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Adultery उस रात पापा ने मुझे चोद दिया, एक कामुक तंत्र कथा (अनीता )

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UPDATE-1

कभी-कभी जिंदगी आबनूस की तरह काली लगने लगती हैँ..

जैसे पन्ने पलटते -पलटते वक़्त ने ऐसा शान्त अध्याय खोल दिया हो, जिसमे ना सूरज हैँ और ना कोई चाँद.... ना कोई मौसम हैँ और ना कोई अरमान......



आज पुरे छः महीने बीत गये हैँ, सूरज (मेरे पति ) को गुज़रे हुए (मरे हुए ), यूँ लग रहा हैँ जैसे कल की ही बात हो...

आँखें बंद कर लेती हूँ तो लगता हैँ जैसे वो मेरे पीछे खड़ा होकर मेरा नाम धीरे से मेरे कानो मे फुसफुसा रहा हैँ..

अनीता ... मेरी पगली...

और जैसे उसके होंठ अभी भी मेरे कानो को छू कर अहसास दे रहे हो... कि मैं अभी भी जिन्दा हूँ...
.........

मैं बस गुम -चुप सी बैठी हुई थी, अपने पापा के घर में...

यहाँ आये करीब 15 रोज हो चुके हैँ मुझे..

ससुराल से ज्यादा सकून हैँ यहाँ...

बस मैं हूँ और मेरे प्यारे पापा...

..
बेटी.. कब तक यूँ ही बैठी रहेगी.. (पापा ने मेरे पास सामने वाले सोफे पर बैठते हुए कहा, कहते भी क्यों ना.. उनकी एकलौती लाडली बेटी जो हूँ मैं )

पापा.. मैंने उनकी तरफ देखते हुए प्यार से बोला...

आओ बैठो ना आप यहीं थोड़ी देर...

पापा ने हाथ बढ़ा कर मेरे सिर पर प्यार से हाथ फेरा.. बेटी अनीता कब तक यूँ दुख की चादर ओढ़ कर बैठी रहेगी बेटी..

कभी तो इस गम से बाहर आना ही होगा...

मैंने जवाब मे कुछ नहीं कहा..

बस चुपचाप किताब पर निगाह गड़ाए पढ़ती रही... क्योकि इस सवाल का जवाब मेरे पास नहीं था..

पापा भी ये बात समझते थे..

उन्होंने बात बदलते हुए कहा.. बेटा देख रहा हूँ पिछले सोमवार से तुम ये किताब लगातार पढ़ रही हो.. क्या हैँ ऐसा इस किताब मे..

मैंने अब उनकी तरफ देखा.. पापा दरअसल ये बात मैं आपको बाद मे बताऊंगी.. कि क्या हैं ये किताब, और क्या सोच रही हूँ मैं इसको लेकर..

मैंने ये बात बहुत ही प्यार से कही..

मेरी इस बात पर पापा चुप हो गये.

मैं ध्यान से फिर किताब पड़ने लगी..

बेटा... पापा ने फिर एक बार धीरे से कहा..

जी पापा... मैंने उनकी तरफ देखकर उसी शान्त लहजे में उत्तर दिया..

बेटी अनीता .. मैं भी क्या करूँ. बाप हूँ तो बेटी का दुख देख नहीं पाता हूँ, सोचा था तेरी शादी के बाद चैन से मर पाउँगा मगर ये जो भी हुआ...

फिर कुछ देर रुक कर पापा बोले..

अब तो मरने के बाद भी चैन नहीं मिलेगा बेटा..

मैने एक दम कहा.. पापा जी.. हम सब अपनी किस्मत साथ लेकर पैदा होते हैँ और साथ लेकर जीतें भी हैँ.

आप चिंता ना करो पापा...

बेटा कैसे चिंता ना करूँ.. सूरज का लिया गया लोन तुझे ही तो चुकाना हैँ...

मेरे पास ये घर हैँ, तु बोल बेटी बेच कर आराम से इतना मिल जायगा कि तेरा सारा लोन चुक जाये..

पापा लगभग रोने जैसे स्वर मे बोल उठे थे...

जानती हूँ लोन बड़ा हैँ, पापा जी.... जिस रात उनको हार्ट अटैक आया था उन्होंने 2 करोड़ किसी को दिए थे या किसी के पास रखे थे... और गोआ (GOA) मे जो जमीन उन्होंने खरीदी थी उसके पेपर्स भी उसी के साथ थे.. अगर कोई सामने आकर बता दे किसके पास हैँ ये या वो खुद बता दे तो सारी मुश्किल खत्म हो जायगी..

मेरी इस बात पर पापा ने उत्सुकता से पुछा..

बेटा तूने पुछा नहीं था क्या सूरज से, कि किसको दिए....?

मैं पापा की तरफ देखती हुई बोली..

पापा समय ने समय ही नहीं दिया..

उनकी तबियत ठीक नहीं थी तो किसी को दे आये थे वो बैग..घर आये थे तो बस इतना बताया था उन्होंने, कि तबियत खराब हो गई थी, तो इतने पैसे लेकर ट्रेवल करना ठीक नहीं था, और आगे बात होती उससे पहले उनके सीने मे तकलीफ फिर शुरू हो गई थी... पापा.... मैंने डॉक्टर को कॉल किया था..

मगर डॉक्टर के आने से पहले ही उनको अटैक पड गया था पापा...

मेरी आँखों मे आंसू देखकर पापा ने झुक कर मेरा चेहरा अपने सीने से लगा लिया..

अनीता तेरी कोई बात नहीं टाली हमने कभी..

सूरज पसंद था तुझे तो बिना सोचे तेरा ब्याह कर दिया उसके साथ..

जो माँगा उसके माँ बाप ने वो सब दिया उनको... बेटा तूने बताया क्यों नहीं पहले कि सूरज के दिल मे छेद था...

पगली ऐसे सावंरते हैँ जिन्दगी को? प्यार करना गलत नहीं बेटा मगर जीवनसाथी चुनते वक़्त तो मेरा ही कुछ लिहाज़ किया होता.. क्या करूँ मैं अब... बता बेटा...?

पापा की बात का मैं जवाब भी क्या देती.. बस चुपचाप बैठी रही...

बेटा.. तू.. तू... फिर से ब्याह करले... अरे जवान हो.. खूबसूरत हो... बोल बेटा बोल लाइन लगवा दूंगा अपनी बिटिया की ख़ुशी के लिऐ लड़को की...

बोल बेटा .

मैं जानती थी पापा के दुख का कारण मेरे भविष्य की चिंता ही थी, जो उन्हें दिन रात खाये जा रही होंगी

ना पापा... ना... जीवन में कुछ सुख बस एक बार ही मिलता हैँ, यही ईश्वर की नियति हैँ और यही कुदरत का नियम...

पापा माँग भरने का अधिकार सूरज के साथ ही चला गया ..

Please इस बारे मे आप फिर बात मत करो...

Please...

मेरे इतना कहने पर पापा शान्त से होकर चुप चाप बैठ गये..

मुझे उनकी हालत पर तरस आ रहा था सो मैं भी चुपचाप उठ कर बगीचे से अपने रूम की तरफ बढ़ गई...

...........



अगला update आज ही रात दूंगी 🙏
आपकी अनीता
 

macssm

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कभी-कभी जिंदगी आबनूस की तरह काली लगने लगती हैँ..

जैसे पन्ने पलटते -पलटते वक़्त ने ऐसा शान्त अध्याय खोल दिया हो, जिसमे ना सूरज हैँ और ना कोई चाँद.... ना कोई मौसम हैँ और ना कोई अरमान......



आज पुरे छः महीने बीत गये हैँ, सूरज (मेरे पति ) को गुज़रे हुए (मरे हुए ), यूँ लग रहा हैँ जैसे कल की ही बात हो...

आँखें बंद कर लेती हूँ तो लगता हैँ जैसे वो मेरे पीछे खड़ा होकर मेरा नाम धीरे से मेरे कानो मे फुसफुसा रहा हैँ..

अनीता ... मेरी पगली...

और जैसे उसके होंठ अभी भी मेरे कानो को छू कर अहसास दे रहे हो... कि मैं अभी भी जिन्दा हूँ...
.........

मैं बस गुम -चुप सी बैठी हुई थी, अपने पापा के घर में...

यहाँ आये करीब 15 रोज हो चुके हैँ मुझे..

ससुराल से ज्यादा सकून हैँ यहाँ...

बस मैं हूँ और मेरे प्यारे पापा...

..
बेटी.. कब तक यूँ ही बैठी रहेगी.. (पापा ने मेरे पास सामने वाले सोफे पर बैठते हुए कहा, कहते भी क्यों ना.. उनकी एकलौती लाडली बेटी जो हूँ मैं )

पापा.. मैंने उनकी तरफ देखते हुए प्यार से बोला...

आओ बैठो ना आप यहीं थोड़ी देर...

पापा ने हाथ बढ़ा कर मेरे सिर पर प्यार से हाथ फेरा.. बेटी अनीता कब तक यूँ दुख की चादर ओढ़ कर बैठी रहेगी बेटी..

कभी तो इस गम से बाहर आना ही होगा...

मैंने जवाब मे कुछ नहीं कहा..

बस चुपचाप किताब पर निगाह गड़ाए पढ़ती रही... क्योकि इस सवाल का जवाब मेरे पास नहीं था..

पापा भी ये बात समझते थे..

उन्होंने बात बदलते हुए कहा.. बेटा देख रहा हूँ पिछले सोमवार से तुम ये किताब लगातार पढ़ रही हो.. क्या हैँ ऐसा इस किताब मे..

मैंने अब उनकी तरफ देखा.. पापा दरअसल ये बात मैं आपको बाद मे बताऊंगी.. कि क्या हैं ये किताब, और क्या सोच रही हूँ मैं इसको लेकर..

मैंने ये बात बहुत ही प्यार से कही..

मेरी इस बात पर पापा चुप हो गये.

मैं ध्यान से फिर किताब पड़ने लगी..

बेटा... पापा ने फिर एक बार धीरे से कहा..

जी पापा... मैंने उनकी तरफ देखकर उसी शान्त लहजे में उत्तर दिया..

बेटी अनीता .. मैं भी क्या करूँ. बाप हूँ तो बेटी का दुख देख नहीं पाता हूँ, सोचा था तेरी शादी के बाद चैन से मर पाउँगा मगर ये जो भी हुआ...

फिर कुछ देर रुक कर पापा बोले..

अब तो मरने के बाद भी चैन नहीं मिलेगा बेटा..

मैने एक दम कहा.. पापा जी.. हम सब अपनी किस्मत साथ लेकर पैदा होते हैँ और साथ लेकर जीतें भी हैँ.

आप चिंता ना करो पापा...

बेटा कैसे चिंता ना करूँ.. सूरज का लिया गया लोन तुझे ही तो चुकाना हैँ...

मेरे पास ये घर हैँ, तु बोल बेटी बेच कर आराम से इतना मिल जायगा कि तेरा सारा लोन चुक जाये..

पापा लगभग रोने जैसे स्वर मे बोल उठे थे...

जानती हूँ लोन बड़ा हैँ, पापा जी.... जिस रात उनको हार्ट अटैक आया था उन्होंने 2 करोड़ किसी को दिए थे या किसी के पास रखे थे... और गोआ (GOA) मे जो जमीन उन्होंने खरीदी थी उसके पेपर्स भी उसी के साथ थे.. अगर कोई सामने आकर बता दे किसके पास हैँ ये या वो खुद बता दे तो सारी मुश्किल खत्म हो जायगी..

मेरी इस बात पर पापा ने उत्सुकता से पुछा..

बेटा तूने पुछा नहीं था क्या सूरज से, कि किसको दिए....?

मैं पापा की तरफ देखती हुई बोली..

पापा समय ने समय ही नहीं दिया..

उनकी तबियत ठीक नहीं थी तो किसी को दे आये थे वो बैग..घर आये थे तो बस इतना बताया था उन्होंने, कि तबियत खराब हो गई थी, तो इतने पैसे लेकर ट्रेवल करना ठीक नहीं था, और आगे बात होती उससे पहले उनके सीने मे तकलीफ फिर शुरू हो गई थी... पापा.... मैंने डॉक्टर को कॉल किया था..

मगर डॉक्टर के आने से पहले ही उनको अटैक पड गया था पापा...

मेरी आँखों मे आंसू देखकर पापा ने झुक कर मेरा चेहरा अपने सीने से लगा लिया..

अनीता तेरी कोई बात नहीं टाली हमने कभी..

सूरज पसंद था तुझे तो बिना सोचे तेरा ब्याह कर दिया उसके साथ..

जो माँगा उसके माँ बाप ने वो सब दिया उनको... बेटा तूने बताया क्यों नहीं पहले कि सूरज के दिल मे छेद था...

पगली ऐसे सावंरते हैँ जिन्दगी को? प्यार करना गलत नहीं बेटा मगर जीवनसाथी चुनते वक़्त तो मेरा ही कुछ लिहाज़ किया होता.. क्या करूँ मैं अब... बता बेटा...?

पापा की बात का मैं जवाब भी क्या देती.. बस चुपचाप बैठी रही...

बेटा.. तू.. तू... फिर से ब्याह करले... अरे जवान हो.. खूबसूरत हो... बोल बेटा बोल लाइन लगवा दूंगा अपनी बिटिया की ख़ुशी के लिऐ लड़को की...

बोल बेटा .

मैं जानती थी पापा के दुख का कारण मेरे भविष्य की चिंता ही थी, जो उन्हें दिन रात खाये जा रही होंगी

ना पापा... ना... जीवन में कुछ सुख बस एक बार ही मिलता हैँ, यही ईश्वर की नियति हैँ और यही कुदरत का नियम...

पापा माँग भरने का अधिकार सूरज के साथ ही चला गया ..

Please इस बारे मे आप फिर बात मत करो...

Please...

मेरे इतना कहने पर पापा शान्त से होकर चुप चाप बैठ गये..

मुझे उनकी हालत पर तरस आ रहा था सो मैं भी चुपचाप उठ कर बगीचे से अपने रूम की तरफ बढ़ गई...

...........



अगला update आज ही रात दूंगी 🙏
आपकी अनीता
Nice start Anita ji....✍️✍️👌♥️♥️💦💦💦♥️♥️
 

Bittoo

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कभी-कभी जिंदगी आबनूस की तरह काली लगने लगती हैँ..

जैसे पन्ने पलटते -पलटते वक़्त ने ऐसा शान्त अध्याय खोल दिया हो, जिसमे ना सूरज हैँ और ना कोई चाँद.... ना कोई मौसम हैँ और ना कोई अरमान......



आज पुरे छः महीने बीत गये हैँ, सूरज (मेरे पति ) को गुज़रे हुए (मरे हुए ), यूँ लग रहा हैँ जैसे कल की ही बात हो...

आँखें बंद कर लेती हूँ तो लगता हैँ जैसे वो मेरे पीछे खड़ा होकर मेरा नाम धीरे से मेरे कानो मे फुसफुसा रहा हैँ..

अनीता ... मेरी पगली...

और जैसे उसके होंठ अभी भी मेरे कानो को छू कर अहसास दे रहे हो... कि मैं अभी भी जिन्दा हूँ...
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मैं बस गुम -चुप सी बैठी हुई थी, अपने पापा के घर में...

यहाँ आये करीब 15 रोज हो चुके हैँ मुझे..

ससुराल से ज्यादा सकून हैँ यहाँ...

बस मैं हूँ और मेरे प्यारे पापा...

..
बेटी.. कब तक यूँ ही बैठी रहेगी.. (पापा ने मेरे पास सामने वाले सोफे पर बैठते हुए कहा, कहते भी क्यों ना.. उनकी एकलौती लाडली बेटी जो हूँ मैं )

पापा.. मैंने उनकी तरफ देखते हुए प्यार से बोला...

आओ बैठो ना आप यहीं थोड़ी देर...

पापा ने हाथ बढ़ा कर मेरे सिर पर प्यार से हाथ फेरा.. बेटी अनीता कब तक यूँ दुख की चादर ओढ़ कर बैठी रहेगी बेटी..

कभी तो इस गम से बाहर आना ही होगा...

मैंने जवाब मे कुछ नहीं कहा..

बस चुपचाप किताब पर निगाह गड़ाए पढ़ती रही... क्योकि इस सवाल का जवाब मेरे पास नहीं था..

पापा भी ये बात समझते थे..

उन्होंने बात बदलते हुए कहा.. बेटा देख रहा हूँ पिछले सोमवार से तुम ये किताब लगातार पढ़ रही हो.. क्या हैँ ऐसा इस किताब मे..

मैंने अब उनकी तरफ देखा.. पापा दरअसल ये बात मैं आपको बाद मे बताऊंगी.. कि क्या हैं ये किताब, और क्या सोच रही हूँ मैं इसको लेकर..

मैंने ये बात बहुत ही प्यार से कही..

मेरी इस बात पर पापा चुप हो गये.

मैं ध्यान से फिर किताब पड़ने लगी..

बेटा... पापा ने फिर एक बार धीरे से कहा..

जी पापा... मैंने उनकी तरफ देखकर उसी शान्त लहजे में उत्तर दिया..

बेटी अनीता .. मैं भी क्या करूँ. बाप हूँ तो बेटी का दुख देख नहीं पाता हूँ, सोचा था तेरी शादी के बाद चैन से मर पाउँगा मगर ये जो भी हुआ...

फिर कुछ देर रुक कर पापा बोले..

अब तो मरने के बाद भी चैन नहीं मिलेगा बेटा..

मैने एक दम कहा.. पापा जी.. हम सब अपनी किस्मत साथ लेकर पैदा होते हैँ और साथ लेकर जीतें भी हैँ.

आप चिंता ना करो पापा...

बेटा कैसे चिंता ना करूँ.. सूरज का लिया गया लोन तुझे ही तो चुकाना हैँ...

मेरे पास ये घर हैँ, तु बोल बेटी बेच कर आराम से इतना मिल जायगा कि तेरा सारा लोन चुक जाये..

पापा लगभग रोने जैसे स्वर मे बोल उठे थे...

जानती हूँ लोन बड़ा हैँ, पापा जी.... जिस रात उनको हार्ट अटैक आया था उन्होंने 2 करोड़ किसी को दिए थे या किसी के पास रखे थे... और गोआ (GOA) मे जो जमीन उन्होंने खरीदी थी उसके पेपर्स भी उसी के साथ थे.. अगर कोई सामने आकर बता दे किसके पास हैँ ये या वो खुद बता दे तो सारी मुश्किल खत्म हो जायगी..

मेरी इस बात पर पापा ने उत्सुकता से पुछा..

बेटा तूने पुछा नहीं था क्या सूरज से, कि किसको दिए....?

मैं पापा की तरफ देखती हुई बोली..

पापा समय ने समय ही नहीं दिया..

उनकी तबियत ठीक नहीं थी तो किसी को दे आये थे वो बैग..घर आये थे तो बस इतना बताया था उन्होंने, कि तबियत खराब हो गई थी, तो इतने पैसे लेकर ट्रेवल करना ठीक नहीं था, और आगे बात होती उससे पहले उनके सीने मे तकलीफ फिर शुरू हो गई थी... पापा.... मैंने डॉक्टर को कॉल किया था..

मगर डॉक्टर के आने से पहले ही उनको अटैक पड गया था पापा...

मेरी आँखों मे आंसू देखकर पापा ने झुक कर मेरा चेहरा अपने सीने से लगा लिया..

अनीता तेरी कोई बात नहीं टाली हमने कभी..

सूरज पसंद था तुझे तो बिना सोचे तेरा ब्याह कर दिया उसके साथ..

जो माँगा उसके माँ बाप ने वो सब दिया उनको... बेटा तूने बताया क्यों नहीं पहले कि सूरज के दिल मे छेद था...

पगली ऐसे सावंरते हैँ जिन्दगी को? प्यार करना गलत नहीं बेटा मगर जीवनसाथी चुनते वक़्त तो मेरा ही कुछ लिहाज़ किया होता.. क्या करूँ मैं अब... बता बेटा...?

पापा की बात का मैं जवाब भी क्या देती.. बस चुपचाप बैठी रही...

बेटा.. तू.. तू... फिर से ब्याह करले... अरे जवान हो.. खूबसूरत हो... बोल बेटा बोल लाइन लगवा दूंगा अपनी बिटिया की ख़ुशी के लिऐ लड़को की...

बोल बेटा .

मैं जानती थी पापा के दुख का कारण मेरे भविष्य की चिंता ही थी, जो उन्हें दिन रात खाये जा रही होंगी

ना पापा... ना... जीवन में कुछ सुख बस एक बार ही मिलता हैँ, यही ईश्वर की नियति हैँ और यही कुदरत का नियम...

पापा माँग भरने का अधिकार सूरज के साथ ही चला गया ..

Please इस बारे मे आप फिर बात मत करो...

Please...

मेरे इतना कहने पर पापा शान्त से होकर चुप चाप बैठ गये..

मुझे उनकी हालत पर तरस आ रहा था सो मैं भी चुपचाप उठ कर बगीचे से अपने रूम की तरफ बढ़ गई...

...........



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आपकी अनीता
एक बेहतरीन शुरुआत
 

Roy monik

I love sex
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कभी-कभी जिंदगी आबनूस की तरह काली लगने लगती हैँ..

जैसे पन्ने पलटते -पलटते वक़्त ने ऐसा शान्त अध्याय खोल दिया हो, जिसमे ना सूरज हैँ और ना कोई चाँद.... ना कोई मौसम हैँ और ना कोई अरमान......



आज पुरे छः महीने बीत गये हैँ, सूरज (मेरे पति ) को गुज़रे हुए (मरे हुए ), यूँ लग रहा हैँ जैसे कल की ही बात हो...

आँखें बंद कर लेती हूँ तो लगता हैँ जैसे वो मेरे पीछे खड़ा होकर मेरा नाम धीरे से मेरे कानो मे फुसफुसा रहा हैँ..

अनीता ... मेरी पगली...

और जैसे उसके होंठ अभी भी मेरे कानो को छू कर अहसास दे रहे हो... कि मैं अभी भी जिन्दा हूँ...
.........

मैं बस गुम -चुप सी बैठी हुई थी, अपने पापा के घर में...

यहाँ आये करीब 15 रोज हो चुके हैँ मुझे..

ससुराल से ज्यादा सकून हैँ यहाँ...

बस मैं हूँ और मेरे प्यारे पापा...

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बेटी.. कब तक यूँ ही बैठी रहेगी.. (पापा ने मेरे पास सामने वाले सोफे पर बैठते हुए कहा, कहते भी क्यों ना.. उनकी एकलौती लाडली बेटी जो हूँ मैं )

पापा.. मैंने उनकी तरफ देखते हुए प्यार से बोला...

आओ बैठो ना आप यहीं थोड़ी देर...

पापा ने हाथ बढ़ा कर मेरे सिर पर प्यार से हाथ फेरा.. बेटी अनीता कब तक यूँ दुख की चादर ओढ़ कर बैठी रहेगी बेटी..

कभी तो इस गम से बाहर आना ही होगा...

मैंने जवाब मे कुछ नहीं कहा..

बस चुपचाप किताब पर निगाह गड़ाए पढ़ती रही... क्योकि इस सवाल का जवाब मेरे पास नहीं था..

पापा भी ये बात समझते थे..

उन्होंने बात बदलते हुए कहा.. बेटा देख रहा हूँ पिछले सोमवार से तुम ये किताब लगातार पढ़ रही हो.. क्या हैँ ऐसा इस किताब मे..

मैंने अब उनकी तरफ देखा.. पापा दरअसल ये बात मैं आपको बाद मे बताऊंगी.. कि क्या हैं ये किताब, और क्या सोच रही हूँ मैं इसको लेकर..

मैंने ये बात बहुत ही प्यार से कही..

मेरी इस बात पर पापा चुप हो गये.

मैं ध्यान से फिर किताब पड़ने लगी..

बेटा... पापा ने फिर एक बार धीरे से कहा..

जी पापा... मैंने उनकी तरफ देखकर उसी शान्त लहजे में उत्तर दिया..

बेटी अनीता .. मैं भी क्या करूँ. बाप हूँ तो बेटी का दुख देख नहीं पाता हूँ, सोचा था तेरी शादी के बाद चैन से मर पाउँगा मगर ये जो भी हुआ...

फिर कुछ देर रुक कर पापा बोले..

अब तो मरने के बाद भी चैन नहीं मिलेगा बेटा..

मैने एक दम कहा.. पापा जी.. हम सब अपनी किस्मत साथ लेकर पैदा होते हैँ और साथ लेकर जीतें भी हैँ.

आप चिंता ना करो पापा...

बेटा कैसे चिंता ना करूँ.. सूरज का लिया गया लोन तुझे ही तो चुकाना हैँ...

मेरे पास ये घर हैँ, तु बोल बेटी बेच कर आराम से इतना मिल जायगा कि तेरा सारा लोन चुक जाये..

पापा लगभग रोने जैसे स्वर मे बोल उठे थे...

जानती हूँ लोन बड़ा हैँ, पापा जी.... जिस रात उनको हार्ट अटैक आया था उन्होंने 2 करोड़ किसी को दिए थे या किसी के पास रखे थे... और गोआ (GOA) मे जो जमीन उन्होंने खरीदी थी उसके पेपर्स भी उसी के साथ थे.. अगर कोई सामने आकर बता दे किसके पास हैँ ये या वो खुद बता दे तो सारी मुश्किल खत्म हो जायगी..

मेरी इस बात पर पापा ने उत्सुकता से पुछा..

बेटा तूने पुछा नहीं था क्या सूरज से, कि किसको दिए....?

मैं पापा की तरफ देखती हुई बोली..

पापा समय ने समय ही नहीं दिया..

उनकी तबियत ठीक नहीं थी तो किसी को दे आये थे वो बैग..घर आये थे तो बस इतना बताया था उन्होंने, कि तबियत खराब हो गई थी, तो इतने पैसे लेकर ट्रेवल करना ठीक नहीं था, और आगे बात होती उससे पहले उनके सीने मे तकलीफ फिर शुरू हो गई थी... पापा.... मैंने डॉक्टर को कॉल किया था..

मगर डॉक्टर के आने से पहले ही उनको अटैक पड गया था पापा...

मेरी आँखों मे आंसू देखकर पापा ने झुक कर मेरा चेहरा अपने सीने से लगा लिया..

अनीता तेरी कोई बात नहीं टाली हमने कभी..

सूरज पसंद था तुझे तो बिना सोचे तेरा ब्याह कर दिया उसके साथ..

जो माँगा उसके माँ बाप ने वो सब दिया उनको... बेटा तूने बताया क्यों नहीं पहले कि सूरज के दिल मे छेद था...

पगली ऐसे सावंरते हैँ जिन्दगी को? प्यार करना गलत नहीं बेटा मगर जीवनसाथी चुनते वक़्त तो मेरा ही कुछ लिहाज़ किया होता.. क्या करूँ मैं अब... बता बेटा...?

पापा की बात का मैं जवाब भी क्या देती.. बस चुपचाप बैठी रही...

बेटा.. तू.. तू... फिर से ब्याह करले... अरे जवान हो.. खूबसूरत हो... बोल बेटा बोल लाइन लगवा दूंगा अपनी बिटिया की ख़ुशी के लिऐ लड़को की...

बोल बेटा .

मैं जानती थी पापा के दुख का कारण मेरे भविष्य की चिंता ही थी, जो उन्हें दिन रात खाये जा रही होंगी

ना पापा... ना... जीवन में कुछ सुख बस एक बार ही मिलता हैँ, यही ईश्वर की नियति हैँ और यही कुदरत का नियम...

पापा माँग भरने का अधिकार सूरज के साथ ही चला गया ..

Please इस बारे मे आप फिर बात मत करो...

Please...

मेरे इतना कहने पर पापा शान्त से होकर चुप चाप बैठ गये..

मुझे उनकी हालत पर तरस आ रहा था सो मैं भी चुपचाप उठ कर बगीचे से अपने रूम की तरफ बढ़ गई...

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आपकी अनीता
Mast update intzar rahega agle update ka
 
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UPDATE-2

रात भर बिस्तर पर पड़ी मैं बस यूँ ही करवटें बदलती रही
करीब रात 2 बजे उस किताब को उठाया जो मेरे सिरहाने ही रखी थी...
किताब पर साफ और बड़े अक्षरों में लिखा था “OUIJHA” ओइजा
मैंने किताब उठाई और उसके आखिरी पन्ने को पलटा तो वो आखिरी पन्ना मुडा हुआ था, जैसे पब्लिशर ने एक मोटा पन्ने को दो बार मोड़ कर उसमे रखा गया हो, जिसको जरुरत पड़ने पर खोल कर पूरा फैलाया जा सके
मैंने उसको दो बार खोला तो वो पन्ना काफ़ी बड़े आकार में फेल कर बढ़ा हो चूका था..
जिसपर अंग्रेजी के A से Z तक के अल्फाबेट सलीके से बिचोबीच दो पंक्तियों मे लिखें थे, उसके नीचे 1 से 9 तथा 0 अंक बेहतरीन तरीके से अंकित थे,
सबसे ऊपर सूर्य और चाँद की तस्वीर दाँए और बायें छपी हुए थी तथा अंग्रेजी मे सूर्य की तरफ Yes तथा चाँद की तरफ No लिखा हुआ था
मेरी निगाह उस पन्ने के सबसे नीचे वाले हिस्से पर गई जहाँ GoodBye शब्द लिखा हुआ था..


lgkizlr4vms91
थोड़ी देर मैं उस पन्ने को देखती रही और देखते देखते जाने कब सो गई उसे पता ही ना चला...
.........
हेलो... नंदिता कैसी हैँ तू..?
अगली ही सुबह करीब 8 बजे फ़ोन कॉल पर मैंने अपनी सहेली नंदिता से बात कर रही थी....
हाय.. . मैं तो मस्त ठीक ठाक हूँ...
तू बता कैसी हैँ अनीता ...?
ये सवाल भी अजीब था, सूरज के जाने के बाद क्या ठीक क्या गलत... मगर जीना तो था..
धीरे से मैंने जवाब दिया..
I am fine यार..please वो ओइजा वाली किताब के बारे मे बताया था तुझे, याद हैँ?
वहाँ से नंदिता की शान्त सी आवाज़ आई..
हाँ.. याद हैँ... मगर तू कैसे यकीन करेगी कि ये सब काम करता हैँ या नहीं?
मेरेपास इसका कोई जबाब होता या ना होता... शायद मुझे इस बात कि कोई चिंता नहीं थी अब...
नंदिता... बात यकीन कि नहीं हैँ यार.. बात हैँ जरूरत की..
अगर पता चल जाता हैँ सूरज हैँ प्रॉपर्टी के paper और वो पैसे किसको दिए हैँ या कहाँ रखे हैँ तो बड़ी मुश्किल से बच जाउंगी..
अब बस ये बता.. तू आएगी ना यहाँ...?
इस बात का जवाब नंदिता ने कुछ ऐसे दिया..
अनीता .. ये सब मुझे पागलपन लग रहा हैँ.. ऐसा भी कहीं होता हैँ कि किसी मरे हुए की आत्मा बुला कर बात की जा सके, It can't possible yaar समझ यार..
सूरज जा चूका हैँ.. नहीं आ सकता वो वापस...
मेरे को पहले से ही शंका थी कि नंदिता कोई ऐसा जवाब दे सकती हैँ..
इसीलिए आज उसकी तयारी पूरी थी..
सुन.. नंदिता मेरी बात समझ यार...
उपन्यासकार Emily Grand Hutchings ने दावा किया है कि पूरा का पूरा ‘Jap Herron’ नावेल उन्होंने Mark Twains की आत्मा से सम्पर्क करके लिखा था.
ये बात खुद उन्होंने कही थी, अपनी जीवनी मे..
नंदिता मान या ना मान ये बात सच हो सकती हैँ .. कम से कम एक मौका तो हैँ..मुझे पक्का लगता हैँ सूरज यहीं हैँ इसी घर मे हैँ... मुझे मुहसूस होता हैँ वो नंदिता...
Please मेरा ये काम कर दे...
विक्की को मना लें ना.. Please वो आ जायगा यहाँ तो मैं उसकी मदद से सूरज को बुलाने की कोशिश कर सकती हूँ.
इस बात पर नंदिता का जवाब साफ सुनाई दिया..
मैंने बोला था उसको.. कि कुछ मैजिक का चक़्कर हैँ.. अनीता की मदद कर दे..
मगर उसने मना कर दिया हैँ..
फिर मुझे भी लगा शायद ये काम नहीं करेगा यार...
तू बोल तो मैं आ जाती हूँ. अभी कंपनी के काम से दिल्ली मे हूँ, 7-8 दिन मे मुंबई वापस आ जाउंगी, फिर आ कर सीधे तेरे पास आती हूँ मैं.

एक कोशिश करके देख लेंगे अगर तुझे भरोसा हैँ तो..
मेरी आवाज़ अब बोझिल सी थी..
नंदिता ये बोर्ड अधिकतर तब काम करता हैँ ज़ब अपोजिट सेक्स पर्सन सामने हो..
कोई बात नहीं... मैं किसी और से बात करती हूँ.. इतना समय नहीं हैँ यार मेरे पास.. बैंक नोटिस आ चूका हैँ जल्द ही कोशिश करनी होंगी..
बाय नंदिता...कहकर मैंने ने कॉल कट कर दिया..
और आँख बंद करके सोच मे पड़ गई.. कि कैसे... अब ये सब किया जाये...
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(तीसरा update आज रात दूंगी )
आपकी अनीता.
 
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