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Incest आर्या

Naughtyrishabh

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आज मधु को उस मंदिर में आये हुए पूरे 2 साल बीत चुके थे ।इस बीच ऐसा कुछ भी नही हुआ जो बताया जाए । वह अपनी नॉर्मल जिंदगी जी रही थी ।पुजारी जी के मदद से उसने अपनी गुजर बसर करने के लिए हर जरूरी चीज मिल गयी थी । वह अपना पूरा समय आया को पालने में और इसके अलावा कुछ समय मिलता तो वह मंदिर में पूजा पाठ और साफ सफाई पर ध्यान देती ।हा इस बीच एक चीज हुई जो कि नॉर्मल नही थी और वह थी आर्या की ग्रोथ एक नॉर्मल बच्चे से कई गुना तेज बढ़ रहा था और वही दूसरी तरफ सुनैना ने दुनिया भर में फैले अपने गुलामो की मदद से दुनिया भर में काम वासना लोभ आपराधिक प्रविर्ती जैसे दुर्विचारो को चरम पर पहुचा दिया था ।आज हर इंसान इन विकारो से इतना ग्रस्त हो गया था कि अंधेरे की ताकत कई गुना बढ़ चुकी थी जिससे खुश हो कर अंधेरे के सम्राट महामहिम ने सुनैना को पूरे ब्रह्मांड की एक नायिका के रूप में घोषित कर दिया था ।सुनैना अपने दिमाग के बल पर आज के वक्त में महामहिम के बाद सबसे ताकतवर बन चुकी थी ।वही दूसरी तरफ ठाकुर विजय अपने बड़े बेटे और बहू की लाश देखने के बाद टूट से गये थे ।अब उन्हें ऐसा लग रहा था कि इस सब के कारण वही है ।उधर उनका छोटा बेटा अपने बड़े भाई के मौत के बाद पूरा बिजनेस खुद सम्भाल रहा था । वही ऋतु ने इस बीच एक बच्ची को जन्म दिया । वह मानसी को तो पहले से ही पसन्द नही करती थी और जबसे उसके सास सुसर ने अपने बेटे के मरने के बाद से अपने ही दुखो में खोये हुए थे उन्हें तो और कुछ से मतलब ही नही रह गया था इसका फायदा उठा कर ऋतु मानसी पर बहुत ही जुल्म किया करती थी और सुनैना के फैलाये जा रहे दुर्गुणों के कारण उसकी क्रूरता और भी बढ़ गयी थी ।आज मानसी का जीवन नरक से बदतर हो गई थी ।जिसके बारे में मारिया को पता चल चुका था ।ऐसा नही था कि इस बारे में सुनैना नही जानती थी पर अभी वह इस बात पर ध्यान ना देकर अपनी ताकत बढ़ाने में लगी हुई थी पर जब मारिया से यह बर्दाश्त के बाहर हो गया क्यूंकि इस समय ऋतु ने जुल्म की इंतहा कर दी थी उस लड़की पर उसे कई दिनों से सिर्फ पानी पर रखी हुई थी तो इसी बात को लेकर आज मारिया सुनैना के पास पहुच गई जो कि ध्यान में बैठी हुई थी ।जब सुनैना को आभास हुआ कि कोई है उसके पास तो वह अपने ध्यान से बाहर आई जब उसने मारिया को सामने देखी तो बोली
सुनैना : क्या बात है मारिया तुम कुछ परेशान दिख रही हो कोई बात कहना है तुमको
मारिया उसके सामने घुटनो के बल झुक कर प्रणाम करती है और बोलती है
मारिया : अगर आप हमारी गुस्ताखी को माफ करे तो मैं आपसे कुछ कहने की इज्जाजत चाहूंगी।
सुनैना : मैं तुम्हारे मन मे चल रहे भाव से अनजान नही हु पर तुम जानती हो कि मैं अपने सभी पुराने नातो से मुक्त हो चुकी हूं इसलिए मैं उस बारे में कुछ नही कर सकती ।
अभी इसके आगे वह कुछ और बोलती इससे पहले ही उसके सामने महामहिम खुद प्रकट हो चुके थे और उन्हें देखते है मारिया और सुनैना घुटनो के बल झुक जाती है तब महामहिम बोले
महामहिम : नही सुनैना तुम सभी बन्धनों से मुक्त हो सकती हो पर माँ के बंधन से नही हो सकती हो और दूसरी बात यह है कि उसके अंदर वह क्षमता है जो कि तुम्हारे ताकत को कई गुना बढ़ा सकती हो ।
इतना बोल कर वह गायब हो जाते है । अब यंहा पर ऐसा नही था कि महामहिम को उस लड़की पर दया आ गयी थी क्यूंकि यह भावना तो उसके अंदर है ही नही बल्कि वह उसको इसलिए सुनैना के पास लाने के लिए बोला था क्यूंकि एक मानसी ही है जिसकी मदद से सुनैना अंधेरे की मदद से उसके मकसद को पूरा कर सकती है क्यूंकि मानसी जिस ग्रह नक्षत्र में पैदा हुई थी उस नक्षत्र में जन्मी बालिका ही उस दरवाजे को खोल सकती है जिसकी मदद से वह नरक का दरवाजा खोल सकती है जो कई हजार सालो से उसमे कैद है पर उसके लिए उसका 21 वर्ष की जब होगी तभी कर सकती है ।
इधर मारिया ने महामहिम के जाने के बाद बोलती है
मारिया : अब तो आपको कोई भी आपत्ति नही होनी चाहिए क्यूंकि अब तो महामहिम ने भी बोल दिया है।
सुनैना : तुम्हारी बात तो ठीक है लेकिन मुझे एक बात समझ में नहीं आ रही है क्या अब मैं उसके पास जाऊं भी तो कैसे और उसे अपने पास कैसे रख सकती हूं।
मारिया : यह आप बोल रही हैं मुझे यकीन नहीं हो रहा है क्योंकि ऐसा कोई भी काम नहीं है जो आप नहीं कर सकती हैं फिर यह तो बहुत छोटा सा काम है।
सुनैना : जो तुम्हे छोटा काम दिख रहा है वह काम कितना मुश्किल है यह तुम्हे नही पता ।
मारिया : वही तो मैं भी पूछना चाहती हूं कि ऐसा क्या मुश्किल है जो आपको करना असंभव दिख रहा है अगर आप चाहे तो पल भर में उसे वहां से गायब कर के यहां पर ला सकती हैं फिर ऐसी क्या बात है।

सुनैना : बात यह है कि मैं उसे अपने पास रखूंगी भी तो किस रिश्ते से अब उसमें मैं यह तो बोल नहींं सकती कि वह मेरी बेटी है और दूसरा क्या बोलूं क्योंकि जब वह मेरे पास आएगी आज वह छोटी है तो कोई भी सवाल नही करेगी लेकिन आगे जाकर उसके मन मे भी तो सवाल आ सकते है ना।
मारिया : तो इसमें इतना सोचने की क्या बात है आप खुद की बहन बन जाइए और बोल दीजिए कि मैं तुम्हारी मां की सहेली हूं इसलिए तुम्हारी मौसी हूं अब ऐसा तो है नहीं कि आपके परिवार वाले या आपके ससुराल वाले आपके सभीी दोस्तों को जानते होंगे और अगर कोई जानता भी था तो वह तो अब रहा नही।
सुनैना : यह तो तुमने बिल्कुल ठीक कहा इस बारे में तो मैंने सोचा ही नही ऐसा करने से कोई शक भी नही करेगा और जैसे वंहा के हालात है तो इस बात का किसी को कोई फर्क पड़ने वाला भी नही है।
वही दूसरी तरफ आज आर्या का दूसरा जन्मदिन था तो आज मधु ने पुजारी जी से बोल कर मंदिर में आर्या के लिए पूजा करवा रही थी । पूजा हो जाने के बाद उसकी आँखों से कुछ अंशुओ की बूंदे गिर पड़ी जिसे देख कर पुजारी जी बोले
पुजारी : पुत्री बीती बातो को याद करने से तकलीफ के सिवा और कुछ भी नही मिलने वाला है इसलिए उन दुखद घटनाओ को याद करके कोई फायदा नही है ।
मधु : बाबा मैं खुद के लिए दुखी नहीं हूं बल्कि इसलिए दुखी हु कि जिस आर्या को महलो का सुख मिलना चाहिए वह आज इस तरह जंगलो में पलने के लिए विवश है ।मैं यंहा पर इसका सही ढंग से पोषण भी नही कर पा रही हु ।
पुजारी : पुत्री यह दो साल आर्या के लिए संकट के थे इसलिए ऐसा बिता पर वह समय जल्द ही आने वाला है जब तुम्हे कोई अपना मिलेगा।
मधु : बाबा आप भी जानते है कि उस दुष्ट के आदमी आज भी मुझे और इसे खोज रहे है तो ऐसे में अगर मैं अपने मायके जाउंगी तो संकट उन लोगो पर भी आ सकता है।
वही परीलोक में रानी परी राजगुरु के साथ बैठी हुई बाते कर रही थी
रानी परी : गुरदेव अब वह समय आ गया है जब आर्या और मधु को उस जंगल से बाहर की दुनिया की तरफ लाना होगा क्यूंकि जिस बुराई से उसे लड़ना है उसके बीच मे रह कर पलने से उसके अंदर वह क्षमता पैदा होगी कि वह बुराई से लड़ सके।
राजगुरु : हा रानी साहिबा आप ठीक बोल रही है अगर ऐसा नही हुआ तो वह आगे जाकर कमजोर हो जाएगा फिर आप तो जानती ही है कि क्या हो सकता है।
रानी परी : ठीक है गुरदेव फिर इसके लिए जो भी उचित है वह आप बोले हम जरूर करेंगे।
राजगुरु : अभी हमे कुछ करने की जरूरत नही है। आर्या में सारी शक्तियां पहले से ही जाग्रत अवस्था मे है इसलिए वह सामान्य बालको से भिन्न है पर मैंने महाकाल के आशीर्वाद से उसकी सक्तियो को 18 शाल तक के लिए बांध दिया है जिससे कि उसके जान को खतरा ना हो और मैं खुद पुजारी के रूप में वंहा रह कर के उसकी सुरक्षा और पालन पोषण की सारी व्यवस्था करता ही हु पर अब उसे बाहरी दुनिया मे जाना ही होगा।
रानी परी : गुरदेव बिना शक्तियों के वह शिक्षा कैसे ग्रहण करेगा। जो कि एक आम इंसान के लिए संभव नही है।
राजगुरु : आप भूल रही है रानी की उसकी शक्तियां सिर्फ सुप्त अवस्था मे ना कि उसके पास से गायब है वह उसके अंदर ही है जिसकी वजह से एक आम इंसान तो रहेगा ही नही कभी।
रानी परी : तो उसको कंहा रखने के लिए सोच रहे है ।
राजगुरु : अब उसके परिवार में एक ही ऐसा है जिसके बारे में विजय नही जानता है और उसकी सक्तिया बंधी होने के कारण दुष्ट सक्तियो के लिए तो पहले से सुरक्षित है वह चाह के भी उसको ना तो खोज सकेंगे और ना ही उसका कुछ बिगाड़ सकते है।
बेहद ही शानदार और जबरदस्त अपडेट भाई ।
बहुत खूब superb.

महामहिम ने एक और नया चाल चल दिया। इधर आर्या के लिए परी रानी और गुरुदेव दोनों चिंतित हैं ।
एक बेहतरीन अपडेट.
 

Naughtyrishabh

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रानी परी राजगुरु की बात को सुनकर समझ नही पाई की वह किसकी बात कर रहे है तो वह बोली

रानी परी : गुरदेव आप किसकी बात कर रहे है मैं कुछ समझ नही पाई ।आखिर ऐसा कौन है जिसके पास वह दोनो सुरक्षित रह सकती है।

राजगुरु : आज के समय मे आर्या और मधु के अलावा उसके परिवार की एक मात्र जीवित सदस्य है कोमल जो कि आर्या की बुआ है और एक वही है जंहा पर उसकी उचित तौर पर पालन पोषण हो सकता है किन्तु उसमे भी एक समस्या है ।
रानी परी : कैसी समस्या है गुरदेव ।

राजगुरु : कोमल और मधु दोनो ही एक दूसरे से पूरी तरह से अनजान है ऐसे में उनको मिलाना कठिन हो सकता है ।
रानी परी उनकी बात सुनकर मुस्कुराते हुए कहती है

रानी परी : ऐसा कुछ भी नही होगा आप बिलकुल निश्चिन्त रहे ।मैं खुद उन दोनो की भेंट करवाउंगी ।

राजगुरु : अगर आप ऐसा कर पाती है तो हमारी बहुत बड़ी समस्या हल हो जाएगी ।
रानी परी : तो इसके लिए सबसे पहले आप मुझे मधु से भेंट करवाइये उसके बाद ही मैं कोमल के यंहा पर जाकर उसकी जानकारी उसे दूंगी और यह कोशिश करूँगी की उन दोनों का मिलन जल्द से जल्द हो सके ।

राजगुरु : ठीक है अगर आपकी यही इच्छा है तो ऐसा ही करते है ।मैं आपको उससे भेंट करवा देता हूं।

इधर मधु भी आर्या के साथ उसको नहला कर तैयार करने के बाद भोजन बनाती है खुद के लिए और पुजारी जी के लिए वही बाहर आर्या भी अपने खेल में मग्न था लेकिन जब काफी देर हो जाती है और पुजारी जी अभी तक नही आये तो मधु बाहर मंदिर पर जाकर देखने के लिए कुटिया से बाहर आती है और जैसे ही उसकी नजर आर्या पर पड़ती है उसकी जान निकल जाती है क्यूंकि आर्या एक जहरीले सांप को पकड़ कर खेल रहा था जिसकी वजह से वह सांप गुस्से में फुंकार मार रहा था पर आर्या डरने की जगह और भी हस रहा था तब मधु उसकी तरफ भाग कर जाती है और किसी तरह से उसके हाथों से उस सांप को छुड़ा कर जंगल की तरफ छोड़ देती है और आर्या को गले लगा लेती है और रोने लगती है तभी पुजारी जी वंहा पर आ जाते है और मधु को इस तरह रोते हुए देख कर बोलते है

पुजारी जी : क्या बात है तुम इस तरह क्यों रो रही हो ।

मधु : बाबा आज तो मेरे जीने का एक मात्र सहारा जिसके लिए मैं सारी दुखो को झेल कर भी आज जिंदा हु वह बहुत बड़े खतरे में पड़ गया था ।आर्या ने खेल खेल में जहरीले सांप को पकड़ लिया था वह तो अच्छा हुआ कि उस सांप ने इसे काटा नही वरना अनर्थ हो जाता ।

पुजारी जी : नही पुत्री ऐसा कुछ भी नही होता क्यूंकि मैंने इसे महाकाल कवच से सुरक्षित किया हुआ है जिसकी वजह से इसका कोई कुछ भी नही बिगाड़ सकता है और वैसे भी तुम चिंता मत करो अब ज्यादा दिन तक तुम्हे यंहा पर नही रहना होगा ।मैंने तुम्हें बोला था ना कि जल्द ही तुम्हे कोई अपना मिलेगा जो कि तुम्हे सारे दुखो से मुक्त करेगा इनसे मिलो (रानी परी की तरफ इशारा करते हुए जो कि इस समय एक सामान्य महिला के रूप थी ) यह मेरी बहन है और यह उसी सहर में रहती है जंहा पर तुम्हारे पति की बहन कोमल अपने परिवार के साथ रहती है।

पुजारी जी की बात सुनकर मधु को झटका लगता है क्यूंकि वह इस बात से बिल्कुल भी अनजान थी कि उसके पति का कोई बहन भी है तो वह बोलती है कि

मधु : बाबा आपको कोई भर्म हुआ है जंहा तक मैं जानती हूं मेरी कोई ननद नही है और अगर होती तो मेरी शादी में उससे मुलाकात हुई होती ना।

पुजारी जी : नही पुत्री ऐसा है कि तुम्हे उसके बारे में कोई जानकारी नही है और ना ही उसे है कि तुम लोगो के साथ क्या हुआ है ।पिछले पांच सालों से वह यंहा पर लौट कर कभी आयी ही नही और तुम्हारे ससुर की वजह से तुम्हारे पति भी उनसे चोरी से मिलते थे पर इस डर से की अगर पिता जी को इस बात का पता चल गया तो वह नाराज हो जाएंगे इसलिए उन्होंने इस बारे में तुम्हे कभी नही बताया ।
मधु : तो क्या वह उनको कुछ भी नही पता है कि हमारे साथ क्या हुआ है ।
रानी परी : (साधारण महिला के भेष में) : नही पुत्री वह कुछ भी नही जानती है तुम्हारी सास मेरी ही गांव की है इसलिए हम लोग अक्सर मिला करते थे और वह मुझसे ही अपनी पुत्री कोमल का हाल चाल लिया करती थी किन्तु पिछले दो सालों से मैं बाहर गयी हुई थी तो मुझे कुछ पता नही चला और जब यंहा पर आई तो मुझे उस दुखद घटना के बारे में मालूम चला और फिर जब मैं भैया से मिलने के लिए यंहा पर आई तो तुम्हारे बारे में मुझे मालूम हुआ मुझे तुम्हारे साथ हुई दुर्घटना का बहुत दुख है
मधु : माँ जी अब तो मैं उस दुखद पल को याद भी नही करती हूं ।अगर आर्या की जिम्मेदारी मेरे सर पर नही होती तो अब तक मैंने खुद को खत्म कर लिया होता ।अब अगर ऐसा है तो मैं इसकी जिम्मेदारी उन्हें देकर अपनी इस मनहूस जिंदगी से छुटकारा ले लुंगी।
पुजारी जी : नही पुत्री तुम ऐसा सोचना भी मत भविष्य में तुमको इसका मार्गदर्शन करना होगा और एक माँ की पूरी जिम्मेदारी तुम्हे निभानी होगी ।इन दो सालों में तुम्हे यह तो पता चल ही गया है कि आर्या एक असाधरण लड़का है और आगे इसे ऐसे बहुत से कार्य करने है जिसमे इसकी मदद तुम्हारे सिवा और कोई नही कर सकेगा क्यूंकि यह तुम्हारे सिवा और किसी की बात नही मानेगा ।
रानी परी : अभी तो केवल मैं तुमसे मिलने और बालक को देखने के लिए आई हुई थी और अब मैं चलती हु जल्द ही मैं फिर वापस आउंगी और उस बार मैं अकेले नही बल्कि तुम्हारी ननद कोमल भी मेरे साथ ही होगी।

वही दूसरी तरफ मारिया और सुनैना मानसी को लेने के लिए बाई रोड जा रही थी क्यूंकि वह नही चाहती थी कि कोई उन दोनों के बारे में जाने लेकिन इसका मतलब यह भी नही था कि वह आम लोगो की तरह जा रही थी सुनैना के गाड़ी के आगे पीछे गाड़ियों का रेला सा लगा हुआ था जिसमे एक से बढ़कर एक खतरनाक हथियार से लैस आदमी बैठे हुए थे। वंहा ऋतु आज भी हर रोज की तरह मानसी को बुरा भला बोल रही थी और उस छोटी सी बच्ची मानसी पर जुल्म कर रही थी वही पास के रूम में ठाकुर विजय हर रोज की तरह आज भी अपने बुरे कर्मो को याद करके रो रहे थे और उनकी बीवी उनको शान्त करा रही थी कि अचानक उनके कानों में ऋतु के चिल्लाने की आवाज आती है तो ठाकुर विजय अपनी बीवी से बोलते है
विजय : राधा जा कर देख अब क्या हो गया है क्यों उस बिन मा बाप के बच्ची के ऊपर वह चिल्ला रही है।
राधा अपने पति की बात मानकर जाकर बाहर देखती है तो उसका कलेजा मुह में आ जाता है क्यूंकि ऋतु उसे बुरी तरह से पिट रही थी तो राधा दौड़ कर जा कर मानसी को छुड़वाती है और बोलती है
राधा : बहु तुममे इतना भी रहम नही है क्यों इस बिन मा बाप की बच्ची पर तु इतना जुल्म कर रही है ।तूने तो इसकी पूरी जिंदगी ही नरक बना कर रखी हुई है । हमने पहले ही इतने गुनाह किये हुए है जिसकी सजा हम भुगत रहे है और तू उसके बाद भी इस बेचारी पर जुल्म कर रही है।
ऋतु : मा जी आप तो बीच में ना ही आओ तो अच्छा होगा आज इसकी गलती की सजा इसे देकर ही रहूंगी।
राधा : अब क्या गलती कर दी इस बच्ची ने जो तू इतना जुल्म कर रही है ।
ऋतु : इसने मेरी इतनी महंगी साड़ी जला दी है तो क्या मैं इसकी पूजा करू ।अब इसके मा बाप तो मर गए और इसे छोड़ गए हमारी जिंदगी में नरक घोलने के लिए।

बेहद ही शानदार और जबरदस्त अपडेट भाई ।
सब ने अपनी-अपनी चालें चल दी हैं ।
लाजवाब भाई लाजवाब
 

Rishabhsingh

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इधर मैं अपने कमरे से निकला और हर रोज की तरह चाँदनी के कमरे की तरफ चल दिया । मैं जब उनके रूम में पहुचा तो देखा कि बिस्तर पर बैठि मेरा इंतजार कर रही है तो मैं बोला
मैं: क्या दीदी मैंने आपसे कितनी बार बोला है कि आप मेरे आने का इंतजार नहीं किया करो बल्कि चलकर नाश्ता कर लिया करो लेकिन आपको मेरी बात समझ में नहीं आती है मुझे यह बात समझ में नहीं आती है कि जिस दिन मैं यहां पर नहीं रहूंगा उस दिन आपका क्या होगा।
चाँदनी : आर्या तूअपने दिमाग में तू हमेशा के लिए नोट कर ले पहली बात कि तू मुझे दीदी मत बोला कर और दूसरी बात तू जहां भी जाएगा मैं तेरे साथ रहूंगी तू मुझे अपने आप से अलग नहीं कर सकता है तू ही क्या कोई मुझे तुझसे अलग नहीं कर सकता ।
मैं : अच्छा ठीक है हम इस बारे में बाद में बात करेंगे अभी हम लोगो को नाश्ता करने के लिए चलना चाहिए नही तो आज पहले ही दिन लेट हो जाएंगे।
चाँदनी : बोल तो तू ऐसे रहा है जैसे कि लग रहा है कि मेरी वजह से ही लेट हुआ है तू जानता है ना जब तक तुम नहीं आता है मैं नहीं जाती हूं तो तू आने में लेट क्यों किया।
मैं उनकी बात सुनकर समझ गया कि उनसे बात करके तो जीता नहीं जा सकता इसलिए मैं भी अपनी हार मान लेता हूं नहीं तो यह तब तक बाहर करती रहेंगी जब तक मैं खुद पर इल्जाम नहीं ले लेता हु इसलिए मैं बोला
मैं : अच्छा ठीक है मान लिया कि मेरी गलती है लेकिन कम से कम अब तो चलिए नाश्ता करने के लिए और आज कॉलेज का पहला दिन है तो वहां पर बचाने की जिम्मेदारी आपकी है।
वही दूसरी तरफ सुवर्चा के रानी परी आयी हुई थी और उससे बाते कर रही थी
रानी परी : पुत्री आज तुम पहली बार उससे मिलोगी और अब जल्द ही वह समय निकट आने वाला है जब उसे कई संकटो का सामना करना है और इसके साथ ही उसे उसकी शक्तियों का अनुभूति भी होने वाली है ऐसे समय मे एक तुम ही हो जो उसे संभाल सकती हो।
सुवर्चा : माँ मैं यह बात तो नहीं जानती हूं कि आर्या के साथ क्या होने वाला है लेकिन इतना तो मैं समझ चुकी हूं कि उसके साथ जो कुछ भी होने वाला है वह बहुत ही बुरा है और उस समय उसकी मानसिक स्थिती क्या होगी यह तो मैं नहीं जानती हूं लेकिन मैं अपनी तरफ से पूरी कोशिश करूंगी कि मैं उसे संभाल सकूं।
रानी परी : उत्तरी एक बात का ध्यान हमेशा रखना जब तक जरूरी ना हो अब तक अपनी शक्तियों का प्रयोग बिल्कुल भी मत करना क्योंकि जब भी तुम अपनी शक्तियों का प्रयोग करोगी तो तुम उस पापी के नजर में आ जाओगी जो कि तुम्हारे लिये कही से भी ठीक नही होगा।
सुवर्चा : माँ आप चिंता ना करे मैं ऐसा कुछ भी नही करूँगी जो कि असमान्य हो ।
इधर हम लोग जब नाश्ता करने के लिये आये तो पता चला कि फूफा जी चले गए है उन्हें कुछ जरूरी काम था तो मैं भी शांति से बैठकर नाश्ता करने लगे ।हम सभी लोग बिल्कुल शांत थे कोई भी किसी से बात नही कर रहा था लेकिन इस बीच शांति को भंग करती हुई कोमल बुआ बोली
कोमल बुआ : आर्या आज तुम्हारा पहला दिन है कालेज का तो किसी से कोई लफड़ा मत करना समझे ।
मैं : जी बुआ मैं समझ गया हूं ।
इस सबके बीच मधु चाची कुछ कहना तो चाहती थी लकिन कुछ कहने की हिम्मत नही हो रही थी ।मैं यह बात समझ रहा था लेकिन फिर अनजान बनते हुए नाश्ता किया और चाँदनी के साथ कॉलेज के लिये निकल गया। इधर मेरे जाने के बाद कोमल बुआ और चाची आपस में बाते कर रही थी
कोमल बुआ : देखो मधु मैं कुछ बोलूंगा तो नहीं चाहती हूं लेकिन इतना जरूर कहूंगी कि इतना बड़ा फैसला लेने से पहले तुम्हें एक बार उससे बात तो कर ही नहीं चाहिए।
मधु चाची : दीदी यह बात आप भी जानती हो कि उसकी नजर में मेरी कोई अहमियत नहीं रह गई है जो लड़का बिना मुझसे पूछे कोई काम नहीं करता था आज वाह मुझसे बात करना नहीं चाहता ऐसे में अब मेरा यहां पर रहने का कोई मतलब नहीं है एक फर्ज था जो मैंने पूरा कर दिया एक फर्ज और है जो कि मैं आपको सो चुकी हूं उसके भविष्य के लिए जितना मैं कर सकती थी उतना कर चुकी अब उस कर्ज की बारी है जो कभी अधूरा छूट गया था।
कोमल बुआ : उस कमीने ने अकेले तुम्हारे परिवार को खत्म नही किया ।क्या वह लोग मेरा कुछ भी नही लगते थे फिर तुम ऐसा क्यों कर रही हो ।हम सब मिलकर उसे सजा देंगे।
मधु : नहीं दीदी आपके पीछे परिवार है अगर आपको कुछ हो गया तो बहुतों को दुख और तकलीफ होगी।देखा जाए तो अब मेरा इस दुनिया में ही कौन मैं तो वह मनहूस हु जो कि अपने ससुराल में कदम रखते ही पूरे परिवार के विनाश का कारण बनी और जब से यंहा पर आई कोई ना कोई समस्या लगी ही रही इसलिए अब उचित यही होगा कि मैं अपनी काली छाया को लेकर यंहा से चली जाऊ।
अभी इस बात का बुआ कोई जवाब देती उससे पहले ही पीछे से संजय की आवाज आई
संजय : भाभी आपने यह कैसे सोच लिया कि आप क्यों कोई नहीं है क्या हम लोग आपके परिवार नहीं हैं मैं तो आपको अपनी छोटी बहन समझता था आज आपने यह बोलकर मुझे पराया कर दिया ।
उनकी बात सुनकर मधु चाची बोली
मधु : नहीं जीजा जी ऐसी कोई बात नहीं है मेरे कहने का मतलब यह नहीं था मैं तो यह बोलना चाहती थी कि जो कार्य वर्षो पहले अधूरा रह गया था उसे पूरा कर लूं ।
संजय : तो भाभी उसमे हम सब आपके साथ है आप क्यों अकेले उससे मिलने जाना चाहती है और आपने इतना बड़ा फैशला ले लिया और हमे पता तक नही चला । आपने यह नही सोचा कि आपके बिना हम सब कैसे रहेंगे।

मधु : आप लोग तो ऐसे बोल रहे हैं जैसे कि मैं बहुत दूर जा रही हूं यहां से कुछ घंटे की दूरी पर ही तो रहूंगी जब भी आप का मरने का मन करेगा मैं फोन कर दीजिएगा मैं आ जाऊंगी और रही बात आपकी बिजनेस तो मैं वहां से भी उसको देखती रहूंगी और आपको जिस भी उठाती मदद चाहिए गा मैं उसके लिए हाजिर रहूंगी।
 
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