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UPDATE-1
कभी-कभी जिंदगी आबनूस की तरह काली लगने लगती हैँ..
जैसे पन्ने पलटते -पलटते वक़्त ने ऐसा शान्त अध्याय खोल दिया हो, जिसमे ना सूरज हैँ और ना कोई चाँद.... ना कोई मौसम हैँ और ना कोई अरमान......
आज पुरे छः महीने बीत गये हैँ, सूरज (मेरे पति ) को गुज़रे हुए (मरे हुए ), यूँ लग रहा हैँ जैसे कल की ही बात हो...
आँखें बंद कर लेती हूँ तो लगता हैँ जैसे वो मेरे पीछे खड़ा होकर मेरा नाम धीरे से मेरे कानो मे फुसफुसा रहा हैँ..
अनीता ... मेरी पगली...
और जैसे उसके होंठ अभी भी मेरे कानो को छू कर अहसास दे रहे हो... कि मैं अभी भी जिन्दा हूँ...
.........
मैं बस गुम -चुप सी बैठी हुई थी, अपने पापा के घर में...
यहाँ आये करीब 15 रोज हो चुके हैँ मुझे..
ससुराल से ज्यादा सकून हैँ यहाँ...
बस मैं हूँ और मेरे प्यारे पापा...
..
बेटी.. कब तक यूँ ही बैठी रहेगी.. (पापा ने मेरे पास सामने वाले सोफे पर बैठते हुए कहा, कहते भी क्यों ना.. उनकी एकलौती लाडली बेटी जो हूँ मैं )
पापा.. मैंने उनकी तरफ देखते हुए प्यार से बोला...
आओ बैठो ना आप यहीं थोड़ी देर...
पापा ने हाथ बढ़ा कर मेरे सिर पर प्यार से हाथ फेरा.. बेटी अनीता कब तक यूँ दुख की चादर ओढ़ कर बैठी रहेगी बेटी..
कभी तो इस गम से बाहर आना ही होगा...
मैंने जवाब मे कुछ नहीं कहा..
बस चुपचाप किताब पर निगाह गड़ाए पढ़ती रही... क्योकि इस सवाल का जवाब मेरे पास नहीं था..
पापा भी ये बात समझते थे..
उन्होंने बात बदलते हुए कहा.. बेटा देख रहा हूँ पिछले सोमवार से तुम ये किताब लगातार पढ़ रही हो.. क्या हैँ ऐसा इस किताब मे..
मैंने अब उनकी तरफ देखा.. पापा दरअसल ये बात मैं आपको बाद मे बताऊंगी.. कि क्या हैं ये किताब, और क्या सोच रही हूँ मैं इसको लेकर..
मैंने ये बात बहुत ही प्यार से कही..
मेरी इस बात पर पापा चुप हो गये.
मैं ध्यान से फिर किताब पड़ने लगी..
बेटा... पापा ने फिर एक बार धीरे से कहा..
जी पापा... मैंने उनकी तरफ देखकर उसी शान्त लहजे में उत्तर दिया..
बेटी अनीता .. मैं भी क्या करूँ. बाप हूँ तो बेटी का दुख देख नहीं पाता हूँ, सोचा था तेरी शादी के बाद चैन से मर पाउँगा मगर ये जो भी हुआ...
फिर कुछ देर रुक कर पापा बोले..
अब तो मरने के बाद भी चैन नहीं मिलेगा बेटा..
मैने एक दम कहा.. पापा जी.. हम सब अपनी किस्मत साथ लेकर पैदा होते हैँ और साथ लेकर जीतें भी हैँ.
आप चिंता ना करो पापा...
बेटा कैसे चिंता ना करूँ.. सूरज का लिया गया लोन तुझे ही तो चुकाना हैँ...
मेरे पास ये घर हैँ, तु बोल बेटी बेच कर आराम से इतना मिल जायगा कि तेरा सारा लोन चुक जाये..
पापा लगभग रोने जैसे स्वर मे बोल उठे थे...
जानती हूँ लोन बड़ा हैँ, पापा जी.... जिस रात उनको हार्ट अटैक आया था उन्होंने 2 करोड़ किसी को दिए थे या किसी के पास रखे थे... और गोआ (GOA) मे जो जमीन उन्होंने खरीदी थी उसके पेपर्स भी उसी के साथ थे.. अगर कोई सामने आकर बता दे किसके पास हैँ ये या वो खुद बता दे तो सारी मुश्किल खत्म हो जायगी..
मेरी इस बात पर पापा ने उत्सुकता से पुछा..
बेटा तूने पुछा नहीं था क्या सूरज से, कि किसको दिए....?
मैं पापा की तरफ देखती हुई बोली..
पापा समय ने समय ही नहीं दिया..
उनकी तबियत ठीक नहीं थी तो किसी को दे आये थे वो बैग..घर आये थे तो बस इतना बताया था उन्होंने, कि तबियत खराब हो गई थी, तो इतने पैसे लेकर ट्रेवल करना ठीक नहीं था, और आगे बात होती उससे पहले उनके सीने मे तकलीफ फिर शुरू हो गई थी... पापा.... मैंने डॉक्टर को कॉल किया था..
मगर डॉक्टर के आने से पहले ही उनको अटैक पड गया था पापा...
मेरी आँखों मे आंसू देखकर पापा ने झुक कर मेरा चेहरा अपने सीने से लगा लिया..
अनीता तेरी कोई बात नहीं टाली हमने कभी..
सूरज पसंद था तुझे तो बिना सोचे तेरा ब्याह कर दिया उसके साथ..
जो माँगा उसके माँ बाप ने वो सब दिया उनको... बेटा तूने बताया क्यों नहीं पहले कि सूरज के दिल मे छेद था...
पगली ऐसे सावंरते हैँ जिन्दगी को? प्यार करना गलत नहीं बेटा मगर जीवनसाथी चुनते वक़्त तो मेरा ही कुछ लिहाज़ किया होता.. क्या करूँ मैं अब... बता बेटा...?
पापा की बात का मैं जवाब भी क्या देती.. बस चुपचाप बैठी रही...
बेटा.. तू.. तू... फिर से ब्याह करले... अरे जवान हो.. खूबसूरत हो... बोल बेटा बोल लाइन लगवा दूंगा अपनी बिटिया की ख़ुशी के लिऐ लड़को की...
बोल बेटा .
मैं जानती थी पापा के दुख का कारण मेरे भविष्य की चिंता ही थी, जो उन्हें दिन रात खाये जा रही होंगी
ना पापा... ना... जीवन में कुछ सुख बस एक बार ही मिलता हैँ, यही ईश्वर की नियति हैँ और यही कुदरत का नियम...
पापा माँग भरने का अधिकार सूरज के साथ ही चला गया ..
Please इस बारे मे आप फिर बात मत करो...
Please...
मेरे इतना कहने पर पापा शान्त से होकर चुप चाप बैठ गये..
मुझे उनकी हालत पर तरस आ रहा था सो मैं भी चुपचाप उठ कर बगीचे से अपने रूम की तरफ बढ़ गई...
...........
अगला update आज ही रात दूंगी
आपकी अनीता
कभी-कभी जिंदगी आबनूस की तरह काली लगने लगती हैँ..
जैसे पन्ने पलटते -पलटते वक़्त ने ऐसा शान्त अध्याय खोल दिया हो, जिसमे ना सूरज हैँ और ना कोई चाँद.... ना कोई मौसम हैँ और ना कोई अरमान......
आज पुरे छः महीने बीत गये हैँ, सूरज (मेरे पति ) को गुज़रे हुए (मरे हुए ), यूँ लग रहा हैँ जैसे कल की ही बात हो...
आँखें बंद कर लेती हूँ तो लगता हैँ जैसे वो मेरे पीछे खड़ा होकर मेरा नाम धीरे से मेरे कानो मे फुसफुसा रहा हैँ..
अनीता ... मेरी पगली...
और जैसे उसके होंठ अभी भी मेरे कानो को छू कर अहसास दे रहे हो... कि मैं अभी भी जिन्दा हूँ...
.........
मैं बस गुम -चुप सी बैठी हुई थी, अपने पापा के घर में...
यहाँ आये करीब 15 रोज हो चुके हैँ मुझे..
ससुराल से ज्यादा सकून हैँ यहाँ...
बस मैं हूँ और मेरे प्यारे पापा...
..
बेटी.. कब तक यूँ ही बैठी रहेगी.. (पापा ने मेरे पास सामने वाले सोफे पर बैठते हुए कहा, कहते भी क्यों ना.. उनकी एकलौती लाडली बेटी जो हूँ मैं )
पापा.. मैंने उनकी तरफ देखते हुए प्यार से बोला...
आओ बैठो ना आप यहीं थोड़ी देर...
पापा ने हाथ बढ़ा कर मेरे सिर पर प्यार से हाथ फेरा.. बेटी अनीता कब तक यूँ दुख की चादर ओढ़ कर बैठी रहेगी बेटी..
कभी तो इस गम से बाहर आना ही होगा...
मैंने जवाब मे कुछ नहीं कहा..
बस चुपचाप किताब पर निगाह गड़ाए पढ़ती रही... क्योकि इस सवाल का जवाब मेरे पास नहीं था..
पापा भी ये बात समझते थे..
उन्होंने बात बदलते हुए कहा.. बेटा देख रहा हूँ पिछले सोमवार से तुम ये किताब लगातार पढ़ रही हो.. क्या हैँ ऐसा इस किताब मे..
मैंने अब उनकी तरफ देखा.. पापा दरअसल ये बात मैं आपको बाद मे बताऊंगी.. कि क्या हैं ये किताब, और क्या सोच रही हूँ मैं इसको लेकर..
मैंने ये बात बहुत ही प्यार से कही..
मेरी इस बात पर पापा चुप हो गये.
मैं ध्यान से फिर किताब पड़ने लगी..
बेटा... पापा ने फिर एक बार धीरे से कहा..
जी पापा... मैंने उनकी तरफ देखकर उसी शान्त लहजे में उत्तर दिया..
बेटी अनीता .. मैं भी क्या करूँ. बाप हूँ तो बेटी का दुख देख नहीं पाता हूँ, सोचा था तेरी शादी के बाद चैन से मर पाउँगा मगर ये जो भी हुआ...
फिर कुछ देर रुक कर पापा बोले..
अब तो मरने के बाद भी चैन नहीं मिलेगा बेटा..
मैने एक दम कहा.. पापा जी.. हम सब अपनी किस्मत साथ लेकर पैदा होते हैँ और साथ लेकर जीतें भी हैँ.
आप चिंता ना करो पापा...
बेटा कैसे चिंता ना करूँ.. सूरज का लिया गया लोन तुझे ही तो चुकाना हैँ...
मेरे पास ये घर हैँ, तु बोल बेटी बेच कर आराम से इतना मिल जायगा कि तेरा सारा लोन चुक जाये..
पापा लगभग रोने जैसे स्वर मे बोल उठे थे...
जानती हूँ लोन बड़ा हैँ, पापा जी.... जिस रात उनको हार्ट अटैक आया था उन्होंने 2 करोड़ किसी को दिए थे या किसी के पास रखे थे... और गोआ (GOA) मे जो जमीन उन्होंने खरीदी थी उसके पेपर्स भी उसी के साथ थे.. अगर कोई सामने आकर बता दे किसके पास हैँ ये या वो खुद बता दे तो सारी मुश्किल खत्म हो जायगी..
मेरी इस बात पर पापा ने उत्सुकता से पुछा..
बेटा तूने पुछा नहीं था क्या सूरज से, कि किसको दिए....?
मैं पापा की तरफ देखती हुई बोली..
पापा समय ने समय ही नहीं दिया..
उनकी तबियत ठीक नहीं थी तो किसी को दे आये थे वो बैग..घर आये थे तो बस इतना बताया था उन्होंने, कि तबियत खराब हो गई थी, तो इतने पैसे लेकर ट्रेवल करना ठीक नहीं था, और आगे बात होती उससे पहले उनके सीने मे तकलीफ फिर शुरू हो गई थी... पापा.... मैंने डॉक्टर को कॉल किया था..
मगर डॉक्टर के आने से पहले ही उनको अटैक पड गया था पापा...
मेरी आँखों मे आंसू देखकर पापा ने झुक कर मेरा चेहरा अपने सीने से लगा लिया..
अनीता तेरी कोई बात नहीं टाली हमने कभी..
सूरज पसंद था तुझे तो बिना सोचे तेरा ब्याह कर दिया उसके साथ..
जो माँगा उसके माँ बाप ने वो सब दिया उनको... बेटा तूने बताया क्यों नहीं पहले कि सूरज के दिल मे छेद था...
पगली ऐसे सावंरते हैँ जिन्दगी को? प्यार करना गलत नहीं बेटा मगर जीवनसाथी चुनते वक़्त तो मेरा ही कुछ लिहाज़ किया होता.. क्या करूँ मैं अब... बता बेटा...?
पापा की बात का मैं जवाब भी क्या देती.. बस चुपचाप बैठी रही...
बेटा.. तू.. तू... फिर से ब्याह करले... अरे जवान हो.. खूबसूरत हो... बोल बेटा बोल लाइन लगवा दूंगा अपनी बिटिया की ख़ुशी के लिऐ लड़को की...
बोल बेटा .
मैं जानती थी पापा के दुख का कारण मेरे भविष्य की चिंता ही थी, जो उन्हें दिन रात खाये जा रही होंगी
ना पापा... ना... जीवन में कुछ सुख बस एक बार ही मिलता हैँ, यही ईश्वर की नियति हैँ और यही कुदरत का नियम...
पापा माँग भरने का अधिकार सूरज के साथ ही चला गया ..
Please इस बारे मे आप फिर बात मत करो...
Please...
मेरे इतना कहने पर पापा शान्त से होकर चुप चाप बैठ गये..
मुझे उनकी हालत पर तरस आ रहा था सो मैं भी चुपचाप उठ कर बगीचे से अपने रूम की तरफ बढ़ गई...
...........
अगला update आज ही रात दूंगी
आपकी अनीता