कोमल अपने पति संजय और रानी परी के साथ वंहा पहुच जाती है जंहा पर मधु और आर्या दोनो ही रहते थे ।वंहा पहुचने में इन लोगो को शाम हो चुकी थी । इस वक्त आर्या अपनी माँ मधु के साथ अपने कुटिया से बाहर ही खेल रहा था । जब वो लोग वंहा पर पहचे तो पुजारी जी बोले
पुजारी : बहना ले आयी कोमल बिटिया को यह तुमने बहुत अच्छा किया ।
रानी परी : हा भैया मैंने अपना वादा पूरा किया ।
इधर कोमल सिर्फ और सिर्फ आर्या को देखे जा रही थी जो कि बिना किसी चिंता और दुख के मधु के साथ खेल रहा था और मधु भी आने वालों से अनजान आर्या के साथ बच्ची बनी हुई थी और यही तो एक सहारा था जिसके कारण मधु इतने दुखो को सहती हुई आज भी जी रही थी ।वह आर्या एक मुस्कान के आगे अपनी सारी दुखो को भूल जाती थी ।पुजारी जी ने जब देखा कि मधु आर्या के साथ लगी हुई है और उसे किसी का भी ध्यान नही है तो वह आगे बढ़ कर बोले
पुजारी : पुत्री देखो तो कौन आया है तुमसे मिलने के लिए ।
मधु की नजर जैसे ही इन सभी लोगो पर पड़ी वह आगे बढ़कर आर्या को अपने गोद मे ले ली मानो कोई उससे छीन ना ले ।उसके साथ इतना सब कुछ हो चुका था कि वह सहज रूप से जल्दी किसी पर विश्वाश नही कर पाती थी ।उसे हमेशा यही डर लगा रहता कि कही कोई दुश्मन ना आ जाये और आर्या को नुकसान ना पहुचा दे । पुजारी जी उसकी मनोस्थिति भली भांति जानते थे इसलिए वह बोले
पुजारी : डरो नही पुत्री यह लोग तुमको कोई हानि नही पहुचायेगे । यह कोई और नही बल्कि तुम्हारे अपने है जो तुम्हे लेने के लिए आये हुए है।
उनकी बात सुनकर मधु बोली
मधु : बाबा सायद आप भूल रहे है जिनकी वजह से हमारी आज यह स्थिति है वह भी पराये नही बल्कि अपने ही थे इसलिए अब किसी पर भरोशा नही होता है बाबा ।
रानी परी उसकी बात सुनकर आगे आती है और उसको समझाते हुए बोलती है कि
रानी परी : पुत्री तुम्हे इनसे डरने की कोई जरूरत नही है ।यह तुम्हारे पति की बहन है कोमल और यह उनके पति है जो कि तुम्हे लेने के लिए आये हुए है ।
कोमल जो अभी तक आर्या के मोह पास में पड़ी हुई थी वह संजय के बुलाने पर बाहर आई
संजय : कोमल यह तुम मूर्ति की तरह खड़ी हो कर क्या देख रही हो ।आगे बढ़कर अपनी भाभी से मिलो ।
कोमल का इतना सुनना था कि उसे सब कुछ याद आ गया कि वह यंहा पर क्यों आयी है और उसके परिवार के साथ क्या हुआ है तो वह आगे बढ़कर मधु को गले से लगा ली और रोने लगी ।मधु भी जो कि इतने समय से अपनी अंशुओ को रोक कर रखी हुई थी वह भी बाहर निकल पड़े और वह भी उनके गले लग कर रोने लगी ।वही मधु को रोता देख कर आर्या को जिसने पुजारी जी ने अपने गोद मे ले रखा था वह नीचे उतर आया और मधु को चुप कराते हुए बोला
आर्या : माँ आप चुप हो जाओ क्यों रो रही है नही तो मैं भी रो दूंगा ।
मधु आर्या की बात सुनकर कोमल को छोड़कर नीचे बैठ जाती है और आर्या के आंखों में जो उसे रोता देख कर आँशु आ गए थे उसे साफ करती हुई बोली
मधु : नही बेटा अच्छे बच्चे नही रोते है ।वह तुम्हारी बुआ से मिली ना तो आंसू आ गए
आर्या ना समझ पाने के कारण और आज पहली बार किसी को देख रहा था इसलिये डर कर मधु के गले लग गया और बोला
आर्या : मा यह लोग कौन है
आर्या की बात सुनकर कोमल भी नीचे बैठती हुई बोली
कोमल :बेटा मैं तुम्हारी बुआ हु क्या मेरे गले नही लगेगा आ जा मेरे लाल।
कोमल की बात सुनकर आर्या मधु की तरफ देखा तो वह हा में गर्दन हिला दी तो आर्या जाकर कोमल के गले लग गया तो कोमल भी उसे गले लगा के रोने लगी और उसके पूरे चेहरे को चूमने लगी वही संजय आगे बढ़कर मधु से मिला और बोला
संजय : भाभी आप नही जानती आपको सुरक्षित देख कर मुझे कितनी खुसी हो रही है ।मै पिछले 6 महीनों से आपको ढूढ़ रहा हु लेकिन आप मिली नही ।
मधु संजय की बात सुनकर चकित हो कर उसे देखी फिर बोली
मधु : आप हम लोगो के साथ हुए हादसे के बारे जानते थे और खोज भी रहे थे।
कोमल जो कि आर्या को गोद मे लेकर इन लोगो के पास आ गई थी वह बोली
कोमल : हा भाभी यह जानते भी थे पर इन्होंने मुझे इस बारे में बताया तक नही वह तो आज आंटी जी (रानी परी की तरफ इशारा करती हुई) ने आकर उस दुखद घटना और आप दोनों के बारे में बताया । मैं इन लोगो का कैसे सुक्रिया करू यह तो समझ नही पा रही । देखो ना भाभी मैं भी कितनी अभागन हु यंहा मेरे परिबार के साथ इतना कुछ हो गया और मैं जान भी नही पाई ।उन लोगो से नाराज हो कर वंहा बैठी हुई थी।
कोमल की बात सुनकर मधु उसके पास जाती है और बोलती है
मधु : दीदी जो कुछ होना था वह तो हो चुका अब उसके लिए अपने आपको दोष देने में कोई भलाई नहीं है आप वहां पर रह कर क्या कर सकती थी। आप दूर थी इस वजह से बच गयी । मुझे ही देखिए मैं तो साथ मे होकर भी उन लोगो को अंतिम बार देख भी नही सकी ।
कोमल अपने आँशु को पोछते हुई बोली
कोमल : भाभी आप जानती है यह नीच हरकत किसने की है ।आप सिर्फ नाम बताओ मैं उन सबको छोडूंगी नही।
इस पर मधु पुजारी जी की तरफ देखती है तो पाती है कि वह इशारे से मना कर रहे है बताने को। तो वह बोलती है
मधु : नही दीदी मैं घर पर नही थी बाहर गयी हुई थी और जब हवेली को लौट रही थी हवेली में काम करने वाली एक औरत ने मुझे इस सब घटनाओ के बारे में बताया और उस वक्त आर्या मेरे पास था जिसे वह लोग मारने के लिए ढूढ रहे थे तो इसकी जान बचाने के लिये मैं वंहा से भागने पर मजबूर हो गयी।
इस बात पर संजय बोला
संजय : कोमल तुम चिंता मत करो आज तक में सब कुछ शांति से कर रहा था उनकी भाभी के बारे में मुझे पता नहीं था कि वह सही सलामत है या नहीं अब जब वह सही सलामत हमको मिल चुकी है तो मैं अपनी पूरी ताकत लगा दूंगा उन कमीनों को खोजने के लिए वह सब चाहे जहां पर भी हो उनको सजा दिलवाकर रहूंगा मैं।
इधर सुनैना और मारिया महामहिम से बात करने के बाद जंहा पर मानसी को लेकर वह लडकिया गयी हुई थी वंहा पर चली गयी तो जाकर देखा तो मानसी बहुत ही प्यारी लग रही थी तो सुनैना उसके पास जाती है और बोलती है कि
सुनैना : बेटू आपको कोई तकलीफ तो नही हुई ना । आप ठीक तो है ना
मानसी उसकी बात सुनकर बोली
मानसी : आंटी जी मैं तो ठीक हु लेकिन मैं कब घर जाउंगी ।अगर नही गयी तो चाची मुझे डाटेंगी।
सुनैना उसकी बात सुनकर सोच में पड़ जाती है कि उसकी बेटी कितनी डरी हुई है तो वह बोलती है कि
सुनैना : बेटू तुम मुझे आंटी नही बल्कि मासी या माँ कह कर बुलाओ और रही बात तुम्हारे घर जाने की तो समझ लो आज से यही तुम्हारा घर है और अब तुम यही पर रहोगी।
उसकी बात सुनकर मानसी बोलती है कि
मानसी : ठीक है मैं आज से आपको मासी बुलाऊंगी और आप सच कह रही है मैं यंहा पर रहूँगी ।
उसकी बात सुनकर मारिया बोलती है
मारिया : हॉ बेबी तुम्हारी मासी सच कह रही है। अब तुम यही पर रहोगी ।
इसके बाद वह लोग उसे उसके कमरे में ले जाती है जिसे देख कर वह बहुत खुश होती है।
वही दूसरी तरफ मधु और आर्या को लेकर पुजारी जी से परमिशन लेकर वह लोग उसी रात में घर पर चल देते है ।वह इसलिए क्यूंकि कोमल को इस शहर में आते हुए ठाकुर विजय का आदमी देख लिया था और इस बात की खबर पाते हुए वह अपने आदमियो को उनकव पीछे लगा देता है लेकिन कुछ ही देर में वह लोग उन सबकी नजर से गायब हो गए क्यूंकि रानी परी की मालूम हो गया था कि वह लोग पीछे पड़े हुए इसलिये सामने होकर भी यह लोग उन सबके लिये गायब थे