• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest आर्या

Rishabhsingh

New Member
26
309
48
जंगल मे बने शिव मंदिर में पुजारी पूजा कर रहा था कि अचानक से उसे आभास हुआ कि जैसे कोई मंदिर के बाहर कोई है ।जब वह बाहर जाकर देखा तो पाया कि एक औरत हाथ मे एक बच्चा लिए हुए जख्मी हालत में पड़ी हुई है तो पुजारी जी उस औरत को अंदर ले कर गए मंदिर में बिठाया और बोले
पुजारी : तुम कौन हो पुत्री और इसे घने वन में क्या कर रही हो ।तुम्हारी यह दशा किसने की है ।
औरत : पुजारी जी हम ठाकुर विश्वप्रताप की छोटी बहू मधु ठाकुर है और यह बच्चा मेरी जेठानी का है और हमारी इस हालत के जिम्मेदार और कोई नही बल्कि हमारे चचेरे ससुर है जिन्होंने हमारे पूरे परिवार की हत्या कर दी है ।मैं बड़ी मुश्किल से अपनी जान बचा कर आये है उसके आदमियो से ।
पुजारी : पुत्री तूम भगवान के शरण मे आयी हो अब तुम्हे डरने की कोई जरूरत नही है। तुम अगर चाहो तो यंहा मंदिर के पास रह सकती हो ।प्रभु कृपा से यंहा पर वह सभी वस्तु उपलब्ध है जो कि एक इंसान को जीने के लिए जरूरी है ।
इसके बाद पुजारी उठा और भगवान के चरणों से कुछ फल लाकर उस औरत को दिए और बोले
पुजारी : यह फल खा लो पुत्री तुम्हारी भूख और यह चोट दोनो ही सही हो जाएंगी।
औरत : आपका बहुत बहुत आभार पुजारी जी मैं जिंदा रहू या नही पर हमारे खानदान का आखिरी चिराग है जिसे मैं आपको समर्पित कर रही हु।
पुजारी : पुत्री तुम बिल्कुल निश्चिन्त रहो यंहा तुम्हे कुछ भी नही होगा ।तुम्हारी आयु अभी बहुत लंबी है और इस बालक की भी और अब तुम यंहा पर विश्राम करो तब तक मैं तुम्हारे रहने का इन्तजाम करता हु
यह बोल कर पुजारी जी बाहर मंदिर के पीछे चले जाते है और अपनी आंखें बंद करके कुछ मंत्र पढ़ते है तो सामने एक प्रकाश प्रकट होता है और उसमें से एक महिला निकलती है जिसे पुजारी जी प्रणाम करते है और बोलते है
पुजारी : महारानी जैसा आपने कहा मैंने वैसा कर दिया है । इस जगह पर मंदिर की स्थापना करके इस जगह को पवित्र कर दिया है जिसकी वजह से यंहा पर दुष्ट सक्तिया प्रवेश नही कर पाएंगी और यह स्थान भी बाहरी दुनिया के लिए अदृश्य रहेगी ।इस जगह को केवल यही दोनो देख पाएंगे जब तक यह बालक अठारह वर्ष का नही हो जाता है।
औरत : पुजारी जी आप नही जानते है कि आपने हमारे ऊपर कितना बड़ा एहसान किया है ।अगर यह बालक दुष्ट सक्तियो के हाथ लग जाता तो कितना बड़ा अनर्थ हो जाता इस बात का आप अंदाजा भी नही लगा सकते थे।
इसके बाद उस औरत ने अपने हाथ आगे किये और एक बहुत सुंदर झोपड़ी का निर्माण हो गया।





4d9d140b68f0e541e26a1bf335d8fcd1
इसके बाद वह औरत बोली
औरत : पुजारी जी आप उस बालक की माता को यंहा रहने के लिए बोल दीजिये यंहा पर उन्हें किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत नही होंगी और हां एक बात उसे अवश्य बता दीजियेगा की किसी भी हालत में वह बालक और वह खुद इस सुरक्षा घेरे से बाहर नहीं जा सके
पुजारी : महारानी आप बिल्कुल भी चिंता ना करें आपने जैसा था वैसा ही होगा मैं इस बात का पूरा ख्याल रखूंगा की वह लोग इस सुरक्षा घेरे से बाहर नहीं जाए।
इसके बाद वह औरत वंहा से अंतर्ध्यान हो गयी फिर पुजारी उस महिला के पास पहुच गए और बोले
पुजारी : पुत्री मंदिर के पीछे एक छोटा सा विश्राम स्थल है । अबसे वही तुम्हारा निवास स्थान होगा जब तक तुम चाहो।
इतना बोल कर पुजारी ने देखा कि अब भी उस महिला का हालत पहले ही जैसी है तो वह बोले
पुजारी : पुत्री तुमने अभी तक प्रशाद ग्रहण नही किया। तुम इस प्रशाद को ग्रहण करो ताकि तुम ठीक हो सको।
फिर उस महिला ने उस प्रशाद को ग्रहण किया और उस प्रशाद को खाते ही उस महिला के सभी चोट आश्चर्य जनक रूप से ठीक हो गए तो वह बोली
महिला : पुजारी जी आप कोई साधारण महात्मा नही है ।आप तो कोई दिव्य पुरुष है ।
पुजारी : नही पुत्री ऐसी कोई बात नही है ।यह चमत्कार मेरा नही बल्कि उस महाकाल का है जिसकी वजह से यह संसार है और रही बात दिव्य होने की तो यह बालक जो तुम्हारे गोद मे यह दिव्य है इसके उपर महाकाल का आशीर्वाद है ।
वही मधु ठाकुर का चचेरा ससुर ठाकुर विजय प्रताप अपने आदमियों पर गुस्सा कर रहा था
ठाकुर विजय : तुम सब किसी काम के नही हो।तुम सबकी नजरों के सामने से वह एक मामूली सी लड़की उसको ले कर भाग गई और तुम सब कुछ नही कर सके ।
 

Vickey1211

Well-Known Member
7,541
16,030
188
जंगल मे बने शिव मंदिर में पुजारी पूजा कर रहा था कि अचानक से उसे आभास हुआ कि जैसे कोई मंदिर के बाहर कोई है ।जब वह बाहर जाकर देखा तो पाया कि एक औरत हाथ मे एक बच्चा लिए हुए जख्मी हालत में पड़ी हुई है तो पुजारी जी उस औरत को अंदर ले कर गए मंदिर में बिठाया और बोले
पुजारी : तुम कौन हो पुत्री और इसे घने वन में क्या कर रही हो ।तुम्हारी यह दशा किसने की है ।
औरत : पुजारी जी हम ठाकुर विश्वप्रताप की छोटी बहू मधु ठाकुर है और यह बच्चा मेरी जेठानी का है और हमारी इस हालत के जिम्मेदार और कोई नही बल्कि हमारे चचेरे ससुर है जिन्होंने हमारे पूरे परिवार की हत्या कर दी है ।मैं बड़ी मुश्किल से अपनी जान बचा कर आये है उसके आदमियो से ।
पुजारी : पुत्री तूम भगवान के शरण मे आयी हो अब तुम्हे डरने की कोई जरूरत नही है। तुम अगर चाहो तो यंहा मंदिर के पास रह सकती हो ।प्रभु कृपा से यंहा पर वह सभी वस्तु उपलब्ध है जो कि एक इंसान को जीने के लिए जरूरी है ।
इसके बाद पुजारी उठा और भगवान के चरणों से कुछ फल लाकर उस औरत को दिए और बोले
पुजारी : यह फल खा लो पुत्री तुम्हारी भूख और यह चोट दोनो ही सही हो जाएंगी।
औरत : आपका बहुत बहुत आभार पुजारी जी मैं जिंदा रहू या नही पर हमारे खानदान का आखिरी चिराग है जिसे मैं आपको समर्पित कर रही हु।
पुजारी : पुत्री तुम बिल्कुल निश्चिन्त रहो यंहा तुम्हे कुछ भी नही होगा ।तुम्हारी आयु अभी बहुत लंबी है और इस बालक की भी और अब तुम यंहा पर विश्राम करो तब तक मैं तुम्हारे रहने का इन्तजाम करता हु
यह बोल कर पुजारी जी बाहर मंदिर के पीछे चले जाते है और अपनी आंखें बंद करके कुछ मंत्र पढ़ते है तो सामने एक प्रकाश प्रकट होता है और उसमें से एक महिला निकलती है जिसे पुजारी जी प्रणाम करते है और बोलते है
पुजारी : महारानी जैसा आपने कहा मैंने वैसा कर दिया है । इस जगह पर मंदिर की स्थापना करके इस जगह को पवित्र कर दिया है जिसकी वजह से यंहा पर दुष्ट सक्तिया प्रवेश नही कर पाएंगी और यह स्थान भी बाहरी दुनिया के लिए अदृश्य रहेगी ।इस जगह को केवल यही दोनो देख पाएंगे जब तक यह बालक अठारह वर्ष का नही हो जाता है।
औरत : पुजारी जी आप नही जानते है कि आपने हमारे ऊपर कितना बड़ा एहसान किया है ।अगर यह बालक दुष्ट सक्तियो के हाथ लग जाता तो कितना बड़ा अनर्थ हो जाता इस बात का आप अंदाजा भी नही लगा सकते थे।
इसके बाद उस औरत ने अपने हाथ आगे किये और एक बहुत सुंदर झोपड़ी का निर्माण हो गया।





4d9d140b68f0e541e26a1bf335d8fcd1
इसके बाद वह औरत बोली
औरत : पुजारी जी आप उस बालक की माता को यंहा रहने के लिए बोल दीजिये यंहा पर उन्हें किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत नही होंगी और हां एक बात उसे अवश्य बता दीजियेगा की किसी भी हालत में वह बालक और वह खुद इस सुरक्षा घेरे से बाहर नहीं जा सके
पुजारी : महारानी आप बिल्कुल भी चिंता ना करें आपने जैसा था वैसा ही होगा मैं इस बात का पूरा ख्याल रखूंगा की वह लोग इस सुरक्षा घेरे से बाहर नहीं जाए।
इसके बाद वह औरत वंहा से अंतर्ध्यान हो गयी फिर पुजारी उस महिला के पास पहुच गए और बोले
पुजारी : पुत्री मंदिर के पीछे एक छोटा सा विश्राम स्थल है । अबसे वही तुम्हारा निवास स्थान होगा जब तक तुम चाहो।
इतना बोल कर पुजारी ने देखा कि अब भी उस महिला का हालत पहले ही जैसी है तो वह बोले
पुजारी : पुत्री तुमने अभी तक प्रशाद ग्रहण नही किया। तुम इस प्रशाद को ग्रहण करो ताकि तुम ठीक हो सको।
फिर उस महिला ने उस प्रशाद को ग्रहण किया और उस प्रशाद को खाते ही उस महिला के सभी चोट आश्चर्य जनक रूप से ठीक हो गए तो वह बोली
महिला : पुजारी जी आप कोई साधारण महात्मा नही है ।आप तो कोई दिव्य पुरुष है ।
पुजारी : नही पुत्री ऐसी कोई बात नही है ।यह चमत्कार मेरा नही बल्कि उस महाकाल का है जिसकी वजह से यह संसार है और रही बात दिव्य होने की तो यह बालक जो तुम्हारे गोद मे यह दिव्य है इसके उपर महाकाल का आशीर्वाद है ।
वही मधु ठाकुर का चचेरा ससुर ठाकुर विजय प्रताप अपने आदमियों पर गुस्सा कर रहा था
ठाकुर विजय : तुम सब किसी काम के नही हो।तुम सबकी नजरों के सामने से वह एक मामूली सी लड़की उसको ले कर भाग गई और तुम सब कुछ नही कर सके ।
Mast start h bhai
Congratulations for your story
 

ABHISHEK TRIPATHI

Well-Known Member
6,404
28,418
218
जंगल मे बने शिव मंदिर में पुजारी पूजा कर रहा था कि अचानक से उसे आभास हुआ कि जैसे कोई मंदिर के बाहर कोई है ।जब वह बाहर जाकर देखा तो पाया कि एक औरत हाथ मे एक बच्चा लिए हुए जख्मी हालत में पड़ी हुई है तो पुजारी जी उस औरत को अंदर ले कर गए मंदिर में बिठाया और बोले
पुजारी : तुम कौन हो पुत्री और इसे घने वन में क्या कर रही हो ।तुम्हारी यह दशा किसने की है ।
औरत : पुजारी जी हम ठाकुर विश्वप्रताप की छोटी बहू मधु ठाकुर है और यह बच्चा मेरी जेठानी का है और हमारी इस हालत के जिम्मेदार और कोई नही बल्कि हमारे चचेरे ससुर है जिन्होंने हमारे पूरे परिवार की हत्या कर दी है ।मैं बड़ी मुश्किल से अपनी जान बचा कर आये है उसके आदमियो से ।
पुजारी : पुत्री तूम भगवान के शरण मे आयी हो अब तुम्हे डरने की कोई जरूरत नही है। तुम अगर चाहो तो यंहा मंदिर के पास रह सकती हो ।प्रभु कृपा से यंहा पर वह सभी वस्तु उपलब्ध है जो कि एक इंसान को जीने के लिए जरूरी है ।
इसके बाद पुजारी उठा और भगवान के चरणों से कुछ फल लाकर उस औरत को दिए और बोले
पुजारी : यह फल खा लो पुत्री तुम्हारी भूख और यह चोट दोनो ही सही हो जाएंगी।
औरत : आपका बहुत बहुत आभार पुजारी जी मैं जिंदा रहू या नही पर हमारे खानदान का आखिरी चिराग है जिसे मैं आपको समर्पित कर रही हु।
पुजारी : पुत्री तुम बिल्कुल निश्चिन्त रहो यंहा तुम्हे कुछ भी नही होगा ।तुम्हारी आयु अभी बहुत लंबी है और इस बालक की भी और अब तुम यंहा पर विश्राम करो तब तक मैं तुम्हारे रहने का इन्तजाम करता हु
यह बोल कर पुजारी जी बाहर मंदिर के पीछे चले जाते है और अपनी आंखें बंद करके कुछ मंत्र पढ़ते है तो सामने एक प्रकाश प्रकट होता है और उसमें से एक महिला निकलती है जिसे पुजारी जी प्रणाम करते है और बोलते है
पुजारी : महारानी जैसा आपने कहा मैंने वैसा कर दिया है । इस जगह पर मंदिर की स्थापना करके इस जगह को पवित्र कर दिया है जिसकी वजह से यंहा पर दुष्ट सक्तिया प्रवेश नही कर पाएंगी और यह स्थान भी बाहरी दुनिया के लिए अदृश्य रहेगी ।इस जगह को केवल यही दोनो देख पाएंगे जब तक यह बालक अठारह वर्ष का नही हो जाता है।
औरत : पुजारी जी आप नही जानते है कि आपने हमारे ऊपर कितना बड़ा एहसान किया है ।अगर यह बालक दुष्ट सक्तियो के हाथ लग जाता तो कितना बड़ा अनर्थ हो जाता इस बात का आप अंदाजा भी नही लगा सकते थे।
इसके बाद उस औरत ने अपने हाथ आगे किये और एक बहुत सुंदर झोपड़ी का निर्माण हो गया।





4d9d140b68f0e541e26a1bf335d8fcd1
इसके बाद वह औरत बोली
औरत : पुजारी जी आप उस बालक की माता को यंहा रहने के लिए बोल दीजिये यंहा पर उन्हें किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत नही होंगी और हां एक बात उसे अवश्य बता दीजियेगा की किसी भी हालत में वह बालक और वह खुद इस सुरक्षा घेरे से बाहर नहीं जा सके
पुजारी : महारानी आप बिल्कुल भी चिंता ना करें आपने जैसा था वैसा ही होगा मैं इस बात का पूरा ख्याल रखूंगा की वह लोग इस सुरक्षा घेरे से बाहर नहीं जाए।
इसके बाद वह औरत वंहा से अंतर्ध्यान हो गयी फिर पुजारी उस महिला के पास पहुच गए और बोले
पुजारी : पुत्री मंदिर के पीछे एक छोटा सा विश्राम स्थल है । अबसे वही तुम्हारा निवास स्थान होगा जब तक तुम चाहो।
इतना बोल कर पुजारी ने देखा कि अब भी उस महिला का हालत पहले ही जैसी है तो वह बोले
पुजारी : पुत्री तुमने अभी तक प्रशाद ग्रहण नही किया। तुम इस प्रशाद को ग्रहण करो ताकि तुम ठीक हो सको।
फिर उस महिला ने उस प्रशाद को ग्रहण किया और उस प्रशाद को खाते ही उस महिला के सभी चोट आश्चर्य जनक रूप से ठीक हो गए तो वह बोली
महिला : पुजारी जी आप कोई साधारण महात्मा नही है ।आप तो कोई दिव्य पुरुष है ।
पुजारी : नही पुत्री ऐसी कोई बात नही है ।यह चमत्कार मेरा नही बल्कि उस महाकाल का है जिसकी वजह से यह संसार है और रही बात दिव्य होने की तो यह बालक जो तुम्हारे गोद मे यह दिव्य है इसके उपर महाकाल का आशीर्वाद है ।
वही मधु ठाकुर का चचेरा ससुर ठाकुर विजय प्रताप अपने आदमियों पर गुस्सा कर रहा था
ठाकुर विजय : तुम सब किसी काम के नही हो।तुम सबकी नजरों के सामने से वह एक मामूली सी लड़की उसको ले कर भाग गई और तुम सब कुछ नही कर सके ।
Congratulations for new story...
Nice start
 
Top