त मैंने एक बार फिर से किस किया। अब पापा शायद मुझे लेकर कुछ परेशान हो गये थे और में मेरी तो पूछो मत, मेरी हालत तो इतना करने में ही बहुत खराब हो गयी थी और मेरी पेंटी इतनी गीली हो चुकी थी कि मुझे लग रहा था मेरी स्कर्ट खराब ना हो जाए।

फिर पूरे दिन स्कूल में मेरे दिमाग में पापा का लंड ही घूमता रहा और अब मेरा दिल कर रहा था कि में पापा के लंड पर ही बैठी रहूँ। अब पता नहीं मुझे क्या हो गया था? ऐसा कौन सा वासना का तूफान मेरे अंदर था कि में पापा से चुदने के लिए ही सोचने लगी थी। खैर आगे बढ़ते है, फिर में चुदाई की इच्छा और गीली पेंटी लेकर घर पहुँची। अब उस वक़्त लगभग 3 बज रहे थे। अब घर में कोई नहीं था, मम्मी कहीं गयी हुई थी और पापा अपने ऑफिस में थे। ख़ैर फिर में बाथरूम में गयी और गंदे कपड़ो में से पापा की अंडरवेयर ढूंढकर अपनी चूत पर रगड़ते हुए हस्तमैथुन किया। अब मुझे बहुत मज़ा आया था और फिर में सो गयी। फिर मेरी आँख खुली तो शाम के 5 बज रहे थे। फिर मैंने नहा धोकर कपड़े पहने और मैंने कपड़े भी उस दिन कुछ सेक्सी दिखने वाले पहने थे, मैंने एक शॉर्ट स्कर्ट और फिटिंग टी-शर्ट पहनी थी। अब पापा के आने का टाईम हो गया था, लेकिन मम्मी का कोई पता नहीं था।
 

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फिर शाम के 6 बजे पापा ने घंटी बजाई तो में दौड़ती हुई गयी और दरवाजा खोला। फिर पापा मुझे देखकर थोड़े मुस्कुराए और मुझे गले लगाकर मेरे गालों पर किस करते हुए बोले कि बेटा आज तो बहुत स्मार्ट लग रही हो। अब मुझे इतनी खुशी हुई थी कि में पापा को फंसाने में धीरे-धीरे सफल होती जा रही थी। फिर अंदर आकर पापा ने चाय का ऑर्डर कर दिया तो में किचन में जाकर चाय बनाने लगी। फिर पापा भी फ्रेश होकर किचन में आ गये और इधर उधर की बातें करने लगे थे। फिर थोड़ी देर में पापा मेरी गोरी जांघो देखकर गर्म हो गये और मेरे पीछे खड़े होकर अपना लंड मेरी गांड से सटाने की कोशिश करने लगे थे। तब में भी अपनी गांड को उनके लंड पर रगड़ने लगी। अब मुझे तो ऐसा लग रहा था कि जैसे में जन्नत में हूँ और बस ऐसे ही खड़ी रहूँ।

ख़ैर अब चाय बन चुकी थी और फिर मैंने पापा से डाइनिंग रूम में जाकर बैठने को कहा और चाय वहाँ सर्व करके बाथरूम में जाकर फिर से उंगली करने लगी थी। फिर में झड़ने के बाद बाहर आई, तो तब तक मम्मी भी आ चुकी थी। मुझे मम्मी पर बहुत गुस्सा आया, क्योंकि मुझे पापा से अभी और मज़ा लेना था और मम्मी के सामने में कुछ नहीं कर सकती थी। अब पापा भी मम्मी के आने से थोड़े दुखी हो गये थे, क्योंकि ना तो वो कुछ करती थी और ना ही उन्हें कुछ करने देती थी। अब पापा मुझे देखकर बार-बार अपना लंड लुंगी के ऊपर से ही सहला रहे थे और मुझे भी उन्हें सताने में बहुत मज़ा मिल रहा था। फिर खाना खाने के बाद पापा मुझसे बोले कि बेटी चल थोड़ा घूमकर आते है और मुझे लेकर घर के बाहर आ गये। फिर बाहर आकर उनका मूड चेंज हुआ और मुझसे बोले कि चल बेटा पिक्चर देखने चलते है। तो तब मुझे पापा पर इतना प्यार आया कि पापा मेरे साथ अकेला रहने की कितनी कोशिश कर रहे है? खैर फिर हम एक्टिवा पर सवार होकर एक सिनिमा में पहुँच गये और रास्ते में ही मम्मी को फोन कर दिया कि हम पिक्चर देखने जा रहे है। जब सिनिमा में कोई पुरानी मूवी लगी होने की वजह से ज़्यादा भीड़ नहीं थी, पूरे हॉल में लगभग 30-40 लोग ही होंगे।

अब मुझे पापा की समझदारी पर बहुत खुशी हुई थी, वो चाहते तो मुझे किसी बढ़िया पिक्चर दिखाने ले जाते, लेकिन उन्हें शायद कुछ ज़्यादा मज़े लेने थे। फिर उन्होने सबसे महेंगे टिकट लिए और फिर हम लोग बालकनी में जाकर बैठ गये। हमारा नसीब इतना बढ़िया चल रहा था की बालकनी में सिर्फ़ हमारे अलावा सिर्फ़ एक ही लड़का था, जिसकी उम्र लगभग 18 साल थी और वो भी आगे की सीट पर बैठ गया था। अब तो हम दोनों को और भी आराम हो गया था। फिर पिक्चर चालू हुई, लेकिन पिक्चर पर तो किसका ध्यान था? अब मेरा दिमाग तो पापा के लंड की तरफ था और पापा भी तिरछी नजर से मेरी छोटी-छोटी चूचीयों की तरफ देख रहे थे। अब बस शुरुआत करने की देर थी कि कौन करे? अब में तो पापा का स्पर्श पाने के लिए वैसे ही मरी जा रही थी और फिर उसी वक़्त जैसे बिल्ली के भागों छिका टूटा हो, मेरे पैर पर किसी जानवर ने काटा हो, में उउउइई करती हुई खड़ी हो गयी।

फिर तब पापा ने घबराते हुए पूछा कि क्या हुआ? तो तब मैंने बताया कि मेरे पैर पर किसी कीड़े ने काटा है। तो तब पापा बोले कि बैठ जा और अब काटे तो तुम मेरी सीट पर आ जाना। तो में बैठ गयी और फिर 5 मिनट के बाद फिर से उछलती हुई खड़ी हो गयी, लेकिन इस बार मुझे किसी ने काटा नहीं था बल्कि में जानबूझकर खड़ी हुई थी। खैर फिर पापा हंसते हुए बोले कि तू मेरी सीट पर आ जा। फिर तब में बोली कि पापा कोई बात नहीं जैसे उस कीड़े ने मुझे काटा है, ऐसे ही आपको भी काट लेगा। तो तब पापा बोले कि तू एक काम कर मेरी गोद में बैठ जा। अब में तो पहले से ही तैयार थी तो पापा के बोलते ही में उनकी गोद में बैठ गयी और पर्दे की तरफ देखने लगी थी। अब में उनकी गोद में बैठी हुई बिल्कुल छोटी सी लग रही थी, मेरी उम्र उस वक़्त 18 साल ही तो थी।
 

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अब पापा मेरी गर्मी पाकर गर्म होने लगे थे। अब उनका लंड फिर से खड़ा होने लगा था। अब मुझे भी उनके लंड पर बैठना बहुत अच्छा लग रहा था, वैसे तो हमारी नजर पर्दे की तरफ थी, लेकिन ध्यान सिर्फ़ अपनी-अपनी टाँगो के बीच में था। अब मेरा तो बदन जैसे किसी भट्टी की तरह तप रहा था। अब मेरी स्कर्ट में मेरी चड्डी बिल्कुल गीली हो रही थी। अब पापा का लंड ठीक मेरी गांड के छेद पर था और पापा धीरे-धीरे मेरा पेट सहला रहे थे। अब मेरा मन कर रहा था कि पापा अपना लंड ज़ोर-ज़ोर से मेरी चूत पर रगड़ दे, लेकिन ऐसा नहीं हो सकता था, क्योंकि हम दोनों ही एक दूसरे से शर्मा रहे थे। खैर फिर कुछ देर तक ऐसे ही बैठे रहने के बाद मैंने अपने हाथ में पानी की बोतल थी वो नीचे गिरा दी और फिर उसको उठाने के लिए झुकी तो पापा का लंड बहाने से अपनी चूत पर सेट किया और फिर सीधी बैठकर मज़े लेने लगी। अब 1 घंटा 30 मिनट निकल गये थे और हमें पता ही नहीं चला कि कब इंटरवेल हुआ?

फिर पापा मुझे पैसे देते हुए बोले कि कैंटीन से जाकर कुछ ले आओ तो में बाहर गयी और कैंटीन से कुछ खाने की चीज़े खरीदी और फिर टॉयलेट में चली गयी और फिर जब तक वापस आई तो पिक्चर चालू हो चुकी थी। फिर मैंने पापा की गोद में बैठते हुए कहा कि पापा मुझे आपकी गोद में बैठने में ज़्यादा मज़ा आ रहा है। फिर तब पापा बोले कि तो फिर 1 मिनट रुक और बैठे हुए ही अपने लंड को सेट करने लगे थे। अब मुझे अंधेरे में कुछ नहीं दिख रहा था और फिर जब उन्होंने मुझे बैठने को कहा, तो उन्होंने अपना हाथ कुछ इस तरह से मेरी स्कर्ट पर लगाया कि मेरी स्कर्ट ऊपर हो गयी और में उनकी गोद में फिर से बैठ गयी। फिर थोड़ी देर के बाद मुझे अहसास हुआ कि पापा ने अपना लंड अपनी लुंगी में से बाहर निकाल रखा है और इस अहसास के साथ ही जैसे मेरे बदन ने एक तगड़ा झटका लिया और अब मेरा भी मन अपनी चड्डी उतारकर पापा का लंड मेरी चूत से चिपकाने का करने लगा था।

फिर उसके लिए मैंने फिर से एक प्लान बनाया और मेरे हाथ में कोल्डड्रिंक का जो गिलास था, उसे अपनी जांघों पर उल्टा दिया तो सारी कोल्डड्रिंक मेरे पैरो और चड्डी पर गिर गयी, तो तब पापा चौंकते हुए बोले कि यह क्या किया? तो तब मैंने कहा कि सॉरी पापा गलती से हो गया, में तो पूरी गीली हो गयी और मेरे कपड़े भी गीले हो गये। तो तब कपड़ो का मतलब समझते हुए पापा बोले कि जा और टॉयलेट में जाकर साफ कर आ और कपड़े ज़्यादा गीले हो तो उतारकर आ जाना, जल्दी सूख जाएँगे। अब मेरा मन पापा को छोड़ने का नहीँ था, तो मैंने वहीं खड़े होकर मेरी चड्डी उतारी और दूसरी सीट पर रखी और फिर से पापा के लंड पर बैठकर पापा के लंड को अपनी दोनों टाँगों के बीच में ले लिया। अब उनका लंड बिल्कुल मेरी चूत पर था। अब मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई गर्म लोहे की रोड मेरी जांघों में दबी पड़ी है। अब तो मेरा मन कर रहा था कि जल्दी से पापा अपना लंड मेरी चूत में डालकर ज़ोर से रगड़ दे, लेकिन हम ऐसा नहीं कर सकते थे।

पापा का लंड खड़ा हो चूका था और क्योंकि वो लुंगी से बाहर था और इधर मैंने अपनी पैंटी उतार दी थी तो मेरी नंगी चूत और पापा के खड़े लंड के बीच में कोई भी रुकावट न थी. हम दोनों ही नंगे चूत और लंड का मजा ले रहे थे पर ऐसे दिखावा कर रहे थे की जैसे कुछ भी असामान्य न हो रहा हो.

जब मैंने कुछ भी प्रत्युतर न दिया तो पापा समझ गए की आज उनका लकी दिन है और उन्हें बहुत मजा आने वाला है.

पापा आराम से अपना लंड मेरी चूतड़ों की दरार में रगड़ते जा रहे थे.

हम दोनों बाप बेटी के सम्बन्ध के कारण खुल कर मजा नहीं ले सकते थे पर हम दोनों ही अब जानते थे के क्या हो रहा है.

अब मेरी बारी थी। फिर मेरा मन अपनी चूत को उनके लंड पर रगड़ने का हुआ तो तब में अपनी चड्डी उठाने के लिए झुकी और ज़ोर से अपनी चूत पापा के लंड पर रगड़ दी और फिर ऐसे ही 3-4 बार ज़ोर से रगड़ी, तो तब मुझे ऐसा लगा कि जैसे मेरा पानी निकल जाएगा। अब में कभी किस बहाने से तो कभी किस बहाने से हिलती और अपनी चूत पापा के लंड पर रगड़ देती थी। अब पापा समझ गये थे कि मेरा मन रगड़ने का हो रहा है। तब पापा ने मेरे पेट पर अपना एक हाथ रखकर दबाया और अपना जूता खोलने के बहाने से कभी खुजाने के बहाने से अपना लंड रगड़ने लगे थे।

पापा के लंड का सुपाड़ा मेरी चूत की दरार में रगड़ रहा था. आज एक्टिवा चलाते हुए हम दोनों ने जो मस्ती की थी , उस से पापा को पूरा यकीं था की उनकी किस्मत जागने वाली है. शायद इसी लिए तो वो इस तरह की पुरानी फिल्म देखने आये थे जिसे कोई नहीं आता.
 

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पापा का लंड मेरी चूतकी दरारों में रगड़ रहा था। अब मेरे से रहा नहीं जा रहा था. पर समज में नहीं आ रहा था की बात को आगे बढ़ाने के लिए क्या करु।

मैंने सोचा की पापा तो शायद बाप बेटी के रिश्ते के कारन आगे नहीं बढ़ पा रहे तो मुझे ही कुछ करना पड़ेगा.

मैं पापा के ओर थोड़ा खिसकी जिससे पापा का लंड मेरी चूत से आगे बढ़ कर बाहर की और निकल आया. पापा के लंड का सुपारा मेरी दोनों टांगों के बीच में था.

मैंने अब आगे कदम उठाने का सोचा.

फिर मैंने एकदम से पापा के लंड को मुठी में भर लिया और मासूम जैसे अभिनय करते हुए बोलै.

"पापा ये आपका कुछ मुझे चुभ रहा है. क्या है ये. "

और फिर जैसे मुझे समझ आया हो एकदम से बोली.

"अरे पापा! ये तो आपका सुसु है. यह इतना सख्त क्यों हो गया है और ये मुझे चुभ रहा है. इसकी चुभन के कारन मैं ठीक से अपने प्यारे पापा की गोद में बैठ नहीं पा रही."

मैं मासूम होने का नाटक कर रही थी पर इस सब बात चीत में भी मैंने पापा का लंड अपने हाथ से नहीं छोड़ा.

पापा को बहुत मजा आ रहा था। वो भी नाटक करते बोले.

"अरे बिटिया तुम्हे नहीं पता कि पापा का सुसु बेटी के सुसु की सुगंध पते ही टाइट तो गया है. "

"पर पापा ये मुझे चुभ रहा है. जिस से मैं आराम से अपने प्यारे पापा की गोद में बैठ नहीं पा रही "

"कोई बात नहीं बेटी अब क्या करें। खड़ा हो गया है तो मैं क्या कर सकता हूँ "

"पर पापा आपका यह तो मेरे चूतड़ों में चुभ रहा है. पर एक दिन मैंने रात में देखा की आपके कमरे में मम्मी जी पूरी नंगी आपकी गोद में बैठी थी। आपका यह सुसु भी पूरी तरह टाइट होकर खड़ा था पर मम्मी को चुभ नहीं रहा था. बल्कि मम्मी जी तो ख़ुशी ख़ुशी आपके गोद में उछल रही थी. आह आह कर रही थी. और बहुत खुश लग रही थी. तो क्या उन्हें आपका यह सुसु चुभ नहीं रहा था?"

"अरे बेटी अब मैं तुम्हे क्या बताऊ. तुम बड़ी हो गयी हो तो चलो तुम्हे बता ही देता हूँ. असल में इसे सुसु नहीं बल्कि लंड या लौड़ा कहते है. औरत और लड़की लोगो को यह बहुत पसंद आता है. भगवानने तुम औरतों के टांगों के बीच में इस को रखने की जेब बनारखी है. आदमी का लौड़ा औरत की उस जेब में चला जाता है तो औरत को मजा भी बहुत आता है और उसे चुभता भी नहीं है. तुम्हारी मम्मी ने उस समय मेरे लौड़े को अपनी टांगो के बीच वाली जेब में डाला हुआ था. इसी लिए वो मजे से उछल रही थी. "

पापा ने मुझे नादानी का नाटक करते हुए कहा. इस सारे समय में पापा का लौड़ा मेरे हाथ में ही था और मैं उसे अनजाने में ही प्यार से सहला रही थी. पापा भी समझ रहे थे की मैं जवान हो गयी हूँ. और नादानी का नाटक करके मजा ले रही हूँ.

आज सारा दिन स्कूटर पर जो मैंने मजा लिया था पापा सब समझ रहे थे. पर वो भी इसी तरह आगे बढ़ते हुए बात को बढ़ा कर अपनी जवान बेटी का मजा लूटना चाहते थे.

इधर मैं तो तैयार थी ही अपनी चूत को अपने प्यारे पापा से चुदवाने के लिए,.

मैंने नादान बनते हुए कहा

"पापा पर मेरे टांगों के बीच में तो कोई भी पॉकेट नहीं है. आप चाहो तो छू कर देख लो. "

पापा यही तो चाहते थे.
 

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बस उन्होंने तुरंत अपने हाथ मेरी स्कर्ट के अंदर डाल कर मेरी चूत पर रख दिया.

पापा का हाथ पहली बार मेरी नंगी चूत पर लगा था. मेरे मुँह से आह निकल गयी.

इतना मजा आया की क्या बताऊं. मैंने आगे को हो कर अपनी पूरी चूत पापा के हाथ में धकेल दी और नादान बनते हुए कहा.

"पापा देखे लिया। कोई भी पॉकेट नहीं है जिस में आपका यह लौड़ा अंदर रखा जा सके. "

पापा मेरी चूत पर हाथ फेरते ही समझ गए की उनकी बेटी तो बहुत गरम हो गयी है। क्योंकि मेरी चूत पानी पानी हो रही थी. और पापा का भी पूरा हाथ मेरी चूत के रस से भीग गया था.

पापा मेरी चूत की दरार में ऊँगली चलाते हुए झट से एक ऊँगली मेरी टाइट चूत के अंदर धकेल दी.

मैं एकदम दर्द से उछल पड़ी.

"आह पापा दर्द होता है. यह कोई पॉकेट थोड़े ही है. यह तो मेरा सुसु है. "

पापा ने मेरी चूत में से ऊँगली बाहर नहीं निकली और उसे प्यार से थोड़ा अंदर बाहर करते हुए बोले

"बेटी यह तुम्हारा सुसु नहीं है,. इसको तो चूत कहते है. अभी तुम्हारी चूत मैं कोई लौड़ा अंदर नहीं गया है इसलिए ये अभी इतनी टाइट है. इसमें जब आदमी का लौड़ा अंदर जाता है तो बहुत मजा आता है. तुमने देखा तो था की तुम्हारी माँ ने मेरा यह इतना बड़ा लौड़ा अंदर ले रखा था और फिर भी इतने मजे से मेरी गोद में उछल रहे थी, तुम भी एकबार मेरा यह लौड़ा अपनी इस चूत के अंदर ले कर देखो तुम्हे भी बहुत मजा आएगा. "

पापा ने वासना के जोर में एकदम से मुझे चोदने के लिए कह दिया. मैंने भी सोचा की नाटक बहुत हो गया है, अब चुदाई के लिए आगे बढ़ना चाहिए.

मैं पापा का लंड अपने हाथों में उसी तरह प्यार से सहलाती रही। और बोली

"पापा आपका यह लौड़ा तो बहुत बड़ा और मोटा है. यह मेरी चूत में कैसे जायेगा. और मुझे तो बहुत दर्द होगा. "

"बेटी पहली बार थोड़ा सा दर्द होगा पर इसके बाद तो बस मजे ही मजे है, इसको ही चुदाई कहते है, तुम जानती ही होगी की सारी लड़कियां चुदाई की कितनी इच्छा रखती है. तुम्हारी मम्मी भी रोज मुझसे चुदवाती है. तुम भी एक बार अपने पापा का लौड़ा चूत में ले लोगी और पापा से चुदवा लोगी तो रोज चुदवाने के लिए कहोगी. यदि तुम चाहती हो की तुम अपने पापा की गोद में आराम से बैठ सको और चुदवा सको तो एक बार चुदवा कर देखो, मजा न आये तो फिर चाहे दुबारा चुदाई न करवाना. "

मैं तो नाटक कर रही थी और असल में तो मैं पापा से चुदने को मरी जा रही थी,

अब और नाटक न करते हुए पापा के लंड को अपने हाथ से आगे पीछे करते हुए बोली.

"कोई बात नहीं पापा. मैं तो रोज अपने प्यारे पापा के गोद में बैठना चाहती हूँ. अपन अपने लौड़ा मेरी चूत मैं डाल कर चोद लीजिये. दर्द होगा तो मैं सह लूंगी. आप चिंता न करें. आप बस जरा प्यार से और धीरे से चोदना. फिर मैं रोज इसी तरह आपकी गोद मैं आपका लौड़ा अपनी चूत {पॉकेट} में डाल कर बैठा करुँगी, अब आप ज्यादा बातें न करे और बस मुझे प्यार से चोद ले. पिक्चर भी ख़तम होने वाली है और फिर सारी लाइट्स भी जल जाएंगी. "

पापा समझ गए की मैं बहुत गरम हो गयी हूँ और चदवाने के लिए मरी जा रही हूँ. तो पापा ने भी और देर करना ठीक न समझा और अपने वो ऊँगली जो पहले ही आधी तो मेरी चूत में घुसी हुई थी को पूरा अंदर घुसा दिया. मैंने दर्द होते हुए भी मुँह से उफ़ तक न करी की कहीं पापा मुझे चोदने से मना न कर दें.

धीरे धीरे पापा ने मुझे गोद में बिठा लिया और किस करने लगे। मुझे गुदगुदी हो रही थी। वो पीछे से मेरे कान, गले, पीठ में चुम्मी ले रहे थे। मुझे अच्छा लग रहा था। गुदगुदी तो बहुत हो रही थी। मैंने एक हल्की टी शर्ट और शॉर्ट्स पहन रखा था। धीरे धीरे पापा के हाथ मेरी टी शर्ट पर यहाँ वहां घुमने थे। आखिर में उन्होंने मेरे बूब्स को हाथ में ले लिया और टी शर्ट के उपर से हल्का हल्का दबाने लगे।
 

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पापा ये आप…..” मैं कुछ कहने जा रही थी पर पापा ने मुझे रोक दिया “बेटी इस चुदाई की महाविद्या को सीखना है तो प्लीस मुझे टोको मत। जो जो मैं करता हूँ करने दो। लास्ट में मजा ना आए तो तुम कहना” पापा बोले तो मैं मान गयी।

मैं चुप थी। पापा के हाथ मेरी 36” की चूचियों को हाथ में लेकर खेल रहे थे। 15 मिनट पर बाद मुझे इस चुदाई की महाविद्या में गहरा इंटरेस्ट आने लगा। मुझे अच्छा लगने लगा। फिर पापा मुझे किस करने लगे। कुछ देर बाद मेरा भी चुदाने का मन करने लगा। फिर पापा ने मुझे स्कर्ट को ऊपर करके चूत को पूरी तरह से नंगी करने का हुक्म दिया।

मैंने स्कर्ट ऊपर उठा कर अपने चूत अपने प्यारे पापा के लिए उनके आगे नंगी कर दी.

उधर पापा ने भी अपने लंड अपनी लुंगी से बाहर निकल कर वो नंगे हो गये।

आज मैं कसके चुदने वाली थी। पापा ने मुझे गोद में बिठा लिया अपनी सीट पर बैठे बैठे ही।

पापा की कमर में मैं दोनों पैर डालकर बैठ गयी। मेरी सेक्सी पतली 28” की कमर पापा की 40” की कमर से जुड़ गयी। पापा ने मुझे बाहों में भर लिया।

दोस्तों सिनेमा हाल मैं हम सबसे पिछली सीट पर थे और हाल में भीड़ थी थी ही नहीं तो हम चुदाई करते हुए किसी के द्वारा देखे जाने का कोई डर भी नहीं था.

पापा और मैं आराम से मजे ले सकते थे। पापा मुझे चोदकर आज बेटीचोद बन सकते थे। उन्होंने मुझे बाहों में भर लिया। मैं भी चुदाने के मूड में थी इसलिए मैंने भी पापा को बाहों में कस लिया। फिर हम दोनों एक दूसरे को किस करने लगे। हम सिनेमा हाल के सीट पर ही थे.

जगह थोड़ी कम थी पर चुदाई के नशे मैं हम दोनों को ही इसकी कोई परवाह नहीं थी. .

पापा मेरे नंगे जिस्म को नीचे से उपर तक सहला रहे थे।

“ओह्ह बेटी!! तुम कितनी मस्त माल बन गयी। मैं तो जान ही नही पाया। आज मैं तेरी चूत का भोग लगाऊंगा और तुझे सेक्स विद्या का ज्ञान दूंगा” पापा बोले

“पापा….आज मेरा भी आपसे चुदाने का बड़ा मन है। आज आप मुझे चोदकर मेरी चूत का रास्ता बना दो. ताकि मुझे आज के बाद मैं जब भी अपने प्यारे पापा की गोद मैं उनके लंड को अपनी पॉकेट में रख कर बैठू तो मुझे कोई दर्द न ” मैंने कहा

फिर हम होठो पर किस करने लगे। मेरे पापा मेरे गुलाबी होठो को पीने लगे। मुझे अच्छा लग रहा था। फिर मैं भी मुंह चला रही थी। हम दोनों एक दूसरे में पिघल रहे थे। मैं पापा के जिस्म को सहला रही थी। पापा भी मेरी नंगे जिस्म पर हाथ घुमा रहे थे। मेरी चूत गीली होने लगी थी। उसके बाद पापा गरमा गये। उन्होंने मुझे सीने से लगा लिया। पागलों की तरह मुझे यहाँ वहां चूमने लगे। मेरे 36” के बड़े बड़े बूब्स उनके सीने से दब रहे थे। मुझे अच्छा लग रहा था। पापा मेरे नंगे जिस्म की खुस्बू बटोर ले रहे थे।

आज मैं किसी रंडी की तरह चुदवाना चाहती थी। मैं बेशर्म लड़की बन चुँकि थी। पापा ने झुककर मेरे बाए मम्मे को मुंह में भर लिया और चूसने लगे। मैं “…….उई. .उई..उई…….माँ….ओह्ह्ह्ह माँ……अहह्ह्ह्हह…” की

आवाज निकालने लगी।

मुझे अजीब सा नशा छा रहा था। आज पहली बार कोई मर्द मेरे बूब्स चूस रहा था। मेरी चूत में खलबली हो रही थी। पापा बार बार मेरे नंगे पुट्ठो को सहला रहे थे। साफ़ था की उनको बेहद मजा मिल रहा था। मेरी पीठ पर बार बार उपर से नीचे वो हाथ सहला रहे थे। धीरे धीरे मेरे जिस्म में वासना और सेक्स की आग लग रही थी। हाँ आज मैं पापा का मोटा लंड खाना चाहती थी। पापा मेरे बाए मम्मे को चूस रहे थे।

फिर पापा मेरी दाई चूची को पीने लगे। मुझे लगा की मेरी चूत से माल निकल आएगा। पापा चूसते ही रहे और 20 मिनट बीत गये।

पापा बोले "बेटी तेरी चूत तो बहुत रस छोड़ रही है. तेरा रस भी बहुत स्वादिष्ट लगता है और मैं इसे पीना चाहता हूँ.

अपनी चूत चाटने का थोड़ा मौका देगी न अपने पापा को.

मैं कुछ न बोली और तुरंत पापा की ओर अपना पीठ पापा की ओर कर दी.

पापा ने मेरी स्कर्ट ऊपर कर के मेरी गांड नंगी कर दी.

पापा ने अपने दोनों हाथों से मेरी गांड को फैलाया और अपना मुह मेरी चूत पर रख दिया.

मेरी बालो भरी चूत को पागलो की तरह चाटने लगे और मै मदहोशी के सागर में डूबकर पापा का साथ देने लगी. जब जब पापा अपनी जीभ को मेरी चूत पर फेरते तब तब मेरे मुँह से कामुकता भरी आवाज़े निकलती। वह साथ साथ अपने हाथो से मेरी गांड मसलने लगे. चूत चाटने में पापा को और चटवाने में हम दोनों इतने पागल हो गए. मुझे पता ही नहीं चला की मेरा पानी निकलने वाला है. जब अचानक मेरी चूत ने पानी छोड़ा

तो मेरे मुँह से आहहाहा आहहाहा की आवाज़ निकली.. और मेरी चूत का पानी झड़ा और पापा के मुँह में गिरा जिसे पापा मज़े से पी लिए.

पापा बोले "कैसा लगा बेटी. ? कुछ मजा आया क्या अपनी चूत चटवाने में. "

"जी पापा बहुत मजा आया. मुझे तो पता ही नहीं था की अपनी चूत को चटवाने में इतना आनंद मिलता है. वरना मैं तो कभी का आपसे अपनी चूत चटवा चुकी होती. खैर कोई बात नहीं. अब मैं रोज आपसे ऐसे ही अपनी चूत को चटवाउंगी. आप चाटेंगे न मेरी चूत को ?"

"हाँ हाँ बेटी क्यों नहीं, मैं तो अपनी प्यारी बेटी की चूत चाटने को हमेशा तैयार हूँ. तुम्हारी मम्मी तो बहुत देर से आती है. मैं ऑफिस से आने के बाद रोज इसी तरह से तुम्हारी चूत चाटा करूँगा. पर क्या तुम्हे पता है की जैसे चूत चटवाने में मजा आता है उसी तरह लौड़ा चाटने और चूसने मैं भी मजा आता है. "

मैं समझ गयी की पापा अब मुझसे अपना लंड चटवाने को मचल रहे हैं. मैं तो तैयार थी ही बल्कि मैं तो अपने प्यारे पापा का लौड़ा चूसने को मरी ही जा रही थी.

मैंने मौके को हाथ से न जाने देने के लिए तुरंत कहा.

"पापा आप ने मुझे पहले कभी क्यों नहीं बताया.? आज तो में आप का लंड चूस कर ही रहूंगी। मैं भी तो देखूं की पापा का लौड़ा चूसने में कितना मजा आता है और कैसा लगता है. "

"तो ऐसा करो की तुम इन सीट की दोनों लाइनों के बीच मैं बैठ जाओ और मेरे लौड़े को चूस लो. किसी को तुम दिखाई भी नहीं दोगी और आराम से मेरा लंड चूस भी सकोगी.

मैंने समय खराब न करते हुए तुरंत बैठ गयी और पापा के लंड को अपने छोटे छोटे हाथों में पकड़ लिया।

बेटी ! आ मेरा लौड़ा चूस आकर!’ पापा बोले. उनका लौड़ा पुरी तरह से खड़ा हो गया था. बहुत बड़ा और दोस्तों बहुत ही सुंदर गुलाबी रंग का पापा का लौड़ा था. मेरी नजर तो लौड़े के सुपाड़े पर लगी हुई थी. उनका सुपाड़ा ही बहुत गुलाबी और विशाल था. किसी मोटे मार्कर पेन की तरह पापा का सुपाड़ा नुकीला नुकीला था.

‘ले बेटी !! इसे मुँह में लेकर चूस. तुझको भी खूब मजा आएगा” पापा बोले
 

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मैंने शुरुवात लौड़ा हाथ में पकड़ने से की. ये सब मेरे लिए थोडा अजीब था. क्यूंकि आज तक मैं किसी लडके या आदमी का लौड़ा नही चूसा था. मैंने डरते डरते पापा का सुपाडा मुँह में ले लिया. उसका सवाद मुझे नमकीन नमकीन लगा. मैं चूसने लगी. कुछ देर बाद तो मुझे खूब मजा आने लगा. मेरा मनोबल बढ़ गया. अब मैंने पापा का लौड़ा आगे तक लेकर चूसने लगी. धीरे धीरे मेरा मजा बढ़ने लगा. और मैंने पापा का लौड़ा पूरा का पूरा अंदर गले तक मुँह में भर लिया और किसी रंडी की तरह चूसने लगी.

शाबाश बेटी !!! शाबाश !! शाबाश बेटी !! तू अच्छा लंड चुस्ती है. चूस बेटा चूस!!’ पापा बोले. मेरा कॉन्फिडेंस और बढ़ गया. पापा का लंड बहुत सुंदर था. उसपर बहुत सारी नसे निकली थी. पापा का लंड खूब मोटा और पुष्ट भी था. मैं इस बात की पूरी उमीद लगा रही थी की जब ये सिलबट्टे सा लौड़ा मेरी बुर में जाएगा और मुझे चोदेगा तो कितना मजा और सुकून मिलेगा. पर अभी तो चूसने का समय था.

पापा के लंड की खाल माँ को चोद चोद कर पीछे भाग गयी थी. सुपाडा तो इतना सुन्दर था की मैं आपको क्या बखान करूँ. मैं जब पापा का लौड़ा चूस रही थी तो उन्होंने अपना हाथ मेरे दूध पर रख दिया और सहलाने लगे. इस तरह भी मुझे बहुत मजा आया.

पापा खुश हो गए और उन्होंने मेरा मुँह अपने लौड़े के ऊपर कर दिया.

मैंने भी समय खराब करना उचित न समझा और उनका लंड चूसने लगी। पहले तो मैंने काफी देर तक पापा का लंड हाथ में लेकर फेटा।

धीरे धीरे मैं मुंह में लेकर चूसने लगी। पापा के लंड को मैंने हाथ से पकड़ किया था। और जल्दी जल्दी चूसने लगी। साथ ही मेरे हाथ गोल गोल लौड़े पर घूम रहे थे। पापा मेरे सिर को अंदर हाथ से दबा देते थे जिससे जड़ तक उनका लौड़ा मेरे मुंह में जा सके। दोस्तों आज पहली बार मैं किसी मर्द के खड़े लंड को चूस रही थी। वो बहुत ही जूसी था। मैं जीभ से उसको चाट लेती थी। लंड के मुंह को [छेद पर] मैं जीभ से चाट लेती थी। पापा सिसक उठते थे। वो आराम से सीट पर बैठ कर अपना लौड़ा आज अपनी सगी बेटी से चूसा रहे थे। आज पापा बेटीचोद बन चुके थे।

“आह बेटी!! और जल्दी जल्दी” पापा से हुक्म दिया

मैं और जल्दी जल्दी अपना मुंह पापा के 10” के लौड़े पर चलाने लगी। मेरे गुलाबी होठ आज पापा के खूब काम आ रहे थे। पापा तो ऐश कर रहे थे। कुछ देर तक ऐसा ही चला। मैंने काफी देर तक उनका लंड चूसा। पापा को भरपूर मजा मिल गया।

अब मेरी चूचियां कामवासना के नशे से और जादा फूल गयी थी।36” की चूचियां अब 40” की दिख रही थी। मैं मस्त चोदने लायक माल लग रही थी।

बेटी….मजा आ रहा है न. यदि अच्छा लग रहा है तो बोल की पापा मेरी चूत आज फाड़ दो” पापा बोले

पापा ….आज तुम मेरी चूत कसके फाड़ दो” मैंने उसकी लाइन दोहराई

जितना मन करे तुम मुझे चोद लो” मैंने कहा

हमे भरपूर मजा मिलने लगा। पापा सिर्फ मेरी आँखों में झाँक रहे थे।

मैं भी सिर्फ उनको ही ताड़ रही थी। हम दोनों एक दूसरे को नजरो ही नजरों में चोद रहे थे। पापा फिर से मेरे होठ चूसने लगे। उनके हाथ अब भी मेरे डबलरोटी जैसी फूले चूतड़ों पर थे। वो सहला रहे थे। फिर पापा ने मुझे हल्का सा उचकाया और मेरी चूत के छेद पर लंड लगा दिया।

पापा ने मेरे दोनों पुट्ठो को कसके पकड़कर अंदर ही तरफ दबाया। मेरी चूत की सील टूट गयी। पापा का लंड अंदर चला गया। पापा मुझे चोदने लगे।

मैंने उनको कसके पकड़ लिया। पापा मुझे गोद में बिठाकर चोदने लगे। मेरी आँखों से आंसू की कुछ बूंद निकल गई। मेरे बेटीचोद पापा पी गये।

पापा आराम आराम से मुझे चोदने लगे। कुछ देर बाद मैं अपनी कमर उठाने लगी। मुझे अजीब सी बेचैनी हो रही थी।

वासना और सेक्स की आग में मैं जल रही थी। चुदाते चुदाते मेरी आँखों में जलन हो रही थी। मेरा गला भी सुख रहा था। काश मेरे मुंह में कोई १ घूंट पानी डाल देता। फिर पापा ने मेरे सेक्सी पतले छरहरे पेट पर हाथ रख दिया और सहला सहला कर मुझे चोदने लगे।

मेरे चेहरा अजीब तरह से बन गया था। मेरे गाल पिचक गये थे। मेरे दोनों भवे आपस में जुड़ गयी थी। मेरे मुंह से “आऊ…..आऊ….हमममम अहह्ह्ह्हह…सी सी सी सी..हा हा हा..” की आवाज आ रही थी। जैसे मैं कोई तेज मिर्ची खा रही थी और सी सी की आवाज निकाल रही थी।

पापा का लंड अब बड़ी आराम से मेरी चूत में दौड़ रहा था। अब मेरी चूत रवां हो गयी थी। उसका रास्ता बन गया था। पापा का लंड मेरी चूत के आखिरी किनारे तक जा रहा था। मुझे भरपूर यौन सुख की प्रप्ति हो रही थी। कभी मैं बेचैनी से ऑंखें बंद कर लेती थी तो कभी खोल लेती थी।

सिर्फ पापा को ही ताड़ रही थी। मेरी चूत में उनका लौड़ा पिघल रहा था। मैं अच्छे से जानती थी आज रात पापा मुझे चोद चोदकर मेरी रसीली बुर फाड़ देंगे। फिर पापा मेरे उपर झुक गये और जल्दी जल्दी कमर घुमाने लगे। मेरी चूत में जल्दी जल्दी उनका लंड जाने लगा। चट चट की आवाज मेरी चूत से आने लगी जैसे बच्चे ताली बजा रहे हो।
 
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