अब आगे.....
अब तो पता चल गया ना की मैंने ब्लाउज़ नहीं पहना हैं अब चलो जल्दी जल्दी....
अलोक - हां मम्मी. ( अपनी मम्मी के ब्लाउज़ ना पहने के कारण अलोक का लंड पैंट मै ही झटके मारने लगा था उसकी हालत ख़राब हो रही थी वों चाहता था की की उसकी मम्मी से वों ऐसी कुछ बात करे की उसकी मम्मी बातो से ही चुदवासी हो जाये )...
मम्मी आप इतनी ठंडी मै भी बिना ब्लाउज़ के यें विधि कर रही हो सच मै मम्मी आप का तो कोई जवाब नहीं...
कामिनी - ha बेटा तुम सब के लिये तो यें सब करना ही पड़ेगा ना तभी हमारी परेशानियाँ दूर होंगी...
अलोक - ha मम्मी..
थोड़ी ही देर मै अलोक औऱ कामिनी नदी पर पोहच गये.
कामिनी - बेटा चलो मै जल्दी विधि ख़त्म कर लेती हु..
अलोक - जी मम्मी..
औऱ इतना कहकर कामिनी नदी की तरफ़ बढ़ गयी
इस वक़्त नदी मै चारो तरफ़ बस सन्नाटा ही था औऱ औऱ हवाओं के चलने के कारण नदी के पानी मै भी एक हलचल रही थी.....
अलोक नदी के किनारे बैठ अपनी मम्मी का देख रहा था कामिनी का बदन इस वक़्त सफ़ेद साड़ी मै बोहत मादक लग रहा था अपनी मम्मी की बड़ी बड़ी जाँघे बड़ी सी गाँड़ औऱ बड़े बड़े चुचो को देख अलोक मा मन कामिनी को भोगने का कर रहा था....
उधर कामिनी अपनी विधि पूरी करने मै लग गयी...
कामिनी पानी के अंदर गयी औऱ उसने डुबकी लगाने का कार्य शुरू कर दिया.....
बाबा जी के बोलने के अनुसार कामिनी ने 21 बार डुबकी लगा दी औऱ अपना कार्य पूरा करके बाहर आ गयी......
कामिनी ज़ब बाहर आयी तो उसकी साड़ी उसके पुरे बदन पर चिपक गयी थी जिसके कारण कामिनी का घटीला बदन अलोक को साफ साफ दिख रहा था...
अलोक - मम्मी हो गयी विधि..
कामिनी - हां बेटा विधि हो गयी... लेकिन ठंड ज्यादा ही लग रही हैं....
अलोक - ha मम्मी ठंड तो हैं... (अलोक बाते कर्ते वक़्त अपनी मम्मी की चूचियाँ देख रहा था जो साड़ी के पल्लू के अंदर से उसकी भरावट औऱ उसका गुलाबी किसमिस का दाना अलोक साफ़ साफ़ देख पा रहा था...)
मम्मी आप कहे तो कुछ देर यही रुक जाये???
कामिनी - नहीं बेटा यहां कैसे रुक सकते अगर कोई आ गया तो
अलोक - नहीं मम्मी कोई नहीं आएगा यें आधी रात का समय हैं.. औऱ आधी रात को कौन यहां आएगा...
कामिनी - कुछ सोचके उम्म्म ठीक हैं बेटा
अलोक - तो मम्मी बैठ आओ यहां बैठ जाओ आपके कपड़े भी सुख़ जायेंगे....
(अलोक की बात सुनकर कामिनी वहां पास मै बैठ गयी)
अलोक - मम्मी आपका बदन पूरा भीग चूका हैं आप चाहो तो यें साड़ी निकाल दो औऱ यहां पत्थर पर फैला दो शायद है हवा से सुख जाये......
कामिनी - नहीं बेटा कोई बात नहीं रहने दो....
अलोक - ठीक हैं मम