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Romance एक मुकम्मल इश्क़(Completed)

Ashish Jain

कलम के सिपाही
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79
यह एक छोटा सा लेकिन असरदार कहानी होगा जो दिल में अपने लिए जगह बनाने के लिए कामयाब होगा..
बस पिछिली कहानियों की तरह इस कहानी की झोली में भी थोड़ा प्यार भर देना दोस्तों... मुझे पूरा यकीन है ये कहानी संवर जाएगी...
 
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Ashish Jain

कलम के सिपाही
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कहानी तो शुरूं करूंगा पहले अभिवादन तो कीजिए... :bat:
 

Ashish Jain

कलम के सिपाही
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~एक मुकम्मल इश्क़~





सब कुछ अलग था उनमें ,बस एक था तो दोनों का दर्द व घुटन जो दोनो ने महसूस की थी।प्यार के खोने की ,उसकी तड़प की।
जब पहली बार अतुल ने उसे देखा अपने घर के बाहर अमरूद तोड़ते तभी उसकी बेचैनी बढ़ गई थी,उसके लंबे बाल ,बड़ी बड़ी बोलती आंखे ,उसकी चंचलता ,सब कुछ उसे बाँधे हुए था।
उसने अतुल से पूछा'"ए कहा घुसे जाते हो, तुम्हारा घर है क्या?"अतुल तो सब भूल ही गया,कि वो तो सच मे उसका ही घर है ,पर शायद वक़्त न दो तो अपना घर भी पराया हो जाता है।उसकी आवाज सुन कर अंजली दौड़ी आई बोली "अब क्या हुआ किसकी क्लास ले रही हो" उसने कहा" कोई पागल है मम्मी।"पर जब अंजलि की अतुल पर नजर पड़ी तो उन्होंने उसे गले से लगा लिया।और उसे डाट लगाई अरे यही तो है तेरा खड़ूस नही पहचाना?और अतुल से मिलवाया ये है अर्पण तेरी सबसे बड़ी क्रिटिक।
अतुल ने आश्चर्य से अर्पण को देखा जब वो होस्टल गया तब तो कैसी झल्ली सी थी,और अब... घर की ओर मुड़ा तो पीछे से आवाज आई"अब भी तो वैसा ही है खड़ूस"
अतुल को याद है अर्पण उसकी बहन अर्चना की बेस्ट फ्रेंड है, बात बात पर तुनक जाती थी ,जब पिछली बार घर आया तो।
पर अर्पण ने उसकी माँ को मम्मी क्यो बुलाया उसकी समझ में नही आया।
उसने अपनी मां से पूछा तो उन्होंने बताया अर्पण जब 11क्लास में थी तब उसकी माँ दुनिया से चली गई और वो अकेली पड़ गई तब मैंने उस से बोला कि वो मुझे माँ बोल सकती है तब से वो बेटी है मेरी "बताते हुए उनकी पलकें भीग गई।
उसके बाद अर्पण अक्सर घर मे मंडराती हुई नजर आती उसे, पर हर बार वो उसे अनदेखा करने की कोशिश करता।पर दिल तो उसे ही ढूंढ़ रहा होता।उसका दिल खोल कर हसना, गुस्सा होनाऔर अर्चना से लड़ना, माँ से लाड़ करना सब उसपे अलग ही असर कर रहे थे।एक दिन उसने अर्पण को पूछते हुए सुना "खड़ूस कब जाएगा"तो अर्चना ने कहा इसबार लंबी छुट्टी में आये हैं तो अर्पण बोली "क्या नीरस बेटा है आपका मम्मी"और सब ठहाका मार कर हँस पड़े।तब अतुल ने खुद को आईने में देखा क्या वो सच मे खड़ूस है क्या वो हंसना ही भूल गया है जवाब उसे भी पता था पर खुद से सच कहने को हिम्मत चाहिए होती है।।एक दिन अर्चना के रूम से गानो की तेज आवाज आ रही थी अतुल ने उसे डाटने को जैसे ही दरवाजा खोला उस से लगा चेयर खिसक गया और अर्पण अतुल के ऊपर गिर गई अतुल ने उसे सम्हाल लिया पर अर्पण ने उसे चिल्लाया डोर नॉक नही कर सकते क्या?
अतुल ने गुस्से से अर्पण को देखा और वापस आ गया।उसे अपने व्यवहार पर आश्चर्य हो रहा था कि अगर कोई और होता तो वो कितना कुछ बोलता पर अर्पण को क्यो कुछ नही बोल पाया।
कुछ दिन बाद अर्चना और उसकी सहेलियों का एडवेंचर पार्क घूमने का प्लान बना पर लोग ज्यादा थे और शाम का समय था तो सबने अतुल को साथ कार से चलने को कहा मजबूरी में उसे जाना पड़ा।पार्क जाते ही सब घूमने निकल गए अतुल कार में ही गाने सुनते हुए बैठा था तभी अर्पण वाटर बॉटल लेने आई।उसने पूछा "तुम्हें नही घूमना क्या"उसने न में सिर हिलाया।फिर वो चली गई।आगे जाते ही कुछ लोग आए और उनमें से एक ने अर्पण का दुपट्टा खीच लिया और स्कार्फ़ की तरह गले में लपेट कर ऐसे देखा जैसे नजरो से अर्पण को नोच रहा हो।अर्पण को लगा वो क्या कर डाले उनका।गुस्से से उसकी आँखों से आँसू बहने लगे।अतुल ने पहले पुलिस को कॉल किया फिर गाड़ी से बाहर आया और अर्पण के पास गया,उसने अर्पण के कंधे पर हाथ रखा और बोला"अगर खुद से नजरे मिलाना है तो जाओ और अपना दुपट्टा लेकर आओ,क्योंकि इज्जत दुपट्टे से नही सोच से होती है,उसकी सोच को तमाचा मारो की ,तुम्हारी इज्जत एक दुपट्टे की मोहताज नही है।
अगले ही पल अर्पण उस आदमी के सामने थी उसने उस से कहा "मेरा दुपटटा शराफत से दे दो वरना अगले पल जो होगा वो तुम झेलना।" वो अर्पण के गुस्से और भीड़ इकट्ठा होने से थोड़ा डर गया पर ,था तो मर्द उस से कहा बर्दाश्त होने वाली थी ऐसी ललकार,बोला"क्या करेगी तु?"अर्पण बोली "झापड़ लगाउंगी मैं भी और ये लोग भी, जो अपने घर की औरतों की इज्ज़त करते हैं।"तो वो जोर से बोला "लगा के दिखा "और अर्पण ने एक जोर का तमाचा उसे जड़ दिया ,उसने जैसे ही अर्पण का हाथ पकड़ने की कोसिस की अतुल ने उसके दूसरे गाल में झापड़ रसीद की।तब तक पुलिस भी आ गई और उसे पकड़ कर ले गई।अर्पण का दुपटटा अतुल ने उसके गले से निकाल अर्पण को दिया।अर्पण तब तक हिल गई थी उसने अतुल के सीने में सिर रख दिया और बच्चो की तरह रोने लगी अतुल ने उसे चुप कराया और बच्चो की तरह उसके बाल सहलाने लगा।फिर धीरे से बोला तुम तो बाहुबली निकली यार।फिर अर्पण ने अतुल को देखा और मुस्कुराने लगी।तब तक अर्चना और उसकी बाकी की दोस्त भी आ गई।अतुल ने सबको गाड़ी में बैठने का इशारा किया और वो वापस आ गए।अर्चना को अतुल ने सारी बात बताई तो वो भी अर्पण से लिपट गई बोली सॉरी मैने तुम्हें अकेला छोड़ दिया"तो अतुल बोला "तुम्हारी फ्रेंड तो बाहुबली है ,क्या डरना"और सब हसने लगे।अतुल ने बैक मिरर से अर्पण को देखा वो भी मुस्कुरा रही थी और अतुल को देख रही थी।
अब अतुल का वक़्त अर्पण के इंतजार में गुजरता और अर्पण का अतुल के घर।दोनो को बात समझ आ रही थी कुछ है जो दोनों को बांध रहा है और वो चाह कर भी खुद को रोक नही पा रहे।एक दिन अर्पण को अंजली ने बोला "बेटा आज रात यही रुक जा ना।पहले तो हर वीकेंड में यही रुकती थी।आज मूवी देखेंगे,एन्जॉय करेंगे",तो अर्चना भी बोली"मैडम के भाव बढ़ गए हैं रुकती है या .....तो अर्पण का दिल जोर जोर से धड़कने लगा उसे अजीब लग रहा था वो तो इस घर की मेंबर ही थी फिर अब क्यो ये बेचैनी, उसने धीरे से अतुल की ओर देखा वो चुपके से उसे ही देख रहा था।तो अर्चना बोली "अंकल से मैं बोलूं क्या?"तो उसने बोला "नही मै आ जाउंगी शाम 7-8बजे तक।जब वो आई तो उसने सफेद कलर की नाइटी पहनी थी बहुत प्यारी लग रही थी अतुल तो कब से उसका ही इंतजार कर रहा था।दरवाजा खोला तो अंदर आने को बोलना ही भूल गया।तो अशोक ने आवाज लगाई "कौन है बेटा?"तो अतुल बोला"बाहुबली है पापा"और अशोक दौड़ता आया ,अर्पण गुस्से से अतुल को देख रही थी तो अशोक उसके सिर में हाथ रख कर बोला "अरे ये तो मेरी शेरनी बेटी है"और अर्पण मुस्कुरा दी और अशोक के गले लग गई। अंजलि बोली ,"अरे बेटी तो मेरी भी है "और अर्पण का माथा चुम लिया।तो अतुल बोला"हा और हमे तो गोद लिया है आपने"फिर सब हँसने लगे।
देर रात मूवी और गपशप का दौर चला।2बजे तक सब अपने रूम में जाने लगे तो अर्पण अर्चना के रूम में चली गई।पर नींद कोसो दूर थी।पानी पीने के बहाने वो बाहर आई तो देखा कोई पोर्च में टहल रहा है।उसने हाथ मे झाड़ू पकड़ा और धीरे से वहाँ गई कि अगर चोर हुआ तो।पर जैसे ही मारने के लिए झाड़ू उठाया अतुल चिल्लाया"ये क्या कर रही होऔर उसने झाड़ू फेक दिया।और दोनों हँसने लगे।अर्पण ने पूछा तुम क्यों जाग रही हो,उसने पानी का बहाना किया ,फिर उसने अतुल से पूछा तुम क्यों जाग रहे हो"तो अतुल शांत हो गया और झूले की ओर इशारा किया "वहाँ बैठे?"अर्पण बैठ गई फिर अतुल जब उसकी बगल में बैठा उसकी धड़कन बढ़ गई ,लगा दिल उछल कर बाहर आ जायेगा।
अतुल ने बोलना शुरू किया"मैं और अंकुर क्लास 1 से साथ थे हर काम एक साथ करना सब हमे जय वीरू बोल कर चिढ़ाते थे।वो तुम्हारि तरह मेरे मम्मी पापा के बेहद करीब था।जब हम 11थ में थे उसको एक लड़की से प्यार हो गया मुझे ये बात बुरी लगी तो उसने कहा एक दिन तुझे भी ऐसे ही प्यार हो जाएगा।उस लड़की के साथ उसे 1साल हो गए पूरा दिन उसकी ही बातें करता जब भी मिलता।उसके लिए तोहफे लेता।पर उस लड़की ने उसका दिल तोड़ दिया जब उसे उस लड़की के कुछ और बॉयफ्रेंड के बारे में पता चला वो बहुत रोया।मैंने उसे बहुत समझाया वो चुप तो हो गया।पर उसका मन कहा शांत होता।अगली सुबह जब मैं उठा उसके घर गया वहाँ बहुत भीड़ थी।अंदर घबराते हुए गया तो मेरा दोस्त कफन में लिपटा लेटा था।और अतुल के आंख भीग गए।
अर्पण एकटक उसे देख रही थी।और उसका दर्द महसूस कर रही थी।अतुल आगे बोला उस दिनसे मैंने सोच लिया था कभी किसी से प्यार नहीं करूंगा न किसी को अपनी लाइफ में इतनी जगह दूँगा।फिर अतुल शांत हो गया और शून्य में निहारने लगा।
अर्पण समझ चुकी थी वो उस से क्या कहना चाहता है, उसने कहा "बहुत रात हो गई है सो जाओ।"और चुपचाप चली गई।
अगले दिन वो सुबह ही अपने घर चली गई।अतुल को अर्चना ने बताया कि अर्पण की आंखें बहुत सूज गई थी जैसे पूरी रात रोइ हो।
अगले दिन रमेश ने अर्पण से पूछा "आज घर में ही घुसी है, मेरा बच्चा ,क्या हुआ?अर्चना से लड़ाई हुई क्या?"अर्पण बोली" नहीं पापा "और उनकी गोद मे सर रख के सो गई।रमेश को समझ आ गया था जो दर्द वो इतने सालों से सह रहा था अब उसकी बेटी की बारी थी।
रमेश औऱ अशोक का घर लगा हुआ था दोनो की छत एक दूसरे से जुड़ी हुई थी,अशोक के परिवार ने बुरे वक्त में रमेश का बहुत साथ दिया था।अर्चना उनको अपनी बेटी ही लगती,कभी अर्पण उनके घर मे होती कभी अर्चना रमेश के घर।पर अतुल को बचपन में ही देखा था रमेश ने तो कभी ज्यादा जान नही पाया था उसे।पर अब उसे जानना बहुत जरूरी लग रहा था रमेश को।
कुछ दिन ऐसे ही निकल गए, एक दिन अर्पण अपनी छत पर बैठ कर किताब पढ़ रही थी पर वो अलग ही दुनिया में है कोई भी बता सकता था।रमेश ने बगीचे से उसे देखा फिर उसकी नजर अशोक के लॉन पे पड़ी जहां से अतुल अर्पण को देख रहा था,उसकी नजर में एक दर्द था बेचैनी थी।उसने अतुल से कहा "हेलो यंग मैन, क्या हाल है?"अतुल अपनी सोच की दुनिया से बाहर आया और बोला अच्छा हूँ अंकल।आप कैसे हैं?" रमेश ने उसे बताया कि वो अर्पण के लिए परेशान हैं "अब सोच रहा हु उसकी शादी कर दूँ, पर लड़का उसके योग्य चाहिए"उनकी बात सुनते ही अतुल को लगा वो सांस नही ले पा रहा।वो बेचैनी से अंदर चला गया।

अगले दिन अर्पण उनके बगीचे में अमरूद के पेड़ के नीचे खड़ी थी, जब अतुल ने उसे देखा ,वो उसके पास गया बोला कुछ नही।अर्पण ने ही बोलना शुरू किया "जानते हो मेरे मम्मी पापा की लव मैरिज थी,मैंने जब भी उन्हें देखा प्यार में डूबे देखा।उनकी समझ, केअर, जिंदगी को जीने का तरीका देख कर मैं यही सोचती थी कि जीवन की परिभाषा ही यही है।पर जब मम्मी चली गईं तो पापा की हालत देख कर लगा कि उन्होंने माँ से इतना प्यार किया ही क्यों?उनका दर्द में पूरी रात जागना उनके सामान को सहेजना उनके लिए तड़पना सब कुछ मुझे बेचैन कर देता।आज भी उनको अकेले रोते हुए देखती हूं कई बार।और हर बार ये विश्वास हो जाता है कि मैं प्यार कर ही नही सकती ,ये दर्द मुझे चाहिए ही नही।अतुल ये दर्द मुझे महसूस नहीं करना" और उसके गाल आँसू से भीग गए।अतुल समझ गया था उसे आगे क्या कहना है और वो खामोसी से जाने लगा तो अर्पण ने कहा"तुम्हें याद है हम पहली बार यहीं मिले थे, जब उस दिन तुमने मुझे गले लगाया तब से लगता है कुछ अधूरा सा रह गया है"अतुल ने बस इतना ही कहा "अधूरा तो मैं भी हो गया हूं अर्पण" और चला गया।
कुछ दिन ऐसे ही निकल गए, अर्पण अर्चना को ही बुला लेती ,उदास रहती ।अगर जाती भी कभी अशोक के घर तो अर्चना के रूम में बंद हो जाती वो अतुल को देखना ही नही चाहती थी,अगर वो सामने आ गया तो आंसू रोकना मुश्किल हो जाता उसके लिए।
एक दिन अर्चना खुशी में फुदकती हुई आई और बोली चल मिठाई खा, अर्पण ने कहा किस खुशी में?तेरी शादी तय हो गई है क्या?"अर्चना बोली "अरे शूभ बोल भैया का सेलेक्शन हो गया आईएएस में।अब वो सबसे बड़े अधिकारी बन जाएंगे।"अर्पण के चेहरे पर मुस्कान आ गई ।अर्चना बोली वो नेक्स्ट वीक दिल्ली जा रहे हैं 1साल के लिए।फिर पोस्टिंग होगी।"
अर्पण को जैसे सदमा लग गया ये सुनकर जिस से भाग रही थी अब तक, अब वो जा रहा है ,अब उसे 1साल तक देख भी नही पाएगी।जिंदा कैसे रहेगी ?आँसू किसी तरह आंखों में छुपाये ,वो अर्चना के घर की ओर भागी।अर्चना रमेश का मुंह मीठा करने चली गई।अर्पण से बोली" जा तेरे खड़ूस को विश कर दे।"
अंजलि से पूछा अतुल कहा है, अंजली बोली बेटा छत में है जा बधाई दे दे उसे।और काम मे लग गई।अतुल एक पेपर में कुछ पढ़ रहा था,अर्पण ने उसे गुस्से से देखा और उसको जोर जोर से उसकी भुजाओं को मारने लगी "तुम खुद को क्या समझते हो, एक साल मेरे बिना रह सकते हो ना, जाओ जहा जाना है पर इतना याद रखना अगली बार जब आओगे ये बाहुबली मिलेगी नही तुम्हें।मर जायेगी, फिर रोना मेरी तरह।अतुल ने उसके हाथों को पकड़ कर खिंचा और अपनी बाहों में भर लिया "तुमको मरने दूँगा तब तो"उसे अहसास हुआ कि अब वो पूरा हो गया है।उसका सीना आंसुओ से भीग गया था उसने अर्पण का चेहरा अपनी हथेली में ले कर कहा"तुम्हारे पापा चाहते थे कि उनकी बेटी को उसके लायक लड़का मिले तो तुम्हारे लायक तो बनना ही था ना।अब उनसे मांगने आऊंगा तुमको और हमेशा के लिए तुम मेरी बाहुबली बन जाओगी।और उसके होठो को चुम लिया।और दोनों का प्यार से डर उनको एक कर गया।



•••समाप्त•••
 

Sona

Smiling can make u and others happy
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~एक मुकम्मल इश्क़~





सब कुछ अलग था उनमें ,बस एक था तो दोनों का दर्द व घुटन जो दोनो ने महसूस की थी।प्यार के खोने की ,उसकी तड़प की।
जब पहली बार अतुल ने उसे देखा अपने घर के बाहर अमरूद तोड़ते तभी उसकी बेचैनी बढ़ गई थी,उसके लंबे बाल ,बड़ी बड़ी बोलती आंखे ,उसकी चंचलता ,सब कुछ उसे बाँधे हुए था।
उसने अतुल से पूछा'"ए कहा घुसे जाते हो, तुम्हारा घर है क्या?"अतुल तो सब भूल ही गया,कि वो तो सच मे उसका ही घर है ,पर शायद वक़्त न दो तो अपना घर भी पराया हो जाता है।उसकी आवाज सुन कर अंजली दौड़ी आई बोली "अब क्या हुआ किसकी क्लास ले रही हो" उसने कहा" कोई पागल है मम्मी।"पर जब अंजलि की अतुल पर नजर पड़ी तो उन्होंने उसे गले से लगा लिया।और उसे डाट लगाई अरे यही तो है तेरा खड़ूस नही पहचाना?और अतुल से मिलवाया ये है अर्पण तेरी सबसे बड़ी क्रिटिक।
अतुल ने आश्चर्य से अर्पण को देखा जब वो होस्टल गया तब तो कैसी झल्ली सी थी,और अब... घर की ओर मुड़ा तो पीछे से आवाज आई"अब भी तो वैसा ही है खड़ूस"
अतुल को याद है अर्पण उसकी बहन अर्चना की बेस्ट फ्रेंड है, बात बात पर तुनक जाती थी ,जब पिछली बार घर आया तो।
पर अर्पण ने उसकी माँ को मम्मी क्यो बुलाया उसकी समझ में नही आया।
उसने अपनी मां से पूछा तो उन्होंने बताया अर्पण जब 11क्लास में थी तब उसकी माँ दुनिया से चली गई और वो अकेली पड़ गई तब मैंने उस से बोला कि वो मुझे माँ बोल सकती है तब से वो बेटी है मेरी "बताते हुए उनकी पलकें भीग गई।
उसके बाद अर्पण अक्सर घर मे मंडराती हुई नजर आती उसे, पर हर बार वो उसे अनदेखा करने की कोशिश करता।पर दिल तो उसे ही ढूंढ़ रहा होता।उसका दिल खोल कर हसना, गुस्सा होनाऔर अर्चना से लड़ना, माँ से लाड़ करना सब उसपे अलग ही असर कर रहे थे।एक दिन उसने अर्पण को पूछते हुए सुना "खड़ूस कब जाएगा"तो अर्चना ने कहा इसबार लंबी छुट्टी में आये हैं तो अर्पण बोली "क्या नीरस बेटा है आपका मम्मी"और सब ठहाका मार कर हँस पड़े।तब अतुल ने खुद को आईने में देखा क्या वो सच मे खड़ूस है क्या वो हंसना ही भूल गया है जवाब उसे भी पता था पर खुद से सच कहने को हिम्मत चाहिए होती है।।एक दिन अर्चना के रूम से गानो की तेज आवाज आ रही थी अतुल ने उसे डाटने को जैसे ही दरवाजा खोला उस से लगा चेयर खिसक गया और अर्पण अतुल के ऊपर गिर गई अतुल ने उसे सम्हाल लिया पर अर्पण ने उसे चिल्लाया डोर नॉक नही कर सकते क्या?
अतुल ने गुस्से से अर्पण को देखा और वापस आ गया।उसे अपने व्यवहार पर आश्चर्य हो रहा था कि अगर कोई और होता तो वो कितना कुछ बोलता पर अर्पण को क्यो कुछ नही बोल पाया।
कुछ दिन बाद अर्चना और उसकी सहेलियों का एडवेंचर पार्क घूमने का प्लान बना पर लोग ज्यादा थे और शाम का समय था तो सबने अतुल को साथ कार से चलने को कहा मजबूरी में उसे जाना पड़ा।पार्क जाते ही सब घूमने निकल गए अतुल कार में ही गाने सुनते हुए बैठा था तभी अर्पण वाटर बॉटल लेने आई।उसने पूछा "तुम्हें नही घूमना क्या"उसने न में सिर हिलाया।फिर वो चली गई।आगे जाते ही कुछ लोग आए और उनमें से एक ने अर्पण का दुपट्टा खीच लिया और स्कार्फ़ की तरह गले में लपेट कर ऐसे देखा जैसे नजरो से अर्पण को नोच रहा हो।अर्पण को लगा वो क्या कर डाले उनका।गुस्से से उसकी आँखों से आँसू बहने लगे।अतुल ने पहले पुलिस को कॉल किया फिर गाड़ी से बाहर आया और अर्पण के पास गया,उसने अर्पण के कंधे पर हाथ रखा और बोला"अगर खुद से नजरे मिलाना है तो जाओ और अपना दुपट्टा लेकर आओ,क्योंकि इज्जत दुपट्टे से नही सोच से होती है,उसकी सोच को तमाचा मारो की ,तुम्हारी इज्जत एक दुपट्टे की मोहताज नही है।
अगले ही पल अर्पण उस आदमी के सामने थी उसने उस से कहा "मेरा दुपटटा शराफत से दे दो वरना अगले पल जो होगा वो तुम झेलना।" वो अर्पण के गुस्से और भीड़ इकट्ठा होने से थोड़ा डर गया पर ,था तो मर्द उस से कहा बर्दाश्त होने वाली थी ऐसी ललकार,बोला"क्या करेगी तु?"अर्पण बोली "झापड़ लगाउंगी मैं भी और ये लोग भी, जो अपने घर की औरतों की इज्ज़त करते हैं।"तो वो जोर से बोला "लगा के दिखा "और अर्पण ने एक जोर का तमाचा उसे जड़ दिया ,उसने जैसे ही अर्पण का हाथ पकड़ने की कोसिस की अतुल ने उसके दूसरे गाल में झापड़ रसीद की।तब तक पुलिस भी आ गई और उसे पकड़ कर ले गई।अर्पण का दुपटटा अतुल ने उसके गले से निकाल अर्पण को दिया।अर्पण तब तक हिल गई थी उसने अतुल के सीने में सिर रख दिया और बच्चो की तरह रोने लगी अतुल ने उसे चुप कराया और बच्चो की तरह उसके बाल सहलाने लगा।फिर धीरे से बोला तुम तो बाहुबली निकली यार।फिर अर्पण ने अतुल को देखा और मुस्कुराने लगी।तब तक अर्चना और उसकी बाकी की दोस्त भी आ गई।अतुल ने सबको गाड़ी में बैठने का इशारा किया और वो वापस आ गए।अर्चना को अतुल ने सारी बात बताई तो वो भी अर्पण से लिपट गई बोली सॉरी मैने तुम्हें अकेला छोड़ दिया"तो अतुल बोला "तुम्हारी फ्रेंड तो बाहुबली है ,क्या डरना"और सब हसने लगे।अतुल ने बैक मिरर से अर्पण को देखा वो भी मुस्कुरा रही थी और अतुल को देख रही थी।
अब अतुल का वक़्त अर्पण के इंतजार में गुजरता और अर्पण का अतुल के घर।दोनो को बात समझ आ रही थी कुछ है जो दोनों को बांध रहा है और वो चाह कर भी खुद को रोक नही पा रहे।एक दिन अर्पण को अंजली ने बोला "बेटा आज रात यही रुक जा ना।पहले तो हर वीकेंड में यही रुकती थी।आज मूवी देखेंगे,एन्जॉय करेंगे",तो अर्चना भी बोली"मैडम के भाव बढ़ गए हैं रुकती है या .....तो अर्पण का दिल जोर जोर से धड़कने लगा उसे अजीब लग रहा था वो तो इस घर की मेंबर ही थी फिर अब क्यो ये बेचैनी, उसने धीरे से अतुल की ओर देखा वो चुपके से उसे ही देख रहा था।तो अर्चना बोली "अंकल से मैं बोलूं क्या?"तो उसने बोला "नही मै आ जाउंगी शाम 7-8बजे तक।जब वो आई तो उसने सफेद कलर की नाइटी पहनी थी बहुत प्यारी लग रही थी अतुल तो कब से उसका ही इंतजार कर रहा था।दरवाजा खोला तो अंदर आने को बोलना ही भूल गया।तो अशोक ने आवाज लगाई "कौन है बेटा?"तो अतुल बोला"बाहुबली है पापा"और अशोक दौड़ता आया ,अर्पण गुस्से से अतुल को देख रही थी तो अशोक उसके सिर में हाथ रख कर बोला "अरे ये तो मेरी शेरनी बेटी है"और अर्पण मुस्कुरा दी और अशोक के गले लग गई। अंजलि बोली ,"अरे बेटी तो मेरी भी है "और अर्पण का माथा चुम लिया।तो अतुल बोला"हा और हमे तो गोद लिया है आपने"फिर सब हँसने लगे।
देर रात मूवी और गपशप का दौर चला।2बजे तक सब अपने रूम में जाने लगे तो अर्पण अर्चना के रूम में चली गई।पर नींद कोसो दूर थी।पानी पीने के बहाने वो बाहर आई तो देखा कोई पोर्च में टहल रहा है।उसने हाथ मे झाड़ू पकड़ा और धीरे से वहाँ गई कि अगर चोर हुआ तो।पर जैसे ही मारने के लिए झाड़ू उठाया अतुल चिल्लाया"ये क्या कर रही होऔर उसने झाड़ू फेक दिया।और दोनों हँसने लगे।अर्पण ने पूछा तुम क्यों जाग रही हो,उसने पानी का बहाना किया ,फिर उसने अतुल से पूछा तुम क्यों जाग रहे हो"तो अतुल शांत हो गया और झूले की ओर इशारा किया "वहाँ बैठे?"अर्पण बैठ गई फिर अतुल जब उसकी बगल में बैठा उसकी धड़कन बढ़ गई ,लगा दिल उछल कर बाहर आ जायेगा।
अतुल ने बोलना शुरू किया"मैं और अंकुर क्लास 1 से साथ थे हर काम एक साथ करना सब हमे जय वीरू बोल कर चिढ़ाते थे।वो तुम्हारि तरह मेरे मम्मी पापा के बेहद करीब था।जब हम 11थ में थे उसको एक लड़की से प्यार हो गया मुझे ये बात बुरी लगी तो उसने कहा एक दिन तुझे भी ऐसे ही प्यार हो जाएगा।उस लड़की के साथ उसे 1साल हो गए पूरा दिन उसकी ही बातें करता जब भी मिलता।उसके लिए तोहफे लेता।पर उस लड़की ने उसका दिल तोड़ दिया जब उसे उस लड़की के कुछ और बॉयफ्रेंड के बारे में पता चला वो बहुत रोया।मैंने उसे बहुत समझाया वो चुप तो हो गया।पर उसका मन कहा शांत होता।अगली सुबह जब मैं उठा उसके घर गया वहाँ बहुत भीड़ थी।अंदर घबराते हुए गया तो मेरा दोस्त कफन में लिपटा लेटा था।और अतुल के आंख भीग गए।
अर्पण एकटक उसे देख रही थी।और उसका दर्द महसूस कर रही थी।अतुल आगे बोला उस दिनसे मैंने सोच लिया था कभी किसी से प्यार नहीं करूंगा न किसी को अपनी लाइफ में इतनी जगह दूँगा।फिर अतुल शांत हो गया और शून्य में निहारने लगा।
अर्पण समझ चुकी थी वो उस से क्या कहना चाहता है, उसने कहा "बहुत रात हो गई है सो जाओ।"और चुपचाप चली गई।
अगले दिन वो सुबह ही अपने घर चली गई।अतुल को अर्चना ने बताया कि अर्पण की आंखें बहुत सूज गई थी जैसे पूरी रात रोइ हो।
अगले दिन रमेश ने अर्पण से पूछा "आज घर में ही घुसी है, मेरा बच्चा ,क्या हुआ?अर्चना से लड़ाई हुई क्या?"अर्पण बोली" नहीं पापा "और उनकी गोद मे सर रख के सो गई।रमेश को समझ आ गया था जो दर्द वो इतने सालों से सह रहा था अब उसकी बेटी की बारी थी।
रमेश औऱ अशोक का घर लगा हुआ था दोनो की छत एक दूसरे से जुड़ी हुई थी,अशोक के परिवार ने बुरे वक्त में रमेश का बहुत साथ दिया था।अर्चना उनको अपनी बेटी ही लगती,कभी अर्पण उनके घर मे होती कभी अर्चना रमेश के घर।पर अतुल को बचपन में ही देखा था रमेश ने तो कभी ज्यादा जान नही पाया था उसे।पर अब उसे जानना बहुत जरूरी लग रहा था रमेश को।
कुछ दिन ऐसे ही निकल गए, एक दिन अर्पण अपनी छत पर बैठ कर किताब पढ़ रही थी पर वो अलग ही दुनिया में है कोई भी बता सकता था।रमेश ने बगीचे से उसे देखा फिर उसकी नजर अशोक के लॉन पे पड़ी जहां से अतुल अर्पण को देख रहा था,उसकी नजर में एक दर्द था बेचैनी थी।उसने अतुल से कहा "हेलो यंग मैन, क्या हाल है?"अतुल अपनी सोच की दुनिया से बाहर आया और बोला अच्छा हूँ अंकल।आप कैसे हैं?" रमेश ने उसे बताया कि वो अर्पण के लिए परेशान हैं "अब सोच रहा हु उसकी शादी कर दूँ, पर लड़का उसके योग्य चाहिए"उनकी बात सुनते ही अतुल को लगा वो सांस नही ले पा रहा।वो बेचैनी से अंदर चला गया।

अगले दिन अर्पण उनके बगीचे में अमरूद के पेड़ के नीचे खड़ी थी, जब अतुल ने उसे देखा ,वो उसके पास गया बोला कुछ नही।अर्पण ने ही बोलना शुरू किया "जानते हो मेरे मम्मी पापा की लव मैरिज थी,मैंने जब भी उन्हें देखा प्यार में डूबे देखा।उनकी समझ, केअर, जिंदगी को जीने का तरीका देख कर मैं यही सोचती थी कि जीवन की परिभाषा ही यही है।पर जब मम्मी चली गईं तो पापा की हालत देख कर लगा कि उन्होंने माँ से इतना प्यार किया ही क्यों?उनका दर्द में पूरी रात जागना उनके सामान को सहेजना उनके लिए तड़पना सब कुछ मुझे बेचैन कर देता।आज भी उनको अकेले रोते हुए देखती हूं कई बार।और हर बार ये विश्वास हो जाता है कि मैं प्यार कर ही नही सकती ,ये दर्द मुझे चाहिए ही नही।अतुल ये दर्द मुझे महसूस नहीं करना" और उसके गाल आँसू से भीग गए।अतुल समझ गया था उसे आगे क्या कहना है और वो खामोसी से जाने लगा तो अर्पण ने कहा"तुम्हें याद है हम पहली बार यहीं मिले थे, जब उस दिन तुमने मुझे गले लगाया तब से लगता है कुछ अधूरा सा रह गया है"अतुल ने बस इतना ही कहा "अधूरा तो मैं भी हो गया हूं अर्पण" और चला गया।
कुछ दिन ऐसे ही निकल गए, अर्पण अर्चना को ही बुला लेती ,उदास रहती ।अगर जाती भी कभी अशोक के घर तो अर्चना के रूम में बंद हो जाती वो अतुल को देखना ही नही चाहती थी,अगर वो सामने आ गया तो आंसू रोकना मुश्किल हो जाता उसके लिए।
एक दिन अर्चना खुशी में फुदकती हुई आई और बोली चल मिठाई खा, अर्पण ने कहा किस खुशी में?तेरी शादी तय हो गई है क्या?"अर्चना बोली "अरे शूभ बोल भैया का सेलेक्शन हो गया आईएएस में।अब वो सबसे बड़े अधिकारी बन जाएंगे।"अर्पण के चेहरे पर मुस्कान आ गई ।अर्चना बोली वो नेक्स्ट वीक दिल्ली जा रहे हैं 1साल के लिए।फिर पोस्टिंग होगी।"
अर्पण को जैसे सदमा लग गया ये सुनकर जिस से भाग रही थी अब तक, अब वो जा रहा है ,अब उसे 1साल तक देख भी नही पाएगी।जिंदा कैसे रहेगी ?आँसू किसी तरह आंखों में छुपाये ,वो अर्चना के घर की ओर भागी।अर्चना रमेश का मुंह मीठा करने चली गई।अर्पण से बोली" जा तेरे खड़ूस को विश कर दे।"
अंजलि से पूछा अतुल कहा है, अंजली बोली बेटा छत में है जा बधाई दे दे उसे।और काम मे लग गई।अतुल एक पेपर में कुछ पढ़ रहा था,अर्पण ने उसे गुस्से से देखा और उसको जोर जोर से उसकी भुजाओं को मारने लगी "तुम खुद को क्या समझते हो, एक साल मेरे बिना रह सकते हो ना, जाओ जहा जाना है पर इतना याद रखना अगली बार जब आओगे ये बाहुबली मिलेगी नही तुम्हें।मर जायेगी, फिर रोना मेरी तरह।अतुल ने उसके हाथों को पकड़ कर खिंचा और अपनी बाहों में भर लिया "तुमको मरने दूँगा तब तो"उसे अहसास हुआ कि अब वो पूरा हो गया है।उसका सीना आंसुओ से भीग गया था उसने अर्पण का चेहरा अपनी हथेली में ले कर कहा"तुम्हारे पापा चाहते थे कि उनकी बेटी को उसके लायक लड़का मिले तो तुम्हारे लायक तो बनना ही था ना।अब उनसे मांगने आऊंगा तुमको और हमेशा के लिए तुम मेरी बाहुबली बन जाओगी।और उसके होठो को चुम लिया।और दोनों का प्यार से डर उनको एक कर गया।



•••समाप्त•••
Fantastic story sir
 
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