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नानी जी
दूर गाँव में रहती अपनी नानी जी,
कौन सुनाए मोहक कथा कहानी जी!
राजा-रानी, सूरज-चंदा
जगमग तारावलियों की,
इंद्रधनुष से पंख उगाए
झिलमिल आती पयिों की,
हैं किस्सों की भरी पिटारी नानी जी
याद जिन्हें हैं ढेरों कथा-कहानी जी!
नंदन बन, अद्भुत पशु-पक्षी
मोहक फूल-तितलियों की,
बादल, धूप, परी, सिमसिम की
सागर नदी मछलियों की।
कब आएँगी हमें सुनाने बातें सारी नानी जी!
रमेशचंद्र पंत
दूर गाँव में रहती अपनी नानी जी,
कौन सुनाए मोहक कथा कहानी जी!
राजा-रानी, सूरज-चंदा
जगमग तारावलियों की,
इंद्रधनुष से पंख उगाए
झिलमिल आती पयिों की,
हैं किस्सों की भरी पिटारी नानी जी
याद जिन्हें हैं ढेरों कथा-कहानी जी!
नंदन बन, अद्भुत पशु-पक्षी
मोहक फूल-तितलियों की,
बादल, धूप, परी, सिमसिम की
सागर नदी मछलियों की।
कब आएँगी हमें सुनाने बातें सारी नानी जी!
रमेशचंद्र पंत
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