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Nice update broचाँदनी का डर जायज भी था क्यूंकि जंहा आज तक आर्या पर सिर्फ और सिर्फ उसकी मनमानी चलती थी और उसके कहे गए बातो को आर्या भी नही टालता था ।अब वह समय आने वाला था जब राजकुमारी सुवर्चा अपने इंसानी रूप में आर्या से मिलने वाली थी वह उसी कालेज में स्टूडेंट के रूप में एड्मिशन ले चुकी थी इधर आर्या अपने रूम में सोया हुआ था और मधु उसके बगल में बैठी उसके सर को सहलाते कुछ सोच रही थी ।वह आर्या को देखने के लिए आई हुई थी और वह अपने आंखों में आँशु लिए आर्या को देखे जा रही थी और ना जाने कब तक देखती रहती लेकिन कोमल जो नीचे मधु और आर्या का इन्तजार कर रही थी जब इतना लेट होने के बाद भी वह दोनो नही आये तो कोमल उन दोनों को बुलाने के लिए आर्या के कमरे में गयी तो देखा की मधु आराम से बैठी आर्या को देख रही है तो वह बोली
कोमल : मुझे मालूम था कि ऐसा ही कुछ होगा अगर तुम इसे जगाने आयी तो लेकिन तुझे मेरी बात समझ मे आती नही है ।आ गयी अपने लाडले को उठाने के लिए और उठाने की जगह उसे खुद निहार रही है । खुद तो ऑफिस के लेट हो ही रही है और साथ मे मेरे बच्चे को आज कालेज के पहले ही दिन लेट कर रही है।
(मधु नीचे यही बोलकर आर्या को देखने के लिए आई हुई थी क्यूंकि इन बीते सालों में बहुत कुछ बदल चुका था और उसमें भी सबसे बड़ी बदलाव यह था कि पिछले दो तीन सालों में मधु बिजनेस पर कुछ ज्यादा ध्यान देने लगी जिसकी वजह से वह आर्या को समय नही दे पाई जिसकी वजह से आर्या मधु से दूर होता गया । अब तो आर्या केवल ऊपरी मन से ही मधु से बात करता है।)
मधु कोमल की बात सुनकर सामने देखती है और बोलती है
मधु : नही दीदी ऐसी कोई बात नही है ।बस आज ना जाने कितने दिनों बाद इसे इस तरह आराम से सोता हुआ देख कर मन को कितनी शांति मिल रही है मैं आपको बता नही सकती हूं।
कोमल : इसे देख रही हो या आज तुम्हे समय मिला है देखने के लिए वरना तू तो बिजनेस में ऐसी उलझ गयी है कि तू इसे समय ही नही दे पा रही है ।
मधु : सच कह रही हो दीदी इस काम के चलते मैं अपने ही बेटे से कितना दूर हो गयी हु इसका पता नही चला । मुझे ऐसा लगता है जैसे कल का ही दिन हो सारी रात मेरी छाती से लग कर सोया करता था और अगर किसी कारण से मैं इसके पास नही होती तो यह पूरा घर सर पर उठा लेता और आज देखो दीदी मैं कितना अकेली हो गयी हु। जिसके सहारे मैंने जीने की कल्पना की जो एकमात्र जीने का सहारा है आज वही मुझसे दूर भागता है ।इसे अब भी यही लगता है कि मैं इसके मन की भावो को समझ नही पाती हूँ पर यह पागल यह नही जानता कि इसके अंदर जो दिल धड़कता है वह मैं ही हु और मेरे तो हर सास में यही बसता है ।आज इतना सब कुछ सह कर भी आज मैं जिंदा हु तो वह बस इसकी वजह से ही नही तो मेरे पास जीने के लिए कोई वजह शेष ही नही है।
इतना बोलकर मधु के आंखों में आँशु आ गए जिसे कोमल साफ करती हुई बोली
कोमल : मधु मेरी बहन इस तरह अपना दिल छोटा मत कर एक दिन वह जरूर आएगा जब वह पहले की तरह तुझसे प्यार और सम्मान करेगा देख लेना मेरी बहन ।
मधु : भगवान करे कि ऐसा ही हो और वैसे भी दीदी आपने ही अपनी कसम दे कर मेरे हाथों को बांध रखा है वरना मैं इस मनहूस जिंदगी से कब का छुटकारा पा ली होती । एक फर्ज था मेरे उपर उस मासूम बच्चे को बचाने का जो मैंने पूरा कर दिया है और जिसकी बजह से हमारे खानदान का आखिरी चिराग अब सही सलामत है और अब एक फर्ज और है कि जिसने मेरे पति सास ससुर और आर्या के मा बाप का खून किया है उसे अपने हाथों से सजा दु ।मैंने किसी को वचन दिया है कि जब तक आर्या 18 साल का नही हो जाता तब तक मैं उसकी देखभाल करूँगी और उसके बाद आज तक जो कुछ भी मैंने बनाया है वह सब तो इसके ही नाम पर है मैं जानती हूं अगर मैंने कुछ भी दिया तो यह मेरे से तो लेगा नही और आपकी कोई भी बात कभी टालता नही है इसलिए वह सब मैं आपको सौप दूंगी और सही समय आने पर आप इसे दे दिजियेगा।
कोमल उसकी दिल मे हो रहे दर्द को भली भांति जानती है यह तो मधु है जो कि इतना सब झेलने के बाद जिसके लिए उसने नरक समान जिन्दगी जी और जब सब कुछ ठीक होने लगा तो आर्या जिससे वह इतना प्यार करती है वही इससे दूर जाने लगा। इधर मधु भी आर्या के कमरे से बाहर जा चुकी थी तो कोमल आर्या को उठाते हुए बोली
कोमल : बेटा उठ जा कितना सोएगा आज कालेज का पहला ही दिन है और तू लेट हो जाएगा।
आर्या अपनी बुआ की बात सुनकर उठ जाता है और बोलता है
आर्या : नही बुआ ऐसी कोई बात नही है मैं तो कब का उठ चुका था ।बस आंटी के जाने का इंतजार कर रहा था कि कब वह यंहा से जाए और मैं उठ सकू।
कोमल : यह तू क्या बोल रहा है अगर तू उठा हुआ तो उससे बात क्यों नही किया वह कबसे तेरे पास बैठी हुई थी।
आर्या : मैंने तो बुलाया नही और अगर पास आ कर बैठी थी तो हो सकता है आज कुछ काम कम हो जिसकी वजह है वह मेरे पास आ गयी वरना उनके पास समय ही कंहा है मेरे लिए।
कोमल (मन में) पता नही तेरे मन में उसके प्रति इतना गुस्सा क्यों है ।अरे आज वह जो कुछ भी कर रही है वह सब तेरे भविष्य बनाने के लिये ही तो कर रही है पर तुझे पता नही क्यों समझ मे नही आता।।
फिर कोमल बोलती है
कोमल : अच्छा यह सब छोड़ तू उठ कर जल्दी से निचे आ जा तेरे लिए नाश्ता रेडी कर रही हु।
(यंहा से कहानी आर्या की जुबानी चलेगी ।)
मैं उनकी बात सुनकर पर बोला कि
मैं : अच्छा बुआ आप चलों में 10 मिनट में रेडी होकर के नीचे आता हूं ।
इसके बाद बुआ नीचे चली गयी और मैं रेडी होने के लिए चला गया। वंहा नीचे सभी लोग नाश्ता करने के लिये बैठ चूके थे ।मुझे वंहा पर ना पाकर फूफा बोले
फूफा : क्या बात है कोमल आर्या अभी तक नही उठा है क्या ।जाकर उसे उठा दो आज उसे कालेज भी जाना है लेट हो जाएगा
उनकी बात सुनकर बुआ बोली
बुआ : आप बिलकुल चिंता ना करे वह उठ भी चुका है और बहुत जल्द ही आ रहा है नाश्ता करने के लिए।
फूफा : अच्छा उसका तो समझ में आ गया लेकिन यह चांदनी बिटिया कहां है वह अभी तक नाश्ता करने के लिए क्यों नहीं आई।
उनकी बात सुनकर कोमल और मधु दोनों हंसने लगती हैं फिर बुआ बोलती है कि
बुआ : आपको तो जैसे पता ही नहीं है कि आप की लाडली बिटिया को जब तक आर्य उसे उसके नीचे बुलाकर नहीं लाएगा तब तक वो नहीं आने वाली है।
संजय : हे भगवान पता नहीं इन दोनों का क्या होगा आज तो ठीक है लेकिन कल को चांदनी बिटिया की शादी हो जाएगी तो इसके बाद यह दोनों कैसे रहेंगे।
उनकी बात सुनकर दादी (मीना) बोलती है कि
दादी : मैं तो यही कहूंगी कि इन दोनों का ही शादी करा दो फिर एक दूसरे की चिंता करने की जरूरत ही नहीं रहेगी किसी को।
अपनी मां की बात सुनकर फूफा जी हंसते हैं और बोलते हैं कि
फूफा : मां आप भी कैसी बातें करती हो उन दोनों के उम्र में कितना फर्क है और वैसे भी वह दोनों भाई बहन है तो उन दोनों की शादी कैसे हो सकती है।
मीना (मन मे) जिस बात को तो मजाक में टाल रहा है ना बेटा मुझे डर है कि कहीं वह बात सच ना हो जाए क्योंकि चादनी का पागलपन और प्रेम आर्या के लिए दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है मुझे उसकी आंखों में आ गया के लिए प्रेम भावना साफ साफ दिखाई देती है पता नहीं तुम लोगों को यह कैसे दिखाई नहीं देता है
वाह बन्धु वाह , बेहद ही शानदार और जबरदस्त अपडेट ।पुजारी जी की बात को सुनकर मधु कुछ नही बोली लेकिन उसके मन मे चल रहे सवालो को पुजारी जी समझ गए और बोले
पुजारी जी : पुत्री हम जानते है कि तुम्हारे मन मे बहुत से सवाल उमड़ रहे है लेकिन उन सबका उत्तर तुम्हे सही वक्त आने पर खुद ही पता चल जाएगा ।इसलिए तुम बिना किसी संकोच के यंहा आराम से रहो।
मधु: पर पुजारी जी मेरा तो ठीक है लेकिन आप यह बताये की इस जंगल मे मेरे बेटे आर्या का क्या भविष्य होगा।
पुजारी : पुत्री अपनी सारी चिंता महाकाल के ऊपर छोड़ दो ।वह है ना हम सबकी चिंता करने के लिय हम परेशान हो कर क्या पा लेंगे ।वैसे इस बालक की चिंता बिल्कुल भी मत करो इसका भविष्य तो बहुत ही उज्जवल है। अब तुम विश्राम करो मैं जा रहा हु अपनी पूजा करने ।अगर किसी भी प्रकार की जरूरत हो तो बिना किसी संकोच के मांग लेना।
इसके बाद पुजारी वंहा से चला गया ।वही मधु पूरी कुटिया की निरीक्षण करने लगी ।जब वह रसोई में गयी तो देखा कि वंहा पर दूध भी था जिसे देख कर उसे बच्चे का ख्याल आया कि वह तो कबसे भूखा होगा।तो वह बच्चे को दूध पिलाने लगी।
वही वो दोनों साया जब ठाकुर राजवीर और अनुराधा के सरीर में प्रवेश किया तो वह दोनों कुछ देर के लिये बेहोश हो गए और वह वही उसी जगह गिर गए लेकिन कुछ देर बाद जब उनको होश आया तो वह खुद को एक घर में पाए ।जब वह बिस्तर से उठ कर सामने देखा तो उनके सामने दो लड़कियां उनके सामने खड़ी थी
तब राजवीर ठाकुर बोला
राजवीर : कौन हो तुम लोग और हम इस वक्त कंहा पर है।
तब उनमे से एक बोली
लड़की 1 : मालिक हम आपके गुलाम है और हमने आपको इस वक्त आपके शहर वाले बंगले पर ले कर आये है ।मेरा नाम मारिया है और यह है जेनी हम आपकी हेड सर्वेंट है ।
राजवीर : वह सब तो ठीक है पर तुम हमारी गुलाम कैसे हो गयी ।
मारिया :मालिक आप याद करे आपके बेहोश होने से पहले क्या हुआ था आपके साथ ।अब आप एक मामूली इन्शान नही बल्कि इस दुनिया के सबसे ताकतवर आदमी बन चुके है । अब आप जो चाहे कर सकते है ।
राजवीर : वह सब ठीक है अगर ऐसी बात है तो मुझे अपने अंदर वह ताकत महसूस क्यों नही हो रही है।
जेनी : वह इसलिए मालिक क्योंकि अभी आपको एक क्रिया करनी बाकी है ।अगर आपको अपनी ताकत जागृत करनी है तो आपको दो इंसानी लड़कियों की बलि देनी होगी और उसके रक्त का पान करना होगा।
मारिया : जिसकी वजह से आप इन्शान से शैतान बन जाएंगे और आप दोनों को आपकी सक्तिया मिल जाएगी।
अनुराधा : तो इसमें इतना सोचना किस लिये तुम दोनों जाओ और बलि की तैयारी करो।
इतना सुनकर वह दोनों वंहा से चली गयी और इसके बाद राजवीर बोला
राजवीर : एक बार और सोच लो अनुराधा क्या यह जो हम करने जा रहे है वह ठीक होगा ।
अनुराधा : इसमे इतना सोचना किस लिए मुझे ताकत चाहिए और इसके लिए मुझे कुछ भी करना पड़े मैं वह सब करूँगी।अगर आपको नही करना है तो आप पीछे हट सकते है लेकिन मैं नही।
राजवीर के दिमाग पर शैतान इसलिए हावी नही हो पा रहा था क्यूंकि उसके हाथो में हनुमान जी का चित्र अंकित था जिसकी वजह शैतान चाह कर भी कुछ नही कर पा रहा था ।वही दूसरी तरफ मारिया और जेनी ने गर्ल स्कूल से दो लड़कियों को उठा लिया और किसी को कोई खबर नही हुई।मारिया उन दोनों लड़कियों को सम्मोहित करके मूर्ति के पास बिठा दिया और इसके बाद मारिया ने अनुराधा और राजवीर दोनो को बुलाया जिसके बाद वह दोनों बंगले के अंदर तहखाने में बने गुप्त मंदिर में पहुच गए (यह तहखाना पहले नही था मारिया ने इन दोनों को लाने के बाद ही बनाया था)। अब राजवीर तो शैतान के कब्जे में था नही तो वह बोला
राजवीर : अनुराधा मैं तुम्हे ऐसा कुछ भी नही करने दूंगा ।मैं तुम्हे इन मासूमो की बलि नही देने दूंगा।
अनुराधा :अब तुम ऐसा कुछ भी नही कर पाओगे क्यूंकि मैं नही रूक सकती अगर तुमने मुझे रोकने की कोशिश की तो मैं तुम्हे भी खत्म कर दूंगी।
इतना सुनते ही राजवीर अनुराधा की तरफ झपटा पर अनुराधा को पहले से इस बात का अंदाजा हो चुका था इसलिये उसने पहले ही मारिया को सजग कर दिया था तो मारिया ने उसे जादुई फन्दे में बांध दिया ।इसके बाद मारिया आगे बढ़ी और मूर्ति के नीचे पढ़ी तलवार से उन दोनों लड़कियों की गर्दन उड़ा दिया इसके बाद दोनों के रक्त को एक कटोरे में भरा और मूर्ति के चरणों मे कुछ बूंदे अर्पित करने के बाद वह रक्त से भरी कटोरी पूरा पी लिया ।इसके बाद कुछ ही समय बिता की वह मूर्ति जीवित हो उठी और अट्हास करती हुई बोली
मूर्ति : हम तेरी बलि से बहुत खुश है और तुझे पृथ्वी पर मौजूद सारी काली सक्तियो की मालकिन बनाता हूँ।
इतना बोल कर उस मूर्ति से एक काली रोशनी निकली और राजवीर के सरीर पर टकराई जिसकी वजह से उसके अंदर स्थित वह साया बाहर आ गया और तुरन्त जमीन पर बैठ गया और बोला
साया : महामहिम मुझे माफ़ कर दे ।मैं अपना कार्य नही कर सका।
मूर्ति : यह तू कैसे भूल गया कि अंधेरे के कानून में माफी नही होती इसके बाद भी मैंने तुझे एक बार तेरी गलतियों को माफ करके तुझे मौका दिया था लेकिन उसका नतीजा क्या हुआ तूने फिर से अंधेरे को निराश किया इसलिए अब तुझे माफी नही मिल सकती।
इसके बाद वह मूर्ति अनुराधा से बोली
मूर्ति : अब इन दोनों का क्या करना है यह तू देख ले लेकिन एक बात का हमेशा ख्याल रखना कि अगर अंधेरा महेरबान हो कर तुझे सक्तिया दे सकता है तो विफल होने पर तुझे सजा भी दे सकता है ।
अनुराधा : महामहिम मैं आपको निराश नही करूँगी ।
इसके बाद उस मूर्ति के हाथो से एक रोशनी निकली और अनुराधा पर पड़ी और फिर उसके बाद वह काले धुंए से घिर गई और जब वहछटा तो अनुराधा एक नए रूप में थी
इसके बाद वह मूर्ति अपने सामान्य रूप में आ गयी । तब वह साया बोला
साया :मुझे माफ़ कर दो मैं तुमसे माफी मांगता हूं ।
अनुराधा : मैंने तो तुम्हे अपना सब कुछ माना था लेकिन तूने मेरे साथ नाइंसाफी और धोखा देने का सोच रहा था ।तू सक्तिया पाने के बाद मुझे कैद करने वाला था ना ।
साया : नही यह सच नहीं है मैं ऐसा कुछ भी करने का नही सोचा था ।
अनुराधा : शायद तू यह भूल रहा है कि मैं इस वक्त कौन हूं और मुझसे तेरा कोई भी विचार नही छुपा हुआ है ।सक्तियो कि तलाश हम दोनों को थी लेकिन तूने अपनी औकात दिखा दिया तो इसकी सजा तो तुझे मिलेगी ना।
इतना बोल कर अनुराधा ने अपने हाथ आगे किया और उसकी हाथो से एक काली रोशनी निकली और उस साया पर टकराया और वह साया आग में जलने लगा और कुछ ही देर में वह खत्म हो गया तो इस पर मारिया बोली
मारिया : मालकिन अगर गलती की माफी दे तो एक बात पुछु।
अनुराधा : हा मारिया तुम बिना किसी संकोच के पूछो ।
मारिया : मालकिन इसको मारने की जगह अगर आप कैद कर लेती तो यह आगे आपके काम आ सकता था ।
अनुराधा : अपने दुश्मनों को कभी वक्त देना नही चाहिए कि वह कुछ कर सके ।वह महामहिम के डर से मेरा गुलामी तो करता पर वक्त आने पर मुझे धोखा भी दे सकता था ।
मारिया : मालकिन अब इनका क्या करना है ।क्या हम इन्हें छोड़ दे।
अनुराधा राजवीर की तरफ बढ़ी और बोली
अनुराधा : हा अब क्या करे जैसे भी है हमारे पति है तो इन्हें तो माफ् करना ही पड़ेगा।
इस पर राजवीर बोलता है कि
राजवीर : तुझ जैसी औरत जो ताकत के लिए किसी का खून पी सकती है वह मेरी पत्नी नही हो सकती ।मैं तेरी सच्चाई दुनिया को बता दूंगा।
उसकी बात सुनकर अनुराधा हस्ते हुए बोली
अनुराधा : आप मुझे अभी तक समझ नही पाए मेरी जान मैं तो ताकत के लिए जब खून पी सकती हूं तो उसे बचाने के लिए आपको मारना कौन सी बड़ी बात है।।
इस बात पर मारिया बोलती है
मारिया : मालकिन आप क्यों कष्ट करती है यह मैं ही कर देती हूं।
अनुराधा : नही मारिया यह मेरे पति है इनका ख्याल रखना मेरी जिम्मेदारी है और अगर तुमने इन्हें मारा तो इन्हें दर्द होगा जो मैं नही देख सकती। इनको मैं प्यार से मारूंगी
इतना बोल कर अनुराधा आगे बढ़ी और राजवीर के होंठो को अपने कब्जे में लिया और कुछ देर तक उन्हें चूसने के बाद फिर उसके सर पर अपना हाथ रखा और फिर उसके सरीर से प्राण अपने अंदर खिंच लिया और राजवीर की मौत हो गयी।
इसके बाद वह मारिया से बोली
अनुराधा : अब इनके साथ यह सरीर भी छोड़ना ही पड़ेगा नही तो मुसीबत बढ़ सकती है
अनुराधा बन गयी सुनना....मारिया अनुराधा की बात को सुनकर चोंक जाती है बोलती है कि
मारिया : मैं कुछ समझी नही आप क्या बोलना चाहती है ।
अनुराधा : अब इसमे समझने वाली कौन सी बात है ।मेरी शादी हो चुकी है और अब जब मैंने पॉवर के लिए इसे खत्म कर ही दिया है तो मैं सोच रही थी कि अब दुनिया के सामने एक नई पहचान के साथ आउ लेकिन उसके लिए यह जरूरी है कि मैं अपने इस पहचान को खत्म कर दु ।
मारिया : तो मालकिन इसके लिए आपने क्या सोचा है।
अनुराधा : तो इसमें सोचना क्या है ।अब इसको देख कर कोई यह तो नही कहेगा कि इसकी हत्या की गयी है और अब रही बात मेरी तो यंहा पर भी वही होगा। तुम बस एक काम करो इन दोनो लड़कियों के सरीर को एक ऊपर एक रख दो और उन दोनों लड़कियों का सर उनके सरीर से जोड़ दो।
मारिया : इससे क्या होगा मालकिन अगर आप इन दोनों में से किसी एक के सरीर में प्रवेश करना चाहती है तो दोनों की क्या जरूरत है।
अनुराधा : जरूरत है मारिया क्यूंकि यह दोनों ही अपना स्वतंत्रत अस्तित्व रखती है अगर इनमे से किसी एक सरीर में प्रवेश किया तो मुझे उसकी पहचान अपनानी पड़ेगी जबकि मैं ऐसा नही चाहती हु और जब इन दोनों का सरीर एक होगा तो यह दोनों का मिलाजुला रूप होगा जो की एक नई पहचान होगी । आई बात समझ में या नहीं।
मारिया : जी मालकिन मैं समझ गयी ।
इतना बोल कर मारिया ने उन दोनों सरीर को जादू से रखने जा रही थी तो अनुराधा रोकती हुई बोली
अनुराधा : नही मारिया ऐसा नही करना इसको तुम अपने हाथों से रखो और जोड़ो।
मारिया : पर ऐसा क्यों मालकिन आप ऐसा क्यों चाहती है।
अनुराधा : तुम सवाल बहुत पूछती हो मारिया जितना बोलू बस उतना करो ।समय के साथ तुमको जवाब मिल जाएगा।
इसके बाद मारिया ने उन दोनों सरीर को एक साथ रखा और दोनों को कटे हुए सर को उनके धड़ के साथ जोड़ दिया । उसके बाद अनुराधा ने अपना हाथ आगे किया तो काला धुंआ निकला और उन दोनों लड़कियों के सरीर को घेर लिया और वह दोनों दिखाई नही दे रहे थे ।जब कुछ देर बाद वह धुंआ हटा तो वंहा पर दो की जगह एक लड़की की शरीर था और वह दोनों का मिला जुला रूप थी ।अनुराधा उसे पास से जाकर देखी तो बोली
अनुराधा : महामहिम के सहयोग से बहुत ही सुंदर रूप मिल रहा है मुझे और जानती हो मारिया यह शरीर जो कि अंधेरे की शक्तियों से बना है तो यह हमेशा इसी तरह से रहेगा यानि कि मैं हमेशा के लिए जवान ही रहूंगी ।
मारिया कुछ बोलती नही है केवल मुस्कुरा कर रह जाती है ।इसके बाद अनुराधा उस लड़की के शरीर पर अपने अंगूठे को हल्का सा काट कर उसके सर से लेकर पैर तक अपना खून गिराती है और फिर कुछ मन्त्र पढ़ती है इसके बाद अनुराधा का शरीर जमीन पर गिर जाता है और वह मूर्ति के पास उन दो लड़कियों से बनी हुई देह में हलचल होती है और फिर वह उठ कर बैठ जाती है । अनुराधा जब अपना शरीर छोड़ कर उस दूसरी शरीर मे प्रवेश करती है तो अनुराधा की शरीर अपने पहले वाले रूप में आ जाता है।
इसके बाद अनुराधा के कहने पर मारिया उन दोनों के बॉडी को ऊपर बेडरूम में पहुचा देती है ।इसके बाद अनुराधा बोलती है
अनुराधा : मारिया अब मेरी पुरानी पहचान इसके साथ ही खत्म हो जायेगी । अब ऐसा करो कि तुम पोलिस को फोन करके यंहा के बारे में खबर कर दो और वह तहखाना जो तुमने बनाया था उसे भी गायब कर दो ।
मारिया : जी मालकिन जैसा आप कहे ।
अनुराधा : एक बात और मारिया अब हमको दुनिया के सामने जाना ही है तो यह जो तुम मुझे मालकिन बोलती हो इसे बंद कर दो और अब मेरी इस नए रूप के साथ नया पहचान और नया नाम है सुनैना इसलिए आज से तुम दुनिया के सामने मुझे अपनी फ्रेंड बताओगी समझ गयी मेरे बातो को।
अभी मारिया कुछ बोलती इससे पहले ही किसी ने दरवाजे पर दस्तक दी तो मारिया ने जाकर दरवाजा खोला तो अंदर कुछ लोग आए वह लोग कोई और नही बल्कि अंधेरे के गुलाम है जो इंसानी दुनिया मे अपनी एक पहचान बना रखी है ।वह सब आये और(अनुराधा को सुनैना ही लिखूंगा)सुनैना के सामने घुटनो के बल बैठ गए और उनमें से एक बोला
आदमी 1 :अंधेरे के नई रानी को हम गुलामो का नमन । हे रानी हम आपकी सेवा में कुछ तोहफे लाये है ।
अपने लिए रानी शब्द सुनकर सुनैना चकित रह जाती है अभी वह कुछ बोलती इससे पहले ही उसके दिमाग मे अंधेरे के महामहिम की आवाज गूँजती है
महामहिम : इसमे चौकने की कोई जरूरत नही है। यह सब मामूली गुलाम है जिनको सामने हम नही आते है।इस ब्रह्मांड के हर उस ग्रह जिसपर जीवन है उसपर अंधेरे का साम्राज्य है और उन हर ग्रहों का एक एक मालिक है जैसे कि पृथ्वी ग्रह की मालकिन तुम हो इसलिए तेरे सामने यह सब झुकेंगे और तुम मेरे सामने यानी कि यह तेरे गुलाम है और तू मेरी ।
सुनैना : महामहिम एक सवाल है अगर आपकी इज्जाजत हो तो पुछु।
महामहिम : तू यही जानना चाहती है ना कि यह सब तेरे बारे में कैसे जान गए तो सुन इनके अंदर अंधेरे का अंश है जो कि इस वक्त तेरी गुलाम है पृथ्वी पर इसलिए उसी अंश ने उन्हें यंहा आने के लिए प्रेरित किया है और अंधेरे ने तुझे ताकत दी और तूने अपने दिमाग से उसे इस्तमाल करके खुद को और ताकत वर बना ली ।यंहा तक कि तूने जो अपनी नई पहचान बनाई है उसका भी सारा इन्तजाम कर दिया है अंधेरे ने ताकि तुझे कोई दिक्कत ना हो समाज मे । अब तू अपना काम कर यह मारिया तेरे हर काम मे मदद करेगी यह सिर्फ तेरे हुक्म की गुलाम है ।
इसके बाद वह आवाज आनी बन्द हो गयी तो उसमें से एक आदमी आगे बढ़ कर मारिया को कुछ देता है और बोला
आदमी : यह आपकी पहचान है और इसमें प्रोपर्टी के पेपर बिजनेस और आपकी सक्तियो के प्रताप से जो हम सबका है वह आज से आपका है और हम सब सिर्फ आपके गुलाम है ।
सुनैना : ठीक है अभी तुम लोग जाओ और आज तक जो भी करते आये हो उसको करते रहो और आगे से किसी भी प्रकार की दिक्कत हो तो मारिया से बात कर सकते हों ।वह तुम सबकी हर सम्भव मदद करेगी और आज से अपने काम मे तेजी लाओ । अभी तुम लोग जा सकते हो ।
इसके बाद वह सभी लोग चले गए और फिर मारिया ने पुलिस को फोन करके यंहा के बारे में बता दिया और फिर सुनैना मारिया व जेनी के साथ सहर से बाहर एक बंगले में चली गयी जो कि अभी मिली थी ।
उसकी सुंदरता तो देखने लायक थी ।अब वह सब कुछ था उसके पास जिसकी वह कि खवाइश रखती थी ।वही दूसरी तरफ जब पुलिस ने ठाकुर विजय को जब यह खबर मिली कि उसके बड़े बेटे और बहू की लाश मिली है उसके सहर वाले घर मे तो उसके होश ही उड़ गए।
अभी कुछ इण्ट्रो हो जाये सब इण्ट्रो आर्या के जन्म के समय के हिसाब से होगी )
ठाकुर राणा सिंह जी(अब जिंदा नही है ) घर के मुखिया थे ।
ठाकुर बलवंत सिंह (अब जिंदा नही है) आर्या के पिता उम्र 30 साल थी
गीता सिंह (जिंदा नही है ) उम्र 26 साल आर्या की माँ
पंकज ठाकुर (जिंदा नह है) उम्र 23 शाल थी आर्या के चाचा
मधु ठाकुर (आर्या की मुह बोली माँ और चाची) उम्र 19 साल साइज 34 28 36 खूबसूरती ऐसी की जो कोई देखे खो जाए ।कम उम्र में शादी हो गयी और शादी के 2 महीने बाद ही यह घटना हुई जिसमें इनका सब कुछ तबाह हो गया।
कोमल सिंह उम्र 25 आर्या की बुआ और इन्होंने घर वालो के मर्जी के खिलाफ शादी की थी इसलिए राणा जी ने इन्हें घर से निकाल दिया इनके बारे में किसी को कोई खबर नही है
(इनके परिवार का इण्ट्रो समय आने पर दूंगा)
ठाकुर विजय सिंह राणा जी के चचेरे भाई और गांव के मुखिया उम्र 45 साल
राधा देवी ठाकुर की बीवी और ठाकुर की तरह हरामी उम्र 43 साल
मालती ठाकुर की विधवा बहन उम्र 35 साल अपने पति के मरने के बाद उसकी सारी प्रोपर्टी अपने नाम कराकर भाई के घर रहती है
इसके दो बेटियां है अभी दोनो ही छोटी है
रुचि
शालिनी
राजवीर ठाकुर उम्र 24 साल अब यह मरा कैसे यह तो बता दिया हु ।अब इससे ज्यादा रोल नही है।
अनुराधा उर्फ सुनैना अनुराधा की उम्र 22 साल थी जब उसने वह सब किया
इसकी भी एक बेटी है
मानसी सिंह
विनोद सिंह विजय का छोटा बेटा और बहुत बड़ा हरामी अपने बाप से भी बड़ा
ऋतु सिंह विजय की बीवी और उसी की तरह हरामी है और घमंडी बहुत है
अभी जल्द ही शादी हुई है इसलिए बच्चा नही है
यह थी परिवार की इण्ट्रो आगे जब दुसरो लोको की बारी आएगी तब इण्ट्रो दूंगा