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Incest आर्या

DAIVIK-RAJ

ANKIT-RAJ
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राजगुरु की बात को सुनकर रानीपरी बोली
रानीपरी : ऐसा क्या कर दिया है गुरदेव जो आप इतने चिन्तित दिखाई दे रहे है ।
राजगुरु : उसने उस बालिका को खोज लिया है जिसकी मदद से उस कैद का दरवाजा खोल देगा जिसमे वह खतरनाक दानव को कैद किया गया है और आप यह बात हमेशा से जानती है कि वह हर संभव कोशिश कर चुका है उसे खोलने का लेकिन वह आज तक सफल नही हो सका लेकिन अब लग रहा है कि वह सफल हो जाएगा।
रानी परी : लेकिन कैसे गुरदेव आप ने तो कहा था कि उस दुर्लभ नछत्र में पैदा होने वाली कन्या ही खोल सकती है और आप तो जानते है कि वह कन्या कोई और नही बल्कि हमारी राजकुमारी सुवर्चा ही है जो कि सुरक्षित है उस दुष्ट की नजरों से ।
राजगुरु : मुझे भी यही लगा था पर एक और कन्या है जो इसी नछत्र में जन्म लिया है और वह इस वक्त पृथ्वी पर है और जानती है महारानी वह बालिका कौन है।
महारानी : कौन है गुरदेव वह बालिका
राजगुरु : वह बालिका कोई और नही बल्कि उसी अनुराधा की बेटी है जो कि इस वक्त अंधेरे की प्रमुख नायिका बनी है और आज वह अपनी पुत्री को अपने पास लेकर आ गयी है और एक बात यह भी है कि उसे केवल दो लोग खोल सकते है और वह भी स्त्री सकती के मदद से ओर बन्द भी कर सकते है । उन दोनों कन्याओ का जन्म भी हो चुका है जो कि उस समय भी थी जब उसे बंद किया गया था । एक तो हमारी राजकुमारी सुवर्चा है और दूसरी कन्या मानसी है जो कि वही है जो कि उस वक्त दरवाजा बंद करने में सबसे बड़ी बाधा बन कर खड़ी थी।
रानी परी : तो अब हम क्या कर सकते है गुरदेव आप तो जानते है कि हम चाह कर भी उनका कुछ नही बिगाड़ सकते है क्यूंकि उनके ताकत के आगे हम कमजोर है।
राजगुरु : अभी हम कुछ नही कर सकते है ।अब जो भी करना है वह आर्या और सुवर्चा ही कर सकते है ।
रानीपरी : लेकिन गुरदेव उसमे तो अभी काफी समय है। आर्या तो अभी छोटा है ।

राजगुरु : अब हम लोगो के पास इन्तजार करने के अलावा और कोई चारा नही है क्यूंकि हम इतने समर्थ नही है कि सुनैना के जाल से उस बच्ची को बचा सके हम तो केवल प्राथना ही कर सकते है और कुछ नही।
इधर अगली सुबह जब चाँदनी सो कर उठती है तो वह अपनी माँ के पास जाकर उससे कल बिना बताए चले जाने पर शिकायत करती है तो इस बात पर कोमल बोलती है
कोमल : बेबी मैं तुम्हारे लिए एक गुड्डा लेने के लिए गयी हुई थी इसलिए मैंने तुम्हें नही बताया।
गुड्डा का नाम सुनते ही चाँदनी के चहरे पर चमक आ जाती है और बोलती है
चाँदनी : कंहा है माँ मेरा गुड्डा आप लेकर भी आ गयी और मुझे बताया तक नही जाइये मैं आपसे बात नही करूँगी।
उसकी बात सुनकर कोमल बोलती है
कोमल : ठीक है जब तुम्हे बात ही नही करनी है तो वह गुड्डा मैं वापस कर देती हूं।
इतना बोल कर कोमल अपने काम मे लग जाती है लेकिन चाँदनी को जब बर्दाश्त नही होता है तो वह रोने लगती है इस पर उसकी दादी मीना बोलती है
मीना : क्यों परेशान कर रही है मेरी बेटी को चल बेटी मैं तुझे तेरा गुड्डा देती हूं।
इतना बोलकर उसे लेकर वह आर्या जंहा पर सोया हुआ था वंहा लेकर चली गयी और आर्या को दिखाती हुई बोली
मीना : यह है तुम्हारा गुड्डा पर ध्यान से खेलना कही चोट ना लग जाए ।बहुत नाजुक है यह।
इतना बोल कर चाँदनी की तरफ देखती है लेकिन वह वंहा पर होती ही नही है क्यूंकि उसे देख कर चाँदनी तुरन्त ही आर्या के पास पहुच जाती है और उसे अपने गोद मे उठाने की कोशिश करती है तो इस पर मीना बोलती है
मीना : ध्यान से बेटी अगर गुड्डा गिर गया तो चोट लग जायेगी ।
चाँदनी : दादी आप चिंता मत करो मैं इसे अपनी जान से भी ज्यादा संभाल कर रखूंगी।

इसके बाद वह फिर उससे खेलने में मग्न हो जाती है ।ऐसे ही दिन महीने और साल बीतने लगे । सब कुछ धीरे धीरे बदल रहा था। वंहा सुनैना और मारिया मानसी को धीरे धीरे अंधेरे की सक्तिया प्रदान करने लगी और उसके गुलाम दिन प्रति दिन संसार मे बुराई का साम्राज्य फैलाना प्रारंभ कर दिया था ।पूरे संसार मे लोभ वासना आदि बुराई चरम पर पहुच चुकी थी । वही दूसरी तरफ़ राजकुमारी सुवर्चा नागराज के साथ परीलोक आती है संसार मे फैल रही बुराई की वजह से उन्होंने वंहा जन्म लेने का फैशला त्यागना पड़ा क्यूंकि इससे अंधेरे को उनके बारे में पता चल जाता तो वह अपनी उसी रूप में इंसानी दुनिया मे आकर रहने का फैशला किया। इधर चाँदनी का मोह आर्या के प्रति दिन प्रति दिन बढ़ता ही चला जा रहा था ।वह तो उसके लिए बिना सोचे समझे किसी के लिए भी लड़ जाती थी ।इस समय सब कुछ सामान्य चल रहा था सिवाय 2 चीजो के पहली आर्या की शारीरिक विकास जो कि आम लड़को के अपेछा बहुत आगे थी ।उसकी मानशिक सक्तिया भी बहुत तेज थी किसी भी चीज को दुबारा पढ़ने की जरूरत नही पढ़ती थी। इधर मधु का दिमाग भी राजगुरु के द्वारा किये गए विकास की वजह से आम लोगो से 10 गुना तेज था जिसकी वजह से संजय के कहने पर वह उसके बिजनेस को जॉइन कर लिया और संजय ने उसे कम्पनी का MD बना दिया और खुद दुसरो बिजनेस पर ध्यान देना सुरु कर दिया पर वह बिना मधु के सलाह के कुछ भी नही करता था । ऐसे ही दिन बीतने लगे और देखते ही देखते आज आर्या को कोमल के घर आये हुए 15 साल बीत गए थे । आज जंहा आर्या इण्टर पास करके कॉलेज में पहले दिन जाने वाला था जिसे लेकर वह बहुत खुश था क्यूंकि आज वह अपनी चाँदनी दीदी के साथ कॉलेज जाने वाला है उसे लेकर वह खुश था वही उसी बात को लेकर चाँदनी काफी दुखी थी । उसको चिंता में उसकी सहेली मंजू बोलती है
मंजू : आज तू इतना उदास क्यों लग रही है क्या बात है चांद ।
चाँदनी : यार मैं आर्या को लेकर काफी परेशान हु आज से वह कालेज जाना वाला है हमारे साथ ।
मंजू : यह तो खुशी की बात है ना कि वह आज से कालेज जाना वाला है क्यों तू खुश नही है।
चाँदनी : सच कहूं तो आज मैं अपने उसके लिए बहुत खुश हूं पर उसके साथ ही साथ दुखी क्यूंकि तू जानती है कि मैं उससे कितना प्यार करती हूं और उसके बिना जीने की तो कल्पना भी नही कर सकती हूं।।
मंजू : तू सच मे उसके प्यार में पागल हो गयी है ।अरे वह तुझसे दूर नही बल्कि तेरे पास आ रहा है अब तू हर वक्त उसके साथ रह सकती है ।
चाँदनी : सच मे तुझे ऐसा लगता है पर जाने क्यों मुझे आज बहुत घबराहट हो रही है ऐसा लग रहा है कि अगर आर्या वंहा पर गया तो मेरे से दूर हो जाएगा।
मंजू : यह सब तेरा भरम है और कुछ नही तू चिंता मत कर ऐसा कुछ नही होगा जितना प्यार तू उसे करती है उतना ही वह तुझसे भी करता है
Nice mind blowing update brother
 

Rishabhsingh

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चाँदनी का डर जायज भी था क्यूंकि जंहा आज तक आर्या पर सिर्फ और सिर्फ उसकी मनमानी चलती थी और उसके कहे गए बातो को आर्या भी नही टालता था ।अब वह समय आने वाला था जब राजकुमारी सुवर्चा अपने इंसानी रूप में आर्या से मिलने वाली थी वह उसी कालेज में स्टूडेंट के रूप में एड्मिशन ले चुकी थी इधर आर्या अपने रूम में सोया हुआ था और मधु उसके बगल में बैठी उसके सर को सहलाते कुछ सोच रही थी ।वह आर्या को देखने के लिए आई हुई थी और वह अपने आंखों में आँशु लिए आर्या को देखे जा रही थी और ना जाने कब तक देखती रहती लेकिन कोमल जो नीचे मधु और आर्या का इन्तजार कर रही थी जब इतना लेट होने के बाद भी वह दोनो नही आये तो कोमल उन दोनों को बुलाने के लिए आर्या के कमरे में गयी तो देखा की मधु आराम से बैठी आर्या को देख रही है तो वह बोली
कोमल : मुझे मालूम था कि ऐसा ही कुछ होगा अगर तुम इसे जगाने आयी तो लेकिन तुझे मेरी बात समझ मे आती नही है ।आ गयी अपने लाडले को उठाने के लिए और उठाने की जगह उसे खुद निहार रही है । खुद तो ऑफिस के लेट हो ही रही है और साथ मे मेरे बच्चे को आज कालेज के पहले ही दिन लेट कर रही है।
(मधु नीचे यही बोलकर आर्या को देखने के लिए आई हुई थी क्यूंकि इन बीते सालों में बहुत कुछ बदल चुका था और उसमें भी सबसे बड़ी बदलाव यह था कि पिछले दो तीन सालों में मधु बिजनेस पर कुछ ज्यादा ध्यान देने लगी जिसकी वजह से वह आर्या को समय नही दे पाई जिसकी वजह से आर्या मधु से दूर होता गया । अब तो आर्या केवल ऊपरी मन से ही मधु से बात करता है।)
मधु कोमल की बात सुनकर सामने देखती है और बोलती है
मधु : नही दीदी ऐसी कोई बात नही है ।बस आज ना जाने कितने दिनों बाद इसे इस तरह आराम से सोता हुआ देख कर मन को कितनी शांति मिल रही है मैं आपको बता नही सकती हूं।
कोमल : इसे देख रही हो या आज तुम्हे समय मिला है देखने के लिए वरना तू तो बिजनेस में ऐसी उलझ गयी है कि तू इसे समय ही नही दे पा रही है ।
मधु : सच कह रही हो दीदी इस काम के चलते मैं अपने ही बेटे से कितना दूर हो गयी हु इसका पता नही चला । मुझे ऐसा लगता है जैसे कल का ही दिन हो सारी रात मेरी छाती से लग कर सोया करता था और अगर किसी कारण से मैं इसके पास नही होती तो यह पूरा घर सर पर उठा लेता और आज देखो दीदी मैं कितना अकेली हो गयी हु। जिसके सहारे मैंने जीने की कल्पना की जो एकमात्र जीने का सहारा है आज वही मुझसे दूर भागता है ।इसे अब भी यही लगता है कि मैं इसके मन की भावो को समझ नही पाती हूँ पर यह पागल यह नही जानता कि इसके अंदर जो दिल धड़कता है वह मैं ही हु और मेरे तो हर सास में यही बसता है ।आज इतना सब कुछ सह कर भी आज मैं जिंदा हु तो वह बस इसकी वजह से ही नही तो मेरे पास जीने के लिए कोई वजह शेष ही नही है।
इतना बोलकर मधु के आंखों में आँशु आ गए जिसे कोमल साफ करती हुई बोली
कोमल : मधु मेरी बहन इस तरह अपना दिल छोटा मत कर एक दिन वह जरूर आएगा जब वह पहले की तरह तुझसे प्यार और सम्मान करेगा देख लेना मेरी बहन ।
मधु : भगवान करे कि ऐसा ही हो और वैसे भी दीदी आपने ही अपनी कसम दे कर मेरे हाथों को बांध रखा है वरना मैं इस मनहूस जिंदगी से कब का छुटकारा पा ली होती । एक फर्ज था मेरे उपर उस मासूम बच्चे को बचाने का जो मैंने पूरा कर दिया है और जिसकी बजह से हमारे खानदान का आखिरी चिराग अब सही सलामत है और अब एक फर्ज और है कि जिसने मेरे पति सास ससुर और आर्या के मा बाप का खून किया है उसे अपने हाथों से सजा दु ।मैंने किसी को वचन दिया है कि जब तक आर्या 18 साल का नही हो जाता तब तक मैं उसकी देखभाल करूँगी और उसके बाद आज तक जो कुछ भी मैंने बनाया है वह सब तो इसके ही नाम पर है मैं जानती हूं अगर मैंने कुछ भी दिया तो यह मेरे से तो लेगा नही और आपकी कोई भी बात कभी टालता नही है इसलिए वह सब मैं आपको सौप दूंगी और सही समय आने पर आप इसे दे दिजियेगा।
कोमल उसकी दिल मे हो रहे दर्द को भली भांति जानती है यह तो मधु है जो कि इतना सब झेलने के बाद जिसके लिए उसने नरक समान जिन्दगी जी और जब सब कुछ ठीक होने लगा तो आर्या जिससे वह इतना प्यार करती है वही इससे दूर जाने लगा। इधर मधु भी आर्या के कमरे से बाहर जा चुकी थी तो कोमल आर्या को उठाते हुए बोली
कोमल : बेटा उठ जा कितना सोएगा आज कालेज का पहला ही दिन है और तू लेट हो जाएगा।

आर्या अपनी बुआ की बात सुनकर उठ जाता है और बोलता है
आर्या : नही बुआ ऐसी कोई बात नही है मैं तो कब का उठ चुका था ।बस आंटी के जाने का इंतजार कर रहा था कि कब वह यंहा से जाए और मैं उठ सकू।
कोमल : यह तू क्या बोल रहा है अगर तू उठा हुआ तो उससे बात क्यों नही किया वह कबसे तेरे पास बैठी हुई थी।
आर्या : मैंने तो बुलाया नही और अगर पास आ कर बैठी थी तो हो सकता है आज कुछ काम कम हो जिसकी वजह है वह मेरे पास आ गयी वरना उनके पास समय ही कंहा है मेरे लिए।
कोमल (मन में) पता नही तेरे मन में उसके प्रति इतना गुस्सा क्यों है ।अरे आज वह जो कुछ भी कर रही है वह सब तेरे भविष्य बनाने के लिये ही तो कर रही है पर तुझे पता नही क्यों समझ मे नही आता।।
फिर कोमल बोलती है
कोमल : अच्छा यह सब छोड़ तू उठ कर जल्दी से निचे आ जा तेरे लिए नाश्ता रेडी कर रही हु।
(यंहा से कहानी आर्या की जुबानी चलेगी ।)
मैं उनकी बात सुनकर पर बोला कि
मैं : अच्छा बुआ आप चलों में 10 मिनट में रेडी होकर के नीचे आता हूं ।
इसके बाद बुआ नीचे चली गयी और मैं रेडी होने के लिए चला गया। वंहा नीचे सभी लोग नाश्ता करने के लिये बैठ चूके थे ।मुझे वंहा पर ना पाकर फूफा बोले
फूफा : क्या बात है कोमल आर्या अभी तक नही उठा है क्या ।जाकर उसे उठा दो आज उसे कालेज भी जाना है लेट हो जाएगा
उनकी बात सुनकर बुआ बोली
बुआ : आप बिलकुल चिंता ना करे वह उठ भी चुका है और बहुत जल्द ही आ रहा है नाश्ता करने के लिए।

फूफा : अच्छा उसका तो समझ में आ गया लेकिन यह चांदनी बिटिया कहां है वह अभी तक नाश्ता करने के लिए क्यों नहीं आई।
उनकी बात सुनकर कोमल और मधु दोनों हंसने लगती हैं फिर बुआ
बोलती है कि
बुआ : आपको तो जैसे पता ही नहीं है कि आप की लाडली बिटिया को जब तक आर्य उसे उसके नीचे बुलाकर नहीं लाएगा तब तक वो नहीं आने वाली है।
संजय : हे भगवान पता नहीं इन दोनों का क्या होगा आज तो ठीक है लेकिन कल को चांदनी बिटिया की शादी हो जाएगी तो इसके बाद यह दोनों कैसे रहेंगे।
उनकी बात सुनकर दादी (मीना) बोलती है कि
दादी : मैं तो यही कहूंगी कि इन दोनों का ही शादी करा दो फिर एक दूसरे की चिंता करने की जरूरत ही नहीं रहेगी किसी को।
अपनी मां की बात सुनकर फूफा जी हंसते हैं और बोलते हैं कि
फूफा : मां आप भी कैसी बातें करती हो उन दोनों के उम्र में कितना फर्क है और वैसे भी वह दोनों भाई बहन है तो उन दोनों की शादी कैसे हो सकती है।
मीना (मन मे) जिस बात को तो मजाक में टाल रहा है ना बेटा मुझे डर है कि कहीं वह बात सच ना हो जाए क्योंकि चादनी का पागलपन और प्रेम आर्या के लिए दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है मुझे उसकी आंखों में आ गया के लिए प्रेम भावना साफ साफ दिखाई देती है पता नहीं तुम लोगों को यह कैसे दिखाई नहीं देता है
 
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tpk

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चाँदनी का डर जायज भी था क्यूंकि जंहा आज तक आर्या पर सिर्फ और सिर्फ उसकी मनमानी चलती थी और उसके कहे गए बातो को आर्या भी नही टालता था ।अब वह समय आने वाला था जब राजकुमारी सुवर्चा अपने इंसानी रूप में आर्या से मिलने वाली थी वह उसी कालेज में स्टूडेंट के रूप में एड्मिशन ले चुकी थी इधर आर्या अपने रूम में सोया हुआ था और मधु उसके बगल में बैठी उसके सर को सहलाते कुछ सोच रही थी ।वह आर्या को देखने के लिए आई हुई थी और वह अपने आंखों में आँशु लिए आर्या को देखे जा रही थी और ना जाने कब तक देखती रहती लेकिन कोमल जो नीचे मधु और आर्या का इन्तजार कर रही थी जब इतना लेट होने के बाद भी वह दोनो नही आये तो कोमल उन दोनों को बुलाने के लिए आर्या के कमरे में गयी तो देखा की मधु आराम से बैठी आर्या को देख रही है तो वह बोली
कोमल : मुझे मालूम था कि ऐसा ही कुछ होगा अगर तुम इसे जगाने आयी तो लेकिन तुझे मेरी बात समझ मे आती नही है ।आ गयी अपने लाडले को उठाने के लिए और उठाने की जगह उसे खुद निहार रही है । खुद तो ऑफिस के लेट हो ही रही है और साथ मे मेरे बच्चे को आज कालेज के पहले ही दिन लेट कर रही है।
(मधु नीचे यही बोलकर आर्या को देखने के लिए आई हुई थी क्यूंकि इन बीते सालों में बहुत कुछ बदल चुका था और उसमें भी सबसे बड़ी बदलाव यह था कि पिछले दो तीन सालों में मधु बिजनेस पर कुछ ज्यादा ध्यान देने लगी जिसकी वजह से वह आर्या को समय नही दे पाई जिसकी वजह से आर्या मधु से दूर होता गया । अब तो आर्या केवल ऊपरी मन से ही मधु से बात करता है।)
मधु कोमल की बात सुनकर सामने देखती है और बोलती है
मधु : नही दीदी ऐसी कोई बात नही है ।बस आज ना जाने कितने दिनों बाद इसे इस तरह आराम से सोता हुआ देख कर मन को कितनी शांति मिल रही है मैं आपको बता नही सकती हूं।
कोमल : इसे देख रही हो या आज तुम्हे समय मिला है देखने के लिए वरना तू तो बिजनेस में ऐसी उलझ गयी है कि तू इसे समय ही नही दे पा रही है ।
मधु : सच कह रही हो दीदी इस काम के चलते मैं अपने ही बेटे से कितना दूर हो गयी हु इसका पता नही चला । मुझे ऐसा लगता है जैसे कल का ही दिन हो सारी रात मेरी छाती से लग कर सोया करता था और अगर किसी कारण से मैं इसके पास नही होती तो यह पूरा घर सर पर उठा लेता और आज देखो दीदी मैं कितना अकेली हो गयी हु। जिसके सहारे मैंने जीने की कल्पना की जो एकमात्र जीने का सहारा है आज वही मुझसे दूर भागता है ।इसे अब भी यही लगता है कि मैं इसके मन की भावो को समझ नही पाती हूँ पर यह पागल यह नही जानता कि इसके अंदर जो दिल धड़कता है वह मैं ही हु और मेरे तो हर सास में यही बसता है ।आज इतना सब कुछ सह कर भी आज मैं जिंदा हु तो वह बस इसकी वजह से ही नही तो मेरे पास जीने के लिए कोई वजह शेष ही नही है।
इतना बोलकर मधु के आंखों में आँशु आ गए जिसे कोमल साफ करती हुई बोली
कोमल : मधु मेरी बहन इस तरह अपना दिल छोटा मत कर एक दिन वह जरूर आएगा जब वह पहले की तरह तुझसे प्यार और सम्मान करेगा देख लेना मेरी बहन ।
मधु : भगवान करे कि ऐसा ही हो और वैसे भी दीदी आपने ही अपनी कसम दे कर मेरे हाथों को बांध रखा है वरना मैं इस मनहूस जिंदगी से कब का छुटकारा पा ली होती । एक फर्ज था मेरे उपर उस मासूम बच्चे को बचाने का जो मैंने पूरा कर दिया है और जिसकी बजह से हमारे खानदान का आखिरी चिराग अब सही सलामत है और अब एक फर्ज और है कि जिसने मेरे पति सास ससुर और आर्या के मा बाप का खून किया है उसे अपने हाथों से सजा दु ।मैंने किसी को वचन दिया है कि जब तक आर्या 18 साल का नही हो जाता तब तक मैं उसकी देखभाल करूँगी और उसके बाद आज तक जो कुछ भी मैंने बनाया है वह सब तो इसके ही नाम पर है मैं जानती हूं अगर मैंने कुछ भी दिया तो यह मेरे से तो लेगा नही और आपकी कोई भी बात कभी टालता नही है इसलिए वह सब मैं आपको सौप दूंगी और सही समय आने पर आप इसे दे दिजियेगा।
कोमल उसकी दिल मे हो रहे दर्द को भली भांति जानती है यह तो मधु है जो कि इतना सब झेलने के बाद जिसके लिए उसने नरक समान जिन्दगी जी और जब सब कुछ ठीक होने लगा तो आर्या जिससे वह इतना प्यार करती है वही इससे दूर जाने लगा। इधर मधु भी आर्या के कमरे से बाहर जा चुकी थी तो कोमल आर्या को उठाते हुए बोली
कोमल : बेटा उठ जा कितना सोएगा आज कालेज का पहला ही दिन है और तू लेट हो जाएगा।

आर्या अपनी बुआ की बात सुनकर उठ जाता है और बोलता है
आर्या : नही बुआ ऐसी कोई बात नही है मैं तो कब का उठ चुका था ।बस आंटी के जाने का इंतजार कर रहा था कि कब वह यंहा से जाए और मैं उठ सकू।
कोमल : यह तू क्या बोल रहा है अगर तू उठा हुआ तो उससे बात क्यों नही किया वह कबसे तेरे पास बैठी हुई थी।
आर्या : मैंने तो बुलाया नही और अगर पास आ कर बैठी थी तो हो सकता है आज कुछ काम कम हो जिसकी वजह है वह मेरे पास आ गयी वरना उनके पास समय ही कंहा है मेरे लिए।
कोमल (मन में) पता नही तेरे मन में उसके प्रति इतना गुस्सा क्यों है ।अरे आज वह जो कुछ भी कर रही है वह सब तेरे भविष्य बनाने के लिये ही तो कर रही है पर तुझे पता नही क्यों समझ मे नही आता।।
फिर कोमल बोलती है
कोमल : अच्छा यह सब छोड़ तू उठ कर जल्दी से निचे आ जा तेरे लिए नाश्ता रेडी कर रही हु।
(यंहा से कहानी आर्या की जुबानी चलेगी ।)
मैं उनकी बात सुनकर पर बोला कि
मैं : अच्छा बुआ आप चलों में 10 मिनट में रेडी होकर के नीचे आता हूं ।
इसके बाद बुआ नीचे चली गयी और मैं रेडी होने के लिए चला गया। वंहा नीचे सभी लोग नाश्ता करने के लिये बैठ चूके थे ।मुझे वंहा पर ना पाकर फूफा बोले
फूफा : क्या बात है कोमल आर्या अभी तक नही उठा है क्या ।जाकर उसे उठा दो आज उसे कालेज भी जाना है लेट हो जाएगा
उनकी बात सुनकर बुआ बोली
बुआ : आप बिलकुल चिंता ना करे वह उठ भी चुका है और बहुत जल्द ही आ रहा है नाश्ता करने के लिए।

फूफा : अच्छा उसका तो समझ में आ गया लेकिन यह चांदनी बिटिया कहां है वह अभी तक नाश्ता करने के लिए क्यों नहीं आई।
उनकी बात सुनकर कोमल और मधु दोनों हंसने लगती हैं फिर बुआ
बोलती है कि
बुआ : आपको तो जैसे पता ही नहीं है कि आप की लाडली बिटिया को जब तक आर्य उसे उसके नीचे बुलाकर नहीं लाएगा तब तक वो नहीं आने वाली है।
संजय : हे भगवान पता नहीं इन दोनों का क्या होगा आज तो ठीक है लेकिन कल को चांदनी बिटिया की शादी हो जाएगी तो इसके बाद यह दोनों कैसे रहेंगे।
उनकी बात सुनकर दादी (मीना) बोलती है कि
दादी : मैं तो यही कहूंगी कि इन दोनों का ही शादी करा दो फिर एक दूसरे की चिंता करने की जरूरत ही नहीं रहेगी किसी को।
अपनी मां की बात सुनकर फूफा जी हंसते हैं और बोलते हैं कि
फूफा : मां आप भी कैसी बातें करती हो उन दोनों के उम्र में कितना फर्क है और वैसे भी वह दोनों भाई बहन है तो उन दोनों की शादी कैसे हो सकती है।
मीना (मन मे) जिस बात को तो मजाक में टाल रहा है ना बेटा मुझे डर है कि कहीं वह बात सच ना हो जाए क्योंकि चादनी का पागलपन और प्रेम आर्या के लिए दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है मुझे उसकी आंखों में आ गया के लिए प्रेम भावना साफ साफ दिखाई देती है पता नहीं तुम लोगों को यह कैसे दिखाई नहीं देता है
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ABHISHEK TRIPATHI

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चाँदनी का डर जायज भी था क्यूंकि जंहा आज तक आर्या पर सिर्फ और सिर्फ उसकी मनमानी चलती थी और उसके कहे गए बातो को आर्या भी नही टालता था ।अब वह समय आने वाला था जब राजकुमारी सुवर्चा अपने इंसानी रूप में आर्या से मिलने वाली थी वह उसी कालेज में स्टूडेंट के रूप में एड्मिशन ले चुकी थी इधर आर्या अपने रूम में सोया हुआ था और मधु उसके बगल में बैठी उसके सर को सहलाते कुछ सोच रही थी ।वह आर्या को देखने के लिए आई हुई थी और वह अपने आंखों में आँशु लिए आर्या को देखे जा रही थी और ना जाने कब तक देखती रहती लेकिन कोमल जो नीचे मधु और आर्या का इन्तजार कर रही थी जब इतना लेट होने के बाद भी वह दोनो नही आये तो कोमल उन दोनों को बुलाने के लिए आर्या के कमरे में गयी तो देखा की मधु आराम से बैठी आर्या को देख रही है तो वह बोली
कोमल : मुझे मालूम था कि ऐसा ही कुछ होगा अगर तुम इसे जगाने आयी तो लेकिन तुझे मेरी बात समझ मे आती नही है ।आ गयी अपने लाडले को उठाने के लिए और उठाने की जगह उसे खुद निहार रही है । खुद तो ऑफिस के लेट हो ही रही है और साथ मे मेरे बच्चे को आज कालेज के पहले ही दिन लेट कर रही है।
(मधु नीचे यही बोलकर आर्या को देखने के लिए आई हुई थी क्यूंकि इन बीते सालों में बहुत कुछ बदल चुका था और उसमें भी सबसे बड़ी बदलाव यह था कि पिछले दो तीन सालों में मधु बिजनेस पर कुछ ज्यादा ध्यान देने लगी जिसकी वजह से वह आर्या को समय नही दे पाई जिसकी वजह से आर्या मधु से दूर होता गया । अब तो आर्या केवल ऊपरी मन से ही मधु से बात करता है।)
मधु कोमल की बात सुनकर सामने देखती है और बोलती है
मधु : नही दीदी ऐसी कोई बात नही है ।बस आज ना जाने कितने दिनों बाद इसे इस तरह आराम से सोता हुआ देख कर मन को कितनी शांति मिल रही है मैं आपको बता नही सकती हूं।
कोमल : इसे देख रही हो या आज तुम्हे समय मिला है देखने के लिए वरना तू तो बिजनेस में ऐसी उलझ गयी है कि तू इसे समय ही नही दे पा रही है ।
मधु : सच कह रही हो दीदी इस काम के चलते मैं अपने ही बेटे से कितना दूर हो गयी हु इसका पता नही चला । मुझे ऐसा लगता है जैसे कल का ही दिन हो सारी रात मेरी छाती से लग कर सोया करता था और अगर किसी कारण से मैं इसके पास नही होती तो यह पूरा घर सर पर उठा लेता और आज देखो दीदी मैं कितना अकेली हो गयी हु। जिसके सहारे मैंने जीने की कल्पना की जो एकमात्र जीने का सहारा है आज वही मुझसे दूर भागता है ।इसे अब भी यही लगता है कि मैं इसके मन की भावो को समझ नही पाती हूँ पर यह पागल यह नही जानता कि इसके अंदर जो दिल धड़कता है वह मैं ही हु और मेरे तो हर सास में यही बसता है ।आज इतना सब कुछ सह कर भी आज मैं जिंदा हु तो वह बस इसकी वजह से ही नही तो मेरे पास जीने के लिए कोई वजह शेष ही नही है।
इतना बोलकर मधु के आंखों में आँशु आ गए जिसे कोमल साफ करती हुई बोली
कोमल : मधु मेरी बहन इस तरह अपना दिल छोटा मत कर एक दिन वह जरूर आएगा जब वह पहले की तरह तुझसे प्यार और सम्मान करेगा देख लेना मेरी बहन ।
मधु : भगवान करे कि ऐसा ही हो और वैसे भी दीदी आपने ही अपनी कसम दे कर मेरे हाथों को बांध रखा है वरना मैं इस मनहूस जिंदगी से कब का छुटकारा पा ली होती । एक फर्ज था मेरे उपर उस मासूम बच्चे को बचाने का जो मैंने पूरा कर दिया है और जिसकी बजह से हमारे खानदान का आखिरी चिराग अब सही सलामत है और अब एक फर्ज और है कि जिसने मेरे पति सास ससुर और आर्या के मा बाप का खून किया है उसे अपने हाथों से सजा दु ।मैंने किसी को वचन दिया है कि जब तक आर्या 18 साल का नही हो जाता तब तक मैं उसकी देखभाल करूँगी और उसके बाद आज तक जो कुछ भी मैंने बनाया है वह सब तो इसके ही नाम पर है मैं जानती हूं अगर मैंने कुछ भी दिया तो यह मेरे से तो लेगा नही और आपकी कोई भी बात कभी टालता नही है इसलिए वह सब मैं आपको सौप दूंगी और सही समय आने पर आप इसे दे दिजियेगा।
कोमल उसकी दिल मे हो रहे दर्द को भली भांति जानती है यह तो मधु है जो कि इतना सब झेलने के बाद जिसके लिए उसने नरक समान जिन्दगी जी और जब सब कुछ ठीक होने लगा तो आर्या जिससे वह इतना प्यार करती है वही इससे दूर जाने लगा। इधर मधु भी आर्या के कमरे से बाहर जा चुकी थी तो कोमल आर्या को उठाते हुए बोली
कोमल : बेटा उठ जा कितना सोएगा आज कालेज का पहला ही दिन है और तू लेट हो जाएगा।

आर्या अपनी बुआ की बात सुनकर उठ जाता है और बोलता है
आर्या : नही बुआ ऐसी कोई बात नही है मैं तो कब का उठ चुका था ।बस आंटी के जाने का इंतजार कर रहा था कि कब वह यंहा से जाए और मैं उठ सकू।
कोमल : यह तू क्या बोल रहा है अगर तू उठा हुआ तो उससे बात क्यों नही किया वह कबसे तेरे पास बैठी हुई थी।
आर्या : मैंने तो बुलाया नही और अगर पास आ कर बैठी थी तो हो सकता है आज कुछ काम कम हो जिसकी वजह है वह मेरे पास आ गयी वरना उनके पास समय ही कंहा है मेरे लिए।
कोमल (मन में) पता नही तेरे मन में उसके प्रति इतना गुस्सा क्यों है ।अरे आज वह जो कुछ भी कर रही है वह सब तेरे भविष्य बनाने के लिये ही तो कर रही है पर तुझे पता नही क्यों समझ मे नही आता।।
फिर कोमल बोलती है
कोमल : अच्छा यह सब छोड़ तू उठ कर जल्दी से निचे आ जा तेरे लिए नाश्ता रेडी कर रही हु।
(यंहा से कहानी आर्या की जुबानी चलेगी ।)
मैं उनकी बात सुनकर पर बोला कि
मैं : अच्छा बुआ आप चलों में 10 मिनट में रेडी होकर के नीचे आता हूं ।
इसके बाद बुआ नीचे चली गयी और मैं रेडी होने के लिए चला गया। वंहा नीचे सभी लोग नाश्ता करने के लिये बैठ चूके थे ।मुझे वंहा पर ना पाकर फूफा बोले
फूफा : क्या बात है कोमल आर्या अभी तक नही उठा है क्या ।जाकर उसे उठा दो आज उसे कालेज भी जाना है लेट हो जाएगा
उनकी बात सुनकर बुआ बोली
बुआ : आप बिलकुल चिंता ना करे वह उठ भी चुका है और बहुत जल्द ही आ रहा है नाश्ता करने के लिए।

फूफा : अच्छा उसका तो समझ में आ गया लेकिन यह चांदनी बिटिया कहां है वह अभी तक नाश्ता करने के लिए क्यों नहीं आई।
उनकी बात सुनकर कोमल और मधु दोनों हंसने लगती हैं फिर बुआ
बोलती है कि
बुआ : आपको तो जैसे पता ही नहीं है कि आप की लाडली बिटिया को जब तक आर्य उसे उसके नीचे बुलाकर नहीं लाएगा तब तक वो नहीं आने वाली है।
संजय : हे भगवान पता नहीं इन दोनों का क्या होगा आज तो ठीक है लेकिन कल को चांदनी बिटिया की शादी हो जाएगी तो इसके बाद यह दोनों कैसे रहेंगे।
उनकी बात सुनकर दादी (मीना) बोलती है कि
दादी : मैं तो यही कहूंगी कि इन दोनों का ही शादी करा दो फिर एक दूसरे की चिंता करने की जरूरत ही नहीं रहेगी किसी को।
अपनी मां की बात सुनकर फूफा जी हंसते हैं और बोलते हैं कि
फूफा : मां आप भी कैसी बातें करती हो उन दोनों के उम्र में कितना फर्क है और वैसे भी वह दोनों भाई बहन है तो उन दोनों की शादी कैसे हो सकती है।
मीना (मन मे) जिस बात को तो मजाक में टाल रहा है ना बेटा मुझे डर है कि कहीं वह बात सच ना हो जाए क्योंकि चादनी का पागलपन और प्रेम आर्या के लिए दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है मुझे उसकी आंखों में आ गया के लिए प्रेम भावना साफ साफ दिखाई देती है पता नहीं तुम लोगों को यह कैसे दिखाई नहीं देता है
Superb update
 

Ajay

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राजगुरु की बात को सुनकर रानीपरी बोली
रानीपरी : ऐसा क्या कर दिया है गुरदेव जो आप इतने चिन्तित दिखाई दे रहे है ।
राजगुरु : उसने उस बालिका को खोज लिया है जिसकी मदद से उस कैद का दरवाजा खोल देगा जिसमे वह खतरनाक दानव को कैद किया गया है और आप यह बात हमेशा से जानती है कि वह हर संभव कोशिश कर चुका है उसे खोलने का लेकिन वह आज तक सफल नही हो सका लेकिन अब लग रहा है कि वह सफल हो जाएगा।
रानी परी : लेकिन कैसे गुरदेव आप ने तो कहा था कि उस दुर्लभ नछत्र में पैदा होने वाली कन्या ही खोल सकती है और आप तो जानते है कि वह कन्या कोई और नही बल्कि हमारी राजकुमारी सुवर्चा ही है जो कि सुरक्षित है उस दुष्ट की नजरों से ।
राजगुरु : मुझे भी यही लगा था पर एक और कन्या है जो इसी नछत्र में जन्म लिया है और वह इस वक्त पृथ्वी पर है और जानती है महारानी वह बालिका कौन है।
महारानी : कौन है गुरदेव वह बालिका
राजगुरु : वह बालिका कोई और नही बल्कि उसी अनुराधा की बेटी है जो कि इस वक्त अंधेरे की प्रमुख नायिका बनी है और आज वह अपनी पुत्री को अपने पास लेकर आ गयी है और एक बात यह भी है कि उसे केवल दो लोग खोल सकते है और वह भी स्त्री सकती के मदद से ओर बन्द भी कर सकते है । उन दोनों कन्याओ का जन्म भी हो चुका है जो कि उस समय भी थी जब उसे बंद किया गया था । एक तो हमारी राजकुमारी सुवर्चा है और दूसरी कन्या मानसी है जो कि वही है जो कि उस वक्त दरवाजा बंद करने में सबसे बड़ी बाधा बन कर खड़ी थी।
रानी परी : तो अब हम क्या कर सकते है गुरदेव आप तो जानते है कि हम चाह कर भी उनका कुछ नही बिगाड़ सकते है क्यूंकि उनके ताकत के आगे हम कमजोर है।
राजगुरु : अभी हम कुछ नही कर सकते है ।अब जो भी करना है वह आर्या और सुवर्चा ही कर सकते है ।
रानीपरी : लेकिन गुरदेव उसमे तो अभी काफी समय है। आर्या तो अभी छोटा है ।

राजगुरु : अब हम लोगो के पास इन्तजार करने के अलावा और कोई चारा नही है क्यूंकि हम इतने समर्थ नही है कि सुनैना के जाल से उस बच्ची को बचा सके हम तो केवल प्राथना ही कर सकते है और कुछ नही।
इधर अगली सुबह जब चाँदनी सो कर उठती है तो वह अपनी माँ के पास जाकर उससे कल बिना बताए चले जाने पर शिकायत करती है तो इस बात पर कोमल बोलती है
कोमल : बेबी मैं तुम्हारे लिए एक गुड्डा लेने के लिए गयी हुई थी इसलिए मैंने तुम्हें नही बताया।
गुड्डा का नाम सुनते ही चाँदनी के चहरे पर चमक आ जाती है और बोलती है
चाँदनी : कंहा है माँ मेरा गुड्डा आप लेकर भी आ गयी और मुझे बताया तक नही जाइये मैं आपसे बात नही करूँगी।
उसकी बात सुनकर कोमल बोलती है
कोमल : ठीक है जब तुम्हे बात ही नही करनी है तो वह गुड्डा मैं वापस कर देती हूं।
इतना बोल कर कोमल अपने काम मे लग जाती है लेकिन चाँदनी को जब बर्दाश्त नही होता है तो वह रोने लगती है इस पर उसकी दादी मीना बोलती है
मीना : क्यों परेशान कर रही है मेरी बेटी को चल बेटी मैं तुझे तेरा गुड्डा देती हूं।
इतना बोलकर उसे लेकर वह आर्या जंहा पर सोया हुआ था वंहा लेकर चली गयी और आर्या को दिखाती हुई बोली
मीना : यह है तुम्हारा गुड्डा पर ध्यान से खेलना कही चोट ना लग जाए ।बहुत नाजुक है यह।
इतना बोल कर चाँदनी की तरफ देखती है लेकिन वह वंहा पर होती ही नही है क्यूंकि उसे देख कर चाँदनी तुरन्त ही आर्या के पास पहुच जाती है और उसे अपने गोद मे उठाने की कोशिश करती है तो इस पर मीना बोलती है
मीना : ध्यान से बेटी अगर गुड्डा गिर गया तो चोट लग जायेगी ।
चाँदनी : दादी आप चिंता मत करो मैं इसे अपनी जान से भी ज्यादा संभाल कर रखूंगी।

इसके बाद वह फिर उससे खेलने में मग्न हो जाती है ।ऐसे ही दिन महीने और साल बीतने लगे । सब कुछ धीरे धीरे बदल रहा था। वंहा सुनैना और मारिया मानसी को धीरे धीरे अंधेरे की सक्तिया प्रदान करने लगी और उसके गुलाम दिन प्रति दिन संसार मे बुराई का साम्राज्य फैलाना प्रारंभ कर दिया था ।पूरे संसार मे लोभ वासना आदि बुराई चरम पर पहुच चुकी थी । वही दूसरी तरफ़ राजकुमारी सुवर्चा नागराज के साथ परीलोक आती है संसार मे फैल रही बुराई की वजह से उन्होंने वंहा जन्म लेने का फैशला त्यागना पड़ा क्यूंकि इससे अंधेरे को उनके बारे में पता चल जाता तो वह अपनी उसी रूप में इंसानी दुनिया मे आकर रहने का फैशला किया। इधर चाँदनी का मोह आर्या के प्रति दिन प्रति दिन बढ़ता ही चला जा रहा था ।वह तो उसके लिए बिना सोचे समझे किसी के लिए भी लड़ जाती थी ।इस समय सब कुछ सामान्य चल रहा था सिवाय 2 चीजो के पहली आर्या की शारीरिक विकास जो कि आम लड़को के अपेछा बहुत आगे थी ।उसकी मानशिक सक्तिया भी बहुत तेज थी किसी भी चीज को दुबारा पढ़ने की जरूरत नही पढ़ती थी। इधर मधु का दिमाग भी राजगुरु के द्वारा किये गए विकास की वजह से आम लोगो से 10 गुना तेज था जिसकी वजह से संजय के कहने पर वह उसके बिजनेस को जॉइन कर लिया और संजय ने उसे कम्पनी का MD बना दिया और खुद दुसरो बिजनेस पर ध्यान देना सुरु कर दिया पर वह बिना मधु के सलाह के कुछ भी नही करता था । ऐसे ही दिन बीतने लगे और देखते ही देखते आज आर्या को कोमल के घर आये हुए 15 साल बीत गए थे । आज जंहा आर्या इण्टर पास करके कॉलेज में पहले दिन जाने वाला था जिसे लेकर वह बहुत खुश था क्यूंकि आज वह अपनी चाँदनी दीदी के साथ कॉलेज जाने वाला है उसे लेकर वह खुश था वही उसी बात को लेकर चाँदनी काफी दुखी थी । उसको चिंता में उसकी सहेली मंजू बोलती है
मंजू : आज तू इतना उदास क्यों लग रही है क्या बात है चांद ।
चाँदनी : यार मैं आर्या को लेकर काफी परेशान हु आज से वह कालेज जाना वाला है हमारे साथ ।
मंजू : यह तो खुशी की बात है ना कि वह आज से कालेज जाना वाला है क्यों तू खुश नही है।
चाँदनी : सच कहूं तो आज मैं अपने उसके लिए बहुत खुश हूं पर उसके साथ ही साथ दुखी क्यूंकि तू जानती है कि मैं उससे कितना प्यार करती हूं और उसके बिना जीने की तो कल्पना भी नही कर सकती हूं।।
मंजू : तू सच मे उसके प्यार में पागल हो गयी है ।अरे वह तुझसे दूर नही बल्कि तेरे पास आ रहा है अब तू हर वक्त उसके साथ रह सकती है ।
चाँदनी : सच मे तुझे ऐसा लगता है पर जाने क्यों मुझे आज बहुत घबराहट हो रही है ऐसा लग रहा है कि अगर आर्या वंहा पर गया तो मेरे से दूर हो जाएगा।
मंजू : यह सब तेरा भरम है और कुछ नही तू चिंता मत कर ऐसा कुछ नही होगा जितना प्यार तू उसे करती है उतना ही वह तुझसे भी करता है
Nice update bhai
 

Ajay

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चाँदनी का डर जायज भी था क्यूंकि जंहा आज तक आर्या पर सिर्फ और सिर्फ उसकी मनमानी चलती थी और उसके कहे गए बातो को आर्या भी नही टालता था ।अब वह समय आने वाला था जब राजकुमारी सुवर्चा अपने इंसानी रूप में आर्या से मिलने वाली थी वह उसी कालेज में स्टूडेंट के रूप में एड्मिशन ले चुकी थी इधर आर्या अपने रूम में सोया हुआ था और मधु उसके बगल में बैठी उसके सर को सहलाते कुछ सोच रही थी ।वह आर्या को देखने के लिए आई हुई थी और वह अपने आंखों में आँशु लिए आर्या को देखे जा रही थी और ना जाने कब तक देखती रहती लेकिन कोमल जो नीचे मधु और आर्या का इन्तजार कर रही थी जब इतना लेट होने के बाद भी वह दोनो नही आये तो कोमल उन दोनों को बुलाने के लिए आर्या के कमरे में गयी तो देखा की मधु आराम से बैठी आर्या को देख रही है तो वह बोली
कोमल : मुझे मालूम था कि ऐसा ही कुछ होगा अगर तुम इसे जगाने आयी तो लेकिन तुझे मेरी बात समझ मे आती नही है ।आ गयी अपने लाडले को उठाने के लिए और उठाने की जगह उसे खुद निहार रही है । खुद तो ऑफिस के लेट हो ही रही है और साथ मे मेरे बच्चे को आज कालेज के पहले ही दिन लेट कर रही है।
(मधु नीचे यही बोलकर आर्या को देखने के लिए आई हुई थी क्यूंकि इन बीते सालों में बहुत कुछ बदल चुका था और उसमें भी सबसे बड़ी बदलाव यह था कि पिछले दो तीन सालों में मधु बिजनेस पर कुछ ज्यादा ध्यान देने लगी जिसकी वजह से वह आर्या को समय नही दे पाई जिसकी वजह से आर्या मधु से दूर होता गया । अब तो आर्या केवल ऊपरी मन से ही मधु से बात करता है।)
मधु कोमल की बात सुनकर सामने देखती है और बोलती है
मधु : नही दीदी ऐसी कोई बात नही है ।बस आज ना जाने कितने दिनों बाद इसे इस तरह आराम से सोता हुआ देख कर मन को कितनी शांति मिल रही है मैं आपको बता नही सकती हूं।
कोमल : इसे देख रही हो या आज तुम्हे समय मिला है देखने के लिए वरना तू तो बिजनेस में ऐसी उलझ गयी है कि तू इसे समय ही नही दे पा रही है ।
मधु : सच कह रही हो दीदी इस काम के चलते मैं अपने ही बेटे से कितना दूर हो गयी हु इसका पता नही चला । मुझे ऐसा लगता है जैसे कल का ही दिन हो सारी रात मेरी छाती से लग कर सोया करता था और अगर किसी कारण से मैं इसके पास नही होती तो यह पूरा घर सर पर उठा लेता और आज देखो दीदी मैं कितना अकेली हो गयी हु। जिसके सहारे मैंने जीने की कल्पना की जो एकमात्र जीने का सहारा है आज वही मुझसे दूर भागता है ।इसे अब भी यही लगता है कि मैं इसके मन की भावो को समझ नही पाती हूँ पर यह पागल यह नही जानता कि इसके अंदर जो दिल धड़कता है वह मैं ही हु और मेरे तो हर सास में यही बसता है ।आज इतना सब कुछ सह कर भी आज मैं जिंदा हु तो वह बस इसकी वजह से ही नही तो मेरे पास जीने के लिए कोई वजह शेष ही नही है।
इतना बोलकर मधु के आंखों में आँशु आ गए जिसे कोमल साफ करती हुई बोली
कोमल : मधु मेरी बहन इस तरह अपना दिल छोटा मत कर एक दिन वह जरूर आएगा जब वह पहले की तरह तुझसे प्यार और सम्मान करेगा देख लेना मेरी बहन ।
मधु : भगवान करे कि ऐसा ही हो और वैसे भी दीदी आपने ही अपनी कसम दे कर मेरे हाथों को बांध रखा है वरना मैं इस मनहूस जिंदगी से कब का छुटकारा पा ली होती । एक फर्ज था मेरे उपर उस मासूम बच्चे को बचाने का जो मैंने पूरा कर दिया है और जिसकी बजह से हमारे खानदान का आखिरी चिराग अब सही सलामत है और अब एक फर्ज और है कि जिसने मेरे पति सास ससुर और आर्या के मा बाप का खून किया है उसे अपने हाथों से सजा दु ।मैंने किसी को वचन दिया है कि जब तक आर्या 18 साल का नही हो जाता तब तक मैं उसकी देखभाल करूँगी और उसके बाद आज तक जो कुछ भी मैंने बनाया है वह सब तो इसके ही नाम पर है मैं जानती हूं अगर मैंने कुछ भी दिया तो यह मेरे से तो लेगा नही और आपकी कोई भी बात कभी टालता नही है इसलिए वह सब मैं आपको सौप दूंगी और सही समय आने पर आप इसे दे दिजियेगा।
कोमल उसकी दिल मे हो रहे दर्द को भली भांति जानती है यह तो मधु है जो कि इतना सब झेलने के बाद जिसके लिए उसने नरक समान जिन्दगी जी और जब सब कुछ ठीक होने लगा तो आर्या जिससे वह इतना प्यार करती है वही इससे दूर जाने लगा। इधर मधु भी आर्या के कमरे से बाहर जा चुकी थी तो कोमल आर्या को उठाते हुए बोली
कोमल : बेटा उठ जा कितना सोएगा आज कालेज का पहला ही दिन है और तू लेट हो जाएगा।

आर्या अपनी बुआ की बात सुनकर उठ जाता है और बोलता है
आर्या : नही बुआ ऐसी कोई बात नही है मैं तो कब का उठ चुका था ।बस आंटी के जाने का इंतजार कर रहा था कि कब वह यंहा से जाए और मैं उठ सकू।
कोमल : यह तू क्या बोल रहा है अगर तू उठा हुआ तो उससे बात क्यों नही किया वह कबसे तेरे पास बैठी हुई थी।
आर्या : मैंने तो बुलाया नही और अगर पास आ कर बैठी थी तो हो सकता है आज कुछ काम कम हो जिसकी वजह है वह मेरे पास आ गयी वरना उनके पास समय ही कंहा है मेरे लिए।
कोमल (मन में) पता नही तेरे मन में उसके प्रति इतना गुस्सा क्यों है ।अरे आज वह जो कुछ भी कर रही है वह सब तेरे भविष्य बनाने के लिये ही तो कर रही है पर तुझे पता नही क्यों समझ मे नही आता।।
फिर कोमल बोलती है
कोमल : अच्छा यह सब छोड़ तू उठ कर जल्दी से निचे आ जा तेरे लिए नाश्ता रेडी कर रही हु।
(यंहा से कहानी आर्या की जुबानी चलेगी ।)
मैं उनकी बात सुनकर पर बोला कि
मैं : अच्छा बुआ आप चलों में 10 मिनट में रेडी होकर के नीचे आता हूं ।
इसके बाद बुआ नीचे चली गयी और मैं रेडी होने के लिए चला गया। वंहा नीचे सभी लोग नाश्ता करने के लिये बैठ चूके थे ।मुझे वंहा पर ना पाकर फूफा बोले
फूफा : क्या बात है कोमल आर्या अभी तक नही उठा है क्या ।जाकर उसे उठा दो आज उसे कालेज भी जाना है लेट हो जाएगा
उनकी बात सुनकर बुआ बोली
बुआ : आप बिलकुल चिंता ना करे वह उठ भी चुका है और बहुत जल्द ही आ रहा है नाश्ता करने के लिए।

फूफा : अच्छा उसका तो समझ में आ गया लेकिन यह चांदनी बिटिया कहां है वह अभी तक नाश्ता करने के लिए क्यों नहीं आई।
उनकी बात सुनकर कोमल और मधु दोनों हंसने लगती हैं फिर बुआ
बोलती है कि
बुआ : आपको तो जैसे पता ही नहीं है कि आप की लाडली बिटिया को जब तक आर्य उसे उसके नीचे बुलाकर नहीं लाएगा तब तक वो नहीं आने वाली है।
संजय : हे भगवान पता नहीं इन दोनों का क्या होगा आज तो ठीक है लेकिन कल को चांदनी बिटिया की शादी हो जाएगी तो इसके बाद यह दोनों कैसे रहेंगे।
उनकी बात सुनकर दादी (मीना) बोलती है कि
दादी : मैं तो यही कहूंगी कि इन दोनों का ही शादी करा दो फिर एक दूसरे की चिंता करने की जरूरत ही नहीं रहेगी किसी को।
अपनी मां की बात सुनकर फूफा जी हंसते हैं और बोलते हैं कि
फूफा : मां आप भी कैसी बातें करती हो उन दोनों के उम्र में कितना फर्क है और वैसे भी वह दोनों भाई बहन है तो उन दोनों की शादी कैसे हो सकती है।
मीना (मन मे) जिस बात को तो मजाक में टाल रहा है ना बेटा मुझे डर है कि कहीं वह बात सच ना हो जाए क्योंकि चादनी का पागलपन और प्रेम आर्या के लिए दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है मुझे उसकी आंखों में आ गया के लिए प्रेम भावना साफ साफ दिखाई देती है पता नहीं तुम लोगों को यह कैसे दिखाई नहीं देता है
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prkin

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I wish you all a very healthy, wealthy and great year of 2021.

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