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प्रिय साथियों, आप सबको hardcore devil का प्यार भरा नमस्कार। इस फोरम पर ये मेरी पहली कहानी है, आशा करता हु इसे आप सबका प्यार मिलेगा।
आपके सुझाव एवं टिप्पणी की जरूरत है।
कहानी के पात्र:
कल्लु :25 साल , ये एक बेरोजगार मजदूर है।
मनोज : 25 साल, ये कल्लू का दोस्त है, और दिन भर आवारा गाँव मे घूमना और औरतो को ताड़ना ही इसका काम है।
पदमा : उम्र, 39 साल, गाँव की ठकुराइन।
सरिता :उमर 41 साल, ये ठाकुरो के घर मे काम करती है।
बाकी के पात्र भी धीरे धीरे कहानी मे आयेंगे जैसे कहानी बढ़ेगी।
"आज खूब बेर खाये तुमने बेटा मनोज, ठाकुर के यहाँ" छेरते हुए कल्लु ने मनोज से कहा।
"अरे कहाँ यार, आज भी मालकीन आ गयी, झिरक के भगा दिया, जैसे तैसे भागा हूँ। उपर से ठाकुर के कुत्ते पिच्छे पड़ गए थे।
कल्लु और मनोज दोनों जोका गाँव के रहने वाले थे, दोनों की उमर करीब करीब 25-26 होगी। देखने मे बेहद ही काले और बदसूरत थे। काम के नाम पर कभी किसी का बोझा ढो देते या किसी के यहाँ घर का छोटा मोटा घरेलू काम कर देते।
दोनों अव्वल दर्जे के ठरकी थे, दोनों ने गाँव के लगभग हर उमर की औरतो एवं लड़कियों को फँसाने की पूरी कोशिश की मगर सभी इनकी काली सूरत और शक्ल देखके ही झिरक् देती।
"यार मनोज ये बता आज भी मालकीन वो पतली वाली नाइटी मे थी,अपना 11" लंड को पैंट के उपर से सहलाते हुए कल्लू बोला। आज कल्लू के बदन मे कुछ ज्यादा ही गर्मी चढ़ रही थी। हालांकि इसका भी एक कारण था।
"नही रे, आज शायद कोइ पतली सी लाल रंग का सूट था, पर नीचे बिल्कुल टाईट, शायद लेग्गिंगस् बोलते है उसे,, मै जब वापस घूम के भाग रहा था, मालकीन पीछे घुमी थी, घुमते घुमते मैंने देखा, वो कुर्ती उनकी गांड के छेद मे फँसी हुई थी।
उफ्फ, क्या बताऊ भाई, मालकीन के गांड कोई 40" से कम ना होगी, एकदम टाईट, सुडौल, जिसके नीचे उनकी केले जैसे जांघ बुढो के लुंड को भी खड़ा कर दे, कहते कहते मनोज ने अपने लंड को जोर से मसल दिया।
आपके सुझाव एवं टिप्पणी की जरूरत है।
कहानी के पात्र:
कल्लु :25 साल , ये एक बेरोजगार मजदूर है।
मनोज : 25 साल, ये कल्लू का दोस्त है, और दिन भर आवारा गाँव मे घूमना और औरतो को ताड़ना ही इसका काम है।
पदमा : उम्र, 39 साल, गाँव की ठकुराइन।
सरिता :उमर 41 साल, ये ठाकुरो के घर मे काम करती है।
बाकी के पात्र भी धीरे धीरे कहानी मे आयेंगे जैसे कहानी बढ़ेगी।
"आज खूब बेर खाये तुमने बेटा मनोज, ठाकुर के यहाँ" छेरते हुए कल्लु ने मनोज से कहा।
"अरे कहाँ यार, आज भी मालकीन आ गयी, झिरक के भगा दिया, जैसे तैसे भागा हूँ। उपर से ठाकुर के कुत्ते पिच्छे पड़ गए थे।
कल्लु और मनोज दोनों जोका गाँव के रहने वाले थे, दोनों की उमर करीब करीब 25-26 होगी। देखने मे बेहद ही काले और बदसूरत थे। काम के नाम पर कभी किसी का बोझा ढो देते या किसी के यहाँ घर का छोटा मोटा घरेलू काम कर देते।
दोनों अव्वल दर्जे के ठरकी थे, दोनों ने गाँव के लगभग हर उमर की औरतो एवं लड़कियों को फँसाने की पूरी कोशिश की मगर सभी इनकी काली सूरत और शक्ल देखके ही झिरक् देती।
"यार मनोज ये बता आज भी मालकीन वो पतली वाली नाइटी मे थी,अपना 11" लंड को पैंट के उपर से सहलाते हुए कल्लू बोला। आज कल्लू के बदन मे कुछ ज्यादा ही गर्मी चढ़ रही थी। हालांकि इसका भी एक कारण था।
"नही रे, आज शायद कोइ पतली सी लाल रंग का सूट था, पर नीचे बिल्कुल टाईट, शायद लेग्गिंगस् बोलते है उसे,, मै जब वापस घूम के भाग रहा था, मालकीन पीछे घुमी थी, घुमते घुमते मैंने देखा, वो कुर्ती उनकी गांड के छेद मे फँसी हुई थी।
उफ्फ, क्या बताऊ भाई, मालकीन के गांड कोई 40" से कम ना होगी, एकदम टाईट, सुडौल, जिसके नीचे उनकी केले जैसे जांघ बुढो के लुंड को भी खड़ा कर दे, कहते कहते मनोज ने अपने लंड को जोर से मसल दिया।